1 संबंध: कॉम्पटन प्रभाव।
कॉम्पटन प्रभाव
काम्प्टन प्रभाव कॉम्पटन प्रभाव उच्च आवृत्ति के विद्युतचुंबकीय विकिरण (अर्थात फोटॉन) की पदार्थ के साथ वह अंत:क्रिया (इंटरऐक्शन) है जिसमें मुक्त इलेक्ट्रानों से प्रकीर्ण (स्कैटर) होकर फ़ोटान की ऊर्जा में ह्रास हो जाता है और उनके तरंग आयाम में वृद्धि हो जाती है। प्रकीर्णित विकिरण की तरंगदैर्घ्य केवल प्रकीर्णन के कोण पर निर्भर करती है। कॉम्प्टन प्रभाव के स्पष्टीकरण के लिए 1923 ई. में कांपटन और डेबाई ने स्वतंत्र रूप से यह धारणा अपनाई कि किसी दिशा में चलते हुए फ़ोटान में जो ऊर्जा/संवेग होता है उनका कुल या केवल थोड़ा सा भाग पर दे सकता है। इससे प्रकीर्ण फ़ोटान की ऊर्जा (E.