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गुणा

सूची गुणा

गुणा करने का लघुरुप---- 25×25.

16 संबंधों: द्वयंक संक्रिया, दो की घात, पहाड़ा, प्रारंभिक गणित, शून्य, विभाजन (गणित), विसर्पी गणक, गणेश दैवज्ञ, क्षेत्र (गणित), अबीजीय फलन, अंकगणित, १०, ११ (संख्या), १२ (संख्या), १३ (संख्या), २० (संख्या)

द्वयंक संक्रिया

डिजिटल कम्प्यूटर की प्रोग्रामिंग में, द्वयंक संक्रिया (bitwise operation) वह संक्रिया है जो किसी एक द्वयाधारी संख्या के बिट्स या दो/अधिक द्वयाधारी संख्याओं के बिट के स्तर पर की जाती हैं। उदाहरण के लिये, 1001 के प्रत्येक अंक को उलट कर 0110 कर दिया जाय तो यह एक द्वयंक संक्रिया है। इसी तरह 1010 और 0100 के बिटों पर OR संक्रिया की जाय (पहले बिट की पहले बिट से, दूसरे की दूसरे बिट से आदि) तो हमे 1110 मिलेगा। द्वयंक संक्रियाएँ सरल और तेज गति से होनी वाली संक्रियाएँ हैं। ये संक्रियाएँ छोटे तथा कम मूल्य वाले प्रोसेसरों में भी उपलब्ध होतीं हैं। इनका उपयोग द्वयाधारी संख्याओं को तुलना करने तथा अन्य गणनाओं के लिये तैयार करना (manipulat) होता है। सरल, कम मूल्य वाले प्रोसेसरों पर भाजन की अपेक्षा द्वयंक संक्रिया बहुत तेज गति से हो जाती है, गुणन की अपेक्षा द्वयंक संक्रिया कई गुना तेज होती है, जोड़ की अपेक्षा कुछ तेज होती है। यद्यपि आधुनिक प्रोसेसर योग और गुणन की संक्रियाएं भी द्वयंक संक्रियाओं की तरह ही तेज गति से कर लेते हैं किन्तु बिट-वाइज संक्रिया में फिर भी कम विद्युत-शक्ति खर्च होती है। .

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दो की घात

दो की घात1 से 1024 (20 से 210) तक दो की घात का चाक्षुषीकरण। गणित में दो की घात का मतलब 2^n के रूप में लिखने योग्य संख्या से है जहाँ n एक पूर्णांक है, अर्थात 2 के आधार पर घातांक परिणाम जहाँ घातांक पूर्णांक n है। उस प्रसंग में जहाँ केवल पूर्णांक काम में लिए जाते हैं n अपूर्णांक मान नहीं रख सकता। अतः हमें 1, 2 और 2 अपने ही विभिन्न गुणज प्राप्त होंगे। क्योंकि दो द्वयाधारी संख्या पद्धति का आधार है अतः दो की घात संगणक विज्ञान में सामान्य है। द्वयाधारी में लिखने पर दो की घात हमेसा 100…0 या 0.00…01 के रूप में प्राप्त होती हैं जो दशमलव में 10 की घात के तुल्य है। .

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पहाड़ा

पहाड़ा (multiplication table) एक गणितीय सूची है जिसे प्राय: छोटी कक्षा के विद्यार्थियों को अच्छी तरह याद करा दिया जाता है। गुणा और भाग की अंकगणितीय क्रियाओं को करने इसका उपयोग में होता है। प्रायः ९ × ९ तक का पहाडा याद करना पर्याप्त होता है किन्तु १२ × १२ तक का पहाड़ा याद हो तो रोजमर्रा के गणितीय कार्यों में बहुत आसानी होती है। .

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प्रारंभिक गणित

श्रेणी:Mathematics templates.

