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कालाहारी मरुस्थल

सूची कालाहारी मरुस्थल

कालाहारी मरुस्थल तथा इसको आवृत करने वाली कालाहारी घाटी का क्षेत्र कालाहारी विश्व का एक विशाल मरूस्‍थल है। कालाहारी मरुस्थल का क्षेत्र दक्षिणवर्ती अफ़्रीका के बोत्सवाना, नामीबिया तथा दक्षिण अफ़्रीका देशों की सीमा में लगभग 9 लाख वर्गकिलोमीटर में विस्तृत है। इसको आवृत करने वाली कालाहारी घाटी कोई 25 लाख वर्ग किलोमीटर में फैली है। मरुस्थल में सालाना 8-19 सेमी वर्षा होती है। इसके कुछ हिस्सों में साल में तीन महीने वर्षा होती है जिसकी वजह से यहाँ पशुओं की आबादी भी देखने को मिलती है। यहाँ रहने वाली जनजातियों को बुशमैन कहा जाता है। 1980 के दशक में यहाँ के वन्य जीव संरक्षण के कई उपाय हुए। यह एक उष्ण कटिबंधीय मरुस्थल है। इसके पश्चिम में नामीब मरुस्थल है। कालाहारी में दो बड़े नमक के मैदान भी है। इसके उत्तर पश्चिम में ओकावंगो नदी डेल्टा बनाती है जो वन्यजीवन से भरपूर है। इस रेगिस्तान में पाई जाने वाली रेत भी स्थान-स्थान पर भिन्न रंग की होती है। कुछ लोग कालाहारी को रेगिस्तान नहीं मानते, क्योंकि यहाँ पर वर्षा का स्तर काफ़ी अच्छा है। जाड़े के दिनों में यहाँ का तापमान जमाव बिन्दु से नीचे चला जाता है। इस रेगिस्तान में जीव-जंतुओं और वनस्पतियों की विभिन्न प्रजातियाँ पाई जाती हैं।यह रेगिस्तान अपने खनिजों के लिए बहुत प्रसिद्ध है, यहाँ हीरा,निकल तथा यूरेनियम आदि के पर्याप्त भण्डार मौजूद हैं।यह रेगिस्तान दक्षिण में 'ओरेंज नदी तथा उत्तर में जाम्बेजी नदी के बीच स्थित है।'कालाहारी' शब्द संभवतः 'कीर' से बना है, जिसका अर्थ होता है-'बेहद प्यास'। यह भी कहा जाता है कि कालाहारी एक विशेष जनजातीय शब्द है,जो 'कालागारी' अथवा 'कालागारे' से उत्पन्न हुआ है, जिसका अर्थ होता है-'जलविहीन स्थान'। अन्य रेगिस्तानों की भांति इस स्थान पर भी रेत के टीले व बजरी के समतल क्षेत्र हैं। यहाँ के टीले लगभग स्थिर रहते हैं। कालाहारी रेगिस्तान में अधिकतर रेत बहुत महीन तथा कहीं-कहीं पर लाल रंग तो कहीं पर स्लेटी रंग की होती है। यह विवाद का विषय है कि क्या कालाहारी वास्तविक रूप में एक रेगिस्तान हैं? कुछ लोगों का यह मानना है कि कालाहारी को रेगिस्तान की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।इसका कारण यह है,क्योंकि यहाँ पर वर्षा का स्तर 250 से.मी.

18 संबंधों: डेविड लिविंग्स्टन, द्राखेन्सबर्ग, नामीब मरुस्थल, बुशमैन, बोत्सवाना, रीज विदरस्पून, सीसी मक्खी, विश्व के मरुस्थल, खोई भाषाएँ, खोईसान भाषाएँ, खोइसान, ओमाहेके प्रदेश, ओकावंगो डेल्टा, ओकावंगो नदी, आरेंज नदी, अफ़्रीका, अफ़्रीका की भू-प्रकृति, १ई+११ मी॰²

डेविड लिविंग्स्टन

डेविड लिविंग्स्टन डेविड लिविंग्स्टन (David Livingstone; १८१३-१८७३) स्कॉटलैण्ड का चिकित्सा-मिशनरी तथा अफ्रीका महाद्वीप की साहसी यात्रा करने वाला था। .

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द्राखेन्सबर्ग

अफ्रीका महाद्वीप के पूर्व एवं दक्षिण में उच्च पठारहैं। पठार के पूर्वी किनारे पर ड्रेकेन्सबर्ग पर्वत है जो समुद्र तट की ओर एक दीवाल की भाँति खड़ा है। ड्रेकेन्सबर्ग का स्थानीय नाम क्वाथालम्बा है। केप प्रान्त में यह पठार दक्षिण की ओर चबूतरे के रूप में समुद्र तक नीचे उतरता है। इन चबूतरों को कारू कहते हैं। इनमें उत्तरी चबूतरे को महान कारू तथा दक्षिणी चबूतरे को लघू कारू कहते हैं। दक्षिणी-पश्चिमी भाग में कालाहारी का मरूस्थल है। यह दक्षिण अफ्रीका के पूर्वी तट पर स्थित 2000 से 3000 मीटर ऊँची पहाड़ियाँ है।यह लेसोथो से पूर्वी केप तक फैला हुआ है। सबसे ऊँची चोटी 3482 मीटर है।इससे ऑरेंज नदी लिम्पोपो आदि नदियाँ निकलती है। यह नामीब मरुस्थल, कालाहारी रेगिस्तान और हिन्द महासागर से घिरा है। यह पूर्वी नम हवाओं को पश्चिम की ओर बढ़ने से रोकता है जिससे नामीब रेगिस्तान अधिक शुष्क हो गया है। श्रेणी:अफ़्रीका की पर्वतमालाएँ श्रेणी:दक्षिण अफ़्रीका की पर्वतमालाएँ श्रेणी:लिसूतू की पर्वतमालाएँ.

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नामीब मरुस्थल

नामीब रेगिस्तान नामीबिया में स्थित है। यह दक्षिणी अफ्रीका का तटीय मरुस्थल है।नामीब नाम की उत्पत्ति नामा शब्द से हुई है जिसका अर्थ है बहुत बड़ा स्थान। यह रेगिस्तान काफ़ी गर्म और शुष्क है। यह अंगोला नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका के अटलांटिक तट पर 2000 किमी से ज्यादा फैला हुआ है। इसका विस्तार अंगोला के करुजन्बा नदी से लेकर ओलिफ़न्त्स नदी तक हुआ है। यह बोत्सवाना, नामीबिया तथा दक्षिण अफ़्रीका का उत्तरी भाग है, जो 1,35,000 वर्ग कि॰मी॰ के क्षेत्र में फैला हुआ है। इस मरुस्थल का दक्षिणी हिस्सा कालाहारी मरुस्थल से मिल जाता है। बर्षा 2 मिमी से 200 मिमी तक हो जाती है।यह संसार का सबसे पुराना रेगिस्तान है। यहाँ की चट्टानों में विभिन्न रंग के शैवाल उगते हैं। .

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बुशमैन

बुशमैन, अथवा सान लोग अफ्रीका के कालाहारी मरुस्थल और आसपास के इलाकों में निवास में करने वाली एक बेहद प्राचीन व प्रमुख जनजाति हैं।.

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बोत्सवाना

बोत्सवाना का मानचित्र बोत्सवाना गणराज्य (अंग्रेजी: Republic of Botswana, श्वाना: Lefatshe la Botswana), अफ्रीकी महाद्वीप के दक्षिण में स्थित एक स्थल-रुद्ध देश है। 30 सितम्बर 1966 को ब्रिटेन की संयुक्त राजशाही से स्वतंत्रता मिलने से पूर्व इसे ब्रिटिश संरक्षित राज्य, बेचुआनालैंड के नाम से जाना जाता था। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद ब्रिटिश राष्ट्रमंडल के अंतर्गत इस देश ने एक नया नाम बोत्सवाना अपना लिया। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद यहाँ लगातार स्वतंत्र और निष्पक्ष लोकतांत्रिक चुनाव आयोजित किये जा रहे हैं। जिम्बाब्वे,अंगोला, जांबिया और दक्षिण अफ्रीका इसके पड़ोसी देश हैं। भौगोलिक दृष्टि से बोत्सवाना एक सपाट देश है और इसके लगभग 70% भाग में कालाहारी मरुस्थल फैला है। इसके दक्षिण और दक्षिणपश्चिम में दक्षिण अफ्रीका, पश्चिम और उत्तर में नामीबिया तथा उत्तरपूर्व में जिम्बाब्वे स्थित है। यह सिर्फ एक बिंदु पर जाम्बिया से मिलता है। यह एक छोटा सा देश है, जिसकी जनसंख्या सिर्फ 20 लाख है। स्वतंत्रता के समय यह अफ्रीका के कुछ सबसे गरीब देशों मे से एक था जिसका सकल घरेलू उत्पाद प्रति व्यक्ति मात्र 70 अमेरिकी डॉलर था, लेकिन तब से लेकर अब तक बोत्सवाना ने आर्थिक रूप से तरक्की की है और अब इसकी गिनती अफ्रीका के मध्यम आय वाले देशों में होने लगी है। इसकी अर्थव्यवस्था विश्व की कुछ सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से है, जिसकी औसत वृद्धि दर 9% की है और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के 2010 के अनुमान के अनुसार इसका सकल घरेलू उत्पाद (क्रय शक्ति समता) प्रति व्यक्ति लगभग 14,800 अमेरिकी डॉलर के बराबर है। बड़े स्तर पर व्याप्त गरीबी, असमानता और निम्न मानव विकास सूचकांक के बावजूद बोत्सवाना ने, सुशासन और व्यापक आर्थिक वित्तीय प्रबंधन द्वारा समर्थित विकास के स्तरों पर प्रभावशाली रूप से तरक्की की है। सकल घरेलू उत्पाद का 10 प्रतिशत शिक्षा पर व्यय किए जाने से इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण शैक्षिक उपलब्धियों हासिल हुई हैं और देश में लगभग लगभग सभी के लिए मुफ्त शिक्षा का प्रावधान किया गया है, हालाँकि इस सबके बावजूद देश में पर्याप्त कौशल और कार्यबल का अभाव है। बेरोजगारी की दर भी लगातार 20 प्रतिशत के साथ उच्च स्तर पर बनी हुई है। शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू आय काफी कम है, हालाँकि ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी की दर में गिरावट आई है, लेकिन अभी भी वो शहरी क्षेत्रों की तुलना में काफी अधिक है। सरकार की ओर से एचआईवी /एड्स की दवाओं की नि:शुल्क उपलब्धता के चलते एचआईवी/एड्स संक्रमण की दर में अभूतपूर्व कमी दर्ज की गयी है। हीरे और मांस बाजार पर बुरी तरह निर्भर देश की अर्थव्यवस्था में, विविधता लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। .

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रीज विदरस्पून

लॉरा जीन्ने रीज विदरस्पून (जन्म 22 मार्च 1976), जो आमतौर पर रीज विदरस्पून के नाम से जानी जाती हैं, एक अमेरिकी अभिनेत्री और फिल्म निर्माता हैं। 1998 में वे तीन प्रमुख फिल्मों: ओवरनाइट डिलिवरी, प्लिजेंटविले और ट्विलाईट, में दिखाई दीं। इसके अलगे वर्ष विदरस्पून समीक्षकों द्वारा प्रशंसित इलेक्शन में दिखाई दीं, जिसे गोल्डेन ग्लोब के लिए मनोनीत किया गया। 2001 में बॉक्स ऑफिस हिट लीगली ब्लॉन्ड में "एल वुड्स" की भूमिका उनके कैरियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई और 2002 में स्वीट होम अलबामा, जो कि इस साल का सबसे बड़ी व्यावसायिक हिट रही, में उन्होंने अभिनय किया। 2003 में उनकी वापसी प्रमुख अभिनेत्री और कार्यकारी निर्माता के रूप में हुईLegally Blonde 2: Red, White & Blonde.

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सीसी मक्खी

सीसी मक्खी सीसी मक्खी (Tsetse fly) अफ़्रीका में पाए जाने वाली एक प्रकार की मक्खी है। यह कीट प्रायः सहारा और कालाहारी मरुस्थल के बीच मध्य अफ्रीका में निवास करता है। यह मक्खी एक परजीवी है जो मनुष्य एवं जानवरों का रक्त पी कर जिन्दा रहती है। श्रेणी:अफ़्रीका.

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विश्व के मरुस्थल

विश्व के मरूस्थलो की सूची महाद्वीप के क्रम में इस प्रकार हैं- .

