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कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी

सूची कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी

कन्हैयालाल मुंशी कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी (२९ दिसंबर, १८८७ - ८ फरवरी, १९७१) भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, राजनेता, गुजराती एवं हिन्दी के ख्यातिनाम साहित्यकार तथा शिक्षाविद थे। उन्होने भारतीय विद्या भवन की स्थापना की। .

18 संबंधों: दयाराम, नागार्जुन, पुरुषोत्तम दास टंडन, प्रेमचंद, भारतीय संविधान सभा, भारतीय विद्या भवन, भारतीव विद्या भवन, मनोज टिबड़ेवाल आकाश, मालण, मुनि जिनविजय, वन महोत्सव, गुजराती साहित्य, गोविन्द बल्लभ पन्त, क मुं हिंदी विद्यापीठ आगरा, कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी, अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ, अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन, उत्तर प्रदेश के राज्यपालों की सूची

दयाराम

दयाराम (1777-1853 ई) मध्यकालीन गुजराती भक्ति-काव्य परंपरा के अंतिम महत्वपूर्ण वैष्णव कवि थे। वे गरबी साहित्य रचने के लिए प्रसिद्ध हैं। वे पुष्टिमार्गी कवि थे। उनके अवसान के साथ मध्यकाल और कृष्ण-भक्ति-काव्य दोनों का पर्यवसान हो गया। इस युगपरिवर्तन के चिह्न-कुछ कुछ दयाराम के काव्य में ही लक्षित होते हैं। भक्ति का वह तीव्र भावावेग एवं अनन्य समर्पणमयी निष्ठा जो नरसी और मीरा के काव्य में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होती है उनकी रचनाओं में उस रूप में प्राप्त नहीं होती। उसके स्थान पर मानवीय प्रेम और विलासिता का समावेश हो जाता है यद्यपि बाह्य रूप परंपरागत गोपी-कृष्ण लीलाओं का ही रहता है। इसी संक्रमणकालीन स्थिति को लक्षित करते हुए गुजरात के प्रसिद्ध इतिहासकार-साहित्यकार कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने अपना अभिमत व्यक्त किया कि दयारामनुं भक्तकवियों मां स्थान न थी, प्रणयना अमर कवियोमां छे। यह कथन अत्युक्तिपूर्ण होते हुए भी दयाराम के काव्य की आंतरिक वास्तविकता की ओर स्पष्ट इंगित करता है। .

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नागार्जुन

नागार्जुन (३० जून १९११-५ नवंबर १९९८) हिन्दी और मैथिली के अप्रतिम लेखक और कवि थे। अनेक भाषाओं के ज्ञाता तथा प्रगतिशील विचारधारा के साहित्यकार नागार्जुन ने हिन्दी के अतिरिक्त मैथिली संस्कृत एवं बाङ्ला में मौलिक रचनाएँ भी कीं तथा संस्कृत, मैथिली एवं बाङ्ला से अनुवाद कार्य भी किया। साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित नागार्जुन ने मैथिली में यात्री उपनाम से लिखा तथा यह उपनाम उनके मूल नाम वैद्यनाथ मिश्र के साथ मिलकर एकमेक हो गया। .

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पुरुषोत्तम दास टंडन

पुरूषोत्तम दास टंडन (१ अगस्त १८८२ - १ जुलाई, १९६२) भारत के स्वतन्त्रता सेनानी थे। हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा के पद पर प्रतिष्ठित करवाने में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान था। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था। वे भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के अग्रणी पंक्ति के नेता तो थे ही, समर्पित राजनयिक, हिन्दी के अनन्य सेवक, कर्मठ पत्रकार, तेजस्वी वक्ता और समाज सुधारक भी थे। हिन्दी को भारत की राजभाषा का स्थान दिलवाने के लिए उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान किया। १९५० में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने। उन्हें भारत के राजनैतिक और सामाजिक जीवन में नयी चेतना, नयी लहर, नयी क्रान्ति पैदा करने वाला कर्मयोगी कहा गया। वे जन सामान्य में राजर्षि (संधि विच्छेदः राजा+ऋषि.

