4 संबंधों: भारत के ध्वजों की सूची, भारत छोड़ो आन्दोलन, लक्ष्मी सहगल, आजाद हिन्द फौज के कोष का विवाद।
भारत के ध्वजों की सूची
यह सूची भारत में प्रयोग हुए सभी ध्वजों की है.
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भारत छोड़ो आन्दोलन
बंगलुरू के बसवानगुडी में दीनबन्धु सी एफ् अन्ड्रूज का भाषण भारत छोड़ो आन्दोलन, द्वितीय विश्वयुद्ध के समय ८ अगस्त १९४२ को आरम्भ किया गया था|यह एक आन्दोलन था जिसका लक्ष्य भारत से ब्रितानी साम्राज्य को समाप्त करना था। यह आंदोलन महात्मा गांधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुम्बई अधिवेशन में शुरू किया गया था। यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान विश्वविख्यात काकोरी काण्ड के ठीक सत्रह साल बाद ९ अगस्त सन १९४२ को गांधीजी के आह्वान पर समूचे देश में एक साथ आरम्भ हुआ। यह भारत को तुरन्त आजाद करने के लिये अंग्रेजी शासन के विरुद्ध एक सविनय अवज्ञा आन्दोलन था। क्रिप्स मिशन की विफलता के बाद महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ़ अपना तीसरा बड़ा आंदोलन छेड़ने का फ़ैसला लिया। 8 अगस्त 1942 की शाम को बम्बई में अखिल भारतीय काँगेस कमेटी के बम्बई सत्र में 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' का नाम दिया गया था। हालांकि गाँधी जी को फ़ौरन गिरफ़्तार कर लिया गया था लेकिन देश भर के युवा कार्यकर्ता हड़तालों और तोड़फ़ोड़ की कार्रवाइयों के जरिए आंदोलन चलाते रहे। कांग्रेस में जयप्रकाश नारायण जैसे समाजवादी सदस्य भूमिगत प्रतिरोधि गतिविधियों में सबसे ज्यादा सक्रिय थे। पश्चिम में सतारा और पूर्व में मेदिनीपुर जैसे कई जिलों में स्वतंत्र सरकार, प्रतिसरकार की स्थापना कर दी गई थी। अंग्रेजों ने आंदोलन के प्रति काफ़ी सख्त रवैया अपनाया फ़िर भी इस विद्रोह को दबाने में सरकार को साल भर से ज्यादा समय लग गया। .
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लक्ष्मी सहगल
लक्ष्मी सहगल लक्ष्मी सहगल (जन्म: 24 अक्टूबर 1914 - मृत्यु: 23 जुलाई 2012) भारत की स्वतंत्रता संग्राम की सेनानी हैं। वे आजाद हिन्द फौज की अधिकारी तथा आजाद हिन्द सरकार में महिला मामलों की मंत्री थीं। वे व्यवसाय से डॉक्टर थी जो द्वितीय विश्वयुद्ध के समय प्रकाश में आयीं। वे आजाद हिन्द फौज की 'रानी लक्ष्मी रेजिमेन्ट' की कमाण्डर थीं। .
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आजाद हिन्द फौज के कोष का विवाद
ऐसा कहा जा रहा है कि सुभाष चन्द्र बोस कि अन्तिम ज्ञात यात्रा और विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु के बाद नेताजी के साथ जो मूल्यवान वस्तुएँ मिलीं थी, उसका आजाद हिन्द के लोगों ने दुरुपयोग किया। आजाद हिंद फौज के कोष को उस समय सात लाख डॉलर के बराबर आंका गया था। आजाद हिंद फौज के कोष के गबन के बारे में सबसे पहले अनुज धर ने सन् 2012 में छपी 'इंडियाज बिगेस्ट कवर-अप' नामक अपनी पुस्तक में विस्तार से लिखा था। वर्ष २०१६ में सार्वजिनक किए गए नेता जी से जुड़े दस्तावेजों से इस बात की पुष्टि हुई है कि आजाद हिंद फौज का खजाना चुराया गया था। सन् 1951 से 1955 के दौरान भारत और जापान के बीच हुई बातचीत से यह भी पता चलता है कि भारत की तत्कालीन नेहरू सरकार को इस कोष के गबन के बारे में पता था। नैशनल आर्काइव की गोपनीय फाइलों से पता चलता है कि सरकारी अधिकारियों को नेता जी के दो पूर्व सहयोगियों पर शक था। उनमें से एक सहयोगी को सम्मान दिया गया और नेहरू की पंचवर्षीय योजना कार्यक्रम का प्रचार सलाहकार बनाया गया। 21 मई, 1951 को तोक्यो मिशन के मुख्य अधिकारी के.
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यहां पुनर्निर्देश करता है:
आर्ज़ी हुक़ूमत-ए-आज़ाद हिन्द, आजाद हिन्द, आजाद हिन्द सरकार, अर्ज़ी हुक़ूमत-ए-आज़ाद हिन्द, अर्ज़ी हुकूमते आज़ाद हिन्द।