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क्लेड

सूची क्लेड

जातियों के इस चित्रण में लाल समूह एक क्लेड है (क्योंकि उसके सभी सदस्य एक जाति और उसकी सभी वंशज जातियाँ हैं) जबकि हरा समूह क्लेड नहीं है (क्योंकि नीला समूह में हरे समूह की एक सदस्य जाति के वंशज हैं लेकिन वह हरे समूह से बाहर हैं) क्लेड (clade) या जीवशाखा जीव जातियों का ऐसा समूह होता है जिसमें कोई जाति और उससे विकसित हुई सभी जातियाँ शामिल होती हैं। जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में क्लेड जीवन वृक्ष की एक शाखा होती है। 'क्लेड' शब्द बहुत नया है और १९५८ में ब्रिटिश जीववैज्ञानिक जूलियन हक्सली ने गढ़ा था। क्लेडिकी के विज्ञान में सभी जीवों को उनके क्लेडों के आधार पर वर्गीकृत करके उनका अध्ययन किया जाता है।, Claude Dupuis, Annual Review of Ecology and Systematics 15: 1–24, 1984, ISSN 0066-4162 .

28 संबंधों: टैक्सोन, टेरोसोर, एक्डीसोज़ोआ, ऐम्नीओट, ऐस्टरिड, ड्यूटेरोस्टोमिया, तिमिगण, नेफ़्रोज़ोआ, प्रोटोस्टोमिया, पेंगुइन, मस्टेलिडाए, मैग्नोलिड, मोनिमिआसिए, मोनोफेलटिक, युडिकॉट, रोज़िड, लौरालेस, स्ट्रेपसिराइनी, सील, हैप्लोराइनी, हैम्स्टर, ज़ीनासीलोमोर्फ़ा, वर्गानुवंशिकी, खुरदार, गिरगिट, ओक्सालिडालेस, आर्कोसोरिया, कीपजन्तु

टैक्सोन

वंश का दर्जा मिला है टैक्सोन (taxon) या वर्गक जीववैज्ञानिक वर्गीकरण के क्षेत्र में जीवों की जातियों के ऐसे समूह को कहा जाता है जो किसी वर्गकर्ता के मत में एक ईकाई है, यानि जिसकी सदस्य जातियाँ एक-दूसरे से कोई मेल या सम्बन्ध रखती हैं जिस वजह से उनके एक श्रेणी में डाला जा रहा है। अलग-अलग जीववैज्ञानिक अपने विवेकानुसार यह टैक्सोन परिभाषित कर सकते हैं इसलिए उनमें आपसी मतभेद भी आम होता रहता है।, Guillaume Lecointre, Hervé Le Guyader, pp.

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टेरोसोर

टेरोसोर​ (यूनानी: πτερόσαυρος, प्तेरोसोररोस, अर्थ: 'उड़ती गिरगिट'; अंग्रेज़ी: Pterosaur) उड़ने वाले सरीसृपों (रेपटाइलों) की एक श्रेणी थी। जीववैज्ञानिक श्रेणीकरण की दृष्टि से यह प्राणी टेरोसोररिया (Pterosauria) नामक गण या क्लेड के सदस्य थे। पृथ्वी पर टेरोसोर​ ट्राइऐसिक युग के अंत से लेकर क्रीटेशियस​ युग के अंत तक जीवित थे (यानि आज से २१ करोड़ और ६.५ करोड़ वर्ष पहले के बीच के काल में) और उसके बाद इनकी विलुप्ति हो गई। यह पृथ्वी पर अपनी शक्ति से उड़ सकने वाले सर्वप्रथम रज्जुकी (रीढ़ की हड्डी वाले) प्राणी थे। इनके पंख खाल और मांसपेशी से बने होते थे। टेरोसोरों की भिन्न जातियों के आकर बहुत भिन्न थे। कुछ तो बहुत छोटे थे (२५ सेमी का पंख विस्तार) जबकि कुछ १६ मीटर (५२ फ़ुट​) का पंख विस्तार रखने वाले भीमकाय जीव थे। वैसे तो जीवविज्ञान में क़ायदे से टेरोसोर​ डायनासोरों की श्रेणी से अलग हैं लेकिन समकालीन होने के नाते और सरीसृप होने के नाते इन्हें अक्सर डायनासोर ही समझा जाता है।, Martin Lockley, pp.

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एक्डीसोज़ोआ

एक्डीसोज़ोआ (Ecdysozoa) प्रोटोस्टोम प्राणियों की एक श्रेणी है जिसमें आर्थ्रोपोडा (कीट, केलीसेराटा, क्रस्टेशिया, मिरियापोडा), नेमाटोडा (सूत्रकृमि) और कई अन्य छोटे जीववैज्ञानिक संघ शामिल हैं। इस श्रेणी को सन् 1997 में कई प्राणियों के राइबोसोम आर एन ए के अनुवांशिक अध्ययन में मिली समानताओं के आधार पर प्रस्तावित करा गया था। सन् 2008 में हुई एक जाँच में यह साबित हो गया कि यह एक क्लेड है, यानि इसकी सभी सदस्य जातियाँ अतिप्राचीन काल में एक ही सांझी पूर्वज जाति से क्रमविकसित हुई हैं। .

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ऐम्नीओट

उल्बीय प्राणी या ऐम्नीओट (Amniotes) ऐसे कशेरुकी (रीढ़-वाले) चौपाये प्राणियों का क्लेड (समूह) है जो या तो अपने अंडे धरती पर देते हैं या जन्म तक अपने शिशु का आरम्भिक पोषण मादा के गर्भ के अंदर ही करते हैं। सरीसृप (रेप्टाइल), स्तनधारी (मैमल) और पक्षी तीनों ऐम्नीओटों की श्रेणी में आते हैं। इसके विपरीत उभयचर (ऐम्फ़िबियन) और मछलियाँ ग़ैर-ऐम्नीओट या अनैम्निओट (anamniotes) होते हैं जो अधिकतर अपने अंडे जल में देते हैं। ऐम्नीओट चौपाये होते हैं (चार-पाँव और रीढ़ वाले प्राणियों के वंशज) और इनके अंडों में उल्ब (amniotic fluid, द्रव) भरा होता है - चाहे वे किसी छिलके में मादा से बाहर हो या फिर मादा के गर्भ के भीतर पनप रहें हो। इस उल्ब के कारण ऐम्नीओटों को बच्चे जनने के लिये किसी भी समुद्री या अन्य जलीय स्थान जाने की कोई आवश्यकता नहीं। इसके विपरीत ग़ैर-ऐम्नीओटों को अपने अंडे किसी जल-युक्त स्थान पर या सीधा समुद्र में ही देने की ज़रूरत होती है। यह अंतर क्रम-विकास (इवोल्यूशन) में एक बड़ा पड़ाव था जिस कारण से चौपाये समुद्र से निकलकर पृथ्वी के ज़मीनी क्षेत्रों पर फैल पाये। .

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ऐस्टरिड

ऐस्टरिड​ (Asterid) सपुष्पक पौधों (यानि फूल देने वाले पौधों) का एक बड़ा क्लेड परिवार है। रोज़िड और ऐस्टरिड​ सारे युडिकॉट​ (दो बीजपत्रों वाले फूलदार पौधे) के परिवार के दो सबसे बड़े क्लेड हैं और इन दोनों में हज़ारों सदस्य जातियाँ आती हैं।, Joel Cracraft, Michael J. Donoghue, pp.

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ड्यूटेरोस्टोमिया

ड्यूटेरोस्टोमिया (Deuterostomia, लातीनी भाषा में अर्थ: दूसरा मुँह) प्राणियों का एक जीववैज्ञानिक अधिसंघ है। यह अपनी बहन क्लेड, प्रोटोस्टोमिया, के साथ अपने से ऊँचा नेफ़्रोज़ोआ (Nephrozoa) नामक क्लेड बनाता है। ड्यूटेरोस्टोमिया और प्रोटोस्टोमिया के सदस्य प्राणियों में यह अंतर है कि ड्यूटेरोस्टोमिया के भ्रूण (एम्ब्रियो) के विकास में सबसे पहले जो छिद्र खुलता है वह गुदा बनता है जबकि अधिकतर प्रोटोस्टोमिया भ्रूण में सबसे पहले विकसित होने वाला छिद्र उसका मुँह होता है। नेफ़्रोज़ोआ स्वयं बाइलेटेरिया क्लेड का सदस्य है। .

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तिमिगण

तिमिगण (अंग्रेज़ी: Cetacea, सीटेशिया) विश्व भर के सागरों में विस्तृत एक मांसाहारी, फ़िन-धारी, समुद्री स्तनधारी प्राणी जातियों का क्लेड (जीववैज्ञानिक समूह) है। यह ओडोन्टोसेटाए (Odontoceti, दंतदार तिमि, जिनमें डॉलफ़िन शामिल है), मिस्टीसेटाए (Mysticeti, बैलीन तिमि) और आर्केओसेटाए (Archaeoceti, जो आधुनिक तिमि के पूर्वज थे और जिसके सदस्य विलुप्त हो चुके हैं) नामक जीववैज्ञानिक गणों में विभाजित हैं। कुल मिलाकर इस क्लेड में ८९ जातियाँ ज्ञात हैं जिनमें से ७० से अधिक ओडोन्टोसेटाए गण के भाग हैं। आणविक अनुवांशिक अध्ययन के आधार पर पता लगा है कि यह जातियाँ सम-ऊँगली खुरदार जानवरों की सम्बन्धी हैं। दरियाई घोड़ा इनका सबसे समीपी जीवित सम्बन्धी है और यह ऊँट, सूअर और अन्य रोमन्थक से भी सम्बन्धित है और इसके पूर्वज लगभग ५ करोड़ वर्ष पूर्व उनसे क्रम-विकास की प्रक्रिया द्वारा धीरे-धीरे अलग होते चले गये। .

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नेफ़्रोज़ोआ

नेफ़्रोज़ोआ (Nephrozoa) प्राणियों का एक क्लेड है, जो बाइलेटेरिया (द्विभागीय सममिति रखने वाले) समूह का एक उपसमूह है। बाइलेटेरिया में नेफ़्रोज़ोआ और ज़ीनासीलोमोर्फ़ा दो क्लेड आते हैं। नेफ़्रोज़ोआ को दो समूहों में बांटा जाता है: ड्यूटेरोस्टोमिया (जिसमें मानव समेत सभी रज्जुकी आते हैं) और प्रोटोस्टोमिया। .

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प्रोटोस्टोमिया

प्रोटोस्टोमिया (Protostomia, लातीनी भाषा में अर्थ: पहला मुँह) प्राणियों का एक जीववैज्ञानिक अधिसंघ है। यह अपनी बहन क्लेड, ड्यूटेरोस्टोमिया, के साथ अपने से ऊँचा नेफ़्रोज़ोआ (Nephrozoa) नामक क्लेड बनाता है। ड्यूटेरोस्टोमिया और प्रोटोस्टोमिया के सदस्य प्राणियों में यह अंतर है कि ड्यूटेरोस्टोमिया के भ्रूण (एम्ब्रियो) के विकास में सबसे पहले जो छिद्र खुलता है वह गुदा बनता है जबकि अधिकतर प्रोटोस्टोमिया भ्रूण में सबसे पहले विकसित होने वाला छिद्र उसका मुँह होता है। नेफ़्रोज़ोआ स्वयं बाइलेटेरिया क्लेड का सदस्य है। .

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पेंगुइन

पेंगुइन (पीढ़ी स्फेनिस्कीफोर्मेस, प्रजाति स्फेनिस्कीडाई) जलीय समूह के उड़ने में असमर्थ पक्षी हैं जो केवल दक्षिणी गोलार्द्ध, विशेष रूप से अंटार्कटिक में पाए जाते हैं। पानी में जीवन के लिए अत्याधिक अनुकूलित, पेंगुइन विपरीत रंगों, काले और सफ़ेद रंग के बालों वाला पक्षी है और उनके पंख हाथ (फ्लिपर) बन गये हैं। पानी के नीचे तैराकी करते हुए अधिकांश पेंगुइन पकड़ी गयी छोटी मछलियों, मछलियों, स्क्विड और अन्य जलीय जंतुओं को भोजन बनाते हैं। वे अपना लगभग आधा जीवन धरती पर और आधा जीवन महासागरों में बिताते हैं। हालांकि सभी पेंगुइन प्रजातियां दक्षिणी गोलार्द्ध की मूल निवासी हैं, लेकिन ये केवल अंटार्कटिक जैसे ठंडे मौसम में ही नहीं पाई जातीं. वास्तव में, पेंगुइन की कुछ प्रजातियों में अब केवल कुछ ही दक्षिण में रहती हैं। कई प्रजातियां शीतोष्ण क्षेत्र में पाई जाती हैं और एक प्रजाति गैलापागोस पेंगुइन भूमध्य रेखा के पास रहती है। सबसे बड़ी जीवित प्रजाति एम्परर पेंगुइन (एप्टेनोडाईट्स फ़ोर्सटेरी): है - वयस्क की उंचाई औसतन 1.1 मी (3 फुट 7 इंच) लंबा और वजन 35 किलोग्राम (75 पौंड) होता है। सबसे छोटी प्रजाति लिटिल ब्लू पेंगुइन (यूडिपटुला माइनर), फेयरी पेंगुइन के नाम से भी जानी जाती है, की उंचाई लगभग 40 सेमी (16 इंच) और वजन 1 किलोग्राम (2.2 पौंड) होता है। वर्तमान में पाए जाने वाले पेंगुइनों में, बड़े पेंगुइन ठंडे क्षेत्रों में निवास करते हैं, जबकि छोटे पेंगुइन आम तौर पर शीतोष्ण या उष्णकटिबंधीय जलवायु में भी पाए जाते हैं (इसे भी देखें बर्गमैन'ज़ रूल). कुछ प्रागैतिहासिक प्रजातियां आकार में व्यस्क मानव जितनी उंची तथा वजनी थीं (अधिक जानकारी के लिए नीचे देखें). ये प्रजाति अंटार्कटिक क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं थी; बल्कि इसके विपरीत, अंटार्कटिक उपमहाद्वीप के क्षेत्रों में ज्यादा विविधता मिलती थी और कम से कम एक विशाल पेंगुइन उस क्षेत्र में मिला है जो भूमध्य रेखा के 35 से 2000 किमी दक्षिण से ज्यादा दूर नहीं था तथा जहां का वातावरण आज के अपेक्षाकृत ज्यादा गरम था। .

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मस्टेलिडाए

मस्टेलिडाए (अंग्रेज़ी: Mustelidae) जिसे 'रासू (वीज़ल) परिवार' भी कहते हैं, एक मांसाहारी स्तनधारी जानवरों का समूह है जिसमें ऊदबिलाव, रासू और बिज्जू शामिल हैं।, pp.

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मैग्नोलिड

मैग्नोलिड (Magnoliid) या मैग्नोलिडाए (Magnoliidae) सपुष्पक पौधों का एक क्लेड हैं। इसमें लगभग ९००० जीववैज्ञानिक जातियाँ शामिल हैं। इस क्लेड का नाम चम्पा से लिया गया है, जिसका अंग्रेज़ी नाम "मैग्नोलिया" होता है, हालांकि यह इस क्लेड में शामिल केवल एक श्रेणी है। जायफल (नटमेग), तज (बे लॉरल), दालचीनी, रूचिरा (आवोकाडो), काली मिर्च, वृक्षीय लाला (वृक्षीय ट्यूलिप, जो कि ट्यूलिप से भिन्न है) और कई अन्य फूलदार पौधे भी इस क्लेड का भाग हैं। .

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मोनिमिआसिए

मोनिमिआसिए (Monimiaceae) सपुष्पक पौधों के मैग्नोलिड क्लेड के लौरालेस गण के अंतर्गत एक जीववैज्ञानिक कुल है। इसकी सदस्य जातियाँ झाड़ी, छोटे वृक्ष या लिआना के रूप में होती हैं और पृथ्वी के ऊष्णकटिबन्ध और उपोष्णकटिबन्ध क्षेत्रों में - विशेषकर दक्षिणी गोलार्ध में पाई जाती हैं। इनकी सबसे अधिक विविधता नया गिनी द्वीप में मिलती है जहाँ इस कुल की लगभग ७५ जातियाँ ज्ञात हैं। .

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मोनोफेलटिक

क्लेडोग्राम. चित्र दर्शाता है की दो समुहो जैसे की नीले व लाल से निकलकर हरा समूह बना है व जरूरी नहीं की नीला व लाल समूह विलुप्त नहीं हुआ हो मोनोफेलटिक समूह जिसे क्लेड भी कहा जाता है वोह समूह होता है जिसमे की सभी शामिल जातीय या उपजातिया या तो विलुप्त हो चुकी है या इसके कगार पे है। ध्यान देने योगय है की जरूरी नहीं की इस समूह से सम्बंधित सभी अन्य समूह की भी सभी जातीया नष्ट हो चुकी हो.

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युडिकॉट

युडिकॉट​ (Eudicot) सपुष्पक पौधों का एक समूह है जिनके बीजों के दो हिस्से (बीजपत्र) होते हैं, जिसके विपरीत मोनोकॉट (Monocot) पौधों के बीजों में एक ही बीजपत्र होता है। फूलधारी (सपुष्पक) पौधों की यही दो मुख्य श्रेणियाँ हैं।, Linda R. Berg, pp.

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रोज़िड

रोज़िड (Rosid) सपुष्पक पौधों (यानि फूल देने वाले पौधों) का एक बड़ा क्लेड परिवार है, जिसमें ७०,००० से अधिक जातियाँ आती हैं। सारे फूलने वाले पौधों की जातियों में से एक-चौथाई इसी क्लेड की सदस्य हैं। रोज़िड क्लेड को अलग-अलग जीववैज्ञानिकों की मतानुसार १६ से २० गणों में विभाजित किया जाता है। रोज़िड और ऐस्टरिड​ सारे युडिकॉट​ (दो बीजपत्रों वाले फूलदार पौधे) के परिवार के दो सबसे बड़े क्लेड हैं और इन दोनों में हज़ारों सदस्य जातियाँ आती हैं।, Joel Cracraft, Michael J. Donoghue, pp.

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लौरालेस

लौरालेस (Laurales) सपुष्पक पौधों का एक जीववैज्ञानिक गण है जो मैग्नोलिड नामक क्लेड का सदस्य है। इस गण में २५००-२८०० जातियाँ आती हैं जो ८५-९० वंशों में संगठित हैं। यह अधिकतर पृथ्वी के ऊष्णकटिबन्ध और उपोष्णकटिबन्ध क्षेत्रों में (यानि गरम क्षेत्रों में) उगती हैं हालांकि कुछ गिनी-चुनी जातियाँ समशीतोष्ण क्षेत्रों में भी पाई जाती हैं। तज (बे लॉरल), दालचीनी, रूचिरा (आवोकाडो) और सासाफ़्रास इस गण के सबसे जाने-पहचाने सदस्य हैं। .

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स्ट्रेपसिराइनी

स्ट्रेपसिराइनी (Strepsirrhini) या गिली-नाक नरवानर (dry-nosed primates) नरवानर गण (प्राइमेट) का एक क्लेड है जिसमें सभी लीमररूपी नरवानर शामिल हैं, जैसे कि माडागास्कर के लीमर, अफ़्रीका के गलेगो और पोटो, और भारत व दक्षिणपूर्वी एशिया के लोरिस। स्ट्रेपसिराइनी नरवानर गण के दूसरे प्रमुख क्लेड, हैप्लोराइनी (Haplorhini) से काफ़ी भिन्न होते हैं। इनका मस्तिष्क छोटा होता है। इनकी नाकें गीली रहती हैं, जब की हैप्लोराइनी नाकें बाहर से अधिकतर शुष्क होती हैं। इनकी सूंघने की शक्ति बहुत प्रखर होती है और आँखों में एक प्रतिबिम्बी व्यवस्था के कारण यह रात में देख पाने में अधिक सक्षम होते हैं (यही कारण भी है कि इनकी आँखे रात में चमकती हुई नज़र आती हैं)। इनमें विटामिन सी बना सकने वाला प्रकिण्व (एन्ज़ाइम) होता है और वे यह आवश्यक रसायन स्वयं बना लेते हैं, जबकि हैप्लोराइनी क्लेड के प्राणियों में यह नहीं रहा जिस कारणवश उन्हें विटामिन-सी युक्त भोजन खाने की आवश्यकता होती है। कई स्ट्रेपसिराइनी प्राणियों के जबड़ों के सामने के निचले दांत कंघी जैसी व्यवस्था में होते हैं जिनसे वे अपने बाल सँवार सकते हैं। वर्तमान में अस्तित्व रखने वाली अधिकतर जातियाँ निशाचरी (रात्रि को सक्रीय) हैं। .

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सील

सील (Seal) या पिनिपेड (Pinniped) मांसाहारी समुद्री स्तनधारी प्राणियों का एक विविध क्लेड है। इसमें भिन्न प्रकार की सीलें, जलव्याघ्र (सी लायन), वाल्रस, इत्यादि शामिल हैं। वर्तमान विश्व में ३३ ज्ञात पिनिपेड जातियाँ अस्तित्व में हैं लेकिन जीवाश्मों से ५० विलुप्त जातियों की पहचान भी की गई है। पिनिपेड मांसाहारी (कार्निवोरा) जीववैज्ञानिक गण के सदस्य हैं और भालू, मस्टेलिडाए कुल के प्राणी (जैसे कि रासू, बिज्जू और ऊदबिलाव) इनके सब से क़रीबी अनुवांशिकी (जेनेटिक) सम्बन्धी हैं। क्रमविकास अध्ययन से पता चला है कि इन सभी प्राणियों के पूर्वज एक-दूसरे से आज से लगभग ५ करोड़ वर्ष पूर्व अलग हुए। .

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हैप्लोराइनी

हैप्लोराइनी (Haplorhini) या शुष्क-नाक नरवानर (dry-nosed primates) नरवानर गण (प्राइमेट) का एक क्लेड है जिसमें टार्सियर और सिमियन (बंदर व कपि) आते हैं। मानव भी एक प्रकार का महाकपि है इसलिये वह भी हैप्लोराइनी की श्रेणी में आता है। हैप्लोराइनी लगभग ६.३ करोड़ वर्ष पूर्व स्ट्रेपसिराइनी (Strepsirrhini) से क्रमविकास (इवोल्यूशन) द्वारा अलग हो गये थे।Groves, C.P. (2005).

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हैम्स्टर

हैम्स्टर्स (Hamsters), क्रिसेटिना (Cricetinae) उपपरिवार से संबंधित कृंतक हैं। उपपरिवार में लगभग 25 प्रजातियां होती हैं जिन्हें छः या सात पीढ़ियों में वर्गीकृत किया गया है। फॉक्स, स्यू.

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ज़ीनासीलोमोर्फ़ा

ज़ीनासीलोमोर्फ़ा (Xenacoelomorpha) बहुत सूक्ष्म और सरल प्राणियों का एक क्लेड है, जो बाइलेटेरिया (द्विभागीय सममिति रखने वाले) समूह का एक उपसमूह है। बाइलेटेरिया में नेफ़्रोज़ोआ और ज़ीनासीलोमोर्फ़ा दो क्लेड आते हैं।Hejnol, A., Obst, M., Stamatakis, A., Ott, M., Rouse, G. W., Edgecombe, G. D., et al.

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वर्गानुवंशिकी

वर्गानुवंशिक समूह, या टैक्सोन, एकवर्गी (मोनोफ़ाइलिटिक), परवर्गी (पैराफ़ाइलिटिक), या बहुवर्गी (पॉलीफ़ाइलिटिक) हो सकते हैं वर्गानुवंशिकी या फ़ाइलोजेनेटिक्स​ (phylogenetics) जीवों के बीच के क्रम-विकास (एवोल्यूशन) के सम्बन्ध के अध्ययन का नाम है। इसमें उनके आनुवांशिकी (जेनेटिक्स) लक्षणों की तुलना उनके डी॰ऍन॰ए॰ और प्रोटीन अणुओं का परीक्षण करके की जाती है और यह दावे किये जाते हैं कि कौनसी जातियाँ किन अन्य जातियों से विकसित हुई हैं। इसमें कुछ विलुप्त हुई जातियों के अध्ययन में कठिनाई आती है जिनकी कोई भी आनुवांशिक सामग्री विश्व में नहीं बची है - उन जीवों के लिए उनके जीवाश्म (फ़ॉसिल​) अवशेषों को परखकर क्रम-विकास संबंधों को समझने की कोशिश की जाती है। वर्गानुवंशिकी से पता चलता है कि विभिन्न जातियों और जीववैज्ञानिक वर्गों की क्रम-विकास द्वारा उत्पत्ति का इतिहास क्या है। आधुनिक युग में जीववैज्ञानिक इस जानकारी के आधार पर जीवों की जातियों को भिन्न क्लेडों में वर्गीकृत करके जीवन वृक्ष में आयोजित करते हैं।, Jean-Michel Claverie and Cedric Notredame, pp.

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खुरदार

लामा एक खुरदार जानवर है, जो आर्टियोडैकटिला (सम-ऊँगली खुरदार) श्रेणी में आता है - लामाओं के खुरों में दो उंगलियाँ होती हैं खुरदार या अंग्युलेट (ungulate) ऐसे स्तनधारी जानवरों को कहा जाता है जो चलते समय अपना भार अपने पाऊँ की उँगलियों के अंतिम भागों पर उठाते हैं। यह भार सहन करने के लिए ऐसे पशुओं के पाऊँ अक्सर खुरों के रूप में होते हैं।, Colin Tudge, Simon and Schuster, 1997, ISBN 978-0-684-83052-0,...

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गिरगिट

गिरगिट (Chameleons, कैमीलियन) एक प्रकार का पूर्वजगत छिपकली का क्लेड है जिसकी जून २०१५ तक २०२ जीववैज्ञानिक जातियाँ ज्ञात थी। गिरगिटें कई रंगों की होती हैं और उनमें से कई में रंग बदलने की क्षमता होती है। .

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ओक्सालिडालेस

ओक्सालिडालेस (लातिनी: Oxalidales) एक सपुष्पक पौधों का जीववैज्ञानिक गण है, जो युडिकॉट के रोज़िड क्लेड (समूह) के अंतर्गत आता है। इनके फूलों में अधिकतर कुल मिलाकर पाँच या छह बाह्यदलपुंज और दल चक्र की पंखुड़ियाँ देखी जाती हैं। .

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आर्कोसोरिया

आर्कोसोरिया (Archosauria) एक प्राणियों का एक क्लेड है जिसमें सभी पक्षी व मगरमच्छ शामिल हैं। सारे डायनासोर (जो अब सभी विलुप्त हो चुके हैं) भी इसी समूह के सदस्य थे। .

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कीपजन्तु

कीपजन्तु या खोएनोज़ोआ (Choanozoa) (यूनानी: χόανος (choanos) "कीप" and ζῶον (zōon) "प्राणी") पृष्ठध्रुवों की रेखा से संबद्ध सुकेन्द्रिकों के एक संघ का नाम हैं। ऐसा प्रतीत होता हैं कि प्राणियों का उद्गम कीपजन्तुओं में हुआ था, कीपकशाभिकों के सहयोगी क्लेड के रूप में। Category:पृष्ठध्रुव Category:सुकेन्द्रिक संघ (जीवविज्ञान).

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