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किसान

सूची किसान

किसान उन्हें कहा जाता है, जो खेती का काम करते हैं। इन्हें कृषक और खेतिहर के नाम से भी जाना जाता है। ये बाकी सभी लोगो के लिए खाद्य सामग्री का उत्पादन करते है। इसमें फसलों को उगाना, बागों में पौधे लगाना, मुर्गियों या इस तरह के अन्य पशुओं की देखभाल कर उन्हें बढ़ाना भी शामिल है। कोई भी किसान या तो खेत का मालिक हो सकता है या उस कृषि भूमि के मालिक द्वारा काम पर रखा गया मजदूर हो सकता है। अच्छी अर्थव्यवस्था वाले जगहों में किसान ही खेत का मालिक होता है और उसमें काम करने वाले उसके कर्मचारी या मजदूर होते हैं। हालांकि इससे पहले तक केवल वही किसान होता था, जो खेत में फसल उगाता था और पशुओं, मछलियों आदि की देखभाल कर उन्हें बढ़ाता था। .

48 संबंधों: चम्पारण सत्याग्रह, त्वा लोग, दशहरा, धोलासर, नफेड, नरेन्द्र सिंह तोमर, पाँचवीं रिपोर्ट, पुष्पेन्द्र नाथ पाठक, फसल पर्व, बैसाखी, बेंजामिन फ्रैंकलिन, भाड़ा-पत्र, भारत में किसान आत्महत्या, भारत की भाषाएँ, भारतीय किसान, मनोहर लाल खट्टर, मामूट्टी, माल्ती देवी, मुनीश्वर दत्त उपाध्याय, मेधा पाटकर, मेघवाल, यूबी समूह, रामोजी राव, राजेन्द्र प्रसाद, रोबोट, लिंडन बेन्स जॉनसन, श्रीचंद, सुल्तान कोसेन, स्‍वामी प्रसाद मौर्य, सूर्य सेन, सूखा, हुकुमदेव नारायण यादव, घनश्याम दास अरोड़ा, वयलर रामवर्मा, वास्तुकला का इतिहास, विलियम काबेट, वैश्वीकरण, गाँव, गौरा देवी, कर्म एवं उद्यमों की सूची, कंवरपाल गुर्जर, कुलधरा, कुशवाहा (कोइरी ) बिहार, क्षेत्र (कृषि), कृषकवाद, अशोक मेहता, उत्तर प्रदेश के लोकनृत्य, छठ पूजा

चम्पारण सत्याग्रह

गांधीजी १९१७ मेंगांधीजी के नेतृत्व में बिहार के चम्पारण जिले में सन् १९१७-१८ में एक सत्याग्रह हुआ। इसे चम्पारण सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है। गांधीजी के नेतृत्व में भारत में किया गया यह पहला सत्याग्रह था। .

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त्वा लोग

त्वा लोग (Twa या Cwa) अफ़्रीका की कई जातियों व जनजातियों का नाम है जो शिकारी-फ़रमर जीवन बसर करते हैं। यह अक्सर बांटू लोगों के समीप रहते हैं, हालांकि त्वा अपनी जीवनी जंगलों से चलाते हैं जबकि बांटू लोग कृषक होते हैं। सामाजिक रूप से त्वा को बांटूओं की तुलना में निचला दर्जा दिया जाता था। इनमें परस्पर-निर्भरता रही है: त्वा वनों से जानवर माँस व अन्य वन्य उत्पाद लाकर बांटूओं द्वारा उगाये गये अन्न, सब्ज़ियाँ व अन्य कृषि उत्पादनों से अदल-बदल का व्यापार करते हैं। कई त्वा जातियाँ पिग्मी की श्रेणी में आती हैं, यानि त्वाओं का क़द औसत मानव क़द से असाधारण रूप से कम है। इतिहासकार मानते हैं कि त्वाओं के पूर्वज अपने क्षेत्रों के आदि-निवासी थे और बांटू बाद में आये। .

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दशहरा

दशहरा (विजयादशमी या आयुध-पूजा) हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। अश्विन (क्वार) मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इसका आयोजन होता है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था तथा देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के उपरान्त महिषासुर पर विजय प्राप्त किया था। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसीलिये इस दशमी को 'विजयादशमी' के नाम से जाना जाता है (दशहरा .

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धोलासर

धोलासर एक छोटा सा गांव है जो भारतीय राज्य राजस्थान तथा जोधपुर ज़िले के फलोदी तहसील में स्थित है। धोलासर में राजस्व ग्राम लक्ष्मणपुरा, महर्षि गौतमनगर स्थित है। धोलासर गांव के ज्यादातर लोग कृषि पर निर्भर करते हैं इस कारण रोजगार का साधन ही वही है। यहाँ ट्यूबवेल से सिंचाई की जाती हैं। मुख्यतः कृषक समाज यहाँ बाजरा,ज्वार,गेहूँ,सरसों,रायड़ा,मेथी,जीरा,मूँगफली,जौ, ग्वार, अरण्डी, प्याज ईसबगोल आदि फसलों की खेती करता हैं। धोलासर में शुद्ध मीठे पेयजल की कमी हैं। मनुष्यों और जानवरों के द्वारा फ्लोराइडयुक्त पानी प्रयोग में लिया जा रहा है। जो हानिकारक हैं। .

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नफेड

भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ मर्यादित (National Agricultural Cooperative Marketing Federation of India / NAFED / नेफेड) भारत की बहु-राज्य सहकारी सोसायटीज अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत सहकार। सहकारी संस्था है। इसकी स्थापना गांधी जयंती के पावन अवसर पर 2 अक्तुबर, 1958 को की गई थी। नेफेड की स्थापना कृषि उत्पादों के सहकारी विपणन को बढ़ाने के लिए की गई थी ताकि किसानों को लाभ मिल सके। नेफेड के सदस्य प्रमुख रूप में किसान है जिन्हें नेफेड के क्रियाकलापों में सामान्य निकाय के सदस्यों के रूप में विचार प्रकट करने तथा नेफेड के संचालन कार्यो में सुझाव देने का अधिकार है एंव उनका बहुत महत्व है। नेफेड के प्रमुख उद्देश्यों मॆं कृषि, उद्यान कृषि एवं वन उत्पाद का विपणन, संसाधन, भण्डारण की व्यवस्था करना, उन्नयन और विकास करना, कृषि यंत्रों, उपकरणों एवं अन्य प्रकार के उपकरणों का वितरण करना, अंतर्राज्यीय, राज्यांतर्गत, यथास्थिति थोक या खुदरा आयात-निर्यात व्यापार करना, भारत में इसके सदस्यों एवं सह्कारी विपणन, संसाधन एवं संभरण समितियों के उन्नयन एवं कृषि के लिए कृषि उत्पादन में सहायता और तकनीकी परामर्श देने का कार्य करना है। .

