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खनन

सूची खनन

सरलीकृत विश्व खनन मानचित्र पृथ्वी के गर्भ से धातुओं, अयस्कों, औद्योगिक तथा अन्य उपयोगी खनिजों को बाहर निकोलना खनिकर्म या खनन (mining) हैं। आधुनिक युग में खनिजों तथा धातुओं की खपत इतनी अधिक हो गई है कि प्रति वर्ष उनकी आवश्यकता करोड़ों टन की होती है। इस खपत की पूर्ति के लिए बड़ी-बड़ी खानों की आवश्यकता का उत्तरोत्तर अनुभव हुआ। फलस्वरूप खनिकर्म ने विस्तृत इंजीनियरों का रूप धारण कर लिया है। इसको खनन इंजीनियरी कहते हैं। संसार के अनेक देशों में, जिनमें भारत भी एक है, खनिकर्म बहुत प्राचीन समय से ही प्रचलित है। वास्तव में प्राचीन युग में धातुओं तथा अन्य खनिजों की खपत बहुत कम थी, इसलिए छोटी-छोटी खान ही पर्याप्त थी। उस समय ये खानें 100 फुट की गहराई से अधिक नहीं जाती थीं। जहाँ पानी निकल आया करता था वहाँ नीचे खनन करना असंभव हो जाता था; उस समय आधुनिक ढंग के पंप आदि यंत्र नहीं थे। .

53 संबंधों: एम बी एम अभियान्त्रिकी महाविद्यालय, त्रिक्षेत्रीय सिद्धांत, त्रूदोस पहाड़ियाँ, नाभिकीय ईंधन चक्र, नैवेली लिग्नाइट कारपोरेशन लिमिटेड, पारा जिला, पुनर्चक्रण, प्रतापगढ़, राजस्थान, प्राचीन भारतीय विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी, पूर्वी साइबेरियाई सागर, बम, बिचोलिम, ब्राज़ील, भारत में कोयला-खनन, भारत के खनन घोटाले, भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड, भारतीय रसायन का इतिहास, भारतीय अर्थव्यवस्था, मागादान ओब्लास्त, मिनीकॉनामी, मृदा प्रदूषण, यूटा, यूनियन कार्बाइड, राजस्थान राज्य खनिज विकास निगम, रिओ तिन्तो (नदी), रोमब्लोन, लापतेव सागर, लाल गलियारा, लौह युग, लौह अयस्क, समुद्री प्रदूषण, सकल घरेलू उत्पाद, स्वचालन, हीथ लेजर, जल निकासी, जूता, वर्षावन, वानूआतू, वित्त परियोजना, विनिर्माण प्रक्रियाओं की सूची, खनन इंजीनियरी, खनि भौमिकी, खनिजों का बनना, खनिक, खान, ऑस्ट्रेलिया की अर्थव्यवस्था, आदित्य बिड़ला समूह, आर्थिक भौमिकी, कुदरेमुख, कृष्णकुमार माथुर, ..., के आई ओ सी एल लिमिटेड, अपशिष्ट प्रबंधन, अंतरिक्ष विज्ञान सूचकांक विस्तार (3 अधिक) »

एम बी एम अभियान्त्रिकी महाविद्यालय

एम॰बी॰एम॰ अभियांत्रिकी महाविद्यालय (MBM Engineering College; मगनीराम बांगड़ मैमोरियल इंजीनियरिंग कॉलेज; एमबीएम), जोधपुर भारत के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित अभियान्त्रिकी महाविद्यालयों में से एक है। इस कॉलेज की स्थापना राजस्थान सरकार द्वारा 15 अगस्त 1951 को की गई थी। यह महाविद्यालय अभियांत्रिकी के क्षेत्र में अपने उच्च शैक्षिक स्तर के कारण न केवल राजस्थान राज्य में ही, बल्कि पूरे देश में अग्रणी तकनीकी संस्थान के रूप में प्रतिष्ठित है। इस महाविद्यालय में अनेक तकनीकी विषयों में स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर की शिक्षा प्रदान की जाती है। शोधार्थी यहाँ स्नातकोत्तर शिक्षा के बाद पी.एचडी. डिग्री तथा स्नातकोत्तर डिप्लोमा के लिए भी अध्ययन करते हैं। सम्प्रति यह महाविद्यालय जुलाई 1962 से जोधपुर, राजस्थान के जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के अंतर्गत अभियांत्रिकी तथा स्थापत्यकला संकाय के रूप में मान्यता प्राप्त है। .

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त्रिक्षेत्रीय सिद्धांत

त्रिक्षेत्रीय सिद्धांत (Three-sector theory) एक आर्थिक-सिद्धांत है जो अर्थव्यवस्थाओं को तीन भागों में बांटता है: प्राथमिक (कृषि, शिकार, खनन), द्वितीय (विनिर्माण या मैन्युफ़ैक्चरिंग) और तृतीय (सेवाएँ)। इसके अनुसार इन तीनों क्षेत्रों की अलग-अलग आवश्यकताएँ और विकास-क्रम होते हैं और यह तीन किसी देश, राज्य या समाज के आर्थिक विकास के अलग-अलग स्तर दर्शाते हैं। इस सिद्धांत की व्याख्या ऐलन फ़िशर, कॉलिन क्लार्क और झ़ों फ़ुरास्तये नामक तीन अर्थशात्रियों ने की थी। .

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त्रूदोस पहाड़ियाँ

त्रूदोस (अंग्रेज़ी: Troodos, यूनानी: Τρόοδος, तुर्की: Trodos) साइप्रस द्वीप देश की सबसे बड़ी पर्वतमाला है। यह द्वीप के लगभग मध्य में स्थित है और यह द्वीप के पश्चिमी अर्ध के अधिकांश भाग में विस्तृत है। इसका सर्वोच्च पहाड़ 1,952 मीटर ऊँचा ओलम्पस पर्वत है। त्रूदोस पहाड़ियाँ अपने पर्यटन स्थलों, सुंदर पहाड़ी गाँवों, गिरजों और ईसाई मठों के लिए प्रसिद्ध है। ओलम्पस पर्वत पर भारी मात्रा में हिम गिरता है और यहाँ कई स्की-स्थल उपस्थित हैं। त्रूदोस क्षेत्र में कई प्राचीन कांस्य की खाने हैं जहाँ से निकला कांसा पूरे भूमध्य सागर के तटवर्ती क्षेत्रों में हज़ारों सालों से पहुँचाया गया था। इन पहाड़ों में ब्रिटिश वायु सेना का एक जासूसी व सर्वेक्षण केन्द्र भी है। .

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नाभिकीय ईंधन चक्र

नाभिकीय ईंधन का जीवनक्रम खुला ईंधन चक्र नाभिकीय ईंधन क्रमिक रूप से कई चरणों से होकर गुजरता है। इसे ही नाभिकीय ईंधन चक्र (nuclear fuel cycle) कहते हैं। इसमें ईंधन की खोज, उसका खनन, से लेकर ईंधन के पैलेट बनाना, उसके 'जल' जाने के बाद उसका पुनर्सन्साधन करना एवं अन्त में उसको निपटाना (डिस्पोजल) आदि सहित बहुत से चरण आते हैं। नाभिकीय ईंधन चक्र दो प्रकार का हो सकता है - खुला ईंधन चक्र एवं बंद ईंधन चक्र। .

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नैवेली लिग्नाइट कारपोरेशन लिमिटेड

एनएलसी इंडिया लिमिटेड (पहले इसका नाम 'नैवेली लिग्नाइट कारपोरेशन लिमिटेड' था।) भारत सरकार की मिनीरत्न कम्पनी है। यह लिग्नाइट का खनन करती है। .

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पारा जिला

पारा सूरीनाम का जिला है, यह देश के उत्तर में स्थित है। इसकी उत्तरी सीमा अटलांटिक महासागर के साथ लगती है। 2004 की जनगणना के अनुसार जिले की आबादी 18,958 है। इसका क्षेत्रफल 5,393 वर्ग किलोमीटर तथा घनत्व 3.5 प्रति वर्ग किलोमीटर है। जिले में पाँच रिसॉर्ट हैं। जिला सूरीनाम में होने वाले खनिकर्म और वानिकी का केंद्र है। यहाँ बड़ी मात्रा में बॉक्साइट का खनन होता है। श्रेणी:सूरीनाम के जिले.

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पुनर्चक्रण

पुनरावर्तन में संभावित उपयोग में आने वाली सामग्रियों के अपशिष्ट की रोकथाम कर नए उत्पादों में संसाधित करने की प्रक्रिया ताजे कच्चे मालों के उपभोग को कम करने के लिए, उर्जा के उपयोग को घटाने के लिए वायु-प्रदूषण को कम करने के लिए (भस्मीकरण से) तथा जल प्रदूषण (कचरों से जमीन की भराई से) पारंपरिक अपशिष्ट के निपटान की आवश्यकता को कम करने के लिए, तथा अप्रयुक्त विशुद्ध उत्पाद की तुलना में ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को कम करने के लिए पुनरावर्तन में प्रयुक्त पदार्थों को नए उत्पादों में प्रसंस्करण की प्रक्रियाएं सम्मिलित हैं। पुनरावर्तन आधुनिक अपशिष्ट को कम करने में प्रमुख तथा अपशिष्ट को "कम करने, पुनः प्रयोग करने, पुनरावर्तन करने" की क्रम परम्परा का तीसरा घटक है। पुनरावर्तनीय पदार्थों में कई किस्म के कांच, कागज, धातु, प्लास्टिक, कपड़े, एवं इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल हैं। हालांकि प्रभाव में एक जैसा ही लेकिन आमतौर पर जैविक विकृतियों के अपशेष से खाद बनाने अथवा अन्य पुनः उपयोग में लाने - जैसे कि भोजन (पके अन्न) तथा बाग़-बगीचों के कचरों को पुनरावर्तन के लायक नहीं समझा जाता है। पुनरावर्तनीय सामग्रियों को या तो किसी संग्रह शाला में लाया जाता है अथवा उच्छिस्ट स्थान से ही उठा लिया जाता है, तब उन्हें नए पदार्थों में उत्पादन के लिए छंटाई, सफाई तथा पुनर्विनीकरण की जाती है। सही मायने में, पदार्थ के पुनरावर्तन से उसी सामग्री की ताजा आपूर्ति होगी, उदाहरणार्थ, इस्तेमाल में आ चुका कागज़ और अधिक कागज़ उत्पादित करेगा, अथवा इस्तेमाल में आ चुका फोम पोलीस्टाइरीन से अधिक पोलीस्टाइरीन पैदा होगा। हालांकि, यह कभी-कभार या तो कठिन अथवा काफी खर्चीला हो जाता है (दूसरे कच्चे मालों अथवा अन्य संसाधनों से उसी उत्पाद को उत्पन्न करने की तुलना में), इसीलिए कई उत्पादों अथवा सामग्रियों के पुनरावर्तन में अन्य सामग्रियों के उत्पादन में (जैसे कि कागज़ के बोर्ड बनाने में) बदले में उनकें ही अपने ही पुनः उपयोग शामिल हैं। पुनरावर्तन का एक और दूसरा तरीका मिश्र उत्पादों से, बचे हुए माल को या तो उनकी निजी कीमत के कारण (उदाहरणार्थ गाड़ियों की बैटरी से शीशा, या कंप्यूटर के उपकरणों में सोना), अथवा उनकी जोखिमी गुणवत्ता के कारण (जैसे कि, अनेक वस्तुओं से पारे को अलग निकालकर उसे पुनर्व्यव्हार में लाना) फिर से उबारकर व्यवहार योग्य बनाना है। पुनरावर्तन की प्रक्रिया में आई लागत के कारण आलोचकों में निवल आर्थिक और पर्यावरणीय लाभों को लेकर मतभेद हैं और उनके सुझाव के अनुसार पुनरावर्तन के प्रस्तावक पदार्थों को और भी बदतर बना देते हैं तथा अनुभोदन एवं पुष्टिकरण के पक्षपातपूर्ण पूर्वग्रह झेलना पड़ता है। विशेषरूप से, आलोचकों का इस मामले में तर्क है कि संग्रहीकरण एवं ढुलाई में लगने वाली लागत एवं उर्जा उत्पादन कि प्रक्रिया में बचाई गई लागत और उर्जा से घट जाती (तथा भारी पड़ जाती हैं) और साथ ही यह भी कि पुनरावर्त के उद्योग में उत्पन्न नौकरियां लकड़ी उद्योग, खदान एवं अन्य मौलिक उत्पादनों से जुड़े उद्योगों की नौकरियां को निकृष्ट सकझा जाती है; और सामग्रियों जैसे कि कागज़ की लुग्दी आदि का पुनरावर्तक सामग्री के अपकर्षण से कुछ ही बार पहले हो सकता है जो और आगे पुनरावर्तन के लिए बाधक हैं। पुनरावर्तन के प्रस्तावकों के ऐसे प्रत्येक दावे में विवाद है और इस संदर्भ में दोनों ही पक्षों से तर्क की प्रामाणिकता ने लम्बे विवाद को जन्म दिया है। .

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प्रतापगढ़, राजस्थान

प्रतापगढ़, क्षेत्रफल में भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान के ३३वें जिले प्रतापगढ़ जिले का मुख्यालय है। प्राकृतिक संपदा का धनी कभी इसे 'कान्ठल प्रदेश' कहा गया। यह नया जिला अपने कुछ प्राचीन और पौराणिक सन्दर्भों से जुड़े स्थानों के लिए दर्शनीय है, यद्यपि इसके सुविचारित विकास के लिए वन विभाग और पर्यटन विभाग ने कोई बहुत उल्लेखनीय योगदान अब तक नहीं किया है। .

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प्राचीन भारतीय विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी

प्राचीन भारतीय विज्ञान तथा तकनीक को जानने के लिये पुरातत्व और प्राचीन साहित्य का सहारा लेना पडता है। प्राचीन भारत का साहित्य अत्यन्त विपुल एवं विविधतासम्पन्न है। इसमें धर्म, दर्शन, भाषा, व्याकरण आदि के अतिरिक्त गणित, ज्योतिष, आयुर्वेद, रसायन, धातुकर्म, सैन्य विज्ञान आदि भी वर्ण्यविषय रहे हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में प्राचीन भारत के कुछ योगदान निम्नलिखित हैं-.

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पूर्वी साइबेरियाई सागर

पूर्वी साइबेरियाई सागर (रूसी: Восточно-Сибирское море) आर्कटिक महासागर में एक सीमांत समुद्र है। इसके उत्तर में आर्कटिक अंतरीप, दक्षिण में साइबेरियाई तट, पश्चिम में नया साइबेरियाई द्वीप समूह और बिलिंग अंतरीप, चुकोटका के करीब और रैंजेल द्वीप इसके पूर्व में स्थित है। इस सागर की सीमाएं पश्चिम में लाप्टेव सागर और पूर्व में चुकची सागर से मिलती हैं। आर्कटिक क्षेत्र के इस समुद्र का अध्ययन सबसे कम किया गया है। इसकी विशेषताओं में शामिल हैं, विषम जलवायु, कम लवणता, वनस्पति, जीव और मानव जनसंख्या का अभाव, कम गहराई (अधिकतर 50 मीटर से कम), धीमी गति की समुद्री धारायें, भाटा (25 सेमी से कम), अक्सर पड़ने वाला कुहासा खासकर गर्मियों में और बर्फ से जमा क्षेत्र जिसकी बर्फ अगस्त से सितंबर के बीच पूरी तरह से पिघल जाती है। पूर्वी साइबेरियाई सागर के तटों पर हजारों सालों से यूकाग़िर, चुकची, इवेनी और इवेंकी नामक मूल निवासी रहते आये हैं, जिनका प्राथमिक व्यवसाय मछली पकड़ना, शिकार और रेंडियर पालन है। क्षेत्र की प्रमुख औद्योगिक गतिविधियों में उत्तरी सागर मार्ग के भीतर खनन और नौवहन है, मछली पकड़ना अभी वाणिज्यिक रूप से विकसित नहीं है। सबसे बड़ा शहर और बंदरगाह पेवेक है जो रूस का सबसे उत्तर में स्थित शहर है। .

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बम

विशाल आयुध एयर ब्लास्ट (मोआब) संयुक्त राज्य अमेरिका में उत्पादित बम दुनिया का एक सबसे शक्तिशाली गैर-परमाणु बमें हैं। बम विस्फोटक उपकरणों का कोई एक प्रकार है, जो आमतौर पर एक अत्यंत तेज और प्रबल उर्जा निर्गमन उत्पन्न करने के लिए विस्फोटक सामग्री की उष्माक्षेपी (एक्सोथर्मिक) रासायनिक प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है। यह शब्द ग्रीक शब्द βόμβος (बम्बोस) से आया है, यह एक अनुकरणात्मक शब्द है, जिसका अर्थ अंग्रेजी के 'बूम' शब्द के लगभग समान है। एक परमाणु हथियार बहुत बड़े परमाणु-आधारित विस्फोट को करने के लिए रसायनिक-आधारित विस्फोटकों का प्रयोग करता है। "बम" शब्द को आमतौर पर नागरिक उद्देश्यों जैसे निर्माण या खनन के लिए प्रयोग की जाने वाली विस्फोटक उपकरणों पर लागू नहीं किया जाता है, यद्यपि लोग इन उपकरणों का इस्तेमाल करते हुए इसे बम के रूप में संदर्भित करते हैं। सैन्य में "बम" या विशेष रूप से हवाई बम इस शब्द का प्रयोग आमतौर पर हवा से गिराये गए बम के संदर्भ में होता है, यह एक संचालनरहित विस्फोटक हथियार है जिसका सबसे ज्यादा प्रयोग वायु सेना और नौसेना के विमानन द्वारा किया जाता हैं। अन्य सैन्य विस्फोटक हथियार जिन्हें "बम" के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया हैं उनमें ग्रेनेड, गोला (शेल्स), जलबम (पानी में प्रयुक्त), स्फोटक शीर्ष जब मिसाइलों में रहती हैं, या बारूदी सुरंग शामिल हैं। अपरंपरागत युद्ध में, "बम" को आक्रामक हथियार के रूप में या विस्फोटक उपकरणों के असीमित कोई एक प्रकार के रूप में संदर्भित किया जा सकता है। .

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बिचोलिम

गोवा में बिचोलिम की अवस्थिति (नारंगी रंग से दर्शाया गया है) बिचोलिम, (कोंकणी: दिवचल, मराठी: डिचोली), भारतीय राज्य गोवा के जिले उत्तर गोवा, का एक शहर और नगर परिषद है। यह बिचोलिम तालुका का मुख्यालय भी है। यह गोवा के पूर्वोत्तर में स्थित है और यह पुर्तगाल की नोवास कोंक्विस्टास (नई विजय) का हिस्सा था। बिचोलिम, गोवा की राजधानी पणजी से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गोवा में यह खनन का गढ़ है। .

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ब्राज़ील

ब्रास़ील (ब्राज़ील) दक्षिण अमरीका का सबसे विशाल एवं महत्त्वपूर्ण देश है। यह देश ५० उत्तरी अक्षांश से ३३० दक्षिणी अक्षांश एवँ ३५० पश्चिमी देशान्तर से ७४० पश्चिमी देशान्तरों के मध्य विस्तृत है। दक्षिण अमरीका के मध्य से लेकर अटलांटिक महासागर तक फैले हुए इस संघीय गणराज्य की तट रेखा ७४९१ किलोमीटर की है। यहाँ की अमेज़न नदी, विश्व की सबसे बड़ी नदियों मे से एक है। इसका मुहाना (डेल्टा) क्षेत्र अत्यंत उष्ण तथा आर्द्र क्षेत्र है जो एक विषुवतीय प्रदेश है। इस क्षेत्र में जन्तुओं और वनस्पतियों की अतिविविध प्रजातियाँ वास करती हैं। ब्राज़ील का पठार विश्व के प्राचीनतम स्थलखण्ड का अंग है। अतः यहाँ पर विभिन्न भूवैज्ञानिक कालों में अनेक प्रकार के भूवैज्ञानिक संरचना सम्बंधी परिवर्तन दिखाई देते हैं। ब्राज़ील के अधिकांश पूर्वी तट एवं मध्य अमेरिका की खोज अमेरिगो वाससक्की ने की एवं इसी के नाम से नई दुनिया अमेरिका कहलाई। सन् १५०० के बाद यहाँ उपनिवेश बनने आरंभ हुए। यहाँ की अधिकांश पुर्तगाली बस्तियों का विकास १५५० से १६४० के मध्य हुआ। २४ जनवरी १९६४ को इसका नया संविधान बना। इसकी प्रमुख भाषा पुर्तगाली है। .

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भारत में कोयला-खनन

भारत में कोयले का उत्पादन भारत में कोयले के खनन का इतिहास बहुत पुराना है। ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने १७७४ में दामोदर नदी के पश्चिमी किनारे पर रानीगंज में कोयले का वाणिज्यिक खनन आरम्भ किया। इसके बाद लगभग एक शताब्दी तक खनन का कार्य अपेक्षाकृत धीमी गति से चलता रहा क्योंकि कोयले की मांग बहुत कम थी। किन्तु १८५३ में भाप से चलने वाली गाड़ियों के आरम्भ होने से कोयले की मांग बढ़ गयी और खनन को प्रोत्साहन मिला। इसके बाद कोयले का उत्पादन लगभग १ मिलियन मेट्रिक टन प्रति वर्ष हो गया। १९वीं शताब्दी के अन्त तक भारत में उत्पादन 6.12 मिलियन टन वार्षिक हो गया। और १९२० तक १८ मिलियन मेट्रिक टन वार्षिक। प्रथम विश्वयुद्ध के समय उत्पादन में सहसा वृद्धि हुई किन्तु १९३० के आरम्भिक दशक में फिर से उत्पादन में कमी आ गयी। १९४२ तक उत्पादन २९ मिलियन मेट्रिक टन प्रतिवर्ष तथा १९४६ तक ३० मिलियन मेट्रिक टन हो गया। .

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भारत के खनन घोटाले

भारत में खनन से सम्बन्धित अनेक घोटाले सामने आये जो प्रायः अयस्क-समृद्ध प्रान्तों में हुए हैं। इन घोटालों के अन्तर्गत वन-क्षेत्रों के अतिक्रमण से लेकर, सरकारी रायल्टी न चुकता करना, जनजातियों के साथ भूमि-अधिकारों को लेकर विवाद आदि शामिल हैं। .

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भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड

भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल) एक भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है। इसका मुख्यालय बंगलौर में है। .

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भारतीय रसायन का इतिहास

भारतीय धातुकर्म का एक नमूना है। भारत में रसायन शास्त्र की अति प्राचीन परंपरा रही है। पुरातन ग्रंथों में धातुओं, अयस्कों, उनकी खदानों, यौगिकों तथा मिश्र धातुओं की अद्भुत जानकारी उपलब्ध है। इन्हीं में रासायनिक क्रियाओं में प्रयुक्त होने वाले सैकड़ों उपकरणों के भी विवरण मिलते हैं। वस्तुत: किसी भी देश में किसी ज्ञान विशेष की परंपरा के उद्भव और विकास के अध्ययन के लिए विद्वानों को तीन प्रकार के प्रमाणों पर निर्भर करना पड़ता है-.

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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व में सातवें स्थान पर है, जनसंख्या में इसका दूसरा स्थान है और केवल २.४% क्षेत्रफल के साथ भारत विश्व की जनसंख्या के १७% भाग को शरण प्रदान करता है। १९९१ से भारत में बहुत तेज आर्थिक प्रगति हुई है जब से उदारीकरण और आर्थिक सुधार की नीति लागू की गयी है और भारत विश्व की एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरकर आया है। सुधारों से पूर्व मुख्य रूप से भारतीय उद्योगों और व्यापार पर सरकारी नियंत्रण का बोलबाला था और सुधार लागू करने से पूर्व इसका जोरदार विरोध भी हुआ परंतु आर्थिक सुधारों के अच्छे परिणाम सामने आने से विरोध काफी हद तक कम हुआ है। हंलाकि मूलभूत ढाँचे में तेज प्रगति न होने से एक बड़ा तबका अब भी नाखुश है और एक बड़ा हिस्सा इन सुधारों से अभी भी लाभान्वित नहीं हुये हैं। .

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मागादान ओब्लास्त

नागायेवो खाड़ी मागादान ओब्लास्त (रूसी: Магада́нская о́бласть, अंग्रेज़ी: Magadan Oblast) रूस के साइबेरिया क्षेत्र के सुदूर पूर्व में स्थित रूस का एक संघीय खंड है जो उस देश की शासन प्रणाली में ओब्लास्त का दर्जा रखता है। इसकी राजधानी मागादान शहर है। इसकी सीमाएँ उत्तर में चुकोतका स्वशासित ओक्रुग, पूर्वोत्तर में कमचातका क्राय, दक्षिण में ख़ाबारोव्स्क क्राय और पश्चिम में साख़ा गणतंत्र से लगती हैं। पूर्व में यह ओख़ोत्स्क सागर के साथ तटस्थ है। .

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मिनीकॉनामी

मिनीकॉनामी (शाब्दिक अर्थ लघु अर्थव्यवस्था) (जिसे खिलाडियों द्वारा MC भी कहा जाता है), एक वेब ब्राउज़र आधारित, बहु-खिलाड़ी ऑनलाइन खेल है। मिनीकॉनामी एक व्यापार/अर्थव्यवस्था अनुकारक खेल जिस का उद्धगम और विकास नीदरलैंड में हुआ। खेल में 121 विभिन्न देशों के 60000 खिलाड़ी पंजिकृत हैं, जो इस खेल को अंग्रेज़ी और डच भाषाओं में खेलते हैं। मिनीकॉनामी अपने 64वें चक्र में है जो 2 मई 2009 को आरंभ हुआ। मिनीकॉनामी एक शुल्क मुक्त खेल है, परंतु कोई भी खिलाड़ी नाम मात्र का शुल्क दे कर विशिष्ट प्रीमियम सदस्य बन सकता है। यह प्रीमियम सदस्यता खिलाड़ीयों को कुछ अतिरिक्त सुविधायें देती है। प्रीमियम सदस्य कंपनीयों और निगमों की स्थापना कर सकते हैं। यह कंपनीयां बैंक, बंदरगाह, जहाज़रानी, वाहन निर्माण और टैक्सी जैसे क्षेत्रों में व्यापार कर सकती हैं। प्रीमियम सदस्य राजनैतिक संगठन बना सकते हैं, भावों को प्रगट करने के लिए स्माईली का प्रयोग कर सकते हैं। प्रीमियम सदस्य साधारण सदस्यों की तुलना में दोगुणा उत्पादन कर सकते हैं। जब प्रीमियम सदस्य घर बनाते हैं तो उन को घर में मिनीकॉनामी कंप्यूटर निशुल्क प्राप्त होता है। .

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मृदा प्रदूषण

मृदा प्रदूषण मृदा प्रदूषण मृदा में होने वाले प्रदूषण को कहते हैं। यह मुख्यतः कृषि में अत्यधिक कीटनाशक का उपयोग करने या ऐसे पदार्थ जिसे मृदा में नहीं होना चाहिए, उसके मिलने पर होता है। जिससे मृदा की उपज क्षमता में भी बहुत प्रभाव पड़ता है। इसी के साथ उससे जल प्रदूषण भी हो जाता है। .

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यूटा

संयुक्त राज्य अमेरिका में यूटा राज्य की भौगोलिक स्थिति यूटा (अंग्रेज़ी: Utah) संयुक्त राज्य अमेरिका की मुख्यभूमि के पश्चिमी अर्ध-भाग के मध्य में स्थित एक राज्य है। 4 जनवरी 1896 को अमेरिकी संघ में सम्मिलित होने वाला यह 45वाँ राज्य था। यह अमेरिका का क्षेत्रफल के आधार पर तेरहवाँ सबसे बड़ा, जनसंख्या के आधार पर तेतीसवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या घनत्व के आधार पर दसवाँ सबसे कम सघन राज्य है। यूटा का क्षेत्रफल 2,19,887 वर्ग किमी है और कुल जनसंख्या लगभग 29 लाख है जिसमें से 80% के लगभग लोग सॉल्ट लेक सिटी केन्द्रित वॉसाच फ़्रण्ट के आसपास निवास करते हैं। इस राज्य का जनसंख्या घनत्व 13.2/किमी2 है। यूटा की सीमाएँ पूर्व में कॉलोराडो, पूर्वोत्तर में वायोमिंग, उत्तर में इडाहो, दक्षिण में एरिज़ोना, और पश्चिम में नेवादा राज्यों से मिलती हैं। दक्षिण-पश्चिम में नया मेक्सिको का एक कोना भी यूटा की सीमा से मिलता है। लगभग 62% यूटावासी मॉर्मन सम्प्रदाय (ईसाई धर्म का एक सम्प्रदाय) को मानने वाले हैं और यह सम्प्रदाय यूटा की संस्कृति और दैनिक जीवन को बहुत प्रभावित करता है। चर्च ऑफ़ जीज़स क्राइस्ट ऑफ़ लेटर डे सेण्ट्स का वैश्विक मुख्यालय इस राज्य की राजधानी सॉल्ट लेक सिटी में स्थित है। यूटा अमेरिका का धार्मिक दृष्टि से सर्वाधिक सजातीय राज्य है और मॉर्मन सम्प्रदाय की बहुलता वाला एकमात्र राज्य है और एकमात्र ऐसा राज्य है जहाँ की अधिकतर जनसंख्या केवल एक ही चर्च की सदस्य है। यह राज्य परिवहन, शिक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी और शोध, सरकारी सेवाओं, और खनन का एक केन्द्र है; और बाहरी मनोरंजन के लिए एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। 2013 में संयुक्त राज्य जनगणना ब्यूरो के अनुमान अनुसार यूटा की जनसंख्या अमेरिका में दूसरी सर्वाधिक तेजी से बढ़ रही है। सेण्ट जॉर्ज 2000 से 2005 के बीच सबसे तेजी से बढ़ने वाला महानगरीय क्षेत्र था। यूटा की मध्य-मूल्य औसत आय भी अमेरिकी राज्यों में 14वें स्थान पर थी और समायोजित जीवन यापन की लागत के आधार पर दूसरे। इस राज्य की मध्य-मूल्य औसत आय 50,614 $ है। एक 2012 गैलप राष्ट्रीय सर्वेक्षण अनुसार यूटा समग्र रूप से 13 दूरन्देशी मापकों के आधार पर रहने के लिए "सबसे अच्छा राज्य" था जैसे आर्थिक, जीवन-शैली, और स्वास्थ्य सम्बन्धी अवेक्षणी मात्रिक इत्यादि। .

