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कांधार

सूची कांधार

The final phase of the battle of Kandahar on the side of the Murghan mountain कांधार या कंदहार अफ़ग़ानिस्तान का एक शहर है। यह अफगानिस्तान का तीसरा प्रमुख ऐतिहासिक नगर एवं कंदहार प्रान्त की राजधानी भी है। इसकी स्थिति 31 डिग्री 27मि उ.अ. से 64 डिग्री 43मि पू.दे.

57 संबंधों: चमन, चार्ली विल्सन्स वॉर, एशियाई राजमार्ग १, तरीनकोट, दारा शूकोह, दुर्रानी साम्राज्य, दोस्त मुहम्मद ख़ान, नादिर शाह, नूर जहाँ, पानीपत का द्वितीय युद्ध, पाकिस्तान में परिवहन, पाकिस्तान रेल, पख़्तूनिस्तान, प्रथम आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध, प्राचीन भारत, फरजाना वाहिदी, फ़ैज़ाबाद, बदख़्शान, बाबर, भारत के राजनयिक मिशनों की सूची, महाराजा जसवंत सिंह (मारवाड़), महाजनपद, मुराद चतुर्थ, मौर्य राजवंश, मौलाना मसूद अज़हर, मैदान वरदक प्रान्त, राजा बिठ्‌ठलदास गौड़, राजा जगत सिंह, लश्कर गाह, सरदार हरि सिंह नलवा, हरजीत सिंह सज्जन, हामिद करज़ई, हिप्पी, ज़रंज, जैश-ए-मोहम्मद, ख़ुदागवाह, ख़ोजक सुरंग, ग़ज़नी प्रान्त, गाजी अमानुल्ला खान क्षेत्रीय वनडे टूर्नामेंट, ओरूज़्गान प्रान्त, औरंगज़ेब, इण्डियन एयरलाइंस फ्लाइट ८१४, क़लात, ज़ाबुल प्रान्त, कावेरी झा, कांधार प्रान्त, कांधार अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र, कजकी बाँध, अफ़ग़ानिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान में मस्जिदों की सूची, अफ़ग़ानिस्तान के प्रांत, अफगानिस्तान के शहरों की सूची, ..., अब्दुर रहमान ख़ान, अलोर का चच, अशोक, अशोक के अभिलेख, अहमद शाह अब्दाली 4-दिवसीय टूर्नामेंट, अकबर, २०१० सूचकांक विस्तार (7 अधिक) »

चमन

सन् १८९५ में खींची गई चमन के पास अफ़्ग़ान सीमाई पहरेदारों की तस्वीर चमन (Chaman) पाकिस्तान के बलोचिस्तान प्रांत के क़िला अब्दुल्लाह ज़िले की राजधानी है। यह अफ़्ग़ानिस्तान की सीमा के बहुत क़रीब है और सीमा के पार अफ़्ग़ानिस्तान के कंदहार प्रान्त का स्पिन बोल्दक शहर है। चमन की आबादी लगभग २०,००० है जिनमें से चंद-हज़ार लोग हिन्दू समुदाय के हैं। .

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चार्ली विल्सन्स वॉर

चार्ली विल्सन्स वॉर 2007 की एक जीवनी आधारित कॉमेडी ड्रामा फिल्म है जो अमेरिकी कांग्रेसी चार्ली विल्सन (डीटीएक्स) की सच्ची कहानी को पेश करती है जिन्होंने "मनमाने रवैये" वाले सीआईए (CIA) ऑपरेटिव गस्ट अव्राकोटोस के साथ सहभागिता में ऑपरेशन साइक्लोन शुरू किया, एक ऐसा कार्यक्रम जिसे सोवियत द्वारा अफगानिस्तान के कब्जे के प्रतिरोध में अफगानी मुजाहिदीन को व्यवस्थित और समर्थन देने के लिए चलाया गया था। इस फिल्म को जॉर्ज क्रिल की 2003 की किताब चार्ली विल्सन्स वॉर: द एक्स्ट्राऑर्डिनरी स्टोरी ऑफ़ द लार्जेस्ट कवर्ट ओपरेशन इन हिस्टरी से रूपांतरित किया गया है। यह माइक निकोल्स द्वारा निर्देशित और हारून सोरकिन द्वारा लिखित है और इसमें टॉम हैंक्स, जूलिया रॉबर्ट्स, ओम पुरी, फिलिप्स सेमुर होफमैन, एमी एडम्स, नेड बेटी और एमिली ब्लंट ने अभिनय किया है। यह पांच गोल्डन ग्लोब पुरस्कार के लिए नामित किया गया जिसमें "सर्वश्रेष्ठ मोशन पिक्चर", भी शामिल था लेकिन यह किसी भी वर्ग में कोई भी पुरस्कार नहीं जीत सका। फिलिप्स सेमुर होफमैन को सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के अकादमी पुरस्कार के लिए नामित किया गया। .

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एशियाई राजमार्ग १

एशियाई राजमार्ग १ (ए एच १) एशियाई राजमार्ग जाल में सबसे लम्बा राजमार्ग है। इसकी कुल लम्बाई २०,५५७ किलोमीटर (१२,७७४ मील) है। यह टोक्यो, जापान से शुरू होकर कोरिया, चीन, हांगकांग, दक्षिण पूर्व एशिया, बांग्लादेश, भारत, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और ईरान से होता हुआ तुर्की और बुल्गारिया तक जाता है। इस्तांबुल के पश्चिम में यह यूरोपीय ई८० मार्ग से मिल जाता है। .

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तरीनकोट

तरीनकोट (पश्तो:, अंग्रेज़ी: Tarinkot या Tarin Kowt) दक्षिणी अफ़ग़ानिस्तान के ओरूज़्गान प्रान्त की राजधानी है। इस शहर की आबादी सन् २०१२ में लगभग ६,३०० अनुमानित की गई थी। यह शहर वास्तव में एक छोटा सा क़स्बा है जिसके बाज़ार में लगभग २०० दुकाने हैं। प्रांत के राज्यपाल, जो २०१२ में असदउल्लाह हमदम थे, इसी बाज़ार से लगे एक दफ़्तर में काम करते हैं। .

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दारा शूकोह

दारा शूकोह (जन्म 20 मार्च 1615 - हत्या 10 सितंबर 1659) मुमताज़ महल के गर्भ से उत्पन्न मुग़ल सम्राट शाहजहाँ का ज्येष्ठ पुत्र तथा औरंगज़ेब का बड़ा भाई। .

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दुर्रानी साम्राज्य

दुर्रानी साम्राज्य (पश्तो:, द दुर्रानियानो वाकमन​ई) एक पश्तून साम्राज्य था जो अफ़्ग़ानिस्तान पर केन्द्रित था और पूर्वोत्तरी ईरान, पाकिस्तान और पश्चिमोत्तरी भारत पर विस्तृत था। इस १७४७ में कंदहार में अहमद शाह दुर्रानी (जिसे अहमद शाह अब्दाली भी कहा जाता है) ने स्थापित किया था जो अब्दाली कबीले का सरदार था और ईरान के नादिर शाह की फ़ौज में एक सिपहसलार था। १७७३ में अहमद शाह की मृत्यु के बाद राज्य उसके पुत्रों और फिर पुत्रों ने चलाया जिन्होने राजधानी को काबुल स्थानांतरित किया और पेशावर को अपनी शीतकालीन राजधानी बनाया। अहमद शाह दुर्रानी ने अपना साम्राज्य पश्चिम में ईरान के मशाद शहर से पूर्व में दिल्ली तक और उत्तर में आमू दरिया से दक्षिण में अरब सागर तक फैला दिया और उसे कभी-कभी आधुनिक अफ़्ग़ानिस्तान का राष्ट्रपिता माना जाता है।, Library of Congress Country Studies on Afghanistan, 1997, Accessed 2010-08-25 .

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दोस्त मुहम्मद ख़ान

दोस्त मोहम्मद खान (पश्तो: दोस्त मोहम्मद खान, 23 दिसंबर 1793 - 1863) 9 जून प्रथम आंग्ल-अफगान दौरान बारक़ज़ई वंश का संस्थापक और अफगानिस्तान के प्रमुख शासकों में से एक था।826-1839 अफगानिस्तान के अमीर बन गया और दुर्रानी वंश के पतन के साथ, वह 1845 से 1863 तक अफ़ग़ानिस्तान पर शासन किया। वह सरदार पाइंदा खान (बरक़ज़ई जनजाति के प्रमुख) का 11 वां बेटा था जो जमान शाह दुर्रानी से 1799 में मारा गया था। दोस्त मोहम्मद के दादा हाजी जमाल खान था। अफ़ग़ानों और अंग्रेजों की पहली लड़ाई के बाद उसे कलकत्ता निर्वासित कर दिया गया था लेकिन शाह शुजा की हत्या के बाद, 1842 में ब्रिटिश उसे अफ़ग़ानिस्तान का अमीर बना गए। उसने पंजाब के रणजीत सिंह से भी लोहा लिया। .

