लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
इंस्टॉल करें
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

कर्मा (1986 फ़िल्म)

सूची कर्मा (1986 फ़िल्म)

कर्मा 1986 में बनी हिन्दी भाषा की एक्शन फिल्म है। सुभाष घई द्वारा निर्देशित इस फिल्म में दिलीप कुमार, नूतन, नसीरुद्दीन शाह, जैकी श्रॉफ, अनिल कपूर, पूनम ढिल्लों, श्रीदेवी और अनुपम खेर समेत कलाकार शामिल हैं। विधाता (1982) में उनकी पिछली फिल्म की सफलता के बाद यह फिल्म सुभाष घई और दिलीप कुमार की दोबारा जोड़ी बनाती है। किसी फिल्म में पहली बार दिलीप कुमार को अनुभवी अभिनेत्री नूतन के साथ देखा गया था। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर एक बड़ी सफलता थी। .

18 संबंधों: दारा सिंह, दिलीप कुमार अभिनीत फिल्मे, नसीरुद्दीन शाह, पूनम ढिल्लों, बिन्दू, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल, शरत सक्सेना, शशि पुरी, शक्ति कपूर, सचिन भौमिक, सुभाष घई, सी एस दुबे, हिंदी चलचित्र, १९८० दशक, जुगल हंसराज, जैकी श्रॉफ, विजू खोटे, अनिल कपूर, अनुपम खेर

दारा सिंह

दारा सिंह (पूरा नाम: दारा सिंह रन्धावा, अंग्रेजी: Dara Singh, जन्म: 19 नवम्बर, 1928 पंजाब, मृत्यु: 12 जुलाई 2012 मुम्बई) अपने जमाने के विश्व प्रसिद्ध फ्रीस्टाइल पहलवान रहे हैं। उन्होंने 1959 में पूर्व विश्व चैम्पियन जार्ज गारडियान्का को पराजित करके कामनवेल्थ की विश्व चैम्पियनशिप जीती थी। 1968 में वे अमरीका के विश्व चैम्पियन लाऊ थेज को पराजित कर फ्रीस्टाइल कुश्ती के विश्व चैम्पियन बन गये। उन्होंने पचपन वर्ष की आयु तक पहलवानी की और पाँच सौ मुकाबलों में किसी एक में भी पराजय का मुँह नहीं देखा। 1983 में उन्होंने अपने जीवन का अन्तिम मुकाबला जीतने के पश्चात कुश्ती से सम्मानपूर्वक संन्यास ले लिया। उन्नीस सौ साठ के दशक में पूरे भारत में उनकी फ्री स्टाइल कुश्तियों का बोलबाला रहा। बाद में उन्होंने अपने समय की मशहूर अदाकारा मुमताज के साथ हिन्दी की स्टंट फ़िल्मों में प्रवेश किया। दारा सिंह ने कई फ़िल्मों में अभिनय के अतिरिक्त निर्देशन व लेखन भी किया। उन्हें टी० वी० धारावाहिक रामायण में हनुमान के अभिनय से अपार लोकप्रियता मिली। उन्होंने अपनी आत्मकथा मूलत: पंजाबी में लिखी थी जो 1993 में हिन्दी में भी प्रकाशित हुई। उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने राज्य सभा का सदस्य मनोनीत किया। वे अगस्त 2003 से अगस्त 2009 तक पूरे छ: वर्ष राज्य सभा के सांसद रहे। 7 जुलाई 2012 को दिल का दौरा पड़ने के बाद उन्हें कोकिलाबेन धीरूभाई अम्बानी अस्पताल मुम्बई में भर्ती कराया गया किन्तु पाँच दिनों तक कोई लाभ न होता देख उन्हें उनके मुम्बई स्थित निवास पर वापस ले आया गया जहाँ उन्होंने 12 जुलाई 2012 को सुबह साढ़े सात बजे दम तोड़ दिया। .

नई!!: कर्मा (1986 फ़िल्म) और दारा सिंह · और देखें »

दिलीप कुमार अभिनीत फिल्मे

दिलीप कुमार अभिनीत फिल्मे यह उन हिंदी फिल्मो की सूची है जिनमे हिंदी अभिनेता दिलीप कुमार ने कार्य किया। यह सूची अधूरी भी हो सकती है। ऐसा है तो इसे पूरा करे.

नई!!: कर्मा (1986 फ़िल्म) और दिलीप कुमार अभिनीत फिल्मे · और देखें »

नसीरुद्दीन शाह

नसीरुद्दीन शाह हिन्दी फ़िल्मों के एक प्रसिद्ध अभिनेता हैं। नसीरुद्दीन शाह, जिन्हें हिंदी फ़िल्म उद्योग में अदाकारी का एक पैमाना कहा जाए तो शायद ही किसी को एतराज हो। नसीर की काबिलियत का सबसे बड़ा सुबूत है, सिनेमा की दोनों धाराओं में उनकी कामयाबी। नसीर का नाम अगर पैरेलल सिनेमा के सबसे बेहतरीन अभिनेताओं की सूची में शामिल हुआ तो बॉलीवुड की मुख्य धारा या व्यापारिक फ़िल्मों में भी उन्होंने बड़ी कामयाबी हासिल की है। नसीर अपने शानदार अंदाज से मुख्य धारा के चहेते सितारे बन गए, ऐसा सितारा जिसने हर तरह के किरदार को बेहतरीन अभिनय से जिंदा कर दिया। ये सितार जब भी स्क्रीन पर आया देखने वाले के दिल पर उस किरदार की यादगार छाप छोड़ गया। उसकी कॉमेडी ने पब्लिक को खूब गुदगुदाया तो एक्शन में भी उसका अलग ही अंदाज नजर आया। मुख्य धारा सिनेमा में नसीरुद्दीन शाह के सफर की शुरुआत 1980 में आई फ़िल्म 'हम पांच' से हुई। फ़िल्म भले ही व्यापारिक थी, लेकिन इसमें नसीर के अभिनय की गहराई समानांतर सिनेमा वाली फ़िल्मों से कम नहीं थी। गुलामी को अपनी तकदीर मान चुके एक गांव में विद्रोह की आवाज बुलंद करते नौजवान के किरदार में नसीर ने जान फूंक दी। हालांकि फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर कामयाब नहीं रही और एक व्यापारिक एक्टर के तौर पर सफलता साबित करने के लिए नसीर को टिकट खिड़की पर भी बिकाऊ बनने की जरूरत थी। और उनके लिए ये काम किया 'जाने भी दो यारों' ने। बॉलीवुड की ऑल टाइम बेस्ट कॉमेडी फ़िल्मों में शुमार 'जाने भी दो यारों' में रवि वासवानी और नसीर की जोड़ी ने बेजोड़ कॉमिक टाइमिंग दिखाई और फ़िल्म बेहद कामयाब रही। लेकिन कमर्शियल सिनेमा में नसीर की सबसे बड़ी कामयाबी बनी 'मासूम'। बाप और बेटे के रिश्तों को उकेरती 'मासूम' में नसीर ने कमाल की अदाकारी से ना केवल खूब वाहवाही बटोरी बल्कि फ़िल्म भी सुपरहिट हुई और नसीर को एक स्टार का दर्जा मिल गया। नसीर के इस स्टार स्टेटस को और मजबूत किया 1986 में आई सुभाष घई की मल्टीस्टारर मेगाबजट फ़िल्म 'कर्मा' ने। फ़िल्म में नसीर के लिए अपनी छाप छोड़ना आसान नहीं था क्योंकि वहां अभिनय सम्राट "दिलीप कुमार भी थे। और उस दौर के नए नवेले सितारे जैकी श्रॉफ और अनिल कपूर भी थे। 1987 में गुलजार की 'इजाजत' नसीर के लिए कामयाबी का एक और जरिया बन कर आई। एक जज्बाती कहानी, बेहतरीन निर्देशन, शानदार अभिनय और यादगार संगीत। 'इजाजत' ने बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त कामयाबी हासिल की और बतौर व्यापारिक एक्टर नसीर का रुतबा और बढ़ गया। 'त्रिदेव' जैसी सुपरहिट फ़िल्म देकर, 90 का दशक आते-आते नसीर ने व्यापारिक फ़िल्मों में भी अपनी अलग पहचान बना ली थी। 2003 में आई हॉलीवुड फ़िल्म 'द लीग ऑफ एक्सट्रा ऑर्डिनरी जेंटलमेन' में नसीरुद्दीन ने कैप्टन नीमो का किरदार निभाया तो दूसरी तरफ पाकिस्तानी फ़िल्म 'खुदा के लिए' में भी उन्होंने शानदार काम किया। देश से लेकर परदेस तक, नसीरुद्दीन शाह ने अपनी अदाकारी का लोहा सारी दुनिया में मनवाया है। लेकिन नसीर अपनी काबिलियत को खुशकिस्मती का नाम देते हैं। वो कहते हैं, 'मैं खुद को खुशकिस्मत मानता हूं कि मुझे इतने मौके मिले, लेकिन मैं व्यापारिक फ़िल्मों से अभी संतुष्ट नहीं हूँ।' 2008 में आई 'अ वेडनेसडे' ने नसीर की कमाल की अदाकारी का एक और नजराना पेश किया तो 'इश्किया', 'राजनीति', 'सात खून माफ' और 'डर्टी पिक्चर' जैसी फ़िल्मों के जरिए नसीरुद्दीन ने बार-बार ये साबित किया कि एक सच्चे कलाकार को उम्र बांध नहीं सकती। हाल ही में रिलीज हुई फ़िल्म 'मैक्सिमम' में भी नसीर की जोरदार एक्टिंग ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया है। आज के नसीरुद्दीन शाह की बात करें तो शायद ही ऐसा कोई रोल है जो उनपर फिट नहीं बैठे। आखिर वो एक्टर ही ऐसे हैं कि हर रोल के मुताबिक खुद को ढाल लेते हैं। लेकिन एक समय था जब नसीर को दो रोल करने की इच्छा थी जो उस समय उन्हें नहीं मिले। लेकिन बाद 'मिर्जा गालिब', दूरदर्शन धारावाहिक में उन्हें दो रोल मिले जिसमें उन्होंने ग़ालिब का वास्तविक चित्र उभारने की कोशिश की। लेकिन आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि गालिब बनने की नसीर की तमन्ना उनके दिल में एक अधूरे ख्वाब की तरह अटकी हुई थी। 1988 में सीरियल बनाने से सालों पहले गुलजार साहब गालिब पर एक फ़िल्म बनाना चाहते थे और उस फ़िल्म में गालिब के तौर पर उनकी दिली इच्छा संजीव कुमार को लेने की थी। नसीर साहब ने इस बारे में बताते हुए कहा, 'मैंने गुलजार भाई को चिठ्ठी लिखी और अपनी फोटोग्राफ्स भेजी, मैंने लिखा कि ये क्या कर रहे हैं, इस फ़िल्म में आपको मुझे लेना चाहिए।' लेकिन संजीव कुमार को दिल का दौरा पड़ गया था और सेहत उनका साथ नहीं दे रही थी। फिर उसके बाद गुलजार साहब के दिल में उस रोल के लिए अमिताभ के नाम का खयाल आया। लेकिन वहां भी बात नहीं बनी और आखिरकार गालिब पर फ़िल्म बनाने का प्लान ही ठंडे बस्ते में पड़ गया। शायद उस वक्त गुलजार को भी नहीं मालूम होगा कि इस किरदार पर तो तकदीर ने किसी और का नाम लिख दिया है। कई साल बाद गुलजार साहब ने एक दिन नसीर को फोन लगाया। नसीर ने बताया, 'एक दिन मुझे गुलजार भाई का फोन आया कि सीरियल में काम करोगे। मैंने पूछा कौन सा सीरियल तो उन्होंने बताया गालिब पर है। मैंने बिना कुछ सोचे फौरन हां कह दिया।' साल 1982 में 'गांधी' के रिलीज होने के अट्ठारह साल बाद कमल हासन ने 'हे राम' बनाई, जिसने नसीर साहब की गांधी बनने की तमन्ना को भी पूरा कर दिया। सधी हुई अदाकरी और बेजोड़ अंदाज से उन्होंने ना केवल गांधी के किरदार में जान डाल दी। बेजोड़ एक्टिंग और गजब की क्षमता से हर तरह के किरदार निभाने वाले नसीर ने अपनी छाप नकारात्मक भूमिकाओं में भी छोड़ी। समानांतर सिनेमा का ये हीरो कमर्शियल फ़िल्मों में एक ख़तरनाक विलेन के तौर पर भी हमेशा याद किया जाता रहेगा। हिन्दी सिनेमा में विलेन का ये नया चेहरा था, खूंखार और अजीबोगरीब शक्ल वाला कोई गुंडा नहीं बल्कि सोफेस्टिकेटेड इंसान जिसके दिमाग में सिर्फ जहर ही जहर था। विलेन का ये किरदार जितना संजीदा था उससे भी ज्यादा संजीदगी से उसे निभाया था नसीरुद्दीन शाह ने। वैसे खलनायक के तौर पर उनकी एक दो फ़िल्में नहीं थीं। 'मोहरा' में उन्होंने दिखाया विलेन का वो चेहरा जो किसी के भी दिल में खौफ पैदा कर सकता है। अंधा होने का नाटक करने वाला एक शिकारी, लेकिन ये नसीर की असली पहचान नहीं थी। नसीर की असली पहचान समानांतर सिनेमा था। सिनेमा की वो धारा जिसमें एक स्टार के लिए कम और एक्टर के लिए गुंजाइश ज्यादा होती है। और ये बात किसी से छुपी नहीं कि नसीर एक एक्टर पहले और स्टार बाद में हैं। समानांतर सिनेमा के इस सितारे ने स्मिता पाटिल, शबाना आजमी, अमरीश पुरी और ओम पुरी जैसे माहिर कलाकारों के साथ मिलकर आर्ट फ़िल्मों को एक नई पहचान दी। 'निशान्त' जैसी सेंसेटिव फ़िल्म से अभिनय का सफर शुरू करने वाले नसीर ने 'आक्रोश', 'स्पर्श', 'मिर्च मसाला', 'भवनी भवाई', 'अर्धसत्य', 'मंडी' और 'चक्र' जैसी फ़िल्मों में अभिनय की नई मिसाल पेश कर दी। .

नई!!: कर्मा (1986 फ़िल्म) और नसीरुद्दीन शाह · और देखें »

पूनम ढिल्लों

पूनम ढिल्लों हिन्दी फिल्मों की एक अभिनेत्री हैं। ये मूल रूप से बिहार की रहने वाली है। .

नई!!: कर्मा (1986 फ़िल्म) और पूनम ढिल्लों · और देखें »

बिन्दू

बिन्दू हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री हैं। .

नई!!: कर्मा (1986 फ़िल्म) और बिन्दू · और देखें »

लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल

लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल एक लोकप्रिय भारतीय संगीतकार की जोड़ी है, लक्ष्मीकांत शांताराम कुदलकर (१९३७-१९९८) और प्यारेलाल रामप्रसाद शर्मा (जन्म १९४०) से मिलकर बनी थी। उन्होंने १९६३ से १९९८ तक ६३५ हिंदी फिल्मों के लिए संगीत रचना की और इस समय के लगभग सभी उल्लेखनीय फिल्म निर्माताओं के लिए काम किया जिसमे सम्मिलित थे राज कपूर, देव आनंद, बी.आर.

नई!!: कर्मा (1986 फ़िल्म) और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल · और देखें »

शरत सक्सेना

शरत सक्सेना एक हिन्दी फिल्म अभिनेता हैं। .

नई!!: कर्मा (1986 फ़िल्म) और शरत सक्सेना · और देखें »

शशि पुरी

शशि पुरी हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता हैं। .

नई!!: कर्मा (1986 फ़िल्म) और शशि पुरी · और देखें »

शक्ति कपूर

शक्ति कपूर हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता हैं। शक्ति कपूर का जन्म ३ सितंम्बर १९५२ को पंजाबी परिवार में हुआ था। .

नई!!: कर्मा (1986 फ़िल्म) और शक्ति कपूर · और देखें »

सचिन भौमिक

सचिन भौमिक (17 जुलाई 1930 - 12 अप्रैल 2011) हिन्दी फ़िल्मों के पटकथा लेखक थे जिन्हें हिन्दी सिनेमा के इतिहास का सबसे सफल लेखक कहा गया है। उन्हें विशेषकर रूमानी फ़िल्मों के लेखक के रूप में पहचाना जाता है। उन्होंने 100 से ज्यादा फ़िल्मों की कहानी लिखी। सबसे पहले सचिन ने नर्गिस अभिनीत लाजवंती (1958) की पटकथा लिखी थी। फिर उन्होंने अनुराधा (1960) भी लिखी जिसने सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार जीता था। फिर उनके द्वारा कई दशकों तक कई सफल फिल्मों की कहानी लिखी गई जिसमें गोल माल, खेल खेल में, कर्मा, मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी, सोल्जर, ताल, कोई मिल गया और कृष शामिल है। सचिन द्वारा निर्देशित राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर अभिनीत एक फिल्म राजा जानी (1972) भी आई थी। 1971 में उन्होंने अभिनेत्री कल्पना मोहन से विवाह भी किया था लेकिन बाद में उनका तलाक हो गया। .

नई!!: कर्मा (1986 फ़िल्म) और सचिन भौमिक · और देखें »

सुभाष घई

सुभाष घई सुभाष घई (जन्म: २४ जनवरी, १९४५) हिन्दी फ़िल्मों के एक निर्माता-निर्देशक हैं। .

नई!!: कर्मा (1986 फ़िल्म) और सुभाष घई · और देखें »

सी एस दुबे

सी एस दुबे नाम से विख्यात "चंद्र शेखर दुबे" हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता हैं। .

नई!!: कर्मा (1986 फ़िल्म) और सी एस दुबे · और देखें »

हिंदी चलचित्र, १९८० दशक

1980 के दशक के हिंदी चलचित्र: .

नई!!: कर्मा (1986 फ़िल्म) और हिंदी चलचित्र, १९८० दशक · और देखें »

जुगल हंसराज

जुगल हंसराज हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता हैं। .

नई!!: कर्मा (1986 फ़िल्म) और जुगल हंसराज · और देखें »

जैकी श्रॉफ

जैकी श्रॉफ (जन्म नाम:जयकिशन काकुभाई श्रॉफ, तिथि: 1 फरवरी, 1957) हिन्दी फ़िल्मों के एक प्रसिद्ध अभिनेता हैं। .

नई!!: कर्मा (1986 फ़िल्म) और जैकी श्रॉफ · और देखें »

विजू खोटे

विजू खोटे हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता हैं। .

नई!!: कर्मा (1986 फ़िल्म) और विजू खोटे · और देखें »

अनिल कपूर

अनिल कपूर (जन्म: 24 दिसंबर, 1959) हिन्दी फ़िल्मों के एक प्रसिद्ध अभिनेता हैं। .

नई!!: कर्मा (1986 फ़िल्म) और अनिल कपूर · और देखें »

अनुपम खेर

अनुपम खेर हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध अभिनेता हैं। वह किरन खेर के पति हैं। 2004 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया। .

नई!!: कर्मा (1986 फ़िल्म) और अनुपम खेर · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

कर्मा (१९८६ फ़िल्म), कर्मा, १९८६ फ़िल्म

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »