6 संबंधों: भारतीय पशु और पक्षी, मजून, श्रेया घोषाल, शैंपू, कस्तूरी बिलाव, कस्तूरी मृग।
भारतीय पशु और पक्षी
भारत विशाल देश है। इसमें पशु-पक्षी भी नाना प्रकार, रंग रूप तथा गुणों के पाए जाते हैं। कुछ बृहदाकार हैं तो कुछ सूक्ष्माकार। भारत के प्राचीन ग्रथों में पशुपक्षियों का विस्तृत वर्णन मिलता है। उस समय उनका अधिक महत्व उनके मांस के कारण था। अत: आयुर्वेदिक ग्रंथों में उनका विशेष उल्लेख मिलता है। .
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मजून
मजून यूनानी चिकित्सा में प्रयुक्त एक दवा है जो मिथुन वर्धन के उपयोग में लाई जाती है। उत्तरी पाकिस्तान में इसका प्रयोग अब भी किया जाता है। कहा जाता है कि सिकन्दर और बाबर ने भारत प्रवेश करते वक़्त इसका पान किया था। इसको बनाने के लिए हिरण की नाभि (कस्तूरी?), सूअर (water hog) के अंडकोष, किशोर ऊँट की आँत, बगरे (sparrow) का मस्तिष्क, नीला पत्थर (लेपिस लज़ुली), चाँदी की पतली पत्ती, रेतीला गिरगिट (sandfish), अनार का तेल, शहद और ग्राउंड सीड पर्ल को गांजे के साथ प्रयोग किया जाता है। .
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श्रेया घोषाल
श्रेया घोषाल (जन्म तारीख़: 12 मार्च 1984) एक भारतीय पार्श्व गायिका है। उन्होंने बॉलीवुड में, क्षेत्रीय फिल्मों बहुत सारे गाने गाए और कस्तूरी जैसे भारतीय धारावाहिकों के लिए भी गाया है। हिंदी के अलावा, उन्होंने असमिया, बंगाली, कन्नड़, मलयालम, मराठी, पंजाबी, तमिल और तेलुगु में भी गाने गाए हैं। .
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शैंपू
शैम्पू एक बालों की देखभाल संबंधी उत्पाद है, जिसे बालों से तेल, मिट्टी, त्वचा कण, रूसी, पर्यावरण प्रदूषक और अन्य संदूषण कणों जो बालों में फंस जाते हैं को हटाने के लिए प्रयोग किया जाता है। शैम्पू, जब पानी में घुलकर झाग बनाता है, तब एक पृष्ठसक्रियकारक (सरफेक्टैन्ट) के रूप में कार्य करता है और जब यह बालों और सिर की सफाई करता है तो प्राकृतिक तेलों (सीबम) जो बालों को चिकना बनाता है को भी हटा सकता है। शैम्पू के प्रयोग के बाद अक्सर कंडीशनर को बालों में लगाया जाता है, जो बालों को काढ़ना और उनकी सज्जा करना सुगम बनाता है। .
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कस्तूरी बिलाव
कस्तूरी बिलाव गंधमार्जार या गंधबिलाव या कस्तूरी बिलाव (Civet) एक छोटा स्तनधारी जानवर होता है। इसका अकार कुछ-कुछ बिल्ली से मिलता है, जिस वजह से इसे "बिलाव" का नाम मिला है, हालाँकि यह बिल्ली की नस्ल का प्राणी नहीं है। इस से एक विशेष प्रकार की गंध आती है इसलिए इसके नाम में "कस्तूरी" शब्द जोड़ा जाता है। यह एशिया और अफ़्रीका के उष्णकटिबंध (ट्रॉपिकल) क्षेत्रों में पाया जाता है। कस्तूरी बिलाव अपनी अधिकतर समय पेड़ों की टहनियों में ही गुज़ारना पसंद करते हैं। गंधमार्जार मांसभक्षी, स्तनपोषी जीवों के विवेरिडी कुल (Family Viverridae) के जीव हैं। इनकी कई जातियाँ संसार में फैली हैं। ये बिल्ली के पद के जीव हैं। इनके पैर छोटे और मुंह लंबा होता है। ये जीव पेड़ पर सरलता से चढ़ लेते है और रात में ही बाहर निकलते हैं। इन प्राणियों के दुम के नीचे एक गंधग्रंथि रहती है, जिससे गाढ़ा, गंधपूर्ण, पीला पदार्थ निकलता है। इसे व्यापारी लोग मुश्क या कस्तूरी में मिलाकर बेचते हैं। इसमें से सिवेटोन (Civetone) नामक कीटोन निकाला गया है। सुगंधित द्रव्यों के निर्माण में इसकी गंध प्रयुक्त होती है। इनकी वैसी तो कई जातियाँ हैं जिनमें एक भारत का प्रसिद्ध कस्तूरी मृग (The Zibeth, Viverra zibetha) है, जो आस्ट्रेलिया से भारत और चीन तक फैला हुआ है। कद लगभग तीन फुट लंबा और 10 इंच ऊँचा होता है। रंग स्लेटी, जिसपर काली चित्तियाँ रहती हैं। दूसरा अफ्रीका का कस्तूरी मृग (African civet, Civette des civetta) है, जो इससे बड़ा ऊँचा तथा इससे गाढ़े रंग का और बड़े बालोवाला होता है। इसे लोग पालतू करके मुश्क निकालते हैं। .
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कस्तूरी मृग
खोपड़ी कस्तूरी मृग सम-खुर युक्त खुरदार स्तनधारियों का एक समूह है। यह मोशिडे परिवार का प्राणी है। कस्तूरी मृगों की चार प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जो सभी आपस में बहुत समान हैं। कस्तूरी मृग, सामान्य मृग से अधिक आदिम है। .
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