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शून्य

शून्य (0) एक अंक है जो संख्याओं के निरूपण के लिये प्रयुक्त आजकी सभी स्थानीय मान पद्धतियों का अपरिहार्य प्रतीक है। इसके अलावा यह एक संख्या भी है। दोनों रूपों में गणित में इसकी अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका है। पूर्णांकों तथा वास्तविक संख्याओं के लिये यह योग का तत्समक अवयव (additive identity) है। .

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विभाजन (गणित)

'''20 ÷ 4 .

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विसर्पी गणक

एक छात्रोपयोगी दस-इंची स्लाइड रूल विसर्पी गणक या स्लाइड रूल (slide rule) एक यांत्रिक एनालॉग कम्प्यूटर है। यह एक यांत्रिक युक्ति है जिसका उपयोग मुख्य रूप से गुणा और भाग करने के लिये किया जाता था/है। इसके अधिक विकसित रूपों में अनेक "वैज्ञानिक फलनों" जैसे वर्गमूल, लघुगणक एवं त्रिकोणमित्तीय फलनों की गणना करने की सुविधा भी प्रदत्त होती थी, किन्तु इसका उपयोग प्राय: जोड़ने और घटाने के लिये नहीं किया जाता था/है क्योंकि ये बहुत आसान क्रियाएँ समझी जातीं हैं। जेब-गणकों (पॉकेट कैलकुलेटरों) के आने के पहले स्लाइड रूल विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सर्वाधिक उपयोग में आने वाला उपकरण था। इसका उपयोग १९५० और १९६० के दशक तक वृद्धि पर था। किन्तु सन् १९७४ के आसपास इलेक्ट्रानिक "वैज्ञानिक परिकलकों" के आने से स्लाइड रूल का उपयोग एकाएक बन्द हो गया। स्लाइड रूल विविध प्रकार के आकार-प्रकार और रंग रूप के बनाये जाते हैं और इनमें एक-दो या बहुत प्रकार की गणना करने की सुविधा दी होती है। किन्तु मोटे तौर पर ये रेखीय या वृत्तीय आकार के होते हैं जिस पर गणना करने में सहायक मानक चिह्न बने होते हैं। .

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गणेश दैवज्ञ

गणेश दैवज्ञ एक खगोलविद थे। उनके द्वारा रचित ग्रहलाघव प्रसिद्ध ग्रन्थ है। इसके अलावा बुद्धिविलासिनी टीका भी प्रसिद्ध है। बुद्धिविलासिनी में गणेश दैवज्ञ ने गणित की परिभाषा निम्नवत की है- गणेश ने अपना गणित ग्रंथ ‘ग्रहलाघव’ सन् 1521 के आस-पास आरम्भ किया। ग्रहगणित पर गणेश की जितनी कृतियाँ प्रचलित हैं, उतनी अन्य किसी की नहीं। ज्योतिष पर भी गणेश ने कार्य किया है। इन्होंने भास्करकृत ‘लीलावती’ की टीका लिखी थी। इसी टीका में उन्होंने गुणन की एक विधि का वर्णन किया है जो 8वीं शती या उससे पहले के हिंदुओं को स्मरण थी। जब गणेश ने इसका उल्लेख किया तो वह सहज ही अरब पहुंची और अन्य यूरोपीय देशों में भी। पसियोली के ‘सूमा’ नामक ग्रंथ में भी इसका उल्लेख मिलता है। श्रेणी:भारतीय गणितज्ञ श्रेणी:भारतीय खगोलविद.

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क्षेत्र (गणित)

गणित में क्षेत्र (field) ऐसा समुच्चय होता है जिसमें जोड़, घटाना, गुणा और विभाजन परिभाषित हों और वहीं अर्थ रखें जो वे परिमेय संख्याओं और वास्तविक संख्याओं के लिए रखते हैं। क्षेत्रों का बीजगणित, संख्या सिद्धान्त और गणित की कई शाखाओं में महत्व है। परिमेय संख्याओं का क्षेत्र और वास्तविक संख्याओं का क्षेत्र सबसे अधिक प्रयोग होने वाले क्षेत्र हैं, हालांकि सम्मिश्र संख्याओं का क्षेत्र गणित के अलावा विज्ञान व अभियान्त्रिकी में भी प्रयोग होता है। .

