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उदाकिशुनगंज

सूची उदाकिशुनगंज

260 वर्ग मील में फैले इस उदाकिशुनगंज को 21 मई 1983 को अनुमंडल का दर्जा प्राप्त करने वाला उदाकिशुनगंज अनुमंडल का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक गाथा गौरवशाली रहा है।छह प्रखंडों का प्रतिनिधित्व करने वाले इस अनुमंडल अंतर्गत कुल 76 ग्राम पंचायतें है। उदय सिंह और किशुन सिंह दो भाई थे.

4 संबंधों: मधेपुरा जिला, उदाकिशनगंज प्रखण्ड (मधेपुरा), उदाकिशुनगंज, उदाकिशुनगंज सार्वजनिक दुर्गा मंदिर

मधेपुरा जिला

मधेपुरा भारत के बिहार राज्य का जिला है। इसका मुख्यालय मधेपुरा शहर है। सहरसा जिले के एक अनुमंडल के रूप में रहने के उपरांत ९ मई १९८१ को उदाकिशुनगंज अनुमंडल को मिलाकर इसे जिला का दर्जा दे दिया गया। यह जिला उत्तर में अररिया और सुपौल, दक्षिण में खगड़िया और भागलपुर जिला, पूर्व में पूर्णिया तथा पश्चिम में सहरसा जिले से घिरा हुआ है। वर्तमान में इसके दो अनुमंडल तथा ११ प्रखंड हैं। मधेपुरा धार्मिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से समृद्ध जिला है। चंडी स्थान, सिंघेश्‍वर स्थान, श्रीनगर, रामनगर, बसन्तपुर, बिराटपुर और बाबा करु खिरहर आदि यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से हैं। .

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उदाकिशनगंज प्रखण्ड (मधेपुरा)

21 मई 1983 को अनुमंडल का दर्जा प्राप्त करने वाला उदाकिशुनगंज अनुमंडल का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक गाथा गौरवशाली रहा है। बताया जाता है कि 16वीं सदी में तत्कालीन छय परगना के अधीन यह इलाका घनघोर जंगल, कोसी नदी और उसकी छाड़न नदियों से आच्छादित था। 16वीं सदी में छोटानागपुर से एक परिवार आकर यहां बसे और विभिन्न जातियों के लोगों को इस क्षेत्र में लाकर बसाया। 1703 ई में उदय सिंह नामक सरदार ने इस क्षेत्र पर आक्रमण कर दिया और अपने कब्जे में ले लिया। उदय सिंह के उत्तराधिकारी ने शाह शुजा से अपने राजस्व का वैधानिक फरमान प्राप्त कर लिया। कालांतर में राजपूत सरदार के बंशज राजा देव सिंह के पुत्रों में जमींदारी का बंटवारा हुआ। बंटवारे में छोटे पुत्र सरदार हसौल सिंह को मौजा शाह आलमनगर प्राप्त हुआ। शाह आलमनगर के तत्कालीन शासक चंदैल वंशजों द्वारा निर्मित दुर्ग और जलाशय आज भी दर्शनीय है। चंदैल शासकों के उत्तराधिकारी आज भी यहां मौजूद है। सहरसा गजेटियर के मुताबिक छय तिरहुत परगना से अलग कर शाह आलमनगर को भागलपुर में मिला दिया गया। 19 मई 1798 को भागलपुर के कलक्टर के कार्यालय से प्राप्त पत्र के मुताबिक 5000 एकड़ जमीन यहां के राजा किशुन सिंह से तत्कालीन सरकार ने जागीरदारों के लिए खरीदी थी। कहा जाता है कि राजा उदय सिंह और राजा किशुन सिंह दोनों भाई के नाम पर ही इस अनुमंडल का नाम उदाकिशुनगंज पड़ा। उदाकिशुनगंज क्षेत्र ऐतिहासिक ही नहीं, बल्कि आजादी के दीवानों की भी धरती रही है। मधेपुरा जिला के ऐतिहासिक सर्वेक्षण के मुताबिक मधेपुरा सहित उदाकिशुनगंज अनुमंडल के तीन दर्जन से अधिक ऐतिहासिक स्थलों को चिन्हित किया गया है। इसमें खुरहान, करामा, पचरासी, मधुकरचक, रजनी, बभनगामा, गमैल आदि ऐतिहासिक स्थल हैं जो उदाकिशुनगंज अनुमंडल के गौरवशाली अतीत को रेखाकित करता है। श्रेणी:बिहार के प्रखण्ड श्रेणी:बिहार.

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उदाकिशुनगंज

260 वर्ग मील में फैले इस उदाकिशुनगंज को 21 मई 1983 को अनुमंडल का दर्जा प्राप्त करने वाला उदाकिशुनगंज अनुमंडल का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक गाथा गौरवशाली रहा है।छह प्रखंडों का प्रतिनिधित्व करने वाले इस अनुमंडल अंतर्गत कुल 76 ग्राम पंचायतें है। उदय सिंह और किशुन सिंह दो भाई थे.

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उदाकिशुनगंज सार्वजनिक दुर्गा मंदिर

मनोकामना शक्ति पीठ के रुप में ख्याति प्राप्त उदाकिशुनगंज सार्वजनिक दुर्गा मंदिर न केवल धार्मिक और अध्यात्मिक बल्कि ऐतिहासिक महत्व को भी दर्शाता है। यहां सदियों से पारंपरिक तरीके से दुर्गा पूजा धूमधाम से मनाया जाता है। पूजा के दौरान कई देवी-देवताओं की भव्य प्रतिमा स्थापित की जाती है। मंदिर कमिटी और प्रशासन के सहयोग से विशाल मेले का भी आयोजन किया जाता है। अध्यात्म की स्वर्णिम छटा बिखेर रही सार्वजनिक दुर्गा मंदिर के बारे में कहा जाता है कि करीब 250 वर्षों से भी अधिक समय से यहां मां दुर्गा की पूजा की जा रही है। बड़े-बुजूर्गो का कहना है कि करीब 250 वर्ष पूर्व 18 वीं शताब्दी में चंदेल राजपूत सरदार उदय सिंह और किशुन सिंह के प्रयास से इस स्थान पर मां दुर्गा की पूजा शुरू की गयी थी। तब से यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चलते आ रहा है। उन्होंने कहा कि कोशी की धारा बदलने के बाद आनंदपुरा गांव के हजारमनी मिश्र ने दुर्गा मंदिर की स्थापना के लिए जमीन दान दी थी। उन्हीं के प्रयास से श्रद्धालुओं के लिए एक कुएं का निर्माण कराया गया था, जो आज भी मौजूद है। उदाकिशुनगंज निवासी प्रसादी मिश्र मंदिर के पुजारी के रुप में 1768 ई में पहली बार कलश स्थापित किया था। उन्हीं के पांचवीं पीढ़ी के वंशज परमेश्वर मिश्र उर्फ पारो मिश्र वर्तमान में दुर्गा मंदिर के पुजारी हैं ।प्रतिवर्ष दुर्गा पूजा के दिन भक्तों तथा श्रद्धालुओं की यहाँ अपार भीड़ रहती है।.

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