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कोसी नदी

सूची कोसी नदी

कोसी नदी एवं अन्य उत्तर भारतीय नदियाँ कोसी नदी या कोशी नदी नेपाल में हिमालय से निकलती है और बिहार में भीम नगर के रास्ते से भारत में दाखिल होती है। इसमें आने वाली बाढ से बिहार मेंबहुत तबाही होती है जिससे इस नदी को 'बिहार का अभिशाप' कहा जाता है। इसके भौगोलिक स्वरूप को देखें तो पता चलेगा कि पिछले 250 वर्षों में 120 किमी का विस्तार कर चुकी है। हिमालय की ऊँची पहाड़ियों से तरह तरह से अवसाद (बालू, कंकड़-पत्थर) अपने साथ लाती हुई ये नदी निरंतर अपने क्षेत्र फैलाती जा रही है। उत्तरी बिहार के मैदानी इलाकों को तरती ये नदी पूरा क्षेत्र उपजाऊ बनाती है। नेपाल और भारत दोनों ही देश इस नदी पर बाँध बना चुके हैं; हालाँकि कुछ पर्यावरणविदों ने इससे नुकसान की भी संभावना जतायी थी। यह नदी उत्तर बिहार के मिथिला क्षेत्र की संस्कृति का पालना भी है। कोशी के आसपास के क्षेत्रों को इसी के नाम पर कोशी कहा जाता है। .

49 संबंधों: एसीबु, एवा, तिरहुत प्रमंडल, दरभंगा, दिदिङ, दूनागिरी, धुपु, धुस्की, धोत्लेखानी, नंदगाँव, मथुरा, नेपाल, नेपाल हिमालय, प्रदेश संख्या १, पूर्णिया जिला, बनगाँव (बिहार ), बागमती, बिहार, बिहार का भूगोल, भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची - प्रदेश अनुसार, भारत सेवक समाज, भारत के राष्‍ट्रीय चिन्ह, भारत की नदियों की सूची, भारत की नदी प्रणालियाँ, मधुबनी, मधेपुरा जिला, महालंगूर हिमाल, मिथिला, रामनगर, उत्तराखण्ड, राजविराज, लिम्बुवान, सर्वोदय आश्रम, कुर्सेला, सहरसा, सुगौली संधि, घाटी, खाप, गंगा नदी, गंगा की सहायक नदियाँ, कमला नदी, कुमाऊँ मण्डल, कौसानी, कोदारी, कोशी अंचल, कोसी परियोजना, कोसी बाँध, अपवाह तन्त्र, अरुण नदी, उत्तराखण्ड, उदाकिशनगंज प्रखण्ड (मधेपुरा), उदाकिशुनगंज

एसीबु

एसीबु नेपाल के कोशी अंचल का तेरथुम जिला का एक गांव विकास समिति है। यह जगह मैं ६०६ घर है। .

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एवा

एवा नेपाल के कोशी अंचल का तेरथुम जिला का एक गांव विकास समिति है। यह जगह मैं ६८५ घर है। .

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तिरहुत प्रमंडल

तिरहुत प्रमंडल का नक्शा बिहार में गंगा के उत्तरी भाग को तिरहुत क्षेत्र कहा जाता था। इसे तुर्क-अफगान काल में स्वतंत्र प्रशासनिक इकाई बनाया गया। किसी समय में यह क्षेत्र बंगाल राज्य के अंतर्गत था। सन् १८७५ में यह बंगाल से अलग होकर मुजफ्फरपुर और दरभंगा नामक दो जिलों में बँट गया। ये दोनों जिले अब बिहार राज्य के अन्तर्गत है। वैसे अब तिरहुत नाम का कोई स्थान नहीं है, लेकिन मुजफ्फरपुर और दरभंगा जिलों को ही कभी कभी तिरहुत नाम से व्यक्त किया जाता है। ब्रिटिस भारत में सन १९०८ में जारी एक आदेश के तहत तिरहुत को पटना से अलग कर प्रमंडल बनाया गया। तिरहुत बिहार राज्य के ९ प्रमंडलों में सवसे बड़ा है। इसके अन्तर्गत ६ जिले आते हैं.

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दरभंगा

भारत प्रान्त के उत्तरी बिहार में बागमती नदी के किनारे बसा दरभंगा एक जिला एवं प्रमंडलीय मुख्यालय है। दरभंगा प्रमंडल के अंतर्गत तीन जिले दरभंगा, मधुबनी, एवं समस्तीपुर आते हैं। दरभंगा के उत्तर में मधुबनी, दक्षिण में समस्तीपुर, पूर्व में सहरसा एवं पश्चिम में मुजफ्फरपुर तथा सीतामढ़ी जिला है। दरभंगा शहर के बहुविध एवं आधुनिक स्वरुप का विकास सोलहवीं सदी में मुग़ल व्यापारियों तथा ओईनवार शासकों द्वारा विकसित किया गया। दरभंगा 16वीं सदी में स्थापित दरभंगा राज की राजधानी था। अपनी प्राचीन संस्कृति और बौद्धिक परंपरा के लिये यह शहर विख्यात रहा है। इसके अलावा यह जिला आम और मखाना के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। .

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दिदिङ

दिदिङ नेपाल के कोशी अंचल का संखुवासभा जिला का एक गांव विकास समिति है। यह जगह मै ६०५ घर है। .

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दूनागिरी

दूनागिरी भूमंडल में दक्षिण एशिया स्थित भारतवर्ष के उत्तराखण्ड प्रदेश के अन्तर्गत कुमांऊँ क्षेत्र के अल्मोड़ा जिले में एक पौराणिक पर्वत शिखर का नाम है। द्रोण, द्रोणगिरी, द्रोण-पर्वत, द्रोणागिरी, द्रोणांचल, तथा द्रोणांचल-पर्वत इसी पर्वत के पर्यायवाची शब्द हैं। कालान्तर के उपरांत द्रोण का अपभ्रंश होते-होते वर्तमान में इस पर्वत को कुमांऊँनी बोली के समरूप अथवा अनुसार दूनागिरी नाम से पुकारा जाने लगा है। यथार्थत: यह पौराणिक उल्लिखित द्रोण है। .

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धुपु

धुपु नेपाल के कोशी अंचल का संखुवासभा जिला का एक गांव विकास समिति है। यह जगह मैं ९०६ घर है। .

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धुस्की

धुस्की नेपाल के कोशी अंचल का सुनसरी जिला का एक गांव विकास समिति है। यह जगह मैं १४७६ घर है। .

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धोत्लेखानी

धोत्लेखानी नेपाल के कोशी अंचल का भोजपुर जिला का एक गांव विकास समिति है। यह जगह मै ४५२ घर है। .

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नंदगाँव, मथुरा

नंदगांव उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा जिले में प्रसिद्ध पौराणिक ग्राम बरसाना के पास एक छोटा सा नगर है। यह नंदीश्वर नामक सुन्दर पहाड़ी पर बसा हुआ है। यह कृष्ण भक्तों के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। किंवदंती के अनुसार यह गांव भगवान कृष्ण के पिता नंदराय द्वारा एक पहाड़ी पर बसाया गया था। इसी कारण इस स्थान का नाम नंदगांव पड़ा। गोकुल को छोड़ कर नंदबाबा श्रीकृष्ण और गोप ग्वालों को लेकर नंदगाँव आ गए थे। .

