लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

अल्मोड़ा जिला

सूची अल्मोड़ा जिला

अल्मोड़ा भारत के उत्तराखण्ड नामक राज्य में कुमांऊँ मण्डल के अन्तर्गत एक जिला है। इस जिले का मुख्यालय भी अल्मोड़ा में ही है। अल्मोड़ा अपनी सांस्कृतिक विरासत, हस्तकला, खानपान और ठेठ पहाड़ी सभ्यता व संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। .

95 संबंधों: चम्पावत, चम्पावत तहसील, चम्पावत का इतिहास, चौखुटिया, चौखुटिया तहसील, चौखुटिया विकास खंड, टनकपुर, ताड़ीखेत विकास खंड, ताकुला विकास खंड, थल, द्वाराहाट तहसील, द्वाराहाट विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तराखण्ड, द्वाराहाट विकास खंड, धारी तहसील, धौला देवी विकास खंड, नरेन्‍द्र सिंह बिष्‍ट, नैनीताल जिला, पाटी तहसील, पाली पछांऊॅं, बाल मिठाई, बागेश्वर तहसील, बागेश्वर जिला, बेतालघाट तहसील, भनोली तहसील, भांग का पौधा, भिकियासैंण विकास खंड, भिक्यासैंण तहसील, भैसियाछाना विकास खंड, महेंद्र सिंह धोनी, मासी, मॉंसी, रानीखेत, रानीखेत तहसील, रानीखेत विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तराखण्ड, रामचन्‍द्र जोशी, रामनगर तहसील, लमगड़ा विकास खंड, लक्ष्‍मण सिंह, लोहाघाट, सरयू नदी (उत्तराखण्ड), सल्ट विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तराखण्ड, सल्ट विकास खंड, संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध, स्याल्दे विकास खंड, सोमेश्वर तहसील, सोमेश्वर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तराखण्ड, सोमेश्वर, उत्तराखण्ड, हरीदत्‍त काण्‍डपाल, हल्द्वानी, हल्द्वानी का इतिहास, ..., हवालबाग विकास खंड, जागेश्वर, जागेश्वर धाम, अल्मोड़ा, जागेश्वर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तराखण्ड, जौरासी, जैंती तहसील, जी डी बिरला मैमोरियल स्कूल, रानीखेत, खुशीराम, गरुड़ तहसील, गंगा सिंह विष्‍ट, गंगोलीहाट, गंगोलीहाट तहसील, गैरसैंण, गोपाल बाबू गोस्वामी, गोविन्द बल्लभ पन्त, गोविन्‍द सिंह बिष्‍ट, गीत बैठकी, आदीग्राम कनौणियॉं, कनौंणी, कपकोट, काला चौना, कुमाऊँ मण्डल, कुमाऊँ विश्वविद्यालय से सम्बद्ध महाविद्यालयों की सूची, कुमाऊँ अभियान्त्रिकी महाविद्यालय, कुमाऊँनी भाषा, कुमाऊँनी लोग, कौसानी, कोटद्वार तहसील, कोश्याकुटौली तहसील, अल्मोड़ा, अल्मोड़ा तहसील, अल्मोड़ा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र, अल्मोड़ा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तराखण्ड, अल्मोड़ा का इतिहास, उत्तराखण्ड, उत्तराखण्ड में जिलावार विधानसभा सीटें, उत्तराखण्ड सूपर लीग, उत्तराखण्ड का भूगोल, उत्तराखण्ड के नगरों की सूची, उत्तराखण्ड के मण्डल, उत्तराखण्ड के राज्य राजमार्गों की सूची, उत्तराखण्ड के जिले, उत्तराखण्ड के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की सूची, उप्रेती, २०१८ उत्तराखण्ड दावानल सूचकांक विस्तार (45 अधिक) »

चम्पावत

चम्पावत भारत के उत्तराखण्ड राज्य के चम्पावत जिले का मुख्यालय है। पहाड़ों और मैदानों के बीच से होकर बहती नदियाँ अद्भुत छटा बिखेरती हैं। चंपावत में पर्यटकों को वह सब कुछ मिलता है जो वह एक पर्वतीय स्थान से चाहते हैं। वन्यजीवों से लेकर हरे-भरे मैदानों तक और ट्रैकिंग की सुविधा, सभी कुछ यहाँ पर है। यह कस्बा समुद्र तल से १६१५ मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। चम्पावत कई वर्षों तक कुमाऊँ के शासकों की राजधानी रहा है। चन्द शासकों के किले के अवशेष आज भी चम्पावत में देखे जा सकते हैं। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और चम्पावत · और देखें »

चम्पावत तहसील

चम्पावत तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में चम्पावत जनपद की एक तहसील है। चम्पावत जनपद के मध्य भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय चम्पावत नगर में स्थित हैं। इस तहसील का गठन १९वीं शताब्दी की शुरुआत में ब्रिटिश सरकार द्वारा किया गया था, और तब यह अल्मोड़ा जनपद की दो तहसीलों में से एक हुआ करती थी। इसके पूर्व में नेपाल, पश्चिम में पाटी तहसील, उत्तर में लोहाघाट तहसील तथा दक्षिण में श्री पूर्णागिरी तहसील है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और चम्पावत तहसील · और देखें »

चम्पावत का इतिहास

चम्पावत नगर का एक दृश्य चम्पावत उत्तराखण्ड राज्य के पूर्वी भाग में स्थित चम्पावत जनपद का मुख्यालय तथा एक प्रमुख नगर है। चम्पावत कई वर्षों तक कुमाऊँ के शासकों की राजधानी रहा है। चन्द शासकों के किले के अवशेष आज भी चम्पावत में देखे जा सकते हैं। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और चम्पावत का इतिहास · और देखें »

चौखुटिया

चौखुटिया, अल्मोड़ा जिला, उत्तराखंड में स्थित एक क्षेत्र है। यह कुमाऊँ मण्डल में आता है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और चौखुटिया · और देखें »

चौखुटिया तहसील

चौखुटिया तहसील भारत के उत्तराखण्ड राज्य में अल्मोड़ा जनपद की एक तहसील है। अल्मोड़ा जनपद के मध्य भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय चौखुटिया नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में सोमेश्वर तथा बागेश्वर जनपद की गरुड़ तहसील, पश्चिम में भिक्यासैंण तहसील, उत्तर में चमोली जनपद की थराली तहसील, तथा दक्षिण में द्वाराहाट है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और चौखुटिया तहसील · और देखें »

चौखुटिया विकास खंड

चौखुटिया विकास खंड उत्तराखण्ड राज्य के अल्मोड़ा जनपद का एक सामुदायिक विकास खंड है। श्रेणी:उत्तराखण्ड के सामुदायिक विकास खंड.

नई!!: अल्मोड़ा जिला और चौखुटिया विकास खंड · और देखें »

टनकपुर

टनकपुर भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख नगर है। चम्पावत जनपद के दक्षिणी भाग में स्थित टनकपुर नेपाल की सीमा पर बसा हुआ है। टनकपुर, हिमालय पर्वत की तलहटी में फैले भाभर क्षेत्र में स्थित है। शारदा नदी टनकपुर से होकर बहती है। इस नगर का निर्माण १८९८ में नेपाल की ब्रह्मदेव मंडी के विकल्प के रूप में किया गया था, जो शारदा नदी की बाढ़ में बह गई थी। कुछ समय तक यह चम्पावत तहसील के उप-प्रभागीय मजिस्ट्रेट का शीतकालीन कार्यालय भी रहा। १९०१ में इसकी जनसंख्या ६९२ थी। सुनियोजित ढंग से निर्मित बाजार, चौड़ी खुली सड़कें, फैले हुए फुटपाथ, खुली हवादार कालोनियां इस नगर की विशेषताएं हैं। पूर्णागिरि मन्दिर के मुख्य द्वार के रूप में शारदा नदी के तट पर बसा हुआ यह नगर पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों के आकर्षण का केन्द्र है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और टनकपुर · और देखें »

ताड़ीखेत विकास खंड

ताड़ीखेत विकास खंड उत्तराखण्ड राज्य के अल्मोड़ा जनपद का एक सामुदायिक विकास खंड है। श्रेणी:उत्तराखण्ड के सामुदायिक विकास खंड.

नई!!: अल्मोड़ा जिला और ताड़ीखेत विकास खंड · और देखें »

ताकुला विकास खंड

ताकुला विकास खंड उत्तराखण्ड राज्य के अल्मोड़ा जनपद का एक सामुदायिक विकास खंड है। श्रेणी:उत्तराखण्ड के सामुदायिक विकास खंड.

नई!!: अल्मोड़ा जिला और ताकुला विकास खंड · और देखें »

थल

थल उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जनपद में रामगंगा नदी के तट पर स्थित एक छोटा सा नगर है। यहाँ १६वीं शताब्दी का एक शिव मंदिर है। १९५७ से १९६२ तक यह अल्मोड़ा जनपद का एक विकासखंड था। ३० सितम्बर २०१४ से यह पिथौरागढ़ जनपद की एक तहसील है। बेरीनाग तथा डीडीहाट तहसील के ११४ ग्रामों से इसका गठन किया गया। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और थल · और देखें »

द्वाराहाट तहसील

द्वाराहाट तहसील भारत के उत्तराखण्ड राज्य में अल्मोड़ा जनपद की एक तहसील है। अल्मोड़ा जनपद के मध्य भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय द्वाराहाट नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में सोमेश्वर तथा अल्मोड़ा तहसील, पश्चिम में भिक्यासैंण तहसील, उत्तर में चौखुटिया तहसील, तथा दक्षिण में रानीखेत तहसील है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और द्वाराहाट तहसील · और देखें »

द्वाराहाट विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तराखण्ड

द्वाराहाट विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र उत्तराखण्ड के 70 निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। अल्मोड़ा जिले में स्थित यह निर्वाचन क्षेत्र अनारक्षित है। 2012 में इस क्षेत्र में कुल 84,170 मतदाता थे। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और द्वाराहाट विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तराखण्ड · और देखें »

द्वाराहाट विकास खंड

द्वाराहाट विकास खंड उत्तराखण्ड राज्य के अल्मोड़ा जनपद का एक सामुदायिक विकास खंड है। श्रेणी:उत्तराखण्ड के सामुदायिक विकास खंड.

नई!!: अल्मोड़ा जिला और द्वाराहाट विकास खंड · और देखें »

धारी तहसील

धारी तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में नैनीताल जनपद की एक तहसील है। नैनीताल जनपद के पूर्वी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय धारी कस्बे में स्थित हैं। इसके पूर्व में चम्पावत जनपद की पाटी तहसील, पश्चिम में नैनीताल तहसील, उत्तर में अल्मोड़ा जनपद की जैंती तहसील, तथा दक्षिण में हल्द्वानी तहसील है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और धारी तहसील · और देखें »

धौला देवी विकास खंड

धौला देवी विकास खंड उत्तराखण्ड राज्य के अल्मोड़ा जनपद का एक सामुदायिक विकास खंड है। श्रेणी:उत्तराखण्ड के सामुदायिक विकास खंड.

नई!!: अल्मोड़ा जिला और धौला देवी विकास खंड · और देखें »

नरेन्‍द्र सिंह बिष्‍ट

नरेन्‍द्र सिंह बिष्‍ट,भारत के उत्तर प्रदेश की दूसरी विधानसभा सभा में विधायक रहे। 1957 उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश के अल्‍मोड़ा जिले के 1 - पिथौरागढ़ विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस की ओर से चुनाव में भाग लिया। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और नरेन्‍द्र सिंह बिष्‍ट · और देखें »

नैनीताल जिला

नैनीताल जिला भारतीय राज्य उत्तराखण्ड का एक जिला है। जिले का मूख्यालय नैनीताल है। नैनीताल जिला, कुमाऊँ मण्डल में स्थित है और इसके उत्तर में अल्मोड़ा जिला और दक्षिण में उधमसिंहनगर जिला है। हल्द्वानी इस जिले में सबसे बड़ा नगर है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और नैनीताल जिला · और देखें »

पाटी तहसील

पाटी तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में चम्पावत जनपद की एक तहसील है। चम्पावत जनपद के पश्चिमी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय पाटी गांव में स्थित हैं। १७ जनवरी २००४ को उत्तरांचल सरकार के शाशनादेश से चम्पावत तहसील के १४६ ग्रामों के साथ इसका गठन किया गया। इसके पूर्व में लोहाघाट और चम्पावत तहसील, पश्चिम में नैनीताल जनपद की धारी तहसील, उत्तर में अल्मोड़ा जनपद की भनोली तहसील, तथा दक्षिण में नैनीताल जनपद की हल्द्वानी तहसील है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और पाटी तहसील · और देखें »

पाली पछांऊॅं

पाली पछांऊॅं एक क्षेत्र का नाम है जो भारतवर्ष के उत्तराखण्ड राज्य में कुमाऊँ मण्डल के अन्तर्गत अल्मोड़ा जिले में है। कत्यूरी राजवंश से लेकर 14 अगस्त, 1947 तक पाली पछांऊॅं कुमांऊँ क्षेत्र का एक परगना अर्थात् तत्कालीन तहसील रूपी केन्द्र था। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और पाली पछांऊॅं · और देखें »

बाल मिठाई

बाल मिठाई भारत के उत्तराखंड राज्य की एक लोकप्रिय मिठाई है। यह भुने हुए खोये पर चीनी की सफेद गेंदों के लेप द्वारा बनायी जाती है, और दिखने में भूरे चॉकलेट जैसी होती है। यह विशेष रूप से अल्मोड़ा के आसपास के क्षेत्रों में प्रसिद्ध है। श्रेणी:ग़ैर हिन्दी भाषा पाठ वाले लेख .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और बाल मिठाई · और देखें »

बागेश्वर तहसील

बागेश्वर तहसील भारत के उत्तराखण्ड राज्य में बागेश्वर जनपद की सदर तहसील है। बागेश्वर जनपद के दक्षिणी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय बागेश्वर नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में कांडा और पिथौरागढ़ जनपद की गंगोलीहाट तहसील, पश्चिम में गरुड़ तहसील, उत्तर में कपकोट तहसील, तथा दक्षिण में अल्मोड़ा जनपद की सदर तहसील है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और बागेश्वर तहसील · और देखें »

बागेश्वर जिला

बागेश्वर भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक जिला है, जिसके मुख्यालय बागेश्वर नगर में स्थित हैं। इस जिले के उत्तर तथा पूर्व में पिथौरागढ़ जिला, पश्चिम में चमोली जिला, तथा दक्षिण में अल्मोड़ा जिला है। बागेश्वर जिले की स्थापना १५ सितंबर १९९७ को अल्मोड़ा के उत्तरी क्षेत्रों से की गयी थी। २०११ की जनगणना के अनुसार रुद्रप्रयाग तथा चम्पावत के बाद यह उत्तराखण्ड का तीसरा सबसे कम जनसंख्या वाला जिला है। यह जिला धार्मिक गाथाओं, पर्व आयोजनों और अत्याकर्षक प्राकृतिक दृश्यों के कारण प्रसिद्ध है। प्राचीन प्रमाणों के आधार पर बागेश्वर शब्द को ब्याघ्रेश्वर से विकसित माना गया है। यह शब्द प्राचीन भारतीय साहित्य में अधिक प्रसिद्ध है। बागनाथ मंदिर, कौसानी, बैजनाथ, विजयपुर आदि जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। जिले में ही स्थित पिण्डारी, काफनी, सुन्दरढूंगा इत्यादि हिमनदों से पिण्डर तथा सरयू नदियों का उद्गम होता है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और बागेश्वर जिला · और देखें »

बेतालघाट तहसील

बेतालघाट तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में नैनीताल जनपद की एक तहसील है। नैनीताल जनपद के उत्तरी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय बेतालघाट कस्बे में स्थित हैं। इसके पूर्व में अल्मोड़ा जनपद की सल्ट तहसील, पश्चिम में अल्मोड़ा जनपद की रानीखेत तहसील, उत्तर में अल्मोड़ा जनपद की भिक्यासैंण तहसील, तथा दक्षिण में नैनीताल और कोश्याकुटौली तहसील है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और बेतालघाट तहसील · और देखें »

भनोली तहसील

भनोली तहसील भारत के उत्तराखण्ड राज्य में अल्मोड़ा जनपद की एक तहसील है। अल्मोड़ा जनपद के पूर्वी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय भनोली ग्राम में स्थित हैं। इसके पूर्व में चम्पावत जनपद की लोहाघाट तथा पाटी तहसील, पश्चिम में अल्मोड़ा तहसील, उत्तर में पिथौरागढ़ जनपद की गंगोलीहाट तहसील, तथा दक्षिण में जैंती तहसील है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और भनोली तहसील · और देखें »

