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कर्बला का युद्ध

सूची कर्बला का युद्ध

इमाम हुसैन का रौज़ा (धर्मस्थल)। कर्बला का युद्ध हिजरी सन ६१ (१० अक्टूबर ६८० ई) में कर्बला के मैदान में हुआ था। .

6 संबंधों: मिर्ज़ा सलामत अली दबीर, मीर बाबर अली अनीस, हिजरी, हुसैन इब्न अली, ख़लीफ़ा, इस्लामी त्यौहार

मिर्ज़ा सलामत अली दबीर

मिर्ज़ा सलामत अली दबीर उर्दू के एक कवि थे। उन्होंने मरसिया लिखने की कला को एक नया मुकाम दिया। उन्हें मीर अनीस के साथ मरसिया निगारी का प्रमुख प्रवक्ता माना जाता है। मिर्जा सलामत अली का जन्म 1803 में मिर्जा गुलाम हुसैन के घर दिल्ली में हुआ था। उनमें बचपन से ही मरसिया गाने की लगन थी। इसलिए वे प्रसिध मरसिया गो मुजफ्फर हुसैन के शिष्य बन गए। जब मीर अनीस फैज़ाबाद से लखनऊ आए तो उनकी आपस में दोस्ती हो गयी। .

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मीर बाबर अली अनीस

मीर बबर अली अनीस (उर्दू:میر ببر علی انیس) वर्ष १९०३ में उत्तर भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के फ़ैज़ाबाद, अवध में जन्मे एक उर्दू शायर थे जिनका वर्ष १८७४ में लखनऊ, उत्तर पश्चिमी प्रान्त में निधन हो गया। अनीस ने फ़ारसी, हिन्दी, अरबी और संस्कृत शब्दों को अपनी शायरी में काम में लिया। अनीस ने दीर्घ मर्सियाँ लिखी जो उस समय में प्रचलित थी लेकिन वर्तमान में धार्मिक समारोहों में भी उनके चयनित भागों का ही उच्चारण किया जाता है। उनका हिज़री सवंत् के १२९१ वें वर्ष में निधन हुआ जो ईसवी संवत् के १८७४ के तुल्य है। डॉ फ़रहत नादिर रिज़वी अपनी पुस्तक "मीर अनीस और क़िस्सागोई का फ़न" में लिखती हैं कि कर्बला के सच्चे ऐतिहासिक घटनाक्रम के वाचक होने के कारण मीर अनीस अपनी कल्पना के भरपूर प्रयोग में पूरे तौर पर स्वतंत्र ना होने के बावजूद अपने मरसियों में एक कुशल कथा वाचक की तरह कथा के सभी आवश्यक तत्वों का भरपूर इस्तेमाल करते हैं और कभी-कभी तो वह एक कुशल कथावाचक की हैसियत से अपने मरसियों को दास्तान व मसनवी से भी उच्च स्तर तक पहुंचाते प्रतीत होते हैं। .

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हिजरी

हिजरी या इस्लामी पंचांग को (अरबी: التقويم الهجري; अत-तक्वीम-हिज़री; फारसी: تقویم هجری قمری ‎'तकवीम-ए-हिज़री-ये-क़मरी) जिसे हिजरी कालदर्शक भी कहते हैं, एक चंद्र कालदर्शक है, जो न सिर्फ मुस्लिम देशों में प्रयोग होता है बल्कि इसे पूरे विश्व के मुस्लिम भी इस्लामिक धार्मिक पर्वों को मनाने का सही समय जानने के लिए प्रयोग करते हैं। यह चंद्र-कालदर्शक है, जिसमें वर्ष में बारह मास, एवं 354 या 355 दिवस होते हैं। क्योंकि यह सौर कालदर्शक से 11 दिवस छोटा है इसलिए इस्लामी धार्मिक तिथियाँ, जो कि इस कालदर्शक के अनुसार स्थिर तिथियों पर होतीं हैं, परंतु हर वर्ष पिछले सौर कालदर्शक से 11 दिन पीछे हो जाती हैं। इसे हिज्रा या हिज्री भी कहते हैं, क्योंकि इसका पहला वर्ष वह वर्ष है जिसमें कि हज़रत मुहम्मद की मक्का शहर से मदीना की ओर हिज्ऱत (प्रवास) हुई थी। हर वर्ष के साथ वर्ष संख्या के बाद में H जो हिज्र को संदर्भित करता है या AH (लैटिनः अन्नो हेजिरी (हिज्र के वर्ष में) लगाया जाता है।हिज्र से पहले के कुछ वर्ष (BH) का प्रयोग इस्लामिक इतिहास से संबंधित घटनाओं के संदर्भ मे किया जाता है, जैसे मुहम्म्द साहिब का जन्म लिए 53 BH। वर्तमान हिज्री़ वर्ष है 1430 AH. .

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हुसैन इब्न अली

इमाम हुसैन (अल हुसैन बिन अली बिन अबी तालिब, यानि अबी तालिब के पोते और अली के बेटे अल हुसैन, 626 AH -680 AH) अली रदियल्लाहु के दूसरे बेटे थे और इस कारण से पैग़म्बर मुहम्मद के नाती। आपका जन्म मक्का में हुआ। आपकी माता का नाम फ़ातिमा ज़हरा था | इमाम हुसैन को इस्लाम में एक शहीद का दर्ज़ा प्राप्त है। शिया मान्यता के अनुसार वे यज़ीद प्रथम के कुकर्मी शासन के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने के लिए सन् 680 AH में कुफ़ा के निकट कर्बला की लड़ाई में शहीद कर दिए गए थे। उनकी शहादत के दिन को आशूरा (दसवाँ दिन) कहते हैं और इस शहादत की याद में मुहर्रम (उस महीने का नाम) मनाते हैं। .

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ख़लीफ़ा

ख़लीफ़ा (अरबी:, अंग्रेज़ी: Caliph या Khalifa) अरबी भाषा में ऐसे शासक को कहते हैं जो किसी इस्लामी राज्य या अन्य शरिया (इस्लामी क़ानून) से चलने वाली राजकीय व्यवस्था का शासक हो। पैग़म्बर मुहम्मद की ६३२ ईसवी में मृत्यु के बाद वाले ख़लीफ़ा पूरे मुस्लिम क्षेत्र के राजनैतिक नेता माने जाते थे। ख़लीफ़ाओं का सिलसिला अंत में जाकर उस्मानी साम्राज्य के पतन पर १९२५ में ही ख़त्म हुआ।, David Nicolle, pp.

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इस्लामी त्यौहार

मुस्लिम त्यौहार: दुनिया में मुस्लिम समूह, अलग अलग पर्वों को अलग अलग दिवसों में मनाते हैं। हर दिवस का अपना एक महत्व होता है। जैसे दीगर धार्मिक समूह विशेश पर्व दिन मनाते हैं, ठीक उसी तरह मुस्लिम समूह भी अनेक त्यौहार मनाता है। मास के अनुसार देखें तो मुस्लिम त्यौहार इस प्रकार हैं। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

करबला की लडाई, कर्बला की लड़ाई

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