3 संबंधों: योनिच्छद पुनर्निर्माण शल्य चिकित्सा (ह्य्मेनोप्लास्टी), सम्मान, कौमार्य परीक्षण।
योनिच्छद पुनर्निर्माण शल्य चिकित्सा (ह्य्मेनोप्लास्टी)
ह्य्मेनोप्लास्टी या योनिच्छद पुनर्निर्माण सर्जरी, एक ऐसी शल्य चिकित्सा प्रकिया है जिसमें योनिद्वार की झिल्ली की शल्य चिकित्सा द्वारा फिर से बहाली की जाती है। पुरुषों की रूढिवादी सोच के चलते फिर से कौमार्य को जरूरत मानने वाली लड़कियां हाइम्नोप्लास्टी करा रही हैं। कॉस्मेटिक (सौंदर्य प्रसाधन) सर्जन (शल्य - चिकित्सक) ऐसी सर्जरी (शल्य चिकित्सा) करते हैं। इस प्रकिया के बाद पूरी तरह से सामान्य होने में कम से कम छह सप्ताह का समय लगता है। .
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सम्मान
सम्मान एक अमूर्त अवधारणा है जो योग्यता और प्रतिष्ठा का आवेश है जो किसी व्यक्ति या संस्था जैसे कि परिवार, विद्यालय, रेजिमेंट या राष्ट्र के सामाजिक स्तर और स्व-मूल्यांकन दोनों को प्रभावित करता है। तदनुसार, व्यक्तियों (या संस्थानों) को विशिष्ट कार्यों के सामंजस्य के आधार पर मूल्य और कद प्रदान किया जाता है। कामुकता के संबंध में, पारम्परिक रूप से सम्मान "शुद्धता" या "कौमार्य" के साथ जुड़ा रहा है या विवाहित पुरुषों और महिलाओं के मामले में "निष्ठा" से। सम्मान की अवधारणा के महत्व में आधुनिक दुनिया में गिरावट आई है और अंत:करण ने इस की जगह ले ली है। एक संज्ञा के रूप में, सम्मान किसी पुरस्कार का उल्लेख भी कर सकता है। उदाहरण के लिये किसी राष्ट्र द्वारा दिए गए। इस तरह के सम्मान में सैन्य पदक शामिल होते हैं, लेकिन अधिकतर आम तौर पर इसका मतलब नागरिक पुरस्कार होता है, जैसे कि पद्म श्री, नाइटहुड या पाकिस्तानी निशान-ए–पाकिस्तान। .
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कौमार्य परीक्षण
योनिच्छद की विभिन्न स्थितियाँ कौमार्य परीक्षण यह निर्धारित करने की प्रक्रिया है कि क्या कोई महिला कुंवारी है या नहीं, यानी कि क्या उसने कभी भी संभोग किया है या नहीं? इस परीक्षण में महिला की योनिद्वार की झिल्ली (अर्थात् योनिच्छद / hymen) का परीक्षण इस धारणा पर किया जाता है कि उसकी योनिद्वार की झिल्ली केवल संभोग के परिणामस्वरूप ही फट सकती है। इस परीक्षण को सामान्यतः दो उँगली परीक्षण (Two Finger Test) के नाम से भी जाना जाता है। जे॰एन॰यू॰ के सेंटर फॉर लॉ ऐंड गवर्नेंस में प्राध्यापक प्रतीक्षा बख्शी के अनुसार फ्रांसीसी मेडिकल विधिवेत्ता एल॰ थोइनॉट ने 1898 के आसपास नकली और असली कुंआरी लड़कियों में फर्क करने वाली जाँच के लिए इस तरह का टेस्ट ईजाद किया था। नकली कुंआरी उस महिला को कहा जाता था, जिसकी हाइमन लचीलेपन के कारण सेक्स के बाद भी नहीं टूटती है। भारत में मेडिकल विधिशास्त्र की लगभग हर पुस्तक में टी॰एफ॰टी॰ को बढ़ावा दिया गया है, जिनमें जयसिंह पी॰ मोदी की लिखी किताब ए टेक्स्ट बुक ऑफ मेडिकल ज्यूरिसप्रूडेंस ऐंड टॉक्सीकोलॉजी भी शामिल है। लड़कियों के लिए इसके विपरीत प्रभाव और इस जाँच में प्रमाणिकता एवं सटीकता का अभाव होने के कारण कौमार्य परीक्षण एक बहुत ही विवादास्पद जाँच है।.
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