भांग का पौधा

भांग का पौधा और उसके विभिन्न भाग भांग (वानस्पतिक नामः Cannabis indica) एक प्रकार का पौधा है जिसकी पत्तियों को पीस कर भांग तैयार की जाती है। उत्तर भारत में इसका प्रयोग बहुतायत से स्वास्थ्य, हल्के नशे तथा दवाओं के लिए किया जाता है। भारतवर्ष में भांग के अपने आप पैदा हुए पौधे सभी जगह पाये जाते हैं। भांग विशेषकर उत्तर प्रदेश, बिहार एवं पश्चिम बंगाल में प्रचुरता से पाया जाता है। भांग के पौधे 3-8 फुट ऊंचे होते हैं। इसके पत्ते एकान्तर क्रम में व्यवस्थित होते हैं। भांग के ऊपर की पत्तियां 1-3 खंडों से युक्त तथा निचली पत्तियां 3-8 खंडों से युक्त होती हैं। निचली पत्तियों में इसके पत्रवृन्त लम्बे होते हैं। भांग के नर पौधे के पत्तों को सुखाकर भांग तैयार की जाती है। भांग के मादा पौधों की रालीय पुष्प मंजरियों को सुखाकर गांजा तैयार किया जाता है। भांग की शाखाओं और पत्तों पर जमे राल के समान पदार्थ को चरस कहते हैं। भांग की खेती प्राचीन समय में 'पणि' कहे जानेवाले लोगों द्वारा की जाती थी। ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने कुमाऊँ में शासन स्थापित होने से पहले ही भांग के व्यवसाय को अपने हाथ में ले लिया था तथा काशीपुर के नजदीक डिपो की स्थापना कर ली थी। दानपुर, दसोली तथा गंगोली की कुछ जातियाँ भांग के रेशे से कुथले और कम्बल बनाती थीं। भांग के पौधे का घर गढ़वाल में चांदपुर कहा जा सकता है। इसके पौधे की छाल से रस्सियाँ बनती हैं। डंठल कहीं-कहीं मशाल का काम देता है। पर्वतीय क्षेत्र में भांग प्रचुरता से होती है, खाली पड़ी जमीन पर भांग के पौधे स्वभाविक रूप से पैदा हो जाते हैं। लेकिन उनके बीज खाने के उपयोग में नहीं आते हैं। टनकपुर, रामनगर, पिथौरागढ़, हल्द्वानी, नैनीताल, अल्मोडा़, रानीखेत,बागेश्वर, गंगोलीहाट में बरसात के बाद भांग के पौधे सर्वत्र देखे जा सकते हैं। नम जगह भांग के लिए बहुत अनुकूल रहती है। पहाड़ की लोक कला में भांग से बनाए गए कपड़ों की कला बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन मशीनों द्वारा बुने गये बोरे, चटाई इत्यादि की पहुँच घर-घर में हो जाने तथा भांग की खेती पर प्रतिबन्ध के कारण इस लोक कला के समाप्त हो जाने का भय है। होली के अवसर पर मिठाई और ठंडाई के साथ इसका प्रयोग करने की परंपरा है। भांग का इस्तेमाल लंबे समय से लोग दर्द निवारक के रूप में करते रहे हैं। कई देशों में इसे दवा के रूप में भी उपलब्ध कराया जाता है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और भांग का पौधा · और देखें »

भिकियासैंण विकास खंड

भिकियासैंण विकास खंड उत्तराखण्ड राज्य के अल्मोड़ा जनपद का एक सामुदायिक विकास खंड है। श्रेणी:उत्तराखण्ड के सामुदायिक विकास खंड.

नई!!: अल्मोड़ा जिला और भिकियासैंण विकास खंड · और देखें »

भिक्यासैंण तहसील

भिक्यासैंण तहसील भारत के उत्तराखण्ड राज्य में अल्मोड़ा जनपद की एक तहसील है। अल्मोड़ा जनपद के पश्चिमी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय भिक्यासैंण नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में चौखुटिया, द्वाराहाट तथा रानीखेत तहसील, पश्चिम में सल्ट तहसील, उत्तर में चमोली जनपद की गैरसैंण तहसील, तथा दक्षिण में नैनीताल जनपद की बेतालघाट तहसील है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और भिक्यासैंण तहसील · और देखें »

भैसियाछाना विकास खंड

भैसियाछाना विकास खंड उत्तराखण्ड राज्य के अल्मोड़ा जनपद का एक सामुदायिक विकास खंड है। श्रेणी:उत्तराखण्ड के सामुदायिक विकास खंड.

नई!!: अल्मोड़ा जिला और भैसियाछाना विकास खंड · और देखें »

महेंद्र सिंह धोनी

महेंद्र सिंह धोनी अथवा मानद लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र सिंह धोनी (एम एस धोनी भी) झारखंड, रांची के एक राजपूत परिवार में जन्मे पद्म भूषण, पद्म श्री और राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित भारतीय क्रिकेटर हैं। धोनी भारतीय क्रिकेटर तथा भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान हैं और भारत के सबसे सफल एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कप्तान हैं। शुरुआत में एक असाधारण उज्जवल व आक्रामक बल्लेबाज़ के नाम पर जाने गए। धोनी धीरे-धीरे भारतीय एक दिवसीय के सबसे शांतचित्त कप्तानों में से जाने जाते हैं। उनकी कप्तानी में भारत ने २००७ आईसीसी विश्व ट्वेन्टी २०, २००७-०८ कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज २००७-२००८ के सीबी सीरीज़ और बॉर्डर-गावस्कर ट्राफी जीती जिसमें भारत ने ऑस्ट्रेलिया को २-० से हराया उन्होंने भारतीय टीम को श्रीलंका और न्यूजीलैंड में पहली अतिरिक्त वनडे सीरीज़ जीत दिलाई ०२ सितम्बर २०१४ को उन्होंने भारत को २४ साल बाद इंग्लैंड में वनडे सीरीज में जीत दिलाई। धोनी ने कई सम्मान भी प्राप्त किए हैं जैसे २००८ में आईसीसी वनडे प्लेयर ऑफ़ द इयर अवार्ड (प्रथम भारतीय खिलाड़ी जिन्हें ये सम्मान मिला), राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार और २००९ में भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म श्री पुरस्कार साथ ही २००९ में विस्डन के सर्वप्रथम ड्रीम टेस्ट ग्यारह टीम में धोनी को कप्तान का दर्जा दिया गया। उनकी कप्तानी में भारत ने २८ साल बाद एक दिवसीय क्रिकेट विश्व कप में दुबारा जीत हासिल की। सन् २०१३ में इनकी कप्तानी में भारत पहली बार चैम्पियंस ट्रॉफी का विजेता बना। धोनी दुनिया के पहले ऐसे कप्तान बन गये जिनके पास आईसीसी के सभी कप है। इन्होंने २०१४ में टेस्ट क्रिकेट को कप्तानी के साथ अलविदा कह दिया था। इनके इस फैसले से क्रिकेट जगत स्तब्ध रह गया। धोनी लगातार दूसरी बार क्रिकेट विश्व कप में २०१५ क्रिकेट विश्व कप में भारत का नेतृत्व किया और पहली बार भारत ने सभी ग्रुप मैच जीते साथ ही इन्होंने लगातार ११ विश्व कप में मैच जीतकर नया रिकार्ड भी बनाया ये भारत के पहले ऐसे कप्तान बने जिन्होंने १०० वनडे मैच जिताए हो। और उन्होनें कहा है कि जल्द ही वो एक ऐसा कदम उठाएंगे जो किसी कप्तान ने अपने कैरियर में नहीं उठाया वो टीम को २ हिस्सों में बाटेंगे जो खिलाड़ी अच्छा नहीं खेलेगा उसे वो दूसरी टीम में डाल देंगे और जो खिलाड़ी अच्छा खेलेगा वो उसे अपनी टीम में रख लेंगे इसमें कुछ नये खिलाड़ी भी आ सकते हैं। धोनी ने ४ जनवरी २०१७ को भारतीय एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय और ट्वेन्टी-ट्वेन्टी टीम की कप्तानी छोड़ी। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और महेंद्र सिंह धोनी · और देखें »

मासी

मासी, अल्मोड़ा जिला, उत्तराखंड में स्थित एक क्षेत्र है। यह कुमाऊँ मण्डल में आता है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और मासी · और देखें »

मॉंसी

मॉंसी एक गाँव है जो रामगंगा नदी के पूर्वी किनारे पर चौखुटिया (गनांई) तहसील के तल्ला गेवाड़ पट्टी में भारतवर्ष के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमांऊँ क्षेत्र के अल्मोड़ा जिले में स्थित है। यह मूलत: मासीवाल नामक उपनाम से विख्यात कुमांऊॅंनी हिन्दुओं का पुश्तैनी गाँव है। यह अपनी ऐतिहासिक व सॉस्कृतिक विरासत, ठेठ कुमांऊॅंनी सभ्यता व संस्कृति, पर्वतीय जीवन शैली तथा समतल उपजाऊ भूमि के लिए पहचाना जाता है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और मॉंसी · और देखें »

रानीखेत

रानीखेत भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख पहाड़ी पर्यटन स्थल है। यह राज्य के अल्मोड़ा जनपद के अंतर्गत स्थित एक फौजी छावनी है। देवदार और बलूत के वृक्षों से घिरा रानीखेत बहुत ही रमणीक हिल स्टेशन है। इस स्थान से हिमाच्छादित मध्य हिमालयी श्रेणियाँ स्पष्ट देखी जा सकती हैं। रानीखेत से सुविधापूर्वक भ्रमण के लिए पिण्डारी ग्लेशियर, कौसानी, चौबटिया और कालिका पहुँचा जा सकता है। चौबटिया में प्रदेश सरकार के फलों के उद्यान हैं। इस पर्वतीय नगरी का मुख्य आकर्षण यहाँ विराजती नैसर्गिक शान्ति है। रानीखेत में फ़ौजी छावनी भी है और गोल्फ़ प्रेमियों के लिए एक सुन्दर पार्क भी है। १८६९ में ब्रिटिश सरकार ने कुमाऊं रेजिमेंट के मुख्यालय की स्थापना रानीखेत में की, और भारतीय गर्मियों से बचने के लिए हिल स्टेशन के रूप में इस नगर का प्रयोग किया जाने लगा। ब्रिटिश राज के दौरान एक समय में, यह शिमला के स्थान पर भारत सरकार के ग्रीष्मकालीन मुख्यालय के रूप में भी प्रस्तावित किया गया था। १९०० में इसकी गर्मियों की ७,७०५ जनसंख्या थी, और उसी साल की सर्दियों की जनसंख्या १९०१ में ३,१५३ मापी गई थी। स्वच्छ सर्वेक्षण २०१८ के अनुसार रानीखेत दिल्ली और अल्मोड़ा छावनियों के बाद भारत की तीसरी सबसे स्वच्छ छावनी है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और रानीखेत · और देखें »

रानीखेत तहसील

रानीखेत तहसील भारत के उत्तराखण्ड राज्य में अल्मोड़ा जनपद की एक तहसील है। अल्मोड़ा जनपद के मध्य भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय रानीखेत छावनी में स्थित हैं। इसके पूर्व में अल्मोड़ा तहसील, पश्चिम में भिक्यासैंण तहसील, उत्तर में द्वाराहाट तहसील, तथा दक्षिण में नैनीताल जनपद की कोश्याकुटौली तहसील है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और रानीखेत तहसील · और देखें »

रानीखेत विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तराखण्ड

रानीखेत विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र उत्तराखण्ड के 70 निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। अल्मोड़ा जिले में स्थित यह निर्वाचन क्षेत्र अनारक्षित है। 2012 में इस क्षेत्र में कुल 74,031 मतदाता थे। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और रानीखेत विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तराखण्ड · और देखें »

रामचन्‍द्र जोशी

रामचन्‍द्र जोशी,भारत के उत्तर प्रदेश की चौथी विधानसभा सभा में विधायक रहे। 1967 उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश के अल्‍मोड़ा जिले के 11 - अल्‍मोड़ा विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से अ0 भा0 जनसंघ की ओर से चुनाव में भाग लिया। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और रामचन्‍द्र जोशी · और देखें »

रामनगर तहसील

रामनगर तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में नैनीताल जनपद की एक तहसील है। नैनीताल जनपद के पश्चिमी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय रामनगर नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में कालाढूंगी तहसील, पश्चिम में उत्तर प्रदेश राज्य का बिजनौर जिला, और गढ़वाल जनपद की कोटद्वार तहसील, उत्तर में नैनीताल और अल्मोड़ा जनपद की सल्ट तहसील, तथा दक्षिण में उधम सिंह नगर जनपद की जसपुर, और काशीपुर तहसील है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और रामनगर तहसील · और देखें »

लमगड़ा विकास खंड

लमगड़ा विकास खंड उत्तराखण्ड राज्य के अल्मोड़ा जनपद का एक सामुदायिक विकास खंड है। श्रेणी:उत्तराखण्ड के सामुदायिक विकास खंड.

नई!!: अल्मोड़ा जिला और लमगड़ा विकास खंड · और देखें »

लक्ष्‍मण सिंह

लक्ष्‍मण सिंह,भारत के उत्तर प्रदेश की दूसरी विधानसभा सभा में विधायक रहे। 1957 उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश के अल्‍मोड़ा जिले के 4 - रानीखेत (दक्षिण) विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस की ओर से चुनाव में भाग लिया। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और लक्ष्‍मण सिंह · और देखें »

लोहाघाट

लोहाघाट भारतीय राज्य उत्तराखण्ड के चम्पावत जनपद में स्थित एक प्रसिद्ध शहर, नगर पंचायत और हिल स्टेशन है। मनोरम प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण चारों ओर से छोटी-छोटी पहाड़ियों से घिरा यह नगर पौराणिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। जनपद मुख्यालय से 13 किमी उत्तर की ओर टनकपुर-तवाघाट राष्ट्रीय राजमार्ग में लोहावती नदी के किनारे देवीधार, फोर्ती, मायावती, एबटमाउंट, मानेश्वर, बाणासुर का किला, झूमाधूरी आदि विशेष धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थलों के मध्य स्थित होने से इस नगर की सुन्दरता और बढ़ जाती है। जनपद का यह मुख्य शहर जहां से ग्रामीण क्षेत्रों को आवागमन होता है, प्रमुख व्यापारिक स्थल भी है। इसलिए इसे जनपद चम्पावत का हृदयस्थल कहा जाता है। देवदार वनों से घिरे इस नगर की समुद्रतल से ऊँचाई लगभग ५५०० फ़ीट है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और लोहाघाट · और देखें »

सरयू नदी (उत्तराखण्ड)

सरयू नदी उत्तराखण्ड राज्य के मध्य कुमाऊं क्षेत्र की एक प्रमुख नदी है। यह काली नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी भी है।Rawat, Forest Management in Kumaon Himalaya, pg-18 यह नदी पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा जिलों के बीच दक्षिण-पूर्वी सीमा बनाती है। शीतोष्ण और उप-उष्णकटिबंधीय जंगल नदी के अपवाह क्षेत्र में पाये जाते हैं। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और सरयू नदी (उत्तराखण्ड) · और देखें »

सल्ट विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तराखण्ड

सल्ट विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र उत्तराखण्ड के 70 निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। अल्मोड़ा जिले में स्थित यह निर्वाचन क्षेत्र अनारक्षित है। 2012 में इस क्षेत्र में कुल 90,303 मतदाता थे। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और सल्ट विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तराखण्ड · और देखें »

सल्ट विकास खंड

सल्ट विकास खंड उत्तराखण्ड राज्य के अल्मोड़ा जनपद का एक सामुदायिक विकास खंड है। श्रेणी:उत्तराखण्ड के सामुदायिक विकास खंड.

नई!!: अल्मोड़ा जिला और सल्ट विकास खंड · और देखें »

संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध

संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध (अंग्रेजी: United Provinces of Agra and Oudh; उच्चारण: यूनाईटेड प्राॅविन्सेज़ ऑफ ऐग्रा ऐण्ड औध) ब्रिटिश भारत में स्वाधीनता से पूर्व एकीकृत प्रान्त का नाम था जो 22 मार्च 1902 को आगरा व अवध नाम की दो प्रेसीडेंसी को मिलाकर बनाया गया था। उस समय सामान्यतः इसे संयुक्त प्रान्त (अंग्रेजी में यू॰पी॰) के नाम से भी जानते थे। यह संयुक्त प्रान्त लगभग एक शताब्दी 1856 से 1947 तक अस्तित्व में बना रहा। इसका कुल क्षेत्रफल वर्तमान भारतीय राज्यों उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड के संयुक्त क्षेत्रफल के बराबर था। जिसे आजकल उत्तर प्रदेश या अंग्रेजी में यू॰पी॰ कहते हैं उसमें ब्रिटिश काल के दौरान रामपुर व टिहरी गढ़वाल जैसी स्वतन्त्र रियासतें भी शामिल थीं। 25 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान की घोषणा से एक दिन पूर्व सरदार बल्लभ भाई पटेल ने इन सभी रियासतों को मिलाकर इसे उत्तर प्रदेश नाम दिया था। 3 जनवरी 1921 को जो राज्य पूर्णत: ब्रिटिश भारत का अंग बन गया था उसे स्वतन्त्र भारत में 20वीं सदी के जाते-जाते सन् 2000 में पुन: विभाजित कर उत्तरांचल (और बाद में उत्तराखण्ड) राज्य को स्थापित किया गया। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध · और देखें »

स्याल्दे विकास खंड

स्याल्दे विकास खंड उत्तराखण्ड राज्य के अल्मोड़ा जनपद का एक सामुदायिक विकास खंड है। श्रेणी:उत्तराखण्ड के सामुदायिक विकास खंड.

नई!!: अल्मोड़ा जिला और स्याल्दे विकास खंड · और देखें »

सोमेश्वर तहसील

सोमेश्वर तहसील भारत के उत्तराखण्ड राज्य में अल्मोड़ा जनपद की एक तहसील है। अल्मोड़ा जनपद के मध्य भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय सोमेश्वर कस्बे में स्थित हैं। इसके पूर्व में बागेश्वर जनपद की बागेश्वर तहसील, पश्चिम में चौखुटिया तथा द्वाराहाट तहसील, उत्तर में बागेश्वर जनपद की गरुड़ तहसील, तथा दक्षिण में अल्मोड़ा तहसील है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और सोमेश्वर तहसील · और देखें »

सोमेश्वर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तराखण्ड

सोमेश्वर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र उत्तराखण्ड के 70 निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। अल्मोड़ा जिले में स्थित यह निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है। 2012 में इस क्षेत्र में कुल 75,643 मतदाता थे। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और सोमेश्वर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तराखण्ड · और देखें »

सोमेश्वर, उत्तराखण्ड

सोमेश्वर उत्तराखण्ड राज्य के अल्मोड़ा जनपद में स्थित एक कस्बा है। कोसी और साई नदियों के संगम पर स्थित सोमेश्वर अल्मोड़ा का एक प्रमुख कस्बा है, तथा इसी नाम की एक तहसील का मुख्यालय भी है। सोमेश्वर अल्मोड़ा के उत्तरी क्षेत्र के दर्जनों गांवों का प्रमुख बाजार है, और यहां करीब ३५० दुकानें हैं। यहां से होकर बागेश्वर, अल्मोड़ा, रानीखेत, द्वाराहाट तथा कौसानी आदि स्थानों को प्रतिदिन सैकड़ों वाहन आते जाते हैं। यहां एक ऐतिहासिक शिव मंदिर भी है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और सोमेश्वर, उत्तराखण्ड · और देखें »

हरीदत्‍त काण्‍डपाल

हरीदत्‍त काण्‍डपाल,भारत के उत्तर प्रदेश की दूसरी विधानसभा सभा में विधायक रहे। 1957 उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश के अल्‍मोड़ा जिले के 4 - रानीखेत (उत्‍तर) विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस की ओर से चुनाव में भाग लिया। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और हरीदत्‍त काण्‍डपाल · और देखें »

हल्द्वानी

हल्द्वानी, उत्तराखण्ड के नैनीताल ज़िले में स्थित एक नगर है जो काठगोदाम के साथ मिलकर हल्द्वानी-काठगोदाम नगर निगम बनाता है। हल्द्वानी उत्तराखण्ड के सर्वाधिक जनसँख्या वाले नगरों में से है और इसे "कुमाऊँ का प्रवेश द्वार" भी कहा जाता है। कुमाऊँनी भाषा में इसे "हल्द्वेणी" भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ "हल्दू" (कदम्ब) प्रचुर मात्रा में मिलता था। सन् १८१६ में गोरखाओं को परास्त करने के बाद गार्डनर को कुमाऊँ का आयुक्त नियुक्त किया गया। बाद में जॉर्ज विलियम ट्रेल ने आयुक्त का पदभार संभाला और १८३४ में "हल्दु वनी" का नाम हल्द्वानी रखा। ब्रिटिश अभिलेखों से हमें ये ज्ञात होता है कि इस स्थान को १८३४ में एक मण्डी के रूप में उन लोगों के लिए बसाया गया था जो शीत ऋतु में भाभर आया करते थे। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और हल्द्वानी · और देखें »

हल्द्वानी का इतिहास

कुमाऊँ का प्रवेश द्वार, हल्द्वानी उत्तराखण्ड के नैनीताल ज़िले में स्थित हल्द्वानी राज्य के सर्वाधिक जनसँख्या वाले नगरों में से है। इसे "कुमाऊँ का प्रवेश द्वार" भी कहा जाता है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और हल्द्वानी का इतिहास · और देखें »

हवालबाग विकास खंड

हवालबाग विकास खंड उत्तराखण्ड राज्य के अल्मोड़ा जनपद का एक सामुदायिक विकास खंड है। श्रेणी:उत्तराखण्ड के सामुदायिक विकास खंड.

नई!!: अल्मोड़ा जिला और हवालबाग विकास खंड · और देखें »

जागेश्वर

जागेश्वर, अल्मोड़ा जिला, उत्तराखंड में स्थित एक क्षेत्र है। यह कुमाऊँ मण्डल में आता है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और जागेश्वर · और देखें »

जागेश्वर धाम, अल्मोड़ा

उत्तराखंड के अल्मोड़ा से ३५ किलोमीटर दूर स्थित केंद्र जागेश्वर धाम के प्राचीन मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर इस क्षेत्र को सदियों से आध्यात्मिक जीवंतताप्रदान कर रहे हैं। यहां लगभग २५० मंदिर हैं जिनमें से एक ही स्थान पर छोटे-बडे २२४ मंदिर स्थित हैं। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और जागेश्वर धाम, अल्मोड़ा · और देखें »

जागेश्वर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तराखण्ड

जागेश्वर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र उत्तराखण्ड के 70 निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। अल्मोड़ा जिले में स्थित यह निर्वाचन क्षेत्र अनारक्षित है। 2012 में इस क्षेत्र में कुल 81,998 मतदाता थे। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और जागेश्वर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तराखण्ड · और देखें »

जौरासी

जौरासी, अल्मोड़ा जिला, उत्तराखंड में स्थित एक क्षेत्र है। यह कुमाऊँ मण्डल में आता है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और जौरासी · और देखें »

जैंती तहसील

जैंती तहसील भारत के उत्तराखण्ड राज्य में अल्मोड़ा जनपद की एक तहसील है। अल्मोड़ा जनपद के पूर्वी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय जैंती ग्राम में स्थित हैं। इसके पूर्व में भनोली तथा चम्पावत जनपद की पाटी तहसील, पश्चिम में नैनीताल जनपद की नैनीताल तहसील, उत्तर में अल्मोड़ा तहसील, तथा दक्षिण में नैनीताल जनपद की धारी तहसील है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और जैंती तहसील · और देखें »

जी डी बिरला मैमोरियल स्कूल, रानीखेत

जी डी बिरला मैमोरियल स्कूल की स्थापना १९८७ में भारतीय उद्योगपति घंश्याम दास बिरला की स्मृति में श्री बी के बिरला और श्रीमती सरला बिरला द्वारा कि गई थी। यह एक विद्यालय है जो भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अल्मोड़ा जिले के रानीखेत नामक कस्बे में स्थित है। यहाँ गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान कि जाती है और इस विद्यालय में आवासीय सुविधा के साथ कक्षा ४ से १२ तक ७०० छात्र पढ़ते हैं। यह दिल्ली से ३६० किमी दूर है। यह विद्यालय, एक पहाड़ी के हलके ढलान पर रानीखेत से ५ किमी की दूरी पर है। निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है जो ८५ किमी दूर है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और जी डी बिरला मैमोरियल स्कूल, रानीखेत · और देखें »

खुशीराम

खुशीराम,भारत के उत्तर प्रदेश की दूसरी विधानसभा सभा में विधायक रहे। 1957 उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश के अल्‍मोड़ा जिले के 1 - पिथौरागढ़ विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस की ओर से चुनाव में भाग लिया। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और खुशीराम · और देखें »

गरुड़ तहसील

गरुड़ तहसील भारत के उत्तराखण्ड राज्य में बागेश्वर जनपद की एक तहसील है। बागेश्वर जनपद के पश्चिमी भाग में स्थित इस तहसील का मुख्यालय गरुड़ शहर में स्थित है। इसके पूर्व में बागेश्वर तहसील, पश्चिम में चमोली जनपद की थराली तहसील, उत्तर में कपकोट तहसील, तथा दक्षिण में अल्मोड़ा जनपद की चौखुटिया और सोमेश्वर तहसील है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और गरुड़ तहसील · और देखें »

गंगा सिंह विष्‍ट

गंगा सिंह विष्‍ट,भारत के उत्तर प्रदेश की तीसरी विधानसभा सभा में विधायक रहे। 1962 उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश के अल्‍मोड़ा जिले के 12 - बाराहमण्‍डल विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस की ओर से चुनाव में भाग लिया। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और गंगा सिंह विष्‍ट · और देखें »

गंगोलीहाट

गंगोलीहाट उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित एक नगर और तहसील मुख्यालय है, जो हाट कलिका मंदिर नामक सिद्धपीठ के लिये प्रसिद्ध है। इस सिद्ध पीठ की स्थापना आदिगुरू शंकराचार्य द्वारा की गयी। हाट कलिका देवी रणभूमि में गए जवानों की रक्षक मानी जाती है। यह मंदिर जिला मुख्यालय से ७७ किलोमीटर की दूरी पर है तथा सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और गंगोलीहाट · और देखें »

गंगोलीहाट तहसील

गंगोलीहाट तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में पिथौरागढ़ जनपद में एक तहसील है। पिथौरागढ़ जनपद के दक्षिण-पश्चिमी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय गंगोलीहाट नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में पिथौरागढ़ तहसील, पश्चिम में बागेश्वर जनपद की कांडा तहसील, उत्तर में बेरीनाग तहसील तथा दक्षिण में अल्मोड़ा जनपद की अल्मोड़ा तहसील है। तहसील के अधिकार क्षेत्र में कुल 312 गाँव आते हैं, और 2011 की जनगणना के अनुसार इसकी जनसंख्या 71946 है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और गंगोलीहाट तहसील · और देखें »

गैरसैंण

गैरसैंण भारत के उत्तराखण्ड राज्य के चमोली जिले में स्थित एक शहर है। यह समूचे उत्तराखण्ड राज्य के मध्य में होने के कारण उत्तराखण्ड राज्य की पूर्व-निर्धारित व प्रस्तावित स्थाई राजधानी के नाम से बहुविदित है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और गैरसैंण · और देखें »

गोपाल बाबू गोस्वामी

गोपाल बाबू गोस्वामी (1941 - 1996) उत्तराखण्ड राज्य के एक सुविख्यात व लोकप्रिय कुमाऊँनी लोकगायक थे। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और गोपाल बाबू गोस्वामी · और देखें »

गोविन्द बल्लभ पन्त

नैनीताल में गोविन्द वल्लभ पन्त की प्रतिमा पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त या जी॰बी॰ पन्त (जन्म १० सितम्बर १८८७ - ७ मार्च १९६१) प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी और वरिष्ठ भारतीय राजनेता थे। वे उत्तर प्रदेश राज्य के प्रथम मुख्य मन्त्री और भारत के चौथे गृहमंत्री थे। सन 1957 में उन्हें भारतरत्न से सम्मानित किया गया। गृहमंत्री के रूप में उनका मुख्य योगदान भारत को भाषा के अनुसार राज्यों में विभक्त करना तथा हिन्दी को भारत की राजभाषा के रूप में प्रतिष्ठित करना था। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और गोविन्द बल्लभ पन्त · और देखें »

गोविन्‍द सिंह बिष्‍ट

गोविन्‍द सिंह बिष्‍ट,भारत के उत्तर प्रदेश की दूसरी विधानसभा सभा में विधायक रहे। 1957 उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश के अल्‍मोड़ा जिले के 2 - अल्‍मोड़ा विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय जनसंघ की ओर से चुनाव में भाग लिया। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और गोविन्‍द सिंह बिष्‍ट · और देखें »

गीत बैठकी

गीत बैठकी खड़ी होली या गीत बैठकी उत्तराखंड के कुमाऊँ मंडल की सरोवर नगरी नैनीताल और अल्मोड़ा जिले में होली के अवसर पर आयोजित की जाती हैं। यहाँ नियत तिथि से काफी पहले ही होली की मस्ती और रंग छाने लगते हैं। इस रंग में सिर्फ अबीर-गुलाल का टीका ही नहीं होता बल्कि बैठकी होली और खड़ी होली गायन की शास्त्रीय परंपरा भी शामिल होती है। बरसाने की लठमार होली के बाद अपनी सांस्कृतिक विशेषता के लिए कुमाऊंनी होली को याद किया जाता है। वसंत के आगमन पर हर ओर खिले फूलों के रंगों और संगीत की तानों का ये अनोखा संगम दर्शनीय होता है। शाम के समय कुमाऊं के घर घर में बैठक होली की सुरीली महफिलें जमने लगती है। गीत बैठकी में होली पर आधारित गीत घर की बैठक में राग रागनियों के साथ हारमोनियम और तबले पर गाए जाते हैं। इन गीतों में मीराबाई से लेकर नज़ीर और बहादुर शाह ज़फ़र की रचनाएँ सुनने को मिलती हैं। गीत बैठकी में जब रंग छाने लगता है तो बारी बारी से हर कोई छोड़ी गई तान उठाता है और अगर साथ में भांग का रस भी छाया तो ये सिलसिला कभी कभी आधी रात तक तो कभी सुबह की पहली किरण फूटने तक चलता रहता है। होली की ये परंपरा मात्र संगीत सम्मेलन नहीं बल्कि एक संस्कार भी है। ये बैठकें आशीर्वाद के साथ संपूर्ण होती हैं जिसमें मुबारक हो मंजरी फूलों भरी...या ऐसी होली खेले जनाब अली...जैसी ठुमरियाँ गई जाती हैं। गीत बैठकी की महिला महफ़िलें भी होती हैं। पुरूष महफिलों में जहाँ ठुमरी और ख़याल गाए जाते हैं वहीं महिलाओं की महफिलों का रुझान लोक गीतों की ओर होता है। इनमें नृत्य संगीत तो होता ही है, वे स्वांग भी रचती हैं और हास्य की फुहारों, हंसी के ठहाकों और सुर लहरियों के साथ संस्कृति की इस विशिष्टता में नए रोचक और दिलकश रंग भरे जाते हैं। देवर भाभी के हंसी मज़ाक से जुड़े गी तो होते ही हैं राजनीति और प्रशासन पर व्यंग्य भी होता है। होली गाने की ये परंपरा सिर्फ कुमाऊं अंचल में ही देखने को मिलती है।” इसकी शुरूआत यहां कब और कैसे हुई इसका कोई ऐतिहासिक या लिखित लेखाजोखा नहीं है। कुमाऊं के प्रसिद्द जनकवि गिरीश गिर्दा ने होली बैठकी के सामाजिक शास्त्रीय संदर्भों और इस पर इस्लामी संस्कृति और उर्दू के असर के बारे में गहराई से अध्ययन किया है। वो कहते हैं कि “यहां की होली में अवध से लेकर दरभंगा तक की छाप है। राजे-रजवाड़ों का संदर्भ देखें तो जो राजकुमारियाँ यहाँ ब्याह कर आईं वे अपने साथ वहाँ के रीति रिवाज भी साथ लाईं। ये परंपरा वहां भले ही खत्म हो गई हो लेकिन यहां आज भी कायम हैं। यहां की बैठकी होली में तो आज़ादी के आंदोलन से लेकर उत्तराखंड आंदोलन तक के संदर्भ पाए जाते हैं।” .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और गीत बैठकी · और देखें »

आदीग्राम कनौणियॉं

आदीग्राम कनौंणियॉं रामगंगा नदी के पश्चिमी किनारे पर चौखुटिया ब्लॉक के तल्ला गेवाड़ नामक पट्टी में भारतवर्ष के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के अल्मोड़ा जिले में स्थित कनौंणियॉं बिष्ट नामक उपनाम से विख्यात कुमांऊॅंनी हिन्दू राजपूतों का एक पुश्तैनी गाँव है। यह अपनी ऐतिहासिक व सॉस्कृतिक विरासत, ठेठ कुमांऊॅंनी सभ्यता व संस्कृति, पर्वतीय जीवन शैली तथा समतल उपजाऊ भूमि के लिए प्रसिद्ध है। तल्ला गेवाड़ के वर्तमान मॉंसी में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले ऐतिहासिक सोमनाथ मेले की तत्कालीन ऐतिहासिक आराध्य भूमि, प्रस्तुत आदीग्राम कनौणियॉं का ही पर्याय है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और आदीग्राम कनौणियॉं · और देखें »

कनौंणी

कनौंणी एक गाँव है जो रामगंगा नदी के पश्चिमी किनारे पर चौखुटिया ब्लॉक के तल्ला गेवाड़ नामक पट्टी में भारतवर्ष के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के अल्मोड़ा जिले में स्थित है। यह कनौंणियॉं नामक उपनाम से विख्यात कुमांऊॅंनी हिन्दू राजपूतों का पुश्तैनी गाँव है। यह गाँव अपनी ऐतिहासिक व सॉंस्कृतिक विरासत, ठेठ कुमांऊॅंनी सभ्यता व संस्कृति, पर्वतीय जीवन शैली तथा अलौकिक प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए जाना जाता है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और कनौंणी · और देखें »

कपकोट

कपकोट भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के बागेश्वर जिले का एक नगर है। सरयू नदी के तट पर बसा कपकोट जनपद मुख्यालय, बागेश्वर से २५ किमी की दूरी पर स्थित है, और कपकोट तहसील का मुख्यालय है, जो क्षेत्रफल के आधार पर बागेश्वर जनपद की सबसे बड़ी तहसील है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और कपकोट · और देखें »

काला चौना

काला चौना एक गॉंव है। यह रामगंगा नदी के पूर्वी किनारे पर चौखुटिया तहसील के तल्ला गेवाड़ नामक पट्टी में, भारतवर्ष के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के अल्मोड़ा जिले में स्थित है। यह गॉंव मूलरूप से कनौंणियॉं नामक उपनाम से विख्यात कुमांऊॅंनी हिन्दू राजपूतों का प्राचीन और पुश्तैनी चार गाँवों में से एक है। दक्षिणी हिमालय की तलहटी में बसा यह काला चौना अपनी ऐतिहासिक व सॉंस्कृतिक विरासत, ठेठ कुमांऊॅंनी सभ्यता व संस्कृति, पर्वतीय जीवन शैली, प्रकृति संरक्षण, अलौकिक प्राकृतिक छटा तथा समतल-उपजाऊ भूमि के लिए पहचाना जाता है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और काला चौना · और देखें »

कुमाऊँ मण्डल

यह लेख कुमाऊँ मण्डल पर है। अन्य कुमाऊँ लेखों के लिए देखें कुमांऊॅं उत्तराखण्ड के मण्डल कुमाऊँ मण्डल भारत के उत्तराखण्ड राज्य के दो प्रमुख मण्डलों में से एक हैं। अन्य मण्डल है गढ़वाल। कुमाऊँ मण्डल में निम्न जिले आते हैं:-.

नई!!: अल्मोड़ा जिला और कुमाऊँ मण्डल · और देखें »

कुमाऊँ विश्वविद्यालय से सम्बद्ध महाविद्यालयों की सूची

कुमाऊं विश्वविद्यालय का प्रतीक चिह्न निम्नलिखित सूची कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल से सम्बद्ध राजकीय महाविद्यालयों की है: .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और कुमाऊँ विश्वविद्यालय से सम्बद्ध महाविद्यालयों की सूची · और देखें »

कुमाऊँ अभियान्त्रिकी महाविद्यालय

कुमाऊँ अभियान्त्रिकी महाविद्यालय या कुमाँयू इंजिनीयरिंग कॉलेज भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अल्मोड़ा जिले में स्थित एक अभियान्त्रिकी महाविद्यालय है, जिसका एकमात्र उद्देश्य राज्य में प्रौद्योगिकीय शिक्षा प्रदान करना है। इस महाविद्यालय की स्थापना १९९१ में कि गई थी और पिछले १९ वर्षों की यात्रा में इसने बहुत से बदलाव देखें हैं। यह संस्थान उत्तराखण्ड सरकार द्वारा पूर्णतः वित्त-पोषित है और इसका प्रबन्धन राज्य सरकार के प्रौद्योगिकी मन्त्री की अध्यक्षता में अध्यक्ष बोर्ड करता है। इस संस्थान का प्रधानाचार्य अधयक्ष बोर्ड का सदस्य सचिव है। यह महाविद्यालय, राज्य सरकार द्वारा पौड़ी के गोविन्द बल्लभ पंत अभियांत्रिकी महाविद्यालय के साथ मिलकर राज्य का प्रस्तावित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और कुमाऊँ अभियान्त्रिकी महाविद्यालय · और देखें »

कुमाऊँनी भाषा

कुमांऊँनी भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ क्षेत्र में बोली जाने वाली एक बोली है। इस बोली को हिन्दी की सहायक पहाड़ी भाषाओं की श्रेणी में रखा जाता है। कुमांऊँनी भारत की ३२५ मान्यता प्राप्त भाषाओं में से एक है और २६,६०,००० (१९९८) से अधिक लोगों द्वारा बोली जाती है। उत्तराखण्ड के निम्नलिखित जिलों - अल्मोड़ा, नैनीताल, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चम्पावत, ऊधमसिंह नगर के अतिरिक्त असम, बिहार, दिल्ली, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब, तथा हिमाचल प्रदेश और नेपाल के कुछ क्षेत्रों में भी बोली जाती है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और कुमाऊँनी भाषा · और देखें »

कुमाऊँनी लोग

कुमाऊँनी लोग, भारतवर्ष के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमांऊॅं क्षेत्र के लोगों को कहते हैं। इनमें वे सभी लोग सम्मिलित हैं जो कुमाऊँनी भाषा या इससे सम्बन्धित उपभाषाएें बोलते हैं। कुमांऊँनी लोग उत्तराखण्ड प्रदेश के अल्मोड़ा, उधमसिंहनगर, चम्पावत, नैनीताल, पिथौरागढ़ और बागेश्वर जिलों के निवासी हैं। भारत की सशस्त्र सेनाएँ और केन्द्रीय पुलिस संगठन, कुमाऊँ के लोगों के लिए रोजगार का प्रमुख स्रोत रहे हैं। भारत की सीमाओं की रक्षा करने में कुमाऊँ रेजीमेंट की उन्नीस वाहिनियाँ कुमाऊँ के लोगों का स्पष्ट प्रतिनिधित्व करतीं हैं। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और कुमाऊँनी लोग · और देखें »

कौसानी

कौसानी से दृश्यमान हिमालय पर्वतशृंखला कौसानी, गरुङ तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के बागेश्वर जिले का एक गाँव है। भारत का खूबसूरत पर्वतीय पर्यटक स्‍थल कौसानी उत्तराखंड राज्‍य के अल्‍मोड़ा जिले से 53 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। यह बागेश्वर जिला में आता है। हिमालय की खूबसूरती के दर्शन कराता कौसानी पिंगनाथ चोटी पर बसा है। यहां से बर्फ से ढ़के नंदा देवी पर्वत की चोटी का नजारा बडा भव्‍य दिखाई देता हैं। कोसी और गोमती नदियों के बीच बसा कौसानी भारत का स्विट्जरलैंड कहलाता है। यहां के खूबसूरत प्राकृतिक नजारे, खेल और धार्मिक स्‍थल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और कौसानी · और देखें »

कोटद्वार तहसील

कोटद्वार तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में गढ़वाल जनपद की एक तहसील है। गढ़वाल जनपद के दक्षिणी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय कोटद्वार नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में नैनीताल जनपद की रामनगर तहसील तथा अल्मोड़ा जनपद की सल्ट तहसील, पश्चिम में हरिद्वार जनपद की लक्सर तहसील, उत्तर में लैंसडौन, सतपुली और धूमाकोट तहसील, तथा दक्षिण में उत्तर प्रदेश राज्य का बिजनौर जिला है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और कोटद्वार तहसील · और देखें »

कोश्याकुटौली तहसील

कोश्याकुटौली तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में नैनीताल जनपद की एक तहसील है। नैनीताल जनपद के उत्तरी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय कोश्याकुटौली कस्बे में स्थित हैं। इसके पूर्व तथा दक्षिण में नैनीताल, पश्चिम में अल्मोड़ा जनपद की रानीखेत तहसील, उत्तर में बेतालघाट, और अल्मोड़ा जनपद की अल्मोड़ा तहसील है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और कोश्याकुटौली तहसील · और देखें »

अल्मोड़ा

अल्मोड़ा भारतीय राज्य उत्तराखण्ड का एक महत्वपूर्ण नगर है। यह अल्मोड़ा जिले का मुख्यालय भी है। अल्मोड़ा दिल्ली से ३६५ किलोमीटर और देहरादून से ४१५ किलोमीटर की दूरी पर, कुमाऊँ हिमालय श्रंखला की एक पहाड़ी के दक्षिणी किनारे पर स्थित है। भारत की २०११ की जनगणना के अनुसार अल्मोड़ा की कुल जनसंख्या ३५,५१३ है। अल्मोड़ा की स्थापना राजा बालो कल्याण चंद ने १५६८ में की थी। महाभारत (८ वीं और ९वीं शताब्दी ईसा पूर्व) के समय से ही यहां की पहाड़ियों और आसपास के क्षेत्रों में मानव बस्तियों के विवरण मिलते हैं। अल्मोड़ा, कुमाऊं राज्य पर शासन करने वाले चंदवंशीय राजाओं की राजधानी थी। स्वतंत्रता की लड़ाई में तथा शिक्षा, कला एवं संस्कृति के उत्थान में अल्मोड़ा का विशेष हाथ रहा है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और अल्मोड़ा · और देखें »

अल्मोड़ा तहसील

अल्मोड़ा तहसील भारत के उत्तराखण्ड राज्य में अल्मोड़ा जनपद की एक तहसील है। अल्मोड़ा जनपद के मध्य भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय अल्मोड़ा नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में भनोली, जैंती तथा पिथौरागढ़ जनपद की गंगोलीहाट तहसील, पश्चिम में सोमेश्वर, द्वाराहाट तथा रानीखेत तहसील, उत्तर में बागेश्वर जनपद की बागेश्वर तहसील, तथा दक्षिण में नैनीताल जनपद की नैनीताल तहसील है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और अल्मोड़ा तहसील · और देखें »

अल्मोड़ा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र

अल्मोड़ा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। श्री अजय टम्‍टा वर्तमान लोकसभा में यहाँ से सांसद हैं। वे भारतीय जनता पार्टी से सदस्य हैं। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और अल्मोड़ा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र · और देखें »

अल्मोड़ा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तराखण्ड

अल्मोड़ा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र उत्तराखण्ड के 70 निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। अल्मोड़ा जिले में स्थित यह निर्वाचन क्षेत्र अनारक्षित है। 2012 में इस क्षेत्र में कुल 78,503 मतदाता थे। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और अल्मोड़ा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तराखण्ड · और देखें »

अल्मोड़ा का इतिहास

२०१३ में अल्मोड़ा अल्मोड़ा, भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक नगर है। यह अल्मोड़ा जिले का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। इस नगर को राजा कल्याण चंद ने १५६८ में स्थापित किया था। महाभारत (८ वीं और ९वीं शताब्दी ईसा पूर्व) के समय से ही यहां की पहाड़ियों और आसपास के क्षेत्रों में मानव बस्तियों के विवरण मिलते हैं। अल्मोड़ा, कुमाऊँ राज्य पर शासन करने वाले चंदवंशीय राजाओं की राजधानी थी। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और अल्मोड़ा का इतिहास · और देखें »

उत्तराखण्ड

उत्तराखण्ड (पूर्व नाम उत्तरांचल), उत्तर भारत में स्थित एक राज्य है जिसका निर्माण ९ नवम्बर २००० को कई वर्षों के आन्दोलन के पश्चात भारत गणराज्य के सत्ताइसवें राज्य के रूप में किया गया था। सन २००० से २००६ तक यह उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था। जनवरी २००७ में स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य का आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखण्ड कर दिया गया। राज्य की सीमाएँ उत्तर में तिब्बत और पूर्व में नेपाल से लगी हैं। पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश इसकी सीमा से लगे राज्य हैं। सन २००० में अपने गठन से पूर्व यह उत्तर प्रदेश का एक भाग था। पारम्परिक हिन्दू ग्रन्थों और प्राचीन साहित्य में इस क्षेत्र का उल्लेख उत्तराखण्ड के रूप में किया गया है। हिन्दी और संस्कृत में उत्तराखण्ड का अर्थ उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है। राज्य में हिन्दू धर्म की पवित्रतम और भारत की सबसे बड़ी नदियों गंगा और यमुना के उद्गम स्थल क्रमशः गंगोत्री और यमुनोत्री तथा इनके तटों पर बसे वैदिक संस्कृति के कई महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं। देहरादून, उत्तराखण्ड की अन्तरिम राजधानी होने के साथ इस राज्य का सबसे बड़ा नगर है। गैरसैण नामक एक छोटे से कस्बे को इसकी भौगोलिक स्थिति को देखते हुए भविष्य की राजधानी के रूप में प्रस्तावित किया गया है किन्तु विवादों और संसाधनों के अभाव के चलते अभी भी देहरादून अस्थाई राजधानी बना हुआ है। राज्य का उच्च न्यायालय नैनीताल में है। राज्य सरकार ने हाल ही में हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये कुछ पहल की हैं। साथ ही बढ़ते पर्यटन व्यापार तथा उच्च तकनीकी वाले उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए आकर्षक कर योजनायें प्रस्तुत की हैं। राज्य में कुछ विवादास्पद किन्तु वृहत बाँध परियोजनाएँ भी हैं जिनकी पूरे देश में कई बार आलोचनाएँ भी की जाती रही हैं, जिनमें विशेष है भागीरथी-भीलांगना नदियों पर बनने वाली टिहरी बाँध परियोजना। इस परियोजना की कल्पना १९५३ मे की गई थी और यह अन्ततः २००७ में बनकर तैयार हुआ। उत्तराखण्ड, चिपको आन्दोलन के जन्मस्थान के नाम से भी जाना जाता है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और उत्तराखण्ड · और देखें »

उत्तराखण्ड में जिलावार विधानसभा सीटें

उत्तराखण्ड में जिलावार विधानसभा सीटें उत्तराखण्ड के जिलों के अन्तर्गत आने वाली विधानसभा सीटें हैं। इस सूची में जिला और उस जिले में उत्तराखण्ड विधानसभा की कौन-कौन सी सीटें हैं दिया गया है। भारतीय चुनाव आयोग द्वारा विर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन किए जाए से उत्तराखण्ड में भी सीटों में बदलाव आया है। इस सूची में भूतपूर्व सीटें किसी भी जिले में नहीं दी गई हैं। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और उत्तराखण्ड में जिलावार विधानसभा सीटें · और देखें »

उत्तराखण्ड सूपर लीग

उत्तराखंड सुपर लीग (यू.एस.एल.) एक अर्द्ध-पेशेवर फुटबॉल लीग है, जिसे अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ और उत्तराखंड राज्य फुटबॉल एसोसिएशन दोनों द्वारा स्वीकृति प्रदान है। इंडियन सुपर लीग पर आधारित इस लीग का आयोजन पूरे उत्तराखंड राज्य में फुटबॉल को बढ़ावा देने के लक्ष्य के साथ 'उत्तराखंड एडवेंचर स्पोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड' द्वारा किया जाता है। लीग की शुरुआत जुलाई २०१६ में चौदह टीमों के साथ हुई। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और उत्तराखण्ड सूपर लीग · और देखें »

उत्तराखण्ड का भूगोल

उत्तराखण्ड भौगोलिक रूप से भारत के उत्तर में ३०० २०' उत्तरी अक्षांश ७८० ०४' पूर्वी रेखांश से लेकर ३०० ३३' उत्तरी अक्षांश ७८० ०६' पूर्वी रेखांश पर है। इसके पूर्व में नेपाल और उत्तर में तिब्बत(चीन) है। देश के भीतर उत्तर प्रदेश दक्षिण में और हिमाचल प्रदेश उत्तर पश्चिम में इसके पड़ोसी हैं। उत्तराखण्ड के दो मण्डल हैं: कुमाऊँ और गढ़वाल। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और उत्तराखण्ड का भूगोल · और देखें »

उत्तराखण्ड के नगरों की सूची

उत्तराखण्ड के नगर नामक इस सूची में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के सभी नगरों की ज़िलेवार सूची दी गई है, जो वर्णमालानुसार क्रमित है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और उत्तराखण्ड के नगरों की सूची · और देखें »

उत्तराखण्ड के मण्डल

उत्तराखण्ड के मण्डल भारत के उत्तराखण्ड राज्य के दो मण्डलों को कहते हैं। उत्तराखण्ड में दो मण्डल है: कुमाऊँ और गढ़वाल जो क्रमशः राज्य के पूर्वी और पश्चिमी भाग में हैं। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और उत्तराखण्ड के मण्डल · और देखें »

उत्तराखण्ड के राज्य राजमार्गों की सूची

निम्नलिखित सूची उत्तराखण्ड राज्य के राज्य राजमार्गों की है: .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और उत्तराखण्ड के राज्य राजमार्गों की सूची · और देखें »

उत्तराखण्ड के जिले

उत्तराखण्ड के जिले इस सूची में उत्तराखण्ड के जिले और उनकी जनसंख्या, जिला मुख्यालय, क्षेत्रफल और घनत्व की सूचना है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और उत्तराखण्ड के जिले · और देखें »

उत्तराखण्ड के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की सूची

2008 में विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के बाद, उत्तराखण्ड विधानसभा के निर्वाचन क्षेत्रों की सूची निम्नलिखित है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और उत्तराखण्ड के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की सूची · और देखें »

उप्रेती

उप्रेती मुख्यतः भारत के उत्तराखण्ड राज्य के कुमाऊँ क्षेत्र में रहने वाले कुमाऊँनी समुदाय के सारस्वत ब्राह्मण हैं। इस समुदाय के लोग नेपाल और सिक्किम में भी पाए जाते हैं। अपनी परम्पराओं के अनुसार, वे ऋषि भारद्वाज के वंशज हैं जो कि शैव सम्प्रदाय के अनुयायी हैं, भगवान शिव को अपना ईष्ट आराध्य मानते हैं। पण्डित बद्री दत्त पाण्डेय की प्रसिद्ध पुस्तक कुमाऊँ और गढ़वाल का इतिहास के अनुसार उप्रेती मूल रूप से पश्चिमी भारत क्षेत्र के महाराष्ट्र राज्य के निवासी थे। जहाँ से वे १२ वीं शताब्दी में इस्लामी आक्रमण के परिणाम स्वरूप उत्तर में हिमालय की ओर पलायन कर गए। वर्तमान उत्तराखण्ड का कुमाऊँ क्षेत्र, सन् १८१४ ईस्वी में ब्रिटिश इण्डिया और गोरखा साम्राज्य के मध्य हुई सुगौली संधि से पूर्व तक गोरखाओं के नियन्त्रण में था, जब वे हिन्दू राज्य के शाही संरक्षण में अल्मोड़ा ज़िले से अन्य ब्राह्मणों के साथ नेपाल की ओर प्रवास कर गए। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और उप्रेती · और देखें »

२०१८ उत्तराखण्ड दावानल

हाल के वर्षों की ही तरह २०१८ की गर्मियों में भी उत्तर भारत के उत्तराखण्ड राज्य में कई जगह पर वनों में आग के मामले सामने आये हैं। टिहरी से लेकर उत्तरकाशी और बागेश्वर तक के पहाड़ और वन भीषण आग से जूझ रहे हैं। अग्नि से सबसे ज्यादा प्रभावित पौड़ी गढ़वाल जिला रहा, जहाँ लगभग १००० हेक्टेयर वन भूमि पर आग की चपेट में आ चुकी है। उत्तराखण्ड वन विभाग के मुताबिक उन्हें १५ फ़रवरी से २१ मई तक कुल ७४१ ऐसी घटनाओं की सूचना मिली थी, जिसमें १२१३.७६६ हेक्टेयर वन क्षेत्र २१ लाख रुपये से ज्यादा का राजस्व नुकसान हुआ है। .

नई!!: अल्मोड़ा जिला और २०१८ उत्तराखण्ड दावानल · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

अल्‍मोड़ा जिला

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »