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कातांगा प्रान्त

सूची कातांगा प्रान्त

कातांगा प्रान्त (फ़्रान्सीसी व अंग्रेज़ी: Katanga) अफ़्रीका के कांगो लोकतान्त्रिक गणराज्य के दक्षिण-पूर्व हिस्से में स्थित एक प्रान्त है।, Barry Sergeant, pp.

4 संबंधों: परमवीर चक्र, लुबुम्बाशी, गुरबचन सिंह सलारिया, कांगो लोकतान्त्रिक गणराज्य के प्रान्त

परमवीर चक्र

परमवीर चक्र भारत का सर्वोच्च शौर्य सैन्य अलंकरण है जो दुश्मनों की उपस्थिति में उच्च कोटि की शूरवीरता एवं त्याग के लिए प्रदान किया जाता है। ज्यादातर स्थितियों में यह सम्मान मरणोपरांत दिया गया है। इस पुरस्कार की स्थापना 26 जनवरी 1950 को की गयी थी जब भारत गणराज्य घोषित हुआ था। भारतीय सेना के किसी भी अंग के अधिकारी या कर्मचारी इस पुरस्कार के पात्र होते हैं एवं इसे देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न के बाद सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार समझा जाता है। इससे पहले जब भारतीय सेना ब्रिटिश सेना के तहत कार्य करती थी तो सेना का सर्वोच्च सम्मान विक्टोरिया क्रास हुआ करता था। लेफ्टीनेंट या उससे कमतर पदों के सैन्य कर्मचारी को यह पुरस्कार मिलने पर उन्हें (या उनके आश्रितों को) नकद राशि या पेंशन देने का भी प्रावधान है। हालांकि पेंशन की न्यून राशि जो सैन्य विधवाओं को उनके पुनर्विवाह या मरने से पहले तक दी जाती है अभी तक विवादास्पद रही है। मार्च 1999 में यह राशि बढ़ाकर 1500 रुपये प्रतिमाह कर दी गयी थी। जबकि कई प्रांतीय सरकारों ने परमवीर चक्र से सम्मानित सैन्य अधिकारी के आश्रितों को इससे कहीं अधिक राशि की पेंशन मुहैय्या करवाती है। परमवीर चक्र हासिल करने वाले शूरवीरों में सूबेदार मेजर बन्ना सिंह ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जो कारगिल युद्ध तक जीवित थे। सूबेदार सिंह जम्मू कश्मीर लाइट इनफेन्ट्री की आठवीं रेजीमेंट में कार्यरत थे। .

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लुबुम्बाशी

लुबुम्बाशी (पूर्व नाम: (फ्रेंच), कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के दक्षिण-पूर्वी हिस्से का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है (सबसे बड़ा शहर किन्शासा है)। लुबुमबाशी कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य की खनन राजधानी है, जो देश की सबसे बड़ी खनन कंपनियों के लिए एक केंद्र के रूप में कार्य करती है। .

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गुरबचन सिंह सलारिया

कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया परमवीर चक्र (29 नवंबर 1935 - 5 दिसंबर 1961) एक भारतीय सैन्य अधिकारी और संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान के सदस्य थे। वह परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले एकमात्र संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक हैं। वह किंग जॉर्ज के रॉयल मिलिट्री कॉलेज और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के पूर्व छात्र थे। इन्हें यह सम्मान सन 1962 में मरणोपरांत मिला। दिसंबर 1961 में कांगो में संयुक्त राष्ट्र के ऑपरेशन के तहत कांगो गणराज्य में तैनात भारतीय सैनिकों में सलारिया भी शामिल थे। 5 दिसंबर को सलारिया की बटालियन को दो बख्तरबंद कारों पर सवार पृथकतावादी राज्य कातांगा के 150 सशस्त्र पृथकतावादियों द्वारा एलिज़ाबेविले हवाई अड्डे के मार्ग के अवरुद्धीकरण को हटाने का कार्य सौंपा गया। उनकी रॉकेट लांचर टीम ने कातांगा की बख्तरबंद कारों पर हमला किया और नष्ट कर दिया। इस अप्रत्याशित कदम ने सशस्त्र पृथकतावादियों को भ्रमित कर दिया, और सलारिया ने महसूस किया कि इससे पहले कि वे पुनर्गठित हो जाएं, उन पर हमला करना सबसे अच्छा होगा। हालांकि उनकी सेना की स्थिति अच्छी नहीं थी फिर भी उन्होंने पृथकतावादियों पर हमला करवा दिया और 40 लोगों को कुकरियों से हमले में मार गिराया। हमले के दौरान सलारिया को गले में दो बार गोली मार दी और वह वीर गति को प्राप्त हो गए। बाकी बचे पृथकतावादी अपने घायल और मरे हुए साथियों को छोड़ कर भाग खड़े हुए और इस प्रकार मार्ग अवरुद्धीकरण को साफ़ कर दिया गया। अपने कर्तव्य और साहस के लिए और युद्ध के दौरान अपनी सुरक्षा की उपेक्षा करते हुए कर्तव्य करने के कारण सलारिया को भारत सरकार द्वारा वर्ष 1962 में मरणोपरांत परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया। .

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कांगो लोकतान्त्रिक गणराज्य के प्रान्त

वर्तमान में कांगो लोकतान्त्रिक गणराज्य के दस प्रान्त और एक शहर-प्रान्त हैं।, Barry Sergeant, pp.

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