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खोई भाषाएँ

खोई भाषाएँ (Khoe languages) अफ़्रीका के दक्षिणी हिस्से में बोली जाने वाली भाषाओं का वह सबसे बड़ा परिवार है जो बांटू भाषा-परिवार का सदस्य नहीं है। यह पहले खोईसान भाषाओं की एक शाखा मानी जाती थी और 'मध्य खोईसान' के नाम से जानी जाती थी, लेकिन आधुनिक काल में यह एक अलग परिवार समझा जाता है। खोई भाषाओं में से सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा नामा भाषा है जो नामीबिया में बोली जाती है। अन्य खोई भाषाएँ बोत्स्वाना में कालाहारी रेगिस्तान में बोली जाती हैं। खोई भाषाएँ अपने क्लिक व्यंजनो के लिये जानी जाती हैं।, Alan Barnard, pp.

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खोईसान भाषाएँ

अफ़्रीका के नक़्शे पर: खोईसान भाषाएँ पीले रंग वाले क्षेत्रों में बोली जाती हैं खोईसान भाषाएँ दक्षिण और पूर्वी अफ़्रीका में बोली जाने वाली वह भाषाएँ हैं जिनमें क्लिक व्यंजन होते हैं और जो किसी भी अन्य भाषा परिवार की सदस्य नहीं हैं। यह कभी काफ़ी विस्तृत क्षेत्र में बोली जाती थीं लेकिन अब केवल कालाहारी रेगिस्तान में और तंज़ानिया के छोटे से इलाक़े में बोली जाती हैं। दक्षिण अफ़्रीका में इन्हें खोई और बुशमैन (जिन्हें 'सान' भी कहते हैं) आदिवासी बोला करते हैं और तंज़ानिया में संडावे और हदज़ा लोग इनके मातृभाषी हैं। बहुत से भाषावैज्ञानिक इसे एक भाषा परिवार का दर्जा नहीं देते और समझते हैं की वास्तव में यह भाषाएँ एक-दुसरे से कोई गहरा सम्बन्ध नहीं रखती। बहुत सी खोईसान भाषाएँ ख़तरे में हैं या विलुप्त हो चुकी हैं। खोईखोई भाषा सब से अधिक बोले जाने वाली खोईसान भाषा है और इसे नमीबिया में लगभग २। ५ लाख लोग बोलते हैं। तंज़ानिया की संडावे भाषा को ४०,००० लोग और कालाहारी मरुस्थल के उत्तरी भाग में बोले जानी वाली जुउ भाषाओँ को ३०,००० लोग बोलते हैं। ऐतिहासिक रूप से यह दक्षिण अफ़्रीका से उत्तर में महान दरार घाटी तक बोली जाती थीं लेकिन बांटू भाषाओँ के फैलने से इनका प्रभाव सिकुड़ता रहा। .

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खोइसान

एक ३३ वर्षीय सान पुरुष एक सान स्त्री खोईसान या खोइसान दक्षिण अफ़्रीका में रहने वाली दो अलग जातियों का सामूहिक नाम है जो खोईसान भाषाएँ बोलती हैं और अपने इर्द-गिर्द रहने वाले बहुसंख्यक बांटू भाषा बोलने वाली जातियों से भिन्न हैं। यह दो जातियाँ हैं: शिकारी-फ़रमर जीवनी बसर करने वाली सान जाति (जिन्हें बुशमैन भी कहा जाता है) और मवेशी-पालन करने वाली खोई जाति। यह दोनों समुदाय कालाहारी रेगिस्तान के क्षेत्र में रहते हैं। .

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ओमाहेके प्रदेश

ओमाहेके (Omaheke Region) दक्षिणी अफ़्रीका में स्थित नामीबिया देश के १३ प्रदेशों में से एक है। इसकी राजधानी गोबाबिस (Gobabis) है।, pp.

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ओकावंगो डेल्टा

ओकावंगो डेल्टा वास्तव में अद्वितीय और दुनिया में सबसे बड़ा अंतर्देशीय डेल्टा है। .

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ओकावंगो नदी

ओकावंगो नदी अफ्रीका महाद्वीप की चौथी सबसे लंबी प्रमुख नदी हैं जो अंगोला, नामीबिया बोत्सवाना तीन देशों से होकर गुजरती है। यह 1700 किमी लम्बी है और इसका बेसिन क्षेत्र 530000 वर्ग किमी है। .

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आरेंज नदी

आरेंज नदी (Orange river) दक्षिण अफ़्रीका की सबसे लम्बी नदी है। यह लिसूतू देश में द्राखेन्सबर्ग पहाड़ियों से आरम्भ होती है और पश्चिमी दिशा में बहकर अटलांटिक महासागर में विलय हो जाती है। .

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अफ़्रीका

अफ़्रीका वा कालद्वीप, एशिया के बाद विश्व का सबसे बड़ा महाद्वीप है। यह 37°14' उत्तरी अक्षांश से 34°50' दक्षिणी अक्षांश एवं 17°33' पश्चिमी देशान्तर से 51°23' पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित है। अफ्रीका के उत्तर में भूमध्यसागर एवं यूरोप महाद्वीप, पश्चिम में अंध महासागर, दक्षिण में दक्षिण महासागर तथा पूर्व में अरब सागर एवं हिन्द महासागर हैं। पूर्व में स्वेज भूडमरूमध्य इसे एशिया से जोड़ता है तथा स्वेज नहर इसे एशिया से अलग करती है। जिब्राल्टर जलडमरूमध्य इसे उत्तर में यूरोप महाद्वीप से अलग करता है। इस महाद्वीप में विशाल मरुस्थल, अत्यन्त घने वन, विस्तृत घास के मैदान, बड़ी-बड़ी नदियाँ व झीलें तथा विचित्र जंगली जानवर हैं। मुख्य मध्याह्न रेखा (0°) अफ्रीका महाद्वीप के घाना देश की राजधानी अक्रा शहर से होकर गुजरती है। यहाँ सेरेनगेती और क्रुजर राष्‍ट्रीय उद्यान है तो जलप्रपात और वर्षावन भी हैं। एक ओर सहारा मरुस्‍थल है तो दूसरी ओर किलिमंजारो पर्वत भी है और सुषुप्‍त ज्वालामुखी भी है। युगांडा, तंजानिया और केन्या की सीमा पर स्थित विक्टोरिया झील अफ्रीका की सबसे बड़ी तथा सम्पूर्ण पृथ्वी पर मीठे पानी की दूसरी सबसे बड़ी झीलहै। यह झील दुनिया की सबसे लम्बी नदी नील के पानी का स्रोत भी है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इसी महाद्वीप में सबसे पहले मानव का जन्म व विकास हुआ और यहीं से जाकर वे दूसरे महाद्वीपों में बसे, इसलिए इसे मानव सभ्‍यता की जन्‍मभूमि माना जाता है। यहाँ विश्व की दो प्राचीन सभ्यताओं (मिस्र एवं कार्थेज) का भी विकास हुआ था। अफ्रीका के बहुत से देश द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्वतंत्र हुए हैं एवं सभी अपने आर्थिक विकास में लगे हुए हैं। अफ़्रीका अपनी बहुरंगी संस्कृति और जमीन से जुड़े साहित्य के कारण भी विश्व में जाना जाता है। .

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अफ़्रीका की भू-प्रकृति

अफ्रीका का भौतिक मानचित्र ड्रेकेन्सबर्ग पर्वत इथियोपिया का पठार अफ्रीका ऊँचे पठारों का महाद्वीप है, इसका निर्माण अत्यन्त प्राचीन एवं कठोर चट्टानों से हुआ है। इस लावा निर्मित पठार को ढाल (शील्ड) कहते हैं। जर्मनी के प्रसिद्ध जलवायुवेत्ता तथा भूशास्त्रवेत्ता अल्फ्रेड वेगनर ने पूर्व जलवायु शास्त्र, पूर्व वनस्पति शास्त्र, भूशास्त्र तथा भूगर्भशास्त्र के प्रमाणों के आधार पर यह प्रमाणित किया कि एक अरब वर्ष पहले समस्त स्थल भाग एक स्थल भाग के रूप में संलग्न था एवं इस स्थलपिण्ड का नामकरण पैंजिया (पूर्ण पृथ्वी) किया। कार्बन युग में पैंजिया के दो टुकड़े हो गये जिनमें से एक उत्तर तथा दूसरा दक्षिण में चला गया। पैंजिया का उत्तरी भाग लारेशिया तथा दक्षिणी भाग गोंडवाना लैंड को प्रदर्शित करता था।अफ्रीका महादेश का धरातल प्राचीन गोंडवाना लैंड का ही एक भाग है। बड़े पठारों के बीच अनेक छोटे-छोटे पठार विभिन्न ढाल वाले हैं। इसके उत्तर में विश्व का बृहत्तम शुष्क मरुस्थल सहारा उपस्थित है। इसके नदी बेसिनों का मानव सभ्यता के विकास में उल्लेखनीय योगदान रहा है, जिसमें नील नदी बेसिन का विशेष स्थान है। समुद्रतटीय मैदानों को छोड़कर किसी भी भाग की ऊँचाई ३२५ मीटर से कम नहीं है। महाद्वीप के उत्तरी-पश्चिमी भाग तथा सुदूर दक्षिण में मोड़दार पर्वत मिलते हैं। अफ्रीका के उत्तर-पश्चिम में एटलस पर्वत की श्रेणियाँ हैं, जो यूरोप के आल्प्स पर्वतमाला की ही एक शाखा है। ये पर्वत दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व दिशा में फैले हुए हैं और उत्तर की अपेक्षा दक्षिण में अधिक ऊँचे हैं। इसकी सबसे ऊँची चोटी जेबेल टूबकल है जिसकी ऊँचाई ४,१६७ मीटर है। यहाँ खारे पानी की कई झीलें हैं जिन्हें शॉट कहते हैं। मध्य का निम्न पठार भूमध्य रेखा के उत्तर पश्चिम में अन्ध महासागर तट से पूर्व में नील नदी की घाटी तक फैला हुआ है। इसकी ऊँचाई ३०० से ६०० मीटर है। यह एक पठार केवल मरुस्थल है जो सहारा तथा लीबिया के नाम से प्रसिद्ध है। यह एक प्राचीन पठार है तथा नाइजर, कांगो (जायरे), बहर एल गजल तथा चाड नदियों की घाटियों द्वारा कट-फट गया है। इस पठार के मध्य भाग में अहगर एवं टिबेस्टी के उच्च भाग हैं जबकि पूर्वी भाग में कैमरून, निम्बा एवं फूटा जालौन के उच्च भाग हैं। कैमरून के पठार पर स्थित कैमरून (४,०६९ मीटर) पश्चिमी अफ्रीका की सबसे ऊँचा चोटी है। कैमरून गिनि खाड़ी के समानान्तर स्थित एक शांत ज्वालामुखी है। पठार के पूर्वी किनारे पर ड्रेकेन्सबर्ग पर्वत है जो समुद्र तट की ओर एक दीवार की भाँति खड़ा है। ड्रेकेन्सबर्ग का स्थानीय नाम क्वाथालम्बा है एवं यह ३,००० मीटर तक ऊँचा है। केप प्रान्त में यह पठार दक्षिण की ओर चबूतरे के रूप में समुद्र तक नीचे उतरता है। इन चबूतरों को कारू कहते हैं। इनमें उत्तरी चबूतरे को महान कारू तथा दक्षिणी चबूतरे को लघु कारू कहते हैं। दक्षिणी-पश्चिमी भाग में कालाहारी का मरूस्थल है। पूर्व एवं दक्षिण का उच्च पठार भूमध्य रेखा के पूर्व तथा दक्षिण में स्थित है तथा अपेक्षाकृत अधिक ऊँचा है। प्राचीन समय में यह पठार दक्षिण भारत के पठार से मिला था। बाद में बीच की भूमि के धँसने के कारण यह हिन्द महासागर द्वारा अलग हो गया। इस पठार का एक भाग अबीसिनिया में लाल सागर के तटीय भाग से होकर मिस्र देश तक पहुँचती है। इसमें इथोपिया, पूर्वी अफ्रीका एवं दक्षिणी अफ्रीका के पठार सम्मिलित हैं। अफ्रीका के उत्तर-पश्चिम में इथोपिया का पठार है। इस पठार का अधिकांश भाग २,४०० मीटर से ऊँचा है तथा