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अलजाइमर रोग

सूची अलजाइमर रोग

अल्जाइमर रोग(अंग्रेज़ी:Alzheimer's Disease) रोग 'भूलने का रोग' है। इसका नाम अलोइस अल्जाइमर पर रखा गया है, जिन्होंने सबसे पहले इसका विवरण दिया। इस बीमारी के लक्षणों में याददाश्त की कमी होना, निर्णय न ले पाना, बोलने में दिक्कत आना तथा फिर इसकी वजह से सामाजिक और पारिवारिक समस्याओं की गंभीर स्थिति आदि शामिल हैं। रक्तचाप, मधुमेह, आधुनिक जीवनशैली और सर में कई बार चोट लग जाने से इस बीमारी के होने की आशंका बढ़ जाती है। अमूमन 60 वर्ष की उम्र के आसपास होने वाली इस बीमारी का फिलहाल कोई स्थायी इलाज नहीं है।। घमासान.कॉम।।१० अक्टूबर, २००९ हालांकि बीमारी के शुरूआती दौर में नियमित जांच और इलाज से इस पर काबू पाया जा सकता है। मस्तिष्क के स्त्रायुओं के क्षरण से रोगियों की बौद्धिक क्षमता और व्यावहारिक लक्षणों पर भी असर पड़ता है। हम जैसे-जैसे बूढ़े होते हैं, हमारी सोचने और याद करने की क्षमता भी कमजोर होती है। लेकिन इसका गंभीर होना और हमारे दिमाग के काम करने की क्षमता में गंभीर बदलाव उम्र बढ़ने का सामान्य लक्षण नहीं है। यह इस बात का संकेत है कि हमारे दिमाग की कोशिकाएं मर रही हैं। दिमाग में एक सौ अरब कोशिकाएं (न्यूरान) होती हैं। हरेक कोशिका बहुत सारी अन्य कोशिकाओं से संवाद कर एक नेटवर्क बनाती हैं। इस नेटवर्क का काम विशेष होता है। कुछ सोचती हैं, सीखती हैं और याद रखती हैं। अन्य कोशिकाएं हमें देखने, सुनने, सूंघने आदि में मदद करती हैं। इसके अलावा अन्य कोशिकाएं हमारी मांसपेशियों को चलने का निर्देश देती हैं। अपना काम करने के लिए दिमाग की कोशिकाएं लघु उद्योग की तरह काम करती हैं। वे सप्लाई लेती हैं, ऊर्जा पैदा करती हैं, अंगों का निर्माण करती हैं और बेकार चीजों को बाहर निकालती हैं। कोशिकाएं सूचनाओं को जमा करती हैं और फिर उनका प्रसंस्करण भी करती हैं। शरीर को चलते रहने के लिए समन्वय के साथ बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन और ईंधन की जरूरत होती है। अल्जाइमर रोग में कोशिकाओं की उद्योग का हिस्सा काम करना बंद कर देता है, जिससे दूसरे कामों पर भी असर पड़ता है। जैसे-जैसे नुकसान बढ़ता है, कोशिकाओं में काम करने की ताकत कम होती जाती है और अंततः वे मर जाती हैं। .

25 संबंधों: डग एंजेलबर्ट, नादिर की सीमीन से जुदाई, नालापत बालमणि अम्मा, निराशा (मनोदशा), न्यूरॉन, पेशीशोषी पार्श्व काठिन्य (एमियोट्रॉफ़िक लैटरल स्कलिरॉसिस), बालमणि अम्मा का जीवन परिचय, बेन ब्रेडली, बीटा वल्गैरिस, मानसिक विकलांगता, यित्झाक शामिर, शाऊल ज़ांट्ज़, स्टेम कोशिका, स्टेम कोशिका उपचार, स्नायु व्यायाम, सेब, हनटिंग्टन रोग, हिप्पोकैम्पस, जिन्को बाइलोबा, वेटिंग फ़ॉर गोडोट, आयुर्वेद में नयी खोजें, इन्सुलिन, १५ जुलाई, १९१०, २०१४ में निधन

डग एंजेलबर्ट

डगलस कार्ल एंजेलबर्ट अथवा डगलस कार्ल एंगेल्बर्ट (30 जनवरी 1925 – 2 जुलाई 2013) एक अमेरिकी अभियंता और आविष्कारक थे। उन्हें मुख्यतः संगणक माऊस के आविष्कारक और हाइपरटेक्स्ट, सहयोगी सॉफ्टवेयर और इंटरएक्टिव कंप्यूटिंग के रूप में जाना जाता है। .

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नादिर की सीमीन से जुदाई

अस्ग़र फ़रहादी 'नादिर की सीमीन से जुदाई' के लेखक-निर्देशक हैं नादिर की सीमीन से जुदाई (फ़ारसी:, जोदाई-ए नादेर अज़ सीमीन) ईरान में २०११ में तैयार हुई फ़ारसी-भाषा एक फ़िल्म है, जो अंग्रेज़ी में एक जुदाई (A Separation, अ सेपरेशन) के नाम से भी जानी जाती है। इसके कथाकार और निर्देशक अस्ग़र फ़रहादी हैं और मुख्य कलाकार लेला हातमी, पेमान मोआदी, शहाब होसैनी, सारेह बयात और सरीना फ़रहादी हैं। यह कहानी तेहरान में रहने वाले एक मध्य-वर्गीय दम्पति पर आधारित हैं जो एक दूसरे से अलग हो जाते हैं और पति के अपने अल्ज़ाईमर रोग​ से पीढ़ित पिता की देख-रेख के लिए एक नौकरानी रखने के बाद मुश्किलों में फँस जाते हैं। २०१२ में इस फ़िल्म ने संयुक्त राज्य अमेरिका का सर्वोत्तम विदेशी-भाषा फ़िल्म की श्रेणी में अकेडेमी पुरस्कार जीता और यह इसे जीतने वाली पहली ईरानी फ़िल्म थी। ६१वें बर्लिन अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्मोत्सव में इसने सर्वोत्तम फ़िल्म के लिए 'सुनहरा भालू' पुरस्कार और सर्वोत्तम अभिनेत्री और सर्वोत्तम अभिनेता के लिए दो 'रुपहले भालू' पुरस्कार जीते। 'सुनहरा भालू' जीतने वाली भी या पहली ईरानी फ़िल्म थी। इसने सर्वोत्तम विदेशी-भाषा फ़िल्म के लिए 'सुनहरा ग्लोब' ईनाम भी जीता। इन सब पुरस्कारों के अलावा इसका नामांकन सर्वोत्तम नवीन पटकथा (स्क्रीनप्ले) की श्रेणी के अकेडेमी पुरस्कार के लिए भी किया गया जो आमतौर पर ग़ैर-अंग्रेज़ी भाषाओं की फिल्मों के लिए नहीं किया जाता। .

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नालापत बालमणि अम्मा

नालापत बालमणि अम्मा (मलयालम: എൻ. ബാലാമണിയമ്മ; 19 जुलाई 1909 – 29 सितम्बर 2004) भारत से मलयालम भाषा की प्रतिभावान कवयित्रियों में से एक थीं। वे हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक महादेवी वर्मा की समकालीन थीं। उन्होंने 500 से अधिक कविताएँ लिखीं। उनकी गणना बीसवीं शताब्दी की चर्चित व प्रतिष्ठित मलयालम कवयित्रियों में की जाती है। उनकी रचनाएँ एक ऐसे अनुभूति मंडल का साक्षात्कार कराती हैं जो मलयालम में अदृष्टपूर्व है। आधुनिक मलयालम की सबसे सशक्त कवयित्रियों में से एक होने के कारण उन्हें मलयालम साहित्य की दादी कहा जाता है। अम्मा के साहित्य और जीवन पर गांधी जी के विचारों और आदर्शों का स्पष्ट प्रभाव रहा। उनकी प्रमुख कृतियों में अम्मा, मुथास्सी, मज़्हुवींट कथाआदि हैं। उन्होंने मलयालम कविता में उस कोमल शब्दावली का विकास किया जो अभी तक केवल संस्कृत में ही संभव मानी जाती थी। इसके लिए उन्होंने अपने समय के अनुकूल संस्कृत के कोमल शब्दों को चुनकर मलयालम का जामा पहनाया। उनकी कविताओं का नाद-सौंदर्य और पैनी उक्तियों की व्यंजना शैली अन्यत्र दुर्लभ है। वे प्रतिभावान कवयित्री के साथ-साथ बाल कथा लेखिका और सृजनात्मक अनुवादक भी थीं। अपने पति वी॰एम॰ नायर के साथ मिलकर उन्होने अपनी कई कृतियों का अन्य भाषाओं में अनुवाद किया। अम्मा मलयालम भाषा के प्रखर लेखक एन॰ नारायण मेनन की भांजी थी। उनसे प्राप्त शिक्षा-दीक्षा और उनकी लिखी पुस्तकों का अम्मा पर गहरा प्रभाव पड़ा था। अपने मामा से प्राप्त प्रेरणा ने उन्हें एक कुशल कवयित्री बनने में मदद की। नालापत हाउस की आलमारियों से प्राप्त पुस्तक चयन के क्रम में उन्हें मलयालम भाषा के महान कवि वी॰ नारायण मेनन की पुस्तकों से परिचित होने का अवसर मिला। उनकी शैली और सृजनधर्मिता से वे इस तरह प्रभावित हुई कि देखते ही देखते वे अम्मा के प्रिय कवि बन गए। अँग्रेजी भाषा की भारतीय लेखिका कमला दास उनकी सुपुत्री थीं, जिनके लेखन पर उनका खासा असर पड़ा था। अम्मा को मलयालम साहित्य के सभी महत्त्वपूर्ण पुरस्कार प्राप्त करने का गौरव प्राप्त है। गत शताब्दी की सर्वाधिक लोकप्रिय मलयालम महिला साहित्यकार के रूप में वे जीवन भर पूजनीय बनी रहीं। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, सरस्वती सम्मान और 'एज्हुथाचन पुरस्कार' सहित कई उल्लेखनीय पुरस्कार व सम्मान प्राप्त हुए। उन्हें 1987 में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से अलंकृत किया गया। वर्ष 2009, उनकी जन्म शताब्दी के रूप में मनाया गया। .

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निराशा (मनोदशा)

Dorothea है Lange तस्वीर प्रवासी माँ के लिए एक आर्थिक कठिनाई के समय के दौरान अपने परिवार के लिए प्रदान करने की कोशिश कर रही महिला की निराशा को दिखाने के लिए प्रयोग किया गया निराशा एक स्थिति है जो निम्न मनोदशा और काम के प्रति अरुचि को दर्शाती है। उदास व्यक्ति दुखी, उत्सुक हो सकता है, खाली, निराश, बेबस, बेकार, दोषी, चिड़चिड़ा या बेचैन होता है। इसमे व्यक्ति की जो गतिविधियों उसके लिए आनन्ददायक थी उसमे अपनी रूचि खो सकता है, भूख न लगना या ज़्यादा खाना, या ध्यान केंद्रित समस्याओं का अनुभव होना, विवरण याद करने या निर्णय लेना, और आत्महत्या का विचार या प्रयास करना हो सकता है। अनिद्रा, जल्दी जागना, अत्यधिक निंद्रा, थकान, ऊर्जा की हानि, या दर्द या पाचन दर्द जेसी समस्याओं के लिए प्रतिरोधी या उपचार उपलब्ध है। .

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न्यूरॉन

तंत्रिका कोशिकाओं तंत्रिकोशिका या तंत्रिका कोशिका (अंग्रेज़ी:न्यूरॉन) तंत्रिका तंत्र में स्थित एक उत्तेजनीय कोशिका है। इस कोशिका का कार्य मस्तिष्क से सूचना का आदान प्रदान और विश्लेषण करना है।। हिन्दुस्तान लाइव। १ फ़रवरी २०१० यह कार्य एक विद्युत-रासायनिक संकेत के द्वारा होता है। तंत्रिका कोशिका तंत्रिका तंत्र के प्रमुख भाग होते हैं जिसमें मस्तिष्क, मेरु रज्जु और पेरीफेरल गैंगिला होते हैं। कई तरह के विशिष्ट तंत्रिका कोशिका होते हैं जिसमें सेंसरी तंत्रिका कोशिका, अंतरतंत्रिका कोशिका और गतिजनक तंत्रिका कोशिका होते हैं। किसी चीज के स्पर्श छूने, ध्वनि या प्रकाश के होने पर ये तंत्रिका कोशिका ही प्रतिक्रिया करते हैं और यह अपने संकेत मेरु रज्जु और मस्तिष्क को भेजते हैं। मोटर तंत्रिका कोशिका मस्तिष्क और मेरु रज्जु से संकेत ग्रहण करते हैं। मांसपेशियों की सिकुड़न और ग्रंथियां इससे प्रभावित होती है। एक सामान्य और साधारण तंत्रिका कोशिका में एक कोशिका यानि सोमा, डेंड्राइट और कार्रवाई होते हैं। तंत्रिका कोशिका का मुख्य हिस्सा सोमा होता है। तंत्रिका कोशिका को उसकी संरचना के आधार पर भी विभाजित किया जाता है। यह एकध्रुवी, द्विध्रुवी और बहुध्रुवी (क्रमशः एकध्रुवीय, द्विध्रुवीय और बहुध्रुवीय) होते हैं। तंत्रिका कोशिका में कोशिकीय विभाजन नहीं होता है जिससे इसके नष्ट होने पर दुबारा प्राप्त नहीं किया जा सकता। किन्तु इसे स्टेम कोशिका के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। ऐसा भी देखा गया है कि अस्थिकणिका को तंत्रिका कोशिका में बदला जा सकता है। तंत्रिका कोशिका शब्द का पहली बार प्रयोग जर्मन शरीर विज्ञानशास्त्री हेनरिक विलहेल्म वॉल्डेयर ने किया था। २०वीं शताब्दी में पहली बार तंत्रिका कोशिका प्रकाश में आई जब सेंटिगयो रेमन केजल ने बताया कि यह तंत्रिका तंत्र की प्राथमिक प्रकार्य इकाई होती है। केजल ने प्रस्ताव दिया था कि तंत्रिका कोशिका अलग कोशिकाएं होती हैं जो कि विशिष्ट जंक्शन के द्वारा एक दूसरे से संचार करती है। तंत्रिका कोशिका की संरचना का अध्ययन करने के लिए केजल ने कैमिलो गोल्गी द्वारा बनाए गए सिल्वर स्टेनिंग तरीके का प्रयोग किया। मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिका की संख्या प्रजातियों के आधार पर अलग होती है। एक आकलन के मुताबिक मानव मस्तिष्क में १०० अरब तंत्रिका कोशिका होते हैं। टोरंटो विश्वविद्यालय में हुए अनुसंधान में एक ऐसे प्रोभूजिन की पहचान हुई है जिसकी मस्तिष्क में तंत्रिकाओं के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। इस प्रोभूजिन की सहायता से मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को और समझना भी सरल होगा व अल्जामरर्स जैसे रोगों के कारण भी खोजे जा सकेंगे। एसआर-१०० नामक यह प्रोभूजिन केशरूकीय क्षेत्र में पाया जाता है साथ ही यह तंत्रिका तंत्र का निर्माण करने वाले जीन को नियंत्रित करता है। एक अमरीकी जरनल सैल (कोशिका) में प्रकाशित बयान के अनुसार स्तनधारियों के मस्तिष्क में विभिन्न जीनों द्वारा तैयार किए गए आनुवांशिक संदेशों के वाहन को नियंत्रित करता है। इस अध्ययन का उद्देश्य ऐसे जीन की खोज करना था जो मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिका के निर्माण को नियंत्रित करते हैं। ऎसे में तंत्रिका कोशिका के निर्माण में इस प्रोभूजिन की महत्त्वपूर्ण भूमिका की खोज तंत्रिका कोशिका के विकास में होने वाली कई अपसामान्यताओं से बचा सकती है। वैज्ञानिकों के अनुसार मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिका निर्माण के समय कुछ गलत संदेशों वाहन से तंत्रिका कोशिका का निर्माण प्रभावित होता है। तंत्रिका कोशिका का विकृत होना अल्जाइमर्स जैसी बीमारियों के कारण भी होता है। इस प्रोभूजिन की खोज के बाद इस दिशा में निदान की संभावनाएं उत्पन्न हो गई हैं। .

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पेशीशोषी पार्श्व काठिन्य (एमियोट्रॉफ़िक लैटरल स्कलिरॉसिस)

पेशीशोषी पार्श्व काठिन्य (संक्षिप्त ALS, जिसे लाउ गेहरिग रोग के रूप में भी संदर्भित किया जाता है) गतिजनक न्यूरॉन रोग का एक रूप है। ALS, एक प्रगामी, घातक, तंत्रिका-अपजननात्मक रोग है, जो स्वैच्छिक मांसपेशियों की गतिविधियों को नियंत्रित करने वाली केंद्रीय स्नायु प्रणाली की तंत्र कोशिकाएं गतिजनक न्यूरॉन के ह्रास के कारण होता है। उत्तरी अमेरिका में इस अवस्था को लोकप्रिय न्यूयॉर्क यांकीज़ बेसबॉल खिलाड़ी के नाम पर अक्सर लाउ गेहरिग रोग कहा जाता है, 1939 में जिनका इस रोग से पीड़ित के रूप में निदान किया गया था। .

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बालमणि अम्मा का जीवन परिचय

बालमणि अम्मा की पेंटिंग बालमणि अम्मा बीसवीं शताब्दी की चर्चित व प्रतिष्ठित मलयालम कवयित्रियों में से एक हैं। उनका जन्म 19 जुलाई 1909 को केरल के मालाबार जिला के पुन्नायुर्कुलम (तत्कालीन मद्रास प्रैज़िडन्सी, ब्रिटिश राज) में पिता चित्तंजूर कुंज्जण्णि राजा और माँ नालापत कूचुकुट्टीअम्मा के यहाँ "नालापत" में हुआ था। यद्यपि उनका जन्म 'नालापत' के नाम से पहचाने-जाने वाले एक रूढ़िवादी परिवार में हुआ, जहां लड़कियों को विद्यालय भेजना अनुचित माना जाता था। इसलिए उनके लिए घर में शिक्षक की व्यवस्था कर दी गयी थी, जिनसे उन्होने संस्कृत और मलयालम भाषा सीखी। नालापत हाउस की अलमारियाँ पुस्तकों से भरी-पड़ी थीं। इन पुस्तकों में कागज पर छपी पुस्तकों के साथ हीं ताड़पत्रों पर उकेरी गई हस्तलिपि वाली पुस्तकें भी थीं। इन पुस्तकों में बाराह संहिता से लेकर टैगोर तक का रचना संसार सम्मिलित था। उनके मामा एन॰ नारायण मेनन कवि और दार्शनिक थे, जिन्होने उन्हें साहित्य सृजन के लिए प्रोत्साहित किया। कवि और विद्वान घर पर अतिथि के रूप में आते और हफ्तों रहते थे। इस दौरान घर में साहित्यिक चर्चाओं का घटाटोप छाया रहता था। इस वातावरण ने उनके चिंतन को प्रभावित किया। उनका विवाह 19 वर्ष की आयु में वर्ष 1928 में वी॰एम॰ नायर से हुआ, जो आगे चलकर मलयालम भाषा के दैनिक समाचार पत्र 'मातृभूमि'के प्रबंध संपादक और प्रबंध निदेशक बनें। विवाह के तुरंत बाद अम्मा ने अपने पति के साथ कोलकाता छोड़ दिया। उस समय उनके पति "वेलफोर्ट ट्रांसपोर्ट कम्पनी" में वरिष्ठ अधिकारी थे। यह कंपनी ऑटोमोबाइल कंपनी "रोल्स रॉयस मोटर कार्स" और "बेंटले" के उपकरणों को बेचती थी। 1977 में उनके पति की मृत्यु हुई। वे अँग्रेजी व मलयालम भाषा की प्रसिद्ध भारतीय लेखिका कमला दास की माँ थीं, जिन्हें उनकी आत्मकथा ‘माई स्टोरी’से अत्यधिक प्रसिद्धि मिली थी और उन्हें साहित्य में नोबेल पुरस्कार हेतु नामित किया गया था। कमला के लेखन पर अम्मा का अत्यंत प्रभाव पड़ा था।इसके अलावा वे क्रमश: सुलोचना, मोहनदास और श्याम सुंदर की भी माँ थीं। लगभग पाँच वर्षों तक अलजाइमर रोग से जूझने के बाद 95 वर्ष की अवस्था में 29 सितंबर 2004 को शाम 4 बजे कोच्चि में उनकी मृत्यु हो गई। अपने पति की मृत्यु के बाद से वे यहाँ अपने बच्चों क्रमश: श्याम सुंदर (पुत्र) और सुलोचना (पुत्री) के साथ रह रहीं थीं। उनका अंतिम संस्कार कोच्चि के रविपुरम शव दाह गृह में हुई। .

