अमर शहीद वीर गंगा नारायण सिंह, भूमिज विद्रोह के महानायक कहे जाते हैं। 1767 ईस्वी से 1833 ईस्वी तक, 60 से ज्यादा वर्षों में भूमिज मुंडाओं द्वारा अंग्रेजों के विरूद्ध किए गए विद्रोह को भूमिज विद्रोह कहा गया है। अंग्रेजों ने इसे 'गंगा नारायण का हंगामा' कहा है जबकि इतिहासकारों ने इसे चुआड विद्रोह के नाम से लिखा है। 1765 ईस्वी में दिल्ली के बादशाह, शाह आलम ने बंगाल, बिहार, उडीसा की दीवानी ईस्ट इंडिया कंपनी को दी थी। इससे आदिवासियों का शोषण होने लगा तो भूमिज मुंडाओं ने विद्रोह कर दिया। चुआड का अर्थ वस्तुत: Robbers होता है। कई इतिहासकारों ने जैसे कि J.C.Jha,E.T.Dalton, W.W.Hunter,H.H.Risley, J.C.price,S.C.Roy, Bimla Sharan, Surojit Sinha आदि ने भूमिज को ही चुआड कहा है। भूमिज काफी वीर तथा बहादुर होते हैं। भूमिजों ने हमेशा ही अन्याय के विरूद्ध आवाज उठाई है, तथा संघर्ष किया है। .
1 संबंध: भूमिज विद्रोह।
भूमिज विद्रोह तत्कालीन बंगाल राज्य के मिदनापुर जिले के डालभूम और जंगल महल क्षेत्र में स्थित आदिवासियों द्वारा १८३२-१८३३ के दौरान में किया गया विद्रोह है। इसका नेतृत्व गंगा नारायण सिंह ने किया था। .
नई!!: गंगा नारायण सिंह और भूमिज विद्रोह · और देखें »