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कर

सूची कर

किसी राज्य द्वारा व्यक्तियों या विविध संस्था से जो अधिभार या धन लिया जाता है उसे कर या टैक्स कहते हैं। राष्ट्र के अधीन आने वाली विविध संस्थाएँ भी तरह-तरह के कर लगातीं हैं। कर प्राय: धन (मनी) के रूप में लगाया जाता है किन्तु यह धन के तुल्य श्रम के रूप में भी लगाया जा सकता है। कर दो तरह के हो सकते हैं - प्रत्यक्ष कर (direct tax) या अप्रत्यक्ष कर (indirect tax)। एक तरफ इसे जनता पर बोझ के रूप में देखा जा सकता है वहीं इसे सरकार को चलाने के लिये आधारभूत आवश्यकता के रूप में भी समझा जा सकता है। भारत के प्राचीन ऋषि (समाजशास्त्री) कर के बारे में यह मानते थे कि वही कर-संग्रहण-प्रणाली आदर्श कही जाती है, जिससे करदाता व कर संग्रहणकर्ता दोनों को कठिनाई न हो। उन्होंने कहा कि कर-संग्रहण इस प्रकार से होना चाहिये जिस प्रकार मधुमक्खी द्वारा पराग संग्रहण किया जाता है। इस पराग संग्रहण में पुष्प भी पल्लवित रहते हैं और मधुमक्खी अपने लिये शहद भी जुटा लेती है। .

70 संबंधों: चुटु राजवंश, चौर्य व्यापार, चेत सिंह, चोल राजवंश, टपकन सिद्धान्त, टैरिफ (प्रशुल्क), तस्करी, ताय, ताश, तुलन पत्र, धन-निष्कासन सिद्धान्त, धिम्मी, नरेन्द्र मोदी, नागरिकता, नियंत्रक कंपनी, पबना विद्रोह, पारस्परिक निधि, प्रतिभूति लेन देन कर, भारत में आयकर, भारत का काला धन, महाराणा कुम्भा, मुद्रांक शुल्क, मूल्य वर्धित कर, मोटरवाहन, रानी गाइदिन्ल्यू, राजनयिक उन्मुक्‍ति, राजकोषीय नीति, लास वेगास, लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम, लियन, लगान, लेडी गोडिवा, लोकतंत्र, शुल्क-मुक्त दुकान, शुक्रनीति, संचित निधि (कोष), सकल मूल्य वर्धित, स्टाम्प शुल्क, स्वतंत्रतावाद, सूखा, हेद्रिअन, ज़मींदारी प्रथा, जिएदूशी, जज़िया, वस्तु एवं सेवा कर (भारत), वानूआतू, वारेन हेस्टिंग्स, विचारक समूह, वित्त मंत्रालय (भारत), वित्त विधेयक, ..., विजयनगर साम्राज्य, खानवा का युद्ध, खुली अर्थव्यवस्था, ग्रहणाधिकार (लियन), आयकर, आर्थिक नीति, आर्थिक सुधार, आरोही कराधान, आस्थगित कर और राजस्व, कर सुधार, कर का स्वर्ग, कर कानून, कर अपवंचन, काउण्टी, कंपनी राज, कोन्नेगंती हनुमंतु, अप्रत्यक्ष कर, अबन्धता, अर्न्स्ट एण्ड यंग, ऋण संकट सूचकांक विस्तार (20 अधिक) »

चुटु राजवंश

चुटु वंश के शासकों ने दक्षिण भारत के कुछ भागों पर ईसा पूर्व पहली शताब्दी से लेकर तीसरी शताब्दी (ईसा पश्चात) तक शासन किया। उनकी राजधानी वर्तमान कर्नाटक के उत्तर कन्नड जिले के बनवासी में थी। अशोक के शिलालेखों को छोड़ दें तो चुटु शासकों के शिलालेख ही कर्नाटक से प्राप्त सबसे प्राचीन शिलालेख हैं।, George Mark Moraes, pp.

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चौर्य व्यापार

करों या वैधानिक प्रतिबंधों से आँख छिपाकर या उनकी चोरी कर लाभ कमाने के लिये अवैध रूप से मुद्रा, वस्तु या व्यक्तियों का किया गया आयात, निर्यात, अंतर्देशीय या अंतर्प्रातीय व्यापार (क्रय विक्रय की प्रक्रिया) चौर्य व्यापार माना जाता है। स्वतंत्र व्यापार पर कर या प्रतिबंध- विलासमयी विदेशी वस्तुओं के उपयोग की आदत की समाप्ति या उनमें कमी करने के उद्देश्य, विदेशी मुद्रा के अभाव या उसके संकट से मुक्ति, राष्ट्रीय उत्पादन को प्रोत्साहन, राष्ट्रीय उद्योगों के संरक्षण तथा प्रवर्धन, राष्ट्र की आर्थिक योजनाओं के कार्यान्वयन, विदेशी-व्यापार-संतुलन तथा सामरिक एवं दैवी आपदाओं से त्राण पाने आदि के लिये लगाया जाता है। इन करों तथा प्रतिबंधों के कारण या तो वस्तुओं आदि का मूल्य बढ़ जाता है या उनकी माँग बढ़ जाती है। फलस्वरूप प्रतिबंधित तथा अधिक करवाली वस्तुओं आदि के उपयोग के लिये लोगों में सहज स्वाभाविक रुचि बढ़ जाती है। चौर्य व्यापार में करों की चोरी की जाती है, इसलिये वैध रूप से यातायात की हुई वस्तुएँ अवैध माध्यम से उपलब्ध वस्तुओं की अपेक्षा महँगी पड़ती हैं। इस लाभ के कारण लोग इन्हें क्रय करते हैं। जिन वस्तुओं आदि के यातायात पर पूर्ण या सीमित प्रतिबंध हैं वे भी इस अवैध माध्यम से उपलब्ध हो जाती हैं। इसलिये ऐसी अनुपलब्ध वस्तुओं को लोग आदत या ऐसी वस्तुओं की अधिक उपादेयता या ऐसी वस्तुओं के उपयोग के प्रदर्शन की सहज मानवीय दुर्बलता के कारण अधिक मूल्य देकर तथा कानून भंग करके भी लोग क्रय करना अधिक पसंद करते हैं और इस अवैध अनैतिक व्यापार को जीवन प्रदान करने में योगदान करते हैं। ऐडम स्मिथ ने इसलिये इन अवैध व्यापार करनेवालों के प्रति सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए लिखा है कि "इसमें संदेह नहीं कि चौर्य व्यापार करनेवाले देश के विधान की मर्यादाओं को भंग करने के लिये निश्चय ही अत्यधिक दोषी हैं, तो भी प्राय: वे सहज स्वाभाविक न्याय को तोड़ने में असमर्थ हैं क्योंकि सभी दृष्टियों से ऐसे व्यक्ति अति श्रेष्ठ नागरिक माने जाते यदि उनके देश का विधान उस बात को अपराध घोषित न कर देता जिसे प्रकृति कभी भी रोकना नहीं चाहती। .

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चेत सिंह

बनारस के सामंत जमींदार बलवंतसिंह के पुत्र चेतसिंह के उत्तराधिकार ग्रहण (१७७० ई.) करने के बाद, उक्त जमींदारी अवध के आधिपत्य से ईस्ट इंडिया कंपनी के अंतर्गत ले ली गई (१७७५)। हेस्टिंग्ज़ ने तब चेतसिंह को वचन दिया था कि उनके नियमित कर देते रहने पर, उनसे किसी भी रूप में अतिरिक्त धन नहीं लिया जाएगा। किंतु मरहठा युद्ध से उत्पन्न आर्थिक संकट में हेस्टिंग्ज ने उनसे पाँच लाख रुपयों की माँग की (१७७८)। चेतसिंह के आनाकानी करने पर हेंस्टिंग्ज ने पाँच दिनों के अंदर भूगतान की धमकी दे रकम वसूल ली। अगले वर्ष उनसे पाँच लाख की दुबारा माँग की। चेतसिंह के पूर्व आश्वासन का विनम्र उल्लेख करने पर, हेस्टिंग्ज ने सक्रोध हर्जाने के रूप में बीस हजार रुपए भी साथ वसूले। १७८० में हेस्टिंग्ज ने उतना ही धन (पाँच लाख) देने का फिर आदेश दिया। चेतसिंह ने हेंस्टिंग्ज को मनाने अपना विश्वासपात्र नौकर कलकत्ते भेजा; साथ में दो लाख रुपए की घूस भी अर्पित की। हेस्टिंग्ज ने घूस तो स्वीकार करली, लेकिन भारी दंड सहित उक्त धन तीसरी बार भी वसूल किया। अब उसने चेतसिंह को एक हजार घुड़सवार भेजने की फरमाइश की। चेतसिंह के पाँच सौ घुड़सवार और पाँच सौ पैदल तैयार करने पर, हेंस्टिंग्ज ने पाँच करोड़ रुपए का जुर्माना थोप दिया। हेस्टिंग्ज के बनारस पहुँचने पर उसने चेतसिंह से मिलना ही अस्वीकार नहीं किया, बल्कि उनके नम्रतापूर्ण पत्र को विद्रोहप्रदर्शन घोषित कर, उन्हें बंदी बना लिया। इस दुर्व्यवहार से उत्तेजित हो चेतसिंह की सेना ने स्वत: विद्रोह कर, हेस्टिंग्ज का निवास स्थान घेर लिया। हेस्टिंग्ज ने प्राणापन्न संकट में धैर्य और साहस से विद्रोह का दमन किया; यद्यपि अंग्रेजी सेना के बनारस का पूरा खजाना लूट लेने के कारण हेस्टिंग्ज के हाथ कुछ न लगा। चेतसिंह विद्रोहजनित अवस्था में लाभ उठाकर विजयगढ़ भाग गए और विजयगढ़ से ग्वालियर। हेस्टिंग्ज ने बनारस की जमींदारी अपहृत कर चेतसिंह के किशोरवयस्क भांजे को, यथेष्ट लगानवृद्धि के साथ सौंप दी। चेतसिंह के प्रति हेस्टिंग्ज के इस लज्जाजनक दुर्व्यवहार के मूल में हेस्टिंग्ज की व्यक्तिगत प्रतिशोध की भावना निहित थी, जिसकी पार्लियामेंट में भर्त्सना हुई। श्रेणी:ब्रिटिशकालीन भारत श्रेणी:भारतीय शासक श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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चोल राजवंश

चोल (तमिल - சோழர்) प्राचीन भारत का एक राजवंश था। दक्षिण भारत में और पास के अन्य देशों में तमिल चोल शासकों ने 9 वीं शताब्दी से 13 वीं शताब्दी के बीच एक अत्यंत शक्तिशाली हिन्दू साम्राज्य का निर्माण किया। 'चोल' शब्द की व्युत्पत्ति विभिन्न प्रकार से की जाती रही है। कर्नल जेरिनो ने चोल शब्द को संस्कृत "काल" एवं "कोल" से संबद्ध करते हुए इसे दक्षिण भारत के कृष्णवर्ण आर्य समुदाय का सूचक माना है। चोल शब्द को संस्कृत "चोर" तथा तमिल "चोलम्" से भी संबद्ध किया गया है किंतु इनमें से कोई मत ठीक नहीं है। आरंभिक काल से ही चोल शब्द का प्रयोग इसी नाम के राजवंश द्वारा शासित प्रजा और भूभाग के लिए व्यवहृत होता रहा है। संगमयुगीन मणिमेक्लै में चोलों को सूर्यवंशी कहा है। चोलों के अनेक प्रचलित नामों में शेंबियन् भी है। शेंबियन् के आधार पर उन्हें शिबि से उद्भूत सिद्ध करते हैं। 12वीं सदी के अनेक स्थानीय राजवंश अपने को करिकाल से उद्भत कश्यप गोत्रीय बताते हैं। चोलों के उल्लेख अत्यंत प्राचीन काल से ही प्राप्त होने लगते हैं। कात्यायन ने चोडों का उल्लेख किया है। अशोक के अभिलेखों में भी इसका उल्लेख उपलब्ध है। किंतु इन्होंने संगमयुग में ही दक्षिण भारतीय इतिहास को संभवत: प्रथम बार प्रभावित किया। संगमकाल के अनेक महत्वपूर्ण चोल सम्राटों में करिकाल अत्यधिक प्रसिद्ध हुए संगमयुग के पश्चात् का चोल इतिहास अज्ञात है। फिर भी चोल-वंश-परंपरा एकदम समाप्त नहीं हुई थी क्योंकि रेनंडु (जिला कुडाया) प्रदेश में चोल पल्लवों, चालुक्यों तथा राष्ट्रकूटों के अधीन शासन करते रहे। .

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टपकन सिद्धान्त

टपकन सिद्धान्त (trickle-down theory) एक अर्थशास्त्रीय सिद्धान्त है जो व्यापार एवं धनी लोगो के ऊपर लगाये गये कर घटाने का पक्षधर है। इसका मानना है कि इससे अल्पावधि में व्यापार में निवेश को बढ़ावा मिलता है जिससे समाज को दीर्घावधि में लाभ मिलता है। श्रेणी:आर्थिक सिद्धान्त.

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टैरिफ (प्रशुल्क)

टैरिफ अर्थात् प्रशुल्क, आयात या निर्यात पर लगाया जाने वाला टैक्स अर्थात् कर है। .

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तस्करी

तस्करी अवैध रूप से सामान या व्यक्तियों के एक देश से दूसरे देश के परिवहन को कहते हैं। तस्करी करने वाले व्यक्ति को तस्कर कहते हैं। तस्करी की अभिप्रेरणा के विभिन्न कारण हैं जिनमें आर्थिक लाभ प्रधान कारण है। इसके अंतर्गत नशीले पदार्थों का लाना-ले जाना, व्यक्तियों का अवैध प्रवास करवाना, कर की चोरी, कारागार के अंदर कैदी को प्रतिबन्धित वस्तुएँ पहुँचाना या तस्करी की जानी वाली वस्तु आदि विषय आते हैं। हवाई अड्डे पर विदेश से ख़रीदी वस्तु का सीमा शुल्क जमा न करना भी तस्करी की परिधि में आता है। श्रेणी:परिवहन.

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ताय

ताय (taille; फ्रेंच उच्चारण: ​) / ताय) फ्रांस में जनसमूहों पर लगनेवाला एक भूमि-कर था। शुरू में यह बड़े बड़े सामंतों द्वारा अपने अधीन कृषि-मजदूरों पर लगाया जाता था। बाद में यह फ्रांस के राजा द्वारा लगाया जाने लगा। कुछ क्षेत्रों में यह एक तरह के संपत्तिकर के रूप में लगाया जाता था। सामान्य रूप से सामंत या अमीर उमरा तथा बाद में पादरी लोग भी इस कर से मुक्त रहते थे, जो उस असंतोष का कारण बना जिसने फ्रांस की राज्यक्रांति उत्पन्न करने में सहायता पहुँचाई। श्रेणी:फ़्रांस का इतिहास.

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ताश

साइकिल ब्रांड के कुछ विशिष्ट अंग्रेज़-अमेरिकी ताश के पत्ते ताश मोटे-भारी कागज़, पतले गत्ते, या पतले प्लास्टिक से विशेष रूप से बनी होती है; जिसमें पहचान के लिए अलग रूपांकन बने होते हैं और उनका इस्तेमाल ताश के खेल के लिए एक सेट के रूप में किया जाता है। खेल में सुविधा के लिए आमतौर पर ताश के पत्ते हथेली के आकार के होते हैं। ताश के एक पूरे सेट को पैक या डेक कहते हैं और एक खेल के दौरान एक बार में एक खिलाड़ी द्वारा उठाये गए पत्तों के सबसेट को सामान्यतः हैण्ड कहा जाता है। ताश के एक डेक से अनेक प्रकार के पत्ते के खेल खेले जा सकते हैं, उनमें से कुछ जुआ में भी शामिल हो सकते हैं। चूंकि ताश मानकीकृत हो चुके हैं और आम तौर पर उपलब्ध हैं, सो उनका अन्य इस्तेमाल भी होने लगा है, जैसे कि हाथ की सफाई, भविष्यवाणी, गूढ़लेखन, बोर्ड गेम, या ताश के घर बनाना.

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तुलन पत्र

कुनीफार्म लिपि में लिखी हुई वार्षिक बैलेंस शीटसुमेरिया, क्ले, सीए.2040 BCE. ओरिएंटल एंटीकुइटीज़ का विभाग, लोउवेरे. वित्तीय लेखांकन में, एक तुलन पत्र या वित्तीय स्थिति का विवरण एकल स्वामित्व, व्यापार साझेदारी या किसी कंपनी के वित्तीय बैलेंस का सार होता है। इसके तहत वित्तीय वर्ष के अंत में एक खास तारीख पर, आस्तियां, देयताएं एवं स्वाधिकृत इक्विटी सूचीबद्ध की जाती हैं। बैलेंस शीट को आम तौर पर "कंपनी की वित्तीय स्थिति का स्नैपशॉट (आशुचित्र) कहा जाता है".

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धन-निष्कासन सिद्धान्त

भारत में ब्रितानी शासन के समय, भारतीय उत्पाद का वह हिस्सा जो जनता के उपभोग के लिये उपलब्ध नहीं था तथा राजनीतिक कारणों से जिसका प्रवाह इंग्लैण्ड की ओर हो रहा था, जिसके बदले में भारत को कुछ नहीं प्राप्त होता था, उसे आर्थिक निकास या धन-निष्कासन (Drain of Wealth) की संज्ञा दी गयी। धन की निकासी की अवधारणा वाणिज्यवादी सोच के क्रम में विकसित हुई। धन-निष्कासन के सिद्धान्त पर उस समय के अनेक आर्थिक इतिहासकारों ने अपने मत व्यक्त किए। इनमें दादा भाई नौरोजी ने अपनी पुस्तक “पावर्टी ऐन्ड अनब्रिटिश रूल इन इन्डिया” (Poverty and Un-British Rule in India) में सर्वप्रथम आर्थिक निकास की अवधारणा प्रस्तुत की। उन्होने धन-निष्कासन को सभी बुराइयों की बुराई (एविल ऑफ एविल्स) कहा है। १९०५ में उन्होने कहा था, धन का बहिर्गमन समस्त बुराइयों की जड़ है और भारतीय निर्धनता का मूल कारण। रमेश चन्द्र दत्त, महादेव गोविन्द रानाडे तथा गोपाल कृष्ण गोखले जैसे राष्ट्रवादी विचारकों ने भी धन के निष्कासन के इस प्रक्रिया के ऊपर प्रकाश डाला है। इनके अनुसार सरकार सिंचाई योजनाओं पर खर्च करने के स्थान पर एक ऐसे मद में व्यय करती है जो प्रत्यक्ष रुप से साम्राज्यवादी सरकार के हितों से जुड़ा हुआ है। आर्थिक निकास के प्रमुख तत्व थे- अंग्रेज प्रशासनिक एवं सैनिक अधिकारियों के वेतन एवं भत्ते, भारत द्वारा विदेशों से लिये गये ऋणों के ब्याज, नागरिक एवं सैन्य विभाग के लिये ब्रिटेन के भंडारों से खरीदी गयी वस्तुएं, नौवहन कंपनियों को की गयी अदायगी तथा विदेशी बैंकों तथा बीमा लाभांश। भारतीय धन के निकलकर इंग्लैण्ड जाने से भारत में पूंजी का निर्माण एवं संग्रहण नहीं हो सका, जबकि इसी धन से इंग्लैण्ड में औद्योगिक विकास के साधन तथा गति बहुत बढ़ गयी। ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को इस धन से जो लाभांश प्राप्त होता था, उसे पुनः पूंजी के रूप में भारत में लगा दिया जाता था और इस प्रकार भारत का शोषण निरंतर बढ़ता जाता था। इस धन के निकास से भारत में रोजगार तथा आय की संभावनाओं पर अत्यधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। धन का यह अपार निष्कासन भारत को अन्दर-ही-अन्दर कमजोर बनाते जा रहा था। .

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धिम्मी

इस्लाम में धिम्मी (dhimmi (अरबी: ذمي‎, समूह में أهل الذمة अह्ल अल-धिम्माह; ओटोमान तुर्की एवं उर्दू में जिम्मी) उस व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह को कहते हैं जो मुसलमान नहीं है और शरियत कानून के अनुसार चलने वाले किसी राज्य की प्रजा है। इस्लाम के अनुसार इन्हें जीवित रहने के लिये कर (टैक्स) देना अनिवार्य है जिसे जजिया कहा जाता है। धिम्मी को मुसलमानों की तुलना में बहुत कम सामाजिक और कानूनी अधिकार प्राप्त होते हैं। लेकिन यदि धिम्मी इस्लाम स्वीकार कर ले तो उसको लगभग पूरा अधिकार मिल जाता है। .

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नरेन्द्र मोदी

नरेन्द्र दामोदरदास मोदी (નરેંદ્ર દામોદરદાસ મોદી Narendra Damodardas Modi; जन्म: 17 सितम्बर 1950) भारत के वर्तमान प्रधानमन्त्री हैं। भारत के राष्‍ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उन्हें 26 मई 2014 को भारत के प्रधानमन्त्री पद की शपथ दिलायी। वे स्वतन्त्र भारत के 15वें प्रधानमन्त्री हैं तथा इस पद पर आसीन होने वाले स्वतंत्र भारत में जन्मे प्रथम व्यक्ति हैं। वडनगर के एक गुजराती परिवार में पैदा हुए, मोदी ने अपने बचपन में चाय बेचने में अपने पिता की मदद की, और बाद में अपना खुद का स्टाल चलाया। आठ साल की उम्र में वे आरएसएस से  जुड़े, जिसके साथ एक लंबे समय तक सम्बंधित रहे । स्नातक होने के बाद उन्होंने अपने घर छोड़ दिया। मोदी ने दो साल तक भारत भर में यात्रा की, और कई धार्मिक केंद्रों का दौरा किया। गुजरात लौटने के बाद और 1969 या 1970 में अहमदाबाद चले गए। 1971 में वह आरएसएस के लिए पूर्णकालिक कार्यकर्ता बन गए। 1975  में देश भर में आपातकाल की स्थिति के दौरान उन्हें कुछ समय के लिए छिपना पड़ा। 1985 में वे बीजेपी से जुड़े और 2001 तक पार्टी पदानुक्रम के भीतर कई पदों पर कार्य किया, जहाँ से वे धीरे धीरे वे सचिव के पद पर पहुंचे।   गुजरात भूकंप २००१, (भुज में भूकंप) के बाद गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल के असफल स्वास्थ्य और ख़राब सार्वजनिक छवि के कारण नरेंद्र मोदी को 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया। मोदी जल्द ही विधायी विधानसभा के लिए चुने गए। 2002 के गुजरात दंगों में उनके प्रशासन को कठोर माना गया है, की आलोचना भी हुई।  हालांकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) को अभियोजन पक्ष की कार्यवाही शुरू करने के लिए कोई है। मुख्यमंत्री के तौर पर उनकी नीतियों को आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए । उनके नेतृत्व में भारत की प्रमुख विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी ने 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा और 282 सीटें जीतकर अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की। एक सांसद के रूप में उन्होंने उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक नगरी वाराणसी एवं अपने गृहराज्य गुजरात के वडोदरा संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा और दोनों जगह से जीत दर्ज़ की। इससे पूर्व वे गुजरात राज्य के 14वें मुख्यमन्त्री रहे। उन्हें उनके काम के कारण गुजरात की जनता ने लगातार 4 बार (2001 से 2014 तक) मुख्यमन्त्री चुना। गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त नरेन्द्र मोदी विकास पुरुष के नाम से जाने जाते हैं और वर्तमान समय में देश के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से हैं।। माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर भी वे सबसे ज्यादा फॉलोअर वाले भारतीय नेता हैं। उन्हें 'नमो' नाम से भी जाना जाता है। टाइम पत्रिका ने मोदी को पर्सन ऑफ़ द ईयर 2013 के 42 उम्मीदवारों की सूची में शामिल किया है। अटल बिहारी वाजपेयी की तरह नरेन्द्र मोदी एक राजनेता और कवि हैं। वे गुजराती भाषा के अलावा हिन्दी में भी देशप्रेम से ओतप्रोत कविताएँ लिखते हैं। .

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नागरिकता

नागरिकता (Citizenship) एक विशेष सामाजिक, राजनैतिक, राष्ट्रीय, या मानव संसाधन समुदाय का एक नागरिक होने की अवस्था है। सामाजिक अनुबंध के सिद्धांत के तहत नागरिकता की अवस्था में अधिकार और उत्तरदायित्व दोनों शामिल होते हैं। "सक्रिय नागरिकता" का दर्शन अर्थात् नागरिकों को सभी नागरिकों के जीवन में सुधार करने के लिए आर्थिक सहभागिता, सार्वजनिक, स्वयंसेवी कार्य और इसी प्रकार के प्रयासों के माध्यम से अपने समुदाय को बेहतर बनाने की दिशा में कार्य करना चाहिए.

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नियंत्रक कंपनी

नियंत्रक कंपनी एक कंपनी या फर्म होती है जो अन्य कंपनियों के बकाया शेयरों की मालिक होती है। आम तौर पर इसे एक ऐसी कंपनी के रूप में संदर्भित किया जाता है जो स्वयं किसी वस्तु या सेवा का उत्पादन नहीं करती, बल्कि इसका एकमात्र उद्देश्य अन्य कंपनियों के शेयरों का स्वामित्व हासिल करना होता है। नियंत्रक कंपनियां, मालिकों के लिए जोखिम को कम करती हैं और विभिन्न कंपनियों के स्वामित्व और नियंत्रण की अनुमति दे सकती हैं। अमेरिका में, गिनती और मूल्य में, 80% या उससे भी अधिक स्टॉक को कर समेकन लाभ, जैसे कि कर-मुक्त लाभांश का दावा करने से पहले धारण करना चाहिए.

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पबना विद्रोह

१९वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में बंगाल के पबना नामक स्थान में किसानों ने जमींदारों द्वारा शोषण के विरुद्ध विद्रोह किया था, जिसे पबना विद्रोह कहते हैं। पबना, राजशाही राज की जमींदारी के अन्दर था और यह वर्धमान राज के बाद सबसे बड़ी जमींदारी थी। उस जमींदारी के संस्थापक राजा कामदेव राय थे। पबना विद्रोह जितना अधिक जमींदारों के खिलाफ था उतना सूदखोरों और महाजनों के विरुद्ध नहीं थ। 1870-80 के दशक के पूर्वी बंगाल (अभी का बांग्लादेश) के किसानों ने जमींदारों द्वारा बढ़ाए गए मनमाने करों के विरोध में विद्रोहस्वरूप रोष प्रकट किया। .

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पारस्परिक निधि

उभरते बाजारों का उपयोग करने की छूट देते हैं। पारस्परिक निधि या म्युचुअल फंड एक संगृहीत निवेशों की पेशेवर रूप से सुप्रबंधित फर्म है जो कई निवेशकों से धन इकठ्ठा करती है और इसे शेयर बाजार, बोंड्स, छोटी अवधि के मुद्रा बाजार उपकरण और/या अन्य प्रतिभूति में डालती है। निधि प्रबंधक (fund manager), संविभाग प्रबंधक के रूप में भी जाना जाता है, सुरक्षा के अंतर्गत आने वाले फंड्स का निवेश और व्यापार करता है, किसी लाभ या हानि का ध्यान रखते हुए किसी व्यक्तिगत निवेशक के लिए प्रक्रिया जारी करता है। वर्तमान में, विश्व भर में मुचुअल फंड्स का कुल मूल्य है $२६ खरब. १९४० के बाद से, संयुक्त राज्य अमेरिका में तीन मूल प्रकार की निवेश कम्पनियां रहीं हैं: खुले अंत के फंड जो संयुक्त राज्य में मुचुअल फंड्स के नाम से जाने जाते हैं; ईकाई निवेश फंड (UITs); बंद अंत के फंड.

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प्रतिभूति लेन देन कर

भारत में, प्रतिभूति लेनदेन कर (Securities Transaction Tax (STT)) वह कर है, जो करपात्र प्रतिभूति के लेनदेन पर प्रभार्य है। इसे आमतौर पर या 'आवर्त कर' कहा जाता है। केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई विज्ञप्ति के अनुसार एसटीटी करपात्र प्रतिभूति लेनदेन पर 1 अक्टूबर 2004 से प्रभार्य है। एसटीटी पर अधिभार प्रभार्य नहीं है। श्रेणी:भारत में कराधान श्रेणी:भारत के शेयर बाज़ार.

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भारत में आयकर

भारत सरकार व्यक्तियों, हिंदू अविभाजित परिवारों (एचयूएफ), कंपनियां, फर्मों, सहकारी समितियों और ट्रस्टों (जिन्हें व्यक्तियों और लोगों के समूह के रूप में पहचान प्राप्त है) और किसी भी की अन्य कृत्रिम व्यक्ति के कर योग्य आय पर एक आयकर लगाता है। कर का भार प्रत्येक व्यक्ति पर अलग होता है। यह उदग्रहण भारतीय आय कर अधिनियम, 1961 द्वारा शासित किया जाता है। भारतीय आयकर विभाग, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा संचालित है और भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के अधीन राजस्व विभाग का हिस्सा है। .

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भारत का काला धन

भारत में, अवैध तरीकों से अर्जित किया गया धन काला धन (ब्लैक मनी) कहलाता है। काला धन वह भी है जिस पर कर नहीं दिया गया हो। भारतीयों द्वारा विदेशी बैंको में चोरी से जमा किया गया धन का निश्चित ज्ञान तो नहीं है किन्तु श्री आर वैद्यनाथन ने अनुमान लगाया है कि इसकी मात्रा लगभग 7,280,000 करोड रूपये हैं। .

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महाराणा कुम्भा

महाराणा कुम्भा महल महराणा कुम्भा या महाराणा कुम्भकर्ण (मृत्यु १४६८ ई.) सन १४३३ से १४६८ तक मेवाड़ के राजा थे। महाराणा कुंभकर्ण का भारत के राजाओं में बहुत ऊँचा स्थान है। उनसे पूर्व राजपूत केवल अपनी स्वतंत्रता की जहाँ-तहाँ रक्षा कर सके थे। कुंभकर्ण ने मुसलमानों को अपने-अपने स्थानों पर हराकर राजपूती राजनीति को एक नया रूप दिया। इतिहास में ये 'राणा कुंभा' के नाम से अधिक प्रसिद्ध हैं। महाराणा कुंभा राजस्थान के शासकों में सर्वश्रेष्ठ थे। मेवाड़ के आसपास जो उद्धत राज्य थे, उन पर उन्होंने अपना आधिपत्य स्थापित किया। 35 वर्ष की अल्पायु में उनके द्वारा बनवाए गए बत्तीस दुर्गों में चित्तौड़गढ़, कुंभलगढ़, अचलगढ़ जहां सशक्त स्थापत्य में शीर्षस्थ हैं, वहीं इन पर्वत-दुर्गों में चमत्कृत करने वाले देवालय भी हैं। उनकी विजयों का गुणगान करता विश्वविख्यात विजय स्तंभ भारत की अमूल्य धरोहर है। कुंभा का इतिहास केवल युद्धों में विजय तक सीमित नहीं थी बल्कि उनकी शक्ति और संगठन क्षमता के साथ-साथ उनकी रचनात्मकता भी आश्चर्यजनक थी। ‘संगीत राज’ उनकी महान रचना है जिसे साहित्य का कीर्ति स्तंभ माना जाता है। .

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मुद्रांक शुल्क

मुद्रांक शुल्क एक प्रकार का कर है जो दस्तावेजों पर लगाया जाता है। ऐतिहासिक रूप से, यह मुख्यतः कानूनी दस्तावेजों जैसे चेक, रसीदों, सैन्य आयोगों, शादी के लाइसेंस और भूमि से सम्बंधित लेनदेन पर लगता था। एक स्टाम्प (कर टिकट) को दस्तावेज पर या तो संलग्न करना होता था अथवा मुहर लगानी होती थी जिससे यह पता चल जाए कि दस्तावेज के कानूनी तौर पर प्रभावी होने से पहले मुद्रांक शुल्क चुकाया जा चुका है। इस कर के अधिक आधुनिक संस्करणों में अब एक वास्तविक टिकट की आवश्यकता नहीं होती है। .

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मूल्य वर्धित कर

मूल्य वर्धित कर (Value Added Tax, VAT, संक्षेप में - वैट), या वस्तु और सेवा कर (Goods and Services Tax, GST) एक उपभोग कर (CT) है, किसी भी मूल्य पर जो एक उत्पाद में जोड़ी जाती है। बिक्री कर के विपरीत, वैट, उत्पादक और अंतिम उपभोक्ता के बीच मार्ग की संख्या के संबंध में तटस्थ है; जहां बिक्री कर प्रत्येक चरण में कुल मूल्य पर लगाया जाता है (हालांकि अमेरिकी और कई अन्य देशों में बिक्री कर सिर्फ अंतिम उपभोक्ता को अंतिम बिक्री पर लगाया जाता है और अंतिम उपयोगकर्ता उपयोग कर, इस तरह वहां थोक या उत्पादन स्तर पर कोई बिक्री कर नहीं दिया जाता), इसका परिणाम एक सोपान है (नीचे के कर ऊपर के करों पर लगाए जाते हैं)। वैट एक अप्रत्यक्ष कर है, इस रूप में कि कर को ऐसे किसी से एकत्र किया जाता है जो कर का पूरा खर्च नहीं उठाता.

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मोटरवाहन

कार्ल बेन्ज़'स "वेलो"मॉडल (1894) -सबसे पहले गाड़ियों के होड़ में आई right विश्व मानचित्र प्रति 1000 लोग गाड़ी, मोटरवाहन, कार, मोटरकार या ऑटोमोबाइल एक पहियों वाला वाहन है, जो यात्रियों के परिवहन के काम आता है; और जो अपना इंजन या मोटर भी स्वयं उठाता है। इस शब्द की अधिकांश परिभाषाओं के अनुसार मोटरवाहन मुख्य रूप से सड़कों पर चलाने के लिए हैं, एक से आठ लोगों कों बैठाने के लिए हैं, आमतौर पर जिनके चार पहिये होते हैं, जिनका निर्माण मुख्य रूप से सामान के उपेक्षा लोगों के परिवहन के लिए किया जाता है। मोटरकार शब्द का प्रयोग विद्युतिकृत रेल प्रणाली के सन्दर्भ में, एक ऐसी कार के लिए प्रयुक्त होता है, जो एक छोटा लोकोमोटिव होने के साथ ही, इसमे लोगों और सामान के लिए जगह भी होती है। ये लोकोमोटिव कार उपनगरीय मार्गों में अंतर्नगरीय रेल प्रणालियों में इस्तेमाल की जाती हैं। 2002 तक, 590 मिलियन यात्री करें दुनिया भर में थी (मोटे तौर पर एक कार प्रति ग्यारह लोग).

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रानी गाइदिन्ल्यू

रानी गिडालू रानी गिडालू या रानी गाइदिन्ल्यू (Gaidinliu; 1915–1993) भारत की नागा आध्यात्मिक एवं राजनीतिक नेत्री थीं जिन्होने भारत में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध विद्रोह का नेतृत्व किया। उनको भारत सरकार द्वारा समाज सेवा के क्षेत्र में सन १९८२ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। http://pib.nic.in/newsite/hindifeature.aspx?relid.

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राजनयिक उन्मुक्‍ति

राजनयिक प्रतिनिधि अपने कार्य एवं दायित्वों को सम्पन्न कर सकें, इसलिए उन्हें अनेक विशेषाधिकार तथा उन्मुक्तियां (immunities) प्रदान की जाती हैं। ये विशेषाधिकार रिवाजी एवं अभिसमयात्मक कानूनों पर आधारित होते हैं। राजदूतों के स्वतंत्र कार्य संचालन के लिए ऐसी व्यवस्था की जाती है ताकि वे अपना पत्त्र-व्यवहार गुप्त रख सकें और उन पर किसी प्रकार के भय तथा दबाव का प्रयोग नहीं किया जा सके। उन्हें स्वागतकर्ता राज्य के न्यायालयों के क्षेत्राधिकार से मुक्ति प्रदान की जाती है। अन्तर्राष्ट्रीय कानून के मुख्य विचारक ओपेन होम के कथनानुसार, आजकल सामान्यतः निम्नलिखित विशेषाधिकारों एवं उन्मुक्तियों को उचित माना जाता है:- .

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राजकोषीय नीति

अर्थनीति के सन्दर्भ में, सरकार के राजस्व संग्रह (करारोपण) तथा व्यय के समुचित नियमन द्वारा अर्थव्यवस्था को वांछित दिशा देना राजकोषीय नीति (fiscal policy) कहलाता है। अतः राजकोषीय नीति के दो मुख्य औजार हैं - कर स्तर एवं ढांचे में परिवर्तन तथा विभिन्न मदों में सरकार द्वारा व्यय में परिवर्तन। .

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लास वेगास

लास वेगास; नेवादा का सबसे ज्‍़यादा आबादी वाला शहर है। क्‍लार्क काउंटी का स्थान है और जुआ, खरीदारी तथा शानदार खान-पान के लिए अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर जाना जाने वाला एक प्रमुख रिसोर्ट शहर है। स्‍वयं को दुनिया की मनोरंजन राजधानी के रूप में प्रचारित करने वाला लास वेगास, कसीनो रिसोर्ट्स की बड़ी संख्‍या और उनसे संबंधित मनोरंजन के लिए मशहूर है। अब यहां ज्‍़यादा-से-ज्‍़यादा लोग सेवानिवृत्ति के बाद और अपने परिवारों के साथ बस रहे हैं और यह संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका का 28वां सबसे ज्‍़यादा आबादी वाला शहर बन गया है। संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका के जनगणना ब्‍यूरो के अनुसार 2008 तक की इसकी जनसंख्‍या 558,383 थी। 2008 तक लास वेगास के महानगरीय क्षेत्र की अनुमानित जनसंख्‍या 1,865,746 थी। 1905 में स्‍थापित लास वेगास को 1911 में आधिकारिक रूप से शहर का दर्जा दिया गया। उसके बाद इतनी प्रगति हुई कि 20वीं शताब्‍दी में स्थापित किया गया यह शहर सदी के अंत तक अमेरिका का सबसे ज्‍़यादा आबादी वाला शहर बन गया (19 वीं शताब्‍दी में यह दर्जा शिकागो को हासिल था).

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लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम

कोई विवरण नहीं।

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लियन

कानून में, ग्रहणाधिकार या लियन किसी संपत्ति के एवज में दिए गए ऋण शोधन या किसी अन्य दायित्व के निर्वाह के बदले में भुगतान को सुरक्षित करने के लिए हित सुरक्षा की मंजूरी का एक प्रकार है। संपत्ति का मालिक, जो लियन या ग्रहणाधिकार प्रदान करता है, को लियनर (lienor) और जिस व्यक्ति को लियन का लाभ मिलता है उसे लियनी (lienee) कहा जाता है। एंग्लो-फ्रेंच लियन (लियन), लोयेन "बोंड" (loyen "bond"), "रिस्ट्रेंट" ("restraint"), लैटिन लिगामेन (ligamen) से, लिगारे से "टु बाइंड" ("to bind") शब्द व्युत्पत्ति का मूल है। संयुक्त राज्य अमेरिका में, शब्द लियन (lien) आमतौर पर शुल्क भार की एक विस्तृत श्रृंखला को दर्शाता है (संदर्भित या उद्धृत करता है) और इसमें अन्य प्रकार के बंधक या शुल्क शामिल होते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में, लियन विलक्षण रूप से गैर-स्वामित्वकारी सुरक्षा हितों या ब्याज प्रतिभूतियों के लिए संदर्भित है (देखें: प्रतिभूति-व्याज श्रेणियां).

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लगान

श्रेणी:कर श्रेणी:भूराजस्व.

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लेडी गोडिवा

गोडिवा (fl. 1040-1067) (लातीनी भाषा का शब्द ‘गोडगिफू’ यानि रब का दिया अनमोल तोहफ़ा), जो लेडी गोडिवा के नाम से ज़्यादा मशहूर है, 11वीं सदी की एंग्लो-सेक्सन कुलीन औरत थी। 13वीं सदी से भी पुरानी एक किंवदंती के मुताबिक़, डेनिश राजा केन्यूट के अंगरक्षकों के ख़र्च को पूरा करने के लिए उसके पति द्वारा अपने किरायेदारों पर लायी भारी टैक्स को हटवाने के लिए गोडिवा ने अपने सफ़ेद घोड़े पर निर्वस्त्र सवार होकर, कॉवैंटरी की गलियों में गश्त किया था। .

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लोकतंत्र

लोकतंत्र (शाब्दिक अर्थ "लोगों का शासन", संस्कृत में लोक, "जनता" तथा तंत्र, "शासन") या प्रजातंत्र एक ऐसी शासन व्यवस्था है जिसमें जनता अपना शासक खुद चुनती है। यह शब्द लोकतांत्रिक व्यवस्था और लोकतांत्रिक राज्य दोनों के लिये प्रयुक्त होता है। यद्यपि लोकतंत्र शब्द का प्रयोग राजनीतिक सन्दर्भ में किया जाता है, किंतु लोकतंत्र का सिद्धांत दूसरे समूहों और संगठनों के लिये भी संगत है। मूलतः लोकतंत्र भिन्न भिन्न सिद्धांतों के मिश्रण से बनते हैं, पर मतदान को लोकतंत्र के अधिकांश प्रकारों का चरित्रगत लक्षण माना जाता है। .

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शुल्क-मुक्त दुकान

तेल अवीव, इजराइल में बेन गुरियन हवाई अड्डे पर शुल्क मुक्त दुकानें शुल्क मुक्त दुकानें आमतौर पर शराब की एक विस्तृत श्रृंखला को बेचती हैं कर्तव्य टोरफ्यानोनोव्का-वालिमा सीमा पर फ्री दुकान (E18) शुल्क मुक्त दुकानें (या भंडार) खुदरा दुकान हैं, जिनपर स्थानीय या राष्ट्रीय कर और शुल्क लागू नहीं होते हैं। शुल्क मुक्त खरीदारी थोड़ा मिथ्या नाम है, क्योंकि, यद्यपि खरीदारों को अपने गृह देश में एक शुल्क मुक्त दुकान से खरीदी गई वस्तुओं पर शुल्क का भुगतान करना पड़ता है। वे अक्सर अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों, समुद्री बंदरगाहों में या यात्री जहाजों के बोर्ड पर पाये जाते हैं। वे सामान्य रूप से सड़क या रेल यात्रियों के लिए उपलब्ध नहीं होते हैं, यद्यपि संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा के बीच सीमा के कई क्रॉसिंगों पर कार यात्रियों के लिए शुल्क मुक्त दुकानें हैं। इन दुकानों को यूरोपीय संघ के भीतर यात्रा करने के लिए सन 1999 में समाप्त कर दिया गया था, लेकिन जिन यात्रियों का अंतिम गंतव्य यूरोपीय संघ के बाहर है उनके लिए इसे बनाए रखा गया, वे अंतर यूरोपीय संघ के यात्रियों को भी सामन बेचते है लेकिन उपयुक्त करों के साथ.

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शुक्रनीति

शुक्रनीति एक प्रसिद्ध नीतिग्रन्थ है। इसकी रचना करने वाले शुक्र का नाम महाभारत में 'शुक्राचार्य' के रूप में मिलता है। शुक्रनीति के रचनाकार और उनके काल के बारे में कुछ भी पता नहीं है। शुक्रनीति में २००० श्लोक हैं जो इसके चौथे अध्याय में उल्लिखित है। उसमें यह भी लिखा है कि इस नीतिसार का रात-दिन चिन्तन करने वाला राजा अपना राज्य-भार उठा सकने में सर्वथा समर्थ होता है। इसमें कहा गया है कि तीनों लोकों में शुक्रनीति के समान दूसरी कोई नीति नहीं है और व्यवहारी लोगों के लिये शुक्र की ही नीति है, शेष सब 'कुनीति' है। शुक्रनीति की सामग्री कामन्दकीय नीतिसार से भिन्न मिलती है। इसके चार अध्यायों में से प्रथम अध्याय में राजा, उसके महत्व और कर्तव्य, सामाजिक व्यवस्था, मन्त्री और युवराज सम्बन्धी विषयों का विवेचन किया गया है। .

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संचित निधि (कोष)

सरकार को प्राप्त सभी राजस्व, बाजार से लिए गए ऋण और स्वीकृत ऋणों पर प्राप्त ब्याज संचित निधि (Consolidated Fund) में जमा होते हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 266 के तहत स्थापित है यह ऐसी निधि है जिस में समस्त एकत्र कर/राजस्व जमा, लिये गये ऋण जमा किये जाते है यह भारत की सर्वाधिक बडी निधि है जो कि संसद के अधीन रखी गयी है कोई भी धन इसमे बिना संसद की पूर्व स्वीकृति के निकाला/जमा या भारित नहीं किया जा सकता है अनु 266 प्रत्येक राज्य की समेकित निधि का वर्णन भी करता है .

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सकल मूल्य वर्धित

सकल मूल्य वर्धित या ग्राॅस वैल्यू ऐडेड(GVA), अर्थशास्त्र में, किसी भी क्षेत्र, उद्योग, अर्थव्यवस्था या व्यावसायिक क्षेत्र में उत्पादित माल व सेवाओं के मूल्य की माप है। राष्ट्रीय खातों में, जीवीए उत्पादन शून्य मध्यवर्ती खपत होता है; यह राष्ट्रीय खातों के उत्पादन खाते का एक संतुलन मद है। .

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स्टाम्प शुल्क

स्टाम्प शुल्क (Stamp duty) एक प्रकार का कर है जो दस्तावेजों पर लगाया जाता है। ऐतिहासिक रूप से यह अधिकांश प्रपत्रों जैसे चेक, रसीद, भूमि पंजीकरण आदि पर लगाया जाता रहा है। यह राज्य सरकार द्वारा लगाया जाता हैं। .

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स्वतंत्रतावाद

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पूँजीवादी देशों में लोकोपकार के आग्रह के तहत राज्य की बढ़ी हुई भूमिका की प्रतिक्रिया में स्वतंत्रतावाद (Libertarianism) के सिद्धांत का विकास हुआ है। स्वतंत्रतावाद मनुष्य और समाज के जीवन में राज्य की भूमिका को बेहद सीमित कर देना चाहता है। इसकी दो प्रमुख शाखाएँ हैं। एक शाखा अराजकतावादियों की है जो मानते हैं कि सरकार अपने आप में वैध संस्था है ही नहीं। दूसरी शाखा न्यनूतमवादियों की है जो मानती है कि सरकार को न्यूनतम काम करने का अधिकार है जिनमें पुलिस-सुरक्षा, अनुबंधों का कार्यान्वयन करवाना, नागरिक और फ़ौजदारी अदालत कायम करना शामिल है। लेकिन अधिकतर न्यूनतमवादी यह भी मानते हैं कि उनकी सूची में कर वसूलने का अधिकार शामिल नहीं है। यहाँ तक कि ऊपर वर्णित काम पूरे करने के लिए भी सरकार को लोगों से टैक्स नहीं लेना चाहिए। अराजकतावादियों का ख़याल है कि क्रिकेट के नाइटवाचमैन किस्म का यह राज्य भी कुछ ज़्यादा ही व्यापक है। वे मानते हैं कि न्यूनतमवादियों ने सरकार को जो काम दिये हैं, वे भी निजी एजेंसियों द्वारा किये जाने चाहिए। कुछ अराजकतावादी तो व्यक्ति की सुरक्षा के लिए भी सरकार को किसी तरह की शक्ति का उपभोग नहीं करने देना चाहते। स्वतंत्रतावादी व्यक्ति के आत्म-स्वामित्व या ‘सेल्फ़ ऑनरशिप’ के विचार पर बल देते हैं। आत्म-स्वामित्व का विचार कांट द्वारा लोगों को अपने-आप में साध्य मानने के सूत्र का ही एक रूप है। इसका अर्थ यह है कि हर व्यक्ति ख़ुद अपना मालिक है। इसलिए उसकी ज़िंदगी में किसी को भी ऐसा दख़ल देने की ज़रूरत नहीं हैं जिससे उसके आत्म- स्वामित्व का उल्लंघन होता हो। इस आधार पर भी स्वतंत्रतावाद दो धाराओं में बँट जाता है: पहला, दक्षिणपंथी स्वतंत्रतावाद और दूसरा वामपंथी स्वतंत्रतावाद। दक्षिणपंथी स्वतंत्रतावादी न्यूनतम राज्य की अवधारणा का समर्थक है। उसका मानना है कि व्यक्ति को असीम सम्पत्ति का अधिकार है। यदि राज्य व्यक्ति पर किसी भी तरह का कर लगाता है तो वह आत्म-स्वामित्व के उसूल का उल्लंघन होगा। लॉक के विचारों में इसके सूत्र पाये जा सकते हैं। बींसवी सदी में हायक और फ़्रीडमैन ने भी इस विचार का समर्थन किया है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इस आंदोलन को बौद्धिक समर्थन देने वाले प्रमुख विद्वानों में अमेरिकी अर्थशास्त्री मरे एन.

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सूखा

अकाल भोजन का एक व्यापक अभाव है जो किसी भी पशुवर्गीय प्रजाति पर लागू हो सकता है। इस घटना के साथ या इसके बाद आम तौर पर क्षेत्रीय कुपोषण, भुखमरी, महामारी और मृत्यु दर में वृद्धि हो जाती है। जब किसी क्षेत्र में लम्बे समय तक (कई महीने या कई वर्ष तक) वर्षा कम होती है या नहीं होती है तो इसे सूखा या अकाल कहा जाता है। सूखे के कारण प्रभावित क्षेत्र की कृषि एवं वहाँ के पर्यावरण पर अत्यन्त प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था डगमगा जाती है। इतिहास में कुछ अकाल बहुत ही कुख्यात रहे हैं जिसमें करोंड़ों लोगों की जाने गयीं हैं। अकाल राहत के आपातकालीन उपायों में मुख्य रूप से क्षतिपूरक सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे कि विटामिन और खनिज पदार्थ देना शामिल है जिन्हें फोर्टीफाइड शैसे पाउडरों के माध्यम से या सीधे तौर पर पूरकों के जरिये दिया जाता है।, बीबीसी न्यूज़, टाइम सहायता समूहों ने दाता देशों से खाद्य पदार्थ खरीदने की बजाय स्थानीय किसानों को भुगतान के लिए नगद राशि देना या भूखों को नगद वाउचर देने पर आधारित अकाल राहत मॉडल का प्रयोग करना शुरू कर दिया है क्योंकि दाता देश स्थानीय खाद्य पदार्थ बाजारों को नुकसान पहुंचाते हैं।, क्रिश्चियन साइंस मॉनिटर लंबी अवधि के उपायों में शामिल हैं आधुनिक कृषि तकनीकों जैसे कि उर्वरक और सिंचाई में निवेश, जिसने विकसित दुनिया में भुखमरी को काफी हद तक मिटा दिया है।, न्यूयॉर्क टाइम्स, 9 जुलाई 2009 विश्व बैंक की बाध्यताएं किसानों के लिए सरकारी अनुदानों को सीमित करते हैं और उर्वरकों के अधिक से अधिक उपयोग के अनापेक्षित परिणामों: जल आपूर्तियों और आवास पर प्रतिकूल प्रभावों के कारण कुछ पर्यावरण समूहों द्वारा इसका विरोध किया जाता है।, न्यूयॉर्क टाइम्स, 2 दिसम्बर 2007, दी अटलांटिक .

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हेद्रिअन

हेद्रिअन की प्रतिमा हेद्रिअन (७६ - १३८) ११७ ई से १३८ ई तक रोमन सम्राट था। हेद्रिअन का जन्म २४ जनवरी, सन् ७६ को हुआ। वह मूलत: स्पेनी था और त्राजन से उसका दूर का संबंध था। सन् ८५ में पिता की मृत्य के पश्चात् वह रोम के भावी सम्राट् त्राजन के संरक्षण में रहने लगा। बाद के पाँच वर्षों तक वह रोम में रहा। १५ वर्ष की उम्र में अपने जन्मस्थान को वापस लौट आया और सैनिक के रूप में उसके जीवन का आरंभ हुआ। सन् ९३ में त्राजन ने उसे रोम बुला लिया। सन् ९५ में एक ट्रिब्यून के रूप में बुडापेस्ट में उसकी नियुक्ति हुई, जहाँ से चार साल बाद वह रोम वापस चला आया। सन् १०० में महारानी पोलटिना ने उसका विवाह त्राजन की भतीजी विबिया साबिना से करा दिया। सन् १०१ में वह अर्थसचिव, १०५ में लोकाधिकारी और १०६ में प्रीतर बनाया गया। अपनी सख्त बीमारी के कारण जब त्राजन पूर्व से लौट आया तब उसने हेद्रिअन को सीरिया का गवर्नर और वहाँ का सेनापति नियुक्त किया। सन् ११७ में त्राजन ने उसे गोद लेकर अपना उत्तराधिकार को मान्यता प्रदान कर दी। वह उस समय रोम साम्राज्य की गद्दी पर बैठा जब वह चारों ओर गंभीर संकटों से घिरा हुआ था। शासनारूढ़ होने के बाद हेद्रिअन महान् प्रशासक सिद्ध हुआ। उसने सिनेट से मैत्रीपूर्ण व्यवहार रखनेवाली त्राजन की नीति को बरकरार रखा लेकिन उसी के साथ नौकरशाही को भी बढ़ावा दिया। साम्राज्य की सुख समृद्धि में उसकी रुचि का पता इसी से चलता है कि उसने दो बार पूरे साम्राज्य का विस्तृत भ्रमण किया था। स्काटलैंड की घुसपैठ से इंग्लैंड की रक्षा करने के लिए उसने १२१ - २२२ में इंग्लैंड के उत्तर में एक दीवाल का निर्माण करवाया जो हेद्रिअन दीवाल के रूप में प्रसिद्ध है और जिसके अवशेष अब भी वर्तमान हैं। उसने सीमांत प्रतिरक्षा को सुदृढ़ बनाया। अनेक शहर और कस्बे बसाए गए। सरकारी सहायता द्वारा सार्वजनिक निर्माण के कार्य संपन्न हुए। उसने किसानों के ऊपर से कर हटा दिया और 'रोमन ला' को व्यस्थित रूप दिया। हेद्रिअन प्रतिभासंपन्न, प्रखरबुद्धि और आकर्षक व्यक्तित्व का आदमी था। वह ग्रीक सभ्यता का प्रशंसक था और उसमें अद्भुत कृतत्व शक्ति थी। ऐसा प्रसिद्ध है कि वह एक ही समय लिख, पढ़, बोल और डिक्टेट करा सकता था। उसने अपनी एक आत्मकथा भी लिखी थी, जो अब प्राप्त नहीं है। कहा जाता है, अपने शासन के अंतिम दिनों में वह बहुत निराश हो गया और उसने तीन बार आत्महत्या करने का प्रयत्न किया। १० जुलाई, १३८ को उसकी मृत्यु हो गई। रोम में टाइबर नदी के किनारे उसकी शानदार मजार अब भी विद्यमान है। श्रेणी:रोमन सम्राट.

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ज़मींदारी प्रथा

दरभंगा के जमींदार '''लक्ष्मणेश्वर सिंह''' जमींदारी प्रथा भारत में मुगल काल एवं ब्रिटिश काल में प्रचलित एक राजनैतिक-सामाजिक कुरीति थी जिसमें भूमि का स्वामित्व उस पर काम करने वालों का न होकर किसी और (जमींदार) का होता था जो खेती करने वालों से कर वसूलते थे। भारत के स्वतंत्रत होने के बाद यह प्रथा समाप्त कर दी गयी। .

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जिएदूशी

जिएदूशी, (हिंदी: क्षेत्रीय राज्यपाल) यह प्राचीन चीन के तंग काल और पाँच राजवंश और दस राजशाहियो के काल के क्षेत्रीय सैनिक राज्यपाल या सामंत थे| इन्हें अलग अलग प्रान्त दिए गए थे साम्राज्य के अंदरूनी मामलो और विद्रोहों से लड़ने के लिए| इन्हें कर वसूलने, खुदकी सेना रखने और खुदका दरबार रखने की इज़ाज़त थी जिस कारण यह धीरे धीरे शक्तिशाली बने और केन्द्रीय सत्ता के विरुद्ध जाकर खुदके राज्य की स्थापना की| अन लुशान को तंग शासको ने तिन क्षेत्रो का जिएदूशी बनाया था, पर जल्द ही उसने केन्द्रीय सत्ता के विउध क्रांति छेड़ दी जिस कारण तंग साम्राज्य का पतन होना शुरू हुआ| श्रेणी:चीन श्रेणी:तंग राजवंश.

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जज़िया

इस्लामी कानून के तहत, जज़िया एक प्रतिव्यक्ति कर है, जिसे एक इस्लामिक राष्ट्र द्वारा इसके गैर मुस्लिम पुरुष नागरिकों पर जो कुछ मानदंडों को पूरा करते हों, पर लगाया जाता है। यह कर उन गैर मुस्लिम योग्य या स्वस्थ शरीर वाले वयस्क पुरुषों पर लगाया जाता है/था जिनकी आयु सेना मे काम करने लायक हो/होती थी साथ ही वो इसे वहन करने मे सक्षम हों/होते थे। कुछ अपवादों को छोड़कर,Shahid Alam, Articulating Group Differences: A Variety of Autocentrisms, Journal of Science and Society, 2003Ali (1990), pg.

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वस्तु एवं सेवा कर (भारत)

गुड्स एंड सर्विसिज़ टैक्स या वस्तु एवं सेवा कर (संक्षेप मे: वसेक या जीएसटी GST, Goods and Services Tax) भारत में १ जुलाई २०१७ से लागू एक महत्वपूर्ण अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था है जिसे सरकार व कई अर्थशास्त्रियों द्वारा इसे स्वतंत्रता के पश्चात् सबसे बड़ा आर्थिक सुधार बताया है।http://hindi.economictimes.indiatimes.com/business/business-news/know-all-about-indias-biggest-tax-reform-gst/articleshow/57909199.cms http://hindi.moneycontrol.com/news/market-news/gst-beginning-of-new-tax-regime_162197.html मनीकंट्रोल.कॉम इससे केन्द्र एवम् विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा भिन्न भिन्न दरों पर लगाए जा रहे विभिन्न करों को हटाकर पूरे देश के लिए एक ही अप्रत्‍यक्ष कर प्रणाली लागू की जाएगी जिससे भारत को एकीकृत साझा बाजार बनाने में मदद मिलेगी। भारतीय संविधान में इस कर व्यवस्था को लागू करने के लिए संशोधन किया गया है। 1 जुलाई 2017 से पूर्व  किसी भी सामान पर केंद्र एवं राज्य सरकार के द्वारा कई तरह के अलग-अलग कर लगाती हैं लेकिन जीएसटी आने से सभी तरह के सामानों पर एक जैसा ही कर लगाया जाएगा पूर्व में  किसी भी सामान पर 30 से 35% तक कर देना पड़ता था  कुछ चीजों पर तो प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से लगाया जाने वाला कर 50% से ज्यादा होता था  जीएसटी आने के बाद यह कर अधिकतम 28 प्रतिशत  हो जाएगा जिसमें कोई भी अप्रत्यक्ष कर नहीं होगा जीएसटी भारत की अर्थव्यवस्था को एक देश एक कर वाली अर्थव्यवस्था बना देगा।  फिलहाल भारतवासी 17 अलग-अलग तरह के कर  चुकाते हैं जबकि  जीएसटी लागू होने के बाद केवल एक ही तरह का कर दिया जाएगा इसके लागु होते ही एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, वैट, मनोरंजन कर,  लग्जरी कर जैसे बहुत सारे कर खत्म हो जाएंगे| जीएसटी लागू होने के बाद किसी भी सामान और  सेवा पर कर वहां लगेगा जहां वह बिकेगा |  जीएसटी अलग-अलग स्तर पर लगने वाले एक्साइज ड्यूटी, एडिशनल एक्साइज ड्यूटी,सेंट्रल सेल्स टैक्स, वैट, लक्ज़री टैक्स, सर्विस कर, इत्यादि  की जगह अब केवल जीएसटी लगेगा। जीएसटी परिषद ने 66 तरह के प्रोडक्ट्स पर टैक्स की दरें घटाई हैंhttps://www.hindi.nyoooz.com/news/kanpur/tax-reduction-rate-of-66-products-in-gst-the-decision-taken-by-the-council_61223/ | भारत में संचालित जीएसटी टैक्स दर के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत सहित केवल 5 देशों में चार गैर स्तरीय स्लैब है।) .

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वानूआतू

वानूआतू (बिस्लामा में; अंग्रेजी में या), आधिकारिक तौर पर वानूआतू गणराज्य (République de Vanuatu, बिस्लामा रिपब्लिक ब्लोंग वानूआतू), दक्षिण प्रशांत महासागर में स्थित एक द्वीप राष्ट्र है। ज्वालामुखी मूल का यह द्वीपसमूह उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के लगभग पूर्व, न्यू कैलेडोनिया के पूर्वोत्तर, फिजी के पश्चिम और न्यू गिनी के निकट सोलोमन द्वीपों के दक्षिण-पूर्व में स्थित है। वानूआतू में मेलानेशियाई लोग सबसे पहले आकर बसे थे। यूरोप के लोगों ने 1605 में क्यूरॉस के नेतृत्व में स्पेनिश अभियान के एस्पिरिटू सैंटो में आने पर इन द्वीपों का पता लगाया था। 1880 के दशक में फ्रांस और युनाइटेड किंगडम ने देश के कुछ हिस्सों पर अपना दावा किया और 1906 में वे एक ब्रिटिश-फ्रांसीसी सहस्वामित्व के जरिये न्यू हेब्रिड्स के रूप में इस द्वीपसमूह के संयुक्त प्रबंधन के एक ढाँचे पर सहमत हुए.

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वारेन हेस्टिंग्स

वारेन हेस्टिंग्स (6 दिसंबर 1732 – 22 अगस्त 1818), एक अंग्रेज़ राजनीतिज्ञ था, जो  फोर्ट विलियम प्रेसीडेंसी (बंगाल) का प्रथम गवर्नर तथा बंगाल की सुप्रीम काउंसिल का अध्यक्ष था और इस तरह 1773 से 1785 तक वह भारत का प्रथम वास्तविक (डी-फैक्टो) गवर्नर जनरल रहा। 1787 में भ्रष्टाचार के मामले में उस पर महाभियोग चलाया गया लेकिन एक लंबे परीक्षण के बाद उसे 1795 में अंततः बरी कर दिया गया। 1814 में उसे प्रिवी काउंसिलर बनाया गया। .

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विचारक समूह

विचारक समूह या थिंक टैंक उस संस्था को कहते हैं जो सामाजिक नीति, राजनैतिक रणनीति, अर्थनीति, सैन्य नीति, प्रौद्योगिकी और संस्कृति जैसे विषयों पर गम्भीर व्यावहारिक चिन्तन करतीं हैं। इन्हें अनुसंधान संस्थान या नीति संस्थान भी कहते हैं। अधिकांश थिंक टैंक प्रायः लाभ-निरपेक्ष संस्थाएँ होतीं हैं और इन संस्थानों को यूएसए आदि देशों में कर से छूट भी दी जाती है। कुछ अन्य विचारक समूहों को सरकारें फण्ड देतीं हैं, कुछ को बड़े व्यवसाय फण्ड देते हें, कुछ को ऐडवोकेसी समूह पैसे देते हैं। .

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वित्त मंत्रालय (भारत)

वित्त मंत्रालय भारत सरकार का एक महत्वपूर्ण मंत्रालय है। यह कराधान, वित्तीय कानून, वित्तीय संस्थानों, पूंजी बाजार, केंद्र तथा राज्यों का वित्त और केंद्रीय बजट से जुड़े मामले देखता है। वर्तमान में, अरुण जेटली भारत के वित्त मंत्री है। .

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वित्त विधेयक

नए कर लगाने, कर प्रस्तावों में परिवर्तन या मौजूदा कर ढांचे को जारी रखने के लिए संसद में प्रस्तुत विधेयक को वित्त विधेयक (Finance Bill) कहते हैं। .

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विजयनगर साम्राज्य

विजयनगर साम्राज्य - १५वीं सदी में विजयनगर साम्राज्य (1336-1646) मध्यकालीन दक्षिण भारत का एक साम्राज्य था। इसके राजाओं ने ३१० वर्ष राज किया। इसका वास्तविक नाम कर्णाटक साम्राज्य था। इसकी स्थापना हरिहर और बुक्का राय नामक दो भाइयों ने की थी। पुर्तगाली इसे बिसनागा राज्य के नाम से जानते थे। इस राज्य की १५६५ में भारी पराजय हुई और राजधानी विजयनगर को जला दिया गया। उसके पश्चात क्षीण रूप में यह और ८० वर्ष चला। राजधानी विजयनगर के अवशेष आधुनिक कर्नाटक राज्य में हम्पी शहर के निकट पाये गये हैं और यह एक विश्व विरासत स्थल है। पुरातात्त्विक खोज से इस साम्राज्य की शक्ति तथा धन-सम्पदा का पता चलता है। .

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खानवा का युद्ध

खानवा का युद्ध १७ मार्च १५२७ को आगरा से ६० किमी दूर खानवा गाँव में बाबर एवं मेवाड़ के राणा सांगा के मध्य लड़ा गया। पानीपत के युद्ध के बाद बाबर द्वारा लड़ा गया यह दूसरा बड़ा युद्ध था। .

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खुली अर्थव्यवस्था

खुली अर्थव्यवस्था (ओपेन इकनॉमी) अर्थव्यवस्था का एक दर्शन (philosophy) है। खुली अर्थव्यवस्था को अगर उसके शाब्दिक अर्थ से समझें तो इसका मतलब होता है एक ऐसा देश या समाज जहाँ किसी को किसी से भी व्यापार करने की छूट होती है और ऐसा भी नही कि इस व्यापार पे कोई सरकारी अंकुश या नियंत्रण नही होता। पर सरकार ऐसी नीतियाँ बनाती है जिससे आम लोग उद्योग और अन्य प्रकार के व्यापार आसानी से शुरू कर सकें। ऐसी अर्थव्यवस्था मे व्यापारों को स्वतंत्र रूप से फलने-फूलने दिया जाता है। सरकारी नियंत्रण ऐसे बनाये जातें है जिनमें व्यापारों को किसी भी प्रकार की बेईमानी से तो रोका जाता है पर नियंत्रण को इतना भी कड़ा नही किया जाता है कि ईमान्दार व्यापार मे असुविधा हो। खुली अर्थव्यवस्था न केवल उस समाज य देश के अंदरूनी व्यापार के लिये होती है बल्कि बाहरी व्यापार को भी उसी दृष्टि से देखा जाता है। .

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ग्रहणाधिकार (लियन)

कानून में, ग्रहणाधिकार या लियन किसी संपत्ति के एवज में दिए गए ऋण शोधन या किसी अन्य दायित्व के निर्वाह के बदले में भुगतान को सुरक्षित करने के लिए हित सुरक्षा की मंजूरी का एक प्रकार है। संपत्ति का मालिक, जो लियन या ग्रहणाधिकार प्रदान करता है, को लियनर (lienor) और जिस व्यक्ति को लियन का लाभ मिलता है उसे लियनी (lienee) कहा जाता है। एंग्लो-फ्रेंच लियन (लियन), लोयेन "बोंड" (loyen "bond"), "रिस्ट्रेंट" ("restraint"), लैटिन लिगामेन (ligamen) से, लिगारे से "टु बाइंड" ("to bind") शब्द व्युत्पत्ति का मूल है। संयुक्त राज्य अमेरिका में, शब्द लियन (lien) आमतौर पर शुल्क भार की एक विस्तृत श्रृंखला को दर्शाता है (संदर्भित या उद्धृत करता है) और इसमें अन्य प्रकार के बंधक या शुल्क शामिल होते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में, लियन विलक्षण रूप से गैर-स्वामित्वकारी सुरक्षा हितों या ब्याज प्रतिभूतियों के लिए संदर्भित है (देखें: प्रतिभूति-व्याज श्रेणियां).

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आयकर

आयकर (इनकम टैक्स) वह कर है जो सरकार लोगों की आय पर आय में से लेती है। आयकर सरकारों के क्षेत्राधिकार के भीतर स्थित सभी संस्थाओं द्वारा उत्पन्न वित्तीय आय पर लागू होता है। कानून के अनुसार, प्रत्येक व्यवसाय और व्यक्ति कर देने या एक कर वापसी के लिए पात्र हैं, और उन्हें हर साल एक आयकर रिटर्न फाइल करना होता है। आयकर धन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है जिसे सरकार अपनी गतिविधियों निधि और जनता की सेवा करने के लिए उपयोग करता है। .

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आर्थिक नीति

आर्थिक नीति (Economic policy) से आशय उन सरकारी नीतियों से होता है जिनके द्वारा किसी देश के आर्थिक क्रियाकलापों का नियमन होता है। आर्थिक नीति के अन्तर्गत करों के स्तर निर्धारित करना, सरकार का बजट, मुद्रा की आपूर्ति, ब्याज दर के साथ-साथ श्रम-बाजार, राष्ट्रीय स्वामित्व, तथा अर्थव्यवस्था में सरकार के हस्तक्षेप के अनेकानेक क्षेत्र आते हैं। आर्थिक नीति का सम्बन्ध आर्थिक मामलों से सम्बन्धित कुछ निर्धारित परिणामों की प्राप्ति हेतु अपनाई गई कार्यविधि से होता है। आर्थिक नीति एक व्यापक नीति है और इसमें अनेक नीतियों का समावेश किया जाता है। सामाजिक विज्ञान के विश्वकोष के अनुसार, ‘‘आर्थिक नीति शब्द का प्रयोग आर्थिक क्षेत्र में सरकार की उन सभी क्रियाओं में सम्मिलित किया जा सकता है, जिनका सम्बन्ध उत्पादन, वितरण एवं उपयोग में जानबूझकर अथवा अधिक सरकारी हस्तक्षेप से होता है।’’ इस प्रकार आर्थिक नीति किसी सरकार का वह आर्थिक दर्शन और व्यापक शब्द है जिसके अन्तर्गत विभिन्न नीतियाँ, जैसे - कृषि नीति, औद्योगिक नीति, वाणिज्य नीति, राजकोषीय नीति, मौद्रिक नीति, नियोजन नीति, आय नीति, रोजगार नीति, परिवहन नीति एवं जनसंख्या नीति आदि सम्मिलित हैं, में समन्वय कर निर्धारित लक्ष्यों एवं उद्देश्यों को पूरा करने के लिए वह कदम उठाती है। .

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आर्थिक सुधार

आर्थिक सुधार एक वृहद अर्थ वाला शब्द है। प्रायः इसका उपयोग अल्पतर सरकारी नियंत्रण, अल्पतर सरकारी निषेध, निजी कम्पनियों की अधिक भागीदारी, करों की अल्पतर दर आदि के सन्दर्भ में किया जाता है। उदारीकरण के पक्ष में मुख्य तर्क यह दिया जाता है कि इससे दक्षता आती है और हरेक को कुछ अधिक प्राप्त होता है। भारत मे आर्थिक सुधारों की शुरूआत सन 1990 से हुई। 1990 के पहले भारत मे आर्थिक विकास बहुत ही धीमी गति से हो रहा था। भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास काफी धीमा था। .

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आरोही कराधान

आरोही कराधान (progressive tax) कराधान (taxation) की वह विधि है जिसमें कर योग्य राशि कम होने पर कर की दर कम होती है और कर योग्य राशि के बढ़ने पर उत्तरोत्तर बढ़ती जाती है। श्रेणी:कराधान.

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आस्थगित कर और राजस्व

१- https://www.investopedia.com/terms/d/deferredtaxasset.asp २- https://www.investopedia.com/terms/d/deferredtaxliability.asp ३- https://en.wikipedia.org/wiki/Deferred_tax ४- https://www.investopedia.com/terms/d/deferredrevenue.asp.

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कर सुधार

सरकारों द्वारा कर के प्रकार, कर की दर का निर्धारण, कर की वसूली तथा करों के प्रबन्धन की विधियों में परिवर्तन की प्रक्रिया को कर सुधार (Tax reform) कहते हैं। कर सुधार का लक्ष्य प्रायः आर्थिक एवं सामाजिक लाभ प्राप्त करना होता है। .

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कर का स्वर्ग

कर के स्वर्ग या 'टैक्स हेवन' (tax haven) उन देशों को कहते हैं जहाँ अन्य देशों की अपेक्षा बहुत कम कर लगता है, या बिलकुल कर नहीं लगता। ऐसे देशों में कर के अलावा भी बहुत सी गतिविधियाँ चलतीं हैं। ऐसे देश टैक्स में किसी प्रकार की पारदर्शिता नहीं रखते न ही किसी प्रकार की वित्तीय जानकारी को साझा करते हैं। ये देश उन लोगों के लिए स्वर्ग (हैवन) हैं, जो टैक्स चोरी करके पैसे इन देशों में जमा कर देते हैं। ऐसे देशों में पैसे जमा करने पर वे पैसे जमा करने वाले व्यक्ति या संस्था के बारे में कुछ भी नहीं पूछते। यही कारण है कि टैक्स चोरों के लिए ऐसे देश स्वर्ग जैसे होते हैं, जो अपने देश से पैसे इन देशों में कालेधन के रूप में जमा कर देते हैं। स्विट्ज़रलैंड ही नहीं, एशिया में सिंगापुर, मलेशिया, हांगकांग, मॉरिशस, मालदीव, दुबई और बहरीन, यूरोप में ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, मोनाको, आदि कर के स्वर्ग हैं। .

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कर कानून

कर कानून या कर विधि (Tax law) विधिक अध्ययन का महत्वपूर्ण क्षेत्र है जिसमें कराधान से सम्बन्धित संवैधानिक विधि, सामान्य विधि (कॉमन-ला), सांविधिक विधि, कर संधियाँ आदि आती हैं। .

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कर अपवंचन

व्यक्तियों, व्यापारिक संस्थानों, ट्रस्टों एवं अन्य समूहों द्वारा अवैध तरीके अपनाकर या गलत सूचना देकर या सही सूचना छिपाकर, कर बचाना (या कम कर अदा करना) कर अपवंचन (Tax evasion) कहलाता है। .

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काउण्टी

इंग्लैण्ड की काउंटियाँ (ज़िले) काउंटी (अंग्रेज़ी: County) कई अंग्रेज़ी-भाषी देशों समेत विश्व का बहुत से देशों के एक प्रशासनिक विभाग को कहते हैं जो लगभग ज़िले के बराबर होते हैं। ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यू ज़ीलैंड, लाइबेरिया, नोर्वे, स्वीडन और कुछ अन्य देशों में काउंटियाँ एक अहम प्रशासनिक विभाग हैं। चीन जैसे भी कुछ देश हैं जिनमें स्थानीय भाषा में तो ज़िलों को कुछ और कहा जाता है लेकिन अंग्रेज़ी-अनुवाद में इन्हें काउंटी कहते हैं। चीन में ज़िलों का चीनी नाम 'शिअन' (县 या 縣, xiàn) है लेकिन इन्हें अंग्रेज़ी में 'काउंटी' कहते हैं। .

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कंपनी राज

कंपनी राज का अर्थ है ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी द्वारा भारत पर शासन। यह 1773 में शुरू किया है, जब कंपनी कोलकाता में एक राजधानी की स्थापना की है, अपनी पहली गवर्नर जनरल वार्रन हास्टिंग्स नियुक्त किया और संधि का एक परिणाम के रूप में बक्सर का युद्ध के बाद सीधे प्रशासन, में शामिल हो गया है लिया जाता है1765 में, जब बंगाल के नवाब कंपनी से हार गया था, और दीवानी प्रदान की गई थी, या बंगाल और बिहार में राजस्व एकत्रित करने का अधिकार हैशा सन १८५८ से,१८५७ जब तक चला और फलस्वरूप भारत सरकार के अधिनियम १८५८ के भारतीय विद्रोह के बाद, ब्रिटिश सरकार सीधे नए ब्रिटिश राज में भारत के प्रशासन के कार्य ग्रहण किया। .

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कोन्नेगंती हनुमंतु

कोन्नेगंती हनुमंतु भारत के एक स्वतन्त्रता सेनानी थे जिन्होने ब्रिटिश सरकार के कर (टैक्स) के विरुद्ध विद्रोह का नेतृत्व किया। ब्रिटिश जनरल रदरफोर्ड ने उन्हें फाँसी दे दी। श्रेणी:स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी.

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अप्रत्यक्ष कर

वह कर जिसे सीधे जनता से नहीं लिया जाता किंतु जिसका बोझ प्रकारांतर से उसी पर पड़ता है अप्रत्यक्ष कर कहलाते हैं। देश में तैयार किए गए वस्तुओं पर लगने वाला उत्पादन शुल्क, आयात या निर्यात किए जाने वाले वस्तुओं पर लगने वाले सीमा शुल्क आदि अप्रत्यक्ष कर हैं। कर, अप्रत्यक्ष श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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अबन्धता

अबन्धन या स्वेच्छा व्यापार (Laissez Faire) ऐसी आर्थिक नीति या व्यवस्था को कहते है जिसमें निजी संस्थाओं के बीच लेन-देन को करमुक्त तथा अन्य सरकारी प्रतिबन्धों से मुक्त रखा जाता है। सरकारी नियम केवल इतने होते हैं ताकि चोरी और जबरजस्ती हड़पने के विरुद्ध सम्पत्ति सम्बन्धी अधिकारों की रक्षा हो सके। लैसेफेयर (Laissez Faire) फ्रेंच भाषा का वांक्यांश है जिसका अर्थ 'करने दो' (अर्थात्, जैसा चाहें वैसा करने दो) होता है। विद्वानों का विचार है कि 'स्वेच्छा व्यापार' वाला राज्य कभी भी अस्तित्व में नहीं रहा है। .

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अर्न्स्ट एण्ड यंग

न्यूयॉर्क में EY कार्यालय टॉवर ब्रिज के पास मोरे लंदन प्लेस, लंदन में EY कार्यालय सिडनी में EY कार्यालय डेट्रोएट में EY कार्यालय म्यूनिख में EY कार्यालय टोरंटो में EY कार्यालय अर्न्स्ट एंड यंग (EY) विश्व की सबसे बड़ी पेशेवर सेवा कंपनियों में से एक है और चार सबसे बड़े लेखा परीक्षकों में से एक है जिसमें इसके साथ हैं प्राइसवाटरहाउसकूपर्स (PwC), डिलोएट और KPMG.

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ऋण संकट

ऋण संकट, कर आय की तुलना में, बड़े पैमाने पर लोक ऋण के प्रसार के लिए प्रयुक्त सामान्य शब्द हैं, जिसका विशिष्ट सन्दर्भ १९८० के दशक के दौरान लातिनी अमरीकी देश, और मध्य २००० के दशक से संयुक्त राज्य अमेरिका व यूरोपीय संघ, और साथ ही २०१५ के चीनी ऋण संकटों से हैं। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

रेवेन्यु, टैक्स

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