27 संबंधों: चौरा भाषा, चीनी-तिब्बती भाषा-परिवार, तेरेस्सा भाषा, दक्षिण निकोबारी भाषा, नन्कोव्री भाषा, निकोबारी भाषाएँ, निकोबारी लोग, प्नार भाषा, मध्य निकोबारी भाषाएँ, मुण्डा भाषाएँ, मेघालय, मोन भाषा, मोन लोग, लवा लोग, हो भाषा, जुआंग भाषा, वार भाषा, वियतनामी भाषा, खड़िया भाषा, खसिक भाषाएँ, खासी भाषा, ख्मेर भाषा, ख्मेर लोग, कत्चल भाषा, कमोर्ता भाषा, कार भाषा, कोरकू भाषा।
चौरा भाषा
चौरा या तुतेत भारत के निकोबार द्वीपसमूह में बोली जाने वाली एक भाषा है जो ऑस्ट्रो-एशियाई भाषाओं की निकोबारी शाखा की सदस्य है। इसके मातृभाषी चौरा द्वीप पर केन्द्रित हैं। .
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चीनी-तिब्बती भाषा-परिवार
चीनी-तिब्बती भाषा-परिवार अथवा चीनी भाषा-परिवार (अंग्रेज़ी: Sino-Tibetan languages) दक्षिण एशिया के कुछ भागों, पूर्वी एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया में बोली जाने वाली ४०० से अधिक भाषाओं का परिवार है। इसे बोलने वालों की मूल संख्या के आधार पर यह हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार के बाद दूसरा सबसे बड़ा भाषा परिवार है। चीनी-तिब्बती भाषा के मुख्य मूल भाषी विभिन्न प्रकार की चीनी भाषा (1.2 बिलियन भाषक), बर्मी (33 मिलियन) और तिब्बती भाषा (8 मिलियन) है। विभिन्न चीनी-तिब्बती भाषायें सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों में कुछ छोटे समुदायों द्वारा बोली जाती हैं जिसका प्रलेखन स्पष्ट नहीं है। .
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तेरेस्सा भाषा
तेरेस्सा (Teressa) या ताइह-लोंग (Taih-Long) भारत के निकोबार द्वीपसमूह में बोली जाने वाली एक भाषा है जो ऑस्ट्रो-एशियाई भाषाओं की निकोबारी शाखा की सदस्य है। इसके मातृभाषी तेरेस्सा द्वीप पर केन्द्रित हैं। .
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दक्षिण निकोबारी भाषा
दक्षिण निकोबारी भाषा (Southern Nicobarese language) भारत के निकोबार द्वीपसमूह में बोली जाने वाली एक भाषा है जो ऑस्ट्रो-एशियाई भाषाओं की निकोबारी शाखा की सदस्य है। इसके मातृभाषी छोटे निकोबार द्वीप (ओंग) और बड़े निकोबार द्वीप (लोओंग) पर केन्द्रित हैं। कोन्डुल और पुलो मिलो द्वीपों के रहने वाले भी यही भाषा बोलते हैं। हर द्वीप पर इसकी भिन्न उपभाषा बोली जाती है। .
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नन्कोव्री भाषा
नन्कोव्री (Nancowry) भारत के निकोबार द्वीपसमूह में बोली जाने वाली एक भाषा है जो ऑस्ट्रो-एशियाई भाषाओं की निकोबारी शाखा की सदस्य है। इसके मातृभाषी नन्कोव्री द्वीप और उसके पास स्थित कुछ द्वीपों पर केन्द्रित हैं। .
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निकोबारी भाषाएँ
निकोबारी भाषाएँ (Nicobarese languages) भारत के निकोबार द्वीपसमूह में बोली जाने वाली कुछ ऑस्ट्रो-एशियाई भाषाओं का परिवार है। इन्हें लगभग ३०,००० लोग बोलते हैं, जिनमें से अधिकतर कार भाषा के मातृभाषी हैं। .
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निकोबारी लोग
निकोबारी भारत के निकोबार द्वीपसमूह में रहने वाले ऑस्ट्रो-एशियाई भाषा-परिवार की निकोबारी भाषाएँ बोलने वाला एक समुदाय है। .
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प्नार भाषा
प्नार (Pnar), पनार, जयंतिया (Jaintia) या सिन्तेंग (Synteng) भारत के पूर्वोत्तरी मेघालय राज्य व बांग्लादेश के कुछ पड़ोसी क्षेत्रों में बोली जाने वाली ऑस्ट्रो-एशियाई भाषा-परिवार की खसिक शाखा की एक भाषा है। माना जाता है कि यह आदि-खसी भाषा की सबसे समीपी जीवित भाषा है। .
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मध्य निकोबारी भाषाएँ
मध्य निकोबारी भाषाएँ (Central Nicobarese languages) भारत के निकोबार द्वीपसमूह में बोली जाने वाली भाषाओं का एक समूह है जो ऑस्ट्रो-एशियाई भाषाओं की निकोबारी शाखा की उपशाखा है। इसकी भिन्न भाषाओं को बोलने वाले एक-दूसरे को समझ नहीं सकते। केवल कत्चल और ट्रिन्केट भाषाओं को बोलने बाले एक-दूसरे को समझ सकते हैं और ट्रिन्केट को कत्चल भाषा की उपभाषा समझा जाता है, जबकि अन्य सभी भिन्न भाषाएँ मानी जाती हैं.
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मुण्डा भाषाएँ
आस्ट्रेशियाई (Austro-Asiatic) भाषाएँ; इनमें मुण्डा भाषाएँ पीले रंग में दिखायी गयी हैं। मुण्डा एक भाषापरिवार है जिसे भारत तथा बांग्लादेश के लगभग १ करोड़ लोग बोलते हैं। यह ऑस्ट्रो-एशियाई भाषा-परिवार की एक शाखा है। इसका अर्थ है कि मुण्डा भाषा वियतनामी भाषा और खमेर भाषा से सम्बंधित है। हो, मुण्डारी और सन्ताली इस भाषासमूह की मुख्य भाषाएँ हैं। भारत में मुण्डा के अलावा ऑस्ट्रो-एशियाई परिवार की दो अन्य शाखाएँ मिलती हैं: निकोबारी भाषाएँ तथा खसिक भाषाएँ। .
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मेघालय
मेघालय पूर्वोत्तर भारत का एक राज्य है। इसका अर्थ है बादलों का घर। २०१६ के अनुसार यहां की जनसंख्या ३२,११,४७४ है। मेघालय का विस्तार २२,४३० वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में है, जिसका लम्बाई से चौडाई अनुपात लगभग ३:१ का है। IBEF, India (2013) राज्य का दक्षिणी छोर मयमनसिंह एवं सिलहट बांग्लादेशी विभागों से लगता है, पश्चिमी ओर रंगपुर बांग्लादेशी भाग तथा उत्तर एवं पूर्वी ओर भारतीय राज्य असम से घिरा हुआ है। राज्य की राजधानी शिलांग है। भारत में ब्रिटिश राज के समय तत्कालीन ब्रिटिश शाही अधिकारियों द्वारा इसे "पूर्व का स्काटलैण्ड" की संज्ञा दी थी।Arnold P. Kaminsky and Roger D. Long (2011), India Today: An Encyclopedia of Life in the Republic,, pp.
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मोन भाषा
मोन भाषा बर्मा और थाईलैंड में मोन समुदाय द्वारा बोली जाने वाले एक ऑस्ट्रो-एशियाई भाषा है। इसे दस लाख से अधिक लोग बोलते हैं लेकिन नई पीढ़ी तेज़ी से इसे भुलाकर बर्मी भाषा बोलने लगी है जिस से इस भाषा के भविष्य के लिए ख़तरा बन गया है। दक्षिणपूर्व एशिया की मुख्यभूमि की अधिकतर भाषाएँ सुरभेदी हैं, लेकिन उनके विपरीत मोन सुरभेदी नहीं है। मोन भारत की ब्राह्मी लिपि से उत्पन्न मोन लिपि में लिखी जाती है जिस से आगे बर्मी लिपि भी विकसित हुई है। श्रेणी:ऑस्ट्रो-एशियाई भाषाएँ श्रेणी:बर्मा की भाषाएँ श्रेणी:थाईलैण्ड की भाषाएँ.
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मोन लोग
मोन दक्षिणपूर्वी एशिया में बसने वाला एक समुदाय है जो मुख्य रूप से बर्मा के मोन राज्य, बगो मण्डल और इरावती नदी के नदीमुख क्षेत्र में और थाईलैण्ड के बर्मा के साथ लगी सीमा के दक्षिणी भाग में रहता है। मोन लोग दक्षिणपूर्वी एशिया में बसने वाली सबसे प्राचीन जातियों में से थे और इस क्षेत्र में थेरवाद बौद्ध धर्म के विस्तार में इनकी बड़ी भूमिका रही है। थाईलैण्ड-बर्मा क्षेत्र में ऐतिहासिक द्वारवती राज्य की स्थापना इन्हीं के पूर्वजों ने की थी। .
