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अष्टदिग्गज

सूची अष्टदिग्गज

अष्टदिग्गज (तेलुगु: అష్టదిగ్గజాలు) विजयनगर राज्य के राजा कृष्णदेव राय के दरबार में विभूषित आठ कवियों के लिये प्रयुक्त शब्द है। कहा जाता है कि इस काल में तेलुगु साहित्य अपनी पराकाष्ठा तक पहुंच गया था। कृष्णदेव के दरबार में ये कवि साहित्य सभा के आठ स्तम्भ माने जाते थे। इस काल (१५४० से १६००) को तेलुगू कविता के सन्दर्भ में 'प्रबन्ध काल' भी कहा जाता है। ये अष्टदिग्गज ये हैं-.

5 संबंधों: तेनाली रामा, तेलुगू साहित्य, दिग्गज, नवरत्न, कृष्णदेवराय

तेनाली रामा

तेनाली रामकृष्ण (तेलुगु: తెనాలి రామకృష్ణ) जो विकटकवि (विदूषक) के रूप में जाने जाते थ,आंध्र प्रदेश के एक तेलुगु कवि थे। वे अपनी कुशाग्र बुद्धि और हास्य बोध के कारण प्रसिद्ध हुये। तेनाली विजयनगर साम्राज्य (१५०९-१५२९) के राजा कृष्णदेवराय के दरबार के अष्टदिग्गजों में से एक थे। विजयनगर के राजपुरोहित वयासतीर्थ तथाचार्य रामा से शत्रुता रखते थे। तथाचार्य और उसके शिष्य धनीचार्य और मनीचार्य तेनाली रामा को मुसीबत में फसाने के लिए नई-नई तरकीबें प्रयोग करते थे पर तेनाली रामा उन तरकीबों का हल निकाल लेता था। .

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तेलुगू साहित्य

तेलुगु का साहित्य (तेलुगु: తెలుగు సాహిత్యం / तेलुगु साहित्यम्) अत्यन्त समृद्ध एवं प्राचीन है। इसमें काव्य, उपन्यास, नाटक, लघुकथाएँ, तथा पुराण आते हैं। तेलुगु साहित्य की परम्परा ११वीं शताब्दी के आरम्भिक काल से शुरू होती है जब महाभारत का संस्कृत से नन्नय्य द्वारा तेलुगु में अनुवाद किया गया। विजयनगर साम्राज्य के समय यह पल्लवित-पुष्पित हुई। .

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दिग्गज

अमरकोश में अमरसिंह ने आठ दिग्गजों के नाम इस प्रकार गिनए हैं: .

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नवरत्न

थाईलैण्ड की रानी सिरिकित की नवरत्न माला नवरत्न का शाब्दिक अर्थ है - नौ रत्न। भारतीय संस्कृति में नवरत्न शैली में निर्मित आभूषणों का विशेष सांस्कृतिक महत्व है। कुछ राजा अपने दरबार में नौ विद्वान रखते थे। उन्हें भी 'नवरत्न' कहा जाता था। विक्रमादित्य और अकबर के दरबार में नवरत्न थे। ये नौ रत्न हैं-.

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कृष्णदेवराय

कृष्णदेवराय की कांस्य प्रतिमा संगीतमय स्तम्भों से युक्त हम्पी स्थित विट्ठल मन्दिर; इसके होयसला शैली के बहुभुजाकार आधार पर ध्यान दीजिए। कृष्णदेवराय (1509-1529 ई.; राज्यकाल 1509-1529 ई) विजयनगर के सर्वाधिक कीर्तिवान राजा थे। वे स्वयं कवि और कवियों के संरक्षक थे। तेलुगु भाषा में उनका काव्य अमुक्तमाल्यद साहित्य का एक रत्न है। इनकी भारत के प्राचीन इतिहास पर आधारित पुस्तक वंशचरितावली तेलुगू  के साथ—साथ संस्कृत में भी मिलती है। संभवत तेलुगू का अनुवाद ही संस्कृत में हुआ है। प्रख्यात इतिहासकार तेजपाल सिंह धामा ने हिन्दी में इनके जीवन पर प्रामाणिक उपन्यास आंध्रभोज लिखा है। तेलुगु भाषा के आठ प्रसिद्ध कवि इनके दरबार में थे जो अष्टदिग्गज के नाम से प्रसिद्ध थे। स्वयं कृष्णदेवराय भी आंध्रभोज के नाम से विख्यात थे। .

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