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अबीजीय फलन

उस फलन को अबीजीय फलन (transcendental function) कहते हैं जो किसी बहुपदीय समीकरण को संतुष्ट नहीं कर सकता। (इन बहुपदीय समीकरणों के गुणांक भी नियतांक हों या बहुपद होने चाहिये)। अबीजीय फलनों के मान f(x) को इसके चर x के योग, घटाना, गुणन, भाग, घात एवं मूल की सीमित बीजीय संक्रियाओं के द्वारा अभिव्यक्त नहीं किया जा सकता। इसके विपरीत बीजीय फलन वे होत हैं जिनको सीमित बीजीय संक्रियाओं के रूप में अभिव्यक्त करना सम्भव हो। .

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अंकगणित

पुणे में आर्यभट की मूर्ति ४७६-५५० अंकगणित (ग्रीक मेंΑριθμητική, जर्मन मेंArithmetik, अंग्रेजी मेंArithmetic) गणित की तीन बड़ी शाखाओं में से एक है। अंकों तथा संख्याओं की गणनाओं से सम्बंधित गणित की शाखा को अंकगणित कहा जाता हैं। यह गणित की मौलिक शाखा है तथा इसी से गणित की प्रारम्भिक शिक्षा का आरम्भ होता है। प्रत्येक मनुष्य अपने दैनिक जीवन में प्रायः अंकगणित का उपयोग करता है। अंकगणित के अन्तर्गत जोड़, घटाना, गुणा, भाग, भिन्न, दशमलव आदि प्रक्रियाएँ आती हैं। .

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१०

१० या 10 एक सम प्राकृतिक संख्या है जो ९ के बाद आती है और ११ के पहले। १० दशमलव संख्यांक प्रणाली का आधार है, और अब तक की संख्याओं को अंकित करने की सबसे आम प्रणाली है, लिखित और मौखिक रूप में। दस की पसंद का कारण माना जाता है कि इंसानों की दस उंगलियां (अंक) हैं। .

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११ (संख्या)

11 (महिला की आवाज में, पुरुष की आवाज में,(उच्चारण: ग्यारह) एक प्राकृतिक संख्या है। इससे पूर्व 10 और इसके पश्चात् 12 आता है अर्थात् ग्यारह 10 से एक अधिक होता है एवं 12 में से एक कम करने पर ग्यारह प्राप्त होता है। इसे शब्दों में ग्यारह से लिखा जाता है। छः और पाँच का योग ग्यारह होता है। .

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१२ (संख्या)

१२ ((उच्चारण: बारह) एक प्राकृतिक संख्या है। इससे पूर्व ११ और इसके पश्चात् १३ आता है अर्थात् ग्यारह ११ से एक अधिक होता है एवं १३ में से एक कम करने पर बारह प्राप्त होता है। इसे शब्दों में बारह से लिखा जाता है। छः और पुनः छः का योग बारह होता है। .

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१३ (संख्या)

१३ ((उच्चारण: तेरह) एक प्राकृतिक संख्या है। इससे पूर्व १२ और इसके पश्चात् १४ आता है अर्थात् तेरह १२ से एक अधिक होता है एवं १४ में से एक कम करने पर तेरह प्राप्त होता है। इसे शब्दों में तेरह से लिखा जाता है। सात और छः का योग तेरह होता है। .

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२० (संख्या)

२० मुखों वाला विंशतिफलक २० (उच्चारण: बीस) एक प्राकृतिक संख्या है। इससे पूर्व १९ और इसके पश्चात् २१ आता है अर्थात् बीस १९ से एक अधिक होता है एवं २१ में से एक कम करने पर बीस प्राप्त होता है। इसे शब्दों में "बीस" से लिखा जाता है। दस और पुनः दस का योग बीस होता है। बीस इकाइयों के समूह को स्कोर कहा जाता है। .

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