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नेपाल

नेपाल, (आधिकारिक रूप में, संघीय लोकतान्त्रिक गणराज्य नेपाल) भारतीय उपमहाद्वीप में स्थित एक दक्षिण एशियाई स्थलरुद्ध हिमालयी राष्ट्र है। नेपाल के उत्तर मे चीन का स्वायत्तशासी प्रदेश तिब्बत है और दक्षिण, पूर्व व पश्चिम में भारत अवस्थित है। नेपाल के ८१ प्रतिशत नागरिक हिन्दू धर्मावलम्बी हैं। नेपाल विश्व का प्रतिशत आधार पर सबसे बड़ा हिन्दू धर्मावलम्बी राष्ट्र है। नेपाल की राजभाषा नेपाली है और नेपाल के लोगों को भी नेपाली कहा जाता है। एक छोटे से क्षेत्र के लिए नेपाल की भौगोलिक विविधता बहुत उल्लेखनीय है। यहाँ तराई के उष्ण फाँट से लेकर ठण्डे हिमालय की श्रृंखलाएं अवस्थित हैं। संसार का सबसे ऊँची १४ हिम श्रृंखलाओं में से आठ नेपाल में हैं जिसमें संसार का सर्वोच्च शिखर सागरमाथा एवरेस्ट (नेपाल और चीन की सीमा पर) भी एक है। नेपाल की राजधानी और सबसे बड़ा नगर काठमांडू है। काठमांडू उपत्यका के अन्दर ललीतपुर (पाटन), भक्तपुर, मध्यपुर और किर्तीपुर नाम के नगर भी हैं अन्य प्रमुख नगरों में पोखरा, विराटनगर, धरान, भरतपुर, वीरगंज, महेन्द्रनगर, बुटवल, हेटौडा, भैरहवा, जनकपुर, नेपालगंज, वीरेन्द्रनगर, त्रिभुवननगर आदि है। वर्तमान नेपाली भूभाग अठारहवीं सदी में गोरखा के शाह वंशीय राजा पृथ्वी नारायण शाह द्वारा संगठित नेपाल राज्य का एक अंश है। अंग्रेज़ों के साथ हुई संधियों में नेपाल को उस समय (१८१४ में) एक तिहाई नेपाली क्षेत्र ब्रिटिश इंडिया को देने पड़े, जो आज भारतीय राज्य हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड तथा पश्चिम बंगाल में विलय हो गये हैं। बींसवीं सदी में प्रारंभ हुए जनतांत्रिक आन्दोलनों में कई बार विराम आया जब राजशाही ने जनता और उनके प्रतिनिधियों को अधिकाधिक अधिकार दिए। अंततः २००८ में जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि माओवादी नेता प्रचण्ड के प्रधानमंत्री बनने से यह आन्दोलन समाप्त हुआ। लेकिन सेना अध्यक्ष के निष्कासन को लेकर राष्ट्रपति से हुए मतभेद और टीवी पर सेना में माओवादियों की नियुक्ति को लेकर वीडियो फुटेज के प्रसारण के बाद सरकार से सहयोगी दलों द्वारा समर्थन वापस लेने के बाद प्रचण्ड को इस्तीफा देना पड़ा। गौरतलब है कि माओवादियों के सत्ता में आने से पहले सन् २००६ में राजा के अधिकारों को अत्यंत सीमित कर दिया गया था। दक्षिण एशिया में नेपाल की सेना पांचवीं सबसे बड़ी सेना है और विशेषकर विश्व युद्धों के दौरान, अपने गोरखा इतिहास के लिए उल्लेखनीय रहे हैं और संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों के लिए महत्वपूर्ण योगदानकर्ता रही है। .

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नेपाल हिमालय

नेपाल हिमालय, हिमालय पर्वत श्रंखला के चार क्षैतिज विभाजनों में से एक है। काली नदी से तीस्ता नदी के बीच फैली लगभग ८०० किलोमीटर लम्बी हिमालय श्रंखला को ही नेपाल हिमालय कहा जाता है। नेपाल, तिब्बत तथा सिक्किम में स्थित इस पर्वत श्रंखला के पूर्व में असम हिमालय तथा पश्चिम में कुमाऊँ हिमालय स्थित हैं। नेपाल हिमालय चारों विभाजनों में सबसे बड़ा है। माउंट एवरेस्ट, कंचनजंघा, ल्होत्से, मकालू, चोयु, मनास्लु, धौलागिरी और अन्नपूर्णा इत्यादि नेपाल हिमालय की प्रमुख पर्वत चोटियां हैं। मेची, कोशी, बागमती, गंडक तथा कर्णाली नदियों का उद्गम नेपाल हिमालय में ही होता है। काठमांडू घाटी यहाँ की एक प्रसिद्ध घाटी है। .

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प्रदेश संख्या १

प्रदेश संख्या १ नेपाल के सात प्रदेशों में से एक है। २० सितम्बर २०१५ को लागू हुए संविधान में नए सात प्रदेशों का प्रावधान है। इस प्रदेश का नामांकन प्रदेश संसद (विधान परिषद) द्वारा किया जाएगा। इसकी राजधानी कहाँ होगी यह भी प्रदेश संसद द्वारा निर्धारित किया जाएगा। इस प्रदेश के पूर्व में भारत का सिक्किम राज्य है तथा साथ में पश्चिम बंगाल का उत्तरी हिस्सा दार्जीलिंग सटा हुआ है। उत्तर में हिमालय के उस पार तिब्बत स्थित है रही तो दक्षिण में भारत का बिहार स्थित है। २५,९०५ वर्ग किमी के क्षेत्रफल में ४४ निर्वाचन क्षेत्र फैले हुए हैं। १०,४३८ किमी२ का क्षेत्रफल पर्वतों से घिरा हुआ है, १०,७४९ किमी२ का क्षेत्रफल पहाड़ी है और पूर्वी तराई का फैलाव ४,७१८ किमी२ में है। निपआ.

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पूर्णिया जिला

पूर्णिया जिला पुरनिया या पूर्णियाँ बिहार राज्य का ज़िला है। इसके उत्तर में अररिया तथा किशनगंज जिला, पूर्व में पश्चिम बंगाल का दिनाजपुर, पश्चिम में मधेपुरा जिला, दक्षिण में भागलपुर तथा कटिहार जिला सीमा बनाती है। इसका क्षेत्रफल ३२२९ वर्ग किमी है। उत्तर की ओर धरातल पथरीला तथा पूर्व की ओर नदियों एवं प्राकृतिक स्रोतों से बने कभी न सूखनेवाले दलदल एवं पश्चिम की ओर रेतीले घास के मैदान मिलते हैं। गंगा के अलावा कोसी, महानंदा तथा पनार नदियाँ बहती हैं। पूर्व की ओर कहीं-कहीं उत्तम जलोढ़ मिट्टी मिलती है। वर्षा शीघ्र प्रारंभ होती तथा जोरों के साथ होती है। वार्षिक वर्षा का औसत ७१ इंच रहता है। कृषि में धान के अतिरिक्त दालें, तिलहन और तंबाकू भी पैदा हाता है। पशु छोटे तथा कमजोर हाते हैं। उद्योगों में मोटे रंगीन कपड़े, बैलगाड़ियों के पहिए, चटाइयाँ तथा जूट के सामान बनाए जाते हैं। श्रेणी:बिहार के जिले.

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बनगाँव (बिहार )

बनगाँव भारत के बिहार राज्य के सहरसा जिले के पश्चिम मे अवस्थित एक गाँव है जिसकी पहचान सदियों से रही है। जनसँख्या और क्षेत्रफल के हिसाब से ये गाँव ना सिर्फ राज्य के बल्कि देश के सबसे बड़े गांवों मे एक हैं। २००१ की जनगणना के मुताबिक़ इस गाँव की आबादी ६०००० है हालांकि पिछले दशक जनसख्या मे बढोत्तरी को ध्यान मे रखते हुए ये संख्या वर्तमान मे ७००००-७५००० के मध्य मे हो सकती है। यह गाँव कोसी प्रमंडल के कहरा प्रखंड के अंतर्गत आता है। इस गाँव से तीन किलोमीटर पूर्व मे बरियाही बाजार, आठ किलोमीटर पश्चिम मे माँ उग्रतारा की पावन भूमि महिषी और उत्तर मे बिहरा गाँव अवस्थित है। इस गाँव मे तीन पंचायतें हैं। हर पंचायत के एक मुखिया हैं। सरकार द्वारा समय समय पर पंचायती चुनाव कराये जातें है। इन्ही चुनावों से हर पंचायत के सदस्यों का चुनाव किया जाता है। वक्त के हर पड़ाव पर इस गाँव का योगदान अपनी आंचलिक सीमा के पार राज्य, देश और दुनिया को मिलता रहा है। इन योगदानों मे लोक शासन, समाज सेवा, साहित्य, पत्रकारिता, राजनीति, देशसेवा और भक्ति मे योगदान प्रमुख हैं। भक्ति और समाजसेवा के ऐसे की एक स्तंभ, संत लक्ष्मीनाथ गोसाईं, जिन्होंने इस गाँव को अपनी कर्मभूमि बनाई, को लोग भगवान की तरह पूजते है। उनका मंदिर गाँव के प्रमुख दार्शनिक स्थलों मे से एक है। गाँव के बोलचाल की भाषा मैथिली है और यहाँ हिंदू तथा इस्लाम धर्मों को माननेवाले सदियों से आपसी सामंजस्य और धार्मिक सहिष्णुता से साथ रहते हैं। .

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बागमती

बागमती (नेपाल भाषा:बागमती खुसी, बागमती नदी) नेपाल और भारत की एक बहुत महत्त्वपूर्ण नदी है। इस नदी के तट पर काठमांडू अवस्थित है। नेपाल का सबसे पवित्र तीर्थ स्थल पशुपतिनाथ मंदिर भी इसी नदी के तट पर अवस्थित है। इस नदी का उद्गम स्थान बागद्वार है। काटमाण्डौ के टेकु दोभान मैं विष्णुमति नदी इसमें समाहित होती है। नेपाली सभ्यता में इस नदी का बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है। इस नदी के किनारे में अवस्थित आर्य घाटौं पर राजा से लेकर रंक तक सभी का अन्तिम संस्कार किया जाता है। .

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बिहार

बिहार भारत का एक राज्य है। बिहार की राजधानी पटना है। बिहार के उत्तर में नेपाल, पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश और दक्षिण में झारखण्ड स्थित है। बिहार नाम का प्रादुर्भाव बौद्ध सन्यासियों के ठहरने के स्थान विहार शब्द से हुआ, जिसे विहार के स्थान पर इसके अपभ्रंश रूप बिहार से संबोधित किया जाता है। यह क्षेत्र गंगा नदी तथा उसकी सहायक नदियों के उपजाऊ मैदानों में बसा है। प्राचीन काल के विशाल साम्राज्यों का गढ़ रहा यह प्रदेश, वर्तमान में देश की अर्थव्यवस्था के सबसे पिछड़े योगदाताओं में से एक बनकर रह गया है। .

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बिहार का भूगोल

बिहार 21°58'10" ~ 27°31'15" उत्तरी अक्षांश तथा 82°19'50" ~ 88°17'40" पूर्वी देशांतर के बीच स्थित भारतीय राज्य है। मुख्यतः यह एक हिंदी भाषी राज्य है लेकिन उर्दू, मैथिली, भोजपुरी, मगही, बज्जिका, अंगिका तथा एवं संथाली भी बोली जाती है। राज्य का कुल क्षेत्रफल 94,163 वर्ग किलोमीटर है जिसमें 92,257.51 वर्ग किलोमीटर ग्रामीण क्षेत्र है। 2001 की जनगणना के अनुसार बिहार राज्य की जनसंख्या 8,28,78,796 है जिनमें ६ वर्ष से कम आयु का प्रतिशत 19.59% है। 2002 में झारखंड के अलग हो जाने के बाद बिहार का भूभाग मुख्यतः नदियों के बाढमैदान एवं कृषियोग्य समतल भूमि है। गंगा तथा इसकी सहायक नदियों द्वारा लायी गयी मिट्टियों से बिहार का जलोढ मैदान बना है जिसकी औसत ऊँचाई १७३ फीट है। बिहार का उपग्रह द्वारा लिया गया चित्र .

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भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची - प्रदेश अनुसार

भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों का संजाल भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची भारतीय राजमार्ग के क्षेत्र में एक व्यापक सूची देता है, द्वारा अनुरक्षित सड़कों के एक वर्ग भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण। ये लंबे मुख्य में दूरी roadways हैं भारत और के अत्यधिक उपयोग का मतलब है एक परिवहन भारत में। वे में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा भारतीय अर्थव्यवस्था। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 2 laned (प्रत्येक दिशा में एक), के बारे में 65,000 किमी की एक कुल, जिनमें से 5,840 किमी बदल सकता है गठन में "स्वर्ण Chathuspatha" या स्वर्णिम चतुर्भुज, एक प्रतिष्ठित परियोजना राजग सरकार द्वारा शुरू की श्री अटल बिहारी वाजपेयी.

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भारत सेवक समाज

भारत सेवक समाज भारत सरकार के योजना आयोग द्वारा प्रायोजित विकास संस्था (एजेन्सी) है। इसकी स्थापना योजना आयोग द्वारा जनसहयोग प्राप्त करने के लिए सन् 1951 में की गई, राष्ट्रीय सलाहकार समिति की सिफारिशों के अनुसार 12 अगस्त 1952 में की गई थी। .

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भारत के राष्‍ट्रीय चिन्ह

Indian Signs .

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भारत की नदियों की सूची

भारत में मुख्यतः चार नदी प्रणालियाँ है (अपवाह तंत्र) हैं। उत्तरी भारत में सिंधु, उत्तरी-मध्य भारत में गंगा, और उत्तर-पूर्व भारत में ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली है। प्रायद्वीपीय भारत में नर्मदा, कावेरी, महानदी, आदि नदियाँ विस्तृत नदी प्रणाली का निर्माण करती हैं। यहाँ भारत की नदियों की एक सूची दी जा रही है: .

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भारत की नदी प्रणालियाँ

भारत की नदियों का देश के आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास में प्राचीनकाल से ही महत्वपूर्ण योगदान रहा है। सिन्धु तथा गंगा नदियों की घाटियों में ही विश्व की सर्वाधिक प्राचीन सभ्यताओं - सिन्धु घाटी तथा आर्य सभ्यता का आर्विभाव हुआ। आज भी देश की सर्वाधिक जनसंख्या एवं कृषि का संकेन्द्रण नदी घाटी क्षेत्रों में पाया जाता है। प्राचीन काल में व्यापारिक एवं यातायात की सुविधा के कारण देश के अधिकांश नगर नदियों के किनारे ही विकसित हुए थे तथा आज भी देश के लगभग सभी धार्मिक स्थल किसी न किसी नदी से सम्बद्ध है। नदियों के देश कहे जाने वाले भारत में मुख्यतः चार नदी प्रणालियाँ है (अपवाह तंत्र) हैं। उत्तरी भारत में सिंधु, मध्य भारत में गंगा, उत्तर-पूर्व भारत में ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली है। प्रायद्वीपीय भारत में नर्मदा कावेरी महानदी आदी नदियाँ विस्तृत नदी प्रणाली का निर्माण करती हैं। भारत की नदियों को चार समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है जैसे:-.

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मधुबनी

मधुबनी भारत के बिहार प्रान्त में दरभंगा प्रमंडल अंतर्गत एक प्रमुख शहर एवं जिला है। दरभंगा एवं मधुबनी को मिथिला संस्कृति का द्विध्रुव माना जाता है। मैथिली तथा हिंदी यहाँ की प्रमुख भाषा है। विश्वप्रसिद्ध मिथिला पेंटिंग एवं मखाना के पैदावार की वजह से मधुबनी को विश्वभर में जाना जाता है। इस जिला का गठन १९७२ में दरभंगा जिले के विभाजन के उपरांत हुआ था।मधुबनी चित्रकला मिथिलांचल क्षेत्र जैसे बिहार के दरभंगा, मधुबनी एवं नेपाल के कुछ क्षेत्रों की प्रमुख चित्रकला है। प्रारम्भ में रंगोली के रूप में रहने के बाद यह कला धीरे-धीरे आधुनिक रूप में कपड़ो, दीवारों एवं कागज पर उतर आई है। मिथिला की औरतों द्वारा शुरू की गई इस घरेलू चित्रकला को पुरुषों ने भी अपना लिया है। वर्तमान में मिथिला पेंटिंग के कलाकारों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मधुबनी व मिथिला पेंटिंग के सम्मान को और बढ़ाये जाने को लेकर तकरीबन 10,000 sq/ft में मधुबनी रेलवे स्टेशन के दीवारों को मिथिला पेंटिंग की कलाकृतियों से सरोबार किया। उनकी ये पहल निःशुल्क अर्थात श्रमदान के रूप में किया गया। श्रमदान स्वरूप किये गए इस अदभुत कलाकृतियों को विदेशी पर्यटकों व सैनानियों द्वारा खूब पसंद किया जा रहा है। .

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मधेपुरा जिला

मधेपुरा भारत के बिहार राज्य का जिला है। इसका मुख्यालय मधेपुरा शहर है। सहरसा जिले के एक अनुमंडल के रूप में रहने के उपरांत ९ मई १९८१ को उदाकिशुनगंज अनुमंडल को मिलाकर इसे जिला का दर्जा दे दिया गया। यह जिला उत्तर में अररिया और सुपौल, दक्षिण में खगड़िया और भागलपुर जिला, पूर्व में पूर्णिया तथा पश्चिम में सहरसा जिले से घिरा हुआ है। वर्तमान में इसके दो अनुमंडल तथा ११ प्रखंड हैं। मधेपुरा धार्मिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से समृद्ध जिला है। चंडी स्थान, सिंघेश्‍वर स्थान, श्रीनगर, रामनगर, बसन्तपुर, बिराटपुर और बाबा करु खिरहर आदि यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से हैं। .

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महालंगूर हिमाल

महालंगूर हिमाल (नेपाली: महालंगूर हिमाल) हिमालय का एक भाग है जो पूर्वोत्तरी नेपाल और दक्षिण-मध्य तिब्बत में स्थित है। यह पूर्व में नांगपा ला नामक दर्रे से पश्चिम में अरुण नदी तक विस्तृत है। हिमालय के उपभागों की दृष्टि से इसके पश्चिम में खुम्बु हिमाल (जिस से आगे पश्चिम में रोल्वालिंग हिमाल) और पूर्व में कंचनजंघा हिमाल आता है। पृथ्वी के छ्ह में से चार सर्वोच्च पर्वत - माउंट एवरेस्ट, ल्होत्से, मकालू और चोयु - इसमें शामिल हैं। इसके तिब्बती ओर रोंगबुक और कंगशुंग हिमानियाँ (ग्लेशियर) बहती हैं जबकि नेपाली ओर बरुण, न्गोजुम्बा, खुम्बु और अन्य हिमानियाँ चलती हैं। यह सभी उत्तर व पूर्व में अरुण नदी द्वारा और दक्षिण में दुधकोशी नदी द्वारा कोसी नदी को जल प्रदान करती हैं। .

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मिथिला

'''मिथिला''' मिथिला प्राचीन भारत में एक राज्य था। माना जाता है कि यह वर्तमान उत्तरी बिहार और नेपाल की तराई का इलाका है जिसे मिथिला के नाम से जाना जाता था। मिथिला की लोकश्रुति कई सदियों से चली आ रही है जो अपनी बौद्धिक परम्परा के लिये भारत और भारत के बाहर जानी जाती रही है। इस क्षेत्र की प्रमुख भाषा मैथिली है। हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में सबसे पहले इसका संकेत शतपथ ब्राह्मण में तथा स्पष्ट उल्लेख वाल्मीकीय रामायण में मिलता है। मिथिला का उल्लेख महाभारत, रामायण, पुराण तथा जैन एवं बौद्ध ग्रन्थों में हुआ है। .

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रामनगर, उत्तराखण्ड

रामनगर, उत्तराखण्ड, भारत के नैनीताल ज़िले में स्थित एक कस्बा और नगर निगम बोर्ड है। यह जिला मुख्यालय नैनीताल से ६५ किमी और देश की राजधानी दिल्ली से लगभग २६० किमी की दूरी पर स्थित है। रामनगर, जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के लिए प्रसिद्ध है। यह कस्बा इस राष्ट्रीय उद्यान का प्रवेशद्वार है। आसपास के अन्य प्रसिद्ध स्थल हैं गर्जिया देवी मन्दिर और सीता बनी मन्दिर। .

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राजविराज

राजविराज नेपाल के सप्तरी जिला का मुख्यालय है। यह नेपाल में तराई क्षेत्र का सबसे पहला और नेपाल अधिराज्य का चौथा मुख्यालय है। यह नेपाल का पहला नगर है जिसे टाउन प्लानिंग करके बसाया गया है। वि॰सं॰ १९९४ मे सप्तकोशी नदी ने पुराना मुख्यालय हनुमाननगर को बाढ से प्रभावित करने के बाद मुख्यालय के लिया दूसरा जगह का खोज शुरु करवाया गया था। तत्कालीन बडाहाकिम प्रकाशशमशेर जबरा ने उपयुक्त जगह खोजकर शहर बसाने की जिम्मेवारी ख्यातिप्राप्त इन्जिनीयर डिल्लीजंग को दिया था। उस समय सुन्दर शहर के रूप में प्रसिद्ध भारत के जयपुर नगर के मानचित्र के आधार पर टाउन प्लानिंग करकर विं.सं.१९९८ मे राजविराज शहर बसाया गया था। .

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लिम्बुवान

लिम्बुवान हिमालय ऐतिहासिक के एक क्षेत्र है 10 लिम्बु साम्राज्यों, नेपाल के सभी अब हिस्सा बना हुआ है। लिम्बुवान "किनारी का निवास" या "किनारी की भूमि" का मतलब है। खुद किनारी लिम्बुवान "याक्थुंग लाजे" या "याक्थुंगहरु के देश" (लिम्बुवान का इतिहास देखें) कहते हैं। आज, लिम्बुवान ताप्लेजुंग, पाचथर, ईलाम, झापा, तेरथुम, संखुवासभा, धनकुटा, सुनसरी और मोरंग जिलों शामिल हैं। लिम्बुवान अरुण और कोशी नदियों की भूमि कंचनजंगा पर्वत के पूर्व और पश्चिम और मेचि नदी है। काठमांडू और पश्चिमी नेपाली में सत्ता की सीट पल्लो किरात क्षेत्र या दूर किरात, काठमांडू से इसकी दूरी के कारण के रूप में लिम्बुवान उल्लेख है। किनारी के दस राजाओं के साथ आया करने के लिए औपचारिक रूप से अरुण नदी और तीस्ता नदी के बीच सभी दस राज्यों के लिए "याक्थुंग लाजे" कहा जा घोषित.

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सर्वोदय आश्रम, कुर्सेला

सर्वोदय आश्रम, कुर्सेला बिहार राज्य के कटिहार जिलान्तर्गत कुर्सेला प्रखण्ड के तीनघरिया ग्राम में स्थित है। इस आश्रम की स्थापना सन् 1948 में सौराष्ट्र के गाँधीवादी कार्यकर्त्ता भगवन्न स्वामी द्वारा की गई थी। इसी वर्ष, महात्मा गाँधी के बलिदान के पश्चात् बिहार के अग्रणी सर्वोदय नेता बैद्यनाथ प्रसाद चौधरी के नेतृत्व में स्थानीय कार्यकर्त्ताओं ने "बापू" के पार्थिव अंश को गंगा-कोसी के संगम में विसर्जित किया था। उसी समय से, आश्रम में "पुण्यस्मृति पर्व" मनाया जाता है। आश्रम के अध्यक्ष नरेश यादव को स्मृतिचिह्न भेंट करती पर्यटन विभाग, बिहार की प्रधान सचिव हरजोत कौर बम्हारा यह आश्रम केन्द्रीय गाँधी स्मारक निधि, दिल्ली द्वारा "गाँधीघर" के रूप में नामित किया गया था तथा बीस हजार रूपये की आर्थिक सहायता भी उपलब्ध करायी गई थी। बाद में, आश्रम स्थानीय सहयोग से ही संचालित होने लगा। यह आश्रम राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-31 से 1 किलोमीटर, कुर्सेला रेलवे स्टेशन से 500 मीटर और गंगा-कोसी संगम से 250 मीटर की दूरी पर स्थित है। सन् 1934 में बिहार में आए प्रलयंकारी भूकम्प के पीड़ितों के सहायतार्थ महात्मा गाँधी 11 मार्च 1934 को बिहार आये। इस बिहार यात्रा के अन्तिम दिन 10 अप्रैल 1934 को रूपसी (असम) जाने के क्रम में वे टिकापट्टी (पूर्णिया) होते हुए कुर्सेला पधारे थे, उस समय कुर्सेला भी पूर्णिया जिले का भाग था। महात्मा गाँधी ने विद्यालयी छात्रों के विशेष अनुरोध पर उन्हें सम्बोधित किया था। वर्तमान में, नरेश यादव, पूर्व सांसद (राज्यसभा) की अध्यक्षता में गठित कार्यकारिणी-समिति आश्रम का संचालन करती है। नरेश यादव महात्मा गाँधी द्वारा सन् 1932 में स्थापित हरिजन सेवक संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं। बिहार सरकार ने आश्रम को "गाँधी सर्किट" में जोड़ने तथा महात्मा गाँधी की बिहार-यात्रा से जुड़े संग्रहालय के रूप में विकसित करने की सहमति प्रकट की है। भारत के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में गठित "गाँधी स्मृति एवं दर्शन समिति" ने आश्रम का "गाँधी व्याख्या केन्द्र" के रूप में चयन किया है। .

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सहरसा

सहरसा भारत के बिहार प्रान्त का एक जिला एवं शहर है। जिले के रूप में सहरसा की स्थापना 1 अप्रैल 1954 को हुई थी जबकि २ अक्टुबर 1972 से यह कोशी प्रमण्डल का मुख्यालय है। नेपाल से आने वाली कोशी नदी के मैदानों में फ़ैला हुआ कोशी प्रमण्डल इतिहास के पन्नों में तो एक समृ‍द्ध प्रदेश माना जाता रहा है किन्तु वर्तमान में यह अति पिछड़े क्षेत्रों में आता है। यहाँ कन्दाहा में सूर्य मंदिर एवं प्रसिद्ध माँ तारा स्थान महिषी ग्राम में स्थित है। प्राचीन काल से यह स्थान आदि शंकराचार्य तथा यहाँ के प्रसिद्ध विद्वान मंडन मिश्र के बीच हुए शास्त्रार्थ के लिए भी विख्यात रहा है। .

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सुगौली संधि

सुगौली संधि के क्षेत्रीय प्रभाव सुगौली संधि, ईस्ट इंडिया कंपनी और नेपाल के राजा के बीच हुई एक संधि है, जिसे 1814-16 के दौरान हुये ब्रिटिश-नेपाली युद्ध के बाद अस्तित्व में लाया गया था। इस संधि पर 2 दिसम्बर 1815 को हस्ताक्ष्रर किये गये और 4 मार्च 1816 का इसका अनुमोदन किया गया। नेपाल की ओर से इस पर राज गुरु गजराज मिश्र (जिनके सहायक चंद्र शेखर उपाध्याय थे) और कंपनी ओर से लेफ्टिनेंट कर्नल पेरिस ब्रेडशॉ ने हस्ताक्षर किये थे। इस संधि के अनुसार नेपाल के कुछ हिस्सों को ब्रिटिश भारत में शामिल करने, काठमांडू में एक ब्रिटिश प्रतिनिधि की नियुक्ति और ब्रिटेन की सैन्य सेवा में गोरखाओं को भर्ती करने की अनुमति दी गयी थी, साथ ही इसके द्वारा नेपाल ने अपनी किसी भी सेवा में किसी अमेरिकी या यूरोपीय कर्मचारी को नियुक्त करने का अधिकार भी खो दिया। (पहले कई फ्रांसीसी कमांडरों को नेपाली सेना को प्रशिक्षित करने के लिए तैनात किया गया था) संधि के तहत, नेपाल ने अपने नियंत्रण वाले भूभाग का लगभग एक तिहाई हिस्सा गंवा दिया जिसमे नेपाल के राजा द्वारा पिछ्ले 25 साल में जीते गये क्षेत्र जैसे कि पूर्व में सिक्किम, पश्चिम में कुमाऊं और गढ़वाल राजशाही और दक्षिण में तराई का अधिकतर क्षेत्र शामिल था। तराई भूमि का कुछ हिस्सा 1816 में ही नेपाल को लौटा दिया गया। 1860 में तराई भूमि का एक बड़ा हिस्सा नेपाल को 1857 के भारतीय विद्रोह को दबाने में ब्रिटिशों की सहायता करने की एवज में पुन: लौटाया गया। काठमांडू में तैनात ब्रिटिश प्रतिनिधि मल्ल युग के बाद नेपाल में रहने पहला पश्चिमी व्यक्ति था। (यह ध्यान देने योग्य है कि 18 वीं सदी के मध्य में गोरखाओं ने नेपाल पर विजय प्राप्ति के बाद बहुत से ईसाई धर्मप्रचारकों को नेपाल से बाहर निकाल दिया था)। नेपाल में ब्रिटिशों के पहले प्रतिनिधि, एडवर्ड गार्डनर को काठमांडू के उत्तरी हिस्से में तैनात किया गया था और आज यह स्थान लाज़िम्पाट कहलाता है और यहां ब्रिटिश और भारतीय दूतावास स्थित हैं। दिसम्बर 1923 में सुगौली संधि को अधिक्रमित कर "सतत शांति और मैत्री की संधि", में प्रोन्नत किया गया और ब्रिटिश निवासी के दर्जे को प्रतिनिधि से बढ़ाकर दूत का कर दिया गया। 1950 में भारत (अब स्वतंत्र) और नेपाल ने एक नयी संधि पर दो स्वतंत्र देशों के रूप में हस्ताक्षर किए गए जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच संबंधों को एक नए सिरे से स्थापित करना था। .

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घाटी

दो (या अधिक) पहाड़ो के बीच के समतल मैदान को घाटी कहते है। भूगोल में नदियों के उपजाऊ मैदान को भी उस नदी की घाटी कहते हैं। .

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खाप

खाप या सर्वखाप एक सामाजिक प्रशासन की पद्धति है जो भारत के उत्तर पश्चिमी प्रदेशों यथा राजस्थान, हरियाणा, पंजाब एवं उत्तर प्रदेश में अति प्राचीन काल से प्रचलित है। इसके अनुरूप अन्य प्रचलित संस्थाएं हैं पाल, गण, गणसंघ, सभा, समिति, जनपद अथवा गणतंत्र। समाज में सामाजिक व्यवस्थाओं को बनाये रखने के लिए मनमर्जी से काम करने वालों अथवा असामाजिक कार्य करने वालों को नियंत्रित किये जाने की आवश्यकता होती है, यदि ऐसा न किया जावे तो स्थापित मान्यताये, विश्वास, परम्पराए और मर्यादाएं ख़त्म हो जावेंगी और जंगल राज स्थापित हो जायेगा। मनु ने समाज पर नियंत्रण के लिए एक व्यवस्था दी। इस व्यवस्था में परिवार के मुखिया को सर्वोच्च न्यायाधीश के रूप में स्वीकार किया गया है। जिसकी सहायता से प्रबुद्ध व्यक्तियों की एक पंचायत होती थी। जाट समाज में यह न्याय व्यवस्था आज भी प्रचलन में है। इसी अधार पर बाद में ग्राम पंचायत का जन्म हुआ।डॉ ओमपाल सिंह तुगानिया: जाट समुदाय के प्रमुख आधार बिंदु, आगरा, 2004, पृ.

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गंगा नदी

गंगा (गङ्गा; গঙ্গা) भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण नदी है। यह भारत और बांग्लादेश में कुल मिलाकर २,५१० किलोमीटर (कि॰मी॰) की दूरी तय करती हुई उत्तराखण्ड में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुन्दरवन तक विशाल भू-भाग को सींचती है। देश की प्राकृतिक सम्पदा ही नहीं, जन-जन की भावनात्मक आस्था का आधार भी है। २,०७१ कि॰मी॰ तक भारत तथा उसके बाद बांग्लादेश में अपनी लंबी यात्रा करते हुए यह सहायक नदियों के साथ दस लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के अति विशाल उपजाऊ मैदान की रचना करती है। सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण गंगा का यह मैदान अपनी घनी जनसंख्या के कारण भी जाना जाता है। १०० फीट (३१ मी॰) की अधिकतम गहराई वाली यह नदी भारत में पवित्र मानी जाती है तथा इसकी उपासना माँ तथा देवी के रूप में की जाती है। भारतीय पुराण और साहित्य में अपने सौन्दर्य और महत्त्व के कारण बार-बार आदर के साथ वंदित गंगा नदी के प्रति विदेशी साहित्य में भी प्रशंसा और भावुकतापूर्ण वर्णन किये गये हैं। इस नदी में मछलियों तथा सर्पों की अनेक प्रजातियाँ तो पायी ही जाती हैं, मीठे पानी वाले दुर्लभ डॉलफिन भी पाये जाते हैं। यह कृषि, पर्यटन, साहसिक खेलों तथा उद्योगों के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देती है तथा अपने तट पर बसे शहरों की जलापूर्ति भी करती है। इसके तट पर विकसित धार्मिक स्थल और तीर्थ भारतीय सामाजिक व्यवस्था के विशेष अंग हैं। इसके ऊपर बने पुल, बांध और नदी परियोजनाएँ भारत की बिजली, पानी और कृषि से सम्बन्धित ज़रूरतों को पूरा करती हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि इस नदी के जल में बैक्टीरियोफेज नामक विषाणु होते हैं, जो जीवाणुओं व अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों को जीवित नहीं रहने देते हैं। गंगा की इस अनुपम शुद्धीकरण क्षमता तथा सामाजिक श्रद्धा के बावजूद इसको प्रदूषित होने से रोका नहीं जा सका है। फिर भी इसके प्रयत्न जारी हैं और सफ़ाई की अनेक परियोजनाओं के क्रम में नवम्बर,२००८ में भारत सरकार द्वारा इसे भारत की राष्ट्रीय नदी तथा इलाहाबाद और हल्दिया के बीच (१६०० किलोमीटर) गंगा नदी जलमार्ग को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया है। .

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गंगा की सहायक नदियाँ

देवप्रयाग में भागीरथी (बाएँ) एवं अलकनंदा (दाएँ) मिलकर गंगा का निर्माण करती हुईं गंगा नदी भारत की एक प्रमुख नदी है। इसका उप द्रोणी क्षेत्र भागीरथी और अलकनंदा में हैं, जो देवप्रयाग में मिलकर गंगा बन जाती है। यह उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल से होकर बहती है। राजमहल की पहाड़ियों के नीचे भागीरथी नदी, जो पुराने समय में मुख्‍य नदी हुआ करती थी, निकलती है जबकि पद्मा पूरब की ओर बहती है और बांग्लादेश में प्रवेश करती है। यमुना, रामगंगा, घाघरा, गंडक, कोसी, महानदी और सोन गंगा की महत्त्वपूर्ण सहायक नदियाँ है। चंबल और बेतवा महत्‍वपूर्ण उप सहायक नदियाँ हैं जो गंगा से मिलने से पहले यमुना में मिल जाती हैं। पद्मा और ब्रह्मपुत्र बांग्‍लादेश में मिलती है और पद्मा अथवा गंगा के रूप में बहती रहती है। गंगा में उत्तर की ओर से आकर मिलने वाली प्रमुख सहायक नदियाँ यमुना, रामगंगा, करनाली (घाघरा), ताप्ती, गंडक, कोसी और काक्षी हैं तथा दक्षिण के पठार से आकर इसमें मिलने वाली प्रमुख नदियाँ चंबल, सोन, बेतवा, केन, दक्षिणी टोस आदि हैं। यमुना गंगा की सबसे प्रमुख सहायक नदी है जो हिमालय की बन्दरपूँछ चोटी के आधार पर यमुनोत्री हिमखण्ड से निकली है। हिमालय के ऊपरी भाग में इसमें टोंस तथा बाद में लघु हिमालय में आने पर इसमें गिरि और आसन नदियाँ मिलती हैं। इनके अलावा चम्बल, बेतवा, शारदा और केन यमुना की अन्य सहायक नदियाँ हैं। चम्बल इटावा के पास तथा बेतवा हमीरपुर के पास यमुना में मिलती हैं। यमुना इलाहाबाद के निकट बायीँ ओर से गंगा नदी में जा मिलती है। रामगंगा मुख्य हिमालय के दक्षिणी भाग नैनीताल के निकट से निकलकर बिजनौर जिले से बहती हुई कन्नौज के पास गंगा में जा मिलती है। करनाली मप्सातुंग नामक हिमनद से निकलकर अयोध्या, फैजाबाद होती हुई बलिया जिले के सीमा के पास गंगा में मिल जाती है। इस नदी को पर्वतीय भाग में कौरियाला तथा मैदानी भाग में घाघरा कहा जाता है। गंडक हिमालय से निकलकर नेपाल में 'शालग्रामी' नाम से बहती हुई मैदानी भाग में 'नारायणी' उपनाम पाती है। यह काली गंडक और त्रिशूल नदियों का जल लेकर प्रवाहित होती हुई सोनपुर के पास गंगा में मिल जाती है। कोसी की मुख्यधारा अरुण है जो गोसाई धाम के उत्तर से निकलती है। ब्रह्मपुत्र के बेसिन के दक्षिण से सर्पाकार रूप में अरुण नदी बहती है जहाँ यारू नामक नदी इससे मिलती है। इसके बाद एवरेस्ट कंचनजंघा शिखरों के बीच से बहती हुई अरूण नदी दक्षिण की ओर ९० किलोमीटर बहती है जहाँ इसमें पश्चिम से सूनकोसी तथा पूरब से तामूर कोसी नामक नदियाँ इसमें मिलती हैं। इसके बाद कोसी नदी के नाम से यह शिवालिक को पार करके मैदान में उतरती है तथा बिहार राज्य से बहती हुई गंगा में मिल जाती है। अमरकंटक पहाड़ी से निकलकर सोन नदी पटना के पास गंगा में मिलती है। मध्य प्रदेश के मऊ के निकट जनायाब पर्वत से निकलकर चम्बल नदी इटावा से ३८ किलोमीटर की दूरी पर यमुना नदी में मिलती है। काली सिंध, बनास और पार्वती इसकी सहायक नदियाँ हैं। बेतवा नदी मध्य प्रदेश में भोपाल से निकलकर उत्तर-पूर्वी दिशा में बहती हुई भोपाल, विदिशा, झाँसी, जालौन आदि जिलों में होकर बहती है। इसके ऊपरी भाग में कई झरने मिलते हैं किन्तु झाँसी के निकट यह काँप के मैदान में धीमे-धीमें बहती है। इसकी सम्पूर्ण लम्बाई ४८० किलोमीटर है। यह हमीरपुर के निकट यमुना में मिल जाती है। इसे प्राचीन काल में वत्रावटी के नाम से जाना जाता था। भागीरथी नदी के दायें किनारे से मिलने वाली अनेक नदियों में बाँसलई, द्वारका, मयूराक्षी, रूपनारायण, कंसावती और रसूलपुर नदियाँ प्रमुख हैं। जलांगी और माथा भाँगा या चूनीं बायें किनारे से मिलती हैं जो अतीत काल में गंगा या पद्मा की शाखा नदियाँ थीं। किन्तु ये वर्तमान समय में गंगा से पृथक होकर वर्षाकालीन नदियाँ बन गई हैं। .

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कमला नदी

कमला नदी नेपाल से उत्पन्न होकर मुख्यतः भारत के बिहार राज्य में बहने वाली एक नदी है। यह नदी मिथिलांचल में गंगा नदी के बाद सर्वाधिक पुण्यदायिनी तथा महत्वपूर्ण उर्वरा-शक्ति युक्त मानी जाती है। .

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कुमाऊँ मण्डल

यह लेख कुमाऊँ मण्डल पर है। अन्य कुमाऊँ लेखों के लिए देखें कुमांऊॅं उत्तराखण्ड के मण्डल कुमाऊँ मण्डल भारत के उत्तराखण्ड राज्य के दो प्रमुख मण्डलों में से एक हैं। अन्य मण्डल है गढ़वाल। कुमाऊँ मण्डल में निम्न जिले आते हैं:-.

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कौसानी

कौसानी से दृश्यमान हिमालय पर्वतशृंखला कौसानी, गरुङ तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के बागेश्वर जिले का एक गाँव है। भारत का खूबसूरत पर्वतीय पर्यटक स्‍थल कौसानी उत्तराखंड राज्‍य के अल्‍मोड़ा जिले से 53 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। यह बागेश्वर जिला में आता है। हिमालय की खूबसूरती के दर्शन कराता कौसानी पिंगनाथ चोटी पर बसा है। यहां से बर्फ से ढ़के नंदा देवी पर्वत की चोटी का नजारा बडा भव्‍य दिखाई देता हैं। कोसी और गोमती नदियों के बीच बसा कौसानी भारत का स्विट्जरलैंड कहलाता है। यहां के खूबसूरत प्राकृतिक नजारे, खेल और धार्मिक स्‍थल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। .

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कोदारी

कोदारी नेपाल-चीन सीमा पर एक गाँव है जो तिब्बत स्वशासित प्रदेश से लगा हुआ है। कोदारी बागमती अंचल के सिंधुपालचोक जिला में स्थित है। इसके दूसरी तरफ़ झांगमु कस्बा है जो तिब्बत स्वशाषित प्रदेश के न्यालम प्रदेश में स्थित है। .

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कोशी अंचल

कोशी अंचल नेपाल के पुर्वांचल नेपाल में उत्तर से दक्षिण की ओर लंबाकार फैला हुआ है। इस प्रान्त के पूर्व में मेची प्रान्त दक्षीण में भारतीय राज्य बिहार पश्चिम में सगरमाथा प्रान्त तथा उत्तर में चीन का स्वशासित क्षेत्र तिब्बत स्थित है। नेपाल की सब से बड़ी नदी कोशी नदी के नाम से इस अंचल का नाम रखा गया है। इस प्रान्त में संखुआसभा जिला, भोजपुर जिला, धनकुटा जिला, तेरहाथुम जिला, सुनसरी जिला व मोरंग जिला स्थित हैं। इस प्रान्त के अन्य प्रमुख नगर हैं- धरान, विराटनगर, धनकुटा, इटहरी, खाँदवारी, म्यागलुंग, भोजपुर (नेपाल), दिगंला, लेटांग, बसन्तपुर और रंगेली। .

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कोसी परियोजना

कोसी परियोजना भारत की एक प्रमुख नदी घाटी परियोजना है। .

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कोसी बाँध

कोसी नदी पर सन १९५८ एवं १९६२ के बीच एक बाँध (बराज) बनाया गया। यह बाँध भारत-नेपाल सीमा के पास नेपाल में स्थित है। इसमें पानी के बहाव के नियंत्रण के लिये ५२ द्वार बने हैं जिन्हें नियंत्रित करने का कार्य भारत के अधिकारी करते हैं। इस बाँध के थोड़ा आगे (नीचे) भारतीय सीमा में भारत ने तटबन्ध बनाये हैं। .

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अपवाह तन्त्र

डेल्टाई भाग में अपवाह तंत्र अपवाह तन्त्र या प्रवाह प्रणाली (drainage system) किसी नदी तथा उसकी सहायक धाराओं द्वारा निर्मित जल प्रवाह की विशेष व्यवस्था है।सोनल गुप्ता - यह एक तरह का जालतन्त्र या नेटवर्क है जिसमें नदियाँ एक दूसरे से मिलकर जल के एक दिशीय प्रवाह का मार्ग बनती हैं। किसी नदी में मिलने वाली सारी सहायक नदियाँ और उस नदी बेसिन के अन्य लक्षण मिलकर उस नदी का अपवाह तन्त्र बनाते हैं। .

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अरुण नदी

अरुण नदी कोसी नदी की एक महत्वपूर्ण उपनदी है। यह तिब्बत के शिगात्से विभाग के न्यालाम ज़िले में महालंगूर हिमाल की ढलानों में उत्पन्न होती है, जहाँ इसे फुंग चु और बुम चु के नाम से जाना जाता है और फिर यह नेपाल मे प्रवेश करती है, जहाँ इसका अधिकांश मार्ग स्थित है। .

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उत्तराखण्ड

उत्तराखण्ड (पूर्व नाम उत्तरांचल), उत्तर भारत में स्थित एक राज्य है जिसका निर्माण ९ नवम्बर २००० को कई वर्षों के आन्दोलन के पश्चात भारत गणराज्य के सत्ताइसवें राज्य के रूप में किया गया था। सन २००० से २००६ तक यह उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था। जनवरी २००७ में स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य का आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखण्ड कर दिया गया। राज्य की सीमाएँ उत्तर में तिब्बत और पूर्व में नेपाल से लगी हैं। पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश इसकी सीमा से लगे राज्य हैं। सन २००० में अपने गठन से पूर्व यह उत्तर प्रदेश का एक भाग था। पारम्परिक हिन्दू ग्रन्थों और प्राचीन साहित्य में इस क्षेत्र का उल्लेख उत्तराखण्ड के रूप में किया गया है। हिन्दी और संस्कृत में उत्तराखण्ड का अर्थ उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है। राज्य में हिन्दू धर्म की पवित्रतम और भारत की सबसे बड़ी नदियों गंगा और यमुना के उद्गम स्थल क्रमशः गंगोत्री और यमुनोत्री तथा इनके तटों पर बसे वैदिक संस्कृति के कई महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं। देहरादून, उत्तराखण्ड की अन्तरिम राजधानी होने के साथ इस राज्य का सबसे बड़ा नगर है। गैरसैण नामक एक छोटे से कस्बे को इसकी भौगोलिक स्थिति को देखते हुए भविष्य की राजधानी के रूप में प्रस्तावित किया गया है किन्तु विवादों और संसाधनों के अभाव के चलते अभी भी देहरादून अस्थाई राजधानी बना हुआ है। राज्य का उच्च न्यायालय नैनीताल में है। राज्य सरकार ने हाल ही में हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये कुछ पहल की हैं। साथ ही बढ़ते पर्यटन व्यापार तथा उच्च तकनीकी वाले उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए आकर्षक कर योजनायें प्रस्तुत की हैं। राज्य में कुछ विवादास्पद किन्तु वृहत बाँध परियोजनाएँ भी हैं जिनकी पूरे देश में कई बार आलोचनाएँ भी की जाती रही हैं, जिनमें विशेष है भागीरथी-भीलांगना नदियों पर बनने वाली टिहरी बाँध परियोजना। इस परियोजना की कल्पना १९५३ मे की गई थी और यह अन्ततः २००७ में बनकर तैयार हुआ। उत्तराखण्ड, चिपको आन्दोलन के जन्मस्थान के नाम से भी जाना जाता है। .

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उदाकिशनगंज प्रखण्ड (मधेपुरा)

21 मई 1983 को अनुमंडल का दर्जा प्राप्त करने वाला उदाकिशुनगंज अनुमंडल का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक गाथा गौरवशाली रहा है। बताया जाता है कि 16वीं सदी में तत्कालीन छय परगना के अधीन यह इलाका घनघोर जंगल, कोसी नदी और उसकी छाड़न नदियों से आच्छादित था। 16वीं सदी में छोटानागपुर से एक परिवार आकर यहां बसे और विभिन्न जातियों के लोगों को इस क्षेत्र में लाकर बसाया। 1703 ई में उदय सिंह नामक सरदार ने इस क्षेत्र पर आक्रमण कर दिया और अपने कब्जे में ले लिया। उदय सिंह के उत्तराधिकारी ने शाह शुजा से अपने राजस्व का वैधानिक फरमान प्राप्त कर लिया। कालांतर में राजपूत सरदार के बंशज राजा देव सिंह के पुत्रों में जमींदारी का बंटवारा हुआ। बंटवारे में छोटे पुत्र सरदार हसौल सिंह को मौजा शाह आलमनगर प्राप्त हुआ। शाह आलमनगर के तत्कालीन शासक चंदैल वंशजों द्वारा निर्मित दुर्ग और जलाशय आज भी दर्शनीय है। चंदैल शासकों के उत्तराधिकारी आज भी यहां मौजूद है। सहरसा गजेटियर के मुताबिक छय तिरहुत परगना से अलग कर शाह आलमनगर को भागलपुर में मिला दिया गया। 19 मई 1798 को भागलपुर के कलक्टर के कार्यालय से प्राप्त पत्र के मुताबिक 5000 एकड़ जमीन यहां के राजा किशुन सिंह से तत्कालीन सरकार ने जागीरदारों के लिए खरीदी थी। कहा जाता है कि राजा उदय सिंह और राजा किशुन सिंह दोनों भाई के नाम पर ही इस अनुमंडल का नाम उदाकिशुनगंज पड़ा। उदाकिशुनगंज क्षेत्र ऐतिहासिक ही नहीं, बल्कि आजादी के दीवानों की भी धरती रही है। मधेपुरा जिला के ऐतिहासिक सर्वेक्षण के मुताबिक मधेपुरा सहित उदाकिशुनगंज अनुमंडल के तीन दर्जन से अधिक ऐतिहासिक स्थलों को चिन्हित किया गया है। इसमें खुरहान, करामा, पचरासी, मधुकरचक, रजनी, बभनगामा, गमैल आदि ऐतिहासिक स्थल हैं जो उदाकिशुनगंज अनुमंडल के गौरवशाली अतीत को रेखाकित करता है। श्रेणी:बिहार के प्रखण्ड श्रेणी:बिहार.

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उदाकिशुनगंज

260 वर्ग मील में फैले इस उदाकिशुनगंज को 21 मई 1983 को अनुमंडल का दर्जा प्राप्त करने वाला उदाकिशुनगंज अनुमंडल का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक गाथा गौरवशाली रहा है।छह प्रखंडों का प्रतिनिधित्व करने वाले इस अनुमंडल अंतर्गत कुल 76 ग्राम पंचायतें है। उदय सिंह और किशुन सिंह दो भाई थे.

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