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इलेक्ट्रॉनिक डिजाइन स्वचालन

सूची इलेक्ट्रॉनिक डिजाइन स्वचालन

की-कैड 3D प्रदर्शक में एक पीसीबी का दृष्य इलेक्ट्रॉनिक डिजाइन स्वचालन (Electronic design automation / EDA) इलेक्ट्रॉनिक कैड (ECAD), इलेक्ट्रॉनिक तन्त्रों के डिजिन में प्रयुक्त सॉफ्टवेयरों का सामान्य नाम है। इसके अन्तर्गत मुख्यतः एकीकृत परिपथ डिजाइन, प्रिन्टेड सर्किट बोर्ड डिजाइन, इलेक्ट्रॉनिक परिपथों के आरेख बनाने वाले सॉफ्टवेयर, और परिपथ सिमुलेशन के सॉफ्टवेयर आदि आते हैं। .

2 संबंधों: की-कैड, अंकीय इलेक्ट्रॉनिकी

की-कैड

की-कैड (KiCad) एक इलेक्ट्रॉनिक डिजाइन का एक मुक्तस्रोत सॉफ्टवेयर है। इसकी सहायता से विद्युत परिपथ (इलेक्ट्रॉनिक परिपथ) का आरेख तथा फिर प्रिन्टेड सर्किट बोर्ड (पीसीबी) डिजाइन की जा सकती है। मूलतः इसका विकास ज्यां पियरी चारास (Jean-Pierre Charras) ने किया था। .

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अंकीय इलेक्ट्रॉनिकी

अंकीय इलेक्ट्रॉनिकी या डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स इलेक्ट्रॉनिक्स की एक शाखा है जिसमें विद्युत संकेत अंकीय होते हैं। अंकीय संकेत बहुत तरह के हो सकते हैं किन्तु बाइनरी डिजिटल संकेत सबसे अधिक उपयोग में आते हैं। शून्य/एक, ऑन/ऑफ, हाँ/नहीं, लो/हाई आदि बाइनरी संकेतों के कुछ उदाहरण हैं। जबसे एकीकृत परिपथों (इन्टीग्रेटेड सर्किट) का प्रादुर्भाव हुआ है और एक छोटी सी चिप में लाखों करोंड़ों इलेक्ट्रॉनिक युक्तियाँ भरी जाने लगीं हैं तब से डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक बहुत महत्वपूर्ण हो गयी है। आधुनिक व्यक्तिगत कम्प्यूटर (पीसी) तथा सेल-फोन, डिजिटल कैमरा आदि डिजिटल इलेक्ट्रॉनिकी की देन हैं। लकडी की तख्ती पर हाथ से बुनी हुई एक द्विआधारी घड़ी एक औद्योगिक अंकीय नियंत्रक इनटेल 80486DX2 माइक्रोप्रोसेसर अंकीय इलेक्ट्रॉनिकी, या सूक्ष्माड़विक आंकिक पद्धति ऐसी प्रणाली है जो विद्युत संकेतों को, रेखीय स्तर के एक निरंतर पट्टियों के बजाए एक अलग अलग पट्टियों की श्रृंखला के रूप में दर्शाती है। इस पट्टी के सभी स्तर संकेतों की एक ही अवस्था को दर्शाते हैं। संकेतो की इस पृथकता की वजह से निर्माण सहनशीलता के काऱण रेखीय संकेतो के स्तर में आये अपेक्षाकृत छोटे बदलाव अलग आवरण नहीं छोड़ते है। जिसके परिणाम स्वरुप संकेतो की अवस्था को महसूस करने वाला परिपथ इन्हे नजरअंदाज कर देता है। ज्यादातर मामलों में संकेतो की अवस्था की संख्या दो होती है और इन दो अवस्थाओं को दो वोल्टेज स्तरों द्वारा दर्शाया जाता है: प्रयोग में आपूर्ति वोल्टेज के आधार पर एक व दूसरा (आमतौर पर "जमीनी" या शून्य वोल्ट के रूप में कहा जाता है)| 1 उच्च स्तर पर होता है व 0 निम्न स्तर पर। अक्सर ये दोनों स्तर "लो" और "हाई" के रूप में प्रतिनिधित्व करते हैं। आंकिक तकनीक का मूल लाभ इस तथ्य पर आधारित है कि संकेतो की एक सतत श्रृंखला को पुनरुत्पादित करने के बजाए, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को संकेतो की ० या १ जैसे किसी ज्ञात अवस्था में भेजना ज्यादा आसान होता है। डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स आम तौर पर लॉजिक गेट्स के वृहद संयोजन व बूलियन तर्क प्रकार्य के सरल इलेक्ट्रोनिक्स से बनाया जाता है। .

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