लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

अहीर

सूची अहीर

अहीर प्रमुखतः एक भारतीय जाति समूह है,जिसके सदस्यों को यादव समुदाय के नाम से भी पहचाना जाता है तथा अहीर व यादव या राव साहब Rajasthan, Anthropological Survey of India, 1998, आईएसबीएन-9788171547661, पृष्ठ-44,45 शब्दों को एक दूसरे का पर्यायवाची समझा जाता है। अहीरों को एक जाति, वर्ण, आदिम जाति या नस्ल के रूप मे वर्णित किया जाता है, जिन्होने भारत व नेपाल के कई हिस्सों पर राज किया है। .

33 संबंधों: देवदत्त रामकृष्ण भांडारकर, नंदवंशी, नक्कारा, पाली, हरियाणा, फाटक, बिरहा, महाबली जोगराज सिंह गुर्जर, यदुवंश, यादव, योद्धा जातियाँ, राजपूत रेजिमेंट, राव तुला राम, राव रूड़ा सिंह, राव गुजरमल सिंह, लोक साहित्य, सन्त सिंगाजी, हिन्दू घोषी, ईश्वरसेन, घोसी जनजाति, वीर लोरिक, वीर अझगू मुतू कोणे, खारिया, ग्वाला, आभीर, अफरइया, अरुण गवली, अहिराणी भाषा, अहीर (आभीर) वंश के राजा, सरदार व कुलीन प्रशासक, अहीरवाल, अहीर्वती, अखिलेश यादव, उत्तर प्रदेश के लोकनृत्य, उमराव सिंह यादव

देवदत्त रामकृष्ण भांडारकर

देवदत्त रामकृष्ण भांडारकर (19 नवम्बर 1875 -1950) महाराष्ट्र के इतिहासशोधक एवं पुरातत्वशास्त्री थे। आप रामकृष्ण गोपाल भांडारकर के सबसे छोटे पुत्र थे। .

नई!!: अहीर और देवदत्त रामकृष्ण भांडारकर · और देखें »

नंदवंशी

नंदवंशी शब्द नन्द या नंदगोप नामक प्रसिद्ध पौराणिक चरित्र के वंशजों का परिचायक है। हरिवंश पुराण के अनुसार - नन्द "पावन ग्वाल" नाम से परिभाषित गोपालक या गोप जाति के मुखिया थे। वासुदेव नवजात कृष्ण के जन्म की रात को ही पालन पोषण हेतु नन्द को सौंप कर आए थे। .

नई!!: अहीर और नंदवंशी · और देखें »

नक्कारा

नक्कारा एक ताल वाद्य यंत्र है। इस लोक वाद्य का उपयोग अनेक लोकनृत्यों में किया जाता है। मसलन उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र में अहीरों द्वारा इसका प्रयोग प्रसिद्ध नटवरी नृत्य में किया जाता है। श्रेणी:ताल वाद्य श्रेणी:लोक वाद्य श्रेणी:भारतीय वाद्य यंत्र.

नई!!: अहीर और नक्कारा · और देखें »

पाली, हरियाणा

पाली भारत के हरियाणा राज्य के रिवाड़ी जिले का सबसे बड़ा ग्राम है। यह रेवाड़ी-नारनौल राजमार्ग पर रिवाड़ी से १७ किमी पर स्थित है। यह स्थान यहाँ स्थित बाबा निमाड़ी वाले हनुमानजी मंदिर के लिये प्रसिद्ध रहा है। इस मन्दिर को तीर्थ की तरह माना जाता है एवं स्थानीय लोगों के मन में यहां के लिये अपार श्रद्धा है। यह मन्दिर भूमि से ६०० फ़ीट की ऊंचाई पर पाली ग्राम से १.५ कि.मी दूर स्थित है। यह जिले का सबसे बड़ा ग्राम है एवं इसकी जनसंख्या लगभग ५,००० है। इनमें यदुवंशी अहीरों के कई गोत्र के लोग निवास करते हैं, किन्तु इनमें कलालिया प्रमुख हैं। इनके अलाआ यहां हरिजन, ब्राह्मण, नाईं एवं वालमीकि समुदाय के लोग भी रहते हैं। पाली की सीमाएं १३ ग्रामों से लगती हैं जिनमें नांगली, बालाहीर, माजरा बवाना, कुण्डाल, गोथरा, सातु एवं ममरिया कुछ हैं। यहां वर्ष २००९ में स्थानीय पंचायत के भ्रष्टाचार के विरोध में एक 'युवा विकास समिति' गठित हुई थी जिसने सफ़लतापूर्वक ध्येय प्राप्त किया एवं प्रसिद्धि भी पाई। यहां के अहीरवाल ग्राम के प्रत्येक परिवार से कम से कम एक युवा के भारतीय सशस्त्र सेनाओं में सदस्य भर्ती होने का गर्व महसूस करते हैं। सरकार इस ग्राम में शीघ्र ही एक सैनिक स्कूल की स्थापना करने वाली है। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) यहां जोहाड के निकट आवासीय परिसर का विकास कर रहा है। पाली रेलवे स्टेशन के निकट एक ऐतिहासिक स्मारक भी बना है जिसे ननद-भावज की छतरी कहा जाता है। यह ५०० वर्ष से अधिक प्राचीन है। .

नई!!: अहीर और पाली, हरियाणा · और देखें »

फाटक

फाटक, कृषक चरवाहा जाति अहीर का एक वंश या उपजाति है, जो कि राजपूतों के काफी समरूप होते है व स्वयं को चित्तौड़ के एक सिसोदिया राज कुमार का वंशज मानते हैं। इस सिसोदिया राजकुमार का विवाह महाबन के अहीर राजा दिग्पाल की पुत्री से हुआ था। अतः यह अहीर कहे जाते हैं। .

नई!!: अहीर और फाटक · और देखें »

बिरहा

बिरहा लोकगायन की एक विधा है जो पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा पश्चिमी बिहार के भोजपुरीभाषी क्षेत्र में प्रचलित है। बिरहा प्रायः अहीर लोग गाते हैं । इसका अतिम शब्द प्रायः बहुत खींचकर कहा जाता है । जैसे,—बेद, हकीम बुलाओ कोई गोइयाँ कोई लेओ री खबरिया मोर । खिरकी से खिरकी ज्यों फिरकी फिरति दुओ पिरकी उठल बड़ जोर ॥ बिरहा, 'विरह' से उत्‍पन्‍न हुई है जिसमें लोग सामाजिक वेदना को आसानी से कह लेते हैं और श्रोता मनोरजंन के साथ-साथ छन्‍द, काव्‍य, गीत व अन्‍य रसों का आनन्‍द भी ले पाते हैं। बिरहा अहीरों, जाटों, गुजरों, खेतिहर मजदूरों, शहर में दूध बेचने वाले दुधियों, लकड़हारों, चरवाहों, इक्का, ठेला वालों का लोकप्रिय हृदय गीत है। पूर्वांचल की यह लोकगायकी मनोरंजन के अलावा थकावट मिटाने के साथ ही एकरसता की ऊब मिटाने का उत्तम साधन है। बिरहा गाने वालों में पुरुषों के साथ ही महिलाओं की दिनों-दिन बढ़ती संख्या इसकी लोकप्रियता और प्रसार का स्पष्ट प्रमाण है। आजकल पारम्परिक गीतों के तर्ज और धुनों को आधार बनाकर बिरहा काव्य तैयार किया जाता है। ‘पूर्वी’, ‘कहरवा’, ‘खेमटा’, ‘सोहर’, ‘पचरा’, ‘जटावर’, ‘जटसार’, ‘तिलक गीत’, ‘बिरहा गीत’, ‘विदाई गीत’, ‘निर्गुण’, ‘छपरहिया’, ‘टेरी’, ‘उठान’, ‘टेक’, ‘गजल’, ‘शेर’, ‘विदेशिया’, ‘पहपट’, ‘आल्हा’, और खड़ी खड़ी और फिल्मी धुनों पर अन्य स्थानीय लोक गीतों का बिरहा में समावेश होता है। बिरहा के शुरूआती दौर के कवि ‘जतिरा’, ‘अधर’, ‘हफ्तेजूबान’, ‘शीसा पलट’, ‘कैदबन्द’, ‘सारंगी’, ‘शब्दसोरबा’, ‘डमरू’, ‘छन्द’, ‘कैद बन्द’, ‘चित्रकॉफ’ और ‘अनुप्राश अलंकार’ का प्रयोग करते थे। यह विधा भारत के बाहर मॉरीसस, मेडागास्कर और आस-पास के भोजपुरी क्षेत्रों की बोली वाले क्षेत्र में अपनी पैठ बढ़ाकर दिनों-दिन और लोकप्रिय हो रही है। .

नई!!: अहीर और बिरहा · और देखें »

महाबली जोगराज सिंह गुर्जर

सर्वखाप सेना के प्रधान सेनापति महाबली दादावीर जोगराज पंवार जी महाराज .

नई!!: अहीर और महाबली जोगराज सिंह गुर्जर · और देखें »

यदुवंश

यदुवंश अथवा यदुवंशी क्षत्रिय शब्द भारत के उस जन-समुदाय के लिए प्रयुक्त होता है जो स्वयं को प्राचीन राजा यदु का वंशज बताते हैं। तिजारा के खानजादा मुस्लिम भी अपनी उत्पत्ति यदुवंशी यादव से बताते हैं। मैसूर साम्राज्य के हिन्दू राजवंश को भी यादव कुल का वंशज बताया गया है। चूड़ासम राजपूतों को भी विभिन्न ऐतिहासिक स्रोतों मे मूल रूप से सिंध प्रांत का आभीर, या सिंध का यादव माना गया है, जो कि 9वीं शताब्दी में गुजरात में आए थे। भारतीय मानव वैज्ञानिक के अनुसार माधुरीपुत्र, ईश्वरसेन व शिवदत्त नामक विख्यात अहीर राजा यदुवंशी है अहीर यादव सब यदुवंशी है .

नई!!: अहीर और यदुवंश · और देखें »

यादव

यादव (अर्थ- महाराज यदु के वंशज)) प्राचीन भारत के वह लोग जो पौराणिक नरेश यदु के वंशज होने का दावा करते रहे हैं। यादव वंश प्रमुख रूप से आभीर (वर्तमान अहीर), अंधक, व्रष्णि तथा सत्वत नामक समुदायों से मिलकर बना था, जो कि भगवान कृष्ण के उपासक थे। यह लोग प्राचीन भारतीय साहित्य मे यदुवंश के प्रमुख अंगों के रूप मे वर्णित है।Thapar, Romila (1978, reprint 1996). Ancient Indian Social History: Some Interpretations, नई दिल्ली: Orient Longman, ISBN 978-81-250-0808-8, p.223 प्राचीन, मध्यकालीन व आधुनिक भारत की कई जातियाँ तथा राज वंश स्वयं को यदु का वंशज बताते है और यादव नाम से जाने जाते है। .

नई!!: अहीर और यादव · और देखें »

योद्धा जातियाँ

योद्धा जातियाँ, 1857 की क्रांति के बाद, ब्रिटिश कालीन भारत के सैन्य अधिकारियों बनाई गयी उपाधि थी। उन्होने समस्त जतियों को "योद्धा" व "गैर-योद्धा" जतियों के रूप मे वर्गीकृत किया था। उनके अनुसार, सुगठित शरीर व बहादुर "योदधा वर्ण" लड़ाई के लिए अधिक उपयुक्त था, जबकि आराम पसंद जीवन शैली वाले "गैर-लड़ाकू वर्ण" के लोगों को ब्रिटिश सरकार लड़ाई हेतु अनुपयुक्त समझती थी। एक वैकल्पिक परिकल्पना यह भी है कि 1857 की क्रांति मे अधिकतर ब्रिटिश प्रशिक्षित भारतीय सैनिक ही थे जिसके फलस्वरूप सैनिक भर्ती प्रक्रिया उन लोगों की पक्षधर थी जो ब्रिटिश हुकूमत के बफादार रहे थे अतः बंगाल आर्मी में खाड़ी क्षेत्र से होने वाली भर्ती या तो कम कर दी गयी या रोक दी गयी थी। उक्त धारणा भारत के वैदिक हिन्दू समाज की चतुर्वर्णीय व्यवस्था मे "क्षत्रिय वर्ण" के रूप मे पहले से ही विद्यमान थी जिसका शाब्दिक अर्थ "योद्धा जाति" है। .

नई!!: अहीर और योद्धा जातियाँ · और देखें »

राजपूत रेजिमेंट

राजपूत रेजीमेंट भारतीय सेना का एक सैन्य-दल है। यह प्राथमिक रूप से भारतीय राजपूत, गुर्जर, ब्राह्मण, बंगाली, मुस्लिम, जाट, अहीर, सिख और डोगरा जतियों से बनी है। द्वितीय विश्व युद्ध के समय तक इसमे 50% राजपूत व 50% मुस्लिमों की भागीदारी थी। .

नई!!: अहीर और राजपूत रेजिमेंट · और देखें »

राव तुला राम

राव तुलाराम सिंह (09 दिसम्बर 1825 -23 सितम्बर 1863) 1857 का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेताओं में से एक थे। उन्हे हरियाणा राज्य में " राज नायक" माना जाता है। विद्रोह काल मे, हरियाणा के दक्षिण-पश्चिम इलाके से सम्पूर्ण बिटिश हुकूमत को अस्थायी रूप से उखाड़ फेंकने तथा दिल्ली के ऐतिहासिक शहर में विद्रोही सैनिको की, सैन्य बल, धन व युद्ध सामाग्री से सहता प्रदान करने का श्रेय राव तुलाराम को जाता है। अंग्रेजों से भारत को मुक्त कराने के उद्देश्य से एक युद्ध लड़ने के लिए मदद लेने के लिए उन्होंने भारत छोड़ा तथा ईरान और अफगानिस्तान के शासकों से मुलाकात की, रूस के ज़ार के साथ सम्पर्क स्थापित करने की उनकी योजनाएँ थीं। इसी मध्य 37 वर्ष की आयु में 23 सितंबर 1863 को काबुल में पेचिश से उनकी मृत्यु हो गई। .

नई!!: अहीर और राव तुला राम · और देखें »

राव रूड़ा सिंह

एक जंगली इलाके की जागीर को तिजारा के कुलीन अहीर शासक राव रुडा सिंह ने रेवाड़ी राज्य के रूप मे स्थापित किया था। यह जागीर उन्हें मुगल शासक हुमायूँ को मेधावी सैन्य सेवाओं के बदले में वर्ष 1555 में प्राप्त हुयी थी। राव रुडा सिंह ने रेवाड़ी से 12 किलोमीटर दूर दक्षिण पूर्व म स्थित एक छोटे से गाँव बोलनी को अपना मुख्यालय बनाया। उन्होने जंगलों की सफाई करवा के कई नए गाँव स्थापित किए थे। Man Singh, Abhirkuladipika Urdu (1900) Delhi, p.105 .

नई!!: अहीर और राव रूड़ा सिंह · और देखें »

राव गुजरमल सिंह

राव गुजरमल सिंह (1739-1750) राव नंदराम सिंह पुत्र थे तथा चंद्रवंशी अहीर शासक थे। राव गुजरमल के बड़े भाई राव बाल किशन 24 फरवरी 1739 को करनाल युद्ध में नादिर शाह के विरुद्ध लड़ते हुये वीरगति को प्राप्त हुए, उनके बाद राव गुजरमल राजा बने। राव बाल किशन कि वीरता और बहादुरी को देखते हुए नादिर शाह ने राव राज घराना को "राव बहादुर" का खिताब नवाजा। राव गुजरमल के समय पर अहीर परिवार की शक्ति चरम सीमा पर थी। उनकी जागीर में रेवाड़ी, झज्जर, दादरी, हांसी, हिसार, कनौद, व नारनौल आदि प्रमुख नगर शामिल थे। गुरावडा व गोकुल गढ़ के किले इसी काल की देन है। गोकुल सिक्का मुद्रा का प्रचालन इसी काल में किया गया। अपने पिता के नाम स्तूप व जलाशय का भी निर्माण गूजरमल ने करवाया था। उन्होने मेरठ के ब्रहनपुर व मोरना तथा रेवाड़ी में रामगढ़, जैतपुर व श्रीनगर गावों की स्थापना की थी। फर्रूखनगर का बलोच राजा व हाथी सिंह का वंशज घसेरा का बहादुर सिंह दोनों राव गुजरमल के कातर शत्रु थे। बहादुर सिंह, भरतपुर के जाट राजा सूरजमल से अलग होकर स्वतंत्र शासन कर रहा था। तब राव गुजरमल ने सूरजमल के साथ मिलकर उसे मुहतोड़ जवाब दिया। गुजरमल का बहादुर सिंह के ससुर नीमराना के टोडरमल से भी मैत्रीपूर्ण सम्बंध था। सन 1750 मे, टोडरमल ने राव गूजरमल को बहादुर सिंह के कहने पर आमंत्रित किया ओर धोखे से उनका वध कर दिया। .

नई!!: अहीर और राव गुजरमल सिंह · और देखें »

लोक साहित्य

लोक सहित्य का अभिप्राय उस साहित्य से है जिसकी रचना लोक करता है। लोक-साहित्य उतना ही प्राचीन है जितना कि मानव, इसलिए उसमें जन-जीवन की प्रत्येक अवस्था, प्रत्येक वर्ग, प्रत्येक समय और प्रकृति सभी कुछ समाहित है। डॉ॰ सत्येन्द्र के अनुसार- "लोक मनुष्य समाज का वह वर्ग है जो आभिजात्य संस्कार शास्त्रीयता और पांडित्य की चेतना अथवा अहंकार से शून्य है और जो एक परंपरा के प्रवाह में जीवित रहता है।" (लोक साहित्य विज्ञान, डॉ॰ सत्येन्द्र, पृष्ठ-03) साधारण जनता से संबंधित साहित्य को लोकसाहित्य कहना चाहिए। साधारण जनजीवन विशिष्ट जीवन से भिन्न होता है अत: जनसाहित्य (लोकसाहित्य) का आदर्श विशिष्ट साहित्य से पृथक् होता है। किसी देश अथवा क्षेत्र का लोकसाहित्य वहाँ की आदिकाल से लेकर अब तक की उन सभी प्रवृत्तियों का प्रतीक होता है जो साधारण जनस्वभाव के अंतर्गत आती हैं। इस साहित्य में जनजीवन की सभी प्रकार की भावनाएँ बिना किसी कृत्रिमता के समाई रहती हैं। अत: यदि कहीं की समूची संस्कृति का अध्ययन करना हो तो वहाँ के लोकसाहित्य का विशेष अवलोकन करना पड़ेगा। यह लिपिबद्ध बहुत कम और मौखिक अधिक होता है। वैसे हिंदी लोकसाहित्य को लिपिबद्ध करने का प्रयास इधर कुछ वर्षों से किया जा रहा है और अनेक ग्रंथ भी संपादित रूप में सामने आए हैं किंतु अब भी मौखिक लोकसाहित्य बहुत बड़ी मात्रा में असंगृहीत है। लोक जीवन की जैसी सरलतम, नैसर्गिक अनुभूतिमयी अभिव्यंजना का चित्रण लोकगीतों व लोक-कथाओं में मिलता है, वैसा अन्यत्र सर्वथा दुर्लभ है। लोक-साहित्य में लोक-मानव का हृदय बोलता है। प्रकृति स्वयं गाती-गुनगुनाती है। लोक-साहित्य में निहित सौंदर्य का मूल्यांकन सर्वथा अनुभूतिजन्य है। .

नई!!: अहीर और लोक साहित्य · और देखें »

सन्त सिंगाजी

सन्त सिंगाजी भारत में मध्य प्रदेश के नीमार के एक मशहूर संत थे। उन्हे पशु रक्षक देव के रूप में पूजा जाता है। .

नई!!: अहीर और सन्त सिंगाजी · और देखें »

हिन्दू घोषी

हिन्दू घोषी (या घोसी, घोसी ठाकुर, घोसी यादव) हिन्दू अहीर जाति का एक समुदाय है, जो कि हिन्दू राजपूत समुदाय का पर्याप्त उपमान माना जाता है। हिन्दू गुर्जर जाति मे भी घोसी उपजाति पायी जाती है। दिल्ली व निकटतम इलाकों मे घोसी शब्द ऐतिहासिक रूप से हिन्दू व मुस्लिम समुदायों के दुग्ध-व्यवसायियों से संबन्धित है। परंतु, मध्य भारत मे लगभग सभी घोसी हिन्दू होते हैं जो स्वयं को घोसी ठाकुर कहते हैं व राजपूत होने का दावा करते हैं। घोसी शब्द हिन्दू व मुस्लिम दोनों धर्म के लोग प्रयोग करते है अतः इससे पारिभाषिक भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है। इस संदर्भ मे इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा 1918 मे दायर कानूनी प्रकरण "50 Ind Cas 424" मे यह निर्णय पारित किया गया कि "हिन्दू समुदाय में घोसी शब्द का प्रयोग एक वास्तविक कृषक जाति के लिए किया जाता है, जो कि हिन्दू अहीर जाति का ही अंग है। हिन्दू घोसी समुदाय की सामाजिक परम्पराएँ हिन्दू राजपूतो के समान होती हैं उत्तर प्रदेश के कुछ पश्चिमी जिलों मे घोसी अहीरों को शेष अहीर समुदाय से जनसंख्या व प्रतिष्ठा मे बेहतर समझा जाता है, जिससे वर्तमान राजनैतिक दल इनकी तरफ आकर्षित रहते है। राजनेता प्रायः विभिन्न अहीर उप-समुदायों (विशेष रूप से घोसी व कमरिया समुदायों) के मध्य दरार डालने के लिए योजनाए बनाते है व दरार की अपेक्षा रखते है। .

नई!!: अहीर और हिन्दू घोषी · और देखें »

ईश्वरसेन

ईश्वरसेन आभीर साम्राज्य के संस्थापक थे। पुराणों में वर्णन के अनुसार ईश्वरसेन व उनके उत्तराधिकारियों ने दक्खिन की वृहद सीमाओं पर शासित रहे थे.

नई!!: अहीर और ईश्वरसेन · और देखें »

घोसी जनजाति

घोसी या गोसी, उत्तर भारत मे पाया जाने वाली एक मुस्लिम जाति है। घोसी का शाब्दिक अर्थ है -चिल्लाना, जैसा कि वह अपने जानवरो को चरने के समय चिल्लाते है। यह लोग दुधारू पशुओं को चराने व दुग्ध विक्रय का कार्य करते हैं। ब्रिटिश नागरिक सेवकों रोज़ व इबबेतसोन जैसे मानव वैज्ञानिकों के अनुसार, हिन्दू अहीरों से परिवर्तित होकर मुस्लिम बने लोगो को घोसी कहा जाता है। क्रूक के निजी मत के अनुसार भी, घोसी वह अहीर हैं जो बाद मे मुस्लिम बन गए थे तथा इन्हे सामान्य अहीरों से निम्न स्तर का माना जाता है। एडवर्ड अल्बर्ट के अनुसार घोसी व गद्दी मुस्लिम समुदाय के लोग मुस्लिम अहीर हैं जिंनका प्रमुख व्यवसाय पशु-पालन है। अल्प संख्या मे घोसी पाकिस्तान के पंजाब प्रांत मे भी पाये जाते है। .

नई!!: अहीर और घोसी जनजाति · और देखें »

वीर लोरिक

वीर लोरिक, पूर्वी उत्तर प्रदेश की अहीर जाति की दंतकथा का एक दिव्य चरित्र है। एस॰एम॰ पांडे ने इसे भारत के अहीर कृषक वर्ग का राष्ट्रीय महाकाव्य कहा है। लोरिकायन, या लोरिक की कथा, भोजपुरी भाषा की एक नीति कथा है। इसे अहीर जाति की रामायण का दर्जा दिया जाता है। .

नई!!: अहीर और वीर लोरिक · और देखें »

वीर अझगू मुतू कोणे

वीर अझगू मुतू कोणे वीरन अझगू मुत्तू कोणे (1681-1739 A.D.), (जिन्हें अझगू मुत्तू कोणार व सर्वइकरार के नाम से भी जाना गया है) एक यादव सेनापति थे व तमिलनाडू के मदुरै क्षेत्र के प्रथम स्वतन्त्रता सेनानी थे जिनहोने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ बगावत की थी। .

नई!!: अहीर और वीर अझगू मुतू कोणे · और देखें »

खारिया

खारिया भारत के वृहद जन-जातीय समुदायों मे से एक है .

नई!!: अहीर और खारिया · और देखें »

ग्वाला

ग्वाला, गोप या ग्वालवंशी भारत में हिंदुओं की उपजाति है जो वर्तमान में वृहद अहीर जाति की एक खाँप के रूप में विद्यमान है। बिहार में ग्वाला व अहीर शब्द गौ पालन वर्ग के पर्याय माने जाते हैं, अहीरों मे प्रमुखत: तीन वर्ग है- ग्वाला वंश, यदु वंश तथा नंद वंश। विभिन्न ग्रंथों में भगवान कृष्ण को भी गोपाल या ग्वाला कहा जाता है। अर्थशास्त्र के अनुसार जनपद के चतुर्थ भाग के अधिकारी को गोप कहा जाता था। .

नई!!: अहीर और ग्वाला · और देखें »

आभीर

प्राचीन भारतीय महाकाव्यों में आभीर लोगों का उल्लेख मिलता है। वेदों तक में इनका उल्लेख प्राप्त होता है। 'आभीर' शब्द 'पेरीप्लस ऑफ द एइथ्रियन सी' (Periplus of the Erythraean Sea) में भी मिलता है। कई विद्वानों का मत है कि वर्तमान समय की 'अहीर' जाति ही प्राचीन समय के आभीर थे। उनका मत है कि संस्कृत शब्द आभीर का प्राकृत रूप 'आभीर हो गया। .

नई!!: अहीर और आभीर · और देखें »

अफरइया

अफरइया (अफरिया) (अन्य उच्चारण- अफ़्फरिया, फरिया या फरइया) यदुवंशी अहीर जाति का एक कुल (गोत्र) है। राजपूताना गजेटियर के अनुसार रेवाड़ी के अफरिया अहीर जाति के यदु वंश से हैं। रेवाड़ी राज्य पर अफरिया कुल ने ही शासन किया है। रेवाड़ी के राजा राव नंदराम इसी गोत्र के थे। .

नई!!: अहीर और अफरइया · और देखें »

अरुण गवली

अरुण गवली (जन्म: अरुण गुलाब अहीर, 17 जुलाई 1955) को उनके समर्थकों के बीच "डैडी" के नाम से जाना जाता है। वह एक कुख्यात अपराधी था, जो भारत के मुंबई से राजनीतिज्ञ बन गया। वे मुंबई में सातरस्ता के भायखला में दगडी चाल में रहते हैं। २००४ में उन्हें अखिल भारतीय सेना उम्मीदवार के रूप में मुंबई चिंचपोकली संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से एक विधायक चुना गया। .

नई!!: अहीर और अरुण गवली · और देखें »

अहिराणी भाषा

अहिराणी महाराष्ट्र के उत्तर में स्थित खानदेश भूभाग में बोली जाने वाली एक हिन्द-आर्य भाषा है। इसे कभी-कभी खानदेशी भी कहा जाता है, लकिन इसका नाम स्थानीय अहीर समुदाय पर पड़ा है। अहिराणी मराठी भाषा की एक उपभाषा समझी जाती है लेकिन व्याकरण और शब्दावली की दृष्टि से इसमें गुजराती भाषा और राजस्थानी भाषा के भी कई लक्षण पाये जाते हैं। अहीरों की विशिष्ट संस्कृति के कारण उनके द्वारा प्रचलित भाषा है अहिराणी आधुनिक हिंदी की खड़ी बोली का निकास है भी अहिराणी भाषा ही है .

नई!!: अहीर और अहिराणी भाषा · और देखें »

अहीर (आभीर) वंश के राजा, सरदार व कुलीन प्रशासक

अहीर ('आभीर' शब्द से व्युत्पन्न) एक भारतीय जातीय समुदाय है, जो कि 'यादव' नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यादव व अहीर शब्द एक दूसरे के पर्यायवाची माने गए हैं। अब तक की खोजों के अनुसार अहीर, आभीर अथवा यदुवंश का इतिहास भगवान विष्णु, अत्री, चन्द्र, तारा,बुध, इला, पुरुरवा-उर्वशी इत्यादि से सम्बद्ध है। तमिल भाषा के एक- दो विद्वानों को छोडकर शेष सभी भारतीय विद्वान इस बात से सहमत हैं कि अहीर शब्द संस्कृत के आभीर शब्द का तद्भव रूप है। प्राकृत-हिन्दी शब्दकोश के अनुसार भी अहिर, अहीर, आभीर व ग्वाला समानार्थी शब्द हैं। हिन्दी क्षेत्रों में अहीर, ग्वाला तथा यादव शब्द प्रायः परस्पर पर्यायवाची रूप में प्रयुक्त होते हैं। Quote: Ahir: Caste title of North Indian non-elite 'peasant'-pastoralists, known also as Yadav." Quote: "As far back as is known, the Yadava were called Gowalla (or one of its variants, Goalla, Goyalla, Gopa, Goala), a name derived from Hindi gai or go, which means "cow" and walla which is roughly translated as 'he who does'." वे कई अन्य नामो से भी जाने जाते हैं, जैसे कि गवली, घोसी या घोषी अहीर, तथा बुंदेलखंड में दौवा अहीर। ओडिशा में गौड व गौर के नाम से जाने जाते है, छत्तिशगड में राउत व रावत के नाम से जाने जाते है। अहीरों को विभिन्न रूपों से एक जाति, एक वंश, एक समुदाय, एक प्रजाति या नस्ल तथा एक प्राचीन आदिम जाति के रूप में उल्लेखित किया गया है। उन्होंने भारत व नेपाल के अनेक भागों पर राज किया है। .

नई!!: अहीर और अहीर (आभीर) वंश के राजा, सरदार व कुलीन प्रशासक · और देखें »

अहीरवाल

अहीरवाल एक ऐसा क्षेत्र है जो दक्षिणी हरियाणा और उत्तर-पूर्वी राजस्थान के हिस्सों में फैला हुआ है, जो भारत के वर्तमान राज्य हैं। यह क्षेत्र एक बार रेवाडी के शहर से नियंत्रित रियासत थी और मुगल साम्राज्य के पतन के समय से अहीर समुदाय के सदस्यों द्वारा नियंत्रित था। नाम "अहीर की भूमि" के रूप में अनुवादित है। जेई श्वार्ट्ज़बर्ग ने इसे "लोक क्षेत्र" और लुसिया माइकलुट्टी को "सांस्कृतिक-भौगोलिक क्षेत्र" के रूप में वर्णित किया है।..

नई!!: अहीर और अहीरवाल · और देखें »

अहीर्वती

अहीर्वती एक इंडो-आर्यन भाषा है, जिसे हरियाणा-राजस्थानी भाषा के रूप में वर्गीकृत किया गया है और अहीरवाल, दिल्ली, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ में बोली जाती है। और गुड़गांव, हरियाणा, अलवर और कोटपुटली राजस्थान के। प्रसिद्ध इतिहासकार रॉबर्ट वान रसेल अहिरवती के अनुसार यदुवंशी अहीर की भाषा है और हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली में बोली जाती है। यह मेवाती के समान है, राजस्थानी के रूपों में से एक या अहीर की भाषा भी राजपूताना की भाषा है रेवाड़ी, महेन्द्रगढ़, गुरगांव, कोटकासिम, कोटपुटली, बंसूर, दक्षिण दिल्ली, बिहोर, दक्षिण-पश्चिम दिल्ली, और मुंदवावार को अहीर्वती बोलने वाले क्षेत्र का केंद्र माना जा सकता है। श्रेणी:भारत यूरोपीय भाषा परिवार.

नई!!: अहीर और अहीर्वती · और देखें »

अखिलेश यादव

अखिलेश यादव (जन्म: 1 जुलाई 1973) एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इससे पूर्व वे लगातार तीन बार सांसद भी रह चुके हैं। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के पुत्र अखिलेश ने 2012 के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में अपनी पार्टी का नेतृत्व किया। उनकी पार्टी को राज्य में स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद, 15 मार्च 2012 को उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्य मन्त्री पद की शपथ ग्रहण की। २०१६ में अखिलेश के पिता और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने उन्हें उनके चाचा राम गोपाल यादव के साथ पार्टी से बाहर निकाल दिया परन्तु एक दिन भीतर ही उन्हें पुनः पार्टी में वापस भी ले लिया। .

नई!!: अहीर और अखिलेश यादव · और देखें »

उत्तर प्रदेश के लोकनृत्य

लोकनृत्य में उत्तर प्रदेश के प्रत्येक अंचल की अपनी विशिष्ट पहचान है। समृद्ध विरासत की विविधता को संजोये हुए ये आंगिक कलारूप लोक संस्कृति के प्रमुख वाहक हैं। .

नई!!: अहीर और उत्तर प्रदेश के लोकनृत्य · और देखें »

उमराव सिंह यादव

कप्तान उमराव सिंह यादव वी.सी., दुश्मन के सामने वीरता के लिए ब्रिटिश और राष्ट्रमंडल सेनाओं को दिए जाने वाले सर्वोच्च और सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार विक्टोरिया क्रॉस (वीसी) के एक भारतीय प्राप्तकर्ता थे। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वे रॉयल आर्टिलरी या रॉयल इंडियन आर्टिलरी में एकमात्र गैर-कमीशन अधिकारी थे जिन्हें विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित किया गया था.

नई!!: अहीर और उमराव सिंह यादव · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

अहिर

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »