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कग्यु

सूची कग्यु

कग्यु (Kagyu) या कग्युद (तिब्बती: བཀའ་བརྒྱུད) तिब्बती बौद्ध धर्म के छह मुख्य सम्प्रदायों में से एक है। अन्य पाँच न्यिंगमा, सक्या, जोनंग, गेलुग और बोन हैं। इनमें से सक्या, गेलुग और कग्यु को वज्रयान का नवप्रसार (New Transmission) या सारमा (གསར་མ) कहा जाता है, क्योंकि यह तिब्बत में बौद्ध धर्म के फैलाव की द्वितीय शृंख्ला में उत्पन्न हुए। न्यिंगमा, सक्या और कग्यु लाल टोपी सम्प्रदाय हैं क्योंकि औपचारिक समारोहों पर इनके अनुयायी लाल रंग की टोपियाँ पहनते हैं। कग्यु को गुरु-शिष्य परम्परा और गुरु से शिष्य को व्यक्तिगत सीख देने के लिए जाना जाता है। बहुत से प्रभावशाली कग्यु गुरुओं और उनके द्वारा स्थापित शाखाओं के कारण इतिहास में कग्यु सम्प्रदाय के कई उपसम्प्रदाय बनते चले गए। .

3 संबंधों: लाल टोपी सम्प्रदाय, सक्या, जोनंग

लाल टोपी सम्प्रदाय

लाल टोपी सम्प्रदाय (Red Hat sects) तिब्बती बौद्ध धर्म के वे सम्प्रदाय हैं जिनमें भिक्षु औपचारिक समारोहों में लाल रंग की टोपियाँ पहनते हैं। इस श्रेणी में तीन मुख्य सम्प्रदाय आते हैं.

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सक्या

सक्या (Sakya, तिब्बती: ས་སྐྱ་) तिब्बती बौद्ध धर्म के छह मुख्य सम्प्रदायों में से एक है। अन्य पाँच न्यिंगमा, कग्यु, जोनंग, गेलुग और बोन हैं। इनमें से सक्या, गेलुग और कग्यु को वज्रयान का नवप्रसार (New Transmission) या सारमा (གསར་མ) कहा जाता है, क्योंकि यह तिब्बत में बौद्ध धर्म के फैलाव की द्वितीय शृंख्ला में उत्पन्न हुए। न्यिंगमा, सक्या और कग्यु लाल टोपी सम्प्रदाय हैं क्योंकि औपचारिक समारोहों पर इनके अनुयायी लाल रंग की टोपियाँ पहनते हैं। .

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जोनंग

जोनंग (Jonang, तिब्बती: ཇོ་ནང་) तिब्बती बौद्ध धर्म के छह मुख्य सम्प्रदायों में से एक है। अन्य पाँच न्यिंगमा, कग्यु, सक्या, गेलुग और बोन हैं। इसका आरम्भ तिब्बत में १२वीं शताब्दी में यूमो मिक्यो दोर्जे ने करा और सक्या सम्प्रदाय में शिक्षित दोल्पोपा शेरब ग्याल्त्सेन नामक भिक्षु ने इसका प्रसार करा। १७वीं शताब्दी के अन्तभाग में ५वें दलाई लामा ने इस सम्प्रदाय का विरोध करा था और माना जाता था कि यह विलुप्त हो चुका है। लेकिन यह तिब्बत के खम और अम्दो क्षेत्रों के गोलोक, नाशी और मंगोल समुदायों वाले इलाकों में जीवित रहा और वर्तमान में लगभग ५,००० भिक्षु-भिक्षिका जोनंग धर्मधारा से जुड़े हैं। .

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