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इम्पीरियल गजेटियर आफ़ इण्डिया

सूची इम्पीरियल गजेटियर आफ़ इण्डिया

'इम्पीरियल गजेटियर आफ़ इण्डिया' का आवरण चित्र, 1931, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस द्वारा जारी। द इम्पीरियल गजेटियर आफ़ इण्डिया (The Imperial Gazetteer of India, भारत का आनुभाविक भौगोलिक कोश) भारतीय ब्रितानी साम्राज्य द्वारा तैयार किया गया भौगोलिक कोश है जो वर्तमान में एक सन्दर्भ कार्य के रूप में काम में लिया जाता है। अंग्रेजी राज में 19वी शताब्दी के अंत और 20वीं शताब्दी के आरम्भिक दो दशकों में गजेटियर तैयार हुऐ थे। सन् 1881 में इम्पिरियल गजेटियर आॅफ इंडिया का प्रकाशन हुआ। इसकी रूपरेखा विलियम विल्सन हंटर ने सन् 1869 में ही आरम्भ कर दी थी। यह 9 वाल्यूम में प्रकाशित हुआ। इसका दूसरा संस्करण सन् 1885-87 में प्रकाशित हुआ, जिसमें 14 वाल्यूम थे। हंटर भारत में गजेटियर के जन्मदाता कहे जाते है। आपकी मृत्यु के बाद इंपीरियल गजेटियर आॅफ इंडिया का नया संस्करण 26 वाल्यूम में प्रकाशित हुआ। इसी के साथ प्रोविंस सीरिज (1908-1909) के 19 प्रोविंस गजेटियर्स तथा डिस्ट्रिक्ट सीरिज (1903-1914) के गजट भी प्रकाशित हुई। उसने ग्लासगो, पेरिस तथा बान में शिक्षा प्राप्त कर 1862 ई. में 'इंडियन सिविल सर्विस' (भारतीय प्रशासनिक सेवा) में प्रवेश किया और बंगाल में नियुक्त हुआ। उसमें धारा प्रवाह लिखने की अद्भुत शक्ति थी। हन्टर ने 'ग्रामीण बंगाल का क्रमानुसार इतिहास' लिखकर एक राजनेता के रूप में अच्छा नाम कमाया। चार साल बाद 'भारत की अनार्य भाषाओं का तुलनात्मक कोश' प्रकाशित करके अपने पांडित्य का भी परिचय दिया। भारत के सांख्यिकीय सर्वेक्षण का प्रबन्ध किया और 1875-1877 ई. में 'बंगाल का सांख्यिकीय विवरण' 20 खंडों में प्रकाशित किया। 'इम्पीरियल गजेटियर ऑफ़ इंडिया' भी 23 खंडों में तैयार कियाl .

4 संबंधों: टनकपुर, रानीखेत, गजेटियर, अल्मोड़ा

टनकपुर

टनकपुर भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख नगर है। चम्पावत जनपद के दक्षिणी भाग में स्थित टनकपुर नेपाल की सीमा पर बसा हुआ है। टनकपुर, हिमालय पर्वत की तलहटी में फैले भाभर क्षेत्र में स्थित है। शारदा नदी टनकपुर से होकर बहती है। इस नगर का निर्माण १८९८ में नेपाल की ब्रह्मदेव मंडी के विकल्प के रूप में किया गया था, जो शारदा नदी की बाढ़ में बह गई थी। कुछ समय तक यह चम्पावत तहसील के उप-प्रभागीय मजिस्ट्रेट का शीतकालीन कार्यालय भी रहा। १९०१ में इसकी जनसंख्या ६९२ थी। सुनियोजित ढंग से निर्मित बाजार, चौड़ी खुली सड़कें, फैले हुए फुटपाथ, खुली हवादार कालोनियां इस नगर की विशेषताएं हैं। पूर्णागिरि मन्दिर के मुख्य द्वार के रूप में शारदा नदी के तट पर बसा हुआ यह नगर पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों के आकर्षण का केन्द्र है। .

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रानीखेत

रानीखेत भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख पहाड़ी पर्यटन स्थल है। यह राज्य के अल्मोड़ा जनपद के अंतर्गत स्थित एक फौजी छावनी है। देवदार और बलूत के वृक्षों से घिरा रानीखेत बहुत ही रमणीक हिल स्टेशन है। इस स्थान से हिमाच्छादित मध्य हिमालयी श्रेणियाँ स्पष्ट देखी जा सकती हैं। रानीखेत से सुविधापूर्वक भ्रमण के लिए पिण्डारी ग्लेशियर, कौसानी, चौबटिया और कालिका पहुँचा जा सकता है। चौबटिया में प्रदेश सरकार के फलों के उद्यान हैं। इस पर्वतीय नगरी का मुख्य आकर्षण यहाँ विराजती नैसर्गिक शान्ति है। रानीखेत में फ़ौजी छावनी भी है और गोल्फ़ प्रेमियों के लिए एक सुन्दर पार्क भी है। १८६९ में ब्रिटिश सरकार ने कुमाऊं रेजिमेंट के मुख्यालय की स्थापना रानीखेत में की, और भारतीय गर्मियों से बचने के लिए हिल स्टेशन के रूप में इस नगर का प्रयोग किया जाने लगा। ब्रिटिश राज के दौरान एक समय में, यह शिमला के स्थान पर भारत सरकार के ग्रीष्मकालीन मुख्यालय के रूप में भी प्रस्तावित किया गया था। १९०० में इसकी गर्मियों की ७,७०५ जनसंख्या थी, और उसी साल की सर्दियों की जनसंख्या १९०१ में ३,१५३ मापी गई थी। स्वच्छ सर्वेक्षण २०१८ के अनुसार रानीखेत दिल्ली और अल्मोड़ा छावनियों के बाद भारत की तीसरी सबसे स्वच्छ छावनी है। .

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गजेटियर

गजेटियर (Gazzeteer) मूलतः अँगरेज़ प्रशासकों की जानकारी और सुविधा के लिए आविष्कृत बहुप्रयुक्त वह ग्रन्थ-परम्परा है जिसमें एक क्षेत्र विशेष की सम्पूर्ण प्रामाणिक भौगोलिक, सांस्कृतिक, समाज-संबंधी जानकारियों का यथासंभव सचित्र संचयन होता है ताकि उसके अध्ययन से सभी बुनियादी जानकारियां, उस क्षेत्र में नए आने वाले पाठक तक को एक ही जगह उपलब्ध हो जाएँ। गज़ेटियर एक क्षेत्र-विशेष का वर्णनात्मक विवरण है जिसमें प्रायः अकारादि क्रम से वहां के इतिहास, भूगोल, जलवायु, अवस्थिति, वर्षा, जनसँख्या, साक्षरता, उद्योग-धंधों, आर्थिक गतिविधियों, नगरों, जातियों, भाषा-साहित्य-संस्कृति आदि आदि अनेकानेक बातों का का उचित आंकड़ों सहित 'निरपेक्ष' उल्लेख होता है। पहले इसका रूप स्थानीय अथवा प्रादेशिक था, लेकिन १९वीं शताब्दी में समस्त संसार के उर्पुक्त विषयों से संबंधित हो गया और इस ढंग के अनेक कोश अद्यावधि प्रकाशित हो चुके हैं। वर्ष २०१० में केंद्र सरकार के स्तर पर गजेटियर-पुनर्लेखन की योजना कार्यान्वित किये जाने की खबर आयी थी जैसा ४-२-१०१० को दैनिक हिंदुस्तान में प्रकाशित इस समाचार से ज्ञात होता है- "देश भर में गजेटियर को नए सिरे से बनाने के लिए सरकार ने तैयारियों को शुरु कर दिया है। केंद्रीय गृह सचिव जीके पिल्लई की अध्यक्षता में सरकार ने एक कमेटी का गठन किया है जो कि राष्ट्रीय स्तर पर शुरु किए गए इस प्रोजेक्ट की देखरेख करेगी। पिल्लई ने देश के मुख्य सचिवों को सरकार की इस प्रोजेक्ट की जानकारी देते हुए कहा है कि इस दिशा में तेजी से काम करना होगा। पिल्लई ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि देश में कई नए राज्य और कई जिलों का गठन कर लिया गया है, लेकिन इनके गजेटियर नहीं बनाए गए हैं। गजेटियर जिले और राज्यों के बारे में सरकारी दस्तावेज है, जो कि सबसे प्रामाणिक माने जाते हैं। गजेटियर में न सिर्फ जिलों का इतिहास होता है बल्कि उस जिले के बारे में एक एक जानकारी होती है। पिल्लई ने कहा है कि राष्ट्र्रीय स्तर पर इस दिशा में काम करने के लिए नेशनल इनफारमेटिक्स सेंटर (एनआईसी) से मिलकर काम किया जा रहा है इसलिए राज्यों को अपने स्तर पर एनआईसी के साथ मिल कर काम शुरु करना होगा। उन्होंने कहा है कि योजना के पहले चरण में सभी गजेटियर को वेबसाइट पर भी डालना होगा तकि लोगों को इससे आसानी हो सके। गजेटियर को बनाने की परंपरा को ब्रिटिश शासन में शुरु किया गया था। गजेटियर में इलाके की सामाजिक, आर्थिक व भौगोलिक जानकारी होती है। ब्रिटिश शासन में पहला गजेटियर इंपीरियर गजेटियर ऑफ इंडिया के नाम से सन 1881 में प्रकाशित किया गया था। सर विलियम हंटर ने इसकी योजना को तैयार किया था और 1869 में इस पर काम शुरु किया गया था। देश में उस समय के प्रशासकीय ढांचे के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए इसके बाद में सन 1908, 1909, व 1931 में एडीशन प्रकाशित किए गए थे। इसके बाद प्रादेशिक स्तर पर भी इन्हें तैयार किया गया था। इससे पूर्व भारत में गजेटियर की शुरूआत सन् 1815 से देखने को मिलती है, जब वाल्टर हेमिल्टन ने ‘ईस्ट इंडिया गजेटियर’ प्रकाशित किया। सन् 1828 में इसका फिर दूसरा संस्करण निकला। यह दो वोल्यूम में था। इसके बाद सन् 1854 में गजेटियर आॅफ टेरिटरी का प्रकाशन हुआ। किन्तु इस दिशा में वास्तविक प्रगति अब भी प्रतीक्षित है | .

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अल्मोड़ा

अल्मोड़ा भारतीय राज्य उत्तराखण्ड का एक महत्वपूर्ण नगर है। यह अल्मोड़ा जिले का मुख्यालय भी है। अल्मोड़ा दिल्ली से ३६५ किलोमीटर और देहरादून से ४१५ किलोमीटर की दूरी पर, कुमाऊँ हिमालय श्रंखला की एक पहाड़ी के दक्षिणी किनारे पर स्थित है। भारत की २०११ की जनगणना के अनुसार अल्मोड़ा की कुल जनसंख्या ३५,५१३ है। अल्मोड़ा की स्थापना राजा बालो कल्याण चंद ने १५६८ में की थी। महाभारत (८ वीं और ९वीं शताब्दी ईसा पूर्व) के समय से ही यहां की पहाड़ियों और आसपास के क्षेत्रों में मानव बस्तियों के विवरण मिलते हैं। अल्मोड़ा, कुमाऊं राज्य पर शासन करने वाले चंदवंशीय राजाओं की राजधानी थी। स्वतंत्रता की लड़ाई में तथा शिक्षा, कला एवं संस्कृति के उत्थान में अल्मोड़ा का विशेष हाथ रहा है। .

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