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ऊँचाई

सूची ऊँचाई

ऊँचाई (अंग्रेज़ी: Elavation) वह माप है जो किसी धरातलीय बिंदु की (स्थान की) किसी सन्दर्भ तल से ऊर्ध्वाधर दूरी या ऊँचाई बताती है; जिसमें सन्दर्भ तल बहुधा समुद्र तल अथवा ज्योइड (Geoid) होता है। ज्योइड एक तरह की काल्पनिक आकृति है जो समुद्री जल की औसत सतह से निर्मित मानी जाती है और साथ ही महाद्वीपीय भागों में भी इस सतह के विस्तार को प्रकल्पित कर लिया जाता है। चूँकि अलग-अलग जगहों पर गुरुत्वाकर्षण बल में भूपर्पटी की चट्टानों की सघनता में भिन्नता के कारण कुछ-न-कुछ अंतर पाया जाता है, प्रत्येक जगह पर इस ज्योइडल सतह या समुद्र तल की पृथ्वी के केन्द्र से दूरी एक सामान नहीं होती। इसी लिये प्रत्येक देश अपने सर्वेक्षणों के लिये किसी एक निश्चित जगह के समुद्र तट पर स्थित बिंदु के समुद्र तल को सन्दर्भ तल मान कर ऊंचाईयों की गणना करता है। भारत में ऊँचाइयाँ मद्रास (अब चेन्नई) के समुद्र तट से मापी जातीं रही हैं और यहीं से ग्रेट आर्क सर्वे आरम्भ हुआ था। अब भारत की ऊँचाइयाँ एवरेस्ट-1930 सन्दर्भ तल से मापी जाती हैं जिसका आधार बिंदु मध्य प्रदेश में कल्याणपुर के पास है। .

13 संबंधों: डिजिटल ऊँचाई मॉडल, त्रिविम समष्टि, पंचचूली पर्वत, भौतिकी की शब्दावली, भूमंडलीय ऊष्मीकरण का प्रभाव, भूगोलीय निर्देशांक प्रणाली, समलम्ब चतुर्भुज, समकोण त्रिभुज, समुद्र तल, विंगसूट फ़्लाइंग (उड़ान), अन्तरराष्ट्रीय मात्रक प्रणाली, उन्नतांश, उपग्रह

डिजिटल ऊँचाई मॉडल

डिजिटल ऊँचाई मॉडल या डीईएम एक कंप्यूटर आधारित 3D या त्रिविमीय मॉडल है जिसके द्वारा पृथ्वी की सतह का प्रदर्शन या निरूपण किया जाता है। पृथ्वी की सतह को दिखाने के आलावा यह अन्य ग्रहों और उपग्रहों के लिये भी प्रयोग होता है। आसान शब्दों में यह उच्चावच को दर्शाने का माध्यम है। इसमें ऊँचाई के आँकड़ों का उपयोग होता है और इसे सामान्यतः रास्टर आँकड़ों के रूप में सहेजा जाता है। वेक्टर आँकड़ों के रूप में इसे टिन (TIN) के रूप में सहेजते और प्रदर्शित करते हैं। श्रेणी:भौगोलिक सूचना तंत्र श्रेणी:भू-आकृति विज्ञान.

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त्रिविम समष्टि

त्रिविम समष्टि अथवा त्रिविम आकाश भौतिक ब्रह्माण्ड (समय रहित) जिसमें हम रहते हैं का तीन प्राचलों वाला ज्यामितिय प्रतिमान है। इन तीन विमाओं को लम्बाई, चौड़ाई, ऊँचाई, गहराई और विस्तार द्वारा निरूपित किया जाता है। तीन दिशाएँ इस प्रकात चुनी जाती हैं कि वो सभी एक ही समतल में नहीं पायी जा सकती। भौतिक विज्ञान और गणित में n-विमिय समष्टि में किसी बिन्दु की स्थिति को व्यक्त करने के लिए एक n वास्तविक संख्याओं के अनुक्रम प्रयुक्त किया जाता है। जहाँ n .

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पंचचूली पर्वत

सूर्यास्त काल में मुन्सियारी से पंचचूली का दृश्य पंचचूली पर्वत भारत के उत्तराखंड राज्य के उत्तरी कुमाऊं क्षेत्र में एक हिमशिखर शृंखला है। वास्तव में यह शिखर पांच पर्वत चोटियों का समूह है। समुद्रतल से इनकी ऊंचाई ६,३१२ मीटर से ६,९०४ मीटर तक है। इन पांचों शिखरों को पंचचूली-१ से पंचचूली-५ तक नाम दिये गये हैं।। हिन्दुस्तान लाइव। ९ दिसम्बर २००९। अविनाश शर्मा पंचचूली के पूर्व में सोना हिमनद और मे ओला हिमनद स्थित हैं तथा पश्चिम में उत्तरी बालटी हिमनद एवं उसका पठार है। पंचचूली शिखर पर चढ़ाई के लिए पर्वतारोही पहले पिथौरागढ़ पहुंचते हैं। वहां से मुन्स्यारी और धारचूला होकर सोबला नामक स्थान पर जाना पड़ता है। पंचचूली शिखर पिथौरागढ़ में कुमाऊं के चौकोड़ी एवं मुन्स्यारी जैसे छोटे से पर्वतीय स्थलों से दिखाई देते हैं। वहां से नजर आती पर्वतों की कतार में इसे पहचानने में सरलता होती है। .

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भौतिकी की शब्दावली

* ढाँचा (Framework).

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भूमंडलीय ऊष्मीकरण का प्रभाव

extreme weather). (Third Assessment Report) इस के अंतर पैनल तौर पर जलवायु परिवर्तन (Intergovernmental Panel on Climate Change)। इस भविष्यवाणी की प्रभावों के ग्लोबल वार्मिंग इस पर पर्यावरण (environment) और के लिए मानव जीवन (human life) कई हैं और विविध.यह आम तौर पर लंबे समय तक कारणों के लिए विशिष्ट प्राकृतिक घटनाएं विशेषता है, लेकिन मुश्किल है के कुछ प्रभावों का हाल जलवायु परिवर्तन (climate change) पहले से ही होने जा सकता है।Raising sea levels (Raising sea levels), glacier retreat (glacier retreat), Arctic shrinkage (Arctic shrinkage), and altered patterns of agriculture (agriculture) are cited as direct consequences, but predictions for secondary and regional effects include extreme weather (extreme weather) events, an expansion of tropical diseases (tropical diseases), changes in the timing of seasonal patterns in ecosystems (changes in the timing of seasonal patterns in ecosystems), and drastic economic impact (economic impact)। चिंताओं का नेतृत्व करने के लिए हैं राजनीतिक (political) सक्रियता प्रस्तावों की वकालत करने के लिए कम (mitigate), समाप्त (eliminate), या अनुकूलित (adapt) यह करने के लिए। 2007 चौथी मूल्यांकन रिपोर्ट (Fourth Assessment Report) के द्वारा अंतर पैनल तौर पर जलवायु परिवर्तन (Intergovernmental Panel on Climate Change) (आईपीसीसी) ने उम्मीद प्रभावों का सार भी शामिल है। .

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भूगोलीय निर्देशांक प्रणाली

पृथ्वी के मानचित्र पर अक्षांश (क्षैतिज) व (देशांतर रेखाएं (लम्बवत), एकर्ट षष्टम प्रोजेक्शन; https://www.cia.gov/library/publications/the-world-factbook/graphics/ref_maps/pdf/political_world.pdf वृहत संस्करण (पीडीएफ़, ३.१२MB) भूगोलीय निर्देशांक प्रणाली (अंग्रेज़ी:जियोग्राफिक कोआर्डिनेट सिस्टम) एक प्रकार की निर्देशांक प्रणाली होती है, जिसके द्वारा पृथ्वी पर किसी भी स्थान की स्थिति तीन (३) निर्देशांकों के माध्यम से निश्चित की जा सकती है। ये गोलाकार निर्देशांक प्रणाली द्वारा दिये जाते हैं। पृथ्वी पूर्ण रूप से गोलाकार नहीं है, बल्कि एक अनियमित आकार की है, जो लगभग एक इलिप्सॉएड आकार बनाती है। इसके लिये इस प्रकार की निर्देशांक प्रणाली बनाना, जो पृथ्वी पर उपस्थित प्रत्येक बिन्दु के लिये अंकों के अद्वितीय मेल से बनने वाला स्पष्ट निर्देशांक प्रस्तुत करे, अपने आप में एक प्रकार की चुनौती था। .

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समलम्ब चतुर्भुज

समलम्ब चतुर्भुज समलम्ब चतुर्भुज (trapezoid)एक ज्यामितीय आकृति है। .

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समकोण त्रिभुज

ज्यामिति में समकोण त्रिभुज की परिभाषा एक ऐसे त्रिभुज के रूप में की जाती है जिसका एक कोण 90 अंश का (अर्थात, समकोण) हो। समकोण के सामने वाली भुजा कर्ण कहलाती है। इसकी भुजाओं की लम्बाई के बीच में एक विशेष सम्बन्ध होता है जिसे बौधायन प्रमेय द्वारा व्यक्त किया जाता है। इसे शब्दों में इस प्रकार व्यक्त करते हैं- 300px.

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समुद्र तल

समुद्र तल से ऊँचाई दिखाता एक बोर्ड समुद्र तल या औसत समुद्र तल (अंग्रेज़ी:Mean sea level) समुद्र के जल के उपरी सतह की औसत ऊँचाई का मान होता है। इसकी गणना ज्वार-भाटे के कारण होने वाले समुद्री सतह के उतार चढ़ाव का लंबे समय तक प्रेक्षण करके उसका औसत निकाल कर की जाती है। इसे समुद्र तल से ऊँचाई (MSL-Metres above sea level) में व्यक्त किया जाता है। इसका प्रयोग धरातल पर स्थित बिंदुओं की ऊँचाई मापने के लिये सन्दर्भ तल के रूप में किया जाता है। इसका उपयोग उड्डयन में भी होता है। उड्डयन में समुद्र की सतह पर वायुमण्डलीय दाब को वायुयानों के उड़ान की उँचाई के सन्दर्भ (डैटम) के रूप में उपयोग किया जाता है। .

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विंगसूट फ़्लाइंग (उड़ान)

उड़ान में विंगसूट विंगसूट फ़्लाइंग (उड़ान), विंगसूट नामक एक विशेष जंपसूट का इस्तेमाल कर मानव शरीर को हवा में उड़ाने का खेल है। यह विंगसूट मानव शरीर के सतही आकार में वृद्धि कर उसे उड़ान में काफी मदद करता है। आधुनिक विंगसूट डिजाइनों में सतही आकार वाले भाग को कपड़ों से पैरों के बीच और बाहों के नीचे बानाया जाता है। विंगसूट को बर्डमैन सूट या स्क्विरल सूट भी कहा जा सकता है। विंगसूट उड़ान पैराशूट के खुलने के साथ समाप्त हो जाता है, इसलिए विंग सूट को ऐसे किसी भी स्थान से उड़ाया जा सकता जो हवा में गोते लगाने के लिए पर्याप्त ऊंचाई प्रदान करता है, जैसे कि हवा में गोते लागाने वाले (स्काइडाइविंग) विमान या बेस (BASE) जम्पिंग एग्जिट प्वाइंट, साथ ही यह पैराशूट का उपयोग करने की अनुमति भी देता है। विंगसूट उड़ाका स्काइडाइविंग या बेस जम्पिंग के लिए डिजाइन किया गया पैराशूट उपकरण पहनता है। उड़ाका एक सुनियोजित ऊंचाई पर जाकर पैरासूट का उपयोग करता है और आवश्यकता पड़ने पर बांहों के पंखों को खोलता है, जिससे कि वह नियंत्रण टॉगल तक पहुँच सके और एक सामान्य पैराशूट लैंडिंग के स्तर पर उड़ सके.

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अन्तरराष्ट्रीय मात्रक प्रणाली

अन्तर्राष्ट्रीय मात्रक प्रणाली (संक्षेप में SI; फ्रेंच Le Système International d'unités का संक्षिप्त रूप), मीटरी पद्धति का आधुनिक रूप है। इसे सामान्य रूप में दशमलव एवं दस के गुणांकों में बनाया गया है। यह विज्ञान एवं वाणिज्य के क्षेत्र में विश्व की सर्वाधिक प्रयोग की जाने वाली प्रणाली है। पुरानी मेट्रिक प्रणाली में कई इकाइयों के समूह प्रयोग किए जाते थे। SI को 1960 में पुरानी मीटर-किलोग्राम-सैकण्ड यानी (MKS) प्रणाली से विकसित किया गया था, बजाय सेंटीमीटर-ग्राम-सैकण्ड प्रणाली की, जिसमें कई कठिनाइयाँ थीं। SI प्रणाली स्थिर नहीं रहती, वरन इसमें निरंतर विकास होते रहते हैं, परंतु इकाइयां अन्तर्राष्ट्रीय समझौतों के द्वारा ही बनाई और बदली जाती हैं। यह प्रणाली लगभग विश्वव्यापक स्तर पर लागू है और अधिकांश देश इसके अलावा अन्य इकाइयों की आधिकारिक परिभाषाएं भी नहीं समझते हैं। परंतु इसके अपवाद संयुक्त राज्य अमरीका और ब्रिटेन हैं, जहाँ अभी भी गैर-SI इकाइयों उनकी पुरानी प्रणालियाँ लागू हैं।भारत मॆं यह प्रणाली 1 अप्रैल, 1957 मॆं लागू हुई। इसके साथ ही यहां नया पैसा भी लागू हुआ, जो कि स्वयं दशमलव प्रणाली पर आधारित था। इस प्रणाली में कई नई नामकरण की गई इकाइयाँ लागू हुई। इस प्रणाली में सात मूल इकाइयाँ (मीटर, किलोग्राम, सैकण्ड, एम्पीयर, कैल्विन, मोल, कैन्डेला, कूलम्ब) और अन्य कई व्युत्पन्न इकाइयाँ हैं। कुछ वैज्ञानिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में एस आई प्रणाली के साथ अन्य इकाइयाँ भी प्रयोग में लाई जाती हैं। SI उपसर्गों के माध्यम से बहुत छोटी और बहुत बड़ी मात्राओं को व्यक्त करने में सरलता होती है। तीन राष्ट्रों ने आधिकारिक रूप से इस प्रणाली को अपनी पूर्ण या प्राथमिक मापन प्रणाली स्वीकार्य नहीं किया है। ये राष्ट्र हैं: लाइबेरिया, म्याँमार और संयुक्त राज्य अमरीका। .

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उन्नतांश

लम्बवत दूरियों की तुलना उन्नतांश (अंग्रेज़ी:ऑल्टीट्यूड) प्रयोग किये जाने वाले संदर्भ के आधार पर परिभाषित किया जाता है। ये संदर्भ हैं उड्डयन, ज्यामिति, भौगोलिक सर्वेक्षण, खेल या अन्य कोई संदर्भ। प्रायः प्रयुक्त सामान्य परिभाषा अनुसार उन्नतांश या ऊंचाई उपरि दिशा में नापी गई दूरी होती है। यह दूरी किसी संदर्भ बिन्दु और प्रश्न वस्तु के बीच नापी जाती है। यहां संदर्भ बिन्दु भी संदर्भ अनुसार बदलती रहती है जैसे सागर सतह, सागर तल, भूमि सतह, आदि। .

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उपग्रह

ERS 2) अन्तरिक्ष उड़ान (spaceflight) के संदर्भ में, उपग्रह एक वस्तु है जिसे मानव (USA 193) .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

समुद्र तल से ऊंचाई

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