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यूनियन कार्बाइड

यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन (यूनियन कार्बाइड) संयुक्त राज्य अमेरिका की रसायन और बहुलक बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है और वर्तमान में कम्पनी में 3,800 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। 1984 में कम्पनी के भारत के राज्य मध्य प्रदेश के शहर भोपाल स्थित संयंत्र से मिथाइल आइसोसाइनेट नामक गैस के रिसाव को अब तक की सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटना माना जाता है, जिसने कम्पनी को इसकी अब तक की सबसे बड़ी बदनामी दी है। यूनियन कार्बाइड को इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार पाया गया, लेकिन कम्पनी ने इस त्रासदी के लिए खुद को जिम्मेदार मानने से साफ इंकार कर दिया जिसके परिणामस्वरूप लगभग 15000 लोगों की मृत्यु हो गयी और लगभग 500000 व्यक्ति इससे प्रभावित हुए। 6 फ़रवरी 2001 को यूनियन कार्बाइड, डाउ केमिकल कंपनी की एक पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी बन गयी। इसी वर्ष कम्पनी के गैस पीड़ितों के साथ हुए एक समझौते और भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के शुरुआत के साथ भारत में इसका अध्याय समाप्त हो गया। यूनियन कार्बाइड अपने उत्पादों का अधिकांश डाउ केमिकल को बेचती है। यह डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज का एक पूर्व घटक भी है। सन 1920 में, इसके शोधकर्ताओं ने प्राकृतिक गैस द्रवों जैसे कि इथेन और प्रोपेन से इथिलीन बनाने की एक किफायती विधि विकसित की जिसने आधुनिक पेट्रोरसायन उद्योग को जन्म दिया। आज, यूनियन कार्बाइड के पास इस उद्योग से जुड़ी सबसे उन्नत प्रक्रियायें और उत्प्रेरक प्रौद्योगिकियां हैं और यह विश्व की कुछ सबसे किफायती और बड़े पैमाने की उत्पादन सुविधाओं का प्रचालन करती है। विनिवेश से पहले विभिन्न उत्पाद जैसे कि एवरेडी और एनर्जाइज़र बैटरीज़, ग्लैड बैग्स एंड रैप्स, सिमोनिज़ कार वैक्स और प्रेस्टोन एंटीफ्रीज़ आदि कम्पनी के स्वामित्व के आधीन थे। डाउ केमिकल कंपनी द्वारा कम्पनी के अधिगहण से पहले इसके इलेक्ट्रॉनिक रसायन, पॉलीयूरेथेन इंटरमीडिएट औद्योगिक गैसों और कार्बन उत्पादों जैसे व्यवसायों का विनिवेश किया गया। .

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राजस्थान राज्य खनिज विकास निगम

राजस्थान राज्य खनिज विकास निगम की स्थापना खनन गतिविधियों को वैज्ञानिक एवं योजनाबद्ध रूप से गति प्रदान करने हेतु की गई थी। २० फ़रवरी २००३ से आर एस एम डी सी को राजस्थान स्टेट माइन्स एण्ड मिनरल्स लिमिटेड (आर एस एम एम एल) में सम्मिलित कर दिया है। .

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रिओ तिन्तो (नदी)

रिओ तिन्तो का पानी लाल रंग का और तेज़ाबीय है रिओ तिन्तो (स्पैनिश: Rio Tinto, "लाल नदी") दक्षिण-पश्चिमी स्पेन की एक नदी है जो अन्दलूसीया क्षेत्र में स्थित सिएर्रा मोरेना पहाड़ शृंखला से आरम्भ होकर कादीज़ की खाड़ी पहुंचकर अन्ध महासागर में जा मिलती है। यह नदी अपने लाल-नारंगी पानी के लिए दुनिया भर में मशहूर है। .

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रोमब्लोन

रोमब्लोन (Romblon) दक्षिणपूर्वी एशिया के फ़िलिपीन्ज़ देश का एक द्वीपसमूह है। यह उस देश की प्रशासनिक प्रणाली में प्रान्त का दर्जा रखता है और मिमारोपा नामक प्रशासनिक क्षेत्र का हिस्सा है। ताब्लास द्वीप और सिबुयान द्वीप इसके सबसे बड़ा द्वीप हैं और उनके अलावा प्रान्त में अन्य कई छोटे द्वीप भी शामिल हैं। रोमब्लोन अपने संगमरमर के खनन के लिए पूरे देश में मशहूर है और अपने सुंदर बालूतटों (बीचों) व अन्य पर्यटन स्थलों के लिए भी प्रसिद्ध है। .

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लापतेव सागर

लाप्टेव सागर (रूसी: море Лаптевых), आर्कटिक महासागर का एक उथला सीमांत समुद्र है। यह साइबेरिया के पूर्वी तट, तैमिर प्रायद्वीप, सेवेर्नाया ज़ेमल्या और नया साइबेरियाई द्वीप समूह के बीच स्थित है। इसकी उत्तरी सीमा आर्कटिक केप से निर्देशांक 79°N और 139°E से गुजरती है और एनिसिय अंतरीप पर अंत होती है। कारा सागर इसके पश्चिम में जबकि पूर्वी साइबेरियाई सागर इसके पूर्व मे स्थित है। इस समुद्र का नाम दो रूसी अन्वेषकों दिमित्री लाप्टेव और खरितोन लाप्टेव के नाम पर रखा गया है, इससे पहले इसे कई अन्य नामों से जाना जाता था और अंतिम प्रचलित नाम नॉर्देंस्क्जोल्ड सागर (रूसी: море Норденшельда) था जिसे स्वीडिश अंवेषक एडॉल्फ एरिक नॉर्देंस्कियोल्ड के नाम पर रखा गया था। इस समुद्र की विशेषताओं में इसकी भीषण जलवायु परिस्थितियां प्रमुख है क्योंकि इसका तापमान वर्ष में नौ महीनों से ज्यादा समय तक 0° सेल्सियस (32° फेरेनहाइट) या उससे नीचे रहता है और अगस्त से सितंबर के बीच के समय को छोड़कर यह जमा रहता है। इसकी अन्य विशेषताओं में इसके पानी की कम लवणता, वनस्पति, जीवों और मानव जनसंख्या की दुर्लभता और इसकी कम गहराई (ज्यादातर स्थानों पर 50 मीटर से कम) है। लाप्टेव सागर के तटों पर हजारों सालों से यूकाग़िर, इवेनी और इवेंकी नामक मूल निवासी रहते आये हैं, जिनका प्राथमिक व्यवसाय मछली पकड़ना, शिकार और रेंडियर पालन है। इस क्षेत्र का रूसी अंवेषण 17 वीं शताब्दी में शुरू हुया। रूसियों ने इसकी शुरुआत दक्षिण से की जहाँ कई बड़ी नदियाँ समुद्र में विसर्जित होती थीं इन नदियों में प्रमुख थीं, लेना नदी, खटांगा नदी, अनाबर नदी, ओलेंयोक नदी और ओमोलोय नदी। समुद्र में कई द्वीप समूह उपस्थित हैं, जिनमें से कई पर मैमथ नामक प्राचीन विशाल हाथी के अच्छी तरह से संरक्षित अवशेष मिलते हैं। क्षेत्र में मुख्य मानवीय गतिविधियों में उत्तरी सागर मार्ग के भीतर खनन और नौगमन शामिल हैं, मछली पकड़ना और शिकार स्थानीय स्तर पर किया जाता है और इसका कोई व्यावसायिक महत्व नहीं है। इलाके की सबसे बड़ी बसावत और बंदरगाह टिक्सी है। .

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लाल गलियारा

लाल गलियारा लाल गलियारा (अंग्रेज़ी: Red corridor) भारत के पूर्वी भाग का एक क्षेत्र है जहाँ नक्सलवादी (साम्यवादी) उग्रवादी संगठन सक्रीय हैं।, Ajay Agarwal, The Hindustan Times, Accessed 27 अप्रैल 2012 आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, झारखंड, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के कुछ भागों पर विस्तृत इस क्षेत्र में आधुनिक भारत के सबसे ऊँचे निरक्षरता, निर्धनता और अतिजनसंख्या के दर मिलते हैं।, Mondiaal Nieuws, Belgium, Accessed 2008-10-17, The Asian Pacific Post, Accessed 2008-10-17 भारतीय सरकारी स्रोतों के अनुसार जुलाई २०११ में ८३ ज़िले इस लाल गलियारे में आते थे। .

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लौह युग

लौह युग (Iron Age) उस काल को कहते हैं जिसमें मनुष्य ने लोहे का इस्तेमाल किया। इतिहास में यह युग पाषाण युग तथा कांस्य युग के बाद का काल है। पाषाण युग में मनुष्य की किसी भी धातु का खनन कर पाने की असमर्थता थी। कांस्य युग में लोहे की खोज नहीं हो पाई थी लेकिन लौह युग में मनुष्यों ने तांबे, कांसे और लोहे के अलावा कुछ अन्य ठोस धातुओं की खोज तथा उनका उपयोग भी सीख गया था। विश्व के भिन्न भागों में लौह-प्रयोग का ज्ञान धीरे-धीरे फैलने या उतपन्न होने से यह युग अलग समयों पर शुरु हुआ माना जाता है लेकिन अनातोलिया से लेकर भारतीय उपमहाद्वीप में यह १३०० ईसापूर्व के आसपास आरम्भ हुआ था, हालांकि कुछ स्रोतों के अनुसार इस से पहले भी लोहे के प्रयोग के कुछ चिह्न मिलते हैं। इस युग की विशेषता यह है कि इसमें मनुष्य ने विभिन्न भाषाओं की वर्णमालाओं का विकास किया जिसकी मदद से उस काल में साहित्य और इतिहास लिखे जा सके। संस्कृत और चीनी भाषाओं का साहित्य इस काल में फला-फूला। ऋग्वेद और अवस्ताई गाथाएँ इसी काल में लिखी गई थीं। कृषि, धार्मिक विश्वासों और कलाशैलियों में भी इस युग में भारी परिवर्तन हुए।The Junior Encyclopædia Britannica: A reference library of general knowledge.

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लौह अयस्क

हैमेताईट: ब्राजील की खानों में मुख्य लौह अयस्क लौह अयस्क के छर्रों के इस ढेर का उपयोग इस्पात के उत्पादन में किया जाएगा। लौह अयस्क (Iron ores) वे चट्टानें और खनिज हैं जिनसे धात्विक लौह (iron) का आर्थिक निष्कर्षण किया जा सकता है। इन अयस्कों में आमतौर पर आयरन (लौह या iron) ऑक्साइडों की बहुत अधिक मात्रा होती है और इनका रंग गहरे धूसर से लेकर, चमकीला पीला, गहरा बैंगनी और जंग जैसा लाल तक हो सकता है। लौह आमतौर पर मेग्नेटाईट (magnetite), हैमेटाईट (hematite), जोईथाईट (goethite), लिमोनाईट (limonite), या सिडेराईट (siderite), के रूप में पाया जाता है। हैमेटाईट को "प्राकृतिक अयस्क" भी कहा जाता है। यह नाम खनन के प्रारम्भिक वर्षों से सम्बंधित है, जब हैमेटाईट के विशिष्ट अयस्कों में 66% लौह होता था और इन्हें सीधे लौह बनाने वाली ब्लास्ट फरनेंस (एक विशेष प्रकार की भट्टी जिसका उपयोग धातुओं के निष्कर्षण में किया जाता है) में डाल दिया जाता था। लौह अयस्क कच्चा माल है, जिसका उपयोग पिग आयरन (ढलवां लोहा) बनाने के लिए किया जाता है, जो इस्पात (स्टील) बनाने के लिए बनाने में काम आता है। वास्तव में, यह तर्क दिया गया है कि लौह अयस्क "संभवतया तेल को छोड़कर, किसी भी अन्य वस्तु की तुलना में वैश्विक अर्थव्यवस्था का अधिक अभिन्न अंग है।" .

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समुद्री प्रदूषण

अक्सर प्रदूषण के कारण ज्यादातर नुकसान को देखा नहीं जा सकता है, जबकि समुद्री प्रदूषण को स्पष्ट किया जा सकता है जैसा कि समुद्र के ऊपर दिखाए गए मलबे को देखा जा सकता है। समुद्री प्रदूषण तब होता है जब रसायन, कण, औद्योगिक, कृषि और रिहायशी कचरा, शोर या आक्रामक जीव महासागर में प्रवेश करते हैं और हानिकारक प्रभाव, या संभवतः हानिकारक प्रभाव उत्पन्न करते हैं। समुंद्री प्रदूषण के ज्यादातर स्रोत थल आधारित होते हैं। प्रदूषण अक्सर कृषि अपवाह या वायु प्रवाह से पैदा हुए कचरे जैसे अस्पष्ट स्रोतों से होता है। कई सामर्थ्य ज़हरीले रसायन सूक्ष्म कणों से चिपक जाते हैं जिनका सेवन प्लवक और नितल जीवसमूह जन्तु करते हैं, जिनमें से ज्यादातर तलछट या फिल्टर फीडर होते हैं। इस तरह ज़हरीले तत्व समुद्री पदार्थ क्रम में अधिक गाढ़े हो जाते हैं। कई कण, भारी ऑक्सीजन का इस्तेमाल करते हुई रसायनिक प्रक्रिया के ज़रिए मिश्रित होते हैं और इससे खाड़ियां ऑक्सीजन रहित हो जाती हैं। जब कीटनाशक समुद्री पारिस्थितिक तंत्र में शामिल होते हैं तो वो समुद्री फूड वेब में बहुत जल्दी सोख लिए जाते हैं। एक बार फूड वेब में शामिल होने पर ये कीटनाशक उत्परिवर्तन और बीमारियों को अंजाम दे सकते हैं, जो इंसानों के लिए हानिकारक हो सकते हैं और समूचे फूड वेब के लिए भी.

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सकल घरेलू उत्पाद

सकल घरेलू उत्पाद (GDP) या जीडीपी या सकल घरेलू आय (GDI), एक अर्थव्यवस्था के आर्थिक प्रदर्शन का एक बुनियादी माप है, यह एक वर्ष में एक राष्ट्र की सीमा के भीतर सभी अंतिम माल और सेवाओ का बाजार मूल्य है। GDP (सकल घरेलू उत्पाद) को तीन प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है, जिनमें से सभी अवधारणात्मक रूप से समान हैं। पहला, यह एक निश्चित समय अवधि में (आम तौर पर 365 दिन का एक वर्ष) एक देश के भीतर उत्पादित सभी अंतिम माल और सेवाओ के लिए किये गए कुल व्यय के बराबर है। दूसरा, यह एक देश के भीतर एक अवधि में सभी उद्योगों के द्वारा उत्पादन की प्रत्येक अवस्था (मध्यवर्ती चरण) पर कुल वर्धित मूल्य और उत्पादों पर सब्सिडी रहित कर के योग के बराबर है। तीसरा, यह एक अवधि में देश में उत्पादन के द्वारा उत्पन्न आय के योग के बराबर है- अर्थात कर्मचारियों की क्षतिपूर्ति की राशि, उत्पादन पर कर औरसब्सिडी रहित आयात और सकल परिचालन अधिशेष (या लाभ) GDP (सकल घरेलू उत्पाद) के मापन और मात्र निर्धारण का सबसे आम तरीका है खर्च या व्यय विधि (expenditure method): "सकल" का अर्थ है सकल घरेलू उत्पाद में से पूंजी शेयर के मूल्यह्रास को घटाया नहीं गया है। यदि शुद्ध निवेश (जो सकल निवेश माइनस मूल्यह्रास है) को उपर्युक्त समीकरण में सकल निवेश के स्थान पर लगाया जाए, तो शुद्ध घरेलू उत्पाद का सूत्र प्राप्त होता है। इस समीकरण में उपभोग और निवेश अंतिम माल और सेवाओ पर किये जाने वाले व्यय हैं। समीकरण का निर्यात - आयात वाला भाग (जो अक्सर शुद्ध निर्यात कहलाता है), घरेलू रूप से उत्पन्न नहीं होने वाले व्यय के भाग को घटाकर (आयात) और इसे फिर से घरेलू क्षेत्र में जोड़ कर (निर्यात) समायोजित करता है। अर्थशास्त्री (कीनेज के बाद से) सामान्य उपभोग के पद को दो भागों में बाँटना पसंद करते हैं; निजी उपभोग और सार्वजनिक क्षेत्र का (या सरकारी) खर्च.

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स्वचालन

एक औद्योगिक रोबोट स्वयंचालित मशीनें (Automatic Machines) ऐसी मशीनें हैं जो मानव प्रयास के बिना भी किसी प्रचालन चक्र को पूर्णत: या अंशत: संचालित करती हैं। ऐसी मशीनें केवल पेशियों का ही कार्य नहीं करतीं वरन् मस्तिष्क का कार्य भी करती हैं। स्वयंचालित मशीनें पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से स्वयंचालित हो सकती हैं। ये निम्नलिखित प्रकार का कार्य कर सकती हैं: .

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हीथ लेजर

एंड्रयू हीथ लेजर (4 अप्रैल 1979 -22 जनवरी 2008) एक ऑस्ट्रेलियाई टीवी और फिल्म अभिनेता थे। 1990 के दशक के दौरान ऑस्ट्रेलियाई टीवी और फिल्म में अभिनय करने के बाद लेजर 1998 में अपने फिल्म करियर के विकास के लिए संयुक्त राज्य अमरीका चले गये। उनका काम उन्नीस फिल्मों में फैला हुआ है जिसमें 10 थिंग्स आई हेट अबाउट यू (1999), द पेट्रियाट (2000), मोन्सटर्स बॉल (2001), अ नाइट्स टेल (2001), ब्रोकबैक माउंटेन (2005) और डार्क नाइट (2008) शामिल हैं। अभिनय के अलावा उन्होंने कई म्यूज़िक वीडियो का निर्माण और निर्देशन किया और वे एक फिल्म निर्देशक बनना चाहते थे। ब्रोकबैक माउंटेन में इनीस डेल मार का किरदार निभाने के लिए लेजर को 2005 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का न्यूयॉर्क फिल्म क्रिटिक सर्कल अवार्ड और 2006 में ऑस्ट्रेलिया फिल्म इंस्टिट्यूट का 'सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार' जीता और 2005 के सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के एकेडमी अवार्ड के साथ ही साथ अग्रणी भूमिका में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए 2006 BAFTA अवार्ड के लिए नामांकित किये गये। उन्हें मरणोपरांत 2007 का इंडिपेंडेंट स्पिरिट राबर्ट अल्टमैन अवार्ड साझे तौर पर फिल्म आई एम नाट देअर के अन्य कलाकारों, निर्देशक और फिल्म के कास्टिंग डायरेक्टर को दिया गया, जो अमरीकी गायक-गीतकार बॉब डिलन के जीवन और गीतों से प्रेरित थी। फिल्म में लेजर ने एक काल्पनिक अभिनेता रोबी क्लार्क का किरदार निभाया है, जो डिलन के जीवन और व्यक्तित्व के छह पहलुओं का एक संगठित रूप है। फिल्म द डार्क नाइट में अभिनीत जोकर की भूमिका के लिए वे नामांकित हुए और उन्होंने पुरस्कार भी जीता, जिसमें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का एकेडमी अवार्ड, सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का एक अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार और पहली बार किसी को दिया जाने वाला मरणोपरांतऑस्ट्रेलिया फिल्म इंस्टिट्यूट अवार्ड, 2008 में सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता लॉस एंजिल्स फिल्म क्रिटिक्स एसोसिएशन अवार्ड, 2009 में सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता लिए गोल्डन ग्लोब अवार्ड, सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का 2009 का BAFTA अवार्ड शामिल है। उनकी मौत 28 साल की आयु में "अनुशंसित दवाओं के जहरीले संयोजन" से दुर्घटनावश हो गयी। लेजर की मौत द डार्क नाइट के संपादन के दौरान हुई, जिसका प्रभाव उनकी 180 मिलियन डॉलर की लागत वाली फिल्म के प्रमोशन पर पड़ा.

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जल निकासी

न्यू साउथ वेल्स में एक सिडनी नाली की अत्यंत गहराई में किसी क्षेत्र की सतह या उप-सतह के पानी को प्राकृतिक या कृत्रिम ढंग से हटाना जल निकासी कहलाता है। कृषि भूमि के उत्पादन को सुधारने या पानी की आपूर्ति के प्रबंधन के लिए जल निकासी की आवश्यकता पड़ती है। .

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जूता

आज दुनिया के सबसे व्यापक रूप से उपलब्ध जूता: पब्लिक स्क्वेर, फेज़, मोरक्को में बिक्री के लिए सैकड़ों इस्तेमाल किये हुए खेल के जूतें, 2007 जूता पैरों में पहनने की एक ऐसी वस्तु है जिसका उद्देश्य विभिन्न गतिविधियां करते समय मानव के पैर की रक्षा करना और उसे आराम पहुंचाना है। जूतों का उपयोग एक सजावट की वस्तु के रूप में भी किया जाता है। समय-समय पर तथा संस्कृति से संस्कृति जूते के डिजाइन व रंग-रूप में अत्यधिक परिवर्तिन हुआ है, मूल स्वरूप में इसे काम के समय पहना जाता था। इसके अतिरिक्त, फैशन ने अक्सर कई डिजाइन तत्वों को निर्धारित किया है, जैसे जूते की एड़ी बहुत ही ऊंची हो या समतल हो। समकालीन जूते शैली, जटिलता और लागत की दृष्टि से व्यापक रूप में भिन्न होते हैं। बुनियादी सैंडल में केवल एक पतला तला और एक सामान्य पट्टा शामिल था। उच्च फैशन जूते महंगी सामग्री से और जटिल निर्माण प्रक्रिया द्वारा बनाए जाते हैं तथा उन्हें हजारों डॉलर प्रति जोड़ी बेचा जा सकता है। अन्य जूते अति विशिष्ट प्रयोजनों के लिए होते हैं, जैसे पर्वतारोहण और स्कीइंग के लिए डिजाइन किए गए जूते (बूट).

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वर्षावन

ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड में डैनट्री वर्षावन. क्वींसलैंड, ऑस्ट्रेलिया में केर्न्स के पास डैनट्री वर्षावन. न्यू साउथ वेल्स, ऑस्ट्रेलिया में इल्लावारा ब्रश के भाग। वर्षावन वे जंगल हैं, जिनमें प्रचुर मात्रा में वर्षा होती है अर्थात जहां न्यूनतम सामान्य वार्षिक वर्षा 1750-2000 मि॰मी॰ (68-78 इंच) के बीच है। मानसूनी कम दबाव का क्षेत्र जिसे वैकल्पिक रूप से अंतर-उष्णकटिबंधीय संसृति क्षेत्र के नाम से जाना जाता है, की पृथ्वी पर वर्षावनों के निर्माण में उल्लेखनीय भूमिका है। विश्व के पशु-पौधों की सभी प्रजातियों का कुल 40 से 75% इन्हीं वर्षावनों का मूल प्रवासी है। यह अनुमान लगाया गया है कि पौधों, कीटों और सूक्ष्मजीवों की कई लाख प्रजातियां अभी तक खोजी नहीं गई हैं। उष्णकटिबंधीय वर्षावनों को पृथ्वी के आभूषण और संसार की सबसे बड़ी औषधशाला कहा गया है, क्योंकि एक चौथाई प्राकृतिक औषधियों की खोज यहीं हुई है। विश्व के कुल ऑक्सीजन प्राप्ति का 28% वर्षावनों से ही मिलता है, इसे अक्सर कार्बन डाई ऑक्साइड से प्रकाश संष्लेषण के द्वारा प्रसंस्करण कर जैविक अधिग्रहण के माध्यम से कार्बन के रूप में भंडारण करने वाले ऑक्सीजन उत्पादन के रूप में गलत समझ लिया जाता है। भूमि स्तर पर सूर्य का प्रकाश न पहुंच पाने के कारण वर्षावनों के कई क्षेत्रों में बड़े वृक्षों के नीचे छोटे पौधे और झाड़ियां बहुत कम उग पाती हैं। इस से जंगल में चल पाना संभव हो जाता है। यदि पत्तों के वितानावरण को काट दिया जाए या हलका कर दिया जाए, तो नीचे की जमीन जल्दी ही घनी उलझी हुई बेलों, झाड़ियों और छोटे-छोटे पेड़ों से भर जाएगी, जिसे जंगल कहा जाता है। दो प्रकार के वर्षावन होते हैं, उष्णकटिबंधीय वर्षावन तथा समशीतोष्ण वर्षावन। .

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वानूआतू

वानूआतू (बिस्लामा में; अंग्रेजी में या), आधिकारिक तौर पर वानूआतू गणराज्य (République de Vanuatu, बिस्लामा रिपब्लिक ब्लोंग वानूआतू), दक्षिण प्रशांत महासागर में स्थित एक द्वीप राष्ट्र है। ज्वालामुखी मूल का यह द्वीपसमूह उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के लगभग पूर्व, न्यू कैलेडोनिया के पूर्वोत्तर, फिजी के पश्चिम और न्यू गिनी के निकट सोलोमन द्वीपों के दक्षिण-पूर्व में स्थित है। वानूआतू में मेलानेशियाई लोग सबसे पहले आकर बसे थे। यूरोप के लोगों ने 1605 में क्यूरॉस के नेतृत्व में स्पेनिश अभियान के एस्पिरिटू सैंटो में आने पर इन द्वीपों का पता लगाया था। 1880 के दशक में फ्रांस और युनाइटेड किंगडम ने देश के कुछ हिस्सों पर अपना दावा किया और 1906 में वे एक ब्रिटिश-फ्रांसीसी सहस्वामित्व के जरिये न्यू हेब्रिड्स के रूप में इस द्वीपसमूह के संयुक्त प्रबंधन के एक ढाँचे पर सहमत हुए.

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वित्त परियोजना

वित्त परियोजना, ऐसे बुनियादी ढांचे और औद्योगिक परियोजनाओं का दीर्घ कालींन वित्तपोषण है जो प्रायोजकों की बैलेंस-शीट के स्थान पर परियोजनाओं के अनुमानित नकदी प्रवाह पर आधारित होता है। आमतौर पर, एक परियोजना की वित्तपोषण संरचना अनेक इक्विटी निवेशकों को समाहित करती है, जो बैंकों के सिंडिकेट की तरह परियोजना को ऋण प्रदान करते हैं, प्रायोजक कहलाते हैं। ऋण, सबसे अधिक सामान्यतः प्रतिभूति-सीमित ऋण हैं, जो परियोजना की परिसंपत्तियों के द्वारा सुरक्षित रहते हैं और प्रायोजकों की सामान्य परिसंपत्तियों या ऋण पात्रता के स्थान पर परियोजना के नकदी प्रवाह द्वारा प्रदत्त किया जाता है, यह वित्तीय मॉडलिंग द्वारा समर्थित भाग में एक निर्णय है। वित्तपोषण, राजस्व उत्पादन ठेके सहित परियोजना की समस्त परिसम्पत्तियों द्वारा विशिष्ट रूप से सुरक्षित है। परियोजना उधारदाताओं को इन सभी परिसम्पत्तियों पर एक ग्रहणाधिकार दिया गया है और अगर परियोजना कंपनी को परियोजना की ऋण शर्तों के अनुपालन में कठिनाइयां है तो, वे परियोजना का नियंत्रण समझ सकते हैं। प्रायः प्रत्येक परियोजना में विशेष उद्देश्य से एक इकाई बनायी जाती है जिसके द्वारा परियोजना के प्रायोजकों के स्वमित्ववाली अन्य परिसम्पत्तियों को इस परियोजना के निष्फल होने पर होनेवाले क्षतिकारक प्रभावों से सुरक्षित किया जाता है। एक विशेष प्रयोजन इकाई के रूप में, परियोजना कंपनी परियोजना के अतिरिक्त अन्य कोई परिसंपत्तियां नहीं रखती है। कभी कभी परियोजना कंपनी के मालिकों द्वारा पूंजी योगदान की प्रतिबद्धता, परियोजना की आर्थिक सुद्र्ढ्ता सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक होती है। परियोजना वित्त अक्सर वैकल्पिक वित्तपोषण तरीकों की तुलना में अधिक जटिल होते है। परंपरागत रूप से, परियोजना वित्तपोषण खनन, परिवहन, दूरसंचार और सार्वजनिक उपयोगिता के उद्योगों में सबसे अधिक इस्तेमाल किया गया है। अभी हाल ही में, विशेष रूप से यूरोप में, परियोजना के वित्तपोषण के सिद्धांतों को निजी सार्वजनिक भागीदारी (पीपीपी) के तहत बुनियादी ढांचे या, ब्रिटेन में, निजी वित्त पहल (PFI) लेनदेन के लिए लागू किया गया है। जोखिम की पहचान और नियतन वित्त परियोजना का एक महत्वपूर्ण घटक है। एक परियोजना विकासशील देशों और उभरते बाज़ारों में अनेक तकनीकी, पर्यावरण, आर्थिक और राजनीतिक जोखिमों की विषय वस्तु हो सकती है। वित्तीय संस्थायें और परियोजना के प्रायोजक यह निर्णय कर सकते हैं कि परियोजना के विकास और संचालन में निहित जोखिम अस्वीकार्य हैं (आर्थिक प्रबन्धन योग्य नहीं हैं)। इन जोखिमों का सामना करने के लिए, इन उद्योगों में परियोजना के प्रायोजक (जैसे कि बिजलीघर या रेलवे लाइनें) प्रायः कार्य को अनेकों विशेषज्ञ कंपनियों द्वारा पूर्ण करते हैं जो एक दूसरे के साथ एक अनुबंध नेटवर्क में सक्रिय हैं और वित्तपोषण की अनुमति के मार्ग में जोखिम को नियत करती हैं।मार्को सोर्ज,, बीआईएस (BIS) क्वाटर्ली समीक्षा, दिसम्बर 2004, पृष्ठ 91 कार्यान्वयन के विभिन्न पैटर्न कभी कभी "परियोजना वितरण विधि" के रूप में संदर्भित किये जाते है। इन परियोजनाओं के वित्तपोषण कई दलों के बीच वितरित किया जाना चाहिए, ताकि परियोजना के साथ जुड़े जोखिम और साथ ही प्रत्येक पार्टी के लिये निहित लाभ सुनिश्चित किये जा सकें.

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विनिर्माण प्रक्रियाओं की सूची

यहाँ विनिर्माण-प्रक्रियाओं की सूची दी गयी है जो प्रकार्य (फंक्शन) की समानता के अनुसार व्यवस्थित किये गये हैं। .

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खनन इंजीनियरी

प्राकृतिक रूप से विद्यमान परिस्थितियों में स्थित खनिजों को बाहर निकालने एवं उनका प्रसंस्करण करने से सम्बन्धित सिद्धान्त, विज्ञान, तकनीकी को खनन इंजीनियरी (Mining engineering) कहते हैं। .

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खनि भौमिकी

खनि भौमिकी (Mining Geology) भूविज्ञान का वह अंग है जो खनन के उन सभी पहलुओं का विशेष अध्ययन करता है जिनसे एक अयस्क, या खनिज निक्षेप, पूर्ण विकसित खान में परिवर्तित हो जाए। .

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खनिजों का बनना

खनिजों का बनना (formation) अनेक प्रकार से होता है। बनने में उष्मा, दाब तथा जल मुख्य रूप से भाग लेते हैं। निम्नलिखित विभिन्न प्रकारों से खनिज बनते हैं: (१) मैग्मा का मणिभीकरण (Crystallization from magma) - पृथ्वी के आभ्यंतर में मैग्मा में अनेक तत्व आक्साइड एवं सिलिकेट के रूपों में विद्यमान हैं। जब मैग्मा ठंडा होता है तब अनेक यौगिक खनिज के रूप में मणिभ (क्रिस्टलीय) हो जाते है और इस प्रकार खनिज निक्षेपों (deposit) को जन्म देते हैं। इस प्रकार के मुख्य उदाहरण हीरा, क्रोमाइट तथा मोनेटाइट हैं। (२) ऊर्ध्वपातन (Sublimation)- पृथ्वी के आभ्यंतर में उष्मा की अधिकता के कारण अनेक वाष्पशील यौगिक गैस में परिवर्तित हो जाते हैं। जब यह गैस शीतल भागों में पहुँचती है तब द्रव दशा में गए बिना ही ठोस बन जाती है। इस प्रकार के खनिज ज्वालामुखी द्वारों के समीप, अथवा धरातल के समीप, शीतल आग्नेय पुंजों (igneous masses) में प्राप्त होते हैं। गंधक का बनना उर्ध्वपातन क्रिया द्वारा ही हुआ है। (३) आसवन (Distillation) - ऐसा समझा जाता है कि समुद्र की तलछटों (sediments) में अंतर्भूत (imebdded) छोटे जीवों के कायविच्छेदन के पश्चात्‌ तैल उत्पन्न होता है, जो आसुत होता है और इस प्रकार आसवन द्वारा निर्मित वाष्प पेट्रोलियम में परिवर्तित हो जाता है अथवा कभी-कभी प्राकृतिक गैसों को उत्पन्न करता है। (४) वाष्पायन एवं अतिसंतृप्तीकरण (Vaporisation and Supersaturation) - अनेक लवण जल में घुल जाते हैं और इस प्रकार लवण जल के झरनों तथा झीलों को जन्म देते हैं। लवण जल का वाष्पायन द्वारा लवणों का अवशोषण (precipitation) होता है। इस प्रकार लवण निक्षेप अस्तित्व में आते हैं। इसके अतिरिक्त कभी कभी वाष्पायन द्वारा संतृप्त स्थिति आ जाने पर घुले हुए पदार्थों मणिभ पृथक हो जाते हैं। (५) 'गैसों, द्रवों एवं ठोसों की पारस्परिक अभिक्रियाएँ - जब दो विभिन्न गैसें पृथ्वी के आभ्यंतर से निकलकर धरातल तक पहुँचती हैं तथा परस्पर अभिक्रिया करती हैं तो अनेक यौगिक उत्पन्न होते है उदाहरणार्थ: इसी प्रकार गैसें कुछ विलयनों पर अभिक्रिया करती हैं। फलस्वरूप कुछ खनिज अवक्षिप्त हो जाते हैं। उदाहरण के लिए, जब हाइड्रोजन सल्फाइड गैस ताम्र-सल्फेट-विलयन से पारित होती है तब ताम्र सल्फाइड अवक्षिप्त हो जाता है। कभी ये गैसें ठोस पदार्थ से अभिक्रिया कर खनिजों को उत्पन्न करती हैं। यह क्रिया अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि अनेक खनिज सिलिकेट, आक्साइड तथा सल्फाइड के रूप में इसी क्रिया द्वारा निर्मित होते हैं। किसी समय ऐसा होता है कि पृथ्वी के आभ्यंतर का उष्ण आग्नेय शिलाओं से पारित होता है एवं विशाल संख्या में अयस्क कार्यों (ore bodies) को अपने में विलीन कर लेता है। यह विलयन पृथ्वी तल के समीप पहुँच कर अनेक धातुओं को अवक्षिप्त कर देता है। स्वर्ण के अनेक निक्षेप इसी प्रकार उत्पन्न हुए हैं। कुछ अवस्थाओं में इस प्रकार के विलयन पृथ्वीतल के समीप विभिन्न शिलाओं के संपर्क में आते हैं तथा एक एक करके कणों का प्रतिस्थापन (replacement) होता है, अर्थात्‌ जब शिला के एक कण का निष्कासन होता है तो उस निष्कासित कण के स्थान पर धात्विक विलयन के एक कण का प्रतिस्थापन हो जाता है। इस प्रकार शिलाओं के स्थान पर नितांत नवीन धातुएँ मिलती हैं, जिनका आकार और परिमाण प्राचीन प्रतिस्थापित शिलाओं का ही होता है। अनेक दिशाओं में यदि शिलाओं में कुछ विदार (cracks) या शून्य स्थान (void or void spaces) होते हैं तो पारच्यवित विलयन (percolating solution) उन शून्य स्थानों में खनिज निक्षेपों को जन्म देते हैं। यह क्रिया अत्यंत सामान्य है, जिसने अनेक धात्विक निक्षेपों को उत्पन्न किया है। (६) जीवाणुओं (bacteria) द्वारा अवक्षेपण - यह भली प्रकार से ज्ञात है कि कुछ विशेष प्रकार के जीवाणुओं में विलयनों से खनिज अवक्षिप्त करने की क्षमता होती है। उदाहरणार्थ, कुछ जीवाणु लौह को अवक्षिप्त करते हैं। ये जीवाणु विभिन्न प्रकार के होते हैं तथा विभिन्न प्रकार के निक्षेपों का निर्माण करते हैं। (७) कलिलीय निक्षेपण (Collodial Deposition) - वे खनिज, जो जल में अविलेय हैं, विशाल परिमाण में कलिलीय विलयनों में परिवर्तित हो जाते हैं तथा जब इनसे कोई विद्युद्विश्लेष्य (electroyte) मिलता है तब ये विलयन अवक्षेप देते हैं। इस प्रकार कोई भी धातु अवक्षिप्त हो सकती है। कभी कभी अवक्षेपण के पश्चात्‌ अवक्षिप्त खनिज मणिभीय हो जाते हैं, किंतु अन्य दशाओं में ऐसा नहीं होता। (८) ऋतुक्षारण प्रक्रम (Weathering Process) - यह ऋतुक्षारण शिलाओं के अपक्षय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है उसी प्रकार जो विलयन बनते हैं उनमें लौह, मैंगनीज तथा दूसरे यौगिक हो सकते हैं। ये यौगिक, विलयनों द्वारा सागर में ले जाए जाते हैं और वहीं वे अवक्षिप्त हो जाते हैं। लौह तथा मैगनीज के निक्षेप इसी प्रकार उत्पन्न हुए। ऋतुक्षारण या तो पूर्ववर्ती (pre-existing) शिलाओं से अथवा पूर्ववर्ती खनिज निक्षेपों से हो सकता है। कुछ दशाओं में किसी शिला में कुछ अधोवर्ग (low grade) के विकिरित खनिज (disseminated minerals) होते हैं। तलीय जल शिलाओं के साधारण अवयवों को विलीन कर लेता है और अवशिष्ट भाग को मूल विकीरित खनिजों से समृद्ध करता है। अनेक अयस्क निक्षेप, अवशिष्ट उत्पाद के रूप में पाए जाते हैं, जैसे बाक्साइट। कुछ शिलाएँ, जैसे ग्रैनाइट (कणाश्म), वियोजन (disintegration) के पश्चात्‌ काइनाइट जैसे खनिजों को उत्पन्न करती हैं। (९) उपरूपांतरण (Metamorphism)-कुछ निक्षेप पूर्ववर्ती तलछटों के उपरूपांतरणों द्वारा निर्मित होते हैं। उदाहरण के लिए, चूना पत्थर संगमरमर को तथा कुछ मृत्तिकाएँ और सिलिका निक्षेप सिलोमनाइट को उत्पन्न करते हैं। .

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खनिक

खदानों या खानों में खनन कार्य करने वाले श्रमिकों को खनिक कहते हैं। श्रेणी:खनिकी श्रेणी:खनिज.

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खान

खान (माइन) से निम्नलिखित का बोध हो सकता है-.

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ऑस्ट्रेलिया की अर्थव्यवस्था

ऑस्ट्रेलिया की अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और ऑस्ट्रेलिया एक विकसित औद्योगिक देश समझा जाता है। सन् २०१४ में इसका सकल घरेलू उत्पाद (GDP) १५.२५ खरब (१.५२५ ट्रिलियन) अमेरिकी डॉलर था और इसकी कुल सम्पत्ति ६४ खरब डॉलर थी। २०१२ में क्रय शक्ति समता (purchasing power parity) के अनुसार यह विश्व की १७वीं सबसे बड़ी और अंकित मूल्य (nominal) के हिसाब से यह १२वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। .

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आदित्य बिड़ला समूह

आदित्य बिड़ला समूह भारत के साथ थाईलैंड, दुबई, सिंगापुर,, म्यांमार, लाओस, इंडोनेशिया, फिलीपींस, मिस्र, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, चीन, अमरीका, ब्रिटेन, जर्मनी, हंगरी, ब्राजील, इटली, फ्रांस, लक्समबर्ग, स्विट्जरलैंड, बांग्लादेश, मलेशिया, वियतनाम और कोरिया समेत 25 देशों में कार्यरत मुंबई में स्‍थित मुख्‍यालय वाला एक बहुराष्ट्रीय सांगठनिक निगम है। आदित्य बिड़ला समूह यूएस 30 बिलियन यूएस$ का संगठन है जो अपने राजस्‍व का 60% भारत के बाहर से प्राप्त करता है। समूह स्‍वयं द्वारा संचालित सभी औधोगिक क्षेत्रों में प्रमुख खिलाड़ी है। बिरला समूह हेवेट-इकॉनामिक टाइम्‍स और वॉल स्‍ट्रीट जर्नल स्‍टडी 2007 के द्वारा एशिया में शीर्ष 20 के बीच भारत के श्रेष्ठ नियोक्‍ता के रूप में घोषित किया गया है। समूह की उत्पत्ति भारत के अग्रणी उद्योगपति घनश्‍याम दास बिरला के द्वारा पहली बार स्‍थापित संगठन में निहित है। .

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आर्थिक भौमिकी

आर्थिक भौमिकी, भौमिकी की वह शाखा है जो पृथ्वी की खनिज संपत्ति के संबंध में बृहत्‌ ज्ञान कराती है। पृथ्वी से उत्पन्न समस्त धातुओं, पत्थर, कोयला, भूतैल (पेट्रोलियम) तथा अन्य अधातु खनिजों का अध्ययन तथा उनका आर्थिक विवेचन आर्थिक भौमिकी द्वारा ही होता है। प्रत्येक देश की समृद्धि वहाँ की खनिज संपत्ति पर बहुत कुछ निर्भर रहती है और इस दृष्टि से आर्थिकी भौतिकी का अध्ययन और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। यद्यपि भारतवर्ष प्राचीन समय से ही अपनी खनिज संपत्ति के लिए प्रसिद्ध रहा है, तथापि कुछ कारणों से यह देश अत्यंत समृद्ध नहीं कहा जा सकता। भारत में आर्थिक खनिज पाए जाते हैं जिनमें से लगभग १६ खनिज प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। इनमें विशेष कर लौह अयस्क, मैंगनीज़, अभ्रक, बॉक्साइट, इल्मेनाइट, पत्थर के कोयले जिप्सम, चूना पत्थर (लाइम स्टोन), सिलीमेनाइट, कायनाइट, कुरबिंद (कोरंडम), मैग्नेसाइट, मत्तिकाओं आदि के विशाल भांडार हैं, किंतु साथ ही साथ सीसा, तांबा, जस्ता, रांगा, गंधक तथा मूतैल आदि अत्यंत न्यून मात्रा में हैं। भूतैल का उत्पादन तो इतना अल्प है कि देश की आंतरिक खपत का केवल सात प्रतिशत ही उससे पूरा हो पाता है। इस्पात उत्पादन के लिए सारे आवश्यक खनिज पर्याप्त किए जाते हैं उनमें इन धातुओं के अभाव के कारण कुछ हल्की धातुएं, जैसे ऐल्युमिनियम इत्यादि तथा उनकी मिश्र धातुएँ उपयोग में लाई जा सकती है। .

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कुदरेमुख

कुदरेमुख (ಕುದುರೆಮುಖ) जिसे कई बार कुदुरेमुख भी कहा जाता है, कर्नाटक राज्य के चिकमंगलूर जिला में एक पर्वतमाला है। यहीं निकटस्थ ही के एक कस्बे का नाम भि यही है। यह कर्कला से ४८ कि॰मी॰ दूर स्थित है। कुदरेमुख शब्द का मूल यहां के स्थानीय निवासियों द्वारा अश्व के मुख को कहा जाने से पड़ा है। इस पर्वत की चोटी का आकार कुछ इसी प्रकार का है। इसे ऐतिहासिक नाम समसेपर्वत से भी जाना जाता है, क्योंकि इसका रास्ता समसे ग्राम से होकर निकलता था। यह कस्बा मुख्यतः लौह अयस्क के खनन के कारण प्रसिद्ध है, जहां एक सरकारी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम कुदरेमुख आयरन ओर कंपनी लि. (KIOCL) स्थित है एवं अपने नाम के अनुसार इसी कार्य में संलग्न है। इसके साथ ही यह क्षेत्र नैसर्गिक संपदा के लिये भी मशहूर है। घने जंगल, वन्य जीवन यहां की सुंदरता को चार चांद लगाते हैं। यहां दक्षिण भारत की तीन नदियों का उद्गम है: तुंग, भद्रा एवं नेत्रवती। यहाम के प्रमुख आकर्षणों में एक भगवती दुर्गा का मंदिर एवं एक गुफ़ा में १.८ मीटर की वाराह मूर्ति हैं। Kudremukha Iron Ore Company logo .

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कृष्णकुमार माथुर

कृष्णकुमार माथुर (१८९३ - १९३६ ई०) प्रसिद्ध भारतीय भूविज्ञानी तथा विख्यात शिक्षाविशारद थे। .

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के आई ओ सी एल लिमिटेड

के आई ओ सी एल लिमिटेड (KIOCL Limited), भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय के अधीन मिनी रत्न श्रेणी की सर्वोत्तम कंपनी है जिसका गठन २ अप्रैल १९७६ में किया गया था। पहले इसका नाम 'कुद्रमुख लौह अयस्क कम्पनी' था। इसका का निगमित कार्यालय कोरमंगला, बेंगलुरु में और इसका पेलेटीकरण कॉम्प्लेक्स कर्नाटक के तटीय शहर मंगलुरु में स्थित है। यह लौह अयस्क खनन, निस्यंदन प्रौद्योगिकी एवं उच्च गुणवत्ता के पैलेटों के उत्पादन में विशेषज्ञता प्राप्त भारत की की प्रतिष्ठित निर्यातोन्मुखी कम्पनी है। केआईओसीएल आई एस ओ 9001:2008, आई एस ओ 14001:2004 एंड ओ एच एस ए एस 18001:2007 प्रमाणन से प्रतिष्ठित कंपनी है। .

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अपशिष्ट प्रबंधन

बर्कशायर, इंग्लैंड में पहियों वाला कचरे का डब्बा अपशिष्ट प्रबंधन परिवहन (transport), संसाधन (processing), पुनर्चक्रण (recycling) या अपशिष्ट (waste) के काम में प्रयोग की जाने वाली सामग्री का संग्रह है। यह शब्द आम तौर पर उस सामग्री को इंगित करता है जो मानव गतिविधियों से बनती हैं और ये इसलिए किया जाता है ताकि मानव पर उस के स्वस्थ, पर्यावरण (environment) या सौंदर्यशास्त्र.

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अंतरिक्ष विज्ञान

गैलेक्सी के एक भाग को प्रदर्शित करता हुआ एक तस्वीर अंतरिक्ष विज्ञान एक व्यापक शब्द है जो ब्रह्मांड के अध्ययन से जुड़े विभिन्न विज्ञान क्षेत्रों का वर्णन करता है तथा सामान्य तौर पर इसका अर्थ "पृथ्वी के अतिरिक्त" तथा "पृथ्वी के वातावरण से बाहर" भी है। मूलतः, इन सभी क्षेत्रों को खगोल विज्ञान का हिस्सा माना गया था। हालांकि, हाल के वर्षों में खगोल के कुछ क्षेत्रों, जैसे कि खगोल भौतिकी, का इतना विस्तार हुआ है कि अब इन्हें अपनी तरह का एक अलग क्षेत्र माना जाता है। कुल मिला कर आठ श्रेणियाँ हैं, जिनका वर्णन अलग से किया जा सकता है; खगोल भौतिकी, गैलेक्सी विज्ञान, तारकीय विज्ञान, पृथ्वी से असंबंधित ग्रह विज्ञान, अन्य ग्रहों का जीव विज्ञान, एस्ट्रोनॉटिक्स/ अंतरिक्ष यात्रा, अंतरिक्ष औपनिवेशीकरण और अंतरिक्ष रक्षा.

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