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नादिर शाह

नादिर शाह अफ़्शार (या नादिर क़ुली बेग़) (१६८८ - १७४७) फ़ारस का शाह था (१७३६ - १७४७) और उसने सदियों के बाद क्षेत्र में ईरानी प्रभुता स्थापित की थी। उसने अपना जीवन दासता से आरंभ किया था और फ़ारस का शाह ही नहीं बना बल्कि उसने उस समय ईरानी साम्राज्य के सबल शत्रु उस्मानी साम्राज्य और रूसी साम्राज्य को ईरानी क्षेत्रों से बाहर निकाला। उसने अफ़्शरी वंश की स्थापना की थी और उसका उदय उस समय हुआ जब ईरान में पश्चिम से उस्मानी साम्राज्य (ऑटोमन) का आक्रमण हो रहा था और पूरब से अफ़गानों ने सफ़ावी राजधानी इस्फ़हान पर अधिकार कर लिया था। उत्तर से रूस भी फ़ारस में साम्राज्य विस्तार की योजना बना रहा था। इस परिस्थिति में भी उसने अपनी सेना संगठित की और अपने सैन्य अभियानों की वज़ह से उसे फ़ारस का नेपोलियन या एशिया का अन्तिम महान सेनानायक जैसी उपाधियों से सम्मानित किया जाता है। वो भारत विजय के अभियान पर भी निकला था। दिल्ली की सत्ता पर आसीन मुग़ल बादशाह मुहम्मद शाह आलम को हराने के बाद उसने वहाँ से अपार सम्पत्ति अर्जित की जिसमें कोहिनूर हीरा भी शामिल था। इसके बाद वो अपार शक्तिशाली बन गया और उसका स्वास्थ्य भी बिगड़ता गया। अपने जीवन के उत्तरार्ध में वो बहुत अत्याचारी बन गया था। सन् १७४७ में उसकी हत्या के बाद उसका साम्राज्य जल्द ही तितर-बितर हो गया। .

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नूर जहाँ

सत्रह वर्ष की अवस्था में मेहरुन्निसा का विवाह 'अलीकुली' नामक एक साहसी ईरानी नवयुवक से हुआ था, जिसे जहाँगीर के राज्य काल के प्रारम्भ में शेर अफ़ग़ान की उपाधि और बर्दवान की जागीर दी गई थी। 1607 ई. में जहाँगीर के दूतों ने शेर अफ़ग़ान को एक युद्ध में मार डाला। मेहरुन्निसा को पकड़ कर दिल्ली लाया गया और उसे बादशाह के शाही हरम में भेज दिया गया। यहाँ वह बादशाह अकबर की विधवा रानी 'सलीमा बेगम' की परिचारिका बनी। मेहरुन्निसा को जहाँगीर ने सर्वप्रथम नौरोज़ त्यौहार के अवसर पर देखा और उसके सौन्दर्य पर मुग्ध होकर जहाँगीर ने मई, 1611 ई. में उससे विवाह कर लिया। विवाह के पश्चात् जहाँगीर ने उसे ‘नूरमहल’ एवं ‘नूरजहाँ’ की उपाधि प्रदान की। 1613 ई. में नूरजहाँ को ‘पट्टमहिषी’ या ‘बादशाह बेगम’ बनाया गय.

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पानीपत का द्वितीय युद्ध

पानीपत का द्वितीय युद्ध उत्तर भारत के हिंदू शासक सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य (लोकप्रिय नाम- हेमू) और अकबर की सेना के बीच 5 नवम्बर 1556 को पानीपत के मैदान में लड़ा गया था। अकबर के सेनापति खान जमान और बैरम खान के लिए यह एक निर्णायक जीत थी। इस युद्ध के फलस्वरूप दिल्ली पर वर्चस्व के लिए मुगलों और अफगानों के बीच चलने वाला संघर्ष अन्तिम रूप से मुगलों के पक्ष में निर्णीत हो गया और अगले तीन सौ वर्षों तक मुगलों के पास ही रहा। .

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पाकिस्तान में परिवहन

पाकिस्तान परिवहन नेटवर्क कराची में एक व्यस्त चौराहा, अन्य प्रकार के परिवहन दिखाते हुए पाकिस्तान में परिवहन विस्तृत और विविध प्रकार के हैं लेकिन यह अभी भी विकास की प्रक्रिया में है और 170 मिलियन से भी अधिक व्यक्तियों को सेवा प्रदान कर रहा है।پاکِستان نقل و حمل नए हवाई अड्डों, सड़कों और रेलवे मार्गों के निर्माण के फलस्वरूप देश में रोजगारों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। पाकिस्तान का अधिकांश मार्ग तंत्र (राष्ट्रीय राजमार्ग) और रेलवे मार्ग तंत्र 1947 के पहले के बने हुए हैं, मुख्यतया ब्रिटिश राज के दौरान.

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पाकिस्तान रेल

पाकिस्तान के रेल नेटवर्क लाहौर रेलवे स्टेशन कराची कैंट से लाहौर के लिए काराकोरम एक्सप्रेस जा रहा है। स्टेशन पाकिस्तान रेलवे के पाकिस्तान के एक राष्ट्रीय स्वामित्व राज्य के रेल परिवहन सेवा है, लाहौर में मुख्यालय.

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पख़्तूनिस्तान

दक्षिणी अफ़ग़ानिस्तान में जनजातीय एवं धार्मिक नेता पख़्तूनिस्तान का प्रस्तावित ध्वज पख़्तूनिस्तान या पठानिस्तान, शब्द "पठान" (पश्तून) और "स्तान" (जगह या क्षेत्र) के संयोजन है। इसका अर्थ संसार का वह ऐतिहासिक क्षेत्र जिसमें पठान लोगों की जनसंख्या सर्वाधिक है और जहाँ पश्तो भाषा बोली जाती है। पख़्तूनिस्तान का अधिक हिस्सा अफ़्ग़ानिस्तान और पाकिस्तान की भूमि में है लेकिन भारत और ईरान का भी छोटा सा हिस्सा शामिल है। पख़्तूनिस्तान शब्द का उपयोग अंग्रेज़ों ने तब किया जब वह भारत पर शासन कर रहे थे, ब्रिटिश राज ने पश्चिमी-उत्तरी क्षेत्रों को पख़्तूनिस्तान कहा करते थे और यही कारण से इस नाम संपूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप में प्रसिद्ध हुआ और फिर इस क्षेत्र को पख़्तूनिस्तान कहा गया है। .

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प्रथम आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध

एलिजाबेथ बटलर द्वारा बनाया गया चित्र जिसमें जनवरी १८४२ में जलालाबाद के अंग्रेज़ सैन्य अड्डे पर पहुँचने वाले एक मात्र ब्रिटिश विलियम ब्राइडन को दिखाया गया है। काबुल से वापसी की शुरुआत क़रीब १६५०० ब्रिटिश तथा भारतीय सैनिकों और कर्मचारियों ने की थी। प्रथम आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध जिसे प्रथम अफ़ग़ान युद्ध के नाम से भी जाना जाता है, 1839 से 1842 के बीच अफ़ग़ानिस्तान में अंग्रेजों और अफ़ग़ानिस्तान के सैनिकों के बीच लड़ा गया था। इसकी प्रमुख वजह अंग्रज़ों के रूसी साम्राज्य विस्तार की नीति से डर था। आरंभिक जीत के बाद अंग्रेज़ो को भारी क्षति हुई, बाद में सामग्री और सैनिकों के प्रवेश के बाद वे जीत तो गए पर टिक नहीं सके। .

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प्राचीन भारत

मानव के उदय से लेकर दसवीं सदी तक के भारत का इतिहास प्राचीन भारत का इतिहास कहलाता है। .

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फरजाना वाहिदी

फरजाना वाहिदी (जन्म-१९८४) अफ़ग़ानिस्तान की पुरस्कृत अफगानी डोकुमेंटरी फोटोग्राफर और फोटोजौरनालिस्ट हैं। वह अफगानिस्तान के महिलाओ और लडकियों की तस्वीरो के लिए लोकप्रिय हैं। वह अफ़ग़ानिस्तान की पहली महिला फोटोग्रफेर हैं। वाहिदी ने ऐआईएनऐ फोटोजर्नलिज्म इंस्टीटूट, काबुल से पढाई की हैं। शुरुआत में २००२ में वह चुने गए १५ विद्यार्थियों में से एक थी जिन्हें ५०० विद्यार्थियों में से चुना गया था। .

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फ़ैज़ाबाद, बदख़्शान

बदख़्शान प्रान्त की राजधानी फ़ैज़ाबाद​ का एक नज़ारा फ़ैज़ाबाद​ (फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Fayzabad) उत्तरी अफ़ग़ानिस्तान के बदख़्शान प्रान्त की राजधानी और सबसे बड़ा शहर है। १,२०० मीटर की ऊंचाई पर कोकचा नदी के किनारे स्थित यह शहर पामीर क्षेत्र का एक मुख्य व्यापारिक और प्रशासनिक केंद्र भी है। .

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बाबर

ज़हिर उद-दिन मुहम्मद बाबर (14 फ़रवरी 1483 - 26 दिसम्बर 1530) जो बाबर के नाम से प्रसिद्ध हुआ, एक मुगल शासक था, जिनका मूल मध्य एशिया था। वह भारत में मुगल वंश के संस्थापक था। वो तैमूर लंग के परपोते था, और विश्वास रखते था कि चंगेज़ ख़ान उनके वंश के पूर्वज था। मुबईयान नामक पद्य शैली का जन्मदाता बाबर को ही माना जाता है! .

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भारत के राजनयिक मिशनों की सूची

यह भारत के राजनयिक मिशनों की सूची है। भारत का आपेक्षित रूप से एक विशाल राजनयिक समाज (तंत्र) है जो इसके विश्व में सम्बंधों को दर्शाता है और विशेष रूप से पड़ोसी क्षेत्रों: मध्य एशिया, मध्य पूर्व, पूर्वी अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया और भारतीय उपमहाद्वीप में सम्बंधों को प्रतिबिम्बित करता है। इसके अलावा कैरिबियाई और प्रशान्त महासागरीय क्षेत्रों में भी जहाँ ऐतिहासिक रूप से प्रवासी भारतीय रहते हैं, भारत के मिशन मौजूद हैं। राष्ट्रमण्डल देश के रूप में, अन्य राष्ट्रकुल सदस्य राष्ट्रों की राजधानियों में भी भारतीय राजनयिक मिशन उच्च आयोगों के रूप में स्थापित हैं। राष्ट्रकुल देशों के अन्य नगरों में स्थित अपने वाणिज्य दूतावासों को भारत में "सहायक उच्च आयोग" कहा जाता है। .

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महाराजा जसवंत सिंह (मारवाड़)

महाराजा जसवंत सिंह (26 दिसम्बर 1629 – 28 दिसम्बर 1678) मारवाड़ के शासक थे। वे राठौर राजपूत थे। वे एक अच्छे लेखक थे जिन्होने 'सिद्धान्त-बोध', 'आनन्दविलास' तथा 'भाषाभूषण' नामक ग्रंथों की रचना की। .

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महाजनपद

महाजनपद, प्राचीन भारत में राज्य या प्रशासनिक इकाईयों को कहते थे। उत्तर वैदिक काल में कुछ जनपदों का उल्लेख मिलता है। बौद्ध ग्रंथों में इनका कई बार उल्लेख हुआ है। 6वीं-5वीं शताब्दी ईसापूर्व को प्रारंभिक भारतीय इतिहास में एक प्रमुख मोड़ के रूप में माना जाता है; जहाँ सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के बाद भारत के पहले बड़े शहरों के उदय के साथ-साथ श्रमण आंदोलनों (बौद्ध धर्म और जैन धर्म सहित) का उदय हुआ, जिसने वैदिक काल के धार्मिक कट्टरपंथ को चुनौती दी। पुरातात्विक रूप से, यह अवधि उत्तरी काले पॉलिश वेयर संस्कृति के हिस्सा रहे है। .

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मुराद चतुर्थ

मुराद चतुर्थ (مراد رابع, मुराद-ए राबीʿ; 26/27 जुलाई 1612 – 8 फ़रवरी 1640) 1623 से 1640 तक उस्मानिया साम्राज्य के सुल्तान रहे। उन्होंने राज्य पर सुल्तान के शासन की पुनःस्थापना की थी और उन्हें अपने गतिविधियों की क्रूरता के लिए जाने जाते हैं। उनका जन्म क़ुस्तुंतुनिया में हुआ था। वे सुल्तान अहमद प्रथम (दौर: 1603–17) और यूनानी मूल की कौसम सुल्तान के पुत्र थे। उनके चाचा मुस्तफ़ा प्रथम (दौर: 1617–18, 1622–23) को सुल्तान के पद से निकालने की साज़िश कामयाब होने के बाद मुराद चतुर्थ तख़्त पर आसीन हुए। उस वक़्त उनकी उम्र सिर्फ़ 11 साल की थी। उनके दौर में उस्मानी-सफ़वी युद्ध (1623–39) हुआ, जिसके नतीजे में संपूर्ण क़फ़क़ाज़ क्षेत्र दोनों साम्राज्यों के दरमियान विभाजित हुआ। इस विभजन ने लगभग वर्तमान तुर्की-ईरान-इराक़ देशों की सरहदों की नींव रखी। .

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मौर्य राजवंश

मौर्य राजवंश (३२२-१८५ ईसापूर्व) प्राचीन भारत का एक शक्तिशाली एवं महान राजवंश था। इसने १३७ वर्ष भारत में राज्य किया। इसकी स्थापना का श्रेय चन्द्रगुप्त मौर्य और उसके मन्त्री कौटिल्य को दिया जाता है, जिन्होंने नन्द वंश के सम्राट घनानन्द को पराजित किया। मौर्य साम्राज्य के विस्तार एवं उसे शक्तिशाली बनाने का श्रेय सम्राट अशोक को जाता है। यह साम्राज्य पूर्व में मगध राज्य में गंगा नदी के मैदानों (आज का बिहार एवं बंगाल) से शुरु हुआ। इसकी राजधानी पाटलिपुत्र (आज के पटना शहर के पास) थी। चन्द्रगुप्त मौर्य ने ३२२ ईसा पूर्व में इस साम्राज्य की स्थापना की और तेजी से पश्चिम की तरफ़ अपना साम्राज्य का विकास किया। उसने कई छोटे छोटे क्षेत्रीय राज्यों के आपसी मतभेदों का फायदा उठाया जो सिकन्दर के आक्रमण के बाद पैदा हो गये थे। ३१६ ईसा पूर्व तक मौर्य वंश ने पूरे उत्तरी पश्चिमी भारत पर अधिकार कर लिया था। चक्रवर्ती सम्राट अशोक के राज्य में मौर्य वंश का बेहद विस्तार हुआ। सम्राट अशोक के कारण ही मौर्य साम्राज्य सबसे महान एवं शक्तिशाली बनकर विश्वभर में प्रसिद्ध हुआ। .

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मौलाना मसूद अज़हर

मसूद अज़हर आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का स्थापक और नेता है। जैश-ए-मोहम्मद जिसे संक्षेप में जैश भी कहते हैं पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में सक्रिय एक आतंकी संगठन है। पाकिस्तानी अधिकारियों ने भारत में हुए पठानकोट हमले के बाद उसे हिरासत में ले लिया था। भारत ने मसूद अजहर को उसकी आतंकी गतिविधियों की वजह से उसे अपने सबसे वांक्षित आतंकवादियों की सूची में रखा हुआ है। .

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मैदान वरदक प्रान्त

अफ़्ग़ानिस्तान का मैदान वरदक प्रान्त (लाल रंग में) मैदान वरदक, मैदान वरदग या केवल वरदक (फ़ारसी:, अंग्रेजी: Maidan Wardak) अफ़्ग़ानिस्तान का एक प्रांत है जो उस देश के पूर्व में स्थित है। इस प्रान्त का क्षेत्रफल ९,९३४ वर्ग किमी है और इसकी आबादी सन् २००९ में लगभग ५.४ लाख अनुमानित की गई थी।, Central Intelligence Agency (सी आइ ए), Accessed 27 दिसम्बर 2011 इस प्रान्त की राजधानी मैदान शहर नामक नगर है। यहाँ के अधिकतर लोग पश्तून हैं और पश्तूनों के वरदक क़बीले के ऊपर ही इस प्रान्त का नाम रखा गया है। यहाँ की ज़्यादातर आबादी यहाँ से निकलने वाले काबुल-कंदहार के आसपास के इलाक़े में बस्ती है और बाक़ी पहाड़ी स्थानों पर आबादी बहुत कम घनी है। .

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राजा बिठ्‌ठलदास गौड़

राजा बिठ्‌ठलदास गौड़, राजा गोपालदास गौड़ का दूसरा पुत्र। मुगल सम्राट् शाहजहाँ के प्रारंभिक काल में तीन हजारी 1500 सवार का मंसबदार हुआ। जुझारसिंह के विद्रोह करने पर यह खानजहाँ लोदी के साथ उसके दमन को नियुक्त हुआ। किंतु जब खानजहाँ लोदी ने ही विद्रोह के च्ह्रि प्रकट किए, तो उसके दमन का भी कार्य इसे सौंपा गया। राजा गजसिंह के सहायक के रूप में इसने खानजहाँ लोदी के दाँत खट्टे किए। इसके बाद सम्राट् ने इसे क्रमश: रणथंभोर का दुर्गाध्यक्ष और अजमेर में फौजदार नियुक्त किया। परेंद: दुर्ग के घेरे में राजकुमार मुहम्मद शुजा के साथ रहा। जब दुर्ग विजित नहीं हो पाया, तो इसे पुन: अजमेर में रखा गया। दक्षिण में शाह जी भोंसला का विद्रोह दबाने के लिए सम्राट् ने इसे भी भेजा था। उसके पश्चात्‌ यह आगरे का दुर्गाध्यक्ष नियुक्त हुआ। इसका मंसब पाँच हजारी सवार का कर दिया गया और यह राजकुमार मुरादबख्श के साथ बलख और बदख्शाँ पर आक्रमण करने को नियुक्त हुआ। बलख विजय के अनंतर यह वहाँ से राजकुमार के साथ लौट आया। राजकुमार औरंगजेब के साथ कांधार के काजिलबाशों के विरुद्ध युद्ध में इसने यश प्राप्त किया। जीवन के अंतिम समय में यह अपने प्रांत लौट गया और वहीं 1651 ई. में इसकी मृत्यु हुई। श्रेणी:भारत का इतिहास.