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बेन ब्रेडली

बेंजामिन क्रोनिनशील्ड "बेन" ब्रेडली (अगस्त २६, १९२१ – अक्टूबर २१, २०१४) १९६८ से १९९१ तक अमेरिकी समाचार पत्र द वॉशिंगटन पोस्ट के कार्यकारी सम्पादक थे। उन्हें मुख्यतः वाटरगेट स्कैंडल के दौरान अमरीका की संघीय सरकार के खिलाफ़ लिखने के लिए जाना जाता है जिसके परिणामस्वरूप तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को त्याग पत्र देना पड़ा था। उनका २१ अक्टूबर २०१४ को अलजाइमर रोग के कारण ९३ वर्ष की आयु में निधन हो गया। .

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बीटा वल्गैरिस

बीटा वल्गैरिस, जिसे साधारण भाषा में चुकंदर कहते हैं, अमारैन्थ परिवार का एक पादप सदस्य है। इसे कई रूपों में, जिनमें अधिकतर लाल रंग की जड़ से प्राप्त सब्जी रूप में प्रयोगनीय उत्पाद के लिये उगाया जाता है। इसके अलावा अन्य उत्पादों में इसके पत्तों को शाक रूप में प्रयोग करते हैं, व इसे शर्करा-स्रोत रूप में भी प्रयोग किया जाता है। पशु-आहार के लिये भी कहीं-कहीं प्रयोग किया जाता है। इसकी अधिकतर प्रचलित Beta vulgaris उपजाति vulgaris में आती है। जबकि Beta vulgaris उपजाति:maritima, जो ई-बीट नाम से प्रचलित है, इसी का जंगली पूर्वज है और भूमध्य सागरीय क्षेत्र, यूरोप की अंध-महासागर तटरेखा एवं भारत में उगती है। एक अन्य जंगली प्रजाति Beta vulgaris उपजाति:adanensis, यूनान से सीरिया पर्यन्त पायी जाती है। ''Beta vulgaris'', नाम से प्रचलित चुकंदर, शाक विक्रेता के यहां चुकंदर में अच्छी मात्रा में लौह, विटामिन और खनिज होते हैं जो रक्तवर्धन और शोधन के काम में सहायक होते हैं। इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट तत्व शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करते हैं। यह प्राकृतिक शर्करा का स्रोत होता है। इसमें सोडियम, पोटेशियम, फॉस्फोरस, क्लोरीन, आयोडीन और अन्य महत्वपूर्ण विटामिन पाए जाते हैं। चुकंदर में गुर्दे और पित्ताशय को साफ करने के प्राकृतिक गुण हैं। इसमें उपस्थित पोटेशियम शरीर को प्रतिदिन पोषण प्रदान करने में मदद करता है तो वहीं क्लोरीन गुर्दों के शोधन में मदद करता है। यह पाचन संबंधी समस्याओं जैसे वमन, दस्त, चक्कर आदि में लाभदायक होता है। चुकंदर का रस पीने से रक्ताल्पता दूर हो जाती है क्योंकि इसमें लौह भी प्रचुर मात्र में पाया जाता है।। याहू जागरण चुकंदर का रस हाइपरटेंशन और हृदय संबंधी समस्याओं को दूर रखता है। विशेषतया महिलाओं के लिए बहुत लाभकारी है। चुकंदर में बेटेन नामक तत्व पाया जाता है जिसकी आंत व पेट को साफ करने के लिए शरीर को आवश्यकता होती है और चुकंदर में उपस्थित यह तत्व उसकी आपूर्ति करता है। कई शोधों के अनुसार चुकंदर कैंसर में भी लाभदायक होता है। चुकंदर और उसके पत्ते फोलेट का अच्छा स्रोत होते हैं, जो उच्च रक्तचाप और अल्जाइमर की समस्या को दूर करने में मदद करते हैं। चुकंदर की भारत में प्रचलित किस्म .

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मानसिक विकलांगता

मानसिक विकलांगता (एमआर) एक व्यापक विकृति है, जो 18 वर्ष की आयु से पहले दो या दो से अधिक रूपांतरित व्यवहारों में और महत्वपूर्ण रूप से संज्ञानात्मक प्रक्रिया के विकार और न्यूनता के रूप में दिखता है। ऐतिहासिक रूप में इसे बौद्धिक क्षमता (आईक्यू) के 70 के भीतर होने के रूप में परिभाषित किया जाता है। कभी इसे लगभग पूरी तरह अनुभूति पर केंद्रित माना जाता था, पर अब इसकी परिभाषा में मानसिक क्रियाकलाप से संबंधित एक घटक और अपने वातावरण में व्यक्ति के कार्यात्मक कौशल दोनों को शामिल किया जाता है। .

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यित्झाक शामिर

यित्झाक शामिर (२२ अक्टूबर १९१५ - ३० जून २०१२) इज़राइल के सातवे प्रधानमन्त्री थे। वे दो बार प्रधानमन्त्री पद पर रहे; १० अक्टूबर १९८३ से १३ सितम्बर १९८४ तक और फिर २० अक्टूबर १९८६ से १३ जूलाई १९९२ तक। इज़राइल के बनने से पहले वे लेही नामक एक यहूदीवादी अर्धसैनिक दल के नेता थे। १९४८ में इज़राइल राज्य की स्थापना के बाद १९५५ से १९६५ तक वे मोसाद मे कार्यरत रहे। .

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शाऊल ज़ांट्ज़

शाऊल ज़ांट्ज़ (२८ फ़रवरी १९२१ – ३ जनवरी २०१४) अमेरिकी फ़िल्म निर्माता थे। उन्हें तीन बार सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का अकादमी पुरस्कार मिला। .

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स्टेम कोशिका

'''मानव भ्रूण कोशिकाएं''' ए: अभी तक विभेदित नहीं हुई कोशिका समूह बी: तंत्रिका कोशिका स्टेम कोशिका या मूल कोशिका (अंग्रेज़ी:Stem Cell) ऐसी कोशिकाएं होती हैं, जिनमें शरीर के किसी भी अंग को कोशिका के रूप में विकसित करने की क्षमता मिलती है। इसके साथ ही ये अन्य किसी भी प्रकार की कोशिकाओं में बदल सकती है।। हिन्दुस्तान लाइव। ६ जनवरी २०१० वैज्ञानिकों के अनुसार इन कोशिकाओं को शरीर की किसी भी कोशिका की मरम्मत के लिए प्रयोग किया जा सकता है। इस प्रकार यदि हृदय की कोशिकाएं खराब हो गईं, तो इनकी मरम्मत स्टेम कोशिका द्वारा की जा सकती है। इसी प्रकार यदि आंख की कॉर्निया की कोशिकाएं खराब हो जायें, तो उन्हें भी स्टेम कोशिकाओं द्वारा विकसित कर प्रत्यारोपित किया जा सकता है। इसी प्रकार मानव के लिए अत्यावश्यक तत्व विटामिन सी को बीमारियों के इलाज के उददेश्य से स्टेम कोशिका पैदा करने के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है।हिन्दुस्तान लाइव। २५ दिसम्बर २००९। लंदन-एजेंसी अपने मूल सरल रूप में स्टेम कोशिका ऐसे अविकसित कोशिका हैं जिनमें विकसित कोशिका के रूप में विशिष्टता अर्जित करने की क्षमता होती है। क्लोनन के साथ जैव प्रौद्योगिकी ने एक और क्षेत्र को जन्म दिया है, जिसका नाम है कोशिका चिकित्सा। इसके अंतर्गत ऐसी कोशिकाओं का अध्ययन किया जाता है, जिसमें वृद्धि, विभाजन और विभेदन कर नए ऊतक बनाने की क्षमता हो। सर्वप्रथम रक्त बनाने वाले ऊतकों से इस चिकित्सा का विचार व प्रयोग शुरु हुआ था। अस्थि-मज्जा से प्राप्त ये कोशिकाएं, आजीवन शरीर में रक्त का उत्पादन करतीं हैं और कैंसर आदि रोगों में इनका प्रत्यारोपण कर पूरी रक्त प्रणाली को, पुनर्संचित किया जा सकता है। ऐसी कोशिकाओं को ही स्टेम कोशिका कहते हैं। इन कोशिकाओं का स्वस्थ कोशिकाओं को विकसित करने के लिए प्रयोग किया जाता है। १९६० में कनाडा के वैज्ञानिकों अर्नस्ट.ए.मुकलॉक और जेम्स.ई.टिल की खोज के बाद स्टेम कोशिका के प्रयोग को बढ़ावा मिला। स्टेम कोशिका को वैज्ञानिक प्रयोग के लिए स्नोत के आधार पर भ्रूणीय, वयस्क तथा कॉर्डब्लड में बांटा जाता है। वयस्क स्टेम कोशिकाओं का मनुष्य में सुरक्षित प्रयोग लगभग ३० वर्षो के लिए किया जा सकता है। अधिकांशत: स्टेम सेल कोशिकाएं भ्रूण से प्राप्त होती है। ये जन्म के समय ही सुरक्षित रखनी होती हैं। हालांकि बाद में हुए किसी छोटे भाई या बहन के जन्म के समय सुरक्षित रखीं कोशिकाएं भी सहायक सिद्ध हो सकती हैं। .

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स्टेम कोशिका उपचार

स्टेम कोशिका उपचार एक प्रकार की हस्तक्षेप इलाज पद्धति है, जिसके तहत चोट अथवा विकार के उपचार हेतु क्षतिग्रस्त ऊतकों में नयी कोशिकायें प्रवेशित की जाती हैं। कई चिकित्सीय शोधकर्ताओं का मानना है कि स्टेम कोशिका द्वारा उपचार में मानव विकारों का कायाकल्प कर पीड़ा हरने की क्षमता है। स्टेम कोशिकाओं में, स्वंय पुनर्निर्मित होकर अलग-अलग स्तरों में आगामी नस्लों की योग्यताओं में आंशिक बदलाव के साथ निर्माण करने की क्षमता के चलते, ऊतकों को बनाने की महत्वपूर्ण खूबी तथा शरीर के विकार युक्त एवं क्षतिग्रस्त हिस्सों को अस्वीकरण होने के जोखिम एवं दुष्प्रभावों के बगैर बदलने की क्षमता है। विभिन्न किस्मों की स्टेम कोशिका चिकित्सा पद्धतियां मौजूद है, किंतु अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण के उल्लेखनीय अपवाद को छोड़ अधिकांश प्रायोगात्मक चरणों में ही हैं और महंगी भी हैं। चिकित्सीय शोधकर्ताओं को आशा है कि वयस्क और भ्रूण स्टेम कोशिका शीघ्र ही कैंसर, डायबिटीज प्रकार 1, पर्किन्सन रोग, हंटिंग्टन रोग, सेलियाक रोग, हृदय रोग, मांसपेशियों के विकार, स्नायविक विकार और अन्य कई रोगों का उपचार करने में सफल होगी.

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स्नायु व्यायाम

स्नायु व्यायाम स्नायु व्यायाम या न्युरोबिक्स (Neurobics) मानसिक व्यायामों को कहते हैं जिनके करने से मस्तिष्क की क्षमता बढ़ने का दावा किया जाता है। इन व्यायामों का वर्णन लारेंस काट्ज (Lawrence Katz) और मैनिंग रुबिन ने अपनी पुस्तक 'कीप योर ब्रेन अलाइव' में किया है किन्तु इनके सत्य या गलत होने की जाँच अभी तक नहीं की जा सकी है। 'न्यूरोबिक्स' शब्द लारेंस काट्ज द्वारा १९९९ में उछाला गया था। ऐसा माना जाता है कि ऐसी मानसिक क्रियायें, जिनके करने के आप आदी नहीं हैं, को करने से मस्तिष्क में नये न्यूरॉन और डेन्ट्राइट (dendrites) विकसित करने में मदद मिलती है। इसका कारण यह है कि कार्यों को एक ही तरह से करने से वे क्रियाएँ अधिकांशतः बिना सोचे-समझे हो जातीं हैं जिससे मस्तिष्क को बहुत कम काम करना पड़ता है। किन्तु स्नायु व्यायाम की विधि को अपनाने से दिमाग का व्यायाम होता है। .

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सेब

कोई विवरण नहीं।

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हनटिंग्टन रोग

हनटिंग्टन रोग, कोरिया, या विकार (HD), एक ऐसा तंत्रिका-अपजननात्मक आनुवंशिक विकार है जो मांसपेशियों के समन्वय को प्रभावित करता है और संज्ञानात्मक रोगह्रास और मनोभ्रंश की ओर ले जाता है। यह आम तौर पर अधेड़ अवस्था में दिखाई देने लगता है। HD कोरिया नामक असाधारण अनायास होने वाली छटपटाहट का अत्यधिक सामान्य आनुवंशिक कारण है और यह एशिया या अफ़्रीका की तुलना में पश्चिमी यूरोपीय मूल के लोगों में बहुत ज़्यादा आम है। यह रोग व्यक्ति के हनटिंग्टन नामक जीन की दो प्रतियों में से किसी एक पर अलिंगसूत्र संबंधी प्रबल उत्परिवर्तन द्वारा होता है, यानी इस रोग से पीड़ित माता-पिता के किसी भी बच्चे को वंशानुगत रूप से इस रोग को पाने का 50% ख़तरा रहता है। दुर्लभ स्थितियों में, जहां दोनों माता-पिता में एक प्रभावित जीन है, या माता-पिता में किसी एक की दो प्रतियां प्रभावित हैं, तो यह जोखिम काफी बढ़ जाता है। हनटिंग्टन रोग के शारीरिक लक्षण नवजात अवस्था से लेकर बुढ़ापे तक किसी भी उम्र में प्रकट हो सकते हैं, लेकिन आम तौर पर यह 35 और 44 साल की उम्र के बीच प्रकट होता है। लगभग 6% मामले अगतिक-अनम्य संलक्षण सहित 21 साल की उम्र से पहले शुरू हो जाते हैं; वे तेजी से बढ़ते हैं और इनमें थोड़ी भिन्नता होती है। इसके रूपांतरण को किशोर (जूवनाइल), अगतिक-अनम्य (अकाइनेटिक-रिजिड) या HD के वेस्टफ़ाल रूपांतरण के रूप में वर्गीकृत किया गया है। हनटिंग्टन जीन सामान्य रूप से एक प्रोटीन के लिए आनुवांशिक जानकारी प्रदान करता है, जो "हनटिंग्टन" कहलाता है। हनटिंग्टन जीन कोड का उत्परिवर्तन एक अलग प्रकार के प्रोटीन रूप का संकेत देता है, जिसकी उपस्थिति से मस्तिष्क के विशिष्ट हिस्से क्रमिक रूप से क्षतिग्रस्त होने लगते है। यह किस तरीके से होता है इसे अब तक पूरी तरह नहीं समझा जा सका है। आनुवंशिक परीक्षण विकास के किसी भी चरण में कराई जा सकती है, लक्षण की शुरुआत से पहले भी.

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हिप्पोकैम्पस

हिप्पोकैम्पस मानव तथा अन्य स्तनधारियों के मस्तिष्क का एक प्रमुख घटक है.

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जिन्को बाइलोबा

जिन्को (जिन्को बाइलोबा; चीनी और जापानी में 银杏, पिनयिन रोमनकृत: यिन जिंग हेपबर्न रोमनकृत ichō या जिन्नान), जिसकी अंग्रेज़ी वर्तनी gingko भी है, इसे एडिअंटम के आधार पर मेडेनहेयर ट्री के रूप में भी जाना जाता है, पेड़ की एक अनोखी प्रजाति है जिसका कोई नज़दीकी जीवित सम्बन्धी नहीं है। जिन्को को अपने स्वयं के ही वर्ग में वर्गीकृत किया गया है, जिसमें एकल वर्ग जिन्कोप्सिडा, जिन्कोएल्स, जिन्कोएशिया, जीनस जिन्को शामिल हैं और यह इस समूह के अन्दर एकमात्र विद्यमान प्रजाति है। यह जीवित जीवाश्म का एक सबसे अच्छा ज्ञात उदाहरण है, क्योंकि जी.

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वेटिंग फ़ॉर गोडोट

वेटिंग फॉर गोडोट शमूएल बेकेट द्वारा रचित एक बेतुका नाटक है, जिसमें दो मुख्य पात्र व्लादिमीर और एस्ट्रागन एक अन्य काल्पनिक पात्र गोडोट के आने की अंतहीन व निष्फल प्रतीक्षा करते हैं। इस नाटक के प्रीमियर से अब तक गोडोट की अनुपस्थिति व अन्य पहलुओं को लेकर अनेक व्याख्यायें की जा चुकी हैं। इसे "बीसवीं सदी का सबसे प्रभावशाली अंग्रेजी भाषा का नाटक" भी बुलाया जा चुका है। असल में वेटिंग फॉर गोडोट बेकेट के ही फ्रेंच नाटक एन अटेंडेंट गोडोट का उनके स्वयं के द्वारा ही किया गया अंग्रेजी अनुवाद है तथा अंग्रेजी में इसे दो भागों की त्रासदी-कॉमेडी का उप-शीर्षक दिया गया है".

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आयुर्वेद में नयी खोजें

आयुर्वेद लगभग, 5000 वर्ष पुराना चिकित्‍सा विज्ञान है। इसे भारतवर्ष के विद्वानों ने भारत की जलवायु, भौगालिक परिस्थितियों, भारतीय दर्शन, भारतीय ज्ञान-विज्ञान के द्ष्टकोण को ध्यान में रखते हुये विकसित किया है। वतर्मान में स्‍वतंत्रता के पश्‍चात आयुर्वेद चिकित्‍सा विज्ञान ने बहुत प्रगति की है। भारत सरकार द्वारा स्‍थापित संस्‍था ‘’केन्द्रीय आयुर्वेद एवं सिद्ध अनुसं‍धान परिषद’’ (Central council for research in Ayurveda and Siddha, CCRAS) नई दिल्‍ली, भारत, आयुर्वेद में किये जा रहे अनुसन्‍धान कार्यों को समस्‍त देश में फैले हुये शोध संस्थानों में सम्‍पन्‍न कराता है। बहुत से एन0जी0ओ0 और प्राइवेट संस्थानों तथा अस्‍पताल और व्‍यतिगत आयुर्वेदिक चिकित्‍सक शोध कार्यों में लगे हुये है। इनमें से प्रमुख शोध त्रिफला, अश्वगंधा आदि औषधियों, इलेक्ट्रानिक उपकरणों द्वारा आयुर्वेदिक ढंग से रोगों की पहचान और निदान में सहायता से संबंधित हैं। .

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इन्सुलिन

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१५ जुलाई

१५ जुलाई ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का १९वॉ (लीप वर्ष मे १९७वॉ) दिन है। साल मे अभी और १६९ दिन बाकी है। .

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१९१०

1910 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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२०१४ में निधन

निम्नलिखित सूची २०१४ में निधन हो गये लोगों की है। यहाँ पर सभी दिनांक के क्रमानुसार हैं और एक दिन की दो या अधिक प्रविष्टियाँ होने पर उनके मूल नाम को वर्णक्रमानुसार में दिया गया है। यहाँ लिखने का अनुक्रम निम्न है.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

अल्ज़ाईमर रोग​, अल्ज़ाइमर्स रोग, अल्जाइमर, अल्जाइमर्स, अल्‍झाइमर रोग

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