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क्वथनांक

सूची क्वथनांक

किसी द्रव का क्वथनांक वह ताप है जिसपर द्रव के भीतर वाष्प दाब, द्रव की सतह पर आरोपित वायुमंडलीय दाब के बराबर होता है। यह वायुदाब के साथ परिवर्तित होता है और वायुदाब के बढ़ने पर द्रव के क्वथन हेतु अधिक उच्च ताप की आवश्यकता होती है। .

51 संबंधों: ऊष्मा, टरपीन, एथिलीन ग्लाइकोल, एमाइड, एमीन, एसिटिक अम्ल, डायजो यौगिक, तापमापी, नाइट्रोजन, नियोडाइमियम, निर्वात आसवन, पिरिडीन, प्रशीतित्र, प्रेशर कुकर, पेट्रोलियम जेली, फ्लोरीन, फॉर्मिक अम्ल, ब्रोमीन, भाप, भाप आसवन, भौतिक विज्ञान की पारिभाषिक शब्दावली, भौतिक गुण, भौतिकी की शब्दावली, मोलिब्डेनम, रासायनिक ध्रुवीयता, लैंथेनम हेक्साबोराइड, सोडियम, सीसा, हाइड्राज़िन, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, हिलियम, जर्मेनियम, जल, जल (अणु), विलायकों के गलनांक तथा क्वथनांक, गलनांक, गंधराल, गुप्त ऊष्मा, ऑक्सैलिक अम्ल, आसवन, आइसोसायनिक अम्ल, इण्डियम, काढ़ा, क्वथन, क्वथनांक उन्नयन, क्विनोलीन, केल्विन, अतितप्त भाप, अतितप्त जल, अतितापन, ..., अधातु सूचकांक विस्तार (1 अधिक) »

ऊष्मा

इस उपशाखा में ऊष्मा ताप और उनके प्रभाव का वर्णन किया जाता है। प्राय: सभी द्रव्यों का आयतन तापवृद्धि से बढ़ जाता है। इसी गुण का उपयोग करते हुए तापमापी बनाए जाते हैं। ऊष्मा या ऊष्मीय ऊर्जा ऊर्जा का एक रूप है जो ताप के कारण होता है। ऊर्जा के अन्य रूपों की तरह ऊष्मा का भी प्रवाह होता है। किसी पदार्थ के गर्म या ठंढे होने के कारण उसमें जो ऊर्जा होती है उसे उसकी ऊष्मीय ऊर्जा कहते हैं। अन्य ऊर्जा की तरह इसका मात्रक भी जूल (Joule) होता है पर इसे कैलोरी (Calorie) में भी व्यक्त करते हैं। .

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टरपीन

चीड़ आदि कोणधारी वृक्षों से प्राप्त रेजिन से अधिकांश टरपीन प्राप्त किए जाते हैं। टरपीन (Terpene) हाइड्रोकार्बन वर्ग का असंतृप्त यौगिक है, जिसमें केवल कार्बन और हाइड्रोजन तत्व होते है। टरपीन (Terpene) शब्द टरपेंटाइन (turpentine) (तारपीन का तेल) से निकला है, जिसमें अनेक टरपीन पाए गए हैं। टरपीनों का सामान्य सूत्र है जहाँ (n) एक, दो, तीन, चार या चार से अधिक हो सकता है। टरपीन के अनेक अंतर्विभाग हैं। सरलतम टरपीन का सूत्र (C5H8) है। इसे 'हेमिटरपीन' कहते हैं। हेमिटरपीन के अतिरिक्त वास्तविक टरपीन (C10H16), सेस्किवटरपीन (C15H24), डाइटरपीन (C20H32) ट्राइटरपीन (C30H48) और पॉलिटरपीन (C5 H8)n सूत्रों के होते हैं, जिनमें (n) पाँच से अधिक संख्या होती है। टरपीनों का वर्गीकरण उनकी संरचना के आधार पर भी किया गया है। एक वर्ग के टरपीनों में कोई चक्रीय संरचना नहीं होती। इसे अचक्रीय (acyclic) या विवृत श्रृंखला का टरपीन कहते है। दूसरे वर्ग में चक्रीय (cyclic) संरचना होती है। उसे चक्रीय टरपीन कहते हैं। फिर चक्रीय टरपीन एक वलय वाला, दो वलयवाला या तीन से अधिक वलयवाला हो सकता है। ऐसे टरपीनों को क्रमश: एकचक्रीय, द्विचक्रीय, त्रिचक्रीय, या बहुचक्रीय, टरपीन कहते हैं। .

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एथिलीन ग्लाइकोल

एथलीन ग्लाइकोल एथलीन ग्लाइकोल (Ethylene glycol; IUPAC नाम: इथेन-1,2-डायोल) एक कार्बनिक यौगिक है जो मोटरगाड़ियों में प्रतिहिमकारी (antifreeze) के रूप में उपयोग में आता है। इसे 'ग्लाइकोल' भी कहते हैं। इसका रासायनिक सूत्र (HO-CH2-CH2-OH) है। यह बहुलकों का पूर्वरूप था। शुद्ध एथलीन ग्लाइकोल गंधहीन, रंगहीन, सिरप जैसा और स्वाद में मीठा द्रव है। यह विषैला होता है तथा इसे ग्रहण करने पर मृत्यु हो सकती है। यह सुंगधित तैलीय द्रव है, जिसका क्वथनांक १९७.५° सें.

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एमाइड

एमाइड क्रियात्मक समूह ऐमाइड (Amide) अमोनिया के हाइड्रोजन को वसीय या सौरभिक अम्ल मूलक द्वारा प्रतिस्थापित यौगिक है। इसमें अम्ल से कार्बोक्सिल मूलक का हाइड्रॉक्सिल मूलक ऐमिडोमूलक NH2 जैसे (R.CO.NH2)। ये तीन वर्ग के हैं: प्राथमिक R.CO...N H2, द्वितीयक (R.CO)2 तथा त्रितीयक (RCO)3 N* इनमें से केवल प्राथमिक ऐमाइड ही प्रमुख हैं। इन्हें 'ऐसिड ऐमाइड' भी कहते हैं। इनके नाम अम्ल के अंग्रेजी नाम से "-इक ऐसिड" निकालकर उसके बदले "ऐमाइड" लगा देने से प्राप्त होते हैं, जैसे फ़ॉर्मिक ऐसिड से फॉर्मऐमाइड (H.CO NH2), ऐसीटिक एसिड से ऐसीटेमाइड CH3। CO.NH2 इत्यादि। ऐमिनो मूलक के हाइड्रोजन के प्रतिस्थापित यौगिक को नाम के पहले एन (N) लिखकर व्यक्त करते हैं, जैसे एन-मेथिल ऐसीटैमाइड। प्रकृति में ये प्रोटीन में पेप्टाइड बंधन के रूप में पाए जाते हैं। .

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एमीन

ऐमिन (तिक्ती) अमोनिया के यौगिक हैं। अमोनिया के १, २ या ३ हाइड्रोजन परमाणुओं के ऐल्किल या ऐरिल मूलक द्वारा प्रतिस्थापन से क्रमश: प्राथमिक RNH2, द्वितीयक PR´ NH या त्रितीयक R R´ R´´N वर्ग के तिक्ती बनते हैं। चतु: ऐरिल मूलकवाला यौगिक अज्ञात है। चतु: तिक्ती में R4N- धनायन है, किंतु ऋणायन Cl-HSO4, या OH- हो सकते हैं। मूलकों के आधार पर इनके रासायनिक तथा भौतिक गुण भी भिन्न होते हैं। चतुर्थक के गुण ऐमोनियम यौगिक के समान होते हैं। सौरभिक द्वि-तिक्ती (ऑर्थो, मेटा तथा पैरा फ़ेनिलीन डाइ तिक्ती) के गुण प्राथमिक की भाँति हैं। कुछ तिक्ती, जैसे ब्यूटिल तथा आइसो ब्यूटिल तिक्ती, समावयवता प्रदर्शित करते हैं। तिक्ती प्रकृति में अधिक नहीं पाए जाते, किंतु कुछ, जैसे मेथिल तिक्ती पौधों, जंतुओं के रक्त, सांद्र नमक के विलयन में रखी हेरिंग मछली, हड्डी के तेल तथा डामर में प्राप्य हैं। उदाहरण के लिये ट्राई मेथिल एमिन तृतीयक एमीन है जिसका अणुसूत्र N(CH3)3 है। ट्राई मेथिल एमिन .

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एसिटिक अम्ल

शुक्ताम्ल (एसिटिक अम्ल) CH3COOH जिसे एथेनोइक अम्ल के नाम से भी जाना जाता है, एक कार्बनिक अम्ल है जिसकी वजह से सिरका में खट्टा स्वाद और तीखी खुशबू आती है। यह इस मामले में एक कमज़ोर अम्ल है कि इसके जलीय विलयन में यह अम्ल केवल आंशिक रूप से विभाजित होता है। शुद्ध, जल रहित एसिटिक अम्ल (ठंडा एसिटिक अम्ल) एक रंगहीन तरल होता है, जो वातावरण (हाइग्रोस्कोपी) से जल सोख लेता है और 16.5 °C (62 °F) पर जमकर एक रंगहीन क्रिस्टलीय ठोस में बदल जाता है। शुद्ध अम्ल और उसका सघन विलयन खतरनाक संक्षारक होते हैं। एसिटिक अम्ल एक सरलतम कार्बोक्जिलिक अम्ल है। ये एक महत्वपूर्ण रासायनिक अभिकर्मक और औद्योगिक रसायन है, जिसे मुख्य रूप से शीतल पेय की बोतलों के लिए पोलिइथाइलीन टेरिफ्थेलेट; फोटोग्राफिक फिल्म के लिए सेलूलोज़ एसिटेट, लकड़ी के गोंद के लिए पोलिविनाइल एसिटेट और सिन्थेटिक फाइबर और कपड़े बनाने के काम में लिया जाता है। घरों में इसके तरल विलयन का उपयोग अक्सर एक डिस्केलिंग एजेंट के तौर पर किया जाता है। खाद्य उद्योग में एसिटिक अम्ल का उपयोग खाद्य संकलनी कोड E260 के तहत एक एसिडिटी नियामक और एक मसाले के तौर पर किया जाता है। एसिटिक अम्ल की वैश्विक मांग क़रीब 6.5 मिलियन टन प्रतिवर्ष (Mt/a) है, जिसमें से क़रीब 1.5 Mt/a प्रतिवर्ष पुनर्प्रयोग या रिसाइक्लिंग द्वारा और शेष पेट्रोरसायन फीडस्टोक्स या जैविक स्रोतों से बनाया जाता है। स्वाभाविक किण्वन द्वारा उत्पादित जलमिश्रित एसिटिक अम्ल को सिरका कहा जाता है। .

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डायजो यौगिक

Diazo डायज़ो यौगिक (Diazo compounds) एक प्रकार के कार्बनिक यौगिक हैं जिनमें दो लिंकित नाइट्रोजन (एजो) परमाणु फंक्शन समूह के रूप में होते हैं। इसका सामान्य सूत्र R2C.

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तापमापी

|एक चिकित्सकीय तापमापी '''तापमापी''' तापमापी या थर्मामीटर वह युक्ति है जो ताप या 'ताप की प्रवणता' को मापने के काम आती है। 'तापमिति' (Thermometry) भौतिकी की उस शाखा का नाम है, जिसमें तापमापन की विधियों पर विचार किया जाता है। तापमापी अनेक सिद्धान्तों के आधार पर निर्मित किये जा सकते हैं। द्रवों का आयतन ताप ग्रहण कर बढ़ जाता है तथा आयतन में होने वाली यह वृद्धि तापक्रम के समानुपाती होता है। साधारण थर्मामीटर इसी सिद्धान्त पर काम करते हैं। .

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नाइट्रोजन

नाइट्रोजन (Nitrogen), भूयाति या नत्रजन एक रासायनिक तत्व है जिसका प्रतीक N है। इसका परमाणु क्रमांक 7 है। सामान्य ताप और दाब पर यह गैस है तथा पृथ्वी के वायुमण्डल का लगभग 78% नाइट्रोजन ही है। यह सर्वाधिक मात्रा में तत्व के रूप में उपलब्ब्ध पदार्थ भी है। यह एक रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन और प्रायः अक्रिय गैस है। इसकी खोज 1772 में स्कॉटलैण्ड के वैज्ञनिक डेनियल रदरफोर्ड ने की थी। आवर्त सारणी के १५ वें समूह का प्रथम तत्व है। नाइट्रोजन का रसायन अत्यंत मनोरंजक विषय है, क्योंकि समस्त जैव पदार्थों में इस तत्व का आवश्यक स्थान है। इसके दो स्थायी समस्थानिक, द्रव्यमान संख्या 14, 15 ज्ञात हैं तथा तीन अस्थायी समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या 13, 16, 17) भी बनाए गए हैं। नाइट्रोजन तत्व की पहचान सर्वप्रथम 1772 ई. में रदरफोर्ड और शेले ने स्वतंत्र रूप से की। शेले ने उसी वर्ष यह स्थापित किया कि वायु में मुख्यत: दो गैसें उपस्थित हैं, जिसमें एक सक्रिय तथा दूसरी निष्क्रिय है। तभी प्रसिद्ध फ्रांसीसी वैज्ञानिक लाव्वाज़्ये ने नाइट्रोजन गैस को ऑक्सीजन (सक्रिय अंश) से अलग कर इसका नाम 'ऐजोट' रखा। 1790 में शाप्टाल (Chaptal) ने इसे नाइट्रोजन नाम दिया। .

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नियोडाइमियम

नियोडाइमियम (Neodymium) एक रासायनिक तत्व है जिसका प्रतीक Nd है। इसका का परमाणु क्रमांक 60 और परमाणु भार 144.242 है। आवर्त सारणी में इसे लेन्थेनाइड तत्त्वों के साथ में रखा गया है। ऑस्ट्रिया के वैज्ञानिक 'वेल्स बैच' ने 1885 में इसकी खोज की थी। इसका गलनांक 934 डिग्री सेल्सियस तथा क्वथनांक 3480 डिग्री सेल्सियस है। श्रेणी:रासायनिक तत्व श्रेणी:लैन्थनाइड.

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निर्वात आसवन

डाइमिथाइल सल्फॉक्साइड निर्वात में आमतौर पर 189 °C पर उबलता है, जबकि यह जुड़े हुए ग्राहक मे 70 °C पर संधनित होता है। निर्वात आसवन, एक आसवन प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत आसुत होने वाले तरल मिश्रण के ऊपर के दाब को इसके वाष्प दाब से कम कर दिया जाता है (आमतौर पर वायुमंडलीय दाब से कम) जिसके कारण सबसे अधिक वाष्पशील द्रवों (जिनका क्वथनांक सबसे कम होता है) का वाष्पीकरण होता है। यह आसवन विधि इस सिद्धांत पर कार्य करती है कि क्वथन (उबलना) तब संभव होता है जब किसी तरल का वाष्प दाब, परिवेश के दाब से अधिक होता है। निर्वात आसवन विलयन को गर्म करके या बिना गर्म करके किया जा सकता है। श्रेणी:आसवन.

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पिरिडीन

पिरिडीन की रासायनिक संरचना पिरिडीन (C5 H5 N) एक विषमचक्रीय कार्बनिक यौगिक है, जिसके चक्र में कार्बन के पाँच और नाइट्रोजन का एक परमाणु रहता है। इसके संरचनासूत्र का प्रतिपादन कोरनर (Korner) ने १८६९ ई. में किया था। इस सूत्र से पिरिडीन के रासायनिक व्यवहार की व्याख्या संतोषजनक ढंग से हो जाती है। .

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प्रशीतित्र

दरवाजा खुले होने पर फ्रिज के अन्दर का दृष्य प्रशीतित्र (रेफ्रिजरेटर या फ्रिज) एक घरेलू उपयोग की युक्ति है जो सब्जी तथा खाद्य पदार्थों आदि को ठण्डा बनाये रखकर उनको जल्दी खराब होने से बचाता है। .

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प्रेशर कुकर

साधारण भारतीय अल्युमिनियम प्रेशर कुकर प्रेसर कुकर के विभिन्न अवयव ऐसा कोई भी वर्तन जिसमें भोजन पकाने के लिये वायुमंडलीय दाब से अधिक दाब उत्पन्न करके खाना बनाने की व्यवस्था हो उसे प्रेसर कुकर या दाबित रसोइया कहते हैं। प्रेसर कूकर में भोजन जल्दी बन जाता है क्योंकि अधिक दाब होने के कारण पानी १०० डिग्री सेल्सिअस से भी अधिक ताप तक गरम किया जा सकता है क्योंकि अधिक दाब पर पानी का क्वथनांक अधिक होता है। .

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पेट्रोलियम जेली

पेट्रोलियम जेली पेट्रोलियम जेली (Petroleum jelly) हाइड्रोकार्बनों का एक अर्ध-ठोस मिश्रण है जो अपने घाव ठीक करने के गुण के कारण मरहम के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। इसे सफेद पेट्रोलियम, कोमल पैराफिन, बहु-हाइड्रोकार्बन भी कहते हैं। इसका CAS नम्बर 8009-03-8 है। इसमें मौजूद हाइड्रोकार्बनों में प्रायः कार्बन संख्या २५ से अधिक होती है। .

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फ्लोरीन

फ्लोरीन एक रासायनिक तत्व है। यह आवर्त सारणी (periodic table) के सप्तसमूह का प्रथम तत्व है, जिसमें सर्वाधिक अधातु गुण वर्तमान हैं। इसका एक स्थिर समस्थानिक (भारसंख्या 19) प्राप्त है और तीन रेडियोधर्मिता समस्थानिक (भारसंख्या 17,18 और 20) कृत्रिम साधनों से बनाए गए हैं। इस तत्व को 1886 ई. में मॉयसाँ ने पृथक्‌ किया। अत्यंत क्रियाशील तत्व होने के कारण इसको मुक्त अवस्था में बनाना अत्यंत कठिन कार्य था। मॉयसाँ ने विशुद्ध हाइड्रोक्लोरिक अम्ल तथा दहातु तरस्विनिक के मिश्रण के वैद्युत्‌ अपघटन द्वारा यह तत्व प्राप्त किया था। तरस्विनी मुक्त अवस्था में नहीं पाया जाता। इसके यौगिक चूर्णातु तरस्विनिक (फ्लुओराइड), (चूर.त2) (CaF2) और क्रायोलाइड, (क्षा3स्फ.त6) (Na3AlF6) अनेक स्थानों पर मिलते हैं। तरस्विनी का निर्माण मॉयसाँ विधि द्वारा किया जाता है। महातु घनातु मिश्रधातु का बना यू (U) के आकार का विद्युत्‌ अपघटनी कोशिका लिया जाता है, जिसके विद्युदग्र भी इसी मिश्रधातु के बने रहते हैं। हाइड्रोफ्लोरिक अम्ल में दहातु तरस्विनिक (फ्लुओराइड) विलयित कर - 23° सें.

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फॉर्मिक अम्ल

फॉर्मिक अम्ल की संरचना फॉर्मिक अम्ल एक कार्बनिक यौगिक है। यह लाल चींटियों, शहद की मक्खियों, बिच्छू तथा बर्रों के डंकों में पाया जाता है। इन कीड़ों के काटने या डंक मारने पर थोड़ा अम्ल शरीर में प्रविष्ट हो जाता है, जिससे वह स्थान फूल जाता है और दर्द करने लगता है। पहले पहल लाल चींटयों (लैटिन नाम 'फॉर्मिका') को पानी के साथ गरम करके, उनका सत खींचने पर उसमें फार्मिक अम्ल मिला पाया गया। इसीलिए अम्ल का नाम 'फॉर्मिक' पड़ा। इसका उपयोग रबड़ जमाने, रँगाई, चमड़ा कमाई तथा कार्बनिक संश्लेषण में होता है। .

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ब्रोमीन

ब्रोमीन आवर्त सारणी (periodic table) के सप्तम मुख्य समूह का तत्व है और सामान्य ताप पर केवल यही अधातु द्रव अवस्था में रहती है। इसके दो स्थिर समस्थानिक (isotopes) प्राप्य हैं, जिनकी द्रव्यमान संख्याएँ 79 और 81 है। इसके अतिरिक्त इस तत्व के 11 रेडियोधर्मी समस्थानिक निर्मित हुए हैं, जिनकी द्रव्यमान संख्याएँ 75, 76, 77, 78, 80, 82, 83, 84, 85, 86 और 88 हैं। फ्रांस के वैज्ञानिक बैलार्ड ने ब्रोमीन की 1826 ई. में खोज की। इसकी तीक्ष्ण गंध, के कारण ही उसने इसका नाम 'ब्रोमीन' रखा, जिसका अर्थ यूनानी भाषा में 'दुर्गंध' होता है। ब्रोमीन सक्रिय तत्व होने के कारण मुक्त अवस्था में नहीं मिलता। इसके मुख्य यौगिक सोडियम, पोटैशियम और मैग्नीशियम के ब्रोमाइड हैं। जर्मनी के शटासफुर्ट (Stassfurt) नामक स्थान में इसके यौगिक बहुत मात्रा में उपस्थित हैं। समुद्रतल भी इसका उत्तम स्रोत है। कुछ जलजीव एवं वनस्पति पदार्थो में ब्रोमीन यौगिक विद्यमान हैं। .

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भाप

सौ डिग्री सेंट्रिग्रेड से अधिक गरम किसी वस्तु पर जल डालने से अचानक भाप पैदा होता है। पानी की गैसीय अवस्था या जलवाष्प को भाप (steam) कहते हैं। शुष्क भाप अदृश्य होती है, परंतु जब भाप में जल की छोटी-छोटी बूँदें मिली होती हैं तब उसका रंग सफेद होता है, जैसा रेल के इंजन से निकलती भाप में स्पष्ट दिखाई देता है। जब भाप में जल की बूँदे उपस्थित होती हैं, तो इसे 'आर्द्र भाप' (wet steam) कहते हैं। यदि जल की बूँदों का सर्वथा अभाव हो तो यह 'शुष्क भाप' (dry steam) कहलाती है। .

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भाप आसवन

date.

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भौतिक विज्ञान की पारिभाषिक शब्दावली

(abscissa) किसी ग्राफ पर किसी बिन्दु की Y-अक्ष से लम्बवत दूरी; इसे X-निर्देशांक भी कहते हैं। प्रति-कण (antiparticle) A counterpart of a subatomic particle having opposite properties (except for equal mass)। द्वारक (aperture) Any opening through which radiation may pass.

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भौतिक गुण

किसी भौतिक प्रणाली के किसी भी मापने योग्य गुण को भौतिक गुण (physical property) कहते हैं जो उस प्रणाली की बहुतिक अवस्था का सूचक है। इसके विपरीत वे गुण जो यह बताते हैं कि कोई वस्तु किसी रासायनिक अभिक्रिया में कैसा व्यवहार करती है, उसका रासायनिक गुण कहलाती है। .

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भौतिकी की शब्दावली

* ढाँचा (Framework).

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मोलिब्डेनम

मोलिब्डेनम (Molybdenum) एक रासायनिक तत्व है जिसका प्रतीक Mo एवं परमाणु क्रमांक ४२ है। इसके खनिज तो बहुत समय से ज्ञात हैं किन्तु तत्व के रूप में इसकी पहचान १७७८ में शीले ने की। मोलिब्डेनम के सात स्थिर समस्थानिक पाए जाते हैं, जिनकी द्रव्यमान संख्या ९२, ९४, ९५, ९६, ९७, ९८ और १०० है। इनके अतिरिक्त द्रव्यमान संख्या ९३, ९९, १०१ और १०५ के अस्थिर समस्थानिक कृत्रिम विधि से निर्मित हुए हैं। इसके अयस्क मोलिब्डेनाइट को बहुत काल तक भूल से ग्रेफाइट समझा गया। सन् १७७८ में शीले ने इस अयस्क से मोलिब्डिक अम्ल बनाया। सन् १७८२ में येल्म (Hyelm) ने मोलिब्डेनम ऑक्साइड का कार्बन द्वारा अपचयन कर मोलिब्डेनम घातु तैयार की। मोलिब्डेनम स्वतंत्र अवस्था में नहीं मिलता। मोलिब्डेनाइट MnS2 एवं बुल्फेनाइट (PbMoO4) इसके मुख्य अयस्क हैं। संयुक्त राज्य अमरीका इसका मुख्य स्रोत है। चिली, दक्षिणी अमरीका और नार्वे में भी इसके अयस्क प्राप्य हैं। .

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रासायनिक ध्रुवीयता

रसायनशास्त्र में रासायनिक ध्रुवीयता (chemical polarity) किसी अणु (मोलिक्यूल) या उसके अंशों में विद्युत आवेशों (चार्जों) में होने वाले अलगाव को कहते हैं जिसके कारण अणु के कुछ भागों में ऋणात्मक (निगेटिव) आवेश और कुछ में धनात्मक (पोज़िटिव) अवेश देखा जा सकता है। इस से अणु में विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण (electric dipole moment) या बहुध्रुव आघूर्ण (multipole moment) देखा जाता है। जब ऐसे द्विध्रुव या बहुध्रुव वाले कई अणु एकत्रित हों तो इन ध्रुवों के आकर्ष्ण या अपकर्षण से उनमें आपसी व्यवस्था बनती है। बर्फ़ के क्रिस्टल का ढांचा जल अणुओं में ध्रुवीयता के कारण ही होता है। रासायनिक ध्रुवीयता का प्रभाव रसायनों के कई अन्य भौतिक लक्षणों पर भी पड़ता है, मसलन पृष्ठ तनाव, विलेयता, पिघलाव तापमान और उबलाव तापमान। .

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लैंथेनम हेक्साबोराइड

लैन्थेनम हेक्साबोराइड (Lanthanum hexaboride) / LaB6 एक अकार्बनिक यौगिक है। इसका उपयोग गरम कैथोड (हॉट कैथोड) के रूप में किया जाता है क्योंकि इसका कार्य फलन का मान कम है, इलेक्ट्रॉन उत्सर्जकता बहुत अधिक है तथा क्वथनांक अधिक (2210 °C) है। यह अग्निसह सिरैमिक (रिफ्रैक्टरी सिरैमिक) है। .

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सोडियम

सोडियम (Sodium; संकेत, Na) एक रासायनिक तत्त्व है। यह आवर्त सारणी के प्रथम मुख्य समूह का दूसरा तत्व है। इस समूह में में धातुगण विद्यमान हैं। इसके एक स्थिर समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या २३) और चार रेडियोसक्रिय समस्थानिक (द्रव्यमन संख्या २१, २२, २४, २४) ज्ञात हैं। .

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सीसा

विद्युत अपघटन द्वारा शुद्ध किया हुआ सीस; १ घन सेमी से घन के साथ (तुलना के लिए) सीस, सीसा या लेड (अंग्रेजी: Lead, संकेत: Pb लैटिन शब्द प्लंबम / Plumbum से) एक धातु एवं तत्त्व है। काटने पर यह नीलिमा लिए सफ़ेद होता है, लेकिन हवा का स्पर्श होने पर स्लेटी हो जाता है। इसे इमारतें बनाने, विद्युत कोषों, बंदूक की गोलियाँ और वजन बनाने में प्रयुक्त किया जाता है। यह सोल्डर में भी मौजूद होता है। यह सबसे घना स्थिर तत्त्व है। यह एक पोस्ट-ट्रांज़िशन धातु है। इसका परमाणु क्रमांक ८२, परमाणु भार २०७.२१, घनत्व ११.३६, गलनांक ३,२७.४ डिग्री सें., क्वथनांक १६२०डिग्री से.

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हाइड्राज़िन

हाइड्रेज़ीन (Hydrazine / H2N-NH2) अकार्बनिक यौगिक है जिसका अणुसूत्र N2H4 है। यह रंगहीन, ज्वलनशील द्रव है जिसमें अमोनिया जैसी गंध आती है। इसे डायाजेन (diazane) भी कहते हैं। यह अत्यन्त विषैली तथा भयानक अस्थिर है इसलिये इसे इसे विलयन में ही रखा जाता है। हाइड्रेजीन मुख्यतः पॉलीमर फोम के निर्माण में 'फोमिंग एजेंट' के रूप में प्रयुक्त होती है। इसके अलावा यह बहुलीकारक उत्प्रेरक के उपयोग के पूर्व उपयोग की जाती है। औषधि निर्माण में भी इसका उपयोग है। यह रॉकेट के ईंधन में प्रयुक्त होती है। यह नाभिकीय और गैर-नाभिकीय विद्युत शक्ति संयंत्रों के वाष्प चक्र (steam cycles) में घुलित आक्सीजन की सांद्रता को कम करने के लिये प्रयुक्त होती है ताकि संक्षारण (corrosion) को कम किया जा सके। .

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हाइड्रोक्लोरिक अम्ल

३०% सान्द्रता वाला हाइड्रोक्लोरिक अम्ल हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एक प्रमुख अकार्बनिक अम्ल है। वस्तुतः हाइड्रोजन क्लोराइड गैस के जलीय विलयन को ही हाइड्रोक्लोरिक अम्ल कहते हैं। इस अम्ल का उल्लेख ग्लौबर ने १६४८ ई. में पहले पहल किया था। जोसेफ़ प्रीस्टली ने १७७२ में पहले पहल तैयार किया और सर हंफ्री डेवी ने १८१० ई. में सिद्ध किया कि हाइड्रोजन और क्लोरीन का यौगिक है। इससे पहले लोगों की गलत धारणा थी कि इसमें ऑक्सीजन भी रहता है। तब इसका नाम 'म्यूरिएटिक अम्ल' पड़ा या जो आज भी कहीं कहीं प्रयोग में आता है। हाइड्रोक्लोरिक अम्ल ज्वालामुखी गैसों में पाया जाता है। मानव जठर में इसकी अल्प मात्रा रहती है और आहार पाचन में सहायक होती है। .

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हिलियम

तरलीकृत हीलियम शुद्ध हीलियम से भरी गैस डिस्चार्ज ट्यूब हिलियम (Helium) एक रासायनिक तत्त्व है जो प्रायः गैसीय अवस्था में रहता है। यह एक निष्क्रिय गैस या नोबेल गैस (Noble gas) है तथा रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन, विष-हीन (नॉन-टॉक्सिक) भी है। इसका परमाणु क्रमांक २ है। सभी तत्वों में इसका क्वथनांक (boiling point) एवं गलनांक (melting point) सबसे कम है। द्रव हिलियम का प्रयोग पदार्थों को अत्यन्त कम ताप तक ठण्डा करने के लिये किया जाता है; जैसे अतिचालक तारों को १.९ डिग्री केल्विन तक ठण्डा करने के लिये। हीलियम अक्रिय गैसों का एक प्रमुख सदस्य है। इसका संकेत He, परमाणुभार ४, परमाणुसंख्या २, घनत्व ०.१७८५, क्रांतिक ताप -२६७.९०० और क्रांतिक दबाव २ २६ वायुमंडल, क्वथनांक -२६८.९० सें.

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जर्मेनियम

जर्मेनियम (Germanium) एक रासायनिक तत्व है। इसका स्थान आवर्त सारणी में उसी वर्ग में है, जिसमें सीस और टिन हैं। इसका आविष्कार 1886 ई. सी.

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जल

जल या पानी एक आम रासायनिक पदार्थ है जिसका अणु दो हाइड्रोजन परमाणु और एक ऑक्सीजन परमाणु से बना है - H2O। यह सारे प्राणियों के जीवन का आधार है। आमतौर पर जल शब्द का प्प्रयोग द्रव अवस्था के लिए उपयोग में लाया जाता है पर यह ठोस अवस्था (बर्फ) और गैसीय अवस्था (भाप या जल वाष्प) में भी पाया जाता है। पानी जल-आत्मीय सतहों पर तरल-क्रिस्टल के रूप में भी पाया जाता है। पृथ्वी का लगभग 71% सतह को 1.460 पीटा टन (पीटी) (1021 किलोग्राम) जल से आच्छदित है जो अधिकतर महासागरों और अन्य बड़े जल निकायों का हिस्सा होता है इसके अतिरिक्त, 1.6% भूमिगत जल एक्वीफर और 0.001% जल वाष्प और बादल (इनका गठन हवा में जल के निलंबित ठोस और द्रव कणों से होता है) के रूप में पाया जाता है। खारे जल के महासागरों में पृथ्वी का कुल 97%, हिमनदों और ध्रुवीय बर्फ चोटिओं में 2.4% और अन्य स्रोतों जैसे नदियों, झीलों और तालाबों में 0.6% जल पाया जाता है। पृथ्वी पर जल की एक बहुत छोटी मात्रा, पानी की टंकिओं, जैविक निकायों, विनिर्मित उत्पादों के भीतर और खाद्य भंडार में निहित है। बर्फीली चोटिओं, हिमनद, एक्वीफर या झीलों का जल कई बार धरती पर जीवन के लिए साफ जल उपलब्ध कराता है। जल लगातार एक चक्र में घूमता रहता है जिसे जलचक्र कहते है, इसमे वाष्पीकरण या ट्रांस्पिरेशन, वर्षा और बह कर सागर में पहुॅचना शामिल है। हवा जल वाष्प को स्थल के ऊपर उसी दर से उड़ा ले जाती है जिस गति से यह बहकर सागर में पहँचता है लगभग 36 Tt (1012किलोग्राम) प्रति वर्ष। भूमि पर 107 Tt वर्षा के अलावा, वाष्पीकरण 71 Tt प्रति वर्ष का अतिरिक्त योगदान देता है। साफ और ताजा पेयजल मानवीय और अन्य जीवन के लिए आवश्यक है, लेकिन दुनिया के कई भागों में खासकर विकासशील देशों में भयंकर जलसंकट है और अनुमान है कि 2025 तक विश्व की आधी जनसंख्या इस जलसंकट से दो-चार होगी।.

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जल (अणु)

जल पृथ्वी की सतह पर सर्वाधिक मात्रा में पाया जाने वाला अणु है, जो इस ग्रह की सतह के 70% का गठन करता है। प्रकृति में यह तरल, ठोस और गैसीय अवस्था में मौजूद है। मानक दबावों और तापमान पर यह तरल और गैस अवस्थाओं के बीच गतिशील संतुलन में रहता है। घरेलू तापमान पर, यह तरल रूप में हल्की नीली छटा वाला बेरंग, बेस्वाद और बिना गंध का होता है। कई पदार्थ, जल में घुल जाते हैं और इसे सामान्यतः सार्वभौमिक विलायक के रूप में सन्दर्भित किया जाता है। इस वजह से, प्रकृति में मौजूद जल और प्रयोग में आने वाला जल शायद ही कभी शुद्ध होता है और उसके कुछ गुण, शुद्ध पदार्थ से थोड़ा भिन्न हो सकते हैं। हालांकि, ऐसे कई यौगिक हैं जो कि अनिवार्य रूप से, अगर पूरी तरह नहीं, जल में अघुलनशील है। जल ही ऐसी एकमात्र चीज़ है जो पदार्थ की सामान्य तीन अवस्थाओं में स्वाभाविक रूप से पाया जाता है - अन्य चीज़ों के लिए रासायनिक गुण देखें. पृथ्वी पर जीवन के लिए जल आवश्यक है। जल आम तौर पर, मानव शरीर के 55% से लेकर 78% तक का निर्माण करता है। .

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विलायकों के गलनांक तथा क्वथनांक

कोई विवरण नहीं।

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गलनांक

किसी ठोस पदार्थ का गलनांक (या द्रवणांक (melting point) वह तापमान होता है जिस पर वह अपनी ठोस अवस्था से पिघलकर द्रव अवस्था में पहुँच जाता है। गलनांक पर ठोस और द्रव प्रावस्था साम्यावथा में होती हैं। जब किसी पदार्थ की अवस्था द्रव से ठोस अवस्था में परिवर्तित होती है तो जिस तापमान पर यह होता है उस तापमान को हिमांक (freezing point) कहा जाता है। कई पदार्थों में परमशीतल होने की क्षमता होती है, इसलिए हिमांक को किसी पदार्थ की एक विशेष गुण नहीं माना जाता है। इसके विपरीत जब कोई ठोस एक निश्चित तापमान पर ठोस से द्रव अवस्था ग्रहण करता है वह तापमान उस ठोस का गलनांक कहलाता है। .

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गंधराल

विभिन्न प्रकार के रोजिन गंधराल या रोज़िन (Rosin), रेजिन का एक ठोस रूप है। रोज़िन और रेज़िन एक पदार्थ नहीं हैं। ये दोनों भिन्न भिन्न पदार्थ है। चीड़ और कुछ अन्य वृक्षों से एक स्राव ओलियो रोज़िन (oleo-resin) प्राप्त होता है। इसमें रोज़िन के साथ साथ तारपीन का तेल रहता है। इसके आसवन से तारपीन का तेल आसुत हो निकल जाता है और असवनपात्र में जो अवशिष्ट अंश रह जाता है, वही गंधराल है। रोज़िन बड़े महत्व की व्यापारिक वस्तु है। कई प्रकार के रोज़िन बाजारों में बिकते हैं। उनके रंग, स्वच्छता, साबुनीकरण मान और मृदुभवन बिंदु एक से नहीं होते। रोजिन, अर्ध-पारदर्शी होता है। इसका रंग पीला से लेकर काला तक कुछ भी हो सकता है। सामान्य ताप पर यह भंगुर (ब्रिटल) है। रोजिन में मुख्यतः विभिन्न प्रकार के गंधराल अम्ल (विशेषतः अबीटिक अम्ल / abietic acid) होते हैं। .

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गुप्त ऊष्मा

जब कोई पदार्थ एक भौतिक अवस्था (जैसे ठोस) से दूसरी भौतिक अवस्था (जैसे द्रव) में परिवर्तित होता है तो एक नियत ताप पर उसे कुछ उष्मा प्रदान करनी पड़ती है या वह एक नियत ताप पर उष्मा प्रदान करता है। किसी पदार्थ की गुप्त उष्मा (latent heat), उष्मा की वह मात्रा है जो उसके इकाई मात्रा द्वारा अवस्था परिवर्तन (change of state) के समय अवषोषित की जाती है या मुक्त की जाती है। इसके अलावा पदार्थ जब अपनी कला (फेज) बदलते हैं तब भी गुप्त उष्मा के बराबर उष्मा का अदान/प्रदान करना पड़ता है। इस शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग सन् १७५० के आसपास जोसेफ ब्लैक ने किया था। आजकल इसके स्थान पर "इन्थाल्पी ऑफ ट्रान्सफार्मेशन" का प्रयोग किया जाता है। .

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ऑक्सैलिक अम्ल

आक्सैलिक अम्ल की संरचना आक्सैलिक अम्ल (Oxalic acid) पोटैसियम और कैल्सियम लवण के रूप में बहुत से पौधों में पाया जाता है। लकड़ी के बुरादे से क्षार के साथ २४०° से २५०° सें.

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आसवन

आसवन (Distillation) किसी मिश्रित द्रव के अवयवों को उनके वाष्पन-सक्रियताओं (volatilities) के अन्तर के आधर पर उन्हें अलग करने की विधि है। यह पृथक्करण की भौतिक विधि है न कि रासायनिक परिवर्तन अथवा रासायनिक अभिक्रिया। व्यावसायिक दृष्टि से आसवन के बहुत से उपयोग हैं। कच्चे तेल (क्रूड आयल) के विभिन्न अवयवों को पृथक करने के लिये इसका उपयोग किया जाता है। पानी का आसवन करने से उसकी अशुद्धियाँ (जैसे नमक) निकल जातीँ हैं और अधिक शुद्ध जल प्राप्त होता है। .

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आइसोसायनिक अम्ल

आइसोसायनिक अम्ल (Isocyanic acid) एक कार्बनिक यौगिक है जिसका रासायनिक सूत्र HNCO है। इसको सन् १८३० में वोलर (Wohler) और लीबिग ने ज्ञात किया था। यह रंगहीन, वाष्पशील तथा विषैला पदार्थ है। इसका क्वथनांक 23.5 °C होता है। इसके निर्माण की सबसे सरल विधि इसके बहुलकीकृत रूप सायन्यूरिक अम्ल (cyanuric acid) को कार्बन डाईऑक्साइड की उपस्थिति में आसवन करके तथा इससे प्राप्त वाष्पों को हिमकारी मिश्रण (freezing mixture) में संघनित करके इकट्ठा करने की है। यह बहुत ही तीव्र वाष्पशील द्रव पदार्थ है जो ० डिग्री सेल्सियस से नीचे ही स्थायी रहता है तथा इसकी अम्लीय अभिक्रिया काफी तीव्र होती है। इसमें ऐसीटिक अम्ल की सी गंध होती है। ० डिग्री सेल्सियस पर यह बहुलकीकृत होकर सायन्यूरिक अम्ल (CNOH)2 बनाता है। हाइड्रोसायनिक अम्ल या मरक्यूरिक सायनाइड पर क्लोरीन की अभिक्रिया से सायनोजन क्लोराइड (CN Cl) बनता है जो वाष्पशील विषैला द्रव है और जहरीली गैस के रूप में प्रयुक्त होता है। HCNO के दो चलावयवीय (tautomeric) रूप होते हैं। सामान्य रूप का ऐस्टर नहीं मिलता परंतु आइसोसायनेट के ऐस्टर ऐल्किल हैलाइड पर सिलवर सायनेट की अभिक्रिया से प्राप्त होते हैं। R-X + AgN .

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इण्डियम

इंडियम (Indium) एक रासायनिक तत्व का नाम है। यह मुलायम, आघातवर्ध्य, सहजगलनीय, रजतश्वेत धातु है जो प्रकृति में मुक्त अवस्था में नहीं पाई जाती। व्यापारिक वंग में इंडियम रहता है। सिलिंड्राइट नामक खनिज में यह १० प्र.श. तक मिलता है। पश्चिमी यूटा में पाए जानेवाले पेग्मैटाइट में इसकी मात्रा सबसे अधिक है। जस्ते के शोधन में प्राप्त सीसा इंडियम का प्रमुख स्रोत हैं। इंडियम का उपयोग बहुमूल्य धातुओं के साथ मिश्रधातु के रूप में, आभूषणों में, दंत व्यवसाय में, कम गलनांक वाली मिश्रधातुओं और काँच को सील बंद करने के लिए प्रयुक्त मिश्र धातुओं के रूप में, परमाणु रिएक्टर में न्यूट्रान-संसूचक के रूप में, अर्धचालकों के रूप में और वायुयानों में सीसलेपित रजत बेयरिंग के लिए मुलम्मों के रूप में होता है। आवर्त सारणी में इसका स्थान तीसरे वर्ग में हैं। इसका प्रतीक In, परमाणु क्रमांक ४९, परमाणु भार ११४.८, गलनांक १५६.३४° सें., क्वथनांक २१००° सें.

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काढ़ा

जल में पत्तियाँ, तना, फल, फूल या कोई अन्य रसायन डालकर उसे उबालने पर जो पदार्थ बनता है उसे क्वाथ या काढ़ा कहते हैं। तंत्र के अनुसार इन पाँच वृक्षों —जामुन, सेमर, खिरैटी, मोलसिरी ओर बेर का कषाय 'पंचकषाय' कहलाता है। यह कषाय छाल को पानी में भिगोकर निकाला जाता है और दुर्गा के पूजन में काम आता है। .

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क्वथन

क्वथन या आम भाषा में उबाल, एक भौतिक प्रक्रिया है जिसके दौरान किसी द्रव के क्वथनांक बिंदु तक गर्म हो जाने पर उसकी सतह से तेज़ी से वाष्पीकरण होता है। तकनीकी भाषा में ऊष्मा द्वारा द्रव की सतह पर स्थित अणुओं की गतिज ऊर्जा उनके ऊपर लग रहे वायुमंडलीय वाष्पदाब के बराबर हो जाने की स्थिति को क्वथन कहते हैं। सामान्य वायुदाब (1013.2 मिलिबार) पर जल का क्वथनांक 100 C होता है। .

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क्वथनांक उन्नयन

किसी विलायक में कोई विलेय मिलाने पर, विलायक के क्वथनांक बढ़ जाने की प्रक्रिया क्वथनांक उन्नयन (Boiling-point elevation) कहलाती है। यह तब होता है जब कोई अवाष्पशील विलेय (जैसे, नमक) किसी शुद्ध विलायक (जैसे, जल) में मिश्रित कर दिया जाता है। उदाहरण के लिये, जल का क्वथनांक १०० डिग्री सेल्सियस है, किन्तु यदि जल में नमक मिला दिया जाय तो जल का क्वथानांक, १०० डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है। .

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क्विनोलीन

एफ एफ रुंगे क्विनोलीन (Quinoline) एक हेटेरोसाइक्लिक एरोमैटिक कार्बनिक यौगिक है। इसका अणुसूत्र C9H7N है। इसे रुंगे (Runge) ने अलकतरे के उच्चतापीय आंशिक आसवन से प्राप्त किया। पर बाद में गेरहार्ट (Gerhardt) ने बताया कि क्विनीन (Quinine) अथवा सिनकोनीन (Cinchonine) और कास्टिक पोटाश के आसवन से भी यह प्राप्त होता है। क्विनीन से प्राप्त होने के कारण इसका नाम क्विनोलीन पड़ा। यह अस्थितैल तथा अलकतरा में प्राप्य है। .

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केल्विन

कैल्विन (चिन्ह: K) तापमान की मापन इकाई है। यह सात मूल इकाईयों में से एक है। कैल्विन पैमाना ऊष्मगतिकीय तापमान पैमाना है, जहाँ, परिशुद्ध शून्य, पूर्ण ऊर्जा की सैद्धांतिक अनुपस्थिति है, जिसे शून्य कैल्विन भी कहते हैं। (0 K) कैल्विन पैमाना और कैल्विन के नाम ब्रिटिश भौतिक शास्त्री और अभियाँत्रिक विलियम थामसन, प्रथम बैरन कैल्विन (1824–1907) के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने विशुद्ध तापमानमापक पैमाने की आअवश्यकत जतायी थी। .

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अतितप्त भाप

जल के क्वथनांक से अधिक तापमान वाली भाप अतितप्त भाप (Superheated steam) कहलाती है। .

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अतितप्त जल

प्रेशर कुकर अतितप्त जल बनाता है। यही अतितप्त जल भोजन को जल्दी पकाने के लिये जिम्मेदार है। सामान्य अवस्था में पानी का क्वथनांक 100 °C है। यदि जल का दाब एक वायुमण्डल से बढ़ाकर उसे गरम किया जाय तो यह १०० डिग्री से से अधिक ताप पर भी द्रव बना रह सकता है। १०० डिग्री से अधिक ताप वाले इसी जल को अतितप्त जल (Superheated water) कहते हैं। इसे 'दाबित गर्म जल' या 'सबक्रिटिकल जल' भी कहते हैं। अतितप्त जल का ताप १०० डिग्री सेल्सियस से लेकर जल के क्रांतिक बिन्दु (374 °C) के बीच कुछ भी सम्भव है। अतितप्त जल के बहुत से रासायनिक गुण सामान्य जल से भिन्न होते हैं। .

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अतितापन

अतितापन (superheating) एक अस्थायी क्रिया है जिसमें किसी द्रव को उसके क्वथनांक से भी अधिक ताप तक गरम किया जाता है (द्रव को द्रव अवस्था में ही रखते हुए)। विलीन वायु से स्वतंत्र पानी को एक स्वच्छ बर्तन में सावधानी से गरम करने से ताप 100 डिग्री सें.

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अधातु

अधातु (non-metals) रासायनिक वर्गीकरण में प्रयुक्त होने वाला एक शब्द है। आवर्त सारणी का प्रत्येक तत्व अपने रासायनिक और भौतिक गुणों के आधार पर धातु अथवा अधातु श्रेणी में वर्गीकृत किया जा सकता है। (कुछ तत्व जिनमें दोनों के गुण पाये जाते हैं उन्हें उपधातु (metaloid) की श्रेणी में रखा जाता है।) आवर्त सारणी में ये १४वें (XIV) से लेकर १८वें (XVIII) समूह में दाहिने-ऊपरी कोने में स्थित हैं। इसके अलावा प्रथम समूह में सबसे उपर स्थित उदजन भी अधातु है। हाइड्रोजन के अलावा जारक, प्रांगार, भूयाति, गंधक, भास्वर, हैलोजन, तथा अक्रिय गैसें अधातु मानी जाती हैं। प्रायः आवर्त सारणी के केवल 18 तत्व अधातु की श्रेणी में गिने जाते हैं जबकि धातु की श्रेणी में 80 से भी अधिक तत्व आते हैं। फिर भी पृथ्वी के गर्भ का, वायुमण्डल और जलमण्डल का अधिकांश भाग अधातुएँ ही हैं। जीवों की संरचना में भी अधातुओं का ही अधिकांशता है। .

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