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एरियन 5

सूची एरियन 5

एरियन 5 (Ariane 5) एक यूरोपीय प्रक्षेपण यान रॉकेट है। यह एरियन रॉकेट परिवार का हिस्सा है। एरियन-5 रॉकेट यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) और सिनेस के अधिकार के तहत निर्मित किये जाते हैं। एयरबस रक्षा और अंतरिक्ष एरियन 5 के लिए मुख्य ठेकेदार है। एरियन-5 का संचालन और व्यापार एरियन स्पेस द्वारा किया जाता है। एयरबस रक्षा और अंतरिक्ष यूरोप में रॉकेट बनाता है। तथा एरियन स्पेस उन्हें फ्रेंच गुयाना में गुयाना अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपण करता है। .

20 संबंधों: एच-2बी, एरियन (रॉकेट परिवार), बंगबंधु-1, बेपिकोलम्बो, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, मंगल ग्रह के मिशन की सूची, लांग मार्च 5, जीसैट, जीसैट-10, जीसैट-11, जीसैट-15, जीसैट-16, जीसैट-17, जीसैट-18, जीसैट-7, जीसैट-7ए, जीसैट-8, इनसैट-3ए, इनसैट-3ई, कक्षीय लांच प्रणालियों की तुलना

एच-2बी

एच-2बी (H-IIB या H2B) एक उपभोजित प्रक्षेपण प्रणाली है। जिसका इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए एच-II हस्तांतरण वाहन (HTV, या Kounotori) लॉन्च करने में किया जाता है। एच-2बी रॉकेट तरल बूस्टर के साथ ठोस ईंधन का बाना हैं। यह् जापान में तानेगाशिमा अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जाता है।.

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एरियन (रॉकेट परिवार)

एरियन (Ariane) अंतरिक्ष प्रक्षेपण में इस्तेमाल के लिए एक यूरोपीय नागरिक उपभोजित प्रक्षेपण वाहन की एक श्रृंखला है। इसका नाम पौराणिक चरित्र एरियाडन के फ्रेंच वर्तनी से आता है। फ्रांस ने पहला एरियन परियोजना का प्रस्ताव रखा। और इसे आधिकारिक तौर पर 1973 के अंत तक फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन के बीच विचार विमर्श के बाद इस पर सहमति हुई। एरियनस्पेस फ्रेंच गयाना में कौरू के गयाना अंतरिक्ष केंद्र से एरियन रॉकेट प्रक्षेपण करता है। .

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बंगबंधु-1

बांगबंधु-1 या बीडी-1 (Bangabandhu-1 or BD) पहला बांग्लादेशी भू-स्थिर संचार उपग्रह है। इसे 11 मई, 2018 को लॉन्च किया गया था। इस परियोजना को बांग्लादेश दूरसंचार नियामक आयोग (बीटीआरसी) द्वारा कार्यान्वित की जा रही है और इसे फाल्कन 9 ब्लॉक 5 रॉकेट द्वारा लॉन्च किया है। .

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बेपिकोलम्बो

बेपिकोलम्बो बुध ग्रह के लिए यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ईएसए) और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जाक्सा) का एक संयुक्त अभियान है। किसी कारणवश यह 2015 मेंप्रक्षेपित होगा। अभियान अभी भी योजना चरण में है इसलिए आगामी कुछ वर्षो के उपरांत वर्तमान विवरण में बदलाव हो सकता है। बजट की कमी और तकनीकी कठिनाइयों के कारण, मिशन के लैंडर भाग, बुध के भूतल तत्व (एमएसई) को रद्द कर दिया गया था। .

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, (संक्षेप में- इसरो) (Indian Space Research Organisation, ISRO) भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान है जिसका मुख्यालय बेंगलुरू कर्नाटक में है। संस्थान में लगभग सत्रह हजार कर्मचारी एवं वैज्ञानिक कार्यरत हैं। संस्थान का मुख्य कार्य भारत के लिये अंतरिक्ष संबधी तकनीक उपलब्ध करवाना है। अन्तरिक्ष कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्यों में उपग्रहों, प्रमोचक यानों, परिज्ञापी राकेटों और भू-प्रणालियों का विकास शामिल है। 1969 में स्थापित, इसरो अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए तत्कालीन भारतीय राष्ट्रीय समिति (INCOSPAR) स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और उनके करीबी सहयोगी और वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के प्रयासों से 1962 में स्थापित किया गया। भारत का पहला उपग्रह, आर्यभट्ट, जो 19 अप्रैल 1975 सोवियत संघ द्वारा शुरू किया गया था यह गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया था बनाया।इसने 5 दिन बाद काम करना बंद कर दिया था। लेकिन ये अपने आप में भारत के लिये एक बड़ी उपलब्धि थी। 7 जून 1979 को भारत ने दूसरा उपग्रह भास्कर 445 किलो का था, पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया। 1980 में रोहिणी उपग्रह पहला भारतीय-निर्मित प्रक्षेपण यान एसएलवी -3 बन गया जिस्से कक्षा में स्थापित किया गया। इसरो ने बाद में दो अन्य रॉकेट विकसित किये। ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान उपग्रहों शुरू करने के लिए ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी),भूस्थिर कक्षा में उपग्रहों को रखने के लिए ध्रुवीय कक्षाओं और भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान। ये रॉकेट कई संचार उपग्रहों और पृथ्वी अवलोकन गगन और आईआरएनएसएस तरह सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम तैनात किया उपग्रह का शुभारंभ किया।जनवरी 2014 में इसरो सफलतापूर्वक जीसैट -14 का एक जीएसएलवी-डी 5 प्रक्षेपण में एक स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल किया गया। इसरो के वर्तमान निदेशक ए एस किरण कुमार हैं। आज भारत न सिर्फ अपने अंतरिक्ष संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम है बल्कि दुनिया के बहुत से देशों को अपनी अंतरिक्ष क्षमता से व्यापारिक और अन्य स्तरों पर सहयोग कर रहा है। इसरो एक चंद्रमा की परिक्रमा, चंद्रयान -1 भेजा, 22 अक्टूबर 2008 और एक मंगल ग्रह की परिक्रमा, मंगलयान (मंगल आर्बिटर मिशन) है, जो सफलतापूर्वक मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश पर 24 सितंबर 2014 को भारत ने अपने पहले ही प्रयास में सफल होने के लिए पहला राष्ट्र बना। दुनिया के साथ ही एशिया में पहली बार अंतरिक्ष एजेंसी में एजेंसी को सफलतापूर्वक मंगल ग्रह की कक्षा तक पहुंचने के लिए इसरो चौथे स्थान पर रहा। भविष्य की योजनाओं मे शामिल जीएसएलवी एमके III के विकास (भारी उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए) ULV, एक पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान, मानव अंतरिक्ष, आगे चंद्र अन्वेषण, ग्रहों के बीच जांच, एक सौर मिशन अंतरिक्ष यान के विकास आदि। इसरो को शांति, निरस्त्रीकरण और विकास के लिए साल 2014 के इंदिरा गांधी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मंगलयान के सफल प्रक्षेपण के लगभग एक वर्ष बाद इसने 29 सितंबर 2015 को एस्ट्रोसैट के रूप में भारत की पहली अंतरिक्ष वेधशाला स्थापित किया। जून 2016 तक इसरो लगभग 20 अलग-अलग देशों के 57 उपग्रहों को लॉन्च कर चुका है, और इसके द्वारा उसने अब तक 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर कमाए हैं।http://khabar.ndtv.com/news/file-facts/in-record-launch-isro-flies-20-satellites-into-space-10-facts-1421899?pfrom.

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मंगल ग्रह के मिशन की सूची

| सोवियत संघ | आर्बिटर | | Failed to orbit | Proton-K/D |- | मैरीनर 7 | 27 March 1969 | नासासंयुक्त राज्य अमेरिका | फ्लाइब्य | | | Atlas SLV-3C Centaur-D |- | 2M No.522 | 2 April 1969 | सोवियत संघ | आर्बिटर | | Failed to orbit | Proton-K/D |- | मैरीनर 8 | 9 May 1971 | नासासंयुक्त राज्य अमेरिका | आर्बिटर | | Failed to orbit | Atlas SLV-3C Centaur-D |- | Kosmos 419(3MS No.170) | 10 May 1971 | सोवियत संघ | आर्बिटर | | Never left LEO; upper stage burn timer set incorrectly | Proton-K/D |- | मैरीनर 9 | 30 May 1971 | नासासंयुक्त राज्य अमेरिका | आर्बिटर | | Entered orbit on 14 November 1971, deactivated 516 days after entering orbit | Atlas SLV-3C Centaur-D |- | मंगल 2(4M No.171) | 19 May 1971 | सोवियत संघ | आर्बिटर | | Entered orbit 27 November 1971, operated for 362 orbits.

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लांग मार्च 5

लांग मार्च 5 (Long March 5 या Changzheng-5) चीन का भारी कक्षीय प्रक्षेपण यान रॉकेट है। इसका विकास चीन अंतरिक्ष प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी अकादमी द्वारा किया गया है। यह चीन का पहला ऐसा राकेट है। जिसमे नए तरह का तरल ईधन का प्रयोग किया गया है। वर्तमान में, दो लांग मार्च 5 वाहन को अलग अलग अभियानों के लिए बनाया जा रहा है। लांग मार्च 5 पृथ्वी की निचली कक्षा में 25000 किलोग्राम तथा भू-स्थिर स्थानान्तरण कक्षा में 14000 किलोग्राम तक लांच कर सकता है। यह अमेरिका के डेल्टा IV हैवी की टक्कर का एक भारी कक्षीय प्रक्षेपण यान रॉकेट है। यह अमेरिका और चीन के रॉकेट के बीच संतुलन का कार्य भी करेगा। इसकी प्रथम उड़ान 3 नवंबर 2016, 12:43 यूटीसी को हैनान द्वीप के वेनचांग उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र से हुई। जो सफल रही। .

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जीसैट

जीसैट उपग्रह, भारत की स्वदेशी रूप से विकसित संचार उपग्रहों की तकनीक है जो डिजिटल ऑडियो, डेटा और वीडियो के प्रसारण के लिए प्रयोग की जाती है। नवंबर 2015 तक, 13 जीसैट उपग्रहों को इसरो द्वारा प्रक्षेपित किया जा चुका है। .

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जीसैट-10

जीसैट-10 (GSAT-10) एक भारतीय संचार उपग्रह है। जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा विकसित किया गया है। यह अपने साथ 12 केयू-बैंड, 12 सी-बैंड, 6 कम विस्तारित सी-बैंड और गगन के लिए नेविगेशन पेलोड ले गया है। इसका प्रक्षेपण 29 सितंबर 2012 को गुयाना अंतरिक्ष केंद्र, फ्रांस से हुआ था। .

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जीसैट-11

जीसैट-11 (GSAT-11) एक भारतीय संचार उपग्रह है। जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा विकसित तथा भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह द्वारा संचालित किया जायेगा। यह उपग्रह देश में उन्नत दूरसंचार और डीटीएच सेवाएं प्रदान करेगा। जीसैट-11 पूरे देश के लिए प्रति सेकंड 10 गीगाबाइट की गति से डाटा संचारित कर सकता है। इसका प्रक्षेपण एरियन 5 राकेट से 2017 को गयाना अंतरिक्ष केंद्र, फ्रांस से होना है। .

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जीसैट-15

जीसैट-15 (GSAT-15) एक भारतीय संचार उपग्रह है। जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा विकसित किया गया है। यह अपने साथ 24 केयू-बैंड ले गया है। जीसैट-15 उपग्रह जीसैट-10 के सामान है। इसका प्रक्षेपण 10 नवंबर 2015, 21:34:07 यु.टी.सी को गयाना अंतरिक्ष केंद्र, फ्रांस से हुआ था। .

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जीसैट-16

जीसैट-16 (GSAT-16) एक भारतीय संचार उपग्रह है। जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा विकसित किया गया है। यह अपने साथ 12 केयू-बैंड, 24 सी-बैंड और 12 विस्तृत सी-बैंड ले गया है। इसका प्रक्षेपण 6 दिसंबर 2014, 20:40 यु.टी.सी को गयाना अंतरिक्ष केंद्र, फ्रांस से हुआ था। .

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जीसैट-17

जीसैट-17 (GSAT-17) एक भारतीय संचार उपग्रह है। जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा विकसित तथा भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह द्वारा संचालित किया जायेगा। यह अपने साथ 24 सी बैंड, 2 निम्न सी बैंड, 12 ऊपरी सी बैंड, 2 सीxएस बैंड, 2 एसxसी बैंड, 1 डीआरटी और खोज एवं बचाव पेलोड ले जायेगा। इसका प्रक्षेपण 2016-17 की समय सीमा में गयाना अंतरिक्ष केंद्र, फ्रांस से होना है। .

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जीसैट-18

जीसैट-18 (GSAT-18) एक भारतीय संचार उपग्रह है। जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा विकसित तथा भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह द्वारा संचालित किया जायेगा। यह अपने साथ 24 सी बैंड, 12 विस्तृत सी बैंड, 12 केयू बैंड, 2 केयू प्रकाश स्तम्भ ले जायेगा। इसका प्रक्षेपण एरियन 5 रॉकेट द्वारा 5 अक्टूबर 2016 20:30 को गयाना अंतरिक्ष केंद्र, फ्रांस से हुआ। .

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जीसैट-7

जीसैट-7 (GSAT-7) या इनसैट-4एफ (INSAT-4F) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा विकसित एक बहु बैंड उपग्रह है। भारतीय नौसेना देश में निर्मित बहु बैंड संचार अंतरिक्ष यान की उपयोगकर्ता है। जो सितंबर 2013 से परिचालन में है। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, उपग्रह भारतीय नौसेना को नयी क्षमताओं को हासिल करने के लिए सहायता करेगा। और विदेशी उपग्रह से जो संचार के लिए इस्तेमाल होते हैं उनसे मुक्ति दिलायेगा। इसका प्रक्षेपण 7 नवंबर 2013, 23:12:49 यु.टी.सी को गयाना अंतरिक्ष केंद्र, फ्रांस से हुआ था। .

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जीसैट-7ए

जीसैट-7ए (GSAT-7A) भारतीय वायु सेना के लिए एक उन्नत संचार उपग्रह है। यह वर्तमान में इसरो उपग्रह केंद्र में विकसित किया जा रहा है। जीसैट-7ए भारतीय नौसेना के जीसैट-7 उपग्रह के समान होगा। भारतीय वायु सेना इसकी एकमात्र ऑपरेटर होगी। जीसैट-7ए भारतीय वायु सेना के लिए अलग-अलग जमीन राडार स्टेशन को जोड़ने में सक्षम होगा। .

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जीसैट-8

जीसैट-8 (GSAT-8) एक भारतीय संचार उपग्रह है। जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा विकसित किया गया है। यह अपने साथ 24 केयू-बैंड ले गया है। इसका प्रक्षेपण 20 मई 2011, 20:38 यु.टी.सी को गुयाना अंतरिक्ष केंद्र, फ्रांस से हुआ था। .

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इनसैट-3ए

इनसैट-3ए (INSAT-3A) इसरो द्वारा निर्मित एक बहुउद्देशीय उपग्रह है जिसे अप्रैल 2003 में एरियान द्वारा लॉंच किया गया था। यह 93.5 डिग्री पूर्वी देशांतर पर स्थित है। यह इनसैट-3बी और इनसैट-3सी के बाद इन्सैट-3 श्रृंखला में तीसरा उपग्रह है। यह उपग्रह 5.3 करोड़ डॉलर की लागत से निर्मित हुआ था। यह संचार, मौसम, और खोज और बचाव सेवाएं प्रदान करता है .

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इनसैट-3ई

इनसैट-3ई (INSAT-3E) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा निर्मित एक अप्रचलित संचार उपग्रह है। यह 28 सितंबर, 2003 को फ्रेंच स्पेस एजेंसी के स्पेसपोर्ट फ्रेंच गयाना से एरियन 5 रॉकेट पर लांच किया गया था। सैटेलाइट का प्रक्षेपण वजन 2750 किलोग्राम का था। यह इसरो के इनसैट-3 श्रृंखला में लांच किया गया चौथा उपग्रह है। यह उच्च गति संचार, टेलीविजन, वीएसएटी और टेली-शिक्षा सेवाएं प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया था और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था। अप्रैल 2014 में, लांच होने के लगभग 11 साल बाद उपग्रह ऑक्सीडिजर से बाहर हो गया और कुछ दिन बाद इसरो ने इसे निष्क्रिय कर दिया। कुछ दिनों के समय के बाद यह एक अनुउपयोगी कक्षा में ले चला गया।http://www.thehindu.com/sci-tech/technology/after-10-years-in-orbit-insat3e-expires/article5859974.ece .

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कक्षीय लांच प्रणालियों की तुलना

यह एक कक्षीय लांच प्रणालियों की तुलना (Comparison of orbital launch systems) है। यह निम्नलिखित पारंपरिक कक्षीय लांच सिस्टम की पूरी सूची उजागर है। पारंपरिक लांचर परिवारों की सरल छोटी सूची के लिए देखें: कक्षीय लांचर परिवारों की तुलना। तालिका में कक्षा संक्षिप्त रूपों के लिए लीजेंड.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

एरियान 5, एरियान-5

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