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कक्षीय अवधि

सूची कक्षीय अवधि

किसी पिण्ड की कक्षीय अवधि अथवा परिक्रमण काल या संयुति काल उसके द्वारा किसी दूसरे निकाय का एक पूरा चक्कर लगाने में लिया गया समय है। .

20 संबंधों: ऍचडी १०१८०, ऍस२ तारा, ऐजराक (चंद्रमा), तार्केक (चंद्रमा), प्रॉक्सिमा सेन्टॉरी, बुध (ग्रह), ब्लैक होल (काला छिद्र), बृहस्पति (ग्रह), भौतिकी की शब्दावली, मध्य भू कक्षा, मंगल ग्रह, ज्वारबंधन, वर्ष, गैलीलियन चंद्रमा, औसत अनियमितता, कक्षीय राशियाँ, केप्लर के ग्रहीय गति के नियम, उपग्रह, ६७पी/चुरयुमोव-गेरासिमेंको, 3753 क्रुथने

ऍचडी १०१८०

ऍचडी १०१८० तारा ऍचडी १०१८० के ग्रहीय मंडल का काल्पनिक वीडियो चित्रकार की कल्पना से बनी तस्वीर जिसमें ऍचडी १०१८० डी (d) ग्रह से उसका तारा देखा जा रहा है - इसमें ऍचडी १०१८० बी (b) और ऍचडी १०१८० सी (c) भी छोटे-से दूर नज़र आ रहे हैं ऍचडी १०१८० (HD 10180) पृथ्वी से अनुमानित १२७ प्रकाश वर्ष दूर नर जलसर्प तारामंडल के क्षेत्र में स्थित एक G1V श्रेणी का सूर्य-जैसा मुख्य अनुक्रम तारा है। इसके इर्द-गिर्द कम-से-कम ७ ग़ैर-सौरीय ग्रह परिक्रमा करते हुए ज्ञात हुए हैं और सम्भव है कि इन ग्रहों की कुल संख्या ९ भी हो। अभी तक यह सभी ज्ञात ग्रहीय मंडलों में सबसे अधिक ग्रहों वाला मंडल है और इसमें सम्भवतः हमारे सौर मंडल से भी ज़्यादा ग्रह हैं।, Mikko Tuomi, Astronomy & Astrophysics (Journal), 6 अप्रैल 2012 .

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ऍस२ तारा

सोर्स २ (Source 2) या ऍस२ (S2) या ऍस०–२ (S0–2) हमारी गैलेक्सी, क्षीरमार्ग, के केन्द्र में स्थित खगोलीय रेडियो स्रोत धनु ए* के समीप स्थित एक तारा है। खगोलशास्त्री धनु ए* को एक विशालकाय कालाछिद्र मानते हैं और यह तारा उसकी 15.56 ± 0.35 वर्षों की कक्षीय अवधि से परिक्रमा कर रहा है। इसकी कक्षा का अर्ध दीर्घ अक्ष लगभग 970 ख॰इ॰ है और कालेछिद्र से अपकेन्द्र लगभग 17 प्रकाश घंटे है। इसका द्रव्यमान (यानि सौर द्रव्यमान का 14 गुना) अनुमानित करा गया है। परिक्रमा करते हुए इसका चरम वेग ५,००० किमी/सैकंड है, जो प्रकाशगति का १/६० है।। .

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ऐजराक (चंद्रमा)

ऐजराक (Ijiraq), या सेटर्न XXII (22), शनि का छोटा प्रतिगामी अनियमित उपग्रह है। इसकी खोज ब्रेट जे. ग्लैडमेन, जॉन जे. कावेलार्स के दल द्वारा 2000 में हुई थी और उसे अस्थायी पदनाम दिया था। यह 2003 में इनुइट पौराणिक कथाओं के एक जीव ऐजराक पर नामित हुआ था। August 8, 2003 (naming the moon) .

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तार्केक (चंद्रमा)

तार्केक (Tarqeq), जो सेटर्न LII (अस्थायी पदनाम S/2007 S 1) के रूप में भी जाना जाता है, शनि का एक प्राकृतिक उपग्रह है। इसकी खोज की घोषणा 5 जनवरी 2006 और 22 मार्च 2007 के मध्य लिए गए प्रेक्षणों के आधार पर, 13 अप्रैल 2007 को स्कॉट एस शेपर्ड, डेविड सी. जेविट, जान क्लेयना और ब्रायन जी मार्सडेन द्वारा हुई थी। April 13, 2007 (discovery, prediscovery and ephemeris) May 11, 2007 (discovery) यह इनुइट चंद्र देवता तार्केक पर नामित हुआ है, September 20, 2007 (naming) और अनियमित उपग्रहों के इनुइट समूह का एक सदस्य है। व्यास मे यह करीब सात किलोमीटर है। तार्केक की कक्षा 0.1081 की विकेन्द्रता के साथ 49.90° (क्रांतिवृत्त से; 49.77° शनि के विषुववृत्त से) के झुकाव पर स्थित है, और अर्ध्य-मुख्य अक्ष 17.9106 गीगामीटर है। इसकी कक्षीय अवधि 894.86 दिवसों की है। .

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प्रॉक्सिमा सेन्टॉरी

प्रॉक्सिमा सॅन्टौरी या मित्र सी, जिसका बायर नाम α Centauri C या α Cen C है, नरतुरंग तारामंडल में स्थित एक लाल बौना तारा है। हमारे सूरज के बाद, प्रॉक्सिमा सॅन्टौरी हमारी पृथ्वी का सब से नज़दीकी तारा है और हमसे ४.२४ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर है।, Pierre Kervella and Frederic Thevenin, ESO, 15 मार्च 2003 फिर भी प्रॉक्सिमा सॅन्टौरी इतना छोटा है के बिना दूरबीन के देखा नहीं जा सकता।, Govert Schilling, स्प्रिंगर, 2011, ISBN 978-1-4419-7810-3,...

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बुध (ग्रह)

बुध (Mercury), सौरमंडल के आठ ग्रहों में सबसे छोटा और सूर्य से निकटतम है। इसका परिक्रमण काल लगभग 88 दिन है। पृथ्वी से देखने पर, यह अपनी कक्षा के ईर्दगिर्द 116 दिवसो में घूमता नजर आता है जो कि ग्रहों में सबसे तेज है। गर्मी बनाए रखने के लिहाज से इसका वायुमंडल चुंकि करीब करीब नगण्य है, बुध का भूपटल सभी ग्रहों की तुलना में तापमान का सर्वाधिक उतार-चढाव महसूस करता है, जो कि 100 K (−173 °C; −280 °F) रात्रि से लेकर भूमध्य रेखीय क्षेत्रों में दिन के समय 700 K (427 °C; 800 °F) तक है। वहीं ध्रुवों के तापमान स्थायी रूप से 180 K (−93 °C; −136 °F) के नीचे है। बुध के अक्ष का झुकाव सौरमंडल के अन्य किसी भी ग्रह से सबसे कम है (एक डीग्री का करीब), परंतु कक्षीय विकेन्द्रता सर्वाधिक है। बुध ग्रह पर की तुलना में सूर्य से करीब 1.5 गुना ज्यादा दूर होता है। बुध की धरती क्रेटरों से अटी पडी है तथा बिलकुल हमारे चन्द्रमा जैसी नजर आती है, जो इंगित करता है कि यह भूवैज्ञानिक रूप से अरबो वर्षों तक मृतप्राय रहा है। बुध को पृथ्वी जैसे अन्य ग्रहों के समान मौसमों का कोई भी अनुभव नहीं है। यह जकडा हुआ है इसलिए इसके घूर्णन की राह सौरमंडल में अद्वितीय है। किसी स्थिर खडे सितारे के सापेक्ष देखने पर, यह हर दो कक्षीय प्रदक्षिणा के दरम्यान अपनी धूरी के ईर्दगिर्द ठीक तीन बार घूम लेता है। सूर्य की ओर से, किसी ऐसे फ्रेम ऑफ रिफरेंस में जो कक्षीय गति से घूमता है, देखने पर यह हरेक दो बुध वर्षों में मात्र एक बार घूमता नजर आता है। इस कारण बुध ग्रह पर कोई पर्यवेक्षक एक दिवस हरेक दो वर्षों का देखेगा। बुध की कक्षा चुंकि पृथ्वी की कक्षा (शुक्र के भी) के भीतर स्थित है, यह पृथ्वी के आसमान में सुबह में या शाम को दिखाई दे सकता है, परंतु अर्धरात्रि को नहीं। पृथ्वी के सापेक्ष अपनी कक्षा पर सफर करते हुए यह शुक्र और हमारे चन्द्रमा की तरह कलाओं के सभी रुपों का प्रदर्शन करता है। हालांकि बुध ग्रह बहुत उज्जवल वस्तु जैसा दिख सकता है जब इसे पृथ्वी से देख जाए, सूर्य से इसकी निकटता शुक्र की तुलना में इसे देखना और अधिक कठिन बनाता है। .

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ब्लैक होल (काला छिद्र)

बड़े मैग्लेनिक बादल के सामने में एक ब्लैक होल का बनावटी दृश्य। ब्लैक होल स्च्वार्ज़स्चिल्ड त्रिज्या और प्रेक्षक दूरी के बीच का अनुपात 1:9 है। आइंस्टाइन छल्ला नामक गुरुत्वीय लेंसिंग प्रभाव उल्लेखनीय है, जो बादल के दो चमकीले और बड़े परंतु अति विकृत प्रतिबिंबों का निर्माण करता है, अपने कोणीय आकार की तुलना में. सामान्य सापेक्षता (जॅनॅरल रॅलॅटिविटि) में, एक ब्लैक होल ऐसी खगोलीय वस्तु होती है जिसका गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र इतना शक्तिशाली होता है कि प्रकाश सहित कुछ भी इसके खिंचाव से बच नहीं सकता है। ब्लैक होल के चारों ओर एक सीमा होती है जिसे घटना क्षितिज कहा जाता है, जिसमें वस्तुएं गिर तो सकती हैं परन्तु बाहर कुछ भी नहीं आ सकता। इसे "ब्लैक (काला)" इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह अपने ऊपर पड़ने वाले सारे प्रकाश को अवशोषित कर लेता है और कुछ भी परावर्तित नहीं करता, थर्मोडाइनामिक्स (ऊष्मप्रवैगिकी) में ठीक एक आदर्श ब्लैक-बॉडी की तरह। ब्लैक होल का क्वांटम विश्लेषण यह दर्शाता है कि उनमें तापमान और हॉकिंग विकिरण होता है। अपने अदृश्य भीतरी भाग के बावजूद, एक ब्लैक होल अन्य पदार्थों के साथ अन्तः-क्रिया के माध्यम से अपनी उपस्थिति प्रकट कर सकता है। एक ब्लैक होल का पता तारों के उस समूह की गति पर नजर रख कर लगाया जा सकता है जो अन्तरिक्ष के खाली दिखाई देने वाले एक हिस्से का चक्कर लगाते हैं। वैकल्पिक रूप से, एक साथी तारे से आप एक अपेक्षाकृत छोटे ब्लैक होल में गैस को गिरते हुए देख सकते हैं। यह गैस सर्पिल आकार में अन्दर की तरफ आती है, बहुत उच्च तापमान तक गर्म हो कर बड़ी मात्रा में विकिरण छोड़ती है जिसका पता पृथ्वी पर स्थित या पृथ्वी की कक्षा में घूमती दूरबीनों से लगाया जा सकता है। इस तरह के अवलोकनों के परिणाम स्वरूप यह वैज्ञानिक सर्व-सम्मति उभर कर सामने आई है कि, यदि प्रकृति की हमारी समझ पूर्णतया गलत साबित न हो जाये तो, हमारे ब्रह्मांड में ब्लैक होल का अस्तित्व मौजूद है। सैद्धांतिक रूप से, कोई भी मात्रा में तत्त्व (matter) एक ब्लैक होल बन सकता है यदि वह इतनी जगह के भीतर संकुचित हो जाय जिसकी त्रिज्या अपनी समतुल्य स्च्वार्ज्स्चिल्ड त्रिज्या के बराबर हो। इसके अनुसार हमारे सूर्य का द्रव्यमान ३ कि.

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बृहस्पति (ग्रह)

बृहस्पति सूर्य से पांचवाँ और हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। यह एक गैस दानव है जिसका द्रव्यमान सूर्य के हजारवें भाग के बराबर तथा सौरमंडल में मौजूद अन्य सात ग्रहों के कुल द्रव्यमान का ढाई गुना है। बृहस्पति को शनि, अरुण और वरुण के साथ एक गैसीय ग्रह के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इन चारों ग्रहों को बाहरी ग्रहों के रूप में जाना जाता है। यह ग्रह प्राचीन काल से ही खगोलविदों द्वारा जाना जाता रहा है तथा यह अनेकों संस्कृतियों की पौराणिक कथाओं और धार्मिक विश्वासों के साथ जुड़ा हुआ था। रोमन सभ्यता ने अपने देवता जुपिटर के नाम पर इसका नाम रखा था। इसे जब पृथ्वी से देखा गया, बृहस्पति -2.94 के सापेक्ष कांतिमान तक पहुंच सकता है, छाया डालने लायक पर्याप्त उज्जवल, जो इसे चन्द्रमा और शुक्र के बाद आसमान की औसत तृतीय सर्वाधिक चमकीली वस्तु बनाता है। (मंगल ग्रह अपनी कक्षा के कुछ बिंदुओं पर बृहस्पति की चमक से मेल खाता है)। बृहस्पति एक चौथाई हीलियम द्रव्यमान के साथ मुख्य रूप से हाइड्रोजन से बना हुआ है और इसका भारी तत्वों से युक्त एक चट्टानी कोर हो सकता है।अपने तेज घूर्णन के कारण बृहस्पति का आकार एक चपटा उपगोल (भूमध्य रेखा के पास चारों ओर एक मामूली लेकिन ध्यान देने योग्य उभार लिए हुए) है। इसके बाहरी वातावरण में विभिन्न अक्षांशों पर कई पृथक दृश्य पट्टियां नजर आती है जो अपनी सीमाओं के साथ भिन्न भिन्न वातावरण के परिणामस्वरूप बनती है। बृहस्पति के विश्मयकारी 'महान लाल धब्बा' (Great Red Spot), जो कि एक विशाल तूफ़ान है, के अस्तित्व को १७ वीं सदी के बाद तब से ही जान लिया गया था जब इसे पहली बार दूरबीन से देखा गया था। यह ग्रह एक शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र और एक धुंधले ग्रहीय वलय प्रणाली से घिरा हुआ है। बृहस्पति के कम से कम ६४ चन्द्रमा है। इनमें वो चार सबसे बड़े चन्द्रमा भी शामिल है जिसे गेलीलियन चन्द्रमा कहा जाता है जिसे सन् १६१० में पहली बार गैलीलियो गैलिली द्वारा खोजा गया था। गैनिमीड सबसे बड़ा चन्द्रमा है जिसका व्यास बुध ग्रह से भी ज्यादा है। यहाँ चन्द्रमा का तात्पर्य उपग्रह से है। बृहस्पति का अनेक अवसरों पर रोबोटिक अंतरिक्ष यान द्वारा, विशेष रूप से पहले पायोनियर और वॉयजर मिशन के दौरान और बाद में गैलिलियो यान के द्वारा, अन्वेषण किया जाता रहा है। फरवरी २००७ में न्यू होराएज़न्ज़ प्लूटो सहित बृहस्पति की यात्रा करने वाला अंतिम अंतरिक्ष यान था। इस यान की गति बृहस्पति के गुरुत्वाकर्षण का इस्तेमाल कर बढाई गई थी। इस बाहरी ग्रहीय प्रणाली के भविष्य के अन्वेषण के लिए संभवतः अगला लक्ष्य यूरोपा चंद्रमा पर बर्फ से ढके हुए तरल सागर शामिल हैं। .

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भौतिकी की शब्दावली

* ढाँचा (Framework).

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मध्य भू कक्षा

मध्य भू कक्षा (Medium Earth orbit) (MEO), जिसे कभी कभी अंतरमाध्यमिक वृताकार कक्षा (intermediate circular orbit (ICO)) भी कहते हैं, पृथ्वी के वायुमंडल में निम्न भू कक्षा से उपर और भू-स्थिर कक्षा से नीचे का क्षेत्र है जो कि लगभग की ऊंचाई पर स्थित है। इस क्षेत्र में घूम रहे उपग्रहोंं का मुख्य कार्य भ्रमण (नैवीगेशन), संचार और अंतरिक्षीय वायुमंडल का अध्धयन करना होता है। इस कक्षा में सबसे आम ऊँचाई लगभग) की है जिससे १२ घंटों की कक्षीय अवधि बनती है। इस अवधि को जीपीएस के उपग्रहों द्वारा उपयोग होता है। मध्य भू कक्षा में मौजूद अन्य प्रमुख उपग्रहों में हैं ग्लोनास (जिसकी ऊँचाई है) और गैलिलियो (ऊँचाई) उपग्रह नक्षत्र। उत्तर और दक्षिण ध्रुव तक संचार सुविधाएँ पहुँचाने वाले उपग्रहों को भी मध्य भू कक्षा में ही रखा गया है। मिओ उपग्रहों की कक्षीय अवधि २ से २४ घंटों तक की हो सकती है। इस कक्षा में बहुत सारे उपग्रह पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं। .

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मंगल ग्रह

मंगल सौरमंडल में सूर्य से चौथा ग्रह है। पृथ्वी से इसकी आभा रक्तिम दिखती है, जिस वजह से इसे "लाल ग्रह" के नाम से भी जाना जाता है। सौरमंडल के ग्रह दो तरह के होते हैं - "स्थलीय ग्रह" जिनमें ज़मीन होती है और "गैसीय ग्रह" जिनमें अधिकतर गैस ही गैस है। पृथ्वी की तरह, मंगल भी एक स्थलीय धरातल वाला ग्रह है। इसका वातावरण विरल है। इसकी सतह देखने पर चंद्रमा के गर्त और पृथ्वी के ज्वालामुखियों, घाटियों, रेगिस्तान और ध्रुवीय बर्फीली चोटियों की याद दिलाती है। हमारे सौरमंडल का सबसे अधिक ऊँचा पर्वत, ओलम्पस मोन्स मंगल पर ही स्थित है। साथ ही विशालतम कैन्यन वैलेस मैरीनेरिस भी यहीं पर स्थित है। अपनी भौगोलिक विशेषताओं के अलावा, मंगल का घूर्णन काल और मौसमी चक्र पृथ्वी के समान हैं। इस गृह पर जीवन होने की संभावना है। 1965 में मेरिनर ४ के द्वारा की पहली मंगल उडान से पहले तक यह माना जाता था कि ग्रह की सतह पर तरल अवस्था में जल हो सकता है। यह हल्के और गहरे रंग के धब्बों की आवर्तिक सूचनाओं पर आधारित था विशेष तौर पर, ध्रुवीय अक्षांशों, जो लंबे होने पर समुद्र और महाद्वीपों की तरह दिखते हैं, काले striations की व्याख्या कुछ प्रेक्षकों द्वारा पानी की सिंचाई नहरों के रूप में की गयी है। इन् सीधी रेखाओं की मौजूदगी बाद में सिद्ध नहीं हो पायी और ये माना गया कि ये रेखायें मात्र प्रकाशीय भ्रम के अलावा कुछ और नहीं हैं। फिर भी, सौर मंडल के सभी ग्रहों में हमारी पृथ्वी के अलावा, मंगल ग्रह पर जीवन और पानी होने की संभावना सबसे अधिक है। वर्तमान में मंगल ग्रह की परिक्रमा तीन कार्यशील अंतरिक्ष यान मार्स ओडिसी, मार्स एक्सप्रेस और टोही मार्स ओर्बिटर है, यह सौर मंडल में पृथ्वी को छोड़कर किसी भी अन्य ग्रह से अधिक है। मंगल पर दो अन्वेषण रोवर्स (स्पिरिट और् ओप्रुच्युनिटी), लैंडर फ़ीनिक्स, के साथ ही कई निष्क्रिय रोवर्स और लैंडर हैं जो या तो असफल हो गये हैं या उनका अभियान पूरा हो गया है। इनके या इनके पूर्ववर्ती अभियानो द्वारा जुटाये गये भूवैज्ञानिक सबूत इस ओर इंगित करते हैं कि कभी मंगल ग्रह पर बडे़ पैमाने पर पानी की उपस्थिति थी साथ ही इन्होने ये संकेत भी दिये हैं कि हाल के वर्षों में छोटे गर्म पानी के फव्वारे यहाँ फूटे हैं। नासा के मार्स ग्लोबल सर्वेयर की खोजों द्वारा इस बात के प्रमाण मिले हैं कि दक्षिणी ध्रुवीय बर्फीली चोटियाँ घट रही हैं। मंगल के दो चन्द्रमा, फो़बोस और डिमोज़ हैं, जो छोटे और अनियमित आकार के हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि यह 5261 यूरेका के समान, क्षुद्रग्रह है जो मंगल के गुरुत्व के कारण यहाँ फंस गये हैं। मंगल को पृथ्वी से नंगी आँखों से देखा जा सकता है। इसका आभासी परिमाण -2.9, तक पहुँच सकता है और यह् चमक सिर्फ शुक्र, चन्द्रमा और सूर्य के द्वारा ही पार की जा सकती है, यद्यपि अधिकांश समय बृहस्पति, मंगल की तुलना में नंगी आँखों को अधिक उज्जवल दिखाई देता है। .

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ज्वारबंधन

खगोलशास्त्र में ज्वारबंधन (tidal locking, gravitational locking) उस स्थिति को कहते हैं जब अपनी कक्षा (ऑरबिट) में परिक्रमा करती हुई किसी खगोलीय वस्तु और उसके गुरुत्वाकर्षक साथी के बीच कोणीय संवेग (angular momentum) की अदला-बदली नहीं होती। साधारणतः इस स्थिति में वह वस्तु अपने साथी की ओर एक ही मुख रखती है। इसका एक प्रमुख उदाहरण पृथ्वी का चंद्रमा है जो पृथ्वी के साथ ज्वारबंध है और पृथ्वी की तरफ़ उसका एक ही मुख रहता है, जिस कारण से पृथ्वी से उसका केवल एक ही मुख दिखता है और उसका उल्टा मुख देखने के लिए पृथ्वी छोड़कर अंतरिक्ष यान से चंद्रमा के पीछे जाना होता है। .

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वर्ष

एक वर्ष या साल सूर्य की चारों ओर अपनी कक्षा में चलती पृथ्वी की कक्षीय अवधि है। पृथ्वी के अक्षीय झुकाव के कारण, एक वर्ष का कोर्स ऋतुओं के गुजरने को देखता है, और वह चिन्हित होता हैं मौसम में, दिवालोक के घंटों में, और परिणामस्वरूप, वनस्पति और मिट्टी उर्वरता में बदलावों द्वारा। ग्रह के शीतोष्ण और उपध्रुवीय क्षेत्रों में, चार ऋतु आमतौर पर पहचाने जाते हैं: वसंत, ग्रीष्म, शरद और शीत ऋतु। उष्णकटिबन्धीय और उपोष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों में, कई भौगोलिक क्षेत्र परिभाषित मौसम प्रस्तुत नहीं करते हैं; लेकिन मौसमी उष्णकटिबन्ध में, वार्षिक आर्द्र (गीले) और शुष्क (सूखे) ऋतु पहचाने जाते हैं और ट्रैक किए जाते हैं। चालू वर्ष है। एक कालदर्शक वर्ष किसी प्रदत्त कालदर्शक में गिने हुएँ पृथ्वी की कक्षीय अवधि के दिनों की संख्या का अनुमान है। ग्रेगोरियन, या आधुनिक, कालदर्शक, अपने कालदर्शक के रूप में 365 दिनों के एक आम वर्ष या 366 दिनों के अधिवर्ष को प्रस्तुत करता है, जो जूलियन कालदर्शक भी करते हैं; नीचे देखो। .

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गैलीलियन चंद्रमा

गैलीलियन चन्द्रमा (Galilean moons), गैलीलियो गैलीली द्वारा जनवरी 1610 में खोजे गए बृहस्पति के चार चन्द्रमा हैं। वे बृहस्पति के कई चन्द्रमाओं में से सबसे बड़े हैं और वें है: आयो, युरोपा, गेनिमेड और कैलिस्टो। सूर्य और आठ ग्रहों को छोड़कर किसी भी वामन ग्रह से बड़ी त्रिज्या के साथ वें सौरमंडल में सबसे बड़े चंद्रमाओं में से है। तीन भीतरी चांद - गेनीमेड, यूरोपा और आयो एक 1: 2: 4 के कक्षीय अनुनाद में भाग लेते हैं। यह चारों चंद्रमा सन् 1609 और 1610 के बीच किसी समय खोजे गए जब गैलिलियो ने अपनी दूरबीन मे सुधार किया, जिसे उन्हे उन सूदूर आकाशीय पिंडो के प्रेक्षण के योग्य बनाया जिन्हे पहले कभी देखने की संभावना नहीं थी।Galilei, Galileo, Sidereus Nuncius.

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औसत अनियमितता

खगोलीय यांत्रिकी में औसत अनियमितता (mean anomaly) दो-वस्तु समस्या के सन्दर्भ में किसी दीर्घवृत्त कक्षा में परिक्रमा करती वस्तु की स्थिति का अनुमान लगाने के लिये प्रयोग होने वाले एक कोण (ऐंगल) है। यह उस कक्षा के उपकेन्द्र (pericenter) के दृष्टिकोण से दीर्घवृत्त कक्षा में इस वास्तविक वस्तु और ठीक उस के बराबर कक्षीय अवधि की एक काल्पनिक वृत्ताकार कक्षा में स्थित एक काल्पनिक वस्तु के बीच की कोणीय दूरी को कहते हैं। .

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कक्षीय राशियाँ

खगोलशास्त्र और भौतिकी में कक्षीय राशियाँ (Orbital elements) वह प्राचल (पैरामीटर) होते हैं जिन्हें निर्धारित करने से किसी वस्तु की किसी और वस्तु के इर्द-गिर्द करने वाली कक्षा (ऑरबिट) पूरी तरह निर्धारित हो जाती है। किसी भी कक्षा को कई प्राचल के साथ समझा जा सकता है लेकिन कुछ विधियाँ (जिसमें प्रत्येक में छह प्राचल प्रयोग होते हैं) खगोलशास्त्रियों द्वारा आम प्रयोग होती हैं। .

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केप्लर के ग्रहीय गति के नियम

चित्र १: केप्लेर के तीनो नियमों का दो ग्रहीय कक्षाओं के माध्यम से प्रदर्शन (1) कक्षाएँ दीर्घवृत्ताकार हैं एवं उनकी नाभियाँ पहले ग्रह के लिये (focal points) ''ƒ''1 and ''ƒ''2 पर हैं तथा दूसरे ग्रह के लिये ''ƒ''1 and ''ƒ''3 पर हैं। सूर्य नाभिक बिन्दु ''ƒ''1 पर स्थित है। (2) ग्रह (१) के लिये दोनो छायांकित (shaded) सेक्टर ''A''1 and ''A''2 का क्षेत्रफल समान है तथा ग्रह (१) के लिये सेगमेन्ट ''A''1 को पार करने में लगा समय उतना ही है जितना सेगमेन्ट ''A''2 को पार करने में लगता है। (3) ग्रह (१) एवं ग्रह (२) को अपनी-अपनी कक्षा की परिक्रमा करने में लगे कुल समय ''a''13/2: ''a''23/2 के अनुपात में हैं। खगोल विज्ञान में केप्लर के ग्रहीय गति के तीन नियम इस प्रकार हैं -.

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उपग्रह

ERS 2) अन्तरिक्ष उड़ान (spaceflight) के संदर्भ में, उपग्रह एक वस्तु है जिसे मानव (USA 193) .

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६७पी/चुरयुमोव-गेरासिमेंको

६७पी/चुरयुमोव​-गेरासिमेंको बृहस्पति-परिवार का एक धूमकेतु है। ये मूल रूप से काइपर घेरे से है। इसकी कक्षीय अवधि 6.45 वर्ष, घूर्णन काल लगभग 12.4 घंटे और अधिकतम गति 135,000 किलोमीटर प्रति घंटा (38 किलोमीटर प्रति सेकंड) है। ये यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के रोसेटा मिशन का गंतव्य था। श्रेणी:धूमकेतु.

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3753 क्रुथने

1:1 का कक्षीय अनुनाद होने के कारण क्रुथने और पृथ्वी एक दूसरे का पीछा करते हूए प्रतित होते है। पृथ्वी के नजरिए से देखे तो क्रुथने की कक्षा मुंगफल्ली का आकार बनाती हुई नजर आती है। 3753 क्रुथने (3753 Cruithne) (अंग्रेजी: /ˈkruəθnɪ/ or), सूर्य के ईर्दगिर्द की कक्षा मे एक क्षुद्रग्रह है। पृथ्वी के साथ इसका 1:1 का कक्षीय अनुनाद है। इसे गलत रूप में "पृथ्वी का दूसरा चांद" भी कहा गया है।For instance, on the British television show Q.I. (Season 1; aired 11 Sept 2003).

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

परिक्रमण काल, संयुति काल

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