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ऑपरेशन पोलो

सूची ऑपरेशन पोलो

ऑपरेशन पोलो सितम्बर 1948 को भारतीय सेना के गुप्त ऑपरेशन का नाम था जिसमें हैदराबाद के आखिरी निजाम को सत्ता से अपदस्त कर दिया गया और हैदराबाद को भारत का हिस्सा बना लिया गया। ध्यातव्य है कि भारत की स्वतंत्रता के बाद जब भारतीय संघ का गठन हो रहा था, हैदराबाद के निजाम ने भारत के बीच में होते हुए भी स्वतंत्र देश रहने की ही कवायत शुरू की थी। विभाजन के दौरान हैदराबाद भी उन शाही घरानो में से था जिन्हे पूर्ण आजादी दी गई थी हालाँकि 1948 में उनके पास दो ही विकल्प बचे थे भारत या पाकिस्तान में शामिल होना। ज्यादातर हिन्दू आबादी वाले राज्य के मुस्लिम शासक और आखिरी निजाम ओस्मान अली खान ने आजाद रहने फैसला किया और अपने साधारण सेना के बल पर राज करने का फैसला किया। निजाम ने ज्यादातर मुस्लिम सैनिको वाली राज़करास सेना बनाई। भारत सरकार उत्सुकता से हैदराबाद की तरफ देख रही थी और सोच रही थी की हैदराबाद के निजाम खुद भारत संघ में सम्मिलित हो जायेंगे। लेकिन राज़करास सेना की दुर्दांतता के कारण सरदार पटेल ने हैदराबाद को जबरदस्ती कब्जाने का फैसला किया था। सरदार पटेल ने ये काम पुलिस के द्वारा किया जिसमे सिर्फ पांच दिन लगे राज़करास की मुस्लिम सेना आसानी से हार गई। अभियान के दौरान व्यापक तौर पर जातिगत हिंसा हुई थी, अभियान समाप्ति के बाद नेहरू ने इसपे जाँच के लिए एक कमिटी बनाई थी जिसकी रिपोर्ट साल 2014 सार्वजनिक हुई। अर्थात रिपोर्ट को जारी ही नहीं किया गया था, रिपोर्ट बनाने के लिए सुन्दरलाल कमिटी बानी थी, रिपोर्ट के मुताबिक इस अभियान में 27 से 40 हजार जाने गई थी हालाँकि जानकार ये आंकड़ा दो लाख से भी ज्यादा बताते हैं। मुस्लिम लीग के निर्माता जिन्ना के प्रभाव में हैदराबाद के निजाम नवाब बहादुर जंग ने लोकतंत्र को नहीं माना था, नवाब ने काज़मी रज्मी को जो की एमआईएम (मजलिसे एत्तहुड मुस्लिमीन) का प्रमुख लीडर था ने राजकारस सेना बनाई थी जो करीब दो लाख क तादात में थी। मुस्लिम आबादी बढ़ने के लिए उसने हैदराबाद में लूटपाट मचा दी थी, जबरन इस्लाम हिन्दू औरतो के रेप सामूहिक हत्याकांड करने शुरू कर दिए थे। क्योंकि हिन्दू हैदराबाद को भारत में चाहते हे मीरपुर नौखालिया नरसंहार (मुसलमानों ने किया हिन्दुओ पे) उनके जहाँ में थे। पांच हजार से ज्यादा हिन्दुओ को राजकारस मार चुके थे जो की आधिकारिक आंकड़े है, हैदराबाद के निजाम को पाकिस्तान से म्यांमार के रास्ते लगातार हथियार और पैसे की मदद मिल रही थी। ऑस्ट्रेलिया की कंपनी भी उन्हें हथियार सप्लाई कर रही थी, तब पटेल ने तय किया की इस तरह तो हैदराबाद भारत के दिल में नासूर बन जायेगा और तब आर्मी ऑपरेशन पोलो को प्लान किया गया। कहा जाता है कि ऑपरेशन के बाद में हर जगह सेना ने मुसलमानों को शिनाख्त कर कर के मौत के घाट उत्तर दिया था। इसीलिए आज तक ये रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई चुनावो से पहले कांग्रेस ने साम्प्रदायिक फायदा उठाने के लिए शायद इसको बहार निकला था। .

4 संबंधों: भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन, भारतीय सैन्य अभियान, हैदराबाद मुक्ति संग्राम, आन्ध्र प्रदेश

भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन

* भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय आह्वानों, उत्तेजनाओं एवं प्रयत्नों से प्रेरित, भारतीय राजनैतिक संगठनों द्वारा संचालित अहिंसावादी और सैन्यवादी आन्दोलन था, जिनका एक समान उद्देश्य, अंग्रेजी शासन को भारतीय उपमहाद्वीप से जड़ से उखाड़ फेंकना था। इस आन्दोलन की शुरुआत १८५७ में हुए सिपाही विद्रोह को माना जाता है। स्वाधीनता के लिए हजारों लोगों ने अपने प्राणों की बलि दी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने १९३० कांग्रेस अधिवेशन में अंग्रेजो से पूर्ण स्वराज की मांग की थी। .

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भारतीय सैन्य अभियान

भारतीय सशस्त्र बल, भारत गणराज्य की थलसेना,वायुसेना,नौसेना, तटरक्षक बल और विभिन्न अन्य अंतर-सेवा संस्थाओं का समग्र एकीकृत सैन्यरूप है। भारत के राष्ट्रपति इसके कमांडर-इन-चीफ के रूप में कार्य करते हैं। 13,25,000 सक्रिय कर्मियों की अनुमानित कुल संख्या के साथ भारत की दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी सशस्त्र सेना है। .

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हैदराबाद मुक्ति संग्राम

हैदराबाद राज्य, ब्रिटिश भारत की रियासत थी। इसमें वर्तमान तेलंगाना, मराठवाडा, उत्तर कर्नाटक, विदर्भ के कुछ भाग सम्मिलित थे। सन् १७२४ से सन् १९४८ तक निजाम हैदराबाद राज्य के शासक थे। स्वतंत्रता सेनानियों के प्रदीर्घ हैदराबाद मुक्ति संग्राम के उपरान्त १९४८ में भारत सरकार द्वारा निजाम शासन के विरुद्ध पुलीस कारवाई करके हैदराबाद को भारत में समाहित कर लिया गया। 17 सितम्बर 1948 का दिन भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में वास्तव में एक निर्णायक मोड़ था। हैदराबाद की जनता की सामूहिक इच्छा-शक्ति ने न केवल इस क्षेत्र को एक स्वतंत्र देश बनाने हेतु निजाम के प्रयासों को निष्फल कर दिया बल्कि इस प्रांत को भारत संघ में मिलाने का भी निश्चय किया। जब 15 अगस्त 1947 को पूरा भारत स्वतंत्रता दिवस मना रहा था तो निजाम के राजसी शासन के लोग हैदराबाद राज्य को भारत में मिलाने की मांग करने पर अत्याचार और दमन का सामना कर रहे थे। हैदराबाद की जनता ने निजाम और उसकी निजी सेना 'रजाकारों' की क्रूरता से निडर होकर अपनी आजादी के लिए पूरे जोश से लड़ाई जारी रखी। भारत के तत्कालीन गृहमंत्री एवं 'लौह पुरूष' सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा पुलिस कार्रवाई करने हेतु लिए गए साहसिक निर्णय ने निजाम को 17 सितम्बर 1948 को आत्म-समर्पण करने और भारत संघ में सम्मिलित होने पर मजबूर कर दिया। इस कार्यवाई को 'आपरेशन पोलो' नाम दिया गया था। इसलिए शेष भारत को अंग्रेजी शासन से स्वतंत्रता मिलने के बाद हैदराबाद की जनता को अपनी आजादी के लिए 13 महीने और 2 दिन संघर्ष करना पड़ा था। यदि निजाम को उसके षड़यंत्र में सफल होने दिया जाता तो भारत का नक्शा वह नहीं होता जो आज है। .

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आन्ध्र प्रदेश

आन्ध्र प्रदेश ఆంధ్ర ప్రదేశ్(अनुवाद: आन्ध्र का प्रांत), संक्षिप्त आं.प्र., भारत के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित राज्य है। क्षेत्र के अनुसार यह भारत का चौथा सबसे बड़ा और जनसंख्या की दृष्टि से आठवां सबसे बड़ा राज्य है। इसकी राजधानी और सबसे बड़ा शहर हैदराबाद है। भारत के सभी राज्यों में सबसे लंबा समुद्र तट गुजरात में (1600 कि॰मी॰) होते हुए, दूसरे स्थान पर इस राज्य का समुद्र तट (972 कि॰मी॰) है। हैदराबाद केवल दस साल के लिये राजधानी रहेगी, तब तक अमरावती शहर को राजधानी का रूप दे दिया जायेगा। आन्ध्र प्रदेश 12°41' तथा 22°उ॰ अक्षांश और 77° तथा 84°40'पू॰ देशांतर रेखांश के बीच है और उत्तर में महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा, पूर्व में बंगाल की खाड़ी, दक्षिण में तमिल नाडु और पश्चिम में कर्नाटक से घिरा हुआ है। ऐतिहासिक रूप से आन्ध्र प्रदेश को "भारत का धान का कटोरा" कहा जाता है। यहाँ की फसल का 77% से ज़्यादा हिस्सा चावल है। इस राज्य में दो प्रमुख नदियाँ, गोदावरी और कृष्णा बहती हैं। पुदु्चेरी (पांडीचेरी) राज्य के यानम जिले का छोटा अंतःक्षेत्र (12 वर्ग मील (30 वर्ग कि॰मी॰)) इस राज्य के उत्तरी-पूर्व में स्थित गोदावरी डेल्टा में है। ऐतिहासिक दृष्टि से राज्य में शामिल क्षेत्र आन्ध्रपथ, आन्ध्रदेस, आन्ध्रवाणी और आन्ध्र विषय के रूप में जाना जाता था। आन्ध्र राज्य से आन्ध्र प्रदेश का गठन 1 नवम्बर 1956 को किया गया। फरवरी 2014 को भारतीय संसद ने अलग तेलंगाना राज्य को मंजूरी दे दी। तेलंगाना राज्य में दस जिले तथा शेष आन्ध्र प्रदेश (सीमांन्ध्र) में 13 जिले होंगे। दस साल तक हैदराबाद दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी होगी। नया राज्य सीमांन्ध्र दो-तीन महीने में अस्तित्व में आजाएगा अब लोकसभा/राज्यसभा का 25/12सिट आन्ध्र में और लोकसभा/राज्यसभा17/8 सिट तेलंगाना में होगा। इसी माह आन्ध्र प्रदेश में राष्ट्रपति शासन भी लागू हो गया जो कि राज्य के बटवारे तक लागू रहेगा। .

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