लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

कार्तिक पूर्णिमा

सूची कार्तिक पूर्णिमा

हिंदू धर्म में पूर्णिमा का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष 12 पूर्णिमाएं होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर १3 हो जाती है। कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है। इस पुर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा की संज्ञा इसलिए दी गई है क्योंकि आज के दिन ही भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक महाभयानक असुर का अंत किया था और वे त्रिपुरारी के रूप में पूजित हुए थे। ऐसी मान्यता है कि इस दिन कृतिका में शिव शंकर के दर्शन करने से सात जन्म तक व्यक्ति ज्ञानी और धनवान होता है। इस दिन चन्द्र जब आकाश में उदित हो रहा हो उस समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छ: कृतिकाओं का पूजन करने से शिव जी की प्रसन्नता प्राप्त होती है। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से भी पूरे वर्ष स्नान करने का फाल मिलता है। .

19 संबंधों: तुलसी पूजा, नक्की झील, पुष्कर झील, ब्रह्मा मन्दिर, पुष्कर, भारती मठ मंदिर , भुवनेश्वर , ओड़ीशा, यमेश्वर मंदिर, राजस्थान के पशु मेले, राजस्थान की झीलें, श्री कोलायत जी, सुल्तानपुर जिला, सोनपुर मेला, हिन्दू पर्वों की सूची, गढ़ मुक्तेश्वर, गुरु पर्व, कतिकी मेला, कार्तिक, कालिंजर दुर्ग, कोलायत झील, छपरा

तुलसी पूजा

तुलसी पूजा या तुलसी विवाह को हिन्दू धर्म में शुभ दिन माना जाता है। हिन्दू पुराणों में तुलसी जी को 'विष्णु प्रिय' कहा जाता है। तुलसी विवाह हिन्दू भगवान विष्णु को तुलसी के पौधे का औपचारिक विवाह है। तुलसी विवाह वर्षा ऋतु के अंत और हिन्दू धर्म में विवाह के मौसम के आरम्भ का प्रतीक है। यह त्यौहार प्रबोधिनी एकादशी और कार्तिक पूर्णिमा के बीच में मनाया जाता है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, वृंदा नाम की एक महिला थी, जिसका विवाह राजा जाल्ंधर के साथ हुआ था। राजा जाल्ंधर, भगवान विष्णु के धर्म और भक्ति के कारण अजेय बन गए थे। यहां तक कि भगवान शिव भी जाल्ंधर को हरा नही सके, इसलिए उन्होंने विष्णु से निवेदन किया कि वे इस समस्या का समाधान ढूंढे। भगवान विष्णु ने खुद को जाल्ंधर के रूप में प्र्च्छन्न किया और वृंदा को धोखा दिया और उसकी शुद्धता नष्ट हो गयी। राजा जाल्ंधर ने अपनी सारी शक्तियों को खो दिया था जिसके बाद भगवान शिव ने उनको मार डाला था। अपने पति की मृत्यु के बाद, वृंदा ने भगवान विष्णु को शाप दिया कि वह कभी- भी अपनी पत्नी, लक्ष्मी के साथ नही रेह पायेंगे और उन्हे काले रंग के रूप का भी शाप दिया। कुछ समय बाद यह शाप पूरा हुआ था जब उन्हे काला शलिग्राम पत्थर में बदल दिया, और उनके राम अवतार में,जब उनका विवाह सीता के साथ हुआ था तो वे उनसे भी अलग हो गये थे जब राज रावाण ने उनका अपहरण कर दिया था। वृंदा ने अपनी आप को महासागर में डूबो दिया, फिर भगवान विष्णु ने अपनी आत्मा को एक पौधे में स्थानांतारित कर दिया, जिसे तुलसी कहा जाता है। भगवान विष्णु के आशीर्वाद के अनुसार अपने अगले जन्म में वृंदा से शादी करने के लिये उन्होनें शालिग्राम के रूप में प्रबोधिनी एकादशी पर तुलसी से शादी कर ली थी। इस घटना को मनाने के लिये, तुलसी विवाह का समारोह किया जाता है। .

नई!!: कार्तिक पूर्णिमा और तुलसी पूजा · और देखें »

नक्की झील

नक्की झीलनक्की झील माउंट आबू का एक सुंदर पर्यटन स्थल है। मीठे पानी की यह झील, जो राजस्थान की सबसे ऊँची झील हैं सर्दियों में अक्सर जम जाती है। कहा जाता है कि एक हिन्दू देवता ने अपने नाखूनों से खोदकर यह झील बनाई थी। इसीलिए इसे नक्की (नख या नाखून) नाम से जाना जाता है। झील से चारों ओर के पहाड़ियों का दृश्य अत्यंत सुंदर दिखता है। इस झील में नौकायन का भी आनंद लिया जा सकता है। नक्की झील के दक्षिण-पश्चिम में स्थित सूर्यास्त बिंदू से डूबते हुए सूर्य के सौंदर्य को देखा जा सकता है। यहाँ से दूर तक फैले हरे भरे मैदानों के दृश्य आँखों को शांति पहुँचाते हैं। सूर्यास्त के समय आसमान के बदलते रंगों की छटा देखने सैकड़ों पर्यटक यहाँ आते हैं। प्राकृतिक सौंदर्य का नैसर्गिक आनंद देनेवाली यह झील चारों ओऱ पर्वत शृंखलाओं से घिरी है। यहाँ के पहाड़ी टापू बड़े आकर्षक हैं। यहाँ कार्तिक पूर्णिमा को लोग स्नान कर धर्म लाभ उठाते हैं। झील में एक टापू को ७० अश्वशक्ति से चलित विभिन्न रंगों में जल फव्वारा लगाकर आकर्षक बनाया गया है जिसकी धाराएँ ८० फुट की ऊँचाई तक जाती हैं। झील में नौका विहार की भी व्यवस्था है। झील के किनारे एक सुंदर बगीचा है, जहाँ शाम के समय घूमने और नौकायन के लिए पर्यटकों का हुजूम उमड़ पड़ता है। पास ही में बनी दुकानों से राजस्थानी शिल्प का सामान खरीदा जा सकता है। यहाँ संगमरमर पत्थर से बनी मूर्तियों और सूती कोटा साड़ियाँ काफी लोकप्रिय है। यहाँ की दुकानों से चाँदी के आभूषणों की खरीददारी भी की जा सकती है। .

नई!!: कार्तिक पूर्णिमा और नक्की झील · और देखें »

पुष्कर झील

पुष्कर झील या पुष्कर सरोवर जो कि राजस्थान राज्य के अजमेर ज़िले के पुष्कर कस्बे में स्थित एक पवित्र हिन्दुओं की झील है। इस प्रकार हिन्दुओं के अनुसार यह एक तीर्थ है। पौराणिक दृष्टिकोण से इस झील का निर्माण भगवान ब्रह्मा जी ने करवाया था इस कारण झील के निकट ब्रह्मा जी का मन्दिर भी बनाया गया है। पुष्कर झील में कार्तिक पूर्णिमा (अक्टूबर -नवम्बर) माह में पुष्कर मेला भरता है जहां पर हज़ारों की तादाद में तीर्थयात्री आते है तथा स्नान करते है। ऐसा माना जाता है कि यहां स्नान करने पर त्वचा के सारे रोग दूर हो जाते है और त्वचा साफ सुथरी हो जाती है। झील के आसपास लगभग ५०० हिन्दू मन्दिर स्थित है। झील राजस्थान के अजमेर नगर से 11 किमी उत्तर में स्थित है। पौराणिक मान्यता के अनुसार पुष्कर झील का निर्माण भगवान ब्रह्मा ने करवाया था। इसमें बावन स्नान घाट हैं। इन घाटों में वराह, ब्रह्म व गव घाट महत्त्वपूर्ण हैं। प्राचीनकाल से लोग यहाँ पर प्रतिवर्ष कार्तिक मास में एकत्रित हो भगवान ब्रह्मा की पूजा उपासना करते हैं। पुष्कर में आने वाले लोग अपने को पवित्र करने के लिए पुष्कर झील में स्नान करते हैं। .

नई!!: कार्तिक पूर्णिमा और पुष्कर झील · और देखें »

ब्रह्मा मन्दिर, पुष्कर

ब्रह्मा मन्दिर (अंग्रेजी:Brahma Mandir) एक भारतीय हिन्दू मन्दिर है जो भारत के राजस्थान राज्य के अजमेर ज़िले में पवित्र स्थल पुष्कर में स्थित है। इस मन्दिर में जगत पिता ब्रह्माजी की मूर्ति स्थापित है। इस मन्दिर का निर्माण लगभग १४वीं शताब्दी में हुआ था जो कि लगभग ७०० वर्ष पुराना है। यह मन्दिर मुख्य रूप से संगमरमर के पत्थरों से निर्मित है।कार्तिक पूर्णिमा त्योहार के दौरान यहां मन्दिर में हज़ारों की संख्या में भक्तजन आते रहते हैं। .

नई!!: कार्तिक पूर्णिमा और ब्रह्मा मन्दिर, पुष्कर · और देखें »

भारती मठ मंदिर , भुवनेश्वर , ओड़ीशा

भारती मठ भारतीय राज्य ओड़ीशा का राजधानी सहर भुवनेश्वर का एक शिब मंदिर है। एह एका प्राचीन 3 तल्ला भबन पर है और इसे 11 बा सताब्दी में बनाया गया था। आबी इसी मे पूजा आराधना के साथ एक " मठ " के रूप में भी श्रर्द्धालुयाओन को आकर्षित करता है।   .

नई!!: कार्तिक पूर्णिमा और भारती मठ मंदिर , भुवनेश्वर , ओड़ीशा · और देखें »

यमेश्वर मंदिर

यमेश्वर या जमेश्वर मंदिर एक बहुत ही पुरानी मंदिर है जो शिव भगवान  को समर्पित  है। यह भुवनेश्वर में जमेश्वर पाटणा के पास भारती मठ निक्ट स्थित है।   .

नई!!: कार्तिक पूर्णिमा और यमेश्वर मंदिर · और देखें »

राजस्थान के पशु मेले

भारतीय राज्य राजस्थान में सभी जिलों और ग्रामीण स्तर पर लगभग 250 से अधिक पशु मेला का प्रतिवर्ष आयोजन किया जाता है। कला, संस्कृति, पशुपालन और पर्यटन की दृष्टि से यह मेले अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। देश विदेश के हजारों लाखों पर्यटक इसके माध्यम से लोक कला एवं ग्रामीण संस्कृति से रूबरू होते हैं। राज्य स्तरीय पशु मेलों के आयोजनों में नगरपालिका और ग्राम पंचायतों की ओर से पशुपालकों को पानी, बिजली पशु चिकित्सा व टीकाकरण की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। सरकार की ओर से इन मेलों में समय-समय पर प्रदर्शनी और अन्य ज्ञानवर्धक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जा रहा है। राजस्थान राज्य स्तरीय पशु मेला में अधिकांश मेले लोक देवी देवताओं एवं महान पुरुषों के नाम से जुड़े हुए हैं पशुपालन विभाग द्वारा आयोजित किए जाने वाले राज्य स्तरीय पशु मेले कुछ इस प्रकार है। .

नई!!: कार्तिक पूर्णिमा और राजस्थान के पशु मेले · और देखें »

राजस्थान की झीलें

प्राचीन काल से ही राजस्थान में अनेक प्राकृतिक झीलें विद्यमान है। मध्य काल तथा आधुनिक काल में रियासतों के राजाओं ने भी अनेक झीलों का निर्माण करवाया। राजस्थान में मीठे और खारे पानी की झीलें हैं जिनमें सर्वाधिक झीलें मीठे पानी की है। .

नई!!: कार्तिक पूर्णिमा और राजस्थान की झीलें · और देखें »

श्री कोलायत जी

श्री कोलायत जी या कोलायत राजस्थान के शहर यह बीकानेर से लगभग ३० मील दक्षिण-पश्चिम में इसी नामके रेलवे स्टेशन के निकट बसा इसी नाम की तहसील का मुख्यालय है। यहां इसी नाम से प्रसिद्ध एक तालाब है, जिसके किनारे कपिल मुनि का आश्रम माना जाता है। प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दिन यहां मेला लगता है जिसमें लोग कपिल मुनि के आश्रम के दर्शनाथ आते हैं। पास ही धुनी नाथ का एक अन्य मंदिर है। पुष्कर के समान यहां के तालाब के किनारे बहुत से घाट और मंदिर बने हुए हैं, जो सघन पीपल के वृक्षों की शीतल छाया से आच्छादित हैं। कोलायत जी में बीकानेर का सबसे अच्छा एकीकृत टाउनशिप कपिलमुनी वाटिका जहां पर आधुनिक जीवन शैली की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं कपिल मुनि वाटिका के अंदर पार्क क्लब हाउस जैसी सभी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध है यहां पर पीने का शुद्ध पानी और ड्रेनेज की अच्छी व्यवस्था है यहां पर ग्रामीण क्षेत्र निर्माण संघ का प्रदेशकार्यालय भी है यहां पर कई धर्मशालाएँ एवं देव मंदिर भी विद्यमान हैं।श्री   .