प्राचीनकालीन ज्वालामुखी के उद्गार से निकले हुए लावा से निर्मित है। इसी पठार से नील नदी की सहायक नीली नील नदी निकलती है। नील नदी की कई सहायक नदियों ने इस पठार को काट कर घाटियाँ बना दी हैं। इथोपिया की पर्वतीय गाँठ से कई उच्च श्रेणियाँ निकलकर पूर्वी अफ्रीका के झील प्रदेश से होती हुई दक्षिण की ओर जाती हैं। इथोपिया की उच्च भूमि के दक्षिण में पूर्वी अफ्रीका की उच्च भूमि है। इस पठार का निर्माण भी ज्वालामुखी की क्रिया द्वारा हुआ है। इस श्रेणी में किलिमांजारो (५,८९५ मीटर), रोबेनजारो (५,१८० मीटर) और केनिया (५,४९० मीटर) की बर्फीली चोटियाँ भूमध्यरेखा के समीप पायी जाती हैं। ये तीनों ज्वालामुखी पर्वत हैं। केनिया तथा किलिमांजारो गुटका पर्वत भी हैं। किलिमंजारो अफ्रीका का सबसे ऊँचा पर्वत एवं चोटी है। अफ्रीका के दरार घाटी की कुछ झीलों का आकाशीय दृश्य दक्षिण अफ्रीका के तट का उपग्रह से खींचा गया चित्र अफ्रीका महाद्वीप की एक मुख्य भौतिक विशेषता पृथ्वी की आन्तरिक हलचलों के कारण अफ्रीका के पठार के पूर्वी भाग में भ्रंश घाटियों की उपस्थिति है। यह दरार घाटी पूर्वी अफ्रीका की महान दरार घाटी के नाम से प्रसिद्ध है तथा उत्तर से दक्षिण फैली है। भ्रंश घाटी एक लम्बी, संकरी एवं गहरी घाटी है जिसके किनारे के ढाल खड़े हैं। प्राचीन काल में पृथ्वी की आन्तरिक शक्तियों के कारण इस पठार पर दो विपरीत दिशाओं से दबाव पड़ा जिससे उसमें कई समानान्तर दरारें पड़ गयीं। जब दो समानान्तर दरारों के बीच का भाग नीचे धँस गया तो उस धँसे भाग को दरार घाटी कहते हैं। इनके दोनों किनारे दीवार की तरह ढाल वाले होते हैं। यह विश्व की सबसे लम्बी दरार घाटी है तथा ४,८०० किलोमीटर लम्बी है। अफ्रीका की महान दरार घाटी की दो शाखाएँ हैं- पूर्वी एवं पश्चिमी। पूर्वी शाखा दक्षिण में मलावी झील से रूडाल्फ झील तथा लाल सागर होती हुई सहारा तक फैली हुई है तथा पश्चिमी शाखा मलावी झील से न्यासा झील एवं टांगानिका झील होती हुई एलबर्ट झील तक चली गयी है। भ्रंश घाटियों में अनेक गहरी झीलें हैं। रुकवा, कियू, एडवर्ड, अलबर्ट, टाना व न्यासा झीलें भ्रंश घाटी में स्थित हैं। अफ्रीका महाद्वीप के चारो ओर संकरे तटीय मैदान हैं जिनकी ऊँचाई १८० मीटर से भी कम है। भूमध्य सागर एवं अन्ध महासागर के तटों के समीप अपेक्षाकृत चौड़े मैदान हैं। अफ्रीका महाद्वीप में तटवर्ती प्रदेश सीमित एवं अनुपयोगी हैं क्योंकि अधिकांश भागों में पठारी कगार तट तक आ गये हैं और शेष में तट में दलदली एवं प्रवाल भित्ति से प्रभावित हैं। मॉरीतानिया और सेनेगल का तटवर्ती प्रदेश काफी विस्तृत है, गिनी की खाड़ी का तट दलदली एवं अनूप झीलों से प्रभावित है। जगह-जगह पर रेतीले टीले हैं तथा अच्छे पोताश्रयों का अभाव है। पश्चिमी अफ्रीका का तट की सामान्यतः गिनी तट के समान है जिसमें लैगून एवं दलदलों की अधिकता है। दक्षिणी अफ्रीका में पठार एवं तट में बहुत ही कम अन्तर है। पूर्वी अफ्रीका में प्रवालभित्तियों की अधिकता है। अफ्रीका में निम्न मैदानों का अभाव है। केवल कांगो, जेम्बेजी, ओरेंज, नाइजर तथा नील नदियों के संकरे बेसिन हैं। .

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१ई+११ मी॰²

क्यूबा का क्षेत्रफल लगभग १,००,००० कि.मी२ है। विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों के परिमाण के क्रम समझने हेतु यहां १,००,००० वर्ग कि.मी से १०,००,००० वर्ग कि.मी के क्षेत्र दिये गए हैं।.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

कालाहारी, कालाहारी रेगिस्तान

निवर्तमानआने वाली
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