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खनिज तेल

सूची खनिज तेल

खनिज तेल की शीशी खनिज तेल (mineral oil) शब्द का प्रयोग दो अलग-अलग अर्थों में किया जाता है.

13 संबंधों: ट्रांसफॉर्मर तेल, तेल, परावैद्युत सामर्थ्य, मखष्कला, लावा लैंप, सिरेनेइका, स्नेहक, सौन्दर्य प्रसाधन, वाणिज्यवाद, खाद्य तेल, खंभात की खाड़ी, ग्रीज, उरुमची

ट्रांसफॉर्मर तेल

एक उच्च वोल्टता के ट्रान्सफॉर्मर का कटा-हुआ दृष्य जिसमें ट्रान्सफार्मर तेल प्रयुक्त होता है परिणामित्र तेल या ट्रान्सफॉर्मर ऑयल (Transformer oil या insulating oil) का उपयोग ट्रान्सफार्मरों, उच्च वोल्तता के संधारित्रों, उच्च वोल्टता के स्विचों एवं सर्किट ब्रेकरों आदि में किया जाता है। ट्रान्सफॉर्मर तेल का विद्युत इन्सुलेशन का गुण उत्तम होता है जो उच्च ताप पर बना रहता है। इसके अलावा यह कोरोना रोकना, आर्किंग रोकना और शीतल करने का काम भी करता है। भी उत्तम बनाये रखता है। ट्रान्सफॉर्मर तेल प्रायः खनिज तेल पर आधारित होता है किन्तु अन्य प्रकार से भी निर्मित तेलों के इंजीनियरिंग या/तथा पर्यावरणीय गुण बेहतर पाये गये हैं और वे लोकप्रिय हो रहे हैं। श्रेणी:ट्रांसफॉर्मर श्रेणी:द्रव विद्युत इन्सुलेटर.

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तेल

तेल से तात्पर्य निम्नलिखित वस्तुओं से होता है-.

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परावैद्युत सामर्थ्य

इंसुलेटिंग ऑयल का ब्रेकडॉउन टेस्ट करने वाला उपकरण भौतिकी में परावैद्युत सामर्थ्य (dielectric strength) के निम्नलिखित अर्थ हैं-.

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मखष्कला

मखष्कला (Makhachkala) कैस्पियन सागर पर स्थित रूस के दगेस्तान नामक प्रांत की राजधानी, महत्वपूर्ण नगर एवं बंदरगाह है। सन् १८५७ में इसका नाम पेट्रोवस्क (Petrovsk) था, जो सन् १९२१ में बदलकर मखष्कला हो गया। तभी से यह दगेस्तान की राजधानी भी है। यह प्रांत का व्यापारिक एवं औद्योगिक केंद्र है। यहाँ पर खनिज तेल साफ करने के अनेक कारखाने हैं, जो ग्रोजिनी तेल क्षेत्र से संबंधित हैं। यह नगर सूती ऊनी कपड़े बनाने एवं वायुयान निर्माण के लिये भी प्रसिद्ध है। श्रेणी:रूस के नगर श्रेणी:रूस के गणतंत्रों की राजधानियाँ.

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लावा लैंप

लावा लैंप एक सजावटी दीप है, जिसका आविष्कार 1963 में ब्रिटिश एकाउंटेंट एडवर्ड क्रेवेन-वाकर ने किया था। यह दीप रंगीन मोम की बूंदों से भरा होता है, जो की एक कांच के पोत के अंदर भरे साफ़ तरल में तैरते हैं। पोत के नीचे लगे एक उद्दीप्त दीपक के ताप से मोम के घनत्व में परिवर्तन आता है और वह ऊपर-नीचे चढ़ता और गिरता है। यह दीपक अनेक रूप-रंगों में तैयार किये जाते हैं। .

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सिरेनेइका

लीबिया के परम्परागत प्रदेश सिरेनेइका (Cyrenaica) लीबिया के पूर्वी भाग में स्थित एक प्रदेश है। भूमध्यसागर तट पर स्थित इस प्रदेश के पूर्व में मिस्र, पश्चिम में ट्रिपोलीटेनिया एवं दक्षिण में चाड गणतंत्र है। इसमें कूफा मरुद्यान भी सम्मिलित है। तटीय भाग की जलवायु भूमध्यसागरीय है। गर्मी की ऋतु उष्ण एवं शुष्क होती है। भीतरी भागों में वर्षा की मात्रा कम होती है तथा तट से १२५ किमी की दूरी पर मरुस्थलीय दशाएं पायी जाती हैं। तटीय क्षेत्र में बेनगाजी और डेरना के बीच में तथा गेबल-एल-अखदार (Gebel-el-Akhdar) पठार में जनसंख्या केंद्रित है जहां वार्षिक वर्षा १६ इंच के आसपास हो जाती है। जौ, गेहूं, जैतून एवं अंगूर मुख्य कृषि उपज हैं। कफ्रू एवं जिआलो नामक मरुद्यानों से खजूर की प्रचुर मात्रा में प्राप्ति होती है। खानाबदोश पशुचारियों ने भेड़, बकरे और ऊँट पर्याप्त मात्रा में पाल रखे हैं। यहाँ से भेड़, बकरा, पशु, ऊन, चमड़ा, मछली तथा स्पंज का निर्यात मुख्यत: ग्रीस और मिस्र को होता है। उपजाऊ भूमि का अधिकांश भाग चरागाह के लिए ही उपयुक्त है। विकसित सिंचाई के साधनों द्वारा तरकारी की उपज की जा सकती है। फिर भी पशुपालन एवं बागवानी खेती प्रधान उद्योग रहेंगे। यहाँ २,७२,००० एकड़ में प्राकृतिक वन हैं। खनिज तेल भी पाया जाता है। मुख्य नगर तोब्रक, डेरना, सिरएन, बार्स और बेनगाजी हैं जो तटीय सड़क मार्ग द्वारा एक-दूसरे से संबद्ध हैं। १५० किमी लंबा रेलमार्ग है। वायु मार्ग द्वारा त्रिपोली, काहिरा, रोम, माल्टा, ट्यूनिस, नैरोबी, एथेंस और लंदन यहाँ की राजधानी बेनगाजी से संबद्ध हैं। श्रेणी:लीबिया श्रेणी:भूगोल.

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स्नेहक

लूब्रिकेंट (जिसे कभी-कभी "लूब" के रूप में संदर्भित किया जाता है) एक ऐसा पदार्थ है (अक्सर तरल) जो दो गतिशील सतहों के बीच लगाया जाता है ताकि उनके बीच घर्षण कम हो, कार्यकुशलता में सुधार हो और जल्दी घिस ना जाए.

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सौन्दर्य प्रसाधन

कुछ सौन्दर्य प्रसाधन और लगाने के औजार स्त्री की रागालंकृत आँख का पास से लिया गया फोटो अंगराग या सौन्दर्य प्रसाधन या कॉस्मेटिक्स (Cosmetics) ऐसे पदार्थों को कहते हैं जो मानव शरीर के सौन्दर्य को बढ़ाने या सुगन्धित करने के काम आते हैं। शरीर के विभिन्न अंगों का सौंदर्य अथवा मोहकता बढ़ाने के लिए या उनको स्वच्छ रखने के लिए शरीर पर लगाई जाने वाली वस्तुओं को अंगराग (कॉस्मेटिक) कहते हैं, परंतु साबुन की गणना अंगरागों में नहीं की जाती। अंगराग प्राकृतिक या कृत्रिम दोनो प्रकार के होते हैं। वे विशेषतः त्वचा, केश, नाखून को सुन्दर और स्वस्थ बनाने के काम आते हैं। ये व्यक्ति के शरीर के गंध और सौन्दर्य की वृद्धि करने के लिये लगाये जाते है। शरीर के किसी अंग पर सौन्दर्य प्रसाध लगाने को 'मेक-अप' कहते हैं। इसे शरीर के सौन्दर्य निखारने के लिये लगाया जाता है। 'मेक-अप' की संस्कृति पश्चिमी देशों से आरम्भ होकर भारत सहित पूरे विश्व में फैल गयी है। 'मेक-अप' कई प्रक्रियाओं की एक शृंखला है जो चेहरे या सम्पूर्ण देह की छबि को बदलने का प्रयत्न करती है। यह किसी प्रकार की कमी को ढकने या छिपाने के साथ-साथ सुन्दरता को उभारने का काम भी करती है। .

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वाणिज्यवाद

वाणिज्यवाद (Mercantilism) १६वीं से १८वीं शदी में यूरोप में प्रचलित एक आर्थिक सिद्धान्त तथा व्यवहार का नाम है जिसके अन्तर्गत राज्य की शक्ति बढाने के उद्देश्य से राष्ट्र की अर्थव्यवस्थाओं का सरकारों द्वारा नियंत्रन को प्रोत्साहन मिला। व्यापारिक क्रांति ने एक नवीन आर्थिक विचारधारा को जन्म दिया। इसका प्रारंभ सोलहवीं सदी में हुआ। इस नवीन आर्थिक विचारधारा को वाणिज्यवाद, वणिकवाद या व्यापारवाद कहा गया है। फ्रांस में इस विचारधारा को कोल्बर्टवाद और जर्मनी में केमरलिज्म कहा गया। 1776 ई. में प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एडम स्मिथ ने भी अपने ग्रन्थ ‘द वेल्थ ऑफ नेशन्स' में इसका विवेचन किया है। .

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खाद्य तेल

सरसों का तेल खाद्य तेल या पाक तेल (खाना पकाने में काम आने वाले तेल), वनस्पतियों से प्राप्त वसा का परिशुद्ध रूप होते हैं। यह सामान्य तापमान पर तरल अवस्था में रहते हैं। (नारियल तेल और ताड़ का तेल जैसे संतृप्त तेल अन्य तेलों की तुलना में सामान्य तापमान पर अधिक ठोस होते हैं)। खाद्य तेलों के उदाहरण हैं: सरसों का तेल, जैतून का तेल, ताड़ का तेल, सोयाबीन तेल, कनोला तेल, कद्दू के बीज का तेल, मक्का का तेल, सूरजमुखी तेल, मूंगफली तेल, तिल का तेल, चावल की भूसी का तेल आदि। इनके अलावा और भी बहुत से वनस्पति तेलों का प्रयोग खाना पकाने में किया जाता है। जब हम खास तौर पर "वनस्पति तेल" की बात करते हैं तब हमारा अभिप्राय किसी खास तेल या तेलों के मिश्रण से तैयार किसी विशिष्ट तेल से होता है। खाद्य तेलों में ताजा जड़ी बूटी, लहसुन, मिर्च आदि जैसे खाद्य पदार्थों को मिलाकर उनका खास स्वाद और खुशबू प्रदान की जा सकती है। हालांकि यदि इन खुशबूदार तेलों का भंडारण एक लंबे समय के लिए करना हो तो उनमें जीवाणु पनप सकते हैं। .

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खंभात की खाड़ी

खंभात की खाड़ी (पूर्व नाम: कैंबे की खाड़ी) अरब सागर स्थित एक तिकोनी आकृति की खाड़ी है। यह दक्षिणी ओर से अरब सागर में खुलती है। यह भारतीय राज्य गुजरात के सागर तट, पश्चिमी भारत के शहर मुंबई और काठियावाड़ प्रायद्वीप के मध्य स्थित है और उसे पूर्व और पश्चिमी, दो भागों में बांटती है। केन्द्र शासित प्रदेश दमन और दीव के निकट इसका मुहाना लगभग १९० किलोमीटर चौड़ा है, जो तीव्रता सहित २४ किमी तक संकरा हो जाता है। इस खाड़ी में साबरमती, माही, नर्मदा और ताप्ती सहित कई नदियों का विलय होता है। दक्षिण दिशा से दक्षिण पश्चिमी मानसून के सापेक्ष इसकी आकृति और इसकी अवस्थिति, इसकी लगभग १०-१५ मीटर ऊँची उठती और प्रवेश करती लहरों की ६-७ नॉट्स की द्रुत गति के कारण है। इसे शैवाल और रेतीले तट नौपरिवहन के लिए दुर्गम बनाते हैं साथ ही खाड़ी में स्थित सभी बंदरगाहों को लहरों व नदियों में बाढ़ द्वारा लाई गई गाद का बाहुल्य मिलता है। गुजरात से ४ बड़ी, ५ मध्यम, २५ छोटी एवं ५ मरुस्थलीय नदियां खाड़ी में गिरती हैं एवं खाड़ी में प्रतिवर्ष ७१,००० घन मि.मी जल विसर्जित करती हैं। खाड़ी की पूर्व में भरुच नामक भारत का एक प्राचीनतम बंदरगाह शहर एवं सूरत हैं, जो भारत और यूरोप के बीच का आरंभिक वाणिज्यिक संपर्क स्थल के रूप में प्रसिद्ध रहे हैं। ये शहर इसके मुहाने पर स्थित हैं। हालांकि इस खाड़ी में स्थित बंदरगाहों का महत्त्व स्थानीय लोगों हेतु ही है, फिर भी यहाँ पर खनिज तेल के लिये किये गए खोज प्रयासों ने, विशेषकर भरुच के निकट, खाड़ी के मुहाने और बॉम्बे हाई के अपतटीय क्षेत्रों में वाणिज्यिक पुनरुत्थान हुआ है। वर्ष २००० में भारत के तत्कालीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री, डॉ॰ मुरली मनोहर जोशी ने जल के नीचे बड़े स्तर पर मानव-निर्मित ढांचों के मिलने की घोषणा की थी। यद्यपि खाड़ी पर स्थित बंदरगाहों का महत्त्व स्थानीय मात्र ही है, लेकिन यहाँ पर तेल के मिलने और खोज प्रयासों ने, विशेषकर भरुच के निकट, खाड़ी के मुहाने और बॉम्बे हाई के अपतटीय क्षेत्रों में वाणिज्यिक पुनरुत्थान हुआ है। खंभात की खाड़ी में तृतीय कल्प (Tertiary) के निक्षेप मिलते हैं। भूगर्भिक क्रियाओं का प्रभाव इस क्षेत्र पर रहा है, अत: यहाँ अनेक भ्रंश (Faults) पाए जाते हैं। बाद के युग में यह क्षेत्र ऊपर की ओर उठ गया। तटीय क्षेत्र में नदियों की पुरानी घाटियाँ तथा झीलें आज भी दृष्टिगत होती हैं। नर्मदा, ताप्ती, माही, साबरमती तथा काठियावाड की अन्य नदियों के वेगवान निक्षेपण के कारण विस्तृत तटीय क्षेत्र दलदल से परिपूर्ण हो गए हैं और खाड़ी के बीच कुछ द्वीप बन गए हैं। .

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ग्रीज

ग्रीज का डिबा अर्धठोस स्नेहकों (लुब्रिकैंट्स) को ग्रीज (grease) कहते हैं। ग्रीस में कोई साबुन तथा खनिज तेल या वनस्पति तेल का इमल्सन होता है। ग्रीस की विशेषता है कि आरम्भ में उनकी श्यानता अधिक होती है किन्तु दाब पड़ने के बाद यह श्यानता घटकर लगभग उस तेल के बराबर रह जाती है जिससे ग्रीज बना होता है। इस प्रकार यह तैलीय स्नेहक जैसा ही प्रभाव पैदा करता है। .

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उरुमची

अरोमची शहर के विभिन्न दृश्य, सब से ऊपर अरोमची के केंद्रीय व्यापारिक क्षेत्र का एक ताइरा ना दृश्य, नीचे बाईं ओर लाल पहाड़ (हाँग शान) और दायीं तरफ अरोमची का शबीना बाज़ार और नीचे अरोमची से कोह तयानि शान का एक दृश्य अरोमची (अवीग़ौर: ئۈرۈمچی‎‎, सादा चीनी: 乌鲁木齐, रवायती चीनी: 烏魯木齊, अंग्रेज़ी: Ürümqi या Ürümchi) शुमाल मग़रिबी चीन के शिंज्यांग प्रांत का दारुलहकूमत है। ये क़ाज़क़सतान की सीमा के निकट खनिज तेल से भरपूर ख़ित्ते का सनअती ओ- सक़ाफ़ती केंद्र है। 2007 के अनुमान के अनुसार शहर की जनसंख्या 15 लाख 90 हज़ार है। ये कोह तयानि शान के शुमाली क्षेत्र में समुंद्र की सतह से 3 हज़ार फुट (900 मीटर) की उँचाई पर एक मरुस्थलीय मरुद्यान में क़दीम रेशम का मार्ग पर स्थित है और वुस़्त एशिया में महत्वपूर्ण रहा है। यहां की सनअतों में लोहा, सीमेंट, ज़रई मशीनरी, कीमीयाई मादे और पारचा जात तैयार किए जाते हैं। कोइलह और ख़ाम लोहे के ज़ख़ाइर क़रीब ही पाए जाते हैं। इस की बीशुत्र आबादी हाँ नस्ल के चीनी बाशनदों पर मुशतमिल है जबकि तर्क क़बीले अवीग़ौर मुस्लमान बाशिंदे सब से बड़ी अक़लीयत हैं। अलावा अज़ीं काज़क़ और करगज़ अक़लीयत भी पाई जाती है। इस शहर की मसाजिद आज भी इस्लाम के वाज़िह असरात की गवाही देती हैं। यहां जामा सन्कियानग भी वाक़िअ है। .

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