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कॉकस

सूची कॉकस

कॉकस या कौकसस यूरोप और एशिया की सीमा पर स्थित एक भौगोलिक और राजनैतिक क्षेत्र है। इस क्षेत्र में कॉकस पर्वत शृंखला भी आती है, जिसमें यूरोप का सबसे ऊंचा पहाड़, एल्ब्रुस पर्वत शामिल है। कॉकस के दो मुख्य खंड बताये जाते हैं: उत्तर कॉकस और दक्षिण कॉकस। उत्तर कॉकस में चेचन्या, इन्गुशेतिया, दाग़िस्तान, आदिगेया, काबारदीनो-बल्कारिया, काराचाए-चरकस्सिया, उत्तर ओसेतिया, क्रास्नोदार क्राय और स्ताव्रोपोल क्राय के क्षेत्र आते हैं। दक्षिण कॉकस में आर्मीनिया, अज़रबैजान और जॉर्जिया आते हैं, जिसमें दक्षिण ओसेतिया, अबख़ज़िया और नागोर्नो-काराबाख़ शामिल हैं। .

55 संबंधों: चरकस लोग, चरकसी भाषा, चेचन्या, एल्ब्रुस पर्वत, तमन प्रायद्वीप, तातार लोग, तंदूर, तुर्कमेन लोग, तैमूरी राजवंश, दाग़िस्तान, दक्षिण ओसेतिया, नागोर्नो-काराबाख़, नई भूमि अभियान, नोगाई ख़ान, पूर्वोत्तर कॉकसी भाषाएँ, पूर्वी यूरोप, पूर्वी ईरानी भाषाएँ, बातु ख़ान, भारतीय अमरीकी, मातृवंश समूह एच, मातृवंश समूह एचवी, मातृवंश समूह यु, मातृवंश समूह जे, मातृवंश समूह के, मुराद चतुर्थ, यज़ीदी, योस्त गिप्पेर्त, लाजवर्द, शक, सर-ए-संग, सरमती लोग, सलजूक़ साम्राज्य, साइगा, सिलंग, सुदर्शन चक्र कॉर्प्स, सुनहरा उर्दू, स्ताव्रोपोल क्राय, सोवियत संघ, हाला, विश्व में बौद्ध धर्म, ख़ज़र लोग, गुर्जर, ग्रोज़नी, ओसेती भाषा, आदिगेया, आर्मीनियाई भाषा, क़ाजार राजवंश, कार्तवेली भाषाएँ, काकेशस पर्वत शृंखला, कुर्दी भाषा, ..., क्रास्नोदार क्राय, कूमान लोग, कॉकस के देश, अबख़ाज़िया, उत्तर ओसेतिया-आलानिया सूचकांक विस्तार (5 अधिक) »

चरकस लोग

कुछ चरकस लोग चरकस या अदिगेय कॉकस क्षेत्र की एक जाती और समुदाय है, जो बहुत प्राचीनकाल से कॉकस के इलाक़े के निवासी हैं। चरकस लोगों की अपनी बोली है - चरकसी भाषा। यह लोग सुन्नी इस्लाम के अनुयायी हैं। दुनिया के लगभग आधे चरकस लोग तुर्की में रहते हैं। .

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चरकसी भाषा

कॉकस क्षेत्र के चरकस लोगों की कई भाषाओँ को चरकसी भाषा या चरकस्सी भाषा कहा जाता है -.

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चेचन्या

चेचन्या (Chechnya) या चेचन गणतंत्र (रूसी: Чече́нская Респу́блика, चेचेनस्काया रेस्पुब्लिका) रूस का एक गणतन्त्र है। यह कॉकस क्षेत्र के उत्तरी भाग में स्थित है। सन् १९९१ में सोवियत संघ के विघटन के बाद यहाँ पर अलगाववादियों ने रूस की केन्द्रीय व्यवस्था के विरुद्ध गृहयुद्ध छेड़ दिया था लेकिन समय के साथ-साथ हालात कुछ शांत हुए हैं। यह कैस्पियन सागर से लगभग १०० किमी की दूरी पर स्थित है। .

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एल्ब्रुस पर्वत

एल्ब्रुस पर्वत, जिसके दोनों पश्चिमी और पूर्वी शिखर नज़र आ रहे हैं एल्ब्रुस पर्वत एक सुप्त ज्वालामुखी है जो कॉकस क्षेत्र की कॉकस पर्वत शृंखला में स्थित है। इसके दो शिखर हैं - पश्चिमी शिखर ५,६४२ मीटर (१८,५१० फ़ुट) ऊंचा है और पूर्वी शिखर उस से ज़रा कम ५,६२१ मीटर (१८,४४२ फ़ुट) ऊंचा है। यूरोप और एशिया की सीमा कॉकस के इलाक़े से गुज़रती है और इस बात पर विवाद है के एल्ब्रुस यूरोप में है या एशिया में। अगर इसको यूरोप में माना जाए, तो यह यूरोप का सबसे ऊंचा पर्वत है। एल्ब्रुस रूस के काराचाए-चरकस्सिया क्षेत्र में स्थित है और जॉर्जिया की सीमा के काफ़ी नज़दीक है। .

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तमन प्रायद्वीप

१८७० ईसवी के आसपास बनाया गया रूसी भाषा में तमन प्रायद्वीप का नक़्शा तमन प्रायद्वीप (रूसी: Таманский полуостров, तमनस्कीय पोलूओस्त्रोव; अंग्रेज़ी: Taman Peninsula) रूस के क्रास्नोदार क्राय प्रशासनिक विभाग में स्थित एक प्रायद्वीप है। यह कॉकस क्षेत्र में स्थित है और इसके उत्तर में आज़ोव सागर, पश्चिम में केर्च जलडमरू तथा दक्षिण में कृष्ण सागर आता है। पश्चिम में केर्च जलडमरू के पार युक्रेन के क्रीमिया क्षेत्र का पूर्वतम हिस्सा (जो केर्च प्रायद्वीप कहलाता है) स्थित है। तेम्रयुक (Темрю́к, Temryuk) इस प्रायद्वीप का सबसे बड़ा शहर है। .

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तातार लोग

दिनारा सफीना रूस के लिए टेनिस खेलती हैं और नस्ल से तातार हैं रुसलन चाग़ायेव उज़बेकिस्तान के लिए मुक्केबाज़ी करते हैं और एक तातार हैं तातार या ततार (तातार: ततरलार; रूसी: Татар; अंग्रेज़ी: Tatar) रूसी भाषा और तुर्की भाषाएँ बोलने वाली एक जाति है जो अधिकतर रूस में बसती है। दुनिया भर में इनकी आबादी ७० लाख अनुमानित की गई है, जिनमें से ५५ लाख रूस में रहते हैं। रूस के तातारस्तान प्रांत में २० लाख तातार रहते हैं। रूस के बाहर तातार समुदाय उज़बेकिस्तान, पोलैंड, काज़ाख़स्तान, युक्रेन, ताजिकिस्तान, किर्गिज़स्तान, तुर्कमेनिस्तान, चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका में पाए जाते हैं।, Global Vision Publishing Ho, 2005, ISBN 978-81-8220-062-3,...

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तंदूर

चूल्हे में पकी चपाती अफ्रीका का तन्दूर तंदूर भोजन बनाने का एक उपकरण है जिसका प्रयोग केंद्री, दक्षिण और पश्चिमी एशिया के साथ-साथ कॉकस में किया जाता है। इससे मिली-जुली विधियां मध्य-एशिया, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में भी प्रचलित हैं.

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तुर्कमेन लोग

तुर्कमेन मध्य एशिया में बसने वाली एक तुर्की-भाषी जाति का नाम है। तुर्कमेन लोग मुख्य रूप से तुर्कमेनिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, पूर्वोत्तरी ईरान, सीरिया, इराक़ और उत्तरी कॉकस क्षेत्र में रूस के स्ताव्रोपोल क्राय में रहते हैं। यह तुर्कमेन भाषा बोलते हैं जो तुर्की भाषा-परिवार की ओग़ुज़ शाखा की एक बोली है। कुछ तुर्कमेन लोग तुर्की, अज़ेरी, क़शक़ाई और गागाउज़ भाषाएँ भी बोलते हैं। .

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तैमूरी राजवंश

अपने चरम पर तैमूरी साम्राज्य तैमूरी राजवंश (फ़ारसी:, तैमूरियान), जो स्वयं को 'गुरकानी राजवंश' कहते थे, मध्य एशिया और उत्तरी भारतीय उपमहाद्वीप के विस्तृत इलाक़ों पर राज करने वाला तुर्की-मंगोल नस्ल का एक सुन्नी मुस्लिम वंश था। अपने चरम पर इसके साम्राज्य में समस्त ईरान, अफ़्ग़ानिस्तान और उज़बेकिस्तान के साथ-साथ पाकिस्तान, उत्तर भारत, आनातोलिया, कॉकस और मेसोपोटामिया के बड़े भूभाग शामिल थे। इस राजवंश की नीव १४वीं शताब्दी ईसवी में तैमूरलंग नामक आक्रामक और विजेता ने रखी थी।, Maria Subtelny, BRILL, 2007, ISBN 978-90-04-16031-6 १६वीं सदी में उज़बेकिस्तान की फ़रग़ना वादी से भारत पर आक्रमण करके मुग़ल सलतनत की स्थापना करने वाला बाबर भी इसी तैमूरी राजवंश का हिस्सा था। क्योंकि तैमूरलंग को अक्सर 'अमीर तैमूर' कहा जाता था इसलिए इस राजघराने के वंशज अपने नामों में अक्सर 'मिर्ज़ा' जोड़ लिया करते थे जो 'अमीरज़ादा' (यानि 'अमीर का पुत्र') का संक्षिप्त रूप है।, Mansura Haidar, Mukhtar Ahmad Ansari, Department of History, Jamia Millia Islamia (India), Aakar Books, 2003, ISBN 978-81-87879-11-4,...

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दाग़िस्तान

दाग़िस्तान का नक़्शा दाग़िस्तान (रूसी: Респу́блика Дагеста́н, रिसपुबलीका दागेस्तान) उत्तरी कॉकस क्षेत्र में स्थित रूस का एक राज्य है। भाषा और जाती के नज़रिए से इस प्रदेश में बहुत विविधता है। यहाँ ज़्यादातर कॉकसी, अल्ताई और ईरानी भाषाएँ बोली जाती हैं। यहाँ की सब से बड़ी जातियाँ अवर, दरगिन, कुमिक, लज़गी और लाक हैं। हालांकि यहाँ के केवल ४। ७% लोग रूसी हैं, फिर भी रूसी यहाँ की राजभाषा है। समय-समय पर इस इलाक़े में समुदायों के बीच तनाव का वातावरण और झड़पें होती रहती हैं और आतंकवाद के भी हादसे होते रहते हैं। इसका सरकारी नाम "दाग़िस्तान गणराज्य" है। गणराज्य, रूस के अवरोही क्रम में दूसरे स्तर के विभाग होते हैं। दाग़िस्तान की राजधानी मख़ाचक़ला है। .

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दक्षिण ओसेतिया

दक्षिण ओसेतिया कॉकस क्षेत्र के दक्षिणी भाग में स्थित एक राज्य है जिसके राजनैतिक रुतबे पर विवाद जारी है। सोवियत संघ के ज़माने में यह जॉर्जिया का भाग हुआ करता था और इसे एक स्वशासित ओब्लास्त का दर्जा मिला हुआ था। सन् 1990 में दक्षिण ओसेतिया ने अपनी स्वतंत्रता घोषित कर दी और अपने आप को "दक्षिण ओसेतिया गणतंत्र" बुलाने लगा। जॉर्जिया ने दक्षिण ओसेतिया का स्वशासित दर्जा समाप्त कर दिया और उसपर ज़बरदस्ती क़ब्ज़ा करने की कोशिश की। 1991-1992 में यह जंग चलती रही। 2004 और 2008 में फिर लड़ाई छिड़ी, जिसके अंत में दक्षिण ओसेतिया के अलगाववादियों ने, रूसी सहायता के साथ दक्षिण ओसेतिया पर अपना नियंत्रण बना लिया। रूस, निकरागुआ, वेनेज़ुएला और नाउरु दक्षिण ओसेतिया को एक स्वतन्त्र राष्ट्र मानते हैं। जॉर्जिया उसे एक अलगाववादी प्रांत मानता है जिसने नाजायज़ ढंग से आज़ादी ली हुई है। .

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नागोर्नो-काराबाख़

नागोर्नो-काराबाख़ दक्षिण कॉकस के इलाक़े में स्थित एक क्षेत्र है। यह कॉकस पर्वत शृंखला की हीनकॉकस पहाडियों में आता है। इसका ज़्यादातर हिस्सा पहाड़ी है और वनों से भरपूर है। इसका क्षेत्रफल लगभग ४,४०० वर्ग किमी है। अज़रबैजान इस अपना हिस्सा मानता है और औपचारिक रूप से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इसे उस देश का हिस्सा माना जाता है। यहाँ पर अज़रों की बजाए अर्मेनियाई लोगों की बहुतायत है और, आर्मीनिया की मदद से सन् १९९१ के बाद से नागोर्नो-काराबाख़ अपने-आप को वास्तविकता में अज़रबैजान से अलग कर चुका है और स्वतन्त्र राष्ट्र की तरह अपने मामले संभालता है। उसने अपना नाम "नागोर्नो-काराबाख़ गणतंत्र" रखा हुआ है जिस से अज़रबैजान को सख़्त आपत्ति है। इस मतभेद को सुलझाने के लिए अज़रबैजान और आर्मीनिया की सरकारों में समय-समय पर बातचीत के दौर चलते रहते हैं। .

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नई भूमि अभियान

सोवियत डाक टिकट जिसपर रूसी भाषा में 'नई भूमि पर विजय करने वालों को नमस्कार' लिखा हुआ है नई भूमि अभियान (रूसी: Освоение целины, ओस्वोएनिए त्सेलिन्य; अंग्रेज़ी: Virgin Lands Campaign) सोवियत संघ में १९५० और १९६० के दशकों में अन्न की सख़्त कमी से निबटने के लिए मध्य एशिया, उत्तरी कॉकस और पश्चिमी साइबेरिया के विशाल स्तेपी मैदानी क्षेत्रों में नए सिरे से कृषि शुरू करने की योजना का नाम था। इसका उद्घाटन १९५३ में उस समय के सोवियत नेता निकिता ख़्रुशचेव​ ने किया था। इसके अंतर्गत दसियों हज़ार वर्ग किमी क्षेत्रफल की ज़मीन पर सिंचाई और अनाज उगाने का काम आरम्भ किया गया। .

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नोगाई ख़ान

नोगाई ख़ान (मंगोल: Ногай хан; अंग्रेजी: Nogai Khan;; देहांत: १२९९ ई) एक मंगोल सिपहसालार और सुनहरा उर्दू नामक मंगोल ख़ानत का असली शासक भी था। नोगाई का दादा बाउल ख़ान (उर्फ़ तेवल ख़ान) था जो जोची ख़ान का ७वाँ बेटा था। इस लिहाज़ से नोगाई मंगोल साम्राज्य के मशहूर संस्थापक चंगेज़ ख़ान का पड़-पड़-पोता था। .

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पूर्वोत्तर कॉकसी भाषाएँ

पूर्वोत्तर कॉकसी भाषाएँ (Northeast Caucasian languages) या नाख़-दाग़िस्तानी भाषाएँ (Nakh-Daghestanian languages) कॉकस क्षेत्र में रूस के दाग़िस्तान, चेचन्या और इंगुशेतिया गणतंत्रों तथा उत्तरी अज़रबैजान में बोला जाने वाला एक भाषा परिवार है। यह उत्तर कैस्पियाई भाषाएँ (North Caspian languages) भी कहलाती हैं। जहाँ तक भाषावैज्ञानिकों को ज्ञात है, यह भाषा-परिवार विश्व के अन्य सभी भाषा परिवारों से बिलकुल भिन्न है, हालांकि इनकी भाषाओं में अन्य भाषा-परिवारों के कुछ ऋणशब्द ज़रूर प्रयोग होते हैं। .

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पूर्वी यूरोप

पूर्वी यूरोप यूरोप के महाद्वीप का पूर्वी भाग है। इसकी सीमाओं पर आम सहमति न होने के कारण इसमें सम्मिलित देशों व क्षेत्रों की कोई सर्वस्विकृत सूची नहीं है। अक्सर इसमें यूरोप के वह देश आते हैं जो या तो भूतपूर्व सोवियत संघ के भाग थे या उसके प्रभाव में थे। इनमें रूस, यूक्रेन, बेलारूस, पोलैण्ड, बुल्गारिया, चेक गणतंत्र, स्लोवाकिया, एस्टोनिया, लातविया, लिथुएनिया, हंगरी और मोल्दोवा सम्मिलित हैं। कुछ स्रोतों में अल्बानिया और भूतपूर्व यूगोस्लाविया के विखंडन से बने देश - सर्बिया, मासेदोनिया, स्लोवीनिया, क्रोएशिया, बोस्निया - भी शामिल हैं। लगभग सभी परिभाषाओं में यूराल पर्वतमाला, यूराल नदी और कॉकस क्षेत्र पूर्वी यूरोप की पूर्वतम सीमा माने जाते हैं। .

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पूर्वी ईरानी भाषाएँ

पूर्वी ईरानी भाषाएँ ईरानी भाषा-परिवार की एक उपशाखा हैं जो मध्य ईरानी काल (लगभग चौथी शताब्दी ईसापूर्व) से उभरीं। अवस्ताई भाषा अक्सर इस शाखा की एक प्राचीनतम सदस्या मानी जाती है। आधुनिक काल में सब से ज़्यादा बोली जाने वाली पूर्वी ईरानी भाषा पश्तो है, जिसके दुनिया में लगभग ५ करोड़ मातृभाषी हैं। यह अफ़्ग़ानिस्तान और पश्चिमोत्तरी पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त में बोली जाती है। इसके अलावा पूर्वी ताजिकिस्तान के कूहिस्तोनी-बदख़्शान स्वशासित प्रान्त और चीन के सुदूर पश्चिमी शिनजियांग प्रान्त में भी पूर्वी ईरानी भाषाएँ बोली जाती हैं। प्राचीन सोग़दाई से विकसित हुई पश्चिमोत्तरी ताजिकिस्तान की यग़नोबी भाषा और स्किथी-सरमती से विकसित हुई कॉकस क्षेत्र की ओसेती भाषा भी दोनों पूर्वी ईरानी भाषाएँ मानी जाती हैं।, Thomas Albert Sebeok, Walter de Gruyter, 1970,...

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बातु ख़ान

222px बातु ख़ान (मंगोल: Бат Хаан, बात ख़ान; अंग्रेजी: Batu Khan;; जन्म: १२०७ ई अनुमानित; देहांत: १२५५ ई) एक मंगोल शासक था और सुनहरा उर्दू नामक साम्राज्य का संस्थापक था जो मंगोल साम्राज्य के अधीन एक ख़ानत थी। बातु ख़ान जोची ख़ान का पुत्र और मंगोल साम्राज्य के संस्थापक चंगेज़ ख़ान का पोता था। 'बातु' या 'बात' शब्द का अर्थ मंगोल भाषा में 'कड़ा' या 'दृढ़' होता है। उसके द्वारा शुरू किये गए साम्राज्य का रूस, पूर्वी यूरोप और कॉकस के बड़े भाग पर लम्बे अरसे तक राज रहा। चंगेज़ ख़ान के पुत्रों कि मृत्य के बाद बातु ख़ान ही उस साम्राज्य का सबसे आदरणीय राजकुंवर बना और उसे 'आग़ा' (अर्थ: बड़े भाईसाहब) के नाम से जाना जाता था।, David Morgan, John Wiley & Sons, 2007, ISBN 978-1-4051-3539-9,...

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भारतीय अमरीकी

अमरीका में बसे १७ लाख भारतीय अमेरिकी भारत और अमेरिका के बीच मजबूत कङी बनाते हैं। सैनफ्रांसिस्को-लॉस एंजेलस, न्यूयॉर्क-न्यू जर्सी, शिकागो, डैट्रायट, ह्यूस्टन, एटलांटा, मायामी-आरलैंडो-टैंपा और वाशिंगटन डी. सी. के बड़े क्षेत्र में उनकी उल्लेखनीय उपस्थिति है। १९६० और १९७० के दशकों में अमरीका आए पहले भारतीयों में डॉक्टर, वैज्ञानिक और इंजीनियर (अभियान्त्रक) जैसे पेशों के लोग थे पर हाल ही में बहुत से अन्य पेशों के लोग भी आने लगे हैं। भारतीय अमेरिकियों ने बहुत सी संस्थाएं और संगठन बनाये हुए हैं जो मुख्य रूप से भाषा के आधार पर और कुछेक व्यवसाय के आधार पर बनाये गये हैं। संपन्नता बढ़ने से, ख़ासकर सूचना तकनीक और बायोटेक्नोलॉजी क्षेत्रों में, यह समुदाय राजनीति के क्षेत्र में भी लगातार सक्रीय भूमिका निभा रहे हैं। भारतीय अमेरिकी समुदाय की बढ़ती हुई राजनीतिक चेतना और प्रभाव का एक महत्वपूर्ण परिणाम कांग्रेशनल कॉकस ऑन इंडिया एंड इंडियन अमेरिकन्स के रूप में सामने आया है। निचले सदन में इस कॉकस के सदस्यों की संख्या १३० है और सदन में यह किसी एक देश से संबंधित सबसे बड़ा गुट है। इस गुट और भारतीय अमेरिकी समुदाय दोनों की भूमिका महत्वपूर्ण है और उनकी कोशिश है कि दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश अतीत को भुला दें और अपनी नीतियों और हितों में मजबूत तालमेल बनायें श्रेणी:भारतीय अमेरिकी.

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मातृवंश समूह एच

लगभग १०% पंजाबी लोग मातृवंश समूह एच के वंशज होते हैं मनुष्यों की आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक्स) में मातृवंश समूह एच या माइटोकांड्रिया-डी॰एन॰ए॰ हैपलोग्रुप H एक मातृवंश समूह है। यूरोप में यह सब से अधिक पाया जाने वाले मातृवंश है। यूरोप के ५०%, मध्य पूर्व और कॉकस के २०%, ईरान के १७% और पाकिस्तान, उत्तर भारत और मध्य एशिया के १०% से ज़रा कम लोग इस मातृवंश के वंशज हैं। फ़ारस की खाड़ी के इर्द-गिर्द के इलाक़ों में भी १०% से ज़रा कम लोग इसके वंशज हैं। वैज्ञानिकों की मान्यता है के जिस स्त्री के साथ इस मातृवंश की शुरुआत हुई वह आज से क़रीब २५,००० से ३०,००० साल पहले मध्य पूर्व में कहीं रहती थी। .

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मातृवंश समूह एचवी

कॉकस क्षेत्र के लोग अक्सर मातृवंश समूह एचवी के वंशज होते हैं मनुष्यों की आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक्स) में मातृवंश समूह एचवी या माइटोकांड्रिया-डी॰एन॰ए॰ हैपलोग्रुप HV एक मातृवंश समूह है। मातृवंश समूह एच और मातृवंश समूह वी इसी से उत्पन्न हुई बड़ी उपशाखाएँ हैं। मातृवंश समूह एचवी मध्य पूर्व, दक्षिण रूस के कॉकस क्षेत्र, ईरान और अनातोलिया में काफ़ी लोगों में पाया जाता है। इसके अलावा इसके वंशज हलकी मात्रा में भारत और इर्द-गिर्द के इलाक़ों में और दक्षिण यूरोप के कुछ क्षेत्रों में भी मिलते हैं। अनुमान है के जिस स्त्री से यह मातृवंश शुरू हुआ वह आज से लगभग २५,००० से ३०,००० वर्ष पहले मध्य पूर्व या कॉकस क्षेत्र की निवासी थी।B.

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मातृवंश समूह यु

स्पेन के रोमा समुदाय के बहुत से लोग मातृवंश समूह यु के वंशज होते हैं मनुष्यों की आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक्स) में मातृवंश समूह यु या माइटोकांड्रिया-डी॰एन॰ए॰ हैपलोग्रुप U एक मातृवंश समूह है। इस मातृवंश का फैलाव भारत, मध्य पूर्व, कॉकस, यूरोप और उत्तरी अफ़्रीका में है। भारत में इसकी यु२ उपशाखा काफ़ी पायी जाती है, जो मध्य एशिया और यूरोप में भी मिलती है - यहाँ तक की यही उपशाखा एक ३०,००० साल पुराने रूसी शिकारी के शव में भी मिली है। स्पेन और पोलैंड के रोमा लोगों में ३०-६५% इसकी यु३ उपशाखा के वंशज पाए गए हैं। वैज्ञानिकों ने अंदाज़ा लगाया है के जिस स्त्री के साथ मातृवंश समूह पी शुरू हुआ वह आज से लगभग ५५,००० वर्ष पूर्व मध्य पूर्व में रहती थी। .

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मातृवंश समूह जे

मध्य पूर्व के क़रीब १२% लोग मातृवंश समूह जे के वंशज होते हैं मनुष्यों की आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक्स) में मातृवंश समूह जे या माइटोकांड्रिया-डी॰एन॰ए॰ हैपलोग्रुप J एक मातृवंश समूह है। मध्य पूर्व के १२% लोग, यूरोप के ११% लोग, कॉकस क्षेत्र के ८% लोग और उत्तरी अफ़्रीका के ६% लोग इस मातृवंश के वंशज पाए गए हैं। भारतीय उपमहाद्वीप में पाकिस्तान में यह ५% लोगों में पाया गया है और उत्तरी पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान की कलश जनजाति के ९% लोगों में। वैज्ञानिकों की मान्यता है के जिस स्त्री के साथ इस मातृवंश की शुरुआत हुई वह आज से क़रीब ४५,००० साल पहले पश्चिमी एशिया में कहीं रहती थी। ध्यान दें के कभी-कभी मातृवंशों और पितृवंशों के नाम मिलते-जुलते होते हैं (जैसे की पितृवंश समूह जे और मातृवंश समूह जे), लेकिन यह महज़ एक इत्तेफ़ाक है - इनका आपस में कोई सम्बन्ध नहीं है। यह पाया गया है कुछ मातृवंश समूह जे की उपशाखाओं में माइटोकांड्रिया के डी॰एन॰ए॰ में ऐसे उत्परिवर्तन (या म्युटेशन) मौजूद हैं जिनसे नौजवान आदमियों में "लॅबॅर की ऑप्टिक हॅरॅडिटरी न्यूरोपैथी" नाम की बिमारी की सम्भावनाएँ ज़्यादा होती हैं, जिसमें नज़र का केन्द्रीय अंधापन हो जाता है (यानि जहाँ सीधे देख रहें हो वो चीज़ नज़र नहीं आती लेकिन इर्द-गिर्द की चीजें नज़र आती हैं)। .

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मातृवंश समूह के

सीरिया के द्रूज़ समुदाय के १६% लोग मातृवंश समूह के के वंशज होते हैं मनुष्यों की आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक्स) में मातृवंश समूह के या माइटोकांड्रिया-डी॰एन॰ए॰ हैपलोग्रुप K एक मातृवंश समूह है। इस मातृवंश का फैलाव भारत, मध्य पूर्व, कॉकस, यूरोप और उत्तरी अफ़्रीका में है। सीरिया और लेबनान के द्रूज़ समुदाय के १६% लोग इसके वंशज हैं। यहूदी लोगों की अशकेनाज़ी शाखा के ३२% लोग इसके वंशज हैं। वैज्ञानिकों ने अंदाज़ा लगाया है के जिस स्त्री के साथ मातृवंश समूह के शुरू हुआ वह आज से लगभग १२,००० वर्ष पूर्व मध्य पूर्व में रहती थी। यह मानना है के इस मातृवंश की उत्पत्ति मातृवंश समूह यु की यु८ शाखा से हुई। .

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मुराद चतुर्थ

मुराद चतुर्थ (مراد رابع, मुराद-ए राबीʿ; 26/27 जुलाई 1612 – 8 फ़रवरी 1640) 1623 से 1640 तक उस्मानिया साम्राज्य के सुल्तान रहे। उन्होंने राज्य पर सुल्तान के शासन की पुनःस्थापना की थी और उन्हें अपने गतिविधियों की क्रूरता के लिए जाने जाते हैं। उनका जन्म क़ुस्तुंतुनिया में हुआ था। वे सुल्तान अहमद प्रथम (दौर: 1603–17) और यूनानी मूल की कौसम सुल्तान के पुत्र थे। उनके चाचा मुस्तफ़ा प्रथम (दौर: 1617–18, 1622–23) को सुल्तान के पद से निकालने की साज़िश कामयाब होने के बाद मुराद चतुर्थ तख़्त पर आसीन हुए। उस वक़्त उनकी उम्र सिर्फ़ 11 साल की थी। उनके दौर में उस्मानी-सफ़वी युद्ध (1623–39) हुआ, जिसके नतीजे में संपूर्ण क़फ़क़ाज़ क्षेत्र दोनों साम्राज्यों के दरमियान विभाजित हुआ। इस विभजन ने लगभग वर्तमान तुर्की-ईरान-इराक़ देशों की सरहदों की नींव रखी। .

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यज़ीदी

लालिश स्थित शेख आदि इब्न मुसाफिर की दरगाह यज़ीदी या येज़ीदी (कुर्दी: या Êzidî, अंग्रेज़ी: Yazidi) कुर्दी लोगों का एक उपसमुदाय है जिनका अपना अलग यज़ीदी धर्म है। इस धर्म में वह पारसी धर्म के बहुत से तत्व, इस्लामी सूफ़ी मान्यताओं और कुछ ईसाई विश्वासों के मिश्रण को मानते हैं। इस धर्म की शुरुआत १२वीं सदी ईसवी में शेख़ अदी इब्न मुसाफ़िर ने की और इसके अनुसार ईश्वर ने दुनिया का सृजन करने के बाद इसके देख-रेख सात फरिश्तों के सुपुर्द करी जिनमें से प्रमुख को 'मेलेक ताऊस', यानि 'मोर (पक्षी) फ़रिश्ता' है। अधिकतर यज़ीदी लोग पश्चिमोत्तरी इराक़ के नीनवा प्रान्त में बसते हैं, विशेषकर इसके सिंजार क्षेत्र में। इसके अलावा यज़ीदी समुदाय दक्षिणी कॉकस, आर्मेनिया, तुर्की और सीरिया में भी मिलते हैं। .

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योस्त गिप्पेर्त

योस्त गिप्पेर्त (Jost Gippert,; (जन्म १२ मार्च १९५६, विन्ज़-नीदेर्वेनिगेर्न में, अभी हत्तिनगेन) योहान वुल्फगांग गेटे यूनिवर्सिटी फ़्रैंकफ़र्ट (जर्मनी) में प्रयोगात्मक भाषाविज्ञान के संस्थान में तुलनात्मक भाषाविज्ञान के प्रोफ़ेसर हैं। योस्त गिप्पेर्त भाषा- एवं कॉकस-वैज्ञानिक और लेखक भी हैं। .

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लाजवर्द

लाजवर्द का एक नमूना - प्राचीन भारतीय सभ्यता में यह नवरत्नों में से एक था लाजवर्द या राजावर्त (अंग्रेज़ी: Lapis lazuli, लैपिस लैज़्यूली) एक मूल्यवान नीले रंग का पत्थर है जो प्राचीनकाल से अपने सुन्दर नीले रंग के लिए पसंद किया जाता है। कई स्रोतों के अनुसार प्राचीन भारतीय संस्कृति में जिन नवरत्नों को मान्यता दी गई थी उनमें से एक लाजवर्द था। भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार लाजवर्द शुक्र ग्रह का प्रतीक है।, William Goonetilleke, pp.

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शक

सरमतिया मध्य एशिया का भौतिक मानचित्र, पश्चिमोत्तर में कॉकस से लेकर पूर्वोत्तर में मंगोलिया तक स्किथियों के सोने के अवशेष, बैक्ट्रिया की तिलिया तेपे पुरातन-स्थल से ३०० ईसापूर्व में मध्य एशिया के पज़ियरिक क्षेत्र से शक (स्किथी) घुड़सवार शक प्राचीन मध्य एशिया में रहने वाली स्किथी लोगों की एक जनजाति या जनजातियों का समूह था। इनकी सही नस्ल की पहचान करना कठिन रहा है क्योंकि प्राचीन भारतीय, ईरानी, यूनानी और चीनी स्रोत इनका अलग-अलग विवरण देते हैं। फिर भी अधिकतर इतिहासकार मानते हैं कि 'सभी शक स्किथी थे, लेकिन सभी स्किथी शक नहीं थे', यानि 'शक' स्किथी समुदाय के अन्दर के कुछ हिस्सों का जाति नाम था। स्किथी विश्व के भाग होने के नाते शक एक प्राचीन ईरानी भाषा-परिवार की बोली बोलते थे और इनका अन्य स्किथी-सरमती लोगों से सम्बन्ध था। शकों का भारत के इतिहास पर गहरा असर रहा है क्योंकि यह युएझ़ी लोगों के दबाव से भारतीय उपमहाद्वीप में घुस आये और उन्होंने यहाँ एक बड़ा साम्राज्य बनाया। आधुनिक भारतीय राष्ट्रीय कैलंडर 'शक संवत' कहलाता है। बहुत से इतिहासकार इनके दक्षिण एशियाई साम्राज्य को 'शकास्तान' कहने लगे हैं, जिसमें पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, सिंध, ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा और अफ़्ग़ानिस्तान शामिल थे।, Vesta Sarkhosh Curtis, Sarah Stewart, I.B.Tauris, 2007, ISBN 978-1-84511-406-0,...

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सर-ए-संग

सर-ए-संग (फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Sar-i Sang) उत्तरी अफ़ग़ानिस्तान के बदख़्शान प्रान्त के कूरान व मुन्जान ज़िले में कोकचा नदी की घाटी में स्थित एक बस्ती है। यह अपनी लाजवर्द (लैपिस लैज़्यूली) की खान के लिए मशहूर है जहाँ से हज़ारों सालों से यह मूल्यवान पत्थर निकाला जा रहा है। प्राचीन दुनिया में साइबेरिया की छोटी-मोटी दो-एक खानों को छोड़कर यह विश्व का एकमात्र लाजवर्द का स्रोत होता था। सर-ए-संग का लाजवर्द दुनिया का सब से उत्तम कोटि का लाजवर्द माना जाता है। २००० ईसापूर्व में अपने चरम पर सिन्धु घाटी सभ्यता ने भी यहाँ के शोरतुगई इलाक़े के पास एक व्यापारिक बस्ती बनाई थी जिसके ज़रिये लाजवर्द भारतीय उपमहाद्वीप के अलावा प्राचीन मिस्र और मेसोपोटामिया की सभ्यताओं तक भी पहुँचाया जाता था।, Peter Roger Moorey, Eisenbrauns, pp.

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सरमती लोग

सरमती लोग स्किथी लोगों के सुदूर पश्चिमी क्षेत्र में बसते थे सरमती लोग (लातिनी: Sarmatæ, फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Sarmatian) प्राचीनकाल में दक्षिणी रूस, युक्रेन और बाल्कन प्रदेश में बसने वाली एक जाति थी। सरमती ईरानी भाषाएँ बोलते थे और इस क्षेत्र में इनका प्रभाव पाँचवी शताब्दी ईसापूर्व से चौथी शताब्दी ईसवी तक रहा। यह स्किथी लोगों के पश्चिम में थे और उनसे सम्बंधित थे इसलिए कभी-कभी इन दोनों जातियों को इकट्ठे स्किथी-सरमती बुलाया जाता है। अपने चरम पर सरमती लोग पश्चिम में विस्चुला नदी से लेकर पूर्व में वोल्गा नदी, कृष्ण सागर और कैस्पियन सागर के छोरों तक और दक्षिण में कॉकस क्षेत्र तक फैले हुए थे। चौथी सदी ईसवी में गॉथ और हूण लोग इनके इलाक़ों में आ घुसे और सरमतियों की शक्ति घटती चली गई। मध्य काल में सरमतियों के वंशज अलान कहलाए जाने लगे और आधुनिक काल में यह ओसेती के नाम से जाने जाते हैं।, Richard Brzezinski, Mariusz Mielczarek, Osprey Publishing, 2002, ISBN 978-1-84176-485-6,...

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सलजूक़ साम्राज्य

'बुर्ज तोग़रोल​' ईरान की राजधानी तेहरान के पास तुग़रिल बेग़​ के लिए १२वीं सदी में बना एक स्मारक बुर्ज है सलजूक़​ साम्राज्य या सेल्जूक साम्राज्य(तुर्की: Büyük Selçuklu Devleti; फ़ारसी:, दौलत-ए-सलजूक़ियान​; अंग्रेज़ी: Seljuq Empire) एक मध्यकालीन तुर्की साम्राज्य था जो सन् १०३७ से ११९४ ईसवी तक चला। यह एक बहुत बड़े क्षेत्र पर विस्तृत था जो पूर्व में हिन्दू कुश पर्वतों से पश्चिम में अनातोलिया तक और उत्तर में मध्य एशिया से दक्षिण में फ़ारस की खाड़ी तक फैला हुआ था। सलजूक़ लोग मध्य एशिया के स्तेपी क्षेत्र के तुर्की-भाषी लोगों की ओग़ुज़​ शाखा की क़िनिक़​ उपशाखा से उत्पन्न हुए थे। इनकी मूल मातृभूमि अरल सागर के पास थी जहाँ से इन्होनें पहले ख़ोरासान​, फिर ईरान और फिर अनातोलिया पर क़ब्ज़ा किया। सलजूक़ साम्राज्य की वजह से ईरान, उत्तरी अफ़्ग़ानिस्तान​, कॉकस और अन्य इलाक़ों में तुर्की संस्कृति का प्रभाव बना और एक मिश्रित ईरानी-तुर्की सांस्कृतिक परम्परा जन्मी।, Jamie Stokes, Anthony Gorman, pp.

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साइगा

साइगा (saiga) एक हिरण है जो मूल रूप से लाखों-करोड़ों की संख्या में यूरेशिया के स्तेपी क्षेत्र के एक विशाल भूभाग में रहा करता था लेकिन अनियंत्रित शिकार किये जाने से अब विलुप्त होने के ख़तरे में हैं। प्राचीनकाल में इनका क्षेत्र पश्चिम में कारपैथी पर्वतों और कॉकस क्षेत्र से लेकर पूर्व में ज़ुन्गारिया और मंगोलिया तक विस्तृत था। अत्यंतनूतन युग (प्लाइस्टोसीन​) में साइगा उत्तर अमेरिका में भी रहते थे। अब इनका क्षेत्र बहुत सिकुड़ चुका है। साइगा की मुख्य उपजाति (S. t. tatarica) रूस के केवल एक स्थान (कैस्पियन-पूर्व क्षेत्र) में और काज़ाख़स्तान के केवल तीन स्थानों (यूराल, उस्त-उर्त, बेतपाक-दाला) में पाई जाती है। काज़ाख़स्तान के उस्तउर्त वाले समुदाय का कुछ अंश सर्दियों में उज़बेकिस्तान और कभी-कभार तुर्कमेनिस्तान में भी, कुछ महीनो के लिए चला जाता है। चीन और दक्षिणपश्चिम मंगोलिया से यह उपजाति विलुप्त हो चुकी है। साइगा की एक और मंगोलियाई उपजाति (S. t. mongolica) है जो केवल पश्चिमी मंगोलिया में ही मिलती है। .

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सिलंग

सिलंग या ख़ुशबूदार ओज़मैनथस (अंग्रेज़ी: Sweet Osmanthus) एक प्रकार का पुष्पीय पौधा है, जो एशिया के शीतोष्ण कटिबन्ध (टेम्परेट ज़ोन) के गर्म भागों में, कॉकस क्षेत्र से लेकर जापान तक उगता है। भारत में यह हिमालय क्षेत्र में मिलता है और इसका प्रयोग बग़ीचों में ख़ुशबू के लिए किया जाता है क्योंकि इसके फूलों में पकी हुई ख़ुबानी से मिलती-जुलती एक लुभावनी सुगंध होती है।, Sir George Watt, Printed by the Superintendent of Government Printing, Government of India,1883,...

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सुदर्शन चक्र कॉर्प्स

के XXI भारतीय कोर में उठाया गया था, फारस 6 जून 1942 के रूप में गठन के भारतीय सेना में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान.

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सुनहरा उर्दू

सन् १३०० ईसवी में सुनहरा उर्दू साम्राज्य (हरे रंग में) सुनहरा उर्दू या सुनहरा झुण्ड (मंगोल: Зүчийн улс, ज़ुची-इन उल्स; अंग्रेज़ी: Golden Horde) एक मंगोल ख़ानत थी जो १३वीं सदी में मंगोल साम्राज्य के पश्चिमोत्तरी क्षेत्र में शुरू हुई थी और जिसे इतिहासकार मंगोल साम्राज्य का हिस्सा मानते हैं। इसे किपचक ख़ानत और जोची का उलुस भी कहा जाता था। यह ख़ानत १२४० के दशक में स्थापित हुई और सन् १५०२ तक चली। यह अपने बाद के काल में तुर्की प्रभाव में आकर एक तुर्की-मंगोल साम्राज्य बन चला था। इस साम्राज्य की नीव जोची ख़ान के पुत्र (और चंगेज़ ख़ान के पोते) बातु ख़ान ने रखी थी। अपने चरम पर इस ख़ानत में पूर्वी यूरोप का अधिकतर भाग और पूर्व में साइबेरिया में काफ़ी दूर तक का इलाक़ा शामिल था। दक्षिण में यह कृष्ण सागर के तट और कॉकस क्षेत्र तक विस्तृत थी। इसकी दक्षिण सीमाएँ इलख़ानी साम्राज्य नाम की एक अन्य मंगोल ख़ानत से लगती थीं।, David Morgan, John Wiley & Sons, 2007, ISBN 978-1-4051-3539-9,...

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स्ताव्रोपोल क्राय

स्ताव्रोपोल क्राय (रूसी: Ставропо́льский край, स्ताव्रोपोलस्की क्राय) कॉकस क्षेत्र में स्थित रूस की संघीय प्रणाली में एक क्राय है, जो एक प्रान्त जैसा प्रशासनिक विभाग होता है। इसका प्रशासनिक केंद्र स्ताव्रोपोल का शहर है। इस प्रांत में कॉकस पर्वत शृंखला की महाकॉकस श्रेणी का अधिकाँश भाग आता है। सन् 2002 में हुई जनगणना के अनुसार यहाँ 27,35,139 निवासी हैं जिनमें से 81.6% लोग रूसी समुदाय के हैं। इस क्राय का क्षेत्रफल 66,500 वर्ग किमी है जो भारत के झारखंड राज्य से ज़रा छोटा है। .

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सोवियत संघ

सोवियत संघ (रूसी भाषा: Сове́тский Сою́з, सोवेत्स्की सोयूज़; अंग्रेज़ी: Soviet Union), जिसका औपचारिक नाम सोवियत समाजवादी गणतंत्रों का संघ (Сою́з Сове́тских Социалисти́ческих Респу́блик, Union of Soviet Socialist Republics) था, यूरेशिया के बड़े भूभाग पर विस्तृत एक देश था जो १९२२ से १९९१ तक अस्तित्व में रहा। यह अपनी स्थापना से १९९० तक साम्यवादी पार्टी (कोम्युनिस्ट पार्टी) द्वारा शासित रहा। संवैधानिक रूप से सोवियत संघ १५ स्वशासित गणतंत्रों का संघ था लेकिन वास्तव में पूरे देश के प्रशासन और अर्थव्यवस्था पर केन्द्रीय सरकार का कड़ा नियंत्रण रहा। रूसी सोवियत संघीय समाजवादी गणतंत्र (Russian Soviet Federative Socialist Republic) इस देश का सबसे बड़ा गणतंत्र और राजनैतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक केंद्र था, इसलिए पूरे देश का गहरा रूसीकरण हुआ। यही कारण रहा कि विदेश में भी सोवियत संघ को अक्सर गलती से 'रूस' बोल दिया जाता था। .

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हाला

हाला या द्राक्षिरा या वाइन (Wine) अंगूर के रस को किण्वित (फ़र्मेन्ट) करने से बनने वाला एक मादक पेय है। इसमें अंगूरों का किण्वन बिना किसी शर्करा, अम्ल, प्रकिण्व (एन्ज़ाइम), जल या अन्य किसी पोषक तत्व को डाले होता है। खमीर (यीस्ट) अंगूर रस में उपस्थित शर्करा को किण्वित कर के इथेनॉल व कार्बन डाईऑक्साइड में परिवर्तित कर देते हैं। अंगूर और खमीर की अलग-अलग नस्लों से अलग-अलग स्वाद, गंध व रंगों वाली हाला बनती है। हाला पर अंगूरों के उगाए जाने के स्थान, वर्षा, सूरज व अंगूरों को तोड़ने के समय का भी असर पड़ता है। अंगूरों के अलावा अन्य फलों की भी हाला बनाई जाती है हालांकि उसकी मात्रा व लोकप्रियता अंगूरों की हाला की तुलना में बहुत कम है। शहतूत, अनार, सेब, नाशपाती, आलू बुख़ारा, आलूबालू (चेरी) और अन्य फलों की हाला बनती है। हाला बनाने की प्रथा अति-प्राचीन है और कॉकस क्षेत्र में जॉर्जिया में ८,००० वर्ष पुराने हाला की सुराहियाँ मिली हैं। .

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विश्व में बौद्ध धर्म

बौद्ध धर्म विश्व के प्रमुख धर्मों में से एक है, और इसके संस्थापक गौतम बुद्ध (ईसवी पूर्व ५६३ - ईसवी पूर्व ४८३) थे। विश्व में करीब १९२ करोड़ (२८.७८%) लोक बौद्ध धर्म को माननेवाले है। दुसरे सर्वेक्षण के अनुसार १.६ अरब से १.८ अरब लोक (२३% से २५%) प्रतिनिधित्व बौद्ध करते है। बौद्ध धर्म एक धर्म और दर्शन है। संसार में ईसाई धर्म धर्म के बाद सबसे अधिक बौद्ध धर्म के ही अनुयायि पाये जाते। हालांकि कुछ सर्वेक्षणों के अनुसार बौद्ध धर्म आबादी ४८.८ करोड़ से ५३.५ करोड़ (विश्व की जनसंख्या में ९% से १०%) भी बताई जाती है। विश्व के सभी महाद्विपों में बौद्ध धर्म के अनुयायि रहते है। बौद्ध धर्म दुनिया का पहला विश्व धर्म है, जो अपने जन्मस्थान से निकलकर विश्व में दूर दूर तक फैला। आज दुनिया में बौद्ध धर्म की आबादी हिन्दू धर्म से अधिक और इस्लाम धर्म के बराबर या इस्लाम धर्म से भी अधिक है। भारत में बौद्ध धर्म अल्पसंख्यक है, जबकि भारत में इस विश्व धर्म का उदय हुआ था। परंतु एशिया में बौद्ध धर्म प्रमुख धर्म बना रहा। २०१० में १.०७ अरब से १.२२ अरब जनसंख्या के साथ चीन बौद्धों की सबसे बड़ी आबादी वाला देश है, चीन की कुल आबादी में ८०% से ९१% बौद्ध अनुयायि है। ज्यादातर चीनी बौद्ध महायान सम्प्रदाय के अनुयायि है। दुनिया की ६५% से ७०% बौद्ध आबादी चीन में रहती है। .

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ख़ज़र लोग

सन् ६५० और ८५० के बीच ख़ज़र ख़ागानत ख़ज़र (रूसी:Хазары, ख़ाज़ारी; अंग्रेज़ी: Khazar) मध्यकालीन यूरेशिया की एक तुर्की जाति थी जिनका विशाल साम्राज्य आधुनिक रूस के यूरोपीय हिस्से, पश्चिमी कज़ाख़स्तान, पूर्वी युक्रेन, अज़रबेजान, उत्तरी कॉकस (चरकस्सिया, दाग़िस्तान), जोर्जिया, क्राइमिया और उत्तरपूर्वी तुर्की पर विस्तृत था। इनकी राजधानी वोल्गा नदी के किनारे बसा आतील शहर था। ख़ज़र लोगों की ख़ागानत सन् ४४८ से १०४८ तक चली। इसमें कई धर्मों के लोग और, तुर्की जातियों के अलावा, यूराली, स्लावी और अन्य जातियाँ भी रहती थीं। ख़ज़र ख़ागानत रेशम मार्ग पर एक महत्वपूर्ण पड़ाव था और दक्षिण-पश्चिमी एशिया को उत्तरी यूरोप से जोड़ने वाली एक मुख्य कड़ी थी।, David Christian, Wiley-Blackwell, 1998, ISBN 978-0-631-20814-3,...

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गुर्जर

सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति:भारत उपवन, अक्षरधाम मन्दिर, नई दिल्ली गुर्जर समाज, प्राचीन एवं प्रतिष्ठित समाज में से एक है। यह समुदाय गुज्जर, गूजर, गोजर, गुर्जर, गूर्जर और वीर गुर्जर नाम से भी जाना जाता है। गुर्जर मुख्यत: उत्तर भारत, पाकिस्तान और अफ़्ग़ानिस्तान में बसे हैं। इस जाति का नाम अफ़्ग़ानिस्तान के राष्ट्रगान में भी आता है। गुर्जरों के ऐतिहासिक प्रभाव के कारण उत्तर भारत और पाकिस्तान के बहुत से स्थान गुर्जर जाति के नाम पर रखे गए हैं, जैसे कि भारत का गुजरात राज्य, पाकिस्तानी पंजाब का गुजरात ज़िला और गुजराँवाला ज़िला और रावलपिंडी ज़िले का गूजर ख़ान शहर।; आधुनिक स्थिति प्राचीन काल में युद्ध कला में निपुण रहे गुर्जर मुख्य रूप से खेती और पशुपालन के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। गुर्जर अच्छे योद्धा माने जाते थे और इसीलिए भारतीय सेना में अभी भी इनकी अच्छी ख़ासी संख्या है| गुर्जर महाराष्ट्र (जलगाँव जिला), दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर जैसे राज्यों में फैले हुए हैं। राजस्थान में सारे गुर्जर हिंदू हैं। सामान्यत: गुर्जर हिन्दू, सिख, मुस्लिम आदि सभी धर्मो में देखे जा सकते हैं। मुस्लिम तथा सिख गुर्जर, हिन्दू गुर्जरो से ही परिवर्तित हुए थे। पाकिस्तान में गुजरावालां, फैसलाबाद और लाहौर के आसपास इनकी अच्छी ख़ासी संख्या है। .

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ग्रोज़नी

ग्रोज़नी (रूसी: Грозный, अंग्रेज़ी: Grozny) रूस के चेचन गणतंत्र नामक गणतंत्र की राजधानी है। यह कॉकस क्षेत्र में सुनझ़ा नदी के किनारे बसा हुआ है। .

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ओसेती भाषा

ओसेती भाषा (Ирон æвзаг, इरोन ऐवज़ग) कॉकस क्षेत्र के ओसेतिया भूखण्ड में बोली जाने वाली एक पूर्वी ईरानी भाषा है। इसे लगभग पांच लाख लोग बोलते हैं। .

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आदिगेया

आदिगेया (रूसी: Республика Адыгея, अंग्रेज़ी: Republic of Adygea) रूस का एक संघीय खंड है जो उस देश की शासन प्रणाली में गणतंत्र का दर्जा रखता है। यह कॉकस के पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है और पूरी तरह क्रास्नोदार क्राय से घिरा हुआ है। इसकी राजधानी मायकोप शहर है। .

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आर्मीनियाई भाषा

ऐसे क्षेत्र जहां आर्मीनियाई बहुमत की भाषा है आर्मीनी भाषा (Armenian language) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की यह भाषा मेसोपोटैमिया तथा कॉकस की मध्यवर्ती घाटियों और काले सागर के दक्षिणी पूर्वी प्रदेश में बोली जाती है। यह प्रदेश आर्मीनी जार्जिया तथा अज़रबैजान (उत्तर-पश्चिमी ईरान) में पड़ता है। यह आर्मीनिया गनतंत्र की राजभाषा है। आर्मीनी भाषा को पूर्वी और पश्चिमी भागों में विभाजित करते हैं। गठन की दृष्टि से इसकी स्थिति ग्रीक और हिंद-ईरानी के बीच की है। पुराने समय में आर्मीनिया का ईरान से घनिष्ठ संबंध रहा है और ईरानी के प्राय: दो हजार शब्द आर्मीनी भाषा में मिलते हैं। इन्हीं कारणों से बहुत दिनों तक आर्मीनी को ईरानी की केवल एक शाखा मात्र समझा जाता था। पर अब इसकी स्वतंत्र सत्ता मान्य हो गई है। इसकी अपनी अनन्य लिपि है जिसकी खोज ४०५ ई में हुई थी। इस भाषा का व्यंजनसमूह मूल रूप से भारतीय और काकेशी समूह की जार्जी भाषा से मिलता जुलता है। प्‌ त्‌ क्‌ व्यंजनों का ब्‌ द् ग्‌ से परस्पर व्यत्यय हो गया है। उदाहरणार्थ, संस्कृत वश के लिए आर्मीनी में 'तस्न' शब्द है। संस्कृत पितृ के लिए आर्मीनी में ह्यर है। आदिम भारोपीय भाषा से यह भाषा काफी दूर जा पड़ी है। संस्कृत द्वि और त्रि के लिए आर्मीनी में एर्कु और एरेख शब्द हैं। इसी से दूरी का अनुमान हो सकता है। व्याकरणत्मक लिंग प्राचीन आर्मीनी में भी नहीं मिलता। संस्कृत 'गौ' के लिए आर्मीनी में केव्‌ है। ऐसे शब्दों से ही आदि आदिम आर्यभाषा से इसकी व्युत्पत्ति सिद्ध होती है। आर्मीनी अधिकतर बोलचाल की भाषा रही है। ईरानी शब्दों के अतिरिक्त इसमें ग्रीक, अरबों और काकेशी के भी शब्द हैं। .

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क़ाजार राजवंश

मुहम्मद ख़ान क़ाजार इस राजवंश के पहले शासक थे क़ाजार राजवंश (फ़ारसी:, सिलसिला क़ाजारिया) तुर्कियाई नस्ल का एक राजघराना था जिसने सन् १७८५ ई॰ से १९२५ ई॰ तक ईरान पर राज किया। इस परिवार ने ज़न्द राजवंश के अंतिम शासक, लोत्फ़ अली ख़ान, को सत्ता से हटाकर सन् १७९४ तक ईरान पर पूरा क़ब्ज़ा जमा लिया। १७९६ में मुहम्मद ख़ान क़ाजार ने औपचारिक रूप से ईरान के शाह का ताज पहन लिया। क़ाजारों के दौर में ईरान ने फिर से कॉकस के कई भागों पर हमला किया और उसे अपनी रियासत का हिस्सा बना लिया।Abbas Amanat, The Pivot of the Universe: Nasir Al-Din Shah Qajar and the Iranian Monarchy, 1831-1896, I.B.Tauris, pp 2-3; "In the 126 years between the fall of the Safavid state in 1722 and the accession of Nasir al-Din Shah, the Qajars evolved from a shepherd-warrior tribe with strongholds in northern Iran into a Persian dynasty.." .

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कार्तवेली भाषाएँ

कॉकस क्षेत्र में कार्तवेली भाषाओँ का फैलाव कार्तवेली भाषाएँ (जोर्जियाई: ქართველური ენები, अंग्रेज़ी: Kartvelian languages) या दक्षिण कॉकसी भाषाएँ (South Caucasian) कॉकस क्षेत्र में मुख्य रूप से जोर्जिया में बोली जानी वाली भाषाओँ का एक समूह है। जोर्जिया के आलावा इन्हें रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप, इस्राइल और पूर्वोत्तरी तुर्की में भी जहाँ-तहाँ बोला जाता है। दुनिया भर में इन्हें बोलने वालों की संख्या क़रीब ५२ लाख अनुमानित की गई है। इन भाषाओँ का विश्व की अन्य भाषाओँ से कोई सम्बन्ध ज्ञात नहीं है। जोर्जियाई भाषा सबसे अधिक बोले जानी वाली कार्तवेली भाषा है और इसे जोर्जिया की राष्ट्रभाषा होने का गौरव प्राप्त है। विश्व की सबसे पुरानी कार्तवेली लिखाई सन् ४४० ईसवी में बेथलहम शहर के जोर्जियाई ईसाई मठ में लगे एक शिलालेख पर मिलती है।Lang (1966), p. 154 .

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काकेशस पर्वत शृंखला

अंतरिक्ष से कॉकस पर्वतों का दृश्य - बर्फ़-ढके महाकॉकस की शृंखला उत्तर-पश्चिम में कृष्ण सागर से चलकर दक्षिण-पूर्व में कैस्पियन सागर तक पहुँचती साफ़ नज़र आ रही है काकेशस पर्वत शृंखला यूरोप और एशिया की सीमा पर स्थित, कृष्ण सागर और कैस्पियन सागर के दरमियान के कॉकस क्षेत्र की एक पर्वत शृंखला है, जिसमें यूरोप का सब से ऊंचा पहाड़, एल्ब्रुस पर्वत, भी शामिल है। कॉकस पर्वतों के दो मुख्य भाग हैं - महाकॉकस पर्वत शृंखला और हीनकॉकस पर्वत शृंखला। महाकॉकस पर्वत कृष्ण सागर के उत्तरपूर्वी छोर पर बसे रूस के सोची शहर से शुरू होकर पूर्व के ओर कैस्पियन सागर पर बसी अज़रबैजान की राजधानी बाकू तक पहुँचते हैं। हीनकॉकस इनके दक्षिण में १०० किमी की दूरी पर साथ-साथ चलते हैं। जॉर्जिया की मेसख़ेती पर्वत शृंखला हीनकॉकस का ही एक हिस्सा हैं। .

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कुर्दी भाषा

कुर्दी भाषा का फैलाव (लाल रंग में, बाएं तरफ़) कुर्दी (Kurdî,, Kurdish) ईरान, तुर्की, ईराक़, सीरिया और दक्षिणी कॉकस क्षेत्र में रहने वाले कुर्दी लोगों की भाषा है। यह हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की हिन्द-ईरानी शाखा की ईरानी उपशाखा की एक सदस्य है। यह आधुनिक फ़ारसी भाषा से काफ़ी मिलती-जुलती है। दुनिया भर में कुर्दी बोलने वालों की संख्या १.६ करोड़ अनुमानित की गई है। तुर्की में इसे मातृभाषा या दूसरी भाषा बोलने वाले उस देश की कुल आबादी के लगभग १२% अनुमानित किये गए हैं। वास्तव में कुर्दी एक भाषा नहीं बल्कि बहुत सी कुर्दी उपभाषाओं का गुट है।, Stavroula Chrisdoulaki, GRIN Verlag, 2010, ISBN 978-3-640-76700-7,...

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क्रास्नोदार क्राय

रूस के नक़्शे में क्रास्नोदार क्राय की स्थिति (दक्षिण-पश्चिम में, लाल रंग में) कुबान नदी से मिलने वाली एक छोटी नदी के किनारे गोर्याचिय क्ल्युच का क्षेत्र (रूसी: Краснода́рский край, क्रास्नोदार्सकी क्राय) कॉकस के पहाड़ी क्षेत्र में स्थित रूस का एक संघीय खंड है, जो रूसी प्रशासन प्रणाली में 'क्राय' का दर्जा रखता है। इसकी राजधानी और प्रशासनिक केंद्र क्रास्नोदार नाम का शहर है। इसका क्षेत्रफल ७६,००० वर्ग किमी है और सन् २०१० में इसकी जनसँख्या ५२,२५,८२६ थी। .

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कूमान लोग

कूमान (Cuman), जिन्हें रूसी भाषा में पोलोव्त्सी (Polovtsi) कहा जाता था, एक तुर्क बंजारा समुदाय था जो 1237 ईसवी में होने वाले मंगोल हमले तक यूरेशियाई स्तेपी में कृष्ण सागर से उत्तरी में और वोल्गा नदी के किनारे विस्तृत कूमान-किपचाक परिसंध की पश्चिमी शाखा थी। मंगोल हमले के बाद उनमें से कई ने हंगरी में शरण ली थी। इस आक्रमण से पहले इनका कॉकस और ख़्वारेज़्म क्षेत्र पर बहुत प्रभाव था, और वे भारी मात्रा में हंगरी और बुल्गारिया में बसने लगे थे। .

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कॉकस के देश

यह सूची कॉकस क्षेत्र के देशों की है। काकेशस क्षेत्र १९५२-१९९१ १८८२ में काकेशस.

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अबख़ाज़िया

अबखाजिया (Abhazia) आंशिक रूप से अन्तर्राष्ट्रीय पहचान प्राप्त विवादित क्षेत्र है जिसकी एक स्वतंत्र सरकार है। यह क्षेत्र काला सागर के पूर्वी तट और कॉकस के दक्षिण पश्चिम में स्थित है। यह जॉर्जिया का एक हिस्सा था जो कि इसे आज भी स्वतंत्र देश का दर्जा नहीं देता। अबख़ाज़िया अपने आप को अबख़ाज़िया गणराज्य अथवा अप्सनी के रूप में एक सम्प्रभु राज्य का दर्जा देता है। इसे रूस, निकारागुआ, वेनेज़ुएला और नौरु ने पूर्ण सम्प्रभु तथा दक्षिण ओसेतिया ने आंशिक सम्प्रभु राष्ट्र का एवं ट्रान्सनिस्ट्रिया और नागोर्नो-काराबाख़ ने अज्ञात राज्य के रूप में रखा है। .

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उत्तर ओसेतिया-आलानिया

उत्तर ओसेतिया-आलानिया का नक़्शा और झंडा उत्तर ओसेतिया-आलानिया कॉकस क्षेत्र में स्थित रूस का एक संघीय खंड है जो गणतंत्र का दर्जा मिला रखता है। इसका दक्षिणी भाग काफ़ी पहाड़ी है और कॉकस पर्वत शृंखला के इलाक़े में पड़ता है जबकि इसका उत्तरी हिस्सा स्ताव्रोपोल के मैदान क्षेत्र में आता है। इसका कुल क्षेत्रफल 8,000 वर्ग किमी है (यानि भारत के सिक्किम राज्य से ज़रा बड़ा) और यहाँ सन् 2002 में हुई जनगणना के अनुसार इसकी आबादी 7,12,900 थी। इसमें से लगभग 62% ओसेतियाई लोग थे और 23% रूसी थे। अल्प संख्याओं में इंगुश, अर्मेनियाई और यूक्रेनी लोग भी यहाँ रहते हैं। ओसेतियाई लोग ओसेती भाषा बोलते हैं और अधिकतर इसाई मत के अनुयायी हैं। उत्तर ओसेतिया-आलानिया की राजधानी व्लादिकावकाज़ नाम का शहर है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

क़फ़क़ाज़, काकेशस क्षेत्र, कॉकस क्षेत्र

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