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इलियाड

सूची इलियाड

इलियड का प्राचीन ज़ूनानी निदर्श चित्र इलियड या ईलियद (ILIAD, प्राच. यून. Ἰλιάς Iliás) — प्राचीन यूनानी शास्त्रीय (क्लासिकल) महाकाव्य है, जो यूरोप के आदिकवि होमर की रचना मानी जाती है। इसका नामकरण ईलियन नगर (ट्राय) के युद्ध के वर्णन के कारण हुआ है। समग्र रचना 24 पुस्तकों में विभक्त है और इसमें 15,693 पंक्तियाँ हैं। इलियड में ट्राय राज्य के साथ ग्रीक लोंगो के युद्ध का वर्णन है। इस महाकाव्य में ट्राय के विजय और ध्वंस की कहानी तथा युनानी वीर एकलिस के वीरत्व की गाथाएं हैं। .

24 संबंधों: ट्रॉय का युद्ध, ट्रोजन हॉर्स, पश्चिमी संस्कृति, प्रसिद्ध पुस्तकें, प्राचीन यूनानी भाषा, ब्रैड पिट, महाभारत, महाभारत का रचना काल, महाकाव्य (एपिक), यूनानी भाषा, यूरोप का इतिहास, रोबॉटिक्स, रोबोट, साहित्य, सिक्का, सूचकाक्षर, सोफ़िस्त, होमर, ईजियाई सभ्यता, विभिन्न भाषाओं में रामायण, ओडिसी (बहुविकल्पी), ओदिसी, अगामेमनन, अकिलीज़

ट्रॉय का युद्ध

ट्रॉय का युद्ध - प्राचीन यूनानी पुराकथा संग्रह की मुख्य घटना है। यूनानियों ने ट्रॉय नगर को दस सालों के लिए घेरे में डाल दिया। होमर की इलियाड नामक रचना इस युद्ध के केवल 51 दिनों के निर्णायक दृश्यों का विवरण देती है। ट्राय का राजकुमार स्पार्टा की रानी हेलेन का अपहरण कर ट्राय नगर ले गया। इस अपमान का बदला लेने के लिए ही ग्रीस के सभी राजाओं और वीरों ने मिलकर ट्राय पर आक्रमण किया। ट्राय से लौटते समय उनका जहाज तूफान में फस गया। वह बहुत दिनों तक इधर उधर भटकता रहा.

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ट्रोजन हॉर्स

'वर्जिलिअस वैटिकानस' (Vergilius Vaticanus) में वर्णित काठ का घोड़ा डिटेल्स फ्रॉम द प्रोसेशन ऑफ़ द ट्रोजन हॉर्स इन ट्रॉय बाय डोमेनिको टीपोलो (1773), इंस्पायर्ड बाय विर्जिल एनीड ट्रोजन हॉर्स या काठ का घोड़ा एक कथा है जिसमें ग्रीक सैनिकों ने त्राय नगर में प्रवेश करने के लिये काठ के एक विशाल घोड़े का निर्माण किया (जिसके खोखले पेट में कुछ कुशल सैनिक छिपे थे) और घोखे से ट्राय नगर में प्रवेश किया। वर्जिल द्वारा रचित लातिन महाकाव्य द एनिड और कुइंतुस ऑफ़ स्मिर्ना के अनुसार ट्रोजन हॉर्स ट्रोजन युद्ध की एक कथा है। इस कथा में घटित घटनाए काँस्य युगसे ली गयी है और यह होमर की ओडीसी के पूर्व और ईलिअड के पश्चात लिखी गयी थी। यह यूनानियों की चाल के द्वारा ही संभव हो पाया की वे अंततः ट्रॉय शहर में प्रवेश कर संघर्ष का अंत कर पाये.

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पश्चिमी संस्कृति

पश्चिमी संस्कृति (जिसे कभी-कभी पश्चिमी सभ्यता या यूरोपीय सभ्यता के समान माना जाता है), यूरोपीय मूल की संस्कृतियों को सन्दर्भित करती है। यूनानियों के साथ शुरू होने वाली पश्चिमी संस्कृति का विस्तार और सुदृढ़ीकरण रोमनों द्वारा हुआ, पंद्रहवी सदी के पुनर्जागरण एवं सुधार के माध्यम से इसका सुधार और इसका आधुनिकीकरण हुआ और सोलहवीं सदी से लेकर बीसवीं सदी तक जीवन और शिक्षा के यूरोपीय तरीकों का प्रसार करने वाले उत्तरोत्तर यूरोपीय साम्राज्यों द्वारा इसका वैश्वीकरण हुआ। दर्शन, मध्ययुगीन मतवाद एवं रहस्यवाद, ईसाई एवं धर्मनिरपेक्ष मानवतावाद की एक जटिल श्रृंखला के साथ यूरोपीय संस्कृति का विकास हुआ। ज्ञानोदय, प्रकृतिवाद, स्वच्छंदतावाद (रोमेन्टिसिज्म), विज्ञान, लोकतंत्र और समाजवाद के प्रयोगों के साथ परिवर्तन एवं निर्माण के एक लंबे युग के माध्यम से तर्कसंगत विचारधारा विकसित हुई.

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प्रसिद्ध पुस्तकें

कोई विवरण नहीं।

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प्राचीन यूनानी भाषा

प्राचीन यूनानी भाषा (अथवा प्राचीन ग्रीक, अंग्रेज़ी: Ancient Greek, यूनानी: हेल्लेनिकी) प्राचीन काल के यूनान देश और उसके आस-पास के क्षेत्रों की मुख्य भाषा थी। इसे संस्कृत की बहिन भाषा माना जा सकता है। ये हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की यूनानी शाखा में आती है। इसे एक शास्त्रीय भाषा माना जाता है, जिसमें काफ़ी ज़्यादा और उच्च कोटि का साहित्य रचा गया था, जिसमें सबसे ख़ास होमर के दो महाकाव्य इलियाड और ओडेस्सी हैं। इसके व्याकरण, शब्दावली, ध्वनि-तन्त्र और संगीतमय बोली इसे संस्कृत के काफ़ी करीब रख देते हैं। इसकी बोलचाल की बोली कोइने में ही बाइबल का लगभग सारा नया नियम लिखा गया था। .

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ब्रैड पिट

विलियम ब्रैडली "ब्रैड" पिट (जन्म 18 दिसम्बर 1963) एक अमेरिकी अभिनेता और फिल्म निर्माता हैं। उन्हें दुनिया के सबसे आकर्षक पुरुषों में से एक के रूप में उद्धृत किया गया है, एक ऐसा ठप्पा, जो मीडिया को उनके परदे से बाहर के जीवन पर रिपोर्ट करने के लिए ललचाता है। पिट को दो अकादमी पुरस्कार नामांकन और चार गोल्डन ग्लोब पुरस्कार नामांकन प्राप्त हुआ है, जिसमें से उन्होंने एक जीता है। पिट ने अपने अभिनय कैरियर की शुरूआत टेलीविज़न पर अतिथि भूमिकाओं से की, जिसमें 1987 में CBS धारावाहिक "डल्लास" में एक भूमिका शामिल है। उन्हें 1991 की रोड फ़िल्म थेल्मा एंड लुईस के एक बेपरवाह अनुरोध-यात्री के रूप में पहचान मिली जो जीना डेविस के चरित्र को फुसलाता है। पिट को बड़े बजट के निर्माणों में मुख्य भूमिका अ रिवर रन्स थ्रू इट (1992) और इंटरव्यू विथ द वैमपायर (1994) के माध्यम से मिली.1994 के नाटक लेजेंड्स ऑफ़ द फॉल में उन्हें एंथनी हॉपकिन्स के साथ भूमिका दी गई, जिसके लिए उन्हें पहली बार गोल्डन ग्लोब नामांकन प्राप्त हुआ। 1995 में उन्होंने क्राइम थ्रिलर सेवन और कल्पित विज्ञान फ़िल्म ट्वेल्व मंकीस में समीक्षकों द्वारा प्रशंसित अभिनय किया, जिनमें परवर्ती फ़िल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का गोल्डन ग्लोब पुरस्कार और अकादमी पुरस्कार नामांकन मिला.

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महाभारत

महाभारत हिन्दुओं का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृति वर्ग में आता है। कभी कभी केवल "भारत" कहा जाने वाला यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं। विश्व का सबसे लंबा यह साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। इस ग्रन्थ को हिन्दू धर्म में पंचम वेद माना जाता है। यद्यपि इसे साहित्य की सबसे अनुपम कृतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह ग्रंथ प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। यह कृति प्राचीन भारत के इतिहास की एक गाथा है। इसी में हिन्दू धर्म का पवित्रतम ग्रंथ भगवद्गीता सन्निहित है। पूरे महाभारत में लगभग १,१०,००० श्लोक हैं, जो यूनानी काव्यों इलियड और ओडिसी से परिमाण में दस गुणा अधिक हैं। हिन्दू मान्यताओं, पौराणिक संदर्भो एवं स्वयं महाभारत के अनुसार इस काव्य का रचनाकार वेदव्यास जी को माना जाता है। इस काव्य के रचयिता वेदव्यास जी ने अपने इस अनुपम काव्य में वेदों, वेदांगों और उपनिषदों के गुह्यतम रहस्यों का निरुपण किया हैं। इसके अतिरिक्त इस काव्य में न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, ज्योतिष, युद्धनीति, योगशास्त्र, अर्थशास्त्र, वास्तुशास्त्र, शिल्पशास्त्र, कामशास्त्र, खगोलविद्या तथा धर्मशास्त्र का भी विस्तार से वर्णन किया गया हैं। .

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महाभारत का रचना काल

सुत जी द्वारा महाभारत ऋषि मुनियो को सुनाना। वेदव्यास जी को महाभारत को पूरा रचने में ३ वर्ष लग गये थे, इसका कारण यह हो सकता है कि उस समय लेखन लिपी कला का इतना विकास नही हुआ था, संस्कृत ऋषियो की भाषा थी और ब्राह्मी आम बोल चाल की भाषा हुआ करती थी। यह सर्वमान्य है कि महाभारत का आधुनिक रूप कई अवस्थाओ से गुजर कर बना है, इसकी रचना की चार प्रारम्भिक अवस्थाए पहचानी गयी है- .

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महाकाव्य (एपिक)

वृहद् आकार की तथा किसी महान कार्य का वर्णन करने वाली काव्यरचना को महाकाव्य (epic) कहते हैं। .

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यूनानी भाषा

यूनानी या ग्रीक (Ελληνικά या Ελληνική γλώσσα), हिन्द-यूरोपीय (भारोपीय) भाषा परिवार की स्वतंत्र शाखा है, जो ग्रीक (यूनानी) लोगों द्वारा बोली जाती है। दक्षिण बाल्कन से निकली इस भाषा का अन्य भारोपीय भाषा की तुलना में सबसे लंबा इतिहास है, जो लेखन इतिहास के 34 शताब्दियों में फैला हुआ है। अपने प्राचीन रूप में यह प्राचीन यूनानी साहित्य और ईसाईयों के बाइबल के न्यू टेस्टामेंट की भाषा है। आधुनिक स्वरूप में यह यूनान और साइप्रस की आधिकारिक भाषा है और करीबन 2 करोड़ लोगों द्वारा बोली जाती है। लेखन में यूनानी अक्षरों का उपयोग किया जाता है। यूनानी भाषा के दो ख़ास मतलब हो सकते हैं.

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यूरोप का इतिहास

एक '''सामी''' परिवार यूरोप में मानव ईसापूर्व 35,000 के आसपास आया। इसके बाद ७००० इस्वी पूर्व से संगठित बसाव यानि बस्तियों के प्रमाण मिलते हैं। काँस्य युगीन सभ्यता (३००० ईसा पूर्व) के समय यहाँ कुछ अधिक बसाव नहीं हुआ - भ़ासकर मिस्र, इराक, चीन और भारतीय सभ्यता के मुकाबले। लेकिन ५०० ईसापूर्व से रोमन और यूनानी साम्राज्यों का उदय हुआ जिसने यूरोप की संस्कृति को बहुत प्रभावित किया। सैन्य, कला और चिंतन के मामले में यूनानियों ने यूरोप के एक कोने में होते हुए भी पूरे यूरोप और बाद में विश्वभर में अपना प्रभाव जमाया। आज यूरोप के देश यूरोपीय संघ के सदस्य हैं जो एक मुद्रा यूरो चलाता है। मध्यकाल में यूरोप छोटे राज्यों में विभक्त हो गया था। विज्ञान और शोध के मामले में धार्मिक मान्यताओं ने अपना प्रभाव बना रखा था। पंद्रहवीं सदी के बाद यह पुनः विकसित हुआ। सैनिक इतिहास का एक छोटा ब्यौरा नीचे लिखा है, कृपया वहाँ देखें। यूरोप के इतिहास को समझने के लिए दक्षिणी (रोम, यूनान और स्पेन), पूर्वी (यानि स्लाविक) और उत्तरी क्षेत्र जिसनें जर्मन मूल की नौर्ड और वाइकिंग तथा केल्ट और गॉल को समझना आवश्यक है। .

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रोबॉटिक्स

बल्ब पकडे हुऐ रोबॉटी 'शैडो हैंड'रोबॉटिक्स रोबॉट की अभिकल्पना, निर्माण और अभिप्रयोग के विज्ञान और तकनीकों को कहते हैं। इस क्षेत्र में कार्य करने के लिये इलेक्ट्रॉनिकी, यान्त्रिकी और सॉफ्टवेयर के सिवाय कई अन्य क्षेत्रों में व्यावहारिक ज्ञान की आवश्यकता होती है। हालाँकि रोबॉट के स्वरूप और क्षमताओं में काफी विविधता हैं पर इन सभी में कई समानताएँ भी हैं। उदाहरण के लिए यांत्रिक चलनशील ढाँचा और स्वनियंत्रण सभी में होता है। रोबॉट के ढाँचे की उपमा मानव अस्थिपंजर है और उसे शुद्ध-गति माला कहा जा सकता है। यह माला है इसकी हड्डियाँ, प्रवर्तक इसकी माँस पेशियाँ और जोड़, जो इसे एक या एक से अधिक स्वातंत्र्य परिमाण देते हैं। अधिकांश रोबॉट क्रमिक माला रूपी होते हैं, जिसमें एक कड़ी दूसरी से जुड़ती है - इन्हें क्रमिक रोबॉट कहते हैं और ये मानव हाथ के समान हैं। अन्य रोबॉट सामानांतर शुद्ध-गति मालाओं का प्रयोग करते हैं। जीव-यांत्रिकी के अंतर्गत मानव या अन्य जीवों की नकल कर ढाचों को बनाने पर अनुसन्धान चल रहा है। माला की अंतिम कड़ी किसी तरह की प्रवर्तक हो सकती है, जैसे एक यांत्रिक हाथ या वेल्डिंग मशीन। .

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रोबोट

एक कारखाने में चीजों को उठाने और सही स्थान पर रखने वाला रोबोट रोबोट एक आभासी (virtual) या यांत्रिक (mechanical)कृत्रिम (artificial) एजेंट है व्यवहारिक रूप से, यह प्रायः एक विद्युत यांत्रिकी निकाय (electro-mechanical system) होता है, जिसकी दिखावट और गति ऐसी होती है की लगता है जैसे उसका अपना एक इरादा (intent) और अपना एक अभिकरण (agency) है।रोबोट शब्द भौतिक रोबोट और आभासी (virtual) सॉफ्टवेयर एजेंट (software agent), दोनों को ही प्रतिबिंबित करता है लेकिन प्रायः आभासी सॉफ्टवेयर एजेंट को बोट्स (bots) कहा जाता है। ऐसी कोई भी सर्वसम्मति नहीं बन पाई है की मशीन रोबोटों के रूप में योग्य हैं, लेकिन एक विशेषज्ञों और जनता के बीच आम सहमति है कि कुछ या सभी निम्न कार्य कर सकता है जैसे: घूमना, यंत्र या कल सम्बन्धी अवयव को संचालित करना, वातावरण की समझ और उसमें फेर बदल करना और बुद्धिमानी भरे व्यवहार को प्रधार्षित करना जो की मानव और पशुओं के व्यवहारों की नक़ल करना। कृत्रिम सहायकों और साथी की कहानिया और और उन्हें बनाने के प्रयास का एक लम्बा इतिहास है लेकिन पूरी तरह से स्वायत्त (autonomous) मशीने केवल 20 वीं सदी में आए डिजिटल (digital) प्रणाली से चलने वाला प्रोग्राम किया हुआ पहला रोबोट युनिमेट (Unimate), १९६१ में ठप्पा बनाने वाली मशीन से धातु के गर्म टुकड़ों को उठाकर उनके ढेर बनाने के लिए लगाया गया था। आज, वाणिज्यिक और औद्योगिक रोबोट (industrial robot) व्यापक रूप से सस्ते में और अधिकसे अधिक सटीकता और मनुष्यों की तुलना में ज्यादा विश्वसनीयता के साथ प्रयोग में आ रहे हैं उन्हें ऐसे कार्यों के लिए भी नियुक्त किया जाता है जो की मानव लिहाज़ से काफी खतरनाक, गन्दा और उबाऊ कार्य होता है रोबोट्स का प्रयोग व्यापक रूप से विनिर्माण (manufacturing), सभा और गठरी लादने, परिवहन, पृथ्वी और अन्तरिक्षीय खोज, सर्जरी, हथियारों के निर्माण, प्रयोगशाला अनुसंधान और उपभोक्ता और औद्योगिक उत्पादन के लिए किया जा रहा है आमतौर पर लोगों का जिन रोबोटों से सामना हुआ है उनके बारे में लोगों के विचार सकारात्मक हैं घरेलू रोबोट (Domestic robot) सफाई और रखरखाव के काम के लिए घरों के आस पास आम होते जा रहे हैंबहरहाल रोबोटिक हथियारों और स्वचालन के आर्थिक प्रभाव को लेकर चिंता बनी हुई है, ऐसी चिंता जिसका समाधान लोकप्रिय मनोरंजन में वर्णित खलनायकी, बुद्धिमान, कलाबाज़ रोबोट के सहारे नहीं होता अपने काल्पनिक समकक्षों की तुलना में असली रोबोट्स अभी भी सौम्य, मंद बुद्धि और स्थूल हैं .

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साहित्य

किसी भाषा के वाचिक और लिखित (शास्त्रसमूह) को साहित्य कह सकते हैं। दुनिया में सबसे पुराना वाचिक साहित्य हमें आदिवासी भाषाओं में मिलता है। इस दृष्टि से आदिवासी साहित्य सभी साहित्य का मूल स्रोत है। .

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सिक्का

एक सिक्का धातु का एक ठोस टुकड़ा है जो वजन में मानकीकृत होता है, जिसे व्यापार की सुविधाओं के लिए बहुत बड़ी मात्रा में उत्पादित किया जाता है और मुख्य रूप से देश, प्रदेश या क्षेत्र में एक निविदा कानूनी वाणिज्य के लिए नामित टोकन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। आमतौर पर सिक्के को धातु या एक धातु सदृश सामग्री और कभी कभी सिंथेटिक सामग्री से बनाया जाता है, सामान्यतः जिसकी बनावट गोल चिपटी होती है और यह अक्सर सरकार द्वारा जारी की जाती हैं। प्रतिदिन के सिक्के के संचरण से लेकर बड़ी संख्या में बुलियन सिक्के के भंडारण के लिए, विभिन्न प्रकार के लेनदेन में सिक्के का प्रयोग पैसे के रूप में होता है। आजकल के मौजूदा लेनेदेन में आधुनिक पैसे की प्रणाली में सिक्के और बैंकनोट नकद के रूप में उपयोग किए जाते हैं। सिक्के का उपयोग बिलों के भुगतान के लिए किया जाता है और सामान्यतः इसे कम इकाइयों के मूल्यों के लिए और बैंकनोट को उच्च मूल्य के लिए मुद्रीकृत किया जाता है; कई पैसों की प्रणाली में उच्चतम-मूल्य के सिक्के का मूल्य न्यूनतम-मूल्य के बैंकनोट से भी कम होता है। पिछले सौ वर्षों में, परिसंचरण सिक्के का अंकित मूल्य आमतौर पर उन्हें बनाने में इस्तेमाल धातु के कुल मूल्य से अधिक होता है, लेकिन आम तौर पर सिक्के के परिसंचरण के इतिहास में ऐसा हमेशा नहीं हुआ है, कई बार परिसंचरण सिक्के कीमती धातुओं से बनाए गए हैं। इस अपवाद से कि सिक्के का अंकित मूल्य इस्तेमाल धातु के कुल मूल्य से अधिक हो, कई बार "बुलियन सिक्कों" को चादीं और सोने (और, कदाचित, अन्य धातु जैसे प्लैटिनम या पैलेडियम), मूल्यवान धातुओं में संग्राहक या निवेशक के उद्दिष्ट से बनाए जाते हैं। आधुनिक सोने के संग्राहक/निवेशक सिक्कों के उदाहरण में संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा मुद्रित किए गए अमेरिकन गोल्ड ईगल, कनाडा द्वारा मुद्रित किए गए कनाडा गोल्ड मेपल लीफ, दक्षिण अफ्रीका द्वारा मुद्रित किए गए क्रुगेरांड शामिल हैं। अमेरिकन गोल्ड ईगल का अंकित मूल्य अमेरिकन $50 है और कनाडा गोल्ड मेपल लीफ सिक्के का (विशुद्ध प्रतीकात्मक) अंकित मूल्य नाममात्र ही है (उदाहरणार्थ, C$50 1 ऑउंस के लिए); लेकिन क्रुगेर्रंद का नहीं है। ऐतिहासिक दृष्टि से, कई सिक्के के धातु (मिश्रित धातु सहित) और अन्य सामग्री व्यावहारिक, कलात्मक और प्रायोगिक रूप से उत्पादित परिसंचरण, संग्रह और धातु निवेश के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं, जहां बुलियन सिक्के अन्य बुलियन की तुलना बुलियन सिक्के धातु की मात्रा और शुद्धता के लिए अक्सर अधिक सुविधाजनक तरीके से संग्रह किए जाते हैं। लंबे समय से सिक्के पैसे की अवधारणा से जुड़े हुए हैं, जैसा कि यह तथ्य परिलक्षित है कि "सिक्का" और "मुद्रा" शब्द समानार्थक है। काल्पनिक मुद्राओं में भी सिक्कों के नाम होते हैं (जैसे, किसी वस्तु के लिए कहा जा सकता है जो 123 सिक्का या 123 सिक्कों के बराबर हो सकता है).

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सूचकाक्षर

बोलने तथा लिखने में सुविधा और समय तथा श्रम की बचत करने के उद्देश्य से कभी-कभी किसी बड़े अथवा क्लिष्ट शब्द के स्थान पर उस शब्द के किसी ऐसे सरल, सुबोध एवं संक्षिप्त रूप का प्रयोग किया जाता है जिससे श्रोताओं और पाठकों को पूरे शब्द (या मूल शब्द) का बोध सरलता से हो जाए। शब्दों के ऐसे संक्षिप्त रूप को सूचकाक्षर (याने ऐब्रिविएशन, Abbreviationing) कहते हैं। बड़े अथवा क्लिष्ट शब्दों को संक्षिप्त या सरल बनाने की इस क्रिया में प्राय: मूल शब्द के प्रथम दो, तीन या अधिक अक्षर और यदि मूल शब्द (नाम) कई शब्दों के मेल से बना हो तो उन शब्दों के प्रथम अक्षर लेकर उन्हें अलग-अलग अक्षरों या एक स्वतंत्र शब्द के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। इस प्रकार बनाए गए सूचकाक्षरों का प्रयोग कभी-कभी इतना अधिक होने लगता है कि मूल शब्द का प्रयोग प्राय: बिल्कुल ही बंद हो जाता है और सूचकाक्षर लिखित भाषा का अंग बनकर उस मूल शब्द का रूप ले लेता है। इसका एक सरल उदाहरण "यूनेस्को" है जो वस्तुत: "यूनाइटेड नेशंस एज्युकेशनल, साइंटिफिक ऐंड कल्चरल आर्गेनिजेशन" इस लंबे नाम में प्रयुक्त पाँच मुख्य शब्दों के प्रथम अक्षरों के मेल से बना है। इसी प्रकार अंग्रेजी में एक बहुप्रचलित शब्द "मिस्टर" (Mister) है, जिसे शायद ही कभी पूरे रूप में लिखा जाता हो। जब कभी किसी भी प्रसंग में उक्त शब्द लिखना होता है तो पूरा शब्द न लिखकर केवल उसके सूचकाक्षर Mr.

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सोफ़िस्त

आधुनिक प्रचलन में, सोफ़िस्त वह व्यक्ति है, जो दूसरों को अपने मत में करने के लिए युक्तियों, एवं व्याख्याओं का आविष्कार कर सके। किंतु यह "सोफ़िस्त" का मूल अर्थ नहीं है। प्राचीन यूनानी दर्शनकाल में, ज्ञानाश्रयी दार्शनिक ही सोफ़िस्त थे। तब "फ़िलॉसफ़ॉस" का प्रचलन न था। ईसा पूर्व पाँचवीं तथा चौथी शताब्दियों में यूनान के कुछ सीमावर्ती दार्शनिकों ने सांस्कृतिक विचारों के विरुद्ध आंदोलन किया। एथेंस नगर प्राचीन यूनानी संस्कृति का केंद्र था। वहाँ इस आंदोलन की हँसी उड़ाई गई। अफलातून (प्लेटो) के कुछ संवादों के नाम सोफ़िस्त कहे जानेवाले दार्शनिकों के नामों पर हैं। उनमें सुकरात और प्रमुख सोफ़िस्तों के बीच विवाद प्रस्तुत करते हुए अंत में सोफ़िस्तों को निरुतर करा दिया गया है। सुकरात के आत्मत्याग से यूनान में उसका सम्मान इतना अधिक हो गया था कि सुकरात को सोफिस्त आंदोलन का विरोधी समझकर, परंपरा ने "सोफ़िस्त" शब्द अपमानसूचक मान लिया। .

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होमर

ब्रिटिश संग्रहालय में होमर की प्रतिकृति होमर यूनान के ऐसे प्राचीनतम कवियों में से हैं जिनकी रचनाएँ आज भी उपलब्ध हैं और जो बहुमत से यूरोप के सबसे महान कवि स्वीकार किए जाते हैं। वे अपने समय की सभ्यता तथा संस्कृति की अभिव्यक्ति का प्रबल माध्यम माने जाते हैं। अन्धे होने के बावजूद उन्होंने दो महाकाव्यों की रचना की - इलियड और ओडिसी। इनका कार्यकाल ईसा से लगभग १००० वर्ष पूर्व था। हालाँकि इसके विषय में प्राचीन काल में जितना विवाद था आज भी उतना ही है। कुछ लोग उनके समय को ट्रोजन युद्ध के समय से जोड़ते है पर इतना तो तय है कि यूनानी इतिहास का एक पूरा काल होमर युग के नाम से विख्यात है, जो ८५० ईसा पूर्व से ट्रोजन युद्ध की तारीख ११९४-११८४ ईसा पूर्व तक फैला हुआ है। इलियड में ट्राय राज्य के साथ ग्रीक लोगों के युद्ध का वर्णन है। इस महाकाव्य में ट्राय की विजय और ध्वंस की कहानी तथा यूनानी वीर एकलिस की वीरता की गाथाएँ हैं। होमर के महाकाव्यों की भाषा प्राचीन यूनानी या हेल्लिकी है। जिस प्रकार हिंदू रामायण में लंका विजय की कहानी पढ़कर आनंदित होते हैं। उसी प्रकार ओडिसी में यूनान वीर यूलीसिस की कथा का वर्णन है। ट्राय का राजकुमार स्पार्टा की रानी हेलेन का अपहरण कर ट्राय नगर ले गया। इस अपमान का बदला लेने के लिए ही ग्रीस के सभी राजाओं और वीरों ने मिलकर ट्राय पर आक्रमण किया। ट्राय से लौटते समय उनका जहाज तूफान में फँस गया। वह बहुत दिनों तक इधर-उधर भटकता रहा। इसके बाद अपने देश लौटा। यूनान (ग्रीस) के तत्कालीन सामाजिक, राजनैतिक एवं धार्मिक तथ्यों की जानकारी का एकमात्र भरोसेमंद साधन के रूप में इनके ये दो महाकाव्य ही उपलब्ध हैं- इलियड और ओडेसी। इसके अतिरिक्त बहुत सी धार्मिक काव्य रचनाएँ भी जिन्हें बाद में परवर्ती कवियों की रचनाएँ माना गया। यह भी कहा जाता है कि इलियड और ओडेसी का प्रारंभिक स्वरूप मौखिक था और इन्हें प्राचीन ग्रीस के गायक गाया करते थे। गाते हुए वे बहुत से स्वरचित पद इसमें मिला देते। इस कारण इन्हें पूर्ण रूप से होमर की रचनाएँ मानना ठीक नहीं है। इस आधार पर वे होमर किसी एक व्यक्ति को नहीं बल्कि समष्टि रूप से इलियड और ओडेसी के रचनाकारों को मानते हैं। .

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ईजियाई सभ्यता

जो सभ्यता 12वीं सदी ई.पू.

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विभिन्न भाषाओं में रामायण

म्यांमार के रामायण (रामजात्तौ) पर आधारित नृत्य भिन्न-भिन्न प्रकार से गिनने पर रामायण तीन सौ से लेकर एक हजार तक की संख्या में विविध रूपों में मिलती हैं। इनमें से संस्कृत में रचित वाल्मीकि रामायण (आर्ष रामायण) सबसे प्राचीन मानी जाती है। साहित्यिक शोध के क्षेत्र में भगवान राम के बारे में आधिकारिक रूप से जानने का मूल स्रोत महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण है। इस गौरव ग्रंथ के कारण वाल्मीकि दुनिया के आदि कवि माने जाते हैं। श्रीराम-कथा केवल वाल्मीकीय रामायण तक सीमित न रही बल्कि मुनि व्यास रचित महाभारत में भी 'रामोपाख्यान' के रूप में आरण्यकपर्व (वन पर्व) में यह कथा वर्णित हुई है। इसके अतिरिक्त 'द्रोण पर्व' तथा 'शांतिपर्व' में रामकथा के सन्दर्भ उपलब्ध हैं। बौद्ध परंपरा में श्रीराम से संबंधित दशरथ जातक, अनामक जातक तथा दशरथ कथानक नामक तीन जातक कथाएँ उपलब्ध हैं। रामायण से थोड़ा भिन्न होते हुए भी ये ग्रन्थ इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठ हैं। जैन साहित्य में राम कथा संबंधी कई ग्रंथ लिखे गये, जिनमें मुख्य हैं- विमलसूरि कृत 'पउमचरियं' (प्राकृत), आचार्य रविषेण कृत 'पद्मपुराण' (संस्कृत), स्वयंभू कृत 'पउमचरिउ' (अपभ्रंश), रामचंद्र चरित्र पुराण तथा गुणभद्र कृत उत्तर पुराण (संस्कृत)। जैन परंपरा के अनुसार राम का मूल नाम 'पद्म' था। अन्य अनेक भारतीय भाषाओं में भी राम कथा लिखी गयीं। हिन्दी में कम से कम 11, मराठी में 8, बाङ्ला में 25, तमिल में 12, तेलुगु में 12 तथा उड़िया में 6 रामायणें मिलती हैं। हिंदी में लिखित गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरित मानस ने उत्तर भारत में विशेष स्थान पाया। इसके अतिरिक्त भी संस्कृत,गुजराती, मलयालम, कन्नड, असमिया, उर्दू, अरबी, फारसी आदि भाषाओं में राम कथा लिखी गयी। महाकवि कालिदास, भास, भट्ट, प्रवरसेन, क्षेमेन्द्र, भवभूति, राजशेखर, कुमारदास, विश्वनाथ, सोमदेव, गुणादत्त, नारद, लोमेश, मैथिलीशरण गुप्त, केशवदास, गुरु गोविंद सिंह, समर्थ रामदास, संत तुकडोजी महाराज आदि चार सौ से अधिक कवियों तथा संतों ने अलग-अलग भाषाओं में राम तथा रामायण के दूसरे पात्रों के बारे में काव्यों/कविताओं की रचना की है। धर्मसम्राट स्वामी करपात्री ने 'रामायण मीमांसा' की रचना करके उसमें रामगाथा को एक वैज्ञानिक आयामाधारित विवेचन दिया। वर्तमान में प्रचलित बहुत से राम-कथानकों में आर्ष रामायण, अद्भुत रामायण, कृत्तिवास रामायण, बिलंका रामायण, मैथिल रामायण, सर्वार्थ रामायण, तत्वार्थ रामायण, प्रेम रामायण, संजीवनी रामायण, उत्तर रामचरितम्, रघुवंशम्, प्रतिमानाटकम्, कम्ब रामायण, भुशुण्डि रामायण, अध्यात्म रामायण, राधेश्याम रामायण, श्रीराघवेंद्रचरितम्, मन्त्र रामायण, योगवाशिष्ठ रामायण, हनुमन्नाटकम्, आनंद रामायण, अभिषेकनाटकम्, जानकीहरणम् आदि मुख्य हैं। विदेशों में भी तिब्बती रामायण, पूर्वी तुर्किस्तानकी खोतानीरामायण, इंडोनेशिया की ककबिनरामायण, जावा का सेरतराम, सैरीराम, रामकेलिंग, पातानीरामकथा, इण्डोचायनाकी रामकेर्ति (रामकीर्ति), खमैररामायण, बर्मा (म्यांम्मार) की यूतोकी रामयागन, थाईलैंड की रामकियेनआदि रामचरित्र का बखूबी बखान करती है। इसके अलावा विद्वानों का ऐसा भी मानना है कि ग्रीस के कवि होमर का प्राचीन काव्य इलियड, रोम के कवि नोनस की कृति डायोनीशिया तथा रामायण की कथा में अद्भुत समानता है। विश्व साहित्य में इतने विशाल एवं विस्तृत रूप से विभिन्न देशों में विभिन्न कवियों/लेखकों द्वारा राम के अलावा किसी और चरित्र का इतनी श्रद्धा से वर्णन न किया गया। .

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ओडिसी (बहुविकल्पी)

ओडिसी शब्द के दो अर्थ हो सकते हैं.

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ओदिसी

ओडेसी का प्राचीन ज़ूनानी निदर्श चित्र ओदिसी (प्राचीन यूनानी भाषा: Ὀδυσσεία Odusseia), होमरकृत दो प्रख्यात यूनानी महाकाव्यों में से एक है। इलियड में होमर ने ट्रोजन युद्ध तथा उसके बाद की घटनाओं का वर्णन किया है जबकि ओदिसी में ट्राय के पतन के बाद ईथाका के राजा ओदिसियस की, जिसे यूलिसीज़ नाम से भी जाना जाता है, उस रोमांचक यात्रा का वर्णन है जिसमें वह अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए, 10 वर्ष बाद अपने घर पहुँचता है। ओडेसी ई.पू.

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अगामेमनन

अगोम्नान का मुखौटा यूनानी मिथकों में अगामेम्नान (Agamemnon /æɡəˈmɛmnɒn/; ग्रीक: Ἀγαμέμνων) एक होमरीय वीर है जो राजा अत्रियस का पुत्र है। वह संभवतः ऐतिहासिक व्यक्ति था। इलियड में उसे यूनान के एकियाई और मिकीनी राज्यों का स्वामी कहा गया है। स्पार्ता में उसकी पूजा 'ज्यूस अगामेम्नान' के नाम से होती थी। यह अत्रियस और इरोप का पुत्र और मेनेलास का भाई था। पिता की हत्या के बाद भाइयों ने स्पार्ता के राजा की शरण ली, फिर वहाँ के राजा की सहायता से अगामेम्नान ने पिता का राज्य पुन प्राप्त कर उसे बढ़ाया और ग्रीस में राजाओं में प्रधान बन गया। स्पार्ता के राजा तिंदेरस की कन्याएँ इन दोनों भाइयों से ब्याही थीं। पश्चात् मेनेलास, तिंदेरस का उत्तराधिकारी हुआ और यह उसका सहायक। भाई के पत्नी हेलेन के त्राय के पेरिस द्वारा अपहरण के प्रतिकार में यूनानी राजाओं को निमंत्रित कर अगामेम्नान ने त्राय के युद्ध का नेतृत्व किया। त्राय विजय के बाद स्वदेश लौटने पर उसकी पत्नी के प्रेमी आगस्तस ने इसकी हत्या कर दी। उसकी कब्र मिकीनी के खंडहरों में दिखाई जाती है, जिसे त्राय का पुनरुद्धार करने वाले पुराविद् श्लीमान ने खोद निकाली थी। पर उस कब्र की सत्यता प्रमाणित नहीं। श्रेणी:यूनानी मिथक.

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अकिलीज़

अकिलीज़ एक महान यूनानी योद्धा था। यूनानी मानते थे कि उससे महान योद्धा आज तक पैदा नहीं हुआ। वो ट्रॉय के युद्ध का महानायक था और होमर के इलियाड का प्रमुख नायक था। वो उन योद्धाओं में सबसे सुन्दर था जिन्होने ट्रॉय के विरूद्ध युद्ध किया था। वह निम्फ़ थेटिस एवं पेलियस का बेटा था, जो मर्मिडोन्स का राजा था। ज़्यूस और पोसाइडन दोनों थेटिस से विवाह करना चाहते थे जब तक कि प्रोमिथस ने ज़्यूस को ये भविष्यवाणी नहीं बताई कि थेटिस का पुत्र अपने पिता से महान होगा। तब ज़्यूस और पोसाइडन ने थेटिस को पेलियस से विवाह करने दिया। एकिलियाड के अनुसार जब अकिलीज़ का जन्म हुआ तब थेटिस ने उसे स्टिक्स नदी में डुबोकर अमर बनाने का प्रयास किया। पर उसके शरीर का वह भाग जहां से थेटिस ने उसे पकड़ रखा था, उसकी एड़ी, अमर नहीं बन पाया। इसी प्रकार एक अन्य कथा मे यह विवरण उपलब्ध है कि उसने अपने पुत्र के शरीर पर एम्ब्रोसिआ, जो कि अमृत होता है, का लेप किया और पुत्र को आग के उपर रख दिया ताकि उसका शरीर अमर हो जाये, पर पेलियस ने उसे बीच मे ही रोक दिया, जिससे उसने गुस्से में आकर उसे छोड़ दिया। परिणाम यह रहा कि उसकी एड़ी अमर नहीं बन पाई। होमर के इलियाड में यह विवरण उपलब्ध है कि एक बार अकिलीज़ को पेलेगस के बेटे व पायोनियन के हीरो एस्टरोपीज ने युद्ध के लिए ललकारा। उसने अकिलीज़ पर एक साथ दो भाले फेकें, जिनमें से एक उसकी एड़ी पर लगा और वहाँ से खून निकलने लगा। इससे पता चलता है कि उसकी एड़ी को छोडकर उसके शरीर के अन्य सभी भाग अमर थे। च्हिरोन ने अकिलीज़ को शिक्षा दी। उसने उसे अस्त्र-शस्त्र चलाना सिखाया। अकिलीज़ की शिक्षा पेलियन नामक पर्वत पर हुई थी। राजकुमार पेरिस, जो कि ट्रॉय का राजकुमार था, एग्मेन्नोन के भाई की पत्नी को अपने साथ ट्रॉय भगा ले गया। इस कारण एग्मेन्नोन ने ५०,००० सिपाहियों के साथ ट्रॉय पर आक्रमण कर दिया। जब यूनानी ट्रोजन युद्ध के लिए चले, वे संयोगवश मिशिया मे रुके। उस जगह का राजा टेलेफस था। युद्ध में परिणामत: अकिलीज़ ने टेलेफस को एक घाव दिया जो कभी ठीक नहीं होता; तब टेलेफस ने एक ओरेकल से सलाह ली, जिसने कहा कि "उसने जो घाव दिया है वो ठीक हो जायेगा"। ओरेकल के कहे अनुसार वह आर्गोस आया, जहाँ अकिलीज़ ने इस शर्त पे कि वह उन्हे ट्रॉय का रास्ता दिखाएगा, उसका घाव ठीक कर दिया। इस युद्ध में अकिलीज़ ने ट्रॉय के महान योद्धा एवं युवराज हेक्टर का वध किया एवं ट्रॉय के हजारों सिपाहियों को मारा। हेक्टर को ट्रॉय ही नहीं वरन पूरे सन्सार में वीरता के लिये जाना जाता था। पर वह अकिलीज़ के सामने टिक न सका। हेक्टर के मरने के बाद भी यूनानियों का ट्रॉय में घुसना असम्भव था, इसलिए उन्होंने एक काठ का घोड़ा बनाया, जिसके अन्दर बैठ कर वे ट्रॉय में प्रवेश कर गए। वह काठ का घोड़ा इतिहास में काठ अश्व के नाम से प्रसिद्ध हुआ। ट्रोय के युद्ध में हारने के बाद पेरिस ने धोखे से विष बुझा बाण अकिलीज़ की एडी में मारकर उसका वध कर दिया। इस प्रकार वीरता के इस अध्याय का अन्त हुआ। श्रेणी:प्राचीन यूनान के योद्धा श्रेणी:यूनानी मिथक श्रेणी:ट्रॉय के युद्ध के योद्धा श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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