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कमलेश्वर

सूची कमलेश्वर

कमलेश्वर (६ जनवरी१९३२-२७ जनवरी २००७) हिन्दी लेखक कमलेश्वर बीसवीं शती के सबसे सशक्त लेखकों में से एक समझे जाते हैं। कहानी, उपन्यास, पत्रकारिता, स्तंभ लेखन, फिल्म पटकथा जैसी अनेक विधाओं में उन्होंने अपनी लेखन प्रतिभा का परिचय दिया। कमलेश्वर का लेखन केवल गंभीर साहित्य से ही जुड़ा नहीं रहा बल्कि उनके लेखन के कई तरह के रंग देखने को मिलते हैं। उनका उपन्यास 'कितने पाकिस्तान' हो या फिर भारतीय राजनीति का एक चेहरा दिखाती फ़िल्म 'आंधी' हो, कमलेश्वर का काम एक मानक के तौर पर देखा जाता रहा है। उन्होंने मुंबई में जो टीवी पत्रकारिता की, वो बेहद मायने रखती है। 'कामगार विश्व’ नाम के कार्यक्रम में उन्होंने ग़रीबों, मज़दूरों की पीड़ा-उनकी दुनिया को अपनी आवाज़ दी। कमलेश्वर का जन्म ६ जनवरी १९३२ को उत्तरप्रदेश के मैनपुरी जिले में हुआ। उन्होंने १९५४ में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में एम.ए. किया। उन्होंने फिल्मों के लिए पटकथाएँ तो लिखी ही, उनके उपन्यासों पर फिल्में भी बनी। `आंधी', 'मौसम (फिल्म)', 'सारा आकाश', 'रजनीगंधा', 'छोटी सी बात', 'मिस्टर नटवरलाल', 'सौतन', 'लैला', 'रामबलराम' की पटकथाएँ उनकी कलम से ही लिखी गईं थीं। लोकप्रिय टीवी सीरियल 'चन्द्रकांता' के अलावा 'दर्पण' और 'एक कहानी' जैसे धारावाहिकों की पटकथा लिखने वाले भी कमलेश्वर ही थे। उन्होंने कई वृतचित्रों और कार्यक्रमों का निर्देशन भी किया। १९९५ में कमलेश्वर को 'पद्मभूषण' से नवाज़ा गया और २००३ में उन्हें 'कितने पाकिस्तान'(उपन्यास) के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वे 'सारिका' 'धर्मयुग', 'जागरण' और 'दैनिक भास्कर' जैसे प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं के संपादक भी रहे। उन्होंने दूरदर्शन के अतिरिक्त महानिदेशक जैसा महत्वपूर्ण दायित्व भी निभाया। कमलेश्वर ने अपने ७५ साल के जीवन में १२ उपन्यास, १७ कहानी संग्रह और क़रीब १०० फ़िल्मों की पटकथाएँ लिखीं। कमलेश्वर की अंतिम अधूरी रचना अंतिम सफर उपन्यास है, जिसे कमलेश्वर की पत्नी गायत्री कमलेश्वर के अनुरोध पर तेजपाल सिंह धामा ने पूरा किया और हिन्द पाकेट बुक्स ने उसे प्रकाशित किया और बेस्ट सेलर रहा। २७ जनवरी २००७ को उनका निधन हो गया। .

53 संबंधों: एक और चंद्रकांता, डाक बंगला, तीसरा आदमी, भारत की संस्कृति, भारतीय रेल (पत्रिका), भारतीय व्यक्तित्व, मौसम (1975 फ़िल्म), यह देश (१९८४ फ़िल्म), राम बलराम (1980 फ़िल्म), राजकमल प्रकाशन पुस्तक सूची, रंग बिरंगी (1983 फ़िल्म), रेत पर लिखे नाम, रेगिस्तान (उपन्यास), लघुकथा, लौटे हुए मुसाफ़िर, लैला (1984 फ़िल्म), शलाका सम्मान, समस्त रचनाकार, सारिका-पत्रिका, साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी, साहित्य अकादमी पुरस्कार मणिपुरी, साहित्य अकादमी पुरस्कार हिन्दी, साजन की सहेली (1981 फ़िल्म), संस्मरण, सुबह...दोपहर...शाम, सौतन की बेटी, हिन्दी नाटक, हिन्दी पुस्तकों की सूची/ट, हिन्दी पुस्तकों की सूची/त, हिन्दी पुस्तकों की सूची/प, हिन्दी पुस्तकों की सूची/य, हिन्दी पुस्तकों की सूची/श, हिन्दी पुस्तकों की सूची/क, हिन्दी पुस्तकों की सूची/अ, हिन्दी गद्यकार, हिंदोस्ता हमारा, हिंदी साहित्यकार, वही बात, आँधी (1975 फ़िल्म), आधुनिक हिंदी गद्य का इतिहास, आगामी अतीत, इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, कितने पाकिस्तान, अधूरी आवाज, अमरकांत, अरविन्द गौड़, अशोक आत्रेय, उषा राजे सक्सेना, १९३२, ..., २००७, २७ जनवरी, ६ जनवरी सूचकांक विस्तार (3 अधिक) »

एक और चंद्रकांता

एक और चंद्रकांता कमलेश्वर का एक उपन्यास है। श्रेणी:साहित्य श्रेणी:उपन्यास श्रेणी:कमलेश्वर श्रेणी:हिन्दी श्रेणी:गद्य.

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डाक बंगला

डाक बंगला कवर चित्र डाक बंगला कमलेश्वर का एक लघु उपन्यास है। .

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तीसरा आदमी

मुखपृष्ठतीसरा आदमी कमलेश्वर का एक उपन्यास है। जिसमें प्रेम और प्रतिद्वंद्विता के नाते स्त्री तथा पुरूष के बीच तीसरे आदमी की उपस्थिति का चित्रण है।-.

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भारत की संस्कृति

कृष्णा के रूप में नृत्य करते है भारत उपमहाद्वीप की क्षेत्रीय सांस्कृतिक सीमाओं और क्षेत्रों की स्थिरता और ऐतिहासिक स्थायित्व को प्रदर्शित करता हुआ मानचित्र भारत की संस्कृति बहुआयामी है जिसमें भारत का महान इतिहास, विलक्षण भूगोल और सिन्धु घाटी की सभ्यता के दौरान बनी और आगे चलकर वैदिक युग में विकसित हुई, बौद्ध धर्म एवं स्वर्ण युग की शुरुआत और उसके अस्तगमन के साथ फली-फूली अपनी खुद की प्राचीन विरासत शामिल हैं। इसके साथ ही पड़ोसी देशों के रिवाज़, परम्पराओं और विचारों का भी इसमें समावेश है। पिछली पाँच सहस्राब्दियों से अधिक समय से भारत के रीति-रिवाज़, भाषाएँ, प्रथाएँ और परंपराएँ इसके एक-दूसरे से परस्पर संबंधों में महान विविधताओं का एक अद्वितीय उदाहरण देती हैं। भारत कई धार्मिक प्रणालियों, जैसे कि हिन्दू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और सिख धर्म जैसे धर्मों का जनक है। इस मिश्रण से भारत में उत्पन्न हुए विभिन्न धर्म और परम्पराओं ने विश्व के अलग-अलग हिस्सों को भी बहुत प्रभावित किया है। .

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भारतीय रेल (पत्रिका)

“भारतीय रेल” का मुखपृष्ठभारतीय रेल पत्रिका रेल मंत्रालय (रेलवे बोर्ड) द्वारा प्रकाशित मासिक हिंदी पत्रिका है। इस पत्रिका का पहला अंक १५ अगस्त १९६० को प्रकाशित हुआ था और इस पत्रिका की शुरूआत के पीछे तत्कालीन रेल मंत्री स्व.श्री लाल बहादुर शास्त्री तथा बाबू जगजीवन राम का विशेष प्रयास था। इस पत्रिका का उद्देश्य भारतीय रेलवे में कार्यरत लोगों में साहित्य के प्रति रुचि बढ़ाना, लेखकों को प्रोत्साहित करना, भारतीय रेल से संबंधित जानकारी और सूचनाओं का प्रकाशन करना तथा हिंदी का विकास करना था। इस वर्ष २००९ में यह पत्रिका अपनी गौरवशाली यात्रा के स्वर्ण जयंती वर्ष में प्रवेश कर रही है। बीते पांच दशकों में इस पत्रिका ने रेल कर्मियों के साथ अन्य पाठक वर्ग में भी अपनी एक विशिष्ट पहचान कायम की है। इसकी साज-सज्जा, विषय सामग्री और मुद्रण में भी निखार आया है। इसके पाठकों की संख्या में भी निरंतर वृद्धि हुई है। रेलों में हिंदी के प्रचार-प्रसार में इस पत्रिका का ऐतिहासिक योगदान रहा है। रेल प्रशासन, रेलकर्मियों और रेल उपयोगकर्ताओं के बीच भारतीय रेल पत्रिका एक मजबूत संपर्क-सूत्र का काम कर रही है। भारतीय रेल पत्रिका तथा उसके संपादकों को पत्रकारिता और साहित्य में विशेष योगदान के लिए उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान तथा हिंदी अकादमी, दिल्ली समेत कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है। इस पत्रिका के प्रतिष्ठित लेखकों में स्व.श्री विष्णु प्रभाकर, श्री कमलेश्वर, डॉ॰प्रभाकर माचवे, श्री पुरुषोत्तम दास टंडन, श्री रतनलाल शर्मा, श्री श्रीनाथ सिंह, श्री रामदरश मिश्र, डॉ॰शंकर दयाल सिंह, श्री विष्णु स्वरूप सक्सेना, डॉ॰ महीप सिंह, श्री यशपाल जैन, सुश्री आशारानी व्होरा, श्री शैलेन चटर्जी, श्री लल्लन प्रसाद व्यास, श्री शेर बहादुर विमलेश, श्री अक्षय कुमार जैन, श्री प्रेमपाल शर्मा, श्री आर.के.

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भारतीय व्यक्तित्व

यहाँ पर भारत के विभिन्न भागों एवं विभिन्न कालों में हुए प्रसिद्ध व्यक्तियों की सूची दी गयी है। .

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मौसम (1975 फ़िल्म)

श्रेणी:1975 में बनी हिन्दी फ़िल्म श्रेणी:कमलेश्वर.

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यह देश (१९८४ फ़िल्म)

श्रेणी:1984 में बनी हिन्दी फ़िल्म श्रेणी:कमलेश्वर.

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राम बलराम (1980 फ़िल्म)

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राजकमल प्रकाशन पुस्तक सूची

राजकमल प्रकाशन हिन्दी पुस्तकों को प्रकाशित करने वाला प्रकाशन संस्थान है। इसका मुख्यालय दिल्ली, भारत, में स्थित है। 1949 में स्थापित यह प्रकाशन प्रति वर्ष लगभग चार सौ से अधिक पुस्तकों का प्रकाशन करता है। .

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रंग बिरंगी (1983 फ़िल्म)

रंग बिरंगी १९८३ में निर्मित एक हिन्दी फ़िल्म है। यह दो दोस्तों की कहानी है जिनमें से एक अपने दोस्त की शादी शुदा जिंदगी में रस भरने के लिए एक मजाक करता है पर फिर खुद ही उसका शिकार बन जाता है। .

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रेत पर लिखे नाम

रेत पर लिखे नाम कमलेश्वर का एक नाटक है। श्रेणी:कमलेश्वर श्रेणी:हिन्दी नाटक.

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रेगिस्तान (उपन्यास)

रेगिस्तान कमलेश्वर का एक उपन्यास है। श्रेणी:साहित्य श्रेणी:उपन्यास श्रेणी:कमलेश्वर श्रेणी:हिन्दी श्रेणी:गद्य.

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लघुकथा

लघुकथा का मतलब छोटी कहानी से नहीं है, छोटी कहानी लघु कथा होती है जिसमें लघु और कथा के बीच में एक खाली स्थान होता है। .

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लौटे हुए मुसाफ़िर

लौटे हुए मुसाफ़िर कमलेश्वर का एक उपन्यास है। श्रेणी:साहित्य श्रेणी:उपन्यास श्रेणी:कमलेश्वर श्रेणी:हिन्दी श्रेणी:गद्य.

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लैला (1984 फ़िल्म)

श्रेणी:1984 में बनी हिन्दी फ़िल्म श्रेणी:कमलेश्वर.

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शलाका सम्मान

शलाका सम्मान हिंदी अकादमी को ओर से दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है। हिन्दी जगत में सशक्त हस्ताक्षर के रूप में विख्यात तथा हिन्दी भाषा और साहित्य के क्षेत्र में समर्पित भाव से काम करने वाले मनीषी विद्वानों, हिन्दी के विकास तथा संवर्धन में सतत संलग्न कलम के धनी, मानव मन के चितरों तथा मूर्धन्य साहित्यकारों के प्रति अपने आदर और सम्मान की भावना को व्यक्त करने के लिए हिन्दी अकादमी प्रतिवर्ष एक श्रेष्ठतम साहित्यकार को शलाका सम्मान से सम्मानित करती है। सम्मान स्वरूप, १,११,१११/-रुपये की धनराशि, प्रशस्ति-पत्र एवं प्रतीक चिह्‌न आदि प्रदान किये जाते हैं। अकादमी द्वारा अब तक निम्नलिखित साहित्यकारों को शलाका सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है:- .

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समस्त रचनाकार

अकारादि क्रम से रचनाकारों की सूची अ.

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सारिका-पत्रिका

सारिका, हिंदी मासिक पत्रिका थी जो पूर्णतया गद्य साहित्य के 'कहानी' विधा को समर्पित थी। यह पत्रिका टाइम्स ऑफ़ इंडिया द्वारा प्रकाशित की जाती थी। कमलेश्वर इस पत्रिका के संपादक थे। १९७० से करीब १९८५ (?) तक यह पत्रिका प्रकाशित होती रही। इस पत्रिका के अंतिम समय इसका संपादन कमलेश्वर जी ने छोड़ दिया था और पत्रिका के संपादक कन्हैयालाल नंदन थे। 'सारिका' कमलेश्वर जी के संपादन में साहित्य की बहुत ऊँची पसंद रखने वालों की पहली पसंद थी। अनेक नए लेखकों को कमलेश्वर जी ने जोड़ा था जिनमें निम्नलिखित प्रमुख थे, जो शायद पहली बार प्रकाशित भी सारिका में हुए और बाद में साहित्य जगत में छा गए- जीतेन्द्र भाटिया, अभिमन्यु अनंत, प्रणव कुमार बंदोपाध्याय, प्रदीप शुक्ल, मालती जोशी, इब्राहिम शरीफ, मंजूर एहतेशाम, पृथ्वीराज मोंगा प्रमुख हैं। साथ ही श्रीलाल शुक्ल, भीष्म साहनी जैसे वरिष्ठ लेखक भी सारिका में प्रकाशित हुआ करते थे। कुछ प्रमुख कहानियां जो सारिका में प्रकाशित हुई उनके नाम: रमजान में मौत, पराई प्यास का सफर, जीतेन्द्र भाटिया की 'कोई नहीं और रक्तजीवी' शुक्ल जी की 'द्वन्द', प्रणव कुमार की 'बारूद की सृष्टिकथा' आदि। सारिका में मराठवाड़ा में आये अकाल पर जीतेन्द्र भाटिया की दो कड़ियों की लेख माला 'झुलसते अक्स' ने भी काफी प्रभावित किया थे। हिंदी साहित्य में कहानी लेखन को पहले उतना सम्मान शायद नहीं था जितना की सारिका ने दिलवाया और कथा जगत को कई नए सितारे दिए। श्रेणी:हिन्दी पत्रिका.

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साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी

साहित्य अकादमी पुरस्कार एक साहित्यिक सम्मान है जो कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं और डोगरी भाषा इन में से एक भाषा हैं। अकादमी ने १९७० से इस भाषा के लिए पुरस्कारों को पेश किया। .

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साहित्य अकादमी पुरस्कार मणिपुरी

साहित्य अकादमी पुरस्कार एक साहित्यिक सम्मान है जो कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं और मणिपुरी भाषा इन में से एक भाषा हैं। अकादमी ने १९७३ से इस भाषा के लिए पुरस्कारों को पेश किया। .

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साहित्य अकादमी पुरस्कार हिन्दी

साहित्य अकादमी पुरस्कार, सन् १९५४ से प्रत्येक वर्ष भारतीय भाषाओं की श्रेष्ठ कृतियों को दिया जाता है, जिसमें एक ताम्रपत्र के साथ नक़द राशि दी जाती है। नक़द राशि इस समय एक लाख रुपए हैं। साहित्य अकादेमी द्वारा अनुवाद पुरस्कार, बाल साहित्य पुरस्कार एवं युवा लेखन पुरस्कार भी प्रतिवर्ष विभिन्न भारतीय भाषाओं में दिए जाते हैं, इन तीनों पुरस्कारों के अंतर्गत सम्मान राशि पचास हजार नियत है। .

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साजन की सहेली (1981 फ़िल्म)

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संस्मरण

स्मृति के आधार पर किसी विषय पर अथवा किसी व्यक्ति पर लिखित आलेख संस्मरण कहलाता है। यात्रा साहित्य भी इसके अन्तर्गत आता है। संस्मरण को साहित्यिक निबन्ध की एक प्रवृत्ति भी माना जा सकता है। ऐसी रचनाओं को 'संस्मरणात्मक निबंध' कहा जा सकता है। व्यापक रूप से संस्मरण आत्मचरित के अन्तर्गत लिया जा सकता है। किन्तु संस्मरण और आत्मचरित के दृष्टिकोण में मौलिक अन्तर है। आत्मचरित के लेखक का मुख्य उद्देश्य अपनी जीवनकथा का वर्णन करना होता है। इसमें कथा का प्रमुख पात्र स्वयं लेखक होता है। संस्मरण लेखक का दृष्टिकोण भिन्न रहता है। संस्मरण में लेखक जो कुछ स्वयं देखता है और स्वयं अनुभव करता है उसी का चित्रण करता है। लेखक की स्वयं की अनुभूतियाँ तथा संवेदनायें संस्मरण में अन्तर्निहित रहती हैं। इस दृष्टि से संस्मरण का लेखक निबन्धकार के अधिक निकट है। वह अपने चारों ओर के जीवन का वर्णन करता है। इतिहासकार के समान वह केवल यथातथ्य विवरण प्रस्तुत नहीं करता है। पाश्चात्य साहित्य में साहित्यकारों के अतिरिक्त अनेक राजनेताओं तथा सेनानायकों ने भी अपने संस्मरण लिखे हैं, जिनका साहित्यिक महत्त्व स्वीकारा गया है। .

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सुबह...दोपहर...शाम

सुबह...दोपहर...शाम कमलेश्वर का एक उपन्यास है। श्रेणी:साहित्य श्रेणी:उपन्यास श्रेणी:कमलेश्वर श्रेणी:हिन्दी श्रेणी:गद्य.

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सौतन की बेटी

श्रेणी:1989 में बनी हिन्दी फ़िल्म श्रेणी:कमलेश्वर.

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हिन्दी नाटक

हिंदी में नाटकों का प्रारंभ भारतेन्दु हरिश्चंद्र से माना जाता है। उस काल के भारतेन्दु तथा उनके समकालीन नाटककारों ने लोक चेतना के विकास के लिए नाटकों की रचना की इसलिए उस समय की सामाजिक समस्याओं को नाटकों में अभिव्यक्त होने का अच्छा अवसर मिला। जैसाकि कहा जा चुका है, हिन्दी में अव्यावसायिक साहित्यिक रंगमंच के निर्माण का श्रीगणेश आगाहसन ‘अमानत’ लखनवी के ‘इंदर सभा’ नामक गीति-रूपक से माना जा सकता है। पर सच तो यह है कि ‘इंदर सभा’ की वास्तव में रंगमंचीय कृति नहीं थी। इसमें शामियाने के नीचे खुला स्टेज रहता था। नौटंकी की तरह तीन ओर दर्शक बैठते थे, एक ओर तख्त पर राजा इंदर का आसन लगा दिया जाता था, साथ में परियों के लिए कुर्सियाँ रखी जाती थीं। साजिंदों के पीछे एक लाल रंग का पर्दा लटका दिया जाता था। इसी के पीछे से पात्रों का प्रवेश कराया जाता था। राजा इंदर, परियाँ आदि पात्र एक बार आकर वहीं उपस्थित रहते थे। वे अपने संवाद बोलकर वापस नहीं जाते थे। उस समय नाट्यारंगन इतना लोकप्रिय हुआ कि अमानत की ‘इंदर सभा’ के अनुकरण पर कई सभाएँ रची गई, जैसे ‘मदारीलाल की इंदर सभा’, ‘दर्याई इंदर सभा’, ‘हवाई इंदर सभा’ आदि। पारसी नाटक मंडलियों ने भी इन सभाओं और मजलिसेपरिस्तान को अपनाया। ये रचनाएँ नाटक नहीं थी और न ही इनसे हिन्दी का रंगमंच निर्मित हुआ। इसी से भारतेन्दु हरिश्चन्द्र इनको 'नाटकाभास' कहते थे। उन्होंने इनकी पैरोडी के रूप में ‘बंदर सभा’ लिखी थी। .

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हिन्दी पुस्तकों की सूची/ट

* टक्कर मुझसे है - वसन्त कानेतकर.

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हिन्दी पुस्तकों की सूची/त

* तकीषी की कहानियां - बी.डी. कृष्णन.

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हिन्दी पुस्तकों की सूची/प

* पंच परमेश्वर - प्रेम चन्द्र.

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हिन्दी पुस्तकों की सूची/य

कोई विवरण नहीं।

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हिन्दी पुस्तकों की सूची/श

संवाद शीर्षक से कविता संग्रह-ईश्वर दयाल गोस्वाामी.

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हिन्दी पुस्तकों की सूची/क

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हिन्दी पुस्तकों की सूची/अ

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हिन्दी गद्यकार

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हिंदोस्ता हमारा

हिंदोस्ता हमारा कमलेश्वर का एक नाटक है। श्रेणी:कमलेश्वर श्रेणी:हिन्दी नाटक.

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हिंदी साहित्यकार

इस सूची में अन्य भाषाओं में लिखनेवाले वे साहित्यकार भी सम्मिलित हैं जिनकी पुस्तकों का हिंदी में अनुवाद हो चुका है। अकारादि क्रम से रचनाकारों की सूची अ.

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वही बात

मुखपृष्ठ वही बात कमलेश्वर का एक उपन्यास है। श्रेणी:साहित्य श्रेणी:उपन्यास श्रेणी:कमलेश्वर श्रेणी:हिन्दी श्रेणी:गद्य.

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आँधी (1975 फ़िल्म)

आँधी (अंग्रेजी: storm) 1975 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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आधुनिक हिंदी गद्य का इतिहास

हिंदी साहित्य का आधुनिक काल भारत के इतिहास के बदलते हुए स्वरूप से प्रभावित था। स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्रीयता की भावना का प्रभाव साहित्य में भी आया। भारत में औद्योगीकरण का प्रारंभ होने लगा था। आवागमन के साधनों का विकास हुआ। अंग्रेजी और पाश्चात्य शिक्षा का प्रभाव बढा और जीवन में बदलाव आने लगा। ईश्वर के साथ साथ मानव को समान महत्व दिया गया। भावना के साथ-साथ विचारों को पर्याप्त प्रधानता मिली। पद्य के साथ-साथ गद्य का भी विकास हुआ और छापेखाने के आते ही साहित्य के संसार में एक नई क्रांति हुई। आधुनिक हिन्दी गद्य का विकास केवल हिन्दी भाषी क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं रहा। पूरे भारत में और हर प्रदेश में हिन्दी की लोकप्रियता फैली और अनेक अन्य भाषी लेखकों ने हिन्दी में साहित्य रचना करके इसके विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान किया। हिन्दी गद्य के विकास को विभिन्न सोपानों में विभक्त किया जा सकता है- .

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आगामी अतीत

मुखपृष्ठ आगामी अतीत कमलेश्वर का एक उपन्यास है।.

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इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान

यू॰के॰कथा सम्मान का प्रतीक चिह्नयू के कथा सम्मान इंदु शर्मा मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा दिया जाने वाला साहित्य सम्मान है। यह सम्मान १९९५ से प्रतिवर्ष कहानी संग्रह या उपन्यास की एक उत्कृष्ट कृति को दिया जाता है। उत्कृष्ट कृति का निर्णय एक निर्णायक मंडल करता है। इस सम्मान के निर्णय की प्रक्रिया में संस्था के भारतीय प्रतिनिधि सूरज प्रकाश करीब २५० साहित्य प्रेमियों, संपादकों एवं लेखकों को पत्र लिख कर उनसे संस्तुतियाँ मँगवाते हैं, एक सर्वसामान्य सूची बनती है, पुस्तकें ख़रीदी जाती हैं, उनकी छटनी होती है और अंत में १० से १२ किताबें रह जाती हैं जो निर्णायक मंडल को पढ़ने के लिये भेजी जाती हैं। निर्णायक मंडल के नाम सार्वजनिक नहीं किए जाते हैं। इस पुरस्कार के अंतर्गत दिल्ली - लंदन - दिल्ली आने जाने का हवाई टिकट (एअर इंडिया द्वारा प्रायोजित) इंगलैंड के लिये वीसा शुल्क, एक स्मृति चिह्न, लंदन में एक सप्ताह तक रहने की सुविधा तथा लंदन के प्रमुख दर्शनीय स्थलों का भ्रमण आदि शामिल होता है। यह पुरस्कार साहित्यकार को लंदन में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रदान किया जाता है। .

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इलाहाबाद विश्वविद्यालय

इलाहाबाद विश्वविद्यालय भारत का एक प्रमुख विश्वविद्यालय है। यह एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है। यह आधुनिक भारत के सबसे पहले विश्वविद्यालयों में से एक है। इसे 'पूर्व के आक्सफोर्ड' नाम से जाना जाता है। इसकी स्थापना सन् 1887 ई को एल्फ्रेड लायर की प्रेरणा से हुयी थी। इस विश्वविद्यालय का नक्शा प्रसिद्ध अंग्रेज वास्तुविद इमरसन ने बनाया था। १८६६ में इलाहाबाद में म्योर कॉलेज की स्थापना हुई जो आगे चलकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हुआ। आज भी यह इलाहाबाद विश्वविद्यालय का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। म्योर कॉलेज का नाम तत्कालीन संयुक्त प्रांत के गवर्नर विलियम म्योर के नाम पर पड़ा। उन्होंने २४ मई १८६७ को इलाहाबाद में एक स्वतंत्र महाविद्यालय तथा एक विश्वविद्यालय के निर्माण की इच्छा प्रकट की थी। १८६९ में योजना बनी। उसके बाद इस काम के लिए एक शुरुआती कमेटी बना दी गई जिसके अवैतनिक सचिव प्यारे मोहन बनर्जी बने। ९ दिसम्बर १८७३ को म्योर कॉलेज की आधारशिला टामस जार्ज बैरिंग बैरन नार्थब्रेक ऑफ स्टेटस सीएमएसआई द्वारा रखी गई। ये वायसराय तथा भारत के गवर्नर जनरल थे। म्योर सेंट्रल कॉलेज का आकल्पन डब्ल्यू एमर्सन द्वारा किया गया था और ऐसी आशा थी कि कॉलेज की इमारतें मार्च १८७५ तक बनकर तैयार हो जाएँगी। लेकिन इसे पूरा होने में पूरे बारह वर्ष लग गए। १८८८ अप्रैल तक कॉलेज के सेंट्रल ब्लॉक के बनाने में ८,८९,६२७ रुपए खर्च हो चुके थे। इसका औपचारिक उद्घाटन ८ अप्रैल १८८६ को वायसराय लार्ड डफरिन ने किया। २३ सितंबर १८८७ को एक्ट XVII पास हुआ और कलकत्ता, बंबई तथा मद्रास विश्वविद्यालयों के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय उपाधि प्रदान करने वाला भारत का चौथा विश्वविद्यालय बन गया। इसकी प्रथम प्रवेश परीक्षा मार्च १८८९ में हुई। .

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कितने पाकिस्तान

कितने पाकिस्तान हिन्दी के विख्यात साहित्यकार कमलेश्वर द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2003 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह उपन्यास भारत-पाकिस्तान के बँटवारे और हिंदू-मुस्लिम संबंधों पर आधारित है।। यह उनके मन के भीतर चलने वाले अंतर्द्वंद्व का परिणाम माना जाता हे। .

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अधूरी आवाज

अधूरी आवाज कमलेश्वर का एक नाटक है। आवाज, अधूरी आवाज, अधूरी आवाज, अधूरी श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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अमरकांत

अमरकांत (1925 - 17 फ़रवरी 2014) हिंदी कथा साहित्य में प्रेमचंद के बाद यथार्थवादी धारा के प्रमुख कहानीकार थे। यशपाल उन्हें गोर्की कहा करते थे।रविंद्र कालिया, नया ज्ञानोदय (मार्च २०१२), भारतीय ज्ञानपीठ, पृ-६ .

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अरविन्द गौड़

अरविन्द गौड़, भारतीय रंगमंच निदेशक, सामाजिक और राजनीतिक प्रासंगिक रंगमंच में अपने काम के लिए जाने जाते हैं। अरविंद गौड़ के नाटक समकालीन हैं। व्यापक सामाजिक राजनीतिक मुद्दों - सांप्रदायिकता, जातिवाद, सामंतवाद, घरेलू हिंसा, राज्य के अपराध, सत्ता की राजनीति, हिंसा, अन्याय, सामाजिक- भेदभाव और नस्लवाद उनके रंगमंच के प्रमुख विषय हैं। गौड़ एक अभिनेता प्रशिक्षक (ट्रेनर), सामाजिक कार्यकर्ता और एक अच्छे कथा -वाचक (स्टोरी टेलर) हैं। अरविन्द गौड़ ने भारत और विदेश के प्रमुख नाट्य महोत्सवो मैं भाग लिया है। ऊन्होने नाटक कार्यशालाओं का विभिन्न कॉलेजों, संस्थानों, स्कूलों, विश्वविद्यालयों में आयोजन किया है। वह बच्चों के लिए भी नाटक (थिएटर) कार्यशालाओं का आयोजन करते हैं। अरविन्द ने विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक मुद्दों पर नुक्कड़ नाटकॉ के साथ- साथ दो दशकों में 60 से अधिक मंच नाटकों का निर्देशन किया है। अरविन्द गौड़ ने विदेशों में अमेरिका, रुस, फ्रांस, लंदन, ऑस्ट्रेलिया, एडिनबर्ग फेस्टिवल (ब्रिटेन), आर्मेनिया और संयुक्त अरब इमारात (यू ए ई) के साथ नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) महोत्सव (भारत रंग महोत्सव),संगीत नाटक अकादमी, साहित्य कला परिषद, दर्पणा अकादमी ऑफ आर्टस् (अहमदाबाद), नान्दिकार (कोलकाता), विवेचेना थिएटर महोत्सव (जबलपुर), ओल्ड वल्ड् थिएटर महोत्सव, टाइम्स महोत्सव, गजानन माधव 'मुक्तिबोध' नाट्य महोत्सव, वर्ल्ड सोशल फोरम और नेहरू सेंटर महोत्सव (मुम्बई) मे भी भाग लिया है। पद्मश्री हबीब तनवीर के नया थिएटर के प्रमुख नाटको के लिए अरविन्द ने प्रकाश व्यवस्था भी डिजाइन की। आजकल अरविन्द गौड़ अस्मिता थियेटर ग्रुप के निदेशक के रूप मैं कार्यरत है। कुछ प्रमुख सिनेमा अभिनेताओं - कंगना राणावत, दीपक डोबरियाल, शिल्पा शुक्ला(चक दे इंडिया (2007 फ़िल्म)), पीयूष मिश्र, लुशिन दुबे, बबल्रस सबरवाल, ऐशवरया निधि (सिडनी), तिलोत्त्त्त्मा शोम (मानसून वेडिंग), राशि बनि, रुथ शेअर्द् (ब्रिटिश अभिनेत्री),मनु ऋषि, सीमा आज़मी (चक दे इंडिया), सुसान बरार (फिल्म-समर 2007), चन्दन आनंद, जैमिनि कुमार, शक्ति आनंद आदि ने उसके साथ काम किया है। .

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अशोक आत्रेय

अशोक आत्रेय बहुमुखी प्रतिभा के संस्कृतिकर्मी सातवें दशक के जाने माने वरिष्ठ हिन्दी-कथाकार और (सेवानिवृत्त) पत्रकार हैं | मूलतः कहानीकार होने के अलावा यह कवि, चित्रकार, कला-समीक्षक, रंगकर्मी-निर्देशक, नाटककार, फिल्म-निर्माता, उपन्यासकार और स्तम्भ-लेखक भी हें| .

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उषा राजे सक्सेना

उषा राजे सक्सेना युनाइटेड किंगडम मे बसी भारतीय मूल की लेखक है। वे भारत में भी काफी लोकप्रिय है। लक्ष्मीमल सिंघवी, कमलेश्वर, शिवमंगल सिंह 'सुमन', रामदरश मिश्र, हिमांशु जोशी, अशोक चक्रधर, चित्रा मुद्गल एवं हरीश नवल जैसे साहित्यकारों ने समय-समय पर उषा राजे के साहित्य की सराहना की है। कहानी, कविता, लेख जैसी विधाओं में उषा राजे ने अपनी एक शैली विकसित की है। किन्चित आलोचको के अनुसार्, उनकी कहानियों की एक पहचान है कि उन्हें यात्रा में कोई चरित्र मिलता है जो उन्हें या तो अपनी कहानी सुनाता है या वो कुछ ऐसा कर जाता है जिससे उषा राजे को कहानी मिल जाती है। किन्तु उनकी कहानी इससे भी कुछ अधिक है| प्रवास मे भारतीय सोच, जो सन्कीर्णताओ से मुक्त किन्तु शाश्वत सत्यो से गुंथी हुई है, सौम्यता, सहोदरता और विश्व-बन्धुत्व को साधारण से विशिष्ट होते हुए पात्रो के माध्यम से अभिव्यक्त करती है| उनकी कहानी मे सदयता के साथ, मानवीय सत्ता के प्रति विश्वास् और विपरीत परिस्थिति मे साहस उत्तर आधुनिक काल मे एक प्रकाश-स्तम्भ की भाति उभरते है| मिट्टी की सुगंध नामक कहानी संग्रह संपादित कर उषा राजे सक्सेना ने युनाइटेड किंगडम के कथाकारों को पहली बार एक संगठित मंच प्रदान किया। वे `पुरवाई' पत्रिका की सह-संपादिका हैं। उषा राजे सक्सेना के साहित्य पर भारत में एम.

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१९३२

1932 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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२००७

वर्ष २००७ सोमवार से प्रारम्भ होने वाला ग्रेगोरी कैलंडर का सामान्य वर्ष है। .

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२७ जनवरी

२७ जनवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २७वाँ दिन है। वर्ष में अभी और ३३८ दिन बाकी हैं (लीप वर्ष में ३३९)। इस दिन को संयुक्त राष्ट्रसंघ तथा ब्रिटेन के द्वारा यहूदियों को मारने तथा यातना देने के दिन की स्मृति में मनाया जाता है। .

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६ जनवरी

6 जनवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 6वाँ दिन है। साल में अभी और 359 दिन बाकी हैं (लीप वर्ष में 360)।.

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