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इस्फ़हान

सूची इस्फ़हान

इस्फ़हान (फारसी:اصفهان) ईरान में इस्फ़हान प्रांत का एक जिला है। इस जिले की जनसंख्या वर्ष २००६ अनुसार १६,०२,११० है। यह मध्य ईरान के मार्क़ज़ी प्रांत में खोमैन से 160 किमी तेहरान 350 किमी दूरी पर स्थित है। यह इस्फ़हान प्रांत की राजधानी हैं और ईरान का तेहरान और माशहाद के बाद तीसरा बड़ा नगर हैं।। .

14 संबंधों: नादिर शाह, मस्जिद, मोइनुद्दीन चिश्ती, सलजूक़ साम्राज्य, ईरान, ईरान का इतिहास, ईरान के शहर, ईरान की इस्लामी क्रांति, आर्मीनिया, इस्फ़हान, इस्फ़हान प्रांत, क़ाजार राजवंश, अब्द अल-रहमान अल-सूफ़ी, अरान वा बिदगोल

नादिर शाह

नादिर शाह अफ़्शार (या नादिर क़ुली बेग़) (१६८८ - १७४७) फ़ारस का शाह था (१७३६ - १७४७) और उसने सदियों के बाद क्षेत्र में ईरानी प्रभुता स्थापित की थी। उसने अपना जीवन दासता से आरंभ किया था और फ़ारस का शाह ही नहीं बना बल्कि उसने उस समय ईरानी साम्राज्य के सबल शत्रु उस्मानी साम्राज्य और रूसी साम्राज्य को ईरानी क्षेत्रों से बाहर निकाला। उसने अफ़्शरी वंश की स्थापना की थी और उसका उदय उस समय हुआ जब ईरान में पश्चिम से उस्मानी साम्राज्य (ऑटोमन) का आक्रमण हो रहा था और पूरब से अफ़गानों ने सफ़ावी राजधानी इस्फ़हान पर अधिकार कर लिया था। उत्तर से रूस भी फ़ारस में साम्राज्य विस्तार की योजना बना रहा था। इस परिस्थिति में भी उसने अपनी सेना संगठित की और अपने सैन्य अभियानों की वज़ह से उसे फ़ारस का नेपोलियन या एशिया का अन्तिम महान सेनानायक जैसी उपाधियों से सम्मानित किया जाता है। वो भारत विजय के अभियान पर भी निकला था। दिल्ली की सत्ता पर आसीन मुग़ल बादशाह मुहम्मद शाह आलम को हराने के बाद उसने वहाँ से अपार सम्पत्ति अर्जित की जिसमें कोहिनूर हीरा भी शामिल था। इसके बाद वो अपार शक्तिशाली बन गया और उसका स्वास्थ्य भी बिगड़ता गया। अपने जीवन के उत्तरार्ध में वो बहुत अत्याचारी बन गया था। सन् १७४७ में उसकी हत्या के बाद उसका साम्राज्य जल्द ही तितर-बितर हो गया। .

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मस्जिद

मुसलमानों की इबादत गाह को मस्जिद कहते हैं। इसे नमाज़ के लिए प्रयोग किया जाता है मुसलमानों के प्रारंभिक काल में मस्जिदे नबवी को विदेश से आने वाले ओफ़ोद से मुलाकात और चर्चा के लिए भी इस्तेमाल किया गया था। मस्जिद से मुसलमानों की पहली विश्वविद्यालयों (विश्वविद्यालयों) ने भी जन्म लिया है। इसके अलावा इस्लामी वास्तुकला भी मुख्य रूप से मस्जिदों से विकास हुई है। .

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मोइनुद्दीन चिश्ती

ख़्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिष्ती: भारत के सूफी संत हैं। जिन की मज़ार अजमेर शहर में है। यह माना जाता है कि मोइनुद्दीन चिश्ती का जन्म ५३६ हिज़री संवत् अर्थात ११४१ ई॰ पूर्व पर्षिया के सीस्तान क्षेत्र में हुआ। अन्य खाते के अनुसार उनका जन्म ईरान के इस्फ़हान नगर में हुआ। इन को हज़्रत ख्वाजा गरीब नवाज़ के नाम से भी पुकारा जाता है। ग़रीब नवाज़ इन को लोगों से दिया गया लक़ब है। .

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सलजूक़ साम्राज्य

'बुर्ज तोग़रोल​' ईरान की राजधानी तेहरान के पास तुग़रिल बेग़​ के लिए १२वीं सदी में बना एक स्मारक बुर्ज है सलजूक़​ साम्राज्य या सेल्जूक साम्राज्य(तुर्की: Büyük Selçuklu Devleti; फ़ारसी:, दौलत-ए-सलजूक़ियान​; अंग्रेज़ी: Seljuq Empire) एक मध्यकालीन तुर्की साम्राज्य था जो सन् १०३७ से ११९४ ईसवी तक चला। यह एक बहुत बड़े क्षेत्र पर विस्तृत था जो पूर्व में हिन्दू कुश पर्वतों से पश्चिम में अनातोलिया तक और उत्तर में मध्य एशिया से दक्षिण में फ़ारस की खाड़ी तक फैला हुआ था। सलजूक़ लोग मध्य एशिया के स्तेपी क्षेत्र के तुर्की-भाषी लोगों की ओग़ुज़​ शाखा की क़िनिक़​ उपशाखा से उत्पन्न हुए थे। इनकी मूल मातृभूमि अरल सागर के पास थी जहाँ से इन्होनें पहले ख़ोरासान​, फिर ईरान और फिर अनातोलिया पर क़ब्ज़ा किया। सलजूक़ साम्राज्य की वजह से ईरान, उत्तरी अफ़्ग़ानिस्तान​, कॉकस और अन्य इलाक़ों में तुर्की संस्कृति का प्रभाव बना और एक मिश्रित ईरानी-तुर्की सांस्कृतिक परम्परा जन्मी।, Jamie Stokes, Anthony Gorman, pp.

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ईरान

ईरान (جمهوری اسلامی ايران, जम्हूरीए इस्लामीए ईरान) जंबुद्वीप (एशिया) के दक्षिण-पश्चिम खंड में स्थित देश है। इसे सन १९३५ तक फारस नाम से भी जाना जाता है। इसकी राजधानी तेहरान है और यह देश उत्तर-पूर्व में तुर्कमेनिस्तान, उत्तर में कैस्पियन सागर और अज़रबैजान, दक्षिण में फारस की खाड़ी, पश्चिम में इराक और तुर्की, पूर्व में अफ़ग़ानिस्तान तथा पाकिस्तान से घिरा है। यहां का प्रमुख धर्म इस्लाम है तथा यह क्षेत्र शिया बहुल है। प्राचीन काल में यह बड़े साम्राज्यों की भूमि रह चुका है। ईरान को १९७९ में इस्लामिक गणराज्य घोषित किया गया था। यहाँ के प्रमुख शहर तेहरान, इस्फ़हान, तबरेज़, मशहद इत्यादि हैं। राजधानी तेहरान में देश की १५ प्रतिशत जनता वास करती है। ईरान की अर्थव्यवस्था मुख्यतः तेल और प्राकृतिक गैस निर्यात पर निर्भर है। फ़ारसी यहाँ की मुख्य भाषा है। ईरान में फारसी, अजरबैजान, कुर्द और लूर सबसे महत्वपूर्ण जातीय समूह हैं .

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ईरान का इतिहास

सुसा में दारुश (दारा) के महल के बाहर बने "अमर सेनानी"। यह उपाधि कुछ चुनिन्दा सैनिकों को दी जाती थी जो महल रक्षा तथा साम्राज्य विस्तार में प्रमुख माने जाते थे। ईरान का पुराना नाम फ़ारस है और इसका इतिहास बहुत ही नाटकीय रहा है जिसमें इसके पड़ोस के क्षेत्र भी शामिल रहे हैं। इरानी इतिहास में साम्राज्यों की कहानी ईसा के ६०० साल पहले के हख़ामनी शासकों से शुरु होती है। इनके द्वारा पश्चिम एशिया तथा मिस्र पर ईसापूर्व 530 के दशक में हुई विजय से लेकर अठारहवीं सदी में नादिरशाह के भारत पर आक्रमण करने के बीच में कई साम्राज्यों ने फ़ारस पर शासन किया। इनमें से कुछ फ़ारसी सांस्कृतिक क्षेत्र के थे तो कुछ बाहरी। फारसी सास्कृतिक प्रभाव वाले क्षेत्रों में आधुनिक ईरान के अलावा इराक का दक्षिणी भाग, अज़रबैजान, पश्चिमी अफगानिस्तान, ताजिकिस्तान का दक्षिणी भाग और पूर्वी तुर्की भी शामिल हैं। ये सब वो क्षेत्र हैं जहाँ कभी फारसी सासकों ने राज किया था और जिसके कारण उनपर फारसी संस्कृति का प्रभाव पड़ा था। सातवीं सदी में ईरान में इस्लाम आया। इससे पहले ईरान में जरदोश्त के धर्म के अनुयायी रहते थे। ईरान शिया इस्लाम का केन्द्र माना जाता है। कुछ लोगों ने इस्लाम कबूल करने से मना कर दिया तो उन्हें यातनाएं दी गई। इनमें से कुछ लोग भाग कर भारत के गुजरात तट पर आ गए। ये आज भी भारत में रहते हैं और इन्हें पारसी कहा जाता है। सूफ़ीवाद का जन्म और विकास ईरान और संबंधित क्षेत्रों में ११वीं सदी के आसपास हुआ। ईरान की शिया जनता पर दमिश्क और बग़दाद के सुन्नी ख़लीफ़ाओं का शासन कोई ९०० साल तक रहा जिसका असर आज के अरब-ईरान रिश्तों पर भी देखा जा सकता है। सोलहवीं सदी के आरंभ में सफ़वी वंश के तुर्क मूल लोगों के सत्ता में आने के बाद ही शिया लोग सत्ता में आ सके। इसके बाद भी देश पर सुन्नियों का शासन हुआ और उन शासकों में नादिर शाह तथा कुछ अफ़ग़ान शासक शामिल हैं। औपनिवेशक दौर में ईरान पर किसी यूरोपीय शक्ति ने सीधा शासन तो नहीं किया पर अंग्रेज़ों तथा रूसियों के बीच ईरान के व्यापार में दखल पड़ा। १९७९ की इस्लामिक क्रांति के बाद ईरान की राजनैतिक स्थिति में बहुत उतार-चढ़ाव आता रहा है। ईराक के साथ युद्ध ने भी देश को इस्लामिक जगत में एक अलग जगह पर ला खड़ा किया है। २३ जनवरी २००८ .

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ईरान के शहर

यह ईरान के शहरों की सूची है।.

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ईरान की इस्लामी क्रांति

ईरान की इस्लामिक क्रांति (फ़ारसी: इन्क़लाब-ए-इस्लामी) सन् 1979 में हुई थी जिसके फलस्वरूप ईरान को एक इस्लामिक गणराज्य घोषित कर दिया गया था। इस क्रांति को फ्रांस की राज्यक्रांति और बोल्शेविक क्रांति के बाद विश्व की सबसे महान क्रांति कहा जाता है। इसके कारण पहलवी वंश का अंत हो गया था और अयातोल्लाह ख़ोमैनी ईरान के प्रमुख बने थे।। ईरान का नया शासन एक धर्मतन्त्र है जहाँ सर्वोच्च नेता धार्मिक इमाम (अयातोल्लाह) होता है पर शासन एक निव्राचित राष्ट्रपति चलाता है। ग़ौरतलब है कि ईरान एक शिया बहुल देश है। इस क्रांति के प्रमुख कारणों में ईरान के पहलवी शासकों का पश्चिमी देशों के अनुकरण तथा अनुगमन करने की नीति तथा सरकार के असफल आर्थिक प्रबंध थे। इसके तुरत बाद इराक़ के नए शासक सद्दाम हुसैन ने अपने देश में ईरान समर्थित शिया आन्दोलन भड़कने के डर से ईरान पर आक्रमण कर दिया था जो 8 साल तक चला और अनिर्णीत समाप्त हुआ। .

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आर्मीनिया

आर्मीनिया (आर्मेनिया) पश्चिम एशिया और यूरोप के काकेशस क्षेत्र में स्थित एक पहाड़ी देश है जो चारों तरफ़ ज़मीन से घिरा है। १९९० के पूर्व यह सोवियत संघ का एक अंग था जो एक राज्य के रूप में था। सोवियत संघ में एक जनक्रान्ति एवं राज्यों के आजादी के संघर्ष के बाद आर्मीनिया को २३ अगस्त १९९० को स्वतंत्रता प्रदान कर दी गई, परन्तु इसके स्थापना की घोषणा २१ सितंबर, १९९१ को हुई एवं इसे अंतर्राष्ट्रीय मान्यता २५ दिसंबर को मिली। इसकी राजधानी येरेवन है। अर्मेनियाई मूल की लिपि आरामाईक एक समय (ईसा पूर्व ३००) भारत से लेकर भूमध्य सागर के बीच प्रयुक्त होती थी। पूर्वी रोमन साम्राज्य और फ़ारस तथा अरब दोनों क्षेत्रों के बीच अवस्थित होने के कारण मध्य काल से यह विदेशी प्रभाव और युद्ध की भूमि रहा है जहाँ इस्लाम और ईसाइयत के कई आरंभिक युद्ध लड़े गए थे। आर्मेनिया प्राचीन ऐतिहासिक सांस्कृतिक धरोहर वाला देश है। आर्मेनिया के राजा ने चौथी शताब्दी में ही ईसाई धर्म ग्रहण कर लिया था। इस प्रकार आर्मेनिया राज्य ईसाई धर्म ग्रहण करने वाला प्रथम राज्य है। देश में आर्मेनियाई एपोस्टलिक चर्च सबसे बड़ा धर्म है। इसके अलावा यहाँ ईसाईयों, मुसलमानों और अन्य संप्रदायों का छोटा समुदाय है। आर्मेनिय़ा का कुल क्षेत्रफल २९,८०० कि.मी² (११,५०६ वर्ग मील) है जिसका ४.७१% जलीय क्षेत्र है। अनुमानतः (जुलाई २००८) यहाँ की जनसंख्या ३२,३१,९०० है एवं वर्ग किमी घनत्व १०१ व्यक्ति है। इसकी सीमाएँ तुर्की, जॉर्जिया, अजरबैजान और ईरान से लगी हुई हैं। आज यहाँ ९७.९ प्रतिशत से अधिक आर्मीनियाई जातीय समुदाय के अलावा १.३% यज़िदी, ०.५% रूसी और अन्य अल्पसंख्यक निवास करते हैं। यहां की जनसंख्या का १०.६% भाग अंतर्राष्ट्रीय गरीबी रेखा (अमरीकी डालर १.२५ प्रतिदिन) से नीचे निवास करता है। आर्मेनिया ४० से अधिक अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का सदस्य है। इसमें संयुक्त राष्ट्र, यूरोप परिषद, एशियाई विकास बैंक, स्वतंत्र देशों का राष्ट्रकुल, विश्व व्यापार संगठन एवं गुट निरपेक्ष संगठन आदि प्रमुख हैं। .

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इस्फ़हान

इस्फ़हान (फारसी:اصفهان) ईरान में इस्फ़हान प्रांत का एक जिला है। इस जिले की जनसंख्या वर्ष २००६ अनुसार १६,०२,११० है। यह मध्य ईरान के मार्क़ज़ी प्रांत में खोमैन से 160 किमी तेहरान 350 किमी दूरी पर स्थित है। यह इस्फ़हान प्रांत की राजधानी हैं और ईरान का तेहरान और माशहाद के बाद तीसरा बड़ा नगर हैं।। .

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इस्फ़हान प्रांत

इस्फ़हान प्रांत (फ़ारसी: استان اصفهان (ओस्तान-ए-इस्फ़हान)) ईरान के ३० में से एक प्रांत है। यह ईरान के लगभग मध्य में है और इसकी राजधनी इस्फ़हान शहर है। यह प्रांत ऐतिहासिक रूप से काफ़ी महत्वपूर्ण है और सफ़वी वंश की राजधानी रहा है। इसका नाम इस्फ़हान इसके फ़ारसी निस्फ़ज़हान का संक्षेप है। निस्फ़ का अर्थ होता है आधा और जहान का अर्थ दुनिया। इसका शाब्दिक अर्थ हुआ - आधी दुनिया। मध्यकाल में इस ज़गह को घूमने का मतलब समझा जाता था कि आधी दुनिया देख ली। श्रेणी:ईरान के प्रांत.

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क़ाजार राजवंश

मुहम्मद ख़ान क़ाजार इस राजवंश के पहले शासक थे क़ाजार राजवंश (फ़ारसी:, सिलसिला क़ाजारिया) तुर्कियाई नस्ल का एक राजघराना था जिसने सन् १७८५ ई॰ से १९२५ ई॰ तक ईरान पर राज किया। इस परिवार ने ज़न्द राजवंश के अंतिम शासक, लोत्फ़ अली ख़ान, को सत्ता से हटाकर सन् १७९४ तक ईरान पर पूरा क़ब्ज़ा जमा लिया। १७९६ में मुहम्मद ख़ान क़ाजार ने औपचारिक रूप से ईरान के शाह का ताज पहन लिया। क़ाजारों के दौर में ईरान ने फिर से कॉकस के कई भागों पर हमला किया और उसे अपनी रियासत का हिस्सा बना लिया।Abbas Amanat, The Pivot of the Universe: Nasir Al-Din Shah Qajar and the Iranian Monarchy, 1831-1896, I.B.Tauris, pp 2-3; "In the 126 years between the fall of the Safavid state in 1722 and the accession of Nasir al-Din Shah, the Qajars evolved from a shepherd-warrior tribe with strongholds in northern Iran into a Persian dynasty.." .

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अब्द अल-रहमान अल-सूफ़ी

अब्द अल-रहमान अल-सूफ़ी की "खगोलीय तारामंडलों का चित्रण" नामक किताब में धनुषधारी तारामंडल (सैजीटेरियस) का बखान अब्द अल-रहमान अल-सूफ़ी (फ़ारसी:, जन्म: ७ दिसम्बर ९०३, देहांत: २५ मई ९८६) एक ईरानी खगोलशास्त्री थे जिसे अब्दुल रहमान सूफ़ी, अब्द अल-रहमान अबु अल-हुसैन और अज़ोफ़ी के नामों से भी जाना जाता है। चन्द्रमा पर स्थित "अज़ोफ़ी" नाम के प्रहार क्रेटर और "१२६२१ अलसूफ़ी" नाम के हीन ग्रह का नामकरण इन्ही के सम्मान में किया गया है। इन्होने सन् ९६४ ईसवी में खगोलशास्त्र की एक प्रख्यात किताब "स्थित तारों की पुस्तक" प्रकाशित की थी, जिसमें बहुत से नक्षत्रों की तस्वीरें और विवरण शामिल था। .

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अरान वा बिदगोल

ईरान के जिले अरान वा बिदगोल (फारसी:آران وبيدگل) ईरान में इस्फ़हान प्रांत का एक जिला है। इस जिले की जनसंख्या वर्ष २००६ अनुसार ५५,८३३ है।.

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