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उदान वात

सूची उदान वात

आयुर्वेद श्रेणी:आयुर्वेद.

2 संबंधों: त्रिदोष, संख्यावाची विशिष्ट गूढ़ार्थक शब्द

त्रिदोष

वात, पित्‍त, कफ इन तीनों को दोष कहते हैं। इन तीनों को धातु भी कहा जाता है। धातु इसलिये कहा जाता है क्‍योंकि ये शरीर को धारण करते हैं। चूंकि त्रिदोष, धातु और मल को दूषित करते हैं, इसी कारण से इनको ‘दोष’ कहते हैं। आयुर्वेद साहित्य शरीर के निर्माण में दोष, धातु मल को प्रधान माना है और कहा गया है कि 'दोष धातु मल मूलं हि शरीरम्'। आयुर्वेद का प्रयोजन शरीर में स्थित इन दोष, धातु एवं मलों को साम्य अवस्था में रखना जिससे स्वस्थ व्यक्ति का स्वास्थ्य बना रहे एवं दोष धातु मलों की असमान्य अवस्था होने पर उत्पन्न विकृति या रोग की चिकित्सा करना है। .

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संख्यावाची विशिष्ट गूढ़ार्थक शब्द

हिन्दी भाषी क्षेत्र में कतिपय संख्यावाची विशिष्ट गूढ़ार्थक शब्द प्रचलित हैं। जैसे- सप्तऋषि, सप्तसिन्धु, पंच पीर, द्वादश वन, सत्ताईस नक्षत्र आदि। इनका प्रयोग भाषा में भी होता है। इन शब्दों के गूढ़ अर्थ जानना बहुत जरूरी हो जाता है। इनमें अनेक शब्द ऐसे हैं जिनका सम्बंध भारतीय संस्कृति से है। जब तक इनकी जानकारी नहीं होती तब तक इनके निहितार्थ को नहीं समझा जा सकता। यह लेख अभी निर्माणाधीन हॅ .

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