नई!!: कार्तिक पूर्णिमा और श्री कोलायत जी · और देखें »

सुल्तानपुर जिला

उत्तर प्रदेश भारत देश का सर्वाधिक जिलों वाला राज्य है, जिसमें कुल 75 जिले हैं। आदिगंगा गोमती नदी के तट पर बसा सुल्तानपुर इसी राज्य का एक प्रमुख जिला है। यहाँ के लोग सामान्यत: वाराणसी, इलाहाबाद, कानपुर और लखनऊ जिलों में पढ़ाई करने जाते हैं। सुल्तानपुर जिले की स्थानीय बोलचाल की भाषा अवधी और खड़ी बोली है। .

नई!!: कार्तिक पूर्णिमा और सुल्तानपुर जिला · और देखें »

सोनपुर मेला

सोनपुर मेला बिहार के सोनपुर में हर साल कार्तिक पूर्णिमा (नवंबर-दिसंबर) में लगता हैं। यह एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला हैं। मेले को 'हरिहर क्षेत्र मेला' के नाम से भी जाना जाता है जबकि स्थानीय लोग इसे छत्तर मेला पुकारते हैं। बिहार की राजधानी पटना से लगभग 25 किमी तथा वैशाली जिले के मुख्यालय हाजीपुर से ३ किलोमीटर दूर सोनपुर में गंडक के तट पर लगने वाले इस मेले ने देश में पशु मेलों को एक अलग पहचान दी है। इस महीने के बाकी मेलों के उलट यह मेला कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान के बाद शुरू होता है। एक समय इस पशु मेले में मध्य एशिया से कारोबारी आया करते थे। अब भी यह एशिया का सबसे बडा पशु मेला माना जाता है। सोनपुर पशु मेला में आज भी नौटंकी और नाच देखने के लिए भीड़ उमड़ती है। एक जमाने में यह मेला जंगी हाथियों का सबसे बड़ा केंद्र था। मौर्य वंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य (340 ई॰पु॰ -298 ई॰पु), मुगल सम्राट अकबर और 1857 के गदर के नायक वीर कुँवर सिंह ने भी से यहां हाथियों की खरीद की थी। सन् 1803 में रॉबर्ट क्लाइव ने सोनपुर में घोड़े के बड़ा अस्तबल भी बनवाया था। एक दौर में सोनपुर मेले में नौटंकी की मल्लिका गुलाब बाई का जलवा होता था। सोनपुर मेला में भू-राजस्व विभाग का स्टॉल से बिहार के सभी राजस्व ग्रामों का डिजिटल मानचित्र 150 रूपये मात्र सरकारी शुल्क के द्वारा कोई भी नागरिक तीन मिनट के अन्दर प्राप्त कर सकते हैं। यह कार्य राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र पटना के तकनीकी सहयोग के द्वारा किया गया है। समय के बदलते प्रभाव के असर से हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला, पशु बाजारों से हटकर अब आटो एक्स्पो मेले का रूप लेता जा रहा है। पिछले कई वर्षों से इस मेले में कई कंपनियों के शोरूम तथा बिक्री केंद्र यहां खुल रहे हैं। मेले में रेल ग्राम प्रदर्शनी लगी। रेलग्राम में टॉय ट्रेन चलाई जा रही। सोनपुर मेले के प्रति विदेशी पर्यटकों में भी खास आकर्षण देखा जाता है। जर्मनी, अमेरिका, फ्रांस एवं अन्य विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए स्विस कॉटेजों का निर्माण किया जाता है। पर्यटकों को पटना एयरपोर्ट से सोनपुर मेला आने व जाने के लिए प्रीपेड टैक्सी भी उपलब्ध कराई जायेगी। मेलों से जुडे तमाम आयोजन तो यहां होते ही हैं। यहां हाथियों व घोडों की खरीद हमेशा से सुर्खियों में रहती है। पहले यह मेला हाजीपुर में होता था। सिर्फ हरिहर नाथ की पूजा सोनपुर में होती थी लेकिन बाद में मुगल बादशाह औरंगजेब के आदेश से मेला भी सोनपुर में ही लगने लगा। 2001 में, सोनपुर मेला में लाया गया हाथियों की संख्या 92 थी, जबकि 2016 में 13 हाथियों ने इसे मेले में बनाया, केवल प्रदर्शन के लिए, बिक्री के लिए नहीं। 2017 में, मेले में 3 टस्कर था। हरिहर क्षेत्र 2017 सोनपुर मेला 32 दिनों का होगा। सोनपुर मेले का उदघाटन इस बार 2 नवंबर को तथा समापन 3 दिसंबर को किया जाएगा। मेला में नौका दौड़, दंगल, वाटर सर्फिंग, वाटर के¨नग सहित विभिन्न प्रकार के खेल व प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाएगा। .

नई!!: कार्तिक पूर्णिमा और सोनपुर मेला · और देखें »

हिन्दू पर्वों की सूची

यहाँ हिन्दू त्यौहारों की सूची दी गयी है। हिन्दू लोग बहुत से पर्व मनाते हैं जैसे दीपावली, विजया दशमी, होली आदि। .

नई!!: कार्तिक पूर्णिमा और हिन्दू पर्वों की सूची · और देखें »

गढ़ मुक्तेश्वर

गढ़मुक्तेश्वर, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के हापुड़ जिले का शहर एवं तहसील मुख्यालय है। इसे गढ़वाल राजाओं ने बसाया था। गंगा नदी के किनारे बसा यह शहर गढ़वाल राजाओं की राजधानी था; बाद में इसपर पृथ्वीराज चौहान का अधिकार हो गया। 'गढ़मुक्तेश्वर' राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से १०० किलोमीटर दूर 'राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 24' पर बसा है। गढ़ मुक्तेश्वर मेरठ से 42 किलोमीटर दूर स्थित है और गंगा नदी के दाहिने किनारे पर बसा है। विकास की दृष्टि से गढ़ मुक्तेश्वर सबसे पिछड़ी तहसील मानी जाती है, किन्तु सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। यहाँ कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगने वाला गंगा स्नान पर्व उत्तर भारत का सबसे बड़ा मेला माना जाता है। शिवपुराण के अनुसार, यहाँ पर अभिशप्त शिवगणों की पिशाच योनि से मुक्ति हुई थी, इसलिए इस तीर्थ का नाम 'गढ़ मुक्तेश्वर' अर्थात् 'गण मुक्तेश्वर (गणों को मुक्त करने वाले ईश्वर) नाम से प्रसिद्ध हुआ। .

नई!!: कार्तिक पूर्णिमा और गढ़ मुक्तेश्वर · और देखें »

गुरु पर्व

नानक देव या गुरू नानक देव सिखों के प्रथम गुरू थे। गुरु नानक देवजी का प्रकाश (जन्म) १५ अप्रैल, १४६९ ई. (वैशाख सुदी 3, संवत्‌ 1526 विक्रमी) में तलवंडी रायभोय नामक स्थान पर हुआ। सुविधा की दृष्टि से गुरु नानक का प्रकाश उत्सव कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। तलवंडी अब ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है। इस दिन को सिख धर्म के अनुयायी गुरु पर्व के रूप में मनाते हैं। .

नई!!: कार्तिक पूर्णिमा और गुरु पर्व · और देखें »

कतिकी मेला

कतकी मेला, उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र में बांदा जिले में स्थित एक कस्बे कलिंजर के कालिंजर दुर्ग में प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर पाँच दिवस के लिये लगता है। इसमें हजारों श्रद्धालुओं कि भीड़ उमड़ती है। साक्ष्यों के अनुसार यह मेला चंदेल शासक परिमर्दिदेव (११६५-१२०२) के समय आरम्भ हुआ था, जो आज तक लगता आ रहा है। इस कालिंजर महोत्सव का उल्लेख सर्वप्रथम परिमर्दिदेव के मंत्री एवं नाटककार वत्सराज रचित नाटक रूपक षटकम में मिलता है। उनके शासनकाल में हर वर्ष मंत्री वत्सराज के दो नाटकों का मंचन इसी महोत्सव के अवसर पर किया जाता था। कालांतर में मदनवर्मन के समय एक पद्मावती नामक नर्तकी के नृत्य कार्यक्रमों का उल्लेख भी कालिंजर के इतिहास में मिलता है। उसका नृत्य उस समय महोत्सव का मुख्य आकर्षण हुआ करता था। एक सहस्र वर्ष से यह परंपरा आज भी कतकी मेले के रूप चलती चली आ रही है, जिसमें विभिन्न अंचलों के लाखों लोग यहाँ आकर विभिन्न सरोवरों में स्नान कर नीलकंठेश्वर महादेव के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं। तीर्थ-पर्यटक दुर्ग के ऊपर एवं नीचे लगे मेले में खरीददारी आदि भी करते हैं। इसके अलावा यहाँ ढेरों तीर्थयात्री तीन दिन का कल्पवास भी करते हैं। इस भीड़ के उत्साह के आगे दुर्ग की अच्छी चढ़ाई भी कम होती प्रतीत होती है। यहां ऊपर पहाड़ के बीचों-बीच गुफानुमा तीन खंड का नलकुंठ है जो सरग्वाह के नाम से प्रसिद्ध है। वहां भी श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है। .

नई!!: कार्तिक पूर्णिमा और कतिकी मेला · और देखें »

कार्तिक

हिन्दू पंचांग के अनुसार साल के आठवें माह का नाम कार्तिक हैं। .

नई!!: कार्तिक पूर्णिमा और कार्तिक · और देखें »

कालिंजर दुर्ग

कालिंजर, उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र के बांदा जिले में कलिंजर नगरी में स्थित एक पौराणिक सन्दर्भ वाला, ऐतिहासिक दुर्ग है जो इतिहास में सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण रहा है। यह विश्व धरोहर स्थल प्राचीन मन्दिर नगरी-खजुराहो के निकट ही स्थित है। कलिंजर नगरी का मुख्य महत्त्व विन्ध्य पर्वतमाला के पूर्वी छोर पर इसी नाम के पर्वत पर स्थित इसी नाम के दुर्ग के कारण भी है। यहाँ का दुर्ग भारत के सबसे विशाल और अपराजेय किलों में एक माना जाता है। इस पर्वत को हिन्दू धर्म के लोग अत्यंत पवित्र मानते हैं, व भगवान शिव के भक्त यहाँ के मन्दिर में बड़ी संख्या में आते हैं। प्राचीन काल में यह जेजाकभुक्ति (जयशक्ति चन्देल) साम्राज्य के अधीन था। इसके बाद यह दुर्ग यहाँ के कई राजवंशों जैसे चन्देल राजपूतों के अधीन १०वीं शताब्दी तक, तदोपरांत रीवा के सोलंकियों के अधीन रहा। इन राजाओं के शासनकाल में कालिंजर पर महमूद गजनवी, कुतुबुद्दीन ऐबक, शेर शाह सूरी और हुमांयू जैसे प्रसिद्ध आक्रांताओं ने आक्रमण किए लेकिन इस पर विजय पाने में असफल रहे। अनेक प्रयासों के बाद भी आरम्भिक मुगल बादशाह भी कालिंजर के किले को जीत नहीं पाए। अन्तत: मुगल बादशाह अकबर ने इसे जीता व मुगलों से होते हुए यह राजा छत्रसाल के हाथों अन्ततः अंग्रेज़ों के अधीन आ गया। इस दुर्ग में कई प्राचीन मन्दिर हैं, जिनमें से कई तो गुप्त वंश के तृतीय -५वीं शताब्दी तक के ज्ञात हुए हैं। यहाँ शिल्पकला के बहुत से अद्भुत उदाहरण हैं। .

नई!!: कार्तिक पूर्णिमा और कालिंजर दुर्ग · और देखें »

कोलायत झील

कोलायत झील जो कि भारतीय राज्य राजस्थान के बीकानेर ज़िले में स्थित एक झील है। इस झील.

नई!!: कार्तिक पूर्णिमा और कोलायत झील · और देखें »

छपरा

छपरा भारत गणराज्य के बिहार प्रान्त में सारण जिला का महत्वपूर्ण शहर एवं मुख्यालय शहर है। यह सारण प्रमंडल का मुख्यालय भी है। गोरखपुर-गुवाहाटी रेलमार्ग पर छपरा एक महत्वपूर्ण जंक्शन है जहाँ से गोपालगंज एवं बलिया के लिए रेल लाईनें जाती है। स्थिति: 25 डिग्री 50 मिनट उत्तर अक्षांश तथा 84 डिग्री 45 मिनट पूर्वी देशान्तर। यह घाघरा नदी के उत्तरीतट पर बसा है। ऐसा कहा जाता है कि यहाँ के दाहिआवाँ महल्ले में दधीचि ऋषि का आश्रम था। इसके पाँच मील पश्चिम रिविलगंज है, जहाँ गौतम ऋषि का आश्रम बतलाया जाता है और वहाँ कार्तिक पूर्णिमा को एक बड़ा मेला लगता है। .

नई!!: कार्तिक पूर्णिमा और छपरा · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

गंगा स्नान

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »