5 संबंधों: चौधरी शिवनाथसिंह शांडिल्य, मसनवी, जलालुद्दीन रूमी, जलालुद्दीन रूमी / चौधरी शिवनाथसिंह शांडिल्य, ईंट की दीवार।
चौधरी शिवनाथसिंह शांडिल्य
चौधरी शिवनाथसिंह शांडिल्य ने फारसी साहित्य के महत्वपूर्ण ग्रंथ मौलाना मुहम्मद जलालुद्दीन रूमी कृत मसनवी की कुछ चुनी हुई शिक्षाप्रद कहानियों का हिन्दी अनुवाद किया है जो ईंट की दीवार के नाम से प्रकाशित हुआ है। इसके अतिरिक्त उन्होंने जलालुद्दीन रूमी की जीवनी जलालुद्दीन रूमी / चौधरी शिवनाथसिंह शांडिल्य भी लिखी है। .
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मसनवी
मसनवी फारसी साहित्य में एक प्रकार का ग्रंथ होता है। कई लेखकों की मसनवियाँ मिलती हैं, जैसे -.
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जलालुद्दीन रूमी
मौलाना मुहम्मद जलालुद्दीन रूमी (३० सितम्बर, १२०७) फारसी साहित्य के महत्वपूर्ण लेखक थे जिन्होंने मसनवी में महत्वपूर्ण योगदान किया। इन्होंने सूफ़ी परंपरा में नर्तक साधुओ (गिर्दानी दरवेशों) की परंपरा का संवर्धन किया। रूमी अफ़ग़ानिस्तान के मूल निवासी थे पर मध्य तुर्की के सल्जूक दरबार में इन्होंने अपना जीवन बिताया और कई महत्वपूर्ण रचनाएँ रचीं। कोन्या (मध्य तुर्की) में ही इनका देहांत हुआ जिसके बाद आपकी कब्र एक मज़ार का रूप लेती गई जहाँ आपकी याद में सालाना आयोजन सैकड़ों सालों से होते आते रहे हैं। रूमी के जीवन में शम्स तबरीज़ी का महत्वपूर्ण स्थान है जिनसे मिलने के बाद इनकी शायरी में मस्ताना रंग भर आया था। इनकी रचनाओं के एक संग्रह (दीवान) को दीवान-ए-शम्स कहते हैं। .
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जलालुद्दीन रूमी / चौधरी शिवनाथसिंह शांडिल्य
जलालुद्दीन रूमी / चौधरी शिवनाथसिंह शांडिल्य चौधरी शिवनाथसिंह शांडिल्य द्वारा लिखी गई फारसी साहित्य के महत्वपूर्ण ग्रंथ मसनवी के लेखक जलालुद्दीन रूमी की जीवनी है। .
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ईंट की दीवार
कोई विवरण नहीं।
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