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ईरानी

सूची ईरानी

ईरानी भारतीय उपमहाद्वीप में फैले एक नस्ली वर्ग को कहते हैं जो पिछले 1000 सालों में यहाँ आए हैं। अक्सर ईरानियों को पारसियों के समान समझने की भूल की जाती है। पारसी वो लोग हैं जो 1000 साल के पहले भारत में आए जबकि ईरानी वो लोग हैं जो उसके बाद आए। इन दोनों में इतनी समानता है कि वे ज़रथुष्ट्र के अनुयायी थे और इस्लाम की प्रताड़ना के बचने के लिए भारत आए। ईरानी लोग खासकर 1830 के बाद आए जब ईरान में क़जर राजवंश के समय गैर-मुसलमानों को सताया जाने लगा। अधिकांश ईरानी, भारत में मुम्बई और पाकिस्तान में कराँची के आसपास रहते हैं। .

21 संबंधों: नूर अंतर्राष्ट्रीय माइक्रोफिल्म केन्द्र, पिशाच, फरहान अख्तर, फ़ारस की खाड़ी नाम से सम्बंधित दस्तावेज़ें: एक प्राचीन व अनन्त विरासत, फ़ारस की खाड़ी का राष्ट्रीय दिवस, फ़ारसी भाषा, बसरा, भारत के भाषाई परिवार, भारतीय पत्थरों पर फारसी शिलालेख, मन्दना करीमी, मेरिल लिंच, मेहेर बाबा, रशीद उद-दीन हमदानी, संस्कृत भाषा का इतिहास, हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार, हिन्दी, हेकमत इ शिराज़ी, ईरानी लोग, खेल, कुषाण कला, २०१५ हज भगदड़

नूर अंतर्राष्ट्रीय माइक्रोफिल्म केन्द्र

नूर अंतर्राष्ट्रीय माइक्रोफिल्म केन्द्र, इस्लामिक गणराज्य ईरान नई दिल्ली, के कल्चर हाउस में स्थित है। नूर अंतर्राष्ट्रीय माइक्रोफिल्म केन्द्र पुरानी पाण्डुलिपि की मरम्मत, उनकी माइक्रोफिल्म व तस्वीर तैयार करना व मुद्रित पृष्ठों को प्रकाशित करना, जैसे कार्यो में लिप्त रहा है। मेहदी ख्वाजा पीरी द्वारा किये गए प्रयासों के परिणाम स्वरूप 1985 में इस सेंटर को स्थापित किया गया था। केन्द्र की शैक्षिक व सांस्कृतिक गतिविधियों की शुरुआत अल्लामा क़ाज़ी नूरुल्लाह शुस्तरी की पुण्यतिथि (बरसी) के साथ हुई। वह अपने समय के विधिवेत्ता होने के साथ-साथ एक विद्वान, मोहद्दिस, धर्मशास्त्री, कवि व साहित्यिक व्यक्ति भी थे। उन्हें शहीद-ए-सालिस से भी जाना जाता है। इस महान व्यक्ति की याद में नूर अंतर्राष्ट्रीय माइक्रोफिल्म केन्द्र का नाम रखा गया। .

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पिशाच

फिलिप बर्न-जोन्स द्वारा पिशाच, 1897 पिशाच कल्पित प्राणी है जो जीवित प्राणियों के जीवन-सार खाकर जीवित रहते हैं आमतौर पर उनका खून पीकर.

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फरहान अख्तर

फरहान अख्तर (فرحان اختر, जन्म - 9 जनवरी 1974), एक भारतीय फ़िल्म निर्माता, पटकथा लेखक, अभिनेता, पार्श्वगायक, गीतकार, फ़िल्म निर्माता और टीवी होस्ट है। निर्देशक के रूप में उनकी पहली फ़िल्म (दिल चाहता है, 2001) की काफी प्रशंसा की गई थी और तभी से एक खास दर्शक वर्ग में उनकी अलग पहचान है। आनंद सुरापुर की फ़िल्म, द फकीर ऑफ वेनिस (2007) और रॉक ऑन!! (2008) से उन्होंने अपने अभिनय करियर की शुरुआत की। 2008 .

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फ़ारस की खाड़ी नाम से सम्बंधित दस्तावेज़ें: एक प्राचीन व अनन्त विरासत

फ़ारस की खाड़ी नाम से सम्बंधित दस्तावेज़ें: एक प्राचीन व अनन्त विरासत ‘मोहम्मद अजम’ द्वारा लिखी और संकलित की गई किताब और एटलस है। पहली बार साल 2004 में प्रकाशित इस किताब का दूसरा संस्करण साल 2008 में डाक्टर पीरोज़ मुजतहिदज़ादेह और डाक्टर मोहम्मद हसन गंजी की निगरानी में प्रकाशित किया गया। वर्ष 2010 में यह किताब सर्वश्रेष्ठ किताब का उम्मीदवार बनी थी। यह फ़ारस की खाड़ी के नाम से संबंधित विवाद के बारे में ईरान में पिछले पचास वर्षों में प्रकाशित की गई श्रेष्ठ किताबों में से एक मानी जाती है। इस किताब का पहला अध्याय ‘’फ़ारस की खाड़ी ’’ के नाम से संबंधित राजनीतिक व भौगोलिक विवादों, फ़ारस का खाड़ी के नाम से संबंधित ऐतिहासिक दस्तावेजों और फ़ारस की खाड़ी के नामकरण के बारे में कुछ दिनों पहले उठने वाले विवाद पर आधारित है।.

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फ़ारस की खाड़ी का राष्ट्रीय दिवस

ईरान में 30 अप्रैल का दिन फ़ारस की खाड़ी का राष्ट्रीय दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन पूरे ईरान में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। फारस की खाड़ी, मध्य पूर्व एशिया क्षेत्र में हिन्द महासागर का एक विस्तार है, जो ईरान और अरब प्रायद्वीप के बीच तक गया हुआ है।Working Paper No.

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फ़ारसी भाषा

फ़ारसी, एक भाषा है जो ईरान, ताजिकिस्तान, अफ़गानिस्तान और उज़बेकिस्तान में बोली जाती है। यह ईरान, अफ़ग़ानिस्तान, ताजिकिस्तान की राजभाषा है और इसे ७.५ करोड़ लोग बोलते हैं। भाषाई परिवार के लिहाज़ से यह हिन्द यूरोपीय परिवार की हिन्द ईरानी (इंडो ईरानियन) शाखा की ईरानी उपशाखा का सदस्य है और हिन्दी की तरह इसमें क्रिया वाक्य के अंत में आती है। फ़ारसी संस्कृत से क़ाफ़ी मिलती-जुलती है और उर्दू (और हिन्दी) में इसके कई शब्द प्रयुक्त होते हैं। ये अरबी-फ़ारसी लिपि में लिखी जाती है। अंग्रेज़ों के आगमन से पहले भारतीय उपमहाद्वीप में फ़ारसी भाषा का प्रयोग दरबारी कामों तथा लेखन की भाषा के रूप में होता है। दरबार में प्रयुक्त होने के कारण ही अफ़गानिस्तान में इस दारी कहा जाता है। .

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बसरा

बसरा बसरा इराक का तीसरा सबसे बड़ा नगर एवं महत्वपूर्ण बंदरगाह है। यह बसरा प्रान्त की राजधानी भी है। फारस की खाड़ी से 75 मील दूर तथा बगदाद से 280 मील दूर दक्षिण-पूर्वी भाग में दज़ला और फरात नदियों के मुहाने पर बसा हुआ है। स्थिति - 30 डिग्री 30मिनट उत्तरी अक्षांश तथा तथा 47 डिग्री 50 मिनट पूर्वी देशान्तर। बसरा से देश की 90 प्रतिशत वस्तुओं का निर्यात किया जाता है। यहाँ से ऊन, कपास, खजूर, तेल, गोंद, गलीचे तथा जानवर निर्यात किए जाते हैं। जनसंख्या में अधिकांश अरब, यहूदी, अमरीकी, ईरानी तथा भारतीय हैं। .

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भारत के भाषाई परिवार

वृहद भारत के भाषा परिवार भारत में विश्व के सबसे चार प्रमुख भाषा परिवारों की भाषाएँ बोली जाती है। सामान्यत: उत्तर भारत में बोली जाने वाली भारोपीय परि वार की भाषाओं को आर्य भाषा समूह, दक्षिण की भाषाओं को द्रविड़ भाषा समूह, ऑस्ट्रो-एशियाटिक परिवार की भाषाओं को भुंडारी भाषा समूह तथा पूर्वोत्तर में रहने वाले तिब्बती-बर्मी, नृजातीय भाषाओं को चीनी-तिब्बती (नाग भाषा समूह) के रूप में जाना जाता है। .

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भारतीय पत्थरों पर फारसी शिलालेख

भारतीय पत्थरों पर फारसी शिलालेख डॉ॰ अली असगर हिकमत शिराज़ी की बहुमूल्य पुस्तकों में से एक है जो साल 1956 और 1958 में प्रकाशित हुई थी। .

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मन्दना करीमी

मनिज़ेह करीमी (अंग्रेजी:Manizhe Karimi) (जो अभी मंदना करीमी के नाम से जानी जाती है।) एक ईरानी फ़िल्म अभिनेत्री तथा मॉडल है जो अभी भारतीय हिन्दी फ़िल्मों में कार्य करती है। मॉडलिंग में कई सफलता पाकर इन्होंने बॉलीवुड में कदम रखा तथा भाग जॉहनी फ़िल्म में मुख्य किरदार निभाया। इनके अलावा करीमी बिग बॉस ९ में द्वितीय विजेता भी रही। साल २०१६ की जनवरी में प्रदर्शित हुई क्या कूल हैं हम ३ में भी इनको मौका मिला है उस फ़िल्म में इन्होंने शालू का किरदार निभाया। .

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मेरिल लिंच

बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच बैंक ऑफ अमेरिका के निवेश बैंकिंग और धन प्रबंधन प्रभाग का हैं। 20,000 से ज्यादा दलालों और 2.2 ट्रिलियन परिसंपत्तियों के साथ यह दुनिया का सबसे बड़ा ब्रोकरेज है। 2009 से पहले मेरिल लिंच एण्ड कं, इंक.

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मेहेर बाबा

मेहेर बाबा मेहेर बाबा एक ईरानी मूल के भारतीय चिंतक और दार्शनिक थे। बाबा न केवल दार्शनिक थे बल्कि इस काल खंड के अंतिम पूर्णावतार हैं। आपकी समाधी मेहेराबाद, अहमदनगर (महाराष्ट्र) में है। शीर्डी के साईं बाबा, बाबाजान पूना, साकोरी के उपासनी महाराज, केडगाँव के नारायण महाराज़ एवं नागपुर के ताजुद्दीन बाबा, अबवतार मेहेर बाबा के गुरु थे।.

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रशीद उद-दीन हमदानी

ईरान में रशीद उद-दीन हमदानी की मूर्ती रशीद उद-दीन (फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Rashīd al-Dīn Tabīb; जन्म: १२४७; मृत्यु: १३१८), जिन्हें रशीद उद-दीन फ़ज़्ल-उल्लाह​ हमदानी (फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Rashīd al-Dīn Fadhl-allāh Hamadānī) भी कहते हैं, एक मध्यकालीन ईरानी चिकित्सक, गणितज्ञ और लेखक थे। उन्होंने इस्लामी इतिहास पर 'जामी अल-तवारीख़' (यानि 'इतिहासों का जमावड़ा') नामक एक बहुत विस्तृत ग्रन्थ लिखा था। इसे विशेषकर १३वीं और १४वीं शताब्दियों के इल्ख़ानी साम्राज्य के इतिहास का एक आधिकारिक दस्तावेज़ माना जाता है। इसमें मंगोलिया और चीन से लेकर स्तेपी क्षेत्र, मध्य यूरेशिया, अरबी प्रायद्वीप और यूरोप तक का विवरण दिया गया था। वे यहूदी-धर्मी थे लेकिन जीवन में आगे चलकर उन्होंने इस्लाम में धर्म-परिवर्तन कर लिया।, Rami Yelda, pp.

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संस्कृत भाषा का इतिहास

जिस प्रकार देवता अमर हैं उसी प्रकार सँस्कृत भाषा भी अपने विशाल-साहित्य, लोक हित की भावना,विभिन्न प्रयासों तथा उपसर्गो के द्वारा नवीन-नवीन शब्दों के निर्माण की क्षमता आदि के द्वारा अमर है। आधुनिक विद्वानों के अनुसार संस्कृत भाषा का अखंड प्रवाह पाँच सहस्र वर्षों से बहता चला आ रहा है। भारत में यह आर्यभाषा का सर्वाधिक महत्वशाली, व्यापक और संपन्न स्वरूप है। इसके माध्यम से भारत की उत्कृष्टतम मनीषा, प्रतिभा, अमूल्य चिंतन, मनन, विवेक, रचनात्मक, सर्जना और वैचारिक प्रज्ञा का अभिव्यंजन हुआ है। आज भी सभी क्षेत्रों में इस भाषा के द्वारा ग्रंथनिर्माण की क्षीण धारा अविच्छिन्न रूप से वह रही है। आज भी यह भाषा, अत्यंत सीमित क्षेत्र में ही सही, बोली जाती है। इसमें व्याख्यान होते हैं और भारत के विभिन्न प्रादेशिक भाषाभाषी पंडितजन इसका परस्पर वार्तालाप में प्रयोग करते हैं। हिंदुओं के सांस्कारिक कार्यों में आज भी यह प्रयुक्त होती है। इसी कारण ग्रीक और लैटिन आदि प्राचीन मृत भाषाओं (डेड लैंग्वेजेज़) से संस्कृत की स्थिति भिन्न है। यह मृतभाषा नहीं, अमरभाषा है। .

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हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार

हिन्द - यूरोपीय भाषाओं देश बोल रही हूँ. गाढ़े हरे रंग के देश में जो बहुमत भाषा हिन्द - यूरोपीय परिवार हैं, लाइट ग्रीन एक देश वह जिसका आधिकारिक भाषा हिंद- यूरोपीय है, लेकिन अल्पसंख्यकों में है। हिन्द-यूरोपीय (या भारोपीय) भाषा-परिवार संसार का सबसे बड़ा भाषा परिवार (यानी कि सम्बंधित भाषाओं का समूह) हैं। हिन्द-यूरोपीय (या भारोपीय) भाषा परिवार में विश्व की सैंकड़ों भाषाएँ और बोलियाँ सम्मिलित हैं। आधुनिक हिन्द यूरोपीय भाषाओं में से कुछ हैं: हिन्दी, उर्दू, अंग्रेज़ी, फ़्रांसिसी, जर्मन, पुर्तगाली, स्पैनिश, डच, फ़ारसी, बांग्ला, पंजाबी, रूसी, इत्यादि। ये सभी भाषाएँ एक ही आदिम भाषा से निकली है, उसे आदिम-हिन्द-यूरोपीय भाषा का नाम दे सकता है। यह संस्कृत से बहुत मिलती-जुलती थी, जैसे कि वह सांस्कृत का ही आदिम रूप हो। .

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हिन्दी

हिन्दी या भारतीय विश्व की एक प्रमुख भाषा है एवं भारत की राजभाषा है। केंद्रीय स्तर पर दूसरी आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है। यह हिन्दुस्तानी भाषा की एक मानकीकृत रूप है जिसमें संस्कृत के तत्सम तथा तद्भव शब्द का प्रयोग अधिक हैं और अरबी-फ़ारसी शब्द कम हैं। हिन्दी संवैधानिक रूप से भारत की प्रथम राजभाषा और भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। हालांकि, हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है क्योंकि भारत का संविधान में कोई भी भाषा को ऐसा दर्जा नहीं दिया गया था। चीनी के बाद यह विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भी है। विश्व आर्थिक मंच की गणना के अनुसार यह विश्व की दस शक्तिशाली भाषाओं में से एक है। हिन्दी और इसकी बोलियाँ सम्पूर्ण भारत के विविध राज्यों में बोली जाती हैं। भारत और अन्य देशों में भी लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं। फ़िजी, मॉरिशस, गयाना, सूरीनाम की और नेपाल की जनता भी हिन्दी बोलती है।http://www.ethnologue.com/language/hin 2001 की भारतीय जनगणना में भारत में ४२ करोड़ २० लाख लोगों ने हिन्दी को अपनी मूल भाषा बताया। भारत के बाहर, हिन्दी बोलने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका में 648,983; मॉरीशस में ६,८५,१७०; दक्षिण अफ्रीका में ८,९०,२९२; यमन में २,३२,७६०; युगांडा में १,४७,०००; सिंगापुर में ५,०००; नेपाल में ८ लाख; जर्मनी में ३०,००० हैं। न्यूजीलैंड में हिन्दी चौथी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसके अलावा भारत, पाकिस्तान और अन्य देशों में १४ करोड़ १० लाख लोगों द्वारा बोली जाने वाली उर्दू, मौखिक रूप से हिन्दी के काफी सामान है। लोगों का एक विशाल बहुमत हिन्दी और उर्दू दोनों को ही समझता है। भारत में हिन्दी, विभिन्न भारतीय राज्यों की १४ आधिकारिक भाषाओं और क्षेत्र की बोलियों का उपयोग करने वाले लगभग १ अरब लोगों में से अधिकांश की दूसरी भाषा है। हिंदी हिंदी बेल्ट का लिंगुआ फ़्रैंका है, और कुछ हद तक पूरे भारत (आमतौर पर एक सरल या पिज्जाइज्ड किस्म जैसे बाजार हिंदुस्तान या हाफ्लोंग हिंदी में)। भाषा विकास क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी हिन्दी प्रेमियों के लिए बड़ी सन्तोषजनक है कि आने वाले समय में विश्वस्तर पर अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व की जो चन्द भाषाएँ होंगी उनमें हिन्दी भी प्रमुख होगी। 'देशी', 'भाखा' (भाषा), 'देशना वचन' (विद्यापति), 'हिन्दवी', 'दक्खिनी', 'रेखता', 'आर्यभाषा' (स्वामी दयानन्द सरस्वती), 'हिन्दुस्तानी', 'खड़ी बोली', 'भारती' आदि हिन्दी के अन्य नाम हैं जो विभिन्न ऐतिहासिक कालखण्डों में एवं विभिन्न सन्दर्भों में प्रयुक्त हुए हैं। .

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हेकमत इ शिराज़ी

हेकमत इ शिराज़ी जो मिर्ज़ा अली असगर ख़ान के नाम से भी जाने जाते हैं ' हेकमत शिराज़ी (जन्म:१६ जून १८९२-मृत्यु:५ मार्च १९८०) एक ईरानी राजनीतिज्ञ,राजनयिक और लेखक थे ' ये ईरान के विदेश मामलों में विदेश मंत्री और न्याय मंत्री थे ' .

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ईरानी लोग

ईरानी समुदाय के प्रमुख व्यक्तित्व -.

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खेल

बचपन का खेल.एसोसिएशन फुटबॉल, ऊपर दिखाया गया है, एक टीम खेल है जो सामाजिक कार्यों को भी प्रदान करता है। खेल, कई नियमों एवं रिवाजों द्वारा संचालित होने वाली एक प्रतियोगी गतिविधि है। खेल सामान्य अर्थ में उन गतिविधियों को कहा जाता है, जहाँ प्रतियोगी की शारीरिक क्षमता खेल के परिणाम (जीत या हार) का एकमात्र अथवा प्राथमिक निर्धारक होती है, लेकिन यह शब्द दिमागी खेल (कुछ कार्ड खेलों और बोर्ड खेलों का सामान्य नाम, जिनमें भाग्य का तत्व बहुत थोड़ा या नहीं के बराबर होता है) और मशीनी खेल जैसी गतिविधियों के लिए भी प्रयोग किया जाता है, जिसमें मानसिक तीक्ष्णता एवं उपकरण संबंधी गुणवत्ता बड़े तत्व होते हैं। सामान्यतः खेल को एक संगठित, प्रतिस्पर्धात्मक और प्रशिक्षित शारीरिक गतिविधि के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसमें प्रतिबद्धता तथा निष्पक्षता होती है। कुछ देखे जाने वाले खेल इस तरह के गेम से अलग होते है, क्योंकि खेल में उच्च संगठनात्मक स्तर एवं लाभ (जरूरी नहीं कि वह मौद्रिक ही हो) शामिल होता है। उच्चतम स्तर पर अधिकतर खेलों का सही विवरण रखा जाता है और साथ ही उनका अद्यतन भी किया जाता है, जबकि खेल खबरों में विफलताओं और उपलब्धियों की व्यापक रूप से घोषणा की जाती है। जिन खेलों का निर्णय निजी पसंद के आधार पर किया जाता है, वे सौंदर्य प्रतियोगिताओं और शरीर सौष्ठव कार्यक्रमों जैसे अन्य निर्णयमूलक गतिविधियों से अलग होते हैं, खेल की गतिविधि के प्रदर्शन का प्राथमिक केंद्र मूल्यांकन होता है, न कि प्रतियोगी की शारीरिक विशेषता। (हालाँकि दोनों गतिविधियों में "प्रस्तुति" या "उपस्थिति" भी निर्णायक हो सकती हैं)। खेल अक्सर केवल मनोरंजन या इसके पीछे आम तथ्य को उजागर करता है कि लोगों को शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए व्यायाम करने की आवश्यकता है। हालाँकि वे हमेशा सफल नहीं होते है। खेल प्रतियोगियों से खेल भावना का प्रदर्शन करने और विरोधियों एवं अधिकारियों को सम्मान देने व हारने पर विजेता को बधाई देने जैसे व्यवहार के मानदंड के पालन की उम्मीद की जाती है। .

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कुषाण कला

कुषाण कला कुषाण वंश के काल में लगभग पहली शताब्दी के अंत से तीसरी शताब्दी तक उस क्षेत्र में सृजित कला का नाम है, जो अब मध्य एशिया, उत्तरी भारत, पाकिस्तान और अफ़्गानिस्तान के कुछ भागों को समाहित करता है। कुषाणों ने एक मिश्रित संस्कृति को बढ़ावा दिया, जो उनके सिक्कों पर बने विभिन्न देवी देवताओं, यूनानी-रोमन, ईरानी और भारतीय, के द्वारा सबसे अच्छी तरह समझी जा सकती है। उस काल की कलाकृतियों के बीच कम से कम दो मुख्य शैलीगत विविधताएँ देखी जा सकती हैं: ईरानी उत्पत्ति की शाही कला और यूनानी रोमन तथा भारतीय स्ट्रोटोन से मिश्रित बौद्ध कला। ईरानी उत्पत्ति की शाही कला के सर्वश्रेष्ठ उदाहरण सात कुषाण राजाओं द्वारा जारी स्वर्ण मुद्राएं, शाही कुषाण प्रतिकृतियाँ (उदाहरण: कनिष्क की प्रतिमा) और अफगानिस्तान में सुर्ख कोतल में प्राप्त राजसी प्रतिकृतियाँ हैं। कुषाण कलाकृतियों की शैली कठिन, पुरोहितवादी और प्रत्यक्ष है और वह व्यक्ति की आंतरिक शक्ति व गुणों को रेखांकित करती है। इसमें मानव शरीर अथवा वस्त्रलंकार के यथार्थवादी चित्रण के प्रति कम अथवा लगभग कोई रुचि नहीं है। यह उस दूसरी शैली के विपरीत है जो कुषाण कला की गांधार व मथुरा शैलियों की विशेषता है। .

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२०१५ हज भगदड़

२४ सितम्बर २०१५ को मक्का में हज यात्रा के दौरान हुई एक भगदड़ में कम से कम ७१९ हाजियों की मौत हो गयी और ८६३ अन्य यात्री घायल हो गये। १९९० के हज भगदड़ के बाद जिसमें १४२६ लोगों की मौत हो गयी थी, मक्का में हुई यह सबसे खतरनाक और बडी दुर्घटना है। ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी का कहना है कि ईरान की हजयात्रा समिति के अनुसार १३०० से ज्यादा लोगों के मौत होने की आशंका है। लेबनान के अद-दियार की सूचना के अनुसार राजकुमार मोहम्मद बिन सलमान अल सऊद के काफ़िले ने इस भगदड़ में केंद्रीय भूमिका निभाई। .

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