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प्रेमचंद

प्रेमचंद (३१ जुलाई १८८० – ८ अक्टूबर १९३६) हिन्दी और उर्दू के महानतम भारतीय लेखकों में से एक हैं। मूल नाम धनपत राय प्रेमचंद को नवाब राय और मुंशी प्रेमचंद के नाम से भी जाना जाता है। उपन्यास के क्षेत्र में उनके योगदान को देखकर बंगाल के विख्यात उपन्यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने उन्हें उपन्यास सम्राट कहकर संबोधित किया था। प्रेमचंद ने हिन्दी कहानी और उपन्यास की एक ऐसी परंपरा का विकास किया जिसने पूरी सदी के साहित्य का मार्गदर्शन किया। आगामी एक पूरी पीढ़ी को गहराई तक प्रभावित कर प्रेमचंद ने साहित्य की यथार्थवादी परंपरा की नींव रखी। उनका लेखन हिन्दी साहित्य की एक ऐसी विरासत है जिसके बिना हिन्दी के विकास का अध्ययन अधूरा होगा। वे एक संवेदनशील लेखक, सचेत नागरिक, कुशल वक्ता तथा सुधी (विद्वान) संपादक थे। बीसवीं शती के पूर्वार्द्ध में, जब हिन्दी में तकनीकी सुविधाओं का अभाव था, उनका योगदान अतुलनीय है। प्रेमचंद के बाद जिन लोगों ने साहित्‍य को सामाजिक सरोकारों और प्रगतिशील मूल्‍यों के साथ आगे बढ़ाने का काम किया, उनमें यशपाल से लेकर मुक्तिबोध तक शामिल हैं। .

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भारतीय संविधान सभा

भारतीय संविधान सभा का पहला दिन (११ दिशम्बर १९४६)। बैठे हुए दाएं से: बी जी खेर, सरदार बल्लभ भाई पटेल, के एम मुंशी और डॉ. भीमराव आंबेडकर भारत की संविधान सभा का चुनाव भारतीय संविधान की रचना के लिए किया गया था। ग्रेट ब्रिटेन से स्वतंत्र होने के बाद संविधान सभा के सदस्य ही प्रथम संसद के सदस्य बने। .

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भारतीय विद्या भवन

भारतीय विद्या भवन भारत का एक शैक्षिक न्यास (ट्रस्ट) है। इसकी स्थापना कन्हैयालाल मुंशी जी ने 7 नवम्बर 1938 को महात्मा गांधी की प्रेरणा से की थी। सरदार वल्लभ भाई पटेल तथा राजगोपालाचारी जैसी महान विभूतियों के सक्रिय योगदान से विद्या भवन गांधी के आदर्शों पर चलते हुए आगे बढ़ता रहा। संस्था ने भारत की संस्कृति का बाहर के देशों में भी प्रचार किया है। सम्प्रति इसके 117 केन्द्र भारत में और 7 विदेशों में हैं। इसके द्वारा 355 संस्थाएँ संचालित हैं। भारतीय विद्या भवन को सन् २००२ में भारत सरकार द्वारा गाँधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। .

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भारतीव विद्या भवन

भारतीय विद्या भवन (Bharatiya Vidya Bhavan) एक शैक्षणिक न्यास (ट्रस्ट) है। इस न्यास द्वारा सैकड़ों प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय संचालित हो रहे हैं। इन विद्यालयों को भारतीय विद्या मन्दिर के नाम से जाना जाता है। ये विद्यालय इस मामले में अन्य विद्यालयों से भिन्न है कि इनमें छात्रों को आधुनिक एवं वैश्विक शिक्षा एवं संस्कार प्रदान करने के साथ-साथ भारत की जड़ों से जुडे रहने वाली शिक्षा भी दी जाती है। सन १९३८ में इसकी स्थापना गांधीजी की प्रेरणा से श्री कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने की थी। इस समय इस न्यास का काम इसके भारत स्थित ११७ केन्द्रों, ७ विदेश स्थित केन्द्रों एवं ३३५ संस्थाओं के माध्यम से चल रहा है। इस समय भारत में इसके लगभग अस्सी तथा विदेशों में लगभग २५ उच्च-माध्यमिक विद्यालय संचालित हैं .

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मनोज टिबड़ेवाल आकाश

मनोज टिबड़ेवाल आकाश (जन्म ३० सितम्बर १९८०) एक भारतीय टीवी एंकर और पत्रकार है, जो दूरदर्शन समाचार से एक दशक तक टेलीविजन न्यूज़ एंकर और वरिष्ठ संवाददाता के रूप में जुड़े रहे। इन्होंने डीडी न्यूज़ पर प्रसारित होने वाले लोकप्रिय टॉक शो, एक मुलाक़ात की मेजबानी की। ये डाइनामाइट न्यूज़ के संस्थापक और प्रधान संपादक है। .

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मालण

मालण गुजराती कवि थे। उन्हे गुजराती साहित्य में आख्यान काव्य का जन्मदाता माना जाता है। अपनी एक कृति में उन्होंने स्वयं लिखा है कि गुजरात की पुराणप्रिय जनता के संतोष के लिये ही गुजराती भाषा में संस्कृत के पौराणिक आख्यानों के लेखन का संकल्प उनके मन में उत्पन्न हुआ। इसके लिये कदाचित् उनका विरोध भी हुआ। मालण के विषय में अन्य उल्लेखनीय बात उनकी अनन्य रामभक्ति है जो उन्हें रामानंदी संप्रदाय के संपर्क से प्राप्त हुई थी। रामभक्त होने से पूर्व वे शैव थे। संस्कृत साहित्य का उन्होंने यथेष्ट परिशीलन किया था। उनके पांडित्य का सर्वोत्कृष्ट प्रमाण कादम्बरी का अनुवाद है जिसे कुछ विद्वान् उनकी श्रेष्ठतम कृति मानते हैं। कवि का वास्तविक मूल्यांकन उसकी मौलिक रचनाओं से ही होता है। तथापि अनुवादकौशल की दृष्टि से कादंबरी की महत्ता निर्विवाद है। राम और कृष्ण के वात्सल्य भाव से युक्त उत्कृष्ट पदों की रचना मालण की और विशेषता है। मालण का समय सामान्यत: सभी गुजराती इतिहासकारों ने १५ वीं शती ई० में माना है तथापि उसे सर्वथा असंदिग्ध नहीं कहा जा सकता। मालण के विशेषज्ञ रा० चु० मोदी ने उन्हें नरसी का समकालीन मानते हुए सं० १४९० से १५७० के बीच स्थापित किया है पर अन्यत्र उनका मृत्यु काल स० १४४५-४६ के लगभग अनुमानित किया गया है। क० मा० मुंशी के अनुसार उनका जीवनकाल सन् १४२६ से १५०० के बीच तथा के० का० शास्त्री के मत से जन्म सं० १५१५-२० के लगभग संभव है। उपलब्ध रूप में कादंबरी की भाषा से इतनी प्राचीनता की संगति नहीं बैठती। मालण कृत दशमस्कंध में प्राप्त होनेवाले कतिपय ब्रजभाषा के पद भी यदि प्रामाणिक हैं, तो मालण को के० का० शास्त्री के अनुसार 'ब्रजभाषा का आदि कवि' सिद्ध करने के स्थान पर समयच्युत करने के पक्ष में ही वे अधिक सहायक प्रतीत होते हैं। मालण और 'हरिलीला षोडस कला' के रचयिता भीम के वेदांतपारंगत गुरु पुरुषोत्तम की एकता सिद्ध करने का प्रयास भी किया गया है, परंतु यह दुरुह कल्पना मात्र लगती है। 'बीजु' 'नलाख्यान' और 'मालणसुत' विष्णुदास रचित 'उत्तर कांड' की तिथियाँ भी असंदिग्ध नहीं है। .

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मुनि जिनविजय

मुनि जिनविजय (१८८८-१९७६) ने अपने जीवनकाल में अनेक अमूल्य ग्रंथों का अध्ययन, संपादन तथा प्रकाशन किया। पुरातत्वचार्य मुनि जिनविजय ने साहित्य तथा संस्कृति के प्रोत्साहन हेतु कई शोध संस्थानों का संस्थापन तथा संचालन किया। भारत सरकार ने आपको पद्मश्री की उपाधि से सम्मानित किया। .

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वन महोत्सव

वन महोत्सव भारत सरकार द्वारा वृक्षारोपण को प्रोत्साहन देने के लिए प्रति वर्ष जुलाई के प्रथम सप्ताह में आयोजित किया जाने वाला एक महोत्सव है। यह १९६० के दशक में पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक परिवेश के प्रति संवेदनशीलता को अभिव्यक्त करने वाला एक आंदोलन था। तत्कालीन कृषि मंत्री कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने इसका सूत्रपात किया था। .

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गुजराती साहित्य

गुजराती भाषा आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं में से एक है और इसका विकास शौरसेनी प्राकृत के परवर्ती रूप 'नागर अपभ्रंश' से हुआ है। गुजराती भाषा का क्षेत्र गुजरात, सौराष्ट्र और कच्छ के अतिरिक्त महाराष्ट्र का सीमावर्ती प्रदेश तथा राजस्थान का दक्षिण पश्चिमी भाग भी है। सौराष्ट्री तथा कच्छी इसकी अन्य प्रमुख बोलियाँ हैं। हेमचंद्र सूरि ने अपने ग्रंथों में जिस अपभ्रंश का संकेत किया है, उसका परवर्ती रूप 'गुर्जर अपभ्रंश' के नाम से प्रसिद्ध है और इसमें अनेक साहित्यिक कृतियाँ मिलती हैं। इस अपभ्रंश का क्षेत्र मूलत: गुजरात और पश्चिमी राजस्थान था और इस दृष्टि से पश्चिमी राजस्थानी अथवा मारवाड़ी, गुजराती भाषा से घनिष्ठतया संबद्ध है। गुजराती साहित्य में दो युग माने जाते हैं-.

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गोविन्द बल्लभ पन्त

नैनीताल में गोविन्द वल्लभ पन्त की प्रतिमा पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त या जी॰बी॰ पन्त (जन्म १० सितम्बर १८८७ - ७ मार्च १९६१) प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी और वरिष्ठ भारतीय राजनेता थे। वे उत्तर प्रदेश राज्य के प्रथम मुख्य मन्त्री और भारत के चौथे गृहमंत्री थे। सन 1957 में उन्हें भारतरत्न से सम्मानित किया गया। गृहमंत्री के रूप में उनका मुख्य योगदान भारत को भाषा के अनुसार राज्यों में विभक्त करना तथा हिन्दी को भारत की राजभाषा के रूप में प्रतिष्ठित करना था। .

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क मुं हिंदी विद्यापीठ आगरा

कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी हिंदी तथा भाषाविज्ञान विद्यापीठ डॉ भीमराव अंबेदकर विश्वविद्यालय, आगरा का प्रतिष्ठित शिक्षण और शोध संस्थान है जो हिंदी भाषा और भाषाविज्ञान के उच्चतर अध्ययन और अनुसंधान के क्षेत्र में उत्तर भारत के सर्वप्रथम संस्थान के रूप में सन 1953 से कार्य कर रहा है। .

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कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी

कन्हैयालाल मुंशी कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी (२९ दिसंबर, १८८७ - ८ फरवरी, १९७१) भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, राजनेता, गुजराती एवं हिन्दी के ख्यातिनाम साहित्यकार तथा शिक्षाविद थे। उन्होने भारतीय विद्या भवन की स्थापना की। .

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अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ

अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक बीसवीं शती के प्रारंभ में भारतीय प्रगतिशील लेखकों का एस समूह था। यह लेखक समूह अपने लेखन से सामाजिक समानता का समर्थक करता था और कुरीतियों अन्याय व पिछड़ेपन का विरोध करता था। इसकी स्थापना १९३५ में लंदन में हुई। इसके प्रणेता सज्जाद ज़हीर थे। १९३५ के अंत तक लंदन से अपनी शिक्षा समाप्त करके सज्जाद ज़हीर भारत लौटे। यहाँ आने से पूर्व वे अलीगढ़ में डॉ॰ अशरफ, इलाहबाद में अहमद अली, मुम्बई में कन्हैया लाल मुंशी, बनारस में प्रेमचंद, कलकत्ता में प्रो॰ हीरन मुखर्जी और अमृतसर में रशीद जहाँ को घोषणापत्र की प्रतियाँ भेज चुके थे। वे भारतीय अतीत की गौरवपूर्ण संस्कृति से उसका मानव प्रेम, उसकी यथार्थ प्रियता और उसका सौन्दर्य तत्व लेने के पक्ष में थे लेकिन वे प्राचीन दौर के अंधविश्वासों और धार्मिक साम्प्रदायिकता के ज़हरीले प्रभाव को समाप्त करना चाहते थे। उनका विचार था कि ये साम्राज्यवाद और जागीरदारी की सैद्धांतिक बुनियादें हैं। इलाहाबाद पहुंचकर सज्जाद ज़हीर अहमद अली से मिले जो विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी के प्रवक्ता थे। अहमद अली ने उन्हें प्रो॰एजाज़ हुसैन, रघुपति सहाय फिराक, एहतिशाम हुसैन तथा विकार अजीम से मिलवाया.

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अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन

अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन, हिन्दी भाषा एवं साहित्य तथा देवनागरी का प्रचार-प्रसार को समर्पित एक प्रमुख सार्वजनिक संस्था है। इसका मुख्यालय प्रयाग (इलाहाबाद) में है जिसमें छापाखाना, पुस्तकालय, संग्रहालय एवं प्रशासनिक भवन हैं। हिंदी साहित्य सम्मेलन ने ही सर्वप्रथम हिंदी लेखकों को प्रोत्साहित करने के लिए उनकी रचनाओं पर पुरस्कारों आदि की योजना चलाई। उसके मंगलाप्रसाद पारितोषिक की हिंदी जगत् में पर्याप्त प्रतिष्ठा है। सम्मेलन द्वारा महिला लेखकों के प्रोत्साहन का भी कार्य हुआ। इसके लिए उसने सेकसरिया महिला पारितोषिक चलाया। सम्मेलन के द्वारा हिंदी की अनेक उच्च कोटि की पाठ्य एवं साहित्यिक पुस्तकों, पारिभाषिक शब्दकोशों एवं संदर्भग्रंथों का भी प्रकाशन हुआ है जिनकी संख्या डेढ़-दो सौ के करीब है। सम्मेलन के हिंदी संग्रहालय में हिंदी की हस्तलिखित पांडुलिपियों का भी संग्रह है। इतिहास के विद्वान् मेजर वामनदास वसु की बहुमूल्य पुस्तकों का संग्रह भी सम्मेलन के संग्रहालय में है, जिसमें पाँच हजार के करीब दुर्लभ पुस्तकें संगृहीत हैं। .

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उत्तर प्रदेश के राज्यपालों की सूची

यह सूची भारतीय उत्तर प्रदेश के राज्यपालों की सूची की है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

गुजरातनो नाथ, कन्हैया लाल मुंशी, कन्हैयालाल मुंशी, के.एम. मुंशी

निवर्तमानआने वाली
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