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नरेन्द्र सिंह तोमर

नरेन्द्र सिंह तोमर भारत के एक राजनेता हैं। वे सम्प्रति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंत्रिमंडल में भारत के वर्तमान केंद्रीय ग्रामीण विकास, पंचायतीराज स्वच्छता एवं पेयजल मंत्री हैं। .

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पाँचवीं रिपोर्ट

सन् १८१३ में ब्रिटिश संसद में एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जिनमें से एक रिपोर्ट पाँचवी रिपोर्ट कहलाती थी। इस रिपोर्ट में भारत में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के प्रशासन और क्रियाकलापों का वर्णन था। इस रिपोर्ट में जमींदारों और रैयतों (किसानों) की अर्जियाँ तथा अलग-अलग जिलों के कलेक्टरों की रिपोर्टें, राजस्व विवरणियों से सम्बन्धित सांख्यिकीय तालिकाएँ और अधिकारियों द्वारा बंगाल तथा मद्रास के राजस्व तथा न्यायिक प्रशासन पर लिखी हुई टिप्पणीया शामिल थीं। श्रेणी:भारत में ब्रिटिश राज.

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पुष्पेन्द्र नाथ पाठक

पुष्पेन्द्र नाथ पाठक मध्य प्रदेश विधान सभा के सदस्य हैं। वो मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव, २०१३ के लिए चुने गये। .

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फसल पर्व

कृषि आधारित हर समाज या देश में फसल पकने और अनाज घर आने के उपलक्ष्य में कई तरह के पर्व मनाये जाते हैं। विभिन्न फसलों पर विभिन्न तरह के पर्व मनाये जाते हैं। किसान फसलों को अपनी मेहनत के साथ साथ प्रकृति का वरदान और उपहार भी मानता है। उसे लगता है कि प्रकृति ने उसकी मेहनत से प्रसन्न होकर फसल का उपहार उसे प्रदान किया है। प्रकृति देवता के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए हर फसल की पैदावार के बाद कोई न कोई पर्व मनाया जाता है। फसल की पैदावार के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले पर्व को फसल पर्व कहते हैं। .

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बैसाखी

बैसाखी नाम वैशाख से बना है। पंजाब और हरियाणा के किसान सर्दियों की फसल काट लेने के बाद नए साल की खुशियाँ मनाते हैं। इसीलिए बैसाखी पंजाब और आसपास के प्रदेशों का सबसे बड़ा त्योहार है। यह रबी की फसल के पकने की खुशी का प्रतीक है। इसी दिन, 13 अप्रैल 1699 को दसवें गुरु गोविंद सिंहजी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। सिख इस त्योहार को सामूहिक जन्मदिवस के रूप में मनाते हैं। .

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बेंजामिन फ्रैंकलिन

बेंजामिन फ्रैंकलिन (17 अप्रैल 1790) संयुक्त राज्य अमेरिका के संस्थापक जनकों में से एक थे। एक प्रसिद्ध बहुश्रुत, फ्रैंकलिन एक प्रमुख लेखक और मुद्रक, व्यंग्यकार, राजनीतिक विचारक, राजनीतिज्ञ, वैज्ञानिक, आविष्कारक, नागरिक कार्यकर्ता, राजमर्मज्ञ, सैनिक, और राजनयिक थे। एक वैज्ञानिक के रूप में, बिजली के सम्बन्ध में अपनी खोजों और सिद्धांतों के लिए वे प्रबोधन और भौतिक विज्ञान के इतिहास में एक प्रमुख शख्सियत रहे। उन्होंने बिजली की छड़, बाईफोकल्स, फ्रैंकलिन स्टोव, एक गाड़ी के ओडोमीटर और ग्लास 'आर्मोनिका' का आविष्कार किया। उन्होंने अमेरिका में पहला सार्वजनिक ऋण पुस्तकालय और पेंसिल्वेनिया में पहले अग्नि विभाग की स्थापना की। वे औपनिवेशिक एकता के शीघ्र प्रस्तावक थे और एक लेखक और राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में, उन्होंने एक अमेरिकी राष्ट्र के विचार का समर्थन किया। अमेरिकी क्रांति के दौरान एक राजनयिक के रूप में, उन्होंने फ्रेंच गठबंधन हासिल किया, जिसने अमेरिका की स्वतंत्रता को संभव बनाने में मदद की। फ्रेंकलिन को अमेरिकी मूल्यों और चरित्र के आधार निर्माता के रूप में श्रेय दिया जाता है, जिसमें बचत के व्यावहारिक और लोकतांत्रिक अतिनैतिक मूल्यों, कठिन परिश्रम, शिक्षा, सामुदायिक भावना, स्व-शासित संस्थानों और राजनीतिक और धार्मिक स्वैच्छाचारिता के विरोध करने के संग, प्रबोधन के वैज्ञानिक और सहिष्णु मूल्यों का समागम था। हेनरी स्टील कोमगेर के शब्दों में, "फ्रैंकलिन में प्यूरिटनवाद के गुणों को बिना इसके दोषों के और इन्लाईटेनमेंट की प्रदीप्ति को बिना उसकी तपिश के समाहित किया जा सकता है।" वाल्टर आईज़ेकसन के अनुसार, यह बात फ्रेंकलिन को, "उस काल के सबसे निष्णात अमेरिकी और उस समाज की खोज करने वाले लोगों में सबसे प्रभावशाली बनाती है, जैसे समाज के रूप में बाद में अमेरिका विकसित हुआ।" फ्रेंकलिन, एक अखबार के संपादक, मुद्रक और फिलाडेल्फिया में व्यापारी बन गए, जहां पुअर रिचार्ड्स ऑल्मनैक और द पेन्सिलवेनिया गजेट के लेखन और प्रकाशन से वे बहुत अमीर हो गए। फ्रेंकलिन की विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दिलचस्पी थी और अपने प्रसिद्ध प्रयोगों के लिए उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की.

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भाड़ा-पत्र

जब किसान ऋणदाता का कर्ज चुकाने में असमर्थ हो जाता है तो उसके पास अपना सर्वस्व -जमीन,गाड़ियाँ,पशुधन देने के अतिरिक्त कोई उपाय नहीं था, लेकिन जीवनयापन हेतु खेती करना जरूरी था। इसलिए उसने ऋणदाता से जमीन, पशु या गाड़ी फिर किराए पर ले ली, इसके लिए उसे एक भाड़ा-पत्र लिखना पड़ता था। .

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भारत में किसान आत्महत्या

भारत में किसान आत्महत्या १९९० के बाद पैदा हुई स्थिति है जिसमें प्रतिवर्ष दस हज़ार से अधिक किसानों के द्वारा आत्महत्या की रपटें दर्ज की गई है। १९९७ से २००६ के बीच १,६६,३०४ किसानों ने आत्महत्या की।भारतीय कृषि बहुत हद तक मानसून पर निर्भर है तथा मानसून की असफलता के कारण नकदी फसलें नष्ट होना किसानों द्वारा की गई आत्महत्याओं का मुख्य कारण माना जाता रहा है। मानसून की विफलता, सूखा, कीमतों में वृद्धि, ऋण का अत्यधिक बोझ आदि परिस्तिथियाँ, समस्याओं के एक चक्र की शुरुआत करती हैं। बैंकों, महाजनों, बिचौलियों आदि के चक्र में फँसकर भारत के विभिन्न हिस्सों के किसानों ने आत्महत्याएँ की है। .

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भारत की भाषाएँ

भारत बहुत सारी भाषाओं का देश है, लेकिन सरकारी कामकाज में व्यवहार में लायी जाने वाली दो भाषायें हैं, हिन्दी और अंग्रेज़ी। वृहद भारत के भाषा परिवार .

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भारतीय किसान

भारत संरचनात्मक दृष्टि से गांवों का देश है, और सभी ग्रामीण समुदायों में अधिक मात्रा में कृषि कार्य किया जाता है इसी लिए भारत को भारत कृषि प्रधान देश की संज्ञा भी मिली हुई है। लगभग 70% भारतीय लोग किसान हैं। वे भारत देश के रीढ़ की हड्डी के समान है। खाद्य फसलों और तिलहन का उत्पादन करते हैं। वे वाणिज्यिक फसलों के उत्पादक है। वे हमारे उद्योगों के लिए कुछ कच्चे माल का उत्पादन करते इसलिए वे हमारे राष्ट्र के जीवन रक्त है। भारत अपने लोगों की लगभग 60 % कृषि पर प्रत्यक्ष या पपरोक्ष रूप से निर्भर भारतीय किसान पूरे दिन और रात काम करते है। वह बीज बोते है और रात में फसलों पर नजर रखते भी है। वह आवारा मवेशियों के खिलाफ फसलों की रखवाली करते। वह अपने बैलों का ख्याल रखते है। आजकल, कई राज्यों में बैलों की मदद से खेती करने कि संख्या लगभग खत्म हो गई हैं और ट्रैक्टर की मदद् से खेती कि जाती है। उनकी पत्नीय़ॉ और बच्चों उनके काम में उनकी मदद करते है। .

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मनोहर लाल खट्टर

मनोहर लाल खट्टर (जन्म: 5 मई 1954) भारत के हरियाणा राज्य के मुख्यमंत्री निर्वाचित हुए हैं। 26 अक्टूबर 2014 को उन्होने हरियाणा के 10वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। मनोहर लाल खट्टर हरियाणा के पहले ऐसे मुख्यमंत्री है जो गैर जाट समुदाय से आते हैं, 18 वर्ष बाद वे इस पद पर विराजमान होने वाले पहले गैर जाट नेता हैं। वे भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रह चुके हैं। हरियाणा विधान सभा में वे करनाल का प्रतिनिधित्व करते हैं। 2014 के हरियाणा विधान सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की विजय के पश्चात् विधायक दल द्वारा उन्हें नेता चुना गया तथा मुख्यमंत्री पद हेतु नामित किया गया। .

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मामूट्टी

मामूट्टी (मलयालम: മമ്മൂട്ടി) (जन्म नाम मोहम्मद कुट्टी, जन्म - 7 सितंबर,1948) एक पुरस्कृत भारतीय अभिनेता हैं जो मुख्य रूप से मलयालम सिनेमा में अभिनय करते हैं। अपने पच्चीस वर्षों से भी अधिक के कैरियर के दौरान, उन्होंने शीर्ष अभिनेता के रूप में 300 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया है और ^ MusicIndiaOnLine.com. 11 अप्रैल 2007.

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माल्ती देवी

माल्ती देवी (अगस्त 5, 1968 –सितम्बर 6, 1999) एक राजनीतिज्ञा और समाज-सेविका थी। वह बिहार के नवादा चुनाव क्षेत्र से राष्ट्रीय जनता दल का सांसद रह चुकी हैं। .

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मुनीश्वर दत्त उपाध्याय

पंडित मुनीश्वर दत्त उपाध्याय भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता, सामाजिक कार्यकर्ता,शिक्षकविद थे। वे भारत के प्रथम एवं द्वितीय लोकसभा में सांसद थे। .

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मेधा पाटकर

मेधा पटकर दिसम्बर १, १९५४ में जन्मीं थी। वे एक भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता तथा सामाज सुधारक है। वे भारतीय राजनीतिज्ञ भी है। मेधा पाटकर नर्मदा बचाओ आंदोलन की संस्थापक के नाम से भी जानी जाती है| .

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मेघवाल

जम्मू, भारत में एक समारोह के दौरान मेघ बालिकाओं का एक समूह मेघ, मेघवाल, या मेघवार, (उर्दू:میگھواڑ, सिंधी:ميگھواڙ) लोग मुख्य रूप से उत्तर पश्चिम भारत में रहते हैं और कुछ आबादी पाकिस्तान में है। सन् 2008 में, उनकी कुल जनसंख्या अनुमानतः 2,807,000 थी, जिनमें से 2760000 भारत में रहते थे। इनमें से वे 659000 मारवाड़ी, 663000 हिंदी, 230000 डोगरी, 175000 पंजाबी और विभिन्न अन्य क्षेत्रीय भाषाएँ बोलते हैं। एक अनुसूचित जाति के रूप में इनका पारंपरिक व्यवसाय बुनाई रहा है। अधिकांश हिंदू धर्म से हैं, ऋषि मेघ, कबीर, रामदेवजी और बंकर माताजी उनके प्रमुख आराध्य हैं। मेघवंश को राजऋषि वृत्र या मेघ ऋषि से उत्पन्न जाना जाता है।सिंधु सभ्यता के अवशेष (मेघ ऋषि की मुर्ति मिली) भी मेघो से मिलते है। हडप्पा,मोहन-जोद़ङो,कालीबंगा (हनुमानगढ),राखीगङी,रोपङ,शक्खर(सिंध),नौसारो(बलुचिस्तान),मेघढ़(मेहरगढ़ बलुचिस्तान)आदि मेघवंशजो के प्राचीन नगर हुआ करते थे। 3300ई.पू.से 1700ई.पू.तक सिंध घाटी मे मेघो की ही आधिक्य था। 1700-1500ई.पू.मे आर्यो के आगमन से मेघ, अखंड भारत के अलग अलग भागो मे बिछुङ (चले) गये । ये लोग बहुत शांत स्वभाव व प्रवृति के थे। इनका मुख्य साधन ऊंठ-गाङा व बैल-गाङा हुआ करता। आज मेघवालो को बहुत सारी उपजातीयो बांट रखा है जिसमे सिहमार, भगत, बारुपाल, मिड़ल (मिरल),केम्मपाल, अहम्पा, पंवार,पङिहार,लिलङ,जयपाल,पंवार,चावणीया, तुर्किया,गाडी,देवपाल,जालानी गोयल-मंगी,पन्नु, गोगली,गंढेर,दहीया,पुनङ,मुंशी,कोली आदि प्रमुख है। मेघवंशो के कूलगुरु गर्गाचार्य गुरङा होते है। .

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यूबी समूह

गोवा में किंगफिशर बीयर का एक विज्ञापन किंगफिशर प्रीमियम लार्ज बीयर की एक बोतल बैंगलौर में स्थित, युनाइटेड ब्रूअरीज़ समूह या यूबी (UB) समूह, शराब (बीयर) और मादक पेय उद्योग पर विशेष ध्यान देने वाली कई अलग-अलग कंपनियों का एक विस्तृत समूह है। यह कंपनी अपने अधिकाँश बीयर किंगफिशर ब्रांड के तहत बाज़ार में बेचती है और यह कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस भी चलाती है, जो भारत की एक प्रमुख एयरलाइन सेवा है, जिसमें हाल ही में अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू की गयी हैं। युनाइटेड ब्रूअरीज़ भारत की सबसे बड़ी बीयर निर्माता कंपनी है, जिसकी बिक्री के आधार पर बाज़ार में हिस्सेदारी 48% के आसपास है। समूह का नेतृत्व डॉ॰ विजय माल्या के हाथों में है जो भारतीय संसद के एक सदस्य भी हैं। युनाइटेड ब्रूअरीज़ के पास अब भारतीय मादक पेय बाज़ार की 40% से अधिक हिस्सेदारी है जिसकी दुनिया भर में 79 डिस्टीलरीज़ और बॉटलिंग इकाइयां हैं। हाल ही में यूबी (UB) समूह ने भारत के स्पिरिट्स कारोबार का अधिकाँश हिस्सा देकर अपनी प्रतिद्वंद्वी कंपनी शॉ-वालेस के स्पिरिट्स कारोबार के अधिग्रहण को वित्तपोषित किया। समूह के पास संयुक्त राज्य अमेरिका में मेंडोसिनो ब्रूइंग कंपनी (Mendocino Brewing Company) का स्वामित्व है। .

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रामोजी राव

चेरूकुरी रामोजी राव रामोजी राव के नाम से जाने जाते हैं। रामोजी का जन्म 16 नवम्बर 1936 को आंध्रप्रदेश के कृष्णा जिले में एक मध्यमवर्गीय कृषक परिवार में हुआ। रामोजी राव आज देश के जाने माने-माने व्यवसायी और मीडिया महारथी हैं। रामोजी राव को भारत का रुपर्ट मर्डोक कहा जाता है। वे रामोजी ग्रुप के चैयरमैन है। रामोजी ग्रुप में दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म स्टूडियों रामोजी फिल्म सिटी, मार्गदर्शी चिटफंड, ईनाडू तेलुगु अखबार, ईटीवी नेटवर्क, प्रिया फूड्स, डॉल्फिन हॉटल्स, उषाकिरण मूवीज आदि शामिल है। रामोजी ग्रुप का मुख्यालय हैदराबाद में स्थित है। रामोजी राव के पुत्र सुमन ईटीवी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। .

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राजेन्द्र प्रसाद

राजेन्द्र प्रसाद (3 दिसम्बर 1884 – 28 फरवरी 1963) भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे। वे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से थे जिन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में भी अपना योगदान दिया था जिसकी परिणति २६ जनवरी १९५० को भारत के एक गणतंत्र के रूप में हुई थी। राष्ट्रपति होने के अतिरिक्त उन्होंने स्वाधीन भारत में केन्द्रीय मन्त्री के रूप में भी कुछ समय के लिए काम किया था। पूरे देश में अत्यन्त लोकप्रिय होने के कारण उन्हें राजेन्द्र बाबू या देशरत्न कहकर पुकारा जाता था। .

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रोबोट

एक कारखाने में चीजों को उठाने और सही स्थान पर रखने वाला रोबोट रोबोट एक आभासी (virtual) या यांत्रिक (mechanical)कृत्रिम (artificial) एजेंट है व्यवहारिक रूप से, यह प्रायः एक विद्युत यांत्रिकी निकाय (electro-mechanical system) होता है, जिसकी दिखावट और गति ऐसी होती है की लगता है जैसे उसका अपना एक इरादा (intent) और अपना एक अभिकरण (agency) है।रोबोट शब्द भौतिक रोबोट और आभासी (virtual) सॉफ्टवेयर एजेंट (software agent), दोनों को ही प्रतिबिंबित करता है लेकिन प्रायः आभासी सॉफ्टवेयर एजेंट को बोट्स (bots) कहा जाता है। ऐसी कोई भी सर्वसम्मति नहीं बन पाई है की मशीन रोबोटों के रूप में योग्य हैं, लेकिन एक विशेषज्ञों और जनता के बीच आम सहमति है कि कुछ या सभी निम्न कार्य कर सकता है जैसे: घूमना, यंत्र या कल सम्बन्धी अवयव को संचालित करना, वातावरण की समझ और उसमें फेर बदल करना और बुद्धिमानी भरे व्यवहार को प्रधार्षित करना जो की मानव और पशुओं के व्यवहारों की नक़ल करना। कृत्रिम सहायकों और साथी की कहानिया और और उन्हें बनाने के प्रयास का एक लम्बा इतिहास है लेकिन पूरी तरह से स्वायत्त (autonomous) मशीने केवल 20 वीं सदी में आए डिजिटल (digital) प्रणाली से चलने वाला प्रोग्राम किया हुआ पहला रोबोट युनिमेट (Unimate), १९६१ में ठप्पा बनाने वाली मशीन से धातु के गर्म टुकड़ों को उठाकर उनके ढेर बनाने के लिए लगाया गया था। आज, वाणिज्यिक और औद्योगिक रोबोट (industrial robot) व्यापक रूप से सस्ते में और अधिकसे अधिक सटीकता और मनुष्यों की तुलना में ज्यादा विश्वसनीयता के साथ प्रयोग में आ रहे हैं उन्हें ऐसे कार्यों के लिए भी नियुक्त किया जाता है जो की मानव लिहाज़ से काफी खतरनाक, गन्दा और उबाऊ कार्य होता है रोबोट्स का प्रयोग व्यापक रूप से विनिर्माण (manufacturing), सभा और गठरी लादने, परिवहन, पृथ्वी और अन्तरिक्षीय खोज, सर्जरी, हथियारों के निर्माण, प्रयोगशाला अनुसंधान और उपभोक्ता और औद्योगिक उत्पादन के लिए किया जा रहा है आमतौर पर लोगों का जिन रोबोटों से सामना हुआ है उनके बारे में लोगों के विचार सकारात्मक हैं घरेलू रोबोट (Domestic robot) सफाई और रखरखाव के काम के लिए घरों के आस पास आम होते जा रहे हैंबहरहाल रोबोटिक हथियारों और स्वचालन के आर्थिक प्रभाव को लेकर चिंता बनी हुई है, ऐसी चिंता जिसका समाधान लोकप्रिय मनोरंजन में वर्णित खलनायकी, बुद्धिमान, कलाबाज़ रोबोट के सहारे नहीं होता अपने काल्पनिक समकक्षों की तुलना में असली रोबोट्स अभी भी सौम्य, मंद बुद्धि और स्थूल हैं .

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लिंडन बेन्स जॉनसन

लिंडन बेन्स जॉनसन संयुक्त राज्य अमरीका के राष्ट्रपति थे। इनका कार्यकाल १९६३ से १९६९ तक था। ये डेमोक्रैट पार्टी से थे। जन्म टेक्सास, २७ अगस्त, १९०८। एक साधारण किसान परिवार में पले औ कठिन परिश्रम द्वारा धन अर्जित कर शिक्षा प्राप्त की। १९३० में ग्रेजुएट होकर कुछ दिन शिक्षक रहे। १९३२ में राजनीति में प्रवेश कर १९३७ से १९४८ तक कांग्रेस के तथा १९४८ से १९६० तक सेनेट के सदस्य रहे। द्वितीय विश्वयुद्ध में अमेरिकन नौसेना में लेफ्टिनेंट कमांडर के पद पर रहे। सेनेट में अपनी योग्यता से डिमाक्रेटिक दल के नेता चुने गए। १९६० में यह केनेडी के साथ उपराष्ट्रपति चुने गए। १९६१ मे जर्मनी, भारत एवं दक्षिण पूर्वी एशिया का भ्रमण किया। केनेडी की मृत्यु के उपरांत २२ नवंबर, १९६३ से राष्ट्रपति के पद पर नियुक्त हुए। .

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श्रीचंद

श्रीचंद एक क्रान्तिकारी किसान थे। देश के किसानों में अग्रेजों के खिलाफ क्रान्ति लाने का श्रेय श्रीचंद जी को जाता है इनके भाई हेतराम भी भारत की स्वतंत्रता के लिए लडे। .

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सुल्तान कोसेन

सुल्तान कोसेन Sultan Kösen (जन्म १० दिसम्बर १९८२) एक तुर्किश किसान है ये गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार जीवित सबसे लम्बे आदमी है। इनकी लम्बाई है।.

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स्‍वामी प्रसाद मौर्य

स्वामी प्रसाद मौर्या,भारत के उत्तर प्रदेश की सोलहवीं विधानसभा सभा में विधायक रहे। 2012 उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश की पडरौना विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र (निर्वाचन संख्या-330)से चुनाव जीता। माननीय स्वामी प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री हैं| माननीय श्री मौर्य श्रम विभाग, सेवायोजन, शहरी रोजगार और गरीबी उन्मूलन विभागों के मंत्री हैं| मंत्री जी महान सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य एवं चक्रवर्ती सम्राट अशोक महान के वंशज हैं | .

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सूर्य सेन

सूर्य सेन (1894 - 12 जनवरी 1934) भारत की स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रान्तिकारी थे। उन्होने इंडियन रिपब्लिकन आर्मी की स्थापना की और चटगांव विद्रोह का सफल नेतृत्व किया। वे नेशनल हाईस्कूल में सीनियर ग्रेजुएट शिक्षक के रूप में कार्यरत थे और लोग प्यार से उन्हें "मास्टर दा" कहकर सम्बोधित करते थे। अंग्रेजों ने उन्हें १२ जनवरी १९३४ को मेदिनीपुर जेल में फांसी दे दी। .

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सूखा

अकाल भोजन का एक व्यापक अभाव है जो किसी भी पशुवर्गीय प्रजाति पर लागू हो सकता है। इस घटना के साथ या इसके बाद आम तौर पर क्षेत्रीय कुपोषण, भुखमरी, महामारी और मृत्यु दर में वृद्धि हो जाती है। जब किसी क्षेत्र में लम्बे समय तक (कई महीने या कई वर्ष तक) वर्षा कम होती है या नहीं होती है तो इसे सूखा या अकाल कहा जाता है। सूखे के कारण प्रभावित क्षेत्र की कृषि एवं वहाँ के पर्यावरण पर अत्यन्त प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था डगमगा जाती है। इतिहास में कुछ अकाल बहुत ही कुख्यात रहे हैं जिसमें करोंड़ों लोगों की जाने गयीं हैं। अकाल राहत के आपातकालीन उपायों में मुख्य रूप से क्षतिपूरक सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे कि विटामिन और खनिज पदार्थ देना शामिल है जिन्हें फोर्टीफाइड शैसे पाउडरों के माध्यम से या सीधे तौर पर पूरकों के जरिये दिया जाता है।, बीबीसी न्यूज़, टाइम सहायता समूहों ने दाता देशों से खाद्य पदार्थ खरीदने की बजाय स्थानीय किसानों को भुगतान के लिए नगद राशि देना या भूखों को नगद वाउचर देने पर आधारित अकाल राहत मॉडल का प्रयोग करना शुरू कर दिया है क्योंकि दाता देश स्थानीय खाद्य पदार्थ बाजारों को नुकसान पहुंचाते हैं।, क्रिश्चियन साइंस मॉनिटर लंबी अवधि के उपायों में शामिल हैं आधुनिक कृषि तकनीकों जैसे कि उर्वरक और सिंचाई में निवेश, जिसने विकसित दुनिया में भुखमरी को काफी हद तक मिटा दिया है।, न्यूयॉर्क टाइम्स, 9 जुलाई 2009 विश्व बैंक की बाध्यताएं किसानों के लिए सरकारी अनुदानों को सीमित करते हैं और उर्वरकों के अधिक से अधिक उपयोग के अनापेक्षित परिणामों: जल आपूर्तियों और आवास पर प्रतिकूल प्रभावों के कारण कुछ पर्यावरण समूहों द्वारा इसका विरोध किया जाता है।, न्यूयॉर्क टाइम्स, 2 दिसम्बर 2007, दी अटलांटिक .

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हुकुमदेव नारायण यादव

हुकुमदेव नारायण यादव (जन्म: 17 नवम्बर, 1939) भारत की १६वीं लोकसभा के सदस्य, भारतीय जनता पार्टी के सदस्य तथा किसानों के पक्षधर नेता हैं। वे मधुबनी से लोकसभा सदस्य हैं। .

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घनश्याम दास अरोड़ा

घनश्याम दास अरोड़ा (जन्म 13 अगस्त 1952) पिता का नाम श्री अर्जुन दास) अरोड़ा भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं और वर्तमान में यमुनानगर निर्वाचन क्षेत्र से हरियाणा की 13 वीं विधानसभा के विधायक है। 2014 में उन्होंने 28245 वोटों के अंतर के साथ विधानसभा चुनाव जीता। वह 1967 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल हुए और संघ के सक्रिय सदस्य बने। .

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वयलर रामवर्मा

वयलर रामवर्मा या वयलर राम वर्मा (25 मार्च 1928 – 27 अक्टूबर 1975) मलयालम भाषा के कवि थे। यह मुख्य रूप से वयलर के नाम से जाने जाते थे। कलम तलवार की अपेक्षा शक्ति- युक्त और तेज़ है। इसका उत्तम उदाहरण है- साहित्य। मलयालम साहित्य के एक युग पुरुष थे- वयलार रामवर्मा। वयलार रामवर्मा मलयालम के सुप्रसिद्ध गानरचयिता थे। उन्होंने मलयालम में अनेक मार्मिक कविताएँ लिखी है। वे कवि एवं समाज सुधारक थे। समाज में प्रचलित अधंविश्वासों और कुरीतियों को दूर करने के लिए सदा ही उन्होंने अपनी कलम चलाई थी। वे आज भी जन हृदय में निर्भर है। .

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वास्तुकला का इतिहास

वास्तुकला किसी स्थान को मानव के लिए वासयोग्य बनाने की कला है। अत: कालांतर में यह चाहे जितनी जटिल हो गई हो, इसका आरंभ मौसम की उग्रता, वन्य पशुओं के भय और शत्रुओं के आक्रमण से बचने के प्रारंभिक उपायों में ही हुआ होगा। मानव सभ्यता के इतिहास का भी कुछ ऐसा ही आरंभ है। इसीलिए विद्वानों ने इसे मानव सभ्यता का "योजक मसाला" कहा है। .

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विलियम काबेट

विलियम काबेट (William Cobbett; १७६२ - १८३५) इंग्लैण्ड के कृषक, पत्रकार और पम्फलेटिअर (pamphleteer) थे। 'रूरल राइड्स' उनकी प्रसिद्ध पुस्तक है। विलियम कॉबेट का संघर्षमय जीवन ऐसे काल में व्यतीत हुआ था, जो इंग्लैंड ही नहीं, समस्त पाश्चात्य श्वेत जाति के इतिहास में क्रांतिपूर्ण युग माना जाता है। इसी काल में अमरीका का स्वातंत्र्य संग्राम हुआ और फ्रांस में राजनीतिक क्रांति का विस्फोट; इसके बाद ही नेपोलियन का उदय हुआ और समस्त यूरोप में उसकी विजयवाहिनी ने आतंकपूर्ण वातावरण पैदा कर दिया। इन विप्लवात्मक परिवर्तनों का इंग्लैंड के राजनीतिक तथा सामाजिक जीवन पर गहरा असर पड़ा और इसके फलस्वरूप पार्लियामेंट संबंधी सुधारों का क्रम आरंभ हुआ। परंतु इससे अधिक महत्वपूर्ण वह आर्थिक तथा औद्योगिक क्रांति थी जो इंग्लैंड की परंपरागत ग्राम तथा कृषि व्यवस्था का कलेवर ही ध्वस्त करने पर उतारू थी। पूँजीपतियों की लोलुपता तथा कुचक्रों के फलस्वरूप भूस्वामियों, कृषकों तथा भूमिहीन श्रमिकों का ह्रास और औद्योगिक जमींदारियों का विस्तार हो रहा था। विलियम काबेट ने अपने लंबे जीवनकाल में इन घातक परिवर्तनों का भरपूर विरोध किया क्योंकि इससे राष्ट्रीय शक्ति के मूल स्रोतों का ही शोषण हो रहा था। वे स्वयं कृषक वर्ग के प्रतिनिधि थे। उनका जन्म सन् १७६२ में फार्नहैम गाँव के एक कृषक परिवार में हुआ था और उनका बचपन कृषि संबंधी परिश्रमों तथा मनोरंजनों के बीच व्यतीत हुआ। इसी समय उनके हृदय में प्रकृतिप्रेम का भी बीजारोपण हुआ जो उत्तरोत्तर बढ़ता हुआ उनके लेखों में काव्यमय होकर प्रस्फुटित हुआ। इनकी शिक्षा सुव्यवस्थित रूप से नहीं हो पाई परंतु विद्याप्रेम इनका जन्मजात गुण था और बचपन ही में अपने जेब की समस्त पूँजी स्विफ़्ट के प्रसिद्ध ग्रंथ 'ए टेल ऑव ए टब' पर लगाकार इन्होंने इसका आश्चर्यजनक परिचय दिया। स्वच्छंद स्वभाव का यह नवयुवक गाँव के संकीर्ण दायरे में बँधकर रहना पसंद न कर सका; इसलिए घर से भागकर यह सेना में भर्ती हुआ और कालांतर में अमरीका के संघर्षपूर्ण वातावरण का अंग बन गया। आठ वर्षों तक काबेट ने अमरीका में उदार तथा प्रगतिशील सिद्धांतों का निर्बाध रूप से प्रतिपादन किया, फलस्वरूप उन्हें 'पीटर पारक्युपाइन' का सार्थक उपनाम दिया गया। परंतु इसके साथ ही साथ वे अपने देश की राजनीतिक संस्थाओं का भी जोरदार समर्थन करते रहे। स्वदेश लौटने पर टोरी दल ने उनकी प्रतिभा को क्रय करने का भगीरथ प्रयत्न किया परंतु काबेट किसी भी मूल्य पर बिकने के लिए तैयार नहीं हुए। सन् १८०२ ई. में उन्होंने 'द पोलिटिकल रजिस्टर' नामक प्रसिद्ध पत्रिका का संपादन आरंभ किया और वैधानिक सुधारों के पक्ष में अपनी भावपूर्ण लेखनी को सर्वदा के लिए समर्पित कर दिया। सन् १८३२ में ओल्ढम क्षेत्र से वे पार्लियामेंट के सदस्य चुने गए और वहाँ के कृषकों तथा श्रमिकों का आजीवन समर्थन करते रहे। कई बार सरकार से लोहा लेकर वे उसके कोपभाजन भी बने पंरतु उनका उत्साह अदम्य था और कंटकाकीर्ण मार्ग पर चलने में वे काफी अभ्यस्त थे। सन् १८३५ में वे अस्वस्थ हुए परंतु मृत्यु काल तक लिखते तथा काम करते रहे। विलियम काबेट के लेखों का संग्रह ५० मोटी जिल्दों में हुआ है, जिनमें 'काटेज इकानोमी', 'ऐडवाइस टु यंग मेन', 'रूरल राइड्स' तथा 'लिगेसी टु वर्कर्स' विशेष उल्लेखनीय हैं। इन लेखों में विविध विषयों का समावेश है परंतु इनके दो केंद्रबिंदु हैं—राजनीति तथा ग्राम्य जीवन संबंधी प्रकृतिसौंदर्य। राजनीतिक लेखों में उन्होंने अन्याय तथा कुरीतियों के प्रति विदग्ध लेखनी का संचालन कर अपनी स्वाभाविक उग्रता तथा संघर्षप्रियता का परिचय दिया, परंतु 'रूरल राइड्स' के पृष्ठों में उनके प्रकृतिप्रेम तथा काव्यमयी प्रतिभा की सुखद अभिव्यक्ति हुई है। उनकी ख्याति का स्थायी आधारस्तंभ इन्हीं साहित्यिक लेखों में क्योंकि उनके राजनीतिक तथा सामजिक विचार ऐतिहासिक महत्व के ही रह गए हैं। समाजसुधारक के रूप में उनका दृष्टिकोण प्रगतिशील नहीं था। रस्किन तथा मारिस के समान वे मध्यकालीन समाजव्यवस्था के समर्थक थे, जिसमें समस्त गाँव एक कुटुंब के समान रहता था और पारिवारिक जीवन परिश्रमजन्य सुखसाधनों से संपन्न था। .

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वैश्वीकरण

Puxi) शंघाई के बगल में, चीन. टाटा समूहहै। वैश्वीकरण का शाब्दिक अर्थ स्थानीय या क्षेत्रीय वस्तुओं या घटनाओं के विश्व स्तर पर रूपांतरण की प्रक्रिया है। इसे एक ऐसी प्रक्रिया का वर्णन करने के लिए भी प्रयुक्त किया जा सकता है जिसके द्वारा पूरे विश्व के लोग मिलकर एक समाज बनाते हैं तथा एक साथ कार्य करते हैं। यह प्रक्रिया आर्थिक, तकनीकी, सामाजिक और राजनीतिक ताकतों का एक संयोजन है।वैश्वीकरण का उपयोग अक्सर आर्थिक वैश्वीकरण के सन्दर्भ में किया जाता है, अर्थात, व्यापार, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश, पूंजी प्रवाह, प्रवास और प्रौद्योगिकी के प्रसार के माध्यम से राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं में एकीकरण.

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गाँव

मध्य भारत का एक गाँव कैसल नाला, विल्टशायर, इंग्लैंड के गाँव के मुख्य सड़क पर. Masouleh गाँव, Gilan प्रांत, ईरान. Saifi गाँव के केंद्र Ville, बेरूत, लेबनान में मुख्य चौराहे Lötschental घाटी, स्विट्जरलैंड में एक अल्पाइन गाँव. ग्राम या गाँव छोटी-छोटी मानव बस्तियों को कहते हैं जिनकी जनसंख्या कुछ सौ से लेकर कुछ हजार के बीच होती है। प्राय: गाँवों के लोग कृषि या कोई अन्य परम्परागत काम करते हैं। गाँवों में घर प्राय: बहुत पास-पास व अव्यवस्थित होते हैं। परम्परागत रूप से गाँवों में शहरों की अपेक्षा कम सुविधाएं (शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य आदि की) होती हैं।इसे संस्कृत में ग्राम, गुजराती में गाम(गुजराती:ગામ), पंजाबी में पिंड कहते हैं। .

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गौरा देवी

चिपको आंदोलन को शुरू करने मे गौरा देवी की महत्वपूर्ण भूमिका थी। गौरा देवी (अंग्रेजी: Gaura Devi) जिनका जन्म १९२५ में उत्तराखंड के लाता गाॅंव में हुआ था। इन्हें चिपको आन्दोलन की जननी माना जाता है। उस वक़्त गाॅंव में काफी बड़े-बड़े पेड़ -पौधे थे जो कि पूरे क्षेत्र को घेरे हुए थे। इनकी शादी मात्र १२ वर्ष की उम्र में मेहरबान सिंह के साथ कर दी थीं, जो कि नज़दीकी गांव रेणी के निवासी थे। मेहरबान सिंह जो कि एक किसान था और भेड़ों को पालता और उनकी ऊन का व्यापार किया करता था। शादी के १० वर्ष उपरांत मेहरबान की मृत्यु हो जाने के कारण गौरा देवी को अपने बच्चे का लालन - पालन करने में काफी दिक्कतें आई थीं। कुछ समय बाद गौरा महिला मण्डल की अध्यक्ष भी बन गई थी। अलाकांडा में चंडी प्रसाद भट्ट तथा गोविंद सिंह रावत नामक लोगों ने अभियान चलाते हुए सन् १९७४ में २५०० देवदार वृक्षों को काटने के लिए चिन्हित किया गया था लेकिन गौरा देवी ने इनका विरोध किया और पेड़ों की रक्षा करने का अभियान चलाया, इसी कारण गौरा देवी चिपको वूमन के नाम से जानी जाती है। दस साल बाद देवी ने एक साक्षात्कार में कहा था की भाइयों ये जंगल हमारा माता का घर जैसा है यहां से हमें फल,फूल,सब्जियां मिलती अगर यहां के पेड़ - पौधे काटोगे तो निश्चित ही बाढ़ आएगी। गौरा देवी अपने जीवन काल में कभी विद्यालय नहीं जा सकी थीं लेकिन इन्हें प्राचीन वेद,पुराण,रामायण,भगवतगीता,महाभारत तथा ऋषि - मुनियों की सारी जानकारी थी। चिपको वूमन के नाम से जाने वाली गौरा देवी का निधन ६६ वर्ष की उम्र में ०४ जुलाई १९९१ में हो गया था। .

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कर्म एवं उद्यमों की सूची

कोई विवरण नहीं।

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कंवरपाल गुर्जर

कंवरपाल गुर्जर; जन्म: 08 मई 1960) हरियाणा के जिला(यमुनानगर), कंवरपाल, गाँव बहादुरपुर, पोस्ट ऑफिस खिजराबाद, तहसील छछरौली, जिला यमुनानगर। हरियाणा में भाजपा से (3 नवंबर, 2014) को 13वी विधानसभा के अध्यक्ष के रूप में शपथ ग्रहण की। कंवरपाल हरियाणा के यमुनानगर जिले के रहने वाले है और 13वी विधानसभा में जगाधरी से विधायक है इनके नेतृत्व में हरियाणा सरकार में बहुत बहुमल्य मुद्दों पर बिल पास किये जा रहे हैं, अपने कार्य और कर्तव्य के प्रति कंवरपाल जी की सच्ची सेवा और धार्मिक कार्यो में निजी योगदान इनके धार्मिक सवभाव को दर्शाता है। अपनी सादगी और मिलनसार वर्ताव के कारण जनता में इतना फेमस शायद ही कोई और विधायक होगा, जिसने जनता से इतना प्यार प्राप्त किया हो, राजनीती और काजनीति का एक बहुत अच्छा उदहारण अगर कंवरपाल जी को कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। .

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कुलधरा

कुलधरा या कुलधर (Kuldhara or Kuldhar) भारतीय राज्य राजस्थान के जैसलमेर ज़िले में स्थित है एक शापित और रहस्यमयी गाँव है जिसे भूतों का गाँव (Haunted Village) भी कहा जाता है। इस गाँव का निर्माण लगभग १३वीं शताब्दी में पालीवाल ब्राह्मणों ने किया था। लेकिन यह १९वीं शताब्दी में घटती पानी की आपूर्ति के कारण पूरा गाँव नष्ट हो गया,लेकिन कुछ किवदंतियों के अनुसार इस गाँव का विनाश जैसलमेर के राज्य मंत्री सलीम सिंह के कारण हुआ था। सलीम सिंह जो जैसलमेर के एक मंत्री हुआ करते थे वो गाँव पर काफी शख्ती से पेश आता था इस कारण सभी ग्रामवासी लोग परेशान होकर रातोंरात गाँव छोड़कर चले गए साथ ही श्राप भी देकर चले गए इस कारण यह शापित गाँव भी कहलाता है। यह गाँव अभी भी भूतिया गाँव कहलाता है लेकिन अभी राजस्थान सरकार ने इसे पर्यटन स्थल का दर्जा दे दिया है,इस कारण अब यहां रोजाना हज़ारों की संख्या में देश एवं विदेश से पर्यटक आते रहते है। .

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कुशवाहा (कोइरी ) बिहार

कुशवाहा (कोइरी) एक उत्तर भारतीय जाति है। यह भारतीय समाज की की सबसे प्राचीन वैदिक क्षेत्रीय कृषक जाति भी मानी जाती है। इसका निवास क्षेत्र बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखण्ड मध्यप्रदेश और झारखण्ड है। इस जाति का कई स्वतंत्र राज्यों व रियासतों पर शासन रहा हैं । कोईरी,काछी,मुराव और कछवाहा राजपूत जो राजपूत जाति में आते है राम के पुत्र कुश का वंशज मानते हैं जिनके अंदर ब्रिटिश काल में चार उपजातियां कोइरी,काछी, मुराव,कछवाहा को शामिल किया गया था। उसी समय इन चारो उपजाति ने एक उपनाम कुशवाहा पर जोर दिया लेकिन कालांतर में कछवाहा से इनकी दूरी बढ़ गयी क्योकि कछवाहा राजपूत का हिस्सा थे जबकि कुशवाहा एक जाति के रूप में थी। कोइली गणराज्य कोइरियो का था जो कुश्वंशी क्षत्रिय थे। इसके प्रमाणस्वरूप कुशवाहा क्षत्रिय उत्त्पत्ति मीमांसा जैसे ग्रंथो के अतिरिक्त इतिहासकार गंगा प्रसाद गुप्ता,जेम्स कर्नल टाड के आलावा कई आर्य समाजी विद्वानों के पाठ उपलब्ध हैं। .

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क्षेत्र (कृषि)

खेत (en:field) वह स्थान, जहाँ किसान फसलें उगाते हैं। .

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कृषकवाद

कृषकवाद (agrarianism) एक सामाजिक और राजनैतिक दार्शनिक दृष्टिकोण है जिसमें ग्रामीण समाज को नगरीय समाज से ऊँचा ठहराया जाता है। इस विचारधारा के अनुसार स्वतंत्र कृषक किसी आय लेने वाली व्यवसायी नौकर से अधिक महान है और कृषि की जीवन-पद्धति द्वारा ही आदर्श सामाजिक मूल्यों की प्राप्ति हो सकती है। यह गाँव के सरल जीवन पर ज़ोर देती है और शहरों की हलचल और संकुल जीवनी की निन्दा। .

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अशोक मेहता

अशोक मेहता (२४ अक्टूबर १९११ - १९८४) भारत के प्रमुख समाजवादी नेता, सांसद तथा विचारक थे। उन्होने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भी भाग लिया। अशोक मेहता का जन्म सौराष्ट्र के भावनगर कस्बे में हुआ था। उनकी शिक्षा विल्सन कालेज मुम्बई में हुई। उनके विचारों पर रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानन्द, महात्मा गाँधी और रवीन्द्रनाथ ठाकुर का प्रभाव पड़ा। साथ ही वे हेराल्ड लास्की और कार्ल मार्क्स के विचारों से बहुत प्रभावित थे। १९३२ के बाद अशोक मेहता कई बार जेल गये। इन जेल यात्राओं में उनका सम्पर्क अच्युत पटवर्धन और जयप्रकाश नारायण जैसे व्यक्तियों से हुआ। १९३४ में जब कांग्रेस समाजवादी दल का गठन हुआ तब २३ वर्ष के नवयुवक मेहता उसके सदस्य थे। अपने पार्टी के साप्ताहिक 'कांग्रेस सोसलिस्ट' का उन्होने १९३९ तक सम्पादन किया। उनका सम्बन्ध भारत के किसान और श्रमिक आन्दोलन से भी था। भारत छोड़ो आन्दोलन में उनकी प्रमुख भूमिका रही। स्वतंत्रता के बाद अशोक मेहता की अध्यक्षता में प्रजा सोसलिस्ट पार्टी बनी। वे दो बार लोकसभा सदस्य चुने गये। वे कुछ समय तक योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे। वे भारत के केंद्रीय सरकार के मंत्री भी रहे। १९६९ में कांग्रेस विभाजन के बाद 'संगठन कांग्रेस' में चले गये। १९८४ में उनका निधन हो गया। श्रेणी:समाजवाद श्रेणी:राजनीतिज्ञ श्रेणी:1911 में जन्मे लोग श्रेणी:१९८४ में निधन.

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उत्तर प्रदेश के लोकनृत्य

लोकनृत्य में उत्तर प्रदेश के प्रत्येक अंचल की अपनी विशिष्ट पहचान है। समृद्ध विरासत की विविधता को संजोये हुए ये आंगिक कलारूप लोक संस्कृति के प्रमुख वाहक हैं। .

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छठ पूजा

छठ पर्व या छठ कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है। सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से पूर्वी भारत के बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। प्रायः हिन्दुओं द्वारा मनाये जाने वाले इस पर्व को इस्लाम सहित अन्य धर्मावलम्बी भी मनाते देखे गये हैं। धीरे-धीरे यह त्योहार प्रवासी भारतीयों के साथ-साथ विश्वभर में प्रचलित हो गया है। छठ पूजा सूर्य और उनकी पत्नी उषा को समर्पित है ताकि उन्हें पृथ्वी पर जीवन की देवतायों को बहाल करने के लिए धन्यवाद और कुछ शुभकामनाएं देने का अनुरोध किया जाए। छठ में कोई मूर्तिपूजा शामिल नहीं है। यह त्यौहार नेपाली और भारतीय लोगों द्वारा अपने डायस्पोरा के साथ मनाया जाता है। .

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