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राजा जगत सिंह

राजा जगसिंह, राजा बासू का बेटा था। सर्वप्रथम यह एक छोटे से मंसब के साथ बंगाल में नियुक्त हुआ। जब इसके भाई सूरजमल ने, जो दक्षिण का शासक नियत था, विद्रोह किया तब बादशाह जहाँगीर ने जगतसिंह को बंगाल से बुलाकर उसका मंसब एकहजारी 500 सवार का करके और अन्य बहुत सी वस्तुएँ देकर उसे सूरजमल का दमन करने के लिए नियत राजा विक्रमाजीत सुंदरदास की सहायता के लिये भेजा। जहाँगीर के राज्य के अंत में इसका मंसब तीनहजारी 1000 सवार तक पहुँचा था। शाहजहाँ के शासन में यही मंसब रहा। बादशाही सेना के कश्मीर से लौटने पर इसे बंगश की थानेदारी और खंगार जाति के विद्रोहियों का दमन करने के लिये नियुक्त किया गया। शाहजहाँ के शासन के 10वें वर्ष यह उस पद से हटा दिया गया और काबुल का सहायक सरदार बनाया गया। जलाल तारीकी के पुत्र करीमदाद को इसने बड़ी चतुराई से गिरफ्तार करवाया था। बताते हैं कि जलाल तारीकी इस्लाम धर्म का विरोधी था। 11वें वर्ष इसे जमींदावर दुर्ग पर अधिकार करने के लिए भेजा गया। बड़ी वीरता दिखाकर इसने दुर्ग पर प्रभुत्व प्राप्त कर लिया। 12वें वर्ष यह लौटकर आया। इसे पुरस्कार मिला और यह बंगश का फौजदार नियुक्त किया गया। 14वें वर्ष काँगड़ा की तराई में इसके पुत्र राजरूप को फौजदार नियत किया गया और इसने पर्वतीय राजाओं से भेंट लेने की आज्ञा बादशाह से प्राप्त कर ली। किंतु इसी समय इसके मन में विद्रोह की भावना जगी। इसके लिए बादशाह ने खानजहाँ बारहा सर्द्वद खाँ जफरजंग और असालत खाँ के अधीन सेनाएँ भेजीं और सुल्तान मुरादबख्श को पीछे से भेजा। जगतसिंह ने अपने अधीनस्थ मदफनूरगढ़ ओर तारागढ़ आदि दुर्गों को बचाने के लिए जमकर युद्ध किया। विजय होती न देखकर खानजहाँ को मनाकर शाहजादे के पास आया। शाहजादे ने इस शर्त पर कि मऊ और तारागढ़ ध्वस्त कर दिए जाएँगे, इसे क्षमा कर दिए। बादशाह ने अपनी दयालुता से इसे दंड नहीं दिया और इसका मंसब वही रहने दिया। उसी वर्ष यह दाराशिकोह के साथ कंधार पहुँचकर किलात दुर्ग का प्रध्यक्ष बना। 1645 ई. में शाहजहाँ ने अमीर-उल-उमरा अलीमर्दान खाँ को शाहजादा मुरादबख्श के साथ बदख्शाँ विजय के लिए नियुक्त किया। उसमें भी इसने अपनी विलक्षण चतुराई का परिचय दिया। तत्पश्चात् यह पेशावर पहुँचकर सन् 1645 ई. (1055 हि.) में मर गया। श्रेणी:भारत का इतिहास.

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लश्कर गाह

लश्कर गाह मस्जिद लश्कर गाह (पश्तो:, फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Lashkar Gah), जिसे इतिहास में बोस्त (Bost) के नाम से भी जाना जाता था, दक्षिणी अफ़ग़ानिस्तान के हेलमंद प्रान्त की राजधानी है। हेलमंद नदी और अर्ग़नदाब नदी के बीच बसा यह शहर राजमार्ग द्वारा पूर्व में कंदहार से, पश्चिम में ज़रंज से और पश्चिमोत्तर में हेरात से जुड़ा हुआ है। .

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सरदार हरि सिंह नलवा

सरदार हरि सिंह (1791 - 1837), सिक्ख महाराजा रणजीत सिंह के सेनाध्यक्ष थे जिन्होने पठानों से साथ कई युद्धों का नेतृत्व किया। रणनीति और रणकौशल की दृष्टि से हरि सिंह नलवा की तुलना भारत के श्रेष्ठ सेनानायकों से की जा सकती है। हरि सिंह नलवा ने कश्मीर पर विजय प्राप्त कर अपना लोहा मनवाया। यही नहीं, काबुल पर भी सेना चढ़ाकर जीत दर्ज की। खैबर दर्रे से होने वाले अफगान आक्रमणों से देश को मुक्त किया। इतिहास में पहली बार हुआ था कि पेशावरी पश्तून, पंजाबियों द्वारा शासित थे। महाराजा रणजीत सिंह के निर्देश के अनुसार हरि सिंह नलवा ने सिख साम्राज्य की भौगोलिक सीमाओं को पंजाब से लेकर काबुल बादशाहत के बीचोंबीच तक विस्तार किया था। महाराजा रणजीत सिंह के सिख शासन के दौरान 1807 ई. से लेकर 1837 ई. तक हरि सिंह नलवा लगातार अफगानों के खिलाफ लड़े। अफगानों के खिलाफ जटिल लड़ाई जीतकर नलवा ने कसूर, मुल्तान, कश्मीर और पेशावर में सिख शासन की व्यवस्था की थी। सर हेनरी ग्रिफिन ने हरि सिंह को "खालसाजी का चैंपियन" कहा है। ब्रिटिश शासकों ने हरि सिंह नलवा की तुलना नेपोलियन से भी की है। .

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हरजीत सिंह सज्जन

हरजीत सिंह सज्जन PC OMM MSM CD सांसद (जन्म 1970 या 1971) एक कनाडियाई लिबरल (उदारवादी) राजनीतिज्ञ, वर्तमान रक्षा मंत्री व दक्षिण वैंकुवर निर्वाचन क्षेत्र से हाउस ऑफ़ कॉमन्स, कनाडा के सांसद हैं। सज्जन संसद में पहली बार 2015 के संघीय चुनावों में चुने गये हैं। उन्होंने इस क्षेत्र से निवर्तमान सांसद कनाडा की कंज़र्वेटिव पार्टी के वेई यंग को हराया और ४ नवंबर २०१५ को जस्टिन ट्रूडो के मंत्रिमंडल में कनाडा के रक्षा मंत्री का पदभार ग्रहण किया। राजनीति में आने से पहले सज्जन वैंकुवर पुलिस विभाग में गैंग अपराध शाखा में जाँच अधिकारी (डिटेक्टिव) के पद पर कार्यरत थे। उन्हें अफगानिस्तान में स्थापित कनाडा के सैन्य बलों के लिये दी गई अपनी सेवा के लिये रेज़ीमेंटल कमांडर की पदवी भी मिली थी। सज्जन पहले सिख थे जिन्होंने कनाडा की किसी सैन्य रेज़ीमेंट की कमान संभाली थी। .

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हामिद करज़ई

हामिद करज़ई (जन्म: २४ दिसम्बर १९५७) 2014 तक अफ़गानिस्तान के राष्ट्रपति रह चुके हैं। उनके पश्चात् अशरफ़ ग़नी अहमदज़ई ने यह पद संभाला। इनका जन्म दक्षिणी अफ़ग़ानिस्तान में कंदहार में हुआ था। उनके पिता पोपलज़ई कबीले के पश्तून (पठान) थे और ज़ाहिर शाह मंत्रीमंडल के सदस्य थे। करज़ई ने स्नातकोत्तर की डिग्री १९७९-८३ के बीच राजनीति शास्त्र में भारत के हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला से ली थी। .

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हिप्पी

वुडस्टाक समारोह में हिप्पी, 1969 हिप्पी उप-संस्कृति मूल रूप से युवाओं का एक आंदोलन था जो 1960 के दशक के मध्य में संयुक्त राज्य अमेरिका में उभरा और बड़ी तेजी से दुनिया के अन्य देशों में फ़ैल गया। 'हिप्पी' शब्द की व्युत्पत्ति हिप्स्टर से हुई है, शुरुआत में इसका इस्तेमाल बीटनिकों (परंपराओं का विरोध करने वाले लोग) को सन्दर्भित करने के लिए किया जाता था जो न्यूयॉर्क शहर के ग्रीनविच विलेज और सैन फ्रांसिस्को के हाईट-ऐशबरी जिले में जाकर बस गए थे। हिप्पी की शुरुआती विचारधारा में बीट पीढ़ी के सांस्कृतिक विरोधी (काउंटरकल्चर) मूल्य शामिल थे। कुछ लोगों ने अपने स्वयं के सामाजिक समूहों और समुदायों का निर्माण किया जो मनोविकृतिकारी रॉक धुनों को सुनते थे, यौन क्रांति को अंगीकार करते थे और चेतना की वैकल्पिक अवस्थाओं को प्राप्त करने के लिए मारिजुआना एवं एलएसडी जैसी नशीली दवाओं का सेवन करते थे। जनवरी 1967 में सैन फ्रांसिस्को के गोल्डन गेट पार्क में ह्यूमन बी-इन ने हिप्पी संस्कृति को लोकप्रियता दिलाई जिसने आगे चलकर संयुक्त राज्य अमेरिका के वेस्ट कोस्ट के अति प्रसिद्ध समर ऑफ लव और ईस्ट कोस्ट में 1969 वुडस्टॉक फेस्टिवल को जन्म दिया। जिपिटेकस के नाम से जाने जानेवाले मेक्सिको के हिप्पियों ने ला ओंडा चिकाना का गठन किया और एवेंडारो में इकट्ठा हुए जबकि न्यूजीलैंड में खानाबदोश हाउसट्रकर्स ने वैकल्पिक जीवनशैली को अपनाया और नाम्बासा में चिरस्थायी ऊर्जा को बढ़ावा दिया। यूनाइटेड किंगडम में न्यू एज ट्रैवलर्स के घुमंतू "शांति रक्षकों" ने स्टोनहेंज के मुफ्त संगीत समारोहों के लिए गर्मियों के तीर्थ स्थानों का निर्माण किया। ऑस्ट्रेलिया में हिप्पी 1973 के एक्वेरियस फेस्टिवल और वार्षिक कैनाबिस लॉ रिफॉर्म रैली या मार्डीग्रास के लिए निम्बिन में एकत्र हुए.

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ज़रंज

ईरान-अफ़ग़ानिस्तान सीमा के नज़दीक ज़रंज-देलाराम राजमार्ग पर ज़रंज (बलोच, पश्तो, फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Zaranj) दक्षिण-पश्चिमी अफ़ग़ानिस्तान के नीमरूज़ प्रान्त की राजधानी है। यह ईरान की सरहद के बहुत पास है और ईरान-अफ़ग़ानिस्तान सीमा पर एक महत्वपूर्ण चौकी है। यह राजमार्गों द्वारा पूर्व में लश्कर गाह से, उत्तर में फ़राह से और पश्चिम में ईरान के ज़ाबोल नगर से जुड़ा हुआ है। भारत ने अफ़ग़ानिस्तान के पुनर्निर्माण के लिए ज़रंज से देलाराम के बीच एक राजमार्ग बनाया था। .

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जैश-ए-मोहम्मद

जैश-ए-मुहम्मद का ध्वज जिसमें अरबी भाषा में 'अल-जिहाद' लिखा हुआ है जैश-ए-मुहम्मद एक पाकिस्तानी जिहादी संगठन है जिसका एक ध्येय भारत से कश्मीर को अलग करना है हालांकि यह अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के विरुद्ध आतंकवादी गतिविधियों में भी शामिल समझे जाती हैं। इसकी स्थापना मसूद अज़हर नामक पाकिस्तानी पंजाबी नेता ने मार्च २००० में की थी। इसे भारत में हुए कई आतंकवादी हमलो के लिए ज़िम्मेदार ठहराया गया है और जनवरी २००२ में इसे पाकिस्तान की सरकार ने भी प्रतिबंधित कर दिया। इसके बाद जैश-ए-मुहम्मद ने अपना नाम बदलकर 'ख़ुद्दाम उल-इस्लाम​' कर दिया। सुरक्षा विषयों के समीक्षक बी रामन ने इसे एक 'मुख्य आतंकवादी संगठन' बताया है और यह भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा जारी आतंकवादी संगठनों की सूची में शामिल है। .

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ख़ुदागवाह

ख़ुदागवाह 1992 में बनी हिन्दी भाषा की नाटकीय महाकाव्य फिल्म है। फिल्म की प्रमुख भूमिकाओं में श्रीदेवी और अमिताभ बच्चन है। अक्किनेनी नागार्जुन, शिल्पा शिरोडकर, और डैनी डेन्जोंगपा सहायक भूमिकाओं में हैं। संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल द्वारा रचित किया गया था। यह श्रीदेवी और बच्चन की एक साथ तीसरी फिल्म है। फिल्म में; अफगानिस्तान का बादशाह खान बेनजीर के पिता के हत्यारे को खोजने के लिए भारत यात्रा करता है ताकि वह उसे प्रभावित कर सके। वह सफल होता है लेकिन जल्द ही खुद को एक हत्या का दोषी पाता है और भारतीय जेल में फंस जाता है। ख़ुदागवाह को 8 मई, 1992 को सिनेमा घरों में रिलीज़ किया गया था। रिलीज होने पर इसको इसके निर्देशन, पटकथा, प्रदर्शन, संगीत और उत्पादन की ओर आलोचनात्मक प्रशंसा मिली। यह फिल्म दुनिया भर में ₹17.9 करोड़ की कमाई करने वाली प्रमुख व्यावसायिक सफलता बन गई। इस प्रकार ये 1992 की दूसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली भारतीय फिल्म बन गई। .

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ख़ोजक सुरंग

ख़ोजक सुरंग ख़ोजक सुरंग (Khojak Tunnel) या शेला बाग़ सुरंग पाकिस्तान के बलोचिस्तान प्रांत के क़िला अब्दुल्लाह ज़िले के चमन शहर के पास शेला बाग़ पहाड़ों में एक ३.९१ किमी लम्बी रेलवे सुरंग है। यह बलोचिस्तान के क्वेट्टा इलाक़े को कन्दाहार के मैदानी क्षेत्र से जोड़ती है। इसपर काम दिसम्बर १८८७ में शुरू किया गया था और इसे १८९१ में पूरा किया गया। इसपर उस ज़माने में कुल १.५२ करोड़ रूपये ख़र्च हुए और उस समय यह एशिया की सबसे लम्बी सुरंग थी (लेकिन अब नहीं है)। यह पाकिस्तान के ५ रूपये के नोट पर दर्शाई जाती है।, W. Spooner, 1891,...

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ग़ज़नी प्रान्त

अफ़्ग़ानिस्तान का ग़ज़नी प्रान्त (लाल रंग में) ग़ज़नी (पश्तो:, अंग्रेजी: Ghazni) अफ़्ग़ानिस्तान का एक प्रांत है जो उस देश के दक्षिण-पूर्वी भाग में स्थित है। इस प्रान्त का क्षेत्रफल २२,९१५ वर्ग किमी है और इसकी आबादी सन् २००२ में लगभग ९.३ लाख अनुमानित की गई थी।, Central Intelligence Agency (सी आइ ए), Accessed 27 दिसम्बर 2011 इस प्रान्त की राजधानी ग़ज़नी शहर है। ग़ज़नी प्रान्त काबुल से कंदहार जाने वाले राजमार्ग पर आता है और इतिहास में उन दोनों के बीच एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र रहा है। इस प्रान्त में लगभग आधे लोग पश्तून हैं लेकिन यहाँ हज़ारा लोगों और ताजिक लोगों के भी बड़े समुदाय रहते हैं। .

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गाजी अमानुल्ला खान क्षेत्रीय वनडे टूर्नामेंट

गाजी अमानुल्ला खान क्षेत्रीय वनडे टूर्नामेंट एक क्रिकेट टूर्नामेंट है जिसे अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड (एसीबी) द्वारा आयोजित किया जाता है जो अफगानिस्तान के घरेलू क्रिकेट सीज़न का हिस्सा है। 2017 के मौसम से शुरू करते हुए, उसी वर्ष की शुरुआत में आईसीसी की घोषणाओं के बाद, टूर्नामेंट की लिस्ट ए स्थिति से मान्यता प्राप्त है। पहला अफगानिस्तान का घरेलू लिस्ट ए मैच खेला गया था, जो गाज़ी अमानुल्ला खान क्षेत्रीय वनडे टूर्नामेंट के 2017 संस्करण की शुरुआत में 10 अगस्त 2017 को खोस्ट में आयोजित हुआ था। यह अफगान राजा अमानुल्लाह खान के नाम पर है। .

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ओरूज़्गान प्रान्त

अफ़्ग़ानिस्तान का ओरूज़्गान प्रांत (लाल रंग में) ओरूज़्गान में गेंहू के खेत ओरूज़्गान या उरोज़्गान (पश्तो:, अंग्रेजी: Oruzgan) अफ़्ग़ानिस्तान का एक प्रांत है जो उस देश के मध्य भाग में स्थित है। इस प्रान्त का क्षेत्रफल २२,६९६ वर्ग किमी है और इसकी आबादी सन् २००६ में लगभग ३.१ लाख अनुमानित की गई थी।, Central Intelligence Agency (सी आइ ए), Accessed 27 दिसम्बर 2011 इस प्रान्त की राजधानी तरीनकोट शहर है। इस प्रान्त में बसने वाले अधिकतर लोग पश्तून हैं और सांस्कृतिक रूप से यह प्रान्त कंदहार के क्षेत्र से मिलता-जुलता है। .

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औरंगज़ेब

अबुल मुज़फ़्फ़र मुहिउद्दीन मुहम्मद औरंगज़ेब आलमगीर (3 नवम्बर १६१८ – ३ मार्च १७०७) जिसे आमतौर पर औरंगज़ेब या आलमगीर (प्रजा द्वारा दिया हुआ शाही नाम जिसका अर्थ होता है विश्व विजेता) के नाम से जाना जाता था भारत पर राज्य करने वाला छठा मुग़ल शासक था। उसका शासन १६५८ से लेकर १७०७ में उसकी मृत्यु होने तक चला। औरंगज़ेब ने भारतीय उपमहाद्वीप पर आधी सदी से भी ज्यादा समय तक राज्य किया। वो अकबर के बाद सबसे ज्यादा समय तक शासन करने वाला मुग़ल शासक था। अपने जीवनकाल में उसने दक्षिणी भारत में मुग़ल साम्राज्य का विस्तार करने का भरसक प्रयास किया पर उसकी मृत्यु के पश्चात मुग़ल साम्राज्य सिकुड़ने लगा। औरंगज़ेब के शासन में मुग़ल साम्राज्य अपने विस्तार के चरमोत्कर्ष पर पहुंचा। वो अपने समय का शायद सबसे धनी और शातिशाली व्यक्ति था जिसने अपने जीवनकाल में दक्षिण भारत में प्राप्त विजयों के जरिये मुग़ल साम्राज्य को साढ़े बारह लाख वर्ग मील में फैलाया और १५ करोड़ लोगों पर शासन किया जो की दुनिया की आबादी का १/४ था। औरंगज़ेब ने पूरे साम्राज्य पर फ़तवा-ए-आलमगीरी (शरियत या इस्लामी क़ानून पर आधारित) लागू किया और कुछ समय के लिए ग़ैर-मुस्लिमों पर अतिरिक्त कर भी लगाया। ग़ैर-मुसलमान जनता पर शरियत लागू करने वाला वो पहला मुसलमान शासक था। मुग़ल शासनकाल में उनके शासन काल में उसके दरबारियों में सबसे ज्यादा हिन्दु थे। और सिखों के गुरु तेग़ बहादुर को दाराशिकोह के साथ मिलकर बग़ावत के जुर्म में मृत्युदंड दिया गया था। .

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इण्डियन एयरलाइंस फ्लाइट ८१४

इंडियन एयरलाइंस फ्लाईट 814 (कॉल साइन आईसी-814) त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (काठमांडू, नेपाल) से इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (दिल्ली, भारत) जाने वाली एक इंडियन एयरलाइंस एयरबस ए300 थी जिसका अपहरण कर लिया गया था। एक पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन हरकत उल मुजाहिदीन पर इसके अपहरण का आरोप लगाया गया था। लगभग 17:30 बजे आईएसटी (IST) पर भारतीय हवाई क्षेत्र में प्रवेश के तुरंत बाद सशस्त्र बंदूकधारियों ने विमान का अपहरण कर लिया था। अमृतसर, लाहौर और दुबई की धरती को छूने के बाद अपहरण कर्ताओं ने विमान को कंधार, अफगानिस्तान में उतरने के लिए मजबूर किया। अपहर्ताओं ने 176 यात्रियों में से 27 को दुबई में छोड़ दिया लेकिन एक को बुरी तरह चाकू से मारा और कई अन्य को घायल कर दिया। अफगानिस्तान में तालिबान-हुकूमत के बारे में भारत की कम जानकारी ने भारतीय अधिकारियों और अपहर्ताओं के बीच वार्ताओं को मुश्किल बना दिया। तालिबान ने भारतीय विशेष सैन्य बलों द्वारा विमान पर धावा बोलने से रोकने की कोशिश में अपने सशस्त्र लड़ाकों को अपहृत विमान के पास तैनात कर दिया। अपहरण का यह सिलसिला सात दिनों तक चला और भारत द्वारा तीन इस्लामी आतंकवादियों - मुश्ताक अहमद जरगर, अहमद उमर सईद शेख़ (जिसे बाद में डेनियल पर्ल की हत्या के लिए गिरफ्तार कर लिया गया) और मौलाना मसूद अज़हर (जिसने बाद में जैश-ए-मुहम्मद की स्थापना की) को रिहा करने के बाद समाप्त हुआ। भारतीय और अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने अपहर्ताओं, अल-कायदा और तालिबान के बीच प्रामाणिक संबंध होने की रिपोर्ट दी। पांच अपहरणकर्ताओं और तीन रिहा किये गए आतंकवादियों को तालिबान द्वारा एक सुरक्षित मार्ग प्रदान किया गया। तालिबान द्वारा संदिग्ध भूमिका निभाये जाने की व्यापक रूप से निंदा की गयी थी और इसके बाद यह भारत एवं तालिबान के बीच संबंधों की समाप्ति का कारण बना। .

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क़लात, ज़ाबुल प्रान्त

क़लात (पश्तो:, अंग्रेज़ी: Qalat) दक्षिणी अफ़ग़ानिस्तान के ज़ाबुल प्रान्त की राजधानी है। यह शहर यातायात के नज़रिए से राजमार्ग द्वारा पूर्व में कंदहार और पश्चिम में ग़ज़नी शहरों से जुड़ा हुआ है। क़लात लगभग ५,००० फ़ुट (१,५५० मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है। .

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कावेरी झा

कावेरी झा (जन्म २१ मई १९८३) एक भारतीय फ़िल्म अभिनेत्री है। वे हिन्दी, मलयालम, तेलगू, तमिल फ़िल्मों में कार्य कर चुकी है। कला विषय में उपाधी ग्रहण करने के बाद झा ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत भूल भुलैया में 2007 से की। कावेरी एयर इंडिया में एयर होस्टेस के पद पर भी काम कर चुकीं हैं। सन् 2005 में कावेरी ने फेमिना मिस इंडिया में सुश्री व्यक्तित्व पुरस्कार से सम्मानित हुईं। दक्षिण भारत में कावेरी झा अपने स्वतंत्र व्यव्हार के लिए जानी जाती हैं। .

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कांधार प्रान्त

कांधार या क़ंदहार (पश्तो: या, अंग्रेजी: Kandahar या Qandahar) अफ़्ग़ानिस्तान का एक प्रांत है जो उस देश के दक्षिण में स्थित है। इस प्रान्त का क्षेत्रफल ५४,०२२ वर्ग किमी है और इसकी आबादी सन् २००९ में लगभग १० लाख अनुमानित की गई थी।, Central Intelligence Agency (सी आइ ए), Accessed 27 दिसम्बर 2011 इस प्रान्त की राजधानी ऐतिहासिक कांधार शहर है। यह प्रान्त पश्तो बोलने वाले पश्तून लोगों का क्षेत्र है। बहुत से इतिहासकार इसे तालिबान कट्टरवादी विचारधारा की जन्मभूमि मानते हैं। इसकी दक्षिणी सीमा पाकिस्तान से लगती है। .

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कांधार अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र

काम्धार अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र (जिसे प्रायः कांधार एयरफ़ील्ड, KAF भी कहा जाता है) अफ़्गानिस्तान के शहर कांधार से 10 मील (16 कि.मी) दक्षिण-पूर्व में स्थित है। यह विमानक्षेत्र संयुक्त राज्य द्वारा १९६० के दशक में संयुक्त राष्ट्र अन्तर्राष्ट्रीय विकास एजेंसी कार्यक्रम के अन्तर्गत्त बनवाया गया था। संभवतः इसे संयुक्त राज्य एवं तत्कालीन सोवियत संघ द्वारा अपने लिये युद्ध के समय एयर बेस के रूप में प्रयोग करने की मंशा से देखा गया हो। कांधार एयरफ़ील्ड पर १९७९ में सोवियत संघ द्वारा कब्ज़ा कर १९८०के दशक में बुरी तरह ध्वंस किया गया था। पुनः अक्तूबर २००१ में अफ़्गानिस्तान को तालिबान से स्वतंत्र कराने के युद्ध में यही हुआ था। २००७ तक कांधार विमानक्षेत्र को पुनरोद्धार कर सैन्य एवं सार्वजनिक प्रयोग हेतु प्रयोग किया जाने लगा था। आरंभ में यहां संयुक्त राष्ट्र सशस्त्र सेनाओं का नियंत्रण रहा, किन्तु २००६ से एयरफ़ील्ड को नाटो द्वारा अनुरक्षित किया जा रहा है। .

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कजकी बाँध

कजकी बाँध कजकी बाँध (फ़ारसी:, सद कजकी; अंग्रेजी: Kajaki Dam), जिसे कजकई बाँध भी कहा जाता है दक्षिणी अफ़ग़ानिस्तान के हेलमंद प्रान्त में हेलमंद नदी पर स्थित एक बड़ा जलविद्युत बाँध है। यह कंदहार शहर से १६१ किमी पश्चिमोत्तर में स्थित है। इस से ३३ मेगावाट बिजली बनाई जाती है और इसके पानी के ज़रिये ६,५०,००० हेकटर ज़मीन सींची जाती है जो इस बाँध के बिना बंजर होती। बाँध की ऊंचाई १०० मीटर है और नदी को २७० मीटर की चौड़ाई पर लांघता है। यह सीस्तान द्रोणी में पानी पहुँचाने वाले मुख्य जलसम्भर को नियंत्रित करता है।, Jon Boone, The Guardian, Accessed 14 दिसम्बर 2009 .

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अफ़ग़ानिस्तान

अफ़ग़ानिस्तान इस्लामी गणराज्य दक्षिणी मध्य एशिया में अवस्थित देश है, जो चारो ओर से जमीन से घिरा हुआ है। प्रायः इसकी गिनती मध्य एशिया के देशों में होती है पर देश में लगातार चल रहे संघर्षों ने इसे कभी मध्य पूर्व तो कभी दक्षिण एशिया से जोड़ दिया है। इसके पूर्व में पाकिस्तान, उत्तर पूर्व में भारत तथा चीन, उत्तर में ताजिकिस्तान, कज़ाकस्तान तथा तुर्कमेनिस्तान तथा पश्चिम में ईरान है। अफ़ग़ानिस्तान रेशम मार्ग और मानव प्रवास का8 एक प्राचीन केन्द्र बिन्दु रहा है। पुरातत्वविदों को मध्य पाषाण काल ​​के मानव बस्ती के साक्ष्य मिले हैं। इस क्षेत्र में नगरीय सभ्यता की शुरुआत 3000 से 2,000 ई.पू.

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अफ़ग़ानिस्तान में मस्जिदों की सूची

निम्नलिखित अफ़ग़ानिस्तान में बड़ी मस्जिदों की एक अपूर्ण सूची है: * श्रेणी:देशानुसार मस्जिदों की सूची.

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अफ़ग़ानिस्तान के प्रांत

अफ़्ग़ानिस्तान के प्रांत और स्वतन्त्र शहर (संख्यांक तालिका से मिलाएँ) अफ़्ग़ानिस्तान के प्रान्त अफ़्ग़ानिस्तान के मुख्य प्रशासनिक विभाग हैं। मध्य एशिया के बहुत से अन्य देशों की तरह अफ़्ग़ानिस्तान में भी प्रान्तों को 'विलायत' बुलाया जाता है, मसलन हेलमंद प्रान्त का औपचारिक नाम 'विलायत-ए-हेलमंद' है। सन् २००४ में अफ़्ग़ानिस्तान में चौंतीस प्रान्त थे। हर प्रान्त की अध्यक्षता एक राज्यपाल करता है और हर प्रान्त अफ़्ग़ान संसद के ऊपरी सदन में (जिसे पश्तो में 'मेशेरानो जिरगा', यानि 'बुज़ुर्गों की सभा' कहते हैं) दो सदस्य भेजता है। .

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अफगानिस्तान के शहरों की सूची

अफगानिस्तान का मानचित्र यह सूची अफगानिस्तान के बारह प्रमुख नगरों की है।.

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अब्दुर रहमान ख़ान

'अब्दुर रहमान ख़ान १८८० से १९०१ तक अफ़ग़ानिस्तान के अमीर थे अब्दुर रहमान ख़ान (पश्तो: عبد رحمان خان) सन १८८० से लेकर सन १९०१ तक अफ़ग़ानिस्तान के अमीर थे। इनका जन्म १८४० से १८४४ के बीच और मृत्यु १ अक्टूबर १९०१ में हुई। १८७८-१८८० के द्वितीय आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध की हार के बाद अफ़ग़ानिस्तान की जो केन्द्रीय सरकारी व्यवस्था चौपट हो गई थी उसे अब्दुर रहमान ख़ान ने फिर से बहाल किया। .

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अलोर का चच

चच (लगभग 610-671 ईसवी) सातवीं शताब्दी के मध्य में सिंध पर राज करने वाला एक ब्राम्हण वंश का शाशक था। वह एक भूतपूर्व मंत्री और राजा राय साहसी (दूसरे) का प्रमुख सलाहकारा था। राजा के मरने के बाद उनकी विधवा रानी से शादी कर के वह सत्तासीन हो गया। उसने अपने साम्राज्य को सिंध तक फैलाया। उसके आसपास के छोटे-२ राज्यों, कबीलों और सिंधु घाटी के अन्य स्वतन्त्र गुटों को अपने साम्राज्य में मिलाने के साहसिक व सफल प्रयासों की दास्तान चचनामा में लिखी हुई है। .

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अशोक

चक्रवर्ती सम्राट अशोक (ईसा पूर्व ३०४ से ईसा पूर्व २३२) विश्वप्रसिद्ध एवं शक्तिशाली भारतीय मौर्य राजवंश के महान सम्राट थे। सम्राट अशोक का पूरा नाम देवानांप्रिय अशोक मौर्य (राजा प्रियदर्शी देवताओं का प्रिय) था। उनका राजकाल ईसा पूर्व २६९ से २३२ प्राचीन भारत में था। मौर्य राजवंश के चक्रवर्ती सम्राट अशोक ने अखंड भारत पर राज्य किया है तथा उनका मौर्य साम्राज्य उत्तर में हिन्दुकुश की श्रेणियों से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी के दक्षिण तथा मैसूर तक तथा पूर्व में बांग्लादेश से पश्चिम में अफ़ग़ानिस्तान, ईरान तक पहुँच गया था। सम्राट अशोक का साम्राज्य आज का संपूर्ण भारत, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, म्यान्मार के अधिकांश भूभाग पर था, यह विशाल साम्राज्य उस समय तक से आज तक का सबसे बड़ा भारतीय साम्राज्य रहा है। चक्रवर्ती सम्राट अशोक विश्व के सभी महान एवं शक्तिशाली सम्राटों एवं राजाओं की पंक्तियों में हमेशा शिर्ष स्थान पर ही रहे हैं। सम्राट अशोक ही भारत के सबसे शक्तिशाली एवं महान सम्राट है। सम्राट अशोक को ‘चक्रवर्ती सम्राट अशोक’ कहाँ जाता है, जिसका अर्थ है - ‘सम्राटों का सम्राट’, और यह स्थान भारत में केवल सम्राट अशोक को मिला है। सम्राट अशोक को अपने विस्तृत साम्राज्य से बेहतर कुशल प्रशासन तथा बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए भी जाना जाता है। सम्राट अशोक ने संपूर्ण एशिया में तथा अन्य आज के सभी महाद्विपों में भी बौद्ध धर्म धर्म का प्रचार किया। सम्राट अशोक के संदर्भ के स्तंभ एवं शिलालेख आज भी भारत के कई स्थानों पर दिखाई देते है। इसलिए सम्राट अशोक की ऐतिहासिक जानकारी एन्य किसी भी सम्राट या राजा से बहूत व्यापक रूप में मिल जाती है। सम्राट अशोक प्रेम, सहिष्णूता, सत्य, अहिंसा एवं शाकाहारी जीवनप्रणाली के सच्चे समर्थक थे, इसलिए उनका नाम इतिहास में महान परोपकारी सम्राट के रूप में ही दर्ज हो चुका है। जीवन के उत्तरार्ध में सम्राट अशोक भगवान बुद्ध की मानवतावादी शिक्षाओं से प्रभावित होकर बौद्ध हो गये और उन्ही की स्मृति में उन्होने कई स्तम्भ खड़े कर दिये जो आज भी नेपाल में उनके जन्मस्थल - लुम्बिनी - में मायादेवी मन्दिर के पास, सारनाथ, बोधगया, कुशीनगर एवं आदी श्रीलंका, थाईलैंड, चीन इन देशों में आज भी अशोक स्तम्भ के रूप में देखे जा सकते है। सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म का प्रचार भारत के अलावा श्रीलंका, अफ़ग़ानिस्तान, पश्चिम एशिया, मिस्र तथा यूनान में भी करवाया। सम्राट अशोक अपने पूरे जीवन में एक भी युद्ध नहीं हारे। सम्राट अशोक के ही समय में २३ विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई जिसमें तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला, कंधार आदि विश्वविद्यालय प्रमुख थे। इन्हीं विश्वविद्यालयों में विदेश से कई छात्र शिक्षा पाने भारत आया करते थे। ये विश्वविद्यालय उस समय के उत्कृट विश्वविद्यालय थे। शिलालेख सुरु करने वाला पहला शासक अशोक ही था, .

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अशोक के अभिलेख

अशोक के शिलालेख पूरे भारतीय उपमहाद्वीप और अफ़्ग़ानिस्तान में मिलें हैं ब्रिटिश संग्राहलय में छठे शिलालेख का एक हिस्सा अरामाई का द्विभाषीय शिलालेख सारनाथ के स्तम्भ पर ब्राह्मी लिपि में शिलालेख मौर्य राजवंश के सम्राट अशोक द्वारा प्रवर्तित कुल ३३ अभिलेख प्राप्त हुए हैं जिन्हें अशोक ने स्तंभों, चट्टानों और गुफ़ाओं की दीवारों में अपने २६९ ईसापूर्व से २३१ ईसापूर्व चलने वाले शासनकाल में खुदवाए। ये आधुनिक बंगलादेश, भारत, अफ़्ग़ानिस्तान, पाकिस्तान और नेपाल में जगह-जगह पर मिलते हैं और बौद्ध धर्म के अस्तित्व के सबसे प्राचीन प्रमाणों में से हैं। इन शिलालेखों के अनुसार अशोक के बौद्ध धर्म फैलाने के प्रयास भूमध्य सागर के क्षेत्र तक सक्रिय थे और सम्राट मिस्र और यूनान तक की राजनैतिक परिस्थितियों से भलीभाँति परिचित थे। इनमें बौद्ध धर्म की बारीकियों पर ज़ोर कम और मनुष्यों को आदर्श जीवन जीने की सीखें अधिक मिलती हैं। पूर्वी क्षेत्रों में यह आदेश प्राचीन मगधी भाषा में ब्राह्मी लिपि के प्रयोग से लिखे गए थे। पश्चिमी क्षेत्रों के शिलालेखों में खरोष्ठी लिपि का प्रयोग किया गया। एक शिलालेख में यूनानी भाषा प्रयोग की गई है, जबकि एक अन्य में यूनानी और अरामाई भाषा में द्विभाषीय आदेश दर्ज है। इन शिलालेखों में सम्राट अपने आप को "प्रियदर्शी" (प्राकृत में "पियदस्सी") और देवानाम्प्रिय (यानि देवों को प्रिय, प्राकृत में "देवानम्पिय") की उपाधि से बुलाते हैं। .

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अहमद शाह अब्दाली 4-दिवसीय टूर्नामेंट

अहमद शाह अब्दाली 4-दिवसीय टूर्नामेंट अफगानिस्तान में चार दिवसीय क्रिकेट टूर्नामेंट है, जिसमें छह क्षेत्रीय टीमों के बीच खेला जाता है, जिनमें से कई अफगान प्रांतों का प्रतिनिधित्व करते हैं। 2016-17 टूर्नामेंट तक और इसमें शामिल होने के बाद, मैचों को प्रथम श्रेणी की स्थिति नहीं दी गई थी। हालांकि, फरवरी 2017 में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की बैठक में 2017-18 टूर्नामेंट से शुरू होने वाले सभी भविष्य के मैचों में प्रथम श्रेणी का दर्जा दिया गया था। इसका नाम दुरानी साम्राज्य अहमद शाह दुर्रानी के संस्थापक के नाम पर रखा गया है। .

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अकबर

जलाल उद्दीन मोहम्मद अकबर (१५ अक्तूबर, १५४२-२७ अक्तूबर, १६०५) तैमूरी वंशावली के मुगल वंश का तीसरा शासक था। अकबर को अकबर-ऐ-आज़म (अर्थात अकबर महान), शहंशाह अकबर, महाबली शहंशाह के नाम से भी जाना जाता है। अंतरण करने वाले के अनुसार बादशाह अकबर की जन्म तिथि हुमायुंनामा के अनुसार, रज्जब के चौथे दिन, ९४९ हिज़री, तदनुसार १४ अक्टूबर १५४२ को थी। सम्राट अकबर मुगल साम्राज्य के संस्थापक जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर का पौत्र और नासिरुद्दीन हुमायूं एवं हमीदा बानो का पुत्र था। बाबर का वंश तैमूर और मंगोल नेता चंगेज खां से संबंधित था अर्थात उसके वंशज तैमूर लंग के खानदान से थे और मातृपक्ष का संबंध चंगेज खां से था। अकबर के शासन के अंत तक १६०५ में मुगल साम्राज्य में उत्तरी और मध्य भारत के अधिकाश भाग सम्मिलित थे और उस समय के सर्वाधिक शक्तिशाली साम्राज्यों में से एक था। बादशाहों में अकबर ही एक ऐसा बादशाह था, जिसे हिन्दू मुस्लिम दोनों वर्गों का बराबर प्यार और सम्मान मिला। उसने हिन्दू-मुस्लिम संप्रदायों के बीच की दूरियां कम करने के लिए दीन-ए-इलाही नामक धर्म की स्थापना की। उसका दरबार सबके लिए हर समय खुला रहता था। उसके दरबार में मुस्लिम सरदारों की अपेक्षा हिन्दू सरदार अधिक थे। अकबर ने हिन्दुओं पर लगने वाला जज़िया ही नहीं समाप्त किया, बल्कि ऐसे अनेक कार्य किए जिनके कारण हिन्दू और मुस्लिम दोनों उसके प्रशंसक बने। अकबर मात्र तेरह वर्ष की आयु में अपने पिता नसीरुद्दीन मुहम्मद हुमायुं की मृत्यु उपरांत दिल्ली की राजगद्दी पर बैठा था। अपने शासन काल में उसने शक्तिशाली पश्तून वंशज शेरशाह सूरी के आक्रमण बिल्कुल बंद करवा दिये थे, साथ ही पानीपत के द्वितीय युद्ध में नवघोषित हिन्दू राजा हेमू को पराजित किया था। अपने साम्राज्य के गठन करने और उत्तरी और मध्य भारत के सभी क्षेत्रों को एकछत्र अधिकार में लाने में अकबर को दो दशक लग गये थे। उसका प्रभाव लगभग पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर था और इस क्षेत्र के एक बड़े भूभाग पर सम्राट के रूप में उसने शासन किया। सम्राट के रूप में अकबर ने शक्तिशाली और बहुल हिन्दू राजपूत राजाओं से राजनयिक संबंध बनाये और उनके यहाँ विवाह भी किये। अकबर के शासन का प्रभाव देश की कला एवं संस्कृति पर भी पड़ा। उसने चित्रकारी आदि ललित कलाओं में काफ़ी रुचि दिखाई और उसके प्रासाद की भित्तियाँ सुंदर चित्रों व नमूनों से भरी पड़ी थीं। मुगल चित्रकारी का विकास करने के साथ साथ ही उसने यूरोपीय शैली का भी स्वागत किया। उसे साहित्य में भी रुचि थी और उसने अनेक संस्कृत पाण्डुलिपियों व ग्रन्थों का फारसी में तथा फारसी ग्रन्थों का संस्कृत व हिन्दी में अनुवाद भी करवाया था। अनेक फारसी संस्कृति से जुड़े चित्रों को अपने दरबार की दीवारों पर भी बनवाया। अपने आरंभिक शासन काल में अकबर की हिन्दुओं के प्रति सहिष्णुता नहीं थी, किन्तु समय के साथ-साथ उसने अपने आप को बदला और हिन्दुओं सहित अन्य धर्मों में बहुत रुचि दिखायी। उसने हिन्दू राजपूत राजकुमारियों से वैवाहिक संबंध भी बनाये। अकबर के दरबार में अनेक हिन्दू दरबारी, सैन्य अधिकारी व सामंत थे। उसने धार्मिक चर्चाओं व वाद-विवाद कार्यक्रमों की अनोखी शृंखला आरंभ की थी, जिसमें मुस्लिम आलिम लोगों की जैन, सिख, हिन्दु, चार्वाक, नास्तिक, यहूदी, पुर्तगाली एवं कैथोलिक ईसाई धर्मशस्त्रियों से चर्चाएं हुआ करती थीं। उसके मन में इन धार्मिक नेताओं के प्रति आदर भाव था, जिसपर उसकी निजि धार्मिक भावनाओं का किंचित भी प्रभाव नहीं पड़ता था। उसने आगे चलकर एक नये धर्म दीन-ए-इलाही की भी स्थापना की, जिसमें विश्व के सभी प्रधान धर्मों की नीतियों व शिक्षाओं का समावेश था। दुर्भाग्यवश ये धर्म अकबर की मृत्यु के साथ ही समाप्त होता चला गया। इतने बड़े सम्राट की मृत्यु होने पर उसकी अंत्येष्टि बिना किसी संस्कार के जल्दी ही कर दी गयी। परम्परानुसार दुर्ग में दीवार तोड़कर एक मार्ग बनवाया गया तथा उसका शव चुपचाप सिकंदरा के मकबरे में दफना दिया गया। .

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२०१०

वर्ष २०१० वर्तमान वर्ष है। यह शुक्रवार को प्रारम्भ हुआ है। संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष २०१० को अंतराष्ट्रीय जैव विविधता वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इन्हें भी देखें 2010 भारत 2010 विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी 2010 साहित्य संगीत कला 2010 खेल जगत 2010 .

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