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गङ्गाधर

सूची गङ्गाधर

(१) शिवजी का एक नाम है क्योंकि वह (गंगा) उनकी जटा से निकलती है। भगीरथ की प्रार्थना पर शिव ने गंगा को अपने मस्तक पर धारण किया था अत: उनका एक नाम। (२) विभिन्न समयों में हुए अनेक प्रसिद्ध पंडितों, टीकाकारों और ग्रंथकारों के नाम। इनमें से एक प्राचीन कोशकार और कात्यायन सूत्र की टका, आधानपद्धति, संस्कारपद्धति आदि संस्कृत ग्रंथों के रचयिता माध्यंदिन शाखाध्यायी प्राचीन स्मार्त पंडित थे देवतार्चनविधि, निर्णयमंजरी, योगरत्नावली, रसपद्माकर (अलंकार ग्रंथ) आदि ग्रंथों के विविध प्रणेता इसी नाम के विविध व्यक्ति थे। तर्कदीपिका, सूर्यशतक और संगीतरत्नाकर के गंगाधर नामधारी टीकाकार भी एक दूसरे से भिन्न बनाए गए हैं। संस्कृत के एक अन्य प्रसिद्ध ग्रंथकार भी इसी नाम से विख्यात हैं। जिन्होंने गंगास्तोत्र, तर्कचंद्रिका, तीर्थकाशिका प्रपंचसारविवेक आदि अनेक ग्रंथों की रचना की है। न्यायकुतूहल और न्यायचंद्रिका के प्रणेता तथा इनसे भिन्न एक प्रसिद्ध वैयाकरण और एक नैयायिक पंडित भी इसी नाम के व्यक्ति हैं। श्रेणी:नाम.

2 संबंधों: शिव, सौन्दर्य प्रसाधन

शिव

शिव या महादेव हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव भी कहते हैं। इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ,गंगाधार के नाम से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से हैं। वेद में इनका नाम रुद्र है। यह व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी हैं। इनकी अर्धांगिनी (शक्ति) का नाम पार्वती है। इनके पुत्र कार्तिकेय और गणेश हैं, तथा पुत्री अशोक सुंदरी हैं। शिव अधिक्तर चित्रों में योगी के रूप में देखे जाते हैं और उनकी पूजा शिवलिंग तथा मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है। शिव के गले में नाग देवता विराजित हैं और हाथों में डमरू और त्रिशूल लिए हुए हैं। कैलाश में उनका वास है। यह शैव मत के आधार है। इस मत में शिव के साथ शक्ति सर्व रूप में पूजित है। भगवान शिव को संहार का देवता कहा जाता है। भगवान शिव सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं। अन्य देवों से शिव को भिन्न माना गया है। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं। त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं। शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदिस्रोत हैं और यह काल महाकाल ही ज्योतिषशास्त्र के आधार हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं। राम, रावण, शनि, कश्यप ऋषि आदि इनके भक्त हुए है। शिव सभी को समान दृष्टि से देखते है इसलिये उन्हें महादेव कहा जाता है। .

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सौन्दर्य प्रसाधन

कुछ सौन्दर्य प्रसाधन और लगाने के औजार स्त्री की रागालंकृत आँख का पास से लिया गया फोटो अंगराग या सौन्दर्य प्रसाधन या कॉस्मेटिक्स (Cosmetics) ऐसे पदार्थों को कहते हैं जो मानव शरीर के सौन्दर्य को बढ़ाने या सुगन्धित करने के काम आते हैं। शरीर के विभिन्न अंगों का सौंदर्य अथवा मोहकता बढ़ाने के लिए या उनको स्वच्छ रखने के लिए शरीर पर लगाई जाने वाली वस्तुओं को अंगराग (कॉस्मेटिक) कहते हैं, परंतु साबुन की गणना अंगरागों में नहीं की जाती। अंगराग प्राकृतिक या कृत्रिम दोनो प्रकार के होते हैं। वे विशेषतः त्वचा, केश, नाखून को सुन्दर और स्वस्थ बनाने के काम आते हैं। ये व्यक्ति के शरीर के गंध और सौन्दर्य की वृद्धि करने के लिये लगाये जाते है। शरीर के किसी अंग पर सौन्दर्य प्रसाध लगाने को 'मेक-अप' कहते हैं। इसे शरीर के सौन्दर्य निखारने के लिये लगाया जाता है। 'मेक-अप' की संस्कृति पश्चिमी देशों से आरम्भ होकर भारत सहित पूरे विश्व में फैल गयी है। 'मेक-अप' कई प्रक्रियाओं की एक शृंखला है जो चेहरे या सम्पूर्ण देह की छबि को बदलने का प्रयत्न करती है। यह किसी प्रकार की कमी को ढकने या छिपाने के साथ-साथ सुन्दरता को उभारने का काम भी करती है। .

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