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कार्तिक शुक्ल एकादशी

सूची कार्तिक शुक्ल एकादशी

कार्तिक शुक्ल एकादशी भारतीय पंचांग के अनुसार आठवें माह की ग्यारहवी तिथि है, वर्षान्त में अभी १३९ तिथियाँ अवशिष्ट हैं। .

4 संबंधों: तुलसी पूजा, देवशयन, देवशयनी एकादशी, रेणुका झील

तुलसी पूजा

तुलसी पूजा या तुलसी विवाह को हिन्दू धर्म में शुभ दिन माना जाता है। हिन्दू पुराणों में तुलसी जी को 'विष्णु प्रिय' कहा जाता है। तुलसी विवाह हिन्दू भगवान विष्णु को तुलसी के पौधे का औपचारिक विवाह है। तुलसी विवाह वर्षा ऋतु के अंत और हिन्दू धर्म में विवाह के मौसम के आरम्भ का प्रतीक है। यह त्यौहार प्रबोधिनी एकादशी और कार्तिक पूर्णिमा के बीच में मनाया जाता है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, वृंदा नाम की एक महिला थी, जिसका विवाह राजा जाल्ंधर के साथ हुआ था। राजा जाल्ंधर, भगवान विष्णु के धर्म और भक्ति के कारण अजेय बन गए थे। यहां तक कि भगवान शिव भी जाल्ंधर को हरा नही सके, इसलिए उन्होंने विष्णु से निवेदन किया कि वे इस समस्या का समाधान ढूंढे। भगवान विष्णु ने खुद को जाल्ंधर के रूप में प्र्च्छन्न किया और वृंदा को धोखा दिया और उसकी शुद्धता नष्ट हो गयी। राजा जाल्ंधर ने अपनी सारी शक्तियों को खो दिया था जिसके बाद भगवान शिव ने उनको मार डाला था। अपने पति की मृत्यु के बाद, वृंदा ने भगवान विष्णु को शाप दिया कि वह कभी- भी अपनी पत्नी, लक्ष्मी के साथ नही रेह पायेंगे और उन्हे काले रंग के रूप का भी शाप दिया। कुछ समय बाद यह शाप पूरा हुआ था जब उन्हे काला शलिग्राम पत्थर में बदल दिया, और उनके राम अवतार में,जब उनका विवाह सीता के साथ हुआ था तो वे उनसे भी अलग हो गये थे जब राज रावाण ने उनका अपहरण कर दिया था। वृंदा ने अपनी आप को महासागर में डूबो दिया, फिर भगवान विष्णु ने अपनी आत्मा को एक पौधे में स्थानांतारित कर दिया, जिसे तुलसी कहा जाता है। भगवान विष्णु के आशीर्वाद के अनुसार अपने अगले जन्म में वृंदा से शादी करने के लिये उन्होनें शालिग्राम के रूप में प्रबोधिनी एकादशी पर तुलसी से शादी कर ली थी। इस घटना को मनाने के लिये, तुलसी विवाह का समारोह किया जाता है। .

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देवशयन

हिन्दू धर्म में देवशयन चार माह के उस काल को कहा जाता है जिसमें यह माना जाता है कि इस समय देवता विश्राम के लिए चले जाते हैं और इस समय में विवाह एवं अन्य मांगलिक कार्य बन्द रहते हैं। देवशयन का समय आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक का माना जाता है। कार्तिक शुक्ल एकादशी को "देव उठनी एकादशी" भी कहा जाता है। .

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देवशयनी एकादशी

हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर २६ हो जाती है। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही देवशयनी एकादशी कहा जाता है। कहीं-कहीं इस तिथि को 'पद्मनाभा' भी कहते हैं। सूर्य के मिथुन राशि में आने पर ये एकादशी आती है। इसी दिन से चातुर्मास का आरंभ माना जाता है। इस दिन से भगवान श्री हरि विष्णु क्षीरसागर में शयन करते हैं और फिर लगभग चार माह बाद तुला राशि में सूर्य के जाने पर उन्हें उठाया जाता है। उस दिन को देवोत्थानी एकादशी कहा जाता है। इस बीच के अंतराल को ही चातुर्मास कहा गया है। .

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रेणुका झील

रेणुका झील, हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में, नाहन से 40 किमी की दूरी पर स्थित है। यह हिमाचल प्रदेश के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। समुन्द्र तल से 672 मीटर की ऊँचाई पर स्थित 3214 मीटर की परिधि के साथ रेणुका झील हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी झील के रूप में जानी जाती है।  झील का नाम देवी रेणुका के नाम पर रखा गया था। यह अच्छी तरह से सड़क मार्ग से जुडी हूई है। झील पर नौका विहार उपलब्ध है। एक शेर सफारी और एक चिड़ियाघर रेणुका के पास हैं। यह नवंबर में आयोजित एक वार्षिक मेले की साइट है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

प्रबोधिनी एकादशी

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