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अर्थशास्त्र

सूची अर्थशास्त्र

---- विश्व के विभिन्न देशों की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर (सन २०१४) अर्थशास्त्र सामाजिक विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अन्तर्गत वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, वितरण, विनिमय और उपभोग का अध्ययन किया जाता है। 'अर्थशास्त्र' शब्द संस्कृत शब्दों अर्थ (धन) और शास्त्र की संधि से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ है - 'धन का अध्ययन'। किसी विषय के संबंध में मनुष्यों के कार्यो के क्रमबद्ध ज्ञान को उस विषय का शास्त्र कहते हैं, इसलिए अर्थशास्त्र में मनुष्यों के अर्थसंबंधी कायों का क्रमबद्ध ज्ञान होना आवश्यक है। अर्थशास्त्र का प्रयोग यह समझने के लिये भी किया जाता है कि अर्थव्यवस्था किस तरह से कार्य करती है और समाज में विभिन्न वर्गों का आर्थिक सम्बन्ध कैसा है। अर्थशास्त्रीय विवेचना का प्रयोग समाज से सम्बन्धित विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे:- अपराध, शिक्षा, परिवार, स्वास्थ्य, कानून, राजनीति, धर्म, सामाजिक संस्थान और युद्ध इत्यदि। प्रो.

284 संबंधों: चल निधि, ऊष्मा-अर्थशास्त्र, चालू खाता घाटा, चौधरी बंसी लाल विश्वविद्यालय, चौर्य व्यापार, चीता, चीनी शताब्दी, टामस कार्लायल, टी.एस.पपोला, एडम स्मिथ, एडोगवा रंपो, एकादशरथ, एकाधिकार, ए॰ बी॰ बर्धन, डैनियल डेफॉ, डेविड कैमरन, तस्करी, तान्या दुबाश, तुलनात्मक राजनीति, तुलनात्मक शिक्षा, त्रिक्षेत्रीय सिद्धांत, त्रिकोणमिति के उपयोग, दंड, दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय, देवगुरु बृहस्पति, धर्मनिरपेक्ष राज्य, धीरेन्द्रनाथ मजूमदार, नाभिकीय ऊर्जा, नारा चंद्रबाबू नायडू, नागनाथ इनामदार, नागरिक समाज, निवेश, नवशास्त्रीय अर्थशास्त्र, नवाचार, न्यायालयिक अर्थशास्त्र, नेटवर्क प्रभाव, नोबेल पुरस्कार विजेताओं की सूची, नीलम धवन, पण्य, पर्यावरणीय विज्ञान, पल्लव राजवंश, पशु चिकित्सा विज्ञान, पशुधन, पारिभाषिक शब्दावली, पक्षीविज्ञान, प्रतिफल (अर्थशास्त्र), प्रतिमोच्यता, प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र, प्रमाणित वित्तीय नियोजक (सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर), प्रेयोक्ति, ..., पूरनचंद जोशी, पॉल क्रूगमैन, फ़्रैंकफ़र्ट, फिन केडलांड, फ्रेडरिक एंगेल्स, बसरा विश्वविद्यालय, बार्सिलोना, बाज़ार विफलता, बाज़ार क्षेत्र, बिली अर्जन सिंह, ब्लेज़ पास्कल, बैंक, बूर्जुआ, बे्रन्डा बुत्तनर, भट्टी, भार वृद्धि, भारत का योजना आयोग, भारतीय राजनय का इतिहास, भारतीय शिल्प, भारतीय वित्तीय प्रणाली, भारतीय इतिहास की समयरेखा, भास, भावना, भूलाभाई देसाई, भूगोल, भीमराव आम्बेडकर, मत्स्योद्योग विज्ञान, मधु कांकरिया, मनमोहन सिंह, मनिला बिज़नस महाविद्यालय, महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ, महाभारत, महावीर प्रसाद द्विवेदी, माँग और आपूर्ति, मानव पारिस्थितिकी, मानव संसाधन, मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विभाग, रुड़की, मिन्स्की की वित्तीय अस्थिरता, मिल्टन फ्रीडमैन, मुर्ग़ी का खेल, मृदुला गर्ग, मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान, मूल्य (अर्थशास्त्र), मोनटेक सिंह आहलूवालिया, मोइन कुरेशी, युन्नान विश्वविद्यालय, यूरोपीय संघ, योगेंद्र दुर्यस्वामी, रमेशचन्द्र दत्त, रश्मी बंसल, राधा कमल मुखर्जी, राना लियाक़त अली ख़ान, राम स्वरूप, रामस्वामी वेंकटरमण, राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (भारत), रासायनिक इंजीनियरी, राजनय, राजनयिक दूत, राजनीति विज्ञान, राजनीतिक अर्थशास्त्र, राजस्थान विश्वविद्यालय, राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय, राजेश्वर प्रसाद मंडल, राउल प्रेबिस्च, रितुपर्णो घोष, रघुराम राजन, रंगमंच, रैखिक बीजगणित, रैखिकीकरण, रोकड़, लेखांकन का इतिहास, लोच, लोक प्रशासन, लोक प्रशासन का इतिहास, शब्दकोश, शशि देशपांडे, शास्त्र, शाहरुख़ ख़ान, शक्ति काक, शुचि मुखर्जी, शुक्रनीति, श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, श्री शङ्कराचार्य संस्कृत सर्वकलाशाला, श्रीधर व्यंकटेश केतकर, शून्य-संचय खेल, शेख रज्जाक अली, शीतला सहाय, सत्यजित राय, समाजशास्त्र, समकालीन, सर्वहारा, सर्वहित, सर्वेक्षण, सस्यविज्ञान, सामाजिक संघटन, सामाजिक विज्ञान, सामाजिक अध्ययन, संधारणीय डिज़ाइन, संरक्षणवाद, संस्कृत ग्रन्थों की सूची, संवैधानिक अर्थशास्त्र, सकल मूल्य वर्धित, सुब्रमनियन स्वामी, स्टार ट्रेक, स्टैटा, स्टैटिस्टिकल लैब, स्वतन्त्रता के बाद भारत का संक्षिप्त इतिहास, स्वस्थतम की उत्तरजीविता, स्वास्थ्य सेवा, सैन्य नीति, सीमान्त उपयोगिता, सी॰एन॰ अन्नादुरै, हरिसिंह गौर, ह्रासमान प्रतिफल, जनसांख्यिकी, जनकपुर, जमाखोरी, जयती घोष, जहाजरानी का इतिहास, ज़ाकिर हुसैन (राजनीतिज्ञ), जगदीश एन. भगवती, जकार्ता, जुआ, जैव संरक्षण, जैक प्रेगेर, जेनेटिक एल्गोरिद्म, जेरेमी बेन्थम, जॉन फोर्ब्स नैश जूनियर, जॉन मथाई, जॉन मेनार्ड कीन्स, जॉन स्टूवर्ट मिल, जोसे मैनुअल बरासो, जीसस ह्युअर्टा डि सोटो, वर्षामापी, विदेश नीति, विधिशास्त्र, विनिमय, विनोद राय, विपणन, विलफ्रेडो परेटो, विलासिता की वस्तुएँ, विलियम पेटी, विजयशंकर व्यास, विज्ञान, विक्रम सेठ, विकेंद्रीकरण, व्यष्टि अर्थशास्त्र, व्यवसाय प्रबंध में स्नातकोत्तर, व्यवसाय अध्ययन, व्यवसाय-नीति, व्यवसायिक अर्थशास्त्र, व्यूहों की सूची, वैश्विक स्वास्थ्य, वैकासिक अर्थशास्त्र, वेश्यावृत्ति, वॉरेन बफे, वी.जी. सिद्धार्थ, वीर दास, वीर सांघवी, खान अकादमी, खेल सिद्धांत, गण संघ देश (प्राचीन भारत), गणित, गणितज्ञ, गणितीय मॉडल, गणितीय अर्थशास्त्र, गतिक क्रमादेशन, गुन्नार म्यर्दल, गुप्तचर, गोल्डीलॉक्स, गोखले राजनीति एवं अर्थशास्त्र संस्थान, गीता गोपीनाथ, ओलिवर विलियमसन, औद्योगिक संगठन, आचार्य रामदेव, आतंकवाद, आधुनिकतावाद, आन्वीक्षिकी, आय का परिपत्र प्रवाह, आरती कृष्ण, आर्थिक दक्षता, आर्थिक मॉडल, आर्थिक शब्दावली, आर्थिक विचारों का इतिहास, आर्थिक विकास, आर्थिक अधिशेष, आर्सेन वेंजर, इब्न खल्दून, इस्लाम में स्त्री, कलन, कामसूत्र, कामगार वर्ग, काली मिर्च, काशीनाथ त्र्यंबक तेलंग, किला, किलाबंदी, कुवेंपु विश्वविद्यालय, क्षेत्रवाद, क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भुवनेश्वर, कृषि अर्थशास्त्र, केट ब्लैंचेट, कोटा जिला, कीट नियंत्रण, अच्युत पटवर्धन, अथर्ववेद संहिता, अनिता बोस फाफ, अनु आगा, अनुजा चौहान, अन्तपाल, अन्तरराष्‍ट्रीय अध्ययन संस्थान (जे. एन. यू.), अन्तिम वस्तु, अन्य पिछड़ा वर्ग, अन्विता अब्बी, अपराध शास्त्र, अपस्फीति, अमर्त्य सेन, अर्चना रामासुंदरम, अर्थशास्त्र (ग्रन्थ), अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार, अर्थशास्त्र के प्रमुख सिद्धान्त, अर्थशास्त्री, अर्नाल्ड ट्वानबी, अल्फ्रेड मार्शल, अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, उत्पादन, उत्पादन सिद्धांत, उत्पादन के साधन, उत्पादन के कारक, उत्सर्जन व्यापार, उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण, उपिंदरजीत कौर, २००४ में पद्म भूषण धारक सूचकांक विस्तार (234 अधिक) »

चल निधि

व्यवसाय, अर्थशास्त्र अथवा निवेश में बाज़ार चल निधि (market liquidity या मार्केट लिक्विडिटी) कीमत में उल्लेखनीय उतार-चढ़ाव के बिना तथा मूल्य में न्यूनतम हानि के साथ परिसंपत्ति की विक्रय-क्षमता है। मुद्रा, या हाथ में नकदी, सबसे अधिक चल निधि परिसंपत्ति है। कम चल निधि परिसंपत्ति का अधिक चल निधि परिसंपत्ति के साथ विनिमय परिसमापन (liquidation या लिक्विडेशन) कहलाता है। भुगतान की बाध्यताओं को अर्थ सुलभ परिसंपत्तियों के सन्दर्भ में एवं स्वयं ऐसी परिसंपत्तियों के लिए भुगतान की बाध्यताओं से निपटने की व्यावसायिक क्षमता को भी चल निधि (liquidity या लिक्विडिटी) मानते हैं। .

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ऊष्मा-अर्थशास्त्र

ऊष्मा-अर्थशास्त्र (Thermoeconomics), अर्थशास्त्र का एक सम्प्रदाय है जो अर्थशास्त्र में भी ऊष्मागतिकी के नियमों के उपयोग का पक्षधर है। 'थर्मो-इकनॉमिक्स' शब्द का सबसे पहले प्रयोग १९६२ में अमेरिकी इंजीनियर माइरन ट्राइबस ने किया था। ऊष्मा-अर्थशास्त्र को उसी प्रकार समझा जा सकता है जैसे सांख्यिकीय भौतिकी (statistical physics) को। श्रेणी:अर्थशास्त्र.

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चालू खाता घाटा

अर्थशास्त्र में, चालू खाता भुगतान के संतुलन के प्राथमिक दो घटकों में से एक है, दूसरा है पूंजीगत खाता.

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चौधरी बंसी लाल विश्वविद्यालय

चौधरी बंसी लाल विश्वविद्यालय (CBLU), हरियाणा के भिवानी में स्थित एक राज्य विश्वविद्यालय है। २०१४ में स्थापित इस विश्वविद्यालय में विभिन्न विषयों के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम है। महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक इससे ५२ किमी की दूरी पर है। .

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चौर्य व्यापार

करों या वैधानिक प्रतिबंधों से आँख छिपाकर या उनकी चोरी कर लाभ कमाने के लिये अवैध रूप से मुद्रा, वस्तु या व्यक्तियों का किया गया आयात, निर्यात, अंतर्देशीय या अंतर्प्रातीय व्यापार (क्रय विक्रय की प्रक्रिया) चौर्य व्यापार माना जाता है। स्वतंत्र व्यापार पर कर या प्रतिबंध- विलासमयी विदेशी वस्तुओं के उपयोग की आदत की समाप्ति या उनमें कमी करने के उद्देश्य, विदेशी मुद्रा के अभाव या उसके संकट से मुक्ति, राष्ट्रीय उत्पादन को प्रोत्साहन, राष्ट्रीय उद्योगों के संरक्षण तथा प्रवर्धन, राष्ट्र की आर्थिक योजनाओं के कार्यान्वयन, विदेशी-व्यापार-संतुलन तथा सामरिक एवं दैवी आपदाओं से त्राण पाने आदि के लिये लगाया जाता है। इन करों तथा प्रतिबंधों के कारण या तो वस्तुओं आदि का मूल्य बढ़ जाता है या उनकी माँग बढ़ जाती है। फलस्वरूप प्रतिबंधित तथा अधिक करवाली वस्तुओं आदि के उपयोग के लिये लोगों में सहज स्वाभाविक रुचि बढ़ जाती है। चौर्य व्यापार में करों की चोरी की जाती है, इसलिये वैध रूप से यातायात की हुई वस्तुएँ अवैध माध्यम से उपलब्ध वस्तुओं की अपेक्षा महँगी पड़ती हैं। इस लाभ के कारण लोग इन्हें क्रय करते हैं। जिन वस्तुओं आदि के यातायात पर पूर्ण या सीमित प्रतिबंध हैं वे भी इस अवैध माध्यम से उपलब्ध हो जाती हैं। इसलिये ऐसी अनुपलब्ध वस्तुओं को लोग आदत या ऐसी वस्तुओं की अधिक उपादेयता या ऐसी वस्तुओं के उपयोग के प्रदर्शन की सहज मानवीय दुर्बलता के कारण अधिक मूल्य देकर तथा कानून भंग करके भी लोग क्रय करना अधिक पसंद करते हैं और इस अवैध अनैतिक व्यापार को जीवन प्रदान करने में योगदान करते हैं। ऐडम स्मिथ ने इसलिये इन अवैध व्यापार करनेवालों के प्रति सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए लिखा है कि "इसमें संदेह नहीं कि चौर्य व्यापार करनेवाले देश के विधान की मर्यादाओं को भंग करने के लिये निश्चय ही अत्यधिक दोषी हैं, तो भी प्राय: वे सहज स्वाभाविक न्याय को तोड़ने में असमर्थ हैं क्योंकि सभी दृष्टियों से ऐसे व्यक्ति अति श्रेष्ठ नागरिक माने जाते यदि उनके देश का विधान उस बात को अपराध घोषित न कर देता जिसे प्रकृति कभी भी रोकना नहीं चाहती। .

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चीता

बिल्ली के कुल (विडाल) में आने वाला चीता (एसीनोनिक्स जुबेटस) अपनी अदभुत फूर्ती और रफ्तार के लिए पहचाना जाता है। यह एसीनोनिक्स प्रजाति के अंतर्गत रहने वाला एकमात्र जीवित सदस्य है, जो कि अपने पंजों की बनावट के रूपांतरण के कारण पहचाने जाते हैं। इसी कारण, यह इकलौता विडाल वंशी है जिसके पंजे बंद नहीं होते हैं और जिसकी वजह से इसकी पकड़ कमज़ोर रहती है (अतः वृक्षों में नहीं चढ़ सकता है हालांकि अपनी फुर्ती के कारण नीची टहनियों में चला जाता है)। ज़मीन पर रहने वाला ये सबसे तेज़ जानवर है जो एक छोटी सी छलांग में १२० कि॰मी॰ प्रति घंटे ऑलदो एकोर्डिंग टू चीता, ल्यूक हंटर और डेव हम्मन (स्ट्रुइक प्रकाशक, 2003), pp.

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चीनी शताब्दी

चीनी शताब्दी (सरलीकृत चीनी: 中国世纪; पारम्परिक चीनी: 中國世紀) एक नवगढ़न्त शब्द है जिसका अर्थ है की २१वीं सदी पर चीन का प्रभुत्व रहेगा ठीक वैसे ही जैसे २०वीं सदी को प्रायः अमेरिकी शताब्दी और १९वीं सदी को ब्रिटिश शताब्दी कह दिया जाता है। यह मुख्य रूप से यह बतलाने के लिए प्रयुक्त किया जाता है की चीन की अर्थव्यवस्था १८३० के पूर्व वाली स्थिति में आ जाएगी जब चीनी अर्थव्यस्था का विश्व अर्थव्यस्था पर प्रभुत्व था और अनुमानित है की चीनी अर्थव्यवस्था आने वाले कुछ दशकों में अमेरिकी अर्थव्यवस्था को पछाड़ कर विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी। .

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टामस कार्लायल

टॉमस कार्लाइल टामस कार्लायल (Thomas Carlyle; १७९५ - १८८१) स्कॉटलैण्ड के विक्टोरियन युग के लब्धप्रतिष्ठ दार्शनिक, इतिहासकार, व्यंगकार, निबन्धकार तथा समालोचक थे।। उन्होने अर्थशास्त्र (इकनॉमिक्स) को 'ड डिस्मल साइंस' (the dismal science) कहते थे। उन्होने एडिनबर्ग इनसाइक्लोपीडिया में लेख लिखा और एक विवादास्पद सामाजिक टीकाकार के रूप में उभरे। .

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टी.एस.पपोला

डॉ॰टी.एस.पपोला (30 अगस्त 1941 - 23 नवंबर, 2015) एक भारतीय अर्थशास्त्री थे। वे श्रम एवं रोजगार, विकास योजना, औद्योगिक अर्थशास्त्र क्षेत्रीय विकास और उद्यम विकास के क्षेत्रों में विशेषज्ञता प्राप्त थे। उनके पास शिक्षण, अनुसंधान और सलाहकार के रूप में 4 दशकों का अनुभव था। उन्होंने 14 पुस्तकें लिखीं और प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में उनके कम से कम-80 शोध पत्र प्रकाशित हुए हैं। वे इंस्टिट्यूट फॉर स्टडीज इन इंडस्ट्रियल डेवेलपमेंट, नई दिल्ली के संस्थापक थे और इस संस्थान में उन्होंने प्रोफेसर के रूप में भी अपनी सेवा दी। उन्होंने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम पर बनाई गई प्रधानमन्त्री की सलाहकार परिषद में भी कार्य किया है। उन्हें वर्ष 1984 में अर्थशास्त्र के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए वीकेआरवी राव युवा सामाजिक वैज्ञानिक पुरस्कार और सामाजिक विज्ञान में योगदान के लिए वीकेआरवी राव लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड, इसके अतिरिक्त वर्ष 2007 में यूपी-उत्तराखंड आर्थिक संघ द्वारा कौटिल्य पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। 23 नवंबर, 2015 को 74 वर्ष की आयु में उनका नई दिल्ली में निधन हो गया। .

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एडम स्मिथ

अर्थशास्त्री '''एडम स्मिथ''' एडम स्मिथ (५जून १७२३ से १७ जुलाई १७९०) एक स्कॉटिश नीतिवेत्ता, दार्शनिक और राजनैतिक अर्थशास्त्री थे। उन्हें अर्थशास्त्र का पितामह भी कहा जाता है।आधुनिक अर्थशास्त्र के निर्माताओं में एडम स्मिथ (जून 5, 1723—जुलाई 17, 1790) का नाम सबसे पहले आता है.

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एडोगवा रंपो

एडोगवा रांपो 'टारो हिराइ' (२१ अक्तूबर १८९४ - २८ जुलाई १९६५) एडोगवा रांपो उपनाम से एक मशहूर जापानी लेखक और आलोचक थे जिन्होनें जापानी रहसयमय कहानियों को विकसित करने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका को स्थापित किया है। टारो हिराइ १८९४ में मेइ प्रांत के नाबारी नाम स्थल में जनमें थे, जहाँ उनके दादा सु वंश की सेवा में एक समुराई थे। जब वे दो साल के थे, उनके परिवार मेइ प्रांत में कामेयामा से नगोया प्रचलित हुए। उनके कयी कहनियों का नायक जासूस कोगोरो अकेची जो आगे आने वाले कहनियो में "बाल जासूसों का क्लब" नाम का बाल जासूसों की एक समूह का नेता था। रांपो पश्चिमी रहस्यमइ लेखकों के प्रशंसक थे, विशेष तौर से एडगर आलन पो के। उनके उपनाम पो नाम का एक रूप है। रांपो पर खास प्रभाव डालने वाले अन्य लेखकों में एक थे, सर ऑरतर कोनन डायल, जिनकी रचनाओं को वासिडा विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के छात्र होने वक्त जापानी भाषा में अनुवादित करने को प्रयत्न किये। और दूसरे थे, जापानी रहस्यमय कहनियों के लेखक रुइको कुरोइवा। द्वितीय विशवयुद्ध के पहले १९१६ में अर्थशास्त्र में उपाधि प्राप्त करने के बाद उन्होनें कई प्रकार के छोटे-मोटे नौकरी की, जैसे अखबार का भाषाशोधन करना, पत्रिकाओं के लिये हास्यचित्रों का आरेखन करना, सडक में सोबा नूडल बेचना, और पुराने किताबों के दुकान में काम करना। १९२३ में उनहोनें अपने साहित्यिक शुरूआत 'एडोगवा रांपो' उपनाम में "नि-सेन डोका" नाम के रहस्यमय कहानी की प्रकाशन से किया। यह कहानी किशोर लोगों के लिये रचाया गया 'शिन सेनन' नामक लोकप्रिय पत्रिका में प्रकट हुआ। १९२३ में उसके कलम नाम "एडोगवा रांपो" से लिखी गयी रहस्य कहानी "दो सेन तांबे का सिक्का"के प्रकाशन द्वारा अपने साहित्यिक नौकरी की शुरुआत हुई। कहानी 'शिन सिनेन' नमक लोकप्रिय पत्रिका, जो किशोर दर्शकों के लिए लिखी गई थी। 'शिन सिनेन' पहले पो, आर्थर कॉनन डॉयल, और जीके चेस्टरटन सहित पश्चिमी लेखकों की कहानियाँ प्रकाशित किया था, लेकिन इस पत्रिका के लिए एक जापानी लेखक द्वारा रहस्य कथा का एक बड़ा टुकड़ा प्रकाशित करना पहली बार हुआ था। ऐसे जेम्स बी हैरिस (अंग्रेजी में रांपो की पहली अनुवादक), ग़लती से इसको आधुनिक रहस्‍य उपन्यास का पहला टुकड़ा माना गया था.लेकिन रांपो १९२३ में साहित्यिक दृश्‍य में प्रवेश से पहले ही, अन्य लेखकों जैसे रूयिको कुरईवा, किदो ओकामोटो, जुनिचिरो तनिज़की, हारूओ साटो और कैता मुरायमा के कहानियों के भीतर तहकीक़त, रहस्य, और अपराध के तत्वों को शामिल किया था। रांपो की पहली कहानी "दो सेन तांबे का सिक्का" के बारे में आलोचकों ने बताया गया कि एक कहानी के भीतर एक रहस्य को सुलझाने के लिए इस्तेमाल किया 'रेटियसिनेशन' की तार्किक प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित किया गया था और यह बारीकी से जापानी संस्कृति से संबंधित है। इस कहानी एक व्यापक शामिल "नेंबुत्सु", जो एक बुद्धिस्ट जादू के आधार पर बनाया गया स्वदेशी अक्षरो, और जापानी ब्रेल पद्धति का विवरण किया गया था। अगले कई वर्षों के दौरान पर, एडोगवा अपराधों और उन्हें सुलझाने में शामिल प्रक्रियाओं पर ध्यान केंद्रित करने हुए अन्य कहानियों लिखा गया। इन कहानियों को अब २० वीं सदी जापानी मे लोकप्रिय साहित्य के क्लासिक्स माना जाता है। "डी हिल पर हत्या के मामले का"(जनवरी 1925)- एक महिला के बारे में है जो एक परपीड़क-स्वपीड़क विवाहेतर संबंध के पाठ्यक्रम में मार दिया जाता है, "अटारी में शिकारी" (अगस्त 1925) एक आदमी के बारे में है, जो अटारी मे छिपकर अपने शिकार लोगों के मुँह मे ज़हर डालते है,और "मानव कुर्सी" (अक्टूबर 1925), में एक आदमी अपने शिकार लोगो के शिव से कुर्सी बनाकर, उसको महसूस करने के लिए उसके उपर बैठता है - इन सब उस्के अन्य कहनियों क उधाहरनण हैं। "दर्पण के नरक" जैसे कहानियो मे रांपो दर्पण,ताल, और अन्य दृष्टि- विषयक उपकरणों दिखाई जाती हैं। अपनी पहली कहानियों के कई मुख्य रूप से तहकीकात और अपराधों को सुलझाने में इस्तेमाल की प्रक्रिया के बारे में था, लेकिन १९३० से उन्हे अपने कहानियो मे स्मवेदनशीलता का मेल, जो कामुकता, अजीबोगरीब, और 'अतर्कसंग' का सम्मिमन किया था। इन संवेदनाओं की उपस्थिति से लोग उसको पड़ने के लिए बड़ी उत्सुक थी और लेखक की कहानियों को बेचने में मदद किय गया था। इन कहानियों पड़कर, लोगों को 'असामान्य कामुकता" नामक जापानी तत्वो का शामिल करने के लिए एक लगातार प्रवृत्ति पाता है। उदाहरण के लिए, उपन्यास "लोनली आइल के दानव की साजिश" का एक बड़ा हिस्सा में एक समलैंगिक डॉक्टर एक अन्य मुख्य चरित्र को प्यार किया जाता था। १९३0 के दशक तक, एडोगवा लोकप्रिय साहित्य की प्रमुख सार्वजनिक पत्रिकाओं का एक नंबर के लिए नियमित रूप से लिख रहा था, और वह जापानी रहस्य उपन्यास की सबसे बड़ी आवाज के रूप में उभरा था। रांपो की कहानियों मे मुखयपत्र जासूसी नायक कोगोरो अकेची, "डी हिल पर हत्या के मामले का" नमक कहानी मे पहली बार आया था। उनकी कई कहानियों में कोगोरो अपने अपराधित खिलाफ़ 'बीस चेहरे' के साथ संघर्ष करता है। 1930 उपन्यास कोगोरो की दिली दोस्त के रूप में किशोर कोबायाशी को भी अपने कहानियों मे पेश किया था। इन कार्यों में बेतहाशा लोकप्रिय थे और अभी भी कई युवा जापानी पाठकों द्वारा पढ़े रहते हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1939 में, दो साल मार्को पोलो पुल हादसा और 1937 में द्वितीय चीन-जापान युद्ध के फैलने के बाद, एडोगवा के कहानी "कमला", प्रकाशित न करने के लिए सरकार ने सेंसर बोर्ड द्वारा आदेश दिया गया था। "कमला" एक अनुभवी मानव कि क्वाडरिप्लीजिक स्थिति के बारे में विकृत किया गया था जो सहयता से बिना नही रह सकता था। सेंसर बोर्ड ने जाहिरा तौर पर कहानी वर्तमान युद्ध के प्रयास से कम करना होने के मन मे कहानी पर प्रतिबंध लगा दिया। इस आय के लिए प्रकाशन से रॉयल्टी पर भरोसा है जो रांपो, के लिए एक झटका के रूप में आया था। (60 वें बर्लिन अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में गोल्डन बियर की प्रतियोगिता के लिए जो यह अपनी फिल्म कमला, से आकर्षित किया है जो लघु कहानी प्रेरित निदेशक कोजी वाकामतसू)। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, विशेष रूप से १९४१ में जापान और अमेरिका के बीच पूर्ण युद्ध के दौरान पर, एडोगवा अपने स्थानीय देशभक्ति, पड़ोस संगठन में सक्रिय था, और वह युवा जासूस और अधिकारियों के बारे में कहानियों का एक नंबर लिखा था। फरवरी १९४५ में, उसके परिवार को उत्तरी जापान में फुकुशिमा के लिए इकेबुकुरो टोक्यो में उनके घर से बाहर निकाल लिया गया था। वह कुपोषण से पीड़ित था जब एडोगवा जून तक बने रहे। इकेबुकुरो के ज्यादा मित्र देशों के हवाई हमलों और शहर में बाहर तोड़ दिया है कि बाद में आग में नष्ट हो गया था। लेकिन चमत्कारिक ढंग से, वह अपने मोटी, मिट्टी घिरी गोदाम स्टूडियो बचा गया था, और अभी भी रिक्कयो विश्वविद्यालय के बगल में खड़ा है। युद्ध के बाद का युद्ध के बाद की अवधि में, एडोगवा अपने इतिहास की समझ के मामले में, नए रहस्य कथा के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए और दोनों रहस्य कथा को बढ़ावा देने के लिए उर्जा सौदा समर्पित किया। १९४६ में 'ज्वेल्स' नामक पत्रिका शुरू की.

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एकादशरथ

अंगूठाकार पुराण के अनुसार यदुकुल के राजा। एकादशरथ यदुकुल के प्रमुख राजा था। वह यदुकुल के इतिहास में सबसे प्रभावशाली राजाओं में से एक था। उसके राज की अवधि यादवों के लिए सबसे उल्लेखनीय अवधि में से एक था। महाभारत के पन्नों में उसके राजनीती प्रसिद्ध है। वह यादवों के सशक्तिकरण के लिए बहुत काम किया था। एकादशरथ यदुकुल का एक अनिवार्य हिस्सा हे। जब यदुकुल पर सन्दर्भ किया गया तो एकादशरथ का नाम अपरिहार्य है। वह मथुरा के राजा थे। उसका शासन १५९३ में शुरू हुआ था। उनके शासनकाल यादवों के लिए एक अद्भुत अनुभव था। वह यादवों को पेश आ रही समस्याओं के अधिकांश हल करने में सक्षम था। एकादशरथ अन्य समकालीन शासकों के लिए एक मॉडल था। वह अच्छा शासन के लिए विभिन्न तकनीकों का इस्तेमाल किया। सभी नागरिकों एकदशरथ के शासन में खुशी से रहते थे। उनके शासनकाल के दौरान अपने नागरिकों को एक अच्छा जिंदगी सुनिश्चित किया करता था। यदुकुल को उन्नति पहुंचाने के लिये वह बहुत मेहनत या है। उसके जीवन यादवों के लिए एक प्रेरणा थी। उनके शासनकाल हर कोई खुशी से रहते थे। एकादशरथ को अर्थशास्त्र में बहुत अच्छा ज्ञान था।इसिलिय उसके राज की अवधि के समय राज्य के अर्थव्यवस्था बहुत शानदार और सुरक्षित था। श्रेणी:यदुकुल.

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एकाधिकार

अर्थशास्त्र में जब कोई एक व्यक्ति या संस्था का किसी उत्पाद या सेवा पर इतना नियंत्रण हो कि वह उसके विक्रय से सम्बन्धित शर्तों एवं मूल्य को अपनी इच्छानुसार लागू कर सके तो इस स्थिति को एकाधिकार (monopoly) कहते हैं। अर्थात बाजार में प्रतियोगिता का अभाव एकाधिकार की मुख्य विशेषता है। .

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ए॰ बी॰ बर्धन

अर्धेन्दु भूषण बर्धन (25 सितम्बर 1924 – 2 जनवरी 2016) अथवा ए॰बी॰ बर्धन भारत के सबसे पुराने राजनीतिक दलों में से एक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के भूतपूर्व महासचिव थे। वो ऑल इंडिया डिफ़ेन्स इम्पलॉइज़ एसोसिएशन के उपाध्यक्ष, महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी फ़ेडरेशन और ऑल इंडिया इलेक्ट्रिक इम्पलॉइज़ फ़ेडरेशन के अध्यक्ष रहे थे। .

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डैनियल डेफॉ

डैनियल डेफॉ या डैनियल डिफो, मूल नाम डैनियल फॉ (जन्म: 1659-1661 मृत्यु: 24 अप्रैल 1731), एक अंग्रेजी लेखक, पत्रकार, पैंफ्लेट लेखक तथा उपन्यासकार था, जिसने अपने उपन्यास रोबिंसन क्रूसो के लिए चिरस्थायी प्रसिद्धि प्राप्त की। ब्रिटेन में डैफो ने उपन्यास की विधा को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कुछ लोग तो उसे अंग्रेजी उपन्यास के संस्थापकों में से एक मानते हैं। वह एक बहुसर्जक और बहुमुखी प्रतिभा का धनी लेखक था; उसने राजनीति, अपराध, धर्म, विवाह, मनोविज्ञान और परालौकिक सहित विभिन्न विषयों पर पाँच सौ से अधिक किताबें, लघुलेख और जर्नल लिखे थे। उसे आर्थिक मामलों की पत्रकारिता का अग्रदूत भी माना जाता है। डैनियल डिफो का मूल कुलनाम फो था, जो बाद में उसने डिफो कर लिया। उसका जन्म क्रिपलगेट में शायद १६६० ई० में हुआ था। मेरी टफले से उसका विवाह १६८४ ई० में हुआ। डिफो के माता पिता में परस्पर विशेष प्रेम नहीं था। उसकी शिक्षा दीक्षा बहुत कम हो पाई और बचपन से ही उसे जीवनसंघर्ष में जुट जाना पड़ा। उपन्यास आदि लिखना तो ६० वर्ष की उम्र में उसने शुरू किया। उससे पहले उसे पत्रकार के नाते बहुत कलमघिसाई करनी पड़ी। उसे राजनीति में बहुत रुचि थी। १७०१ ई० में उसने 'दि ट्रूबार्न इंग्लिशमैन' नामक एक कविता लिखी जो विलियम ऑव आरेंज के सिंहासन पर आने के संबंध में थी। इसमें उन लोगों पर व्यंग किया गया था जो राजा को विदेशी मानते थे। सन् १७०२ ई० में उसने 'दि शार्टेस्ट वे विथ डिस्सेंटर्स' में इंग्लैंड के चर्च पर शाब्दिक हमला किया। तब डिफो का खासा मजाक उड़ाया गया, उसे बंदी भी बनाया गया; परंतु वह सरकार का गुप्तचर बन गया। उसके बाद उसने कई लोगों के लिए छिपकर काम किए; और ऐसा भी कहा जाता है कि उसने दोनों पक्षों के लिए परस्पर विरोधी काम एक ही समय किए। १७०४ ई० से १७११ तक डिफो ने 'दि रिव्यू' नामक पत्र का संपादन किया जिसे बाद में ऐडिसन और स्टील ने चलाया। यद्यपि ६० वर्ष की आयु तक डिफो ने कई प्रकार का लेखन किया, तथापि उसकी मुख्य ख्याति उन प्रचार पुस्तिकाओं जैसे लेखन के कारण नहीं है। १७१९ में डिफो का एक उपन्यास 'राबिन्सन क्रूसो' प्रकाशित हुआ। यह अलैक्जैंडर सेलकर्क नामक व्यक्ति के जुआन फेर्नांदेज द्वीप पर १७०४ से १७०९ तक निर्वासन ओर एकांतवास की सत्य कथा पर आधारित उपन्यास था। इसमें एक ऐसे व्यक्ति की जीवनी है जो जहाज टूटने से अकेला एक अनजान द्वीप पर जा पहुँचता है, कुछ औज़ारों के सहारे अपनी झोपड़ी खुद बनाता है। फ्राइडे नामक सेवक एकमात्र उसका मित्र है। वहाँ उसे कैसे अद्भुत अनुभव प्राप्त होते हैं, इसका सब प्रामाणिक, ब्यौरेवार वर्णन डिफो ने प्रस्तुत किया है। यह उपन्यास छपते ही खूब बिका और अब तो विश्वसाहित्य में वह एक है। पुस्तक की सारी घटनाएँ और विवरण ऐसे सजीव हैं और मनुष्यस्वभाव का ऐसा मार्मिक वर्णन सहज प्रवाहमयी भाषा में किया गया है कि उस समय के नए नए साक्षर पाठकों के विशाल समुदाय ने पूरी कहानी को सच मान लिया। डिफो एक के बाद एक ऐसे कई औपन्यासिक वृत्त लिखने लगा। १७२० में साहसपूर्ण समुद्री डकैती पर आधारित कहानी कैप्टन सिंगलटन छपी। दो साल बाद मौल फ्लैंडर्स नामक चंचला स्त्री की जीवनी छपी, जो क्रमश: धनी और दरिद्र होते होते बुढ़ापे में जाकर अपनी प्रणयलीलाओं पर पछताती है। १७२२ ई० में छपा 'महामारी के वर्ष की दैनिकी' (जर्नल ऑव दि प्लेग ईयर) १६६५ ई० में लंदन में जो भयानक महामारी फैली थी उसका जीता जागता, आँखों देखा वर्णन डिफो ने कल्पना की आँखों से प्रस्तुत किया। कई आलोचक इसे डिफो की सर्वश्रेष्ठ कृति मानते हैं। १७२४ ई० में 'रुखसाना अथवा भाग्यवान प्रमिका' पुस्तक में फिर मौल फ्लैंडर्स जैसी चंचला स्त्री की कहानी है जो अपने सौंदर्य का जाल बिछाकर खूब संपत्ति कमाती रहती है। इन सब कथाकृतियों में क्रूसो का स्थान सर्वोपरि है। उसकी महत्ता आज भी अक्षुण्ण है। बच्चों के साहित्य में इस साहसकथा का सानी दूसरा नहीं। २५० कृतियाँ लिखकर भी डिफो की शैली प्रसन्न और स्वाभाविक प्रवाहमयी रही। डिफो भी सभी कथाओं का अंत नैतिक उपदेश के ढंग पर सत्य और न्याय की विजय और पाप की हार होता है। परन्तु कहानी के दौरान में वह पापी वेश्याओं, गुंडों, अपराधियों, समुद्री डाकुओं, साहसी नाविकों का चित्रण ऐसी यथार्थता के साथ करता जाता है कि उस समय के मध्यवर्गीय अंग्रेज पाठकों को उसकी कृतियों से बहुत आनन्द मिलता था। साहित्यगुणों में विशिष्ट या बहुत ऊँची न होने पर भी उसकी रचनाएँ अत्यधिक लोकप्रिय बनीं। इसका एक कारण यह था कि वह अपने पात्र और घटनाएँ प्रत्यक्ष जीवन की वास्तव पार्श्वभूमि से लेता था और उनमें आवश्यक मात्रा में कल्पना की मिलावट करता था। डिफो की मृत्यु मूरगेट में २६ अप्रैल, १७३१ ई० को हुई। .

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डेविड कैमरन

डैविड विलियम डोनाल्ड कैमरन (जन्म ९ अक्तूबर, १९६६) २०१० से जुलाई २०१६ तक संयुक्त राजशाही के प्रधान मंत्री रह चुके हैं। वे कंज़र्वेटिव पार्टी के नेता थे तथा ये विटने से संसद सदस्य थे। यूरोपीय संघ की सदस्यता पर हुए जनमत संग्रह में जनता ने संघ को छोड़ने का निर्णय दिया तो उन्होंने इस्तीफे की घोषणा कर दी। कैमरन ने ब्रेज़नोज़ महाविद्यालय, ऑक्स्फ़ोर्ड से दर्शनशास्त्र, अर्थशास्त्र एवं राजनीतिशास्त्र (पीपीई) विषय में १९८८ में प्रथम श्रेणी (ऑनर्स) में स्नातक किया है। इन्हें इनके पढ़ाने वाले प्रोफ़ेसर वर्नॉन बोगडेनॉर "समर्थतम छात्रों में से एक" कहा करते थे। अपने ऑक्सफोर्ड प्रवास काल में ये बुलिंग्डब क्लब के सदस्य रहे थे। इन्हॊने कंज़र्वेटिव अनुसंधान विभाग ज्वाइन किया और नॉर्मन लेमाउण्ट एवं माईकल हावर्ड के विशेष सलाहकार बने। फ़िर ये कार्ल्टन कम्युनिकेशंस के कारपोरेट मामलों के निदेशक पद पर सात वर्ष तक आसीन रहे। कैमरन पहली बार संसद के लिये १९९७ में स्टैफ़्फ़ोर्ड निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में आए। ये यूरोस्केप्टिक मंच पर अपनी पार्टी से उसकी एकल-यूरोपीय मुद्रा (यूरो) में ब्रिटिश सदस्यता विरोधी विचारधारा के कारण उससे अलग हो गए। हालांकि राष्ट्रीय औसत वोटों से कुछ न्यून रहने पर वे हारे भी। इसके बाद उनको संसद सदस्यता हेतु प्रथम विजय २००१ के आम चुनावों में ऑक्स्फ़ोर्डशायर की विट्टने निर्वाचन क्षेत्र से मिली। तब इन्हें आधिकारिक विपक्ष का स्थान मिला। २००५ के आम चुनावों में नीति समन्वय अध्यक्ष भी बने। अपनी युवा एवं उदारवादी प्रत्याशी की छवि के कारण ही २००५ में इन्होंने कंज़र्वेटिव पार्टी के चुनावों में विजय पाई। तब ये प्रथम बार ब्रिटेन के प्रधान मंत्रीबने। .

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तस्करी

तस्करी अवैध रूप से सामान या व्यक्तियों के एक देश से दूसरे देश के परिवहन को कहते हैं। तस्करी करने वाले व्यक्ति को तस्कर कहते हैं। तस्करी की अभिप्रेरणा के विभिन्न कारण हैं जिनमें आर्थिक लाभ प्रधान कारण है। इसके अंतर्गत नशीले पदार्थों का लाना-ले जाना, व्यक्तियों का अवैध प्रवास करवाना, कर की चोरी, कारागार के अंदर कैदी को प्रतिबन्धित वस्तुएँ पहुँचाना या तस्करी की जानी वाली वस्तु आदि विषय आते हैं। हवाई अड्डे पर विदेश से ख़रीदी वस्तु का सीमा शुल्क जमा न करना भी तस्करी की परिधि में आता है। श्रेणी:परिवहन.

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तान्या दुबाश

तान्या दुबाश (पूरा नाम: तान्या अरविंद दुबाश) एक भारतीय महिला उद्यमी हैं। वे गोदरेज समूह के कार्यकारी निदेशक और अध्यक्ष (विपणन) हैं, साथ ही वे भारतीय महिला बैंक के निदेशक मण्डल के सदस्य है। .

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तुलनात्मक राजनीति

तुलनात्मक राजनीति (Comparative politics) राजनीति विज्ञान की एक शाखा एवं विधि है जो तुलनात्मक अध्ययन पर आधारित है। तुलनात्मक राजनीति में दो या अधिक देशों की राजनीति की तुलना की जाती है या एक ही देश की अलग-अलग समय की राजनीति की तुलना की जाती है और देखा जाता है कि इनमें समानता क्या है और अन्तर क्या है।; परिभाषा एडवर्ड फ्रीमैन के अनुसार, तुलनात्मक राजनीति राजनीतिक संस्थाओं एवं सरकारों के विविध प्रकारों का एक तुलनात्मक विवेचन एवं विश्लेषण है। 'रॉल्फ ब्राइबन्टी' के अनुसार "तुलनात्मक राजनीति संपूर्ण सामाजिक व्यवस्था में उन तत्वों की व्याख्या है जो राजनीतिक कार्यों एवं उनके संस्थागत प्रकाशन को प्रभावित करते हैं।" एस कर्टिस के शब्दों में, राजनीतिक संस्थाओं और राजनीतिक व्यवहार की कार्यप्रणाली मे महत्वपूर्ण नियमितताओं, समानताओं और असमानताओं का तुलनात्मक राजनीति से सम्बन्ध है।; तुलनात्मक राजनीति की विशेषताएँ.

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तुलनात्मक शिक्षा

किसी देश अथवा विभिन्न देशों की शिक्षात्मक समानताओं, विभिन्नताओं, समस्याओं, एवं विकासक्रमों के क्रमिक, विवेचनात्मक, आलोचनात्मक एवं विश्लेषणात्मक अध्ययन को तुलनात्मक शिक्षा कहते हैं। हैन्स ने राष्ट्रीय शिक्षा सुधार के दृष्टिकोण से विभिन्न देशों की शिक्षाप्रणालियों के विश्लेषणात्मक अध्ययन को तुलनात्मक शिक्षा कहा है। बैरेडे के अनुसार तुलनात्मक शिक्षा, शिक्षा संस्थानों का समाज की पृष्ठभूमि में किया हुआ विश्लेषणात्मक अध्ययन है। वस्तुत: तुलनात्मक शिक्षा की कोई सरल व्याख्या करना कठिन है। शिक्षा का अध्ययन समाज की पृष्ठभूमि में ही वांछनीय है। अत: तुलनात्मक शिक्षा के गहन अध्ययन में देशों की ऐतिहासिक, दार्शनिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, औद्योगिक, अवस्थाओं का अध्ययन जुड़ा रहता है। .

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त्रिक्षेत्रीय सिद्धांत

त्रिक्षेत्रीय सिद्धांत (Three-sector theory) एक आर्थिक-सिद्धांत है जो अर्थव्यवस्थाओं को तीन भागों में बांटता है: प्राथमिक (कृषि, शिकार, खनन), द्वितीय (विनिर्माण या मैन्युफ़ैक्चरिंग) और तृतीय (सेवाएँ)। इसके अनुसार इन तीनों क्षेत्रों की अलग-अलग आवश्यकताएँ और विकास-क्रम होते हैं और यह तीन किसी देश, राज्य या समाज के आर्थिक विकास के अलग-अलग स्तर दर्शाते हैं। इस सिद्धांत की व्याख्या ऐलन फ़िशर, कॉलिन क्लार्क और झ़ों फ़ुरास्तये नामक तीन अर्थशात्रियों ने की थी। .

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त्रिकोणमिति के उपयोग

त्रिकोणमिति के हजारों उपयोग होते हैं। पाठ्यपुस्तकों में भूमि सर्वेक्षण, जहाजरानी, भवन आदि का ही प्राय: उल्लेख किया गया होता है। इसके अलावा यह गणित, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आदि शैक्षिक क्षेत्रों में भी प्रयुक्त होता है। .

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दंड

राजा, राज्य और छत्र की शक्ति और संप्रभुता का द्योतक और किसी अपराधी को उसके अपराध के निमित्त दी गयी सजा को दण्ड कहते हैं। एक दूसरे सन्दर्भ में, राजनीतिशास्त्र के चार उपायों - साम, दाम, दंड और भेद में एक उपाय। दण्ड का शाब्दिक अर्थ 'डण्डा' (छड़ी) है जिससे किसी को पीटा जाता है। .

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दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय

दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय (एसएयू), दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के आठ सदस्य राज्यों द्वारा प्रायोजित एक अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय है। आठ देश हैं: अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका। दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय ने अकबर भवन, भारत में अस्थायी परिसर में, 2010 में छात्रों को स्वीकार करना शुरू किया। इसका स्थायी परिसर भारत में दक्षिण दिल्ली, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (आईजीएनओयू) के बगल में मैदान गढ़ी में होगा। विश्वविद्यालय का पहला अकादमिक सत्र अगस्त 2010 में दो स्नातकोत्तर शैक्षणिक कार्यक्रमों के साथ अर्थशास्त्र और कंप्यूटर विज्ञान में शुरू हुआ था। 2014 के रूप में एसएयू ने गणित, जैव प्रौद्योगिकी, कंप्यूटर विज्ञान, विकास अर्थशास्त्र, अंतरराष्ट्रीय संबंधों, कानून और समाजशास्त्र में मास्टर और एमफिल / पीएचडी कार्यक्रमों की पेशकश की। 8 देशों के विदेश मंत्रियों द्वारा हस्ताक्षरित एक अंतर-सरकारी समझौते के अनुसार सार्क के सभी सदस्य राष्ट्रों द्वारा विश्वविद्यालय की डिग्री मान्यता प्राप्त है। दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय, प्रमुख रूप से सभी आठ सार्क देशों से छात्रों को आकर्षित करता है, हालांकि अन्य महाद्वीपों के छात्र भी भाग लेते हैं। छात्रों के प्रवेश के लिए कोटा प्रणाली है। हर साल एसएयू सभी 8 देशों में कई केन्द्रों में प्रवेश परीक्षा आयोजित करता है। .

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देवगुरु बृहस्पति

बृहस्पति का अनेक जगह उल्लेख मिलता है। ये एक तपस्वी ऋषि थे। इन्हें 'तीक्ष्णशृंग' भी कहा गया है। धनुष बाण और सोने का परशु इनके हथियार थे और ताम्र रंग के घोड़े इनके रथ में जोते जाते थे। बृहस्पति का अत्यंत पराक्रमी बताया जाता है। इन्द्र को पराजित कर इन्होंने उनसे गायों को छुड़ाया था। युद्ध में अजय होने के कारण योद्धा लोग इनकी प्रार्थना करते थे। ये अत्यंत परोपकारी थे जो शुद्धाचारणवाले व्यक्ति को संकटों से छुड़ाते थे। इन्हें गृहपुरोहित भी कहा गया है, इनके बिना यज्ञयाग सफल नहीं होते। वेदोत्तर साहित्य में बृहस्पति को देवताओं का पुरोहित माना गया है। ये अंगिरा ऋषि की सुरूपा नाम की पत्नी से पैदा हुए थे। तारा और शुभा इनकी दो पत्नियाँ थीं। एक बार सोम (चंद्रमा) तारा को उठा ले गया। इस पर बृहस्पति और सोम में युद्ध ठन गया। अंत में ब्रह्मा के हस्तक्षेप करने पर सोम ने बृहस्पति की पत्नी को लौटाया। तारा ने बुध को जन्म दिया जो चंद्रवंशी राजाओं के पूर्वज कहलाये। महाभारत के अनुसार बृहस्पति के संवर्त और उतथ्य नाम के दो भाई थे। संवर्त के साथ बृहस्पति का हमेशा झगड़ा रहता था। पद्मपुराण के अनुसार देवों और दानवों के युद्ध में जब देव पराजित हो गए और दानव देवों को कष्ट देने लगे तो बृहस्पति ने शुक्राचार्य का रूप धारणकर दानवों का मर्दन किया और नास्तिक मत का प्रचार कर उन्हें धर्मभ्रष्ट किया। बृहस्पति ने धर्मशास्त्र, नीतिशास्त्र, अर्थशास्त्र और वास्तुशास्त्र पर ग्रंथ लिखे। आजकल ८० श्लोक प्रमाण उनकी एक स्मृति (बृहस्पति स्मृति) उपलब्ध है। बृहस्पति को देवताओं के गुरु की पदवी प्रदान की गई है। ये स्वर्ण मुकुट तथा गले में सुंदर माला धारण किये रहते हैं। ये पीले वस्त्र पहने हुए कमल आसन पर आसीन रहते हैं तथा चार हाथों वाले हैं। इनके चार हाथों में स्वर्ण निर्मित दण्ड, रुद्राक्ष माला, पात्र और वरदमुद्रा शोभा पाती है। प्राचीन ऋग्वेद में बताया गया है कि बृहस्पति बहुत सुंदर हैं। ये सोने से बने महल में निवास करते है। इनका वाहन स्वर्ण निर्मित रथ है, जो सूर्य के समान दीप्तिमान है एवं जिसमें सभी सुख सुविधाएं संपन्न हैं। उस रथ में वायु वेग वाले पीतवर्णी आठ घोड़े तत्पर रहते हैं।|वेबवार्त्ता। ०७ अक्टूबर २०११। अभिगमन तिथि: २९ सितंबर २०१२ देवगुरु बृहस्पति की तीन पत्नियाँ हैं जिनमें से ज्येष्ठ पत्नी का नाम शुभा और कनिष्ठ का तारा या तारका तथा तीसरी का नाम ममता है। शुभा से इनके सात कन्याएं उत्पन्न हुईं हैं, जिनके नाम इस प्रकार से हैं - भानुमती, राका, अर्चिष्मती, महामती, महिष्मती, सिनीवाली और हविष्मती। इसके उपरांत तारका से सात पुत्र और एक कन्या उत्पन्न हुईं। उनकी तीसरी पत्नी से भारद्वाज और कच नामक दो पुत्र उत्पन्न हुए। बृहस्पति के अधिदेवता इंद्र और प्रत्यधि देवता ब्रह्मा हैं। महाभारत के आदिपर्व में उल्लेख के अनुसार, बृहस्पति महर्षि अंगिरा के पुत्र तथा देवताओं के पुरोहित हैं। ये अपने प्रकृष्ट ज्ञान से देवताओं को उनका यज्ञ भाग या हवि प्राप्त करा देते हैं। असुर एवं दैत्य यज्ञ में विघ्न डालकर देवताओं को क्षीण कर हराने का प्रयास करते रहते हैं। इसी का उपाय देवगुरु बृहस्पति रक्षोघ्र मंत्रों का प्रयोग कर देवताओं का पोषण एवं रक्षण करने में करते हैं तथा दैत्यों से देवताओं की रक्षा करते हैं। .

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धर्मनिरपेक्ष राज्य

एक धर्मनिरपेक्ष राज्य धर्मनिरपेक्षता की एक अवधारणा है, जिसके तहत एक राज्य या देश स्वयं को धार्मिक मामलों में आधिकारिक तौर पर, न धर्म और न ही अधर्म का समर्थन करते हुए, तटस्थ घोषित करता है। परंतु भारतीय वाङ्मय में धर्म शब्द का अर्थ अत्यंत व्यापक है। कर्तव्य, आचारसंहिता, नियम, रीति, रस्म, सांप्रदायिक आचार विचार, नैतिक आचरण, शिष्टाचार आदि का समावेश एक शब्द "धर्म" में ही हो जाता है। धर्म का अर्थ जीवनप्रणाली भी माना गया है। सेक्युलर शब्द का हिंदी अनुवाद करना दुष्कर प्रतीत होता है, तथापि उसके लिए कोई शब्द रखना अत्यावश्यक है। सेक्युलर शब्द का कुछ मिलता-जुलता या अनुवाद "लौकिक" हो सकता है। सेक्युलर के लिए लौकिक शब्द हिंदी में प्रचलित है। वास्तव में सेक्युलर शब्द के लिए हिंदी में अभी कोई उपयुक्त शब्द नहीं निकल पाया है। कालांतर में शब्द अपना रूप तथा भाव पकड़ लेते हैं। अतएव धर्मनिरपेक्ष तथा लौकिक शब्द का प्रयोग सेक्युलर के लिए यहाँ किया गया है। .

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धीरेन्द्रनाथ मजूमदार

धीरेंद्रनाथ मजूमदार (1903 - 31 मई 1960) भारत के अग्रणी नृतत्ववेत्ता (Anthropologist) थे। .

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नाभिकीय ऊर्जा

इकाटा परमाणु ऊर्जा संयंत्र, एक दबावयुक्त जल रिएक्टर जो समुद्र के साथ माध्यमिक शीतलक विनिमय द्वारा ठंडा करता है। सुसक्युहाना वाष्प विद्युत् केंद्र, एक उबलता जल रिएक्टर. रिएक्टर, शीतलक टावरों के सामने की ओर आयताकार रोकथाम इमारतों के अंदर स्थित हैं। परमाणु ऊर्जा चालित तीन जहाज, (ऊपर से नीचे) परमाणु क्रूजर USS बेनब्रिज और USS लोंग ब्रिज, USS इंटरप्राइज़ के साथ जो 1964 में पहला परमाणु संचालित विमान वाहक. चालक दल के सदस्य, उड़ान डेक पर आइंस्टीन के द्रव्यमान-ऊर्जा तुल्यता सूत्र को लिख रहे हैं E.

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नारा चंद्रबाबू नायडू

नारा चंद्रबाबू नायडू(तेलुगू:నారా చంద్రబాబు నాయుడు) (जन्म: 20 अप्रैल, 1950) वर्तमान आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। उनके नाम आन्ध्र प्रदेश में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का कीर्तिमान भी है। वर्तमान में वे आन्ध्र प्रदेश विधान सभा में सदन के नेता हैं। चंद्रबाबू का जन्म चित्तूर जिले के नारावारिपल्ली नामक गाँव में 20 अप्रैल 1950 को हुआ था। उन्होंने श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय तिरुपति से अर्थशास्त्र में मास्टर्स की उपाधि हासिल की और आजकल इसी विश्वविद्यालय से पीएचडी के लिए अपना शोध कार्य कर रहे हैं। .

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नागनाथ इनामदार

नागनाथ संतराम इनामदार, (जन्म:23 नवंबर 1923, मृत्यु: 16 अक्टूबर 2002) मराठी साहित्यकार थे। मराठी साहित्य में ऐतिहासिक उपन्यासकार के रूप में इनकी विशेष ख्याति रही है। मराठी के साथ-साथ ये हिन्दी में भी अत्यधिक लोकप्रिय रहे हैं। .

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नागरिक समाज

नागरिक समाज, सरकार द्वारा समर्थित संरचनाओं (राज्य की राजनीतिक प्रणाली का लिहाज़ किए बिना) और बाज़ार के वाणिज्यिक संस्थानों से बिलकुल अलग, क्रियात्मक समाज के आधार को रूप देने वाले स्वैच्छिक नागरिक और सामाजिक संगठनों और संस्थाओं की समग्रता से बना है। क़ानूनी राज्य का सिद्धांत (Rechtsstaat, यानी क़ानून के नियमांतर्गत राज्य) राज्य और नागरिक समाज की समानता को अपनी सबसे महत्वपूर्ण विशेषता मानता है। उदाहरण के लिए, लिथुआनिया गणराज्य का संविधान लिथुआनियाई राष्ट्र को "क़ानून के शासन के तहत एक मुक्त, न्यायोचित और सामंजस्यपूर्ण नागरिक समाज और सरकार के लिए प्रयासरतस" के रूप में परिभाषित करता है। .

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निवेश

निवेश या विनियोग (investment) का सामान्य आशय ऐसे व्ययों से है जो उत्पादन क्षमता में वृद्धि लायें। यह तात्कालिक उपभोग व्यय या ऐसे व्ययों संबंधित नहीं है जो उत्पादन के दौरान समाप्त हो जाए। निवेश शब्द का कई मिलते जुलते अर्थों में अर्थशास्त्र, वित्त तथा व्यापार-प्रबन्धन आदि क्षेत्रों में प्रयोग किया जाता है। यह पद बचत करने और उपभोग में कटौती या देरी के संदर्भ में प्रयुक्त होता है। निवेश के उदाहरण हैं- किसी बैंक में पूंजी जमा करना, या परिसंपत्ति खरीदने जैसे कार्य जो भविष्य में लाभ पाने की दृष्टि से किये जाते हैं। सामान्यतः इसे किसी वर्ष में पूँजी स्टॉक में होने वाली वृद्धि के रूप में परिभाषित करते हैं। संचित निवेश या विनियोग ही पूँजी है। .

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नवशास्त्रीय अर्थशास्त्र

श्रम, पूंजी और प्रौद्योगिकी: नवशास्त्रीय विकास सिद्धांत एक आर्थिक सिद्धांत की रूपरेखा है कि कैसे एक स्थिर आर्थिक विकास दर तीन ड्राइविंग बलों की उचित मात्रा के साथ पूरा किया जा सकता है। सिद्धांत में कहा गया है कि श्रम और उत्पादन समारोह में राजधानी के अलग मात्रा के अनुसार, एक संतुलन राज्य से पूरा किया जा सकता है। सिद्धांत यह भी तर्क है प्रौद्योगिकीय परिवर्तन एक अर्थव्यवस्था पर एक बड़ा प्रभाव है कि, और कहा कि आर्थिक विकास के लिए प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रगति के बिना जारी नहीं रख सकते।.

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नवाचार

नवाचार अर्थशास्त्र, व्यापार, तकनीकी एवं समाज शास्त्र में बहुत महत्व का विषय है। नवाचार (नव+आचार) का अर्थ किसी उत्पाद, प्रक्रिया या सेवा में थोडा या बहुत बडा परिवर्तन लाने से है। नवाचार के अन्तर्गत कुछ नया और उपयोगी तरीका अपनाया जाता है, जैसे- नयी विधि, नयी तकनीक, नयी कार्य-पद्धति, नयी सेवा, नया उत्पाद आदि। नवाचार को अर्थतंत्र का सारथी माना जाता है। किसी संस्था के संदर्भ में नवाचार के द्वारा दक्षता, उत्पादकता, गुणवता, बाजार में पकड आदि के सुधार सम्मिलित हैं। अस्पताल, विश्वविद्यालय, ग्राम-पंचायतें आदि सभी संस्थायें नवाचारी हो सकती हैं। जो संस्थायें नवाचार नहीं कर पातीं वे नाश को प्राप्त होती हैं। उनका स्थान नवाचार में सफल हुई संस्थायें ले लेतीं हैं। नवाचार में सबसे महत्वपूर्ण चुनौती प्रक्रिया-नवाचार तथा उत्पाद-नवाचार में सामंजस्य बैठाना होता है। .

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न्यायालयिक अर्थशास्त्र

फोरेंसिक अर्थशास्त्र के राष्ट्रीय संघ द्वारा न्यायालयिक अर्थशास्त्र या फोरेंसिक अर्थशास्त्र की निम्नलिखित परिभाषा दी गयी है- फोरेंसिक अर्थशास्त्र मे शामिल कुछ चीजें ये हैं-.

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नेटवर्क प्रभाव

right अर्थशास्त्र तथा वाणिज्य में किसी उत्पाद या सेवा के एक उपयोगकर्ता का अन्य प्रयोक्ताओं के लिये उस उत्पाद या सेवा के मूल्य पर जो प्रभाव पड़ता है उसे नेटवर्क प्रभाव (network effect) कहते हैं। इसका सबसे सरल उदाहरण टेलीफोन है। जितने ही अधिक लोग टेलीफोन का उपयोग करेंगे, हरेक टेलीफोन उपयोक्ता के लिये यह सेवा उतनी ही उपयोगी सिद्ध होगी। इससे एक सकारात्मक (positive) प्रभाव उत्पन्न होता है क्योंकि जब कोई टेलीफोन खरीदता है तो शायद ही उसके मन में किसी को कोई लाभ पहुंचाने का ध्येय होता है किन्तु वह अनजाने में बहुतों को लाभ पहुँचा जाता है। प्राय: नेटवर्क प्रभाव का अर्थ सकारात्मक प्रभाव से ही लिया जाता है किन्तु नेटवर्क का नकारात्मक प्रभाव भी हो सकता है। जैसे ट्रेफिक जाम। .

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नोबेल पुरस्कार विजेताओं की सूची

क्रोना (लगभग यूएस $ 1.2 मिलयन, INR 7.6 करोड़), डिप्लोमा और एक स्वर्ण पदक प्रदान किया जाता है। नोबेल पुरस्कार हर वर्ष रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेस, द स्वीडिश एकेडमी, द कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट, एवं द नॉर्वेजियन नोबेल कमिटी द्वारा उन लोगों और संस्थाओं को प्रदान की जाती है जिन्होंने रसायनशास्त्र, भौतिकीशास्त्र, साहित्य, शांति, एवं औषधीविज्ञान के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया हो। नोबेल पुरस्कारों की स्थापना अल्फ्रेड नोबेल के वसीयतनामे के अनुसार १८९५ में हुई। वसीयतनामे के मुताबकि नोबेल पुरस्कारों का प्रशासकीय कार्य नोबेल फाउंडेशन देखेगा। अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कारों की शुरुआत १९६८ में स्वीडन की केंद्रीय बैंक स्वेरिंज रिक्सबैंक द्वारा हुई। यह पुरस्कार अर्थशास्त्र के क्षेत्र में अद्वितीय कार्य करने वाले लोगों और संस्थाओं को हर वर्ष दिया जाता है। प्रत्येक पुरस्कार एक अलग समिति द्वारा प्रदान किया जाता है। द रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेस भौतिकी, अर्थशास्त्र और रसायनशास्त्र में, कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट औषधी के क्षेत्र में, नॉर्वेजियन नोबेल समिति शांति के क्षेत्र में पुरस्कार प्रदान करती है। प्रत्येक पुरस्कार विजेता को एक मेडल, एक डिप्लोमा, एक मोनेटरी एवार्ड प्रदान की जाती है। .

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नीलम धवन

नीलम धवन एक भारतीय महिला उद्यमी हैं। वे वर्तमान में आईटी कंपनी हेवलेट पैकार्ड इंडिया की प्रबंध निदेशक हैं। वे उसके पहले माइक्रोसॉफ्ट इंडिया की प्रबंध निदेशक रह चुकी हैं। एचसीएल और आईबीएम जैसी आईटी कंपनियों में भी उन्होने काम किया है। फॉर्चून पत्रिका ने उन्हें साल 2009 में दुनिया की 50 सबसे प्रभावशाली महिला उद्यमियों में शामिल किया था। नीलम नई दिल्ली के 'सेंट स्टीफेंस कॉलेज' से अर्थशास्त्र में स्नातक और फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज से एमबीए हैं। .

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पण्य

अर्थशास्त्र में, पण्य एक विपणीक्रिय चीज़ है, जिसका उत्पादन इच्छाओं और आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए होता है। अक़्सर, यह चीज़ प्रतिमोच्य होती है। आर्थिक पण्यों में वस्तु और सेवाएँ सम्मिलित होते हैं। .

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पर्यावरणीय विज्ञान

MK पर्यावरणीय विज्ञान (environmental science) पर्यावरण के भौतिकीय, रासायनिक और जैविक अवयवों के बीच पारस्परिक क्रियाओं का अध्ययन है। पर्यावरणीय विज्ञान पर्यावरणीय व्यवस्था के अध्ययन के लिए समन्वित, परिमाणात्मक और अन्तरविषयक दृष्टिकोण उपलब्ध कराता है। पर्यावरणीय वैज्ञानिक पर्यावरण की गुणवत्ता की निगरानी करते हैं, स्थलीय और जलीय पारिस्थितिकी व्यवस्था पर मानवीय कृत्यों की व्याख्या करते हैं तथा पारिस्थतिकी व्यवस्था की बहाली के लिए रणनीतियां तैयार करते हैं। इसके अलावा पर्यावरणीय वैज्ञानिक योजनाकारों की ऐसे भवनों, परिवहन कोरिडोरों तथा उपयोगिताओं के विकास तथा निर्माण में सहायता करते हैं जिनसे जल संसाधनों की रक्षा हो सके तथा भूमि का सदुपयोग हो सके। .

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पल्लव राजवंश

पल्लव राजवंश प्राचीन दक्षिण भारत का एक राजवंश था। चौथी शताब्दी में इसने कांचीपुरम में राज्य स्थापित किया और लगभग ६०० वर्ष तमिल और तेलुगु क्षेत्र में राज्य किया। बोधिधर्म इसी राजवंश का था जिसने ध्यान योग को चीन में फैलाया। यह राजा अपने आप को क्षत्रिय मानते थे। .

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पशु चिकित्सा विज्ञान

एक गधे के घाव को साफ करने का तरीका सिखाते हुए पशु-तकनीशियन पशु-चिकित्सा-विज्ञान (Veterinary medicine) में मनुष्येतर जीवों की शरीररचना (anatomy), शरीरक्रिया (physiology), विकृतिविज्ञान (pathology), भेषज (medicine) तथा शल्यकर्म (surgery) का अध्ययन होता है। पशुपालन शब्द से साधारणतया स्वस्थ पशुओं के वैज्ञानिक ढंग से आहार, पोषण, प्रजनन, एवं प्रबंध का बोध होता है। पाश्चात्य देशों में पशुपालन एवं पशुचिकित्सा दोनों भिन्न-भिन्न माने गए हैं पर भारत में ये दोनों एक दूसरे के सूचक समझे जाते हैं। .

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पशुधन

घरेलू भेड़ और एक गाय (बछिया) दक्षिण अफ्रीका में एक साथ चराई करते हुए एक या अधिक पशुओं के समूह को, जिन्हें कृषि सम्बन्धी परिवेश में भोजन, रेशे तथा श्रम आदि सामग्रियां प्राप्त करने के लिए पालतू बनाया जाता है, पशुधन के नाम से जाना जाता है। शब्द पशुधन, जैसा कि इस लेख में प्रयोग किया गया है, में मुर्गी पालन तथा मछली पालन सम्मिलित नहीं है; हालांकि इन्हें, विशेष रूप से मुर्गीपालन को, साधारण रूप से पशुधन में सम्मिलित किया जाता हैं। पशुधन आम तौर पर जीविका अथवा लाभ के लिए पाले जाते हैं। पशुओं को पालना (पशु-पालन) आधुनिक कृषि का एक महत्वपूर्ण भाग है। पशुपालन कई सभ्यताओं में किया जाता रहा है, यह शिकारी-संग्राहक से कृषि की ओर जीवनशैली के अवस्थांतर को दर्शाता है। .

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पारिभाषिक शब्दावली

पारिभाषिक शब्दावली या परिभाषा कोश, "ग्लासरी" (glossary) का प्रतिशब्द है। "ग्लासरी" मूलत: "ग्लॉस" शब्द से बना है। "ग्लॉस" ग्रीक भाषा का glossa है जिसका प्रारंभिक अर्थ "वाणी" था। बाद में यह "भाषा" या "बोली" का वाचक हो गया। आगे चलकर इसमें और भी अर्थपरिवर्तन हुए और इसका प्रयोग किसी भी प्रकार के शब्द (पारिभाषिक, सामान्य, क्षेत्रीय, प्राचीन, अप्रचलित आदि) के लिए होने लगा। ऐसे शब्दों का संग्रह ही "ग्लॉसरी" या "परिभाषा कोश" है। ज्ञान की किसी विशेष विधा (कार्य क्षेत्र) में प्रयोग किये जाने वाले शब्दों की उनकी परिभाषा सहित सूची पारिभाषिक शब्दावली (glossary) या पारिभाषिक शब्दकोश कहलाती है। उदाहरण के लिये गणित के अध्ययन में आने वाले शब्दों एवं उनकी परिभाषा को गणित की पारिभाषिक शब्दावली कहते हैं। पारिभाषिक शब्दों का प्रयोग जटिल विचारों की अभिव्यक्ति को सुचारु बनाता है। महावीराचार्य ने गणितसारसंग्रहः के 'संज्ञाधिकारः' नामक प्रथम अध्याय में कहा है- इसके बाद उन्होने लम्बाई, क्षेत्रफल, आयतन, समय, सोना, चाँदी एवं अन्य धातुओं के मापन की इकाइयों के नाम और उनकी परिभाषा (परिमाण) दिया है। इसके बाद गणितीय संक्रियाओं के नाम और परिभाषा दी है तथा अन्य गणितीय परिभाषाएँ दी है। द्विभाषिक शब्दावली में एक भाषा के शब्दों का दूसरी भाषा में समानार्थक शब्द दिया जाता है व उस शब्द की परिभाषा भी की जाती है। अर्थ की दृष्टि से किसी भाषा की शब्दावली दो प्रकार की होती है- सामान्य शब्दावली और पारिभाषिक शब्दावली। ऐसे शब्द जो किसी विशेष ज्ञान के क्षेत्र में एक निश्चित अर्थ में प्रयुक्त होते हैं, वह पारिभाषिक शब्द होते हैं और जो शब्द एक निश्चित अर्थ में प्रयुक्त नहीं होते वह सामान्य शब्द होते हैं। प्रसिद्ध विद्वान आचार्य रघुवीर बड़े ही सरल शब्दों में पारिभाषिक और साधारण शब्दों का अन्तर स्पष्ट करते हुए कहते हैं- पारिभाषिक शब्दों को स्पष्ट करने के लिए अनेक विद्वानों ने अनेक प्रकार से परिभाषाएं निश्चित करने का प्रयत्न किया है। डॉ॰ रघुवीर सिंह के अनुसार - डॉ॰ भोलानाथ तिवारी 'अनुवाद' के सम्पादकीय में इसे और स्पष्ट करते हुए कहते हैं- .

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पक्षीविज्ञान

पक्षी की आकृति का विधिवत मापन बहुत महत्व रखता है। पक्षीविज्ञान (Ornithology) जीवविज्ञान की एक शाखा है। इसके अंतर्गत पक्षियों की बाह्य और अंतररचना का वर्णन, उनका वर्गीकरण, विस्तार एवं विकास, उनकी दिनचर्या और मानव के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष आर्थिक उपयोगिता इत्यादि से संबंधित विषय आते हैं। पक्षियों की दिनचर्या के अंतर्गत उनके आहार-विहार, प्रव्रजन, या एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में स्थानांतरण, अनुरंजन (courtship), नीड़ निर्माण, मैथुन, प्रजनन, संतान का लालन पालन इत्यादि का वर्णन आता है। आधुनिक फोटोग्राफी द्वारा पक्षियों की दिनचर्याओं के अध्ययन में बड़ी सहायता मिली है। पक्षियों की बोली के फोनोग्राफ रेकार्ड भी अब तैयार कर लिए गए हैं। .

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प्रतिफल (अर्थशास्त्र)

1000 डालर के पूंजीनिवेश पर 10 वर्ष तक 20% वार्षिक चक्रवृद्धि ब्याज की दर से मिलने वाले प्रतिफल का ग्राफीय चित्रण अर्थशास्त्र के संदर्भ में उत्पादन के घटकों के आपूर्तिकर्ताओं को वापस मिलने वाला धन प्रतिफल (Returns) कहलाता है। उदाहरण के लिये यदि कोई किसी उद्योग में पूंजी लगाता है तो उस पूंजी के एवज में मिलने वाला धन उस पूंजीनिवेश का प्रतिफल है। .

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प्रतिमोच्यता

प्रतिमोच्यता (Fungibility, फ़ंजिबिलिटी) किसी ऐसे प्रकार के माल या जिन्स जिसकी इकाईयाँ एक-दूसरे से सरलता से बदली जा सकें। उदाहरण के लिये एक किलो लोहा की एक इकाई किसी भी अन्य एक किलो लोहे के लगभग बराबर ही मानी जा सकती है। तेल, गेंहू, दस रुपये के नोट, इत्यादि ऐसी अन्य प्रतिमोच्य चीज़ों के उदाहरण हैं। .

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प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र

प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र (Managerial economics) अर्थशास्त्र की एक विशिष्ट शाखा है विवेकपूर्ण प्रबन्धकीय निर्णयों में सहायक होता है। यह आर्थिक सिद्धान्तों एवं व्यावसायिक व्यवहारों का ऐसा एकीकरण है जो प्रबन्धकों को निर्णय लेने और भावी योजनाऐं बनाने में सुविधा प्रदान करता है। इसे 'व्यावसायिक अर्थशास्त्र' या 'फर्मों का अर्थशास्त्र' भी कहा जाता है। प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र उन आर्थिक सिद्धान्तों, प्रविधियों एवं तर्कों का अध्ययन है जिनका उपयोग व्यवसाय की व्यावहारिक समस्याओं के हल के लिए किया जाता है। अतः प्रबंधकीय अर्थशास्त्र, आर्थिक विज्ञान का वह भाग है जिसका व्यवसाय-जगत की समस्याओं के विश्लेषण तथा विवेकपूर्ण व्यावसायिक निर्णय लेने में उपयोग किया जाता है। R आधुनिक विश्व की बढ़ती जटिलताओं और विषम आर्थिक समस्याओं के समाधान में अर्थशास्त्र के निरपेक्ष सिद्धान्तों का व्यावहारिक प्रयोग निरन्तर लोकप्रिय होता जा रहा है। जहां पहले व्यावसायिक क्षेत्रों में प्रबन्धकीय समस्याओं के विश्लेषण और समाधान में आर्थिक सिद्धान्तों का प्रयोग सीमित था वहां अब अर्थशास्त्र की नवीन अवधारणाओं, वैज्ञानिक विधियों और आर्थिक विश्लेषण की गणितीय पद्धतियों के विकास से प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र का जन्म हुआ है। प्रबन्धकों को व्यावसायिक जटिल समस्याओं के समाधान का व्यावहारिक हल प्रदान कर उनकी आशाओं और आकांक्षाओं की पूर्ति करता है। आर्थिक सिद्धान्त दो या दो से अधिक आर्थिक चरों के फलनात्मक सम्बन्ध व्यक्त करतें है, जो कुछ दी हुई शर्तों पर आधारित होते हैं। व्यवसाय की समस्याओं में व्यावसायिक निर्णयन में सम्बन्धित आर्थिक सिद्धान्तों का उपयोग तीन प्रकार से सहायता करते हैं -.

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प्रमाणित वित्तीय नियोजक (सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर)

प्रमाणित वित्तीय नियोजक (CFP) पद, वित्तीय नियोजकों के लिए एक पेशेवर प्रमाणपत्र है जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका में सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर बोर्ड ऑफ स्टेंडर्ड्स इंक (CFP बोर्ड); कनाडा में फाइनेंशियल प्लानर्स स्टेंडर्ड्स काउंसिल; और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाहर CFP प्रमाणन प्रदान करने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल प्लानिंग स्टेंडर्ड्स बोर्ड (FPSB) से संबद्ध 18 अन्य संगठनों द्वारा प्रदान किया जाता है। पद को उपयोग करने का अधिकार प्राप्त करने के लिए उम्मीदवार को शिक्षा, परीक्षण, अनुभव और नैतिक आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ-साथ प्रमाणन शुल्क का भुगतान भी करना होता है।.

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प्रेयोक्ति

एक प्रेयोक्ति का अर्थ होता है, सुननेवाले को रुष्ट करने वाली या कोई अप्रिय अर्थ देने वाली अभिव्यक्ति को एक रुचिकर या कम अपमानजनक अभिव्यक्ति के साथ प्रतिस्थापित करना, या कहने वाले के लिए उसे कम कष्टकर बनाना, जैसा की द्विअर्थी के मामले में होता है। प्रेयोक्ति का परिनियोजन राजनीतिक विशुद्धता के सार्वजनिक उपयोग में केंद्रीय पहलू है। यह किसी वस्तु या किसी व्यक्ति के वर्णन को भी प्रतिस्थापित कर सकता है ताकि गोपनीय, पवित्र, या धार्मिक नामों को अयोग्य के समक्ष ज़ाहिर करने से बचा जा सके, या किसी वार्ता के विषय की पहचान को किसी संभावित प्रच्छ्न्न श्रोता से गुप्त रखा जा सके.

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पूरनचंद जोशी

पूरनचंद जोशी (जन्म: १ मार्च १९२८) भारत के एक जाने-माने समाजशास्त्री, अर्थशास्त्री और हिन्दी साहित्यकार हैं। उन्होंने भारतीय समाज की समस्याओं, उसके चरित्र एवं उसकी गतिविधियों का आर्थिक दृष्टिकोण से गहन अध्ययन किया है, भारतीय समाज एवं भारतीय अर्थ-व्यवस्था के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण कर प्रस्तुत किए गए उनके निष्कर्ष अत्यंत विचारपूर्ण हैं। जोशी जी की गणना हम उन गिने-चुने समाज वैज्ञानिकों में कर सकते हैं जो समाज की समस्याओं पर विचार करते समय केवल सैद्धान्तिक ज्ञान को ही आधार नहीं बनाते, वरन् व्यावहारिक अनुभव से सम्पृक्त करके अपने अध्ययनों के निष्कर्ष प्रस्तावित करते हैं। .

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पॉल क्रूगमैन

पॉल क्रूगमैन पॉल क्रूगमैन अमेरिका के प्रिन्सटन विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र और अंतरराष्ट्रीय मामलों के प्रोफेसर हैं। वे न्यूयॉर्क टाइम्स अख़बार में नियमित कॉलम भी लिखते हैं। उन्हें अर्थशास्त्र के क्षेत्र में वर्ष २००८ के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया हैं। इस पुरस्कार में १४ लाख डालर की राशि दी जाती है। इस पुरस्कार की शुरुआत मूल नोबेल पुरस्कारों से काफी बाद में १९६० में की गई थी और इसे आर्थिक जगत में स्विरिज्स रिक्सबैंक प्राइज के नाम से जाना जाता है। नोबेल पुरस्कार समिति के निर्णायक मंडल के सदस्यों का कहना है कि मुक्त व्यापार, भूमंडलीकरण के प्रभावों और दुनिया में शहरीकरण के पीछे काम कर रही शक्तियों के विश्लेषण में क्रूगमैन का दिया सिद्धांत कारगर है। अकादमी ने अपनी प्रशस्ति में कहा, "इस तरह से उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और आर्थिक भूगोल जैसे विषयों को एक साथ विश्लेषित किया है।" श्रेणी:अमेरीका के अर्थशास्त्री श्रेणी:व्यक्तिगत जीवन.

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फ़्रैंकफ़र्ट

फ्रैंकफर्ट ऐम माइन,, जर्मन राज्य हेस का सबसे बड़ा शहर और जर्मनी का पांचवाँ सबसे बड़ा शहर है। इसे प्रायः केवल फ्रैंकफर्ट के नाम से जाना जाता है। इसकी जनसंख्या 2009 में 667,330 थी। 2010 में शहरी क्षेत्र में 2,296,000 आबादी का अनुमान लगाया गया था। यह शहर फ्रैंकफर्ट-राइन-मैन मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र के हृदयस्थल में है, जिसकी आबाद 5,600,000 है, और जर्मनी का दूसरा सबसे बड़ा मेट्रॅपॉलिटन क्षेत्र है। यह शहर मेन नदी के तट पर पुराने घाट पर अवस्थित है। जर्मन भाषा में मेन नदी को "फर्ट" कहते है। फ्रैंकफर्ट प्राचीन फ्रैंकोनिया का हिस्सा है, जो कि प्राचीन फ्रैंकों का निवास स्थल था। इसलिए फ्रैंको के घाट के रूप में इनकी विरासत के कारण शहर का नाम पड़ा.

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फिन केडलांड

फिन एर्लिंग केडलांड (Finn Erling Kydland; जन्म 1 दिसम्बर 1943) नॉर्वे के अर्थशास्त्री हैं। वो कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सांता बारबरा में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं। उन्हें अर्थशास्त्र में एडवर्ड सी प्रेस्कॉट के साथ नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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फ्रेडरिक एंगेल्स

फ्रेडरिक एंगेल्स (२८ नवंबर, १८२० – ५ अगस्त, १८९५ एक जर्मन समाजशास्त्री एवं दार्शनिक थे1 एंगेल्स और उनके साथी साथी कार्ल मार्क्स मार्क्सवाद के सिद्धांत के प्रतिपादन का श्रेय प्राप्त है। एंगेल्स ने 1845 में इंग्लैंड के मजदूर वर्ग की स्थिति पर द कंडीशन ऑफ वर्किंग क्लास इन इंग्लैंड नामक पुस्तक लिखी। उन्होंने मार्क्स के साथ मिलकर 1848 में कम्युनिस्ट घोषणापत्र की रचना की और बाद में अभूतपूर्व पुस्तक "पूंजी" दास कैपिटल को लिखने के लिये मार्क्स की आर्थिक तौर पर मदद की। मार्क्स की मौत हो जाने के बाद एंगेल्स ने पूंजी के दूसरे और तीसरे खंड का संपादन भी किया। एंगेल्स ने अतिरिक्त पूंजी के नियम पर मार्क्स के लेखों को जमा करने की जिम्मेदारी भी बखूबी निभाई और अंत में इसे पूंजी के चौथे खंड के तौर पर प्रकाशित किया गया। .

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बसरा विश्वविद्यालय

बसरा विश्वविद्यालय (अरबी: جامعة البصرة जामीत अल बसरा) इराक के बसरा शहर में स्थित है। दक्षिणी इराक की जरूरतों को पूरा करने के लिए 1964 में स्थापित, बसरा विश्वविद्यालय पहले बगदाद विश्वविद्यालय से संबद्ध था, लेकिन 1964 में यह एक स्वतंत्र निकाय बन गया। आज विश्वविद्यालय में बसरा शहर के आसपास तीन परिसरों में स्थित चौदह कॉलेज शामिल हैं, जिसमें अनुसंधान सुविधाओं और निवास के छात्र हॉल (छात्रावास) हैं। विश्वविद्यालय बीए, बीएससी, उच्चतर डिप्लोमा, एमए, एमएससी और पीएचडी की डिग्री प्रदान करता है। .

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बार्सिलोना

बार्सिलोना स्पेन का एक खुबसूरत शहर है। यह स्पेन में कॅटालोनिया के स्वायत्त समुदाय की राजधानी है और स्पेन का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला शहर है, प्रशासनिक सीमाओं के भीतर जिसकी आबादी 1.6 मिलियन है। बार्सिलोना दुनिया की के अग्रणी पर्यटन, आर्थिक, व्यापार मेला और सांस्कृतिक केंद्रों में से एक है, और वाणिज्य, शिक्षा, मनोरंजन, मीडिया, फैशन, विज्ञान, कला में इसका प्रभाव व योगदान इसे दुनिया के प्रमुख वैश्विक शहरों में से एक बनाता है। .

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बाज़ार विफलता

अर्थशास्त्र में बाज़ार विफलता (market failure) ऐसी स्थिति को कहते हैं जहाँ लेन-देन में आर्थिक दक्षता न हो। ऐसी स्थिति में यह सम्भव होता है कि किसी लेन-देन में एक पक्ष का लाभ - बिना किसी अन्य पक्ष को हानि हुए - बढ़ सकता है लेकिन बढ़ता नहीं है।Steven G. Medema (2007).

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बाज़ार क्षेत्र

बाज़ार विभाजन अर्थशास्त्र और विपणन की एक अवधारणा है। बाज़ार क्षेत्र, बाज़ार का एक उप खंड है, जो ऐसे लोगों या संगठनों से मिल कर बना है, जो एक या अधिक लक्षण साझा करते हैं, जो समरूप उत्पाद और/या मूल्य या कार्य जैसे उन उत्पादों के गुणों पर आधारित सेवाओं की मांग का कारण बनते हैं। एक सच्चा बाज़ार क्षेत्र निम्नांकित सभी मानदंडों को पूरा करता है: यह अन्य क्षेत्रों से अलग है (विभिन्न खंड़ों की विभिन्न ज़रूरतें होती हैं), यह खंड के भीतर सजातीय है (आम जरूरतें दर्शाता है); यह बाज़ार प्रोत्साहन के प्रति एकसमान प्रतिक्रिया करता है और बाज़ार हस्तक्षेप के ज़रिए इस तक पहुंचा जा सकता है। इस शब्द का इस्तेमाल तब भी किया जाता है, जब समान उत्पाद और/या सेवा वाले उपभोक्ताओं को समूहों में बांटा जाता है ताकि उनसे अलग राशियां प्राप्त की जाएं.

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बिली अर्जन सिंह

कुँवर बिली अर्जन सिंह (१५ अगस्त १९१७ – १ जनवरी २०१०) विश्वप्रसिद्ध बाघ सरंक्षक एंव पर्यावरणविद् थे। दुधवा नेशनल पार्क के संस्थापक, बाघ एंव तेन्दुओं के पुनर्वासन कार्यक्रम के जनक बिली जीवन पर्यन्त खीरी जनपद के जंगलों के सरंक्षण व सवंर्धन में संघर्षरत रहे। ब्रिटिश-इंडिया में उत्तर-खीरी वन-प्रभाग के समीप सुहेली नदी पर निवास बनाकर वन्य जीवों की सुरक्षा में शिकारियों एंव भ्रष्ट सरकारी तन्त्र से लड़ाइया लड़ते रहे। वन्य जीवन के क्षेत्र में पूरी दुनिया में इनके प्रयोगों की चर्चा रही और आज के बाघ सरंक्षक इनके कार्यों से प्रेरणा लेते आ रहे हैं। .

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ब्लेज़ पास्कल

ब्लेज़ पास्कल (फ्रांसीसी: Blaise Pascal), (19 जून १६२३, क्लेरमों-फर्रां – १९ अगस्त १६६२, पैरिस) फ्रांसीसी गणितज्ञ, भौतिकज्ञ और धार्मिक दार्शनिक थे। पास्कल ने व्यावहारिक विज्ञान पर काम करते हुए मशीनी गणक बनाए, द्रव्यों के गुणों को समझा और टॉरिसैली के काम को आगे बढ़ाते हुए दबाव और निर्वात की अवधारणाओं को स्पष्ट किया। इन्होंने वैज्ञानिक विधि के समर्थन में भी लेख लिखे। साथ ही धार्मिक दर्शन में भी इनकी कृतियों ने बहुत असर छोड़ा। ३ वर्ष की आयु में इनकी माँ चल बसीं और इन्हें इनके पिता ने ही पाला-पोसा। ये बचपन से ही बहुत मेधावी थे। इनकी प्रतिभा को देखकर इनके पिता ने इन्हें स्वयं पढ़ाने-लिखाने का निर्णय लिया। बारह वर्ष की आयु से ये प्रसिद्ध गणितज्ञों की सभाओं में बैठने लगे। पास्कल बहुत माने हुए गणितज्ञ थे। इन्होंने वैज्ञानिक शोध के दो मुख्य क्षेत्रों में सर्वप्रथम कार्य शुरु किया- प्रक्षेपण ज्यामिति, जिस पर इन्होंने १६ साल की आयु में आलेख लिखा और संभाव्यता सिद्धान्त, जिसपर आधुनिक अर्थशास्त्र और समाज विज्ञान आधारित हैं। गैलीलियो और टॉरिसैली की तरह ही इन्होंने अरस्तू के कथन "प्रकृति को निर्वात से घृणा है" का जमकर विरोध किया। इनके कई निष्कर्षों पर बहुत समय विवाद हुआ, लेकिन अन्त में स्वीकार कर लिए गए। १६४२ में इन्होंने अपने पिता का गणना का काम आसान करने के लिए एक मशीनी गणक बनाया, जिसे आज "पास्कल गणक" कहा जाता है। द्रव्य विज्ञान के जरिये इन्होंने हाइड्रॉलिक प्रेस और सिरिंज का आविष्कार किया। १६४६ में इन्होंने अपनी बहन के साथ कैथोलिक संप्रदाय की जैन्सनवाद धारा को अपना लिया। इनके पिता १६५१ में चल बसे। १६५४ में एक आध्यात्मिक अनुभूति हुई, जिसके बाद इन्होंने वैज्ञानिक शोध छोड़कर अपना ध्यान धर्मशास्त्र और दर्शन में लगाना शुरु किया। इनकी दो सबसे प्रसिद्ध कृतियाँ इस काल की हैं। लैथ्र प्रोविन्सियाल (Lettres provinciales, प्रांतीय पत्र) में पास्कल ने पाप के प्रति कैथोलिक चर्च के नरम रुख की जमकर निन्दा की। इन पत्रों की शैली से वॉल्टेयर और ज़ां ज़ाक रूसो जैसे लेखक प्रभावित हुए। प्रकाशन के शीघ्र बाद ही इस पर चर्च ने प्रतिबन्ध लगा दिया, लेकिन फिर पोप एलेक्सैण्डर ने इसमें दिये तर्कों को माना और खुद चर्च के नरम रुख की निन्दा की। दूसरी रचना थी पौंसे (Pensées, विचार), जिसे इनकी मृत्यु के पश्चात इनके बिखरे कागज़ों को इकट्ठा करके प्रकाशित किया गया। इस रचना में इन्होंने कई दार्शनिक विरोधाभासों पर विचार किया-असीमता और शून्यता, विश्वास और तर्क, आत्मा और पदार्थ, मृत्यु और जीवन, उद्देश्य और अभिमान-और अन्त में ऐसा प्रतीत होता है कि ये किसी ठोस परिणाम पर नहीं पहुँचते, बस नम्रता, अज्ञानता और कृपा को मिलाते हुए एक दार्शनिक निष्कर्ष निकालते हैं, जिसे आजकल "पास्कल का दांव" कहा जाता है। इसी दौरान इन्होंने त्रिकोणों के अंकगणित पर और ठोस वस्तुओं का घनफल निकालने के लिए चक्रज के उपयोग पर भी प्रपत्र लिखे। १८ साल की उम्र से ही पास्कल की सेहत खराब रहने लगी थी और ३९ वर्ष की आयु में इनकी मृत्यु हो गई। दबाव की SI इकाई एवं एक कम्प्यूटर भाषा का नाम इनके सम्मान में पास्कल रखा गया है। .

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बैंक

जर्मनी के फ्रैंकफुर्त में डश-बैंक बैंक (Bank) उस वित्तीय संस्था को कहते हैं जो जनता से धनराशि जमा करने तथा जनता को ऋण देने का काम करती है। लोग अपनी अपनी बचत राशि को सुरक्षा की दृष्टि से अथवा ब्याज कमाने के हेतु इन संस्थाओं में जमा करते और आवश्यकतानुसार समय समय पर निकालते रहते हैं। बैंक इस प्रकार जमा से प्राप्त राशि को व्यापारियों एवं व्यवसायियों को ऋण देकर ब्याज कमाते हैं। आर्थिक आयोजन के वर्तमान युग में कृषि, उद्योग एवं व्यापार के विकास के लिए बैंक एवं बैंकिंग व्यवस्था एक अनिवार्य आवश्यकता मानी जाती है। राशि जमा रखने तथा ऋण प्रदान करने के अतिरिक्त बैंक अन्य काम भी करते हैं जैसे, सुरक्षा के लिए लोगों से उनके आभूषणादि बहुमूल्य वस्तुएँ जमा रखना, अपने ग्राहकों के लिए उनके चेकों का संग्रहण करना, व्यापारिक बिलों की कटौती करना, एजेंसी का काम करना, गुप्त रीति से ग्राहकों की आर्थिक स्थिति की जानकारी लेना देना। अत: बैंक केवल मुद्रा का लेन देन ही नहीं करते वरन् साख का व्यवहार भी करते हैं। इसीलिए बैंक को साख का सृजनकर्ता भी कहा जाता है। बैंक देश की बिखरी और निठल्ली संपत्ति को केंद्रित करके देश में उत्पादन के कार्यों में लगाते हैं जिससे पूँजी निर्माण को प्रोत्साहन मिलता है और उत्पादन की प्रगति में सहायता मिलती है। भारतीय बैंकिग कंपनी कानून, १९४९ के अंतर्गत बैंक की परिभाषा निम्न शब्दों में दी गई हैं: एक ही बैंक के लिए व्यापार, वाणिज्य, उद्योग तथा कृषि की समुचित वित्तव्यवस्था करना असंभव नहीं तो कठिन अवश्य होता है। अतएव विशिष्ट कार्यों के लिए अलग अलग बैंक स्थापित किए जाते हैं जैसे व्यापारिक बैंक, कृषि बैंक, औद्योगिक बैंक, विदेशी विनिमय बैंक तथा बचत बैंक। इन सब प्रकार के बैंकों को नियमपूर्वक चलाने तथा उनमें पारस्परिक तालमेल बनाए रखने के लिए केंद्रीय बैंक होता है जो देश भर की बैंकिंग व्यवस्था का संचालन करता है। समय के साथ कई अन्य वित्तीय गतिविधियाँ जुड़ गईं। उदाहरण के लिए बैंक वित्तीय बाजारों में महत्वपूर्ण खिलाडी हैं और निवेश फंड जैसे वित्तीय सेवाओं की पेशकश कर रहे हैं। कुछ देशों (जैसे जर्मनी) में बैंक औद्योगिक निगमों के प्राथमिक मालिक हैं, जबकि अन्य देशों (जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका) में बैंक गैर वित्तीय कंपनियों स्वक्मित्व से निषिद्ध रहे हैं। जापान में बैंक को आमतौर पर पार शेयर होल्डिंग इकाई (ज़ाइबत्सू) के रूप में पहचाना जाता है। फ़्रांस में अधिकांश बैंक अपने ग्राहकों को बिमा सेवा प्रदान करते हैं। .

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बूर्जुआ

साम्यवाद विचारधारा के संस्थापक कार्ल मार्क्स ने समाज में बूर्ज़वाज़ी वर्ग की भूमिका पर बहुत लिखा बूर्जुआ (Bourgeoisie) समाजशास्त्र, राजनीति और अर्थशास्त्र में मध्य वर्ग से अधिक धनवान श्रेणी को कहा जाता है और इस शब्द का प्रयोग बाएँ की राजनीति के सन्दर्भ में अधिक होता है। यह मूल रूप से फ़्रांसीसी भाषा का शब्द है। यूरोप में १८वीं सदी में इस वर्ग को पूँजीपति और पूँजी से सम्बंधित संस्कृति पर नियंत्रण रखने वाला समझा जाता था। .

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बे्रन्डा बुत्तनर

बे्रन्डा बुत्तनर (22 मई, 1961 – 20 फरवरी, 2017) एक वरिष्ठ व्यापार संवाददाता और बैल और भालू, फॉक्स समाचार चैनल पर मेजबान थीं । वह अक्सर यॉर वर्ल्ड विद नील कावुतो में भी  आती थीं।  बुत्तनर का जन्म सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया में हुआ। उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से 1983 में एक स्नातक की डिग्री, सामाजिक अध्ययन में  स्नातक किया। उसके बाद उन्होंने रोड्स विद्वान की तरह बल्लीओल कॉलेज, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय, इंग्लैंड में दो साल गुजारे, जहां पर उन्होंने उच्च सम्मान के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की और एक बी. ए., राजनीति और अर्थशास्त्र में प्राप्त की।  अपनी पढ़ाई ऑक्सफोर्ड में पूरी करने के बाद, बुत्तनर रेनो, नेवादा में रहने के लिए चली गयीं, जहां उन्होंने अपना टीवी कैरियर, एनबीसी सहबद्ध KCRL-टीवी पर शुरू करा।  वह चक्र विश्व पत्रिका, एक उत्साही मोटर साइकिल प्रकाशन, में एक पूर्व फीचर संपादक थीं।  फॉक्स समाचार से पहले, बुत्तनर ने सीएनबीसी का पैसे क्लब  में मेज़बानी की हैऔर एक वाशिंगटन संवाददाता के रूप में 1990 से 1993 और सामान्य संवाददाता 1995 से 1998 केबल आउटलेट के लिए सेवा की है। उन्हें अपने काम के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें एक केबल इक्का पुरस्कार 1996 में सबसे अच्छा व्यापार प्रोग्रामिंग (द मनीक्लब)  के लिए , और एक राष्ट्रीय बिगुल पुरस्कार 1990 में सबसे अच्छा समाचार कहानी के लिए, भी शामिल हैं। इसके अलावा, उनके व्यक्तिगत वित्त में लिखे लेख लोकप्रिय प्रकाशनों जैस द न्यूयॉर्क टाइम्स और देवियों होम जर्नल  में प्रकाशित किये गए हैं। वह रिजवुड, न्यू जर्सी की निवासी थीं। उनकी 55 साल की उम्र में 20 फरवरी 2017 को, कैंसर से मृत्यू हुई। .

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भट्टी

मफिल भट्टी आधुनिक औद्योगिक भट्टी का योजनामूलक चित्र ऐसी युक्तियों को भट्ठी (furnace) कहते हैं जो किसी वस्तु को गरम करने के काम आती है। सबसे पुरानी भट्ठी बालाकोट नामक स्थान से खुदाई में मिली है जो सिन्धु घाटी की सभ्यता का एक स्थान है। सम्भवत: इस भट्ठी का उपयोग सिरैमिक वस्तुओं के निर्माण में होता था। .

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भार वृद्धि

वजन बढ़ाने के एक उत्पाद के लिए 1895 का एक विज्ञापन शरीर के वजन में बढ़ोतरी को वजन वृद्धि कहते हैं। यह, या तो मांसपेशियों में बढ़ोतरी और वसा के एकत्रीकरण से हो सकता है या फिर अतिरिक्त तरल पदार्थ जैसे पानी के कारण हो सकता है। .

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भारत का योजना आयोग

भारत का योजना आयोग, भारत सरकार की एक संस्था थी जिसका प्रमुख कार्य पंचवर्षीय योजनायें बनाना था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में अपने पहले स्वतंत्र दिवस के भाषण में यह कहा कि उनका इरादा योजना कमीशन को भंग करना है। 2014 में इस संस्था का नाम बदलकर नीति आयोग (राष्‍ट्रीय भारत परिवर्तन संस्‍थान) किया गया। भारत में योजना आयोग के संबंध में कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है। 15 मार्च 1950 को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा पारित प्रस्ताव के द्वारा योजना की स्थापना की गई थी। योजना आयोग का अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है। 17 अगस्त 2014 को योजना आयोग खत्म कर दिया गया और इसके जगह पर नीति आयोग का गठन हुआ। नीति आयोग भारत सरकार की एक थिंक टैंक है। योजना आयोग का हेड क्वार्टर योजना भवन के नाम से जाना जाता था। यह नई दिल्ली में है। इसके अतिरिक्त इसके अन्य कार्य हैं: -.

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भारतीय राजनय का इतिहास

यद्यपि भारत का यह दुर्भाग्य रहा है कि वह एक छत्र शासक के अन्तर्गत न रहकर विभिन्न छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित रहा था तथापि राजनय के उद्भव और विकास की दृष्टि से यह स्थिति अपना विशिष्ट मूल्य रखती है। यह दुर्भाग्य उस समय और भी बढ़ा जब इन राज्यों में मित्रता और एकता न रहकर आपसी कलह और मतभेद बढ़ते रहे। बाद में कुछ बड़े साम्राज्य भी अस्तित्व में आये। इनके बीच पारस्परिक सम्बन्ध थे। एक-दूसरे के साथ शांति, व्यापार, सम्मेलन और सूचना लाने ले जाने आदि कार्यों की पूर्ति के लिये राजा दूतों का उपयोग करते थे। साम, दान, भेद और दण्ड की नीति, षाडगुण्य नीति और मण्डल सिद्धान्त आदि इस बात के प्रमाण हैं कि इस समय तक राज्यों के बाह्य सम्बन्ध विकसित हो चुके थे। दूत इस समय राजा को युद्ध और संधियों की सहायता से अपने प्रभाव की वृद्धि करने में सहायता देते थे। भारत में राजनय का प्रयोग अति प्राचीन काल से चलता चला आ रहा है। वैदिक काल के राज्यों के पारस्परिक सम्बन्धों के बारे में हमारा ज्ञान सीमित है। महाकाव्य तथा पौराणिक गाथाओं में राजनयिक गतिविधियों के अनेकों उदाहरण मिलते हैं। प्राचीन भारतीय राजनयिक विचार का केन्द्र बिन्दु राजा होता था, अतः प्रायः सभी राजनीतिक विचारकों- कौटिल्य, मनु, अश्वघोष, बृहस्पति, भीष्म, विशाखदत्त आदि ने राजाओं के कर्तव्यों का वर्णन किया है। स्मृति में तो राजा के जीवन तथा उसका दिनचर्या के नियमों तक का भी वर्णन मिलता है। राजशास्त्र, नृपशास्त्र, राजविद्या, क्षत्रिय विद्या, दंड नीति, नीति शास्त्र तथा राजधर्म आदि शास्त्र, राज्य तथा राजा के सम्बन्ध में बोध कराते हैं। वेद, पुराण, रामायण, महाभारत, कामन्दक नीति शास्त्र, शुक्रनीति, आदि में राजनय से सम्बन्धित उपलब्ध विशेष विवरण आज के राजनीतिक सन्दर्भ में भी उपयोगी हैं। ऋग्वेद तथा अथर्ववेद राजा को अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिये जासूसी, चालाकी, छल-कपट और धोखा आदि के प्रयोग का परामर्श देते हैं। ऋग्वेद में सरमा, इन्द्र की दूती बनकर, पाणियों के पास जाती है। पौराणिक गाथाओं में नारद का दूत के रूप में कार्य करने का वर्णन है। यूनानी पृथ्वी के देवता 'हर्मेस' की भांति नारद वाक चाटुकारिता व चातुर्य के लिये प्रसिद्ध थे। वे स्वर्ग और पृथ्वी के मध्य एक-दूसरे राजाओं को सूचना लेने व देने का कार्य करते थे। वे एक चतुर राजदूत थे। इस प्रकार पुरातन काल से ही भारतीय राजनय का विशिष्ट स्थान रहा है। .

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भारतीय शिल्प

बीकानेर के जूनागढ़ दुर्ग के 'फूल महल' में स्थित एक झूला प्राचीन भारत से लेकर आधुनिक भारत के कालक्रम में शिल्पकार को बहुआयामी भूमिका का निर्वाह करने वाले व्यक्ति के रूप में देखा जा सकता है। शिल्पकार शिल्पवस्तुओं के निर्माता और विक्रेता के अलावा समाज में डिजाइनर, सर्जक, अन्वेषक और समस्याएं हल करने वाले व्यक्ति के रूप में भी कई भूमिकाएं निभाता है। अतः शिल्पकार केवल एक वस्तु निर्माता ही नहीं होता और शिल्पवस्तु (क्राफ्ट) केवल एक सुंदर वस्तु ही नहीं होती बल्कि इसका सृजन एक विशेष कार्य के लिए, ग्राहक की आवश्यकता को पूर्ण करने के लिए किया जाता है। वस्तुतः शिल्पकार एक समस्या समाधानकर्ता के रूप में कुशल भूमिका निभाता है (विशेषतः ग्रामीण भारत में)। उदाहरण के लिए, उपभोक्ता या ग्राहक शिल्पकार से कह सकते हैं कि वह एक ऐसा प्याला बनाये, जिसे वे आसानी से पकड़ सकें और उससे गर्म पेय पी सकें। इस संबंध में शिल्पकार कुम्हार कप के हैंडल को इस तरह से डिजाइन करेगा कि उसे आसानी से पकड़ा जा सके और कप को इस प्रकार का आकार देगा कि न तो वह बहुत भारी हो और न ही बहुत बड़ा। इस तरह स्पष्ट है कि ग्राहक शिल्पकार को एक समस्या को हल करने के लिए देता है कि वह गर्म पेय के लिए कप बनाये। शिल्पकार जिस जीवंतता (vividity) के साथ कार्य करता है, वह उसे एक सांस्कृतिक प्राणी और सौन्दर्योपासक (वस्तु की सुंदरता की उपासना एवं आराधना करने वाला) बना देती है। विभिन्न वस्तु एवं उत्पाद का निर्माण उसके लिए एक साधना हो जाती है। अपनी इसी साधना को इन्द्रधनुषी आभा प्रदान करने में वह लगा रहता है। गहराई से देखें तो शिल्पकार द्वारा निर्मित उत्पाद उपयोगिता, सौन्दर्य, अंतसंपर्कों को बढ़ावा देने का उपादान (Tool) होता है। शिल्पकार कुम्हार की विशिष्टता उत्पाद की कलाकारी और सजावट नहीं बल्कि ग्राहक की समस्याओं हेतु उपयुक्त एवं कल्पनाशील हल ढूँढने में शिल्पकार का कौशल है। ऐसे में ग्राहक की जिम्मेदारी भी बनती है कि वह शिल्पकार को प्रोत्साहित करे जिससे वह हर समय नयी और उत्साहजनक वस्तु का सृजन एवं उत्पादन करे। इस दृष्टि से ग्राहक और शिल्पकार के मध्य संबंध और उपयोगी अंतसंपर्क ही शिल्पकला के सर्वोत्तम विकास में सहायक है। .

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भारतीय वित्तीय प्रणाली

भारतीय मुद्रा किसी भी देश की वित्तीय प्रणाली वित्तीय बाजार, वित्तीय मध्यस्थता और वित्तीय साधनों या वित्तीय उत्पादों के होते हैं। यह पत्र वित्त और भारतीय वित्तीय प्रणाली और वित्तीय बाजार, वित्तीय मध्यस्थों और वित्तीय साधनों पर ध्यान केंद्रित का अर्थ पर चर्चा करता है। विभिन्न मुद्रा बाजारलिखतों पर संक्षिप्त समीक्षा भी इस अध्ययन में शामिल रहे हैं। शब्द 'वित्त' हमारी साधारण समझ में यह समकक्ष 'मनी' के रूप में माना जाता है। हम पैसे और अर्थशास्त्र में बैंकिंग के बारे में, मौद्रिक सिद्धांत और व्यवहार के बारे में और 'सार्वजनिक वित्त' के बारे में पढ़ें। लेकिन वित्त बिल्कुल पैसे नहीं है, यह एक विशेष गतिविधि के लिए धन उपलब्ध कराने का स्रोत है। इस प्रकार सार्वजनिक वित्त सरकार के साथ पैसे मतलब यह नहीं है, लेकिन यह एक सरकार के कार्यों और गतिविधियों के लिए राजस्व बढ़ाने के स्रोतों को संदर्भित करता है। यहाँ कुछ शब्द की परिभाषा का दोनों एक स्रोत के रूप में और के रूप में एक गतिविधि के एक संज्ञा और एक क्रिया के रूप में यानी वित्त'। .

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भारतीय इतिहास की समयरेखा

पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं भारत एक साझा इतिहास के भागीदार हैं इसलिए भारतीय इतिहास की इस समय रेखा में सम्पूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास की झलक है। .

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भास

भास संस्कृत साहित्य के प्रसिद्ध नाटककार थे जिनके जीवनकाल के बारे में अधिक पता नहीं है। स्वप्नवासवदत्ता उनके द्वारा लिखित सबसे चर्चित नाटक है जिसमें एक राजा के अपने रानी के प्रति अविरहनीय प्रेम और पुनर्मिलन की कहानी है। कालिदास जो गुप्तकालीन समझे जाते हैं, ने भास का नाम अपने नाटक में लिया है, जिससे लगता है कि वो गुप्तकाल से पहले रहे होंगे पर इससे भी उनके जीवनकाल का अधिक ठोस प्रमाण नहीं मिलता। आज कई नाटकों में उनका नाम लेखक के रूप में उल्लिखित है पर १९१२ में त्रिवेंद्रम में गणपति शास्त्री ने नाटकों की लेखन शैली में समानता देखकर उन्हें भास-लिखित बताया। इससे पहले भास का नाम संस्कृत नाटककार के रूप में विस्मृत हो गया था। .

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भावना

thumb भावना मूड, स्वभाव, व्यक्तित्व तथा ज़ज्बात और प्रेरणासे संबंधित है। अंग्रेजी शब्द 'emotion' की उत्पत्ति फ्रेंच शब्द émouvoir से हुई है। यह लैटिन शब्द emovere पर आधारित है जहां e- (ex - का प्रकार) का अर्थ है 'बाहर' और movere का अर्थ है 'चलना'.

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भूलाभाई देसाई

'''भूलाभाई देसाई''', साथ में हैं डॉ राजेन्द्र प्रसाद एवं जवाहरलाल नेहरू भूलाभाई देसाई भारत के प्रख्यात विधिवेत्ता, प्रमुख संसदीय नेता तथा महात्मा गांधी के विश्वस्त सहयोगी। आजाद हिंद फौज के सेनापति श्री शहनवाज, ढिल्लन तथा सहगल पर राजद्रोह के मुकदमें में सैनिकों का पक्षसमर्थन आपने जिस कुशलता तथा योग्यता से किया, उससे आपकी कीर्ति देश में ही नहीं, विदेश में भी फैल गई। .

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भूगोल

पृथ्वी का मानचित्र भूगोल (Geography) वह शास्त्र है जिसके द्वारा पृथ्वी के ऊपरी स्वरुप और उसके प्राकृतिक विभागों (जैसे पहाड़, महादेश, देश, नगर, नदी, समुद्र, झील, डमरुमध्य, उपत्यका, अधित्यका, वन आदि) का ज्ञान होता है। प्राकृतिक विज्ञानों के निष्कर्षों के बीच कार्य-कारण संबंध स्थापित करते हुए पृथ्वीतल की विभिन्नताओं का मानवीय दृष्टिकोण से अध्ययन ही भूगोल का सार तत्व है। पृथ्वी की सतह पर जो स्थान विशेष हैं उनकी समताओं तथा विषमताओं का कारण और उनका स्पष्टीकरण भूगोल का निजी क्षेत्र है। भूगोल शब्द दो शब्दों भू यानि पृथ्वी और गोल से मिलकर बना है। भूगोल एक ओर अन्य शृंखलाबद्ध विज्ञानों से प्राप्त ज्ञान का उपयोग उस सीमा तक करता है जहाँ तक वह घटनाओं और विश्लेषणों की समीक्षा तथा उनके संबंधों के यथासंभव समुचित समन्वय करने में सहायक होता है। दूसरी ओर अन्य विज्ञानों से प्राप्त जिस ज्ञान का उपयोग भूगोल करता है, उसमें अनेक व्युत्पत्तिक धारणाएँ एवं निर्धारित वर्गीकरण होते हैं। यदि ये धारणाएँ और वर्गीकरण भौगोलिक उद्देश्यों के लिये उपयोगी न हों, तो भूगोल को निजी व्युत्पत्तिक धारणाएँ तथा वर्गीकरण की प्रणाली विकसित करनी होती है। अत: भूगोल मानवीय ज्ञान की वृद्धि में तीन प्रकार से सहायक होता है: सर्वप्रथम प्राचीन यूनानी विद्वान इरैटोस्थनिज़ ने भूगोल को धरातल के एक विशिष्टविज्ञान के रूप में मान्यता दी। इसके बाद हिरोडोटस तथा रोमन विद्वान स्ट्रैबो तथा क्लाडियस टॉलमी ने भूगोल को सुनिइतिहासश्चित स्वरुप प्रदान किया। इस प्रकार भूगोल में 'कहाँ' 'कैसे 'कब' 'क्यों' व 'कितनें' प्रश्नों की उचित वयाख्या की जाती हैं। .

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भीमराव आम्बेडकर

भीमराव रामजी आम्बेडकर (१४ अप्रैल, १८९१ – ६ दिसंबर, १९५६) बाबासाहब आम्बेडकर के नाम से लोकप्रिय, भारतीय विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाजसुधारक थे। उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) के खिलाफ सामाजिक भेद भाव के विरुद्ध अभियान चलाया। श्रमिकों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री, भारतीय संविधान के प्रमुख वास्तुकार एवं भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे। आम्बेडकर विपुल प्रतिभा के छात्र थे। उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स दोनों ही विश्वविद्यालयों से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्राप्त की। उन्होंने विधि, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान के शोध कार्य में ख्याति प्राप्त की। जीवन के प्रारम्भिक करियर में वह अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे एवम वकालत की। बाद का जीवन राजनीतिक गतिविधियों में बीता; वह भारत की स्वतंत्रता के लिए प्रचार और बातचीत में शामिल हो गए, पत्रिकाओं को प्रकाशित करने, राजनीतिक अधिकारों की वकालत करने और दलितों के लिए सामाजिक स्वतंत्रता की वकालत और भारत की स्थापना में उनका महत्वपूर्ण योगदान था। 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया। 1990 में, उन्हें भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से मरणोपरांत सम्मानित किया गया था। आम्बेडकर की विरासत में लोकप्रिय संस्कृति में कई स्मारक और चित्रण शामिल हैं। .

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मत्स्योद्योग विज्ञान

मत्स्योद्योग विज्ञान (Fisheries science) मत्स्योद्योग संचालन, मापन व प्रबंधन के शास्त्र को कहते हैं। यह एक बहुमुखीय क्षेत्र है जिसमें सरोविज्ञान, समुद्र विज्ञान, समुद्री जीवविज्ञान, जैव संरक्षण, पारिस्थितिकी, अर्थशास्त्र और प्रबन्धन से सीखे ली जाती हैं। वर्तमानकाल में मत्स्योद्योग विज्ञान के भीतर कुछ नई शाखाओं ने जन्म लिया है, मसलन मत्स्योद्योग क़ानून और जैव-अर्थशास्त्र। .

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मधु कांकरिया

मधु कांकरिया हिन्दी साहित्य की प्रतिष्ठित लेखिका, कथाकार तथा उपन्यासकार हैं। उन्होंने बहुत सुन्दर यात्रा-वृत्तांत भी लिखे हैं। उनकी रचनाओं में विचार और संवेदना की नवीनता तथा समाज में व्याप्त अनेक ज्वलंत समस्याएें जैसे संस्कृति, महानगर की घुटन और असुरक्षा के बीच युवाओं में बढ़ती नशे की आदत, लालबत्ती इलाकों की पीड़ा नारी अभिव्यक्ति उनकी रचनाओं के विषय रहे हैं। .

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मनमोहन सिंह

मनमोहन सिंह (ਮਨਮੋਹਨ ਸਿੰਘ; जन्म: २६ सितंबर १९३२) भारत गणराज्य के १३वें प्रधानमन्त्री थे। साथ ही साथ वे एक अर्थशास्त्री भी हैं। लोकसभा चुनाव २००९ में मिली जीत के बाद वे जवाहरलाल नेहरू के बाद भारत के पहले ऐसे प्रधानमन्त्री बन गये हैं, जिनको पाँच वर्षों का कार्यकाल सफलता पूर्वक पूरा करने के बाद लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिला है। इन्हें २१ जून १९९१ से १६ मई १९९६ तक पी वी नरसिंह राव के प्रधानमंत्रित्व काल में वित्त मन्त्री के रूप में किए गए आर्थिक सुधारों के लिए भी श्रेय दिया जाता है। .

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मनिला बिज़नस महाविद्यालय

२००० में स्थापित, मनीला बिजनेस महाविद्यालय को विधिवत रूप से फिलीपींस की उच्च शिक्षा आयोग और तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास प्राधिकरण (टीईएसडीए) पर मान्यता प्राप्त है। यह व्यावसायिक शिक्षा का एक अंतरराष्ट्रीय मानक प्रदान करता है जो व्यापार प्रबंधन और अर्थशास्त्र के अध्ययन के एशियाई और पश्चिमी अवधारणा को जोड़ती है। यह महाविद्यालय एसइसी क्रमांक ए२०००१२८९१ के तहत १५ सितंबर २००० को सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन द्वारा विधिवत पंजीकृत किया गया था।  .

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महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ

महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी में स्थित एक विश्वविद्यालय है। पहले इसे केवल काशी विद्यापीठ के नाम से ही जाना जाता था किन्तु बाद में इसे भारत के महान नेता महात्मा गाँधी को पुनः समर्पित किया गया और उनका नाम इसके साथ जोड़ दिया गया (११ जुलाई १९९५)। इस विश्वविद्यालय में स्नातक, परास्नातक एवं अनुसंधान स्तर की शिक्षा उपलब्ध है। विश्वविद्यालय ने देश के प्रतिष्ठित पत्रिका इंडिया टुडे के सर्वे में देश भर में 13वां स्थान अर्जित किया। .

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महाभारत

महाभारत हिन्दुओं का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृति वर्ग में आता है। कभी कभी केवल "भारत" कहा जाने वाला यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं। विश्व का सबसे लंबा यह साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। इस ग्रन्थ को हिन्दू धर्म में पंचम वेद माना जाता है। यद्यपि इसे साहित्य की सबसे अनुपम कृतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह ग्रंथ प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। यह कृति प्राचीन भारत के इतिहास की एक गाथा है। इसी में हिन्दू धर्म का पवित्रतम ग्रंथ भगवद्गीता सन्निहित है। पूरे महाभारत में लगभग १,१०,००० श्लोक हैं, जो यूनानी काव्यों इलियड और ओडिसी से परिमाण में दस गुणा अधिक हैं। हिन्दू मान्यताओं, पौराणिक संदर्भो एवं स्वयं महाभारत के अनुसार इस काव्य का रचनाकार वेदव्यास जी को माना जाता है। इस काव्य के रचयिता वेदव्यास जी ने अपने इस अनुपम काव्य में वेदों, वेदांगों और उपनिषदों के गुह्यतम रहस्यों का निरुपण किया हैं। इसके अतिरिक्त इस काव्य में न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, ज्योतिष, युद्धनीति, योगशास्त्र, अर्थशास्त्र, वास्तुशास्त्र, शिल्पशास्त्र, कामशास्त्र, खगोलविद्या तथा धर्मशास्त्र का भी विस्तार से वर्णन किया गया हैं। .

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महावीर प्रसाद द्विवेदी

आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी (1864–1938) हिन्दी के महान साहित्यकार, पत्रकार एवं युगप्रवर्तक थे। उन्होने हिंदी साहित्य की अविस्मरणीय सेवा की और अपने युग की साहित्यिक और सांस्कृतिक चेतना को दिशा और दृष्टि प्रदान की। उनके इस अतुलनीय योगदान के कारण आधुनिक हिंदी साहित्य का दूसरा युग 'द्विवेदी युग' (1900–1920) के नाम से जाना जाता है। उन्होने सत्रह वर्ष तक हिन्दी की प्रसिद्ध पत्रिका सरस्वती का सम्पादन किया। हिन्दी नवजागरण में उनकी महान भूमिका रही। भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन को गति व दिशा देने में भी उनका उल्लेखनीय योगदान रहा। .

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माँग और आपूर्ति

किसी वस्तु का मूल्य (P) वह बिन्दु है जहाँ आपूर्ति वक्र (supply, S) और माँग वक्र (demand, D) मिलते हैं। इस चित्र में माँग में वृद्धि (D1 से D2) तथा उसके कारण किसी उत्पाद के मूल्य में वृद्धि एवं विक्रित मात्रा (Q) में वृद्धि को दर्शाया गया है। अर्थशास्त्र में माँग और आपूर्ति की सहायता से पूर्णतः प्रतिस्पर्धी बाजार में बेचे गये वस्तुओं कीमत और मात्रा की विवेचना, व्याख्या और पुर्वानुमान लगाया जाता है। यह अर्थशास्त्र के सबसे मुलभूत प्रारुपों में से एक है। क्रमश: बड़े सिद्धान्तों और प्रारूपों के विकास के लिए इसका विशद रूप से प्रयोग होता है। माँग किसी नियत समयकाल में किसी उत्पाद की वह मात्रा है, जिसे नियत दाम पर उपभोक्ता खरीदना चाहता है और खरीदने में सक्षम है। माँग को सामान्यतः एक तालिका या ग्राफ़ के रूप में प्रदर्शित करते हैं जिसमें कीमत और इच्छित मात्रा का संबन्ध दिखाया जाता है। आपूर्ति वस्तु की वह मात्रा है जिसे नियत समय में दिये गये दाम पर उत्पादक या विक्रेता बाजार में बेचने के लिए तैयार है। आपूर्ति को सामान्यतः एक तालिका या ग्राफ़ के रूप में प्रदर्शित करते हैं जिसमें कीमत और आपूर्ति की मात्रा का संबन्ध दिखाया जाता है। .

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मानव पारिस्थितिकी

मानव पारिस्थितिकी (अंग्रेज़ी: Human Ecology) एक अंतर्विषयक विज्ञान है जो मनुष्य, मानव समाज और मानव निर्मित पर्यावरण के प्राकृतिक पर्यावरण के साथ अन्योन्याश्रय संबंधों का अध्ययन करता है। विज्ञान की इस शाखा का विकास बीसवीं सदी के आरम्भ में एक साथ कई शास्त्रों के चिंतनफ़लक में हुए परिवर्तन का परिणाम है। यह विज्ञान अपनी अध्ययन सामग्री और विधियों तथा सिद्धांतों के लिये जीव विज्ञान, पारिस्थितिकी, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र और भूगोल आदि पर आश्रित है। "मानव पारिस्थितिकी" शब्द का पहली बार प्रयोग एलेन स्वैलो रिचर्ड्स (Ellen Swallow Richards) द्वारा उनके लेख "Sanitation in Daily Life", में हुआ जिसमें उन्होंने इसे "मनुष्य के आसपास के पर्यावरण के मानव जीवन पर प्रभावों के अध्ययन" के रूप में परिभाषित किया।" प्रसिद्द भूगोलवेत्ता हार्लेन एच॰ बैरोज ने एसोशियेशन ऑफ अमेरिकन ज्याग्रफर्स के 1922 ई॰ के वार्षिक अधिवेशन में मानव भूगोल को मानव पारिस्थितिकी के रूप में विकसित करने का पुरजोर समर्थन किया। वर्तमान परिप्रेक्ष्यों में पर्यावरण (जो एक पारितंत्र है) में परिवर्तन और मानव पर उसके प्रभाव, मानव स्वास्थ्य, सामाजिक सरोकारों का पारिस्थितिकीय अध्ययन, आर्थिक क्रियाओं की संधारणीयता, प्रकृति प्रदत्त पारितंत्रीय सेवाओं का मूल्यांकन और पारिस्थितिकीय अर्थशास्त्र का विकास मानव पारिस्थितिकी के मूल अध्ययन-विषय हैं। .

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मानव संसाधन

मानव संसाधन (ह्यूमन रिसोर्सेस) वह अवधारणा है जो जनसंख्या को अर्थव्यवस्था पर दायित्व से अधिक परिसंपत्ति के रूप में देखती है। शिक्षा प्रशिक्षण और चिकित्सा सेवाओं में निवेश के परिणाम स्वरूप जनसंख्या मानव संसाधन के रूप में बदल जाती है। मानव संसाधन उत्पादन में प्रयुक्त हो सकने वाली पूँजी है। यह मानव पूँजी कौशल और उन्में निहित उत्पादन के ज्ञान का भंडार है। यह प्रतिभाशाली और काम पर लगे हुए लोगों और संगठनात्मक सफलता के बीच की कड़ी को पहचानने का सूत्र है। यह उद्योग/संगठनात्मक मनोविज्ञान और सिद्धांत प्रणाली संबंधित अवधारणाओं से संबद्ध है। मानव संसाधन की संदर्भ के आधार पर दो व्याख्याएं मिलती हैं। इसका मूल अर्थ राजनीतिक अर्थव्यवस्था और अर्थशास्त्र से लिया गया है, जहां पर इसे पारंपरिक रूप से उत्पादन के चार कारकों में से एक श्रमिक कहा जाता था, यद्धपि यह दृष्टिकोण राष्ट्रीय स्तर पर नए और योजनाबद्ध तरीकों में अनुसन्धान के चलते बदल रहा है। पहला तरीका अधिकतर 'मानव संसाधन विकास' शब्द के रूप में प्रयुक्त होता है और यह सिर्फ संगठनों से शुरू हो कर राष्ट्रीय स्तर तक हो सकता है। पारम्परिक रूप से यह कारपोरेशन व व्यापार के क्षेत्र में व्यक्ति विशेष (जो उस फर्म या एजेन्सी में कार्य करता है) के लिए, तथा कंपनी के उस हिस्से को जो नियुक्ति करने, निकालने, प्रशिक्षण देने तथा दूसरे व्यक्तिगत मुद्दों से सम्बंधित है व जिसे साधारणतयाः "मानव संसाधन प्रबंधन" के नाम से जाना जाता है, के लिए होता प्रयुक्त होता है। यह लेख दोनों परिभाषाओं से सम्बंधित है। .

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मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विभाग, रुड़की

मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विभाग, मूल रूप से अभियांत्रिकी के स्नातक पाठ्यक्रम के छात्रों को अंग्रेजी एवं सामाजिक विज्ञान पढ़ाने हेतु स्थापित किया गया था। विगत वर्षों में यह अंग्रेजी, मनोविज्ञान, अर्थशास्त्र, हिन्दी तथा रूसी आदि विषयों में अध्यापन एवं अनुसंधान पाठ्यक्रमों के साथ एक संपूर्ण विभाग के रूप में विकसित हो चुका है। अब तक विभाग से 55 शोध छात्रों को विभिन्न विषयों में पी.एच.डी.

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मिन्स्की की वित्तीय अस्थिरता

कोई विवरण नहीं।

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मिल्टन फ्रीडमैन

मिल्टन फ्रीडमैन (31 जुलाई, 1912 - नवंबर 16, 2006) एक अमेरिकी अर्थशास्त्री थे जो खपत विश्लेषण, मौद्रिक इतिहास और सिद्धांत और स्थिरीकरण नीति की जटिलता पर अपना शोध करते थे। इस ही काम के लिए उन्हें 1976 में आर्थिक विज्ञान के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 1960 के दशक में उन्होंने मुख्य अधिवक्ता कीनेसियन सरकार की नीतियों का विरोध किया। फ्रीडमैन रिपब्लिकन अमरीकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन और कंजर्वेटिव ब्रिटिश प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर के लिए एक सलाहकार भी थे। उन्होंने अपने राजनीतिक दर्शन न्यूनतम हस्तक्षेप के साथ एक मुक्त बाजार की आर्थिक प्रणाली के गुण की प्रशंसा भी की। मिल्टन फ्रीडमैन ने अपने लेख कई रूपों में प्रस्तुत किये हैं जैसे: मोनोग्राफ, पुस्तकों, विद्वानों के लेख, पत्र, पत्रिका कॉलम और टेलीविजन कार्यक्रम। उनकी पुस्तकें और निबंध का पूर्व साम्यवादी राज्यों में अंतरराष्ट्रीय प्रभाव पड़ा है। अर्थशास्त्रियों के एक सर्वेक्षण में जॉन मेनार्ड कीन्स के बाद बीसवीं सदी के दूसरी सबसे लोकप्रिय अर्थशास्त्री फ्रीडमैन माने जाते हैं। .

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मुर्ग़ी का खेल

मुर्ग़ी का खेल (chicken), जिसे बाज़-बटेर खेल (hawk-dove game) या बर्फ़ के टीले का खेल (snow-drift game) भी कहा जाता है, खेल सिद्धांत में दो प्रतिद्वंदियों के बीच होने वाला एक प्रकार का संघर्ष है। इसमें दोनों के बीच में एक ऐसी प्रतियोगिता शुरू हो जाती है जिसमें दोनों में से कोई भी पीछे नहीं हटना चाहता लेकिन किसी के भी न हटने पर दोनों को भारी हानि होती है। इसमें 'मुर्ग़ी' का नाम उस खेल से आया है जिसमें दो वाहन-चालक तेज़ी से अपने-अपने वाहन एक-दूसरे की तरफ़ दौड़ते हैं। दोनों में से एक को हार मानकर अलग मुड़ना होगा, वरना टकराव में दोनों की मौत भी हो सकती है। लेकिन जो भी पहले हट गया वह 'मुर्ग़ी', यानि बुज़दिल या डरपोक, माना जाएगा। यह 'मुर्ग़ी का खेल' वाला नाम राजनीति और अर्थशास्त्र में अधिक प्रयोग होता है। मसलन अक्टूबर १९६२ में हुए क्यूबाई मिसाइल संकट में सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच तनाव लगातार बढ़ता गया और अगर कोई पीछे न हटता हो परमाणु प्रलय हो सकता था, लेकिन उसमें सोवियत संघ ने पीछे पाँव खींच लिए।Russell (1959) p. 30.

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मृदुला गर्ग

मृदुला गर्ग (जन्म:२५ अक्टूबर, १९३८) कोलकाता में जन्मी, हिंदी की सबसे लोकप्रिय लेखिकाओं में से एक हैं। उपन्यास, कहानी संग्रह, नाटक तथा निबंध संग्रह सब मिलाकर उन्होंने २० से अधिक पुस्तकों की रचना की है। १९६० में अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि लेने के बाद उन्होंने ३ साल तक दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन भी किया है। उनके उपन्यासों को अपने कथानक की विविधता और नयेपन के कारण समालोचकों की बड़ी स्वीकृति और सराहना मिली। उनके उपन्यास और कहानियों का अनेक हिंदी भाषाओं तथा जर्मन, चेक, जापानी और अँग्रेजी में अनुवाद हुआ है। वे स्तंभकार रही हैं, पर्यावरण के प्रति सजगता प्रकट करती रही हैं तथा महिलाओं तथा बच्चों के हित में समाज सेवा के काम करती रही हैं। उनका उपन्यास 'चितकोबरा' नारी-पुरुष के संबंधों में शरीर को मन के समांतर खड़ा करने और इस पर एक नारीवाद या पुरुष-प्रधानता विरोधी दृष्टिकोण रखने के लिए काफी चर्चित और विवादास्पद रहा था। उन्होंने इंडिया टुडे के हिन्दी संस्करण में २००३ से २०१० तक 'कटाक्ष' नामक स्तंभ लिखा है जो अपने तीखे व्यंग्य के कारण खूब चर्चा में रहा। उनके आठ उपन्यास- उसके हिस्से की धूप, वंशज, चित्तकोबरा, अनित्य, 'मैं और मैं', कठगुलाब, 'मिलजुल मन' और 'वसु का कुटुम'। ग्यारह कहानी संग्रह- 'कितनी कैदें', 'टुकड़ा टुकड़ा आदमी', 'डैफ़ोडिल जल रहे हैं', 'ग्लेशियर से', 'उर्फ सैम', 'शहर के नाम', 'चर्चित कहानियाँ', समागम, 'मेरे देश की मिट्टी अहा', 'संगति विसंगति', 'जूते का जोड़ गोभी का तोड़', चार नाटक- 'एक और अजनबी', 'जादू का कालीन', 'तीन कैदें' और 'सामदाम दंड भेद', तीन निबंध संग्रह- 'रंग ढंग','चुकते नहीं सवाल' तथा 'कृति और कृतिकार', एक यात्रा संस्मरण- 'कुछ अटके कुछ भटके' तथा दो व्यंग्य संग्रह- 'कर लेंगे सब हज़म' तथा 'खेद नहीं है' प्रकाशित हुए हैं। .

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मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान

मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान (मैसाचुसेट्स इन्स्टिट्यूट ऑफ टैक्नोलॉजी - एमआईटी) (Massachusetts Institute of Technology) कैम्ब्रिज, मैसाचुसेट्स में स्थित एक निजी शोध विश्वविद्यालय है। एमआईटी में 32 शैक्षणिक विभागों से युक्त पांच विद्यालय और एक महाविद्यालय है, जिसमें वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी अनुसंधान पर विशेष जोर दिया जाता है। एमआईटी दो निजी भूमि अनुदान विश्वविद्यालयों में से एक है और वह समुद्री-अनुदान और अंतरिक्ष-अनुदान विश्वविद्यालय भी है। विलियम बार्टन रोजर्स द्वारा 1861 में संयुक्त राज्य अमेरिका के औद्योगिकीकरण की जरुरतो को ध्यान में रख कर स्थापित किए गए इस विश्वविद्यालय ने यूरोपीय विश्वविद्यालय प्रतिमान को अपनाया और इसमें प्रारंभ से ही प्रयोगशाला शिक्षा पर जोर दिया गया। इसका मौजूदा परिसर 1916 में खुला, जो चार्ल्स नदी घाटी के उत्तरी किनारे पर फैला हुआ है। एमआईटी शोधकर्ता द्वितीय विश्वयुद्ध और शीतयुद्ध के दौरान सुरक्षा अनुसंधान के संबंध में कम्प्यूटर, रडार और इनर्टिअल (inertial) मार्गदर्शन रचने के प्रयत्नो में जुड़े हुए थे। पिछले 60 वर्षों में, एमआईटी के शिक्षात्मक कार्यक्रम भौतिक विज्ञान और अभियांत्रिकी से परे अर्थशास्त्र, दर्शन, भाषा विज्ञान, राजनीति विज्ञान और प्रबंधन जैसे सामाजिक विज्ञान तक भी विस्तरीत हुए है। एमआईटी में वर्ष 2009-2010 के पतझड़ के सत्र के लिए अवरस्नातक स्तर पर 4,232 और स्नातक स्तर पर 6,152 छात्रों को प्रवेश दिया गया है। इसमें करीबन 1,009 संकाय सदस्यों को रोजगार प्रदान किया है। इसकी बंदोबस्ती और अनुसंधान पर वार्षिक व्यय अन्य किसी भी अमेरिकी विश्वविद्यालयो में से सबसे अधिक है। अब तक 75 नोबल पुरस्कार विजेता, 47 राष्ट्रीय विज्ञान पदक प्रापक और 31 मैकआर्थर अध्येता इस विश्वविद्यालय के साथ वर्तमान या भूतपूर्व समय में सम्बद्ध रहे है। एमआईटी के पूर्व छात्रों द्वारा स्थापित कंपनियों का एकत्रित राजस्व विश्व की सबसे बड़ी सत्तरहवीं अर्थव्यवस्था है। इंजिनीयर्स द्वारा 33 खेल प्रायोजित है, जिनमें से ज्यादातर NCAA श्रेणी III के न्यू इंग्लैंड महिला और पुरुषों के व्यायामी सम्मेलन में भाग लेते है, श्रेणी I के नौकायन कार्यक्रम EARC और EAWRC प्रतिस्पर्धा के भाग है। .

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मूल्य (अर्थशास्त्र)

आर्थिक मूल्य, किसी आर्थिक एजेंट को कोई वस्तु या सेवा द्वारा प्रदत्त लाभ का माप हैं। यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि आर्थिक मूल्य और बाज़ार भाव समान नहीं हैं, और ना ही आर्थिक मूल्य और बाज़ार मूल्य एक समान हैं। मूल्य की अवधारणा अर्थशास्त्र में केन्द्रीय है। इसको मापने का एक तरीका वस्तु का बाजार भाव है। एडम स्मिथ ने श्रम को मूल्य के मुख्य श्रोत के रूप में परिभाषित किया। "मूल्य के श्रम सिद्धान्त" को कार्ल मार्क्स सहित कई अर्थशास्त्रियों ने प्रतिपादित किया है। इस सिद्धान्त के अनुसार किसी सेवा या वस्तु का मूल्य उसके उत्पादन में प्रयुक्त श्रम के बराबर होत है। अधिकांश लोगों का मानना है कि इसका मूल्य वस्तु के दाम निर्धारित करता है। दाम का यह श्रम सिद्धान्त "मूल्य के उत्पादन लागत सिद्धान्त" से निकटता से जुड़ा हुआ है। .

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मोनटेक सिंह आहलूवालिया

मोनटेक सिंह आहलूवालिया (जन्म 24 नवंबर 1943) एक भारतीय अर्थशास्त्री हैं और पूर्व यूपीए सरकार के समय वे भारतीय योजना आयोग के उपाध्यक्ष थे, यह दर्जा मंत्रिमंडल के एक मंत्री के बराबर है। .

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मोइन कुरेशी

पाकिस्तान के प्रधान मन्त्री '''मोइनुद्दीन अहमद क़ुरेशी''' मोइनुद्दीन अहमद क़ुरैशी का जन्म 26 जून सन 1930 में पाकिस्तान के लाहोर में ब्रिटिश राज के दौरान हुआ। उनके पिता मोह्येद्दीन अहमद कुरेशी, जनसेवक थे और उनकी माता खुर्शीद जबीं, गृहिणी थीं। उन्होंने अपनी पढ़ाई लाहौर के इस्लामिया कॉलेज से की जहाँ उन्होंने अर्थशानस्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और स्नातकोत्तर उपाधि पंजाब यूनिवर्सिटी से। उन्होंने अपनी पीएचडी की डिग्री सन १९५५ में ब्लूमिंहटों के इंडिआना यूनिवर्सिटी से प्राप्त की। मोईन क़ुरैशी पाकिस्तानी कार्यवाहक प्रधानमंत्री तो थे ही, वे अर्थशास्त्री भी थे। १९५५ में जब वे पाकिस्तान वापिस लौटे तो वे पाकिस्तान की जान सेवा में लग गए। उनका पहला हस्तातंरण योजना आयोग में हुआ। सन १९५६ में उन्होंने योजना आयोग से इस्तीफा दे दिया और वे अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष में शामिल होने के लिए अमेरिका चले गए। सन १९६० में उन्होंने ने घाना में आर्थिक सलाहकार के रूप में भी काम किया। उसके बाद उन्हीने सन १९७४ से १९७७ तक कार्यकारी अद्यक्ष के रूप में अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम में भी कार्य किया। सन १९८१ में उन्हें रोबर्ट मक्नॉर्म, जो की विश्व बैंक के तब के अद्यक्ष थे, द्वारा वित्त के वरिष्ठ उपाध्याय बनने का निमंत्रण मिला, जहाँ वे सन १९८७ तक कार्यवृत रहे। सन १९९१-९२ के दौरान उन्होंने विश्व बैंक छोड़ दिया और अमेरिका में ही खुद का एक प्राइवेट हेज फण्ड का गठन किया। सन १९९३ के दौरान एक समझौते पर पाकिस्तानी सेना के मध्यस्थता के बाद प्रधानमंत्री नवाज शरीफ एवं राष्ट्रपति गुलाम इश्क़ खान ने अपने सम्बंधित पदों से इस्तीफा दे दिया। यह संकल्प अद्वितीय था क्योंकि एक निर्वाचित सरकार ने स्वेछा से आदेश संभावित सैन्य हस्तक्षेप से बचने के लिए नीचे कदम रखा था और इस्तीफा एक संवैधानिक प्रक्रिया के माध्यम से आया। आर्मी चीफ ऑफ़ स्टाफ, जनरल अब्दुल वाहिद कक्कड़ और स्टाफ समिति की संयुक्त कमान के अद्यक्ष, जनरल शमीम अलम, समझौते के कार्यवाह के गवाह के रूप में प्रस्तुत थे जहाँ सीनेट के अद्यक्ष वसीम सज्जाद ने कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला। इस बीच कुरैशी ने १९९३ में सिंगापुर का दौरा किया जहाँ उन्हें राष्ट्रपति गुलाम इशाक का टेलीफोन कॉल आया जहाँ उन्हें तर्चनोक्रेटिक सरकार बनाने का प्रस्ताव मिला, जो उन्होंने स्वीकार कर लिया और इस्लामाबाद लौट गए। उनकी नियुक्ति के समय कुरैशी बड़े पैमाने पर सार्वजानिक और राजनितिक हलकों से अंजान थे और यह महसूस हुआ की एक राजनितिक, बाहरी व्यक्ति होने के नाते तथास्ट रहेगा। वे तीन माह तक कार्यालय में थे। उस दौरान उनके द्वारा कई सुधार किये गए जो की आईएमएफ स्टैंडबाई सरकार द्वारा समर्थित किया गया। उन्होंने करदाताओं की सूचि प्रकाशन करने का आदेश दिया जिससे पता चला की देश में छोटा कर -आधार है और कुछ ही लोग करों का भुगतान करते हैं। सन १९९३ में पाकिस्तान ने बेनज़ीर भुट्टो के नेतृत्व में पीपल पार्टी की वापसी देखी। सन २०१४ में कुरैशी पार्किन्सन रोग से पीड़ित पाये गए। नवम्बर २३, २०१६ को अमेरिका के वाशिंगटन में उनका निधन हो गया। .

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युन्नान विश्वविद्यालय

युन्नान विश्वविद्यालय चीन के युन्नान प्रान्त का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है। इसका मुख्य हिस्सा इस प्रान्त के कुनमिंग नामक शहर में है। यह इस प्रान्त का एक मात्र ऐसा विश्वविद्यालय है, जहाँ 17,000 विशेषज्ञ अलग अलग क्षेत्र में लोगों को सिखाते हैं। यह "परियोजना 211" में से ही एक चीन का विश्वविद्यालय है, जिसे केन्द्र सरकार द्वारा विशेष रूप से बनाया गया है। यह विश्वविद्यालय चीन के उत्तर भाग के निर्माण सूची में भी शामिल है। .

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यूरोपीय संघ

यूरोपियन संघ (यूरोपियन यूनियन) मुख्यत: यूरोप में स्थित 28 देशों का एक राजनैतिक एवं आर्थिक मंच है जिनमें आपस में प्रशासकीय साझेदारी होती है जो संघ के कई या सभी राष्ट्रो पर लागू होती है। इसका अभ्युदय 1957 में रोम की संधि द्वारा यूरोपिय आर्थिक परिषद के माध्यम से छह यूरोपिय देशों की आर्थिक भागीदारी से हुआ था। तब से इसमें सदस्य देशों की संख्या में लगातार बढोत्तरी होती रही और इसकी नीतियों में बहुत से परिवर्तन भी शामिल किये गये। 1993 में मास्त्रिख संधि द्वारा इसके आधुनिक वैधानिक स्वरूप की नींव रखी गयी। दिसम्बर 2007 में लिस्बन समझौता जिसके द्वारा इसमें और व्यापक सुधारों की प्रक्रिया 1 जनवरी 2008 से शुरु की गयी है। यूरोपिय संघ सदस्य राष्ट्रों को एकल बाजार के रूप में मान्यता देता है एवं इसके कानून सभी सदस्य राष्ट्रों पर लागू होता है जो सदस्य राष्ट्र के नागरिकों की चार तरह की स्वतंत्रताएँ सुनिश्चित करता है:- लोगों, सामान, सेवाएँ एवं पूँजी का स्वतंत्र आदान-प्रदान.

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योगेंद्र दुर्यस्वामी

योगेन्द्र दुर्यस्वामी एक श्रीलंकाई राजनयिक, थे। जो भारत, म्यांमार, संयुक्त राज्य अमेरिका (न्यूयॉर्क), ऑस्ट्रेलिया, इराक, इटली, चीन और फिलीपींस में सेवा देते थे। .

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रमेशचन्द्र दत्त

रमेशचन्द्र दत्त रमेशचंद्र दत्त (13 अगस्त 1848 -- 30 नवम्बर 1909) भारत के प्रसिद्ध प्रशासक, आर्थिक इतिहासज्ञ तथा लेखक तथा रामायण व महाभारत के अनुवादक थे। भारतीय राष्ट्रवाद के पुरोधाओं में से एक रमेश चंद्र दत्त का आर्थिक विचारों के इतिहास में प्रमुख स्थान है। दादाभाई नौरोज़ी और मेजर बी. डी. बसु के साथ दत्त तीसरे आर्थिक चिंतक थे जिन्होंने औपनिवेशिक शासन के तहत भारतीय अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान के प्रामाणिक विवरण पेश किये और विख्यात ‘ड्रेन थियरी’ का प्रतिपादन किया। इसका मतलब यह था कि अंग्रेज अपने लाभ के लिए निरंतर निर्यात थोपने और अनावश्यक अधिभार वसूलने के जरिये भारतीय अर्थव्यवस्था को निचोड़ रहे हैं। .

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रश्मी बंसल

रश्मी बंसल का जन्म ८ मार्च १९८५ में मुम्बई शहर में हुआ था। उनके पिता खगोल भौतिकी के वैज्ञानिक थे। उन्हिने सेंट जोसेफ़ उच्च विद्यालय और आर सी चर्च से अपनी प्रारंभिक शिक्षा हासिल की। बाद में सोफ़िया कॉलेज से अर्थशास्त्र में पदवी हासिल कर आई.आई.एम-ए एम.बी.ए. की पदवी प्राप्त की। .

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राधा कमल मुखर्जी

राधा कमल मुखर्जी (7 दिसम्बर 1889 - 24 अगस्त 1968) आधुनिक भारत के प्रसिद्ध चिन्तक एवं समाजविज्ञानी थे। वे लखनऊ विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र एवं समाजशास्त्र के प्राध्यापक तथा उपकुलपति रहे। उन्होने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। प्रोफेसर मुकर्जी के ही नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में सर्वप्रथम लखनऊ विश्वविद्यालय में 1921 में समाजशास्त्र का अध्ययन प्रारम्भ हुआ इसलिए वे उत्तर प्रदेश में समाजशास्त्र के प्रणेता के रूप में भी विख्यात हैं। प्रोफेसर मुकर्जी वे इतिहास के अत्यन्त मौलिक दार्शनिक थे। वे 20वीं सदी के कतिपय बहुविज्ञानी सामाजिक वैज्ञानिकों में से एक थे जिन्होंने विभिन्न विषयों- अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, मानवशास्त्र, परिस्थितिविज्ञान, दर्शनशास्त्र, मनोविज्ञान, साहित्य, समाजकार्य, संस्कृति, सभ्यता, कला, रहस्यवाद, संगीत, धर्मशास्त्र, अध्यात्म, आचारशास्त्र, मूल्य आदि विभिन्न अनुशासनों को अपना बहुमूल्य योगदान प्रदान किया है। इन समस्त क्षेत्रों में प्रोफेसर मुकर्जी की अद्वितीय देन उनके द्वारा प्रणयित 50 अमर कृतियों में स्पष्टतः दृष्टिगोचर होती है। भारत सरकार द्वारा उन्हें सन १९६२ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। .

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राना लियाक़त अली ख़ान

बेगम रआना की एक तस्वीर, 1961 बेगम र'आना लियाक़त अली ख़ान (जन्म का नाम: शीला आइरीन पंत), पाकिस्तान की प्रथम महिला, पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाक़त अली ख़ान की बेगम, पाकिस्तान आंदोलन के सदस्य और सिंध की पहली महिला राज्यपाल थीं। .

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राम स्वरूप

राम स्वरूप राम स्वरूप (1920-26 दिसंबर, 1998) वैदिक परम्परा के प्रमुख बुद्धिजीवी थे। उनके लेखन ने सीता राम गोयल और अन्य कई लेखको को प्रभावित किया। .

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रामस्वामी वेंकटरमण

रामस्वामी वेंकटरमण, (रामास्वामी वेंकटरमन, रामास्वामी वेंकटरामण या रामास्वामी वेंकटरमण)(४ दिसंबर १९१०-२७ जनवरी २००९) भारत के ८वें राष्ट्रपति थे। वे १९८७ से १९९२ तक इस पद पर रहे। राष्ट्रपति बनने के पहले वे ४ वर्षों तक भारत के उपराष्ट्रपति रहे। मंगलवार को २७ जनवरी को लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया। वे ९८ वर्ष के थे। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री समेत देश भर के अनेक राजनेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने २:३० बजे दिल्ली में सेना के रिसर्च एंड रेफरल हॉस्पिटल में अंतिम साँस ली। उन्हें मूत्राशय में संक्रमण (यूरोसेप्सिस) की शिकायत के बाद विगत १२ जनवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वे साँस संबंधी बीमारी से भी पीड़ित थे। उनका कार्यकाल १९८७ से १९९२ तक रहा। राष्ट्रपति पद पर आसीन होने से पूर्व वेंकटरमन करीब चार साल तक देश के उपराष्ट्रपति भी रहे। .

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राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (भारत)

राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, भारतीय सशस्त्र सेना की एक संयुक्त सेवा अकादमी है, जहां तीनों सेवाओं, थलसेना, नौसेना और वायु सेना के कैडेटों को उनके संबंधित सेवा अकादमी के पूर्व-कमीशन प्रशिक्षण में जाने से पहले, एक साथ प्रशिक्षित किया जाता है। यह महाराष्ट्र, पुणे के करीब खडकवासला में स्थित है। जबसे अकादमी की स्थापना हुई है तब से एनडीए के पूर्व छात्रों ने सभी बड़े संघर्ष का नेतृत्व किया है जिसमें भारतीय थलसेना को कार्यवाही के लिए आमंत्रित किया जाता रहा है। पूर्व छात्रों में तीन परमवीर चक्र प्राप्तकर्ता और 9 अशोक चक्र प्राप्तकर्ता शामिल हैं। .

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रासायनिक इंजीनियरी

प्रक्रम अभियन्ता (Process engineers) संयंत्रों की डिजाइन करते हैं, निर्माण करते हैं और इन्हें चलाते हैं। रासायनिक अभियान्त्रिकी (en:Chemical Engineering) रसायन शास्त्र, भौतिकी, अर्थशास्त्र वगैरह और उनके सिद्धान्तों को औद्योगिक उपयोगों में प्रयुक्त कराने वाला विज्ञान या व्यवसाय है। इसका मुख्य हिस्सा प्रक्रम अभियान्त्रिकी कहलाता है, जिसमें भारी मात्रा में निर्मित रसायनों को औद्योगिक स्तर पर सहज तरीके से बनाने का अध्ययन किया जाता है। लेकिन आज रासायनिक अभियान्त्रिकी सिर्फ़ इसी तक सीमित नहीं है। आज रासायनिक अभियन्ता जैवप्रौद्योगिकी (जेनेटिक्स, ख़मीरीकरण आदि) विषयों पर काम और शोध करते हैं और विमान, अन्तरिक्ष यान, खाद्य पदार्थ, जैवमेडिकल संयन्त्र, सिलिकॉन तकनीकी.

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राजनय

न्यूयार्क स्थित संयुक्त राष्ट्रसंघ संसार का सबसे बडा राजनयिक संगठन है। राष्ट्रों अथवा समूहों के प्रतिनिधियों द्वारा किसी मुद्दे पर चर्चा एवं वार्ता करने की कला व अभ्यास (प्रैक्टिस) राजनय (डिप्लोमैसी) कहलाता है। आज के वैज्ञानिक युग में कोई देश अलग-अलग नहीं रह सकता। इन देशों में पारस्परिक सम्बन्ध जोड़ना आज के युग में आवश्यक हो गया है। इन सम्बन्धों को जोड़ने के लिए योग्य व्यक्ति एक देश से दूसरे देश में भेजे जाते हैं। ये व्यक्ति अपनी योग्यता, कुशलता और कूटनीति से दूसरे देश को प्रायः मित्र बना लेते हैं। प्राचीन काल में भी एक राज्य दूसरे राज्य से कूटनीतिक सम्बन्ध जोड़ने के लिए अपने कूटनीतिज्ञ भेजता था। पहले कूटनीति का अर्थ 'सौदे में या लेन देन में वाक्य चातुरी, छल-प्रपंच, धोखा-धड़ी' लगाया जाता था। जो व्यक्ति कम मूल्य देकर अधिकाधिक लाभ अपने देश के लिए प्राप्त करता था, कुशल कूटनीतिज्ञ कहलाता था। परन्तु आज छल-प्रपंच को कूटनीति नहीं कहा जाता है। वैज्ञानिक दृष्टि से आधुनिक काल में इस शब्द का प्रयोग दो राज्यों में शान्तिपूर्ण समझौते के लिए किया जाता है। डिप्लोमेसी के लिए हिन्दी में कूटनीति के स्थान पर राजनय शब्द का प्रयोग होने लगा है। अन्तर्राष्ट्रीय जगत एक परिवार के समान बन गया है। परिवार के सदस्यों में प्रेम, सहयोग, सद्भावना तथा मित्रता का सम्बन्ध जोड़ना एक कुशल राजनयज्ञ का काम है। .

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राजनयिक दूत

राजनयिक दूत (Diplomatic Envoys) संप्रभु राज्य या देश द्वारा नियुक्त प्रतिनिधि होते हैं, जो अन्य राष्ट्र, अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन अथवा अंतरराष्ट्रीय संस्था में अपने देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। वर्तमान अंतरराष्ट्रीय विधि का प्रचलन आरंभ होने के बहुत पूर्व से ही रोम, चीन, यूनान और भारत आदि देशों में एक राज्य से दूसरे राज्य में दूत भेजने की प्रथा प्रचलित थी। रामायण, महाभारत, मनुस्मृति, कौटिल्यकृत अर्थशास्त्र और 'नीतिवाक्यामृत' में प्राचीन भारत में प्रचलित दूतव्यवस्था का विवरण मिलता है। इस काल में दूत अधिकांशत: अवसरविशेष पर अथवा कार्यविशेष के लिए ही भेजे जाते थे। यूरोप में रोमन साम्राज्य के पतन के उपरांत छिन्न भिन्न दूतव्यवस्था का पुनरारंभ चौदहवीं शताब्दी में इटली के स्वतंत्र राज्यों एवं पोप द्वारा दूत भेजने से हुआ। स्थायी राजदूत को भेजने की नियमित प्रथा का श्रीगणेश इटली के गणतंत्रों एवं फ्रांस के सम्राट् लुई ग्यारहवें ने किया। सत्रहवीं शताब्दी के पूर्वार्ध तक दूतव्यवस्था यूरोप के अधिकांश देशों में प्रचलित हो गई थी। .

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राजनीति विज्ञान

राजनीति विज्ञान एक सामाजिक विज्ञान है जो सरकार और राजनीति के अध्ययन से सम्बन्धित है। राजनीति विज्ञान अध्ययन का एक विस्तृत विषय या क्षेत्र है। राजनीति विज्ञान में ये तमाम बातें शामिल हैं: राजनीतिक चिंतन, राजनीतिक सिद्धान्त, राजनीतिक दर्शन, राजनीतिक विचारधारा, संस्थागत या संरचनागत ढांचा, तुलनात्मक राजनीति, लोक प्रशासन, अंतर्राष्ट्रीय कानून और संगठन आदि। .

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राजनीतिक अर्थशास्त्र

राजनीतिक अर्थशास्त्र (Political economy) किसी समाज में राजनीतिक और आर्थिक सत्ता के बँटवारे की जानकारी देते हुए बताता है कि सत्ता का यह वितरण वैकासिक और अन्य नीतियों पर किस तरह का प्रभाव डाल रहा है। इसी बात को इस तरह भी कहा जा सकता है कि राजनीतिक अर्थशास्त्र उन बुद्धिसंगत फ़ैसलों का अध्ययन करता है जो राजनीतिक और आर्थिक संस्थाओं के संदर्भ में लिए जाते हैं। इस अध्ययन में तर्कसंगत आधारों की रोशनी में समष्टिगत प्रभावों पर ग़ौर किया जाता है। मूलतः उत्पादन एवं व्यापार, तथा इनका विधि, प्रथा, सरकार से सम्बन्ध और राष्ट्रीय आय एवं सम्पदा के वितरण के अध्ययन को 'राजनीतिक अर्थशास्त्र' कहा गया था। राजनीतिक अर्थशास्त्र की उत्पत्ति नैतिक दर्शन (moral philosophy) से हुई। अट्ठारहवीं शताब्दी में इसका विकास राज्य के अर्थतंत्र या पॉलिटी (polities) के अध्ययन के उद्देश्य से किया गया था, इसी लिए इसका नाम 'पॉलिटिकल इकनॉमी' पड़ा। .

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राजस्थान विश्वविद्यालय

राजस्थान विश्वविद्यालय, राजस्थान का सबसे पुराना विश्वविद्यालय है। यह मानविकी, समाज विज्ञान, विज्ञान, वाणिज्य, एवं विधि अध्ययन आदि विषयों में उच्च स्तर की शिक्षा और शोध कार्य में संलग्न भारत के अग्रणी शिक्षण संस्थानों में से है। .

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राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय

राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय, अजमेर के निकट,राजस्थान, भारत में एक शैक्षणिक संस्थान है। यह संसद के एक अधिनियम के माध्यम से स्थापित किया गया है: "केन्द्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009" भारत सरकार द्वारा स्थापित। राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय को एक नए केन्द्रीय विश्वविद्यालय के रूप में संसद के एक अधिनियम (2009 के अधिनियम सं. 25, भारत के गजट सं. 27, 20 मार्च 2009 को प्रकाशित) द्वारा स्थापित किया गया था और यह पूरी तरह से भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित है। .

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राजेश्वर प्रसाद मंडल

राजेश्वर प्रसाद मंडल (२० फ़रवरी १९२० - १० अक्टूबर १९९२) न्यायविद, साहित्यकार एवं हिन्दीसेवी थे। पटना उच्च न्यायालय में हिन्दी में न्यायादेश लिखने वाले वे प्रथम न्यायधीश थे। .

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राउल प्रेबिस्च

राउल प्रेबिस्च (१९०१-१९८६) एक अर्जेण्टीनी अर्थशास्त्री थे, जिन्हें संरचनात्मक अर्थशास्त्र में अपने योगदान के लिए जाना जाता है, विशेष रूप से आर्थिक निर्भरता सिद्धांत के आधार बने प्रेबिस्च-सिंगर परिकल्पना के लिए। उन्हें कभी-कभीनव मार्क्सवादी माना जाता है, हालांकि यह भ्रामक है। इनके भाई अल्बर्टो प्रेबिस्च एक प्रसिद्ध वास्तुकार थे। श्रेणी:अर्थशास्त्री.

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रितुपर्णो घोष

रितुपर्णो घोष (अंग्रेजी: Rituparno Ghosh, जन्म: 31 अगस्त 1963 - मृत्यु: 30 मई 2013) एक बंगाली फिल्म निर्देशक थे। अर्थशास्त्र में डिग्री प्राप्त करने उपरान्त उन्होंने विज्ञापन एजेंसी में एक रचनात्मक कलाकार के रूप में अपना कैरियर शुरू किया। वर्ष 1994 में उनकी पहली फिल्म हीरेर अंगति रिलीज हुई। उसी वर्ष पर्दे पर आयी उनकी अगली फिल्म उनिशे अप्रैल को सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिये राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया। लगभग दो दशकों के अपने फिल्मी कैरियर में उन्होंने कुल 12 राष्ट्रीय और कुछ अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किये। 30 मई 2013 को दिल का दौरा पड़ने से कोलकाता में उनकी मृत्यु हो गयी। .

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रघुराम राजन

रघुराम राजन (पूरा नाम: रघुराम गोविंद राजन, तमिल: ரகுராம் கோவிந்த ராஜன் जन्म: 3 फ़रवरी 1963) भारतीय रिजर्व बैंक के 23वें गवर्नर हैं। 4 सितम्बर 2013 को डी॰ सुब्बाराव की सेवानिवृत्ति के पश्चात उन्होंने यह पदभार ग्रहण किया।http://rbi.org.in/scripts/BS_PressReleaseDisplay.aspx?prid.

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रंगमंच

न्यूयॉर्क स्टेट थिएटर के अन्दर का दृष्य रंगमंच (थिएटर) वह स्थान है जहाँ नृत्य, नाटक, खेल आदि हों। रंगमंच शब्द रंग और मंच दो शब्दों के मिलने से बना है। रंग इसलिए प्रयुक्त हुआ है कि दृश्य को आकर्षक बनाने के लिए दीवारों, छतों और पर्दों पर विविध प्रकार की चित्रकारी की जाती है और अभिनेताओं की वेशभूषा तथा सज्जा में भी विविध रंगों का प्रयोग होता है और मंच इसलिए प्रयुक्त हुआ है कि दर्शकों की सुविधा के लिए रंगमंच का तल फर्श से कुछ ऊँचा रहता है। दर्शकों के बैठने के स्थान को प्रेक्षागार और रंगमंच सहित समूचे भवन को प्रेक्षागृह, रंगशाला, या नाट्यशाला (या नृत्यशाला) कहते हैं। पश्चिमी देशों में इसे थिएटर या ऑपेरा नाम दिया जाता है। .

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रैखिक बीजगणित

रैखिक बीजगणित (Linear algebra) गणित की एक शाखा है जो सदिश आकाश (वेक्टर स्पेस) तथा उन आकाशों के बीच रैखिक प्रतिचित्रण से सम्बन्धित है। रैखिक बीजगणित का आरम्भ अनेकों अज्ञात राशियों वाले युगपत समीकरणों के हल से हुआ। ऐसे समीकरण प्रायः मैट्रिक्स और सदिशों का उपयोग करके निरूपित किए जाते हैं। शुद्ध गणित और अनुप्रयुक्त गणित- दोनों में ही रैखिक बीजगणित की केन्द्रीय भूमिका है। कैलकुलस और रैखिक गणित के सम्मिलित प्रयोग से रैखिक अवकल समीकरण हल किए जाते हैं। रैखिक बीजगणित की तकनीकें (विधियाँ) वैश्लेषिक ज्यामिति, इंजीनियरी, भौतिकी, प्राकृतिक विज्ञान, संगणक विज्ञान, कम्प्यूतर एनिमेशन और सामाजिक विज्ञान (मुखयतः अर्थशास्त्र) में प्रयुक्त होती हैं। रैखिक बीजगणित के सिद्धान्त और विधियाँ अत्यन्त विकसित हैं। इसी लिए अरैखिक गणितीय मॉडलों को भी कभी-कभी सन्निकट रैखिक मॉडलों से निरूपित कर दिया जाता है जिससे उन्हें हल करने में सुविधा हो जाती है। श्रेणी:रैखिक बीजगणित.

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रैखिकीकरण

गणित में किसी फलन को किसी बिंदु पर किसी रैखिक फलन द्वारा अभिव्यक्त करने को रैखिकीकरण (linearization) कहते हैं। इसके बहुत से उपयोग हैं। इसका उपयोग इंजीनियरी, भौतिकी, अर्थशास्त्र एवं नियंत्रण सिद्धांत में होता है।; उदाहरण f(x) .

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रोकड़

अर्थशास्त्र में रोकड़ या नकदी मुद्रा के भौतिक रूप में धन को कहते है, जैसे बैंक के नोट और सिक्के। बही-खाता और वित्त में रोकड़ चालू परिसंपत्‍ति है जिसमें मुद्रा या मुद्रा समकक्ष शामिल होते हैं जिन्हें तुरंत उपयोग किया जा सकता हैं। नकदीविहीन समाज अवधारणा है जहाँ नकदी का प्रयोग शून्य या न्यूनतम हो। .

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लेखांकन का इतिहास

भारत में लेखांकन का इतिहास भारत के वेदों से जानकारी मिलती है के विश्व को लिखांकन का ज्ञान भारत ने दिया | अथर्वेद में विक्रय शब्द हा जिसका मतलब सलेस होता है तथा शुल्क भी ऋग्वेद से लिया हुआ शब्द है जिस का भाव कीमत होता है | धर्म सूत्र का मतलब टैक्स होता है .

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लोच

अर्थशास्त्र के सन्दर्भ में, लोच (elasticity) शब्द का उपयोग किसी आर्थिक चर को बदलने पर किसी दूसरे चर में हुए परिवर्तन की मात्रा बताने के लिये किया जाता है। यदि एक चर के परिवर्तन से दूसरा चर अधिक परिवर्तित होता है तो कहते हैं कि लोच अधिक है। उदाहरण के लिये, यदि किसी उत्पाद के मूल्य में कमी की जाय तो उसकी बिक्री कितनी बढ़ेगी, इसके लिये 'लोच' शब्द का प्रयोग किया जाता है। .

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लोक प्रशासन

लोक प्रशासन (Public administration) मोटे तौर पर शासकीय नीति (government policy) के विभिन्न पहलुओं का विकास, उन पर अमल एवं उनका अध्ययन है। प्रशासन का वह भाग जो सामान्य जनता के लाभ के लिये होता है, लोकप्रशासन कहलाता है। लोकप्रशासन का संबंध सामान्य नीतियों अथवा सार्वजनिक नीतियों से होता है। एक अनुशासन के रूप में इसका अर्थ वह जनसेवा है जिसे 'सरकार' कहे जाने वाले व्यक्तियों का एक संगठन करता है। इसका प्रमुख उद्देश्य और अस्तित्व का आधार 'सेवा' है। इस प्रकार की सेवा उठाने के लिए सरकार को जन का वित्तीय बोझ करों और महसूलों के रूप में राजस्व वसूल कर संसाधन जुटाने पड़ते हैं। जिनकी कुछ आय है उनसे कुछ लेकर सेवाओं के माध्यम से उसका समतापूर्ण वितरण करना इसका उद्देश्य है। किसी भी देश में लोक प्रशासन के उद्देश्य वहां की संस्थाओं, प्रक्रियाओं, कार्मिक-राजनीतिक व्यवस्था की संरचनाओं तथा उस देश के संविधान में व्यक्त शासन के सिद्धातों पर निर्भर होते हैं। प्रतिनिधित्व, उत्तरदायित्व, औचित्य और समता की दृष्टि से शासन का स्वरूप महत्व रखता है, लेकिन सरकार एक अच्छे प्रशासन के माध्यम से इन्हें साकार करने का प्रयास करती है। .

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लोक प्रशासन का इतिहास

एक व्यवस्थित अध्ययन के रूप में लोक-प्रशासन का विकास अभी नया ही है। लोक-प्रशासन के शैक्षिक अध्ययन का प्रारम्भ करने का श्रेय वुडरो विल्सन को जाता है जिसने १८८७ में प्रकाशित अपने लेख ‘द स्टडी ऑफ ऐडमिनिस्ट्रेशन' में इस शास्त्र के वैज्ञानिक आधार को विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। इस लेख में राजनीति तथा प्रशासन के बीच स्पष्ट भिन्नता दिखाई गई और घोषित किया गया कि प्रशासन की राजनीति से दूर रहना चाहिए। इसी को तथाकथित ‘राजनीति-प्रशासन-द्विभाजन’ कहते हैं। लोक प्रशासन का इतिहास निम्नलिखित 5 चरणों में विभाज्य है- .

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शब्दकोश

शब्दकोश (अन्य वर्तनी:शब्दकोष) एक बडी सूची या ऐसा ग्रंथ जिसमें शब्दों की वर्तनी, उनकी व्युत्पत्ति, व्याकरणनिर्देश, अर्थ, परिभाषा, प्रयोग और पदार्थ आदि का सन्निवेश हो। शब्दकोश एकभाषीय हो सकते हैं, द्विभाषिक हो सकते हैं या बहुभाषिक हो सकते हैं। अधिकतर शब्दकोशों में शब्दों के उच्चारण के लिये भी व्यवस्था होती है, जैसे - अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक लिपि में, देवनागरी में या आडियो संचिका के रूप में। कुछ शब्दकोशों में चित्रों का सहारा भी लिया जाता है। अलग-अलग कार्य-क्षेत्रों के लिये अलग-अलग शब्दकोश हो सकते हैं; जैसे - विज्ञान शब्दकोश, चिकित्सा शब्दकोश, विधिक (कानूनी) शब्दकोश, गणित का शब्दकोश आदि। सभ्यता और संस्कृति के उदय से ही मानव जान गया था कि भाव के सही संप्रेषण के लिए सही अभिव्यक्ति आवश्यक है। सही अभिव्यक्ति के लिए सही शब्द का चयन आवश्यक है। सही शब्द के चयन के लिए शब्दों के संकलन आवश्यक हैं। शब्दों और भाषा के मानकीकरण की आवश्यकता समझ कर आरंभिक लिपियों के उदय से बहुत पहले ही आदमी ने शब्दों का लेखाजोखा रखना शुरू कर दिया था। इस के लिए उस ने कोश बनाना शुरू किया। कोश में शब्दों को इकट्ठा किया जाता है। .

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शशि देशपांडे

शशि देशपांडे (जन्म 1938 धारवाड़, कर्नाटक, भारत में), एक पुरस्कार विजेता भारतीय उपन्यासकार है। वह मशहूर कन्नड़ नाटककार और लेखक सरीरंगा की दूसरी बेटी है। वह कर्नाटक में पैदा हुई थी और बॉम्बे (अब मुंबई) और बंगलौर में शिक्षित थीं। देशपांडे की अर्थशास्त्र और कानून में डिग्री है। मुंबई में, उन्होंने भारतीय विद्या भवन में पत्रकारिता का अध्ययन किया और पत्रिका 'ऑनलुक्र' के एक पत्रकार के रूप में कुछ महीने काम किया। उस ने 1978 में लघु कथाओं का पहला संग्रह प्रकाशित किया, और 1980 में उस का पहला उपन्यास "द डार्क होल्ड्स नो टेरर" प्रकाशित किया। उस ने 1990 में दैट लोंग सिलेन्स के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार और 2009 में पद्म श्री पुरस्कार जीता।.

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शास्त्र

व्यापक अर्थों में किसी विशिष्ट विषय या पदार्थसमूह से सम्बन्धित वह समस्त ज्ञान जो ठीक क्रम से संग्रह करके रखा गया हो, शास्त्र कहलाता है। जैसे, भौतिकशास्त्र, वास्तुशास्त्र, शिल्पशास्त्र, प्राणिशास्त्र, अर्थशास्त्र, विद्युत्शास्त्र, वनस्पतिशास्त्र आदि। इस अर्थ में यह 'विज्ञान' का पर्याय है। 'शास्त्र' शब्द 'शासु अनुशिष्टौ' से निष्पन्न है जिसका अर्थ 'अनुशासन या उपदेश करना' है। किसी भी विषय, विद्या अथवा कला के मौलिक सिद्धान्तों से लेकर विषय-वस्तु के सभी आयामों का सुनियोजित, सूत्रबद्ध निरूपण शास्त्र है। हमारे यहाँ शास्त्र की परिभाषा इस प्रकार की गई है- अर्थात् जो शिक्षा अनुशासन प्रदान कर हमारी रक्षा करती है, मार्गदर्शन करती है, कभी-कभी हमारी उँगली पकड़कर हमें चलाती है, उसे ‘शास्त्र’ कहा गया है। इस प्रकार यदि हम शास्त्र व ग्रन्थ की तरफ देखें तो शास्त्र बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। किन्तु धर्म के सन्दर्भ में, 'शास्त्र' ऋषियों और मुनियों आदि के बनाए हुए वे प्राचीन ग्रंथों को कहते हैं जिनमें लोगों के हित के लिये अनेक प्रकार के कर्तव्य बतलाए गए हैं और अनुचित कृत्यों का निषेध किया गया है। दूसरे शब्दों में शास्त्र वे धार्मिक ग्रंथ हैं जो लोगों के हित और अनुशासन के लिये बनाए गए हैं। हिन्दुओं में वे ही ग्रंथ 'शास्त्र' माने गए हैं जो वेदमूलक हैं। इनकी संख्या १८ कही गई है और नाम इस प्रकार दिए गए हैं—शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, ज्योतिष, छंद, ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद, मीमांसा, न्याय, धर्मशास्त्र, पुराण, आयुर्वेद, धनुर्वेद, गांधर्ववेद और अर्थशास्त्र। इन अठारहों शास्त्रों को 'अठारह विद्याएँ' भी कहते हैं। इस प्रकार हिंदुओं की प्रायः सभी धार्मिक पुस्तकें 'शास्त्र' की कोटि में आ जाती हैं। साधारणतः शास्त्र में बतलाए हुए काम विधेय माने जाते है और जो बातें शास्त्रों में वर्जित हैं, वे निषिद्ध और त्याज्य समझी जाती हैं। .

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शाहरुख़ ख़ान

शाहरुख़ ख़ान (उच्चारण; जन्म 2 नवम्बर 1965), जिन्हें अक्सर शाहरुख खान के रूप में श्रेय दिया जाता है और अनौपचारिक रूप में एसआरके नाम से सन्दर्भित किया जाता, एक भारतीय फ़िल्म अभिनेता है। अक्सर मीडिया में इन्हें "बॉलीवुड का बादशाह", "किंग खान", "रोमांस किंग" और किंग ऑफ़ बॉलीवुड नामों से पुकारा जाता है। खान ने रोमैंटिक नाटकों से लेकर ऐक्शन थ्रिलर जैसी शैलियों में 75 हिन्दी फ़िल्मों में अभिनय किया है। फिल्म उद्योग में उनके योगदान के लिये उन्होंने तीस नामांकनों में से चौदह फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीते हैं। वे और दिलीप कुमार ही ऐसे दो अभिनेता हैं जिन्होंने साथ फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार आठ बार जीता है। 2005 में भारत सरकार ने उन्हें भारतीय सिनेमा के प्रति उनके योगदान के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया। अर्थशास्त्र में उपाधी ग्रहण करने के बाद इन्होने अपने करियर की शुरुआत १९८० में रंगमंचों व कई टेलिविज़न धारावाहिकों से की और १९९२ में व्यापारिक दृष्टी से सफल फ़िल्म दीवाना से फ़िल्म क्षेत्र में कदम रखा। इस फ़िल्म के लिए उन्हें फ़िल्मफ़ेयर प्रथम अभिनय पुरस्कार प्रदान किया गया। इसके पश्च्यात उन्होंने कई फ़िल्मों में नकारात्मक भूमिकाएं अदा की जिनमे डर (१९९३), बाज़ीगर (१९९३) और अंजाम (१९९४) शामिल है। वे कई प्रकार की भूमिकाओं में दिखे व भिन्न-भिन्न प्रकार की फ़िल्मों में कार्य किया जिनमे रोमांस फ़िल्में, हास्य फ़िल्में, खेल फ़िल्में व ऐतिहासिक ड्रामा शामिल है। उनके द्वारा अभिनीत ग्यारह फ़िल्मों ने विश्वभर में १ बिलियन का व्यवसाय किया है। खान की कुछ फ़िल्में जैसे दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे (१९९५), कुछ कुछ होता है (१९९८), ''देवदास'' (२००२), ''चक दे! इंडिया'' (२००७), ओम शांति ओम (२००७), रब ने बना दी जोड़ी (२००८) और रा.वन (२०११) अबतक की सबसे बड़ी हीट फ़िल्मों में रही है और कभी खुशी कभी ग़म (२००१), कल हो ना हो (२००३), वीर ज़ारा (२००६)। वेल्थ रिसर्च फर्म वैल्थ एक्स के मुताबिक किंग खान पहले सबसे अमीर भारतीय अभिनेता बन गए हैं। फर्म ने अभिनेता की कुल संपत्ति 3660 करोड़ रूपए आंकी थी लेकिन अब 4000 करोङ बताई जाती है। .

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शक्ति काक

शक्ति काक (जन्म: 1950) दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर है। इससे पहले वह जामिया हमदर्द और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली में थीं। उनकी शिक्षा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हुई। उनका शोध विकास के क्षेत्र में रहा है। उन्होने बाल-श्रम, स्त्रियों की बराबरी, आर्थिक इतिहास और भारत में गरीबी पर भी शोध किया है। .

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शुचि मुखर्जी

शुची मुखर्जी एक भारतीय व्यवसायी हैं, जों कि लाइमरोड के संस्थापक और सीईओ हैं यह एक ई-कॉमर्स और जीवन शैली और सहायक उपकरण वेबसाइट हैं। ३९ वर्ष की आयु में शुचि ने लाइमरोड खोलने की सोची। .

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शुक्रनीति

शुक्रनीति एक प्रसिद्ध नीतिग्रन्थ है। इसकी रचना करने वाले शुक्र का नाम महाभारत में 'शुक्राचार्य' के रूप में मिलता है। शुक्रनीति के रचनाकार और उनके काल के बारे में कुछ भी पता नहीं है। शुक्रनीति में २००० श्लोक हैं जो इसके चौथे अध्याय में उल्लिखित है। उसमें यह भी लिखा है कि इस नीतिसार का रात-दिन चिन्तन करने वाला राजा अपना राज्य-भार उठा सकने में सर्वथा समर्थ होता है। इसमें कहा गया है कि तीनों लोकों में शुक्रनीति के समान दूसरी कोई नीति नहीं है और व्यवहारी लोगों के लिये शुक्र की ही नीति है, शेष सब 'कुनीति' है। शुक्रनीति की सामग्री कामन्दकीय नीतिसार से भिन्न मिलती है। इसके चार अध्यायों में से प्रथम अध्याय में राजा, उसके महत्व और कर्तव्य, सामाजिक व्यवस्था, मन्त्री और युवराज सम्बन्धी विषयों का विवेचन किया गया है। .

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श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स

श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स (एस.आर.सी.सी) (अंग्रेजी:SRCC) दिल्ली विश्वविद्यालय का एक घटक कॉलेज है। वाणिज्य और अर्थशास्त्र में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए एस.आर.सी.सी को भारत का अग्रणी संस्थान माना जाता है। यह देश में सबसे प्रतिष्ठित कॉलेजों में से एक है। एस.आर.सी.सी ने 1932 में स्नातक डिग्री और 1948 में स्नातकोत्तर डिग्री पुरस्कृत करना शुरू किया। सन् 1951 में इसे अपना वर्तमान नाम और रूप प्राप्त हुआ।.

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श्री शङ्कराचार्य संस्कृत सर्वकलाशाला

श्री शंकराचार्य संस्कृत सर्वकलाशाला का प्रतीकचिह्न श्री शंकराचार्य संस्कृत सर्वकलाशाला (या, श्री शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय) केरल में कोच्चि के निकट कालटि में स्थापित एक सार्वजनिक विश्वविद्यालय है। इसकी स्थापना १९९३ में हुई थी। इसका नाम आदि शंकराचार्य के नाम पर किया गया है। यह पूर्णा नदी के तट पर स्थित है। विश्वविद्यालय का आदर्शवाक्य है: ज्ञानादेव तु कैवल्यम् (ज्ञान से की कैवल्य प्राप्त होता है।) यह विश्वविद्यालय संस्कृत तथा अन्य भाषाओं की पाण्डुलिपियों के प्रकाशन एवं संरक्षण के लिये कार्य करती है। इसके नौ क्षेत्रीय केन्द्र हैं- कालटि (मुख्य केन्द्र), तिरुवनन्तपुरम, त्रिश्शूर, पन्मन, तुरवूर, एर्रुमानूर, तिरूर, कोइलाण्टि और पय्यन्नूर। .

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श्रीधर व्यंकटेश केतकर

डॉ॰ श्रीधर व्यंकटेश केतकर (०२ फ़रवरी १८८४ - १० अप्रैल १९३७) मराठी भाषा के प्रथम ज्ञानकोश (महाराष्ट्रीय ज्ञानकोश) के सुविख्यात जनक-संपादक, समाजशास्त्रज्ञ, कादंबरीकार, इतिहास-संशोधक व विचारक थे। मराठी ज्ञानकोश के महनीय कार्य के कारण उन्हें 'ज्ञानकोशकार केतकर' नाम से जाना जाता है। .

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शून्य-संचय खेल

खेल सिद्धांत और अर्थशास्त्र में शून्य-संचय खेल (zero-sum game) या शून्य-जोड़ खेल ऐसी व्यवहारिक परिस्थिति को कहा जाता है जिसमें एक व्यक्ति को जितना लाभ होता है ठीक उतनी ही हानि किसी अन्य व्यक्ति (या व्यक्तियों) को होती है।, Ronald B. Shelton, pp.

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शेख रज्जाक अली

शेख रज्जाक अली (28 अगस्त 1928 – 7 जून 2015)एक बांग्लादेशी राजनेता, उप कानून मंत्री और बांग्लादेशी संसद के उपाध्यक्ष व दो बार के अध्यक्ष थे। 7 जून 2015 को उनका निधन हो गया। उनका जन्म, 1928 में खुलना जिला के पाईकगाछा के हितमपुर गाँव में हुआ था। और उन्होंने ढाका विश्वविद्यालय से 1952 मे अर्थशास्त्र में एॅमए की डिगरी प्राप्त की और बाद में उसी विश्वविद्यालय से बंगाली साहित्य में एॅमए भी किया, और फिर वहीं से एॅलएॅलबी भी 1954 में किया। उन्होंने बांग्लादेशी स्वतंत्रता संग्राम में रकृय भागीदारी दीथी। और 1952 के भाषा आंदोलन, 1969 के जन आंदोलन और 1971 की बांग्लादेश मुक्ति युद्ध में जम कर हिस्सा लिया था। साथ ही 1982-90 के एकतंत्र के खिलाफ आंदोलन मेंभी वे सक्रिय थे। .

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शीतला सहाय

शीतला सहाय (1932- 2011) भारत के मध्य प्रदेश के एक राजनेता थे। वे मध्य प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री भी रहे। .

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सत्यजित राय

सत्यजित राय (बंगाली: शॉत्तोजित् राय्) (२ मई १९२१–२३ अप्रैल १९९२) एक भारतीय फ़िल्म निर्देशक थे, जिन्हें २०वीं शताब्दी के सर्वोत्तम फ़िल्म निर्देशकों में गिना जाता है। इनका जन्म कला और साहित्य के जगत में जाने-माने कोलकाता (तब कलकत्ता) के एक बंगाली परिवार में हुआ था। इनकी शिक्षा प्रेसिडेंसी कॉलेज और विश्व-भारती विश्वविद्यालय में हुई। इन्होने अपने कैरियर की शुरुआत पेशेवर चित्रकार की तरह की। फ़्रांसिसी फ़िल्म निर्देशक ज़ाँ रन्वार से मिलने पर और लंदन में इतालवी फ़िल्म लाद्री दी बिसिक्लेत (Ladri di biciclette, बाइसिकल चोर) देखने के बाद फ़िल्म निर्देशन की ओर इनका रुझान हुआ। राय ने अपने जीवन में ३७ फ़िल्मों का निर्देशन किया, जिनमें फ़ीचर फ़िल्में, वृत्त चित्र और लघु फ़िल्में शामिल हैं। इनकी पहली फ़िल्म पथेर पांचाली (পথের পাঁচালী, पथ का गीत) को कान फ़िल्मोत्सव में मिले “सर्वोत्तम मानवीय प्रलेख” पुरस्कार को मिलाकर कुल ग्यारह अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले। यह फ़िल्म अपराजितो (অপরাজিত) और अपुर संसार (অপুর সংসার, अपु का संसार) के साथ इनकी प्रसिद्ध अपु त्रयी में शामिल है। राय फ़िल्म निर्माण से सम्बन्धित कई काम ख़ुद ही करते थे — पटकथा लिखना, अभिनेता ढूंढना, पार्श्व संगीत लिखना, चलचित्रण, कला निर्देशन, संपादन और प्रचार सामग्री की रचना करना। फ़िल्में बनाने के अतिरिक्त वे कहानीकार, प्रकाशक, चित्रकार और फ़िल्म आलोचक भी थे। राय को जीवन में कई पुरस्कार मिले जिनमें अकादमी मानद पुरस्कार और भारत रत्न शामिल हैं। .

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समाजशास्त्र

समाजशास्त्र मानव समाज का अध्ययन है। यह सामाजिक विज्ञान की एक शाखा है, जो मानवीय सामाजिक संरचना और गतिविधियों से संबंधित जानकारी को परिष्कृत करने और उनका विकास करने के लिए, अनुभवजन्य विवेचनगिडेंस, एंथोनी, डनेर, मिशेल, एप्पल बाम, रिचर्ड.

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समकालीन

समकालीन इतिहास के उस अवधि के बारे में बताता है जो आज के लिए एकदम प्रासंगिक है तथा आधुनिक इतिहास के कुछ निश्चित परिप्रेक्ष्य से संबंधित है। हाल के समकालीन इतिहास की कमजोर परिभाषा विश्व युद्ध-II जैसी घटनाओं को शामिल करती है, लेकिन उन घटनाओं को शामिल नहीं करती जिनके प्रभाव को समाप्त किया जा चुका है। .

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सर्वहारा

रूमानिया का एक साम्यवादी क्रांतिकारी पोस्टर जिसमें ध्वज पर लिखा है 'विश्वभर के प्रोलितारियनों एक हो जाओ' सर्वहारा (प्रोलितारियत / प्रोलिटेरियट​ / Proletariat) समाजशास्त्र, राजनीति और अर्थशास्त्र में समाज की नीचे वाली श्रेणियों को कहा जाता है, जो अक्सर शारीरिक श्रम से जीवनी चलाते हैं। औद्योगिक समाजों में अक्सर कारख़ानों में काम करने वाले मज़दूरों को 'प्रोलिटेरियट​' कहा जाता था लेकिन कभी-कभी कृषकों और अन्य ग़रीब मेहनत करने वाले लोगों को भी इसमें शामिल किया जाता है। .

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सर्वहित

दर्शनशास्त्र, अर्थशास्त्र और राजनीति में सर्वहित (common good, common weal) किसी संगठन, समुदाय, राज्य, राष्ट्र या अन्य जन-समूह के सभी या अधिकांश सदस्यों की भलाई के ध्येय को कहते हैं, जिसे नागरिकता, सामूहिक प्रयास, सरकरी परियोजनाओं या अन्य विधियों द्वारा प्राप्त करने की कोशिश करी जाती है। सामाजिक जीवन में ऐसी कई परिस्थितियाँ होती हैं जिसमें अगर सभी लोग केवल अपने लाभ के लिए काम करे तो सभी को हानि पहुँचती है जबकि सर्वहित को ध्यान में रखकर काम करने से सभी के जीवनस्तर में सुधार होता है। मसलन किसी भी नागरिक के लिए कर (टैक्स) न देना उसके निजी फ़ायदे में माना जा सकता है लेकिन यही सर्वहित में सभी से कर न लिया जाए तो यातायात, रक्षा, शिक्षा, अपराध की रोकथाम, आपातकालीन सहायता, इत्यादि लगभग जीवन के सभी पहलुओं पर बुरा प्रभाव पड़ता है। .

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सर्वेक्षण

सर्वेक्षण उपकरणो की तालिका सर्वेक्षण (Surveying) उस कलात्मक विज्ञान को कहते हैं जिससे पृथ्वी की सतह पर स्थित बिंदुओं की समुचित माप लेकर, किसी पैमाने पर आलेखन (plotting) करके, उनकी सापेक्ष क्षैतिज और ऊर्ध्व दूरियों का कागज या, दूसरे माध्यम पर सही-सही ज्ञान कराया जा सके। इस प्रकार का अंकित माध्यम लेखाचित्र या मानचित्र कहलाता है। ऐसी आलेखन क्रिया की संपन्नता और सफलता के लिए रैखिक और कोणीय, दोनों ही माप लेना आवश्यक होता है। सिद्धांतत: आलेखन क्रिया के लिए रेखिक माप का होना ही पर्याप्त है। मगर बहुधा ऊँची नीची भग्न भूमि पर सीधे रैखिक माप प्राप्त करना या तो असंभव होता है, या इतना जटिल होता है कि उसकी यथार्थता संदिग्ध हो जाती है। ऐसे क्षेत्रों में कोणीय माप रैखिक माप के सहायक अंग बन जाते हैं और गणितीय विधियों से अज्ञात रैखिक माप ज्ञात करना संभव कर देते हैं। इस प्रकार सर्वेक्षण में तीन कार्य सम्मिलित होते हैं -.

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सस्यविज्ञान

पौधों से भोजन, ईंधन, चारा एवं तन्तु (फाइबर) की प्राप्ति के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को सस्यविज्ञान (Agronomy) कहते हैं। सस्यविज्ञान के अन्तर्गत पादप अनुवांशिकी, पादप क्रियाविज्ञान, मौसमविज्ञान तथा मृदा विज्ञान समाहित हैं। यह जीवविज्ञान, रसायन विज्ञान, अर्थशास्त्र, पर्यावरण, मृदा विज्ञान तथा आनुवांशिकी आदि विषयों का सम्मिलित अनुप्रयोग है। वर्तमान में सस्यवैज्ञानिक अनेकों कार्यों में संलग्न हैं, जैसे- अन्न उत्पादन, अधिक स्वास्थ्यकर भोजन का उत्पादन, पादपों से ऊर्जा का उत्पादन आदि। सस्यवैज्ञानिक प्रायः सस्य आवर्तन (crop rotation), सिंचाई एवं जलनिकास, पादप प्रजनन, पादपकार्यिकी (plant physiology), मृदा-वर्गीकरण, मृदा-उर्वरकता, खरपतवार-प्रबन्धन, कीट-प्रबन्धन आदि में विशेषज्ञता प्राप्त करते हैं। .

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सामाजिक संघटन

समाजशास्त्र में, सामाजिक संघटन एक सैद्धांतिक अवधारणा होती है जिसके अंतर्गत एक समाज या सामाजिक संरचना को एक "क्रियाशील संघटन" के रूप में देखते हैं। इस दृष्टिकोण से, आदर्शतः, सामाजिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, सामाजिक विशेषताओं, जैसे कानून, परिवार, अपराध आदि, के संबंधों का निरीक्षण समाज के अन्य लक्षणों के साथ पारस्परिक क्रिया के दौरान किया जाता है। एक समाज या सामाजिक संघटन के सभी अवयवों का एक निश्चित प्रकार्य होता है जो उस संघटन के स्थायित्व और सामंजस्य को बनाये रखता है। .

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सामाजिक विज्ञान

सामाजिक विज्ञान (Social science) मानव समाज का अध्ययन करने वाली शैक्षिक विधा है। प्राकृतिक विज्ञानों के अतिरिक्त अन्य विषयों का एक सामूहिक नाम है 'सामाजिक विज्ञान'। इसमें नृविज्ञान, पुरातत्व, अर्थशास्त्र, भूगोल, इतिहास, विधि, भाषाविज्ञान, राजनीति शास्त्र, समाजशास्त्र, अंतरराष्ट्रीय अध्ययन और संचार आदि विषय सम्मिलित हैं। कभी-कभी मनोविज्ञान को भी इसमें शामिल कर लिया जाता है। .

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सामाजिक अध्ययन

सामाजिक अध्ययन सामाजिक विज्ञान, मानविकी और इतिहास का समाकलित अध्ययन हैं। शालेय कार्यक्रम में, सामाजिक अध्ययन, एक समन्वित व्यवस्थित अध्ययन प्रदान करता है, जो मानवशास्त्र, पुरातत्वशास्त्र, अर्थशास्त्र, भूगोल, इतिहास, विधिशास्त्र, दर्शन, राजनीति विज्ञान, मनोविज्ञान, धर्म, और समाजशास्त्र जैसे अनुशासनों से, और साथ ही, मानविकी, गणित, और प्राकृतिक विज्ञान की उचित सामग्री से, लिया जाता हैं। .

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संधारणीय डिज़ाइन

संधारणीय डिज़ाइन (sustainable design), जिसे कभी-कभी पर्यावरणीय डिज़ाइन का ही भाग माना जाता था, भौतिक वस्तुओं को डिज़ाइन करने की वह शैली है जिसमें सामाजिक, आर्थिक और पारिस्थितिक संधारणीयता (sustainability, सस्टेनेबिलिटी) दृष्टिकोण के आधार पर काम किया जाता है।McLennan, J. F. (2004), The Philosophy of Sustainable Design .

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संरक्षणवाद

संरक्षणवाद (Protectionism) वह आर्थिक नीति है जिसका अर्थ है विभिन्न देशों के बीच व्यापार निरोधक लगाना। व्यापार निरोधक विभिन्न प्रकार से लगाये जा सकते है जैसे:- आयातित वस्तुओं पर शुल्क लगाना, प्रतिबंधक आरक्षण और अन्य बहुत से सरकारी प्रतिबंधक नियम जिनका उद्देश्य आयात को हतोत्साहित करना और विदेशी समवायों (कंपनियों) द्वारा स्थानीय बाजारों और समवायों के अधिग्रहण को रोकना है। यह नीति अवैश्विकरण से सम्बंधित है और वैश्वीकरण और मुक्त व्यापार के बिलकुल विपरीत है, जिसमें सरकारी प्रतिबंधक बाधाओं अतिन्युन्य रखा जाता है ताकि विभिन्न देशों के बीच व्यापार सुगमता से चलता रहे। इस शब्द का उपयोग अधिकतर अर्थशास्त्र में किया जाता है जहाँ संरक्षणवाद का अर्थ ऐसी नीतियों का अपनाया जाना है जिससे उस देश के व्यापार और कर्मचारियों की विदेशी अधिग्रहण रक्षा की जा सके। इसके लिए उस देश की सरकार द्वारा दूसरे देशों के साथ किये जाने वाले व्यापार का विनियमन या प्रतिबंधन किया जाता है। २००८ से २०१३ के बीच संरक्षणवादी नीतियाँ लागू करने वाले प्रमुख देश (ग्लोबल ट्रेड एलर्ट के अनुसार) .

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संस्कृत ग्रन्थों की सूची

निम्नलिखित सूची अंग्रेजी (रोमन) से मशीनी लिप्यन्तरण द्वारा तैयार की गयी है। इसमें बहुत सी त्रुटियाँ हैं। विद्वान कृपया इन्हें ठीक करने का कष्ट करे। .

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संवैधानिक अर्थशास्त्र

संवैधानिक अर्थशास्त्र, अर्थशास्त्र और संविधानवाद के क्षेत्र में एक अनुसंधान कार्यक्रम है जिसे महज 'संवैधानिक कानून के आर्थिक विश्लेषण' की परिभाषा से परे "आर्थिक और राजनीतिक एजेंटों के विकल्पों और गतिविधियों को बाधित करने वाले कानूनी-संस्थागत-संवैधानिक नियमों के वैकल्पिक समूहों से संबंधित विकल्प" के रूप में वर्णित किया गया है। यह उन नियमों के भीतर आर्थिक और राजनीतिक एजेंटों के विकल्पों की व्याख्या से अलग है, जो एक "रूढ़िवादी" अर्थशास्त्र का विषय है। संवैधानिक अर्थशास्त्र "मौजूदा संवैधानिक ढांचे और सीमाओं या उस ढांचे द्वारा बनाई गयी अनुकूल परिस्थितियों के साथ प्रभावी आर्थिक फैसलों की संगतता" का अध्ययन करता है। इसका वर्णन संवैधानिक मामलों पर अर्थशास्त्र के साधनों का प्रयोग करने के लिए एक व्यावहारिक दृष्टिकोण के रूप में किया गया है। उदाहरण के लिए, प्रत्येक देश की एक प्रमुख चिंता, उपलब्ध राष्ट्रीय आर्थिक और वित्तीय संसाधनों के समुचित रूप से आवंटन के संबंध होती है। इस समस्या का कानूनी समाधान संवैधानिक अर्थशास्त्र के दायरे के भीतर आता है। संवैधानिक अर्थशास्त्र "बिक्री योग्य" सामानों और सेवाओं के वितरण की गतिशीलता के कार्यों के रूप में आर्थिक संबंधों को सीमित करने वाले विश्लेषण के विपरीत, राजनीतिक आर्थिक फैसलों के महत्वपूर्ण प्रभावों पर ध्यान देता है। "राजनीतिक अर्थशास्त्री जो मानक सलाह प्रदान करना चाहते हैं, उन्हें आवश्यक रूप से उस प्रक्रिया या संरचना पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए जिसके अंतर्गत राजनीतक फैसले लिए जाते हैं। मौजूदा संविधान या संरचनाएं या नियम "गंभीर जांच का विषय हैं".

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सकल मूल्य वर्धित

सकल मूल्य वर्धित या ग्राॅस वैल्यू ऐडेड(GVA), अर्थशास्त्र में, किसी भी क्षेत्र, उद्योग, अर्थव्यवस्था या व्यावसायिक क्षेत्र में उत्पादित माल व सेवाओं के मूल्य की माप है। राष्ट्रीय खातों में, जीवीए उत्पादन शून्य मध्यवर्ती खपत होता है; यह राष्ट्रीय खातों के उत्पादन खाते का एक संतुलन मद है। .

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सुब्रमनियन स्वामी

डॉ॰ सुब्रह्मण्यम् स्वामी (जन्म: 15 सितम्बर 1939 चेन्नई, तमिलनाडु, भारत) जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। वे सांसद के अतिरिक्त 1990-91 में वाणिज्य, विधि एवं न्याय मन्त्री और बाद में अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार आयोग के अध्यक्ष भी रहे। 1994-96 के दौरान विश्व व्यापार संगठन के श्रमिक मानकों के निर्धारण में उन्होंने प्रभावी भूमिका निभायी। हार्वर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डॉक्ट्रेट की उपाधि प्राप्त करने के बाद उन्होंने साइमन कुजनैट्स और पॉल सैमुअल्सन के साथ कई प्रोजेक्ट्स पर शोध कार्य किया और फिर पॉल सैमुअल्सन के साथ संयुक्त लेखक के रूप में इण्डैक्स नम्बर थ्यौरी का एकदम नवीन और पथ प्रदर्शक अध्ययन प्रस्तुत किया। वे हार्वर्ड विश्वविद्यालय के विजिटिंग फैकल्टी मैम्बर भी रहे हैं। वे ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने अपने आदर्शों के लिए निर्भीक होकर संघर्ष किया है। भारत में आपातकाल के दौरान संघर्ष, तिब्बत में कैलाश-मानसरोवर यात्री मार्ग खुलवाने में उनके प्रयास, भारत-चीन सम्बन्धों में सुधार, भारत द्वारा इजरायल की राजनैतिक स्वीकारोक्ति, आर्थिक सुधार और हिन्दू पुनरुस्थान आदि अनेक उल्लेखनीय कार्य उन्होंने किये हैं। स्वामी ने स्वेच्छा से राष्ट्रहित को सर्वोपरि समझते हुए अपनी पार्टी का विलय भारतीय जनता पार्टी में कर दिया। अब वे एकनिष्ठ होकर नरेन्द्र मोदी को भारत का प्रधानमन्त्री बनाने के लिये पूरे देश में प्रचार किया और भारी बहुमत से जीत हासिल किया और भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी, फिर नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद पुनः Z+ श्रेणी की सुरक्षा दे दिया गया। आजकल नेशनल हेराल्ड केस और अयोध्या राम मंदिर को लेकर चर्चा मे है। .

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स्टार ट्रेक

स्टार ट्रेक एक अमेरिकी कल्पित विज्ञान मनोरंजन श्रृंखला है। मूल स्टार ट्रेक, जीन रॉडेनबेरी द्वारा निर्मित एक अमेरिकी टेलीविज़न श्रृंखला थी, जो पहली बार 1966 में प्रसारित हुई और तीन सीज़नों तक चली, जिसमें कैप्टन जेम्स टी. कर्क और फ़ेडरेशन स्टारशिप ''एंटरप्राइज़'' के चालक दल के अंतरातारकीय रोमांचक कारनामों का अनुगमन किया गया.

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स्टैटा

स्टैटा के साधारण उद्देश्यों की पूर्ति के लिए तय्यार किया गया सांख्यिकी विश्लेषण से जुड़ा सॉफ्टवेयर पैकेज है। इसे 1985 में स्टैटाकॉर्प ने तय्यार किया था। इसके अधिकांश उपयोगकर्ता शोध करते हैं, विशेष रूप से अर्थशास्त्र, राजनीति विज्ञान, चिकित्सा जीवविज्ञान और महामारी विज्ञान के क्षेत्रों में। .

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स्टैटिस्टिकल लैब

कम्यूटर प्रोग्राम स्टैटिस्टिकल लैब एक खोजपूर्ण और इंटरैक्टिव टूलबॉक्स है जिससे सांख्यिकी विश्लेषण और आँकड़ों की दृश्यात्मक प्रस्तुति संभव है। इस का उपयोग सांख्यिकी शैक्षिक अनुप्रयोगों के लिए किया जाता है जो व्यापारिक प्रशासन, अर्थशास्त्र, सामाजिक विज्ञान और मानविकी में किया जाता है। इस प्रोग्राम को बर्लिन मुक्त विश्वविद्यालय के सेंटर फ़ॉर डिजिटल सिस्टम्स ने विकसित किया है। उनके जालस्थल के अनुसार स्रोत कोड निजी उपयोगकर्ताओं के लिए यह ग्नू सार्वजनिक लाइसेंस के अंतरगत उपलब्ध है। इस प्रकार से यदि व्यापारिक उपयोगकर्ता इसकी एक प्रति प्राप्त करना चाहते हैं, तो उन्हें परोक्ष रूप से किसी निजी उपयोगकर्ता से लेना होगा जिनके पास इसकी एक प्रति है (सम्भवतः यह कार्य कर्मचारियों के माध्यम से किया जा सकता है)। .

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स्वतन्त्रता के बाद भारत का संक्षिप्त इतिहास

कोई विवरण नहीं।

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स्वस्थतम की उत्तरजीविता

हरबर्ट स्पेंसर ने वाक्यांश "स्वस्थतम की उत्तरजीविता" को गढ़ा. "स्वस्थतम की उत्तरजीविता" (सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट) एक वाक्यांश है जिसका इस्तेमाल आम तौर पर इसके प्रथम दो प्रस्तावकों: ब्रिटिश बहुश्रुत दार्शनिक हरबर्ट स्पेंसर (जिन्होंने इस शब्द को गढ़ा था) और चार्ल्स डार्विन, द्वारा इस्तेमाल किए गए सन्दर्भ के अलावा अन्य सन्दर्भों में भी किया जाता है। संस्कृत में इसी को दूसरे प्रकार से यों कहा गया है- 'दैवो दुर्बलघातकः' (भगवान भी दुर्बल को ही मारते हैं।) हरबर्ट स्पेंसर ने सबसे पहले इस वाक्यांश का इस्तेमाल चार्ल्स डार्विन की ऑन द ऑरिजिन ऑफ़ स्पीशीज़ को पढ़ने के बाद अपनी प्रिंसिपल्स ऑफ़ बायोलॉजी (1864) में किया था जिसमें उन्होंने अपने आर्थिक सिद्धांतों और डार्विन के जैविक सिद्धांतों के बीच समानताएं व्यक्त करते हुए लिखा कि "यह स्वस्थतम की उत्तरजीविता, जिसे मैंने यहां यांत्रिक शब्दों में व्यक्त करने की कोशिश की है, वह तथ्य है जिसे श्री डार्विन ने 'प्राकृतिक चयन', या जीवन के लिए संघर्ष की पक्षपाती दौड़ का संरक्षण बताया है।" ^ "हरबर्ट स्पेंसर ने 1864 के अपने प्रिंसिपल्स ऑफ़ बायोलॉजी के खंड 1 के पृष्ठ 444 में लिखा: '"यह स्वस्थतम की उत्तरजीविता, जिसे मैंने यहां यांत्रिक शब्दों में व्यक्त करने की कोशिश की है, वह तथ्य है जिसे श्री डार्विन ने 'प्राकृतिक चयन', या जीवन के लिए संघर्ष की पक्षपाती दौड़ का संरक्षण बताया है।", हरबर्ट स्पेंसर, द प्रिसिपल्स ऑफ़ बायोलॉजी 444 (यूनिव. प्रेस ऑफ़ द पैक. 2002) का का हवाला देते हुए डार्विन ने स्पेंसर के नए वाक्यांश "स्वस्थतम की उत्तरजीविता" का इस्तेमाल सबसे पहले 1869 में प्रकाशित किए गए ऑन द ऑरिजिन ऑफ़ स्पीशीज़ के पांचवें संस्करण में "प्राकृतिक चयन" के एक समानार्थी शब्द के रूप में किया था।"अनुकूल विवधताओं इस संरक्षण और हानिकारक भिन्नरूपों के विनाश को मैं प्राकृतिक चयन या स्वस्थतम की उत्तरजीविता कहता हूँ." - डार्विन ने इसका मतलब "तत्काल, स्थानीय पर्यावरण के लिए बेहतर अनुकूलित" के लिए एक रूपक के रूप में, न कि "सर्वश्रेष्ठ शारीरिक आकृति में" सामान्य अनुमान के रूप में निकाला था। इसलिए, यह कोई वैज्ञानिक वर्णन नहीं है, और यह अधूरा होने के साथ-साथ भ्रामक भी है। आधुनिक जीवविज्ञानी आम तौर पर वाक्यांश "स्वस्थतम की उत्तरजीविता" का इस्तेमाल नहीं करते हैं क्योंकि यह शब्द प्राकृतिक चयन का सटीक अर्थ नहीं देता है जिसे (प्राकृतिक चयन) जीवविज्ञानी इस्तेमाल और पसंद करते हैं। प्राकृतिक चयन, आनुवंशिक आधार वाले लक्षणों के एक कार्य के रूप में अन्तरीय प्रजनन को संदर्भित करता है। "स्वस्थतम की उत्तरजीविता", दो महत्वपूर्ण कारणों की दृष्टि से गलत है। पहला, उत्तरजीविता, प्रजनन की पहली आवश्यकता मात्र है। दूसरा, जीव विज्ञान में फिटनेस शब्द का एक विशेष अर्थ है जो कि लोकप्रिय संस्कृति में आजकल इस्तेमाल होने वाले इस शब्द के अर्थ से अलग है। जनसंख्या आनुवंशिकी में, फिटनेस या योग्यता, अन्तरीय प्रजनन को संदर्भित करता है। "योग्यता" इस बात को संदर्भित नहीं करता है कि कोई व्यक्ति "शारीरिक दृष्टि से स्वस्थ" - बड़ा, तेज़ या ताकतवर - या किसी व्यक्तिपरक ज्ञान के अनुसार "बेहतर" है या नहीं.

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स्वास्थ्य सेवा

स्वास्थ्य सेवा या हेल्थकेयर का अर्थ बीमारी की रोकथाम और उपचार करना है। स्वास्थ्य सेवा चिकित्सा, दन्त चिकित्सा, नर्सिंग और स्वास्थ्य से सम्बंधित पेशेवरों द्वारा प्रदान की जाती है। स्वास्थय सेवा तक पहुँच देशों, समूहों और व्यक्तियों के अनुसार बदलती रहती है। इसपर उस जगह की स्वास्थय नीतियों, सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों का गहरा प्रभाव पडता है। हर देश में जनता को स्वास्थय लाभ पहुँचाने हेतु विभिन्न नीतियों का निर्माण किया जाता है। .

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सैन्य नीति

अन्तरराष्ट्रीय सुरक्षा तथा सेना से सम्बन्धित सार्वजनिक नीति को सैन्य नीति (Military policy या defence policy) कहते हैं। सैन्य नीति यह सुनिश्चित करने के लिये बनायी जाती है कि शत्रुओं द्वारा पैदा की गयी कठिनाइयों को दूर करते हुए स्वतन्त्र बने रहें और विकास करते रहें। 'शत्रु' के अन्तर्गत राज्य, अर्ध-राज्य (quasi-state) समूह, गैर-राज्य समूह आदि सभी आते हैं। सैन्य नीति में शान्ति बनाये रखने से लेकर, विवादों के निपटान के लिये, संकट के परबन्धन, और शत्रुओं से युद्ध आदि से सम्बन्धित सभी नीतियों का समावेश होता है। सैन्य नीति के अन्तर्गत वे सभी उच्चस्तरीय विकल्प और सिद्धान्त आते हैं जो सरकारें अपनी रक्षा के लिये अपनातीं हैं-.

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सीमान्त उपयोगिता

अर्थशास्त्र में, किसी वस्तु या सेवा के उपभोग में इकाई वृद्धि करने पर प्राप्त होने वाले लाभ को उस वस्तु या सेवा की सीमान्त उपयोगिता (marginal utility) कहते हैं। अर्थशास्त्री कभी-कभी ह्रासमान सीमान्त उपयोगिता के नियम (law of diminishing marginal utility) की बात करते हैं जिसका अर्थ यह है कि किसी उत्पाद या सेवा के प्रथम अंश से जितना उपयोगिता प्राप्त होती है उतनी उपयोगिता उतने ही बाग से बाद में नहीं मिलती। .

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सी॰एन॰ अन्नादुरै

कांजीवरम्‌ नटराजन्‌ अन्नादुरै तमिलनाडु के लोकप्रिय नेता, अपने प्रदेश के प्रथम गैरकांग्रेसी मुख्यमंत्री एवं द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम दल के संस्थापक थे। इनके नाम का संक्षिप्त रूप अन्ना का तमिल में अर्थ है, आदरणीय बड़ा भाई। उनका जन्म एक बेहद साधारण परिवार में हुआ। तंबाकू से रचे दांत, खूंटीदार दाढ़ी और लुभावनी शुष्क आवाज वाले तकरीबन सवा पांच फीट कद के इस शख्स के साथ ही आधुनिक तमिलनाडु की कहानी जुड़ी है। अन्ना स्वतंत्र भारत के पहले ऐसे नेता थे जिनकी स्वतंत्रता संग्राम में कोई भूमिका नहीं थी। .

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हरिसिंह गौर

सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक '''डॉ हरिसिंह गौर''' डॉ॰ हरिसिंह गौर, (२६ नवम्बर १८७० - २५ दिसम्बर १९४९) सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक, शिक्षाशास्त्री, ख्यति प्राप्त विधिवेत्ता, न्यायविद्, समाज सुधारक, साहित्यकार (कवि, उपन्यासकार) तथा महान दानी एवं देशभक्त थे। वह बीसवीं शताब्दी के सर्वश्रेष्ठ शिक्षा मनीषियों में से थे। वे दिल्ली विश्वविद्यालय तथा नागपुर विश्वविद्यालय के उपकुलपति रहे। वे भारतीय संविधान सभा के उपसभापति, साइमन कमीशन के सदस्य तथा रायल सोसायटी फार लिटरेचर के फेल्लो भी रहे थे।उन्होने कानून शिक्षा, साहित्य, समाज सुधार, संस्कृति, राष्ट्रीय आंदोलन, संविधान निर्माण आदि में भी योगदान दिया। उन्होने अपनी गाढ़ी कमाई से 20 लाख रुपये की धनराशि से 18 जुलाई 1946 को अपनी जन्मभूमि सागर में सागर विश्वविद्यालय की स्थापना की तथा वसीयत द्वारा अपनी पैतृक सपत्ति से 2 करोड़ रुपये दान भी दिया था। इस विश्वविद्यालय के संस्थापक, उपकुलपति तो थे ही वे अपने जीवन के आखिरी समय (२५ दिसम्बर १९४९) तक इसके विकास व सहेजने के प्रति संकल्पित रहे। उनका स्वप्न था कि सागर विश्वविद्यालय, कैम्ब्रिज तथा ऑक्सफोर्ड जैसी मान्यता हासिल करे। उन्होंने ढाई वर्ष तक इसका लालन-पालन भी किया। डॉ॰ सर हरीसिंह गौर एक ऐसा विश्वस्तरीय अनूठा विश्वविद्यालय है, जिसकी स्थापना एक शिक्षाविद् के द्वारा दान द्वारा की गई थी। .

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ह्रासमान प्रतिफल

किसी उत्पादन प्रक्रिया से सम्बन्धित अन्य बातें यथावत रखते हुए उत्पादन के कारक F को समान मात्रा में बढ़ाने पर उत्पादन में समान वृद्धि नहीं होती, बल्कि अपेक्षाकृत कम वृद्धि होती है। अर्थशास्त्र में, ह्रासमान प्रतिफल (diminishing returns या law of diminishing returns) का अर्थ यह है कि किसी उत्पादन प्रक्रिया में जब किसी एक उत्पादन के कारक की मात्रा बढायी जाती है तो इससे आउटपुट में होने वाली वृद्धि क्रमश्ः कम होती जाती है। सामान्य शब्दों में कहें तो जितना ही गुड़ डालते जायेंगे, मिठास उतनी ही नहीं बढ़ेगी (कम बढ़ेगी)। श्रेणी:अर्थशास्त्र के नियम.

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जनसांख्यिकी

आबादी के अनुसार देशों के मानचित्र इस सदी के उत्तरार्ध के लिए मानव जनसंख्या वृद्धि को दर्शाते हुए अनुमान (चार्ट के वैकल्पिक दृश्य भी देखें). जनसांख्यिकी, मानव जनसंख्या का सांख्यिकीय अध्ययन है। यह एक बहुत सामान्य विज्ञान हो सकता है जिसे किसी भी तरह की गतिशील मानव आबादी पर लागू किया जा सकता है, अर्थात् ऐसी आबादी जो समय और स्थान के साथ-साथ परिवर्तित होती है (जनसंख्या गतिशीलता देखें).

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जनकपुर

जनकपुर नेपाल का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है ये नगर प्राचीन काल में मिथिला की राजधानी माना जाता है। यहाँ पर प्रसिद्ध राजा जनक थे। जो सीता माता के पिता थे। यह शहर भगवान राम की ससुराल के रूप में विख्यात है। यथा: जनकपुरादक्षिणान्शे सप्तकोश-व्यतिक्रमें। महाग्रामे गहश्च जनकस्य वै।। जनकपुर की ख्याति कैसे बढ़ी और उसे राजा जनक की राजधानी लोग कैसे समझने लगे, इसके संवन्ध में एक अनुश्रुति प्रचलित है। कहा जाता है कि पवित्र जनक वंश का कराल जनक के समय में नैतिक अद्य:पतन हो गया। कौटिल्य ने प्रसंगवश अपनेअर्थशास्त्र में लिखा है कि कराल जनक ने कामान्ध होकर ब्राह्मण कन्या का अभिगमन किया। इसी कारण वह वनधु-बंधवों के साथ मारा गया। अश्वघोष ने भी अपने ग्रंथ बुद्ध चरित्र में इसकी पुष्टि की है। कराल जनक के बढ़ के पश्चात जनक वंश में जो लोग बच गए, वे निकटवारती तराई के जंगलों में जा छुपे। जहां वे लोग छिपे थे, वह स्थान जनक के वंशजों के रहने के कारण जनकपुर कहलाने लगा। .

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जमाखोरी

अर्थशास्त्र में, किसी व्यापारी द्वारा सामान्य से बहुत अधिक सामान इकट्ठा करना जमाखोरी (hoarding) कहलाता है। जमाखोरी का मुख्य उद्देश्य बाजार में सामानों की कृत्रिम कमी पैदा करना और इससे सामान्य लाभ की अपेक्षा बहुत अधिक लाभ कमाना है। श्रेणी:मूल्य नियंत्रण.

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जयती घोष

जयती घोष एक विकास अर्थशास्त्री हैं। वह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में इकोनॉमिक स्टडीज एंड प्लानिंग, स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं। उनकी विशिष्टताओं में वैश्वीकरण, अंतर्राष्ट्रीय वित्त, विकासशील देशों में रोजगार पैटर्न, व्यापक आर्थिक नीति और लिंग और विकास से जुड़े मुद्दों शामिल हैं। .

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जहाजरानी का इतिहास

नदियों और समुद्रों में नावों और जहाजों से यात्रा तथा व्यापार का प्रारंभ लिखित इतिहास से पूर्व हो गया था। प्राय: साधारण जहाज ऐसे बनाए जाते थे कि आवश्यकता पड़ने पर उनसे युद्ध का काम भी लिया जा सके, क्योंकि जलदस्युओं का भय बराबर बना रहता था और इनसे जहाज की रक्षा की क्षमता आवश्यक थी। ये जहाज डाँड़ों या पालों अथवा दोनों से चलाए जाते थे और वांछित दिशा में ले जाने के लिये इनमें किसी न किसी प्रकार के पतवार की भी व्यवस्था होती थी। स्थलमार्ग से जलमार्ग सरल और सस्ता होता है, इसलिये बहुत बड़ी या भारी वस्तुओं को बहुत दूर के स्थानों में पहुँचाने के लिये आज भी नावों अथवा जहाजों का उपयोग होता है। प्राचीन काल में सभ्यता का उद्भव नौगम्य नदियों या समुद्रतटों पर ही विशेष रूप से हुआ और ये ही वे स्थान थे जहाँ विविध संस्कृतियों की, जातियों के सम्मिलन से, परवर्ती प्रगति का बीजारोपण हुआ। .

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ज़ाकिर हुसैन (राजनीतिज्ञ)

डाक्टर ज़ाकिर हुसैन (8 फरवरी, 1897 - 3 मई, 1969, indiapress.org पर भारत के पूर्व राष्ट्रपतियों की जीवनी) भारत के तीसरे राष्ट्रपति थे जिनका कार्यकाल 13 मई 1967 से 3 मई 1969 तक था। डा.

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जगदीश एन. भगवती

जगदीश नटवरलाल भगवती (जन्म 26 जुलाई 1934) एक भारतीय अर्थशास्त्री हैं और कोलम्बिया विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र और कानून के प्रोफ़ेसर हैं। उन्हें अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अनुसंधान के लिए जाना जाता है। वे मुक्त व्यापार के समर्थक के रूप में भी विख्यात हैं। वे न्यूयॉर्क में विदेश सम्बन्ध परिषद् में एक आवासी सदस्य (रेज़िडेंट फेलो) भी हैं। .

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जकार्ता

जकार्ता इंडोनेशिया की राजधानी एवं सबसे बड़ा नगर है। जकार्ता जावा के उत्तर-पश्चिमी तट पर स्थित है। इसका कुल क्षेत्रफल ६६१कि.मी.

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जुआ

Men Playing Board Games जुआ (gambling) एक अति प्राचीन खेल है। भारत में जुए का खेल अक्षक्रीड़ा या अक्षद्यूत के नाम से विख्यात है। वेद के समय से लेकर आज तक यह भारतीयों का अत्यंत लोकप्रिय खेल रहा है। ऋग्वेद के एक प्रख्यात सूक्त (10। 34) में कितव (जुआड़ी) अपनी दुर्दशा का रोचक चित्र खींचता है कि जुए में हार जाने के कारण उसकी भार्या तक उसे नहीं पूछती, दूसरों की बात ही क्या? वह स्वयं शिक्षा देता है- अक्षैर्मा दीव्यः कृषिमित् कृषस्व (ऋ. 10। 34। 13)। महाभारत जैसा प्रलयंकारी युद्ध भी अक्षक्रीड़ा के परिणामस्वरूप ही हुआ। पाणिनि की अष्टाध्यायी तथा काशिका के अनुशीलन से अक्षक्रीड़ा के स्वरूप का पूरा परिचय मिलता है। पाणिनि उसे आक्षिक कहते हैं। (अष्टा. 4। 4। 2)। पतंजलि ने सिद्धहस्त द्यूतकर के लिए अक्षकितव या अक्षधूर्त शब्दों का प्रयोग किया है। वैदिक काल में द्यूत की साधन सामग्री का निश्चित परिचय नहीं मिलता, परंतु पाणिनी के समय (पंचम शती ई. पू.) में यह खेल अक्ष तथा शलाका से खेला जाता था। कौटिल्य के अर्थशास्त्र का कथन है कि द्यूताध्यक्ष का यह काम है कि वह जुआड़ियों को राज्य की ओर से खेलने के लिए अक्ष और शलाका दिया करे (3। 20)। किसी प्राचीन काल में अक्ष से तात्पर्य बहेड़ा (बिभीतक) के बीज से था। परंतु पाणिनि काल में अक्ष चौकनी गोटी और शलाका आयताकार गोटी होती थी। इन गोटियों की संख्या पाँच होती थी, ऐसा अनुमान तैत्तिरीय ब्राह्मण (1। 7। 10) तथा अष्टाध्यायी से भलीभाँति लगाया जा सकता है। ब्राह्मणों के ग्रंथों में इनके नाम भी पाँच थे- अक्षराज, कृत, त्रेता, द्वापर तथा कलि। काशिका इसी कारण इस खेल को पंचिका द्यूत के नाम से पुकारती है (अष्टा. 2। 1। 10 पर वृत्ति)। पाणिनि के अक्षशलाका संख्याः परिणा (2। 1। 10) सूत्र में उन दशाओं का उल्लेख है जिनमें गोटी फेंकने वाले की हार होती थी और इस स्थिति की सूचना के लिए अक्षपरि, शलाकापरि, एकपरि, द्विपरि, त्रिपरि तथा चतुष्परि पदों का प्रयोग संस्कृत में किया जाता था। काशिका के वर्णन में स्पष्ट है कि यदि उपर्युक्त पाँचों गोटियाँ चित्त गिरें या पट्ट गिरें, तो दोनों अवस्थाओं में गोटी फेंकने वाले की जीत होती थी (यत्र यदा सर्वे उत्तान पतन्ति अवाच्यो वा, तदा पातयिता जयति। तस्यैवास्य विद्यातोन्यथा पाते जायते- काशिका 2। 1। 10 पर)। अर्थात् यदि एक गोटी अन्य गोटियों की अवस्था से भिन्न होकर चित्त या पट्ट पड़े, तो हार होती थी और इसके लिए एकपरि शब्द प्रयुक्त होते थे। इसी प्रकार दो गोटियों से होने वाली हार को द्विपरि तीन से त्रिपरि तथा चार की हार को चतुष्परि कहते थे। जीतने का दाँव कृत और हारने का दाँव कलि कहलाता था। बौद्ध ग्रंथों में भी कृत तथा कलि का यह विरोध संकेतित किया गया है (कलि हि धीरानं, कटं मुगानं)। जुए में बाजी भी लगाई जाती है और इस द्रव्य के लिए पाणिनि ने ग्लह शब्द की सिद्धि मानी है (अक्षे षु ग्लहः, अष्टा. 3। 3। 70)। महाभारत के प्रख्यात जुआड़ी शकुनि का यह कहना ठीक ही है कि बाजी लगाने के कारण ही जुआ लोगों में इतना बदनाम है। महाभारत, अर्थशास्त्र आदि ग्रंथों से पता चलता है कि जुआ सभा में खेला जाता था। स्मृति ग्रंथों में जुआ खेलने के नियमों का पूरा परिचय दिया गया है। अर्थशास्त्र के अनुसार जुआड़ी को अपने खेल के लिए राज्य को द्रव्य देना पड़ता था। बाजी लगाए गए धन का पाँच प्रतिशत राज्य को कर के रूप में प्राप्त होता था। पंचम शती में उज्जयिनी में इसके विपुल प्रचार की सूचना मृच्छकटिक नाटक से हमें उपलब्ध होती है। .

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जैव संरक्षण

जैव संरक्षण, प्रजातियां, उनके प्राकृतिक वास और पारिस्थितिक तंत्र को विलोपन से बचाने के उद्देश्य से प्रकृति और पृथ्वी की जैव विविधता के स्तरों का वैज्ञानिक अध्ययन है। यह विज्ञान, अर्थशास्त्र और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के व्यवहार से आहरित अंतरनियंत्रित विषय है। शब्द कन्सर्वेशन बॉयोलोजी को जीव-विज्ञानी ब्रूस विलकॉक्स और माइकल सूले द्वारा 1978 में ला जोला, कैलिफ़ोर्निया स्थित कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय में आयोजित सम्मेलन में शीर्षक के तौर पर प्रवर्तित किया गया। बैठक वैज्ञानिकों के बीच उष्णकटिबंधीय वनों की कटाई, लुप्त होने वाली प्रजातियों और प्रजातियों के भीतर क्षतिग्रस्त आनुवंशिक विविधता पर चिंता से उभरी.

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जैक प्रेगेर

जैक प्रेगेर (जन्म 25 जुलाई 1930 को मैन्चेस्टर, इंग्लैंड के एक यहूदी परिवार में हुआ) एक ब्रिटिश डॉक्टर हैं जो चिकित्सा उपचार के साथ-साथ पेशेवर प्रशिक्षण सुविधा भारत के शहर कोलकाता और पश्चिमी बंगाल की गरीब जनता को 1972 से प्रदान करते आ रहे हैं। इसी लक्ष्य के तहत उन्होंने कोलकाता रेस्क्यू नामक संस्था भी बनाई है। जैक ने छोटी-सी उम्र में न्याय का अर्थ समझ लिया था जब बालक अवस्था में उन्होंने अपनी फ़्रांस में जन्मी मौसी को हिटलर की सेना के हाथों जान गवाँते देखा था। जैक ने सेंट एडमंड हॉल, ऑक्स्फ़ोर्ड से स्नतक की शिक्षा पूरी की। यहीं से स्नातकोत्तर में अन्होंने अर्थशास्त्र और राजनीति शास्त्र पढ़े। इसके पश्चात कुछ वर्षों के लिए वह वेल्स में किसान के रूप में काम करते रहे। फिर उन्होंने अपने खेत को बेचकर डॉक्टर बनने का निर्णय लिया। 1965 में उन्हें डबलिन के रॉयल कॉलेज ऑफ़ सरजिन्स में प्रवेश मिला। उस समय उनकी आयु 35 वर्ष की थी। .

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जेनेटिक एल्गोरिद्म

2006 में निर्मित नासा का अंतरिक्षयान एण्टेना (ST5): एण्टेना का यह जटिल आकार एक विकासात्मक एल्गोरिद्म का प्रयोग करके प्राप्त किया गया था। जेनेटिक एल्गोरिथ्म (GA) एक सर्च (खोज) तकनीक है जिसका उपयोग इष्टतमीकरण तथा खोजने की समस्याओं के लिए सटीक या सन्निकट हल प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह एल्गोरिद्म, अनेकों विकासात्मक कलनविधियों में से एक है। विकासात्मक कलनविधियाँ, विकासवाद तथा उससे सम्बन्धित अवधारणाओं (वंशागति, उत्परिवर्तन, चुनाव, तथा क्रासओवर आदि) तकनीकों के अनुसरण पर आधारित हैं। .

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जेरेमी बेन्थम

जेरेमी बेंथम जेरेमी बेन्थम (Jeremy Bentham) (15 फ़रवरी 1748 – 6 जून 1832) इंग्लैण्ड का न्यायविद, दार्शनिक तथा विधिक व सामाजिक सुधारक था। वह उपयोगितावाद का कट्टर समर्थक था। वह प्राकृतिक विधि तथा प्राकृतिक अधिकार के सिद्धान्तों का कट्टर विरोधी था। सन् १७७६ में उसकी 'शासन पर स्फुट विचार' (Fragment on Government) शीर्षक पुस्तक प्रकाशित हुई। इसमें उसने यह मत व्यक्त किया कि किसी भी कानून की उपयोगिता की कसौटी यह है कि जिन लोगों से उसका संबंध हो, उनके आनंद, हित और सुख की अधिक से अधिक वृद्धि वह करे। उसकी दूसरी पुस्तक 'आचार और विधान के सिद्धांत' (Introduction to Principles of Morals and Legislation) १७८९ में निकली जिसमें उसके उपयोगितावाद का सार मर्म सन्निहित है। उसने इस बात पर बल दिया कि 'अधिकतम व्यक्तियों का अधिकतम सुख' ही प्रत्येक विधान का लक्ष्य होना चाहिए। 'उपयोगिता' का सिद्धांत वह अर्थशास्त्र में भी लागू करना चाहता था। उसका विचार था कि प्रत्येक व्यक्ति को, किसी भी तरह के प्रतिबंध के बिना, अपना हित संपन्न करने की स्वतंत्रता रहनी चाहिए। सूदखोरी के समर्थन में उसने एक पुस्तक 'डिफेंस ऑव यूज़री' (Defence of Usury) सन् १७८७ में लिखी थी। उसने गरीबों संबंधी कानून (पूअर लाँ) में सुधार करने के लिए जो सुझाव दिए, उन्हीं के आधार पर सन् १८३४ में उसमें कई संशोधन किए गए। पार्लियामेंट में सुधार कराने के संबंध में भी उसने एक पुस्तक लिखी थी (१८१७)। इसमें उसने सुझाव दिया था कि मतदान का अधिकार प्रत्येक वयस्क व्यक्ति को मिलना चाहिए और चुनाव प्रति वर्ष किया जाना चाहिए। उसने बंदीगृहों के सुधार पर भी बल दिया। और १८११ में 'दंड और पुरस्कार' (Punishments and Rewards) शीर्षक एक पुस्तक लिखी। .

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जॉन फोर्ब्स नैश जूनियर

जॉन नैश जॉन फोर्ब्स नैश (जून 13, 1928 – मई 23, 2015) एक अमेरिकी गणितज्ञ थे जिन्होंने खेल सिद्धान्त, अवकल ज्यामिति और आंशिक अवकल समीकरणों पर कार्य किया। उनके सिद्धान्तों का उपयोग अर्थशास्त्र, कंप्यूटर, विकासीय जीवविज्ञान, कृत्रिम बुद्धि, लेखाकरण, राजनीति और सैन्य सिद्धांत में काम में आने लगी। उन्होंने अपनी सेवायें प्रींसटन यूनिवर्सिटी में भी दी। इसी दौरान उन्हें वर्ष 1994 में खेल सिद्धान्तवादी रैनहार्ड सेल्टीन और जॉन हर्सानयी के साथ अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार दिया गया। वर्ष 2015 में उन्हें आंशिक अवकल समीकरण के क्षेत्र में उनके कार्यों के लिए एबेल पुरस्कार (लुई निरेनबर्ग के साथ) से सम्मानित किया गया। मई 23, 2015 को एक कार हादसे में उनका उनकी पत्नी के साथ निधन हो गया। .

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जॉन मथाई

डॉ जॉन मथाई भारत के शिक्षाविद, अर्थशास्त्री एवं न्यायविद् थे। जॉन मथाई का जन्म त्रिवेंद्रम नगर में 10 जनवरी 1886 ई को एक धनी कुटुंब में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा त्रिवेंद्रम में ही हुई। इसके उपरांत उन्होंने मद्रास क्रिश्चियन कालेज में शिक्षा प्राप्त की। बी ए तथा बी एल की डिग्रियाँ प्राप्त कर वे लंदन गए और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से बी लिट् की डिग्री प्राप्त की। फिर उन्होंने डी एस-सी की डिग्री लंदन विश्वविद्यालय से प्राप्त की। 1910 ई से 1918 ई तक वे मद्रास हाईकोर्ट के वकील रहे। 1920 ई से 1925 ई तक मद्रास के प्रेजीडेंसी कालेज में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे। 1922 ई से 1925 ईदृ तक वे मद्रास लेजिस्लेटिव कौंसिल के तथा 1925 से 1931 तक इंडियन टैरिफ बोर्ड के सदस्य रहे। 1935 में वे कामर्शियल इंटेलिजेंस तथा स्टैटिस्टिक्स के महा निदेशक नियुक्त हुए। 10 जनवरी 1940 ई को उन्हें अवकाश प्राप्त हुआ। 1944 ई से 1946 ई तक टाटा संस लिमिटेड के निदेशक रहने के बाद केंद्र में परिवहन मंत्री बने। इसके बाद 1950 तक उन्होंने वित्त मंत्री का कार्यभार सम्हाला और फिर यहाँ से त्यागपत्र देकर वे पुन: टाटा संस लिमिटेड के निदेशक नियुक्त हुए। जुलाई, 1955 ई से सितंबर, 1956 ई तक वे भारतीय स्टेट बैंक के बोर्ड ऑव डाइरेक्टर्स के अध्यक्ष रहे। इसी बीच वे मुंबई विश्वविद्यालय के उपकुलपति नियुक्त हुए और फिर 1958 से 1959 तक केरल विश्वविद्यालय के उपकुलपति रहे। 1959 ई में भारत सरकार ने उन्हें पद्मविभूषण की उपाधि से विभूषित किया। उनकी मृत्यु 1959 ई में हुई। डाक्टर जॉन मथाई ने ये पुस्तकें लिखी हैं: (1) विलेज गवर्नमेंट इन ब्रिटिश इंडिया (2) ऐग्रीकलचरल कोआपरेशन इन इंडिया, (3) एक्साइज ऐंड लिकर कंट्रोल। श्रेणी:पद्मविभूषण.

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जॉन मेनार्ड कीन्स

जोन मेनार्ड केन्स मार्शल के शिष्य जान मेनार्ड कीन्स (1883) का 'रोजगार, ब्याज एवं मुद्रा का सामान्य सिद्धांत' (सन्‌ 1936) नामक ग्रंथ अर्थशास्त्र की विशेष महत्वपूर्ण पुस्तक है। वास्तव में इस ग्रंथ ने पाश्चात्य अर्थशास्त्रियों की विचारधारा को आमूल परिवर्तित कर दिया है। इसी पर हेराड डोमर का सुप्रसिद्ध विकास माडल, लियोंतिफ का इन-पुट आउटपुट माडल आदि कई महत्वपूर्ण सिद्धांत उद्भूत हुए हैं। प्रो॰ सैम्युलसन मानते हैं कि कोई भी व्यक्ति या अर्थशास्त्री एक बार कीन्स के विश्लेषण से प्रभावित होने के बाद पुरानी विचारधाराओं की ओर नहीं लौटा। कीन्स के प्रभाव के कारण ही उनके पूर्ववर्ती आलोचक भी उनके समर्थक हो गए। वे बहुत स्पष्टवादी रहे और इसी कारण उनके आर्थिक विचार सुलझे हुए हैं। उन्होंने व्यावहारिक क्षेत्र में भी यथेष्ट योगदान दिया था। अमेरिका की न्यू डील, अंतराष्ट्रीय मुद्राकोष तथा अंतराष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (विश्व बैंक) आदि की स्थापना में उनका सक्रिय योगदान रहा है। कीन्स व्यष्टि अर्थशास्त्र के जन्मदाता रहे हैं। इसी हेतु उनका ग्रंथ 'सामान्य सिद्धांत' इतना लोकप्रिय हुआ। वैसे भी इस ग्रंथ में उन्होंने व्यापक आर्थिक विश्लेषण को स्पष्ट किया। उन्होंने अर्थशास्त्र को कुल आय तथा प्रभावी मांग का सिद्धांत दिया। उनके अनुसार रोजगार प्रभावी माँग पर निर्भर करता है। प्रभावी माँग स्वयं उपयोग तथा विनियोग पर निर्भर करती है। उपभोग का निर्धारण आय के आकार और समाज की उपभोग प्रवृत्ति के अनुसार होता है। अत: यदि रोजगार बढ़ाना है तो उपभोग तथा विनियोग दोनों में वृद्धि करना चाहिए। कीन्स ने मार्शल, पीगू, फिशर द्वारा दी गई आय की स्थैतिक परिभाषाओं में से किसी को भी स्वीकार नहीं किया क्योंकि कीन्स कें अनुसार वे उन तत्वों पर कोई प्रकाश नहीं डालतीं जो किसी विशेष समय में अर्थव्यवस्था में रोजगार और आय के स्तर को निर्धारित करते हैं। कीन्स ने सर्वप्रथम राष्ट्रीय आय की परिभाषा इस प्रकार दी जिससे उसे समाज में रोजगार का निर्धारण करने में सहायता मिले। मार्शल के मूल्य सिद्धांत का आधार जिस प्रकार 'कीमत' है, वैसे ही कीन्स के रोजगार सिद्धांत का आधार 'आय' है। उनके अनुसार 'कुल आय.

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जॉन स्टूवर्ट मिल

जॉन स्टूवर्ट मिल (सन १८६५ में) जॉन स्टूवर्ट मिल (John Stuart Mill) (1806 - 1873) प्रसिद्ध आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, एवं दार्शनिक चिन्तक तथा प्रसिद्ध इतिहासवेत्ता और अर्थशास्त्री जेम्स मिल का पुत्र। .

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जोसे मैनुअल बरासो

200 px जोसे मैनुअल दुराओ बरासो, जिनका जन्म लिस्बन में २३ मार्च, १९५६) को हुआ था पुर्तगाली राजनेता एवं यूरोपीय संघ के ग्यारहवें अध्यक्ष हैं। वे पहले ऐसे पुर्तगाली हैं जो इस पद पर पहुंचे हैं। वे ६ अप्रैल २००२ से १७ जुलाई २००४ तक पुर्तगाल के प्रधानमंत्री रहे जब उन्होंने यूरोपीय संघ की अध्यक्षता के लिए अपना त्यागपत्र दिया था। यूरोपीय संसद के अनुमोदन के बाद उन्होंने उस वर्ष २२ जुलाई को अपने निवर्तमान अध्यक्ष रोमानो प्रोदी से पदभार ग्रहण किया। हलाकि बरासो आयोग ने इसका अनुमोदन २३ नवंबर २००४ को किया। अपनी मातृभाषा पुर्तगाली के अतिरिक्त श्री बरासो अंग्रेजी, जर्मन एवं फ्रेंच में निपुण माने जाते हैं। जिसने यूरोपीय संघ की अध्यक्षता हासिल करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। .

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जीसस ह्युअर्टा डि सोटो

जीसस ह्युअर्टा डि सोटो बालेस्टर (मैड्रिड, १९५६) अर्थशास्त्र के आधुनिक ऑस्ट्रियन स्कूल के सबसे प्रमुख अर्थशास्त्रियों मे से एक हैं, वे एक स्पैनिश राजनीतिक सैद्धांतविद हैं जोकि मैड्रिड की युनिवर्सिडाड रे जुआन कार्लोस मे पॉलिटिकल इकॉनोमी के प्रॉफ़ेसर के रूप मे कार्यरत हैं। ह्युअर्टा डि सोटो लुड्विग वॉन मिसेस इंस्टीट्यूट के सदस्य हैं जो द ऑस्ट्रियन इकॉनोमिक्स न्य़ुजलैटर (समर १९९७; वोल. १७, नंबर २, मे प्रकाशित हुआ।) और वे फ़ंडासिओन इंस्टिट्युटो मैड्रिलेनो डि एस्ट्युडिओस एवान्ज़ाडोस (आइएमडीईए) सीन्सिआस सोशिआल्स के सहायक व संरक्षक और मॉन्ट पेलेरिन सोसायिटी (२०००-२००४) के उपकुलपति भी रहे हैं। ह्युअर्टा डि सोटो ने कई सारे महत्वपूर्ण अकादमिक योगदान किये हैं जिनमे उनकी पुस्तक, प्लेन्स डि पेन्शन्स प्रिवाडोस भी सम्मिलित है जिसके लिये उन्हे किंग जुआन कार्लोस द्वारा १९८३ मे प्रेमिओ इंटरनेशनल डि इकॉनोमिआ का पुरस्कार प्रदान किया गया था। .

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वर्षामापी

मानक '''वर्षामापी''' वर्षामापी का रेकार्ड (Tipping Bucket Rain Gauge Recorder) वर्षा रिकार्डर के चार्ट का पास से लिया गया दृष्य वर्षामापी (rain gauge या udometer या pluviometer) एक ऐसी युक्ति है जो वर्षा की मात्रा की माप करता है। मौसमविज्ञानी इसका बहुत उपयोग करते हैं। .

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विदेश नीति

किसी देश की विदेश नीति, जिसे विदेशी संबंधों की नीति भी कहा जाता है, अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने के लिए और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के वातावरण में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए राज्य द्वारा चुनी गई स्वहितकारी रणनीतियों का समूह होती है। किसी देश की विदेश नीति दूसरे देशों के साथ आर्थिक, राजनैतिक, सामाजिक तथा सैनिक विषयों पर पालन की जाने वाली नीतियों का एक समुच्चय है। वैश्वीकरण और अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों में बढ़ते गहन स्तर की वजह से अब राज्यों को गैर-राज्य अभिनेताओं के साथ भी सहभागिता करनी पड़ेगी। .

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विधिशास्त्र

न्यायशास्त्र के दार्शनिक स्वयं से ही प्रश्न करते रहते हैं - "नियम क्या है?"; "क्या नियम होना चाहिये?" विधिशास्त्र या न्यायशास्त्र (Jurisprudence), विधि का सिद्धान्त, अध्ययन व दर्शन हैं। इसमें समस्त विधिक सिद्धान्त सम्मिलित हैं, जो क़ानून बनाते हैं। विधिशास्त्र के विद्वान, जिन्हें जूरिस्ट या विधिक सिद्धान्तवादी (विधिक दार्शनिक और विधि के सामाजिक सिद्धान्तवादी, समेत) भी कहा जाता हैं, विधि, विधिक कारणन, विधिक प्रणाली और विधिक संस्थाओं के प्रकृति की गहरी समझ प्राप्त कर पाने की आशा रखते हैं। विधि के विज्ञान के रूप में विधिशास्त्र विधि के बारे में एक विशेष तरह की खोजबीन है। विधिशास्त्र "जूरिसप्रूडेंस" अर्थात् Juris .

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विनिमय

विनिमय का अर्थ है किसी वस्तु के बदले किसी दूसरी वस्तु का आदान-प्रदान करना। जब हम किसी वस्तु के बदले दूसरी वास्तु देते या प्राप्त करते हैं तो वह विनिमय कार्य कहलाता हैं। विनिमय को दो वर्गों में विभाजित किया गया हैं। विनिमय अर्थशास्त्र विषय की विषय सामग्री है। .

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विनोद राय

विनोद राय (जन्म: 23 मई 1948) भारत के ११वें नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक थे। इस पद पर वे 7 जनवरी 2008 से २२ मई २०१३ तक थे। यूपीए सरकार द्वारा किये गये लाखों करोड़ रुपये के टूजी स्पेक्ट्रम घोटाला एवं कोयला घोटाला की सनसनीखेज रिपोर्टों के कारण वे चर्चा में आये थे। सम्प्रति वे संयुक्त राष्ट्र के बाहरी लेखापरीक्षकों के अध्यक्ष हैं। वे दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दू कॉलेज से अर्थशास्त्र में एम०ए० हैं इसके अतिरिक्त उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से लोक प्रशासन में स्नातकोत्तर की उपाधि भी प्राप्त कर रखी है। १९७२ बैच के आई०ए०एस० अधिकारी रहे विनोद राय इससे पूर्व कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं। जब प्रधानमन्त्री कार्यालय के राज्य मन्त्री वी० नारायणसामी ने सार्वजनिक रूप से मीडिया के सामने यह बयान दिया कि "सीएजी को सरकारी स्कीमों में हो रहे स्कैमों पर अपनी टिप्पणी देने का कोई अधिकार ही नहीं है, इससे भारत के नियन्त्रक एवं महालेखाकार की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगता है।" तो विनोद राय को स्वयं अपने बचाव में कहना पड़ा कि सीएजी का यह मूलभूत और नैतिक दायित्व है कि वह सरकार के कामकाज में दखल न देते हुए भी आर्थिक मामलों में पायी गयी अनियमितताएँ उसे बताये ताकि संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों की रक्षा की जा सके और सरकार पर नियन्त्रण बना रहे। यदि ऐसा नहीं किया गया तो यह देश की जनता के साथ विश्वासघात होगा।.

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विपणन

विपणन (marketing) एक सतत प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत मार्केटिंग मिक्स (उत्पाद, मूल्य, स्थान, प्रोत्साहन जिन्हें प्रायः ४ Ps कहा जाता है) की योजना बनाई जाती है एवं कार्यान्वयन किया जाता है। यह प्रक्रिया व्यक्तियों और संगठनों के बीच उत्पादों, सेवाओं या विचारों के विनिमय हेतु की जाती है। विपणन को एक रचनात्मक उद्योग के रूप में देखा जाता है, जिसमें शामिल हैं विज्ञापन (advertising), वितरण (distribution) और बिक्री (selling) इसका सम्बन्ध ग्राहकों की भावी आवश्यकताओं और आकांक्षाओं का पूर्व विचार करने से भी है, जो प्रायः बाज़ार शोध के माध्यम से पता लगाई जाती हैं। मूलतः, विपणन किसी संगठन को बनाने या निर्देशित करने करने की प्रक्रिया है, ताकि लोगों को सफलतापूर्वक वह उत्पाद या सेवा बेची जा सके जिसकी न केवल उन्हें ज़रूरत है बल्कि वे उसे खरीदने के इच्छुक भी हैं। इसलिए अच्छा विपणन इस काबिल होना चाहिए कि वह उपभोक्ताओं हेतु एक "प्रस्ताव" या लाभों का सेट बना सके, ताकि उत्पादों या सेवाओं के माध्यम से ग्राहक को उसके पैसे का मूल्य अदा किया जा सके.

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विलफ्रेडो परेटो

विल्फ्रेडो परेटो विलफ़्रेडो परेटो (Vilfredo Federico Damaso Pareto; उच्चारण:; 1848-1923) इटली के इंजीनियर, समाजशास्त्री, अर्थशास्त्री, राजनीतिशास्त्री और दार्शनिक थे। अर्थशास्त्र के क्षेत्र में उन्होने कई महत्वपूर्ण योगदान किए। .

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विलासिता की वस्तुएँ

अर्थशास्त्र की दृष्टि से विलासिता की वस्तुएँ उन वस्तुओं को कहा जात है जिनकी माँग बढ़ती आय के साथ बढ़ती है। यह माँग अत्यावश्यक वस्तुओं के बिल्कुल ही विपरीत है। .

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विलियम पेटी

सर विलियम पेटी (Sir William Petty) (२६ मई १६२३- १६ दिसम्बर १६८७) अंग्रेज अर्थशास्त्री, वैज्ञानिक और दार्शनिक थे। वे सर्वप्रथम ओलिवर क्रॉमवेल और आयरलैंड की सेवाओं के कारण प्रसिद्ध हुए। वे चार्ल्स-२ और जेम्स-२ के दौर में भी महत्वपूर्ण बने रहे। वे इंग्लैंड की संसद औ्र रॉयल सोसायटी के चार्टर सदस्य भी रहे। वे सबसे ज्यादा अपने अर्थशास्त्र के सिद्धांतों औ्र पोलिटिकल अर्थमेटिक की प्रविधियों के कारण स्मरणीय हैं। श्रेणी:अर्थशास्त्री.

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विजयशंकर व्यास

प्राध्यापक विजयशंकर व्यास (जन्म: २१ अगस्त १९३१) एक कृषि-अर्थशास्त्री हैं जिन्हें अर्थशास्त्र में उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने सन् 2005 पद्मभूषण से सम्मानित किया। राजस्थान में ग्रामीण अर्थशास्त्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पद्म्भुषण का सम्मान प्राप्त करने वाले एकमात्र अर्थशास्त्री है। .

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विज्ञान

संक्षेप में, प्रकृति के क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान (Science) कहते हैं। विज्ञान वह व्यवस्थित ज्ञान या विद्या है जो विचार, अवलोकन, अध्ययन और प्रयोग से मिलती है, जो किसी अध्ययन के विषय की प्रकृति या सिद्धान्तों को जानने के लिये किये जाते हैं। विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिये भी करते हैं, जो तथ्य, सिद्धान्त और तरीकों को प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करती है। इस प्रकार कह सकते हैं कि किसी भी विषय के क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान कह सकते है। ऐसा कहा जाता है कि विज्ञान के 'ज्ञान-भण्डार' के बजाय वैज्ञानिक विधि विज्ञान की असली कसौटी है। .

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विक्रम सेठ

विक्रम सेठ विक्रम सेठ (जन्म 20 जून, 1952) भारतीय साहित्य में एक जाने माने नाम है। मुख्य रूप से ये उपन्यासकार और कवि हैं। इनकी पैदाइश और परवरिश कोलकाता में हुई। दून स्कूल और टानब्रिज स्कूल में इनकी प्रारंभिक शिक्षा हुई। आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में इन्होंने दर्शनशास्त्र राजनीतिशास्त्र और अर्थशास्त्र का अध्यन किया, बाद में इन्होंने नानजिंग विश्वविद्यालय में क्लासिकल चीनी कविता का भी अध्यन किया। उन्हें उनके चार प्रमुख उपन्यासों के लिये जाना जाता है.

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विकेंद्रीकरण

विकेन्द्रीकरण अथवा विकेंद्रीकरण कार्यों, शक्तियों, लोगों को या चीजों को केंद्रीय स्थान या प्राधिकारी से हटाकर पुनः विभाजित करने की प्रक्रिया को कहतेjhhh हैं। जबकि केन्द्रीकरण मुख्यतः सरकारी क्षेत्रों में किया जाने वाला और व्यापकर रूप से अध्ययन किया जाने वाला विषय है जिसके समान विकेन्द्रीकरण को सामान्य रूप से परिभाषित नहीं किया जा सकता। विकेन्द्रीकरण का अर्थ भिन्न क्षेत्रों में, इसको लागू करने के तरीकों के अनुसार भिन्न हो सकता है। विकेन्द्रीकरण की अवधारणा को निजी व्यवसायों और संगठनों में समूह गतिकी और प्रबंधन विज्ञान, राजनीति विज्ञान, विधि, लोक प्रशासन, अर्थशास्त्र और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में लागू किया जाता है। .

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व्यष्टि अर्थशास्त्र

आपूर्ति और मांग मॉडल का वर्णन कैसे मूल्य भिन्न प्रत्येक (कीमत आपूर्ति) और प्रत्येक (कीमत मांग में क्रय शक्ति के साथ उन लोगों की इच्छाओं पर उत्पाद की उपलब्धता के बीच एक संतुलन का एक परिणाम के रूप में). ग्राफ एक सही-D1 से मांग में कीमत में वृद्धि और फलस्वरूप मात्रा की आपूर्ति वक्र (एस) पर एक नया बाजार समाशोधन संतुलन बिंदु तक पहुँचने के लिए आवश्यक के साथ D2 में जाने के लिए दर्शाया गया है। सूक्ष्मअर्थशास्त्र (ग्रीक उपसर्ग माइक्रो - अर्थ "छोटा" + "अर्थशास्त्र") अर्थशास्त्र की एक शाखा है जो यह अध्ययन करता है कि किस प्रकार अर्थव्यवस्था के व्यक्तिगत अवयव, परिवार एवं फर्म, विशिष्ट रूप से उन बाजारों में सीमित संसाधनों के आवंटन का निर्णय करते हैं, जहां वस्तुएं एवं सेवाएं खरीदी एवं बेचीं जाती हैं। सूक्ष्म अर्थशास्त्र यह परीक्षण करता है कि ये निर्णय एवं व्यवहार किस प्रकार वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति एवं मांगों को प्रभावित करते हैं, जो मूल्यों का निर्धारण करती हैं और किस प्रकार, इसके बदले में, मूल्य, वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति एवं मांगों को निर्धारित करती है। वृहतअर्थशास्त्र में इसके विपरीत होता है, जिसमें वृद्धि, मुद्रास्फीति, एवं बेरोजगारी से संबंधित क्रियाकलापों का कुल योग शामिल होता है। सूक्ष्मअर्थशास्त्र अर्थव्यवस्था के पूर्व में बताये गए पहलुओं पर राष्ट्रीय आर्थिक नीतियों (जैसे कि कराधान के बदलते स्तरों) के प्रभावों की भी चर्चा करता है। विशेष रूप से लुकास की आलोचना के मद्देनजर, अधिकांश आधुनिक वृहत आर्थिक सिद्धांत का निर्माण 'सूक्ष्मआधारशिला' - अर्थात् सूक्ष्म-स्तर व्यवहार के संबंध में बुनियादी पूर्वधारणाओं के आधार पर किया गया है। सूक्ष्मअर्थशास्त्र का एक लक्ष्य बाजार तंत्र का विश्लेषण करना है जो वस्तुओं एवं सेवाओं के बीच सापेक्ष मूल्य की स्थापना और कई वैकल्पिक उपयोगों के बीच सीमित संसाधनों का आवंटन करता है। सूक्ष्मअर्थशास्त्र बाजार की विफलता का विश्लेषण करता है, जहां बाजार प्रभावशाली परिणाम उत्पन्न करने में विफल रहते हैं और यह पूर्ण प्रतियोगिता के लिए आवश्यक सैद्धांतिक अवस्थाओं का वर्णन करता है। सूक्ष्मअर्थशास्त्र में अध्ययन के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सामान्य संतुलन, असममित जानकारी के अंतर्गत बाजार, अनिश्चितता के अंतर्गत विकल्प और खेल सिद्धांत के आर्थिक अनुप्रयोग शामिल हैं। बाजार व्यवस्था के भीतर उत्पादों के लोच पर भी विचार किया जाता है। .

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व्यवसाय प्रबंध में स्नातकोत्तर

व्यवसाय प्रबंध में स्नातकोत्तर (एमबीए (MBA)) व्यवसाय प्रशासन में मास्टर की डिग्री है, जो विस्तृत श्रृंखला के शैक्षिक विषयों से लोगों को आकर्षित करती है। व्यवसाय प्रबंध में स्नातकोत्तर पद संयुक्त राज्य अमेरिका में आरम्भ हुआ, अतिकाल 19 वीं सदी से उभरता हुआ जैसे देश औद्योगिक बना और कंपनियों ने प्रबंधन के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण की तलाश की.

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व्यवसाय अध्ययन

व्यवसाय अध्ययन (Business studies) एक शैक्षिक विषय है जिसमें लेखांकन, वित्त, विपणन, संगठनात्मक अध्ययन एवं अर्थशास्त्र के मूल तत्त्वों का सम्मिश्रण होता है। यह विषय भारत, आस्ट्रेलिया, कनाडा, स्वीडन, हांगकांग, नेपाल, आयरलैण्ड, न्यूजीलैण्ड, श्री लंका, पाकिस्तान, जिम्बाबवे, अर्जेंटाइना, तंजानिया तथा संयुक्त राजशाही आदि देशों में उच्च स्तर पर पढ़ाया जाता है। .

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व्यवसाय-नीति

व्यावसाय-नीति (बिजनेस एथिक्स या कारपोरेट एथिक्स) नैतिकता का वह रूप है, जो कारोबारी माहौल में पैदा हए नैतिक सिद्धांतों और नैतिक समस्याओं की जांच करता रहता है और उनके सन्दर्भ में कुछ मानदण्डों की स्थापना करता है। यह व्यवसाय के आचरण से जुड़े सभी पहलुओं पर लागू होता है और यह व्यक्तियों और व्यापार संगठनों के आचरण पर समग्र रूप से प्रासंगिक है। व्यावहारिक आचार नीति एक ऐसा क्षेत्र है जिसका सम्बंध कई क्षेत्रों में पैदा हुए नैतिक सवालों से है जैसे चिकित्सीय, तकनीकी, कानूनी और व्यावसायिक नैतिकता। २१वीं सदी में तेजी से अंतरात्मा केंद्रित बाजारों के बढ़ने के बाद और अधिक नैतिक व्यवसाय प्रक्रिया और कार्रवाई (जिसे नैतिकतावाद कहते हैं) की मांग बढ़ी.

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व्यवसायिक अर्थशास्त्र

व्यावसायिक अर्थशास्त्र जिसे आमतौर पर प्रबंधकीय अर्थशास्त्र के रूप में भी जाना जाता है, अर्थशास्त्र की एक संप्रयोग शाखा है जो व्यापार प्रबंधन के साथ जुड़ा हुआ है। .

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व्यूहों की सूची

मैट्रिक्स का संगठन इस पृष्ठ पर इंजीनियरिंग, विज्ञान और गणित में प्रयुक्त प्रमुख व्यूहों की सूची दी गयी है। व्यूहों का अध्ययन एवं अनुप्रयोग का लम्बा इतिहास है। इसलिये उन्हें तरह-तरह से वर्गीकृत किया जाता रहा है। वर्गीकरण का एक तरीका यह है कि व्यूहों को उनके अवयवों के आधार पर वर्गीकृत किया जाय। उदाहरण के लिये नीचे आइडेंटिटी मैट्रिक्स दी गयी है- वर्गीकरण का दूसरा आधार मैट्रिक्स का आगेनवैल्यू है। इसके अलावा गणित, रसायन शास्त्र और भौतिक विज्ञान, तथा अन्य विज्ञानों में कुछ विशेष तरह के मैट्रिक उपयोग में आते हैं। .

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वैश्विक स्वास्थ्य

वैश्विक स्वास्थ्य वैश्विक संदर्भ में लोगों का स्वास्थ्य से संबंधित मामला है और यह किसी व्यक्ति के राष्ट्र की चिंताओं और दृष्टिकोण से परे मामला है। स्वास्थ्य समस्याएं, जो राष्ट्रीय सीमाओं को पार कर जाती हैं या जिनका वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव पड़ता है, पर हमेशा जोर दिया जाता है। इसे कुछ इस तरह से परिभाषित किया गया है, 'यह अध्ययन, शोध और अभ्यास का वह क्षेत्र है जिसमें दुनिया के लोगों के स्वास्थ्य सुधार और स्वास्थ्य में समानता प्राप्त करने को प्राथमिकता दी जाती है'.

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वैकासिक अर्थशास्त्र

वैकासिक अर्थशास्त्र (Development economics) अर्थशास्त्र की एक शाखा है जो प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के मामले में पिछड़े रहने वाले देशों को उनकी ग़रीबी से छुटकारा दिलाने से संबंधित नीतियाँ और सिद्धांत प्रस्तावित करते हैं। 'विकास' (डिवेलपमेंट) और 'संवृद्धि' (ग्रोथ) के प्रत्ययों में स्पष्ट अंतर करने वाले इस अर्थशास्त्र को वैकासिक या विकासवादी के बजाय आर्थिक संवृद्धि के अर्थशास्त्र के रूप में पेश करने पर जोर देते हैं। .

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वेश्यावृत्ति

टियुआना, मेक्सिको में वेश्या अर्थलाभ के लिए स्थापित संकर यौन संबंध वेश्यावृत्ति कहलाता है। इसमें उस भावनात्मक तत्व का अभाव होता है जो अधिकांश यौनसंबंधों का एक प्रमुख अंग है। विधान एवं परंपरा के अनुसार वेश्यावृत्ति उपस्त्री सहवास, परस्त्रीगमन एवं अन्य अनियमित वासनापूर्ण संबंधों से भिन्न होती है। संस्कृत कोशों में यह वृत्ति अपनाने वाले स्त्रियों के लिए विभिन्न संज्ञाएँ दी गई हैं। वेश्या, रूपाजीवा, पण्यस्त्री, गणिका, वारवधू, लोकांगना, नर्तकी आदि की गुण एवं व्यवसायपरक अमिघा है - 'वेशं (बाजार) आजोवो यस्या: सा वेश्या' (जिसकी आजीविका में बाजार हेतु हो, 'गणयति इति गणिका' (रुपया गिननेवाली), 'रूपं आजीवो यस्या: सा रूपाजीवा' (सौंदर्य ही जिसकी आजीविका का कारण हो); पण्यस्त्री - 'पण्यै: क्रोता स्त्री' (जिसे रुपया देकर आत्मतुष्टि के लिए क्रय कर लिया गया हो)। .

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वॉरेन बफे

वॉरेन बफे | spouse .

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वी.जी. सिद्धार्थ

वी.जी.

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वीर दास

वीर दास (जन्म ३१ मई १९७९) में हुआ था ये एक भारतीय बॉलीवुड फ़िल्म अभिनेता है। इन्होंने अपने फ़िल्मी कैरियर की शुरुआत २००७ में की थी। वीर दास एक मंच पर कॉमेडी करने वाले हास्य कलाकार है। साल २०१३ में गो गोआ गोन २०१४ में शादी के साइड इफेक्ट जैसी फ़िल्मों में काम किया है। इनके अलावा ये टेलीविजन कार्यक्रमों में भी काम कर चूके है। साल २०१६ में इन्होंने वयस्क एवं हास्य फ़िल्म मस्तीज़ादे फ़िल्म में भी अभिनय किया है फ़िल्म में तुषार कपूर एवं सन्नी लियोन भी है। .

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वीर सांघवी

वीर सांघवी (जन्म: 5 जुलाई 1956) भारतीय प्रिंट और टेलिविजन पत्रकार, स्तंभकार, और परिचर्चा कार्यक्रम के प्रस्तुतकर्ता हैं। वर्तमान में वह एच०टी० मीडिया (HT Media) में सलाहकार हैं। .

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खान अकादमी

खान अकादमी "कहीं भी, किसी के लिए भी एक नि: शुल्क, विश्व स्तरीय शिक्षा' प्रदान करने के लिए शिक्षक सलमान खान द्वारा 2006 में बनाई गई एक गैर लाभ शैक्षिक संगठन है। यह संगठन यूट्यूब वीडियो के रूप में सूक्ष्म व्याख्यान बनाता करता है। सूक्ष्म व्याख्यान के अलावा, संगठन की वेबसाइट शिक्षकों के लिए अभ्यास प्रश्नावली और उपकरणों की सुविधा उपलब्ध कराती है। सभी संसाधनों दुनिया भर में किसी के लिए भी मुफ्त में उपलब्ध हैं। .

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खेल सिद्धांत

खेल सिद्धांत या गेम थ्योरी (game theory) व्यवहारिक गणित की एक शाखा है जिसका प्रयोग समाज विज्ञान, अर्थशास्त्र, जीव विज्ञान, इंजीनियरिंग, राजनीति विज्ञान, अंतर्राष्ट्रीय संबंध, कम्प्यूटर साइंस और दर्शन में किया जाता है। खेल सिद्धांत कूटनीतिक परिस्थितियों में (जिसमें किसी के द्वारा विकल्प चुनने की सफलता दूसरों के चयन पर निर्भर करती है) व्यवहार को बूझने का प्रयास करता है। यूँ तो शुरू में इसे उन प्रतियोगिताओं को समझने के लिए विकसित किया गया था जिनमें एक व्यक्ति का दूसरे की गलतियों से फायदा होता है (ज़ीरो सम गेम्स), लेकिन इसका विस्तार ऐसी कई परिस्थितियों के लिए करा गया है जहाँ अलग-अलग क्रियाओं का एक-दूसरे पर असर पड़ता हो। आज, "गेम थ्योरी" समाज विज्ञान के तार्किक पक्ष के लिए एक छतरी या 'यूनीफाइड फील्ड' थ्योरी की तरह है जिसमें 'सामाजिक' की व्याख्या मानव के साथ-साथ दूसरे खिलाड़ियों (कम्प्युटर, जानवर, पौधे) को सम्मिलित कर की जाती है। गेम थ्योरी के पारंपरिक अनुप्रयोगों में इन गेमों में साम्यावस्थाएं खोजने का प्रयास किया जाता है। साम्यावस्था में गेम का प्रत्येक खिलाड़ी एक नीति अपनाता है जो वह संभवतः नहीं बदलता है। इस विचार को समझने के लिए साम्यावस्था की कई सारी अवधारणाएं विकसित की गई हैं (सबसे प्रसिद्ध नैश इक्विलिब्रियम)। साम्यावस्था के इन अवधारणाओं की अभिप्रेरणा अलग-अलग होती है और इस बात पर निर्भर करती है कि वे किस क्षेत्र में प्रयोग की जा रहीं हैं, हालाँकि उनके मायने कुछ हद तक एक दूसरे में मिले-जुले होते हैं और मेल खाते हैं। यह पद्धति आलोचना रहित नहीं है और साम्यावस्था की विशेष अवधारणाओं की उपयुक्तता पर, साम्यवास्थाओं की उपयुक्तता पर और आमतौर पर गणितीय मॉडलों की उपयोगिता पर वाद-विवाद जारी रहते हैं। हालाँकि इसके पहले ही इस क्षेत्र में कुछ विकास चुके थे, गेम थ्योरी का क्षेत्र जॉन वॉन न्युमन्न और ऑस्कर मॉर्गनस्टर्न की 1944 की पुस्तक थ्योरी ऑफ गेम्स ऐंड इकोनोमिक बिहेविअर के साथ आस्तित्व में आया। इस सिद्धांत का विकास बड़े पैमाने पर 1950 के दशक में कई विद्वानों द्वारा किया गया। बाद में गेम थ्योरी स्पष्टतया 1970 के दशक में जीव विज्ञान में प्रयुक्त किया गया, हालाँकि ऐसा 1930 के दशक में ही शुरू हो चुका था। गेम थ्योरी की पहचान व्यापक रूप से कई क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में की गई है। आठ गेम थ्योरिस्ट्स अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार जीत चुके हैं और जॉन मेनार्ड स्मिथ को गेम थ्योरी के जीव विज्ञान में प्रयोग के लिए क्रफूर्ड पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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गण संघ देश (प्राचीन भारत)

गणसंघ (संस्कृत: गणसंघ, समूह की सभा) या गणराज्य (समानता की सरकार), प्राचीन भारत के वे अनेक गणतांत्रिक अथवा अल्पतंत्रिक जनपद या राज्य थे जिनका बोध अनेक प्राचीन साहित्यों में पाया जाता है। कई बौद्ध, हिन्दू और अन्य संस्कृत साहित्यों में इनका ज़िक्र है। ये गनसंघ साधारणतः बड़े राजतंत्रों के सीमांतों पर अवस्थित हुआ करते थे। सामान्यतः इन का राजनैतिक संरचना किसी विशेष कुल या गोत्र की अल्पतंत्र(उदाहरण: शाक्य गणराज्य) या अनेक गोत्रों के महासंघ के रूप की हुआ करती थी(उदाहरण:कोली गणराज्य)। .

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गणित

पुणे में आर्यभट की मूर्ति ४७६-५५० गणित ऐसी विद्याओं का समूह है जो संख्याओं, मात्राओं, परिमाणों, रूपों और उनके आपसी रिश्तों, गुण, स्वभाव इत्यादि का अध्ययन करती हैं। गणित एक अमूर्त या निराकार (abstract) और निगमनात्मक प्रणाली है। गणित की कई शाखाएँ हैं: अंकगणित, रेखागणित, त्रिकोणमिति, सांख्यिकी, बीजगणित, कलन, इत्यादि। गणित में अभ्यस्त व्यक्ति या खोज करने वाले वैज्ञानिक को गणितज्ञ कहते हैं। बीसवीं शताब्दी के प्रख्यात ब्रिटिश गणितज्ञ और दार्शनिक बर्टेंड रसेल के अनुसार ‘‘गणित को एक ऐसे विषय के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें हम जानते ही नहीं कि हम क्या कह रहे हैं, न ही हमें यह पता होता है कि जो हम कह रहे हैं वह सत्य भी है या नहीं।’’ गणित कुछ अमूर्त धारणाओं एवं नियमों का संकलन मात्र ही नहीं है, बल्कि दैनंदिन जीवन का मूलाधार है। .

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गणितज्ञ

लियोनार्ड यूलर को हमेशा से एक प्रसिद्ध गणितज्ञ माना गया है एक गणितज्ञ वह व्यक्ति होता है जिसके अध्ययन और अनुसंधान का प्राथमिक क्षेत्र गणित ही रहता है। .

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गणितीय मॉडल

किसी भौतिक तंत्र (physical system) या प्रक्रम (process) या अमूर्त तंत्र (abstract system) के विभिन्न अवयवों के अन्तर्सम्बन्धों का गणित की भाषा में वर्णन उस तन्त्र का गणितीय प्रतिरूप या गणितीय मॉडल (mathematical model) कहलाता है। गणितीय मॉडल प्रायः संगत तंत्र के सरलीकृत रूप होते हैं। इससे उस तन्त्र की कार्यप्रणाली को आसानी से समझने में सुविधा होती है। इसकी सहायता से यह गणना की जा सकती है कि किस स्थिति में क्या होगा। गणितीय मॉडल की सहायता से ही उस भौतिक तन्त्र का नियन्त्रण भी किया जा सकता है। किसी तन्त्र को कम्प्यूटर द्वारा सिमुलेट (simulate) करने के लिये उस तन्त्र का गणितीय मॉडल बनाना पहली जरूरत है। गणितीय मॉडल का प्राकृतिक विज्ञानों एवं प्रौद्योगिकी में बहुतायत से उपयोग होता है। इसके अतिरिक्त इसका सामाजिक विज्ञानों, जैसे अर्थशास्त्र, समाज शास्त्र एवं राजनीति शास्त्र में भी उपयोग होता है। किसी तन्त्र या युक्ति के गणितीय मॉडल को जब किसी विद्युत परिपथ के रूप में निरुपित किया जाता है तो इस विद्युत परिपथ को तुल्य परिपथ (equivalent circuit) कहते हैं। उदाहरण के लिये किसी बैटरी को एक आदर्श वोल्टेज सोर्स एवं एक प्रतिरोध के श्रेणीक्रम (सिरीज) संयोजन के रूप में प्रदर्शित किया जा सकता है। .

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गणितीय अर्थशास्त्र

गणितीय अर्थशास्त्र (Mathematical economics) में गणितीय विधियों का उपयोग करके अर्थशास्त्र के सिद्धान्तों को प्रस्तुत करना तथा उनका विश्लेषण करना आता है। इसमें उपयोग में आने वाले गणित में चलन-कलन, समाकलन, अन्तर समीकरण, अवकल समीकरण, मैट्रिक्स बीजगणित, गणितीय प्रोग्रामन तथा अन्य संगणकीय विधियाँ शामिल हैं। .

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गतिक क्रमादेशन

गणित, प्रबन्धन विज्ञान, अर्थशास्त्र, बायोइन्फॉर्मैटिक्स और कम्प्यूटर विज्ञान में गतिक क्रमादेशन (डाइनैमिक प्रोग्रामिंग) जटिल समस्याओं को सरल चरणों में तोड़कर हल करने के लिए एक विधि है। इसे 'गतिक इष्टतमीकरण' (डायनैमिक ऑप्टिमाइजेशन) भी कहते हैं। यह उन समस्याओं पर लागू है जो अपनी तरह की छोटी समस्याओं के अतिव्यापन और इष्टतम तरफ को प्रदर्शित करती है। जब लागू होती है, यह विधि सहज (naive) तरीकों से भी कम समय लेती है। गतिक क्रमादेशन में एक बड़ी समस्या को सबसे पहले छोटी-छोटी (सरल) उपसमस्याओं के रूप में बदला जाता है। इसके बाद इन सरल समस्याओं को केवल एक बार हल किया जाता है तथा इनके हलों को संगृहीत (स्टोर) कर लिया जाता है। इस काम के लिये स्मृति-आधारित डेटा-स्ट्रक्चर का उपयोग किया जाता है। अगली बार जब भी वही उपसमस्या सामने आती है तो उसको पुनः हल करने के बजाय उसके संगृहीत हल को ले लिया जाता है। इस प्रकार कुछ स्मृति का अतिरिक्त उपयोग करके गणना में लगने वाले समय की बचत की जाती है। .

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गुन्नार म्यर्दल

गुन्नार म्यर्दल कार्ल गुन्नार म्यदाल (Karl Gunnar Myrdal; स्विडी भाषा:; ६ दिसम्बर १८९८ - १७ मई १९८७) एक स्वीडिश अर्थशास्त्री, राजनेता और नोबेल विजेता थे। १९७४ में, फ्रेडरिक हायेक के साथ अर्थशास्त्र के क्षेत्र में मुद्रा और आर्थिक विचलन के सिद्धांत के क्षेत्र में अग्रणी काम और आर्थिक, सामाजिक और संस्थागत के लिए घटना के तीक्ष्ण विश्लेषण के लिए नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। इन्हें वर्ष १९८१ में इनकी पत्नी अल्वा म्यर्दल के साथ जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार प्रदान किया गया था। .

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गुप्तचर

गुप्त रूप से राजनीतिक या अन्य प्रकार की सूचना देनेवाले व्यक्ति को गुप्तचर (spy) या जासूस कहते हैं। गुप्तचर अति प्राचीन काल से ही शासन की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता माना जाता रहा है। भारतवर्ष में गुप्तचरों का उल्लेख मनुस्मृति और कौटिल्य के अर्थशास्त्र में मिलता है। कौटिल्य ने अपने अर्थशास्त्र में गुप्तचरों के उपयोग और उनकी श्रेणियों का विशद वर्णन किया है। राज्याधिपति को राज्य के अधिकारियों और जनता की गतिविधियों एवं समीपवर्ती शासकों की नीतियों के संबंध में सूचनाएँ देने का महत्वपूर्ण कार्य उनके गुप्तचरों द्वारा संपन्न होता था। रामायण में वर्णित दुर्मुख ऐसा ही एक गुप्तचर था जिसने रामचंद्र को सीता के विषय में (लंका प्रवास के बाद) जनापवाद की जानकरी दी थी। .

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गोल्डीलॉक्स

"मेरा दलिया किसने चख़ा?" गोल्डीलॉक्स और तीन भालू (अंग्रेज़ी: Goldilocks and the Three Bears, गोल्डीलॉक्स ऐण्ड द थ़्री बेअर्ज़) एक प्रसिद्ध अंग्रेज़ी परी कथा है। कथन के रूप में यह कहानी लम्बे अरसे से ब्रिटेन में चली आ रही थी, लेकिन लिखित रूप में इसे सबसे पहले ब्रिटिश लेखक रॉबर्ट साउदी (Robert Southey) ने गुमनाम रूप से सन् 1837 में अपने एक लेख-संग्रह में छपवाया। अंग्रेज़ी भाषा की यह सब से लोकप्रिय कथाओं में से है और पश्चिमी संस्कृति में इसके तत्वों का कई सन्दर्भों में प्रयोग होता है। .

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गोखले राजनीति एवं अर्थशास्त्र संस्थान

आम तौर पर गोखले संस्थान के नाम से मशहूर गोखले राजनीति एवं अर्थशास्त्र संस्थान (गोखले इंस्टिट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एण्ड इकोनॉमिक्स / जीआईपीई) अर्थशास्त्र के क्षेत्र में भारत के सबसे पुराने अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थानों में से एक है। यह महाराष्ट्र के पुणे के डेक्कन जिमखाना क्षेत्र में बीएमसीसी रोड पर स्थित है - इस शहर को अक्सर पूर्व का ऑक्सफोर्ड कहा जाता है। .

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गीता गोपीनाथ

गीता गोपीनाथ (जन्म ८ दिसंबर, १९७१) हार्वर्ड विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग में प्राध्यापक और केरल के मुख्यमंत्री के वित्तीय सलाहकार हैं। उन्होंने सभी मुद्राओं के मूल्य निर्धारण और यूरोप में संप्रभु ऋण चूक पर काम किया है। .

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ओलिवर विलियमसन

ओलिवर इटॉन विलियमसन, एक अमेरिकी अर्थशास्त्री और अर्थशास्त्र के क्षेत्र के एक नामी लेखक हैं, उन्हें अपने सौदों की लागत नामक सिद्धान्त से प्रसिद्धि प्राप्त हुई है। ओलिवर, सन २००९ के अर्थशास्त्र के क्षेत्र के नोबेल स्मृति पुरस्कार के इलिनॉर ऑस्ट्रॉम के साथ सह विजेता हैं। .

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औद्योगिक संगठन

अर्थशास्त्र में, औद्योगिक संगठन (industrial organization) की संकल्पना का विकास फर्म के सिधान्त से विकसित हुई है। .

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आचार्य रामदेव

आचार्य रामदेव (जन्म: ३१ जुलाई १८८१ - मृत्यु: ९ दिसम्बर १९३९) आर्यसमाज के नेता, शिक्षाशास्त्री, इतिहासकार, स्वतन्त्रता-संग्राम सेनानी एवं महान वक्ता थे। उन्होने भारतीय इतिहास के सम्बन्ध में मौलिक अनुसन्धान कर हिन्दी में अपना प्रसिद्ध ग्रन्थ भारतवर्ष का इतिहास प्रकाशित किया। आचार्य रामदेव जी ने १९२३ में देहरादून में कन्या गुरुकुल की स्थापना की जो 'कन्या गुरुकुल महाविद्यालय' नाम से जाना जाता है तथा गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय का भाग है। .

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आतंकवाद

विभाग राज्य Department of State) आतंकवाद एक प्रकार के erहौल को कहा जाता है। इसे एक प्रकार के हिंसात्मक गतिविधि के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो कि अपने आर्थिक, धार्मिक, राजनीतिक एवं विचारात्मक लक्ष्यों की प्रतिपूर्ति के लिए गैर-सैनिक अर्थात नागरिकों की सुरक्षा को भी निशाना बनाते हैं। गैर-राज्य कारकों द्वारा किये गए राजनीतिक, वैचारिक या धार्मिक हिंसा को भी आतंकवाद की श्रेणी का ही समझा जाता है। अब इसके तहत गैर-क़ानूनी हिंसा और युद्ध को भी शामिल कर लिया गया है। अगर इसी तरह की गतिविधि आपराधिक संगठन द्वारा चलाने या को बढ़ावा देने के लिए करता है तो सामान्यतः उसे आतंकवाद नहीं माना जाता है, यद्यपि इन सभी कार्यों को आतंकवाद का नाम दिया जा सकता है। गैर-इस्लामी संगठनों या व्यक्तित्वों को नजरअंदाज करते हुए प्रायः इस्लामी या जिहादी के साथ आतंकवाद की अनुचित तुलना के लिए इसकी आलोचना भी की जाती है। .

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आधुनिकतावाद

हंस होफ्मन, "द गेट", 1959–1960, संग्रह: सोलोमन आर. गुगेन्हीम म्यूज़ियम होफ्मन केवल एक कलाकार के रूप में ही नहीं, बल्कि एक कला शिक्षक के रूप में भी मशहूर थे और वे अपने स्वदेश जर्मनी के साथ-साथ बाद में अमेरिका के भी एक आधुनिकतावादी सिद्धांतकार थे। 1930 के दशक के दौरान न्यूयॉर्क एवं कैलिफोर्निया में उन्होंने अमेरिकी कलाकारों की एक नई पीढ़ी के लिए आधुनिकतावाद एवं आधुनिकतावादी सिद्धांतों की शुरुआत की.ग्रीनविच गांव एवं मैसाचुसेट्स के प्रोविंसटाउन में स्थित अपने कला विद्यालयों में अपने शिक्षण एवं व्याख्यान के माध्यम से उन्होंने अमेरिका में आधुनिकतावाद के क्षेत्र का विस्तार किया।हंस होफ्मन की जीवनी, 30 जनवरी 2009 को उद्धृत आधुनिकतावाद, अपनी व्यापक परिभाषा में, आधुनिक सोच, चरित्र, या प्रथा है अधिक विशेष रूप से, यह शब्द उन्नीसवीं सदी के अंत और बीसवीं सदी के आरम्भ में मूल रूप से पश्चिमी समाज में व्यापक पैमाने पर और सुदूर परिवर्तनों से उत्पन्न होने वाली सांस्कृतिक प्रवृत्तियों के एक समूह एवं सम्बद्ध सांस्कृतिक आन्दोलनों की एक सरणी दोनों का वर्णन करता है। यह शब्द अपने भीतर उन लोगों की गतिविधियों और उत्पादन को समाहित करता है जो एक उभरते सम्पूर्ण औद्योगीकृत विश्व की नवीन आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक स्थितियों में पुराने होते जा रहे कला, वास्तुकला, साहित्य, धार्मिक विश्वास, सामाजिक संगठन और दैनिक जीवन के "पारंपरिक" रूपों को महसूस करते थे। आधुनिकतावाद ने ज्ञानोदय की सोच की विलंबकारी निश्चितता को और एक करुणामय, सर्वशक्तिशाली निर्माता के अस्तित्व को भी मानने से अस्वीकार कर दिया.

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आन्वीक्षिकी

आन्वीक्षिकी, न्यायशास्त्र का प्राचीन अभिधान। प्राचीन काल में आन्वीक्षिकी, विचारशास्त्र या दर्शन की सामान्य संज्ञा थी और यह त्रयी (वेदत्रयी), वार्ता (अर्थशास्त्र), दंडनीति (राजनीति) के साथ चतुर्थ विद्या के रूप में प्रतिष्ठित थी (आन्वीक्षिकी त्रयी वार्ता दंडनीतिश्च शाश्वती। विद्या ह्येताश्चतस्रस्तु लोकसंसृतिहेतवः) जिसका उपयोग लोक के व्यवहार निर्वाह के लिए आवश्यक माना जाता था। कालांतर में इस शब्द का प्रयोग केवल न्यायशास्त्र के लिए संकुचित कर दिया गया। वात्स्यायन के न्यायभाष्य के अनुसार अन्वीक्षा द्वारा प्रवृत्त होने के कारण ही इस विद्या की संज्ञा "आन्वीक्षिकी" पड़ गई। आन्वीक्षिकी के सर्वाधिक महत्व को सर्वप्रथम चाणक्य ने प्रतिपादित किया है। उनका कहना है- 'अन्वीक्षा' के दो अर्थ हैं.

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आय का परिपत्र प्रवाह

आय का परिपत्र प्रवाह अर्थशास्त्र का एक मॉडल है। यह मॉडल अर्थव्यवस्था के प्रमुख बाजारों मे होने वाले लेन-देन को आर्थिक एजेंटों के बीच के पैसे एव्ं माल और सेवाओं के प्रवाह के रूप में दार्शाता है। एक क्लोज सर्किट में पैसे और माल के आदान-प्रदान का प्रवाह दिखाया जाता है जिसमे यह दो आर्थिक चरो का प्रवाह विपरीत दिशा में चलता हैं। परिपत्र प्रवाह विश्लेषण राष्ट्रीय खातों की, और इसलिए, मैक्रोइकॉनॉमिक्स का आधार है। परिपत्र प्रवाह का विचार पहले से ही रिचर्ड कैंटिलोन के कर्यो में मौजुद थे। फ़्राँस्वा क्युसने ने यह मॉडल विकसित किया जिसकी झांकी "économique" में मौजूद था। कार्ल मार्क्स के "प्रजनन योजनाओं" के दुसरे भाग मे क्युसने के विचारो को और विक्सित रूप में बताया गया है। इसके अभिन्न भाग है - राजनीतिक अर्थव्यवस्था की आलोचना, जॉन मेनार्ड कीन्स की "जनरल थ्योरी", ब्याज और पैसा, आदि। .

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आरती कृष्ण

आरती कृष्ण एक भारतीय महिला उद्यमी हैं। वे जून 2010 से सुंदरम फास्टनर्स लिमिटेड में संयुक्त प्रबंध निदेशक सह कार्यकारी निदेशक के पद पर कार्यरत हैं। वे मद्रास विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्वर्ण पदक विजेता है और मिशिगन विश्वविद्यालय से एमबीए हैं। .

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आर्थिक दक्षता

अर्थशास्त्र में, आर्थिक दक्षता (economic efficiency) का मतलब सभी सम्साधनों का इस प्रकार उपयोग करने से है कि वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन अधिकतम किया जा सके। दो आर्थिक तंत्रों की तुलना करते समय इसका उपयोग किया जाता है। कोई अर्थतंत्र दूसरे अर्थतंत्र से अधिक दक्ष कहा जाता है यदि वह हिन्ही अतिरिक्त संसाधनों का उपयोग किये बिना ही दूसरे अर्थतंत्र की अपेक्षा अधिक वस्तुएँ या/और सेवाएँ उत्पन्न करता है। श्रेणी:अर्थशास्त्र.

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आर्थिक मॉडल

ग्राफ रूप में IS/LM मॉडल अर्थशास्त्र के सन्दर्भ में, किसी आर्थिक प्रक्रम का मॉडल (model) उस प्रक्रम में निहित चरों के बीच एक तार्किक/संख्यात्मक सम्म्बन्ध है। अन्य मॉडलों की भांति आर्थिक मॉडल प्रायः जटिल आर्थिक प्रक्रम का एक सरलीकृत गणितीय निरूपण होता है। मॉडलों का उपयोग करके इस बात की जाँच की जा सकती है आर्थिक प्रक्रिया के किसी चर को बदलने पर अर्थतन्त्र पर क्या प्रभाव होगा।;अवलोकन सामान्य शब्दों में, आर्थिक मॉडल के दो कार्य भाग है: पहला अर्थमितीय अध्ययन के एक प्रतिमान के आधार पर डेटा का चयन करने का एक साधन के रूप के सरलीकरण और दूसरा मनाया डेटा से अमूर्त के रूप मे। सरलीकरण आर्थिक प्रक्रियाओं की भारी जाटिलता को देखते हुए अर्थशास्त्र के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यह जाटिलता आर्थिक गतिविधियों को निर्धारित करने वाले कारकों की विविधता के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।; इन कारकों में शामिल हैं: व्यक्तिगत और सहकारी निर्णय प्रक्रियाओं, संसाधनों की सीमा, पर्यावरण और भौगोलिक बाधाए, संस्थागत और कानूनी आवश्यकताओं और विशुद्ध रूप से बेतरतीब उतार चढ़ाव। इसलिए इन चर के बीच अर्थशास्त्रिय संबंध प्रासंगिक हैं और जानकारी का विश्लेषण और तरीके से पेश उपयोगी होते हैं। इस के कारण चर और जिनमें से एक तर्क का चयन करना चाहिए। एक आर्थिक मॉडल की प्रकृति अक्सर देखा जाएगा कि क्या तथ्यों का निर्धारण करेगा, और वे कैसे संकलित किया जाएगा, क्योंकि चयन महत्वपूर्ण है। उदाहरण के मुद्रास्फीति के लिए एक सामान्य आर्थिक अवधारणा है, लेकिन एक अर्थशास्त्री की कीमत में वास्तविक परिवर्तन के बीच अंतर कर सकते हैं, इसका कारण ये है कि मुद्रास्फीति को मापने के लिए, व्यवहार का एक मॉडल की आवश्यकता है, और मूल्य में परिवर्तन मुद्रास्फीति के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है। उनके पेशेवर शैक्षणिक ब्याज के अलावा, मॉडल के उपयोग में शामिल हैं.

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आर्थिक शब्दावली

; डिबेंचर यह एक ऋण का एक साधन है जिसके माध्यम से सरकार या कंपनियां धन जुटाती हैं। यह इक्विटी शेयरों से भिन्न होता है। डिबेंचर खरीदने वाला वास्तव में कर्जदाता होता है। डिबेंचर जारी करने वाली कंपनी या संस्थान गिरवी के तौर पर कुछ नहीं रखती, खरीदार उनकी साख और प्रतिष्ठा को देखते हुए डिबेंचर खरीदते हैं। डीबेंचर जारी करने वाली कंपनी या संस्थान कर्जदाताओं (डिबेंचर खरीदने वालों को) निश्चित ब्याज देते हैं। कंपनियां शेयरधारकों को भले ही लाभांश नहीं दे लेकिन उसे कर्जदाताओं (डिबेंचरधारकों) को ब्याज देना ही होता है। सरकार द्वारा जारी किया जाने वाला ट्रेजरी बॉन्ड या ट्रेजरी बिल आदि भी जोखिम रहित डिबेंचर ही होते हैं क्योंकि सरकार इस प्रकार के कर्ज चुकाने के लिए कर बढ़ा सकती है या अधिक नोटों का मुद्रण कर सकती है।; ऑफशोर फंड (Offshore Fund) जिस फंड के अंतर्गत म्युचुअल फंड कंपनियां विदेश से धन जुटा कर देश के भीतर विनियोजित करती हैं उसे ऑफशोर फंड कहते हैं।; वेंचर कैपिटल (Venture Capital) नये व्यवसाय की शुरुआत के लिए जुटाई जाने वाली पूंजी को वेंचर कैपिटल या साहस पूंजी या दायित्व पूंजी कहते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो निवेशकों द्वारा शुरु हो रही छोटी कंपनियों, भविष्य में जिनके विकास की प्रबल संभावना होती है, को उपलब्ध कराई जाने वाली पूंजी को वेंचर कैपिटल कहते हैं। कंपनियां ऐसी पूंजी जुटाने के लिए इक्विटी शेयर जारी करती हैं।; फॉरवर्ड सौदा (Forward Contract) नकदी बाजार (शेयरों के मामले में) या हाजिर बाजार (कमोडिटी के मामले में) में किया जाने वाला सौदा जिसका निपटारा भविष्य की एक निश्चित तारीख को सुपुर्दगी के साथ निपटाया जाता है।; डेरिवेटिव (Derivative) वैसी प्रतिभूति जिसका मूल्य उसके अंतर्गत एक या एक से अधिक परिसंपत्तियों के ऊपर निर्भर करता है या उनसे प्राप्त किया जाता है। डेरिवेटिव दो या दो से अधिक पक्षों के बीच किया जाने वाला करार है। इसका मूल्य निर्धारण उन परिसंपत्तियों के मूल्यों में होने वाले उतार-चढ़ाव के आधार पर किया जाता है। आमतौर पर ऐसी परिसंपत्तियों में स्टॉक, बॉन्ड, जिन्स, मुद्राएं, ब्याज-दर और बाजार सूचकांक शामिल होते हैं। डेरिवेटिव का इस्तेमाल साधारणत: जोखिमों की हेजिंग के लिए किया जाता है लेकिन इसका प्रयोग सट्टेबाजी के उद्देश्य से भी किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर एक यूरोपियन निवेशक अमेरिकन कंपनी के शेयरों की खरीदारी अमेरिकन एक्सचेंज से (डॉलर का इस्तेमाल करते हुए) करता है। शेयर अपने पास रखते हुए उसे विनिमय दर का जोखिम बना रहता है। इस जोखिम की हेजिंग के लिए वह निवेशक विशेष विनिमय दर के मुताबिक डॉलर को यूरो में परिवर्तित करना चाहेगा। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए वह मुद्रा की वायदा खरीद सकता है ताकि जब कभी वह अपना शेयर बेचे और मुद्रा को यूरो में परिवर्तित करे तो उसे विनिमय दर संबंधी हानि नहीं हो।;ओपेन एन्डेड फण्ड (Open Ended Fund) सतत खुली योजनाएंम्युचुअल फंडों की वैसी योजनाएं जिनकी कोई लॉक इन अवधि (वह पूर्व-निर्धारित अवधि जिससे पहले निवेश किए गए पैसों की निकासी की अनुमति नहीं होती है) नहीं होती है। इनके यूनिटों की खरीद-बिक्री तत्कालीन शुध्द परिसंपत्ति मूल्य (एनएवी) पर कभी भी की जा सकती है।; प्रतिभूतियां (Securities) प्रतिभूतियां लिखित प्रमाणपत्र होती हैं जो ऋण लेने के बदले दी जाती है। इनमें जारी करने के शर्र्तों एवं मूल्यों का उल्लेख होता है तथा इनका क्रय-विक्रय भी किया जाता है। सरकार द्वारा जारी किया जाने वाला बॉन्ड, तरजीही शेयर, ऋण पत्र आदि प्रतिभूतियों की श्रेणी में आते हैं। प्रतिभूति शब्द का इस्तेमाल व्यापक तौर पर किया जाता है।; शेयर विभाजन (Stock Split) कोई कंपनी अपने महंगे शेयर को छोटे निवेशकों के लिए वहनीय बनाने और उसे आकर्षक बनाने के लिए शेयरों का विभाजन करती है। अगर कोई कंपनी अपने शेयरों का विभाजन 2:1 में करती है तो उसका मतलब होता है कि शेयरों की संख्या दोगुनी कर दी गई है और उसका मूल्य आधा कर दिया गया है।; मुद्रा का विनिमय मूल्य (Exchange Value of Money): जब देश की प्रचलित मुद्रा का मूल्य किसी विदेशी मुद्रा के साथ निर्धारित किया जाता है ताकि मुद्रा की अदला-बदली की जा सके तो इस मूल्य को मुद्रा का विनिमय मूल्य कहा जाता है। वह मूल्य दोनों देशों की मुद्राओं की आंतरिक क्रय शक्ति पर निर्भर करता है।; मुद्रास्फीति (Inflation): मुद्रास्फीति वह स्थिति है जिसमें मुद्रा का आंतरिक मूल्य गिरता है और वस्तुओं के मूल्य बढ़ते हैं। यानी मुद्रा तथा साख की पूर्ति और उसका प्रसार अधिक हो जाता है। इसे मुद्रा प्रसार या मुद्रा का फैलाव भी कहा जाता है।; मुदा अवमूल्यन (Money Devaluation): यह कार्य सरकार द्वारा किया जाता है। इस क्रिया से मुद्रा का केवल बाह्य मूल्य कम होता है। जब देशी मुद्रा की विनिमय दर विदेशी मुद्रा के अनुपात में अपेक्षाकृत कम कर दी जाती है, तो इस स्थिति को मुद्रा का अवमूल्यन कहा जाता है।; रेंगती हुई मुद्रास्फीति (Creeping Inflation): मुद्रास्फीति का यह नर्म रूप है। यदि अर्थव्यवस्था में मूल्यों में अत्यंत धीमी गति से वृद्धि होती है तो इसे रेंगती हुई स्फीति कहते हैं। अर्थशास्त्री इस श्रेणी में एक फीसदी से तीन फीसदी तक सालाना की वृद्धि को रखते हैं। यह स्फीति अर्थव्यवस्था को जड़ता से बचाती है।; रिकॉर्ड तारीख (Record List): बोनस शेयर, राइट शेयर या लाभांश आदि घोषित करने के लिए कंपनी एक ऐसी तारीख की घोषणा करती है जिस तारीख से रजिस्टर बंद हो जाएंगे। इस घोषित तारीख तक कंपनी के रजिस्टर में अंकित प्रतिभूति धारक ही वास्तव में धारक माने जाते हैं। इस तारीख को ही रेकॉर्ड तारीख माना जाता है।; रिफंड ऑर्डर (Refun Order): यदि किसी शेयर आवेदन पत्र पर शेयर आवंटन की कार्यवाही नहीं होती तो कंपनी को आवेदन पत्र के साथ संपूर्ण रकम वापस करनी होती है। रकम वापसी के लिए कंपनी जो प्रपत्र भेजती है उसे रिफंड ऑर्डर कहा जाता है। रिफंड ऑर्डर चेक, ड्राफ्ट या बैंकर चेक के रूप में होता है तथा जारीकर्ता बैंक की स्थानीय शाखा में सामान्यत: सममूल्य पर भुनाए जाते हैं।;लाभांश (Dividend): विभाजन योग्य लाभों का वह हिस्सा जो शेयरधारकों के बीच वितरित किया जाता है, लाभांश कहा जाता है। यह करयुक्त और करमुक्त दोनों हो सकता है। यह शेयरधारकों की आय है।;लाभांश दर (Dividend Rate): कंपनी के एक शेयर पर दी जाने वाली लाभांश की राशि को यदि शेयर के अंकित मूल्य के साथ व्यक्त किया जाए तो इसे लाभांश दर कहा जाता है। इसे अमूमन फीसदी में व्यक्त किया जाता है।;लाभांश प्रतिभूतियां (Dividend Securities): जिन प्रतिभूतियों पर प्रतिफल के रूप में निवेशक को लाभांश मिलता है, उन्हें लाभांश वाली प्रतिभूतियां कहा जाता है। जैसे समता शेयर, पूर्वाधिकारी शेयर।;शून्य ब्याज ऋणपत्र (Zero Rated Deventure) इस श्रेणी के डिबेंचरों या बॉन्डों पर सीधे ब्याज नहीं दिया जाता, बल्कि इन्हें जारी करते वक्त कटौती मूल्य पर बेचा जाता है और परिपक्व होने पर पूर्ण मूल्य पर शोधित किया जाता है। जारी करने के लिए निर्धारित कटौती मूल्य के अंतर को ही ब्याज मान लिया जाता है।.

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आर्थिक विचारों का इतिहास

इस लेख में आर्थिक विचारों के विकास का वर्णन किया जायेगा। .

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आर्थिक विकास

देशों, क्षेत्रों या व्यक्तिओं की आर्थिक समृद्धि के वृद्धि को आर्थिक विकास कहते हैं। नीति निर्माण की दृष्टि से आर्थिक विकास उन सभी प्रयत्नों को कहते हैं जिनका लक्ष्य किसी जन-समुदाय की आर्थिक स्थिति व जीवन-स्तर के सुधार के लिये अपनाये जाते हैं। वर्तमान युग की सबसे महत्वपूर्ण समस्या 'आर्थिक विकास' की समस्या है। आर्थिक स्वतन्त्रता के बिना राजनैतिक स्वतन्त्रता का कोई महत्व (उपयोग) नहीं है। विकास और उससे जुड़े हुए मुद्दों के इस महत्व के कारण ही अर्थशास्त्र के क्षेत्र में विकास-अर्थशास्त्र नामक एक अलग विषय का ही उदय हो गया। किन्तु पिछले कुछ वर्षों से विकास-अर्थशास्त्र के एक स्वतंत्र विषय के रूप में अस्तित्व पर प्रश्न चिह्न-सा उभरता दिखाई दे रहा है। कई अर्थशास्त्री हैं जो "विकास-अर्थशास्त्र" नामक अलग विषय की आवश्यकता से ही इनकार करने लगे हैं, इनमें प्रमुख हैं- स्लट्ज, हैबरलर, बार, लिटिल, वाल्टर्स आदि। अर्थशास्त्रियों का एक वर्ग "विकास-अर्थशास्त्र" को ही समाप्त कर देने की मांग करने लगा है। कुछ अर्थशास्त्रियों ने 'आर्थिक विकास' (इकनॉमिक डेवलपमेन्ट), 'आर्थिक प्रगति' (इकनॉमिक ग्रोथ) और दीर्घकालीन परिवर्तन (सेक्युलर डेवलपमेन्ट) की अलग-अलग परिभाषाएँ की हैं। किन्तु मायर और बोल्डविन ने इन तीनों श्ब्द-समूहों का एक ही अर्थ में प्रयोग किया है तथा अलग-अलग अर्थ निकालने को 'बाल की खाल निकालना' कहा है। उनके अनुसार, .

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आर्थिक अधिशेष

‘आर्थिक अधिशेष’ अर्थशास्त्र के क्षेत्र में एक बहुत ही सुविधाजनक और व्यावहारिक विषय है। विशेष रूप से, यह कल्याणकारी अर्थशास्त्र की शाखा के अंतर्गत आता है। संसाधनों के एक कुशल आवंटन प्राप्त करने में उसके आवेदन के अलावा, यह डेविड रिकार्डो का 'आर्थिक किराया सिद्धांत' और कार्ल मार्क्स का 'अधिशेष मूल्य सिद्धांत' का अभिन्न अंग है। .

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आर्सेन वेंजर

आर्सेन वेंजर, OBE (जन्म 22 अक्टूबर 1949 स्ट्रासबर्ग) एक फ्रांसीसी फुटबॉल प्रबंधक हैं, जो (1996-2018) के बाद से इंग्लिश प्रीमियर लीग खेलने वाली टीम आर्सेनल का प्रबंधन कर रहे हैं। वे ट्रॉफीयों के सन्दर्भ में आर्सेनल के इतिहास में सबसे सफल प्रबंधक हैं और साथ ही क्लब में सबसे लम्बे समय तक रहने वाले प्रबंधक भी हैं। वेंजर इंग्लैण्ड में दोहरी जीत प्राप्त करने वाले पहले गैर-ब्रिटिश प्रबंधक थे, उन्होंने ऐसा 1998 और 2002 में किया। 2004 में, वे एफ ए प्रीमियर लीग के इतिहास में एकमात्र प्रबंधक बन गए जिन्होंने पूरे दौरे के दौरान बिना किसी हार के सिर्फ जीत हासिल की.

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इब्न खल्दून

इब्न खल्दून (२७ मई, १३३२ - १९ मार्च १४०६) उत्तरी अफ्रीका के बहुमुखी प्रतिभायुक्त व्यक्ति थे।इब्न खल्डून एक इफ्रिक्यां अरब मुस्लिम इतिहासकार थे। इन्हें अन्धुनिक समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र का पिता माना जाता हैं। उन्होंने साहित्य, धर्म, ज्योतिष, अर्थशास्त्र आदि अनेक विषयों में महत्त्वपूर्ण काम किए। .

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इस्लाम में स्त्री

मुस्लिम महिलाओं के व्यवहार में और विभिन्न समाजों की महिलाओं के व्यवहार में व्यापक रूप से भिन्नता है क्योंकि, इस्लाम के प्रति उनका आज्ञापालन इसका एक प्रमुख कारक होता है जो अपने जीवन को अलग-अलग स्तर तक प्रभावित करता है और उन्हें एक तुल्य पहचान प्रदान करता है, जो उनको, विविध सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक मतभेदों से जोड़ने में मदद कर सकता है। इस्लाम के पवित्र पाठ क़ुरआन, हदीस, इज्मा, क़ियास, धर्मनिरपेक्ष कानून (इस्लाम से मान्य), फ़तवा (प्रकाशित राय जो बाध्यकारी नहीं हो।), आध्यात्मिक गुरु (सूफ़ी मत), धार्मिक प्राधिकारी (जैसे: Indonesian Ulema Council) वें प्रभावी तत्व हैं जिनसे इस्लामी इतिहास के क्रम में महिलाओं के सामाजिक, आध्यात्मिक और विश्व तत्व संबंधी स्थिति को परिभाषित करने में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है .

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कलन

कलन (Calculus) गणित का प्रमुख क्षेत्र है जिसमें राशियों के परिवर्तन का गणितीय अध्ययन किया जाता है। इसकी दो मुख्य शाखाएँ हैं- अवकल गणित (डिफरेंशियल कैल्कुलस) तथा समाकलन गणित (इटीग्रल कैलकुलस)। कैलकुलस के ये दोनों शाखाएँ कलन के मूलभूत प्रमेय द्वारा परस्पर सम्बन्धित हैं। वर्तमान समय में विज्ञान, इंजीनियरी, अर्थशास्त्र आदि के क्षेत्र में कैल्कुलस का उपयोग किया जाता है। भारत में कैल्कुलस से सम्बन्धित कई कॉन्सेप्ट १४वीं शताब्दी में ही विकसित हो गये थे। किन्तु परम्परागत रूप से यही मान्यता है कि कैलकुलस का प्रयोग 17वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में आरंभ हुआ तथा आइजक न्यूटन तथा लैब्नीज इसके जनक थे। .

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कामसूत्र

मुक्तेश्वर मंदिर की कामदर्शी मूर्ति कामसूत्र महर्षि वात्स्यायन द्वारा रचित भारत का एक प्राचीन कामशास्त्र (en:Sexology) ग्रंथ है। कामसूत्र को उसके विभिन्न आसनों के लिए ही जाना जाता है। महर्षि वात्स्यायन का कामसूत्र विश्व की प्रथम यौन संहिता है जिसमें यौन प्रेम के मनोशारीरिक सिद्धान्तों तथा प्रयोग की विस्तृत व्याख्या एवं विवेचना की गई है। अर्थ के क्षेत्र में जो स्थान कौटिल्य के अर्थशास्त्र का है, काम के क्षेत्र में वही स्थान कामसूत्र का है। अधिकृत प्रमाण के अभाव में महर्षि का काल निर्धारण नहीं हो पाया है। परन्तु अनेक विद्वानों तथा शोधकर्ताओं के अनुसार महर्षि ने अपने विश्वविख्यात ग्रन्थ कामसूत्र की रचना ईसा की तृतीय शताब्दी के मध्य में की होगी। तदनुसार विगत सत्रह शताब्दियों से कामसूत्र का वर्चस्व समस्त संसार में छाया रहा है और आज भी कायम है। संसार की हर भाषा में इस ग्रन्थ का अनुवाद हो चुका है। इसके अनेक भाष्य एवं संस्करण भी प्रकाशित हो चुके हैं, वैसे इस ग्रन्थ के जयमंगला भाष्य को ही प्रामाणिक माना गया है। कोई दो सौ वर्ष पूर्व प्रसिद्ध भाषाविद सर रिचर्ड एफ़ बर्टन (Sir Richard F. Burton) ने जब ब्रिटेन में इसका अंग्रेज़ी अनुवाद करवाया तो चारों ओर तहलका मच गया और इसकी एक-एक प्रति 100 से 150 पौंड तक में बिकी। अरब के विख्यात कामशास्त्र ‘सुगन्धित बाग’ (Perfumed Garden) पर भी इस ग्रन्थ की अमिट छाप है। महर्षि के कामसूत्र ने न केवल दाम्पत्य जीवन का शृंगार किया है वरन कला, शिल्पकला एवं साहित्य को भी सम्पदित किया है। राजस्थान की दुर्लभ यौन चित्रकारी तथा खजुराहो, कोणार्क आदि की जीवन्त शिल्पकला भी कामसूत्र से अनुप्राणित है। रीतिकालीन कवियों ने कामसूत्र की मनोहारी झांकियां प्रस्तुत की हैं तो गीत गोविन्द के गायक जयदेव ने अपनी लघु पुस्तिका ‘रतिमंजरी’ में कामसूत्र का सार संक्षेप प्रस्तुत कर अपने काव्य कौशल का अद्भुत परिचय दिया है। रचना की दृष्टि से कामसूत्र कौटिल्य के 'अर्थशास्त्र' के समान है—चुस्त, गम्भीर, अल्पकाय होने पर भी विपुल अर्थ से मण्डित। दोनों की शैली समान ही है— सूत्रात्मक। रचना के काल में भले ही अंतर है, अर्थशास्त्र मौर्यकाल का और कामूसूत्र गुप्तकाल का है। .

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कामगार वर्ग

कामगार वर्ग (या श्रमिक वर्ग) एक ऐसा शब्द है, जिसका उपयोग सामाजिक विज्ञानों और साधारण बातचीत में वैसे लोगों के वर्णन के लिए होता है, जो निम्न स्तरीय कार्यों (दक्षता, शिक्षा और निम्न आय द्वारा मापदंड पर) में लगे होते हैं और अक्सर इस अर्थ का विस्तार बेरोजगारी या औसत से नीचे आय वाले लोगों तक भी होता है। कामगार वर्ग मुख्यत: औद्योगीकृत अर्थव्यवस्थाओं और गैर-औद्योगीकृत अर्थव्यवस्थाओं वाले शहरी क्षेत्रों में पाये जाते हैं। 1973 में वोल्फसबर्ग, पश्चिमी जर्मनी में वोक्सवैगन विधानसभा लाइन में श्रमिक सामाजिक वर्ग के वर्णन में कई तरह के शब्दों का उपयोग किया जाता है, मगर कामगार वर्ग को विभिन्न तरीकों से परिभाषित और प्रयुक्त किया जाता है। जब इसका प्रयोग गैर-अकादमिक रूप में होता है तो यह आमतौर पर समाज के एक खंड को संदर्भित करने के लिए होता है, जो शारीरिक श्रम पर आश्रित है, खासतौर पर जिन्हें घंटे के आधार पर मजदूरी दी जाती है। शैक्षिक वार्तालाप में इसका प्रयोग विवादास्पद रहा है, विशेष रूप से उत्तर-औद्योगीकृत समाजों में मानव श्रम में गिरावट के बाद.

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काली मिर्च

thumb 'काली मिर्च' के काले तथा सफेद दाने वनस्पति जगत्‌ में पिप्पली कुल (Piperaceae) के मरिचपिप्पली (Piper nigrum) नामक लता सदृश बारहमासी पौधे के अधपके और सूखे फलों का नाम काली मिर्च (Pepper) है। पके हुए सूखे फलों को छिलकों से बिलगाकर सफेद गोल मिर्च बनाई जाती है जिसका व्यास लगभग ५ मिमी होता है। यह मसाले के रूप में प्रयुक्त होती है। .

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काशीनाथ त्र्यंबक तेलंग

बंबई उच्च न्यायालय काशीनाथ त्र्यंबक तेलंग (20 अगस्त 1850 - 01 sitambara, 1893) भारत के एक न्यायधीश एवं भारतविद थे। .

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किला

राजस्थान के '''कुम्भलगढ़ का किला''' - यह एशिया के सबसे बड़े किलों में से एक है। शत्रु से सुरक्षा के लिए बनाए जानेवाले वास्तु का नाम किला या दुर्ग है। इन्हें 'गढ़' और 'कोट' भी कहते हैं। दुर्ग, पत्थर आदि की चौड़ी दीवालों से घिरा हुआ वह स्थान है जिसके भीतर राजा, सरदार और सेना के सिपाही आदि रहते है। नगरों, सैनिक छावनियों और राजप्रासादों सुरक्षा के लिये किलों के निर्माण की परंपरा अति प्राचीन काल से चली आ रही है। आधुनिक युग में युद्ध के साधनों और रण-कौशल में वृद्धि तथा परिवर्तन हो जाने के कारण किलों का महत्व समाप्त हो गया है और इनकी कोई आवशकता नहीं रही। .

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किलाबंदी

बीसवीं शताब्दी के आरम्भ में किलेबन्दी का चित्रात्मक वर्णन दुर्गबन्दी या किलाबंदी (fortification) शत्रु के प्रतिरोध और उससे रक्षा करने की व्यवस्था का नाम होता है। इसके अन्तर्गत वे सभी सैनिक निर्माण और उपकरण आते हैं जो अपने बचाव के लिए उपयोग किए जाते हैं (न कि आक्रमण के लिए)। वर्तमान समय में किलाबन्दी सैन्य इंजीनियरी के अन्तर्गत आती है। यह दो प्रकार की होती है: स्थायी और अस्थायी। स्थायी किलेबंदी के लिए दृढ़ दुर्गों का निर्माण, जिनमें सुरक्षा के साधन उपलब्ध हो, आवश्यक है। अस्थायी मैदानी किलाबंदी की आवश्यकता ऐसे अवसरों पर पड़ती है जब स्थायी किले को छोड़कर सेनाएँ रणक्षेत्र में आमने सामने खड़ी होती हैं। मैदानी किलाबंदी में अक्सर बड़े-बड़े पेड़ों को गिराकर तथा बड़ी बड़ी चट्टानों एवं अन्य साधनों की सहायता से शत्रु के मार्ग में रूकावट डालने का प्रयत्न किया जाता है। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यह निष्कर्ष निकला कि स्थायी किलाबंदी धन तथा परिश्रम की दृष्टि से ठीक नहीं है; शत्रु की गति में विलंब अन्य साधनों से भी कराया जा सकता है। परंतु इसका यह अर्थ नहीं है कि इसका महत्व बिल्कुल ही खत्म हो गया। अणुबम के आक्रमण में सेनाओं को मिट्टी के टीलों या कंकड़ के रक्षक स्थानों में आना ही होगा। नदी के किनारे या पहाड़ी दर्रों के निकट इन स्थायी गढ़ों का उपयोग अब भी लाभदायक है। हाँ, यह अवश्य कहा जा सकता है कि आधुनिक तृतीय आयोमात्मक युद्ध में स्थायी दुर्गो की उपयोगिता नष्ट हो गई है। .

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कुवेंपु विश्वविद्यालय

महान कवि कुवेंपु, जिसे विश्वविद्यालय नामित किया गया था के बाद. कुवेंपु विश्वविद्यालय (भी कुवेंपु विश्वविद्यालय के रूप में जाना), एक राज्य Shivamogga, कर्नाटक, भारत के शहर में स्थित विश्वविद्यालय है। Kuvempu वर्ष में विश्वविद्यालय की स्थापना 29 जून 1987 कर्नाटक राज्य विधानमंडल के एक अधिनियम के माध्यम से एक संशोधन No.28/1976 दिनांक 29 जनवरी 1989 को कर्नाटक राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1976 के तहत किया गया। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा 1994 में मान्यता प्राप्त है और यह भी भारतीय विश्वविद्यालयों के संघ का सदस्य है। राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद है Kuvempu विश्वविद्यालय से 'तीसरे सितारा स्तर "प्रदान किया। विश्वविद्यालय Jnana Sahyadri परिसर, Shivamogga में अपने मुख्यालय है। अपने परिसर Jnana Sahyadri कहा जाता है, जो ज्ञान के Sahyadri, काफी जिसे उपयुक्त साधन के रूप में विश्वविद्यालय Shivamogga और Chikmagalur, जिसके माध्यम से पहाड़ Sahyadri पास बुलाया पर्वतमाला के malnad जिलों के अधिकार क्षेत्र है। यह भी Davangere और Chitradurga के जिलों में लागू है। परिसर में 230 एकड़ के क्षेत्र में sprawls.

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क्षेत्रवाद

क्षेत्रवाद से अभिप्राय किसी देश के उस छोटे से क्षेत्र से है जो आर्थिक,सामाजिक आदि कारणों से अपने पृथक् अस्तित्व के लिए जागृत है। .

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क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भुवनेश्वर

क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भुवनेश्वर, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद का संघटक ईकाईयो में से एक हँ, जो कि पूर्वी क्षेत्र के अध्यापको की शैक्षिक जरुरतें (पुर्व सेवा और सेवारत शिक्षा) पूरी करता हँ। इसका पूर्व नाम 'क्षेत्रीय शिक्षा महाविद्यालय' (Regional College of Education) था। यह ओडिशा,बिहार,झारखण्ड,पश्चिम बंगाल,असम,अरुणाचल प्रदेश,त्रिपुरा, नागालैण्ड,मिज़ोरम,मेघालय,सिक्किम, मणिपुर राज्यो और संघ राज्य प्रदेश अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह में विद्यालयी शिक्षा के सभी क्षेत्रों, विशेश रूप से स्कूली शिक्षा के संसाधन केन्द्र के रूप में कार्य करता हैं। .

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कृषि अर्थशास्त्र

कृषि अर्थशास्त्र (Agricultural economicsgfd fusdhs या Agronomics) मूल रूप में वह विधा थी जिसमें फसलों उत्पादन एवं जानवरों के पालन में अर्थशास्त्र के सिद्धान्तों का प्रयोग करके इसे अधिक उपयोगी बनाने की कोशिशों का अध्ययन किया जाता था। पहले इसे 'एग्रोनॉमिक्स' कहते थे और यह अर्थशास्त्र की वह शाखा थी जिसमें भूमि के बेहतर उपयोग का अध्ययन किया जाता था। अर्थशास्त्र में कृषि का विशिष्ट स्थान स्वीकार किया गया है। विकसित, विकासशील एवं अर्द्धविकसित-सभी प्रकार की अर्थव्यवस्थाओं में आवश्यकतानुसार कृषि के विकास को मान्यता प्रदान की जाती है। खाद्य व्यवस्था, कच्चे माल की उपलब्धि तथा रोजगार प्रदान किये जाने के सम्बन्ध में प्रत्येक राष्ट्र की अर्थव्यवस्था में कृषि विकास का विशिष्ट स्थान है। नि:सन्‍देह कृषि के विकास में अनेक अस्थिरताओं से संघर्ष करना पड़ता है। इसके बावजूद भी किसी दृष्टि से कृषि का महत्व खाद्य सामग्री तथा औद्योगिक कच्चे माल की उपलब्धि की दृष्टि से कृषि विकास के महत्त्व को कम नहीं आंका जा सकता। अर्द्धविकसित तथा विकासशील देशों में इनके अतिरिक्त रोजगार उपलब्ध करवाने की दृष्टि से भी कृषि की विशिष्ट भूमिका है। कृषि अर्थशास्त्र में कृषि के सम्बन्ध में स्थानीय कृषि, कृषि की नवीन व्यहू रचना तथा हरित क्रान्ति, कृषि का आधुनिकीकरण एवं व्यवसायीकरण, कृषि मूल्य नीति, कृषि श्रमिक, वन सम्पदा, ग्रामिण आधारभूत ढाँचा, बंजरभूमि विकास कार्यक्रम, कृषि वित्त, सहकारिता, सहकारिता का उद्गम एवं विकास, सहकारी विपणन, उपभोक्ता सहकारी समितियाँ और औद्योगिक सहकारी समितियाँ आदि विषयों का विस्तृत विवेचन किया जाता है। .

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केट ब्लैंचेट

कैथरीन एलिस "केट" ब्लैंचेट (जन्म 14 मई 1969) एक ऑस्ट्रेलियाई अभिनेत्री और थिएटर निर्देशिका हैं। उन्होंने अभिनय के लिए कई पुरस्कार जीते हैं, विशेष रूप से दो SAG, दो गोल्डन ग्लोब पुरस्कार, दो बाफ्टा (BAFTA) और एक अकादमी पुरस्कार और साथ ही साथ उन्होंने 64वें वेनिस अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में वोल्पी कप भी जीता है। ब्लैंचेट ने 1995-2010 के बीच अकादमी पुरस्कार के पांच नामांकन अर्जित किए.

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कोटा जिला

कोटा भारतीय राज्य राजस्थान का एक जिला है। जिले का मुख्यालय कोटा है। क्षेत्रफल - १२,४३६ (12,436) वर्ग कि॰मी॰ जनसंख्या - १,५६८,५२५ (1,568,525) (2001 जनगणना) साक्षरता - पुरुष - ७८%, महिला - ६३% एस॰टी॰डी॰ कोड - ०७४४ जिलाधिकारी - (जुलाई 200८ में) अभय कुमार समुद्र तल से उचाई - २७१(271) m (889 ft) अक्षांश - उत्तर देशांतर - पूर्व औसत वर्षा - मि॰मी॰ कोटा शहर भारत के राजस्थान प्रदेश मे आता है। यह चम्बल नदी के किनारे बसा हुआ है। यहा कई प्रकार की कारखाने है, जिनमे रसायन तथा प्रोध्योगिकी सम्बन्धित कारखाने प्रमुख है। यह कई प्रमुख शहरो से रैल व सडक से जुडा हुआ है।देश की ईमानदार टॉप 10 सूची मे भी कोटा शहर के पुलिसकर्मी कमलेश बिशनोई का नाम पहले नम्बर पर है 2015 मे ईमानदारी हेतु माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी ने राष्ट्रपति भवन में इसे सम्मानित किया .

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कीट नियंत्रण

एक क्रॉप डस्टर कम कीटनाशक की मात्रा वाले चारे का इस्तेमाल करता है, जिससे वेस्टर्न कॉर्न रूटवर्म से निजात पाने में मदद मिलती है कीट नियंत्रण से आशय कीट के रूप में परिभाषित प्रजाति के नियंत्रण या प्रबंधन से है, क्योंकि आमतौर पर उन्हें व्यक्तियों के स्वास्थ्य, पारिस्थितिकी या अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक माना जाता है। कीट नियंत्रण का इतिहास भी लगभग उतना ही पुराना है जितना कि कृषि का क्योंकि फसलों को हमेशा से ही कीट मुक्त रखने की आवश्यकता रही है। खाद्य पदार्थों के उत्पादन को अधिकतम करने के लिए फसलों को पौधों की प्रतिस्पर्धी प्रजातियों के साथ-साथ मनुष्यों के साथ प्रतिस्पर्धा करने वाले शाकाहारी पशु-पक्षियों से बचाना भी लाभप्रद होता है। सबसे पहले संभवतः पारंपरिक तरीकों का ही इस्तेमाल किया जाता था, क्योंकि घास-फूस को जलाकर या जुताई करके उन्हें जमीन के अंदर करके; और कौवों तथा बीज-भक्षण करने वाले अन्य पक्षियों जैसे बड़े शाकाहारी पशु-पक्षियों को नष्ट करना अपेक्षाकृत रूप से ज्यादा आसान होता है। फसल आवर्तन, सहयोगी फसल-रोपण (जिसे अंतर-फसल या मिश्रित फसल-रोपण भी कहा जाता है) और कीट प्रतिरोधी फसलों के चयनित प्रजनन का एक लंबा इतिहास रहा है। कई कीट मनुष्य की प्रत्यक्ष गतिविधियों की वजह से ही एक समस्या के रूप में उभरे हैं। इन गतिविधियों के संशोधन द्वारा कीट संबंधी समस्याओं पर काफी हद तक नियंत्रण किया जा सकता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में, रैकून नामक एक जानवर अक्सर बोरियों को फाड़ दिया करते थे जो कि एक बड़ी समस्या थी। कई लोगों ने अपने घरों में उनको पकड़ने वाले डिब्बों को रखना शुरु कर दिया जिससे उनका उत्पात में कमी आई.

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अच्युत पटवर्धन

अच्युत पटवर्धन अच्युत पटवर्धन (5 फ़रवरी 1905 - 5 अगस्त 1992) भारत के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, राजनेता एवं अर्थशास्त्र के प्राध्यापक थे। सन् १९४२ के भारत छोड़ो आन्दोलन में उन्होने महती भूमिका अदा की। भारत की आजादी के बाद उन्होने सन् १९४७ में भारत की समाजवादी पार्टी की स्थापना की। .

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अथर्ववेद संहिता

अथर्ववेद संहिता हिन्दू धर्म के पवित्रतम और सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदों में से चौथे वेद अथर्ववेद की संहिता अर्थात मन्त्र भाग है। इसमें देवताओं की स्तुति के साथ जादू, चमत्कार, चिकित्सा, विज्ञान और दर्शन के भी मन्त्र हैं। अथर्ववेद संहिता के बारे में कहा गया है कि जिस राजा के रज्य में अथर्ववेद जानने वाला विद्वान् शान्तिस्थापन के कर्म में निरत रहता है, वह राष्ट्र उपद्रवरहित होकर निरन्तर उन्नति करता जाता हैः अथर्ववेद के रचियता श्री ऋषि अथर्व हैं और उनके इस वेद को प्रमाणिकता स्वंम महादेव शिव की है, ऋषि अथर्व पिछले जन्म मैं एक असुर हरिन्य थे और उन्होंने प्रलय काल मैं जब ब्रह्मा निद्रा मैं थे तो उनके मुख से वेद निकल रहे थे तो असुर हरिन्य ने ब्रम्ह लोक जाकर वेदपान कर लिया था, यह देखकर देवताओं ने हरिन्य की हत्या करने की सोची| हरिन्य ने डरकर भगवान् महादेव की शरण ली, भगवन महादेव ने उसे अगले अगले जन्म मैं ऋषि अथर्व बनकर एक नए वेद लिखने का वरदान दिया था इसी कारण अथर्ववेद के रचियता श्री ऋषि अथर्व हुए| .

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अनिता बोस फाफ

अनिता बोस फाफ (अंग्रेजी: Anita Bose Pfaff, जन्म: नवम्बर 1942 वियेना) एक जर्मन अर्थशास्त्री हैं। वह ऑग्सबर्ग यूनीवर्सिटी में प्रोफेसर रह चुकी हैं। इस समय वह अपने पति प्रो मार्टिन फाफ के साथ उनकी जर्मन सोशल डिमोक्रेटिक पार्टी में सक्रिय रहती हैं। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी नेता सुभाष चन्द्र बोस और उनकी ऑस्ट्रियन पत्नी एमिली शेंकल की एकमात्र सन्तान हैं। जब उनके पिता सन् 1934 में वियेना अपना इलाज कराने गये थे उस समय उन्हें वहाँ काफी समय तक ठहरना पड़ा। उन दिनों एक किताब लिखने के लिये उन्हें अंग्रेजी जानने वाली एक महिला सचिव की जरूरत हुई। इसके लिये उन्होंने जून 1934 में एमिली शैंकल को अपना सचिव नियुक्त कर लिया। बोस और एमिली एक दूसरे के नजदीक आ गये और उन्होंने आपस में शादी कर ली। उन दोनों के संसर्ग से अनीता का जन्म हुआ।.अगस्त 1945 में जब बोस का विमान दुर्घटना में देहान्त हुआ उस समय अनीता बहुत छोटी बच्ची थी। दुर्घटना से पूर्व सुभाष अपनी पुत्री को देख आये थे। अनिता बोस नाम उन्होंने ही दिया था। परन्तु सुभाष अनिता की परवरिश न कर सके इस कारण वियेना में लोग उसे अनिता शेंकल फाफ के नाम से जानने लगे। .

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अनु आगा

अनु आगा (Anu Aga) भारत की वरिष्ठ सदन राज्यसभा के सदस्य हैं और सामाजिक कार्यकता है। वह आठ सबसे अमीर भारतीय महिलाओं में से एक थीं, और २००७ में फोर्ब्स पत्रिका के मुताबिक नेट रिटेल में ४० सबसे ज्यादा आमिर भारतीयों में से एक थी। उन्हें एसोचैम की सभी महिला विंग, आल लेडीज लीग द्वारा दी डैकेड अचीवर्स अवॉर्ड के मुंबई महिला से सम्मानित किया गया। 2010 में उन्हें भारत सरकार द्वारा सामाजिक कार्य के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया। वह हाल ही में "टीच फॉर इंडिया" के अध्यक्ष चुनी गयी हैं। .

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अनुजा चौहान

अनुजा चौहान (जन्म 1970; मेरठ, उत्तर प्रदेश) लेखिका व उपन्यासकार हैं और विज्ञापन लिखने में उन्होंने खूब नाम कमाया है। १९९३ में उन्होंने दुनिया की चौथी सबसे बड़ी एडवरटाइजिंग कंपनी जेडब्ल्यूटी ज्वाइन किया था, जिससे उन्होंने इसी साल इस्तीफा दे दिया। पेप्सी कोका कोला के लिए ‘ये दिल मांगे मोर’, ‘मेरा नंबर कब आएगा’, ‘नथिंग ऑफिशियल एबाउट इट’, ओए बब्ली, माउंटेन ड्यू के लिए ‘डर के आगे जीत है’, कुरकुरे के लिए ‘टेढ़ा है पर मेरा है’ जैसे शानदार स्लोगन उनके ही दिए हुए हैं। अनुजा चौहान ने द जोया फैक्टर और बैटिल फॉर बिटोरा जैसी बेस्टसेलर किताबें भी लिखी हैं। .

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अन्तपाल

कौटिलीय अर्थशास्त्र से हमें अंतपाल नामक राजकर्मचारियों का पता चलता है जो सीमांत के रक्षक होते थे और जिनका वेतन कुमार, पौर, व्यावहारिक, मंत्री तथा राष्ट्रपाल के बराबर होता था। अशोक के समय अंतपाल ही अंतमहामात्र कहलाने लगे। गुप्तपाल में अंतपाल गोप्ता कहलाने लगे थे। मालविकाग्निमित्र नाटक में वीरसेन तथा एक अन्य अंतपाल का उल्लेख हुआ है। वीरसेन, नर्मदा के किनारे स्थित अंतपाल दुर्ग का अधिपति था। अंतपालों का कार्य महत्त्वपूर्ण था; ग्रीक कर्मचारी 'स्त्रातेगस' से इन पदाधिकारियों की तुलना करना सहज है। अंतपाल शब्द साधारणतया सीमांत प्रदेश के शासक या गवर्नर को निर्दिष्ट करता है। यह शासक सैनिक, असैनिक दोनों ही प्रकार का होता था। अन्तपाल श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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अन्तरराष्‍ट्रीय अध्ययन संस्थान (जे. एन. यू.)

अन्तरराष्‍ट्रीय अध्ययन संस्थान (School of International Studies) जवाहरलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय का सबसे पुराना संस्थान है। इतने लम्बे समय से अन्तरराष्‍ट्रीय संबंधों और क्षेत्रीय अध्ययन के शिक्षण एवं शोध में संलग्न इस संस्थान ने अपने आपको पूरे देश में एक अग्रणी संस्थान के रूप में स्थापित किया है। संस्थान ने भारत में अन्तरराष्‍ट्रीय सम्बन्धों का अध्ययन एक शैक्षिक विषय के रूप में विकसित करने और अन्तरराष्‍ट्रीय मामलों के ज्ञान एवं समझ को अन्तरविषयक परिप्रेक्ष्य में उन्नत करने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। यह 'क्षेत्रीय अध्ययन' को उन्नत करने तथा विश्‍व के विभिन्न देशों एवं क्षेत्रों में सुविज्ञता विकसित करने वाला देश में पहला संस्थान है। संस्थान ने उच्च शिक्षा केंद्र के रूप में भी अन्तरराष्‍ट्रीय ख्याति हासिल की है। स्वतंत्रता प्राप्‍ति के तुरन्त बाद के वर्षों में इस तरह के संस्थान की आवश्यकता महसूस की गई थी। उस समय देश भर में विदेशी मामलों से सम्बन्धित केवल एक ही संस्थान - विश्‍व मामलों की भारतीय परिषद् - ने भारत में अन्तरराष्‍ट्रीय मामलों का अध्ययन शुरू करने की बात को समझा। पूरे विश्‍व में आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों में हो रहे विकास को समझने के लिए युवा वर्ग को प्रशिक्षित करना ज़रूरी था। पंडित हृदयनाथ कुंजरू की अध्यक्षता में गठित समिति की सिफारिशों पर अक्टूबर 1955 में इंडियन स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज की स्थापना हुई और डॉ॰ ए. अप्पादुरई इस संस्थान के पहले निदेशक नियुक्‍त हुए। शुरू में यह संस्थान दिल्ली विश्‍वविद्यालय से सम्बद्ध था। वर्ष 1961 से लेकर जून 1970 में जेएनयू का एक हिस्सा बनने तक इस संस्थान ने सम-विश्‍वविद्यालय के रूप में कार्य किया। जवाहरलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय का हिस्सा बनने के बाद इसके नाम से 'इंडियन` हटाकर इसे "अन्तरराष्‍ट्रीय अध्ययन संस्थान" नाम दिया गया और फिर यह जवाहरलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय का एक संस्थान बन गया। लम्बे समय तक संस्थान के शैक्षिक कार्यक्रम केवल शोध पर आधारित रहे और संस्थान केवल पी-एच.डी.

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अन्तिम वस्तु

अर्थशास्त्र में, कोई भी पण्य जो उत्पादित किया जाएँ और तत्पश्चात् उपभोक्ता द्वारा अपनी इच्छाओं और आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपभुक्त किया जाएँ, वह एक उपभोक्ता वस्तु (consumer good) अथवा अन्तिम वस्तु (final good) है। उपभोक्ता वस्तु वे वस्तु होते हैं, जो अन्य वस्तु के उत्पादन में उपयुक्त होने के बजाए, अन्ततः उपभुक्त कियें जाते हैं। उदाहरणार्थ, एक माइक्रोवेव ओवन या बाइसिकल जो उपभोक्ता को बेचे जाते हैं, एक अन्तिम वस्तु अथवा उपभोक्ता वस्तु है; जबकि जो कॉम्पोनेन्ट उन वस्तुओं में उपयुक्त होने के लिए बेचे जाते हैं, मध्यवर्ती वस्तु कह लाते हैं। उदाहरणार्थ, टेक्सटाइल या ट्रांज़िस्टर, जिनका उपयोग और भी कुछ वस्तु बनाने में हो सकता हैं। श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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अन्य पिछड़ा वर्ग

भारतीय सरकार की इमारत अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) एक वर्ग है, जो जातियाँ वर्गीकृत करने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रयुक्त एक सामूहिक शब्द है। यह अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के साथ-साथ भारत की जनसंख्या के कई सरकारी वर्गीकरण में से एक है 'भारतीय संविधान में ओबीसी "सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों 'के रूप में वर्णित किया जाता है, और भारत सरकार उनके सामाजिक और शैक्षिक विकास को सुनिश्चित करने के लिए हैं - उदाहरण के लिए, ओबीसी सार्वजनिक क्षेत्र के रोजगार और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में 27% आरक्षण के हकदार हैं। जातियों और समुदायों के सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक कारकों के आधार पर जोड़ा या हटाया जा सकता है 'और इनको।सामाजिक न्याय और अधिकारिता भारतीय मंत्रालय द्वारा बनाए रखा ओबीसी की सूची, गतिशील है। 1985 तक, पिछड़ा वर्ग के मामलों में गृह मंत्रालय में पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के बाद देखा गया था। कल्याण की एक अलग मंत्रालय अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों से संबंधित मामलों के लिए भाग लेने के लिए (सामाजिक एवं अधिकारिता मंत्रालय को) 1985 में स्थापित किया गया था। अन्य पिछड़े वर्गों के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण से संबंधित कार्यक्रमों के कार्यान्वयन, और अन्य पिछड़ा वर्ग, पिछड़ा वर्ग के लिए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम और राष्ट्रीय आयोग के कल्याण के लिए गठित दो संस्थानों से संबंधित मामले है ' .

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अन्विता अब्बी

अन्विता अब्बी (जन्म ९ जनवरी १९४९) एक भारतीय भाषाविद और अल्पसंख्यक भाषाओं की विद्वान हैं। भाषा विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें २०१३ में, पद्म श्री को चौथी उच्चतम नागरिक पुरस्कार प्रदान करके उन्हें सम्मानित किया था। अन्विता अब्बी का जन्म ९ जनवरी १९४९ को आगरा में हुआ था। १९६८ में उन्होंने ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र (बीए ऑनर्स) में स्नातक प्राप्त की। उन्होंने १९७० में पहले डिवीजन और प्रथम रैंक के साथ दिल्ली विश्वविद्यालय से ही भाषाविज्ञान में मास्टर डिग्री (एमए) हासिल की। और १९७५ में कॉर्नेल विश्वविद्यालय, इथाका, यूएसए, से पीएचडी की। उन्होंने ने कैनसस स्टेट यूनिवर्सिटी में फ़रवरी १९७५ में दक्षिण एशिया मीडिया केंद्र के निदेशक के रूप में अपना करियर शुरू किया और वाहा एक साल तक काम किया। .

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अपराध शास्त्र

अपराध, अपराधी, आपराधिक स्वभाव तथा अपराधियों के सुधार का वैज्ञानिक अध्ययन अपराध शास्त्र (Criminology) के अन्तर्गत किया जाता है। इसके अन्तर्गत अपराध के प्रति समाज के रवैया, अपराध के कारण, अपराध के परिणाम, अपराध के प्रकार एवं अपराध की रोकथाम का भी अध्ययन किया जाता है। .

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अपस्फीति

अर्थशास्त्र में, अपस्फीति वस्तुओं और सेवाओं के सामान्य मूल्य के स्तर में गिरावट है। अपस्फीति तभी होती है जब वार्षिक मुद्रास्फीति की दर शून्य प्रतिशत की दर से भी नीची गिर जाती है (नकारात्मक मुद्रास्फीति दर), जिसके फलस्वरूप मुद्रा के असली मूल्य में वृद्धि हो जाती है - इससे एक क्रेता उसी राशि से अधिक माल खरीदने की सुविधा पा जाता है। इसे अवस्फीति, मुद्रास्फीति के दर में कमी (अर्थात मुद्रास्फीति की दर घट तो जाती है, लेकिन फिर भी सकारात्मक ही बनी रहती है), समझने की भूल नहीं की जानी चाहिए। समय के साथ-साथ जैसे-जैसे मुद्रास्फीति मुद्रा के असली मूल्य में गिरावट लाती है, इसके ठीक विपरीत, अपस्फीति मुद्रा के वास्तविक मूल्य में- कार्यात्मक मुद्रा (एवं लेखा की मौद्रिक इकाई में) राष्ट्रीय अथवा क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि लाती है। वर्तमान समय में, मुख्यधारा के अर्थशास्त्रियों का आमतौर पर मानना है कि अपस्फीतिकारी जटिलताओं के खतरे ((नीचे वर्णित)) के कारण आधुनिक अर्थव्यवस्था में अपस्फीति एक समस्या है। अपस्फीति को आर्थिक मंदी और विश्वव्यापी मंदी से भी जोड़ा जाता है, जैसे कि बैंक जमाकर्ताओं की अदायगी में चूक जाते हैं। इसके अतिरिक्त, अर्थव्यवस्था के स्थिरीकरण में अपस्फीति मौद्रिक नीति निर्धारण में एक ऐसी प्रक्रिया के तहत रूकावट पैदा करती है जिसे लिक्विडिटी ट्रैप कहते हैं। हालांकि, ऐतिहासिक रूप से अपस्फीति की सभी घटनाएं, कमजोर आर्थिक विकास के दौरे से जुड़ी नहीं हैं। .

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अमर्त्य सेन

(बी.ए.)ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज,(बी.ए., एम.ए., पी.एच.डी.) | field .

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अर्चना रामासुंदरम

अर्चना रामासुंदरम भारत के सशस्त्र सीमा बल की महानिदेशक हैं। वे किसी अर्धसैनिक बल का नेतृत्व करने वाली पहली महिला अधिकारी हैं। इसके पूर्व वे राष्‍ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्‍यूरो की निदेशक थीं। .

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अर्थशास्त्र (ग्रन्थ)

अर्थशास्त्र, कौटिल्य या चाणक्य (चौथी शती ईसापूर्व) द्वारा रचित संस्कृत का एक ग्रन्थ है। इसमें राज्यव्यवस्था, कृषि, न्याय एवं राजनीति आदि के विभिन्न पहलुओं पर विचार किया गया है। अपने तरह का (राज्य-प्रबन्धन विषयक) यह प्राचीनतम ग्रन्थ है। इसकी शैली उपदेशात्मक और सलाहात्मक (instructional) है। यह प्राचीन भारतीय राजनीति का प्रसिद्ध ग्रंथ है। इसके रचनाकार का व्यक्तिनाम विष्णुगुप्त, गोत्रनाम कौटिल्य (कुटिल से व्युत्पत्र) और स्थानीय नाम चाणक्य (पिता का नाम चणक होने से) था। अर्थशास्त्र (15.431) में लेखक का स्पष्ट कथन है: चाणक्य सम्राट् चंद्रगुप्त मौर्य (321-298 ई.पू.) के महामंत्री थे। उन्होंने चंद्रगुप्त के प्रशासकीय उपयोग के लिए इस ग्रंथ की रचना की थी। यह मुख्यत: सूत्रशैली में लिखा हुआ है और संस्कृत के सूत्रसाहित्य के काल और परंपरा में रखा जा सकता है। यह शास्त्र अनावश्यक विस्तार से रहित, समझने और ग्रहण करने में सरल एवं कौटिल्य द्वारा उन शब्दों में रचा गया है जिनका अर्थ सुनिश्चित हो चुका है। (अर्थशास्त्र, 15.6)' अर्थशास्त्र में समसामयिक राजनीति, अर्थनीति, विधि, समाजनीति, तथा धर्मादि पर पर्याप्त प्रकाश पड़ता है। इस विषय के जितने ग्रंथ अभी तक उपलब्ध हैं उनमें से वास्तविक जीवन का चित्रण करने के कारण यह सबसे अधिक मूल्यवान् है। इस शास्त्र के प्रकाश में न केवल धर्म, अर्थ और काम का प्रणयन और पालन होता है अपितु अधर्म, अनर्थ तथा अवांछनीय का शमन भी होता है (अर्थशास्त्र, 15.431)। इस ग्रंथ की महत्ता को देखते हुए कई विद्वानों ने इसके पाठ, भाषांतर, व्याख्या और विवेचन पर बड़े परिश्रम के साथ बहुमूल्य कार्य किया है। शाम शास्त्री और गणपति शास्त्री का उल्लेख किया जा चुका है। इनके अतिरिक्त यूरोपीय विद्वानों में हर्मान जाकोबी (ऑन दि अथॉरिटी ऑव कौटिलीय, इं.ए., 1918), ए. हिलेब्रांड्ट, डॉ॰ जॉली, प्रो॰ए.बी.

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अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार

एल्फ्रेड नोबल की याद में अर्थशास्त्र में स्वेरिजेस रिक्सबैंक पुरस्कार (आधिकारिक Sveriges riksbanks pris i ekonomisk vetenskap till Alfred Nobels minne), जिसे सामान्यतः अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार (अंग्रेज़ी: Nobel Prize in Economics) कहा जाता है, अर्थशास्त्र में असाधारण योगदान के लिए दिया जाने वाला इस क्षेत्र का सबसे प्रतिष्ठित सम्मान है। .

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अर्थशास्त्र के प्रमुख सिद्धान्त

अर्थशास्त्र, उपयोगिता की विद्या है। उपयोगिता के अन्तर्गत लोगों की प्राथमिकता (पसन्द), वस्तुओं से मिलने वाली संतुष्टि, वस्तुओं को लोगों द्वारा प्रदत्त महत्व आदि आते हैं। इच्छाएँ अनन्त हैं और इसके साथ यह भी सत्य है कि एक ही वस्तु की अधिकाधिक मात्रा मिलने पर लोगों को उससे क्रमश: न्यून-से-न्यूनतर लाभ या संतुष्टि मिलती है। (ह्रासमान उपयोगिता का नियम) अर्थशास्त्र के कुछ प्रमुख नियम निम्नवत् हैं -.

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अर्थशास्त्री

अर्थशास्त्र के विद्वान को अर्थशास्त्री कहते हैं। श्रेणी:अर्थशास्त्र श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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अर्नाल्ड ट्वानबी

प्रसिद्ध इतिहासकार और अर्नाल्ड ट्वानबी के भतीजे के लिये देखें - जोज़फ अर्नाल्ड ट्वानबी ---- अर्नाल्ड ट्वानबी अर्नाल्ड ट्वानबी (1852-1883) इंग्लैंड के आर्थिक इतिहासकार और सहृदय समाजसेवी थे। वे प्रसिद्ध शल्यचिकित्सक जोजफ ट्वानबी के द्वितीय पुत्र थे। .

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अल्फ्रेड मार्शल

अल्फ्रेड मार्शल अल्फ्रेड मार्शल (Alfred Marshall; 26 जुलाई 1842 – 13 जुलाई 1924) अपने समय के सबसे प्रभावशाली अर्थशास्त्री थे। उनकी 'प्रिंसिपल्स ऑफ इकनॉमिक्स' (१८९०) अनेकों वर्षों तक इंग्लैण्ड में अर्थशास्त्र की पाठ्यपुस्तक के रूप में पढ़ायी जाती रही। इसमें मांग और आपूर्ति, मार्जिनल युटिलिटी तथा उत्पादन लागत को व्यवस्थित रूप दिया। मार्शल की गणना अर्थशास्त्र के प्रमुख संस्थापकों में की जाती है। .

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अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन

अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन, हिन्दी भाषा एवं साहित्य तथा देवनागरी का प्रचार-प्रसार को समर्पित एक प्रमुख सार्वजनिक संस्था है। इसका मुख्यालय प्रयाग (इलाहाबाद) में है जिसमें छापाखाना, पुस्तकालय, संग्रहालय एवं प्रशासनिक भवन हैं। हिंदी साहित्य सम्मेलन ने ही सर्वप्रथम हिंदी लेखकों को प्रोत्साहित करने के लिए उनकी रचनाओं पर पुरस्कारों आदि की योजना चलाई। उसके मंगलाप्रसाद पारितोषिक की हिंदी जगत् में पर्याप्त प्रतिष्ठा है। सम्मेलन द्वारा महिला लेखकों के प्रोत्साहन का भी कार्य हुआ। इसके लिए उसने सेकसरिया महिला पारितोषिक चलाया। सम्मेलन के द्वारा हिंदी की अनेक उच्च कोटि की पाठ्य एवं साहित्यिक पुस्तकों, पारिभाषिक शब्दकोशों एवं संदर्भग्रंथों का भी प्रकाशन हुआ है जिनकी संख्या डेढ़-दो सौ के करीब है। सम्मेलन के हिंदी संग्रहालय में हिंदी की हस्तलिखित पांडुलिपियों का भी संग्रह है। इतिहास के विद्वान् मेजर वामनदास वसु की बहुमूल्य पुस्तकों का संग्रह भी सम्मेलन के संग्रहालय में है, जिसमें पाँच हजार के करीब दुर्लभ पुस्तकें संगृहीत हैं। .

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अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध

अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध (International sanctions) किसी देश, क्षेत्र या संगठन के सम्बन्ध में किसी अन्य देश, संगठन या मित्रपक्ष द्वारा लिये गये ऐसे राजनैतिक या आर्थिक निर्णय होते हैं जिनके अन्तर्गत उनकी कुछ आर्थिक, व्यापारिक, कूटनीतिक, सांस्कृतिक या अन्य गतिविधियों पर रोक लगा दी जाती है। अक्सर इन प्रतिबंधों का ध्येय किसी सुरक्षा, राजनैतिक या अर्थिक लक्ष्य की प्राप्ति होता है। मसलन अपार्थाइड काल में दक्षिण अफ़्रीका पर अंतर्राष्ट्रीय खेलों में हिस्सा लेने पर प्रतिबंध लगा हुआ था, ताकि वहाँ के नस्लवाद सत्ताधारी लोग स्वयं को विश्व में अकेला महसूस करें और उनका मनोबल कमज़ोर हो। .

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अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

सम्पूर्ण यूरेशिया में प्राचीन सिल्क रोड व्यापार मार्ग. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं या क्षेत्रों के आर-पार पूंजी, माल और सेवाओं का आदान-प्रदान है।.

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उत्पादन

अर्थशास्त्र में उत्पादन औद्योगिक प्रतिष्ठानों द्वारा वस्तुओं, सामानों या सेवाओं को निर्मित करने की प्रक्रिया को कहते हैं। उत्पादन का उद्देश्य ऐसी वस्तुएँ और सेवाएँ बनाना है जिनकी मनुष्यों को बेहतर जीवन यापन के लिए आवश्यकता होती है। उत्पादन भूमि, पूँजी और श्रम को संयोजित करके किया जाता है इसलिए ये उत्पादन के कारक कहलाते हैं। .

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उत्पादन सिद्धांत

उत्पादन सिद्धांत (Production theory) उत्पादन से सम्बन्धित प्रक्रियाओं के अर्थशास्त्रीय अध्ययन को कहते हैं, जिसमें कच्चे माल को पूर्ण किये गये उत्पादन से सम्बन्धित प्रक्रियाओं, व्यय, आय, इत्यादि को समझा जाता है, और भिन्न परिस्थितियों में उत्पादन में लाभ व अन्य सुधार करने के लिये समाधानों को खोजा जाता है। .

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उत्पादन के साधन

अर्थशास्त्र और समाजशास्त्र में, उत्पादन के साधन (Means of production) भौतिक, गैर-मानवी इनपुट होते हैं, जिनका उपयोग आर्थिक मूल्य के उत्पादन हेतु होता हैं, जैसे कि, सुविधाएँ, मशीनरी, उपकरण, संरचनात्मक पूंजी और प्राकृतिक पूंजी। उत्पादन के साधनों में वस्तुओं की दो व्यापक श्रेणियाँ मौजूद हैं: श्रम के साधन (उपकरण, फ़ैक्ट्री, संरचना, इत्यादि) और श्रम के विषय (प्राकृतिक संसाधन और कच्चा माल)। अगर वस्तु बना रहें हैं, तो लोग श्रम के साधनों का उपयोग करके श्रम के विषयों पर काम करते हैं, उत्पाद बनाने के लिए; या अन्य शब्दों में, उत्पादन के साधनों पर काम करता श्रम, उत्पाद निर्माण करता हैं। श्रेणी:उत्पादन और विनिर्माण.

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उत्पादन के कारक

अर्थशास्त्र में, किसी वस्तु या सेवा के उत्पादन में जिन चीजों की आवश्यकता होती है उन्हें उत्पादन के कारक (factors of production, या resources या inputs) कहते हैं। उत्पादन के मूलभूत कारक ये तीन हैं- भूमि, श्रम और पूँजी। .

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उत्सर्जन व्यापार

जर्मनी में एक कोयला ऊर्जा संयंत्र. उत्सर्जन व्यापार करने के कारण, कोयला अन्य विकल्पों की तुलना में एक कम प्रतियोगी ईंधन बन सकता है। उत्सर्जन व्यापार (कैप एंड ट्रेड के रूप में भी ज्ञात) एक प्रशासनिक दृष्टिकोण है जिसका प्रयोग प्रदूषकों के उत्सर्जन में कटौती को प्राप्त करने पर आर्थिक प्रोत्साहन प्रदान करके प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। एक केन्द्रीय प्राधिकरण (आमतौर पर एक सरकारी निकाय), उत्सर्जित किए जा सकने वाले प्रदूषक की मात्रा पर एक सीमा या कैप निर्धारित करता है। कंपनियों या अन्य समूहों को उत्सर्जन परमिट जारी किए जाते हैं और उन्हें एक बराबर संख्या में छूटें (या क्रेडिट) रखने की आवश्यकता होती है जो उत्सर्जन करने की एक विशिष्ट मात्रा के अधिकार को दर्शाता है। छूट और क्रेडिट की कुल मात्रा, सीमा से अधिक नहीं हो सकती, जो कुल उत्सर्जन को उस स्तर तक के लिए सीमित कर देती है। वे कंपनियां जिन्हें अपने उत्सर्जन छूट को बढ़ाने की जरूरत है, उनके लिए यह आवश्यक है कि वे उन लोगों से क्रेडिट खरीदें जो कम प्रदूषण करते हैं। इन छूटों का स्थानांतरण व्यापार कहलाता है। जवाब में, खरीददार, प्रदूषण के लिए एक शुल्क दे रहा है, जबकि विक्रेता को, उत्सर्जन को आवश्यकता से अधिक कम करने के लिए पुरस्कृत किया जा रहा है। इस प्रकार, सिद्धांत रूप में, जो लोग उत्सर्जन को सबसे सस्ते तरीके से कम कर सकते हैं वे ऐसा करेंगे, समाज पर न्यूनतम असर के साथ प्रदूषण में कमी को प्राप्त करना। विभिन्न वायु प्रदूषकों में सक्रिय व्यापार कार्यक्रम मौजूद हैं। ग्रीनहाउस गैसों के लिए सबसे बड़ी यूरोपियन यूनियन एमिशन ट्रेडिंग स्कीम है। संयुक्त राज्य अमेरिका में अम्ल वर्षा को कम करने के लिए एक राष्ट्रीय बाज़ार है और नाइट्रोजन आक्साइड में कई क्षेत्रीय बाज़ार हैं। अन्य प्रदूषकों के लिए बाज़ार अपेक्षाकृत छोटे और अधिक स्थानीयकृत हुआ करते हैं। .

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उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण

१९९० का दशक भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव लेकर आया था। आर्थिक सुधारों के इस नए मॉडल को सामान्यतः उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण मॉडल (एलपीजी मॉडल) के रूप में जाना जाता है। इस मॉडल का मुख्य उद्देश्य दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के साथ भारत की अर्थव्यवस्था को तेजी से विकसित अर्थव्यवस्था बनाना तथा दूसरी अर्थव्यवस्थाओं को निकट पहुंचना या उनसे आगे निकलना था। एक अधिक कुशल स्तर करने के लिए देश की अर्थव्यवस्था को उठाने पर लक्षित व्यापार, विनिर्माण करने का संबंध है, और वित्तीय सेवाओं के उद्योगों के साथ जगह ले ली है कि सुधारों की श्रृंखला। इन आर्थिक सुधारों को एक महत्वपूर्ण तरीके से देश के समग्र आर्थिक विकास को प्रभावित किया था।;उदारीकरण: उदारीकरण सरकार के नियमों की कमी आई बताई को दर्शाता है। भारत में आर्थिक उदारीकरण के 24 जुलाई 1991 के बाद से शुरू हुआ जो जारी रखने के वित्तीय सुधारों को दर्शाता है।;निजीकरण और वैश्वीकरण: निजीकरण के रूप में अच्छी तरह से निजी क्षेत्र के लिए व्यापार और सेवाओं और सार्वजनिक क्षेत्र (या सरकार) से स्वामित्व के हस्तांतरण में निजी संस्थाओं की भागीदारी को दर्शाता है। वैश्वीकरण की दुनिया के विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं के समेकन के लिए खड़ा है। .

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उपिंदरजीत कौर

डॉ.

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२००४ में पद्म भूषण धारक

श्रेणी:पद्म भूषण.

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सम्पत्ति शास्त्र, सम्पत्तिशास्त्र, आर्थिक

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