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गुजराती भाषा

सूची गुजराती भाषा

गुजराती भारत की एक भाषा है जो गुजरात राज्य, दीव और मुंबई में बोली जाती है। गुजराती साहित्य भारतीय भाषाओं के सबसे अधिक समृद्ध साहित्य में से है। भारत की दूसरी भाषाओं की तरह गुजराती भाषा का जन्म संस्कृत भाषा से हुआ है। वहीं इसके कई शब्द ब्रजभाषा के हैं ऐसा भी माना जाता है की इसका जन्म ब्रजभाषा में से भी हुआ अर्थात संस्कृत और ब्रजभाषा के मिले जुले शब्दों से गुजरातीे भाषा का जन्म हुआ। दूसरे राज्य एवं विदेशों में भी गुजराती बोलने वाले लोग निवास करते हैं। जिन में पाकिस्तान, अमेरिका, यु.के., केन्या, सिंगापुर, अफ्रिका, ऑस्ट्रेलीया मुख्य है। भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की मातृभाषा गुजराती थी। गुजराती बोलने वाले भारत के दूसरे महानुभावों में पाकिस्तान के राष्ट्रपिता मुहम्मद अली जिन्ना, महर्षि दयानंद सरस्वती, मोरारजी देसाई, नरेन्द्र मोदी, धीरु भाई अंबानी भी सम्मिलित है। .

546 संबंधों: चचेंडा, चन्द्र प्रकाश देवल, चन्द्रबिन्दु, चन्द्रकान्त बक्षी, ऊषा उत्थुप, चाँचई (धारी), चाँदगढ (अमरेली), चाँपाथल (अमरेली), चाडीया (अमरेली), चाणोद, चाय, चित्तल (अमरेली), चिनु मोदी, चिन्तयामि मनसा, चंद्रकांत टोपीवाला, चंद्रकांत टी. शेठ, चंपक (बाल पत्रिका), चक्करगढ (अमरेली), टाइगर श्रॉफ, टोळा आवाज़ घोंघाट, टींबला (अमरेली), टींबा (अमरेली), एच. सी. भायाणी, एन. के. पंड्या उषनस, झवेरचन्द मेघाणी, डोलाराय आर. मांकड, डीडी गिरनार, ढोलरवा (अमरेली), तत्त्वमसि (गुजराती उपन्यास), तत्सम, तरवडा (अमरेली), तरकतलाव (अमरेली), ताप्ती नदी, तारतम्य, तारक मेहता, तेजेंद्र शर्मा, तीस्ता सेटलवाड़, थोरडी (अमरेली), द हिस्ट्री चैनल (भारत), द ३ मिस्टेक्स ऑफ माई लाइफ, दमन, दमन और दीव, दयाराम, दर्शन अने चिंतन, दलपतराम, दहींडा (अमरेली), दादरा और नगर हवेली, दादा धर्माधिकारी, दादूदयाल, दिनेश त्रिवेदी, ..., दिशा वकानी, दिवालीबेन भील, दक्षिण एशिया, दक्षिण एशिया की पाक-प्रणाली में प्रयुक्त पादपों की सूची, दक्षिण एशियाई भोजन में प्रयुक्त पादप, द्वितारा, दूब घास, देश प्रदेश नी आजकल, देशी भाषा, देशी भाषाओं में देशों और राजधानियों की सूची, देशीय कोड उच्चतम डोमेन, देवदास (२००२ फ़िल्म), देवनागरी, देवनागरी अंक, देवभूमि द्वारका जिला, देवराजीया (अमरेली), देवलीया (अमरेली), देवोनी घाटी, दीपावली, दीव, धतूरा, धु्रव प्रबोधराय भट्ट, ध्वनि (पाठ से वाक), धूँधभरी खींण, धूलमणि पगलियो, धीरूबेन पटेल, धीरूभाई ठाकर, धीरेन्द्र महेता, नडियाद, नया खीजडीया (अमरेली), नरसी मेहता, नरहरि परीख, नर्मद, नरेन्द्र मोदी, नाट्य गठरियाँ, नाम की व्युत्पत्ति के आधार पर भारत के राज्य, नागरी लिपि सुधार समिति, नागरीप्रचारिणी सभा, नागार्जुन, नित्यानन्द स्वामी (परमहंस), निरंजन भगत, निर्गुन्डी, निरूपा रॉय, नज़ीर अहमद देहलवी, नव वर्ष, नवजीवन ट्रस्ट, नवग्रह, नगीनदास पारीख, नेपाली भाषाएँ एवं साहित्य, नोबत, नीता अंबानी, पटाख़ा, पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट, पत्रकारिता का इतिहास, पन्नालाल पटेल, पश्चिमी भारत, पाटीदार समाज में विवाह रीति, पाटीदारी, पाठक संख्या के अनुसार भारत में समाचार पत्रों की सूची, पाणीया (अमरेली), पान, पारसी धर्म, पाकड़, पिप्पली, पंचमहाल जिला, पुरन पोली, प्रणामी संप्रदाय, प्रतापगढ़ (राजस्थान) की संस्कृति, प्रतापगढ़, राजस्थान, प्रतिलिपि (प्रकाशक), प्रफुल्ल पटेल, प्रमुख टाइप पैड, प्राजक्ता (फूल), प्राकृत, प्रियकांत मणियार, प्रेमानन्द भट्ट, प्रीती सेनगुप्ता, पेठा (सब्जी), पॉप्युलर प्रकाशन, पोरबन्दर, पी जयराज, पी. बी. पंडित, पीठवाजाल (अमरेली), पीपललग (अमरेली), पीपा क्षत्रिय, फटफटियुं, फतेपुर (अमरेली), फैण्टम, फूलछाब, बड़ा गरमली (धारी), बड़ी इलायची, बडा भंडारीया (अमरेली), बडा माचीयाला (अमरेली), बडा माँडवडा (अमरेली), बडा गोखरवाला (अमरेली), बडा आँकडीया (अमरेली), बनफ्शा, बनिया, बम्बइया हिन्दी, बादाम, बापू, बाबापुर (अमरेली), बारडोली, बावड़ी, बांटवा माणावदर, बांबी, बाङ्ला भाषा, बिन्दु भट्ट, बगोदरा, बकायन, बक्षीपुर (अमरेली), बुध (ज्योतिष), ब्राह्मी परिवार की लिपियाँ, ब्राह्मी लिपि, बृहत–पिंगल, बेट द्वारका, बेन किंग्सले, बीबीसी एशियन नेटवर्क, बीबीसी वर्ल्ड सर्विस, भारत, भारत में स्थानीय वक्ताओं की संख्यानुसार भाषाओं की सूची, भारत में गुजराती टीवी चैनलों की सूची, भारत में इस्लाम, भारत सारावली, भारत के पशुपक्षियों की बहुभाषीय सूची, भारत के भाषाई परिवार, भारत के राज्य तथा केन्द्र-शासित प्रदेश, भारत की बोलियाँ, भारत की 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मुर्गी, ॐ नमः शिवाय, .भारत सूचकांक विस्तार (496 अधिक) »

चचेंडा

चचेंड़ा (Snake gourd)एक सब्जी है। वैकल्पिक नाम चचिण्डा है।इसका पौधा लतादार लौकी की तरह होता है। इसकी लता तना या लकड़ी के सहारे ऊंचाई पर चढ़ कर झाड़ पर फ़ैल जाती है। इसकी खेती भी होती है। इसका वानस्पतिक नाम:Trichosanthes cucumerina http://www.flowersofindia.net/catalog/slides/Snake%20Gourd.htmlइसकी लम्बाई 150 सेंटीमीटर तक हो सकती है। .

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चन्द्र प्रकाश देवल

डॉ॰ चन्द्र प्रकाश देवल (अथवा चंद्र प्रकाश देवल) प्रसिद्ध राजस्थानी कवि और अनुवादक हैं। वो राजस्थानी साहित्य अकादमी सलाहकार परिषद के संयोजक भी हैं। .

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चन्द्रबिन्दु

चंद्रबिन्दु एक विशेषक चिह्न है जो देवनागरी, गुजराती, बांग्ला, ओडिया, तेलुगु तथा जावा की लिपि आदि में प्रयुक्त होता है। इसका आकार चन्द्रमा जैसा होने से इसे 'चन्द्रबिन्दु' कहा जाता है। यह अनुनासिक को व्यक्त करता है। उदाहरण: चाँद (देवनागरी), দাঁত (बांग्ला)। .

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चन्द्रकान्त बक्षी

चन्द्रकान्त केशवलाल बक्षी (१९३२ - २००६) गुजराती साहित्यकार थे। श्रेणी:गुजराती साहित्यकार.

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ऊषा उत्थुप

ऊषा उत्थुप (पूर्व में अय्यर) (உஷா உதுப், ঊষা উথুপ) (जन्म - 8 नवम्बर 1947) भारत की एक लोकप्रिय पॉप गायिका हैं। उन्हें 1960 के दशक के उतर्राध, 1970 और 1980 के दशक में अपने लोकप्रिय हिट के लिए जाना जाता है। उन्होंने करीब 16 भाषाओं में गाने गाएं हैं जिसमें बंगाली, हिंदी, पंजाबी, असमी, उड़िया, गुजराती, मराठी, कोंकणी, मलयालम, कन्नड़, तमिल, तुलु और तेलुगु शामिल हैं। वे कई विदेशी भाषाओं में भी गाना गा सकती हैं जिसमें अंग्रेजी, डच, फ्रेंच, जर्मन, इतालवी, सिंहली, स्वाहिली, रूसी, नेपाली, अरबी, क्रियोल, ज़ुलु और स्पेनिश शामिल हैं। .

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चाँचई (धारी)

चाँचई (ચાંચઇ.) भारत देश में गुजरात राज्य के सौराष्ट्र एवं काठियावाड़ प्रान्त में अमरेली ज़िले के ११ तहसील में से एक धारी तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। चाँचई गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूंगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादि की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नज़दीकी शहर अमरेली है। यहाँ पे शेर, तेंदुआ जैसे हिंसक वन्य प्राणी भी पाए जाते हैं। .

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चाँदगढ (अमरेली)

चाँदगढ (ચાંદગઢ.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। चाँदगढ गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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चाँपाथल (अमरेली)

चाँपाथल (ચાંપાથળ.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। चाँपाथल गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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चाडीया (अमरेली)

चाडीया (ચાડીયા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। चाडीया गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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चाणोद

चाणोद पश्चिम भारतीय राज्य गुजरात के वलसाड जिले का एक कस्बा है। .

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चाय

चाय एक लोकप्रिय पेय है। यह चाय के पौधों की पत्तियों से बनता है।भारतीय.

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चित्तल (अमरेली)

चित्तल (ચિત્તલ.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। चित्तल गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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चिनु मोदी

चिनु मोदी गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता-संग्रह खारां ज़रण के लिये उन्हें सन् 2013 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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चिन्तयामि मनसा

चिन्तयामि मनसा गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार सुरेश जोशी द्वारा रचित एक निबंध–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1983 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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चंद्रकांत टोपीवाला

चंद्रकांत टोपीवाला गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक समालोचना साक्षीभास्य के लिये उन्हें सन् 2012 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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चंद्रकांत टी. शेठ

चंद्रकांत टी.

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चंपक (बाल पत्रिका)

चंपक बच्चों की एक हिन्दी पत्रिका है जो पाक्षिक है। .

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चक्करगढ (अमरेली)

चक्करगढ (ચક્કરગઢ.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। चक्करगढ गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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टाइगर श्रॉफ

टाइगर श्रॉफ़ (जन्म; जय हेमन्त श्रॉफ़; २ मार्च १९९०) एक भारतीय फ़िल्म अभिनेता तथा मार्शल आर्टिस्ट है। इन्होंने अपने फ़िल्मी कैरियर की शुरुआत साजिद नाडियाडवाला की एक्सन रोमेंटिक फ़िल्म हीरोपंती से २०१४ में की थी। इस फ़िल्म के तौर पर इन्हें फ़िल्मफेयर अवॉर्ड फॉर बेस्ट मेल डेब्यू के लिए चुना गया था। इसके बाद एक बार फिर साजिद नाडियाडवाला ने बागी (२०१६) फ़िल्म का ऑफर दिया, फ़िल्म में इनकी को-स्टार श्रद्धा कपूर है। बागी फ़िल्म ने कमाए है। .

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टोळा आवाज़ घोंघाट

टोळा आवाज़ घोंघाट गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार लाभशंकर ठाकर द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1991 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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टींबला (अमरेली)

टींबला (ટીંબલા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। टींबला गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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टींबा (अमरेली)

टींबा (ટીંબા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। टींबा गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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एच. सी. भायाणी

एच.

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एन. के. पंड्या उषनस

एन.

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झवेरचन्द मेघाणी

झवेरचंद मेघाणी (१८९६ - १९४७) गुजराती साहित्यकार तथा पत्रकार थे। गुजराती-लोकसाहित्य के क्षेत्र में मेघाणी का स्थान सर्वोपरि है। वे सफल कवि ही नहीं, उपन्यासकार, कहानीकार, नाटककार, निबंधकार, जीवनीलेखक तथा अनुवादक भी थे। .

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डोलाराय आर. मांकड

डोलाराय आर.

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डीडी गिरनार

डीडी-गिरनार या डीडी गुजराती / डीडी-11 भारत के राष्ट्रीय प्रसारक दूरदर्शन का एक गुजराती भाषा का चैनल है। यह गुजरात राज्य में अहमदाबाद में दूरदर्शन केन्द्र (सेंटर) में स्टूडियो से प्रसारित होता है। .

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ढोलरवा (अमरेली)

ढोलरवा (ઢોલરવા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। ढोलरवा गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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तत्त्वमसि (गुजराती उपन्यास)

तत्त्वमसि गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार धु्रव प्रबोधराय भट्ट द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2002 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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तत्सम

तत्सम (तत् + सम .

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तरवडा (अमरेली)

तरवडा (તરવડા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। तरवडा गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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तरकतलाव (अमरेली)

तरकतलाव (તરકતળાવ.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। तरकतलाव गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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ताप्ती नदी

ताप्ती (संस्कृत: तापी, मराठी: तापी; गुजराती: તાપ્તી) पश्चिमी भारत की प्रसिद्ध नदी है। यह मध्य प्रदेश राज्य के बैतूल जिले के मुलताई से निकलकर सतपुड़ा पर्वतप्रक्षेपों के मध्य से पश्चिम की ओर बहती हुई महाराष्ट्र के खानदेश के पठार एवं सूरत के मैदान को पार करती और अरब सागर में गिरती है। नदी का उद्गगम् स्थल मुल्ताई है। यह भारत की उन मुख्य नदियों में है जो पूर्व से पश्चिम की तरफ बहती हैं, अन्य दो हैं - नर्मदा नदी और माही नदी। यह नदी पूर्व से पश्चिम की ओर लगभग 740 किलोमीटर की दूरी तक बहती है और खम्बात की खाड़ी में जाकर मिलती है। सूरत बन्दरगाह इसी नदी के मुहाने पर स्थित है। इसकी प्रधान उपनदी का नाम पूर्णा है। इस नदी को सूर्यपुत्री भी कहा जाता है।   समुद्र के समीप इसकी ३२ मील की लंबाई में ज्वार आता है, किंतु छोटे जहाज इसमें चल सकते हैं। पुर्तगालियों एवं अंग्रेजों के इतिहास में इसके मुहाने पर स्थित स्वाली बंदरगाह का बड़ा महत्व है। गाद जमने के कारण अब यह बंदरगाह उजाड़ हो गया है। .

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तारतम्य

तारतम्य गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार अनंतराय एम. रावल द्वारा रचित एक समालोचना है जिसके लिये उन्हें सन् 1974 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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तारक मेहता

तारक मेहता एक भारतीय लेखक थे। यह मुख्यतः दुनिया ने उंधा चश्मा नामक गुजराती भाषा में एक लेख लिखने के कारण जाने जाते हैं। उन्होंने कई प्रकार के हास्य कहानी आदि का गुजराती में अनुवाद किया। इनका साप्ताहिक लेख पहली बार मार्च 1971 में चित्रलेखा नामक एक साप्ताहिक अखबार में आया। इस वर्ष यह 80 पुस्तकों को प्रकाशित किए। जिसमें 3 पुस्तक उनके दिव्य भास्कर नामक अखबार में छापे जाने वाले लेख पर आधारित थे। 2008 में असित कुमार मोदी ने इस कहानी पर तारक मेहता का उल्टा चश्मा धारावाहिक बनाया, जो सब टीवी पर प्रसारित होता है। इस कहानी में एक तारक मेहता का भी किरदार है। इस किरदार को शैलेश लोधा निभा रहे हैं। .

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तेजेंद्र शर्मा

तेजेंद्र शर्मा (जन्म २१ अक्टूबर १९५२) ब्रिटेन में बसे भारतीय मूल के हिंदी कवि लेखक एवं नाटककार है। इनका जन्म 21 अक्टूबर 1952 में पंजाब के जगरांव शहर में हुआ। तेजेन्द्र शर्मा की स्कूली पढ़ाई दिल्ली के अंधा मुग़ल क्षेत्र के सरकारी स्कूल में हुई। दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी विषय में एम.ए. तथा कम्प्यूटर में डिप्लोमा करने वाले तेजेन्द्र शर्मा हिन्दी, अंग्रेजी, पंजाबी, उर्दू तथा गुजराती भाषाओं का ज्ञान रखते हैं। उनके द्वारा लिखा गया धारावाहिक 'शांति' दूरदर्शन से १९९४ में अंतर्राष्ट्रीय लोकप्रियता प्राप्त कर चुका है। अन्नू कपूर निर्देशित फ़िल्म 'अमय' में नाना पाटेकर के साथ उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई है। वे इंदु शर्मा मेमोरियल ट्रस्ट के संस्थापक तथा हिंदी साहित्य के एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय सम्मान इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान प्रदान करनेवाली संस्था 'कथा यू॰के॰' के सचिव हैं। .

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तीस्ता सेटलवाड़

तीस्ता सेटलाड़ (जन्म: 1962) मानवाधिकार कार्यकर्ता, समाज कार्यकर्ता और पत्रकार हैं। वे Citizens for Justice and Peace (न्याय और अमन के लिए नागरिक) अथवा सीजेपी नामक संगठन के सचिव हैं, यह संगठन 2002 में गुजरात में सांप्रदायिक दंगे के पीड़ितों के लिए न्याय लड़ने के लिए स्थापित किया गया था। सीजेपी एक सह-याचिकाकर्ता है जो नरेंद्र मोदी और 62 अन्य सरकारी अधिकारियों के 2002 के गुजरात दंगों में उनकी आरोपित सहभागिता के लिए आपराधिक मुकदमा की मांग कर रही है। तब से उन 62 में से चार आरोपियों के नाम चार्जशीट में दाख़िल हुए है, जिनमें से माया कोडनानी और बाबू बजरंगी को अदालत द्वारा दोषी ठहराए जा चुके हैं। .

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थोरडी (अमरेली)

थोरडी (થોરડી.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। थोरडी गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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द हिस्ट्री चैनल (भारत)

द हिस्ट्री चैनल (भारत) स्टार समूह का एक भूतपूर्व टीवी चैनल है। सात भाषाओं में उपलब्ध है (अंग्रेज़ी, हिन्दी, तमिल, तेलुगु, बंगाली, मराठी, कन्नड़ और गुजराती).

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द ३ मिस्टेक्स ऑफ माई लाइफ

वह एक मंदिर के पुजारी का लड़का है। उसके परिवार को लोगों में काफ़ी सम्मान प्राप्त है। ओमी के मामा के चलते उन्हें अपनी दुकान के लिए जल्द ही जगह मिल जाती है। वह काफ़ी मंद किस्म का लड़का है जिसके कोई बड़े सपने नहीं है पर वह अपने शारीर को बढ़िया रखने के प्रति सजग है। उसे बड़े होकर अपने पिता की तरह पुजारी नहीं बनना। वह एक धार्मिक लड़का है और अमीषा अपने मामा (बिट्टू मामा) के साथ धार्मिक गतिविधियों में हिस्सा लेता है। परन्तु वह धर्म के प्रति अपने विचारों के बारे में उलझा हुआ है जो.

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दमन

दमन भारतीय केन्द्रशासित प्रदेश दमन और दीव के दमन जिले का एक नगरपालिका क्षेत्र और नगर है। दमन दमन गंगा नदी द्वारा दो भागों में विभाजित है – नानी-दमन (नानी का अर्थ यहाँ छोटा है) और मोटी-दमन (मोटी मतलब बड़ा)। विडम्बना यह है कि नानी-दमन बड़ा है। नगर में अस्पताल, बड़े बाजार और बड़े निवास स्थान स्थित हैं। मोटी-दमन मुख्यतः पुराना नगर है। .

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दमन और दीव

Diu दमन और दीव मुंबई के समीप अरब सागर में स्थित द्वीप समूह हैं जो भारत का एक केन्द्र शासित प्रान्त है। यहाँ की राजधानी दमन है। .

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दयाराम

दयाराम (1777-1853 ई) मध्यकालीन गुजराती भक्ति-काव्य परंपरा के अंतिम महत्वपूर्ण वैष्णव कवि थे। वे गरबी साहित्य रचने के लिए प्रसिद्ध हैं। वे पुष्टिमार्गी कवि थे। उनके अवसान के साथ मध्यकाल और कृष्ण-भक्ति-काव्य दोनों का पर्यवसान हो गया। इस युगपरिवर्तन के चिह्न-कुछ कुछ दयाराम के काव्य में ही लक्षित होते हैं। भक्ति का वह तीव्र भावावेग एवं अनन्य समर्पणमयी निष्ठा जो नरसी और मीरा के काव्य में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होती है उनकी रचनाओं में उस रूप में प्राप्त नहीं होती। उसके स्थान पर मानवीय प्रेम और विलासिता का समावेश हो जाता है यद्यपि बाह्य रूप परंपरागत गोपी-कृष्ण लीलाओं का ही रहता है। इसी संक्रमणकालीन स्थिति को लक्षित करते हुए गुजरात के प्रसिद्ध इतिहासकार-साहित्यकार कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने अपना अभिमत व्यक्त किया कि दयारामनुं भक्तकवियों मां स्थान न थी, प्रणयना अमर कवियोमां छे। यह कथन अत्युक्तिपूर्ण होते हुए भी दयाराम के काव्य की आंतरिक वास्तविकता की ओर स्पष्ट इंगित करता है। .

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दर्शन अने चिंतन

दर्शन अने चिंतन गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार पंडित सुखलाल द्वारा रचित एक दार्शनिक निबंध है जिसके लिये उन्हें सन् 1958 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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दलपतराम

दलपतराम दह्याभाई त्रिवेदी (દલપતરામ ડાહ્યાભાઈ ત્રવાડી) (1820-1898) गुजराती के प्रसिद्ध कवि थे। उनके पुत्र नानालाल दलपतराम कवि भी एक कवि थे। श्रेणी:गुजराती साहित्यकार.

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दहींडा (अमरेली)

दहींडा (દહીંડા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। दहींडा गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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दादरा और नगर हवेली

दादरा और नगर हवेली (દાદરા અને નગર હવેલી, दादरा आणि नगर हवेली, Dadrá e Nagar Aveli) भारत का एक केंद्रशासित प्रदेश हैं। यह दक्षिणी भारत में महाराष्ट्र और गुजरात के बीच स्तिथ है, हालाँकि दादरा, जो कि इस प्रदेश कि एक तालुका है, कुछ किलोमीटर दूर गुजरात में स्तिथ एक विदेशी अन्तः क्षेत्र है। सिलवासा इस प्रदेश की राजधानी है। यह क्षेत्र दमन से १० से ३० किलोमीटर दूर है। http://www.dnh.nic.in, "Dadra and Nagar Haveli government website" इस प्रदेश पर १७७९ तक '''मराठाओं''' का और फिर १९५४ तक पुर्तगाली साम्राज्य का साशन था। इस संघ को भारत में ११ अगस्त १९६१ में शामिल किया गया।http://bharat.gov.in/knowindia/state_uts.php?id.

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दादा धर्माधिकारी

शंकर त्रिम्बक धर्माधिकारी (१८ जून, १८९९ - १ दिसम्बर १९८५) भारत के एक स्वतंत्रता सेनानी, गाँधीवादी चिन्तक और प्रसिद्ध लेखक थे। वे 'दादा धर्माधिकारी' के नाम से अधिक जाने जाते हैं। .

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दादूदयाल

दादूदयाल (1544-1603 ई.) हिन्दी के भक्तिकाल में ज्ञानाश्रयी शाखा के प्रमुख सन्त कवि थे। इनके 52 पट्टशिष्य थे, जिनमें गरीबदास, सुंदरदास, रज्जब और बखना मुख्य हैं। दादू के नाम से 'दादू पंथ' चल पडा। ये अत्यधिक दयालु थे। इस कारण इनका नाम 'दादू दयाल' पड गया। दादू हिन्दी, गुजराती, राजस्थानी आदि कई भाषाओं के ज्ञाता थे। इन्होंने शबद और साखी लिखीं। इनकी रचना प्रेमभावपूर्ण है। जात-पाँत के निराकरण, हिन्दू-मुसलमानों की एकता आदि विषयों पर इनके पद तर्क-प्रेरित न होकर हृदय-प्रेरित हैं। .

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दिनेश त्रिवेदी

दिनेश त्रिवेदी; (जन्म- ४ जून १९५०) तृणमूल कांग्रेस से एक भारतीय राजनेता हैं, जो पश्चिम बंगाल के बैरकपुर से सांसद हैं। त्रिवेदी इंडो-यूरोपीय संघ संसदीय मंच के अध्यक्ष भी हैं। वे पूर्व में भारत के रेल मंत्री रह चुके हैं। .

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दिशा वकानी

दिशा वकानी (गुजराती:દિશા વકાની) एक भारतीय अभिनेत्री तथा हास्य कलाकार है। इनका जन्म गुजरात में हुआ था। दिशा वकानी ने अपने कैरियर की शुरुआत जोधा अकबर फिल्म से की। .

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दिवालीबेन भील

दीवालीबेन पुंजभाई भील (2 जून, 1943 - 19 मई, 2016) गुजरात की लोकगायिका थीं। उन्होंने कई तरह के लोक गीतों, गरबा और गुजराती फिल्म में गायन किया था। गुजरात की लोक गायिकी में उनका अनुठा योगदान रहा है, उनके गाए गीत आज भी प्रदेश के महिला पुरुष गुनगुनाते हैं। केंद्र सरकार ने उन्हें वर्ष 1990 में पद्मश्री से सम्मानित किया था। .

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दक्षिण एशिया

thumb दक्षिण एशिया एक अनौपचारिक शब्दावली है जिसका प्रयोग एशिया महाद्वीप के दक्षिणी हिस्से के लिये किया जाता है। सामान्यतः इस शब्द से आशय हिमालय के दक्षिणवर्ती देशों से होता है जिनमें कुछ अन्य अगल-बगल के देश भी जोड़ लिये जाते हैं। भारत, पाकिस्तान, श्री लंका और बांग्लादेश को दक्षिण एशिया के देश या भारतीय उपमहाद्वीप के देश कहा जाता है जिसमें नेपाल और भूटान को भी शामिल कर लिया जाता है। कभी कभी इसमें अफगानिस्तान और म्याँमार को भी जोड़ लेते हैं। दक्षिण एशिया के देशों का एक संगठन सार्क भी है जिसके सदस्य देश निम्नवत हैं.

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दक्षिण एशिया की पाक-प्रणाली में प्रयुक्त पादपों की सूची

नीचे की दक्षिण एशिया के व्यंजनों में प्रयोग किए जाने वाले पादप या उनके अंगों के नाम हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में दिए गए हैं- .

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दक्षिण एशियाई भोजन में प्रयुक्त पादप

दक्षिण एशिया और विशेषतः भारतीय, भोजन अधिकांशतः शाकमय होता है जिसमें विभिन्न प्रकार के फल, सब्जियाँ, अन्न, तथा मसाले होते हैं। इस लेख में दणिण एशिया के देशों के भोजन में प्रयुक्त पौधों के नाम विभिन्न भाषाओं में दिए गये हैं। .

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द्वितारा

हबल दूरबीन से ली गयी व्याध तारे की तस्वीर जिसमें अमुख्य "व्याध बी" तारे का बिंदु (बाएँ, निचली तरफ़) मुख्य व्याघ तारे से अलग दिख रहा है द्वितारा या द्विसंगी तारा दो तारों का एक मंडल होता है जिसमें दोनों तारे अपने सांझे द्रव्यमान केंद्र (सॅन्टर ऑफ़ मास) की परिक्रमा करते हैं। द्वितारों में ज़्यादा रोशन तारे को मुख्य तारा बोलते हैं और कम रोशन तारे को अमुख्य तारा या "साथी तारा" बोलते हैं। कभी-कभी द्वितारा और दोहरा तारा का एक ही अर्थ निकला जाता है, लेकिन इन दोनों में भिन्नताएँ हैं। दोहरे तारे ऐसे दो तारे होते हैं जो पृथ्वी से इकठ्ठे नज़र आते हों। ऐसा या तो इसलिए हो सकता है क्योंकि वे वास्तव में द्वितारा मंडल में साथ-साथ हैं या इसलिए क्योंकि पृथ्वी पर बैठे हुए वे एक दुसरे के समीप लग रहे हैं लेकिन वास्तव में उनका एक दुसरे से कोई सम्बन्ध नहीं है। किसी दोहरे तारे में इनमें से कौनसी स्थिति है वह लंबन (पैरलैक्स) को मापने से जाँची जा सकती है। .

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दूब घास

जमीन पर पसरी '''दूब''' घास हरी भरी '''दूब''' घास दूब या दुर्वा (वानस्पतिक नाम: Cynodon dactylon) एक घास है जो जमीन पर पसरती है। हिन्दू संस्कारों एवं कर्मकाण्डों में इसका उपयोग किया जाता है। मारवाडी भाषा में इसे ध्रो कहा जाता हैँ। शायद ही कोई ऐसा इंसान होगा जो दूब को नहीं जानता होगा। हाँ यह अलग बात है कि हर क्षेत्रों में तथा भाषाओँ में यह अलग अलग नामों से जाना जाता है। हिंदी में इसे दूब, दुबडा, संस्कृत में दुर्वा, सहस्त्रवीर्य, अनंत, भार्गवी, शतपर्वा, शतवल्ली, मराठी में पाढरी दूर्वा, काली दूर्वा, गुजराती में धोलाध्रो, नीलाध्रो, अंग्रेजी में कोचग्रास, क्रिपिंग साइनोडन, बंगाली में नील दुर्वा, सादा दुर्वा आदि नामों से जाना जाता है। इसके आध्यात्मिक महत्वानुसार प्रत्येक पूजा में दूब को अनिवार्य रूप से प्रयोग में लाया जाता है। इसके औषधीय गुणों के अनुसार दूब त्रिदोष को हरने वाली एक ऐसी औषधि है जो वात कफ पित्त के समस्त विकारों को नष्ट करते हुए वात-कफ और पित्त को सम करती है। दूब सेवन के साथ यदि कपाल भाति की क्रिया का नियमित यौगिक अभ्यास किया जाये तो शरीर के भीतर के त्रिदोष को नियंत्रित कर देता है, यह दाह शामक, रक्तदोष, मूर्छा, अतिसार, अर्श, रक्त पित्त, प्रदर, गर्भस्राव, गर्भपात, यौन रोगों, मूत्रकृच्छ इत्यादि में विशेष लाभकारी है। यह कान्तिवर्धक, रक्त स्तंभक, उदर रोग, पीलिया इत्यादि में अपना चमत्कारी प्रभाव दिखाता है। श्वेत दूर्वा विशेषतः वमन, कफ, पित्त, दाह, आमातिसार, रक्त पित्त, एवं कास आदि विकारों में विशेष रूप से प्रयोजनीय है। सेवन की दृष्टि से दूब की जड़ का 2 चम्मच पेस्ट एक कप पानी में मिलाकर पीना चाहिए। .

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देश प्रदेश नी आजकल

देश प्रदेश नी आजकल भारत में प्रकाशित होने वाला गुजराती भाषा का एक समाचार पत्र (अखबार) है। .

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देशी भाषा

"देशी" शब्द की व्युत्पत्ति संस्कृत शब्द "देश" से है और इस अर्थ में अन्य शब्द "देश्य" तथा देशीय भी प्रयुक्त मिलते हैं। यह विशेषण भाषा के अतिरिक्त शब्दावली, नृत्यपद्धति तथा संगीतपद्धति के लिए भी प्रयुक्त मिलता है। इस प्रकार "देशी" और "देश्य" विशेषण से युक्त "देशी भाषा", "देशी शब्द", "देशी नृत्य" तथा "देशी संगीत" इन पारिभाषिक शब्दों का प्रयोग भारतीय वाङ्मय में उपलब्ध है। शास्त्रीय अथवा परिनिष्ठित से भिन्न प्रणाली तथा पद्धति का संकेत करने के लिए भी यह शब्द भारतीय वाङ्मय में प्रयुक्त होता है। तौर्यत्रिक (गान, वादन तथा नृत्य) के संबंध में संगीतशास्त्र के ग्रंथों में यह सकेत मिलता है कि देशी पद्धति वह है, जो "मार्ग" (शास्त्रीय अथवा परिनिष्ठित) पद्धति से भिन्न है और जिसमें तत्तद् देशीय जनता की रुचि के अनुरूप लोकप्रचलित पद्धति का निर्वाह पाया जाता है। इस प्रकार "देश" और अंगरेजी के "फोक" शब्द का समानार्थक है। इसी तरह भाषा अथवा शब्द के अर्थ में भी "देशी" शब्द का तात्पर्य उस प्राकृत वाग्व्यापार तथा उसकी निजी शब्दावली से है, जिसका प्रयोग जनसामान्य में पाया जाता है। भाषा तथा शब्द के सबंध में "देशी", "देश्य", "देशीमत", "देशी प्रसिद्ध" इन चार शब्दों का प्रयोग संस्कृत तथा प्राकृत के वैयाकरणों ने किया है। भरत ने "नाट्यशास्त्र" में शब्दों की तीन कोटियों का संकेत किया है - तत्सम, तद्भव तथा देशीमत (नाट्यशास्त्र 17/3)। यहाँ भरत का तात्पर्य स्पष्टत: उन शब्दों से हे जो अनिर्णीत स्रोत से जनवाग्व्यापार में आ गए थे। अन्यत्र भरत ने "देशभाषा" शब्द का भी प्रयोग किया है (नाट्यशास्त्र 17/46-48), किंतु यहाँ "देशभाषा" से तात्पर्य संस्कृत से इतर सभी प्राकृत विभाषाएँ हैं। आगे चलकर महाराष्ट्री के जैन कवि पादलिप्त ने अपनी "तरंगवती कथा" की भाषा को, जो वस्तुत: (जैन) महाराष्ट्री है "देसी वयण" कहा है। छठी शती ईसवी के प्राकृत वैयाकरण चंड में भाषा या विभाषा के लिए इस शब्द का प्रयोग नहीं मिलता किंतु संस्कृतेतर तथा प्राकृतेतर शब्दों का उसने "देशी प्रसिद्ध" संज्ञा दी है। नवीं शती ईसवी के लगभग से "देशी" शब्द अपभ्रंश के समानार्थक रूप में प्रचलित हो गया था। स्वयंभू ने "पउम चरिउ" में "देशी भाषा" को वह सरिता माना है जिसके दोनों किनारे संस्कृत और प्रकृत हैं और जो कवियों के दुष्कर धनशब्द के शिलाखंडों से सुशोभित हैं। भाषा के अर्थ में पुष्पवंत ने भी "महापुराण" में "देशी" शब्द का प्रयोग किया है। अन्यत्र "देशी" शब्द का प्रयोग पद्मदेव के "पासाणाह चरिउ" तथा लक्ष्मणदेव के "णेमिणाह चरिउ" में मिलता है। ऐसा जान पड़ता है, जहां संस्कृत तथा प्राकृत के वैयाकरण, प्राकृत के वैयाकरण, प्राकृत के बाद विकसित भाषास्थिति को अपभ्रष्ट कहकर हीन संज्ञा से अभिहित करते थे, वहां अपभ्रंश के कवि इस हीनता को हटाने के लिए अपने आपको गौरव के साथ देशी भाषा का कवि घोषित कर रहे थे। देशी शब्द का प्रयोग भाषा तथा शब्दसंपत्ति के सबंध में संस्कृत आलंकारिकों और संस्कृत-प्राकृत-वैयाकरणों ने भी किया है। रुद्रट ने अपने "काव्यालंकार" में "देश्य" या "देशी" शब्द उन्हें माना है, जिनकी प्रकृति-प्रत्यय-मूलक व्युत्पत्ति का पता नहीं है (काव्यालंकार 6/27)। आगे चलकर हेमचंद्र ने इस प्रकार के शब्दों का एक कोश "देशीनाममाला" के नाम से निबद्ध किया। इस ग्रंथ के भूमिका भाग में हेमचंद्र ने बताया है कि जो शब्द व्याकरण से नहीं सिद्ध हैं, संस्कृत कोशों में ही प्रसिद्ध हैं, जिन शब्दों की सिद्धि अभिधा शक्ति के अतिरिक्त गौणी और लक्षणा शक्ति से भी संभव नहीं है, ऐसे शब्द जो केवल देश-विशेष में प्रचलित हैं और संख्या में अनंत हैं देशी कहलाते हैं (देशी नाममाला 1/3-4)। इस प्रकार हेमचंद्र के अनुसार संस्कृत के तत्सम और प्राकृत व्याकरण के ध्वनिपरिवर्तन नियमों के आधार पर बने तद्भव शब्दों से इतर अपरिज्ञात व्युत्पत्तिक शब्द देशी हैं। इधर की खोजों ने यह सिद्ध किया है कि हेमचंद्र ने "देशी नाममाला" में जितने देशी शब्द संकलित किए हैं उनमें से कई के मूलस्त्रोत संस्कृत के जान पड़ते हैं और शेष शब्दों को द्राविड़ स्रोत से आया हुआ माना जाने लगा है। इन स्त्रोतों से आए शब्दों के अतिरिक्त कुछ अनुकरणात्मक शब्द हैं और शेष ऐसे भी हैं जो देशी भाषा ने स्वयं गढ़े हैं। मराठी के प्रसिद्ध संत कवि ज्ञानेश्वर ने "ज्ञानेश्वरी" की भाषा को "देशी बंध" घोषित किया है। इन्हीं दिनों हिंदी के प्रसिद्ध कवि विद्यापति ने अनी अवहट्ट रचना "कीर्तिलता" की भाषा को "देसिल वयन" की संज्ञा दी है। आधुनिक अर्थ में देशी भाषा से आशय देश में प्रचलित उन भाषाओं में से किसी एक से है जिनका उद्गम एवं विकास प्राकृत अथवा अपभ्रंश से हुआ हो अथवा जिनका उद्भव स्थानीय बोलियों के आधार पर प्राय: स्वतंत्र रूप से हुआ हो। भारतीय संविधान के अनुसार भारत में इस तरह की बीसों देशी भाषाओं को मान्यता प्रदान की गई है। इनमें से हिंदी, मराठी, गुजराती, बँगला, उड़िया आदि प्रथम (आर्यभाषाओं के) वर्ग में तथा तमिल, तेलुगु, कन्नड आदि द्वितीय (द्राविड़) वर्ग में आती हैं। .

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देशी भाषाओं में देशों और राजधानियों की सूची

निम्न चार्ट विश्व के देशों को सूचीबद्ध करता है (जैसा की यहां परिभाषित किया गया है), इसमें उनके राजधानीयों के नाम भी शामिल है, यह अंग्रेजी के साथ साथ उस देश की मूल भाषा और/या सरकारी भाषा में दी गयी है। ज टी की कोण नॉन en .

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देशीय कोड उच्चतम डोमेन

देशीय कोड उच्चतम डोमेन (Country code top-level domain) या सी॰सी॰टी॰ऍल॰डी॰ (ccTLD) किसी देश, राष्ट्र या अधीन क्षेत्र के लिए प्रयोग होने वाली या आरक्षित इंटरनेट उच्चतम डोमेन (Top-level domain) को कहते हैं। सभी आस्की (कम्प्यूटर में अंग्रेज़ी की रोमन लिपि) पर आधारित सीसीटीऍलडी दो अक्षरों के होते हैं, मसलन नेपाल का सीसीटीऍलडी '.np' और श्रीलंका का सीसीटीऍलडी '.lk' है।, Request for Comments, Jon Postel, Network Working Group, Accessed 2011-02-07,...

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देवदास (२००२ फ़िल्म)

देवदास शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास देवदास पर आधारित चलचित्र है। यह इसी नाम पर बना तीसरा और प्रथम रंगीन चलचित्र है। इस चलचित्र में शाहरुख़ खान, ऐश्वर्या राय और माधुरी दीक्षित प्रमुख भुमिका में हैं और इसका निर्देशन संजय लीला भंसाली ने किया है। जब यह चलचित्र प्रदर्शित किया गया था, तब यह बॉलीवुड का सर्वाधिक बजट वाला चलचित्र था जिसका बजट ५० करोड़ रु बताया जाता है। हिन्दी के अतिरिक्त इसे छः अन्य भाषाओं में प्रदर्शित किया गया था: अंग्रेजी़, गुजराती, फ्रांसीसी, मंदारिन (चीनी), थाई और पंजाबी। .

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देवनागरी

'''देवनागरी''' में लिखी ऋग्वेद की पाण्डुलिपि देवनागरी एक लिपि है जिसमें अनेक भारतीय भाषाएँ तथा कई विदेशी भाषाएं लिखीं जाती हैं। यह बायें से दायें लिखी जाती है। इसकी पहचान एक क्षैतिज रेखा से है जिसे 'शिरिरेखा' कहते हैं। संस्कृत, पालि, हिन्दी, मराठी, कोंकणी, सिन्धी, कश्मीरी, डोगरी, नेपाली, नेपाल भाषा (तथा अन्य नेपाली उपभाषाएँ), तामाङ भाषा, गढ़वाली, बोडो, अंगिका, मगही, भोजपुरी, मैथिली, संथाली आदि भाषाएँ देवनागरी में लिखी जाती हैं। इसके अतिरिक्त कुछ स्थितियों में गुजराती, पंजाबी, बिष्णुपुरिया मणिपुरी, रोमानी और उर्दू भाषाएं भी देवनागरी में लिखी जाती हैं। देवनागरी विश्व में सर्वाधिक प्रयुक्त लिपियों में से एक है। मेलबर्न ऑस्ट्रेलिया की एक ट्राम पर देवनागरी लिपि .

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देवनागरी अंक

देवनागरी लिपि में गिनती के लिए दस अंकों वाली दशमलव आधारित गणना पद्धति का प्रयोग किया जाता है। ये दस अंक भारतीय अंकों के अंतर्राष्ट्रीय रूप के समानांतर प्रचलित हैं। देवनागरी लिपि का प्रयोग करने वाली विभिन्न भाषाओं में ये अंक आम तौर पर प्रयुक्त होते हैं। प्राचीन काल से ही प्रयुक्त इन अंकों को 19वीं सदी के उत्तरार्ध में आधिकारीक दर्जा दिलाने की कोशिश शुरु हुई। भारतीय संविधान ने अनुच्छेद 351 में देवनागरी लिपि में लिखी हिन्दी को तो संघ की राजभाषा घोषित कर दिया किंतु अंक अंतर्राष्ट्रीय ही रखा। 1954 में तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने अपने संविधान प्रदत्त अधिकार का प्रयोग करते हुए देवनागरी अंक के प्रयोग का अध्यादेश जारी किया। तब से देवनागरी लिपि अंतर्राष्ट्रीय एवं देवनागरी अंकों के साथ भी लिखी जाने लगी। .

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देवभूमि द्वारका जिला

देवभूमि द्वारका जिला (દેવભૂમિ દ્વારકા જિલ્લો) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में स्थित राज्य के ३३ जिलों में से एक जिला है। जिले का नाम कृष्ण की कर्मभूमि द्वारका से पड़ा है। जिले का मुख्यालय खंभाळिया है। १५ अगस्त २०१३ को गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जामनगर जिला का विभाजन करके देवभूमि द्वारका को नया जिला बनाने की घोषणा की थी। द्वारका जिला कच्छ की खाड़ी और अरबी समुद्र के तट पर बसा है। द्वारका हिन्दू धर्म के प्राचीन तीर्थस्थलों में से एक है। यहाँ से हिन्दू धर्म में पवित्र माने जाने वाली गोमती नदी पसार होती है। द्वारकाधीश का जगत मन्दिर प्रमुख दर्शनीय स्थल है। .

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देवराजीया (अमरेली)

देवराजीया (દેવરાજીયા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। देवराजीया गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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देवलीया (अमरेली)

देवलीया (દેવળીયા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। देवलीया गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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देवोनी घाटी

देवोनी घाटी गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार भोलाभाई पटेल द्वारा रचित एक यात्रा–वृत्तांत है जिसके लिये उन्हें सन् 1992 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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दीपावली

दीपावली या दीवाली अर्थात "रोशनी का त्योहार" शरद ऋतु (उत्तरी गोलार्द्ध) में हर वर्ष मनाया जाने वाला एक प्राचीन हिंदू त्योहार है।The New Oxford Dictionary of English (1998) ISBN 0-19-861263-X – p.540 "Diwali /dɪwɑːli/ (also Divali) noun a Hindu festival with lights...". दीवाली भारत के सबसे बड़े और प्रतिभाशाली त्योहारों में से एक है। यह त्योहार आध्यात्मिक रूप से अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है।Jean Mead, How and why Do Hindus Celebrate Divali?, ISBN 978-0-237-534-127 भारतवर्ष में मनाए जाने वाले सभी त्यौहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्थात् ‘अंधेरे से ज्योति अर्थात प्रकाश की ओर जाइए’ यह उपनिषदों की आज्ञा है। इसे सिख, बौद्ध तथा जैन धर्म के लोग भी मनाते हैं। जैन धर्म के लोग इसे महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं तथा सिख समुदाय इसे बन्दी छोड़ दिवस के रूप में मनाता है। माना जाता है कि दीपावली के दिन अयोध्या के राजा राम अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात लौटे थे। अयोध्यावासियों का ह्रदय अपने परम प्रिय राजा के आगमन से प्रफुल्लित हो उठा था। श्री राम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाए। कार्तिक मास की सघन काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों की रोशनी से जगमगा उठी। तब से आज तक भारतीय प्रति वर्ष यह प्रकाश-पर्व हर्ष व उल्लास से मनाते हैं। यह पर्व अधिकतर ग्रिगेरियन कैलन्डर के अनुसार अक्टूबर या नवंबर महीने में पड़ता है। दीपावली दीपों का त्योहार है। भारतीयों का विश्वास है कि सत्य की सदा जीत होती है झूठ का नाश होता है। दीवाली यही चरितार्थ करती है- असतो माऽ सद्गमय, तमसो माऽ ज्योतिर्गमय। दीपावली स्वच्छता व प्रकाश का पर्व है। कई सप्ताह पूर्व ही दीपावली की तैयारियाँ आरंभ हो जाती हैं। लोग अपने घरों, दुकानों आदि की सफाई का कार्य आरंभ कर देते हैं। घरों में मरम्मत, रंग-रोगन, सफ़ेदी आदि का कार्य होने लगता है। लोग दुकानों को भी साफ़ सुथरा कर सजाते हैं। बाज़ारों में गलियों को भी सुनहरी झंडियों से सजाया जाता है। दीपावली से पहले ही घर-मोहल्ले, बाज़ार सब साफ-सुथरे व सजे-धजे नज़र आते हैं। दीवाली नेपाल, भारत, श्रीलंका, म्यांमार, मारीशस, गुयाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, सूरीनाम, मलेशिया, सिंगापुर, फिजी, पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया की बाहरी सीमा पर क्रिसमस द्वीप पर एक सरकारी अवकाश है। .

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दीव

दीव दीव जिले में स्थित एक क़स्बा है जो की केन्द्रशासित प्रदेश दमन और दीव में है। यह दीव द्वीप के पूर्वी किनारे पर है जो कि पुर्तगाली किले व कैथ्रेडल के लिए जाना जाता है। .

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धतूरा

धतूरा एक पादप है।। यह लगभग १ मीटर तक ऊँचा होता है। यह वृक्ष काला-सफेद दो रंग का होता है। और काले का फूल नीली चित्तियों वाला होता है। हिन्दू लोग धतूरे ले फल, फूल और पत्ते शंकरजी पर चढ़ाते हैं। आचार्य चरक ने इसे 'कनक' और सुश्रुत ने 'उन्मत्त' नाम से संबोधित किया है। आयुर्वेद के ग्रथों में इसे विष वर्ग में रखा गया है। अल्प मात्रा में इसके विभिन्न भागों के उपयोग से अनेक रोग ठीक हो जाते हैं। नाम: संस्कृत - धतूर, मदन, उन्मत्त, मातुल, हिन्दी - धतूरा, बंगला - धुतुरा, मराठी - धोत्रा, धोधरा, गुजराती - धंतर्रा, अंग्रेजी - धोर्न एप्पल स्ट्रामोनियम। .

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धु्रव प्रबोधराय भट्ट

धु्रव प्रबोधराय भट्ट गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास तत्त्वमसि के लिये उन्हें सन् 2002 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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ध्वनि (पाठ से वाक)

ध्वनि भारतीय भाषाओं हेतु एक पाठ से वाक प्रोग्राम है। यह एक स्क्रीनरीडर की तरह कार्य कर सकता है। इसे फॉस्स इण्डिया २००८ पुरुस्कार मिला है। इसका नवीनतम संस्करण ०.९४ है। यह विकास के चरण में है, वर्तमान में यह केवल लिनक्स प्लेटफॉर्म पर कार्य करता है। वर्तमान में ध्वनि निम्न भारतीय भाषाओं हेतु कार्य करता है।.

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धूँधभरी खींण

धूँधभरी खींण गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार वीनेश अंताणी द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2000 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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धूलमणि पगलियो

धूलमणि पगलियो गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार चंद्रकांत टी. शेठ द्वारा रचित एक संस्मरण है जिसके लिये उन्हें सन् 1986 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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धीरूबेन पटेल

धीरूबेन पटेल गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास आगंतुक के लिये उन्हें सन् 2001 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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धीरूभाई ठाकर

डॉ धीरूभाई ठाकर (२७ जून १९१८ – २२ जनवरी २०१४) गुजराती विश्वकोश के संपादक और जाने-माने गुजराती साहित्यकार थे धीरूभाई को रणजीत राम स्वर्ण पद प्रदान किया गया था तथा वे गुजराती साहित्य परिषद के अध्यक्ष रह चुके थे। .

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धीरेन्द्र महेता

धीरेन्द्र महेता गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास छावणी के लिये उन्हें सन् 2010 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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नडियाद

नडियाद (गुजराती:નડીયાદ) गुजरात के खेड़ा जिले का मुख्य शहर है। यहां का संतराम मंदीर के समाजसेवी कार्य सारे चरोतर में प्रशंसापात्र है। नडीयाद के आसपास चिकोरी का खेत उत्पाद होता है वह कोफ़ी के बदलें लोग वापरते हैं। .

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नया खीजडीया (अमरेली)

नया खीजडीया (નવા ખીજડીયા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। तरवडा गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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नरसी मेहता

नरसी मेहता नरसी मेहता (નરસિંહ મહેતા; 16वीं शती ई.) गुजराती भक्तिसाहित्य की श्रेष्ठतम विभूति थे। उनके कृतित्व और व्यक्तित्व की महत्ता के अनुरूप साहित्य के इतिहासग्रंथों में "नरसिंह-मीरा-युग" नाम से एक स्वतंत्र काव्यकाल का निर्धारण किया गया है जिसकी मुख्य विशेषता भावप्रवण कृष्णभक्ति से अनुप्रेरित पदों का निर्माण है। पदप्रणेता के रूप में गुजराती साहित्य में नरसी का लगभग वही स्थान है जो हिंदी में सूरदास का। वैष्णव जन तो तैणे कहिए जे पीड पराई जाणे रे' पंक्ति से आरंभ होनेवाला सुविख्यात पद नरसी मेहता का ही है। नरसी ने इसमें वैष्णव धर्म के सारतत्वों का संकलन करके अपनी अंतर्दृष्टि एवं सहज मानवीयता का परिचय दिया है। नरसी की इस उदार वैष्णव भक्ति का प्रभाव गुजरात में आज तक लक्षित होता है। पुष्टिमार्ग में नरसी को "वधेयो" माना जाता है पर नरसी किसी संप्रदाय से संबद्ध प्रतीत नहीं होते। उनकी भक्ति भागवताश्रित थी। अन्यान्य लीलाओं की अपेक्षा कृष्ण की रासलीला नरसी का विशेष प्रिय थी और भावात्मक तादात्म्य की स्थित में उन्होंने अपने को "दीवटियो" या दीपवाहक बनकर रास में भाग लेते हुए वर्णित किया है। वे गुजरात के सर्वाधिक लोकप्रि वैष्णव कवि हैं तथा लोककल्पना में उनके जीवन से संबद्ध किंवदंतियों एवं चमत्कारिक घटनाओं के प्रति सहज विश्वासभावना मिलती है। .

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नरहरि परीख

नरहरि द्वारकादास परीख (નરહરિ દ્રારકાદાસ પરીખ) भारत के एक लेखक, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और समाजसुधारक थे। गांधीजी के कार्यों और व्यक्तित्व से प्रभावित होकर उन्होने अपना सारा जीवन गांधीजी से जुड़े संस्थानों के साथ बिताया। .

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नर्मद

नर्मदाशंकर लालशंकर दवे (गुजराती: નર્મદાશંકર લાલશંકર દવે) (24 अगस्त 1833 – 26 फ़रवरी 1886), गुजराती के कवि विद्वान एवं महान वक्ता थे। वे नर्मद के नाम से प्रसिद्ध हैं। उन्होने ही १८८० के दशक में सबसे पहले हिन्दी को भारत की राष्ट्रभाषा बनाने का विचार रखा था। गुजराती साहित्य के आधुनिक युग का समारंभ कवि नर्मदाशंकर 'नर्मद' (१८३३-१८८६ ई.) से होता है। वे युगप्रवर्त्तक साहित्यकार थे। जिस प्रकार हिंदी साहित्य में आधुनिक काल के आरंभिक अंश का 'भारतेंदु युग' संज्ञा दी जाती है, उसी प्रकार गुजराती में नवीन चेतना के प्रथम कालखंड को 'नर्मद युग' कहा जाता है। हरिश्चंद्र की तरह ही उनकी प्रतिभा भी सर्वतोमुखी थी। उन्होंने गुजराती साहित्य को गद्य, पद्य सभी दिशाओं में समृद्धि प्रदान की, किंतु काव्य के क्षेत्र में उनका स्थान विशेष है। लगभग सभ प्रचलित विषयों पर उन्होंने काव्यरचना की। महाकाव्य और महाछंदों के स्वप्नदर्शी कवि नर्मद का व्यक्तित्व गुजराती साहित्य में अद्वितीय है। गुजराती के प्रख्यात साहित्यकार मुंशी ने उन्हें 'अर्वाचीनों में आद्य' कहा है। .

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नरेन्द्र मोदी

नरेन्द्र दामोदरदास मोदी (નરેંદ્ર દામોદરદાસ મોદી Narendra Damodardas Modi; जन्म: 17 सितम्बर 1950) भारत के वर्तमान प्रधानमन्त्री हैं। भारत के राष्‍ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उन्हें 26 मई 2014 को भारत के प्रधानमन्त्री पद की शपथ दिलायी। वे स्वतन्त्र भारत के 15वें प्रधानमन्त्री हैं तथा इस पद पर आसीन होने वाले स्वतंत्र भारत में जन्मे प्रथम व्यक्ति हैं। वडनगर के एक गुजराती परिवार में पैदा हुए, मोदी ने अपने बचपन में चाय बेचने में अपने पिता की मदद की, और बाद में अपना खुद का स्टाल चलाया। आठ साल की उम्र में वे आरएसएस से  जुड़े, जिसके साथ एक लंबे समय तक सम्बंधित रहे । स्नातक होने के बाद उन्होंने अपने घर छोड़ दिया। मोदी ने दो साल तक भारत भर में यात्रा की, और कई धार्मिक केंद्रों का दौरा किया। गुजरात लौटने के बाद और 1969 या 1970 में अहमदाबाद चले गए। 1971 में वह आरएसएस के लिए पूर्णकालिक कार्यकर्ता बन गए। 1975  में देश भर में आपातकाल की स्थिति के दौरान उन्हें कुछ समय के लिए छिपना पड़ा। 1985 में वे बीजेपी से जुड़े और 2001 तक पार्टी पदानुक्रम के भीतर कई पदों पर कार्य किया, जहाँ से वे धीरे धीरे वे सचिव के पद पर पहुंचे।   गुजरात भूकंप २००१, (भुज में भूकंप) के बाद गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल के असफल स्वास्थ्य और ख़राब सार्वजनिक छवि के कारण नरेंद्र मोदी को 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया। मोदी जल्द ही विधायी विधानसभा के लिए चुने गए। 2002 के गुजरात दंगों में उनके प्रशासन को कठोर माना गया है, की आलोचना भी हुई।  हालांकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) को अभियोजन पक्ष की कार्यवाही शुरू करने के लिए कोई है। मुख्यमंत्री के तौर पर उनकी नीतियों को आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए । उनके नेतृत्व में भारत की प्रमुख विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी ने 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा और 282 सीटें जीतकर अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की। एक सांसद के रूप में उन्होंने उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक नगरी वाराणसी एवं अपने गृहराज्य गुजरात के वडोदरा संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा और दोनों जगह से जीत दर्ज़ की। इससे पूर्व वे गुजरात राज्य के 14वें मुख्यमन्त्री रहे। उन्हें उनके काम के कारण गुजरात की जनता ने लगातार 4 बार (2001 से 2014 तक) मुख्यमन्त्री चुना। गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त नरेन्द्र मोदी विकास पुरुष के नाम से जाने जाते हैं और वर्तमान समय में देश के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से हैं।। माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर भी वे सबसे ज्यादा फॉलोअर वाले भारतीय नेता हैं। उन्हें 'नमो' नाम से भी जाना जाता है। टाइम पत्रिका ने मोदी को पर्सन ऑफ़ द ईयर 2013 के 42 उम्मीदवारों की सूची में शामिल किया है। अटल बिहारी वाजपेयी की तरह नरेन्द्र मोदी एक राजनेता और कवि हैं। वे गुजराती भाषा के अलावा हिन्दी में भी देशप्रेम से ओतप्रोत कविताएँ लिखते हैं। .

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नाट्य गठरियाँ

नाट्य गठरियाँ गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार सी. सी. मेहता द्वारा रचित एक यात्रा–वृत्तांत है जिसके लिये उन्हें सन् 1971 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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नाम की व्युत्पत्ति के आधार पर भारत के राज्य

भारतीय गणराज्य का १९४७ में राज्यों के संघ के रूप में गठन हुआ। राज्य पुनर्गठन अधिनियम, १९५६ के अनुसार राज्यीय सीमाओं को भाषाई आधार पर पुनर्व्यवस्थित किया गया, इसलिए कई राज्यों के नाम उनकी भाषाओं के अनुसार हैं और आमतौर पर तमिल नाडु (तमिल) और कर्णाटक (कन्नड़) को छोड़कर, इन नामों की उत्पत्ति संस्कृत से होती है। तथापि अन्य राज्यों के नाम उनकी भौगोलिक स्थिति, विशेष इतिहास या जनसंख्याओं और औपनिवेशिक प्रभावों पर पड़े हैं। .

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नागरी लिपि सुधार समिति

नागरी लिपि सुधार समिति की स्थापना १९३५ में काका कालेलकर की अध्यक्षता में हुई। उन्होने हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी, मराठी तथा गुजराती के लिए एक ही लिपि बनाने की दिशा में कुछ सुझाव दिए। .

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नागरीप्रचारिणी सभा

नागरीप्रचारिणी सभा, हिंदी भाषा और साहित्य तथा देवनागरी लिपि की उन्नति तथा प्रचार और प्रसार करनेवाली भारत की अग्रणी संस्था है। भारतेन्दु युग के अनंतर हिंदी साहित्य की जो उल्लेखनीय प्रवृत्तियाँ रही हैं उन सबके नियमन, नियंत्रण और संचालन में इस सभा का महत्वपूर्ण योग रहा है। .

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नागार्जुन

नागार्जुन (३० जून १९११-५ नवंबर १९९८) हिन्दी और मैथिली के अप्रतिम लेखक और कवि थे। अनेक भाषाओं के ज्ञाता तथा प्रगतिशील विचारधारा के साहित्यकार नागार्जुन ने हिन्दी के अतिरिक्त मैथिली संस्कृत एवं बाङ्ला में मौलिक रचनाएँ भी कीं तथा संस्कृत, मैथिली एवं बाङ्ला से अनुवाद कार्य भी किया। साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित नागार्जुन ने मैथिली में यात्री उपनाम से लिखा तथा यह उपनाम उनके मूल नाम वैद्यनाथ मिश्र के साथ मिलकर एकमेक हो गया। .

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नित्यानन्द स्वामी (परमहंस)

यह लेख नित्यानन्द स्वामी (परमहंस) पर है, अन्य नित्यानन्द स्वामी लेखों के लिए देखें नित्यानन्द स्वामी नित्यानन्द स्वामी नित्यानन्द स्वामी, स्वामीनारायण संप्रदाय के संत और स्वामीनारायण परमहंस थे। पृष्ठ २६५ .

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निरंजन भगत

निरंजन भगत एक गुजराती कवि और टिप्पणीकार है। इनके द्वारा रचित एक समालोचना गुजराती साहित्य पूर्वार्ध–उत्तरार्ध के लिये उन्हें सन् १९९९ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (गुजराती) से सम्मानित किया गया। .

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निर्गुन्डी

300px निर्गुन्डी (वानस्पतिक नाम: Vitex negundo) एक औषधीय गुणों वाली क्षुप (झाड़ी) है। हिन्दी में इसे संभालू/सम्मालू, शिवारी, निसिन्दा शेफाली, तथा संस्कृत में इसे सिन्दुवार के नाम से जाना जाता है। इसके क्षुप १० फीट तक ऊंचे पाए जाते हैं। संस्कृत में इसे इन्द्राणी, नीलपुष्पा, श्वेत सुरसा, सुबाहा भी कहते हैं। राजस्थान में यह निनगंड नाम से जाना जाता है। इसकी पत्तियों के काढ़े का उपयोग जुकाम, सिरदर्द, आमवात विकारों तथा जोड़ों की सूजन में किया जाता है। यह बुद्धिप्रद, पचने में हल्का, केशों के लिए हितकर, नेत्र ज्योति बढ़ाने वाला तो होता ही है, साथ ही शूल, सूजन, आंव, वायु, पेट के कीड़े नष्ट करने, कोढ़, अरुचि व ज्वर आदि रोगाें की चिकित्सा में भी काम आता है। इसके पत्ते में रक्तशोधन का भी विशेष गुण होता है।; अन्य भाषाओं में नाम.

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निरूपा रॉय

निरूपा राय (जन्म: 4 जनवरी, 1931 निधन: 13 अक्टूबर, 2004) हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री थीं। .

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नज़ीर अहमद देहलवी

नज़ीर अहमद देहलवी (१८३०-१९१२), जिन्हें औमतौर पर डिप्टी नज़ीर अहमद (उर्दू) बुलाया जाता था, १९वीं सदी के एक विख्यात भारतीय उर्दू-लेखक, विद्वान और सामाजिक व धार्मिक सुधारक थे। उनकी लिखी कुछ उपन्यास-शैली की किताबें, जैसे कि 'मिरात-उल-उरूस' और 'बिनात-उल-नाश' और बच्चों के लिए लिखी पुस्तकें, जैसे कि 'क़िस्से-कहानियाँ' और 'ज़ालिम भेड़िया', आज तक उत्तर भारत व पाकिस्तान में पढ़ी जाती हैं। .

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नव वर्ष

भारतीय नववर्ष की विशेषता   - ग्रंथो में लिखा है कि जिस दिन सृष्टि का चक्र प्रथम बार विधाता ने प्रवर्तित किया, उस दिन चैत्र शुदी १ रविवार था। हमारे लिए आने वाला संवत्सर २०७५ बहुत ही भाग्यशाली होगा, क़्योंकि इस वर्ष भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को रविवार है,   शुदी एवम  ‘शुक्ल पक्ष एक ही  है। चैत्र के महीने के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि (प्रतिपद या प्रतिपदा) को सृष्टि का आरंभ हुआ था।हमारा नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को शरू होता है| इस दिन ग्रह और नक्षत्र मे परिवर्तन होता है | हिन्दी महीने की शुरूआत इसी दिन से होती है | पेड़-पोधों मे फूल,मंजर,कली इसी समय आना शुरू होते है,  वातावरण मे एक नया उल्लास होता है जो मन को आह्लादित कर देता है | जीवो में धर्म के प्रति आस्था बढ़ जाती है | इसी दिन ब्रह्मा जी  ने सृष्टि का निर्माण किया था | भगवान विष्णु जी का प्रथम अवतार भी इसी दिन हुआ था | नवरात्र की शुरुअात इसी दिन से होती है | जिसमे हमलोग उपवास एवं पवित्र रह कर नव वर्ष की शुरूआत करते है | परम पुरूष अपनी प्रकृति से मिलने जब आता है तो सदा चैत्र में ही आता है। इसीलिए सारी सृष्टि सबसे ज्यादा चैत्र में ही महक रही होती है। वैष्णव दर्शन में चैत्र मास भगवान नारायण का ही रूप है। चैत्र का आध्यात्मिक स्वरूप इतना उन्नत है कि इसने वैकुंठ में बसने वाले ईश्वर को भी धरती पर उतार दिया। न शीत न ग्रीष्म। पूरा पावन काल। ऎसे समय में सूर्य की चमकती किरणों की साक्षी में चरित्र और धर्म धरती पर स्वयं श्रीराम रूप धारण कर उतर आए,  श्रीराम का अवतार चैत्र शुक्ल नवमी को होता है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि  के ठीक नवे दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था | आर्यसमाज की स्थापना इसी दिन हुई थी | यह दिन कल्प, सृष्टि, युगादि का प्रारंभिक दिन है | संसारव्यापी निर्मलता और कोमलता के बीच प्रकट होता है हमारा अपना नया साल *  *विक्रम संवत्सर विक्रम संवत का संबंध हमारे कालचक्र से ही नहीं, बल्कि हमारे सुदीर्घ साहित्य और जीवन जीने की विविधता से भी है। कहीं धूल-धक्कड़ नहीं, कुत्सित कीच नहीं, बाहर-भीतर जमीन-आसमान सर्वत्र स्नानोपरांत मन जैसी शुद्धता। पता नहीं किस महामना ऋषि ने चैत्र के इस दिव्य भाव को समझा होगा और किसान को सबसे ज्यादा सुहाती इस चैत मेे ही काल गणना की शुरूआत मानी होगी। चैत्र मास का वैदिक नाम है-मधु मास। मधु मास अर्थात आनंद बांटती वसंत का मास। यह वसंत आ तो जाता है फाल्गुन में ही, पर पूरी तरह से व्यक्त होता है चैत्र में। सारी वनस्पति और सृष्टि प्रस्फुटित होती है,  पके मीठे अन्न के दानों में, आम की मन को लुभाती खुशबू में, गणगौर पूजती कन्याओं और सुहागिन नारियों के हाथ की हरी-हरी दूब में तथा वसंतदूत कोयल की गूंजती स्वर लहरी में। चारों ओर पकी फसल का दर्शन,  आत्मबल और उत्साह को जन्म देता है। खेतों में हलचल, फसलों की कटाई, हंसिए का मंगलमय खर-खर करता स्वर और खेतों में डांट-डपट-मजाक करती आवाजें। जरा दृष्टि फैलाइए, भारत के आभा मंडल के चारों ओर। चैत्र क्या आया मानो खेतों में हंसी-खुशी की रौनक छा गई। नई फसल घर मे आने का समय भी यही है | इस समय प्रकृति मे उष्णता बढ्ने लगती है, जिससे पेड़ -पौधे, जीव-जन्तु मे नव जीवन आ जाता है | लोग इतने मदमस्त हो जाते है कि आनंद में मंगलमय  गीत गुनगुनाने लगते है | गौर और गणेश कि पूजा भी इसी दिन से तीन दिन तक राजस्थान मे कि जाती है | चैत शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन सूर्योदय के समय जो वार होता है वह ही वर्ष में संवत्सर का राजा कहा जाता है,  मेषार्क प्रवेश के दिन जो वार होता है वही संवत्सर का मंत्री होता है इस दिन सूर्य मेष राशि मे होता है | नये साल के अवसर पर फ़्लोरिडा में आतिशबाज़ी का एक दृश्य। नव वर्ष एक उत्सव की तरह पूरे विश्व में अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग तिथियों तथा विधियों से मनाया जाता है। विभिन्न सम्प्रदायों के नव वर्ष समारोह भिन्न-भिन्न होते हैं और इसके महत्त्व की भी विभिन्न संस्कृतियों में परस्पर भिन्नता है। .

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नवजीवन ट्रस्ट

'लोकमान्य का स्वर्गवास' शीर्षक से नवजीवन का मुख्य समाचार नवजीवन ट्रस्ट भारत के अहमदाबाद (गुजरात) स्थित पुस्तकों के प्रकाशक हैं। इसकी स्थापना सन १९२९ में महात्मा गांधी ने की थी। नवजीवन ने अब तक हिन्दी, गुजराती, अंग्रेजी एवं अन्य भाषाओं में कोई ८०० पुस्तकें प्रकाशित की है। अभी हाल में ही (दिसम्बर २००८) इन पुस्तकों से नवजीवन ट्रस्ट का कॉपीराइट समाप्त हुआ है। .

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नवग्रह

ग्रह (संस्कृत के ग्रह से - पकड़ना, कब्जे में करना) माता भूमिदेवी (पृथ्वी) के प्राणियों पर एक 'ब्रह्मांडीय प्रभावकारी' है। हिन्दू ज्योतिष में नवग्रह (संस्कृत: नवग्रह, नौ ग्रह या नौ प्रभावकारी) इन प्रमुख प्रभावकारियों में से हैं। राशि चक्र में स्थिर सितारों की पृष्ठभूमि के संबंध में सभी नवग्रह की सापेक्ष गतिविधि होती है। इसमें ग्रह भी शामिल हैं: मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, और शनि, सूर्य, चंद्रमा, और साथ ही साथ आकाश में अवस्थितियां, राहू (उत्तर या आरोही चंद्र आसंधि) और केतु (दक्षिण या अवरोही चंद्र आसंधि).

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नगीनदास पारीख

नगीनदास पारीख गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक समालोचना अभिनवानो रसविचार के लिये उन्हें सन् 1970 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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नेपाली भाषाएँ एवं साहित्य

नेपाल में अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं, जैसे किराँती, गुरुंग, तामंग, मगर, नेवारी, गोरखाली आदि। काठमांडो उपत्यका में सदा से बसी हुई नेवार जाति, जो प्रागैतिहासिक गंधर्वों और प्राचीन युग के लिच्छवियों की आधुनिक प्रतिनिधि मानी जा सकती है, अपनी भाषा को नेपाल भाषा कहती रही है जिसे बोलनेबालों की संख्या उपत्यका में लगभग 65 प्रतिशत है। नेपाली, तथा अंग्रेजी भाषाओं में प्रकाशित समाचार पत्रों के ही समान नेवारी भाषा के दैनिक पत्र का भी प्रकाशन होता है, तथापि आज नेपाल की सर्वमान्य राष्ट्रभाषा नेपाली ही है जिसे पहले परवतिया "गोरखाली" या खस-कुरा (खस (संस्कृत: कश्यप; कुराउ, संस्कृत: काकली) भी कहते थे। .

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नोबत

नोबत भारत में प्रकाशित होने वाला गुजराती भाषा का एक समाचार पत्र (अखबार) है। .

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नीता अंबानी

नीता अंबानी (जन्म: नवम्बर 1, 1964) एक भारतीय महिला उद्यमी हैं। वे भारत के सबसे अमीर आदमी मुकेश अंबानी की पत्नी और रिलायंस इंडस्ट्रीज के संस्थापक धीरूभाई अंबानी की पुत्रवधु हैं। नीता अंबानी धीरूभाई अंबानी इंटरनेशनल स्कूल की संस्थापक और चेयरपर्सन हैं। उनको श्री चंद्रशेखरेन्द्र सरस्वती विश्व महाविधालय (एससीएसवीएमवी यूनीवर्सिटी) कांचीपुरम से डाक्टरेट की उपाधि मिली है। यह उपाधि उन्हे शिक्षा, समाज सेवा और मानव प्रेम के लिए मिली हैं। नीता अंबानी मुंबई इंडियंस क्रिकेट टीम की सह-मालकिन भी हैं। वे रिलायंस इंडस्ट्रीज और नेशनल एसोसिएशन ऑफ ब्लाइंड के "दृष्टि" नामक समाज सेवी संस्था से भी जुड़ी हैं। .

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पटाख़ा

फटता हुआ पटाख़ा पटाख़ा एक छोटी-सी विस्फोटक आतिशबाज़ी है जो मुख्यत: भारी आवाज या शोर उत्पन्न करने के उद्देश्य से बनायी जाती है। पटाख़ों का आविष्कार चीन में हुआ।, Eiichiro Ochiai, Springer, 2011, ISBN 978-3-642-20272-8,...

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पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट

पतंजलि योगपीठ का मुख्य द्वार पतंजलि योगपीठ का मुख्य भवन पतंजलि योगपीठ भारत का सबसे बड़ा योग शिक्षा संस्थान है। इसकी स्थापना स्वामी रामदेव द्वारा योग का अधिकाधिक प्रचार करने एवं इसे सर्वसुलभ बनाने के उद्देश्य से की गयी थी। यह हरिद्वार में स्थित है। आचार्य बालकृष्ण इसके महासचिव हैं। .

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पत्रकारिता का इतिहास

पत्रकारिता का इतिहास, प्रौद्योगिकी और व्यापार के विकास के साथ आरम्भ हुआ। .

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पन्नालाल पटेल

पन्नालाल पटेल एक गुजराती साहित्यकार हैं। इन्हें 1985 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। .

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पश्चिमी भारत

पश्चिमी भारत क्षेत्र में भारत के महाराष्ट्र, गोआ और गुजरात राज्य तथा दादरा एवं नगर हवेली एवं दमन एवं दीव केन्द्र शासित प्रदेश आते हैं। यह क्षेत्र उच्चस्तरीय औद्योगिक तथा आवासित है।.

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पाटीदार समाज में विवाह रीति

यह पृष्ठ मध्य प्रदेश के निमाड़ स्थित बावन खेड़ा पाटीदार समाज की विवाह संस्कार की लुप्त हो रही रीतियों को संजोने के लिए बनाया गया है। हिन्दू विवाह का दृश्य यद्यपि हम सब जानते हैं कि विवाह मानव जीवन का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, जहां से उसके जीवन में खुशियों और सुख-शांति की संभावनाएं कहीं गुना अधिक बढ़ जाती है। प्राचीन हिन्दू धर्म इसे अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण और अनिवार्य अंग मानता है, शायद इसीलिए विवाह को हिंदुओं ने अपने सोलह संस्कारों में सम्मिलित किया है। कुछ ही लोग ऐसे होंगे जो अपनी ज़िन्दगी में दोबारा विवाह करते हैं। खासकर हिंदुओं में इस एक विवाह को सात जन्मों का बन्धन मान लिया जाता है। फिर यदि जीवन का यह महत्त्वपूर्ण अवसर ऐसे ही सस्ते में न निकल जाए इसलिए हमारे पूर्वजों ने विवाह संस्कार को संपन्न कराने के लिए कुछ रीति रिवाजों का प्रचलन आरम्भ किया था, जिसे आज का युवा वर्ग एक किनारे से भूलता जा रहा है। हमें इन रीतियों और रिवाजों को संजोने के लिए यथायोग्य प्रयास करने चाहिए। चूंकि प्रत्येक समाज और धर्म के अपने-अपने अलग रीति रिवाज हैं। निमाड़ के बावन खेड़ा के पाटीदार समाज की विवाह रीतियों को संजोने के लिए इस पेज का निर्माण किया गया है। .

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पाटीदारी

पाटीदारी बोली, जो मध्यप्रदेश के निमाड़ स्थित बावन खेड़ा के पाटीदार समुदाय द्वारा बोली जाने वाली बोली है। इस बोली की लिपि देवनागरी है और यह गुजराती भाषा से काफी मिलती-जुलती है। पाटीदारों के अनुसार यह का ही एक टूटा-फूटा रूप है, जिसमें 17वीं सदी में गुजरात से भागे पाटीदारों द्वारा कुछ थोड़ा अंतर प्रतिपादित किया गया। इसका अपना कोई लिखित साहित्य अभी तक उपलब्ध नहीं है किंतु मौखिक साहित्य की इसमें भरमार है, जिसे पाटीदारों द्वारा अपने सामुदायिक कार्यक्रमों यथा शवयात्रा, विवाह, गम्मत आदि में गाया अथवा सुनाया जाता है। इसमें बच्चों के लिए मनोरंजक कथाओं का भी विपुल भंडार है, जिसे पाटीदारी में वार्ता कहा जाता है।.

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पाठक संख्या के अनुसार भारत में समाचार पत्रों की सूची

यह भारतीय पाठक सर्वेक्षण (आई॰आर॰एस॰) पर आधारित पाठक संख्या के अनुसार भारत में समाचार पत्रों की एक सूची है। .

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पाणीया (अमरेली)

पाणीया (પાણીયા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है।पाणीया गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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पान

पान भारत के इतिहास एवं परंपराओं से गहरे से जुड़ा है। इसका उद्भव स्थल मलाया द्वीप है। पान विभिन्न भारतीय भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे ताम्बूल (संस्कृत), पक्कू (तेलुगू), वेटिलाई (तमिल और मलयालम) और नागुरवेल (गुजराती) आदि। पान का प्रयोग हिन्दू संस्कार से जुड़ा है, जैसे नामकरण, यज्ञोपवीत आदि। वेदों में भी पान के सेवन की पवित्रता का वर्णन है। यह तांबूली या नागवल्ली नामक लता का पत्ता है। खैर, चूना, सुपारी के योग से इसका बीड़ा लगाया जाता है और मुख की सुंदरता, सुगंधि, शुद्धि, श्रृंगार आदि के लिये चबा चबाकर उसे खाया जाता है। इसके साथ विभिन्न प्रकार के सुगंधित, असुगंधित तमाखू, तरह तरह के पान के मसाले, लवंग, कपूर, सुगंधद्रव्य आदि का भी प्रयोग किया जाता है। मद्रास में बिना खैर का भी पान खाया जाता है। विभिन्न प्रदेशों में अपने अपने स्वाद के अनुसार इसके प्रयोग में तरह तरह के मसालों के साथ पान खाने का रिवाज है। जहाँ भोजन आदि के बाद, तथा उत्सवादि में पान बीड़ा लाभकर और शोभाकर होता है वहीं यह एक दुर्व्यसन भी हो जाता है। तम्बाकू के साथ अधिक पान खानेवाले लोग प्राय: इसके व्यसनी हो जाते हैं। अधिक पान खाने के कारण बहुतों के दाँत खराब हो जाते हैं- उनमें तरह तरह के रोग लग जाते हैं और मुँह से दुर्गंध आने लगती है। इस लता के पत्ते छोटे, बड़े अनेक आकार प्रकार के होते हैं। बीच में एक मोटी नस होती है और प्राय: इस पत्ते की आकृति मानव के हृदय (हार्ट) से मिलती जुलती होती है। भारत के विभिन्न भागों में होनेवाले पान के पत्तों की सैकड़ों किस्में हैं - कड़े, मुलायम, छोटे, बड़े, लचीले, रूखे आदि। उनके स्वाद में भी बड़ा अंतर होता है। कटु, कषाय, तिक्त और मधुर-पान के पत्ते प्राय: चार स्वाद के होते हैं। उनमें औषधीय गुण भी भिन्न भिन्न प्रकार के होते हैं। देश, गंध आदि के अनुसार पानों के भी गुणर्धममूलक सैकड़ों जातिनाम हैं जैसे- जगन्नाथी, बँगाली, साँची, मगही, सौंफिया, कपुरी (कपूरी) कशकाठी, महोबाई आदि। गर्म देशों में, नमीवाली भूमि में ज्यादातर इसकी उपज होती है। भारत, बर्मा, सिलोन आदि में पान की अघिक पैदायश होती है। इसकी खेती कि लिये बड़ा परिश्रम अपेक्षित है। एक ओर जितनी उष्णता आवश्यक है, दूसरी ओर उतना ही रस और नमी भी अपेक्षित है। देशभेद से इसकी लता की खेती और सुरक्षा में भेद होता है। पर सर्वत्र यह अत्यंत श्रमसाध्य है। इसकी खेती के स्थान को कहीं बरै, कहीं बरज, कहीं बरेजा और कहीं भीटा आदि भी कहते हैं। खेती आदि कतरनेवालों को बरे, बरज, बरई भी कहते हैं। सिंचाई, खाद, सेवा, उष्णता सौर छाया आदि के कारण इसमें बराबर सालभर तक देखभाल करते रहना पड़ता है और सालों बाद पत्तियाँ मिल पानी हैं और ये भी प्राय: दो तीन साल ही मिलती हैं। कहीं कहीं 7-8 साल तक भी प्राप्त होती हैं। कहीं तो इस लता को विभिन्न पेड़ों-मौलसिरी, जयंत आदि पर भी चढ़ाया जाता है। इसके भीटों और छाया में इतनी ठंढक रहती है कि वहाँ साँप, बिच्छू आदि भी आ जाते हैं। इन हरे पत्तों को सेवा द्वारा सफेद बनाया जाता है। तब इन्हें बहुधा पका या सफेद पान कहते हैं। बनारस में पान की सेवा बड़े श्रम से की जाती है। मगह के एक किस्म के पान को कई मास तक बड़े यत्न से सुरक्षित रखकर पकाते हैं जिसे "मगही पान" कहा जाता है और जो अत्यंत सुस्वादु एवं मूल्यवान् जाता है। समस्त भारत में (विशेषत: पश्चिमी भाग को छोड़कर) सर्वत्र पान खाने की प्रथा अत्यधिक है। मुगल काल से यह मुसलमानों में भी खूब प्रचलित है। संक्षेप में, लगे पान को भारत का एक सांस्कृतिक अंग कह सकते हैं। पान के पौधे वैज्ञानिक दृष्टि से पान एक महत्वपूर्ण वनस्पति है। पान दक्षिण भारत और उत्तर पूर्वी भारत में खुली जगह उगाया जाता है, क्योंकि पान के लिए अधिक नमी व कम धूप की आवश्यकता होती है। उत्तर और पूर्वी प्रांतों में पान विशेष प्रकार की संरक्षणशालाओं में उगाया जाता है। इन्हें भीट या बरोज कहते हैं। पान की विभिन्न किस्मों को वैज्ञानिक आधार पर पांच प्रमुख प्रजातियों बंगला, मगही, सांची, देशावरी, कपूरी और मीठी पत्ती के नाम से जाना जाता है। यह वर्गीकरण पत्तों की संरचना तथा रासायनिक गुणों के आधार पर किया गया है। रासायनिक गुणों में वाष्पशील तेल का मुख्य योगदान रहता है। ये सेहत के लिये भी लाभकारी है। खाना खाने के बाद पान का सेवन पाचन में सहायक होता है। पान की दुकान पर बिकते पान पान में वाष्पशील तेलों के अतिरिक्त अमीनो अम्ल, कार्बोहाइड्रेट और कुछ विटामिन प्रचुर मात्रा में होते हैं। पान के औषधीय गुणों का वर्णन चरक संहिता में भी किया गया है। ग्रामीण अंचलों में पान के पत्तों का प्रयोग लोग फोड़े-फुंसी उपचार में पुल्टिस के रूप में करते हैं। हितोपदेश के अनुसार पान के औषधीय गुण हैं बलगम हटाना, मुख शुद्धि, अपच, श्वांस संबंधी बीमारियों का निदान। पान की पत्तियों में विटामिन ए प्रचुर मात्रा में होता है। प्रात:काल नाश्ते के उपरांत काली मिर्च के साथ पान के सेवन से भूख ठीक से लगती है। ऐसा यूजीनॉल अवयव के कारण होता है। सोने से थोड़ा पहले पान को नमक और अजवायन के साथ मुंह में रखने से नींद अच्छी आती है। यही नहीं पान सूखी खांसी में भी लाभकारी होता है।। वेब दुनिया .

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पारसी धर्म

पारसी धर्म ईरान का प्राचीन काल से प्रचलित धर्म है। ये ज़न्द अवेस्ता नाम के धर्मग्रंथ पर आधारित है। इसके प्रस्थापक महात्मा ज़रथुष्ट्र हैं, इसलिये इस धर्म को ज़रथुष्ट्री धर्म (Zoroastrianism) भी कहते हैं। .

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पाकड़

पाकड़, पिलखन या पकड़िया भारतवर्ष में बहुतायत से पाया जाने वाला एक हराभरा वृक्ष है। इसे अंग्रेजी में Ficus virens, असमिया में पकोड़ी, बांग्ला में পাকুড় (पाकड़), गुजराती में પેપરી (पेपरी), उर्दू में پاکڙيا (पकड़िया), तमिल में சிற்றால் (चिर्रल), तेलुगू में జువ్వి (ज़ुब्बी), मलयालम में ചെറള (चेरल), कन्नड़ में ಬಸರಿಮರ (बसरीमारा), मराठी में लघुपिंपरी, पंजाबी में जंगली पीपली, उड़िया में जरी, नेपाली में सफेद काबरा, मणिपुरी में চিঙ হৈবোঙ (छिंग हेवोंग) तथा संस्कृत में पर्कटी, भिदुरः, दृढप्रारोहः, हृस्वपर्ण, मंगलछायः, प्लक्ष या रामअंजीर कहते हैं। .

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पिप्पली

पिप्पली (वानस्पतिक नाम: Piper longum), (पीपली, पीपरी, एवं अंग्रेज़ी: 'लॉन्ग पाइपर'), पाइपरेसी परिवार का पुष्पीय पौधा है। इसकी खेती इसके फल के लिये की जाती है। इस फल को सुखाकर मसाले, छौंक एवं औदषधीय गुणों के लिये आयुर्वेद में प्रयोग किया जाता है। इसका स्वाद अपने परिवार के ही एक सदस्य काली मिर्च जैसा ही किन्तु उससे अधिक तीखा होता है। इस परिवार के अन्य सदस्यों में दक्षिणी या सफ़ेद मिर्च, गोल मिर्च एवं ग्रीन पैपर भी हैं। इनके लिये अंग्रेज़ी शब्द पैपर इनके संस्कृत एवं तमिल/मलयाली नाम पिप्पली से ही लिया गया है। विभिन्न भाषाओं में इसके नाम इस प्रकार से हैं: संस्कृत पिप्पली, हिन्दी- पीपर, पीपल, मराठी- पिपल, गुजराती- पीपर, बांग्ला- पिपुल, तेलुगू- पिप्पलु, तिप्पली, फारसी- फिलफिल। अंग्रेज़ी- लांग पीपर, लैटिन- पाइपर लांगम। पिप्पली के फल कई छोटे फलों से मिल कर बना होता है, जिनमें से हरेक एक खसखस के दाने के बराबर होता है। ये सभी मिलकर एक हेज़ल वृक्ष की तरह दिखने वाले आकार में जुड़े रहते हैं। इस फल में ऍल्कलॉयड पाइपराइन होता है, जो इसे इसका तीखापन देता है। इसकी अन्य प्रजातियाँ जावा एवं इण्डोनेशिया में पायी जाती हैं। इसमें सुगन्धित तेल (0.७%), पाइपराइन (४-५%) तथा पिपलार्टिन नामक क्षाराभ पाए जाते हैं। इनके अतिरिक्त दो नए तरल क्षाराभ सिसेमिन और पिपलास्टिरॉल भी हाल ही मेंज्ञात हुए हैं। पीपर की जड़ जिसे पीपला मूल भी कहा गया है पाइपरिन (०.१५-०.१८%), पिपलार्टिन (०.१३-०.२०%), पाइपरलौंगुमिनिन, एक स्टिरॉएड तथा ग्लाइकोसाइड से युक्त होती है। .

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पंचमहाल जिला

पंचमहाल जिला, पूर्वी गुजरात का एक जिला है। पंचमहाल नाम पंच यानि कि पाँच और महल से पडा है। ग्वालियर के सिंधिया घराने ने इन जिलों को ब्रिटिश हुकूमत के हवाले किया था। 2001 में इस जिले की जनसंख्या 20,25,277 थी। जिले का मुख्यालय है। क्षेत्रफल - वर्ग कि॰मी॰ जनसंख्या - (2001 जनगणना) साक्षरता - एस॰टी॰डी॰ कोड - जिलाधिकारी - (सितम्बर 2006 में) समुद्र तल से उचाई - अक्षांश - उत्तर देशांतर - पूर्व औसत वर्षा - मि॰मी॰ इस जिले में अमेरिकी ऑटोमोबाइल कम्पनी जेनरल मोटर्स (जीएम) का कारखाना भी है। .

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पुरन पोली

पुरन पोली (मराठी और कोंकणी: पुरणपोळी/पुरणाची पोळी, गुजराती: પોળી, तमिल: போளி पोली, कन्नड़: ಹೋಳಿಗೆ ओबट्टु/होलिगे, तेलुगु:बूरेलु या बोब्बाटु या बोब्बाटलु या पोलेय्लु, भाकशालू), महाराष्ट्र का प्रसिद्ध मीठा पकवान है। निशा मधुलिका द्वारा यह हरेक तीज त्योहार आदि के अवसरों पर बनाया जाता है। इसे आमटी के साथ खाया जाता है। गुड़ीपडवा पर्व पर इसे विशेष रूप से बनाया जाता है। पुरन पोली की मुख्य सामग्री चना दाल होती है और इसे गुड़ या शक्कर से मीठा स्वाद दिया जाता है। इसे भरवां मीठा परांठा कहा जा सकता है। हिन्दी भाषी इस स्वादिष्ट व्यंजन को पूरनपोली कहते हैं क्योंकि मराठी के ळ व्यंजन का उच्चारण हिन्दी में नहीं होता है तो इसकी निकटतम ध्वनि ल से काम चलाया जाता है। पूरणपोळी चने की दाल को शक्कर की चाशनी में उबालकर बनाई गयी मीठी पिट्ठी से बनती है। यह पिठ्ठी ही भरावन होता है जिसमें जायफल, इलायची, केसर और यथासंभव मेवा डाल कर सुस्वादु बनाया जाता है। इसमें पीले रंग के लिए चुटकी भर हल्दी भी डाली जा सकती है। चूंकि इसे ही मैदा या आटे की लोई में पूरा या भरा जाता है इसलिए पूरण नाम मिला। संस्कृत की पूर् धातु से बना है पूरण शब्द जिसका अर्थ ऊपर तक भरना, पूरा करना, आदि हैं। चूंकि ऊपर तक भरा होना ही सम्पूर्ण होना है सो पूरण में संतुष्टिकारक भाव भी हैं। मराठी में रोटी के लिए पोळी शब्द है। भाव हुआ भरवां रोटी। पोळी शब्द बना है पल् धातु से जिसमें विस्तार, फैलाव, संरक्षण का भाव निहित है इस तरह पोळी का अर्थ हुआ जिसे फैलाया गया हो। बेलने के प्रक्रिया से रोटी विस्तार ही पाती है। इसके बाद इसे तेल या शुद्ध घी से परांठे की तरह दोनों तरफ घी लगाकर अच्छी तरह लाल और करारा होने तक सेक लेते हैं। वैसे इसे महाराष्ट्र में करारा होने तक सेका जाता है, वहीं कर्नाटक और आंध्र प्रदेश आदि में इसे मुलायम ही रखते हैं। सिकने के बाद इसे गर्म या सामान्य कर परोसा जाता है। इसके साथ आमटी या खीर भी परोसी जाती है। चार सदस्यों के लिए पुरनपोली बनाने का समय है ४० मिनट। इसे बना कर ३-४ दिनों तक रखा भी जा सकता है। कड़ाले बेल ओबट्टु (चना दाल ओबट्टु) .

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प्रणामी संप्रदाय

प्रणामी सम्प्रदाय एक हिन्दू सम्प्रदाय है जिसमे सर्वेसर्वा इश्वर "राज जी" (सदचित्त आनन्द) को मानने वाले अनुयायी शामिल है। यह संप्रदाय अन्य धर्मों की तरह बहुईश्वर में विश्वास नहीं रखता। यह ४००-वर्ष प्राचीन संप्रदाय है। इसकी स्थापना देवचंद्र महाराज द्वारा हुई तथा इसका प्रचार प्राणनाथ स्वामी व उनके शिष्य महाराज छत्रसाल ने किया। जामनगर में नवतनपुरी धाम प्रणामी धर्म का मुख्य तीर्थ स्थल है। इसे श्री कृष्ण प्रणामी धर्म या निजानंद सम्प्रदाय या परनामी संप्रदाय भी कहते हैं। परब्रह्म परमात्मा श्री राज जी एवं उनकी सह-संगिनी श्री श्यामा महारानी जी इस ब्रह्माण्ड के पालनहार एवं रचयिता है। इस संप्रदाय में जो तारतम ग्रन्थ है, वो स्वयं परमात्मा की स्वरुप सखी इंद्रावती ने प्राणनाथ के मनुष्य रूप में जन्म लेकर लिखा। वाणी का अवतरण हुआ और कुरान, बाइबल, भगवत आदि ग्रंथो के भेद खुले। प्रणामियो को ईश्वर ने ब्रह्म आत्मा घोषित किया है। अर्थात ब्रह्मात्मा के अंदर स्वयं परमात्मा का वास होता है। ये ब्रह्मात्माएँ परमधाम में श्री राज जी एवं श्यामा महारानी जी के संग गोपियों के रूप में रहती है। सबसे पहले परमात्मा का अवतरण अल्लाह के रूप में, दूसरी बार कृष्ण (केवल 11 वर्ष 52 दिन तक के गोपी कृष्ण के रूप में, बाकी जीवन में कृष्ण विष्णु अवतार थे। कृष्ण ने गीता भी परमात्मा अवतार - अक्षरातीत अवतार में ही कही है।) और सोहलवीं शताब्दी में श्री प्राणनाथ के रूप में ईश्वर के रूप में जन्म लिया। इस सम्प्रदाय में 11 साल और 52 दिन की आयु वाले बाल कृष्ण को पूजा जाता है। क्योकि इस आयु तक कृष्ण रासलीला किया करते थे। पाठक गलत न समझे कि कृष्ण अलग अलग है। कृष्ण तो केवल एक मनुष्य रूप का नाम है कोई ईश्वर का नही। बाल्यकाल में कृष्ण परमात्मा के अवतार थे और बाकी जीवन में विष्णु अवतार। .

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प्रतापगढ़ (राजस्थान) की संस्कृति

सीतामाता मंदिर के सामने एक मीणा आदिवासी: छाया: हे. शे. हालाँकि प्रतापगढ़ में सभी धर्मों, मतों, विश्वासों और जातियों के लोग सद्भावनापूर्वक निवास करते हैं, पर यहाँ की जनसँख्या का मुख्य घटक- लगभग ६० प्रतिशत, मीना आदिवासी हैं, जो राज्य में 'अनुसूचित जनजाति' के रूप में वर्गीकृत हैं। पीपल खूंट उपखंड में तो ८० फीसदी से ज्यादा आबादी मीणा जनजाति की ही है। जीवन-यापन के लिए ये मीना-परिवार मूलतः कृषि, मजदूरी, पशुपालन और वन-उपज पर आश्रित हैं, जिनकी अपनी विशिष्ट-संस्कृति, बोली और वेशभूषा रही है। अन्य जातियां गूजर, भील, बलाई, भांटी, ढोली, राजपूत, ब्राह्मण, महाजन, सुनार, लुहार, चमार, नाई, तेली, तम्बोली, लखेरा, रंगरेज, रैबारी, गवारिया, धोबी, कुम्हार, धाकड, कुलमी, आंजना, पाटीदार और डांगी आदि हैं। सिख-सरदार इस तरफ़ ढूँढने से भी नज़र नहीं आते.

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प्रतापगढ़, राजस्थान

प्रतापगढ़, क्षेत्रफल में भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान के ३३वें जिले प्रतापगढ़ जिले का मुख्यालय है। प्राकृतिक संपदा का धनी कभी इसे 'कान्ठल प्रदेश' कहा गया। यह नया जिला अपने कुछ प्राचीन और पौराणिक सन्दर्भों से जुड़े स्थानों के लिए दर्शनीय है, यद्यपि इसके सुविचारित विकास के लिए वन विभाग और पर्यटन विभाग ने कोई बहुत उल्लेखनीय योगदान अब तक नहीं किया है। .

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प्रतिलिपि (प्रकाशक)

प्रतिलिपि, बंगलुरु से कार्य करने वाला एक स्वयं-प्रकाशन पोर्टल है। यह ८ भारतीय भाषाओं में सामग्री उपलब्ध कराता है। ये भाषाएं ये हैं- हिन्दी, गुजराती, बांग्ला, मराठी, मलयालम, तमिल, कन्नड और तेलुगु। श्रेणी:भारतीय प्रकाशक.

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प्रफुल्ल पटेल

200px श्री प्रफुल्ल पटेल (अंग्रेज़ी: Praful Patel) को भारत सरकार की पंद्रहवीं लोकसभा के मंत्रीमंडल में नागरिक उड्डयन मंत्रालय में मंत्री बनाया गया है। उनके पिता, उनके पिता, एक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता थे और महाराष्ट्र में गोंदिया जिले का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया था। पटेल ने बंबई विश्वविद्यालय से वाणिज्य स्नातक की डिग्री के साथ स्नातक और वर्षा पटेल, एक गुजराती व्यापारी की बेटी से शादी की। .

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प्रमुख टाइप पैड

प्रमुख टाइप पैड (अंग्रेजी:Pramukh Type Pad) एक मुक्तस्रोत प्रोग्राम है जो हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं (लिपियों) को लिखने के लिये अत्यन्त उपयोगी है।। इसके विकासकर्ता हैं जिन्होनें भारतीय भाषाओं के लिये इण्डिक आएमई प्लग-इन, प्रमुख जावास्क्रिप्ट लाइब्रेरी, तथा अन्य भी विकसित किये हैं। .

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प्राजक्ता (फूल)

प्राजक्ता एक पुष्प देने वाला वृक्ष है। इसे हरसिंगार, शेफाली, शिउली आदि नामो से भी जाना जाता है। इसका वृक्ष 10 से 15 फीट ऊँचा होता है। इसका वानस्पतिक नाम 'निक्टेन्थिस आर्बोर्ट्रिस्टिस' है। पारिजात पर सुन्दर व सुगन्धित फूल लगते हैं। इसके फूल, पत्ते और छाल का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। यह सारे भारत में पैदा होता है। यह पश्चिम बंगाल का राजकीय पुष्प है। .

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प्राकृत

सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र । इसकी रचना मूलतः तीसरी-चौथी शताब्दी ईसापूर्व में की गयी थी। भारतीय आर्यभाषा के मध्ययुग में जो अनेक प्रादेशिक भाषाएँ विकसित हुई उनका सामान्य नाम प्राकृत है और उन भाषाओं में जो ग्रंथ रचे गए उन सबको समुच्चय रूप से प्राकृत साहित्य कहा जाता है। विकास की दृष्टि से भाषावैज्ञानिकों ने भारत में आर्यभाषा के तीन स्तर नियत किए हैं - प्राचीन, मध्यकालीन और अर्वाचीन। प्राचीन स्तर की भाषाएँ वैदिक संस्कृत और संस्कृत हैं, जिनके विकास का काल अनुमानत: ई. पू.

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प्रियकांत मणियार

प्रियकांत मणियार गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह लिलेरो ढल के लिये उन्हें सन् 1982 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित(मरणोपरांत) किया गया। .

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प्रेमानन्द भट्ट

प्रेमानन्द भट्ट (1649–1714) गुजराती के प्रसिद्ध साहित्यकार थे। वे 'प्रेमानन्द' के नाम से अधिक प्रसिद्ध हैं। गुजराती साहित्य में वे 'आख्यान' के लिए प्रसिद्ध हैं जो काव्य का एक विशेष प्रकार है। प्रेमानंद के काव्य में गुजरात की आत्मा का पूर्णं प्रस्फुटन हुआ है। प्राचीन पौराणिक कथाओं और गुजराती जनता की रुचि के बीच जो कुछ व्यवधान शेष रह गया था उसे प्रेमानंद ने अपनी प्रतिभा एवं अद्वितीय आख्यान-रचना-कौशल द्वारा सर्वथा पूर दिया। मालण, नाकर आदि पूर्ववर्ती गुजराती आख्यानकारों ने जिस पथ का निर्माण किया था प्रेमानंद के कृतित्व में वह सर्वाधिक प्रशस्त अवस्था में दृष्टिगत होता है। वे निर्विवाद रूप से गुजराती के श्रेष्ठतम आख्यानकार हैं। .

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प्रीती सेनगुप्ता

प्रीती सेनगुप्ता (પ્રીતિ સેનગુપ્તા) एक गुजराती कवयित्री व लेखिका है। उन्होंने 2006 में कुमार स्वर्ण चन्द्रक पुरस्कार प्राप्त किया। उन्होंने कई किताबे लिखी।.

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पेठा (सब्जी)

पेठा या कुष्माण्ड (अंग्रेज़ी:winter melon; वानस्पतिक नाम: बेनिनकेसा हिस्पिडा (Benincasa hispida)), एक बेल पर लगने वाला फल है, जो सब्जी की तरह खाया जाता है। यह हल्के हरे वर्ण का होता है और बहुत बड़े आकार का हो सकता है। पूरा पकने पर यह सतही बालों को छोड़कर कुछ श्वेत धूल भरी सतह का हो जाता है। इसकी कुछ प्रजातियां १-२ मीटर तक के फल देती हैं। इसकी अधिकांश खेती भारत सहित दक्षिणी और दक्षिण-पूर्वी एशिया में होती है। इससे भारत में एक मिठाई भी बनती है, जिसे पेठा (मिठाई) ही कहते हैं। कुष्मांड या कूष्मांड का फल पेठा, भतुआ, कोंहड़ा आदि नामों से भी जाना जाता है। इसका लैटिन नाम 'बेनिनकेसा हिस्पिडा' (Benincasa hispida) है। यह लता वार्षिकी, कठिन श्वेत रोमों से आवृत 5-6 इंच व्यास के पत्तों वाली होती है। पुष्प के साथ अंडाकार फल लगते हैं। कच्चा फल हरा, पर पकने पर श्वेत, बृहदाकार होता है। यह वर्षा के प्रारंभ में बोया जाता है। शिशिर में फल पकता है। बीज चिपटे होते हैं। इसके एक भेद को क्षेत्रकुष्मांड, भतुआ या कोंहड़ा कहते हैं, जो कच्ची अवस्था में हरा, पर पकने पर पीला हो जाता है। कुष्मांड खेतों में बोया जाता अथवा छप्पर पर लता के रूप में चढ़ाया जाता है। कुष्मांड भारत में सर्वत्र उपजता है। .

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पॉप्युलर प्रकाशन

पॉप्युलर प्रकाशन (Popular Prakashan) भारत में स्थित एक स्वतंत्र प्रकाशन घर है जिसका मुख्यालय मुम्बई में है। .

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पोरबन्दर

पोरबन्दर गुजरात का एक शहर है। पोरबन्दर बहुत ही पुराना बंदरगाह हुआ करता था। पोरबन्दर में गुजरात का सबसे आछा समुंद्र किनारा है। पोरबंदर गुजरात राज्य के दक्षिण छोर पर अरब सागर से घिरा हुआ है। पोरबंदर का निर्माण जूनागढ़ से हुआ था। पोरबंदर महात्मा गाँधीजी का जन्म स्थान है इसलिए स्वाभाविक रूप से पोरबंदर में उनके जीवन से जुड़े कई स्थान हैं जो आज दर्शनीय स्थलों में बदल चुके हैं। 10वीं शताब्दी में पोरबंदर को पौरावेलाकुल कहा जाता था और बाद में इसे सुदामापुरी भी कहा गया। .

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पी जयराज

पैदी जयराज, पी जयराज या जयराज (तेलुगू: పైడి జైరాజ్) विख्यात अभिनेता, निर्देशक व निर्माता थे। सन् 1980 में उन्हे उनकी जीवनकाल उपलब्धियों के लिए दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया था। .

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पी. बी. पंडित

पी.

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पीठवाजाल (अमरेली)

पीठवाजाल (પીઠવાજાળ.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। पीठवाजाल गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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पीपललग (अमरेली)

पीपललग (પીપળલગ.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। पीपललग गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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पीपा क्षत्रिय

पीपा क्षत्रिय राजपूत मूलतः राजस्थान तथा भारत के अन्य राज्यों जैसे की गुजरात और मध्य प्रदेश इत्यादि के निवासी हैं। पीपा क्षत्रिय राजपूत समाज के अनुसार उनका उद्भव राजपूत (प्रथम उच्चतम जाति / योद्धा) या क्षत्रिय वर्ण से ही हैं। राजा प्रताप राव खींची चौहान को जगतगुरु रामानंद संप्रदाय के रामानंद जी ने अपना शिष्य बनाया था जब से उनका नाम संत पीपा हो गया संत पीपा राजपाट त्याग करके धर्म की रक्षा के लिए संत बन गए थे और पीपा जी के अनुयाई राजपूत राजाओं ने पीपाजी महाराज को अपना गुरु माना वही समुदाय आज विख्यात है पीपा क्षत्रिय राजपूत समाज के के नाम से यह समुदाय राजपूतों का अहिंसक समुदाय है धर्म की रक्षा के लिए राजपूत राजाओं ने राजपाट को त्याग कर के अहिंसक जीवन यापन करने का मार्ग को चुना और आज भी यह समुदाय किसी भी प्रकार का हिंसा का कार्य नहीं करता है मांस एवं मदिरा का उपयोग यह राजपूत समुदाय जो पीपा क्षत्रिय राजपूत समाज के नाम से विख्यात है यह लोग नहीं करते यह अहिंसक राजपूत हैं .

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फटफटियुं

फटफटियुं गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार सुमन शाह द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2008 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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फतेपुर (अमरेली)

फतेपुर (ફતેપુર.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। फतेपुर गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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फैण्टम

फैण्टम (अंग्रेजी; Phantom) एक कामिक्स पात्र है जिसकी रचना ली फ़ाक ने की जो एक अन्य प्रसिद्द कॉमिक्स पात्र जादूगर मैनड्रैक के रचयिता भी थे। पहली बार १९३६ में एक अखबार में छपनी शुरू होने वाली शृंखला "दि फैण्टम", जिसका नायक फैण्टम है, का प्रकाशन अभी तक जारी है। एक पात्र के रूप में फैण्टम को पहला सुपरहीरो भी माना जाता है। भारत में यह शृंखला पहली बार १९६४ में शुरू हुई जब इंद्रजाल कॉमिक्स का प्रकाशन शुरू हुआ और मैंड्रेक और फैण्टम कॉमिक्स पात्रों का पदार्पण भारत में हुआ। हिन्दी में पहली बार "बेताल की मेखला" नाम से फैण्टम सीरीज का कॉमिक्स छपा जो भारत का पहला हिन्दी कॉमिक्स भी था। वर्तमान समय में इन कॉमिक्सों के इन दुर्लभ संस्करणों की कीमत लाखों में आँकी गयी है। .

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फूलछाब

फूलछाब भारत में प्रकाशित होने वाला गुजराती भाषा का एक समाचार पत्र (अखबार) है। .

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बड़ा गरमली (धारी)

बड़ा गरमली (મોટી ગરમલી.) भारत देश में गुजरात राज्य के सौराष्ट्र एवं काठियावाड़ प्रान्त में अमरेली ज़िले के ११ तहसील में से एक धारी तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। बड़ा गरमली गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूंगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादि की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नज़दीकी शहर अमरेली है। यहाँ पे शेर, तेंदुआ जैसे हिंसक वन्य प्राणी भी पाए जाते हैं। .

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बड़ी इलायची

बड़ी इलायची के सुखाये हुए फल और बीज भारतीय तथा अन्य देशों के व्यंजनों में मसाले के रूप में इस्तेमाल की जाती है। इसे 'काली इलायची', 'भूरी इलायची', 'लाल इलायची', 'नेपाली इलायची' या 'बंगाल इलायची' भी कहते हैं। इसके बीजों में से कपूर की तरह की खुशबू आती है और थोड़ा धूंये का सा स्वाद आता है जो उसके सुखाने के तरीके से आता है। बड़ी इलायची का नाम संस्कृत में एला, काता इत्यादि, मराठी में वेलदोड़े, गुजराती में मोटी एलची तथा लैटिन में ऐमोमम कार्डामोमम है। इसके वृक्ष से पाँच फुट तक ऊँचे भारत तथा नेपाल के पहाड़ी प्रदेशों में होते हैं। फल तिकोने, गहरे कत्थई रंग के और लगभग आधा इंच लंबे तथा बीज छोटी इलायची से कुछ बड़े होते हैं। आयुर्वेद तथा यूनानी उपचार में इसके बीजों के लगभग वे ही गुण कहे गए हैं जो छोटी इलायची के बीजों के। परंतु बड़ी इलायची छोटी से कम स्वादिष्ट होती है। .

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बडा भंडारीया (अमरेली)

बडा भंडारीया (મોટા ભંડારીયા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। बड़ा भंडारीया गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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बडा माचीयाला (अमरेली)

बडा माचीयाला (મોટા માચીયાળા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। बडा माचीयाला गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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बडा माँडवडा (अमरेली)

बडा माँडवडा (મોટા માંડવડા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। छोटा माँडवडा गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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बडा गोखरवाला (अमरेली)

बडा गोखरवाला (મોટા ગોખરવાળા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। बड़ा गोखरवाला गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मुहफली, तल, अनाज, कठोल, सब्जी इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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बडा आँकडीया (अमरेली)

बडा आँकडीया (મોટા આંકડીયા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। बड़ा आँकडीया गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मुहफली, तल, अनाज, कठोल, सब्जी इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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बनफ्शा

बनफ्शा या नीलपुष्प बनफ्शा (Viola odorata) सर्दी-खाँसी और कफ प्रकोप को दूर करने वाली जड़ी-बूटी है, जो आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सा पद्धति में एक समान रूप से उपयोग में ली जाती है। बनफ्शा की पैदावार कश्मीर और हिमालय की घाटियों में पाँच से छह हजार फीट की ऊँचाई पर होती है। इसका आयात ईरान से भी किया जाता है और ईरान की बनफ्शा बहुत उत्तम जाति की होती है। विभिन्न भाषाओं में नाम: संस्कृत- नीलपुष्प, हिन्दी- बनफ्शा, मराठी- बनफ्शाहा, गुजराती- वनपशा, बंगला- बनोशा, तमिल- बयिलेट्टु, फारसी- बनफ्शा, इंग्लिश - वाइल्ड वायलेट, लैटिन - वायोला ओडोरेटा गुण: बनफ्शा का पंचांग (पाँचों अंग) लघु, स्निग्ध, कटु, तिक्त, उष्ण और विपाक में कटु है। स्निग्ध, मधुर और शीतल होने से यह वातपित्त शामक और शोथहर है। यह जन्तुनाशक, पीड़ा शामक और शोथ दूर करने वाला है। .

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बनिया

बनिया एक भारतीय जाति हैं,इनमे विशेषतः गुप्ता, साहू आदि सम्मिलित है..

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बम्बइया हिन्दी

बंबई हिंदी या बम्बइया, हिन्दी का ही एक प्रकार है जो मुम्बई में बोली जाती है। "बॉम्बे हिन्दी " को बोलचाल की भाषारूप में देशी वक्ताओं की युवा पीढ़ी उपयोग करती है। इस बोली में भारत की अन्य भाषाओं: मराठी, हिंदी, गुजराती,अंग्रेजी तथा अन्य भाषाओं के अंशों व उच्चारणों को भी शामिल किया गया है। .

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बादाम

बादाम (अंग्रेज़ी:ऑल्मंड, वैज्ञानिक नाम: प्रूनुस डल्शिस, प्रूनुस अमाइग्डैलस) मध्य पूर्व का एक पेड़ होता है। यही नाम इस पेड़ के बीज या उसकी गिरि को भी दिया गया है। इसकी बड़े तौर पर खेती होती है। बादाम एक तरह का मेवा होता है। संस्कृत भाषा में इसे वाताद, वातवैरी आदि, हिन्दी, मराठी, गुजराती व बांग्ला में बादाम, फारसी में बदाम शोरी, बदाम तल्ख, अंग्रेजी में आलमंड और लैटिन में एमिग्ड्रेलस कम्युनीज कहते हैं। आयुर्वेद में इसको बुद्धि और नसों के लिये गुणकारी बताया गया है। भारत में यह कश्मीर का राज्य पेड़ माना जाता है। एक आउंस (२८ ग्राम) बादाम में १६० कैलोरी होती हैं, इसीलिये यह शरीर को उर्जा प्रदान करता है।|नीरोग लेकिन बहुत अधिक खाने पर मोटापा भी दे सकता है। इसमें निहित कुल कैलोरी का ¾ भाग वसा से मिलता है, शेष कार्बोहाईड्रेट और प्रोटीन से मिलता है। इसका ग्लाईसेमिक लोड शून्य होता है। इसमें कार्बोहाईड्रेट बहुत कम होता है। इस कारण से बादाम से बना केक या बिस्कुट, आदि मधुमेह के रोगी भी ले सकते हैं। बादाम में वसा तीन प्रकार की होती है: एकल असंतृप्त वसीय अम्ल और बहु असंतृप्त वसीय अम्ल। यह लाभदायक वसा होती है, जो शरीर में कोलेस्टेरोल को कम करता है और हृदय रोगों की आशंका भी कम करता है। इसके अलावा दूसरा प्रकार है ओमेगा – ३ वसीय अम्ल। ये भी स्वास्थवर्धक होता है। इसमें संतृप्त वसीय अम्ल बहुत कम और कोलेस्टेरोल नहीं होता है। फाईबर या आहारीय रेशा, यह पाचन में सहायक होता है और हृदय रोगों से बचने में भी सहायक रहता है, तथा पेट को अधिक देर तक भर कर रखता है। इस कारण कब्ज के रोगियों के लिये लाभदायक रहता है। बादाम में सोडियम नहीं होने से उच्च रक्तचाप रोगियों के लिये भी लाभदायक रहता है। इनके अलावा पोटैशियम, विटामिन ई, लौह, मैग्नीशियम, कैल्शियम, फास्फोरस भी होते हैं।। हिन्दी मीडिया.इन। २५ सितंबर २००९। मीडिया डेस्क .

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बापू

बापू का अर्थ गुजराती और अन्य भारतीय भाषाओं में 'पिता' होता है। pl:Bapu (tytuł).

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बाबापुर (अमरेली)

बाबापुर (બાબાપુર.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। बाबापुर गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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बारडोली

बारडोली (બારડોલી) भारत के गुजरात राज्य का एक शहर है। .

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बावड़ी

बावड़ी श्रेणी:सिंचाई श्रेणी:भारतीय वास्तुशास्त्र श्रेणी:भारत में जल प्रबंधन श्रेणी:भारतीय स्थापत्य कला श्रेणी:बावड़ी.

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बांटवा माणावदर

बांटवा माणावदर (गुजराती: બાંટવામાણાવદર, अंग्रेज़ी: Bantva Manavadar) भारत में ब्रिटिश राज के काल में एक रियासत थी। यह गुजरात के काठियावाड़ प्रायद्वीप पर स्थित थी। इस रियासत का क्षेत्रफल लगभग ५७४ वर्ग किमी था और इसके २६ गाँवों में सन् १९४१ में लगभग २६,२०९ लोगों की आबादी थी, जो मुख्य रूप से हिन्दू थी। .

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बांबी

बांबी (Bambi) १९४२ में वॉल्ट डिज़्नी द्वारा निर्मित एनीमेटेड फिल्म है। एक सिधा डीवीडी के लिए अगली कड़ी, बांबी २, था जारी की २००६। .

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बाङ्ला भाषा

बाङ्ला भाषा अथवा बंगाली भाषा (बाङ्ला लिपि में: বাংলা ভাষা / बाङ्ला), बांग्लादेश और भारत के पश्चिम बंगाल और उत्तर-पूर्वी भारत के त्रिपुरा तथा असम राज्यों के कुछ प्रान्तों में बोली जानेवाली एक प्रमुख भाषा है। भाषाई परिवार की दृष्टि से यह हिन्द यूरोपीय भाषा परिवार का सदस्य है। इस परिवार की अन्य प्रमुख भाषाओं में हिन्दी, नेपाली, पंजाबी, गुजराती, असमिया, ओड़िया, मैथिली इत्यादी भाषाएँ हैं। बंगाली बोलने वालों की सँख्या लगभग २३ करोड़ है और यह विश्व की छठी सबसे बड़ी भाषा है। इसके बोलने वाले बांग्लादेश और भारत के अलावा विश्व के बहुत से अन्य देशों में भी फ़ैले हैं। .

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बिन्दु भट्ट

बिन्दु भट्ट गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास अखेपातर के लिये उन्हें सन् 2003 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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बगोदरा

बगोदरा (गुजराती: બગોદરા), भारत के राज्य गुजरात के अहमदाबाद जिले के बावला तालुका में स्थित एक गांव है। बगोदरा अपने तालुक नगर बावला से 27.59 किमी की दूरी पर स्थित है। बगोदरा की दूरी अहमदाबाद शहर से 60.04 किमी और गुजरात की राजधानी गांधीनगर से 80 किमी है। बावला तालुका में इस गांव के समीप स्थित अन्य गाँव हैं: अदरोदा, बल्दाना, भायला, चियादा, देवढोलेरा, धनवदा, ढेढल, दुर्गी, गंगद, हसननगर, जुवल रूपवती, आदि। .

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बकायन

महानिम्ब की एक शाखा में पत्तियाँ, फूल और फल बकायन (वानस्पतिक नाम: Melia azedarach) नीम की जाति का एक पेड़ है। भारत में प्रायः सभी प्रान्तों में पाया जाता है। नीम से छोटा एवं अचिरस्थाई होता है। इसके पत्ते कड़वे नीम के समान तथा आकार में कुछ बड़े होते हैं। बकाइन की लकड़ी इमारती कामों के लिए बहुत उपयोगी होता है। यह छायादार पेड़ होता है। इसके फल भी कड़वे नीम के फल के समान होते हैं। इसको महानिम्ब भी कहते हैं। यह एक औषधीय पेड़ है। आयुर्वेद में बकायन का बहुत महत्त्व है। .

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बक्षीपुर (अमरेली)

बक्षीपुर (બક્ષીપુર.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। बक्षीपुर गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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बुध (ज्योतिष)

बुध (मलयालम: ബുധന്‍, कन्नड़: ಬುಧ, तमिल: புதன்) इसी नाम के खगोलीय ग्रह के लिये भारतीय ज्योतिष शास्त्र में नियत एक ग्रह है। बुध चंद्रमा का तारा या रोहिणी से पुत्र कहलाता है। बुध को माल और व्यापारियों का स्वामी और रक्षक माना जाता है। बुध हल्के स्वभाव के, सुवक्ता और एक हरे वर्ण वाले कहलाते हैं। उन्हें कृपाण, फ़रसा और ढाल धारण किये हुए दिखाया जाता है और सवारी पंखों वाला सिंह बताते हैं। एक अन्य रूप में इन्हें राजदण्ड और कमल लिये हुए उड़ने वाले कालीन या सिंहों द्वारा खींचे गए रथ पर आरूढ दिखाया गया है। बुध का राज बुधवार दिवस पर रहता है। आधुनिक हिन्दी, उर्दु, तेलुगु, बंगाली, मराठी, कन्नड़ और गुजराती भाषाओं में सप्ताह के तीसरे दिवस को बुधवार कहा जाता है। बुध का विवाह वैवस्वत मनु की पुत्री इला से विवाह किया। इला से प्रसन्न होकर मित्रावरुण ने उसे अपने कुल की कन्या तथा मनु का पुत्र होने का वरदान दिया। कन्या भाव में उसने चन्द्रमा के पुत्र बुध से विवाह करके पुरूरवा नामक पुत्र को जन्म दिया। तदुपरान्त वह सुद्युम्न बन गयी और उसने अत्यन्त धर्मात्मा तीन पुत्रों से मनु के वंश की वृध्दि की जिनके नाम इस प्रकार हैं- उत्कल, गय तथा विनताश्व। .

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ब्राह्मी परिवार की लिपियाँ

ब्राह्मी परिवार उन लिपियों का परिवार हैं जिनकी पूर्वज ब्राह्मी लिपि है। इनका प्रयोग दक्षिण एशिया, दक्षिणपूर्व एशिया में होता है, तथा मध्य व पूर्व एशिया के कुछ भागों में भी होता है। इस परिवार की किसी लेखन प्रणाली को ब्राह्मी-आधारित लिपि या भारतीय लिपि कहा जा सकता है। इन लिपियों का प्रयोग कई भाषा परिवारों में होता था, उदाहरणार्थ इंडो-यूरोपियाई, चीनी-तिब्बती, मंगोलियाई, द्रविडीय, ऑस्ट्रो-एशियाई, ऑस्ट्रोनेशियाई, ताई और संभवतः कोरियाई में। इनका प्रभाव आधुनिक जापानी भाषा में प्रयुक्त अक्षर क्रमांकन पर भी दिखता है। .

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ब्राह्मी लिपि

कान्हेरी गुफा की एक शिला पर ब्राह्मी लेख ब्राह्मी एक प्राचीन लिपि है जिससे कई एशियाई लिपियों का विकास हुआ है। देवनागरी सहित अन्य दक्षिण एशियाई, दक्षिण-पूर्व एशियाई, तिब्बती तथा कुछ लोगों के अनुसार कोरियाई लिपि का विकास भी इसी से हुआ था। इथियोपियाई लिपि पर ब्राह्मी लिपि का स्पष्ट प्रभाव है। .

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बृहत–पिंगल

बृहत–पिंगल गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार रामनारायण पाठक द्वारा रचित एक छंद शास्त्र है जिसके लिये उन्हें सन् 1956 में गुजराती भाषा के लिए मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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बेट द्वारका

बेट द्वारका या शंखोद्धार कच्छ की खाड़ी में स्थित एक द्वीप है। यह द्वीप समुद्रतट पर स्थित ओखा से ३ किमी की दूरी पर है। इसकी लम्बाई (उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व तक) लगभग १३ किमी है तथा औसत चौड़ाई ४ किमी है। द्वारका यहाँ से ३० किमी दक्षिण में स्थित है। श्रेणी:हिन्दू तीर्थ स्थल श्रेणी:गुजरात का भूगोल श्रेणी:गुजरात में पर्यटन आकर्षण.

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बेन किंग्सले

सर बेन किंग्सले (Sir Ben Kingsley) (जन्म कृष्ण पंडित भांजी; ३१ दिसम्बर १९४३) एक अंग्रेज़ अभिनेता है जिन्हें अकादमी पुरस्कार, बाफ्टा, गोल्डन ग्लोब पुरस्कार और स्क्रीन एक्टर्स गिल्ड अवार्ड्स से नवाज़ा जा चूका है। वे १९९८ में बनी फ़िल्म गाँधी में मोहनदास गाँधी की भूमिका के लिए जाने जाते है जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया था। उन्होंने शिंडलर्स लिस्ट (१९९३), सेक्सी बिस्ट (२०००), हाउस ऑफ़ सैंड एंड फोग (२००३) और ह्यूगो (२०११) जैसी फ़िल्मों में भी अभिनय किया है। .

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बीबीसी एशियन नेटवर्क

बीबीसी (BBC) एशियन नेटवर्क एक ब्रिटिश रेडियो स्टेशन है जो भारतीय उपमहाद्वीप तथा इसके आसपास के एशियाई क्षेत्रों में संगीत, समाचार, मनोरंजन, संस्कृति, बहस और नाटक आदि का प्रसारण करता है। संगीत और खबरें उन मुख्य शहरी क्षेत्रों से आती हैं जहां दक्षिण एशियाई प्रवासी पृष्ठभूमि वाले महत्वपूर्ण समुदाय स्थित हैं। इस स्टेशन के प्रोडक्शन सेंटर बर्मिंघम, लीसेस्टर और लंदन (टेलीविजन केंद्र और याल्डिंग हाउस) में हैं। इसका प्रमुख स्टेशन बीबीसी रेडियो 1 याल्डिंग हाउस में है और यह बीबीसी ऑडियो एवं संगीत का एक भाग है। बीबीसी एशियन नेटवर्क का प्रसारण मुख्य रूप से अंग्रेजी में होता है, लेकिन यह पांच दक्षिण एशियाई भाषाओं में भी कार्यक्रम प्रसारित करता है- हिंदी/उर्दू, पंजाबी, बंगाली, गुजराती और पोटवाड़ी भाषा की मीरपुरी बोली.

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बीबीसी वर्ल्ड सर्विस

बीबीसी वर्ल्ड सर्विस दुनिया का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय प्रसारक है,जो सादृश और अंकीय लघु तरंगों (एनालॉग एंड डिजिटल शार्टवेव), इंटरनेट स्ट्रीमिंग और पॉडकास्टिंग, उपग्रह, एफएम और एमडब्ल्यू प्रसारणों के जरिये दुनिया के कई हिस्सों में 32 भाषाओं में प्रसारण करता है। यह राजनीतिक रूप से स्वतंत्र, (बीबीसी के घोषणपत्र में उल्लिखित विषयों का ब्यौरा उपलब्ध कराने के समझौते के आदेश द्वारा) गैर-लाभकारी और वाणिज्यिक विज्ञापनों से मुक्त है। अंग्रेजी भाषा की सेवा हर दिन 24 घंटे प्रसारित होती है। जून 2009 में बीबीसी की रिपोर्ट है कि विश्व सेवा के साप्ताहिक श्रोताओं का औसत 188 मिलियन लोगों तक पहुंच गया। वर्ल्ड सर्विस के लिए ब्रिटिश सरकार विदेशी और राष्ट्रमंडल कार्यालय द्वारा अनुदान सहायता के माध्यम से वित्तपोषित करती है। 2014 से यह अनिवार्य बीबीसी लाइसेंस शुल्क से वित्तपोषित होगा, जो ब्रिटेन में टेलीविजन पर प्रसा‍रित कार्यक्रमों को देखने वाले हर घर पर लगाया जायेगा.

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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भारत में स्थानीय वक्ताओं की संख्यानुसार भाषाओं की सूची

भारत कई सौ भाषाओं का घर है। ज़्यादातर भारतीय इंडो-आर्यन परिवार (74%)की भाषा बोलते हैं जो इंडो-यूरोपियन की ही एक शाखा है। द्रविड़ (24%), ऑस्ट्रोएस्ट्रीएटिक मुंडा (1.2%) और साइनो-तिब्बतन (0.6%) भी बोली जाती हैं इसके अतिरिक्त हिमालय की कुछ भाषाएँ अभी भी वर्गीकृत नहीं हैं। एस आई एल एथनोलॉग की सूची अनुसार अनुसार भारत में 415 जीवित भाषाएँ हैं। .

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भारत में गुजराती टीवी चैनलों की सूची

यह भारत में गुजराती भाषा के टीवी चैनलों की सूची है.

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भारत में इस्लाम

भारतीय गणतंत्र में हिन्दू धर्म के बाद इस्लाम दूसरा सर्वाधिक प्रचलित धर्म है, जो देश की जनसंख्या का 14.2% है (2011 की जनगणना के अनुसार 17.2 करोड़)। भारत में इस्लाम का आगमन करीब 7वीं शताब्दी में अरब के व्यापारियों के आने से हुआ था (629 ईसवी सन्‌) और तब से यह भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का एक अभिन्न अंग बन गया है। वर्षों से, सम्पूर्ण भारत में हिन्दू और मुस्लिम संस्कृतियों का एक अद्भुत मिलन होता आया है और भारत के आर्थिक उदय और सांस्कृतिक प्रभुत्व में मुसलमानों ने महती भूमिका निभाई है। हालांकि कुछ इतिहासकार ये दावा करते हैं कि मुसलमानों के शासनकाल में हिंदुओं पर क्रूरता किए गए। मंदिरों को तोड़ा गया। जबरन धर्मपरिवर्तन करा कर मुसलमान बनाया गया। ऐसा भी कहा जाता है कि एक मुसलमान शासक टीपू शुल्तान खुद ये दावा करता था कि उसने चार लाख हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करवाया था। न्यूयॉर्क टाइम्स, प्रकाशित: 11 दिसम्बर 1992 विश्व में भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां सरकार हज यात्रा के लिए विमान के किराया में सब्सिडी देती थी और २००७ के अनुसार प्रति यात्री 47454 खर्च करती थी। हालांकि 2018 से रियायत हटा ली गयी है। .

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भारत सारावली

भुवन में भारत भारतीय गणतंत्र दक्षिण एशिया में स्थित स्वतंत्र राष्ट्र है। यह विश्व का सातवाँ सबसे बड़ देश है। भारत की संस्कृति एवं सभ्यता विश्व की सबसे पुरानी संस्कृति एवं सभ्यताओं में से है।भारत, चार विश्व धर्मों-हिंदू धर्म, सिख धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म के जन्मस्थान है और प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता का घर है। मध्य २० शताब्दी तक भारत अंग्रेजों के प्रशासन के अधीन एक औपनिवेशिक राज्य था। अहिंसा के माध्यम से महात्मा गांधी जैसे नेताओं ने भारत देश को १९४७ में स्वतंत्र राष्ट्र बनाया। भारत, १२० करोड़ लोगों के साथ दुनिया का दूसरे सबसे अधिक आबादी वाला देश और दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला लोकतंत्र है। .

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भारत के पशुपक्षियों की बहुभाषीय सूची

भारत के पशुपक्षियों के नाम अलग-अलग भारतीय भाषाओं में भिन्न-भिन्न हैं। .

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भारत के भाषाई परिवार

वृहद भारत के भाषा परिवार भारत में विश्व के सबसे चार प्रमुख भाषा परिवारों की भाषाएँ बोली जाती है। सामान्यत: उत्तर भारत में बोली जाने वाली भारोपीय परि वार की भाषाओं को आर्य भाषा समूह, दक्षिण की भाषाओं को द्रविड़ भाषा समूह, ऑस्ट्रो-एशियाटिक परिवार की भाषाओं को भुंडारी भाषा समूह तथा पूर्वोत्तर में रहने वाले तिब्बती-बर्मी, नृजातीय भाषाओं को चीनी-तिब्बती (नाग भाषा समूह) के रूप में जाना जाता है। .

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भारत के राज्य तथा केन्द्र-शासित प्रदेश

भारत राज्यों का एक संघ है। इसमें उन्तीस राज्य और सात केन्द्र शासित प्रदेश हैं। ये राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश पुनः जिलों और अन्य क्षेत्रों में बांटे गए हैं।.

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भारत की बोलियाँ

भारत में ‘भारतीय जनगणना 1961’ (संकेत चिह्न .

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भारत की भाषाएँ

भारत बहुत सारी भाषाओं का देश है, लेकिन सरकारी कामकाज में व्यवहार में लायी जाने वाली दो भाषायें हैं, हिन्दी और अंग्रेज़ी। वृहद भारत के भाषा परिवार .

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भारत की राजभाषा के रूप में हिन्दी

हिन्दी को भारत की राजभाषा के रूप में १४ सितम्बर सन् १९४९ को स्वीकार किया गया। इसके बाद संविधान में अनुच्छेद ३४३ से ३५१ तक राजभाषा के साम्बन्ध में व्यवस्था की गयी। इसकी स्मृति को ताजा रखने के लिये १४ सितम्बर का दिन प्रतिवर्ष हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है। धारा ३४३(१) के अनुसार भारतीय संघ की राजभाषा हिन्दी एवं लिपि देवनागरी है। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिये प्रयुक्त अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतरराष्ट्रीय स्वरूप (अर्थात 1, 2, 3 आदि) है। हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है क्योंकि भारत का संविधान में कोई भी भाषा को ऐसा दर्जा नहीं दिया गया था। संसद का कार्य हिंदी में या अंग्रेजी में किया जा सकता है। परन्तु राज्यसभा के सभापति महोदय या लोकसभा के अध्यक्ष महोदय विशेष परिस्थिति में सदन के किसी सदस्य को अपनी मातृभाषा में सदन को संबोधित करने की अनुमति दे सकते हैं। किन प्रयोजनों के लिए केवल हिंदी का प्रयोग किया जाना है, किन के लिए हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं का प्रयोग आवश्यक है और किन कार्यों के लिए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जाना है, यह राजभाषा अधिनियम 1963, राजभाषा नियम 1976 और उनके अंतर्गत समय समय पर राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय की ओर से जारी किए गए निदेशों द्वारा निर्धारित किया गया है। .

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भारत की जनगणना २०११

भारत की जनगणना 2011 भारत की जनगणना २०११, जनगणना आयुक्त सी.

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भारत की आधिकारिक भाषाओं में भारत गणराज्य के नाम

निम्नलिखित सूची में भारत की सभी २३ आधिकारिक भाषाओं में भारत के नाम दिए गए है।.

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भारतेन्दु हरिश्चंद्र

भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (९ सितंबर १८५०-७ जनवरी १८८५) आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह कहे जाते हैं। वे हिन्दी में आधुनिकता के पहले रचनाकार थे। इनका मूल नाम 'हरिश्चन्द्र' था, 'भारतेन्दु' उनकी उपाधि थी। उनका कार्यकाल युग की सन्धि पर खड़ा है। उन्होंने रीतिकाल की विकृत सामन्ती संस्कृति की पोषक वृत्तियों को छोड़कर स्वस्थ्य परम्परा की भूमि अपनाई और नवीनता के बीज बोए। हिन्दी साहित्य में आधुनिक काल का प्रारम्भ भारतेन्दु हरिश्चन्द्र से माना जाता है। भारतीय नवजागरण के अग्रदूत के रूप में प्रसिद्ध भारतेन्दु जी ने देश की गरीबी, पराधीनता, शासकों के अमानवीय शोषण का चित्रण को ही अपने साहित्य का लक्ष्य बनाया। हिन्दी को राष्ट्र-भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने की दिशा में उन्होंने अपनी प्रतिभा का उपयोग किया। भारतेन्दु बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। हिंदी पत्रकारिता, नाटक और काव्य के क्षेत्र में उनका बहुमूल्य योगदान रहा। हिंदी में नाटकों का प्रारंभ भारतेन्दु हरिश्चंद्र से माना जाता है। भारतेन्दु के नाटक लिखने की शुरुआत बंगला के विद्यासुंदर (१८६७) नाटक के अनुवाद से होती है। यद्यपि नाटक उनके पहले भी लिखे जाते रहे किंतु नियमित रूप से खड़ीबोली में अनेक नाटक लिखकर भारतेन्दु ने ही हिंदी नाटक की नींव को सुदृढ़ बनाया। उन्होंने 'हरिश्चंद्र पत्रिका', 'कविवचन सुधा' और 'बाल विबोधिनी' पत्रिकाओं का संपादन भी किया। वे एक उत्कृष्ट कवि, सशक्त व्यंग्यकार, सफल नाटककार, जागरूक पत्रकार तथा ओजस्वी गद्यकार थे। इसके अलावा वे लेखक, कवि, संपादक, निबंधकार, एवं कुशल वक्ता भी थे।। वेबदुनिया। स्मृति जोशी भारतेन्दु जी ने मात्र ३४ वर्ष की अल्पायु में ही विशाल साहित्य की रचना की। पैंतीस वर्ष की आयु (सन् १८८५) में उन्होंने मात्रा और गुणवत्ता की दृष्टि से इतना लिखा, इतनी दिशाओं में काम किया कि उनका समूचा रचनाकर्म पथदर्शक बन गया। .

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भारतीय नाम

भारतीय पारिवारिक नाम अनेक प्रकार की प्रणालियों व नामकरण पद्धतियों पर आधारित होते हैं, जो एक से दूसरे क्षेत्र के अनुसार बदलतीं रहती हैं। नामों पर धर्म व जाति का प्रभाव भी होता है और वे धर्म या महाकाव्यों से लिये हुए हो सकते हैं। भारत के लोग विविध प्रकार की भाषाएं बोलते हैं और भारत में विश्व के लगभग प्रत्येक प्रमुख धर्म के अनुयायी मौजूद हैं। यह विविधता नामों व नामकरण की शैलियों में सूक्ष्म, अक्सर भ्रामक, अंतर उत्पन्न करती है। उदाहरण के लिये, पारिवारिक नाम की अवधारणा तमिलनाडु में व्यापक रूप से मौजूद नहीं थी। कई भारतीयों के लिये, उनके जन्म का नाम, उनके औपचारिक नाम से भिन्न होता है; जन्म का नाम किसी ऐसे वर्ण से प्रारंभ होता है, जो उस व्यक्ति की जन्म-कुंडली के आधार पर उसके लिये शुभ हो। कुछ बच्चों को एक नाम दिया जाता है (दिया गया नाम).

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भारतीय पेड़ों पौधों तथा फूलों के नामों की बहुभाषी सूची

भारत एक विशाल देश है जिसमें बहुत सी भाषाएँ बोली जातीं हैं। भारत में पाए जाने वाले पेड़-पौधों एवं फूलों के नाम भी अलग-अलग भाषाओं एवं क्षेत्रों में अलग-अलग हैं। नीचे की सूची में भारत की प्रमुख भाषाओं में विभिन्न पेड़ों, पौधों एवं फूलों के नाम दिए गए हैं- .

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भारतीय भाषायी वर्णमाला क्रम

अधिकतर भारतीय भाषायी लिपियाँ ब्राह्मी लिपि से निकली हैं इसलिये उनका वर्णमाला क्रम समान है। इस लेख में सभी भारतीय भाषाओं का वर्णमाला क्रम दिया जा रहा है। इस सारणी का उपयोग लिपि परिवर्तक, ध्व्नयात्मक टाइपिंग औजार आदि बनाने में किया जा सकता है। श्रेणी:भाषा श्रेणी:इण्डिक कम्प्यूटिंग.

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भारतीय मीडिया

भारत के संचार माध्यम (मीडिया) के अन्तर्गत टेलीविजन, रेडियो, सिनेमा, समाचार पत्र, पत्रिकाएँ, तथा अन्तरजालीय पृष्ट आदि हैं। अधिकांश मीडिया निजी हाथों में है और बड़ी-बड़ी कम्पनियों द्वारा नियंत्रित है। भारत में 70,000 से अधिक समाचार पत्र हैं, 690 उपग्रह चैनेल हैं (जिनमें से 80 समाचार चैनेल हैं)। आज भारत विश्व का सबसे बड़ा समाचार पत्र का बाजार है। प्रतिदिन १० करोड़ प्रतियाँ बिकतीं हैं। .

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भारतीय राष्ट्रवाद

२६५ ईसापूर्व में मौर्य साम्राज्य भारतीय ध्वज (तिरंगा) मराठा साम्राज्य का ध्वज राष्ट्र की परिभाषा एक ऐसे जन समूह के रूप में की जा सकती है जो कि एक भौगोलिक सीमाओं में एक निश्चित देश में रहता हो, समान परम्परा, समान हितों तथा समान भावनाओं से बँधा हो और जिसमें एकता के सूत्र में बाँधने की उत्सुकता तथा समान राजनैतिक महत्त्वाकांक्षाएँ पाई जाती हों। राष्ट्रवाद के निर्णायक तत्वों मे राष्ट्रीयता की भावना सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है। राष्ट्रीयता की भावना किसी राष्ट्र के सदस्यों में पायी जानेवाली सामुदायिक भावना है जो उनका संगठन सुदृढ़ करती है। भारत में अंग्रेजों के शासनकाल मे राष्ट्रीयता की भावना का विशेषरूप से विकास हुआ, इस विकास में विशिष्ट बौद्धिक वर्ग का महत्त्वपूर्ण योगदान है। भारत में अंग्रेजी शिक्षा के प्रसार से एक ऐसे विशिष्ट वर्ग का निर्माण हुआ जो स्वतन्त्रता को मूल अधिकार समझता था और जिसमें अपने देश को अन्य पाश्चात्य देशों के समकक्ष लाने की प्रेरणा थी। पाश्चात्य देशों का इतिहास पढ़कर उसमें राष्ट्रवादी भावना का विकास हुआ। इसका तात्पर्य यह नहीं है कि भारत के प्राचीन इतिहास से नई पीढ़ी को राष्ट्रवादी प्रेरणा नहीं मिली है किन्तु आधुनिक काल में नवोदित राष्ट्रवाद अधिकतर अंग्रेजी शिक्षा का परिणाम है। देश में अंग्रेजी शिक्षा प्राप्त किए हुए नवोदित विशिष्ट वर्ग ने ही राष्ट्रीयता का झण्डा उठाया। .

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भारतीय रुपया

भारतीय रुपया (प्रतीक-चिह्न: 8px; कोड: INR) भारत की राष्ट्रीय मुद्रा है। इसका बाज़ार नियामक और जारीकर्ता भारतीय रिज़र्व बैंक है। नये प्रतीक चिह्न के आने से पहले रुपये को हिन्दी में दर्शाने के लिए 'रु' और अंग्रेजी में Re.

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भारतीय सिनेमा

भारतीय सिनेमा के अन्तर्गत भारत के विभिन्न भागों और भाषाओं में बनने वाली फिल्में आती हैं जिनमें आंध्र प्रदेश और तेलंगाना, असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, जम्मू एवं कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और बॉलीवुड शामिल हैं। भारतीय सिनेमा ने २०वीं सदी की शुरुआत से ही विश्व के चलचित्र जगत पर गहरा प्रभाव छोड़ा है।। भारतीय फिल्मों का अनुकरण पूरे दक्षिणी एशिया, ग्रेटर मध्य पूर्व, दक्षिण पूर्व एशिया और पूर्व सोवियत संघ में भी होता है। भारतीय प्रवासियों की बढ़ती संख्या की वजह से अब संयुक्त राज्य अमरीका और यूनाइटेड किंगडम भी भारतीय फिल्मों के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार बन गए हैं। एक माध्यम(परिवर्तन) के रूप में सिनेमा ने देश में अभूतपूर्व लोकप्रियता हासिल की और सिनेमा की लोकप्रियता का इसी से अन्दाजा लगाया जा सकता है कि यहाँ सभी भाषाओं में मिलाकर प्रति वर्ष 1,600 तक फिल्में बनी हैं। दादा साहेब फाल्के भारतीय सिनेमा के जनक के रूप में जाना जाते हैं। दादा साहब फाल्के के भारतीय सिनेमा में आजीवन योगदान के प्रतीक स्वरुप और 1969 में दादा साहब के जन्म शताब्दी वर्ष में भारत सरकार द्वारा दादा साहेब फाल्के पुरस्कार की स्थापना उनके सम्मान में की गयी। आज यह भारतीय सिनेमा का सबसे प्रतिष्ठित और वांछित पुरस्कार हो गया है। २०वीं सदी में भारतीय सिनेमा, संयुक्त राज्य अमरीका का सिनेमा हॉलीवुड तथा चीनी फिल्म उद्योग के साथ एक वैश्विक उद्योग बन गया।Khanna, 155 2013 में भारत वार्षिक फिल्म निर्माण में पहले स्थान पर था इसके बाद नाइजीरिया सिनेमा, हॉलीवुड और चीन के सिनेमा का स्थान आता है। वर्ष 2012 में भारत में 1602 फ़िल्मों का निर्माण हुआ जिसमें तमिल सिनेमा अग्रणी रहा जिसके बाद तेलुगु और बॉलीवुड का स्थान आता है। भारतीय फ़िल्म उद्योग की वर्ष 2011 में कुल आय $1.86 अरब (₹ 93 अरब) की रही। जिसके वर्ष 2016 तक $3 अरब (₹ 150 अरब) तक पहुँचने का अनुमान है। बढ़ती हुई तकनीक और ग्लोबल प्रभाव ने भारतीय सिनेमा का चेहरा बदला है। अब सुपर हीरो तथा विज्ञानं कल्प जैसी फ़िल्में न केवल बन रही हैं बल्कि ऐसी कई फिल्में एंथीरन, रा.वन, ईगा और कृष 3 ब्लॉकबस्टर फिल्मों के रूप में सफल हुई है। भारतीय सिनेमा ने 90 से ज़्यादा देशों में बाजार पाया है जहाँ भारतीय फिल्मे प्रदर्शित होती हैं। Khanna, 158 सत्यजीत रे, ऋत्विक घटक, मृणाल सेन, अडूर गोपालकृष्णन, बुद्धदेव दासगुप्ता, जी अरविंदन, अपर्णा सेन, शाजी एन करुण, और गिरीश कासरावल्ली जैसे निर्देशकों ने समानांतर सिनेमा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और वैश्विक प्रशंसा जीती है। शेखर कपूर, मीरा नायर और दीपा मेहता सरीखे फिल्म निर्माताओं ने विदेशों में भी सफलता पाई है। 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के प्रावधान से 20वीं सेंचुरी फॉक्स, सोनी पिक्चर्स, वॉल्ट डिज्नी पिक्चर्स और वार्नर ब्रदर्स आदि विदेशी उद्यमों के लिए भारतीय फिल्म बाजार को आकर्षक बना दिया है। Khanna, 156 एवीएम प्रोडक्शंस, प्रसाद समूह, सन पिक्चर्स, पीवीपी सिनेमा,जी, यूटीवी, सुरेश प्रोडक्शंस, इरोज फिल्म्स, अयनगर्न इंटरनेशनल, पिरामिड साइमिरा, आस्कार फिल्म्स पीवीआर सिनेमा यशराज फिल्म्स धर्मा प्रोडक्शन्स और एडलैब्स आदि भारतीय उद्यमों ने भी फिल्म उत्पादन और वितरण में सफलता पाई। मल्टीप्लेक्स के लिए कर में छूट से भारत में मल्टीप्लेक्सों की संख्या बढ़ी है और फिल्म दर्शकों के लिए सुविधा भी। 2003 तक फिल्म निर्माण / वितरण / प्रदर्शन से सम्बंधित 30 से ज़्यादा कम्पनियां भारत के नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध की गयी थी जो फिल्म माध्यम के बढ़ते वाणिज्यिक प्रभाव और व्यसायिकरण का सबूत हैं। दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग दक्षिण भारत की चार फिल्म संस्कृतियों को एक इकाई के रूप में परिभाषित करता है। ये कन्नड़ सिनेमा, मलयालम सिनेमा, तेलुगू सिनेमा और तमिल सिनेमा हैं। हालाँकि ये स्वतंत्र रूप से विकसित हुए हैं लेकिन इनमे फिल्म कलाकारों और तकनीशियनों के आदान-प्रदान और वैष्वीकरण ने इस नई पहचान के जन्म में मदद की। भारत से बाहर निवास कर रहे प्रवासी भारतीय जिनकी संख्या आज लाखों में हैं, उनके लिए भारतीय फिल्में डीवीडी या व्यावसायिक रूप से संभव जगहों में स्क्रीनिंग के माध्यम से प्रदर्शित होती हैं। Potts, 74 इस विदेशी बाजार का भारतीय फिल्मों की आय में 12% तक का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। इसके अलावा भारतीय सिनेमा में संगीत भी राजस्व का एक साधन है। फिल्मों के संगीत अधिकार एक फिल्म की 4 -5 % शुद्ध आय का साधन हो सकते हैं। .

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भारतीय सिनेमा के सौ वर्ष

3 मई 2013 (शुक्रवार) को भारतीय सिनेमा पूरे सौ साल का हो गया। किसी भी देश में बनने वाली फिल्में वहां के सामाजिक जीवन और रीति-रिवाज का दर्पण होती हैं। भारतीय सिनेमा के सौ वर्षों के इतिहास में हम भारतीय समाज के विभिन्न चरणों का अक्स देख सकते हैं।उल्लेखनीय है कि इसी तिथि को भारत की पहली फीचर फ़िल्म “राजा हरिश्चंद्र” का रुपहले परदे पर पदार्पण हुआ था। इस फ़िल्म के निर्माता भारतीय सिनेमा के जनक दादासाहब फालके थे। एक सौ वर्षों की लम्बी यात्रा में हिन्दी सिनेमा ने न केवल बेशुमार कला प्रतिभाएं दीं बल्कि भारतीय समाज और चरित्र को गढ़ने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। .

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भारतीय संख्या प्रणाली

भारतीय संख्या प्रणाली भारतीय उपमहाद्वीप की परम्परागत गिनने की प्रणाली है जो भारत, पाकिस्तान, बंगलादेश और नेपाल में आम इस्तेमाल होती है। जहाँ पश्चिमी प्रणाली में दशमलव के तीन स्थानों पर समूह बनते हैं वहाँ भारतीय प्रणाली में दो स्थानों पर बनते हैं। .

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भारतीय १० रुपये का नोट

भारतीय १० रुपये का नोट (₹१०) भारतीय रुपये का एक सामान्य मूल्यवर्ग है। ₹१० का नोट महात्मा गाँधी श्रेणी का के सबसे पहले नोटों में से एक है, जिसे भारतीय रिज़र्व बैंक के द्वारा जारी किया गया था। यह नोट वर्तमान में चलन में है। औपनिवेशिक काल में जारी व प्रचलित १० रुपये का नोट का १९२३ से ही लगातार मुद्रण हो रहा है, जब भारतीय रिज़र्व बैंक ने नोटों के मुद्रण का पदभार सम्भाला। .

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भारतीय २००० हजार का नोट

भारतीय 2000 रुपये का नोट (₹ 2000) भारतीय रुपये का मूल्य है। इसे 8 नवंबर 2016 को ₹ 500 और ₹ 1000 बैंकनोटों की बंदी के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी किया गया था और 10 नवंबर 2016 से परिसंचरण में रहा है। यह पूरी तरह से नए डिजाइन के साथ बैंकनोट्स की महात्मा गांधी नई श्रृंखला का हिस्सा है। भारतीय ₹ 2000 रुपये का नोट आरबीआई द्वारा मुद्रित उच्चतम मुद्रा नोट है जो सक्रिय परिसंचरण में है, इस नोट को नवंबर 2016 में 1,000 रुपये के नोट का विमुद्रीकरण के वाद लागू किया गया था।.

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भारतीय ५०० रुपये का नोट

भारतीय 500 रुपये का नोट (₹500) भारतीय रुपये का मूल्य है। मौजूदा ₹500 बैंकनोट, 10 नवंबर 2016 से परिसंचरण में, महात्मा गांधी नई श्रृंखला का हिस्सा है। महात्मा गांधी पुरानी सीरीज़ के पिछले ₹500 बैंकनोट्स,नवम्बर 2016 के विमुद्रीकरण के दौरान बंद कर दिए थे जिसकी स्थान पर नया बैंकनोट जारी किया था। .

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भाल प्रदेश

भाल प्रदेश, भारतीय राज्य गुजरात, के दो जिलों भावनगर (गुजराती: ભાવનગર) और अहमदाबाद (गुजराती: અમદાવાદ) की राजनीतिक सीमाओं में फैला क्षेत्र है। भाल नाम संभवत: संस्कृत शब्द भाल (गुजराती: ભાલ; हिन्दी: भाल) से जिसका अर्थ माथा होता है, से उत्पन्न हुआ है। इस क्षेत्र को यह नाम शायद इसलिए दिया गया है क्योंकि लगभग यह पूरा क्षेत्र समतल है और, इसकी मिट्टी में किसी भी प्रकार के पत्थर, कंकड़ या बजरी का आभाव है। .

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भिण्डी

भिंडी भिण्डी एक सब्जी है। इसका वृक्ष लगभग १ मीटर लम्बा होता है। बनारस में इसे 'राम तरोई' कहते हैं और छत्तीसगढ में इसे 'रामकलीय' कहते हैं। बंगला में स्वनाम ख्यात फलशाक, मराठी में 'भेंडे', गुजराती में 'भींडा', फारसी में 'वामिया' कहते हैं। .

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भगवती कुमार शर्मा

भगवती कुमार शर्मा गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास असूर्यलोक के लिये उन्हें सन् 1988 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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भगवद्गोमण्डल

भगवद्गोमण्डल (Gujarati: ભગવદ્ગોમન્ડલ) गुजराती भाषा में एक विश्वकोश तथा गुजराती-से-गुजराती शब्दकोश है। इसकी परिकल्पना गोंडल के राजा भगवतसिंह ने सन् १९२८ में की थी। यह विश्वकोश ९ भागों में ९५०० पन्नों वाला विश्वकोश है। इसमें कोई २८१,३७७ शब्दों के अर्थ एवं उनकी व्याख्या दी हुई है। .

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भगवान बुद्ध और उनका धम्म

भगवान बुद्ध और उनका धम्म यह डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा रचित प्रसिद्ध ग्रन्थ है। यह तथागत बुद्ध के जीवन और बौद्ध धर्म के सिद्धान्तों पर प्रकाश डालता है। यह डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा रचित अंतिम ग्रन्थ है। यह ग्रंथ भारतीय बौद्धों द्वारा एक पवित्र पाठ के रूप में व्यवहार में उपयोग किया जाता है। यह ग्रंथ नवयानी बौद्ध अनुयायिओं का धर्मग्रंथ है। संपूर्ण विश्व भर और मुख्यत: बौद्ध जगत में यह ग्रंथ अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। यह ग्रंथ पहली बार बाबासाहेब के महापरिनिर्वाण ६ दिसंबर १९५६ के बाद १९५७ में प्रकाशित हुआ था। यह फिर से सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा १९७९ में 'डॉ.

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भूपेन खखर

भूपेन खखर (जन्म स्थान- मुंबई, जन्म दिन - १० मार्च १९३४, देहांत - वडोदरा, ८ अगस्त २००३) समकालीन भारतीय कला जगत के एक बड़े कलाकार थे। वडोदरा ही उनकी कार्यभूमि थी और उनके कार्य को अंतराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति मिली थी। .

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भोलाभाई पटेल

भोलाभाई पटेल गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक यात्रा–वृत्तांत देवोनी घाटी के लिये उन्हें सन् 1992 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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भीमराव आम्बेडकर

भीमराव रामजी आम्बेडकर (१४ अप्रैल, १८९१ – ६ दिसंबर, १९५६) बाबासाहब आम्बेडकर के नाम से लोकप्रिय, भारतीय विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाजसुधारक थे। उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) के खिलाफ सामाजिक भेद भाव के विरुद्ध अभियान चलाया। श्रमिकों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री, भारतीय संविधान के प्रमुख वास्तुकार एवं भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे। आम्बेडकर विपुल प्रतिभा के छात्र थे। उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स दोनों ही विश्वविद्यालयों से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्राप्त की। उन्होंने विधि, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान के शोध कार्य में ख्याति प्राप्त की। जीवन के प्रारम्भिक करियर में वह अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे एवम वकालत की। बाद का जीवन राजनीतिक गतिविधियों में बीता; वह भारत की स्वतंत्रता के लिए प्रचार और बातचीत में शामिल हो गए, पत्रिकाओं को प्रकाशित करने, राजनीतिक अधिकारों की वकालत करने और दलितों के लिए सामाजिक स्वतंत्रता की वकालत और भारत की स्थापना में उनका महत्वपूर्ण योगदान था। 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया। 1990 में, उन्हें भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से मरणोपरांत सम्मानित किया गया था। आम्बेडकर की विरासत में लोकप्रिय संस्कृति में कई स्मारक और चित्रण शामिल हैं। .

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मनमोहन (अभिनेता)

मनमोहन हिन्दी फ़िल्मों के एक चरित्र अभिनेता थे जो मुख्यतः खलनायक की भूमिका के लिये जाने जाते हैं। उन्होनें कई बंगाली, पंजाबी तथा गुजराती फ़िल्मों में भी कार्य किया है। .

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मनुभाई पाँचोली

मनुभाई पाँचोली सरस्वती सम्मान से सम्मानित साहित्यकार हैं। ये अपने उपनाम दर्शक़ से भी जाने जाते है। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास साक्रेटीज़ के लिये उन्हें सन् १९७५ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (गुजराती) से सम्मानित किया गया। .

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मनोज जोशी

मनोज जोशी हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता हैं। इन्होने अपना करियर मराठी थिएटर से आरम्भ किया था,साथ ही साथ इन्होने अपना योग्यदान गुजराती एवं हिन्दी थिएटर् में भी दिया। सन १९९८ से अब तक इन्होने ६० से अधिक फ़िल्मो में अभिनय किया है, जिनमें अधिकतर हास्य अभिनय है। इन्होने चाणक्य, एक महल हो सपनो का,राउ (मराथी),सग दिल,कभी सौतन कभी सहेली जैसे टी वी नाटक में भी अभिनय किया है। सिनेमा जगत में इन्होने अपनी शुरुआत फ़िल्म सरफ़रोश से की। जिसमें इन्होंने SI बाजू की भूमिका निभायी। हंगामा, हलचल, धूम, भागम भाग, फिर हेरा फेरी, चुप चुप के, भूल भूलैया और बिल्लू बार्बर जैसी कई फ़िल्मों में इन्होने अपना अभिनय दिया है। .

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मनोज खंडेरिया

मनोज खंडेरिया (जन्म: जुलाइ ६, १९४३ निधन: अक्तूबर २७, २००३) गुजराती भाषा के जानेमाने गज़लकार और कवि थे। श्रेणी:गुजराती साहित्यकार श्रेणी:गुजराती लोग श्रेणी:२००३ में निधन श्रेणी:1943 में जन्मे लोग.

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ममुआरा

ममुआरा (गुजराती भाषा: મમુઆરા) भारतीय राज्य गुजरात के कच्छ जिले के भुज तालुका का एक गाँव है। यह भुज से पूर्व में तथा कच्छ से दक्षिण में स्थित है। श्रेणी:गुजरात के गाँव.

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मरीज़

मरीज़, जन्म नाम अब्बास अब्दुल अली वासी (गुजराती: અબ્બાસ અબ્દુલઅલી વાસી, 22 फ़रवरी 1917 – 19 अक्टूबर 1983) गुजराती भाषा के कवि थे। वे मुख्तः अनकी ग़ज़लों के लिए जाने जाते हैं, सामान्य रूप से वे गुजरात के ग़ालिब को कहा जाता है। उनके प्रारंभिक वर्षों में उसने अपनी पढ़ाइयाँ को छोड़कर जूते का कारख़ाना में काम करने लगे। कविता में रुचि रखते हुए, उसने पत्रकारिता में अपनी पढ़ाई प्रारंभ की थी। उनकी कविताएँ ने केवल उनकी मृत्यु के पश्चात प्रसिद्धि को प्राप्त की थी। .

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महात्मा गांधी

मोहनदास करमचन्द गांधी (२ अक्टूबर १८६९ - ३० जनवरी १९४८) भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। वे सत्याग्रह (व्यापक सविनय अवज्ञा) के माध्यम से अत्याचार के प्रतिकार के अग्रणी नेता थे, उनकी इस अवधारणा की नींव सम्पूर्ण अहिंसा के सिद्धान्त पर रखी गयी थी जिसने भारत को आजादी दिलाकर पूरी दुनिया में जनता के नागरिक अधिकारों एवं स्वतन्त्रता के प्रति आन्दोलन के लिये प्रेरित किया। उन्हें दुनिया में आम जनता महात्मा गांधी के नाम से जानती है। संस्कृत भाषा में महात्मा अथवा महान आत्मा एक सम्मान सूचक शब्द है। गांधी को महात्मा के नाम से सबसे पहले १९१५ में राजवैद्य जीवराम कालिदास ने संबोधित किया था।। उन्हें बापू (गुजराती भाषा में બાપુ बापू यानी पिता) के नाम से भी याद किया जाता है। सुभाष चन्द्र बोस ने ६ जुलाई १९४४ को रंगून रेडियो से गांधी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित करते हुए आज़ाद हिन्द फौज़ के सैनिकों के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनाएँ माँगीं थीं। प्रति वर्ष २ अक्टूबर को उनका जन्म दिन भारत में गांधी जयंती के रूप में और पूरे विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के नाम से मनाया जाता है। सबसे पहले गान्धी ने प्रवासी वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिये संघर्ष हेतु सत्याग्रह करना शुरू किया। १९१५ में उनकी भारत वापसी हुई। उसके बाद उन्होंने यहाँ के किसानों, मजदूरों और शहरी श्रमिकों को अत्यधिक भूमि कर और भेदभाव के विरुद्ध आवाज उठाने के लिये एकजुट किया। १९२१ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बागडोर संभालने के बाद उन्होंने देशभर में गरीबी से राहत दिलाने, महिलाओं के अधिकारों का विस्तार, धार्मिक एवं जातीय एकता का निर्माण व आत्मनिर्भरता के लिये अस्पृश्‍यता के विरोध में अनेकों कार्यक्रम चलाये। इन सबमें विदेशी राज से मुक्ति दिलाने वाला स्वराज की प्राप्ति वाला कार्यक्रम ही प्रमुख था। गाँधी जी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाये गये नमक कर के विरोध में १९३० में नमक सत्याग्रह और इसके बाद १९४२ में अंग्रेजो भारत छोड़ो आन्दोलन से खासी प्रसिद्धि प्राप्त की। दक्षिण अफ्रीका और भारत में विभिन्न अवसरों पर कई वर्षों तक उन्हें जेल में भी रहना पड़ा। गांधी जी ने सभी परिस्थितियों में अहिंसा और सत्य का पालन किया और सभी को इनका पालन करने के लिये वकालत भी की। उन्होंने साबरमती आश्रम में अपना जीवन गुजारा और परम्परागत भारतीय पोशाक धोती व सूत से बनी शाल पहनी जिसे वे स्वयं चरखे पर सूत कातकर हाथ से बनाते थे। उन्होंने सादा शाकाहारी भोजन खाया और आत्मशुद्धि के लिये लम्बे-लम्बे उपवास रखे। .

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महादेव भाईनी डायरी

महादेव भाईनी डायरी गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार *महादेव देसाई द्वारा रचित एक संस्मरण है जिसके लिये उन्हें सन् 1955 में गुजराती भाषा के लिए मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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महावीर प्रसाद द्विवेदी

आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी (1864–1938) हिन्दी के महान साहित्यकार, पत्रकार एवं युगप्रवर्तक थे। उन्होने हिंदी साहित्य की अविस्मरणीय सेवा की और अपने युग की साहित्यिक और सांस्कृतिक चेतना को दिशा और दृष्टि प्रदान की। उनके इस अतुलनीय योगदान के कारण आधुनिक हिंदी साहित्य का दूसरा युग 'द्विवेदी युग' (1900–1920) के नाम से जाना जाता है। उन्होने सत्रह वर्ष तक हिन्दी की प्रसिद्ध पत्रिका सरस्वती का सम्पादन किया। हिन्दी नवजागरण में उनकी महान भूमिका रही। भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन को गति व दिशा देने में भी उनका उल्लेखनीय योगदान रहा। .

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माँगवापाल (अमरेली)

माँगवापाल (માંગવાપાળ.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। माँगवापाल गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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मारीशस के हिन्दी विद्वान

मारीशस में २ नवंबर १८३४ में एटलस नामक जहाज़ में बिहार के छोटा नागपुर इलाके से पहली बार विधिवत गिरमिटियों को लाया गया था। १९२० तक मारीशस में साढ़े चार लाख भारतीय गिरमिटिए लाए गए, जिनमें अधिकतर भोजपुरी बोलने वाले थे। उन्नीसवीं सदी के अंत तक बोलचाल की भाषा के रूप में यहाँ भोजपुरी का विकास हो चुका था। १९०१ में बैरिस्टर मोहनदास करमचन्द गांधी यहाँ आकर रहे और भारतीयों की दशा और कठिनाइयों को समझा। उन्हें कानूनी सलाह उपलब्ध कराने और सहायता करने के लिए उन्होंने १९०९ में एक योग्य बैरिस्टर मगनलाल मणिलाल को मारीशस भेजा। बैरिस्टर मगनलाल मणिलाल ने १५ मार्च १९०९ में एक साप्ताहिक पत्र का आरंभ किया जिसकी भाषा अँग्रेजी और गुजराती थी। बाद में गुजराती के स्थान पर यह पत्र हिंदी में प्रकाशित होने लगा क्यों कि आमतौर पर सभी भारतीय लोगों को हिंदी आसानी से समझ में आती थी। इसके बाद ही मारीशस में हिंदी का विकास हुआ। इस दृष्टि से वे मारीशस के पहले हिंदी विद्वान माने जाते हैं। इसके बाद अनेक लोगों ने अध्यापन, पत्रकारिता और लेखन द्वारा मारीशस में हिंदी का विकास किया। इन लोगों में प्रमुख नाम हैं- मुकेश्वर चुन्नी, पं. आत्माराम विश्वनाथ, पं. लक्ष्मीनारायण चतुर्वेदी रसपुंज, पं. रामावध शर्मा, पं. काशीनाथ किष्टो, पं. नरसिंहदास, श्री जयनारायण राय, प्रो॰ वासुदेव विष्णुदयाल, डॉ॰ सर शिवसागर रामगुलाम, प्रो॰ राम प्रकाश, बैरिस्टर सोमदत्त बखोरी, पं.मोहनलाल मोहित, आर्य रत्न, डॉ॰ ब्रज भारत, श्री सूर्यमंजर भगत, सर खेर जगतसिंह, स्वामी कृष्णानंद सरस्वती, श्री दुखी गंगा, श्री रामनाथ जीता, पं. रामदत्त महावीर, रामरेखा रति, पं. श्रीनिवास जगदत्त, पं. उमाशंकर जगदत्ता, पं. दौलत शर्मा, श्री दयानंदलाल वसंतराय, अभिमन्यु अनत आदि। .

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मालण

मालण गुजराती कवि थे। उन्हे गुजराती साहित्य में आख्यान काव्य का जन्मदाता माना जाता है। अपनी एक कृति में उन्होंने स्वयं लिखा है कि गुजरात की पुराणप्रिय जनता के संतोष के लिये ही गुजराती भाषा में संस्कृत के पौराणिक आख्यानों के लेखन का संकल्प उनके मन में उत्पन्न हुआ। इसके लिये कदाचित् उनका विरोध भी हुआ। मालण के विषय में अन्य उल्लेखनीय बात उनकी अनन्य रामभक्ति है जो उन्हें रामानंदी संप्रदाय के संपर्क से प्राप्त हुई थी। रामभक्त होने से पूर्व वे शैव थे। संस्कृत साहित्य का उन्होंने यथेष्ट परिशीलन किया था। उनके पांडित्य का सर्वोत्कृष्ट प्रमाण कादम्बरी का अनुवाद है जिसे कुछ विद्वान् उनकी श्रेष्ठतम कृति मानते हैं। कवि का वास्तविक मूल्यांकन उसकी मौलिक रचनाओं से ही होता है। तथापि अनुवादकौशल की दृष्टि से कादंबरी की महत्ता निर्विवाद है। राम और कृष्ण के वात्सल्य भाव से युक्त उत्कृष्ट पदों की रचना मालण की और विशेषता है। मालण का समय सामान्यत: सभी गुजराती इतिहासकारों ने १५ वीं शती ई० में माना है तथापि उसे सर्वथा असंदिग्ध नहीं कहा जा सकता। मालण के विशेषज्ञ रा० चु० मोदी ने उन्हें नरसी का समकालीन मानते हुए सं० १४९० से १५७० के बीच स्थापित किया है पर अन्यत्र उनका मृत्यु काल स० १४४५-४६ के लगभग अनुमानित किया गया है। क० मा० मुंशी के अनुसार उनका जीवनकाल सन् १४२६ से १५०० के बीच तथा के० का० शास्त्री के मत से जन्म सं० १५१५-२० के लगभग संभव है। उपलब्ध रूप में कादंबरी की भाषा से इतनी प्राचीनता की संगति नहीं बैठती। मालण कृत दशमस्कंध में प्राप्त होनेवाले कतिपय ब्रजभाषा के पद भी यदि प्रामाणिक हैं, तो मालण को के० का० शास्त्री के अनुसार 'ब्रजभाषा का आदि कवि' सिद्ध करने के स्थान पर समयच्युत करने के पक्ष में ही वे अधिक सहायक प्रतीत होते हैं। मालण और 'हरिलीला षोडस कला' के रचयिता भीम के वेदांतपारंगत गुरु पुरुषोत्तम की एकता सिद्ध करने का प्रयास भी किया गया है, परंतु यह दुरुह कल्पना मात्र लगती है। 'बीजु' 'नलाख्यान' और 'मालणसुत' विष्णुदास रचित 'उत्तर कांड' की तिथियाँ भी असंदिग्ध नहीं है। .

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मालवण (अमरेली)

मालवण (માલવણ.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। मालवण गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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माळीला (अमरेली)

माळीला (માળીલા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। माळीला गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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मुलुंड

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मुजफ्फर हुसैन (पत्रकार)

मुजफ्फर हुसैन (२० मार्च १९४५ -- १३ फरवरी २०१८) भारत के राष्ट्रवादी पत्रकार व चिन्तक थे। सन २००२ में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया था। कई भाषाओं में प्रवीणता हासिल करने वाले हुसैन विभिन्न भाषाओं में कई पत्रिकाओं के लिए और कई स्थानीय दैनिक समाचार पत्रों के लिए भी लिखते थे। वे मुसलमानों के एक वर्ग में पनपनेवाली जेहादी मानसिकता के सदैव निंदक रहे। .

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मुंबई में मीडिया

हिन्दी चलचित्र उद्योग- बॉलीवुड बसा हुआ है। मुंबई में बहुत से समाचार-पत्र, प्रकाशन गृह, दूरदर्शन और रेडियो स्टेशन हैं। मराठी पत्रों में नवकाल, महाराष्ट्र टाइम्स, लोकसत्ता, लोकमत, सकाल आदि प्रमुख हैं। मुंबई में प्रमुख अंग्रेज़ी अखबारों में टाइम्स ऑफ इंडिया, मिड डे, हिण्दुस्तान टाइम्स, डेली न्यूज़ अनालिसिस एवं इंडियन एक्स्प्रेस आते हैं। अन्य भारतीय भाषाओं में भी समाचार पत्र प्रकाशित होते हैं। मुंबई में ही एशिया का सबसे पुराना समाचार-पत्र बॉम्बे समाचार भी निकलता है। यह गुजराती में १८२२ से प्रकाशित हो रहा है। बॉम्बे दर्पण प्रथम मराठी समाचार-पत्र था, जिसे बालशास्त्री जाम्भेकर ने १८३२ में आरंभ किया था। यहां बहुत से भारतीय एवं अंतर्राष्ट्रीय टीवी चैनल्स उपलब्ध हैं। यह महानगर बहुत से अन्तर्राष्ट्रीय मीडिया निगमों और मुद्रकों एवं प्रकाशकों का केन्द्र भी है। राष्ट्रीय टेलीवीज़र प्रसारक दूरदर्शन, दो टेरेस्ट्रियल चैनल प्रसारित करता है, और तीन मुख्य केबल नेटवर्क अन्य सभी चैनल उपलब्ध कराते हैं। केबल चैनलों की विस्तृत सूची में ईएसपीएन, स्टार स्पोर्ट्स, ज़ी मराठी, ईटीवी मराटःई, डीडी सह्याद्री, मी मराठी, ज़ी टाकीज़, ज़ी टीवी, स्टार प्लस, सोनी टीवी और नये चैनल जैसे स्टार मांझा आइ कई मराठी व अन्य भाषाओं के चैनल शामिल हैं। मुंबई के लिए पूर्ण समर्पित चैनलों में सहारा समय मुंबई आदि चैनल हैं। इनके अलावा डी.टी.एच प्रणाली अपनी ऊंची लागत के कारण अभी अधिक परिमाण नहीं बना पायी है। प्रमुख डीटीएच सेवा प्रदाताओं में डिश टीवी, बिग टीवी, टाटा स्काई और सन टीवी हैं। मुंबई में बारह रेडियो चैनल हैं, जिनमें से नौ एफ़ एम एवं तीन ऑल इंडिया रेडियो के स्टेशन हैं जो ए एम प्रसारण करते हैं। मुंबई में कमर्शियल रेडियो प्रसारण प्रदाता भी उपलब्ध हैं, जिनमें वर्ल्ड स्पेस, सायरस तथा एक्स एम प्रमुख हैं। बॉलीवुड, हिन्दी चलचित्र उद्योग भी मुंबई में ही स्थित है। इस उद्योग में प्रतिवर्शः १५०-२०० फिल्में बनती हैं। बॉलीवुड का नाम अमरीकी चलचित्र उद्योग के शहर हॉलीवुड के आगे बंबई का ब लगा कर निकला हुआ है। २१वीं शताब्दी ने बॉलीवुड की सागरपार प्रसिद्धि के नये आयाम देखे हैं। इस कारण फिल्म निर्माण की गुणवत्ता, सिनेमैटोग्राफ़ी आदि में नयी ऊंचाइयां दिखायी दी हैं। गोरेगांव और फिल सिटी स्थित स्टूडियो में ही अधिकांश फिल्मों की शूटिंग होतीं हैं। मराठी चलचित्र उद्योग भी मुंबई में ही स्थित है। .

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मुंबई समाचार

मुंबई समाचार (Gujarati:મુંબઈ સમાચાર) भारत में प्रकाशित होने वाला गुजराती भाषा का एशिया के सब से पुराने वर्तमानपत्रों में से एक और गुजराती का प्रथम समाचार पत्र (अखबार) है। इसका मुख्यालय मुंबई में है। इस्वीसन १८२२ में इसके प्रकाशन की शरुआत हुई थी। अहमदाबाद, वड़ोदरा, बंगलौर और नयी दिल्ली में इसकी शाखाएँ हैं। ये भारत सरकार के समाचारपत्रों के पंजीयक कार्यालय द्वारा आरएनआई क्रमांक से पंजीकृत है। .

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मुंबई की जनसांख्यिकी

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मूर्तिदेवी पुरस्कार

मूर्तिदेवी पुरस्कार भारतीय ज्ञानपीठ समिति के द्वारा दिया जानेवाला प्रतिष्ठित साहित्य सम्मान है। पुरस्कार में दो लाख रूपए, प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिह्न और वाग्देवी की प्रतिमा दी जाती है। नीचे पुरस्कार प्राप्त करनेवालों की सूची है। इसके अतिरिक्त सी के नागराज राव, जयदेव तनेजा, कुबेरनाथ राय, शिवाजी सामन्त, श्यामाचरण दुबे, विद्यानिवास मिश्र, वीरेन्द्र जैन और विष्णु प्रभाकर को भी मूर्तिदेवी पुरस्कार प्रदान किया गया है। .

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मेडी (अमरेली)

मेडी (મેડી.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। मेडी गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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मेरी आशिकी तुम से ही

मेरी आशिकी तुम से ही एक भारतीय टेलीविजन कार्यक्रम है इसका प्रसारण कलर्स टीवी पर 19 जून 2014 से 19 फरवरी 2016 तक हुआ। .

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मोणपुर (अमरेली)

मोणपुर (મોણપુર.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। मोणपुर गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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मोरारजी देसाई

मोरारजी देसाई (29 फ़रवरी 1896 – 10 अप्रैल 1995) (गुजराती: મોરારજી રણછોડજી દેસાઈ) भारत के स्वाधीनता सेनानी और देश के छ्ठे प्रधानमंत्री (सन् 1977 से 79) थे। वह प्रथम प्रधानमंत्री थे जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बजाय अन्य दल से थे। वही एकमात्र व्यक्ति हैं जिन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न एवं पाकिस्तान के सर्वोच्च सम्मान निशान-ए-पाकिस्तान से सम्मानित किया गया है। वह 81 वर्ष की आयु में प्रधानमंत्री बने थे। इसके पूर्व कई बार उन्होंने प्रधानमंत्री बनने की कोशिश की परंतु असफल रहे। लेकिन ऐसा नहीं हैं कि मोरारजी प्रधानमंत्री बनने के क़ाबिल नहीं थे। वस्तुत: वह दुर्भाग्यशाली रहे कि वरिष्ठतम नेता होने के बावज़ूद उन्हें पंडित नेहरू और लालबहादुर शास्त्री के निधन के बाद भी प्रधानमंत्री नहीं बनाया गया। मोरारजी देसाई मार्च 1977 में देश के प्रधानमंत्री बने लेकिन प्रधानमंत्री के रूप में इनका कार्यकाल पूर्ण नहीं हो पाया। चौधरी चरण सिंह से मतभेदों के चलते उन्हें प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा। .

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मोहन परमार

मोहन परमार गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह अंचळो के लिये उन्हें सन् 2011 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मोहम्मद मांकड

मोहम्मद मांकड (गुजराती: મોહમ્મદ માંકડ, जन्म: 13 फ़रवरी 1928) गुजराती भाषा के जाने माने साहित्यकार हैं। उनका जन्म गुजरात में भावनगर जिले के पलियाड गाँव में हुआ था। उनके अनेक गुजराती उपन्यास और कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। गुजरात सरकार व अन्य संस्थाओं की ओर से उन्हें पुरस्कृत व सम्मानित भी किया जा चुका है। .

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मोहम्मद अली जिन्नाह

मोहम्मद अली जिन्ना (उर्दू:, जन्म: 25 दिसम्बर 1876 मृत्यु: 11 सितम्बर 1948) बीसवीं सदी के एक प्रमुख राजनीतिज्ञ थे जिन्हें पाकिस्तान के संस्थापक के रूप में जाना जाता है। वे मुस्लिम लीग के नेता थे जो आगे चलकर पाकिस्तान के पहले गवर्नर जनरल बने। पाकिस्तान में, उन्हें आधिकारिक रूप से क़ायदे-आज़म यानी महान नेता और बाबा-ए-क़ौम यानी राष्ट्र पिता के नाम से नवाजा जाता है। उनके जन्म दिन पर पाकिस्तान में अवकाश रहता है। भारतीय राजनीति में जिन्ना का उदय 1916 में कांग्रेस के एक नेता के रूप में हुआ था, जिन्होने हिन्दू-मुस्लिम एकता पर जोर देते हुए मुस्लिम लीग के साथ लखनऊ समझौता करवाया था। वे अखिल भारतीय होम रूल लीग के प्रमुख नेताओं में गिने जाते थे। काकोरी काण्ड के चारो मृत्यु-दण्ड प्राप्त कैदियों की सजायें कम करके आजीवन कारावास (उम्र-कैद) में बदलने हेतु सेण्ट्रल कौन्सिल के ७८ सदस्यों ने तत्कालीन वायसराय व गवर्नर जनरल एडवर्ड फ्रेडरिक लिण्डले वुड को शिमला जाकर हस्ताक्षर युक्त मेमोरियल दिया था जिस पर प्रमुख रूप से पं॰ मदन मोहन मालवीय, मोहम्मद अली जिन्ना, एन॰ सी॰ केलकर, लाला लाजपत राय व गोविन्द वल्लभ पन्त आदि ने हस्ताक्षर किये थे। भारतीय मुसलमानों के प्रति कांग्रेस के उदासीन रवैये को देखते हुए जिन्ना ने कांग्रेस छोड़ दी। उन्होंने देश में मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा और स्वशासन के लिए चौदह सूत्रीय संवैधानिक सुधार का प्रस्ताव रखा। लाहौर प्रस्ताव के तहत उन्होंने मुसलमानों के लिए एक अलग राष्ट्र का लक्ष्य निर्धारित किया। 1946 में ज्यादातर मुस्लिम सीटों पर मुस्लिम लीग की जीत हुई और जिन्ना ने पाकिस्तान की आजादी के लिए त्वरित कार्रवाई का अभियान शुरू किया। कांग्रेस की कड़ी प्रतिक्रिया के कारण भारत में व्यापक पैमाने पर हिंसा हुई। मुस्लिम लीग और कांग्रेस पार्टी, गठबन्धन की सरकार बनाने में असफल रहे, इसलिए अंग्रेजों ने भारत विभाजन को मंजूरी दे दी। पाकिस्तान के गवर्नर जनरल के रूप में जिन्ना ने लाखों शरणार्थियो के पुनर्वास के लिए प्रयास किया। साथ ही, उन्होंने अपने देश की विदेश नीति, सुरक्षा नीति और आर्थिक नीति बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। गौरतलब है कि पाकिस्तान और भारत का बटवारा जिन्ना और नेहरू के राजनीतिक लालच की वजह से हुआ है ! .

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यूनिनागरी (सम्पादित्र)

यूनिनागरी द्वारा विकसित एक भारतीय भाषाई ऑनलाइन सम्पादित्र है। इसमें हिन्दी, बांग्ला, गुजराती, पंजाबी (गुरुमुखी), कन्नड़, मलयालम, तमिल, तेलुगु तथा उर्दू आदि शामिल हैं। इस सम्पादित्र में विभिन्न भारतीय भाषाओं हेतु विभिन्न कीबोर्ड लेआउट चुन सकते हैं तथा उसके प्रयोग से हिन्दी एवं अन्य भाषायें टाइप कर सकते हैं। यूनिनागकी नेपाली कीबोर्ड छाहरी से प्रेरित हैं। .

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योग संदेश

योग संदेश एक मासिक पत्रिका है। .

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रचना अने संरचना

रचना अने संरचना गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार एच. सी. भायाणी द्वारा रचित एक समालोचना है जिसके लिये उन्हें सन् 1981 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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रँगपुर (अमरेली)

रँगपुर (રંગપુર.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। रँगपुर गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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रणजीतराम महेता

रणजीतराम महेता (25 अक्टूबर 1881 - 4 जून 1917) जानेमाने गुजराती लेखक थे।.

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रतिलाल अनिल

रतिलाल अनिल गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक निबंध–संग्रह आटानो सूरज के लिये उन्हें सन् 2006 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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रमणलाल जोशी

रमणलाल जोशी गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक समालोचना विवेचननी प्रक्रिया के लिये उन्हें सन् 1984 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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रमणलाल वसंतलाल देसाई

रमणलाल वसंतलाल देसाई (१८९२-१९५४ ई.) गुजराती भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार थे। उन्हें गुजराती साहित्य का "युगमूर्ति वार्ताकार' कहा जाता है। साहित्यिक सौष्ठव और लोकप्रियता दोनों की दृष्टि से गुजरात के कथाकारों में उनका स्थान "मुंशी' के बाद सर्वप्रमुख है। वे अनेक भाषाओं के विद्वान, लोक मर्मज्ञ तथा समाज के अनेक क्षेत्रों में योगदान के लिए विख्यात थे। इनके अनेक नाटक, उपन्यास, कविता संग्रह और यात्रा संस्मरण प्रकाशित हुए हैं। दिव्य यक्षु, भरेलो अग्नि, ग्राम लक्ष्मी, ग्रामोन्नति, बाला जोगन आदि उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं। .

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रमनलाल नीलकण्ठ हास्य पारितोषिक

रमनलाल नीलकण्ठ हास्य पारितोषिक, गुजरात का एक साहित्यिक सम्मान है जो प्रसिद्ध गुजराती साहित्यकार रमनभाई नीलकण्ठ के नाम से दिया जाता है। इसकी स्थापना सन २०१६ में हुई थी। यह पुरस्कार गुजराती हास्य साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए गुजरात साहित्य अकादमी तथा गुजरात सरकार द्वारा दिया जाता है। पुरकार के रूप में स्मृतिचिह्न, शाल तथा एक लाख रूपए की नकद राशि प्रदान की जाती है। .

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रमेश पारीख

रमेश पारीख गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह वितान सुद बीज के लिये उन्हें सन् 1994 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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रसिक शाह

रसिक शाह गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक निबंध अंते आरंभ के लिये उन्हें सन् 2015 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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रसिकलाल सी. पारीख

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राँढीया (अमरेली)

राँढीया (રાંઢીયા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। राँढीया गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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राधाकृष्ण दास

राधाकृष्ण दास (१८६५- २ अप्रैल १९०७) हिन्दी के प्रमुख सेवक तथा साहित्यकार थे। वे भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के फुफेरे भाई थे। शारीरिक कारणों से औपचारिक शिक्षा कम होते हुए भी स्वाध्याय से इन्होने हिन्दी, बंगला, गुजराती, उर्दू, आदि का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया था। वे प्रसिद्ध सरस्वती पत्रिका के सम्पादक मडल में रहे। वे नागरी प्रचारिणी सभा के प्रथम अध्यक्ष भी थे। इनके पिता का नाम कल्याणदास तथा माता का नाम गंगाबीबी था, जो भारतेंदु हरिश्चंद्र की बूआ थीं। शरीर से प्रकृत्या अस्वस्थ तथा अशक्त होने के कारण इनकी शिक्षा साधारण ही रही पर विद्याध्ययन की ओर रुचि होने से इन्होंने हिंदी, बँगला, उर्दू आदि में अच्छी योग्यता प्राप्त कर ली। पंद्रह वर्ष की अवस्था में ही 'दुःखिनी बाला' नामक छोटा रूपक लिखा। इसके एक ही वर्ष बाद 'निस्सहाय हिंदू' नामक सामाजिक उपन्यास लिखा। इसी के अनंतर 'स्वर्णजता' आदि पुस्तकों का बँगला से हिंदी में अनुवाद किया। भारतीय इतिहास की ओर रुचि हो जाने से इसी काल में 'आर्यचरितामृत' रूप में बाप्पा रावल की जीवनी तथा 'महारानी पद्मावती' रूपक भी लिखा। समाजसुधार पर भी इन्होंने कई लेख लिखे। यह अत्यन्त कृष्णभक्त थे। 'धर्मालाप' रचना में अनेक धर्मों का वार्तालाप कराकर हरिभक्ति को ही अंत में प्रधानता दी है। इन्होंने तीर्थयात्रा कर अनेक कृष्णलीला-भूमियों का दर्शन किया और उनका जो विवरण लिया है वह बड़ा हृदयग्राही है। काशी नागरीप्रचारिणी सभा, हरिश्चन्द्र विद्यालय आदि अनेक सभा संथाओं के उन्नयन में इन्होंने सहयोग दिया। सरस्वती पत्रिका का प्रकाशनारम्भ इन्हीं के सम्पादकत्व में हुआ और अदालतों में नागरी के प्रचार के लिए भी इन्होंने प्रयत्न किया। सभा के हिन्दी पुस्तकों के खोज विभाग के कार्य का शुभारम्भ इन्हीं के द्वारा हुआ। स्वास्थ्य ठीक न रहने से रोगाक्रान्त होकर यह बहत्तर वर्ष की अवस्था में १ अप्रैल, सन् १९०७ ई. को गोलोक सिधारे। इनकी अन्य रचनाएँ नागरीदास का जीवन चरित, हिंदी भाषा के पत्रों का सामयिक इतिहास, राजस्थान केसरी वा महाराणा प्रताप सिंह नाटक, भारतेन्दु जी की जीवनी, रहिमन विलास आदि हैं। 'दुःखिनी बाला', 'पद्मावती' तथा 'महाराणा प्रताप' नामक उनके नाटक बहुत प्रसिद्ध हुए। १८८९ में लिखित उपन्यास 'निस्सहाय हिन्दू' में हिन्दुओं की निस्सहायता और मुसलमानों की धार्मिक कट्टरता का चित्रण है। भारतेन्दु विरचित अपूर्ण हिन्दी नाटक 'सती प्रताप' को इन्होने इस योग्यता से पूर्ण किया है कि पाठकों को दोनों की शैलियों में कोई अन्तर ही नहीं प्रतीत होता। .

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राम प्रसाद 'बिस्मिल'

राम प्रसाद 'बिस्मिल' (११ जून १८९७-१९ दिसम्बर १९२७) भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की क्रान्तिकारी धारा के एक प्रमुख सेनानी थे, जिन्हें ३० वर्ष की आयु में ब्रिटिश सरकार ने फाँसी दे दी। वे मैनपुरी षड्यन्त्र व काकोरी-काण्ड जैसी कई घटनाओं में शामिल थे तथा हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सदस्य भी थे। राम प्रसाद एक कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाभाषी, इतिहासकार व साहित्यकार भी थे। बिस्मिल उनका उर्दू तखल्लुस (उपनाम) था जिसका हिन्दी में अर्थ होता है आत्मिक रूप से आहत। बिस्मिल के अतिरिक्त वे राम और अज्ञात के नाम से भी लेख व कवितायें लिखते थे। ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी (निर्जला एकादशी) विक्रमी संवत् १९५४, शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में जन्मे राम प्रसाद ३० वर्ष की आयु में पौष कृष्ण एकादशी (सफला एकादशी), सोमवार, विक्रमी संवत् १९८४ को शहीद हुए। उन्होंने सन् १९१६ में १९ वर्ष की आयु में क्रान्तिकारी मार्ग में कदम रखा था। ११ वर्ष के क्रान्तिकारी जीवन में उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं और स्वयं ही उन्हें प्रकाशित किया। उन पुस्तकों को बेचकर जो पैसा मिला उससे उन्होंने हथियार खरीदे और उन हथियारों का उपयोग ब्रिटिश राज का विरोध करने के लिये किया। ११ पुस्तकें उनके जीवन काल में प्रकाशित हुईं, जिनमें से अधिकतर सरकार द्वारा ज़ब्त कर ली गयीं। --> बिस्मिल को तत्कालीन संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध की लखनऊ सेण्ट्रल जेल की ११ नम्बर बैरक--> में रखा गया था। इसी जेल में उनके दल के अन्य साथियोँ को एक साथ रखकर उन सभी पर ब्रिटिश राज के विरुद्ध साजिश रचने का ऐतिहासिक मुकदमा चलाया गया था। --> .

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रामनारायण पाठक

रामनारायण पाठक गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक छंद शास्त्र बृहत–पिंगल के लिये उन्हें सन् 1956 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित(मरणोपरांत) किया गया। .

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राष्ट्रभाषा

राष्ट्रभाषा एक देश की संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा होती है, जिसे सम्पूर्ण राष्ट्र में भाषा कार्यों में (जैसे लिखना, पढ़ना और वार्तालाप) के लिए प्रमुखता से प्रयोग में लाया जाता है। वह भाषा जिसमें राष्ट्र के काम किए जायें। राष्ट्र के काम-धाम या सरकारी कामकाज के लिये स्वीकृत भाषा। .

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राष्‍ट्रीय चैनल

यह भारतीय टीवी दूरदर्शन के राष्‍ट्रीय चैनल हैं। इसमें (5): दूरदर्शन नेशनल, डीडी न्यूज़, डीडी भारती, डीडी स्पोर्ट्स और डीडी उर्दू ये पाँच चैनल आते हैं। डीडी-नेशनल पर ऐसे राष्ट्रीय कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं जिनका मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना तथा मन में एकता एवं भाई-चारे की भावना बैठाना है। यह चैनल दर्शकों की दृष्टि से देश का नम्बर एक चैनल है। डीडी-नेशनल पर मनोरंजन, सूचना एवं शिक्षा संबंधी कार्यक्रमों का स्वस्थ मिश्रण होता है। इस चैनल पर प्रात: 5.30 बजे से मध्य रात्रि तक स्थलीय मोड में सेवा उपलब्ध कराई जाती है। उपग्रह मोड में डीडी-नेशनल चौबीस घंटे उपलब्ध रहता है। लोक सेवा के इस मिश्रित चैनल के प्रसारण का समय इस ढंग से तैयार किया गया है कि यह विभिन्न समयों पर विभिन्न श्रेणी के दर्शकों की आवश्यकताओं को पूरा करता है। सभी महत्वपूर्ण राष्ट्रीय आयोजनों जैसे गणतंत्र दिवस परेड, स्वतंत्रता दिवस समारोहों राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री के राष्ट्र के नाम संबोधनों, संसद के संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण, संसद में होने वाली महत्वपूर्ण बहसों, रेलवे और आम बजट प्रस्तुत करने, लोकसभा और राज्यसभा के प्रश्न काल, चुनाव परिणाम और उनका विश्लेषण, शपथ ग्रहण समारोहों, राष्ट्रपति एवं प्रधान मंत्री की विदेश यात्राओं और विदेश से भारत आने वाले विशिष्ट व्यक्तियों की यात्राओं का डीडी-नेशनल पर सीधा प्रसारण किया जाता है। महत्वपूर्ण खेल-कूद आयोजनों जैसे ओलंपिक, एशियाई खेल, क्रिकेट टेस्ट मैचों और अन्तर्राष्ट्रीय एक दिवसीय मैचों, जिनमें भारत एवं अन्य महत्वपूर्ण खेल प्रतिद्वंदी भाग ले रहे हों, का भी सीधा प्रसारण किया जाता है। शिक्षा संबंधी कार्यक्रम इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू), विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), केंद्रीय शिक्षा प्रौद्योगिकी संस्थान (सीआईईटी) और राज्य शिक्षा प्रौद्योगिकी संस्थान (एसआईईटी) जैसे विभिन्न स्रोतों से प्राप्त किए जाते हैं। इसके अलावा, टर्निंग प्वाइंट, प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम, टेरा क्विज और भूमि (पर्यावरण से संबंधित कार्यक्रम) जैसे प्रायोजित कार्यक्रम, महिलाओं, जनजातीय मामलों से जुड़े विषयों पर कार्यक्रम और लोक सेवा संबंधी अन्य कार्यक्रम भी नियमित आधार पर प्रसारित किए जाते हैं। .

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राजस्थली (अमरेली)

राजस्थली (રાજસ્થળી.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। राजस्थली गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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राजस्थानी भाषा और साहित्य

राजस्थानी आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं में से एक है, जिसका वास्तविक क्षेत्र वर्तमान राजस्थान प्रांत तक ही सीमित न होकर मध्यप्रदेश के कतिपय पूर्वी तथा दक्षिणी भाग में और पाकिस्तान के वहावलपुर जिले तथा दूसरे पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी सीमा प्रदेशों में भी है। .

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राजस्थानी साहित्य

राजस्थानी साहित्य ई॰ सन् १००० से विभिन्न विधाओं में लिखी गई है। लेकिन सर्वसम्मत रूप से माना जाता है कि राजस्थानी साहित्य पर कार्य सूरजमल मिसराणा के कार्य के बाद आरम्भ हुआ।South Asian arts.

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राजेन्द्र प्रसाद

राजेन्द्र प्रसाद (3 दिसम्बर 1884 – 28 फरवरी 1963) भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे। वे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से थे जिन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में भी अपना योगदान दिया था जिसकी परिणति २६ जनवरी १९५० को भारत के एक गणतंत्र के रूप में हुई थी। राष्ट्रपति होने के अतिरिक्त उन्होंने स्वाधीन भारत में केन्द्रीय मन्त्री के रूप में भी कुछ समय के लिए काम किया था। पूरे देश में अत्यन्त लोकप्रिय होने के कारण उन्हें राजेन्द्र बाबू या देशरत्न कहकर पुकारा जाता था। .

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राजेन्द्र शाह

राजेन्द्र केशवलाल शाह (રાજેન્દ્ર કેશવલાલ શાહ; २८ जनवरी १९१३, कपाड़वनज, भारत - २ जनवरी २०१०) एक गुजराती भाषा के साहित्यकार थे। उन्होंने गुजराती में २० से अधिक काव्य और गीतों के संकलन रचे हैं, ज़्यादातर प्रकृति की सुंदरता और जनजाति और मछुआरों की रोज़मर्रा की ज़िन्दगी के विषयों पर। संस्कृत छंदों में रची उनकी कविताओं पर रविन्द्रनाथ टगोर की कृतियों का गहरा असर रहा है। उनके अनेक पेशों में उन्होंने बम्बई में प्रिंटिंग प्रेस भी चलाया है, जहाँ से उन्होंने कविलोक नाम की कविता पत्रिका छापी। हर रविवार सुबह उनके प्रेस में कवि आया करते थे, जो अपने आप में एक अहम प्रथा बन गयी। काव्यों के अलावा शाह ने गुजराती में कई अनुवाद भी किए हैं, जिनमें से कुछ: टगोर का कविता संकलन बलाक, जयदेव रचित गीतगोविन्द, अंग्रेज़ी कवि कॉलरिज की द राइम ऑफ़ द एन्शियंट मेरिनर और इटली के दांते की प्रसिद्ध कृति डिवाइन कॉमेडी हैं। शाह को वर्ष २००१ के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। निर्णायकों का कहना था, "इनके जज़बातों की तीव्रता और इनके काव्यों के रूप और अभिव्यक्ति में नयापन इन्हें एक ख़ास और मह्त्वपूर्ण कवि बतलाता है। इनकी कविता की आद्यात्मिकता कबीर और नरसी मेहता जैसे मध्यकालीन महान कवियों की परम्परा में है।" .

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राजेन्द्र शुक्ल

राजेन्द्र शुक्ल गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह गजल संहिता के लिये उन्हें सन् 2007 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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राजेश खट्टर

राजेश खट्टर (जन्म: १९६६, मुंबई) एक भारतीय अभिनेता, पटकथा लेखक और डबिंग कलाकार हैं। खट्टर अंग्रेजी, हिंदी, पंजाबी और उर्दू भाषा में दक्षता रखते हैं। एक फ़िल्म अभिनेता के रूप में वे मुख्यतः हिंदी बोलते हैं और उन्होंने हिंदी भाषा की कई भारतीय फ़िल्मों में अभिनय किया है। साथ ही अंग्रेजी और अन्य भाषाओं की कुछ फ़िल्मों में भी अभिनय किया है। एक हिंदी बहुमुखी डबिंग कलाकार के रूप में खट्टर ने हिंदी में कई हॉलीवुड हस्तियों - टॉम हैंक्स, जॉनी डेप, ह्यू जैकमैन, रॉबर्ट डॉनी जुनियर, ड्वेन जॉनसन, निकोलस केज, लैम्बर्ट विल्सन और माइकल फस्स्बेंदर आदि - को अपनी आवाज दी है। .

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रघुवीर चौधरी

रघुवीर चौधरी रघुवीर चौधरी (पटेल) गुजराती के प्रसिद्ध उपन्यासकार, कवि एवं आलोचक हैं। वे अनेक समाचारपत्रों में स्तम्भलेखक भी रहे हैं। उन्होने गुजरात विश्वविद्यालय में अध्यापन किया और वहाँ से १९९८ में सेवानिवृत्त हुए। गुजराती के अलावा उन्होने हिन्दी में भी लेखन कार्य किया है। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास उपरवास कथात्रयी के लिये उन्हें सन् १९७७ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (गुजराती) से सम्मानित किया गया। .

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रघुवीर सिंह (महाराज कुमार)

डॉ रघुवीर सिंह (23 फरवरी, 1908 - 13 फरवरी, 1991) कुशल चित्रकार, वास्तुशास्त्री, प्रशासक, सैन्य अधिकारी, प्रबुद्ध सांसद, समर्थ इतिहासकार और सुयोग्य हिन्दी साहित्यकार थे। .

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रुपया चिह्न

रुपया चिह्न (₨), एक मुद्रा चिह्न है जिसका प्रयोग श्रीलंका, नेपाल, पाकिस्तान, मॉरीशस, सिसलीस, इण्डोनेशिया तथा मालदीव में धन के आर्थिक चिह्न के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह लैटिन वर्ण क्रम "Rs" or "Rs." से मिलता-जुलता है तथा आमतौर पर इसी रूप में लिखा जाता है। रुपया चिह्न यूनिकोड कैरेक्टर सेट में U+20A8 पर ऍन्कोड किया गया है। पहले यह भारतीय रुपये को व्यक्त करने के लिये प्रयोग किया जाता था परन्तु १५ जुलाई २०१० के पश्चात एक नया मुद्रा चिह्न, 8px प्रयोग किया जाता है। रुपया चिह्न अन्य भाषाओं में भी है। उनमें से कुछ जो यूनिकोड मानकों में ऍन्कोड किये गये हैं: .

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रीडिफ.कॉम

रीडिफ डॉट कॉम अथवा रीडिफ.कॉम (रीडिफ.कॉम) भारतीय समाचार, सूचना, मनोरंजन और शॉपिंग वेब पोर्टल है। इसकी स्थापना १९९६ में हुई। इसकी स्थापना रीडिफ ऑन द नेट (रीडिफ On The NeT) के रूप में हुई। इसका मुख्य कार्यालय मुम्बई में है जिसके शाखा कार्यालय बंगलौर, नई दिल्ली और न्यूयॉर्क नगर में स्थित हैं। एलेक्सा के अनुसार रीडिफ १७वाँ भारतीय वेब पोर्टल है। इसमें ३१६ से अधिक कर्मचारी नियुक्त हैं। इसके लाखों परिदर्शकों में से 89.1% परिदर्शक भारतीय हैं जबकि अन्यों में मुख्यतः संयुक्त राज्य अमेरिका (3.4%) और चीन शामिल हैं। अप्रैल २००१ में रीडिफ ने इंडिया अब्रॉड आरम्भ किया। फ़रवरी २०११ में अलेक्सा पर इसकी रैंक २९५ थी। रीडिफ डॉट कॉम १९९६ में भारत में पंजीकृत पहला डोमेन नाम है। .

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रीकडीया (अमरेली)

रीकडीया (રીકડીયા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। रीकडीया गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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लापालिया (अमरेली)

लापालिया (લાપાળિયા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। लापालिया गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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लाभशंकर ठाकर

लाभशंकर ठाकर गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह टोळा आवाज़ घोंघाट के लिये उन्हें सन् 1991 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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लाल जंगली मुर्गा

लाल जंगली मुर्गा (Red junglefowl) (Gallus gallus) फ़ीज़ेन्ट कुल का पक्षी है जो उष्णकटिबंध के इलाकों में पाया जाता है। .

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लालावदर (अमरेली)

लालावदर (લાલાવદર.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। लालावदर गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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लाख

लाख (संस्कृत: लक्ष), (Lakh या lac), दक्षिण एशिया एवं कुछ अन्य देशों में प्रयुक्त एक संख्यात्मक इकाई है जो सौ हजार (१००,०००) के बराबर होती है। गणितीय पद्धति में इसे (105) भी लिखा जाता है। भारतीय संख्या पद्धति में इसे १,००,००० लिखा जाता है। आधिकारिक और अन्य प्रसंगों में लाख का प्रयोग भारत, बांग्लादेश, नेपाल, पाकिस्तान, म्यांमार तथा श्रीलंका आदि में बहुतायत में किया जाता है। .

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लिलेरो ढल

लिलेरो ढल गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार *प्रियकांत मणियार द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1982 में गुजराती भाषा के लिए मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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लिसान उद-दावत

लिसान उद-दावत (لسان الدعوة, दावत की भाषा) गुजराती भाषा की एक उपभाषा है। यह भाषा मुख्यतः इस्माइली शिया बिरादरी के आलवी और तायबी बोहराओं द्वारा बोली जाती है। मानक गुजराती से भिन्न, लिसान उद-दावत में अरबी और फ़ारसी के शब्द ज़्यादा हैं और यह भाषा अरबी लिपि में लिखी जाती है। यह मूलतः अनुष्ठान हेतु प्रयुक्त भाषा है, लेकिन 1330 में वडोदरा से सईदना जिवाभाई फ़ख़रुद्दीन ने स्थानीय भाषा के रूप में इसका प्रचार किया था। .

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लखपत

लखपत कोरी क्रीक के मुहाने पर स्थित गुजरात राज्य के कच्छ जिले में एक कम आबादी वाला शहर और उप जिला है। शहर 7 कि.मी.

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लैंग्वेज इंटरफेस पैक

लैंग्वेज इंटरफेस पैक या भाषा अंतरापृष्ट पॅक माइक्रोसोफ्ट के द्वारा निर्मित एक प्रोग्राम हैं जिससे विंडोज़ को कोई भी निज भाषा में प्रयोग कर सकता है। माइक्रोसॉफ्ट ने अब तक कई भाषाओं में लैंग्वेज इंटरफेस पैक बनाये हैं जैसे हिन्दी, तमिल आदि। इन्हें स्थापित करने से पूर्व माइक्रोसॉफ्ट विंडोज़ का सत्यापन करवाता है। .

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लो कॉस्ट स्टैंडर्ड थेराप्यूटिक्स

लो कॉस्ट स्टैंडर्ड थेराप्यूटिक्स (Low Cost Standard Therapeutics / LOCOST) लाभ-निरपेक्ष सार्वजनिक धर्मार्थ न्यास (ट्रस्ट) है जो गुजरात के वडोदरा में पंजीकृत है। यह भारत के गावों एवं शहरों के गरीबों के लिये काम करने वाली संस्थाओं/लोगों के लिये आवश्यक दवायें बनाती है और उचित (कम) मूल्य पर उपलब्ध कराती है। इसकी स्थापना १९८३ में हुई थी। यह ६० से अधिक आवश्यक दवाएं ८० रूपों (द्रव, कैप्सूल, टैब्लेट) में बनाती है। इसकी अपनी ही निर्माण कम्पनी है। इसके अलावा यह दवा उपभोक्ताओं एवं चिकित्सकों को दवाओं के विवेकपूर्ण उपयोग के बारे में शिक्षित भी करती है। यह जन सामान्य के लिये 'अपनु स्वास्थ्य' नामक एक मासिक पत्रिका भी निकालती है। इसके अलावा इसने 'ह्वेयर देयर इज नो डॉक्टर' (गुजराती में) तथा 'आम व्यक्ति के लिये औषधि' (एकलव्य के साथ मिलकर, हिन्दी में)नामक पुस्तकें भी प्रकाशित की हैं। यह संस्था राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर अच्छे औषधि नीति की वकालत भी करती है। इनके प्रयासों से कई हानिकारक और विसंगतिपूर्ण दवाओं के निर्माण और बिक्री पर प्रतिबन्ध लगा है। .

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लोथल

लोथल लोथल (गुजराती: લોથલ), प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता के शहरों में से एक बहुत ही महत्वपूर्ण शहर है। लगभग 2400 ईसापूर्व पुराना यह शहर भारत के राज्य गुजरात के भाल क्षेत्र में स्थित है और इसकी खोज सन 1954 में हुई थी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इस शहर की खुदाई 13 फ़रवरी 1955 से लेकर 19 मई 1956 के मध्य की थी। लोथल, अहमदाबाद जिले के धोलका तालुका के गाँव सरागवाला के निकट स्थित है। अहमदाबाद-भावनगर रेलवे लाइन के स्टेशन लोथल भुरखी से यह दक्षिण पूर्व दिशा में 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। लोथल अहमदाबाद, राजकोट, भावनगर और धोलका शहरों से पक्की सड़क द्वारा जुड़ा है जिनमें से सबसे करीबी शहर धोलका और बगोदरा हैं। लोथल गोदी जो कि विश्व की प्राचीनतम ज्ञात गोदी है, सिंध में स्थित हड़प्पा के शहरों और सौराष्ट्र प्रायद्वीप के बीच बहने वाली साबरमती नदी की प्राचीन धारा के द्वारा शहर से जुड़ी थी, जो इन स्थानों के मध्य एक व्यापार मार्ग था। उस समय इसके आसपास का कच्छ का मरुस्थल, अरब सागर का एक हिस्सा था। प्राचीन समय में यह एक महत्वपूर्ण और संपन्न व्यापार केंद्र था जहाँ से मोती, जवाहरात और कीमती गहने पश्चिम एशिया और अफ्रीका के सुदूर कोनों तक भेजे जाते थे। मनकों को बनाने की तकनीक और उपकरणों का समुचित विकास हो चुका था और यहाँ का धातु विज्ञान पिछले 4000 साल से भी अधिक से समय की कसौटी पर खरा उतरा था। 1961 में भारतीय पुराततव सर्वेक्षण ने खुदाई का कार्य फिर से शुरु किया और टीले के पूर्वी और पश्चिमी पक्षों की खुदाई के दौरान उन वाहिकाओं और नालों को खोद निकाला जो नदी के द्वारा गोदी से जुड़े थे। प्रमुख खोजों में एक टीला, एक नगर, एक बाज़ार स्थल और एक गोदी शामिल है। उत्खनन स्थल के पास ही एक पुरात्तत्व संग्रहालय स्थित हैं जिसमें सिंधु घाटी से प्राप्त वस्तुएं प्रदर्शित की गयी हैं। .

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शँभुपरा (अमरेली)

शँभुपरा (શંભુપરા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। शँभुपरा गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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शर्विलक

शर्विलक गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार रसिकलाल सी. पारीख द्वारा रचित एक नाटक है जिसके लिये उन्हें सन् 1960 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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शांत कोलाहल

शांत कोलाहल गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार राजेन्द्र शाह द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1963 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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शिरीष जे. पंचाल

शिरीष जे.

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शिवानी

शिवानी हिन्दी की एक प्रसिद्ध उपन्यासकार थीं। इनका वास्तविक नाम गौरा पन्त था किन्तु ये शिवानी नाम से लेखन करती थीं। इनका जन्म १७ अक्टूबर १९२३ को विजयदशमी के दिन राजकोट, गुजरात मे हुआ था। इनकी शिक्षा शन्तिनिकेतन में हुई! साठ और सत्तर के दशक में, इनकी लिखी कहानियां और उपन्यास हिन्दी पाठकों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय हुए और आज भी लोग उन्हें बहुत चाव से पढ़ते हैं। शिवानी का निधन 2003 ई० मे हुआ। उनकी लिखी कृतियों मे कृष्णकली, भैरवी,आमादेर शन्तिनिकेतन,विषकन्या चौदह फेरे आदि प्रमुख हैं। हिंदी साहित्य जगत में शिवानी एक ऐसी श्ख्सियत रहीं जिनकी हिंदी, संस्कृत, गुजराती, बंगाली, उर्दू तथा अंग्रेजी पर अच्छी पकड रही और जो अपनी कृतियों में उत्तर भारत के कुमाऊं क्षेत्र के आसपास की लोक संस्कृति की झलक दिखलाने और किरदारों के बेमिसाल चरित्र चित्रण करने के लिए जानी गई। महज 12 वर्ष की उम्र में पहली कहानी प्रकाशित होने से लेकर 21 मार्च 2003 को उनके निधन तक उनका लेखन निरंतर जारी रहा। उनकी अधिकतर कहानियां और उपन्यास नारी प्रधान रहे। इसमें उन्होंने नायिका के सौंदर्य और उसके चरित्र का वर्णन बडे दिलचस्प अंदाज में किया कहानी के क्षेत्र में पाठकों और लेखकों की रुचि निर्मित करने तथा कहानी को केंद्रीय विधा के रूप में विकसित करने का श्रेय शिवानी को जाता है।वह कुछ इस तरह लिखती थीं कि लोगों की उसे पढने को लेकर जिज्ञासा पैदा होती थी। उनकी भाषा शैली कुछ-कुछ महादेवी वर्मा जैसी रही पर उनके लेखन में एक लोकप्रिय किस्म का मसविदा था। उनकी कृतियों से यह झलकता है कि उन्होंने अपने समय के यथार्थ को बदलने की कोशिश नहीं की।शिवानी की कृतियों में चरित्र चित्रण में एक तरह का आवेग दिखाई देता है। वह चरित्र को शब्दों में कुछ इस तरह पिरोकर पेश करती थीं जैसे पाठकों की आंखों के सामने राजारवि वर्मा का कोई खूबसूरत चित्र तैर जाए। उन्होंने संस्कृत निष्ठ हिंदी का इस्तेमाल किया। जब शिवानी का उपन्यास कृष्णकली में प्रकाशित हो रहा था तो हर जगह इसकी चर्चा होती थी। मैंने उनके जैसी भाषा शैली और किसी की लेखनी में नहीं देखी। उनके उपन्यास ऐसे हैं जिन्हें पढकर यह एहसास होता था कि वे खत्म ही न हों। उपन्यास का कोई भी अंश उसकी कहानी में पूरी तरह डुबो देता था। भारतवर्ष के हिंदी साहित्य के इतिहास का बहुत प्यारा पन्ना थीं। अपने समकालीन साहित्यकारों की तुलना में वह काफी सहज और सादगी से भरी थीं। उनका साहित्य के क्षेत्र में योगदान बडा है परिचय जन्म: 17 अक्टूबर 1923, राजकोट (गुजरात) भाषा: हिंदी विधाएँ: उपन्यास, कहानी, संस्मरण, यात्रा वृत्तांत, आत्मकथा मुख्य कृतियाँ उपन्यास: कृष्णकली, कालिंदी, अतिथि, पूतों वाली, चल खुसरों घर आपने, श्मशान चंपा, मायापुरी, कैंजा, गेंदा, भैरवी, स्वयंसिद्धा, विषकन्या, रति विलाप, आकाश कहानी संग्रह: शिवानी की श्रेष्ठ कहानियाँ, शिवानी की मशहूर कहानियाँ, झरोखा, मृण्माला की हँसी संस्मरण: अमादेर शांति निकेतन, समृति कलश, वातायन, जालक यात्रा वृतांत: चरैवैति, यात्रिक आत्मकथा: सुनहुँ तात यह अमर कहानी .

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शुक्र (ज्योतिष)

शुक्र (शुक्र, ശുക്രൻ, ಶುಕ್ರ, சுக்ரன், IAST Śukra), जिसका संस्कृत भाषा में एक अर्थ है शुद्ध, स्वच्छ, भृगु ऋषि के पुत्र एवं दैत्य-गुरु शुक्राचार्य का प्रतीक शुक्र ग्रह है। भारतीय ज्योतिष में इसकी नवग्रह में भी गिनती होती है। यह सप्तवारों में शुक्रवार का स्वामी होता है। यह श्वेत वर्णी, मध्यवयः, सहमति वाली मुखाकृति के होते हैं। इनको ऊंट, घोड़े या मगरमच्छ पर सवार दिखाया जाता है। ये हाथों में दण्ड, कमल, माला और कभी-कभार धनुष-बाण भी लिये रहते हैं। उषानस एक वैदिक ऋषि हुए हैं जिनका पारिवारिक उपनाम था काव्य (कवि के वंशज, अथर्व वेद अनुसार जिन्हें बाद में उषानस शुक्र कहा गया। .

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श्रीलंका का इतिहास

इतिहासकारों में इस बात की आम धारणा थी कि श्रीलंका के आदिम निवासी और दक्षिण भारत के आदिम मानव एक ही थे। पर अभी ताजा खुदाई से पता चला है कि श्रीलंका के शुरुआती मानव का सम्बंध उत्तर भारत के लोगों से था। भाषिक विश्लेषणों से पता चलता है कि सिंहली भाषा, गुजराती और सिंधी से जुड़ी है। प्राचीन काल से ही श्रीलंका पर शाही सिंहला वंश का शासन रहा है। समय समय पर दक्षिण भारतीय राजवंशों का भी आक्रमण भी इसपर होता रहा है। तीसरी सदी इसा पूर्व में मौर्य सम्राट अशोक के पुत्र महेन्द्र के यहां आने पर बौद्ध धर्म का आगमन हुआ। इब्नबतूता ने चौदहवीं सदी में द्वीप का भ्रमण किया। .

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शेडुभार (अमरेली)

शेडुभार (શેડુભાર.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। शेडुभार गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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सणोसरा (अमरेली)

सणोसरा (સણોસરા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। सणोसरा गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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सत्य के प्रयोग

सत्य के प्रयोग, महात्मा गांधी की आत्मकथा है। यह आत्मकथा उन्होने गुजराती में लिखी थी। .

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सत्यार्थ प्रकाश

सत्यार्थ प्रकाश की रचना आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती ने की। यद्यपि उनकी मातृभाषा गुजराती थी और संस्कृत का इतना ज्ञान था कि संस्कृत में धाराप्रवाह बोल लेते थे, तथापि इस ग्रन्थ को उन्होंने हिन्दी में रचा। कहते हैं कि जब स्वामी जी 1872 में कलकत्ता में केशवचन्द्र सेन से मिले तो उन्होंने स्वामी जी को यह सलाह दी कि आप संस्कृत छोड़कर हिन्दी बोलना आरम्भ कर दें तो भारत का असीम कल्याण हो। तभी से स्वामी जी के व्याख्यानों की भाषा हिन्दी हो गयी और शायद इसी कारण स्वामी जी ने सत्यार्थ प्रकाश की भाषा भी हिन्दी ही रखी। स्वामी जी पूरे देश में घूम-घूमकर शास्त्रार्थ एवं व्याख्यान कर रहे थे। इससे उनके अनुयायियों ने अनुरोध किया कि यदि इन शास्त्रार्थों एवं व्याख्यानों को लिपिबद्ध कर दिया जाय तो ये अमर हो जायेंगे। सत्यार्थ प्रकाश की रचना उनके अनुयायियों के इस अनुरोध के कारण ही सम्भव हुई। सत्यार्थ प्रकाश की रचना का प्रमुख उद्देश्य आर्य समाज के सिद्धान्तों का प्रचार-प्रसार था। इसके साथ-साथ इसमें ईसाई, इस्लाम एवं अन्य कई पन्थों व मतों का खण्डन भी है। उस समय हिन्दू शास्त्रों का गलत अर्थ निकाल कर हिन्दू धर्म एवं संस्कृति को बदनाम करने का षड्यन्त्र भी चल रहा था। इसी को ध्यान में रखकर महर्षि दयानन्द ने इसका नाम सत्यार्थ प्रकाश (सत्य+अर्थ+प्रकाश) अर्थात् सही अर्थ पर प्रकाश डालने वाला (ग्रन्थ) रखा। .

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सरँभडा (अमरेली)

सरँभडा (સરંભડા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। सरँभडा गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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सरस्वतीचन्द्र (उपन्यास)

सरस्वतीचन्द्र गोवर्धनराम माधवराम त्रिपाठी द्वारा रचित एक प्रसिद्ध गुजराती उपन्यास है। जो 19 वीं सदी की पृष्ठभूमि में लिखा गया है। ये उपन्यास गुजरात में अत्यंत लोकप्रिय है। ये उपन्यास 15 साल की अवधि में लिखा गया था और १९८७ से १९०२ तक चार भाग में प्रसिद्ध हुआ था। 1968 में जारी हिंदी फिल्म सरस्वतीचंद्र ये उपन्यास पर आधारित थी। उपन्यास की कहानी दो गुजराती ब्राह्मण परिवारों पर आधारित है। लक्ष्मीनंदन का परिवार बंबई में बसा है, उनका भरा पूरा व्यापार है और वे बहुत अमीर है। सरस्वतीचंद्र लक्ष्मीनंदन और चंद्रलक्ष्मी के पुत्र हैं। वह अत्यंत विद्वान हैं जो योग्यता से एक बैरिस्टर है और संस्कृत और अंग्रेज़ी साहित्य के ज्ञाता हैं। वे अपने पिता के व्यवसाय में सफलतापूर्वक योगदान दे रहे हैं। उनका भविष्य उज्ज्वल है। दूसरा परिवार, विद्याचतुर का है, जो रत्नानगरी के (काल्पनिक) साम्राज्य के राजा मणिराज की अदालत के विद्वान प्रधान मंत्री हैं। उन्हें और उनकी गुणवती पत्नी गुणसुंदरी की दो बेटियां हैं, कुमुदसंदरी (बड़ी) और कुसुमसुंदरी। सरस्वतीचंद्र की मां का देहावसान होता है, और लक्ष्मीनंदन दुबारा विवाह करते हैं। सौतेली माँ गुमान अत्यंत धूर्त महिला है और वह अपने सौतेले पुत्र को नापसंद करती हैं तथा संदेह की दृष्टि से देखती हैं। इस बीच, सरस्वतीचंद्र और कुमुदुसुरी शादी की तैयारियां चल रही हैं, जिसके कारण वे एक-दूसरे को देखे बिना ही पत्र व्यवहार करते हैं तथा उनमें प्रेम पनप उठता है। सरस्वती चन्द्र कुमुद सुंदरी के ज्ञान और गुणों की ओर आकर्षित हो जाते हैं। इन्हीं घटनाओं के मध्य सरस्वतीचंद्र के घर का वातावरण बिगड़ता हैं, जब उसे पता लगता है कि उनके पिता को भी उस पर संदेह है कि वह उनकी संपत्ति पर कुदृष्टि रखता है और वह अपने घर छोड़ने का फैसला करता है। उनका सबसे अच्छा मित्र, चंद्रकांत, उसे रोकने की पूरी कोशिश करता है, लेकिन सरस्वतीचंद्र उसकी बात नहीं मानता और अपना घर छोड़ देता है। इस प्रकार वह न केवल घर और धन का त्याग करता है, बल्कि कुमुद को भी छोड़ देता है। वह समुद्र के रास्ते से (काल्पनिक) सुवर्णपुर के लिए निकल पड़ता है जब तक वह वहां पहुंचता है, तब तक कुमुद पहले से ही बुद्धिधन के उन्मत्त पुत्र प्रमदधन से ब्याही जा चुकी हैं, और बुद्धिधन सुवर्णपुर के प्रधान मंत्री बनने की तैयारी में है। .

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सर्वोदय

सर्वोदय, अंग्रेज लेखक रस्किन की एक पुस्तक अनटू दिस लास्ट का गांधी जी द्वारा गुजराती में अनूदित एक पुस्तक है। 'अन्टू द लास्ट' का अर्थ है - इस अंतवाले को भी। सर्वोदय का अर्थ है - सबका उदय, सबका विकास। सर्वोदय भारत का पुराना आदर्श है। हमारे ऋषियों ने गाया है-"सर्वेपि सुखिन: संतु"। सर्वोदय शब्द भी नया नहीं है। जैन मुनि समंतभद्र कहते हैं - सर्वापदामंतकरं निरंतं सर्वोदयं तीर्थमिदं तवैव। "सर्व खल्विदं ब्रह्म", "वसुधैव कुटुंबकं", अथवा "सोऽहम्" और "तत्त्वमसि" के हमारे पुरातन आदर्शों में "सर्वोदय" के सिद्धांत अंतर्निहित हैं। सर्वोदय समाज गांधी के कल्पनाओ का समाज था, जिसके केन्द्र मे भारतीय ग्राम व्यवस्था थी। विनोबा जी ने कहा है, सर्वोदय का अर्थ है - सर्वसेवा के माध्यम से समस्त प्राणियो की उन्नति। सर्वोदय के व्यवहारिक स्वरुप को हम बहुत ह्द तक विनोबा जी के भूदान आन्दोलन मे देख सकते है। सुबहवाले को जितना, शामवाले को भी उतना ही-प्रथम व्यक्ति को जितना, अंतिम व्यक्ति को भी उतना ही, इसमें समानता और अद्वैत का वह तत्व समाया है, जिसपर सर्वोदय का विशाल प्रासाद खड़ा है। (दादा धर्माधिकारी - "सर्वोदय दर्शन") .

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सरोजिनी नायडू

महात्मा गांधी के साथ सरोजिनी नायडू सरोजिनी नायडू (१३ फरवरी १८७९ - २ मार्च १९४९) का जन्म भारत के हैदराबाद नगर में हुआ था। इनके पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय एक नामी विद्वान तथा माँ कवयित्री थीं और बांग्ला में लिखती थीं। बचपन से ही कुशाग्र-बुद्धि होने के कारण उन्होंने १२ वर्ष की अल्पायु में ही १२हवीं की परीक्षा अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण की और १३ वर्ष की आयु में लेडी ऑफ दी लेक नामक कविता रची। वे १८९५ में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड गईं और पढ़ाई के साथ-साथ कविताएँ भी लिखती रहीं। गोल्डन थ्रैशोल्ड उनका पहला कविता संग्रह था। उनके दूसरे तथा तीसरे कविता संग्रह बर्ड ऑफ टाइम तथा ब्रोकन विंग ने उन्हें एक सुप्रसिद्ध कवयित्री बना दिया। १८९८ में सरोजिनी नायडू, डॉ॰ गोविंदराजुलू नायडू की जीवन-संगिनी बनीं। १९१४ में इंग्लैंड में वे पहली बार गाँधीजी से मिलीं और उनके विचारों से प्रभावित होकर देश के लिए समर्पित हो गयीं। एक कुशल सेनापति की भाँति उन्होंने अपनी प्रतिभा का परिचय हर क्षेत्र (सत्याग्रह हो या संगठन की बात) में दिया। उन्होंने अनेक राष्ट्रीय आंदोलनों का नेतृत्व किया और जेल भी गयीं। संकटों से न घबराते हुए वे एक धीर वीरांगना की भाँति गाँव-गाँव घूमकर ये देश-प्रेम का अलख जगाती रहीं और देशवासियों को उनके कर्तव्य की याद दिलाती रहीं। उनके वक्तव्य जनता के हृदय को झकझोर देते थे और देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए प्रेरित कर देते थे। वे बहुभाषाविद थी और क्षेत्रानुसार अपना भाषण अंग्रेजी, हिंदी, बंगला या गुजराती में देती थीं। लंदन की सभा में अंग्रेजी में बोलकर इन्होंने वहाँ उपस्थित सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया था। अपनी लोकप्रियता और प्रतिभा के कारण १९२५ में कानपुर में हुए कांग्रेस अधिवेशन की वे अध्यक्षा बनीं और १९३२ में भारत की प्रतिनिधि बनकर दक्षिण अफ्रीका भी गईं। भारत की स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद वे उत्तरप्रदेश की पहली राज्यपाल बनीं। श्रीमती एनी बेसेन्ट की प्रिय मित्र और गाँधीजी की इस प्रिय शिष्या ने अपना सारा जीवन देश के लिए अर्पण कर दिया। २ मार्च १९४९ को उनका देहांत हुआ। १३ फरवरी १९६४ को भारत सरकार ने उनकी जयंती के अवसर पर उनके सम्मान में १५ नए पैसे का एक डाकटिकट भी जारी किया। .

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सलवार कमीज़

सलवार कमीज(या शलवार क़मीज़) दक्षिण एशिया और मध्य एशिया के पुरुषों और महिलाओं का पारंपरिक परिधान है। सलवार एक पतलून या पाईजामह है और क़मीस एक लंबा है। .

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सलेटी जंगली मुर्गा

सलेटी जंगली मुर्गा (Grey junglefowl) (Gallus sonneratii) फ़ीज़ेन्ट कुल का पक्षी है जिसका मूल आवास भारत में ही है। .

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साँगाडेरी (अमरेली)

साँगाडेरी (સાંગાડેરી.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। साँगाडेरी गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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सात पगलां आकाशमां

सात पगलां आकाशमां गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार कुंदनिका कापडीआ द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1985 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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साधना (गुजराती साप्ताहिक)

साधना गुजराती की एक साप्ताहिक पत्रिका है जिसका प्रकाशन १९५७ से हो रहा है। .

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सानंद

सानंद गुजरात राज्य के अहमदाबाद जिले में एक शहर और नगर पालिका है। यह गुजरात के ऑटोमोबाइल केंद्र के रूप में जाना जाता है। सानंद वाघेला वंश द्वारा शासित एक छोटा सा रियासत राज्य था। सानंद के महाराज जयवंत सिंह वाघेला एक संगीत विजेता थे। १९४६ में, उन्होंने पंडित जसराज को आमंत्रित किया था। .

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सानोदा (ता. दहेगाम)

साणोदा (गुजराती: સાણોદા (તા. દહેગામ)) भारत देश के पश्चिम भाग में गुजरात राज्य के मध्य भाग में गाँधीनगर ज़िले के कुल 4 (चार) तालुको में दहेगाम तालुका का एक महत्वपूर्ण गाँव है। खेती, खेतमजदूरी और पशुपालन सानोदा गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय हैं। साणोदा गाँव में गेहूँ, बाजरा, कपास, अरंडी और सब्ज़ियों की फ़सल उगाँईं जाती हैं। साणोदा गाँव में प्राथमिक विद्यालय, माध्यमिक विद्यालय, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, साणोदा बैंक ऑफ़ इंडिया, पँचायतघर, आँगनवाडी, प्राथमिक आरोग्य केन्द्र और डेरी जैसी सुविधाएँ उपलब्ध हैं। गाँव में मुख्य प्रवेश द्वार, सहकारी सेवा मंडल, साणोदा भक्त सेवा समाज, पानी कि टाँकी। साणोदा गाँव कि नज़दीक खारी नदी हैं। .

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साबरकांठा जिला

सबरकाँठा भारतीय राज्य गुजरात का एक उत्तरी-पूर्वी जिला है। इस जिले के पूर्व और पूर्व-उत्तर में राजस्थान राज्य है तथा उत्तर में बनासकाँठा, पश्चिम में महेसाणा, पश्चिम-दक्षिण में अहमदाबाद और दक्षिणपूर्व में पंचमहल जिले हैं। ब्रिटिश शासनकाल में साबरकाँठा नामक राजनीतिक एजेंसी थी, जिसके अंतर्गत ४६ राज्य ऐसे थे जिन्हें न्याय करने के बहुत कम अधिकार प्राप्त थे और १३ तालुके ऐसे थे जिन्हें न्याय करने का कोई अधिकार प्राप्त नहीं था। इस जिले का प्रशासनिक केंद्र हिम्मतनगर है।जिले के अधिकांश निवासी भील एवं अन्य आदिवासी हैं। भारत के स्वतंत्र होने के बाद इस जिले में हरना नदी तथा हथमाटी नदी पर बाँध बनाए गए हैं। .

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साबूदाना

साबूदाना एक खाद्य पदार्थ है। यह छोटे-छोटे मोती की तरह सफ़ेद और गोल होते हैं। यह सैगो पाम नामक पेड़ के तने के गूदे से बनता है। सागो, ताड़ की तरह का एक पौधा होता है। ये मूलरूप से पूर्वी अफ़्रीका का पौधा है। पकने के बाद यह अपादर्शी से हल्का पारदर्शी, नर्म और स्पंजी हो जाता है। भारत में साबूदाने का उपयोग अधिकतर पापड़, खीर और खिचड़ी बनाने में होता है। सूप और अन्य चीज़ों को गाढ़ा करने के लिये भी इसका उपयोग होता है। भारत में साबूदाने का उत्पादन सबसे पहले तमिलनाडु के सेलम में हुआ था। लगभग १९४३-४४ में भारत में इसका उत्पादन एक कुटीर उद्योग के रूप में हुआ था। इसमें पहले टैपियाका की जड़ों को मसल कर उसके दूध को छानकर उसे जमने देते थे। फिर उसकी छोटी छोटी गोलियां बनाकर सेंक लेते थे। टैपियाका के उत्पादन में भारत अग्रिम देशों में है। लगभग ७०० इकाइयाँ सेलम में स्थित हैं। साबूदाना में कार्बोहाइड्रेट की प्रमुखता होती है और इसमें कुछ मात्रा में कैल्शियम व विटामिन सी भी होता है। साबूदाना की कई किस्में बाजार में उपलब्ध हैं उनके बनाने की गुणवत्ता अलग होने पर उनके नाम बदल और गुण बदल जाते हैं अन्यथा ये एक ही प्रकार का होता है, आरारोट भी इसी का एक उत्पाद है। .

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साहित्य अकादमी पुरस्कार गुजराती

साहित्य अकादमी पुरस्कार एक साहित्यिक सम्मान है जो कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं और गुजराती भाषा इन में से एक भाषा हैं। .

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साजीयावदर (अमरेली)

साजीयावदर (સાજીયાવદર.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। साजीयावदर गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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साक्रेटीज़

साक्रेटीज़ गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार मनुभाई पंचोली दर्शक़ द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1975 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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साक्षीभास्य

साक्षीभास्य गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार चंद्रकांत टोपीवाला द्वारा रचित एक समालोचना है जिसके लिये उन्हें सन् 2012 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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साउंड एण्ड विजन इंडिया

साउंड एण्ड विजन इंडिया एक भारतीय डबिंग स्टूडियो समूह है जिसका मुख्य स्टूडियो अंधेरी पश्चिम मुंबई में स्थित है। यह नाट्य/टीवी फिल्मों, कार्टून, टीवी श्रृंखला, ऐनिमे और वृत्तचित्रों के लिए डब करते हैं। १९९२ में लीला रॉय घोष और उनकी बेटी मोना घोष शेट्टी द्वारा स्थापित कंपनी ने दुनिया भर में हजारों बहुराष्ट्रीय टीवी चैनलों, फिल्म निर्माताओं, हॉलीवुड फिल्मों, टीवी शो एवं विदेशी मीडिया के लिए डब किया है। .

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सिन्धी भाषा

सिंधी भारत के पश्चिमी हिस्से और मुख्य रूप से गुजरात और पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में बोली जाने वाली एक प्रमुख भाषा है। इसका संबंध भाषाई परिवार के स्तर पर आर्य भाषा परिवार से है जिसमें संस्कृत समेत हिन्दी, पंजाबी और गुजराती भाषाएँ शामिल हैं। अनेक मान्य विद्वानों के मतानुसार, आधुनिक भारतीय भाषाओं में, सिन्धी, बोली के रूप में संस्कृत के सर्वाधिक निकट है। सिन्धी के लगभग ७० प्रतिशत शब्द संस्कृत मूल के हैं। सिंधी भाषा सिंध प्रदेश की आधुनिक भारतीय-आर्य भाषा जिसका संबंध पैशाची नाम की प्राकृत और व्राचड नाम की अपभ्रंश से जोड़ा जाता है। इन दोनों नामों से विदित होता है कि सिंधी के मूल में अनार्य तत्व पहले से विद्यमान थे, भले ही वे आर्य प्रभावों के कारण गौण हो गए हों। सिंधी के पश्चिम में बलोची, उत्तर में लहँदी, पूर्व में मारवाड़ी और दक्षिण में गुजराती का क्षेत्र है। यह बात उल्लेखनीय है कि इस्लामी शासनकाल में सिंध और मुलतान (लहँदीभाषी) एक प्रांत रहा है और 1843 से 1936 ई. तक सिन्ध, बम्बई प्रांत का एक भाग होने के नाते गुजराती के विशेष संपर्क में रहा है। पाकिस्तान में सिंधी भाषा नस्तालिक (यानि अरबी लिपि) में लिखी जाती है जबकि भारत में इसके लिये देवनागरी और नस्तालिक दोनो प्रयोग किये जाते हैं। .

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सियारामशरण गुप्त

सियारामशरण गुप्त (४ सितंबर १८९५ - २९ मार्च १९६३) (भाद्र पूर्णिमा सम्वत १९५२ विक्रमी) हिन्दी के साहित्यकार थे। .

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सिरोही

सिरोही राजस्थान प्रान्त का एक शहर है। पहलें सिरोही रियासत बड़ी रियासतों में अपना स्थान रखती थी। इसका साम्राज्य बहुत फैला हुआ था। १२वी सदी में यहाँ देवड़ा ओ का राज था। देश आजाद होने के बाद इसे ज़िला बना दिया। इसका काफ़ी एरिया पाली, व जालौर ज़िले में चला गया। सिरोही जिले में कालंद्री गाँव में श्री ब्रह्माजी का १३५० वर्ष पुराना मंदिर है। इस मन्दिर का जीर्णोद्धार हो रहा हे। सिरोही- सिर और ओही का मतलब है सिर काटने कि हिम्मत रखने वाले। गुजराती के महान लेखक झवेरचन्द मेघाणी ने अपनी किताब सोराष्ट्र नी रसधार में लिखा है सिरोही की तलवार और लाहौर कि कटार। कहते हैं कि सिरोही में ऐसी तलवार बनती थी जिसको पानी के प्रपात से तलवार को धार दी जाती थी। आज भी सिरोही कि तलवार प्रसिद्ध है। सिरोही से 15 किमी की दूरी पर एक गाव है तेलपुर। कहते है पाडीव से कुछ देवडा राजपुतों ने आ कर तेलपुर बसाया था। वो लोग लड़ने में तेज थे अतः सिरोही के महाराजा उनको तेज कह कर बुलाते थे। इसी लिये उस समय तेलपुर का नाम तेजपुर रखा था। लेकिन धीरे-धीरे कालंतर में उस का नाम तेलपुर हो गया। .

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सिलवास

सिलवास या सिलवासा (गुजराती: સેલ્વાસ; सेल्वास), अरब सागर के पास स्थित, भारतीय केन्द्र शासित प्रदेश, दादरा तथा नगर हवेली की राजधानी है। अंग्रेजी प्रभाव के चलते सिलवास का उच्चारण अक्सर सिलवासा किया जाता है और अधिकतर लोग अब इसे सिल्वासा या सिलवासा कहकर ही पुकारते हैं। गुजरती जन्सन्ख्या के प्रभाव के कारण इसे 'सेलवास' भी कहा जाता है। शहर में बड़ी संख्या में उद्योग-धंधे स्थापित हैं, जो सरकार को बड़ी मात्रा में राजस्व की वसूली कराते हैं, जिस कारण शहर में करों की दर को काफी कम रखा गया है। करों की निम्न दर के चलते बहुत से उद्योग सिलवासा की ओर आकर्षित हुये हैं और जिन्होनें इस छोटे से आदिवासी क्षेत्र को एक प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र में बदल दिया है। हिन्दी और गुजराती शहर की प्रमुख भाषायें हैं, उद्योगों के कारण अंग्रेजी का प्रयोग भी बढ़ रहा है। .

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सिंधिया

सिंधिया भारत में एक शाही मराठा वंश है। इस वंश मे ग्वालियर राज्य के १८वीं और १९वीं शताब्दी में शासक शामिल है। .

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संदेश दैनिक

संदेश (Gujarati:સંદેશ) भारत में प्रकाशित होने वाला गुजराती भाषा का प्रमुख समाचारपत्र है। इसका मुख्यालय अहमदाबाद में है। इस्वीसन १९२३ में इसके प्रकाशन की शरुआत हुई थी।Jeffrey, Robin.

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संभव समाचार पत्र

संभव समाचार पत्र भारत में प्रकाशित होने वाला गुजराती भाषा का एक समाचार पत्र (अखबार) है। .

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संजीव कुमार

संजीव कुमार (मूल नाम: हरीभाई जरीवाला; जन्म: 9 जुलाई 1938, मृत्यु: 6 नवम्बर 1985) हिन्दी फ़िल्मों के एक प्रसिद्ध अभिनेता थे। उनका पूरा नाम हरीभाई जरीवाला था। वे मूल रूप से गुजराती थे। इस महान कलाकार का नाम फ़िल्मजगत की आकाशगंगा में एक ऐसे धुव्रतारे की तरह याद किया जाता है जिनके बेमिसाल अभिनय से सुसज्जित फ़िल्मों की रोशनी से बॉलीवुड हमेशा जगमगाता रहेगा। उन्होंने नया दिन नयी रात फ़िल्म में नौ रोल किये थे। कोशिश फ़िल्म में उन्होंने गूँगे बहरे व्यक्ति का शानदार अभिनय किया था। शोले फ़िल्म में ठाकुर का चरित्र उनके अभिनय से अमर हो गया। उन्हें श्रेष्ठ अभिनेता के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार के अलावा फ़िल्मफ़ेयर क सर्वश्रेष्ठ अभिनेता व सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार दिया गया। वे आजीवन कुँवारे रहे और मात्र 47 वर्ष की आयु में सन् 1984 में हृदय गति रुक जाने से बम्बई में उनकी मृत्यु हो गयी। 1960 से 1984 तक पूरे पच्चीस साल तक वे लगातार फ़िल्मों में सक्रिय रहे। उन्हें उनके शिष्ट व्यवहार व विशिष्ट अभिनय शैली के लिये फ़िल्मजगत में हमेशा याद किया जायेगा। .

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सुचित्रा त्रिवेदी

सुचित्रा त्रिवेदी एक भारतीय अभिनेत्री है, जो हिंदी और गुजराती फिल्मों में अपने काम के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने भारतीय ओपेरा और मंच नाटकों पर कई लोकप्रिय भूमिकाएं की हैं। सुचित्रा का जन्म २० सितंबर १९७६ में मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था। त्रिवेदी ने १९८३ की बॉलीवुड फिल्म वो सात दिन (1983 फ़िल्म) में एक बाल कलाकार के रूप में अभिनय की शुरुआत की, जिसमें मुख्य भूमिकाओं में अनिल कपूर, नसीरुद्दीन शाह, और पद्मिनी कोल्हापुर शामिल थे। वह मुख्यतः भारतीय हिंदी टेलीविजन पर काम करती है। .

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सुनिधि चौहान

सुनिधि चौहान (जन्म निधी चौहान, १४ अगस्त १९८३) एक भारतीय पार्श्वगायिका है जो हिन्दी गीतों को गाने के लिए लोकप्रिय है। उन्होंने मराठी, कन्नड़, तमिल, तेलुगु, बंगाली, असमिया और गुजराती फ़िल्मों में भी २००० से अधिक गीत गाए हैं। चौहान ने गायन की शुरुआत चार वर्ष की आयु से की और एक स्थानीय टीवी मेज़बान ने उनकी इस प्रतिभा को देखा। उन्हें प्रसिद्धी टेलिविज़न गायन प्रतियोगिता मेरी आवाज़ सुनो से मिली जिसमे जित के बाद उन्होंने पार्श्वगायन क्षेत्र में शस्त्र फ़िल्म से पदार्पण किया। उन्हें लोकप्रियता राम गोपाल वर्मा की फ़िल्म मस्त से मिली जिसमे उन्होंने "रुकी रुकी सी ज़िंदगी" गीत गाया जो एक हीट गीत साबित हुआ। उन्हें कुल चौदह फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कारों का नामांकन और तीन में जित हासिल हुई। उन्होंने दो स्टार स्क्रीन पुरस्कार, दो आइफा पुरस्कार और एक ज़ी सिने पुरस्कार जीते हैं। .

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सुमन शाह

सुमन शाह गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह फटफटियुं के लिये उन्हें सन् 2008 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सुरगपुरा (अमरेली)

सुरगपुरा (સુરગપુરા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। सुरगपुरा गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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सुरेश दलाल

सुरेश दलाल गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह अखंड ज़ालर बागे के लिये उन्हें सन् 2005 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सुरेश जोशी

सुरेश जोशी गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक निबंध–संग्रह चिन्तयामि मनसा के लिये उन्हें सन् 1983 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सुंदरदास

सुन्दरदास (चैत्र शुक्ल ९, सं. १६५३ वि. - कार्तिक शुक्ल ८, सं. १७४६ वि.) भक्तिकाल में ज्ञानाश्रयी शाखा के प्रमुख कवि थे। वे निर्गुण भक्त कवियों में सबसे अधिक शास्त्र निष्णात और सुशिक्षित संत कवि थे। सास्त्रज्ञानसंपन्न और काव्य कला निपुण कवि के रूप में सुंदरदास का हिंदी संत-काव्य-धारा के कवियों में विशिष्ट स्थान है। .

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सुंदरम (त्रिभुवन दास पी. लुहार)

सुंदरम (त्रिभुवन दास पी. लुहार) गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक साहित्य–समीक्षा अवलोकन के लिये उन्हें सन् 1968 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सुकेश साहनी

सुकेश साहनी (जन्म: 5सितंबर 1956, लखनऊ, उ.प्र.), हिंदी के लघुकथा लेखक हैं, जिनका लघुकथा की विकास यात्रा में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। उनके दो लघुकथा संग्रह 'डरे हुए लोग' तथा 'ठंडी रज़ाई'प्रकाशित हैं। उनकी दोनों पुस्तकें क्रमश: 'डरे हुए लोग' का पंजाबी, गुजराती, मराठी व अंग्रेज़ी में तथा 'ठंडी रज़ाई' का अंग्रेज़ी व पंजाबी भाषा में अनुवाद हुआ है। इसके अतिरिक्त एक कहानी संग्रह 'मैग्मा और अन्य कहानियाँ' तथा बालकथा संग्रह 'अक्ल बड़ी या भैंस' प्रकाशित हुए हैं। साथ हीं उनकी कुछ लघुकथाएँ जर्मन भाषा में भी अनूदित हुईं हैं। 'रोशनी' कहानी पर दूरदर्शन के लिए उन्होने टेलीफिल्म का निर्माण किया है। उनकी एक और पुस्तक "लघु अपराध कथाएं " प्रकाशित हुई हैं और उन्होने लघुकथाओं के आधे दर्जन से अधिक संकलनों का संपादन भी किया है। उन्हें 1994 में डॉ॰परमेश्वर गोयल लघुकथा सम्मान, 1996 में माता शरबती देवी पुरस्कार,1998 में डॉ॰ मुरली मनोहर हिन्दी साहित्यिक सम्मान तथा 2008 में माधवराव सप्रे सम्मान प्राप्त हुए हैं। .

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स्टेच्यू

स्टेच्यू गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार अनिल जोशी द्वारा रचित एक निबंध–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1990 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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स्वरचक्र

स्वरचक्र भारतीय लिपियों में एंड्रॉइड पर लिखने में सहायक एक निःशुल्क अनुप्रयोग (अप्लिकेशन) है। यह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुम्बई के औद्योगिक डिजाइन केन्द्र के IDID समूह द्वारा विकसित किया गया है। यह इंस्क्रिप्ट से बेहतर सिद्ध हो रहा है। सम्प्रति यह ११ भारतीय भाषाओं (हिन्दी, मराठी, गुजराती, तेलुगु, मलयालम, कन्नड, ओडिया, पंजाबी, बंगाली,कोंकणी,तमिळ) के लिये एंड्रॉयड फोनों के लिये उपलब्ध है। .

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स्वामी आनन्द

स्वामी आनन्द (1887 - 1976) एक सन्त, गाँधीवादी कार्यकर्ता तथा गुजराती लेखक थे। वे नवजीवन और यंग इण्डिया आदि गांधी के प्रकाशनों के प्रबन्धक थे। इनके द्वारा रचित एक रेखाचित्र कुलकथाओ के लिये उन्हें सन् १९६९ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (गुजराती) से सम्मानित किया गया। .

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स्काईमेट

स्काईमेट एक भारतीय मौसम संबंधी भविष्यवाणी करने और वर्तमान मौसम बताने वाली एक कंपनी है। इसकी स्थापना इसकी स्थापना 2003 में जतिन सिंह ने की थी। .

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सौन्दर्यनी नदी नर्मदा

सौन्दर्यनी नदी नर्मदा गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार अमृतलाल वेगड द्वारा रचित एक यात्रा–वृत्तांत है जिसके लिये उन्हें सन् 2004 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सूर्य नारायण व्यास

पण्डित सूर्यनारायण व्यास (०२ मार्च १९०२ - २२ जून १९७६) हिन्दी के व्यंग्यकार, पत्रकार, स्वतंत्रता सेनानी एवं ज्योतिर्विद थे। उन्हें साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सन १९५८ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। पं॰ व्यास ने 1967 में अंग्रेजी को अनन्त काल तक जारी रखने के विधेयक के विरोध में अपना पद्मभूषण लौटा दिया था। वे बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे - वे इतिहासकार, पुरातत्त्ववेत्ता, क्रान्तिकारी, "विक्रम" पत्र के सम्पादक, संस्मरण लेखक, निबन्धकार, व्यंग्यकार, कवि; विक्रम विश्वविद्यालय, विक्रम कीर्ति मन्दिर, सिन्धिया शोध प्रतिष्ठान और कालिदास परिषद के संस्थापक, अखिल भारतीय कालिदास समारोह के जनक तथा ज्योतिष एवं खगोल के अपने युग के सर्वोच्च विद्वान थे। वे महर्षि सान्दीपनी की परम्परा के वाहक थे। खगोल और ज्योतिष के अपने समय के इस असाधारण व्यक्तित्व का सम्मान लोकमान्य तिलक एवं पं॰ मदनमोहन मालवीय भी करते थे। पं॰ नारायणजी के देश और विदेश में लगभग सात हजार से अधिक शिष्य फैले हुए थे जिन्हें वे वस्त्र, भोजन और आवास देकर निःशुल्क विद्या अध्ययन करवाते थे। अनेक इतिहासकारों ने यह भी खोज निकाला है कि पं॰ व्यास के उस गुरुकुल में स्वतन्त्रता संग्राम के अनेक क्रान्तिकारी वेश बदलकर रहते थे। .

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सेंट जेवियर्स हाई स्कूल, लोयोला हॉल, अहमदाबाद

सेंट जेवियर्स हाई स्कूल, लोयोला हॉल, अहमदाबाद, भारत की स्थापना 1956 में सोसाइटी ऑफ जीसस ने की थी। इसमें बारहवीं कक्षा के माध्यम से किंडरगार्टन शामिल है और 2006 में सह-शैक्षिक बन गया.

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सोनारीया (अमरेली)

सोनारीया (સોનારીયા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। सोनारीया गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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सोनगढ़

सोनगढ़ भारत के गुजरात राज्य में तापी जिले स्थित एक तालुका है। .

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सोनकुत्ता

सोनकुत्ता या वनजुक्कुर (Cuon alpinus) कुत्तों के कुल का जंगली प्राणी है जो दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया में पाया जाता है। यह अपनी प्रजाति का इकलौता जीवित प्राणी है जो कि कुत्तों से दंतावली और स्तनाग्रों में अलग है। अब यह अंतर्राष्ट्रीय संगठन द्वारा विलुप्तप्राय प्रजाति घोषित हो गई है क्योंकि इनके आवासीय क्षेत्र में कमी, शिकार की कमी, अन्य शिकारियों से स्पर्धा और शायद घरेलू या जंगली कुत्तों से बीमारी सरने के कारण इनकी संख्या तेज़ी से घट रही है। यह एक निहायत सामाजिक प्राणी है जो कि बड़े कुटुम्बों में रहता है जो कि अक्सर शिकार के लिए छोटे टुकड़ों में बँट जाते हैं।Fox, M. W. (1984), The Whistling Hunters: Field Studies of the Indian Wild Dog (Cuon Alpinus), Steven Simpson Books, ISBN 0-9524390-6-9, p-85 अफ्री़की जंगली कुत्तों की भांति और अन्य कुत्तों के विपरीत ढोल शिकार के बाद अपने शावकों को पहले खाने देता है। हालाँकि ढोल मनुष्यों से डरता है, लेकिन इनके झुण्ड बड़े और खतरनाक प्राणियों, जैसे जंगली शूकर, जंगली भैंसा तथा बाघ पर भी आक्रमण करने से नहीं हिचकिचाते हैं। .

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सोहिल

सोहिल (સોહિલ, سوہل, उच्चारण) गुजराती भाषा से पुल्लिंग प्रदत्त नाम है। यह नाम पश्चिम भारत और पाकिस्तान में लोकप्रिय है। .

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सी. सी. मेहता

सी.

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सीतांशु यशश्चंद्र

सीतांशु यशश्चंद्र गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह जटायु के लिये उन्हें सन् 1987 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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हयाती

हयाती गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार हरीन्द्र दवे द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1978 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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हर्ष कुमार

हर्ष कुमार भारतीय रेल में एक अधिकारी हैं और आजकल रेल मंत्रालय, नई दिल्ली में कार्यकारी निदेशक (वित्त) के पद पर कार्यरत हैं। इसके पहले ये उत्तर रेलवे, पश्चिम रेलवे, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन, कोंकण रेलवे, रेलवे स्टाफ कॉलेज, दक्षिण पूर्व रेलवे एवं रेल कोच कारखाना कपूरथला में विभिन्न पदों पर कार्य कर चुके हैं। उनकी प्रसिद्धि भारतीय भाषाओं में पहले फॉन्ट सुशा के निर्माता के रूप में भी हैं। 1997 में उनके बनाए हुए 'सुशा' सिस्टम की सहायता से हिंदी, मराठी, गुजराती, गुरुमुखी व बांग्ला भाषाओं में कंप्यूटर पर आसानी से कार्य हो रहा है। सुशा का प्रयोग कर इन भाषाओं में 'फ्रंट ऐंडस' बनाए गए हैं जिससे कि अंग्रेज़ी न जानने वाले लोग भी आराम से कंप्यूटरों पर काम कर रहे हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि यह आज भी निःशुल्क उपलब्ध है। इसे इंटरनेट से भी लिया जा सकता है। हर्ष सूचना प्रोद्योगिकी से संबद्ध रहे हैं, उन्होंने हंबरसाईड विश्वविद्यालय, ब्रिटेन से मास्टर्स उपाधि प्राप्त की है। वे कोंकण रेलवे जैसी परियोजनाओं से जुड़े रहे और भारत भर में समय समय पर नियुक्त रहे हैं। इसके अतिरिक्त वे कवि भी हैं और उनके दो कविता संग्रह एक भेंट और बेटी शीर्षक से प्रकाशित हुए हैं। .

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हरीन्द्र दवे

हरीन्द्र दवे गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह हयाती के लिये उन्हें सन् 1978 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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हरीपुरा (अमरेली)

हरीपुरा (હરીપુરા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। हरीपुरा गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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हाफूस (आम)

पुआल के बीच हाफूस आम हापुस आम का वृक्ष जिसमें फूल लगे हुए हैं हाफूस (अंग्रेजी में Alphanso अलफांसो, मराठी में हापुस, गुजराती में हाफुस (હાફુસ) और कन्नड़ में आपूस (ಆಪೂಸ್), आम की एक किस्म है जिसे मिठास, सुगंध और स्वाद के मामले में अक्सर आमों की सबसे अच्छी किस्मों में से एक माना जाता है। यूरोपीय भाषाओं में इसका नाम अलफांसो, अफोंसो दि अल्बूकर्क (पुर्तगाली: Afonso de Albuquerque) के सम्मान में रखा गया है। पकने के बाद इसे लगभग एक सप्ताह तक रखा जा सकता है और इसका यह गुण इसका निर्यात सुगम बनाता है। कीमत के मामले में यह आम भारत के सबसे महंगे आमों में से एक है और इसे मुख्यत: पश्चिम भारत में ही उगाया जाता है। इसका मौसम अप्रैल से मई के मध्य होता है और प्रत्येक आम का वजन 150 ग्राम से 300 ग्राम के मध्य होता है। .

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हिन्द स्वराज

हिन्द स्वराज, गांधीजी द्वारा रचित एक पुस्तक का नाम है। मूल रचना सन १९०९ में गुजराती में थी। यह लगभग तीस हजार शब्दों की लघु पुस्तिका है जिसे गाँधीजी ने अपनी इंग्लैण्ड से दक्षिण अफ्रीका की यात्रा के समय पानी के जहाज में लिखी। यह इण्डियन ओपिनिअन में सबसे पहले प्रकाशित हुई जिसे भारत में अंग्रेजों ने यह कहते हुए प्रतिबन्धित कर दिया कि इसमें राजद्रोह-घोषित सामग्री है। इस पर गांधीजी ने इसका अंग्रेजी अनुवाद भी निकाला ताकि बताया जा सके कि इसकी सामग्री राजद्रोहात्मक नहीं है। अन्ततः २१ दिसम्बर सन १९३८ को इससे प्रतिबन्ध हटा लिया गया। हिन्द स्वराज का हिंदी और संस्कृत सहित कई भाषाओं में अनुवाद उपलब्ध है। संस्कृत अनुवाद डॉ प्रवीण पंड्या ने किया। हिंद स्वराज में गहरा सभ्यता विमर्श है। .

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हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार

हिन्द - यूरोपीय भाषाओं देश बोल रही हूँ. गाढ़े हरे रंग के देश में जो बहुमत भाषा हिन्द - यूरोपीय परिवार हैं, लाइट ग्रीन एक देश वह जिसका आधिकारिक भाषा हिंद- यूरोपीय है, लेकिन अल्पसंख्यकों में है। हिन्द-यूरोपीय (या भारोपीय) भाषा-परिवार संसार का सबसे बड़ा भाषा परिवार (यानी कि सम्बंधित भाषाओं का समूह) हैं। हिन्द-यूरोपीय (या भारोपीय) भाषा परिवार में विश्व की सैंकड़ों भाषाएँ और बोलियाँ सम्मिलित हैं। आधुनिक हिन्द यूरोपीय भाषाओं में से कुछ हैं: हिन्दी, उर्दू, अंग्रेज़ी, फ़्रांसिसी, जर्मन, पुर्तगाली, स्पैनिश, डच, फ़ारसी, बांग्ला, पंजाबी, रूसी, इत्यादि। ये सभी भाषाएँ एक ही आदिम भाषा से निकली है, उसे आदिम-हिन्द-यूरोपीय भाषा का नाम दे सकता है। यह संस्कृत से बहुत मिलती-जुलती थी, जैसे कि वह सांस्कृत का ही आदिम रूप हो। .

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हिन्द-आर्य भाषाएँ

हिन्द-आर्य भाषाएँ हिन्द-यूरोपीय भाषाओं की हिन्द-ईरानी शाखा की एक उपशाखा हैं, जिसे 'भारतीय उपशाखा' भी कहा जाता है। इनमें से अधिकतर भाषाएँ संस्कृत से जन्मी हैं। हिन्द-आर्य भाषाओं में आदि-हिन्द-यूरोपीय भाषा के 'घ', 'ध' और 'फ' जैसे व्यंजन परिरक्षित हैं, जो अन्य शाखाओं में लुप्त हो गये हैं। इस समूह में यह भाषाएँ आती हैं: संस्कृत, हिन्दी, उर्दू, बांग्ला, कश्मीरी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, रोमानी, असमिया, गुजराती, मराठी, इत्यादि। .

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हिन्द-आर्य भाषाओं में श्वा विलोपन

अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला में श्वा का चिन्ह श्वा विलोपन वह प्रतिक्रिया है जिसमें हिन्दी, कश्मीरी, पंजाबी, गुजराती, मराठी, बंगाली, मैथिली और बहुत-सी अन्य आधुनिक हिन्द-आर्य भाषाओँ में सही उच्चारण के लिए उनकी लिपियों के व्यंजनों में निहित श्वा की ध्वनि (जो कि हिन्दी में 'अ' है) को त्यागना अनिवार्य है।, Larry M. Hyman, Victoria Fromkin, Charles N. Li, Taylor & Francis, ISBN 0-415-00311-3,...

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हिन्द-आर्य भाषाओं की सूची

हिन्द-आर्य भाषाओं में लगभग २१० (एसआईएल अनुमान) भाषाएँ और बोलियाँ आती हैं जो एशिया में बहुत से लोगों द्वारा बोली जाती हैं; यह भाषा परिवार हिंद-इरानी भाषा परिवार का भाग है। .

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हिन्द-आर्यन भाषायें

हिन्द-आर्यन (इण्डो-आर्यन) भाषाओं के लिए दूसरा नाम इण्डिक भाषायें है। करीब करीब सभी भारतीय भाषाएं इस श्रेणी में आती हैं जैसे हिन्दी, गुजराती, मराठी, बांग्ला, इत्यादि। .

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हिन्दुस्तान समाचार

हिन्दुस्तान समाचार भारत की एक प्रमुख बहुभाषी समाचार संस्था है। इसकी स्थापना सन् १९४८ में दादा साहेब आप्टे ने की थी। इस समय यह भारत की प्रमुख समाचार संस्था बन चुकी है और हिन्दी, मराठी, गुजराती, असमिया, ओड़िया, कन्नड, बांग्ला, सिन्धी और नेपाली आदि कई भाषाओं में समाचार उपलब्ध कराती है। इस दृष्टि से यह संस्था भारतीय भाषाओं की आवाज है। १५० से अधिक समाचारपत्र इस संस्था के समाचार के ग्राहक हैं। सभी राज्यों की राजधानियों एवं भारत के प्रमुख शहरों में इसके ब्यूरों हैं। .

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हिमांशी शेलत

हिमांशी शेलत गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह अंधारी गलीमां सफ़ेद टपकां के लिये उन्हें सन् 1996 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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हक्कानी अंजुमन

हक्कानी अंजुमन (अंग्रेजी:Haqqani Anjuman;बांग्ला: হাক্কানী আঞ্জুমান उर्दू: حقانی انجمن; तमिल भाषा: ஹக்கானி அஞ்சுமான்; तेलुगू: హక్కాని అంజుమన్; गुजराती: હક્કાની અંજુમન;रूसी भाषा: Хаккани Анджуман;चीनी भाषा: 哈卡尼安朱曼 कन्नड़: ಹಕ್ಕಾನಿ ಅಂಜುಮನ್; मलयालम: ഹഖാനി അൻജുമൻ) एक इस्लामी सूफी गैर सरकारी संगठन है और यह इस्लाम धर्म के दूसरे खलीफा हजरत उमर (र०) के परिवार से 37 वे वंशज, हज़रत मौलाना सूफी मूफ्ती अज़ानगाछी साहेब (र०) द्वारा स्थापित है। यह सुफिवादी संगठन बिना किसी शुल्क के, पूरी मानव जाति की सेवा करने और उन्हें सही सलाह देने के साथ जुड़ा हुआ है। इस संगठन का केवल एक ही उद्देश्य है और वो है खुदा के सच्चे रास्ते का अनुसरण करना और प्रत्येक आदमी को एक बेहतर आदमी बनाना। इस हक्कानी अंजुमन का शाब्दिक अर्थ है: -"सत्य का संगठन"। इस हक्कानी अंजुमन के समर्थक दुनिया भर में मौजूद हैं। .

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हेमचन्द्राचार्य

ताड़पत्र-प्रति पर आधारित '''हेमचन्द्राचार्य''' की छवि आचार्य हेमचन्द्र (1145-1229) महान गुरु, समाज-सुधारक, धर्माचार्य, गणितज्ञ एवं अद्भुत प्रतिभाशाली मनीषी थे। भारतीय चिंतन, साहित्य और साधना के क्षेत्रमें उनका नाम अत्यंत महत्वपूर्ण है। साहित्य, दर्शन, योग, व्याकरण, काव्यशास्त्र, वाड्मयके सभी अंड्गो पर नवीन साहित्यकी सृष्टि तथा नये पंथको आलोकित किया। संस्कृत एवं प्राकृत पर उनका समान अधिकार था। संस्कृत के मध्यकालीन कोशकारों में हेमचंद्र का नाम विशेष महत्व रखता है। वे महापंडित थे और 'कालिकालसर्वज्ञ' कहे जाते थे। वे कवि थे, काव्यशास्त्र के आचार्य थे, योगशास्त्रमर्मज्ञ थे, जैनधर्म और दर्शन के प्रकांड विद्वान् थे, टीकाकार थे और महान कोशकार भी थे। वे जहाँ एक ओर नानाशास्त्रपारंगत आचार्य थे वहीं दूसरी ओर नाना भाषाओं के मर्मज्ञ, उनके व्याकरणकार एवं अनेकभाषाकोशकार भी थे। समस्त गुर्जरभूमिको अहिंसामय बना दिया। आचार्य हेमचंद्र को पाकर गुजरात अज्ञान, धार्मिक रुढियों एवं अंधविश्र्वासों से मुक्त हो कीर्ति का कैलास एवं धर्मका महान केन्द्र बन गया। अनुकूल परिस्थिति में कलिकाल सर्वज्ञ आचार्य हेमचंद्र सर्वजनहिताय एवं सर्वापदेशाय पृथ्वी पर अवतरित हुए। १२वीं शताब्दी में पाटलिपुत्र, कान्यकुब्ज, वलभी, उज्जयिनी, काशी इत्यादि समृद्धिशाली नगरों की उदात्त स्वर्णिम परम्परामें गुजरात के अणहिलपुर ने भी गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त किया। .

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हेलमट नेस्पिटल

हेलमट नेस्पिटल बर्लिन की फ़्री युनिवर्सिटी में भारतविद्या और आधुनिक एशियाई भाषाओं और साहित्य के प्रोफ़ेसर रह चुके थे। .

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होम रूल आन्दोलन

अखिल भारतीय होम रूल लीग का ध्वज होम रूल आन्दोलन अखिल भारतीय होम रूल लीग, एक राष्ट्रीय राजनीतिक संगठन था जिसकी स्थापना 1916 में बाल गंगाधर तिलक द्वारा भारत में स्वशासन के लिए राष्ट्रीय मांग का नेतृत्व करने के लिए "होम रूल" के नाम के साथ की गई थी। भारत को ब्रिटिश राज में एक डोमिनियन का दर्जा प्राप्त करने के लिए ऐसा किया गया था। उस समय ब्रिटिश साम्राज्य के भीतर ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड और न्यूफ़ाउंडलैंड डोमिनियन के रूप में स्थापित थे। प्रथम विश्वयुद्ध की आरम्भ होने पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नरमपंथियों ने ब्रिटेन की सहायता करने का निश्चय किया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इस निर्णय के पीछे संभवतः ये कारण था कि यदि भारत ब्रिटेन की सहायता करेगा तो युद्ध के पश्चात ब्रिटेन भारत को स्वतंत्र कर देगा। परन्तु शीघ्र ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को ये अनुमान हो गया कि ब्रिटेन ऐसा कदापि नहीं करेगा और इसलिए भारतीय नेता असंतुष्ट होकर कोई दूसरा मार्ग खोजने लगे। यही असंतुष्टता ही होम रूल आन्दोलन के जन्म का कारण बनी। 1915 ई. से 1916 ई. के मध्य दो होम रूल लीगों की स्थापना हुई। 'पुणे होम रूल लीग' की स्थापना बाल गंगाधर तिलक ने और 'मद्रास होम रूल लीग' की स्थापना एनी बेसेंट ने की। होम रूल लीग भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सहायक संस्था की भांति कार्यरत हो गयी। इस आन्दोलन का उद्देश्य स्व-राज्य की प्राप्ति था परन्तु इस आन्दोलन में शस्त्रों के प्रयोग की अनुमति नहीं थी। होम रूल आन्दोलन के दौरान बाल गंगाधर तिलक और एनी बेसेंट ने 1917 में एक ध्वज बनाया। इस ध्वज पर पांच लाल और चार हरी तिरक्षी पट्टियाँ बनीं थी। सात तारों को भी इस पर अंकित किया गया था, किन्तु यह ध्वज लोगों के बीच ज्यादा प्रसिद्ध नहीं हुआ। 1920 में, अखिल भारतीय होम रूल लीग ने महात्मा गांधी को इसके अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित किया। एक वर्ष में ये संगठन एक संयुक्त भारतीय राजनीतिक मोर्चे के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में विलय हो गया और इसका स्वयं का अस्तित्व खत्म हो गया। .

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जत्रोफा

जत्रोफा लगभग १७५ प्रजाति की वनस्पतियों का समूह है जिसमें झाडियां और पौधे सम्मिलित हैं। इसके पौधे भारत, अफ्रिका, उत्तरी अमेरिका और कैरेबियन् जैसे ट्रापिकल क्षेत्रों में उत्पन्न होते हैं। यह एक बड़ा पादप है जो झाड़ियों के रूप में अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों में उगता है। इस पादप से प्राप्त होने वाले बीजों में 25-30 प्रतिशत तक तेल निकाला जा सकता है। इस तेल से कार आदि चलाये जा सकते हैं तथा जो अवशेष बचता है उससे बिजली पैदा की जा सकती है। जत्रोफा अनावृष्टि-रोधी सदाबहार झाडी है। यह कठिन परिस्थितियओं को भी झेलने में सक्षम है। अन्य नाम: रतनजोत, जंगली एरंडी, बंगरेड़ - हिन्दी कतमनक (Katamanak) - मलयालम कट्टमनक्कु (Kattamanakku) - तमिल पेपलम् (Pepalam) - तेलुगू कडहरलु (Kadaharalu) - कन्नड़ जेपाल (Jepal) - गुजराती भाषा कानन रण्ड - संस्कृत भाषा .

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जयंत पाठक

जयंत पाठक गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह अनुनय के लिये उन्हें सन् 1980 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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जयंत कोठारी

जयंत कोठारी गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक समालोचना वांक–देखां विवेचनो के लिये उन्हें सन् 1998 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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जलजीवड़ी (धारी)

जलजीवड़ी (જળજીવડી.) भारत देश में गुजरात राज्य के सौराष्ट्र एवं काठियावाड़ प्रान्त में अमरेली ज़िले के ११ तहसील में से एक धारी तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। जलजीवड़ी गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूंगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादि की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव का सबसे नज़दीकी शहर अमरेली है। यहाँ पे शेर, तेंदुआ जैसे हिंसक वन्य प्राणी भी पाए जाते हैं। .

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जशवंतगढ (अमरेली)

जशवंतगढ (જશવંતગઢ.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। जशवंतगढ गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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ज़ी गुजराती

ज़ी गुजराती एक गुजराती भाषा का चैनल है। श्रेणी:गुजराती चैनल gu:ઝી ગુજરાતી.

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जालीया (अमरेली)

जालीया (જાળીયા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। जालीया गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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जगदीश जोशी

जगदीश जोशी गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह वमल ना वन के लिये उन्हें सन् 1979 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित(मरणोपरांत) किया गया। .

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जगन्नाथ प्रसाद 'मिलिन्द'

जगन्नाथ प्रसाद 'मिलिन्द' (1907-1986) हिन्दी के कवि एवं नाटककार थे। जगन्नाथप्रसाद 'मिलिंद' का जन्म ग्वालियर के मुरार में हुआ था। उच्च शिक्षा काशी में हुई। आप हिंदी, उर्दू, बंगला, मराठी, गुजराती, संस्कृत और अंग्रेजी के ज्ञाता थे। इन्होंने शांति निकेतन तथा महिला आश्रम, वर्धा में अध्यापन किया एवं भारत के स्वतंत्रता आंदोलन तथा राजनीति में भाग लिया। श्री जगन्नाथ प्रसाद "मिलिंद" ने राष्ट्र के यौवन को बलि-पथ पर अग्रसर होने की प्रेरणा दी- .

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ज्ञानपीठ पुरस्कार

पुरस्कार-प्रतीकः वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। भारत का कोई भी नागरिक जो आठवीं अनुसूची में बताई गई २२ भाषाओं में से किसी भाषा में लिखता हो इस पुरस्कार के योग्य है। पुरस्कार में ग्यारह लाख रुपये की धनराशि, प्रशस्तिपत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है। १९६५ में १ लाख रुपये की पुरस्कार राशि से प्रारंभ हुए इस पुरस्कार को २००५ में ७ लाख रुपए कर दिया गया जो वर्तमान में ग्यारह लाख रुपये हो चुका है। २००५ के लिए चुने गये हिन्दी साहित्यकार कुंवर नारायण पहले व्यक्ति थे जिन्हें ७ लाख रुपए का ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ। प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार १९६५ में मलयालम लेखक जी शंकर कुरुप को प्रदान किया गया था। उस समय पुरस्कार की धनराशि १ लाख रुपए थी। १९८२ तक यह पुरस्कार लेखक की एकल कृति के लिये दिया जाता था। लेकिन इसके बाद से यह लेखक के भारतीय साहित्य में संपूर्ण योगदान के लिये दिया जाने लगा। अब तक हिन्दी तथा कन्नड़ भाषा के लेखक सबसे अधिक सात बार यह पुरस्कार पा चुके हैं। यह पुरस्कार बांग्ला को ५ बार, मलयालम को ४ बार, उड़िया, उर्दू और गुजराती को तीन-तीन बार, असमिया, मराठी, तेलुगू, पंजाबी और तमिल को दो-दो बार मिल चुका है। .

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जोसेफ़ मेकवान

जोसेफ़ मेकवान गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास आंगळियात के लिये उन्हें सन् 1989 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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जीवन–व्यवस्था

जीवन–व्यवस्था गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार काकासाहेब कालेलकर द्वारा रचित एक निबंध–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1965 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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ईटीवी नेटवर्क

अंगूठाकार ईटीवी नेटवर्क एक भारत सबसे बड़ा सैटलाइट उपग्रह टेलिविज़न नेटवर्क है। इस नेटवर्क पर मीडिया बैरॉन रामोजी राव का एकाधिकार है। ईटीवी शायद एकाधिकार वाला देश का पहला मीडिया नेटवर्क है। ईटीवी नेटवर्क का मुख्यालय हैदराबाद के विश्वप्रसिद्ध रामोजी फिल्मसिटी में स्थित है। ईटीवी नेटवर्क के अंतर्गत बारह टेलीविजन चैनल संचालित हो रहे हैं, जो चौबीसों घंटे समाचार, शिक्षा, मनोरंजन और ज्ञान-विज्ञान से संबंधित कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं। जब नब्बे के दशक में भारत में सैटेलाइट टीवी क्रांति का जन्म हुआ, उसी समय आंध्रप्रदेश के ईनाडू तेलुगु दैनिक ने तेलुगु भाषा में एक चैनल की शुरुआत की। तेलुगु से एक चैनल की शुरुआत हुई, मगर जल्द ही ईटीवी नेटवर्क ने देश के विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में कई चैनलों की शुरुआत की। बंगाली, ऊर्दू, कन्नड, गुजराती, मराठी सहित हिंदी में चार चैनल खोले गए। ईटीवी का भारत में सबसे बड़ा न्यूज रिपोर्टिंग नेटवर्क है, जो जिला और प्रखंड स्तर तक फैले हुए हैं। ईटीवी नेटवर्क का प्रबंधन न्यूजटुडे प्राइवेट लिमिटेड के हाथ में है। ईटीवी के चैनल समाचार के साथ साथ ज्ञान-विज्ञान और मनोरंजन के कार्यक्रम प्रसारित करते हैं। .

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ईश्वरीया (अमरेली)

ईश्वरीया (ઇશ્વરીયા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। ईश्वरीया गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मुहफली, तल, अनाज, कठोल, सब्जी इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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वड़नगर

वड़नगर भारत देश में गुजरात राज्य के महसाणा जिला का एक नगर है। यह नगर भारतीय रेलमार्ग व सड़क मार्ग से जुड़ा है। यह भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का जन्म स्थान है। .

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वडेरा (अमरेली)

वडेरा (વડેરા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। वडेरा गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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वमल ना वन

वमल ना वन गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार *जगदीश जोशी द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1979 में गुजराती भाषा के लिए मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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वरसडा (अमरेली)

वरसडा (વરસડા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। वरसडा गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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वरुशिका मेहता

वरुशिका मेहता एक भारतीय टेलीविजन अभिनेत्री और पेशेवर नर्तक है। वह १८ फरवरी १९९४ को अहमदाबाद, गुजरात, भारत में गुजराती परिवार में और मुंबई, महाराष्ट्र, भारत में पैदा हुई थी। उसने तलोनी कॉलेज ऑफ कॉमर्स से स्नातक किया था। मेहता ने युवा नृत्य आधारित नृत्य शो दिल डोस्ती डांस में शेरोन राय प्रकाश के साथ टेलीविज़न में पहली शुरुआत की, शंतनु माहेश्वरी के सामने एक पेशेवर नर्तक के रूप में। बाद में उन्होंने ये हैं आशिकी के दो एपिसोड चित्रित किए जिसमें एक प्रकरण में उन्होंने शक्तानु माहेश्वरी के साथ रुकसर मलिक का किरदार निभाया और दूसरे में उन्होंने ट्विंकल की भूमिका निभाई। इसके अलावा उन्होंने प्यार तूने क्या किया और फियर फाइल्स जैसे टेलीविजन शो पर काम किया। २०१५ में उन्होंने ट्विस्ट वाला लव के पांच एपिसोड के लिए अमृता प्रसाद के रूप में अभिनय किया। और २०१५ के अंत में उन्होंने सतरंगी ससुराला में एक निर्दोष और शर्मीली लड़की कैरा के रूप में आईं। २०१६ में उन्होंने वास्तविक यात्रा आधारित शो देसी एक्सप्लोरर्स जॉर्डन की मेजबानी की और उन्होंने २०१६ में ही स्टार प्लस के शो इश्कबाज़ में इशना का किरदार निभाया। .

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वर्षा एम. अडालजा

वर्षा एम.

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वर्षा अडालजा

वर्षा अडालजा गुजराती की यशस्वी लेखिका हैं। इनके २० उपन्यास, ५ कहानी संग्रह, १ नाटक एवं १ निबंध संग्रह प्रकाशित हुए हैं। इन्होंने मित्रो मरजानी उपन्यास का गुजराती में अनुवाद भी किया। इनको प्राप्त पुरस्कारों की सूची में साहित्य अकादेमी पुरस्कार, सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार, गुजराती साहित्य परिषद का भगिनी निवेदिता पुरस्कार (१९७६, १९७९), स्वामी विवेकानंद भारती पुरस्कार, सनत कुमार पारितोषिक, भारतीय भाषा परिषद का साबरमती पुरस्कार हैं। .

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वाँकीया (अमरेली)

वाँकीया (વાંકીયા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। वाँकीया गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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वात आपणा विवेचननी

वात आपणा विवेचननी गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार शिरीष जे. पंचाल द्वारा रचित एक समालोचनात्मक अध्ययन है जिसके लिये उन्हें सन् 2009 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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वांक–देखां विवेचनो

वांक–देखां विवेचनो गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार जयंत कोठारी द्वारा रचित एक समालोचना है जिसके लिये उन्हें सन् 1998 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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विठ्ठलपुर (अमरेली)

विठ्ठलपुर (વિઠ્ઠલપુર.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। विठ्ठलपुर गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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वितान सुद बीज

वितान सुद बीज गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार रमेश पारीख द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1994 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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विनोद भट्ट

विनोद भट्ट (14 जनवरी 1938 और 23 मई 2018), भारत से गुजरात के एक गुजराती के हास्य व्यंग्य लेखक और जीवनी लेखक थे। उनका जन्म 1938 में गांधीनगर के नादोल गांव में हुआ था। उन्होंने साहित्य की विविध विधाओं में 45 किताबें लिखीं। वे गुजराती साहित्य परिषद के (वर्ष 1996 से 1997 के बीच) अध्यक्ष भी रहे हैं। .

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विभिन्न भाषाओं में रामायण

म्यांमार के रामायण (रामजात्तौ) पर आधारित नृत्य भिन्न-भिन्न प्रकार से गिनने पर रामायण तीन सौ से लेकर एक हजार तक की संख्या में विविध रूपों में मिलती हैं। इनमें से संस्कृत में रचित वाल्मीकि रामायण (आर्ष रामायण) सबसे प्राचीन मानी जाती है। साहित्यिक शोध के क्षेत्र में भगवान राम के बारे में आधिकारिक रूप से जानने का मूल स्रोत महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण है। इस गौरव ग्रंथ के कारण वाल्मीकि दुनिया के आदि कवि माने जाते हैं। श्रीराम-कथा केवल वाल्मीकीय रामायण तक सीमित न रही बल्कि मुनि व्यास रचित महाभारत में भी 'रामोपाख्यान' के रूप में आरण्यकपर्व (वन पर्व) में यह कथा वर्णित हुई है। इसके अतिरिक्त 'द्रोण पर्व' तथा 'शांतिपर्व' में रामकथा के सन्दर्भ उपलब्ध हैं। बौद्ध परंपरा में श्रीराम से संबंधित दशरथ जातक, अनामक जातक तथा दशरथ कथानक नामक तीन जातक कथाएँ उपलब्ध हैं। रामायण से थोड़ा भिन्न होते हुए भी ये ग्रन्थ इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठ हैं। जैन साहित्य में राम कथा संबंधी कई ग्रंथ लिखे गये, जिनमें मुख्य हैं- विमलसूरि कृत 'पउमचरियं' (प्राकृत), आचार्य रविषेण कृत 'पद्मपुराण' (संस्कृत), स्वयंभू कृत 'पउमचरिउ' (अपभ्रंश), रामचंद्र चरित्र पुराण तथा गुणभद्र कृत उत्तर पुराण (संस्कृत)। जैन परंपरा के अनुसार राम का मूल नाम 'पद्म' था। अन्य अनेक भारतीय भाषाओं में भी राम कथा लिखी गयीं। हिन्दी में कम से कम 11, मराठी में 8, बाङ्ला में 25, तमिल में 12, तेलुगु में 12 तथा उड़िया में 6 रामायणें मिलती हैं। हिंदी में लिखित गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरित मानस ने उत्तर भारत में विशेष स्थान पाया। इसके अतिरिक्त भी संस्कृत,गुजराती, मलयालम, कन्नड, असमिया, उर्दू, अरबी, फारसी आदि भाषाओं में राम कथा लिखी गयी। महाकवि कालिदास, भास, भट्ट, प्रवरसेन, क्षेमेन्द्र, भवभूति, राजशेखर, कुमारदास, विश्वनाथ, सोमदेव, गुणादत्त, नारद, लोमेश, मैथिलीशरण गुप्त, केशवदास, गुरु गोविंद सिंह, समर्थ रामदास, संत तुकडोजी महाराज आदि चार सौ से अधिक कवियों तथा संतों ने अलग-अलग भाषाओं में राम तथा रामायण के दूसरे पात्रों के बारे में काव्यों/कविताओं की रचना की है। धर्मसम्राट स्वामी करपात्री ने 'रामायण मीमांसा' की रचना करके उसमें रामगाथा को एक वैज्ञानिक आयामाधारित विवेचन दिया। वर्तमान में प्रचलित बहुत से राम-कथानकों में आर्ष रामायण, अद्भुत रामायण, कृत्तिवास रामायण, बिलंका रामायण, मैथिल रामायण, सर्वार्थ रामायण, तत्वार्थ रामायण, प्रेम रामायण, संजीवनी रामायण, उत्तर रामचरितम्, रघुवंशम्, प्रतिमानाटकम्, कम्ब रामायण, भुशुण्डि रामायण, अध्यात्म रामायण, राधेश्याम रामायण, श्रीराघवेंद्रचरितम्, मन्त्र रामायण, योगवाशिष्ठ रामायण, हनुमन्नाटकम्, आनंद रामायण, अभिषेकनाटकम्, जानकीहरणम् आदि मुख्य हैं। विदेशों में भी तिब्बती रामायण, पूर्वी तुर्किस्तानकी खोतानीरामायण, इंडोनेशिया की ककबिनरामायण, जावा का सेरतराम, सैरीराम, रामकेलिंग, पातानीरामकथा, इण्डोचायनाकी रामकेर्ति (रामकीर्ति), खमैररामायण, बर्मा (म्यांम्मार) की यूतोकी रामयागन, थाईलैंड की रामकियेनआदि रामचरित्र का बखूबी बखान करती है। इसके अलावा विद्वानों का ऐसा भी मानना है कि ग्रीस के कवि होमर का प्राचीन काव्य इलियड, रोम के कवि नोनस की कृति डायोनीशिया तथा रामायण की कथा में अद्भुत समानता है। विश्व साहित्य में इतने विशाल एवं विस्तृत रूप से विभिन्न देशों में विभिन्न कवियों/लेखकों द्वारा राम के अलावा किसी और चरित्र का इतनी श्रद्धा से वर्णन न किया गया। .

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विश्वनाथ प्रसाद तिवारी

डॉ॰ विश्वनाथ प्रसाद तिवारी (जन्म १९४०) प्रसिद्ध हिन्दी साहित्यकार हैं और २०१३ से २०१७ तक की अवधि के लिए साहित्य अकादमी के अध्यक्ष हैं। वे गोरखपुर से प्रकाशित होने वाली 'दस्तावेज' नामक साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिका के संस्थापक-संपादक हैं। यह पत्रिका रचना और आलोचना की विशिष्ट पत्रिका है, जो 1978 से नियमित प्रकाशित हो रही है। सन् २०११ में उन्हें व्यास सम्मान प्रदान किया गया। .

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विश्वज्ञानकोश

विश्वज्ञानकोश, विश्वकोश या ज्ञानकोश (Encyclopedia) ऐसी पुस्तक को कहते हैं जिसमें विश्वभर की तरह तरह की जानने लायक बातों को समावेश होता है। विश्वकोश का अर्थ है विश्व के समस्त ज्ञान का भंडार। अत: विश्वकोश वह कृति है जिसमें ज्ञान की सभी शाखाओं का सन्निवेश होता है। इसमें वर्णानुक्रमिक रूप में व्यवस्थित अन्यान्य विषयों पर संक्षिप्त किंतु तथ्यपूर्ण निबंधों का संकलन रहता है। यह संसार के समस्त सिद्धांतों की पाठ्यसामग्री है। विश्वकोश अंग्रेजी शब्द "इनसाइक्लोपीडिया" का समानार्थी है, जो ग्रीक शब्द इनसाइक्लियॉस (एन .

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विवेचननी प्रक्रिया

विवेचननी प्रक्रिया गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार रमणलाल जोशी द्वारा रचित एक समालोचना है जिसके लिये उन्हें सन् 1984 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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विंग्स ऑफ़ फ़ायर: एन ऑटोबायोग्राफी

विंग्स ऑफ फायर: एन आटोबायोग्राफी ऑफ एपीजे अब्दुल कलाम (१९९९), भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की आत्मकथा है। इसके सह-लेखक अरुण तिवारी हैं। इसमें अब्दुल कलाम के बचपन से लेकर लगभग १९९९ तक के जीवन सफर के बारे में बताया गया है। मूल रूप में अंग्रेजी में प्रकाशित यह किताब, विश्व की १३ भाषाओ में अनूदित हो चुकी है। जिसमे भारत की प्रमुख भाषाएँ हिंदी, गुजराती, तेलगु, तमिल, मराठी, मलयालम के साथ-साथ कोरियन, चीनी और ब्रेल लिपि भी शामिल है। .

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विकासपीडिया

विकासपीडिया का प्रतीकचिह्न विकासपीडिया भारत सरकार द्वारा शुरू की गयी एक वेबसाइट है जो विभिन्न प्रकार की सूचनायें प्रदान करती है। यह फरवरी २०१४ में आरम्भ की गयी थी। इस पोर्टल का विकास 'भारत विकास प्रवेशद्वार-एक राष्ट्रीय पहल' के एक भाग के रूप में सामाजिक विकास के कार्यक्षेत्रों की सूचनाएं/ जानकारियां और सूचना एवं प्रौद्योगिकी पर आधारित उत्पाद व सेवाएं देने के लिए किया गया है। भारत विकास प्रवेशद्वार, भारत सरकार के संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (डीईआइटीवाई), की एक पहल और प्रगत संगणन विकास केंद्र (सी-डैक), हैदराबाद के द्वारा कार्यान्वित है। यह वेबस्थल हिन्दी, अंग्रेजी, असमिया, मराठी, बांग्ला, तेलुगु, गुजराती, कन्नड, मलयालम, तमिल, मराठी आदि २३ भाषाओं में है। विकासपीडिया में 6 अलग-अलग विषय हैं, कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, समाज कल्याण, ऊर्जा, और ई-शासन। .

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विकीर्णन (डायसपोरा)

विकीर्णन या डायस्पोरा (diaspora) से आशय है -किसी भौगोलिक क्षेत्र के मूल वासियों का किसी अन्य बहुगोलिक क्षेत्र में प्रवास करना (विकीर्ण होना)। किन्तु डायसपोरा का विशेष अर्थ ऐतिहासिक अनैच्छिक प्रकृति के बड़े पैमाने वाले विकीर्ण, जैसे जुडा से यहूदियों का निष्कासन। .

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व्याख्याप्रज्ञप्ति

व्याख्याप्रज्ञप्ति (प्राकृत में: 'विहायापण्णति' या 'विवाहापण्णति'; "Exposition of Explanations") पाँचवाँ जैन आगम है जिसे भगवतीसूत्र भी कहते हैं। कुल १२ जैन आगम हैं जो महावीर स्वामी द्वारा प्रख्यापित माने जाते हैं। व्याख्याप्रज्ञप्ति की रचना सुधर्मस्वामी द्वारा प्राकृत में की गयी है। यह सभी आगमों में बससे बड़ा ग्रन्थ है। कहते हैं कि इसमें ६० हजार प्रश्नों का संग्रह था जिनका उत्तर महावीर स्वामी ने दिया था। .

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व्यौहार राजेन्द्र सिंह

व्यौहार राजेन्द्र सिंह व्यौहार राजेन्द्र सिंह (14 सितम्बर 1900 - 02 मार्च 1988 जबलपुर) हिन्दी साहित्यकार थे जिन्होने हिन्दी को भारत की राजभाषा बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया। संस्कृत, बांग्ला, मराठी, गुजराती, मलयालम, उर्दू, अंग्रेज़ी आदि पर उनका अच्छा अधिकार था। व्यौहार राजेन्द्र सिंह ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए संर्घष किया। उनके 50 वें जन्मदिन के दिन ही, अर्थात 14 सितम्बर 1949 को, हिन्दी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया। व्यौहार राजेन्द्र सिंह का जन्म जबलपुर में हुआ था। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित करवाने के लिए काका कालेलकर, मैथिलीशरण गुप्त, हजारीप्रसाद द्विवेदी, महादेवी वर्मा, सेठ गोविन्ददास आदि साहित्यकारों को साथ लेकर राजेन्द्र सिंह जी ने काफी प्रयास किए। इसके चलते उन्होंने दक्षिण भारत की कई यात्राएं भी कीं। व्यौहार राजेन्द्र सिंह हिंदी साहित्य सम्मलेन के अध्यक्ष रहे। उन्होंने अमेरिका में आयोजित विश्व सर्वधर्म सम्मलेन में भारत का प्रतिनिधित्व किया जहां उन्होंने सर्वधर्म सभा में हिन्दी में ही भाषण दिया जिसकी जमकर तारीफ हुई। व्यौहार राजेन्द्र सिंह जी प्रादेशिक चित्रगुप्त महासभा के प्रांतीय अध्यक्ष तथा अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे। जबलपुर के साठिया कुआं क्षेत्र में स्थित उनकी बखरी (विशाल निवास स्थान) में महात्मा गाँधी जबलपुर यात्रा के समय ठहरे थे। उसका नामकरण 'गांधी मंदिर' कर दिया था। उनके निवास पर दुर्लभ पांडुलिपियों, पुस्तकों और पत्रों आदि का अनमोल संग्रह था। अपपनी सादगी, अपनत्व व्यवहार के कारण उन्हें 'कक्का जू' का स्नेहपूर्ण संबोधन प्राप्त था। उनका निधन स्थानीय शासकीय विक्टोरिया जिला अस्पताल (अब सेठ गोविन्ददास जिला चिकित्सालय) में सामान्य जन की तरह हुआ। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर में म. गाँधी पीठ की स्थापन हेतु उन्होंने अथक प्रयास किये थे। तत्कालीन साहित्यिक, राजनैतिक, सामाजिक जीवन में उनका अवदान तथा अपने समकालिक महत्वपूर्ण व्यक्तियों से उनके सम्बन्ध अपनी मिसाल आप थे। .

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वेणीवदर (अमरेली)

वेणीवदर (વેણીવદર.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। वेणीवदर गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकल कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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वेरावल

वेरावल का बीच वेरावल (गुजराती:વેરાવળ) गीर-सोमनाथ जिले का एक शहर है। यह गुजरात में स्थित है। यह शहर प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर से मात्र ६ कि॰मी॰ की दूरी पर है। Veraval Beach .

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वॉइस ऑफ़ इंडिया

वॉइस ऑफ़ इंडिया भारत के नोएडा शहर से प्रसारित होने वाले एक टेलीविज़न समाचार चैनल समूह का नाम है। वीओआई के नाम से लोकप्रिय इस चैनल को त्रिवेणी मीडिया लिमिटेड चलाता है। वॉइस ऑफ़ इंडिया के वर्तमान में हिन्दी भाषा के राष्ट्रीय, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के लिए न्यूज़ चैनल हैं, जिनमें लोकप्रियता के आधार पर वी ओ आई राजस्थान और मध्यप्रदेश/छत्तीसगढ़ पहले नम्बर पर हैं। वॉइस ऑफ़ इंडिया ने जुलाई २००८ में राष्ट्रीय हिन्दी न्यूज़ चैनल की शुरूआत की है और वॉइस ऑफ़ इंडिया मध्यप्रदेश/छत्तीसगढ़ और राजस्थान की सितम्बर २००८ में। भविष्य में वॉइस ऑफ़ इंडिया उत्तर प्रदेश/उत्तराखंड, गुजराती, बांग्ला और मिलेनायर नाम से लाइफ़ स्टाइल चैनल भी ला रहा है। त्रिवेणी मीडिया लिमिटेड के प्रमुख मधुर मित्तल और सुमित मित्तल हैं जो मूल रूप से राजस्थान के धौलपुर के रहने वाले हैं। वी ओ आई समूह के सम्पादक रविशंकर हैं, सह समूह सम्पादक राजेश बादल हैं। मुकेश कुमार और अम्मार ख़ालिद अल्वी त्रिवेणी मीडिया लिमिटेड में सहायक प्रबंध सम्पादक हैं। .

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वी. आर. त्रिवेदी

वी.

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वीनेश अंताणी

वीनेश अंताणी गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास धूँधभरी खींण के लिये उन्हें सन् 2000 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय

वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय गुजरात के सूरत नगर में स्थित एक सार्वजनिक विश्वविद्यालय है। पहले इसका नाम 'दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय' था जिसे २००४ में गुजराती के महान कवि नर्मद के नाम पर रखा गया। इसकी स्थापना १९६७ में हुई थी। श्रेणी:भारत के विश्वविद्यालय.

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खडखंभालीया (अमरेली)

खडखंभालीया(ખડખંભાળીયા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। खडखंभालीया गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मुहफली, तल, अनाज, कठोल, सब्जी इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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खारां ज़रण

खारां ज़रण गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार चिनु मोदी द्वारा रचित एक कविता-संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2013 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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खारी खीजडीया (अमरेली)

खारी खीजडीया (ખારી ખીજડીયા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। खारी खीजडीया गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मुहफली, तल, अनाज, कठोल, सब्जी इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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खिचा (धारी)

खिचा (ખીચા.) भारत देश में गुजरात राज्य के सौराष्ट्र एवं काठियावाड़ प्रान्त में अमरेली ज़िले के ११ तहसील में से एक धारी तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। खिचा गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूंगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादि की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नज़दीकी शहर अमरेली है। यहाँ पे शेर, तेंदुआ जैसे हिंसक वन्य प्राणी भी पाए जाते हैं। .

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खंभात

खंभात नगर, (गुजराती:ખંભાત) पूर्व-मध्य गुजरात के आनन्द जिले की एक नगरपालिका है। यह खंभात की खाड़ी के उत्तर में, माही नदी के मुहाने पर स्थित एक प्राचीन नगर है। टॉलमी नामक विद्वान ने भी इसका उल्लेख किया है। प्रथम शती में यह महत्वपूर्ण सागर पत्तन था। १५वीं शताब्दी में खंभात पश्चिमी भारत के हिंदू राजा की राजधानी था। जेनरल गेडार्ड ने १७०० ई. में इस नगर को अधिकृत कर लिया था, किंतु १७८३ ई. में यह पुन: मराठों को लौटा दिया गया। १८०३ ई. के बाद से यह अंग्रेजी राज्य के अंतर्गत रहा। नगर के दक्षिण-पूर्व में प्राचीन जैन मंदिर के भग्नावशेष विस्तृत प्रदेश में मिलते हैं। प्राचीन काल में रेशम, सोने का समान और छींट यहाँ के प्रमुख व्यापार थे। कपास प्रधान निर्यात थी। किन्तु नदियों के निक्षेपण से पत्तन पर पानी छिछला होता गया और अब यह जलयानों के रुकने योग्य नहीं रहा। फलत: निकटवर्ती नगरों का व्यापारिक महत्व खंभात की अपेक्षा अधिक बढ़ गया और अब यह एक नगर मात्र रह गया है। .

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खंभालिया (धारी)

खंभालिया (ખંભાળિયા.) भारत देश में गुजरात राज्य के सौराष्ट्र एवं काठियावाड़ प्रान्त में अमरेली ज़िले के ११ तहसील में से एक धारी तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। खंभालिया गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूंगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादि की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नज़दीकी शहर अमरेली है। यहाँ पे शेर, तेंदुआ जैसे हिंसक वन्य प्राणी भी पाए जाते हैं। .

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खेजड़ी

खेजड़ी या शमी एक वृक्ष है जो थार के मरुस्थल एवं अन्य स्थानों में पाया जाता है। यह वहां के लोगों के लिए बहुत उपयोगी है। इसके अन्य नामों में घफ़ (संयुक्त अरब अमीरात), खेजड़ी, जांट/जांटी, सांगरी (राजस्थान), जंड (पंजाबी), कांडी (सिंध), वण्णि (तमिल), शमी, सुमरी (गुजराती) आते हैं। इसका व्यापारिक नाम कांडी है। यह वृक्ष विभिन्न देशों में पाया जाता है जहाँ इसके अलग अलग नाम हैं। अंग्रेजी में यह प्रोसोपिस सिनेरेरिया नाम से जाना जाता है। खेजड़ी का वृक्ष जेठ के महीने में भी हरा रहता है। ऐसी गर्मी में जब रेगिस्तान में जानवरों के लिए धूप से बचने का कोई सहारा नहीं होता तब यह पेड़ छाया देता है। जब खाने को कुछ नहीं होता है तब यह चारा देता है, जो लूंग कहलाता है। इसका फूल मींझर कहलाता है। इसका फल सांगरी कहलाता है, जिसकी सब्जी बनाई जाती है। यह फल सूखने पर खोखा कहलाता है जो सूखा मेवा है। इसकी लकड़ी मजबूत होती है जो किसान के लिए जलाने और फर्नीचर बनाने के काम आती है। इसकी जड़ से हल बनता है। अकाल के समय रेगिस्तान के आदमी और जानवरों का यही एक मात्र सहारा है। सन १८९९ में दुर्भिक्ष अकाल पड़ा था जिसको छपनिया अकाल कहते हैं, उस समय रेगिस्तान के लोग इस पेड़ के तनों के छिलके खाकर जिन्दा रहे थे। इस पेड़ के नीचे अनाज की पैदावार ज्यादा होती है। .

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खीसरी (धारी)

खीसरी (ખીસરી.) भारत देश में गुजरात राज्य के सौराष्ट्र एवं काठियावाड़ प्रान्त में अमरेली ज़िले के ११ तहसील में से एक धारी तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। खीसरी गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूंगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादि की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नज़दीकी शहर अमरेली है। यहाँ पे शेर, तेंदुआ जैसे हिंसक वन्य प्राणी भी पाए जाते हैं। .

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खीजडीया रादडीया (अमरेली)

खीजडीया रादडीया (ખીજડીયા રાદડીયા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। खीजडीया रादडीया गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मुहफली, तल, अनाज, कठोल, सब्जी इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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गढ़ीया चावंड (धारी)

गढ़ीया चावंड (ગઢીયા ચાવંડ.) भारत देश में गुजरात राज्य के सौराष्ट्र एवं काठियावाड़ प्रान्त में अमरेली ज़िले के ११ तहसील में से एक धारी तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। गढ़ीया चावंड गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूंगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादि की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नज़दीकी शहर अमरेली है। यहाँ पे शेर, तेंदुआ जैसे हिंसक वन्य प्राणी भी पाए जाते हैं। .

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गढ़ीया(धारी)

गढ़ीया (ગઢીયા.) भारत देश में गुजरात राज्य के सौराष्ट्र एवं काठियावाड़ प्रान्त में अमरेली ज़िले के ११ तहसील में से एक धारी तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। गढ़ीया गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूंगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादि की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नज़दीकी शहर अमरेली है। यहाँ पे शेर, तेंदुआ जैसे हिंसक वन्य प्राणी भी पाए जाते हैं। .

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गणेश नारायणदास देवी

आदिवासी संग्रहालय तेजगढ़ में प्रदर्शित कुछ कलात्मक वस्तुएँ जनजातीय अकादमी संग्रहालय में प्रदर्शित जनजातीय हस्तशिल्प गणेश नारायणदास देवी (जन्म:१९५०) प्रसिद्ध साहित्यिक आलोचक एवं भाषा अनुसन्धान एवं प्रकाशन केन्द्र, वडोदरा के संस्थापक निदेशक हैं। वे पहले सयाजीराव गायकवाड़ विश्वविद्यालय, वडोदरा के अंग्रेजी के प्राध्यापक थे। डॉ॰ गणेश और उनकी पत्नी सुरेखा देवी 'भाषा' नामक गैर राजनीतिक ट्रस्ट संचालित करते हैं, जो गुजरात के जनजातीय क्षेत्रों में विशेष रूप से सक्रिय हैं। डॉ॰ गणेश का प्रबल दावा है कि भारत से 'लोक' की जुबान काटने की सुनियोजित साजिश रची जा रही है। 'भाषा' इसी के विरूद्ध एक अभियान है। भारत की लुप्त होती भाषाओं पर व्यापक सर्वेक्षण, संवर्धन और संरक्षण तथा दस्तावेजीकरण करने का उन्होंने स्वेच्छा से बीड़ा उठाया है। इसी सर्वेक्षण के माध्यम से उनका कहना है कि हिन्दी आम धारणा को तोड़ती हुई तेजी से आगे बढ़ रही है। २०१० उनके नेतृत्व में पीपल्स लिंग्विटिक सर्वे ऑफ इण्डिया ने भारत की ७८० जीवित भाषाओं का सर्वेक्षण प्रकाशित किया। श्री गणेश देवी को साहि‍त्‍य एवं शि‍क्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए 2014 में भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया। .

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गणेशप्रसाद वर्णी

Kshullak Ganeshprasad Varni (हिन्दी:पूज्य 105 श्री गणेश प्रसाद वर्णी, गुजराती: શ્રી ૧૦૫ ક્ષુલ્લક ગણેશપ્રસાદ વર્ણી कन्नडमें:ಶ್ರೀ ೧೦೫ ಕ್ಷುಲ್ಲಕ ಗಣೆಶಪ್ರಸಾದ ವರ್ಣೀ) (1874 – 5 दिसंबर 1961) में से एक था मूलभूत आंकड़े आधुनिक भारतीय Digambara बौद्धिक परंपरा 20 वीं सदी के दौरान.

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गमभन

गमभन (Gamabhana) श्री ओंकार जोशी कृत ध्वन्यात्मक लिप्यंतरण (Phonetic transliteration) पर आधारित संपादित्र है जो अनेक भारतीय भाषाओं ले लिये उपयोगी है। .

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गरमली (धारी)

गरमली (ગરમલી.) भारत देश में गुजरात राज्य के सौराष्ट्र एवं काठियावाड़ प्रान्त में अमरेली ज़िले के ११ तहसील में से एक धारी तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। गरमली गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूंगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादि की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नज़दीकी शहर अमरेली है। यहाँ पे शेर, तेंदुआ जैसे हिंसक वन्य प्राणी भी पाए जाते हैं। .

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गावडका (अमरेली)

गावडका (ગાવડકા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। गावडका गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मुहफली, तल, अनाज, कठोल, सब्जी इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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गिजुभाई बधेका

गिजुभाई बधेका गिजुभाई बधेका गिजुभाई बधेका (15 नवम्बर 1885 - 23 जून 1939)) गुजराती भाषा के लेखक और महान शिक्षाशास्त्री थे। उनका पूरा नाम गिरिजाशंकर भगवानजी बधेका था। अपने प्रयोगों और अनुभव के आधार पर उन्होंने निश्चय किया था कि बच्चों के सही विकास के लिए, उन्हें देश का उत्तम नागरिक बनाने के लिए, किस प्रकार की शिक्षा देनी चाहिए और किस ढंग से। इसी ध्येय को सामने रखकर उन्होंने बहुत-सी बालोपयोगी कहानियां लिखीं। ये कहानियां गुजराती दस पुस्तकों में प्रकाशित हुई हैं। इन्हीं कहानियां का हिन्दी अनुवाद सस्ता साहित्य मण्डल, नई दिल्ली ने पांच पुस्तकों में प्रकाशित किया है। बच्चे इन कहानियों को चाव से पढ़ें, उन्हें पढ़ते या सुनते समय, उनमें लीन हो जाएं, इस बात का उन्होंने पूरा ध्यान रखा। संभव- असंभव, स्वाभाविक-अस्वाभाविक, इसकी चिन्ता उन्होंने नहीं की। यही कारण है कि इन कहानियों की बहुत-सी बातें अनहोनी-सी लगती हैं, पर बच्चों के लिए तो कहानियों में रस प्रधान होता है, कुतूहल महत्व रखता है और ये दोनों ही चीजें इन कहानियों में भरपूर हैं। .

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गजल संहिता

गजल संहिता गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार राजेन्द्र शुक्ल द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2007 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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गजानन त्र्यंबक माडखोलकर

गजानन त्र्यंबक माडखोलकर (28 दिसम्बर, 1900 - 27 नवम्बर, 1976)), मराठी उपन्यासकार, आलोचक तथा पत्रकार थे। .

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गुजरात

गुजरात (गुजराती:ગુજરાત)() पश्चिमी भारत में स्थित एक राज्य है। इसकी उत्तरी-पश्चिमी सीमा जो अन्तर्राष्ट्रीय सीमा भी है, पाकिस्तान से लगी है। राजस्थान और मध्य प्रदेश इसके क्रमशः उत्तर एवं उत्तर-पूर्व में स्थित राज्य हैं। महाराष्ट्र इसके दक्षिण में है। अरब सागर इसकी पश्चिमी-दक्षिणी सीमा बनाता है। इसकी दक्षिणी सीमा पर दादर एवं नगर-हवेली हैं। इस राज्य की राजधानी गांधीनगर है। गांधीनगर, राज्य के प्रमुख व्यवसायिक केन्द्र अहमदाबाद के समीप स्थित है। गुजरात का क्षेत्रफल १,९६,०७७ किलोमीटर है। गुजरात, भारत का अत्यंत महत्वपूर्ण राज्य है। कच्छ, सौराष्ट्र, काठियावाड, हालार, पांचाल, गोहिलवाड, झालावाड और गुजरात उसके प्रादेशिक सांस्कृतिक अंग हैं। इनकी लोक संस्कृति और साहित्य का अनुबन्ध राजस्थान, सिंध और पंजाब, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के साथ है। विशाल सागर तट वाले इस राज्य में इतिहास युग के आरम्भ होने से पूर्व ही अनेक विदेशी जातियाँ थल और समुद्र मार्ग से आकर स्थायी रूप से बसी हुई हैं। इसके उपरांत गुजरात में अट्ठाइस आदिवासी जातियां हैं। जन-समाज के ऐसे वैविध्य के कारण इस प्रदेश को भाँति-भाँति की लोक संस्कृतियों का लाभ मिला है। .

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गुजरात समाचार

गुजरात समाचार गुजरात का एक प्रमुख गुजराती दैनिक समाचार पत्र है| इसका मुख्य कार्यालय अहमदाबाद में है और इसकी एक शाखा सूरत में भी है| इस समाचार पत्र के संस्करण गुजरात के सभी मुख्य शहरों (अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत, राजकोट, भावनगर) के अलावा मुंबई एवं न्यू यार्क से प्रकाशित होतें हैं| .

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गुजराती चिट्ठाजगत

गुजराती चिट्ठाजगत से आशय है गुजराती भाषी चिट्ठों का ऑनलाइन समुदाय जो कि बृहतर भारतीय चिट्ठाजगत का एक भाग है। .

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गुजराती भाषानूं ध्वनि स्वरूप अने ध्वनि परिवर्तन

गुजराती भाषानूं ध्वनि स्वरूप अने ध्वनि परिवर्तन गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार पी. बी. पंडित द्वारा रचित एक भाषाशास्त्रीय अध्ययन है जिसके लिये उन्हें सन् 1967 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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गुजराती लिपि

गुजराती लिपि वो लिपि है जिसमें गुजराती और कच्छी भाषाएं लिखी जाती है। .

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गुजराती साहित्य

गुजराती भाषा आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं में से एक है और इसका विकास शौरसेनी प्राकृत के परवर्ती रूप 'नागर अपभ्रंश' से हुआ है। गुजराती भाषा का क्षेत्र गुजरात, सौराष्ट्र और कच्छ के अतिरिक्त महाराष्ट्र का सीमावर्ती प्रदेश तथा राजस्थान का दक्षिण पश्चिमी भाग भी है। सौराष्ट्री तथा कच्छी इसकी अन्य प्रमुख बोलियाँ हैं। हेमचंद्र सूरि ने अपने ग्रंथों में जिस अपभ्रंश का संकेत किया है, उसका परवर्ती रूप 'गुर्जर अपभ्रंश' के नाम से प्रसिद्ध है और इसमें अनेक साहित्यिक कृतियाँ मिलती हैं। इस अपभ्रंश का क्षेत्र मूलत: गुजरात और पश्चिमी राजस्थान था और इस दृष्टि से पश्चिमी राजस्थानी अथवा मारवाड़ी, गुजराती भाषा से घनिष्ठतया संबद्ध है। गुजराती साहित्य में दो युग माने जाते हैं-.

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गुजराती साहित्य पूर्वार्ध–उत्तरार्ध

गुजराती साहित्य पूर्वार्ध–उत्तरार्ध गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार निरंजन एन. भगत द्वारा रचित एक समालोचना है जिसके लिये उन्हें सन् 1999 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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गुजराती साहित्यकार

गुजराती भाषा के प्रथम व्याकरण ग्रंथ की रचना जैन मुनि हेमचंद्राचार्य ने की थी। गुजराती भाषा के प्रथम कवि नरसिंह महेता हैं तथा प्रथम लेखक नर्मद हैं। .

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गुजराती विश्वकोश

गुजराती भाषा में ज्ञानकोश ट्रस्ट गुजराती विश्वकोश गुजराती भाषा का प्रथम तथा एकमात्र विश्वकोश है। इसका प्रकाशन गुजराती विश्वकोश ट्रस्ट द्वारा किया गया है। यह २५ भागों में है तथा १६६ से अधिक विषयों पर २,३०,००० से अधिक लेख हैं। .

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गुजराती विकिपीडिया

गुजराती विकिपीडिया विकिपीडिया का गुजराती अवतरण है। श्रेणी:विकिपीडिया के अवतरण.

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गुगल लिपि परिवर्तक

अंगूठाकार भारत के गुगल लैब ने किसी जालपृष्ठ को आपकी मनपसंद लिपि में पढ़ने की सुविधा प्रदान की है। अब तमिल जालपृष्ठों को रोमन लिपि में परिवर्तित कर पढ़ा जा सकता है। यहां किसी पाठ का अनुवाद नहीं अपितु लिप्यंतरण किया जाता है। यह स्वराधारित प्रक्रिया है। इस परिवर्तक की सबसे महत्त्वपूर्ण उपलब्धि यह है कि अब हम किसी भारतीय भाषा में उपलब्ध सामग्री चाहे वह यूनिकोड रहित हो उसे यूनिकोड में परिवर्तित कर सकते है। इस सुविधा के कारण हम लिप ऑफ़िस, श्री लिपि, शुशा, शिवाजी, कृति देव, आकृति आदि फ़ौंट में किया हुआ काम यूनिकोड में परिवर्तित कर सकते है। यूनिकोड परिवर्तन करना बहुत कष्टसाध्य काम था। याद रखे कि आपके संगणक में यूनिकोड सक्रिय किया गया है। किसी वेबसाइट को देखने के लिए पाठ क्षेत्र (टैक्स्ट एरिया में) यूआरएल टाइप करके आपकी पसंदीदा लिपि को चुन कर उसे परिवर्तित करने के लिए बटन दबाइए। इस परिवर्तक में निम्नलिखित लिपि उपलब्ध है: -.

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गौतम अदाणी

गौतम अदाणी (गुजराती:ગૌતમ અદાણી; जन्म 24 जून 1962) एक भारतीय उद्यमी और स्वयं निर्मित अरबपति है जो अदानी समूह के अध्यक्ष हैं। अदानी समूह कोयला व्यापार, कोयला खनन, तेल एवं गैस खोज, बंदरगाहों, मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक, बिजली उत्पादन एवं पारेषण और गैस वितरण में फैले कारोबार को सम्भालने वाला विश्व स्तर का एकीकृत बुनियादी ढ़ाँचा है। 33 वर्षों के व्यापार अनुभव के के साथ, गौतम अदाणी प्रथम पीढ़ी के उद्यमी हैं जिन्होंने अपेक्षाकृत लघु समय में $8 अरब का पेशेवर कारोबारी साम्राज्य आदानी समूह का नेतृत्व करने वाले एक मामूली पृष्ठभूमि के व्यक्ति हैं। उन्हें व्यापार-परिवहन एवं परिवहन सम्बंधी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए विश्व भर के 100 सबसे प्रभावशाली व्यवसायियों में गिना जाता है। .

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गौरी धर्मपाल

गौरी धर्मपाल (जन्म १९३१) भारत की एक कवयित्री, संस्कृत विदुषी, तथा लेडी ब्रेबान महाविद्यालय की भूतपूर्व संस्कृत विभागाध्यक्षा हैं। २०१० में भारत के राष्ट्रपति से उन्हें प्रशस्ति पत्र प्राप्त हुआ। .

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गूलर

गूलर के फल के अन्दर का दृष्य गूलर (Ficus racemosa) फिकस कुल (Ficus) का एक विशाल वृक्ष है। इसे संस्कृत में उडुम्बर, बांग्ला में डुमुर, मराठी में उदुम्बर, गुजराती में उम्बरा, अरबी में जमीझ, फारसी में अंजीरे आदम कहते हैं। इस पर फूल नहीं आते। इसकी शाखाओं में से फल उत्पन्न होते हैं। फल गोल-गोल अंजीर की तरह होते हैं और इसमें से सफेद-सफेद दूध निकलता है। इसके पत्ते लभेड़े के पत्तों जैसे होते हैं। नदी के उदुम्बर के पत्ते और फूल गूलर के पत्तों-फल से छोटे होते हैं। गूलर, २ प्रकार का होता है- नदी उदुम्बर और कठूमर। कठूमर के पत्ते गूलर के पत्तों से बडे होते हैं। इसके पत्तों को छूने से हाथों में खुजली होने लगती है और पत्तों में से दूध निकलता है। .

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गूगल खोज

गूगल खोज या गूगल वेब खोज वेब पर खोज का एक इंजन है, जिसका स्वामित्व गूगल इंक के पास है और यह वेब पर सबसे ज्यादा उपयोग किया जाने वाला खोज इंजन है। अपनी विभिन्न सेवाओं के जरिये गूगल प्रति दिन कई सौ लाख विभिन्न प्रश्न प्राप्त करता है। गूगल खोज का मुख्य उद्देश्य अन्य सामग्रियों, जैसे गूगल चित्र खोज के मुकाबले वेबपृष्ठों से सामग्री की खोज करना है। मूलतः गूगल खोज का विकास 1997 में लैरी पेज और सेर्गेई ब्रिन ने किया। गूगल खोज मूल शब्द खोज क्षमता से परे कम से कम 22 विशेष सुविधाएं प्रदान करता है। इनमें समानार्थी शब्द, मौसम पूर्वानुमान, समय क्षेत्र, स्टॉक उद्धरण, मानचित्र, भूकंप डेटा, मूवी शोटाइम, हवाई अड्डा, होम लिस्टिंग और खेल स्कोर शामिल है। (नीचे देखें: विशेष सुविधाएं).

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गूगल अनुवाद

गूगल अनुवाद या गूगल ट्रान्स्लेट (Google Translate) एक अनुवादक साफ्टवेयर एवं सेवा है जो एक भाषा के टेक्स्ट या वेबपेज को दूसरी भाषा में अनुवाद करता है। यह गूगल नामक कंपनी द्वारा विकसित एवं परिचालित है। इसके लिये गूगल अपना स्वयं का अनुवादक सॉफ्टवेयर प्रयोग करता है जो सांख्यिकीय मशीनी अनुवाद है। जनवरी 2016 की स्थिति के अनुसार, गूगल अनुवाद विभिन्न स्तरों पर 90 भाषाओं का समर्थन करता है और प्रतिदिन 20 करोड़ लोगों को अनुवाद प्रदान करता है। .

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गोपालग्राम (धारी)

गोपालग्राम (ગોપાલગ્રામ.) भारत देश में गुजरात राज्य के सौराष्ट्र एवं काठियावाड़ प्रान्त में अमरेली ज़िले के ११ तहसील में से एक धारी तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। गोपालग्राम गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूंगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादि की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नज़दीकी शहर अमरेली है। यहाँ पे शेर, तेंदुआ जैसे हिंसक वन्य प्राणी भी पाए जाते हैं। .

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गोजरी भाषा

गोजरी या गूजरी एक हिन्द-आर्य भाषा है जो उत्तर भारत व पाकिस्तान में गुर्जर समुदाय के कई सदस्यों द्वारा बोली जाती है। भारत में यह भाषा राजस्थान,हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू व कश्मीर, उत्तराखण्ड और पंजाब राज्यों में बोली जाती है। पाकिस्तान में यह पाक-अधिकृत कश्मीर और पंजाब (पाकिस्तान) में बोली जाती है। इस भाषा का मूल ढांचा और गहरी शब्दावली दोनों राजस्थानी भाषा की है लेकिन स्थानानुसार इसमें कई पंजाबी, डोगरी, कश्मीरी, गुजराती, हिन्दको और पश्तो प्रभाव देखे जाते हैं। जम्मू-कश्मीर राज्य में इसे आधिकारिक दर्जा प्राप्त है। .

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गोविंदपुर (धारी)

गोविंदपुर (ગોવિંદપુર.) भारत देश में गुजरात राज्य के सौराष्ट्र एवं काठियावाड़ प्रान्त में अमरेली ज़िले के ११ तहसील में से एक धारी तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। गोविंदपुर गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूंगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादि की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नज़दीकी शहर अमरेली है। यहाँ पे शेर, तेंदुआ जैसे हिंसक वन्य प्राणी भी पाए जाते हैं। .

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गीरीया (अमरेली)

गीरीया (ગીરીયા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। गीरीया गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मुहफली, तल, अनाज, कठोल, सब्जी इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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गीगासण (धारी)

गीगासण (ગીગાસણ.) भारत देश में गुजरात राज्य के सौराष्ट्र एवं काठियावाड़ प्रान्त में अमरेली ज़िले के ११ तहसील में से एक धारी तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। गीगासण गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूंगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादि की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नज़दीकी शहर अमरेली है। यहाँ पे शेर, तेंदुआ जैसे हिंसक वन्य प्राणी भी पाए जाते हैं। .

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ऑस्कर के लिए भारत की आधिकारिक प्रविष्टियों की सूची

ऑस्कर पुरस्कार के लिए विदेशी भाषा में बनी चलचित्र वर्ग में भारत की ओर से प्रविष्टित चलचित्रों की सूची। भारत १९५७ से इसमें नामांकित करता आ रहा है। .

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आचार्य रामचंद्र वर्मा

आचार्य रामचंद्र वर्मा (1890-1969 ई.) हिन्दी के साहित्यकार एवं कोशकार रहे हैं। हिन्दी शब्दसागर के सम्पादकमण्डल के प्रमुख सदस्य थे। आपने आचार्य किशोरीदास वाजपेयी के साथ मिलकर 'अच्छी हिन्दी' का आन्दोलन चलाया। आपके समय में हिन्दी का मानकीकरण हुआ। .

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आटानो सूरज

आटानो सूरज गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार रतिलाल अनिल द्वारा रचित एक निबंध–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2006 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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आठवीं अनुसूची

भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची भारत की भाषाओं से संबंधित है। इस अनुसूची में २२ भारतीय भाषाओं को शामिल किया गया है। इनमें से १४ भाषाओं को संविधान में शामिल किया गया था। सन १९६७ में, सिन्धी भाषा को अनुसूची में जोड़ा गया। इसके बाद, कोंकणी भाषा, मणिपुरी भाषा, और नेपाली भाषा को १९९२ में जोड़ा गया। हाल में २००४ में बोड़ो भाषा, डोगरी भाषा, मैथिली भाषा, और संथाली भाषा शामिल किए गए। .

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आदरसूचक

आदरसूचक (honorific) ऐसा शब्द या वाक्यांश होता है जो किसी के लिए प्रयोग करने से उसके लिए इज़्ज़त या सम्मान की भावना प्रकट करता है। हिन्दी, उर्दू, पंजाबी और अन्य हिन्द-आर्य भाषाओं के 'जी' ('मौलवी जी'), 'साहब' ('डॉक्टर साहब') और 'जान' ('भाई जान') शब्द इसके उदाहरण हैं। कभी-कभी यह शब्द सम्मानित वस्तुओं के लिए भी प्रयोग होते हैं, मसलन सिख सांगत को सामूहिक रूप से 'ख़ालसा जी' और लंका के देश को 'श्रीलंका' कहा जाता है। कुछ आदरसूचक पूरे नाम के स्थान पर प्रयोग किये जाते हैं। उदाहरण के लिए 'हाँ, शुक्ल जी' के स्थान पर 'जी हाँ, साहब' या केवल 'जी, साहब' या 'हाँ जी' कहा जा सकता है।, Pingali Sailaja, pp.

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आदिपुर

आदिपुर, गुजरात के कच्छ जिले का एक कस्बा है। यह गांधीधाम से ५ किमी दूरी पर स्थित है। श्रेणी:गुजरात के नगर.

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आदिल मन्सूरी

आदिल मन्सूरी (18 मई 1936 - 6 नवंबर, 2008) एक प्रसिद्ध कवि, नाटककार, और सुलेखक था। उन्होंने  कई भाषाओं, अर्थात्, गुजराती, हिन्दी और उर्दू में लिखा। .

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आन्ध्र प्रदेश

आन्ध्र प्रदेश ఆంధ్ర ప్రదేశ్(अनुवाद: आन्ध्र का प्रांत), संक्षिप्त आं.प्र., भारत के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित राज्य है। क्षेत्र के अनुसार यह भारत का चौथा सबसे बड़ा और जनसंख्या की दृष्टि से आठवां सबसे बड़ा राज्य है। इसकी राजधानी और सबसे बड़ा शहर हैदराबाद है। भारत के सभी राज्यों में सबसे लंबा समुद्र तट गुजरात में (1600 कि॰मी॰) होते हुए, दूसरे स्थान पर इस राज्य का समुद्र तट (972 कि॰मी॰) है। हैदराबाद केवल दस साल के लिये राजधानी रहेगी, तब तक अमरावती शहर को राजधानी का रूप दे दिया जायेगा। आन्ध्र प्रदेश 12°41' तथा 22°उ॰ अक्षांश और 77° तथा 84°40'पू॰ देशांतर रेखांश के बीच है और उत्तर में महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा, पूर्व में बंगाल की खाड़ी, दक्षिण में तमिल नाडु और पश्चिम में कर्नाटक से घिरा हुआ है। ऐतिहासिक रूप से आन्ध्र प्रदेश को "भारत का धान का कटोरा" कहा जाता है। यहाँ की फसल का 77% से ज़्यादा हिस्सा चावल है। इस राज्य में दो प्रमुख नदियाँ, गोदावरी और कृष्णा बहती हैं। पुदु्चेरी (पांडीचेरी) राज्य के यानम जिले का छोटा अंतःक्षेत्र (12 वर्ग मील (30 वर्ग कि॰मी॰)) इस राज्य के उत्तरी-पूर्व में स्थित गोदावरी डेल्टा में है। ऐतिहासिक दृष्टि से राज्य में शामिल क्षेत्र आन्ध्रपथ, आन्ध्रदेस, आन्ध्रवाणी और आन्ध्र विषय के रूप में जाना जाता था। आन्ध्र राज्य से आन्ध्र प्रदेश का गठन 1 नवम्बर 1956 को किया गया। फरवरी 2014 को भारतीय संसद ने अलग तेलंगाना राज्य को मंजूरी दे दी। तेलंगाना राज्य में दस जिले तथा शेष आन्ध्र प्रदेश (सीमांन्ध्र) में 13 जिले होंगे। दस साल तक हैदराबाद दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी होगी। नया राज्य सीमांन्ध्र दो-तीन महीने में अस्तित्व में आजाएगा अब लोकसभा/राज्यसभा का 25/12सिट आन्ध्र में और लोकसभा/राज्यसभा17/8 सिट तेलंगाना में होगा। इसी माह आन्ध्र प्रदेश में राष्ट्रपति शासन भी लागू हो गया जो कि राज्य के बटवारे तक लागू रहेगा। .

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आबिद सुरती

एक हिन्दी-गुजराती साहित्यकार और कार्टून पात्र ढब्बू जी के सर्जकहैं.

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आयशा टाकिया

आयशा टाकिया आज़मी, (जन्म: १० जनवरी १९८६) एक भारतीय फ़िल्म अभिनेत्री है जो मुख्यतः हिन्दी फ़िल्मों में कार्यरत है। उन्होंने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत टार्ज़न द वण्डर कार (२००४) नामक फ़िल्म से की जिसके लिए उन्हें फ़िल्मफ़ेयर महिला प्रथम अभिनय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। फ़िल्म डोर (२००६) में युवा विधवा के पात्र के लिए उन्हें काफी सराहा गया। उन्हें अधिक कामयाबी वांटेड (२००९) के कारण मिली जो व्यावसायिक दृष्टि से उनकी अब तक की सर्वाधिक सफल फ़िल्म है। .

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आर्य समाज

आर्य समाज एक हिन्दू सुधार आंदोलन है जिसकी स्थापना स्वामी दयानन्द सरस्वती ने १८७५ में बंबई में मथुरा के स्वामी विरजानंद की प्रेरणा से की थी। यह आंदोलन पाश्चात्य प्रभावों की प्रतिक्रिया स्वरूप हिंदू धर्म में सुधार के लिए प्रारंभ हुआ था। आर्य समाज में शुद्ध वैदिक परम्परा में विश्वास करते थे तथा मूर्ति पूजा, अवतारवाद, बलि, झूठे कर्मकाण्ड व अंधविश्वासों को अस्वीकार करते थे। इसमें छुआछूत व जातिगत भेदभाव का विरोध किया तथा स्त्रियों व शूद्रों को भी यज्ञोपवीत धारण करने व वेद पढ़ने का अधिकार दिया था। स्वामी दयानन्द सरस्वती द्वारा रचित सत्यार्थ प्रकाश नामक ग्रन्थ आर्य समाज का मूल ग्रन्थ है। आर्य समाज का आदर्श वाक्य है: कृण्वन्तो विश्वमार्यम्, जिसका अर्थ है - विश्व को आर्य बनाते चलो। प्रसिद्ध आर्य समाजी जनों में स्वामी दयानन्द सरस्वती, स्वामी श्रद्धानन्द, महात्मा हंसराज, लाला लाजपत राय, भाई परमानन्द, पंडित गुरुदत्त, स्वामी आनन्दबोध सरस्वती, स्वामी अछूतानन्द, चौधरी चरण सिंह, पंडित वन्देमातरम रामचन्द्र राव, बाबा रामदेव आदि आते हैं। .

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आशा भोंसले

आशा भोंसले (जन्म: 8 सितम्बर 1933) हिन्दी फ़िल्मों की मशहूर पार्श्वगायिका हैं। लता मंगेशकर की छोटी बहन और दीनानाथ मंगेशकर की पुत्री आशा ने फिल्मी और गैर फिल्मी लगभग 16 हजार गाने गाये हैं और इनकी आवाज़ के प्रशंसक पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। हिंदी के अलावा उन्होंने मराठी, बंगाली, गुजराती, पंजाबी, भोजपुरी, तमिल, मलयालम, अंग्रेजी और रूसी भाषा के भी अनेक गीत गाए हैं। आशा भोंसले ने अपना पहला गीत वर्ष 1948 में सावन आया फिल्म चुनरिया में गाया। आशा की विशेषता है कि इन्होंने शास्त्रीय संगीत, गजल और पॉप संगीत हर क्षेत्र में अपनी आवाज़ का जादू बिखेरा है और एक समान सफलता पाई है। उन्होने आर॰ डी॰ बर्मन से शादी की थी। .

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आईएसओ १५९१९

आईएसओ १५९१९ आईएसओ १५९१९ (ISO 15 919) भारतीय लिपियों के लैटिन लिपि में लिप्यन्तरण का एक आईएसओ मानक है। यह मानक लिप्यन्तरण बहुत सीमा तक आईएएसटी पर आधारित है (किन्तु कुछ अन्तर भी हैं) किन्तु यह उन ध्वनियों को भी समाहित किये हुए है जो संस्कृत में नहीं हैं। यद्यपि म्यांमार लिपि, तिब्बती लिपि, खमेर लिपि, थाई लिपि और लाओ लिपि भी अन्य भारतीय लिपियों की भांति ब्राह्मी लिपि से ही उत्पन्न हैं तथापि यह मानक इन लिपियों पर लागू नहीं होता। .

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आगंतुक

आगंतुक गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार धीरूबेन पटेल द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2001 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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आंबरडी (धारी)

आंबरडी (આંબરડી.) भारत देश में गुजरात राज्य के सौराष्ट्र एवं काठियावाड़ प्रान्त में अमरेली ज़िले के ११ तहसील में से एक धारी तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। आंबरडी गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूंगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादि की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नज़दीकी शहर अमरेली है। यहाँ पे शेर, तेंदुआ जैसे हिंसक वन्य प्राणी भी पाए जाते हैं। .

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आंगळियात

आंगळियात गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार जोसेफ़ मेकवान द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1989 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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इन्दौर

इन्दौर (अंग्रेजी:Indore) जनसंख्या की दृष्टि से भारत के मध्य प्रदेश राज्य का सबसे बड़ा शहर है। यह इन्दौर ज़िला और इंदौर संभाग दोनों के मुख्यालय के रूप में कार्य करता है। इंदौर मध्य प्रदेश राज्य की वाणिज्यिक राजधानी भी है। यह राज्य के शिक्षा हब के रूप में माना जाता है। इंदौर भारत का एकमात्र शहर है, जहाँ भारतीय प्रबन्धन संस्थान (IIM इंदौर) व भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT इंदौर) दोनों स्थापित हैं। मालवा पठार के दक्षिणी छोर पर स्थित इंदौर शहर, राज्य की राजधानी से १९० किमी पश्चिम में स्थित है। भारत की जनगणना,२०११ के अनुसार २१६७४४७ की आबादी सिर्फ ५३० वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में वितरित है। यह मध्यप्रदेश में सबसे अधिक घनी आबादी वाले प्रमुख शहर है। यह भारत में के तहत आता है। इंदौर मेट्रोपोलिटन एरिया (शहर व आसपास के इलाके) की आबादी राज्य में २१ लाख लोगों के साथ सबसे बड़ी है। इंदौर अपने स्थापना के इतिहास में १६वीं सदी क डेक्कन (दक्षिण) और दिल्ली के बीच एक व्यापारिक केंद्र के रूप में अपने निशान पाता है। मराठा पेशवा बाजीराव प्रथम के मालवा पर पूर्ण नियंत्रण ग्रहण करने के पश्चात, १८ मई १७२४ को इंदौर मराठा साम्राज्य में सम्मिलित हो गया था। और मल्हारराव होलकर को वहाँ का सुबेदार बनाया गया। जो आगे चल कर होलकर राजवंश की स्थापना की। ब्रिटिश राज के दिनों में, इन्दौर रियासत एक १९ गन सेल्यूट (स्थानीय स्तर पर २१) रियासत था जो की उस समय (एक दुर्लभ उच्च रैंक) थी। अंग्रेजी काल के दौरान में भी यह होलकर राजवंश द्वारा शासित रहा। भारत के स्वतंत्र होने के कुछ समय बाद यह भारत अधिराज्य में विलय कर दिया गया। इंदौर के रूप में सेवा की राजधानी मध्य भारत १९५० से १९५६ तक। इंदौर एक वित्तीय जिले के समान, मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी के रूप में कार्य करता है। और भारत का तीसरा सबसे पुराने शेयर बाजार, मध्यप्रदेश स्टॉक एक्सचेंज इंदौर में स्थित है। यहाँ का अचल संपत्ति (रीयल एस्टेट) बज़ार, मध्य भारत में सबसे महंगा है। यह एक औद्योगिक शहर है। यहाँ लगभग ५,००० से अधिक छोटे-बडे उद्योग हैं। यह सारे मध्य प्रदेश में सबसे अधिक वित्त पैदा करता है। पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में ४०० से अधिक उद्योग हैं और इनमे १०० से अधिक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के उद्योग हैं। पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के प्रमुख उद्योग व्यावसायिक वाहन बनाने वाले व उनसे सम्बन्धित उद्योग हैं। व्यावसायिक क्षेत्र में मध्य प्रदेश की प्रमुख वितरण केन्द्र और व्यापार मंडीयाँ है। यहाँ मालवा क्षेत्र के किसान अपने उत्पादन को बेचने और औद्योगिक वर्ग से मिलने आते है। यहाँ के आस पास की ज़मीन कृषि-उत्पादन के लिये उत्तम है और इंदौर मध्य-भारत का गेहूँ, मूंगफली और सोयाबीन का प्रमुख उत्पादक है। यह शहर, आस-पास के शहरों के लिए प्रमुख खरीददारी का केन्द्र भी है। इन्दौर अपने नमकीनों व खान-पान के लिये भी जाना जाता है। प्र.म. नरेंद्र मोदी के स्मार्ट सिटी मिशन में १०० भारतीय शहरों को चयनित किया गया है जिनमें से इंदौर भी एक स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा। स्मार्ट सिटी मिशन के पहले चरण के अंतर्गत बीस शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जायेगा और इंदौर भी इस प्रथम चरण का हिस्सा है। 'स्वच्छ सर्वेक्षण २०१७' के परिणामों के अनुसार इन्दौर भारत का सबसे स्वच्छ नगर है। .

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इस्की

इस्की या 'सूचना अन्तरविनिमय के लिये भारतीय लिपि संहिता' (Indian Standard Code for Information Interchange (ISCII)) भारत में प्रचलिप्त विभिन्न लिपियों को कंप्यूटर पर (डिजिटल रूप में) निरूपित के लिये निर्मित एक मानक इनकोडिंग है। इसके द्वार समर्थित लिपियाँ हैं - असमिया, बांग्ला, देवनागरी, गुजराती, गुरुमुखी, कन्नड़, मलयालम, ओड़िया, तमिल तथा तेलुगू। .

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इंद्रायन

इंद्रायण की बेल तथा फल इन्द्रायन की बेल एवं अन्य भाग इंद्रायन की बेल मध्य, दक्षिण तथा पश्चिमोत्तर भारत, अरब, पश्चिम एशिया, अफ्रीका के उच्च भागों तथा भूमध्यसागर के देशों में भी पाई जाती है। इसके पत्ते तरबूज के पत्तों के समान, फूल नर और मादा दो प्रकार के तथा फल नांरगी के समान दो इंच से तीन इंच तक व्यास के होते हैं। ये फल कच्ची अवस्था में हरे, पश्चात्‌ पीले हो जाते हैं और उन पर बहुत सी श्वेत धारियाँ होती हैं। इसके बीज भूरे, चिकने, चमकदार, लंबे, गोल तथा चिपटे होते हैं। इस बेल का प्रत्येक भाग कड़वा होता है। इंद्रायन का नाम बँगला तथा गुजराती में भी यही है। संस्कृत में इसे चित्रफल, इंद्रवारुणी, मराठी में कडु इंद्रावण, लोकभाषाओं में गड़तुम्बा, पापड़, पिंदा आदि नामों से जाना जाता है। अंग्रेजी में कॉलोसिंथ या 'बिटर ऐपल' तथा लैटिन में 'सिट्रलस कॉलोसिंथस' (Citrullus colocynthis) कहते हैं। अन्य दो वनस्पतियों को भी इंद्रायन कहते हैं। इसके फल के गूदे को सुखाकर ओषधि के काम में लाते हैं। आयुर्वेद में इसे शीतल, रेचक और गुल्म, पित्त, उदररोग, कफ, कुष्ठ तथा ज्वर को दूर करनेवाला कहा गया है। यह जलोदर, पीलिया और मूत्र संबंधी व्याधियों में विशेष लाभकारी तथा धवलरोग (श्वेतकुष्ठ), खाँसी, मंदाग्नि, कोष्ठबद्धता, रक्ताल्पता और श्लीपद में भी उपयोगी कहा गया है। यूनानी मतानुसार यह सूजन को उतारनेवाला, वायुनाशक तथा स्नायु संबंधी रोगों में, जैसे लकवा, मिरगी, अधकपारी, विस्मृति इत्यादि में लाभदायक है। यह तीव्र विरेचक तथा मरोड़ उत्पन्न करनेवाला है, इसलिए दुर्बल व्यक्ति को इसे न देना चाहिए। इसकी मात्रा डेढ़ से ढाई माशे तक की होती है। इसका चूर्ण तीन माशे तक बबूल की गोंद, खुरासानी अजवायन के सत्व इत्यादि के साथ, जो इसकी त्व्रीाता को घटा देते हैं, गोलियों के रूप में दिया जाता हैं। रासायनिक विश्लेषण से इसमें कुछ उपक्षार (ऐल्कलॉड) तथा कॉलोसिंथिन नामक एक ग्लूकोसाइड, जो इस ओषधि का मुख्य तत्व है, पाए गए हैं। ब्रिटिश मटेरिया मेडिका के अनुसार इससे ज्वर उतरता है। इसका उपयोग त्व्रीा कोष्ठबद्धता, जलोदर, ऋतुस्राव तथा गर्भस्राव में भी किया जा सकता है। लाल इंद्रायन का लैटिन नाम ट्रिकोसेंथन पामाटा है। इसे संस्कृत तथा बँगला में महाकाल कहते हैं। इसकी बेल बहुत लबी तथा पत्ते दो से छह इंच के व्यास के, त्रिकोण से सप्तकोण तक होते हैं। फूल नर और मादा तथा श्वेत रंग के, फल कच्ची अवस्था में नारंगी रंग के, किंतु पकने पर लाल तथा १० नांरगी धारियोंवाले होते हैं। फल का गूदा हरापन लिए काला होता है तथा फल में बहुत से बीज होते हैं। इस पौधे की जड़ बहुत गहराई तक जाती है और इसमें गाँठें होती हैं। रासायनिक विश्लेषण से इसके फल के गूदे में कॉलोसिंथिन से मिलता जुलता ट्रिकोसैंथिन नामक पदार्थ पाया गया है। लाल इंद्रायन भी त्व्रीा विरेचक है। आयुर्वेद में इसे श्वास और फुफ्फुस के रोगों में लाभदायक कहा गया है। जंगली या छोटी इंद्रायन को लैटिन में क्यूक्युमिस ट्रिगोनस कहते हैं। इसकी बेल और फल पूर्वोक्त दोनों इंद्रायनों से छोटे होते हैं। इसके फल में भी कॉलोसिंथिन से मिलते जुलते तत्व होते हैं। इसका हरा फल स्वाद में कड़वा, अग्निवर्धक, स्वाद को सुधारनेवाला तथा कफ और पित्त के दोषों को दूर करनेवाला बताया गया है। .

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इंगोराळा (धारी)

इंगोराळा (ઇંગોરાળા.) भारत देश में गुजरात राज्य के सौराष्ट्र एवं काठियावाड़ प्रान्त में अमरेली ज़िले के ११ तहसील में से एक धारी तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। इंगोराळा गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूंगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादि की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नज़दीकी शहर अमरेली है। यहाँ पे शेर, तेंदुआ जैसे हिंसक वन्य प्राणी भी पाए जाते हैं। .

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क मुं हिंदी विद्यापीठ आगरा

कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी हिंदी तथा भाषाविज्ञान विद्यापीठ डॉ भीमराव अंबेदकर विश्वविद्यालय, आगरा का प्रतिष्ठित शिक्षण और शोध संस्थान है जो हिंदी भाषा और भाषाविज्ञान के उच्चतर अध्ययन और अनुसंधान के क्षेत्र में उत्तर भारत के सर्वप्रथम संस्थान के रूप में सन 1953 से कार्य कर रहा है। .

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कच्छमित्र

कच्छमित्र भारत में प्रकाशित होने वाला गुजराती भाषा का एक समाचार पत्र (अखबार) है। .

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कथीरवदर (धारी)

कथीरवदर (કથીરવદર.) भारत देश में गुजरात राज्य के सौराष्ट्र एवं काठियावाड़ प्रान्त में अमरेली ज़िले के ११ तहसील में से एक धारी तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। कथीरवदर गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूंगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादि की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नज़दीकी शहर अमरेली है। यहाँ पे शेर, तेंदुआ जैसे हिंसक वन्य प्राणी भी पाए जाते हैं। .

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कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी

कन्हैयालाल मुंशी कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी (२९ दिसंबर, १८८७ - ८ फरवरी, १९७१) भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, राजनेता, गुजराती एवं हिन्दी के ख्यातिनाम साहित्यकार तथा शिक्षाविद थे। उन्होने भारतीय विद्या भवन की स्थापना की। .

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कमल कपूर

कमल कपूर (पंजाबी: ਕਮਲ ਕਪੂਰ) एक भारतीय बॉलीवुड अभिनेता थे जिन्होंने लगभग 600 हिन्दी, पंजाबी और गुजराती फ़िल्मों मे काम किया था। .

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कमी (धारी)

कमी (કમી.) भारत देश में गुजरात राज्य के सौराष्ट्र एवं काठियावाड़ प्रान्त में अमरेली ज़िले के ११ तहसील में से एक धारी तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। कमी गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूंगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादि की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नज़दीकी शहर अमरेली है। यहाँ पे शेर, तेंदुआ जैसे हिंसक वन्य प्राणी भी पाए जाते हैं। .

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कमीगढ (अमरेली)

कमीगढ (કમીગઢ.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। कमीगढ गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मुहफली, तल, अनाज, कठोल, सब्जी इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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करमदड़ी (धारी)

करमदड़ी (કરમદડી.) भारत देश में गुजरात राज्य के सौराष्ट्र एवं काठियावाड़ प्रान्त में अमरेली ज़िले के ११ तहसील में से एक धारी तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। करमदड़ी गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूंगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादि की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नज़दीकी शहर अमरेली है। यहाँ पे शेर, तेंदुआ जैसे हिंसक वन्य प्राणी भी पाए जाते हैं। .

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करसनदास मानेक

करसनदास मानेक (२८ नवम्बर १९०१ - १८ जनवरी १९७८) गुजराती भाषा के मूर्धन्य साहित्यकार एवं कवि थे। उनका जन्म तत्कालीन भारत के कराची शहर (वर्तमान में पाकिस्तान) में हुआ था। गुजराती साहित्य में नवलिका, निबंध आदि क्षेत्र में उनका योगदान महत्वपूर्ण रहा है। .

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कराची

कराची पाकिस्तान का सबसे बड़ा नगर है और सिन्ध प्रान्त की राजधानी है। यह अरब सागर के तट पर बसा है और पाकिस्तान का सबसे बड़ा बन्दरगाह भी है। इसके उपनगरों को मिलाकर यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। यह 3527 वर्ग किलोमीटर में फैला है और करीब 1.45 करोड़ लोगों का घर है। यहाँ के निवासी इस शहर की ज़िन्दादिली की वजह से इसे रौशनियों का शहर और क़ैद-ए-आज़म जिन्ना का निवास स्थान होने की वजह से इसे शहर-ए-क़ैद कह कर बुलाते हैं। जिन्‍नाह की जन्‍मस्‍थली के लिए प्रसिद्ध कराची पाकिस्‍तान के सिंध प्रांत की राजधानी है। यह पाकिस्‍तान का सबसे बड़ा शहर है। अरब सागर के तट पर बसा कराची पाकिस्‍तान की सांस्‍कृतिक, आर्थिक और शैक्षणिक राजधानी मानी जाती है। यह पाकिस्‍तान का सबसे बड़ा बंदरगाह शहर भी है। यह शहर पाकिस्‍तान आने वाले पर्यटकों के बीच भी खासा लोकप्रिय है। पर्यटक यहां बीच, म्‍यूजियम और मस्जिद आदि देख सकते हैं। आज के पाकिस्तानी भूभाग का मानवीय इतिहास कम से कम 5000 साल पुराना है, यद्यपि इतिहास पाकिस्तान शब्द का जन्म सन् 1933 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली के द्वारा हुआ। आज का पाकिस्तानी भूभाग कई संस्कृतियों का गवाह रहा है। ईसापूर्व 3300-1800 के बीच यहाँ सिन्धुघाटी सभ्यता का विकास हुआ। यह विश्व की चार प्राचीन ताम्र-कांस्यकालीन सभ्यताओं में से एक थी। इसका क्षेत्र सिन्धु नदी के किनारे अवस्थित था पर गुजरात (भारत) और राजस्थान में भी इस सभ्यता के अवशेष पाए गए हैं। मोहेन्जो-दारो, हड़प्पा इत्यादि स्थल पाकिस्तान में इस सभ्यता के प्रमुख अवशेष-स्थल हैं। इस सभ्यता के लोग कौन थे इसके बारे में विद्वानों में मतैक्य नहीं है। कुछ इसे आर्यों की पूर्ववर्ती शाखा कहते हैं तो कुछ इसे द्रविड़। कुछ इसे बलोची भी ठहराते हैं। इस मतभेद का एक कारण सिन्धु-घाटी सभ्यता की लिपि का नहीं पढ़ा जाना भी है। ऐसा माना जाता है कि 1500 ईसापूर्व के आसपास आर्यों का आगमन पाकिस्तान के उत्तरी क्षेत्रों के मार्फ़त भारत में हुआ। आर्यों का निवास स्थान कैस्पियन सागर के पूर्वी तथा उत्तरी हिस्सों में माना जाता है जहाँ से वे इसी समय के करीब ईरान, यूरोप और भारत की ओर चले गए थे। सन् 543 ईसापूर्व में पाकिस्तान का अधिकांश इलाका ईरान (फारस) के हख़ामनी साम्राज्य के अधीन आ गया। लेकिन उस समय इस्लाम का उदय नहीं हुआ था; ईरान के लोग ज़रदोश्त के अनुयायी थे और देवताओं की पूजा करते थे। सन् 330 ईसापूर्व में मकदूनिया (यूनान) के विजेता सिकन्दर ने दारा तृतीय को तीन बार हराकर हखामनी वंश का अन्त कर दिया। इसके कारण मिस्र से पाकिस्तान तक फैले हखामनी साम्राज्य का पतन हो गया और सिकन्दर पंजाब तक आ गया। ग्रीक स्रोतों के मुताबिक उसने सिन्धु नदी के तट पर भारतीय राजा पुरु (ग्रीक - पोरस) को हरा दिया। पर उसकी सेना ने आगे बढ़ने से इनकार कर दिया और वह भारत में प्रवेश किये बिना वापस लौट गया। इसके बाद उत्तरी पाकिस्तान और अफगानिस्तान में यूनानी-बैक्ट्रियन सभ्यता का विकास हुआ। सिकन्दर के साम्राज्य को उसके सेनापतियों ने आपस में बाँट लिया। सेल्युकस नेक्टर सिकन्दर के सबसे शक्तिशाली उत्तराधिकारियों में से एक था। मौर्यों ने 300 ईसापूर्व के आसपास पाकिस्तान को अपने साम्राज्य के अधीन कर लिया। इसके बाद पुनः यह ग्रीको-बैक्ट्रियन शासन में चला गया। इन शासकों में सबसे प्रमुख मिनांदर ने बौद्ध धर्म को प्रोत्साहित किया। पार्थियनों के पतन के बाद यह फारसी प्रभाव से मुक्त हुआ। सिन्ध के राय राजवंश (सन् 489-632) ने इसपर शासन किया। इसके बाद यह उत्तर भारत के गुप्त और फारस के सासानी साम्राज्य के बीच बँटा रहा। सन् 712 में फारस के सेनापति मुहम्मद बिन क़ासिम ने सिन्ध के राजा को हरा दिया। यह फारसी विजय न होकर इस्लाम की विजय थी। बिन कासिम एक अरब था और पूर्वी ईरान में अरबों की आबादी और नियंत्रण बढ़ता जा रहा था। हालांकि इसी समय केन्द्रीय ईरान में अरबों के प्रति घृणा और द्वेष बढ़ता जा रहा था पर इस क्षेत्र में अरबों की प्रभुसत्ता स्थापित हो गई थी। इसके बाद पाकिस्तान का क्षेत्र इस्लाम से प्रभावित होता चला गया। पाकिस्तानी सरकार के अनुसार इसी समय 'पाकिस्तान की नींव' डाली गई थी। इसके 1192 में दिल्ली के सुल्तान पृथ्वीराज चौहान को हराने के बाद ही दिल्ली की सत्ता पर फारस से आए तुर्कों, अरबों और फारसियों का नियंत्रण हो गया। पाकिस्तान दिल्ली सल्तनत का अंग बन गया। सोलहवीं सदी में मध्य-एशिया से भाग कर आए हुए बाबर ने दिल्ली की सत्ता पर अधिकार किया और पाकिस्तान मुगल साम्राज्य का अंग बन गया। मुगलों ने काबुल तक के क्षेत्र को अपने साम्राज्य में मिला लिया था। अठारहवीं सदी के अन्त तक विदेशियों (खासकर अंग्रेजों) का प्रभुत्व भारतीय उपमहाद्वीप पर बढ़ता गया.

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करेण (धारी)

करेण (કરેણ.) भारत देश में गुजरात राज्य के सौराष्ट्र एवं काठियावाड़ प्रान्त में अमरेली ज़िले के ११ तहसील में से एक धारी तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। करेण गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूंगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादि की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नज़दीकी शहर अमरेली है। यहाँ पे शेर, तेंदुआ जैसे हिंसक वन्य प्राणी भी पाए जाते हैं। .

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कलानाथ शास्त्री

कलानाथ शास्त्री (जन्म: 15 जुलाई 1936) संस्कृत के जाने माने विद्वान,भाषाविद्, एवं बहुप्रकाशित लेखक हैं। आप राष्ट्रपति द्वारा वैदुष्य के लिए अलंकृत, केन्द्रीय साहित्य अकादमी, संस्कृत अकादमी आदि से पुरस्कृत, अनेक उपाधियों से सम्मानित व कई भाषाओँ में ग्रंथों के रचयिता हैं। वे विश्वविख्यात साहित्यकार तथा संस्कृत के युगांतरकारी कवि भट्ट मथुरानाथ शास्त्री के ज्येष्ठ पुत्र हैं। .

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कलापी

कलापी नाम से सुप्रसिद्ध सुर सिंह तख्त सिंह गोहिल (સુરસિંહજી તખ્તસિંહજી ગોહિલ.) (१८७४-१९००) गुजराती भाषा के जानेमाने राजवी कवि थे। कलापी का जन्म गुजरात प्रान्त में अमरेली जिले के लाठी शहर में हुआ था। कलापी लाठी के राजा थे। गुजराती साहित्य में कलापी का योगदान महत्वपूर्ण है। .

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कश्मीरी भाषा

कश्मीरी भाषा एक भारतीय-आर्य भाषा है जो मुख्यतः कश्मीर घाटी तथा चेनाब घाटी में बोली जाती है। वर्ष २००१ की जनगणना के अनुसार भारत में इसके बोलने वालों की संख्या लगभग ५६ लाख है। पाक-अधिकृत कश्मीर में १९९८ की जनगणना के अनुसार लगभग १ लाख कश्मीरी भाषा बोलने वाले हैं। कश्मीर की वितस्ता घाटी के अतिरिक्त उत्तर में ज़ोजीला और बर्ज़ल तक तथा दक्षिण में बानहाल से परे किश्तवाड़ (जम्मू प्रांत) की छोटी उपत्यका तक इस भाषा के बोलने वाले हैं। कश्मीरी, जम्मू प्रांत के बानहाल, रामबन तथा भद्रवाह में भी बोली जाती है। प्रधान उपभाषा किश्तवाड़ की "कश्तवाडी" है। कश्मीर की भाषा कश्मीरी (कोशुर) है ये कश्मीर में वर्तमान समय में बोली जाने वाली भाषा है। कश्मीरी भाषा के लिए विभिन्न लिपियों का उपयोग किया गया है, जिसमें मुख्य लिपियां हैं- शारदा, देवनागरी, रोमन और परशो-अरबी है। कश्मीर वादी के उत्तर और पश्चिम में बोली जाने वाली भाषाएं - दर्ददी, श्रीन्या, कोहवाड़ कश्मीरी भाषा के उलट थीं। यह भाषा इंडो-आर्यन और हिंदुस्तानी-ईरानी भाषा के समान है। भाषाविदों का मानना ​​है कि कश्मीर के पहाड़ों में रहने वाले पूर्व नागावासी जैसे गंधर्व, यक्ष और किन्नर आदि,बहुत पहले ही मूल आर्यन से अलग हो गए। इसी तरह कश्मीरी भाषा को आर्य भाषा जैसा बनने में बहुत समय लगा। नागा भाषा स्वतः ही विकसित हुई है इस सब के बावजूद, कश्मीरी भाषा ने अपनी विशिष्ट स्वर शैली को बनाए रखा और 8 वीं-9 वीं शताब्दी में अन्य आधुनिक भारतीय भाषाओं की तरह, कई चरणों से गुजरना पड़ा। .

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काठमा (अमरेली)

काठमा (કાઠમા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। काठमा गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मुहफली, तल, अनाज, कठोल, सब्जी इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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काथरोटा (धारी)

काथरोटा (કાથરોટા.) भारत देश में गुजरात राज्य के सौराष्ट्र एवं काठियावाड़ प्रान्त में अमरेली ज़िले के ११ तहसील में से एक धारी तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। काथरोटा गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूंगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादि की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नज़दीकी शहर अमरेली है। यहाँ पे शेर, तेंदुआ जैसे हिंसक वन्य प्राणी भी पाए जाते हैं। .

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कानजी स्वामी

कानजी स्वामी (गुजराती:કાનજીસ્વામી; 1889 - 1980) आध्यात्मिक जैन गुरु थे। वो isbn.

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काला नमक

काला नमक के टुकड़े काला नमक का पाउडर काला नमक (बंगला: बिट लबन (বিট লবণ); नेपाली: बिरे नुन; Hindi काला नमक; गुजराती: સંચળ संचल) भारतीय उपमहाद्वीप में निर्मित और भारतीय भोजन में बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जाने वाला खाद्य नमक है। काले नमक का प्रयोग चाट, चटनी, रायता और कई अन्य भारतीय व्यंजनों में किया जाता है। भारतीय चाट मसाला, अपनी खुशबू और स्वाद के लिए काले नमक पर निर्भर करता है। काले नमक में मुख्यतः सोडियम क्लोराइड होता है। इसके अतिरिरिक्त इसमें सोडियम सल्फेट, आइरन सल्फाइड, हाइड्रोजन सल्फाइड आदि की कुछ मात्रा भी मिश्रित होती है। सोडियम क्लोराइड के कारण ही यह नमकीन स्वाद देता है, आइरन सल्फाइड के कारण इसका गहरा बैंगनी रंग दिखता है और सभी सल्फर लवण इसके विशिष्ट स्वाद और गंध के लिये जिम्मेदार हैं। इनमें से हाइड्रोजन सल्फाइड मुख्यत: इसके गंध का कारण है। .

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काला पानी (उपन्यास)

काला पानी स्वातंत्र्य वीर सावरकर का द्वितीय गद्यात्मक उपन्यास है। उनका प्रथम उपन्यास ‘मोपलों का विद्रोह’ अथवा ‘मुझे इससे क्या ?’ था। .

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काजल ओझा वैद्य

काजल ओझा वैद्य गुजराती साहित्यकार है, जिन्होंने मीडिया, थिएटर और टेलीविजन पर विविध भूमिकाएँ निभाई हैं। उन्होंने सात लोकप्रिय नाटक तथा तेरह उपन्यास भी लिखे हैं। ‘संबंध...

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कांगसा (धारी)

कांगसा (કાંગસા.) भारत देश में गुजरात राज्य के सौराष्ट्र एवं काठियावाड़ प्रान्त में अमरेली ज़िले के ११ तहसील में से एक धारी तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। कांगसा गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूंगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादि की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नज़दीकी शहर अमरेली है। यहाँ पे शेर, तेंदुआ जैसे हिंसक वन्य प्राणी भी पाए जाते हैं। .

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काका कालेलकर

काका कालेलकर (1885 - 21 अगस्त 1981) के नाम से विख्यात दत्तात्रेय बालकृष्ण कालेलकर भारत के प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री, पत्रकार और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। काकासाहेब कालेलकर ने गुजराती और हिन्दी में साहित्यरचना की। उन्होने हिन्दी की महान सेवा की। उनके द्वारा रचित जीवन–व्यवस्था नामक निबन्ध–संग्रह के लिये उन्हें सन् 1965 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वे साबरमती आश्रम के सदस्य थे और अहमदाबाद में गुजरात विद्यापीठ की स्थापना में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया। गांधी जी के निकटतम सहयोगी होने का कारण ही वे 'काका' के नाम से जाने गए। वे सर्वोदय पत्रिका के संपादक भी रहे। 1930 में पूना का यरवदा जेल में गांधी जी के साथ उन्होंने महत्वपूर्ण समय बिताया। .

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कविनी श्रद्धा

कविनी श्रद्धा गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार उमाशंकर जोशी द्वारा रचित एक समालोचना है जिसके लिये उन्हें सन् 1973 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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कुटज

कुटज का फूल कुटज (वानस्पतिक नाम: Wrightia antidysenterica) एक पादप है। इसके पौधे चार फुट से १० फुट तक ऊँचे तथा छाल आधे इंच तक मोटी होती है। पत्ते चार इंच से आठ इंच तक लंबे, शाखा पर आमने-सामने लगते हैं। फूल गुच्छेदार, श्वेत रंग के तथा फलियाँ एक से दो फुट तक लंबी और चौथाई इंच मोटी, इंच मोटी, दो-दो एक साथ जुड़ी, लाल रंग की होती हैं। इनके भीतर बीज कच्चे रहने पर हरे और पकने पर जौ के रंग के होते हैं। इनकी आकृति भी बहुत कुछ जौ की सी होती है, परंतु ये जौ से लगभग ड्योढ़े बड़े होते हैं। कुटज की फली के बीज का नाम इंद्रजौ या इंद्रयव है। संस्कृत, बँगला तथा गुजराती में भी बीज का यही नाम है। परंतु इस फली के पौधे को हिंदी में कोरैया या कुड़ची, संस्कृत में कुटज या कलिंग, बँगला और अंग्रेजी में कुड़ची तथा लैटिन में राइटिया एटिडिसेंटेरिका (Wrightia antidysenterica) कहते हैं। .

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कुदाल

जापानी कुदाल thumb कुदाल, खेतीबारी में उपयोग आने वाला एक उपकरण है। इसकी सहायता से जमीन को खोदा जाता है। यह गड़्ढा खोदने, नाली बनाने, मिट्टी खोदने आदि के काम आती है। इसमें लोहे की बनी एक चौड़ी फाल (ब्लेड) होती है जिसके लम्बवत लकड़ी की बेंट (हत्था) लगा होता है। इसे संस्कृत में कुद्दाल, कुद्दार; प्राकृत में कुदृलपा, कुद्दाली; गुजराती में कोदालों, पंजाबी में कुदाल; बंगाली में कोदाल, मराठी में कुदल कहते हैं। कुदाल में लगने वाले विभिन्न प्रकार के फलक .

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कुबडा (धारी)

कुबडा (કુબડા.) भारत देश में गुजरात राज्य के सौराष्ट्र एवं काठियावाड़ प्रान्त में अमरेली ज़िले के ११ तहसील में से एक धारी तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। कुबडा गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूंगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादि की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नज़दीकी शहर अमरेली है। यहाँ पे शेर, तेंदुआ जैसे हिंसक वन्य प्राणी भी पाए जाते हैं। .

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कुलकथाओ

कुलकथाओ गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार स्वामी आनंद द्वारा रचित एक रेखाचित्र है जिसके लिये उन्हें सन् 1969 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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कुंदनिका कापडीआ

कुंदनिका कापडीआ गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास सात पगलां आकाशमां के लिये उन्हें सन् 1985 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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कृतिदेव (फॉण्ट)

कृतिदेव एक नॉन-यूनिकोड भारतीय भाषायी फॉण्ट शृँखला है। यह डीटीपी तथा ग्राफिक्स के कार्य में बहुतायत में उपयोग होता है। कृतिदेव हिन्दी के अतिरिक्त गुरुमुखी, गुजराती, बांग्ला, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, ओड़िया आदि लिपियों हेतु उपलब्ध है। .

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कूवो

कूवो गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार अशोकपुरी गोस्वामी द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1997 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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केतकी दवे

केतकी दवे (पूर्व: जोशी; जन्म 13 अगस्त 1960, बोम्बे में) एक भारतीय फ़िल्म अभिनेत्री हैं। उन्होंने 75 से अधिक गुजराती फ़िल्मों में; तथा आमदनी अट्ठन्नी खर्चा रुपैया, मनी है तो हनी है, कल हो ना हो और हेल्लो! हम लल्लन बोल रहे हैं जैसी प्रसिद्ध हिन्दी फ़िल्मों में अभिनय किया है। उन्होंने बहुत टीवी धारावहिकों में भी अभिनय किया है जैसे नच बलिए 2, बिग बॉस, क्योंकि सास भी कभी बहू थी, और बेहेनिन। .

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केराला (धारी)

केराला (કેરાળા.) भारत देश में गुजरात राज्य के सौराष्ट्र एवं काठियावाड़ प्रान्त में अमरेली ज़िले के ११ तहसील में से एक धारी तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। केराला गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूंगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादि की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नज़दीकी शहर अमरेली है। यहाँ पे शेर, तेंदुआ जैसे हिंसक वन्य प्राणी भी पाए जाते हैं। .

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केराला (अमरेली)

केराला (કેરાળા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। केराला गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मुहफली, तल, अनाज, कठोल, सब्जी इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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केरीयाचाड (अमरेली)

केरीयाचाड (કેરીયાચાડ.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। केरीयाचाड गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मुहफली, तल, अनाज, कठोल, सब्जी इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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केरीयानागस (अमरेली)

केरीयानागस (કેરીયાનાગસ.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। केरीयानागस गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मुहफली, तल, अनाज, कठोल, सब्जी इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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केशवप्रसाद मिश्र

केशवप्रसाद मिश्र (चैत्र कृष्ण सप्तमी, विक्रम संवत् १९४२ - चैत्र ७, संवत् २००८) शिक्षाविद तथा हिन्दी साहित्यकार थे। .

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कोच्चि

कोच्चि, जिसे कोचीन भी कहा जाता था, लक्षद्वीप सागर के दक्षिण-पश्चिम तटरेखा पर स्थित एक बड़ा बंदरगाह शहर है, जो भारतीय राज्य केरल के एर्नाकुलम जिले का एक भाग है। कोच्चि को काफ़ी समय से प्रायः एर्नाकुलम भी कहा जाता है, जिसका अर्थ नगर का मुख्यभूमि भाग इंगित करता है। कोच्चि नगर निगम के अधीनस्थ (जनसंख्या ६,०१,५७४) ये राज्य का दूसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला शहर है। ये कोच्चि महानगरीय क्षेत्र के विस्तार सहित (जनसंख्या २१ लाख) केरल राज्य का सबसे बड़ा शहरी आबादी क्षेत्र है। कोच्चि नगर ग्रेटर कोच्चि क्षेत्र का ही एक भाग है, और इसे भारत सरकार द्वारा द्वितीय दर्जे वाला शहर वर्गीकृत किया गया है। नगर की देख-रेख व अनुरक्षण दायित्त्व १९६७ में स्थापित हुआ कोच्चि नगर निगम देखता है। इसके अलावा पूरे क्षेत्र के सर्वांगीण विकास का भार ग्रेटर कोचीन डवलपमेंट अथॉरिटी (GCDA) एवं गोश्री आईलैण्ड डवलपमेंट अथॉरिटी (GIDA) पर है। कोच्चि १४वीं शताब्दी से ही भारत की पश्चिमी तटरेखा का मसालों का व्यापार केन्द्र रहा है और इसे अरब सागर की रानी के नाम से जाना जाता था। १५०३ में यहां पुर्तगालियों का आधिपत्य हुआ और यह उपनिवेशीय भारत की प्रथम यूरोपीय कालोनी बना और १५३० में गोवा के चुने जाने तक ये पुर्तगालियों का यहां का प्रधान शक्ति केन्द्र रहा था।क्कालांतर में कोच्चि राज्य के रजवाड़े में परिवर्तित होने के क्साथ ही ये डच एवं ब्रिटिश के नियन्त्रण में आ गया। आज केरल में कुल अन्तर्देशीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटकों के आगमन संख्या में प्रथम स्थान बनाये हुए है। नीलसन कम्पनी के आउटलुक ट्रैवलर पत्रिका के लिये किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार कोच्चि आज भी भारत के सर्वश्रेष्ठ पर्यटक आकर्षणों में छठवें स्थान पर बना हुआ है। मैकिन्से ग्लोबल संस्थान द्वारा किये गए एक शोध के अनुसार, कोच्चि २०२५ तक के विश्व के सकल घरेलु उत्पाद में ५०% योगदान देने वाले ४४० उभरते हुए शहरों में से एक था। भारतीय नौसेना के दक्षिणी नौसैनिक कमान का केन्द्र तथा भारतीय तटरक्षक का राज्य मुख्यालय भी इसी शहर में स्थित है, जिसमें एयर स्क्वैड्रन ७४७ नाम की एक वायु टुकड़ी भी जुड़ी है। नगर के वाणिज्यिक सागरीय गतिविधियों से सम्बन्धित सुविधाओं में कोच्चि बंदरगाह, अन्तर्राष्ट्रीय कण्टेनर ट्रांस्शिपमेण्ट टर्मिनल, कोचीन शिपयार्ड, कोच्चि रिफ़ाइनरीज़ का अपतटीय (ऑफ़शोर) सिंगल बॉय मूरिंग (एस.पी.एम), एवं कोच्चि मैरीना भी हैं। कोच्चि में ही कोचीन विनिमय एक्स्चेंज, इंटरनेशनल पॅपर एक्स्चेंज भी स्थित हैं, तथा हिन्दुस्तान मशीन टूल्स (एच.एम.टी), सायबर सिटी, एवं किन्फ़्रा हाई-टेक पाक एवं बड़ी रासायनिक निर्माणियां जैसे फ़र्टिलाइज़र्स एण्ड कैमिकल्स त्रावणकौर (फ़ैक्ट), त्रावणकौर कोचीन कैमिकल्स (टीसीसी), इण्डियन रेयर अर्थ्स लिमिटेड (आई.आर.ई.एल), हिन्दुस्तान ऑर्गैनिक कैमिकल्स लिमिटेड (एच.ओ.सी.एल) कोच्चि रिफ़ाइनरीज़ के साथ साथ ही कई विद्युत कंपनियां जैसे टी.ई.एल.के एवं औद्योगिक पार्क भी बने हैं जिनमें कोचीन एपेशल इकॉनोमिक ज़ोन एवं इन्फ़ोपार्क कोच्चि प्रमुख हैं। कोच्चि में ही प्रमुख राज्य न्यायपीठ केरल एवं लक्षद्वीप उच्च न्यायालय एवं कोचीन युनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी भी स्थापित हैं। इसी नगर में केरल का नेशनल लॉ स्कूल, नेशनल युनिवर्सिटी ऑफ़ एडवांस्ड लीगल स्टडीज़ को भी स्थान मिला है। .

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कोटडा (धारी)

कोटडा (કોટડા.) भारत देश में गुजरात राज्य के सौराष्ट्र एवं काठियावाड़ प्रान्त में अमरेली ज़िले के ११ तहसील में से एक धारी तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। कोटडा गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूंगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादि की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नज़दीकी शहर अमरेली है। यहाँ पे शेर, तेंदुआ जैसे हिंसक वन्य प्राणी भी पाए जाते हैं। .

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कोठा पिपरीया (धारी)

कोठा पिपरीया (કોઠા પીપરીયા.) भारत देश में गुजरात राज्य के सौराष्ट्र एवं काठियावाड़ प्रान्त में अमरेली ज़िले के ११ तहसील में से एक धारी तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। कोठा पिपरीया गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूंगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादि की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नज़दीकी शहर अमरेली है। यहाँ पे शेर, तेंदुआ जैसे हिंसक वन्य प्राणी भी पाए जाते हैं। .

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कोलकाता

बंगाल की खाड़ी के शीर्ष तट से १८० किलोमीटर दूर हुगली नदी के बायें किनारे पर स्थित कोलकाता (बंगाली: কলকাতা, पूर्व नाम: कलकत्ता) पश्चिम बंगाल की राजधानी है। यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर तथा पाँचवा सबसे बड़ा बन्दरगाह है। यहाँ की जनसंख्या २ करोड २९ लाख है। इस शहर का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। इसके आधुनिक स्वरूप का विकास अंग्रेजो एवं फ्रांस के उपनिवेशवाद के इतिहास से जुड़ा है। आज का कोलकाता आधुनिक भारत के इतिहास की कई गाथाएँ अपने आप में समेटे हुए है। शहर को जहाँ भारत के शैक्षिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तनों के प्रारम्भिक केन्द्र बिन्दु के रूप में पहचान मिली है वहीं दूसरी ओर इसे भारत में साम्यवाद आंदोलन के गढ़ के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। महलों के इस शहर को 'सिटी ऑफ़ जॉय' के नाम से भी जाना जाता है। अपनी उत्तम अवस्थिति के कारण कोलकाता को 'पूर्वी भारत का प्रवेश द्वार' भी कहा जाता है। यह रेलमार्गों, वायुमार्गों तथा सड़क मार्गों द्वारा देश के विभिन्न भागों से जुड़ा हुआ है। यह प्रमुख यातायात का केन्द्र, विस्तृत बाजार वितरण केन्द्र, शिक्षा केन्द्र, औद्योगिक केन्द्र तथा व्यापार का केन्द्र है। अजायबघर, चिड़ियाखाना, बिरला तारमंडल, हावड़ा पुल, कालीघाट, फोर्ट विलियम, विक्टोरिया मेमोरियल, विज्ञान नगरी आदि मुख्य दर्शनीय स्थान हैं। कोलकाता के निकट हुगली नदी के दोनों किनारों पर भारतवर्ष के प्रायः अधिकांश जूट के कारखाने अवस्थित हैं। इसके अलावा मोटरगाड़ी तैयार करने का कारखाना, सूती-वस्त्र उद्योग, कागज-उद्योग, विभिन्न प्रकार के इंजीनियरिंग उद्योग, जूता तैयार करने का कारखाना, होजरी उद्योग एवं चाय विक्रय केन्द्र आदि अवस्थित हैं। पूर्वांचल एवं सम्पूर्ण भारतवर्ष का प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्र के रूप में कोलकाता का महत्त्व अधिक है। .

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कोलकाता में मीडिया

टाटा कम्युनिकेशंस का वीएसएनएल टावर, शहर का एक प्रधान टेलीकॉम सेवा प्रदाता .

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कीनियाई भारतीय

कीनियाई भारतीय कीनिया के वो नागरिक हैं जिन के पूर्वज दक्षिण एशियाई राष्ट्र भारत के मूल निवासी थे। शुरुआत में अधिकतर भारतीयों को गिरमिटिया मजदूरों के तौर पर कीनिया लाया गया था। वर्तमान समय में हजारों कीनियाई अपनी पैतृक जड़ें भारत से जुड़ी पाते हैं। ये मुख्यतः देश की राजधानी नैरोबी और दूसरे सबसे बड़े शहर मोम्बासा के प्रमुख शहरी क्षेत्रों में और कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं। 1963 में देश को ब्रटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त हुई, परन्तु इसके पश्चात भारतीयों को वहाँ नस्लीय उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाने वाले भारतीयों की कानूनी स्थिति में समय के साथ-साथ सुधार आया है। .

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अणसार

अणसार गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार वर्षा एम. अडालजा द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1995 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अदनसोनिया

अदनसोनिया वृक्षों की आठ प्रजातियों का एक वंश (जीनस) है, जिनमें से, छह मेडागास्कर, एक अफ्रीका की मुख्य भूमि और अरब प्रायद्वीप तथा एक ऑस्ट्रेलिया की मूल प्रजाति है। अफ्रीकी मुख्य भूमि की प्रजाति के वृक्ष मेडागास्कर में भी पाये जाते हैं, लेकिन यह इस द्वीप की मूल प्रजाति नहीं है। इसे आम तौर पर गोरक्षी (हिन्दी नाम) या बाओबाब के नाम से जाना जाता है। इसके अन्य आम नामों में बोआब, बोआबोआ, बोतल वृक्ष, उल्टा पेड़ तथा बंदर रोटी पेड़ आदि नाम शामिल हैं। अरबी में इसे 'बु-हिबाब' कहा जाता है जिसका अर्थ है 'कई बीजों वाला पेड़', शायद इसी बु-हिबाब शब्द का अपभ्रंश रूप है बाओबाब। बाओबाब का अफ्रीका के आर्थिक विकास में काफ़ी योगदान होने की वजह से अफ्रीका ने इसे 'द वर्ल्ड ट्री' की उपाधि भी प्रदान की है और इसे एक संरक्षित वृक्ष भी घोषित किया है। इसका अनुवांशिक नाम मिशेल एडनसन, जो कि एक फ्रांसीसी प्रकृतिवादी और अन्वेषक थे और जिन्होने पहले पहल इस वृक्ष का वर्णन किया था, के सम्मान में अदनसोनिया डिजिटाटा रखा गया है। .

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अनंतराय एम. रावल

अनंतराय एम.

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अन्टू दिस लास्ट

अनटू दिस लास्ट, अंग्रेज लेखक रस्किन की एक पुस्तक है। जिसका अर्थ है - इस अंतवाले को भी। यह एक अर्थनीति सम्बन्धी लेख शृंखला के रूप में दिसम्बर १८६० को एक मासिक पत्रिका (Cornhill Magazine) में प्रकाशित हुआ था। रस्किन ने इन लेखों को सन १८६२ में एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया। यह पुस्तक १८वीं एवं १९वीं शताब्दी के पूँजीवादी विचारकों ली तीव्र आलोचना करती है। सारतः रस्किन को सामाजिक अर्थनीति का जनक कहा जा सकता है। यह पुस्तक गाँधीजी को सन १९०४ में हेनरी पोलाक से प्राप्त हुई। गांधीजी पर इसका बहुत प्रभाव पड़ा था। उन्होने गुजराती में सर्वोदय नाम से सन १९०८ में इसका अनुवाद किया। गांधीजी के अधिकांश सामाजिक और आर्थिक विचार "अन्टु दिस लास्ट" से प्रभावित थे। .

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अपामार्ग

अपामार्ग अपामार्ग एक औषधीय वनस्पति है। इसका वैज्ञानिक नाम 'अचिरांथिस अस्पेरा' (ACHYRANTHES ASPERA) है। हिन्दी में इसे 'चिरचिटा', 'लटजीरा', 'चिरचिरा ' आदि नामों से जाना जाता है। .

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अपूर्वा अरोड़ा

अपूर्वा अरोड़ा (जन्म ५ जून १९९६) एक भारतीय अभिनेत्री और मॉडल है। .

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अब्बास-मस्तान

अब्बास और मस्तान बर्मावाला दो भाई हैं जो बॉलीवुड में थ्रिलर और ऐक्शन फिल्मों के निर्देशन (डायरेक्शन) के लिए जाने जाते हैं। ये प्रायः अपनी फिल्मों में अक्षय कुमार, बॉबी देओल, अक्षय खन्ना, बिपाशा बसु व करीना कपूर आदि को कास्ट करते हैं। इन दोनों ने बॉलीवुड की कुछ महान फ़िल्में डायरेक्ट की हैं जैसे: खिलाड़ी, बाज़ीगर, सोल्जर, अजनबी, बादशाह, ऐतराज़, हमराज़, 36 चाइना टाउन, रेस और रेस 2.

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अभिनवानो रसविचार

अभिनवानो रसविचार गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार नगीनदास पारीख द्वारा रचित एक समालोचना है जिसके लिये उन्हें सन् 1970 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अमर बबरिया

अमर बबरिया (जन्म १० मई, १९७५ में मुंबई) एक भारतीय अभिनेता, डबिंग कलाकार और एक मंच पर कलाकार है जो सांगो कला के साथ संबद्ध है। वे अपनी मातृभाषा के रूप में हिंदी बोलते है। उन्होंने यह भी अंग्रेजी, मराठी, गुजराती और उर्दू बोलती है। .

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अमरापुर वरुडी (अमरेली)

अमरापुर वरुडी (અમરાપુર વરુડી.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। अमरापुर वरुडी गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मुहफली, तल, अनाज, कठोल, सब्जी इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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अमरेली

अमरेली (અમરેલી.) भारत देश में गुजरात प्रान्त में स्थित सौराष्ट्र भाग के अमरेली जिले का मुख्य शहर है। गुजरात के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ॰ जीवराज महेता का जन्म ये शहर में हुआ था। .

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अमलतास

फल अमलतास पीले फूलो वाला एक शोभाकर वृक्ष है। अमलतास को संस्कृत में व्याधिघात, नृप्रद्रुम इत्यादि, गुजराती में गरमाष्ठो, बँगला में सोनालू तथा लैटिन में कैसिया फ़िस्चुला कहते हैं। शब्दसागर के अनुसार हिंदी शब्द अमलतास संस्कृत अम्ल (खट्टा) से निकला है। भारत में इसके वृक्ष प्राय: सब प्रदेशों में मिलते हैं। तने की परिधि तीन से पाँच कदम तक होती है, किंतु वृक्ष बहुत उँचे नहीं होते। शीतकाल में इसमें लगनेवाली, हाथ सवा हाथ लंबी, बेलनाकार काले रंग की फलियाँ पकती हैं। इन फलियों के अंदर कई कक्ष होते हैं जिनमें काला, लसदार, पदार्थ भरा रहता है। वृक्ष की शाखाओं को छीलने से उनमें से भी लाल रस निकलता है जो जमकर गोंद के समान हो जाता है। फलियों से मधुर, गंधयुक्त, पीले कलझवें रंग का उड़नशील तेल मिलता है। .

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अम्बाजी मंदिर, गुजरात

अम्बाजी माता मन्दिर (गुजराती:અમ્બાજી માતા મન્દિર) भारत में माँ शक्ति के ५१ शक्तिपीठों में से एक प्रधान पीठ है। यह पालनपुर से लगभग ६५ कि॰मी॰, आबू पर्वत से ४५ कि॰मी॰, आबू रोड से २० किमी, श्री अमीरगढ़ से ४२ कि॰मी॰, कडियाद्रा से ५० कि॰मी॰ दूरी पर गुजरात-राजस्थान सीमा पर अरासुर पर्वत पर स्थित है। अरासुरी अम्बाजी मन्दिर में कोई प्रतिमा स्थापित नहीं है, केवल पवित्र श्रीयंत्र की पूजा मुख्य आराध्य रूप में की जाती है। इस यंत्र को कोई भी सीधे आंखों से देख नहीं सकता एवं इसकी फ़ोटोग्राफ़ी का भी निषेध है। मां अम्बाजी की मूल पीठस्थल कस्बे में गब्बर पर्वत के शिखर पर है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां तीर्थयात्रा करने वर्ष पर्यन्त आते रहते हैं, विशेषकर पूर्णिमा के दिन। भदर्वी पूर्णिमा के दिन यहाँ बड़ा मेला लगता है। देश भर से भक्तगण यहां मां की पूजा अर्चना हेतु आते हैं, विशेषकर जुलाई माह में। इस समय पूरे अम्बाजी कस्बे को दीपावली की तरह प्रकाश से सजाया जाता है। माना जाता है कि ये मन्दिर लगभग बारह सौ वर्ष से अधिक प्राचीन है। इस मंदिर का शिखर १०३ फ़ीट ऊंचा है और इस पर ३५८ स्वर्ण कलश स्थापित हैं। इस मेले में एक अनुमान के अनुसार २००८ में २५ लाख यात्री पहुंचने की संभावना थी। .

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अमृतपुर (धारी)

अमृतपुर (અમૃતપુર.) भारत देश में गुजरात राज्य के सौराष्ट्र एवं काठियावाड़ प्रान्त में अमरेली ज़िले के ११ तहसील में से एक धारी तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। अमृतपुर गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूंगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादि की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नज़दीकी शहर अमरेली है। यहाँ पे शेर, तेंदुआ जैसे हिंसक वन्य प्राणी भी पाए जाते हैं। .

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अमृतलाल नागर

हिन्दी साहित्यकार '''अमृतलाल नागर''' अमृतलाल नागर (17 अगस्त, 1916 - 23 फरवरी, 1990) हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार थे। आपको भारत सरकार द्वारा १९८१ में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। .

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अमृतलाल वेगड

अमृतलाल वेगड गुजराती भाषा तथा हिन्दी भाषा के विख्यात साहित्यकार साथ ही ये जानेमाने चित्रकार भी हैं। इनके द्वारा रचित एक यात्रा–वृत्तांत सौन्दर्यनी नदी नर्मदा के लिये उन्हें सन् 2004 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अरण्डी

अरंडी (अंग्रेज़ी:कैस्टर) तेल का पेड़ एक पुष्पीय पौधे की बारहमासी झाड़ी होती है, जो एक छोटे आकार से लगभग १२ मी के आकार तक तेजी से पहुँच सकती है, पर यह कमजोर होती है। इसकी चमकदार पत्तियॉ १५-४५ सेमी तक लंबी, हथेली के आकार की, ५-१२ सेमी गहरी पालि और दांतेदार हाशिए की तरह होती हैं। उनके रंग कभी कभी, गहरे हरे रंग से लेकर लाल रंग या गहरे बैंगनी या पीतल लाल रंग तक के हो सकते है।। वेब ग्रीन तना और जड़ के खोल भिन्न भिन्न रंग लिये होते है। इसके उद्गम व विकास की कथा अभी तक अध्ययन अधीन है। यह पेड़ मूलतः दक्षिण-पूर्वी भूमध्य सागर, पूर्वी अफ़्रीका एवं भारत की उपज है, किन्तु अब उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में खूब पनपा और फैला हुआ है। .

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अरहर दाल

अरहर की दाल को तुवर भी कहा जाता है। इसमें खनिज, कार्बोहाइड्रेट, लोहा, कैल्शियम आदि पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। यह सुगमता से पचने वाली दाल है, अतः रोगी को भी दी जा सकती है, परंतु गैस, कब्ज एवं साँस के रोगियों को इसका सेवन कम ही करना चाहिए। भारत में अरहर की खेती तीन हजार वर्ष पूर्व से होती आ रही है किन्तु भारत के जंगलों में इसके पौधे नहीं पाये जाते है। अफ्रीका के जंगलों में इसके जंगली पौधे पाये जाते है। इस आधार पर इसका उत्पत्ति स्थल अफ्रीका को माना जाता है। सम्भवतया इस पौधें को अफ्रीका से ही एशिया में लाया गया है। दलहन प्रोटीन का एक सस्ता स्रोत है जिसको आम जनता भी खाने में प्रयोग कर सकती है, लेकिन भारत में इसका उत्पादन आवश्यकता के अनुरूप नहीं है। यदि प्रोटीन की उपलब्धता बढ़ानी है तो दलहनों का उत्पादन बढ़ाना होगा। इसके लिए उन्नतशील प्रजातियां और उनकी उन्नतशील कृषि विधियों का विकास करना होगा। अरहर एक विलक्षण गुण सम्पन्न फसल है। इसका उपयोग अन्य दलहनी फसलों की तुलना में दाल के रूप में सर्वाधिक किया जाता है। इसके अतिरिक्त इसकी हरी फलियां सब्जी के लिये, खली चूरी पशुओं के लिए रातव, हरी पत्ती चारा के लिये तथा तना ईंधन, झोपड़ी और टोकरी बनाने के काम लाया जाता है। इसके पौधों पर लाख के कीट का पालन करके लाख भी बनाई जाती है। मांस की तुलना में इसमें प्रोटीन भी अधिक (21-26 प्रतिशत) पाई जाती है। .

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अरारोट

अरारोट, (अंग्रेज़ी:ऍरोरूट) जिसका वैज्ञानिक नाम 'मैरेंटा अरुंडिनेशी' (Maranta arundinacea) होता है, एक बहुवर्षी पौधा होता है। यह वर्षा वन का आवासी है। इसके राइज़ोम से प्राप्त होने वाले खाद्य मंड (स्टार्च) को भी अरारोट ही कहा जाता है। आयुर्वेद के अनुसार अरारोट सही पोषणकर्ता, शान्तिदायक, सुपाच्य, स्नेहजनक, सौम्य, विबन्ध (कब्ज) नाशक, दस्तावर होता है। पित्तजन्य रोग, आंखों के रोग, जलन, सिरदर्द, खूनी बवासीर और रक्तपिक्त आदि रोगों मे सेवन किया जाता है। कमजोर रोगियों और बालकों के लिए यह काफी लाभदायक है यह आंत्र और मूत्राशय सम्बन्धी रोगों के बाद की कमजोरी में यह आराम पहुंचाता है। विभिन्न भाषाओं में इसके कई नाम हैं। हिन्दी में अरारोट, बिलायती तीखुर, मराठी में आरारूट, बंगला में ओरारूट, तवक्षीर,गुजराती में तवखार, अरारोट; अंग्रेज़ी में ऍरोरूट, वेस्ट इण्डियन ऍरोरूट कहते हैं। अरारूट अथवा अरारोट (अंग्रेजी में ऐरोरूट) एक प्रकार का स्टार्च या मंड है जो कुछ पौधों की कंदिल (ट्यूबरस) जड़ों से प्राप्त होता है। इनमें मरेंटसी कुल का सामान्य शिशुमूल (मरंटा अरंडिनेसिया) नामक पौधा मुख्य है। यह दीर्घजीवी शाकीय पौधा है जो मुख्यत: उष्ण देशों में पाया जाता है। इसकी जड़ों में स्टार्च के रूप में खाद्य पदार्थ संचित रहता है। १० से १२ महीने तक के, पूर्ण वृद्धिप्राप्त पौधे की जड़ में प्राय: २६ प्रतिशत स्टार्च, ६५ प्रतिशत जल और शेष ९ प्रतिशत में अन्य खनिज लवण, रेशे इत्यादि होते हैं। मरंटा अरंडिनेसिया के अतिरिक्त, मैनीहार युटिलिस्मा, कुरकुमा अंगुस्टीफोलिया, लेसिया पिनेटीफ़िडा और ऐरम मैकुलेटम से भी अरारूट प्राप्त होता है। .

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अरविन्द विष्णु गोखले

अरविन्द विष्णु गोखले (१९१९-१९९२) मराठी नव-कथा के प्रमुख हस्ताक्षर हैं। पुणे के कृषि महाविद्यालय में वनस्पित शास्त्र का अध्यापन किए एवं १९४० से कहानी लेखन प्रारम्भ किए। इन्होंने ६०० से अधिक कहानियाँ लिखीं, जो चालीस से अधिक संग्रहों में संकलित हैं। इसके अलावा कथा और कथाकार विषय से सम्बद्द तीन अन्य कृतियाँ प्रकाशित हुई। इनकी कहानियाँ गुजराती, हिन्दी और अंग्रेजी में अनूदित हुई हैं। महाराष्ट्र तथा बिहार राज्य सरकार एवं एन्काउण्टर पत्रिका (लंदन) द्वारा विशेष रूप से पुरस्कृत एवं सम्मानित हुए। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा एमिरेटस फेलोशिप से गौरवान्वित किए गये। बस यात्र के दौरान सिर में चोट आ जाने के कारण निधन। .

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अश्विन महेता

अश्विन महेता गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक निबंध छबि भीतरनी के लिये उन्हें सन् 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित(मरणोपरांत) किया गया। .

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अशोकपुरी गोस्वामी

अशोकपुरी गोस्वामी गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास कूवो के लिये उन्हें सन् 1997 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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असूर्यलोक

असूर्यलोक गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार भगवती कुमार शर्मा द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1988 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अहिराणी भाषा

अहिराणी महाराष्ट्र के उत्तर में स्थित खानदेश भूभाग में बोली जाने वाली एक हिन्द-आर्य भाषा है। इसे कभी-कभी खानदेशी भी कहा जाता है, लकिन इसका नाम स्थानीय अहीर समुदाय पर पड़ा है। अहिराणी मराठी भाषा की एक उपभाषा समझी जाती है लेकिन व्याकरण और शब्दावली की दृष्टि से इसमें गुजराती भाषा और राजस्थानी भाषा के भी कई लक्षण पाये जाते हैं। अहीरों की विशिष्ट संस्कृति के कारण उनके द्वारा प्रचलित भाषा है अहिराणी आधुनिक हिंदी की खड़ी बोली का निकास है भी अहिराणी भाषा ही है .

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अखा भगत

अखा भगत गुजराती कवि थे जिनका समय 1591-1656 ई. माना जाता है। ये अहमदाबाद के निवासी थे और बाद में वहीं की टकसाल में मुख्य अधिकारी हो गए थे। संसार से मन के विरक्त होने पर घर द्वार छोड़कर ये तीर्थयात्रा के लिए निकले और गुरु की खोज करते हुए काशी पहुँचे। ब्रह्मज्ञान प्राप्त कर पुनः अहमदाबाद आए। इन्होंने पंचीकरण, गुरु शिष्य संवाद, अनुभव बिंदु, चित्त विचार संवाद, आदि ग्रंथों की रचना की है। मिथ्याचार, दंभ, दुराग्रह, सामाजिक दुर्गुणों आदि पर भी इन्होंने कठोर प्रहार किया है। .

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अखंड ज़ालर बागे

अखंड ज़ालर बागे गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार सुरेश दलाल द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2005 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अखेपातर

अखेपातर गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार बिन्दु भट्ट द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2003 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अगर (वृक्ष)

अगर (वानस्पतिक नाम: Aquilaria malaccensis) एक वृक्ष है। कागज के विकास के पहले इसके छाल का उपयोग ग्रन्थ लिखने के लिये होता था। भारत की विभिन्न भाषाओं में इसके नाम ये हैं-.

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अग्निकुंडमां उगेलुं गुलाब

अग्निकुंडमां उगेलुं गुलाब गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार नारायण देसाई द्वारा रचित एक जीवनी है जिसके लिये उन्हें सन् 1993 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अंचळो

अंचळो गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार मोहन परमार द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2011 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अंते आरंभ

अंते आरंभ गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार रसिक शाह द्वारा रचित एक निबंध है जिसके लिये उन्हें सन् 2015 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अंधारी गलीमां सफ़ेद टपकां

अंधारी गलीमां सफ़ेद टपकां गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार हिमांशी शेलत द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1996 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अंगिका भाषा

अंगिका लगभग तीन करोड़लोगों की भाषा है जो बिहार के पूर्वी, उत्तरी व दक्षिणी भागों,झारखण्ड के उत्तर पूर्वी भागों और पं.

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अंकोल

अलैंजिअम सल्बीफोलिअम अंकोल नामक पौधा अंकोट कुल का एक सदस्य है। वनस्पतिशास्त्र की भाषा में इसे एलैजियम सैल्बीफोलियम या एलैजियम लामार्की भी कहते हैं। वैसे विभिन्न भाषाओं में इसके विभिन्न नाम हैं जो निम्नलिखित हैं- यह बड़े क्षुप (shrub) या छोटे वृक्ष (3 से 6 मीटर लंबे) के रूप में पाया जाता है। इसके तने की मोटाई 2.5 फुट होती है। तथा यह भूरे रंग की छाल से ढका रहता है। पुराने वृक्षों के तने तीक्ष्णाग्र होने से काँटेदार या कंटकीभूत (Spina cent) होते हैं। इनकी पंक्तियाँ तीन से छह इंच लंबी अपलक, दीर्घवतया लंबगोल, नुकीली या हल्की नोंक वाली, आधार की तरफ पतली या विभिन्न गोलाई लिए हुए होती है। इनका ऊपरी तल चिकना एवं निचला तल मुलायम रोगों से युक्त होता है। मुख्य शिरा से पाँच से लेकर आठ की संख्या में छोटी शिराएँ निकलकर पूरे पत्र दल में फैल जाती हैं। ये पति्तयाँ एकांतर क्रम में लगभग आधे इंच लंबे पूर्णवृत (Petioda) द्वारा पौधे की शाखाओं से लगी रहती हैं। पुष्प श्वेत एवं मीठी गंध से युक्त होते हैं। फरवरी से अप्रैल तक इस पौधे में फूल लगते हैं। बाह्य दल रोमयुक्त एवं परस्पर एक-दूसरे से मिलकर एक नलिकाकार रचना बनाते हैं जिसका ऊपरी किनारा बहुत छोटे-छोटे भागों में कटा रहता है। इन्हें बाह्यदलपुंज दंत (Calyx teeth) कहते हैं। फल बेरी कहलाता है जो 5/8 इंच लंबा, 3/8 इंच चौड़ा काला अंडाकार तथा बाह्यदलपुंज के बढ़े हुए हिस्से से ढका रहता है। प्रारंभ में फल मुलायम रोमों से ढका रहता है परंतु रोगों के झड़ जाने के बाद चिकना हो जाता है। गुठली या अंतभिति्त (Endocarp) कठोर होती है। बीच का गूदा काली आभा लिए लाल रंग का होता है। बीज लंबोतरा या दीर्घवत् एवं भारी पदार्था से भरा रहता है। बीज पत्र सिकुड़े होते हैं। इस पौधे की जड़ में 0.8 प्रतिशत अंकोटीन नामक पदार्थ पाया जाता है। इसके तेल में भी 0.2 प्रतिशत यह पदार्थ पाया जाता है। अपने रोग नाशक गुणों के कारण यह पौधा चिकित्साशास्त्र में अपना महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। रक्तचाप को कम करने में इसका पूर्ण बहुत ही उपयोगी सिद्ध हुआ है। हिमालय की तराई, उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, राजस्थान, दक्षिण भारत एवं बर्मा आदि क्षेत्रों में यह पौधा सरलता से प्राप्य है। .

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अकिला दैनिक

अकिला दैनिक भारत में प्रकाशित होने वाला गुजराती भाषा का एक समाचार पत्र (अखबार) है। .

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उड़द दाल

उरद या उड़द एक दलहन होता है। उरद को संस्कृत में 'माष' या 'बलाढ्य'; बँगला' में माष या कलाई; गुजराती में अड़द; मराठी में उड़ीद; पंजाबी में माँह, अंग्रेज़ी, स्पेनिश और इटालियन में विगना मुंगों; जर्मन में उर्डबोहने; फ्रेंच में हरीकोट उर्ड; पोलिश में फासोला मुंगों; पुर्तगाली में फेजों-द-इण्डिया तथा लैटिन में 'फ़ेसिओलस रेडिएटस', कहते हैं। इसका द्विदल पौधा लगभग एक हाथ ऊँचा है और भारतवर्ष में सर्वत्र ज्वार, बाजरा और रुई के खेतों में तथा अकेला भी बोया जाता है। इससे मिलनेवाली दाल भोजन और औषधि, दोनों रूपों में उपयोगी है। बीज की दो जातियाँ होती हैं: (1) काली और बड़ी, जो वर्षा के आरंभ में बोई जाती है और (2) हरी और छोटी, जिसकी बोआई दो महीने पश्चात्‌ होती है। इसकी हरी फलियों की भाजी तथा बीजों से दाल, पापड़ा, बड़े इत्यादि भोज्य पदार्थ बनाए जाते हैं। आयुर्वेद के मतानुसार इसकी दाल स्निग्ध, पौष्टिक, बलकारक, शुक्र, दुग्ध, मांस और मेदवर्धक; वात, श्वास और बवासीर के रोगों में हितकर तथा शौच को साफ करनेवाली है। रासायनिक विश्लेषणों से इसमें स्टार्च 56 प्रतिशत, अल्बुमिनाएड्स 23 प्रतिशत, तेल सवा दो प्रतिशत और फास्फोरस ऐसिड सहित राख साढ़े चार प्रतिशत पाई गई है। इसकी तासीर ठंडी होती है, अतः इसका सेवन करते समय शुद्ध घी में हींग का बघार लगा लेना चाहिए। इसमें भी कार्बोहाइड्रेट, विटामिन्स, केल्शियम व प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। बवासीर, गठिया, दमा एवं लकवा के रोगियों को इसका सेवन कम करना चाहिए। .

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उपभाषा सतति

उपभाषा सतति (dialect continuum) किसी भौगोलिक क्षेत्र में विस्तृत उपभाषाओं की ऐसी शृंखला को कहते हैं जिसमें किसी स्थान की उपभाषा पड़ोस में स्थित स्थान से बहुत कम भिन्नता रखती है। बोलने वालों को वह दोनों उपभाषाएँ लगभग एक जैसी प्रतीत होती हैं, लेकिन यदी एक-दूसरे से दूर स्थित उपभाषाओं की तुलना की जाये तो वे काफ़ी भिन्न प्रतीत होती हैं और बहुत दूर स्थित उपभाषाओं को बोलने वालो को एक-दूसरे को समझने में कठिनाई हो सकती है। भारतीय उपमहाद्वीप में यह कई स्थानों पर देखा जाता है। मसलन ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा की हिन्दको भाषा से दक्षिण चलकर पोठोहारी भाषा, पंजाबी भाषा, सराइकी भाषा, सिन्धी भाषा, कच्छी भाषा, गुजराती भाषा, अहिराणी भाषा, और फिर मुम्बई क्षेत्र में मराठी भाषा तक एक विशाल उपभाषा सतति है, जिसमें एक बस्ती से पड़ोस की बस्ती तक कहीं भी लोगों को आपस में बोलचाल में कठिनाई नहीं होती लेकिन यदी हिन्दको की मराठी से सीधी तुलना की जाये तो वे बहुत भिन्न हैं। यूरोप, उत्तर अफ़्रीका के मग़रेब क्षेत्र और विश्व के अन्य भागों में यह बहुत देखा जाता है। पिछले १०० वर्षों में कई देशों में भाषाओं के मानकीकरण से कई उपभाषाएँ विलुप्त हो गई हैं, जिस से ऐसे कई उपभाषा सतति क्षेत्रों का भी अन्त हो गया है। .

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उपरवास कथात्रयी

उपरवास कथात्रयी गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार रघुवीर चौधुरी द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1977 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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उपायन

उपायन गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार वी. आर. त्रिवेदी द्वारा रचित एक समालोचनात्मक लेखन है जिसके लिये उन्हें सन् 1962 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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उपासना सिंह

उपासना सिंह (Upasana Singh) एक भारतीय फिल्म अभिनेत्री है जिनका जन्म पंजाब के होशियारपुर क्षेत्र में हुआ था। उपासना सिंह मुख्य रूप से हास्य कला के लिए जानी जाती है। इन्होने अपने फ़िल्मी कैरियर की शुरुआत १९९७ में जुदाई फिल्म से की थी।इन्होंने सोनी टीवी के और कपिल शर्मा के शो कॉमेडी नाइट्स विद् कपिल में भी अभिनय किया था, उसमें इन्होंने एक भुआ की भूमिका निभाई थी और नादानियाँ में भी एक अहम रोल किया था।यह एक बॉलीवुड अभिनेत्री है जो क्षेत्रीय फिल्मों पंजाबी, राजस्थानी, भोजपुरी और गुजराती में भी कार्य करती है। .

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उमाशंकर जोशी

उमाशंकर जोशी एक गुजराती साहित्यकार हैं। इन्हें 1967 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इनके द्वारा रचित एक समालोचना कविनी श्रद्धा के लिये उन्हें सन् १९७३ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (गुजराती) से सम्मानित किया गया। .

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छतड़ीया (धारी)

छतड़ीया (છતડીયા.) भारत देश में गुजरात राज्य के सौराष्ट्र एवं काठियावाड़ प्रान्त में अमरेली ज़िले के ११ तहसील में से एक धारी तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। छतड़ीया गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूंगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादि की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नज़दीकी शहर अमरेली है। यहाँ पे शेर, तेंदुआ जैसे हिंसक वन्य प्राणी भी पाए जाते हैं। .

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छप्पर

कोरिया का परम्परागत छप्पर का घर कच्चे मकानों, झोपड़ियों आदि की उस छाजन को छप्पर (thatch) कहते हैं जो बाँसों, लकड़ियों तथा फूस की बनी होती है। किसी प्रकार का आवरण जो रक्षा के लिए ऊपर लगाया जाय, उसे भी छप्पर कहते हैं; जैसे-नाव पर का छप्पर। इसे संस्कृत में छत्त्वर, प्रकृत में छप्पर, बंगला में छापर, ओड़िया में छपर, गुजराती में छाप्रो, नेपाली में छाप्रो और मराठी में छप्पर के नाम से जाना जाता है। .

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छबि भीतरनी

छबि भीतरनी गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार अश्विन महेता द्वारा रचित एक निबंध है जिसके लिये उन्हें सन् 2014 में गुजराती भाषा के लिए मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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छावणी

छावणी गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार धीरेन्द्र महेता द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2010 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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छौंक

छौंक लगाने की तैयारी छौंक जिसे तड़का (पश्चिमी भाग) या बघार (दक्षिणी भाग) भी कहते हैं, मुख्यत: भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में विभिन्न व्यंजनों को पकाने में प्रयोग की जाने वाली एक विधि है। छौंक लगाने में घी या तेल को गर्म कर उसमें खड़े मसाले (अथवा पिसे मसाले भी) डाले जाते हैं ताकि उनमें समाहित सुगंधित तेल उनकी कोशिकाओं से निकल कर, उस व्यंजन जिसमें इन मसालों को मिलाया जाना है, को, उसका वो खास स्वाद प्रदान कर सकें। छौंक को किसी व्यंजन की शुरुआत या फिर अंत में मिलाया जा सकता है। शुरुआत मे लगे छौंक में अमूमन खड़े मसालों के साथ साथ पिसे मसाले और नमक भी मिलाया जाता है जबकि अंत में लगे छौंक में अक्सर खड़े मसाले ही डाले जाते हैं। शुरुआत में लगा छौंक अक्सर सब्जी पकाने में प्रयोग किया जाता है, जबकि दाल, सांबर आदि व्यंजनों में इसे अंत में मिलाया जाता है। .

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छोटा भंडारीया (अमरेली)

छोटा भंडारीया (નાના ભંડારીયા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। छोटा भंडारीया गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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छोटा माचीयाला (अमरेली)

छोटा माचीयाला (નાના માચીયાળા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। छोटा माचीयाला गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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छोटा माँडवडा (अमरेली)

छोटा माँडवडा (નાના માંડવડા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। छोटा माँडवडा गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूँगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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छोटा गरमली (धारी)

छोटा गरमली (નાની ગરમલી.) भारत देश में गुजरात राज्य के सौराष्ट्र एवं काठियावाड़ प्रान्त में अमरेली ज़िले के ११ तहसील में से एक धारी तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। छोटा गरमली गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजदूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहाँ पे गेहूँ, मूंगफली, तल, बाजरा, जीरा, अनाज, सेम, सब्जी, अल्फला इत्यादि की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ हैं। गाँव से सबसे नज़दीकी शहर अमरेली है। यहाँ पे शेर, तेंदुआ जैसे हिंसक वन्य प्राणी भी पाए जाते हैं। .

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छोटा गोखरवाला (अमरेली)

छोटा गोखरवाला (નાના ગોખરવાળા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। छोटा गोखरवाला गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मुहफली, तल, अनाज, कठोल, सब्जी इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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छोटा आँकडीया (अमरेली)

छोटा आँकडीया (નાના આંકડીયા.) भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में अमरेली जिले के ११ तहसील में से एक अमरेली तहसील का महत्वपूर्ण गाँव है। छोटा आँकडीया गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती, खेतमजूरी, पशुपालन और रत्नकला कारीगरी है। यहा पे गेहूँ, मुहफली, तल, अनाज, कठोल, सब्जी इत्यादी की खेती होती है। गाँव में विद्यालय, पंचायत घर जैसी सुविधाएँ है। गाँव से सबसे नजदीकी शहर अमरेली है। .

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छोटी जंगली मुर्गी

छोटी जंगली मुर्गी (Red Spurfowl) (Galloperdix spadicea) फ़ीज़ेन्ट कुल का पक्षी है जो भारत का ही मूल निवासी है। इसकी पूँछ तीतर (जो स्वयं फ़िज़ेन्ट कुल का पक्षी है) की तुलना में लंबी होती है और जब यह ज़मीन पर बैठा होता है, तो इसकी पूँछ साफ़ दिखाई देती है। हालांकि इसका मुर्गी से दूर का भी संबन्ध नहीं है, लेकिन भारत में इसे जंगली मुर्गा ही माना जाता है। .

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ॐ नमः शिवाय

देवनागरी लिपि में "ॐ नमः शिवाय" मंत्र लैटिन लिपि) इस रूप में प्रकट हुआ है ॐ नमः शिवाय (IAST: Om Namaḥ Śivāya) यह सबसे लोकप्रिय हिंदू मंत्रों में से एक है और शैव सम्प्रदाय का महत्वपूर्ण मंत्र है। नमः शिवाय का अर्थ "भगवान शिव को नमस्कार" या "उस मंगलकारी को प्रणाम!" है। इसे शिव पञ्चाक्षर मंत्र या पञ्चाक्षर मंत्र भी कहा जाता है, जिसका अर्थ "पांच-अक्षर" मंत्र (ॐ को छोड़ कर) है। यह भगवान शिव को समर्पित है। यह मंत्र श्री रुद्रम् चमकम् और रुद्राष्टाध्यायी में "न", "मः", "शि", "वा" और "य" के रूप में प्रकट हुआ है। श्री रुद्रम् चमकम्, कृष्ण यजुर्वेद का हिस्सा है और रुद्राष्टाध्यायी, शुक्ल यजुर्वेद का हिस्सा है। श्रेणी:ग़ैर हिन्दी भाषा पाठ वाले लेख पञ्चाक्षर के रूप में 'नमः शिवाय' मंत्र त्रिपुण्ड्र से सजा हुआ शिवलिंग  .

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.भारत

.in (वर्तमान में.भारत भी) भारत का इंटरनेट का शीर्ष-स्तर डोमेन (सी॰सी॰टी॰ऍल॰डी॰) देश कोड है। डोमेन का संचालन आईएनरजिस्ट्री द्वारा नेशनल इंटरनेट एक्साचेंज ऑफ इंडिया (NIXI) के प्राधिकरण के अन्तर्गत होता है। आइएनरजिस्ट्री को भारत सरकार द्वारा नियत किया गया। वर्ष २००५ तक,.in डोमेन की उदारीकृत नीति के तहत,.in के द्वितीय स्तर के असीमित पंजीकरण किये जा सकते हैं। पहले से निर्धारित एवं उपलब्ध क्षेत्रों में भी असीमित पंजीकरण अनुमत हैं.

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