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आत्मज्ञान

सूची आत्मज्ञान

आत्मज्ञान मन के भीतर की जागरूपता है। भारतीय दर्शन में इसका प्रतीक शिव, विष्णु अथवा शक्ति हैं। इसका वर्णन बहुत वेद और उपनिषद में मिलता है। वैदिक परम्परा के अनुसार इस परम्परा का गूढ रहस्य चेतना अथवा आत्मज्ञान विज्ञान है। श्रेणी:भारतीय दर्शन आत्माज्ञान अस्तित्व के साथ एकत्व की अनुभूति है।.

5 संबंधों: शून्यवाद (नाइलिज़्म), सत्गुरु, ज्ञान (भारतीय), वैदिक परम्परा, आत्मज्ञान

शून्यवाद (नाइलिज़्म)

शून्यवाद (नाइलिज़्म) (लैटिन भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ है, कुछ नहीं), एक दार्शनिक सिद्धांत है जो जीवन के एक या अधिक अर्थपूर्ण पहलुओं को नकारता है। आम तौर पर शून्यवाद (नाइलिज़्म) को सबसे अधिक अस्तित्व/मौज़ूदा शून्यवाद (नाइलिज़्म) के रूप में प्रस्तुत किया है जो तर्क देता है कि जीवन का कोई सार्थक अर्थ, कारण या वास्तविक महत्त्व नहीं है। इसे मानने वाले नाईलिस्ट (शून्यवादी) जोर दे कर कहते हैं है कि नैतिकता स्वाभाविक रूप से मौजूद नहीं होती, तथा किसी भी प्रकार के स्थापित किये गए नैतिक मूल्य कृत्रिम रूप से बनाये गये हैं। शून्यवाद (नाइलिज़्म) दर्शनवाद, अध्यात्मवाद या सिद्धांतवाद के रूप में भी हो सकता है, जिसका अर्थ है कि कुछ स्वरूपों में ज्ञान संभव नहीं है या हमारे विश्वास के विपरीत है, इस प्रकार यथार्थ के कुछ पहलू अस्तित्व में नहीं होते हैं। शून्यवाद (नाइलिज़्म) शब्द को कई बार आदर्शों की कमी के साथ जोड़ कर अस्तित्व की कथित निरर्थकता के कारण हुई निराशा की सामान्य मनोदशा में यह समझाने के लिए प्रयोग लिया जाता है कि कोई यह समझ कर विकास कर सकता है कि कोई आदर्श, नियम या कानून नहीं हैं। दूसरे आंदोलनों के साथ भविष्यवाद और विध्वंस को टिप्पणीकारों द्वारा विभिन्न समय पर विभिन्न सन्दर्भों में "शून्यवादी (नाइलिस्टिक)" के रूप में पहचाना गया है। शून्यवाद (नाइलिज़्म) एक एक विशेषता भी है जिसे, कई समय अवधियों के लिए जिम्मेदार माना गया है, उदाहरण के लिए, जीन बौड्रीलार्ड और अन्यों ने आधुनिकता के बाद के युग को शून्यवादी (नाइलिस्टिक) युग माना है और कुछ ईसाई ब्रह्मविज्ञानियों और धार्मिक गुरुओं द्वारा एकत्रित आंकड़ों ने इस बात पर जोर दिया है कि आधुनिकता के बाद का युग और इसके कई पहलू आस्तिकता को नकारने का प्रतिनिधित्व करते हैं और कहा कि इस तरह की अस्वीकृति एक प्रकार के शून्यवाद (नाइलिज़्म) को ही बढ़ावा देने के समान है। .

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सत्गुरु

सत्गुरु या सद्गुरु का अर्थ है सच्चा गुरु.

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ज्ञान (भारतीय)

भारतीय धर्मों में ज्ञान का अर्थ इसके सामान्य अर्थ से कुछ भिन्न है। उदाहरण के लिए जब हम कहते हैं कि 'महात्मा बुद्ध को बड़ी तपस्या के बाद ज्ञान की प्राप्ति हुई' तो इसका अर्थ 'विशेष ज्ञान' से है। .

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वैदिक परम्परा

वैदिक परम्परा वेद धर्म अथवा हिन्दू धर्म का दूसरा नाम है। इस के अनुसार इस परम्परा का गूढ रहस्य चेतना अथवा आत्मज्ञान विज्ञान है। श्रेणी:वैदिक धर्म.

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आत्मज्ञान

आत्मज्ञान मन के भीतर की जागरूपता है। भारतीय दर्शन में इसका प्रतीक शिव, विष्णु अथवा शक्ति हैं। इसका वर्णन बहुत वेद और उपनिषद में मिलता है। वैदिक परम्परा के अनुसार इस परम्परा का गूढ रहस्य चेतना अथवा आत्मज्ञान विज्ञान है। श्रेणी:भारतीय दर्शन आत्माज्ञान अस्तित्व के साथ एकत्व की अनुभूति है।.

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