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क़ौमी तराना

सूची क़ौमी तराना

पाक सरज़मीन पाकिस्तान का राष्ट्रगान है। इसे उर्दू में "क़ौमी तराना" कहा जाता है। इसे हफ़ीज़ जालंधरी ने लिखा था और इसका संगीत अकबर मुहम्मद ने बनाया। यह सन् 1954 में पाकिस्तान का राष्ट्रगान बना और उस से पहले जगन्नाथ आज़ाद द्वारा लिखित "ऐ सरज़मीन-ए-पाक" पाकिस्तान का राष्ट्रगान था। .

8 संबंधों: तराना-ए-मिल्ली, पश्चिमी पाकिस्तान, पाकिस्तान, पाकिस्तान का राजप्रतीकचिन्ह, पाकिस्तान अधिराज्य, मीनार-ए-पाकिस्तान, स्वतंत्रता दिवस (पाकिस्तान), हफ़ीज़ जालंधरी

तराना-ए-मिल्ली

इक़बाल तराना-ए-मिल्ली मुहम्मद इक़बाल द्वारा लिखी गई एक उर्दु शायरी है जिसमें उन्होंने नस्ली राष्ट्रवाद के बजाय मसलानों को बतौर मुस्लिम के रहने और इस पर गर्व होने का प्रदर्शन भी किया गया है। उन्होंने यह कविता तराना-ए-हिन्दी के जवाब में लिखी है, जब उन्होंने अपने दृष्टिकोण को बदलकर द्विराष्ट्र सिद्धांत को स्वीकार कर लिया। .

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पश्चिमी पाकिस्तान

पश्चिमी पाकिस्तान(مغربی پاکستان, मग़रिबी पाकिस्तान, পশ্চিম পাকিস্তান, पोश्चिम पाकिस्तान), एक इकाई व्यवस्था के तहत, तत्कालीन पाकिस्तान (पाकिस्तान अधिराज्य) की पश्चिमी इकाई थी, जो अब, (बांग्लादेश के अलग होने के बाद से) वर्तमान पाकिस्तान है। .

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पाकिस्तान

इस्लामी जम्हूरिया पाकिस्तान या पाकिस्तान इस्लामी गणतंत्र या सिर्फ़ पाकिस्तान भारत के पश्चिम में स्थित एक इस्लामी गणराज्य है। 20 करोड़ की आबादी के साथ ये दुनिया का छठा बड़ी आबादी वाला देश है। यहाँ की प्रमुख भाषाएँ उर्दू, पंजाबी, सिंधी, बलूची और पश्तो हैं। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद और अन्य महत्वपूर्ण नगर कराची व लाहौर रावलपिंडी हैं। पाकिस्तान के चार सूबे हैं: पंजाब, सिंध, बलोचिस्तान और ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा। क़बाइली इलाक़े और इस्लामाबाद भी पाकिस्तान में शामिल हैं। इन के अलावा पाक अधिकृत कश्मीर (तथाकथित आज़ाद कश्मीर) और गिलगित-बल्तिस्तान भी पाकिस्तान द्वारा नियंत्रित हैं हालाँकि भारत इन्हें अपना भाग मानता है। पाकिस्तान का जन्म सन् 1947 में भारत के विभाजन के फलस्वरूप हुआ था। सर्वप्रथम सन् 1930 में कवि (शायर) मुहम्मद इक़बाल ने द्विराष्ट्र सिद्धान्त का ज़िक्र किया था। उन्होंने भारत के उत्तर-पश्चिम में सिंध, बलूचिस्तान, पंजाब तथा अफ़गान (सूबा-ए-सरहद) को मिलाकर एक नया राष्ट्र बनाने की बात की थी। सन् 1933 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली ने पंजाब, सिन्ध, कश्मीर तथा बलोचिस्तान के लोगों के लिए पाक्स्तान (जो बाद में पाकिस्तान बना) शब्द का सृजन किया। सन् 1947 से 1970 तक पाकिस्तान दो भागों में बंटा रहा - पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान। दिसम्बर, सन् 1971 में भारत के साथ हुई लड़ाई के फलस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश बना और पश्चिमी पाकिस्तान पाकिस्तान रह गया। .

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पाकिस्तान का राजप्रतीकचिन्ह

पाकिस्तान के राजप्रतीकचिन्ह को सन १९५४ में पाकिस्तान सरकार द्वारा अपनाया गया था। इस चिन्ह को मूल रूप से कुल चिन्ह के रूप में वर्गित किया जा सकता है(उदाहरणस्वरूप: भारत का राष्ट्रप्रतीकचिन्ह एक ऐतिहासिक स्तम्भमुकुट है)। यह पाकिस्तानी गणराज्य के आदर्शों को, उस्की वैचाराक नीव को, उस्की अर्थव्यवस्था के मूल्यों को एवं पाकिस्तान की सांस्कृतिक धरोहर और मार्गदर्शक सिद्धांतों को दर्शाता है। इसे पाकिस्तान सरकार के चिन्ह के रूप में भी उपयोग किया जाता है। इस चिन्ह के मुख्य रूप से चार घटक अंग हैं.

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पाकिस्तान अधिराज्य

पाकिस्तानी अधिराज्य (ﻣﻤﻠﮑﺖِ ﭘﺎﮐﺴﺘﺎﻥ., मुम्लिक़ात्'ए पाकिस्तान; পাকিস্তান অধিরাজ্য, पाकिस्तान ओधिराज्जो) नवनिर्मित देश, पाकिस्तान की स्वायत्त्योपनिवेशिय अवस्था थी। इस शासनप्रणाली के तहत पाकिस्तान को भारत विभाजन के बाद, ब्रिटिश साम्राज्य का एक स्वशासित व स्वतंत्र इकाइ(अधिराज्य) के रूप मे स्थापित किया गया था। पाकिस्तानी अधिराज्य की स्थापना भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम १९४७ के तहत ब्रिटिश भारत के विभाजन के बाद तथाकथित तौर पर भारतिय उपमहाद्वीप की मुस्लिम आबादी के लिए हुआ था। एसकी कुल भूभाग मौजूदा इस्लामिक गणराज्य पाकिस्तान व बांग्लादेश के बराबर थी। 1956 में पाकिस्तान का पहला संविधान के लागू होने के साथ ही "पाकिस्तान अधिराज्य" की विस्थापना हो गई जब अधिराजकिय राजतांत्रिक व्यवस्था को इस्लामिक गणराज्य से बदल दिया गया। इस व्यवस्था के तहत पाकिस्तान ब्रिटिश हुक़ूमत से स्वतंत्र हो गया एवं ब्रिटिश राष्ट्रमंडल का हिस्सा होने के नाते अन्य ब्रिटिश स्वायत्त्योपनिवेशों की ही तरह, ब्रिटेन के राजा(ततकालीन जार्ज षष्ठम) को पाकिस्तान के राजा का प्रभार भी सौंप दिया गया, हालांकी, (तथ्यस्वरूप) पाकिस्तान के राजा का लग-भग सारा संवैधानिक व कार्याधिकार पाकिस्तान में उनके प्रतिनिधी पाकिस्तान के महाराज्यपाल (गवर्नर-जनरल) के अधिकार में था। ऐसी व्यवस्था सारे ब्रिटिश-स्वायत्त्योपनिवेशों में रहती है। पाकिस्तान अधिराज्य कुल 9 सालों तक, १९४७ से १९५६ तक अस्तित्व में रहा था, जिस बीच 4 महाराज्यपालों की नियुक्ती हुई थी। भारत विभाजन व स्वतंत्रता के बाद संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटिश भारत की सदस्यता भारतीय अधिराज्य को दे दी गई जबकी पाकिस्तान ने नई सदस्यता प्राप्त की। .

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मीनार-ए-पाकिस्तान

मीनार-ए पाकिस्तान (مینارِ پاکستان)(या मीनार पाकिस्तान)लाहौर में स्थित, पाकिस्तान की एक राष्ट्रीय स्मारक है, सन 1968 में इसे पाकिस्तान की सार्वभौमिकता तथा स्वतंत्रता के बतौर प्रतीक बनाया गया था। इसे लाहौर में ठीक उसी जगह पर बनाया गया है जहां 23 मार्च 1940 में क़ायदे आज़म मुहम्मद अली जिन्ना की अध्यक्षता में आयोजित ऑल इंडिया मुस्लिम लीग की बैठक में ऐतिहासिक क़रारदाद-ए पाकिस्तान पारित हुआ था। इसे पाकिस्तान में यादगार पाकिस्तान भी कहा जाता है। यह लाहौर के इक़बाल पार्क में स्थित है। जब यह क़रारदाद पारित हुआ था, उस समय, इस पार्क को मिंटो पार्क कहते थे, जब लाहौर ब्रिटिश सल्तनत का हिस्सा था। आजकल इस पार्क को इकबाल पार्क के नाम पर किया जाता है। .

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स्वतंत्रता दिवस (पाकिस्तान)

14 अगस्त को पाकिस्तान की आज़ादी का दिन कहा जाता है- यौम इस्तिक़लाल (Independence Day) इंतिहाई जोश-ओ-ख़ुरोश से मनाया जाता है। ये वो दिन है जब पाकिस्तान 1947 में बर्तानवी हुकमरानों से आज़ाद हो कर मारज़ वजूद में आया। 14 अगस्त का दिन पाकिस्तान में सरकारी सतह पर क़ौमी तहवार के तौर पर बड़े धूम धाम मनाया जाता है जबकि बच्चे, जवान और बूढ़े सभी उस रोज़ अपना क़ौमी पर्चम फ़िज़ा-ए-में बुलंद करते हुए अपने क़ौमी महसिनों को ख़िराज-ए-तहिसीन पेश करते हैं। पूरे मुलक में हर तरफ़ जशन-ए-चराग़ाँ होता है और एक मेला का सा समां बंध जाता है। ईस्लामाबाद जो कि पाकिस्तान का दारलख़लाफ़ा है, उसको इंतिहाई शानदार तरीक़े से सजाया जाता है, जबकि उसके मुनाज़िर किसी जश्न का सासमां पैदा कर रहे होते हैं। और यहीं एक क़ौमी हैसियत की हामिल तक़रीब में सदर-ए-पाकिस्तान और वज़ीर आ अज़म क़ौमी पर्चम बुलंद करते हुए इस बात का अह्द करते हैं कि हम इस पर्चम कीतरह इस वतन-ए-अज़ीज़ को भी उरूज-ओ-तरक़्क़ी की बुलंदीयों तक पहुंचाएंगे। इन तक़ारीब के इलावा ना सिर्फ़ सदारती और पारलीमानी इमारात पर क़ौमी पर्चम लहराया जाता है बल्कि पूरे मुलक में सरकारी और नियम सरकारी इमारात पर भी सबज़ हिलाली पर्चम पूरी आब-ओ-ता ब से बुलंदी का नज़ारा पेश कर रहा होता है। यौम असक़लाल के रोज़ रेडीयो, बईद नुमा और जालबीन पे बराह-ए-रास्त सदर और वज़ीर आ अज़म पाकिस्तान की तक़ारीर को नशर किया जाता है और इस अह्द की तजदीद की जाती है कि हम सब ने मिल क्रास वतन-ए-अज़ीज़ को तरक़्क़ी, ख़ुशहाली और कामयाबीयों की बुलंद सतह पे लेजाना है। सरकारी तौर पर यौम आज़ादी इंतिहाई शानदार तरीक़े से मनाते हुए आली ओहदादार अपनी हुकूमत की कामयाबीयों और बेहतरीन हिक्मत अमलियों का तज़किरा करते हुए अपने अवाम से ये अह्द करते हैं कि हम अपने तन मन धन की बाज़ी लगाकर भी इस वतन-ए-अज़ीज़ को तरक़्क़ी की राह पर गामज़न रखेंगे और हमेशा अपने रहनुमा क़ाइद-ए-आज़म मुहम्मद अली जिन्नाह के क़ौल "ईमान, इत्तिहाद और तंज़ीम" की पासदारी करेंगे। .

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हफ़ीज़ जालंधरी

अबू अल-असर हफ़ीज़ जालंधरी (नस्तालीक़:, जन्म 14 जनवरी 1900 - मौत 21 दिसंबर 1982) एक पाकिस्तानी उर्दु शायर थे जिन्होंने पाकिस्तान का क़ौमी तराना को लिखा। उन्हें "शाहनामा-ए-इस्लाम" की रचना करने के लिए भी जाने जाते हैं। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

पाक सरज़मीन, पाकिस्तान का राष्ट्रगान, पाकिस्तान का राष्ट्रगीत, कौमी तराना

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