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लवा लोग
लवा या लोवा दक्षिणपूर्वी एशिया में बसने वाला एक समुदाय है जो मुख्य रूप से उत्तरी थाईलैण्ड में रहता है। उनकी भाषा भी "लवा" कहलाती है और बर्मा व चीन के युन्नान प्रान्त में बोली जाने वाली ब्लांग और वा भाषाओं से सम्बन्धित एक ऑस्ट्रो-एशियाई भाषा है। इस समुदाय की दो मुख्य शाखाएँ हैं: पश्चिमी लवा लोग मै होंग सोन प्रान्त के दक्षिणी भाग में और पूर्वी लवा लोग चिअंग मई प्रान्त में रहते हैं।http://www.sil.org/system/files/reapdata/33/89/43/33894368593744268318445295670982885176/silesr2011_044.pdf थाईलैण्ड के लोपबुरी प्रान्त का नाम ऐतिहासिक रूप से इसी समुदाय पर पड़ा है। .
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हो भाषा
हो आस्ट्रो-एशियाई भाषा परिवार की मुंडा शाखा में एक भाषा है जो झारखंड, पश्चिम बंगाल एवं उड़ीसा के आदिवासी क्षेत्रों में लगभग १०,७७,००० जनों द्वारा बोली जाती है। .
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जुआंग भाषा
जुआंग (Juang) एक भारतीय भाषा है जो ऑस्ट्रो-एशियाई भाषाओं की मुण्डा शाखा की सदस्य है। यह उड़ीसा राज्य के जुआंग समुदाय द्वारा बोली जाती है और इसका सम्बन्ध खड़िया भाषा से बहुत समीपी है। .
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वार भाषा
वार (War), जो वार-जयंतिया (War-Jaintia) भी कहलाती है, भारत के पूर्वोत्तरी मेघालय राज्य व बांग्लादेश के कुछ पड़ोसी क्षेत्रों में बोली जाने वाली ऑस्ट्रो-एशियाई भाषा-परिवार की खसिक शाखा की एक भाषा है। आम्वी (Amwi) भी इसकी एक बहुत समीपी उपभाषा है, इसलिए इन्हें अक्सर एक ही भाषा समझा जाता है। सन् 2001 में वार को भारत में 26,000 और बांग्लादेश में 16,000 बोलने वाले अनुमानित करे गए थे। .
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वियतनामी भाषा
मूलतः वियतनामी भाषा बोलने वाले क्षेत्र वियतनामी भाषा वियतनाम की राजभाषा है। जब वियतनाम फ्रांस का उपनिवेश था तब इसे अन्नामी (Annamese) कहा जाता था। वियतनाम के ८६% लोगों की यह मातृभाषा है तथा लगभग ३० लाख वियतनामी बोलने वाले यूएसए में रहते हैं। यह ऑस्ट्रो-एशियाई भाषा-परिवार की भाषा है। वियतनामी भाषा की अधिकांश शब्दराशि चीनी भाषा से ली गयी है। यह वैसे ही है जैसे यूरोपीय भाषाएं लैटिन एवं यूनानी भाषा से शब्द ग्रहण की हैं उसी प्रकार वियतनामी भाषा ने चीनी भाषा से मुख्यत: अमूर्त विचारों को व्यक्त करने वाले शब्द उधार लिये हैं। वियतनामी भाषा पहले चीनी लिपि में ही लिखी जाती थी (परिवर्धित रूप की चीनी लिपि में) किन्तु वर्तमान में वियतनामी लेखन पद्धति में लैटिन वर्णमाला को परिवर्तित (adapt) करके तथा कुछ डायाक्रिटिक्स (diacritics) का प्रयोग करके लिया जाता है। .
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खड़िया भाषा
खड़िया (Kharia) एक भारतीय भाषा है जो ऑस्ट्रो-एशियाई भाषाओं की मुण्डा शाखा की सदस्य है। भारत के पूर्वी क्षेत्रों के अलावा यह नेपाल में भी कहीं-कहीं बोली जाती है। इसका सम्बन्ध जुआंग भाषा से बहुत समीपी है। .
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खसिक भाषाएँ
खसिक भाषाएँ (Khasic languages) भारत के पूर्वोत्तरी मेघालय राज्य व बांग्लादेश के कुछ पड़ोसी क्षेत्रों में बोली जाने वाली ऑस्ट्रो-एशियाई भाषाओं का एक भाषा-परिवार है। .
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खासी भाषा
खसी (Khasi) या खासी पूर्वोत्तर भारत के मेघालय राज्य में खसी समुदाय द्वारा बोली जाने वाली एक भाषा है। यह ऑस्ट्रो-एशियाई भाषा-परिवार की सदस्य है। खासी (जिसे खसी, खसिया या क्यी भी कहते हैं) ऑस्ट्रो-एशियाई भाषाओं के मोन-ख्मेर परिवार की एक शाखा है। २००१ की भारतीय जनगणना के अनुसार खासी भाषा को बोलने वाले ११,२८,५७५ लोग मेघालय में रहते हैं। खासी भाषा के बहुत से शब्द की इण्डो-आर्य भाषाएं जैसे नेपाली, बांग्ला एवं असमिया से लिये गे हैं। इसके अलावा खासी भाषा की अपनी कोई लिपि नहीं है और यह भारत में अभी तक चल रही मोन-ख्मेर भाषाओ में से एक है। .
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ख्मेर भाषा
ख्मेर (ភាសាខ្មែរ) या कम्बोडियाई भाषा, खमेर जाति की भाषा है। यह कम्बोडिया की अधिकारिक भाषा भी है। वियतनामी भाषा के बाद यह सर्वाधिक बोली जाने वाली ऑस्ट्रो-एशियाई भाषा (Austroasiatic language) है। हिन्दू और बौद्ध धर्म के के कारण खमेर भाषा पर संस्कृत और पालि का गहरा प्रभाव है। .
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ख्मेर लोग
ख्मेर (ख्मेर भाषा: ខ្មែរ, अंग्रेज़ी: Khmer) दक्षिणपूर्वी एशिया का एक समुदाय है जो मुख्य रूप से कम्बोडिया देश का मूल निवासी है। उस देश के १.५ करोड़ लोगों में से लगभग ९०% ख्मेर समुदाय के ही सदस्य हैं। Accessed July 14, 2008.
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कत्चल भाषा
कत्चल (Katchal) भारत के निकोबार द्वीपसमूह में बोली जाने वाली एक भाषा है जो ऑस्ट्रो-एशियाई भाषाओं की निकोबारी शाखा की सदस्य है। इसके मातृभाषी कत्चल द्वीप पर केन्द्रित हैं। इसके पड़ोसी ट्रिन्केट द्वीप पर इसकी एक उपभाषा बोली जाती है। कत्चल भाषा और ट्रिन्केट भाषा के बोलने वाले एक-दूसरे को समझ सकते हैं लेकिन वे किसी भी अन्य मध्य निकोबारी भाषा को नहीं समझ सकते। २००४ की सूनामी के बाद ट्रिन्केट के सभी लोगों को कत्चल और कमोर्ता द्वीप पर लाया गया और अनुमान है कि, जैसे वे स्थानीय आबादी में घुलमिल जाते हैं, ट्रिन्केट उपभाषा विलुप्त हो जायेगी। .
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कमोर्ता भाषा
कमोर्ता (Camorta) भारत के निकोबार द्वीपसमूह में बोली जाने वाली एक भाषा है जो ऑस्ट्रो-एशियाई भाषाओं की निकोबारी शाखा की सदस्य है। इसके मातृभाषी कमोर्ता द्वीप पर केन्द्रित हैं। .
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कार भाषा
कार (Car) भारत के निकोबार द्वीपसमूह में बोली जाने वाली एक भाषा है जो ऑस्ट्रो-एशियाई भाषाओं की निकोबारी शाखा की सदस्य है। यह सबसे अधिक बोली जाने वाली निकोबारी भाषा है और कार निकोबार द्वीप पर केन्द्रित है। कार भाषा में अभिश्लेषण देखा जाता है। यह वियतनामी भाषा और खमेर भाषा से सम्बन्धित है लेकिन इसकी सबसे निकटतम ग़ैर-निकोबारी भाषा पास में स्थित इण्डोनेशिया के सुमात्रा द्वीप के पश्चिमोत्तरी आचेह क्षेत्र में बोली जाने वाली आचेही भाषा है। .
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कोरकू भाषा
कोरकू (Korku) भारत के मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र राज्यों में बोली जाने वाली ऑस्ट्रो-एशियाई भाषा-परिवार की मुण्डा शाखा की एक भाषा है। इसे कोरकू समुदाय के लोग बोलते हैं, जो भारतीय संविधान के तहत एक अनुसूचित जनताति हैं। कोरकूभाषियों के आसपास गोंडी भाषा बोलने वाले बसते हैं, जिनकी संख्या अधिक है। ऐतिहासिक रूप से कोरकू लोगों का निहाली भाषा बोलने वालों के साथ सम्बन्ध रहा है, जो कोरकू बोलने वालों के गावों के भीतर ही विशेष हिस्सों में रहते हैं। .
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