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अलीपुर जेल

सूची अलीपुर जेल

अलीपुर जेल या अलीपुर केन्द्रीय जेल (बंगाली: আলিপুর কেন্দ্রীয় সংশোধনাগার) कोलकाता में स्थित एक ऐतिहासिक जेल है, जहाँ ब्रिटिश शासन के दौरान राजनैतिक बंदियों को रखा जाता था। प्रसिद्ध क़ैदियों में सुभाष चन्द्र बोस भी थे जिन्हें यहाँ गया था। जेल परिसर में अलीपुर जेल प्रेस भी स्थित है। .

3 संबंधों: प्रमोद रंजन चौधरी, अरविन्द घोष, अलीपुर जेल प्रेस

प्रमोद रंजन चौधरी

प्रमोद रंजन चौधरी (1904 – सितम्बर 28, 1927) एक बंगाली क्रांतिकारी थे। उन्होंने अंग्रेज़ शासन के विरुद्ध आवाज़ उठाई थी। प्रमोद का जन्म चिट्टागॉन्ग के केलिशहर में हुआ जो अब बंग्लादेश में है। उनके पिता का नाम श्री ईशान चन्द्र चौधरी था। 1920 में शिक्षा के दौरान वह अनुशीलन समिति से जुड़ गए जो कि एक क्रांतिकारी संगठन के रूप में प्रसिद्ध है। 1921 में वह असहयोग आन्दोलन से भी जुड़ गए। 1925 में चौधरी को दक्षिणेश्वर बम कांड में संदिग्ध के रूप में पकड़ा गया था और कड़ी सज़ा सुनाई गई। अलीपुर जेल में जहाँ वह बन्द थे, चौधरी ने मई 28, 1927 को भूपेन्द्र नाथ चटर्जी को मार डाला जो पुलिस के डिप्टी कमिशनर थे। इसी के कारण उसे सितम्बर 28, 1927 को फाँसी दे दी गई। श्रेणी:1904 में जन्मे लोग श्रेणी:१९२७ में निधन श्रेणी:भारतीय स्वतंत्रता सेनानी.

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अरविन्द घोष

अरविन्द घोष या श्री अरविन्द (बांग्ला: শ্রী অরবিন্দ, जन्म: १८७२, मृत्यु: १९५०) एक योगी एवं दार्शनिक थे। वे १५ अगस्त १८७२ को कलकत्ता में जन्मे थे। इनके पिता एक डाक्टर थे। इन्होंने युवा अवस्था में स्वतन्त्रता संग्राम में क्रान्तिकारी के रूप में भाग लिया, किन्तु बाद में यह एक योगी बन गये और इन्होंने पांडिचेरी में एक आश्रम स्थापित किया। वेद, उपनिषद ग्रन्थों आदि पर टीका लिखी। योग साधना पर मौलिक ग्रन्थ लिखे। उनका पूरे विश्व में दर्शन शास्त्र पर बहुत प्रभाव रहा है और उनकी साधना पद्धति के अनुयायी सब देशों में पाये जाते हैं। यह कवि भी थे और गुरु भी। .

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अलीपुर जेल प्रेस

अलीपुर जेल प्रेस अलीपुर जेल में स्थित है। इसका संचालन प्रेस और फ़ॉर्म्स विभाग, पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा किया जाता है जिसमें अलीपुर जेल के क़ैदियों से काम लिया जाता है। कुछ विशेष कार्यों के लिए अतिरिक्त मानव संसाधनों का बाहर से भी प्रयोग किया जाता है। यह प्रेस अपनी क्षमता के अनुसार वर्तमान में सभी सरकारी फ़ॉर्म्स और अन्य आधिकारिक छपाई के कार्यों को पूरा करती है। यह प्रेस किसी ग़ैर-सरकारी या लाभकारी संस्था के काम को क्रियांवित नहीं करती। बंगाल प्रेसिडेन्सी की 1865 में छपी वार्षिक प्रशासनिक रिपोर्ट के अनुसार उस प्रेस समय 269 क़ैदी कार्यरत थे और साल-भर की कमाई 2,20, 643 रुपिये थी। .

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