3 संबंधों: निदान (संस्कृत), मीठा इन्द्रजौ, हजारी प्रसाद द्विवेदी।
निदान (संस्कृत)
आयुर्वेद में चिकित्सा आरम्भ करने के पहले रोगपरीक्षा तथा रोगीपरीक्षा करने का प्रावधान है। अर्थात् चिकित्सा के पूर्व परीक्षा अत्यन्त आवश्यक है। परीक्षा की जहां तक बात आती है तो परीक्षा रोगी की भी होती है और रोग की भी। रोग-रोगी दोनों की परीक्षा करके उनका बलाबल ज्ञान करके ही सफल चिकित्सा की जा सकती है। आयुर्वेदाचार्यों ने रोग की परीक्षा हेतु निदानपञ्चक का वर्णन किया है। आयुर्वेद के अनुसार, रोग की परीक्षा (रोग का ज्ञान) इन पांच उपायों से होता है - इन पांच उपायों को निदानपञ्चक कहते हैं। निदान– रोग के कारण को निदान कहते हैं। पूर्वरूप - रोग उत्पन्न होने के पहले जो लक्षण होते हैं उन्हें पूर्वरूप कहा जाता है। रूप - उत्पन्न हुए रोगों के चिह्नों को लक्षण या रूप कहते हैं। उपशय - औषध, अन्न व विहार के परिणाम में सुखप्रद उपयोग को उपशय कहते हैं। सम्प्राप्ति - रोग की अति प्रारम्भिक अवस्था से लेकर रोग के पूर्ण रूप से प्रगट होने तक, रोग के क्रियाकाल (pathogenesis) की छः अवस्थायें होती हैं। निदानपंचक से रोग के बल का ज्ञान होता है। इसके साथ ही साथ चिकित्सा हेतु रोगी के बल का ज्ञान भी आवश्यक है। जिससे यह निर्णय होता है कि रोगी चिकित्सा सहन करने योग्य है अथवा नहीं। इसके लिए दशविध परीक्षा का वर्णन आया है जिसके अंतर्गत विकृति परीक्षा को छोड़कर शेष परीक्षा रोगी के बल को जानने के लिए है। .
नई!!: कुटज और निदान (संस्कृत) · और देखें »
मीठा इन्द्रजौ
मीठी इन्द्रयव मीठा इन्द्रजौ या मीठी इन्द्रयव (Wrightia tinctoria) एक पादप है। इसे 'श्वेत कुटज' भी कहते हैं। इस जाति के श्वेत पौधे के फूलों में एक प्रकार की सुगंध होती है जो काले पौधे के फूलों में नहीं होती। श्वेत पौधे की छाल लाल रंग लिए बादामी तथा चिकनी होती है। फलियों के अंत में बालों का गुच्छा सा होता है। यह पौधा त्वचा विकार जैसे सोरायसिस फंगल संक्रमण की औषधि में उपयोगी है श्रेणी:पादप.
नई!!: कुटज और मीठा इन्द्रजौ · और देखें »
हजारी प्रसाद द्विवेदी
हजारी प्रसाद द्विवेदी (19 अगस्त 1907 - 19 मई 1979) हिन्दी के मौलिक निबन्धकार, उत्कृष्ट समालोचक एवं सांस्कृतिक विचारधारा के प्रमुख उपन्यासकार थे। .
नई!!: कुटज और हजारी प्रसाद द्विवेदी · और देखें »