3 संबंधों: लोकतंत्र, लोकतंत्र का इतिहास, सर्वजनीन मताधिकार।
लोकतंत्र
लोकतंत्र (शाब्दिक अर्थ "लोगों का शासन", संस्कृत में लोक, "जनता" तथा तंत्र, "शासन") या प्रजातंत्र एक ऐसी शासन व्यवस्था है जिसमें जनता अपना शासक खुद चुनती है। यह शब्द लोकतांत्रिक व्यवस्था और लोकतांत्रिक राज्य दोनों के लिये प्रयुक्त होता है। यद्यपि लोकतंत्र शब्द का प्रयोग राजनीतिक सन्दर्भ में किया जाता है, किंतु लोकतंत्र का सिद्धांत दूसरे समूहों और संगठनों के लिये भी संगत है। मूलतः लोकतंत्र भिन्न भिन्न सिद्धांतों के मिश्रण से बनते हैं, पर मतदान को लोकतंत्र के अधिकांश प्रकारों का चरित्रगत लक्षण माना जाता है। .
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लोकतंत्र का इतिहास
एथेंस के एक्रोपोलिस का चित्रण लोकतंत्र के उपयोग का इतिहास लंबा और ऊंचनीच से भरा हुआ है। भारत के प्राचीन गणतंत्रों अथवा यूरोप के एथेन्सी लोकतंत्र का इतिहास ही दो हजार वर्ष से भी अधिक पुराना है और हम देखते हैं कि उस काल के मानव समाज में भी लोकतंत्रीय संस्थाएं किसी-न-किसी रूप में विद्यमान थीं। मानवीय गतिविधि जैसे-जैसे व्यापक रूप लेती गई, मानव दृष्टि में भी व्यापकता आती गई। नागरिक समाज निर्माण करने की आकांक्षा ने मनुष्य को लोकतंत्र की ओर अग्रसर होने के लिए प्रेरित किया क्योंकि यही ऐसी व्यवस्था है जिसमें सर्वसाधारण को अधिकतम भागीदारी का अवसर मिलता है। इससे केवल निर्णय करने की प्रक्रिया ही में नहीं अपितु कार्यकारी क्षेत्र में भी भागीदारी उपलब्ध होती है। अपने विकास क्रम के विभिन्न चरणों में लोकतंत्र ने भिन्न-भिन्न परिस्थितियों को अन्यान्य मात्रा में सुनिश्चित करने का प्रयास किया है। .
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सर्वजनीन मताधिकार
सर्वजनीन मताधिकार (Universal suffrage) या 'सर्वजनीन वयस्क मताधिकार' (universal adult suffrage, general suffrage या common suffrage) का अर्थ है कि बिना किसी भेदभाव के सभी वयस्कों (एक निश्चित आयु से अधिक आयु वालों को) मताधिकार प्रदान करना। .