लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

कुल्लूक भट्ट

सूची कुल्लूक भट्ट

कुल्लूक भट्ट (1150-1300 ई.) मनुस्मृति के सुविख्यात टीकाकार। इनका जन्म बंगाल के नंदन ग्राम में एक वारेंद्र ब्राह्मण के घर हुआ था। उनके पिता का नाम दिवाकर भट्ट था। मनुस्मृति पर इन्होंने जो टीका की है उसका नाम मन्वर्थ मुक्तावली है। मनुस्मृति उन्होंने संक्षेप में किंतु अत्यंत सुबोध भाषा में संदर्भ सहित स्मृति की व्याख्या की है। इसमें उन्होंने अपने किसी वैयक्तिक मत का प्रतिपादन नहीं किया है वरन्‌ मेधातिथि और गोविंदराज के मत के द्वारा ही विवेचना की है। इस टीका के अतिरिक्त स्मृतिसागर, श्राद्धसागर, विवादसागर और अशौचसागर, उनके अन्य ग्रंथ हैं। .

2 संबंधों: मनुस्मृति, हारीत धर्मसूत्र

मनुस्मृति

मनुस्मृति हिन्दू धर्म का एक प्राचीन धर्मशास्त्र (स्मृति) है। इसे मानव-धर्म-शास्त्र, मनुसंहिता आदि नामों से भी जाना जाता है। यह उपदेश के रूप में है जो मनु द्वारा ऋषियों को दिया गया। इसके बाद के धर्मग्रन्थकारों ने मनुस्मृति को एक सन्दर्भ के रूप में स्वीकारते हुए इसका अनुसरण किया है। धर्मशास्त्रीय ग्रंथकारों के अतिरिक्त शंकराचार्य, शबरस्वामी जैसे दार्शनिक भी प्रमाणरूपेण इस ग्रंथ को उद्धृत करते हैं। परंपरानुसार यह स्मृति स्वायंभुव मनु द्वारा रचित है, वैवस्वत मनु या प्राचनेस मनु द्वारा नहीं। मनुस्मृति से यह भी पता चलता है कि स्वायंभुव मनु के मूलशास्त्र का आश्रय कर भृगु ने उस स्मृति का उपवृहण किया था, जो प्रचलित मनुस्मृति के नाम से प्रसिद्ध है। इस 'भार्गवीया मनुस्मृति' की तरह 'नारदीया मनुस्मृति' भी प्रचलित है। मनुस्मृति वह धर्मशास्त्र है जिसकी मान्यता जगविख्यात है। न केवल भारत में अपितु विदेश में भी इसके प्रमाणों के आधार पर निर्णय होते रहे हैं और आज भी होते हैं। अतः धर्मशास्त्र के रूप में मनुस्मृति को विश्व की अमूल्य निधि माना जाता है। भारत में वेदों के उपरान्त सर्वाधिक मान्यता और प्रचलन ‘मनुस्मृति’ का ही है। इसमें चारों वर्णों, चारों आश्रमों, सोलह संस्कारों तथा सृष्टि उत्पत्ति के अतिरिक्त राज्य की व्यवस्था, राजा के कर्तव्य, भांति-भांति के विवादों, सेना का प्रबन्ध आदि उन सभी विषयों पर परामर्श दिया गया है जो कि मानव मात्र के जीवन में घटित होने सम्भव है। यह सब धर्म-व्यवस्था वेद पर आधारित है। मनु महाराज के जीवन और उनके रचनाकाल के विषय में इतिहास-पुराण स्पष्ट नहीं हैं। तथापि सभी एक स्वर से स्वीकार करते हैं कि मनु आदिपुरुष थे और उनका यह शास्त्र आदिःशास्त्र है। मनुस्मृति में चार वर्णों का व्याख्यान मिलता है वहीं पर शूद्रों को अति नीच का दर्जा दिया गया और शूद्रों का जीवन नर्क से भी बदतर कर दिया गया मनुस्मृति के आधार पर ही शूद्रों को तरह तरह की यातनाएं मनुवादियों द्वारा दी जाने लगी जो कि इसकी थोड़ी सी झलक फिल्म तीसरी आजादी में भी दिखाई गई है आगे चलकर बाबासाहेब आंबेडकर ने सर्वजन हिताय संविधान का निर्माण किया और मनु स्मृति में आग लगा दी गई जो कि समाज के लिए कल्याणकारी साबित हुई और छुआछूत ऊंच-नीच का आडंबर समाप्त हो गया। .

नई!!: कुल्लूक भट्ट और मनुस्मृति · और देखें »

हारीत धर्मसूत्र

https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Dharma_sutra.jpg हारीत की मान्यता अत्यन्त प्राचीन धर्मसूत्रकार के रूप में हैं। बौधायन धर्मसूत्र, आपस्तम्ब धर्मसूत्र और वासिष्ठ धर्मसूत्रों में हारीत को बार–बार उद्धत किया गया है। हारीत के सर्वाधिक उद्धरण आपस्तम्ब धर्मसूत्र में प्राप्त होते हैं। तन्त्रवार्तिक* में हारीत का उल्लेख गौतम, वसिष्ठ, शंख और लिखित के साथ है। परवर्ती धर्मशास्त्रियों ने तो हारीत के उद्धरण पौनः पुन्येन दिये हैं, किन्तु हारीत धर्मसूत्र का जो हस्तलेख उपलब्ध हुआ है और जिसका स्वरूप 30 अध्यायात्मक है, उसमें इनमें से बहुत से उद्धरण नहीं प्राप्त होते हैं। धर्मशास्त्रीय निबन्धों में उपलब्ध हारीत के वचनों से ज्ञात होता है कि उन्होंने धर्मसूत्रों में वर्णित प्रायः सभी विषयों पर अपने विचार प्रकट किए थे। मनुस्मृति के व्याख्याकार कुल्लूक भट्ट के अनुसार हारीत धर्मसूत्र का प्रारम्भिक अंश इस प्रकार था – नासिक (महाराष्ट्र) जनपद के इस्मालपुर नामक स्थान पर हारीत धर्मसूत्र का एक हस्तलेख वामनशास्त्री को मिला था जिसमें 30 अध्याय हैं। यह अत्यन्त भ्रष्ट है और इसमें उद्धृतांश भी नहीं मिलते, इस कारण काणे प्रभृति मनीषियों ने इसकी प्रामाणिकता पर सन्देह व्यक्त किया है। .

नई!!: कुल्लूक भट्ट और हारीत धर्मसूत्र · और देखें »

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »